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नमस्कार! हरियाणा में पुलिस ने किसानों पर आंसू गैस और वॉटर कैनन चलाई। सिडनी टेस्ट में लगातार दूसरे दिन मंकीगेट विवाद हुआ। चीन ने भारतीय सेना से अपने सैनिक की रिहाई की मांग की है। बहरहाल शुरू करते हैं न्यूज ब्रीफ। आज इन इवेंट्स पर रहेगी नजर... किसान आंदोलन और कृषि कानूनों से जुड़ी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वैक्सीन डिस्ट्रीब्यूशन को लेकर राज्यों के मुख्यमंत्रियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बात करेंगे। बॉम्बे हाईकोर्ट में बृहनमुंबई नगरपालिका (BMC) के नोटिस के खिलाफ एक्टर सोनू सूद की याचिका पर सुनवाई होगी। सेंट्रल बोर्ड और डायरेक्ट टैक्सेस (CBDT) के बोर्ड मेंबर्स के सिलेक्शन के लिए सेक्रेटरीज की बैठक होगी। देश-विदेश किसानों पर आंसू गैस-वॉटर कैनन चलाई किसान आंदोलन का रविवार को 46वां दिन था। दिल्ली की सीमाओं पर बैठे किसान अब भी केंद्र सरकार से दूरी बनाए हुए हैं। इस बीच, हरियाणा के करनाल में उस समय हंगामा हो गया, जब कैमला गांव में किसानों ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की रैली का विरोध किया। पुलिस ने किसानों को रोका तो दोनों के बीच झड़प शुरू हो गई। हंगामा इस कदर बढ़ा कि किसानों को रोकने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले दागने पड़े और वॉटर कैनन भी चलानी पड़ी। इसके बाद खराब मौसम का हवाला देकर मुख्यमंत्री खट्टर का कार्यक्रम रद्द कर दिया गया है। पीएम किसान योजना में बंदरबांट प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत 20 लाख 48 हजार ऐसे किसानों को 1 हजार 364 करोड़ रुपए का भुगतान कर दिया गया, जो तय क्राइटेरिया में ही नहीं आते थे। इस बात का खुलासा राइट टू इनफॉर्मेशन (RTI) से मिली जानकारी से हुआ है। कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव (CHRI) से जुड़े वेंकटेश नायक ने यह जानकारी मांगी थी। केंद्रीय कृषि मंत्रालय से मिली जानकारी के मुताबिक, जिन अपात्र किसानों के पास स्कीम का पैसा पहुंचा है, उनमें दो कैटेगरी शामिल हैं। पहली में वे किसान हैं, जो इसके लिए जरूरी योग्यता नहीं रखते हैं। दूसरी कैटेगरी में ऐसे किसान हैं, जो इनकम टैक्स भरते हैं। सिडनी में दूसरे दिन भी नस्लीय टिप्पणी सिडनी टेस्ट में लगातार दूसरे दिन मंकीगेट विवाद हुआ। टेस्ट के चौथे दिन भी भारतीय बॉलर मो. सिराज पर दर्शकों ने नस्लभेदी टिप्पणी की। बाउंड्री के करीब बैठे दर्शकों की एक टोली लगातार सिराज को ब्राउन मंकी और बिग डॉग बोल रही थी। सिराज ने इसकी शिकायत फील्ड अंपायर पॉल राफेल से की। मैच रेफरी और टीवी अंपायर से फील्ड अंपायर ने बातचीत की और फिर पुलिस बुलाई गई। पुलिस ने 6 दर्शकों को बाहर निकाल दिया। क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने भी इस घटना पर टीम इंडिया से माफी मांगी है। विराट कोहली ने भी इस घटना पर ऐतराज जताया है। वैक्सीनेशन पर कांग्रेस में दो फाड़ 16 जनवरी से देश में वैक्सीनेशन ड्राइव शुरू होना है। इस बीच, वैक्सीन पर सवाल खड़े करने वाली कांग्रेस दो खेमों में बंट गई है। शशि थरूर, जयराम