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A President who could have been PM A President who could have been PM Reviewed by Manish Pethev on September 01, 2020 Rating: 5

Google Kormo Job App

  Part time job,Full-time jobs,work from Home job Google kormo यह ऐप अभी अभी लॉन्च हुई है,गूगल प्ले में जाकर इस एप्लिकेशन को डाउनलोड करके आप...
- August 31, 2020
Google Kormo Job App Google Kormo Job App Reviewed by Manish Pethev on August 31, 2020 Rating: 5

(मुदस्सिर कुल्लू) कश्मीर में सुरक्षाबलों में खुदकुशी और अपने ही साथी की हत्या कर देने के मामले बढ़ते जा रहे हैं। इस साल के शुरुआती 8 महीने में कश्मीर में 18 जवानों ने आत्महत्या की है। जबकि 6 जवान अपने ही साथी के उन्मादी हमले में मारे गए हैं। सेना, पैरामिलिट्री फोर्स के सूत्रों ने यह जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि पिछले पूरे साल में कश्मीर में 19 जवानों ने आत्महत्या की थी। जबकि इस बार आत्महत्या के आंकड़े 8 महीने में ही करीब बराबरी पर आ गए। इन मामलों का कारण यह है कि सुरक्षाकर्मियों को जरूरत से ज्यादा दैनिक ड्यूटी करनी पड़ रही है। वे परिवार से लंबे समय तक दूर रहने को मजबूर हैं। ऐसे में वे तनाव और डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं। वे जवान ज्यादा परेशान हैं जो सीधे तौर पर आतंकवाद विरोधी अभियानों के लिए तैनात हैं। कई बार उनका धैर्य टूट जाता है। कोरोना का डरः मई में एक ही दिन में सीआरपीएफ के एसआई और एएसआई ने खुदकुशी कर ली इस साल आत्महत्याओं का एक बड़ा कारण कोरोना संकट भी बताया जा रहा है। खासकर सीआरपीएफ के दो मामलों में यह बात खुलकर सामने आई है। सूत्रों के मुताबिक, 12 मई को अनंतनाग जिले के अक्रुर्ण मट्‌टन क्षेत्र में सीआरपीएफ के एक सब इंस्पेक्टर ने अपनी सर्विस राइफल से गोली मारकर खुदकशी कर ली थी। सब इंस्पेक्टर ने सुसाइड नोट में लिखा था, ‘मैं डरा हुआ हूं। मैं कोरोना पॉजिटिव हो सकता हूं। बेहतर है मर जाऊं।’ उसी दिन श्रीनगर के करण नगर इलाके में सीआरपीएफ के एक असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर ने भी गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी। यह मामला भी कोरोना के डर से जुड़ा बताया जा रहा है। ऐसे अन्य मामले भी होने की आशंका है। उपाय: जवानों के लिए काउंसिलिंग सेशन, मानसिक व्यायाम को बढ़ावा श्रीनगर में सीआरपीएफ के जनसंपर्क अधिकारी पंकज सिंह ने बताया कि जवानों को तनाव मुक्त करने के लिए लगातार काउंसलिंग सेशन चलाए जा रहे हैं। इसके अलावा सुबह के व्यायाम में उन गतिविधियों पर जोर दिया जा रहा है, जिनसे मानसिक स्वास्थ्य को फायदा हो। दूसरी ओर एक अधिकारी ने कहा कि शीर्ष अधिकारी ऐसी व्यवस्था करें कि उनके साथी लंबे समय तक परिवार से दूर रहने को मजबूर न हों। वे परिवार के साथ पर्याप्त समय बिता सकें। दावा: विशेषज्ञ बोले- पारिवारिक समस्याएं आत्महत्या का बड़ा कारण कश्मीर के मनोचिकित्सक डॉ. यासिर हसन राथर का कहना है कि हर महीने उनके पास कई जवान मानसिक समस्याओं के इलाज के लिए आते हैं। वे बताते हैं कि कैसे वे कड़ी कार्य संस्कृति से परेशान हैं। उन्हें कई बार जरूरी काम के लिए भी वक्त नहीं मिल पाता। मानसिक स्वास्थ्य सलाहकार वसीम राशिद का कहना है कि जवान लंबे समय तक पारिवारिक समस्याओं को हल नहीं कर पाने के कारण तनाव में रहते हैं। ऐसे में वे कभी-कभी आत्महत्या का रास्ता अपना लेते हैं। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें इस साल आत्महत्याओं का एक बड़ा कारण कोरोना संकट भी बताया जा रहा है। (फाइल फोटो) https://ift.tt/31FVX2P Dainik Bhaskar कश्मीर में आठ महीने में तनाव से जूझ रहे 18 जवानों ने की खुदकुशी, पिछले साल से बढ़े आंकड़े, छह जवानों की साथी ने ही उन्मादी हमला कर जान ली

(मुदस्सिर कुल्लू) कश्मीर में सुरक्षाबलों में खुदकुशी और अपने ही साथी की हत्या कर देने के मामले बढ़ते जा रहे हैं। इस साल के शुरुआती 8 महीने ...
- August 31, 2020
(मुदस्सिर कुल्लू) कश्मीर में सुरक्षाबलों में खुदकुशी और अपने ही साथी की हत्या कर देने के मामले बढ़ते जा रहे हैं। इस साल के शुरुआती 8 महीने में कश्मीर में 18 जवानों ने आत्महत्या की है। जबकि 6 जवान अपने ही साथी के उन्मादी हमले में मारे गए हैं। सेना, पैरामिलिट्री फोर्स के सूत्रों ने यह जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि पिछले पूरे साल में कश्मीर में 19 जवानों ने आत्महत्या की थी। जबकि इस बार आत्महत्या के आंकड़े 8 महीने में ही करीब बराबरी पर आ गए। इन मामलों का कारण यह है कि सुरक्षाकर्मियों को जरूरत से ज्यादा दैनिक ड्यूटी करनी पड़ रही है। वे परिवार से लंबे समय तक दूर रहने को मजबूर हैं। ऐसे में वे तनाव और डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं। वे जवान ज्यादा परेशान हैं जो सीधे तौर पर आतंकवाद विरोधी अभियानों के लिए तैनात हैं। कई बार उनका धैर्य टूट जाता है। कोरोना का डरः मई में एक ही दिन में सीआरपीएफ के एसआई और एएसआई ने खुदकुशी कर ली इस साल आत्महत्याओं का एक बड़ा कारण कोरोना संकट भी बताया जा रहा है। खासकर सीआरपीएफ के दो मामलों में यह बात खुलकर सामने आई है। सूत्रों के मुताबिक, 12 मई को अनंतनाग जिले के अक्रुर्ण मट्‌टन क्षेत्र में सीआरपीएफ के एक सब इंस्पेक्टर ने अपनी सर्विस राइफल से गोली मारकर खुदकशी कर ली थी। सब इंस्पेक्टर ने सुसाइड नोट में लिखा था, ‘मैं डरा हुआ हूं। मैं कोरोना पॉजिटिव हो सकता हूं। बेहतर है मर जाऊं।’ उसी दिन श्रीनगर के करण नगर इलाके में सीआरपीएफ के एक असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर ने भी गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी। यह मामला भी कोरोना के डर से जुड़ा बताया जा रहा है। ऐसे अन्य मामले भी होने की आशंका है। उपाय: जवानों के लिए काउंसिलिंग सेशन, मानसिक व्यायाम को बढ़ावा श्रीनगर में सीआरपीएफ के जनसंपर्क अधिकारी पंकज सिंह ने बताया कि जवानों को तनाव मुक्त करने के लिए लगातार काउंसलिंग सेशन चलाए जा रहे हैं। इसके अलावा सुबह के व्यायाम में उन गतिविधियों पर जोर दिया जा रहा है, जिनसे मानसिक स्वास्थ्य को फायदा हो। दूसरी ओर एक अधिकारी ने कहा कि शीर्ष अधिकारी ऐसी व्यवस्था करें कि उनके साथी लंबे समय तक परिवार से दूर रहने को मजबूर न हों। वे परिवार के साथ पर्याप्त समय बिता सकें। दावा: विशेषज्ञ बोले- पारिवारिक समस्याएं आत्महत्या का बड़ा कारण कश्मीर के मनोचिकित्सक डॉ. यासिर हसन राथर का कहना है कि हर महीने उनके पास कई जवान मानसिक समस्याओं के इलाज के लिए आते हैं। वे बताते हैं कि कैसे वे कड़ी कार्य संस्कृति से परेशान हैं। उन्हें कई बार जरूरी काम के लिए भी वक्त नहीं मिल पाता। मानसिक स्वास्थ्य सलाहकार वसीम राशिद का कहना है कि जवान लंबे समय तक पारिवारिक समस्याओं को हल नहीं कर पाने के कारण तनाव में रहते हैं। ऐसे में वे कभी-कभी आत्महत्या का रास्ता अपना लेते हैं। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें इस साल आत्महत्याओं का एक बड़ा कारण कोरोना संकट भी बताया जा रहा है। (फाइल फोटो) https://ift.tt/31FVX2P Dainik Bhaskar कश्मीर में आठ महीने में तनाव से जूझ रहे 18 जवानों ने की खुदकुशी, पिछले साल से बढ़े आंकड़े, छह जवानों की साथी ने ही उन्मादी हमला कर जान ली 

(मुदस्सिर कुल्लू) कश्मीर में सुरक्षाबलों में खुदकुशी और अपने ही साथी की हत्या कर देने के मामले बढ़ते जा रहे हैं। इस साल के शुरुआती 8 महीने में कश्मीर में 18 जवानों ने आत्महत्या की है। जबकि 6 जवान अपने ही साथी के उन्मादी हमले में मारे गए हैं। सेना, पैरामिलिट्री फोर्स के सूत्रों ने यह जानकारी दी है।

उन्होंने बताया कि पिछले पूरे साल में कश्मीर में 19 जवानों ने आत्महत्या की थी। जबकि इस बार आत्महत्या के आंकड़े 8 महीने में ही करीब बराबरी पर आ गए। इन मामलों का कारण यह है कि सुरक्षाकर्मियों को जरूरत से ज्यादा दैनिक ड्यूटी करनी पड़ रही है। वे परिवार से लंबे समय तक दूर रहने को मजबूर हैं। ऐसे में वे तनाव और डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं।

वे जवान ज्यादा परेशान हैं जो सीधे तौर पर आतंकवाद विरोधी अभियानों के लिए तैनात हैं। कई बार उनका धैर्य टूट जाता है।

कोरोना का डरः मई में एक ही दिन में सीआरपीएफ के एसआई और एएसआई ने खुदकुशी कर ली

इस साल आत्महत्याओं का एक बड़ा कारण कोरोना संकट भी बताया जा रहा है। खासकर सीआरपीएफ के दो मामलों में यह बात खुलकर सामने आई है। सूत्रों के मुताबिक, 12 मई को अनंतनाग जिले के अक्रुर्ण मट्‌टन क्षेत्र में सीआरपीएफ के एक सब इंस्पेक्टर ने अपनी सर्विस राइफल से गोली मारकर खुदकशी कर ली थी।

सब इंस्पेक्टर ने सुसाइड नोट में लिखा था, ‘मैं डरा हुआ हूं। मैं कोरोना पॉजिटिव हो सकता हूं। बेहतर है मर जाऊं।’ उसी दिन श्रीनगर के करण नगर इलाके में सीआरपीएफ के एक असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर ने भी गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी। यह मामला भी कोरोना के डर से जुड़ा बताया जा रहा है। ऐसे अन्य मामले भी होने की आशंका है।

उपाय: जवानों के लिए काउंसिलिंग सेशन, मानसिक व्यायाम को बढ़ावा

श्रीनगर में सीआरपीएफ के जनसंपर्क अधिकारी पंकज सिंह ने बताया कि जवानों को तनाव मुक्त करने के लिए लगातार काउंसलिंग सेशन चलाए जा रहे हैं। इसके अलावा सुबह के व्यायाम में उन गतिविधियों पर जोर दिया जा रहा है, जिनसे मानसिक स्वास्थ्य को फायदा हो। दूसरी ओर एक अधिकारी ने कहा कि शीर्ष अधिकारी ऐसी व्यवस्था करें कि उनके साथी लंबे समय तक परिवार से दूर रहने को मजबूर न हों। वे परिवार के साथ पर्याप्त समय बिता सकें।