रमेश जैसे कई नेताओं ने वैक्सीन पर सवाल खड़े किए तो कांग्रेसी राज वाले राज्य पंजाब, झारखंड और राजस्थान के मंत्री वैक्सीन के पक्ष में खड़े हो गए। इन राज्यों के मंत्रियों ने साफ कहा कि वैक्सीन पर किसी तरह का सवाल खड़ा करना ठीक नहीं है। झारखंड के मंत्री ने तो यहां तक कह दिया कि जनहित के मामलों में वह केंद्र सरकार के साथ खड़े हैं। वहां कांग्रेस गठबंधन की सरकार है। चीन ने सैनिक की रिहाई की मांग की चीन ने भारतीय सेना की हिरासत में मौजूद अपने सैनिक की फौरन रिहाई की मांग की है। चीन की सेना यानी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के मुताबिक, यह सैनिक अंधेरे और इलाके की समझ न होने की वजह से भारतीय क्षेत्र में पहुंच गया था। इसलिए उसे जल्द रिहा किया जाना चाहिए। घटना पैगॉन्ग त्सो लेक के दक्षिणी हिस्से की है। अक्टूबर में भी एक चीनी सैनिक भारतीय सीमा में घुस गया था। दो दिन बाद उसे चीनी सेना के अफसरों को सौंप दिया गया था। जवानों की जान बचाएगा हिमतापक चीन से तनाव के बीच सियाचिन और लद्दाख जैसे बर्फीले इलाकों में तैनात जवानों को अब ज्यादा परेशान नहीं होना पड़ेगा। डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO) ने जवानों के लिए हिमतापक हीटिंग डिवाइस तैयार की है। ये ऐसी डिवाइस है, जिसके जरिए सेना का बंकर माइनस 40 डिग्री सेल्सियस तापमान में भी गर्म रहेगा। आर्मी ने इस डिवाइस के लिए 420 करोड़ का ऑर्डर भी DRDO को दे दिया है। जल्द ही इसे बर्फीले इलाकों में ITBP और सेना की पोस्ट पर लगाया जाएगा। एक्सप्लेनर कृषि कानूनों पर सुप्रीम सुनवाई किसान आंदोलन और कृषि कानूनों से जुड़े सभी मामलों की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में आज होगी। दरअसल, किसान आंदोलन से जुड़ी कई याचिकाएं कोर्ट में दायर हुई थीं। कुछ याचिकाओं में आंदोलन को खत्म करने की मांग की गई है, तो कई याचिकाओं में तीनों कानूनों को रद्द करने की। इन्हीं सब याचिकाओं पर अब चीफ जस्टिस एसए बोबड़े, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमण्यम की बेंच करेगी। इस मामले की आखिरी सुनवाई 17 दिसंबर को हुई थी। लेकिन सवाल ये है कि क्या सुप्रीम कोर्ट से मसला सुलझ सकता है? आइए एक-एक करके इस मामले को पूरी तरह समझते हैं। पढ़ें पूरी खबर... पॉजिटिव खबर फर्श से अर्श तक का सफर आज हम आपको अजमेर के भरत ताराचंदानी की कहानी बताने जा रहे हैं। भरत जब छटवीं क्लास में थे, तब उनके पिता का एक्सीडेंट हो गया था। हादसे के बाद पिता बेड पर चले गए थे। तभी से भरत और उनके परिवार का स्ट्रगल शुरू हो गया था। लेकिन, आज वे पुष्कर में पांच दुकानों के मालिक हैं और टर्नओवर करोड़ों में है। ये सब वो कैसे कर पाए, उन्हीं से जानिए। पढ़ें पूरी खबर... 14 जनवरी हो सकता है सबसे सर्द दिन दो दशक बाद जनवरी के पहले हफ्ते में देशभर में मानसून जैसा माहौल बन गया। उत्तर के पहाड़ी राज्यों में जबरदस्त बर्फबारी हुई तो दक्षिण के राज्यों में भारी बारिश। दक्षिण में जनवरी में बारिश के 100 साल तक के रिकॉर्ड टूट गए। पश्चिमी विक्षोभ के साथ-साथ देश के अलग-अलग हिस्सों में एक साथ कई चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बनने