दावा: विशेषज्ञ बोले- पारिवारिक समस्याएं आत्महत्या का बड़ा कारण

कश्मीर के मनोचिकित्सक डॉ. यासिर हसन राथर का कहना है कि हर महीने उनके पास कई जवान मानसिक समस्याओं के इलाज के लिए आते हैं। वे बताते हैं कि कैसे वे कड़ी कार्य संस्कृति से परेशान हैं। उन्हें कई बार जरूरी काम के लिए भी वक्त नहीं मिल पाता।

मानसिक स्वास्थ्य सलाहकार वसीम राशिद का कहना है कि जवान लंबे समय तक पारिवारिक समस्याओं को हल नहीं कर पाने के कारण तनाव में रहते हैं। ऐसे में वे कभी-कभी आत्महत्या का रास्ता अपना लेते हैं।

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इस साल आत्महत्याओं का एक बड़ा कारण कोरोना संकट भी बताया जा रहा है। (फाइल फोटो)

https://ift.tt/31FVX2P Dainik Bhaskar कश्मीर में आठ महीने में तनाव से जूझ रहे 18 जवानों ने की खुदकुशी, पिछले साल से बढ़े आंकड़े, छह जवानों की साथी ने ही उन्मादी हमला कर जान ली Reviewed by Manish Pethev on August 31, 2020 Rating: 5

(केपी सेतुनाथ). केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर का संचालन करने वाला त्रावणकोर देवस्वाम बोर्ड तंगहाली दूर करने के लिए अपने सोने को नगदी में बदलने जा रहा है। वहीं, तिरुमाला देवस्थानम बोर्ड जम्मू में भव्य वेंकटेश्वर मंदिर बनाने जा रहा है। त्रावणकोर देवस्वाम बोर्ड भारतीय रिजर्व बैंक की स्वर्ण बांड योजना में शामिल होगा ताकि बोर्ड के देशभर मेें 1,250 मंदिरों का रख-रखाव और उसका संचालन सही तरीके से हो सके। योजना के तहत बोर्ड को जमा किए गए सोने के एवज में 2.5% वार्षिक ब्याज मिलेगा। फिलहाल बोर्ड सोने की मात्रा का आकलन कर रहा है त्रावणकोर देवस्वाम बोर्ड के अध्यक्ष एन वासु ने बताया कि इसके लिए केरल हाईकोर्ट से मंजूरी मांगी गई है। फिलहाल बोर्ड सोने की मात्रा का आकलन कर रहा है। हमें उम्मीद है कि एक महीने में यह प्रक्रिया पूरी हो जाएगी और योजना को अंतिम रूप दे दिया जाएगा। कोरोना महामारी के चलते मंदिर बंद होने के कारण बोर्ड को करीब 300 करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ा है। अब यहां श्रद्धालुओं का सीमित संख्या में जुटना शुरू हो गया है मंदिरों के पास पूजा और अनुष्ठानों के लिए प्राचीन और विरासती जेवर हैं, उन्हें इसमें शामिल नहीं किया जाएगा। हालांकि, बोर्ड के सभी मंदिरों को पांच माह बाद श्रद्धालुओं के लिए 17 अगस्त को खोल दिया गया है। अब यहां श्रद्धालुओं का सीमित संख्या में जुटना शुरू हो गया है। फिलहाल 3,500 कर्मचारियों को वेतन देने के लिए काफी जद्दोजहद करनी पड़ रही है वासु ने कहा कि बोर्ड के पास मौजूद कुल सोने की मात्रा बता पाना अभी संभव नहीं है, क्योंकि आकलन प्रक्रिया जारी है। संभावना है कि कम से कम 1,000 किग्रा सोना तो होगा ही। बोर्ड 1,250 मंदिरों का संचालन करता है और फिलहाल 3,500 कर्मचारियों को वेतन देने के लिए काफी जद्दोजहद करनी पड़ रही है। सिर्फ 100 मंदिर ही ऐसे हैं, जिनसे अच्छी आवक होती है जबकि शेष मंदिरों का संचालन इन्हीं 100 मंदिरों को मिले दान पर निर्भर होता है। बोर्ड को सबरीमाला मंदिर से ही सबसे ज्यादा चढ़ावा मिलता है। साल 2019-20 में मंदिर ने तीर्थयात्रा सीजन में 263.57 करोड़ रुपए कमाए थे, जबकि 2018-19 में 179.23 करोड़ रुपए की कमाई हुई थी। 100 एकड़ में बनेगा तिरुपति बालाजी मंदिर, अस्पताल और वैदिक स्कूल भी इधर, तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम बोर्ड जम्मू-कटरा हाईवे पर भव्य वेंकटेश्वर मंदिर बनाने जा रहा है। इसके लिए जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने हाईवे पर करीब 100 एकड़ जमीन देने पर सहमति जता दी है। बोर्ड के चेयरमैन वायवी सुब्बा रेड्‌डी ने बताया कि इस मंदिर के बनने से माता वैष्णो देवी के दर्शन के लिए हर वर्ष आने वाले लाखों श्रद्धालु वेंकटेश्वर भगवान के भी दर्शन कर सकेंगे। बोर्ड जम्मू में मंदिर के अलावा अस्पताल, वैदिक पाठशाला और शादी गृह का भी निर्माण करेगा। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम बोर्ड जम्मू-कटरा हाईवे पर भव्य वेंकटेश्वर मंदिर बनाने जा रहा है। इसके लिए जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने हाईवे पर करीब 100 एकड़ जमीन देने पर सहमति जता दी है। https://ift.tt/3hUE1ak Dainik Bhaskar 1,250 मंदिरों का संचालन करने वाले त्रावणकोर देवस्वाम बोर्ड को 300 करोड़ का नुकसान, अब बोर्ड अपने सोने को नकद में बदलेगा

(केपी सेतुनाथ). केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर का संचालन करने वाला त्रावणकोर देवस्वाम बोर्ड तंगहाली दूर करने के लिए अपने सोने को नगदी में...
- August 31, 2020
(केपी सेतुनाथ). केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर का संचालन करने वाला त्रावणकोर देवस्वाम बोर्ड तंगहाली दूर करने के लिए अपने सोने को नगदी में बदलने जा रहा है। वहीं, तिरुमाला देवस्थानम बोर्ड जम्मू में भव्य वेंकटेश्वर मंदिर बनाने जा रहा है। त्रावणकोर देवस्वाम बोर्ड भारतीय रिजर्व बैंक की स्वर्ण बांड योजना में शामिल होगा ताकि बोर्ड के देशभर मेें 1,250 मंदिरों का रख-रखाव और उसका संचालन सही तरीके से हो सके। योजना के तहत बोर्ड को जमा किए गए सोने के एवज में 2.5% वार्षिक ब्याज मिलेगा। फिलहाल बोर्ड सोने की मात्रा का आकलन कर रहा है त्रावणकोर देवस्वाम बोर्ड के अध्यक्ष एन वासु ने बताया कि इसके लिए केरल हाईकोर्ट से मंजूरी मांगी गई है। फिलहाल बोर्ड सोने की मात्रा का आकलन कर रहा है। हमें उम्मीद है कि एक महीने में यह प्रक्रिया पूरी हो जाएगी और योजना को अंतिम रूप दे दिया जाएगा। कोरोना महामारी के चलते मंदिर बंद होने के कारण बोर्ड को करीब 300 करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ा है। अब यहां श्रद्धालुओं का सीमित संख्या में जुटना शुरू हो गया है मंदिरों के पास पूजा और अनुष्ठानों के लिए प्राचीन और विरासती जेवर हैं, उन्हें इसमें शामिल नहीं किया जाएगा। हालांकि, बोर्ड के सभी मंदिरों को पांच माह बाद श्रद्धालुओं के लिए 17 अगस्त को खोल दिया गया है। अब यहां श्रद्धालुओं का सीमित संख्या में जुटना शुरू हो गया है। फिलहाल 3,500 कर्मचारियों को वेतन देने के लिए काफी जद्दोजहद करनी पड़ रही है वासु ने कहा कि बोर्ड के पास मौजूद कुल सोने की मात्रा बता पाना अभी संभव नहीं है, क्योंकि आकलन प्रक्रिया जारी है। संभावना है कि कम से कम 1,000 किग्रा सोना तो होगा ही। बोर्ड 1,250 मंदिरों का संचालन करता है और फिलहाल 3,500 कर्मचारियों को वेतन देने के लिए काफी जद्दोजहद करनी पड़ रही है। सिर्फ 100 मंदिर ही ऐसे हैं, जिनसे अच्छी आवक होती है जबकि शेष मंदिरों का संचालन इन्हीं 100 मंदिरों को मिले दान पर निर्भर होता है। बोर्ड को सबरीमाला मंदिर से ही सबसे ज्यादा चढ़ावा मिलता है। साल 2019-20 में मंदिर ने तीर्थयात्रा सीजन में 263.57 करोड़ रुपए कमाए थे, जबकि 2018-19 में 179.23 करोड़ रुपए की कमाई हुई थी। 100 एकड़ में बनेगा तिरुपति बालाजी मंदिर, अस्पताल और वैदिक स्कूल भी इधर, तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम बोर्ड जम्मू-कटरा हाईवे पर भव्य वेंकटेश्वर मंदिर बनाने जा रहा है। इसके लिए जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने हाईवे पर करीब 100 एकड़ जमीन देने पर सहमति जता दी है। बोर्ड के चेयरमैन वायवी सुब्बा रेड्‌डी ने बताया कि इस मंदिर के बनने से माता वैष्णो देवी के दर्शन के लिए हर वर्ष आने वाले लाखों श्रद्धालु वेंकटेश्वर भगवान के भी दर्शन कर सकेंगे। बोर्ड जम्मू में मंदिर के अलावा अस्पताल, वैदिक पाठशाला और शादी गृह का भी निर्माण करेगा। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम बोर्ड जम्मू-कटरा हाईवे पर भव्य वेंकटेश्वर मंदिर बनाने जा रहा है। इसके लिए जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने हाईवे पर करीब 100 एकड़ जमीन देने पर सहमति जता दी है। https://ift.tt/3hUE1ak Dainik Bhaskar 1,250 मंदिरों का संचालन करने वाले त्रावणकोर देवस्वाम बोर्ड को 300 करोड़ का नुकसान, अब बोर्ड अपने सोने को नकद में बदलेगा 

(केपी सेतुनाथ). केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर का संचालन करने वाला त्रावणकोर देवस्वाम बोर्ड तंगहाली दूर करने के लिए अपने सोने को नगदी में बदलने जा रहा है। वहीं, तिरुमाला देवस्थानम बोर्ड जम्मू में भव्य वेंकटेश्वर मंदिर बनाने जा रहा है।

त्रावणकोर देवस्वाम बोर्ड भारतीय रिजर्व बैंक की स्वर्ण बांड योजना में शामिल होगा ताकि बोर्ड के देशभर मेें 1,250 मंदिरों का रख-रखाव और उसका संचालन सही तरीके से हो सके। योजना के तहत बोर्ड को जमा किए गए सोने के एवज में 2.5% वार्षिक ब्याज मिलेगा।

फिलहाल बोर्ड सोने की मात्रा का आकलन कर रहा है

त्रावणकोर देवस्वाम बोर्ड के अध्यक्ष एन वासु ने बताया कि इसके लिए केरल हाईकोर्ट से मंजूरी मांगी गई है। फिलहाल बोर्ड सोने की मात्रा का आकलन कर रहा है। हमें उम्मीद है कि एक महीने में यह प्रक्रिया पूरी हो जाएगी और योजना को अंतिम रूप दे दिया जाएगा। कोरोना महामारी के चलते मंदिर बंद होने के कारण बोर्ड को करीब 300 करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ा है।

अब यहां श्रद्धालुओं का सीमित संख्या में जुटना शुरू हो गया है

मंदिरों के पास पूजा और अनुष्ठानों के लिए प्राचीन और विरासती जेवर हैं, उन्हें इसमें शामिल नहीं किया जाएगा। हालांकि, बोर्ड के सभी मंदिरों को पांच माह बाद श्रद्धालुओं के लिए 17 अगस्त को खोल दिया गया है। अब यहां श्रद्धालुओं का सीमित संख्या में जुटना शुरू हो गया है।

फिलहाल 3,500 कर्मचारियों को वेतन देने के लिए काफी जद्दोजहद करनी पड़ रही है

वासु ने कहा कि बोर्ड के पास मौजूद कुल सोने की मात्रा बता पाना अभी संभव नहीं है, क्योंकि आकलन प्रक्रिया जारी है। संभावना है कि कम से कम 1,000 किग्रा सोना तो होगा ही। बोर्ड 1,250 मंदिरों का संचालन करता है और फिलहाल 3,500 कर्मचारियों को वेतन देने के लिए काफी जद्दोजहद करनी पड़ रही है।

सिर्फ 100 मंदिर ही ऐसे हैं, जिनसे अच्छी आवक होती है जबकि शेष मंदिरों का संचालन इन्हीं 100 मंदिरों को मिले दान पर निर्भर होता है। बोर्ड को सबरीमाला मंदिर से ही सबसे ज्यादा चढ़ावा मिलता है। साल 2019-20 में मंदिर ने तीर्थयात्रा सीजन में 263.57 करोड़ रुपए कमाए थे, जबकि 2018-19 में 179.23 करोड़ रुपए की कमाई हुई थी।

100 एकड़ में बनेगा तिरुपति बालाजी मंदिर, अस्पताल और वैदिक स्कूल भी
इधर, तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम बोर्ड जम्मू-कटरा हाईवे पर भव्य वेंकटेश्वर मंदिर बनाने जा रहा है। इसके लिए जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने हाईवे पर करीब 100 एकड़ जमीन देने पर सहमति जता दी है। बोर्ड के चेयरमैन वायवी सुब्बा रेड्‌डी ने बताया कि इस मंदिर के बनने से माता वैष्णो देवी के दर्शन के लिए हर वर्ष आने वाले लाखों श्रद्धालु वेंकटेश्वर भगवान के भी दर्शन कर सकेंगे। बोर्ड जम्मू में मंदिर के अलावा अस्पताल, वैदिक पाठशाला और शादी गृह का भी निर्माण करेगा।

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तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम बोर्ड जम्मू-कटरा हाईवे पर भव्य वेंकटेश्वर मंदिर बनाने जा रहा है। इसके लिए जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने हाईवे पर करीब 100 एकड़ जमीन देने पर सहमति जता दी है।

https://ift.tt/3hUE1ak Dainik Bhaskar 1,250 मंदिरों का संचालन करने वाले त्रावणकोर देवस्वाम बोर्ड को 300 करोड़ का नुकसान, अब बोर्ड अपने सोने को नकद में बदलेगा Reviewed by Manish Pethev on August 31, 2020 Rating: 5

हवाई सफर करने वाले यात्री देशभर के एयरपोर्ट्स और विमानों में 4600 से ज्यादा करोड़ों रुपए का सामान छोड़कर भूल गए और लेने नहीं पहुंचे। अब तक एयरपोर्ट पर मिलने वाले सामानों में दूल्हे के जूते, वाइन की बोतल, प्रेशर कुकर, आर्मी यूनिफॉर्म और हथकड़ी सबसे यूनिक हैं। यह सामान एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआई) के खोया-पाया विभाग में पड़ा है। एएआई ने रिपोर्ट जारी कर इस बात की जानकारी दी है। रिपोर्ट के मुताबिक, देश के विभिन्न एयरपोर्ट्स पर 4689 सामान मिले हैं। यात्री एक जनवरी से अब तक यह सामान भूले हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि करीब 5 माह से देश में फ्लाइट्स का संचालन नहीं हुआ। इस कारण ज्यादातर सामान विदेशों से भारतीय लोगों को लाने वाली फ्लाइट्स में मिला। कोलकाता एयरपोर्ट के स्टाफ को लेदर जैकेट मिले। गुवाहाटी के एयरपोर्ट पर आर्मी यूनिफॉर्म और सर्जिकल गाउन मिली भुवनेश्वर में स्टाफ को दूल्हे के जूते मिले। चेन्नई एयरपोर्ट पर गिटार, सिगरेट, लेजर लाइट और हथकड़ी मिली। गुवाहाटी के एयरपोर्ट पर आर्मी यूनिफॉर्म और सर्जिकल गाउन मिली। सबसे ज्यादा पाए जाने वाले सामानों में मोबाइल, पावर बैंक, लैपटॉप, इयरफोन, कलाई घड़ी, ट्रिमर, पर्स, अंगूठी, पायल, बैडमिंटन, स्लीपिंग बैग और कार की चाबी जैसी चीजें शामिल हैं। गाइडलाइन के मुताबिक 90 दिन में सामान की नीलामी होती है एएआई की रिपोर्ट के मुताबिक, खराब हो जाने वाले सामानों के लिए 48 घंटे तक इंतजार किया जाता है। फिर उसका निस्तारण कर दिया जाता है। लेकिन बाकी सामानों के लिए 90 दिन तक इंतजार किया जाता है। यदि निश्चित समय में सामान का मालिक कोई क्लेम नहीं करता है तो उसकी नीलामी कर दी जाती है। हालांकि, खोए हुए सामान पर दावा करने के लिए बोर्डिंग पास की कॉपी या यात्रा का सबूत जरूरी है। साथ ही जिस सामान पर दावा किया जा रहा है, उसकी जानकारी देनी होती है। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें ज्यादातर सामान विदेशों से भारतीय लोगों को लाने वाली फ्लाइट्स में मिला है। (फाइल फोटो) https://ift.tt/3hJLGZ4 Dainik Bhaskar एयरपोर्ट-विमानों में 4600 से ज्यादा कीमती चीजें भूले यात्री; दूल्हे के जूते, कुकर, आर्मी यूनिफॉर्म तक शामिल

हवाई सफर करने वाले यात्री देशभर के एयरपोर्ट्स और विमानों में 4600 से ज्यादा करोड़ों रुपए का सामान छोड़कर भूल गए और लेने नहीं पहुंचे। अब तक एय...
- August 31, 2020
हवाई सफर करने वाले यात्री देशभर के एयरपोर्ट्स और विमानों में 4600 से ज्यादा करोड़ों रुपए का सामान छोड़कर भूल गए और लेने नहीं पहुंचे। अब तक एयरपोर्ट पर मिलने वाले सामानों में दूल्हे के जूते, वाइन की बोतल, प्रेशर कुकर, आर्मी यूनिफॉर्म और हथकड़ी सबसे यूनिक हैं। यह सामान एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआई) के खोया-पाया विभाग में पड़ा है। एएआई ने रिपोर्ट जारी कर इस बात की जानकारी दी है। रिपोर्ट के मुताबिक, देश के विभिन्न एयरपोर्ट्स पर 4689 सामान मिले हैं। यात्री एक जनवरी से अब तक यह सामान भूले हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि करीब 5 माह से देश में फ्लाइट्स का संचालन नहीं हुआ। इस कारण ज्यादातर सामान विदेशों से भारतीय लोगों को लाने वाली फ्लाइट्स में मिला। कोलकाता एयरपोर्ट के स्टाफ को लेदर जैकेट मिले। गुवाहाटी के एयरपोर्ट पर आर्मी यूनिफॉर्म और सर्जिकल गाउन मिली भुवनेश्वर में स्टाफ को दूल्हे के जूते मिले। चेन्नई एयरपोर्ट पर गिटार, सिगरेट, लेजर लाइट और हथकड़ी मिली। गुवाहाटी के एयरपोर्ट पर आर्मी यूनिफॉर्म और सर्जिकल गाउन मिली। सबसे ज्यादा पाए जाने वाले सामानों में मोबाइल, पावर बैंक, लैपटॉप, इयरफोन, कलाई घड़ी, ट्रिमर, पर्स, अंगूठी, पायल, बैडमिंटन, स्लीपिंग बैग और कार की चाबी जैसी चीजें शामिल हैं। गाइडलाइन के मुताबिक 90 दिन में सामान की नीलामी होती है एएआई की रिपोर्ट के मुताबिक, खराब हो जाने वाले सामानों के लिए 48 घंटे तक इंतजार किया जाता है। फिर उसका निस्तारण कर दिया जाता है। लेकिन बाकी सामानों के लिए 90 दिन तक इंतजार किया जाता है। यदि निश्चित समय में सामान का मालिक कोई क्लेम नहीं करता है तो उसकी नीलामी कर दी जाती है। हालांकि, खोए हुए सामान पर दावा करने के लिए बोर्डिंग पास की कॉपी या यात्रा का सबूत जरूरी है। साथ ही जिस सामान पर दावा किया जा रहा है, उसकी जानकारी देनी होती है। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें ज्यादातर सामान विदेशों से भारतीय लोगों को लाने वाली फ्लाइट्स में मिला है। (फाइल फोटो) https://ift.tt/3hJLGZ4 Dainik Bhaskar एयरपोर्ट-विमानों में 4600 से ज्यादा कीमती चीजें भूले यात्री; दूल्हे के जूते, कुकर, आर्मी यूनिफॉर्म तक शामिल 

हवाई सफर करने वाले यात्री देशभर के एयरपोर्ट्स और विमानों में 4600 से ज्यादा करोड़ों रुपए का सामान छोड़कर भूल गए और लेने नहीं पहुंचे। अब तक एयरपोर्ट पर मिलने वाले सामानों में दूल्हे के जूते, वाइन की बोतल, प्रेशर कुकर, आर्मी यूनिफॉर्म और हथकड़ी सबसे यूनिक हैं। यह सामान एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआई) के खोया-पाया विभाग में पड़ा है।

एएआई ने रिपोर्ट जारी कर इस बात की जानकारी दी है। रिपोर्ट के मुताबिक, देश के विभिन्न एयरपोर्ट्स पर 4689 सामान मिले हैं। यात्री एक जनवरी से अब तक यह सामान भूले हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि करीब 5 माह से देश में फ्लाइट्स का संचालन नहीं हुआ। इस कारण ज्यादातर सामान विदेशों से भारतीय लोगों को लाने वाली फ्लाइट्स में मिला। कोलकाता एयरपोर्ट के स्टाफ को लेदर जैकेट मिले।

गुवाहाटी के एयरपोर्ट पर आर्मी यूनिफॉर्म और सर्जिकल गाउन मिली

भुवनेश्वर में स्टाफ को दूल्हे के जूते मिले। चेन्नई एयरपोर्ट पर गिटार, सिगरेट, लेजर लाइट और हथकड़ी मिली। गुवाहाटी के एयरपोर्ट पर आर्मी यूनिफॉर्म और सर्जिकल गाउन मिली। सबसे ज्यादा पाए जाने वाले सामानों में मोबाइल, पावर बैंक, लैपटॉप, इयरफोन, कलाई घड़ी, ट्रिमर, पर्स, अंगूठी, पायल, बैडमिंटन, स्लीपिंग बैग और कार की चाबी जैसी चीजें शामिल हैं।

गाइडलाइन के मुताबिक 90 दिन में सामान की नीलामी होती है

एएआई की रिपोर्ट के मुताबिक, खराब हो जाने वाले सामानों के लिए 48 घंटे तक इंतजार किया जाता है। फिर उसका निस्तारण कर दिया जाता है। लेकिन बाकी सामानों के लिए 90 दिन तक इंतजार किया जाता है। यदि निश्चित समय में सामान का मालिक कोई क्लेम नहीं करता है तो उसकी नीलामी कर दी जाती है।

हालांकि, खोए हुए सामान पर दावा करने के लिए बोर्डिंग पास की कॉपी या यात्रा का सबूत जरूरी है। साथ ही जिस सामान पर दावा किया जा रहा है, उसकी जानकारी देनी होती है।

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ज्यादातर सामान विदेशों से भारतीय लोगों को लाने वाली फ्लाइट्स में मिला है। (फाइल फोटो)

https://ift.tt/3hJLGZ4 Dainik Bhaskar एयरपोर्ट-विमानों में 4600 से ज्यादा कीमती चीजें भूले यात्री; दूल्हे के जूते, कुकर, आर्मी यूनिफॉर्म तक शामिल Reviewed by Manish Pethev on August 31, 2020 Rating: 5

धर्मनगरी में बन रहे इस्कॉन के भव्य कृष्ण-अर्जुन मंदिर में घोड़े अब चीन से नहीं आएंगे। चीन की बजाए अब इंडोनेशिया में मार्बल के घोड़े तैयार कराए जाएंगे। यही घोड़े रथ रूपी कृष्ण-अर्जुन मंदिर में लगेंगे। पहले चीन में चार घोड़ों को तैयार कराने की योजना थी। इसे लेकर फैसला भी हो चुका था, लेकिन अब देश में चीन विरोधी लहर चल रही है। इस्काॅन ने भी चीन के विरोधस्वरूप वहां घोड़े तैयार करने की योजना रद्द कर दी है। इस्कान कुरुक्षेत्र के अध्यक्ष साक्षी गोपालदास महाराज के मुताबिक काफी सोच-विचार के बाद यह निर्णय लिया है। मंदिर 2022 के अंत तक तैयार होगा। अभी इसका 60 प्रतिशत निर्माण हो चुका है। ग्लोरी ऑफ कुरुक्षेत्र, 165 फुट ऊंचा मंदिर पिहोवा-कुरुक्षेत्र मार्ग पर ज्योतिसर के पास इस्काॅन ग्लोरी ऑफ कुरुक्षेत्र इस्काॅन वैदिक कल्चर प्रोजेक्ट के तहत भव्य मंदिर का निर्माण कर रहा है। पहले यह मंदिर गीता उपदेश स्थली ज्योतिसर में ही बनना था, लेकिन जमीन विवाद के चलते बाद में सरकार ने पिहोवा रोड पर ज्योतिसर से कुछ दूरी पर हिरमी की जगह में से 6 एकड़ जमीन मुहैया कराई। 6 एकड़ में मंदिर परिसर होगा। इसमें से 23,000 स्क्वायर फीट में मुख्य मंदिर का ढांचा होगा। करीब 165 फुट ऊंचा मंदिर बनेगा। इसपर करीब 200 करोड़ रुपए खर्च आएगा। यहीं है विश्व का भव्य कृष्ण-अर्जुन कांस्य रथ कुरुक्षेत्र में कई भव्य मंदिर बन रहे हैं। इनमें गीता ज्ञान मंदिर 18 मंजिला होगा। तिरुपति बालाजी की तर्ज पर भव्य मंदिर बन चुका है। वहीं 5 एकड़ में भारत माता मंदिर भी बनेगा। कुरुक्षेत्र में ही विश्व की सबसे भव्य श्रीकृष्ण-अर्जुन कांस्य रथ भी है। रथ का निर्माण प्रसिद्ध मूर्तिकार रामसुतार ने किया था। इस पर ढाई करोड़ रुपए लागत आई थी। यह रथ बेस सहित करीब 20 फीट ऊंचा है। 41 फीट लंबे होंगे घोड़े इस्काॅन यूथ फोरम कुरुक्षेत्र के डायरेक्टर गोविंद कृष्ण दास के मुताबिक इंडोनेशिया से आकर्षक चार घोड़े तैयार होंगे जो रथ रूपी मंदिर में फ्रंट की तरफ लगने हैं। एक घोड़े की लंबाई 41 फीट होगी और ऊंचाई करीब 34 फीट होगी। एक घोड़े की अनुमानित लागत करीब 80 से 90 लाख रुपए है। मंदिर व गेस्ट हाउस आदि पर अनुमानित 200 करोड़ रुपए लागत आएगी। अगले साल ये घोड़े तैयार हो जाएंगे। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें यह है मंदिर का मॉडल। https://ift.tt/3gIIQSP Dainik Bhaskar इस्काॅन का कुरुक्षेत्र में बन रहा है 200 करोड़ रुपए से रथ रूपी भव्य कृष्ण-अर्जुन मंदिर, इंडोनेशिया से आएंगे 34 फीट ऊंचे घोड़े

धर्मनगरी में बन रहे इस्कॉन के भव्य कृष्ण-अर्जुन मंदिर में घोड़े अब चीन से नहीं आएंगे। चीन की बजाए अब इंडोनेशिया में मार्बल के घोड़े तैयार क...
- August 31, 2020
धर्मनगरी में बन रहे इस्कॉन के भव्य कृष्ण-अर्जुन मंदिर में घोड़े अब चीन से नहीं आएंगे। चीन की बजाए अब इंडोनेशिया में मार्बल के घोड़े तैयार कराए जाएंगे। यही घोड़े रथ रूपी कृष्ण-अर्जुन मंदिर में लगेंगे। पहले चीन में चार घोड़ों को तैयार कराने की योजना थी। इसे लेकर फैसला भी हो चुका था, लेकिन अब देश में चीन विरोधी लहर चल रही है। इस्काॅन ने भी चीन के विरोधस्वरूप वहां घोड़े तैयार करने की योजना रद्द कर दी है। इस्कान कुरुक्षेत्र के अध्यक्ष साक्षी गोपालदास महाराज के मुताबिक काफी सोच-विचार के बाद यह निर्णय लिया है। मंदिर 2022 के अंत तक तैयार होगा। अभी इसका 60 प्रतिशत निर्माण हो चुका है। ग्लोरी ऑफ कुरुक्षेत्र, 165 फुट ऊंचा मंदिर पिहोवा-कुरुक्षेत्र मार्ग पर ज्योतिसर के पास इस्काॅन ग्लोरी ऑफ कुरुक्षेत्र इस्काॅन वैदिक कल्चर प्रोजेक्ट के तहत भव्य मंदिर का निर्माण कर रहा है। पहले यह मंदिर गीता उपदेश स्थली ज्योतिसर में ही बनना था, लेकिन जमीन विवाद के चलते बाद में सरकार ने पिहोवा रोड पर ज्योतिसर से कुछ दूरी पर हिरमी की जगह में से 6 एकड़ जमीन मुहैया कराई। 6 एकड़ में मंदिर परिसर होगा। इसमें से 23,000 स्क्वायर फीट में मुख्य मंदिर का ढांचा होगा। करीब 165 फुट ऊंचा मंदिर बनेगा। इसपर करीब 200 करोड़ रुपए खर्च आएगा। यहीं है विश्व का भव्य कृष्ण-अर्जुन कांस्य रथ कुरुक्षेत्र में कई भव्य मंदिर बन रहे हैं। इनमें गीता ज्ञान मंदिर 18 मंजिला होगा। तिरुपति बालाजी की तर्ज पर भव्य मंदिर बन चुका है। वहीं 5 एकड़ में भारत माता मंदिर भी बनेगा। कुरुक्षेत्र में ही विश्व की सबसे भव्य श्रीकृष्ण-अर्जुन कांस्य रथ भी है। रथ का निर्माण प्रसिद्ध मूर्तिकार रामसुतार ने किया था। इस पर ढाई करोड़ रुपए लागत आई थी। यह रथ बेस सहित करीब 20 फीट ऊंचा है। 41 फीट लंबे होंगे घोड़े इस्काॅन यूथ फोरम कुरुक्षेत्र के डायरेक्टर गोविंद कृष्ण दास के मुताबिक इंडोनेशिया से आकर्षक चार घोड़े तैयार होंगे जो रथ रूपी मंदिर में फ्रंट की तरफ लगने हैं। एक घोड़े की लंबाई 41 फीट होगी और ऊंचाई करीब 34 फीट होगी। एक घोड़े की अनुमानित लागत करीब 80 से 90 लाख रुपए है। मंदिर व गेस्ट हाउस आदि पर अनुमानित 200 करोड़ रुपए लागत आएगी। अगले साल ये घोड़े तैयार हो जाएंगे। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें यह है मंदिर का मॉडल। https://ift.tt/3gIIQSP Dainik Bhaskar इस्काॅन का कुरुक्षेत्र में बन रहा है 200 करोड़ रुपए से रथ रूपी भव्य कृष्ण-अर्जुन मंदिर, इंडोनेशिया से आएंगे 34 फीट ऊंचे घोड़े 

धर्मनगरी में बन रहे इस्कॉन के भव्य कृष्ण-अर्जुन मंदिर में घोड़े अब चीन से नहीं आएंगे। चीन की बजाए अब इंडोनेशिया में मार्बल के घोड़े तैयार कराए जाएंगे। यही घोड़े रथ रूपी कृष्ण-अर्जुन मंदिर में लगेंगे। पहले चीन में चार घोड़ों को तैयार कराने की योजना थी। इसे लेकर फैसला भी हो चुका था, लेकिन अब देश में चीन विरोधी लहर चल रही है। इस्काॅन ने भी चीन के विरोधस्वरूप वहां घोड़े तैयार करने की योजना रद्द कर दी है। इस्कान कुरुक्षेत्र के अध्यक्ष साक्षी गोपालदास महाराज के मुताबिक काफी सोच-विचार के बाद यह निर्णय लिया है। मंदिर 2022 के अंत तक तैयार होगा। अभी इसका 60 प्रतिशत निर्माण हो चुका है।

ग्लोरी ऑफ कुरुक्षेत्र, 165 फुट ऊंचा मंदिर

पिहोवा-कुरुक्षेत्र मार्ग पर ज्योतिसर के पास इस्काॅन ग्लोरी ऑफ कुरुक्षेत्र इस्काॅन वैदिक कल्चर प्रोजेक्ट के तहत भव्य मंदिर का निर्माण कर रहा है। पहले यह मंदिर गीता उपदेश स्थली ज्योतिसर में ही बनना था, लेकिन जमीन विवाद के चलते बाद में सरकार ने पिहोवा रोड पर ज्योतिसर से कुछ दूरी पर हिरमी की जगह में से 6 एकड़ जमीन मुहैया कराई। 6 एकड़ में मंदिर परिसर होगा। इसमें से 23,000 स्क्वायर फीट में मुख्य मंदिर का ढांचा होगा। करीब 165 फुट ऊंचा मंदिर बनेगा। इसपर करीब 200 करोड़ रुपए खर्च आएगा।

यहीं है विश्व का भव्य कृष्ण-अर्जुन कांस्य रथ

कुरुक्षेत्र में कई भव्य मंदिर बन रहे हैं। इनमें गीता ज्ञान मंदिर 18 मंजिला होगा। तिरुपति बालाजी की तर्ज पर भव्य मंदिर बन चुका है। वहीं 5 एकड़ में भारत माता मंदिर भी बनेगा। कुरुक्षेत्र में ही विश्व की सबसे भव्य श्रीकृष्ण-अर्जुन कांस्य रथ भी है। रथ का निर्माण प्रसिद्ध मूर्तिकार रामसुतार ने किया था। इस पर ढाई करोड़ रुपए लागत आई थी। यह रथ बेस सहित करीब 20 फीट ऊंचा है।

41 फीट लंबे होंगे घोड़े

इस्काॅन यूथ फोरम कुरुक्षेत्र के डायरेक्टर गोविंद कृष्ण दास के मुताबिक इंडोनेशिया से आकर्षक चार घोड़े तैयार होंगे जो रथ रूपी मंदिर में फ्रंट की तरफ लगने हैं। एक घोड़े की लंबाई 41 फीट होगी और ऊंचाई करीब 34 फीट होगी। एक घोड़े की अनुमानित लागत करीब 80 से 90 लाख रुपए है। मंदिर व गेस्ट हाउस आदि पर अनुमानित 200 करोड़ रुपए लागत आएगी। अगले साल ये घोड़े तैयार हो जाएंगे।

आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें

यह है मंदिर का मॉडल।

https://ift.tt/3gIIQSP Dainik Bhaskar इस्काॅन का कुरुक्षेत्र में बन रहा है 200 करोड़ रुपए से रथ रूपी भव्य कृष्ण-अर्जुन मंदिर, इंडोनेशिया से आएंगे 34 फीट ऊंचे घोड़े Reviewed by Manish Pethev on August 31, 2020 Rating: 5

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