से यह स्थिति पैदा हुई। देश के सभी ऊंचे पहाड़ी इलाकों में 5 से 8 फीट तक मोटी बर्फ की चादर लिपटी है। मौसम विभाग के मुताबिक, बर्फीली हवाओं का असर समूचे उत्तर, पश्चिम, मध्य व पूर्वी राज्यों पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार तक दिखेगा। अंधेरे में डूबे पाकिस्तान के शहर पाकिस्तान में शनिवार देर रात ब्लैकआउट (बिजली गुल) हो गया। इससे कराची, लाहौर, इस्लामाबाद, मुल्तान, कसूर, रावलपिंडी और मंडी अंधेरे में डूब गए। इसके बाद सोशल मीडिया पर #Blackout और #LoadShedding ट्रेंड करने लगा। इस्लामाबाद के डिप्टी कमिश्नर हमजा शफकत ने कहा कि बिजली कंपनी का सिस्टम ट्रिप होने के कारण ब्लैकआउट हुआ। लोगों ने सोशल मीडिया पर इस बदइंतजामी के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली। सुर्खियों में और क्या है... पश्चिम बंगाल में हर व्यक्ति को कोरोना वैक्सीन फ्री में दी जाएगी। विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने रविवार को ये एलान किया। कोरोना से अमेरिका, ब्रिटेन और ब्राजील में हालात बेकाबू हो चुके हैं। अमेरिका में शुक्रवार को दो लाख 49 हजार 519 मरीज मिले। ब्रिटेन की क्वीन एलिजाबेथ और प्रिंस फिलिप को शनिवार को कोरोना वैक्सीन लगाई गई। हालांकि, यह नहीं बताया गया है कि उन्हें कौन सी वैक्सीन दी गई है। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें Top News of 10 January 2021| PM Kisan Samman Yojana will save lives of soldiers in Bandarbant, Ladakh and Siachen, cold and can cause havoc on January 14 https://ift.tt/35qW8k6 Dainik Bhaskar PM किसान सम्मान योजना में बंदरबांट, लद्दाख-सियाचिन में जवानों की जान बचाएगा हिमतापक और 14 जनवरी को कहर ढा सकती है सर्दी

नमस्कार! हरियाणा में पुलिस ने किसानों पर आंसू गैस और वॉटर कैनन चलाई। सिडनी टेस्ट में लगातार दूसरे दिन मंकीगेट विवाद हुआ। चीन ने भारतीय सेन...
- January 11, 2021
नमस्कार! हरियाणा में पुलिस ने किसानों पर आंसू गैस और वॉटर कैनन चलाई। सिडनी टेस्ट में लगातार दूसरे दिन मंकीगेट विवाद हुआ। चीन ने भारतीय सेना से अपने सैनिक की रिहाई की मांग की है। बहरहाल शुरू करते हैं न्यूज ब्रीफ। आज इन इवेंट्स पर रहेगी नजर... किसान आंदोलन और कृषि कानूनों से जुड़ी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वैक्सीन डिस्ट्रीब्यूशन को लेकर राज्यों के मुख्यमंत्रियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बात करेंगे। बॉम्बे हाईकोर्ट में बृहनमुंबई नगरपालिका (BMC) के नोटिस के खिलाफ एक्टर सोनू सूद की याचिका पर सुनवाई होगी। सेंट्रल बोर्ड और डायरेक्ट टैक्सेस (CBDT) के बोर्ड मेंबर्स के सिलेक्शन के लिए सेक्रेटरीज की बैठक होगी। देश-विदेश किसानों पर आंसू गैस-वॉटर कैनन चलाई किसान आंदोलन का रविवार को 46वां दिन था। दिल्ली की सीमाओं पर बैठे किसान अब भी केंद्र सरकार से दूरी बनाए हुए हैं। इस बीच, हरियाणा के करनाल में उस समय हंगामा हो गया, जब कैमला गांव में किसानों ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की रैली का विरोध किया। पुलिस ने किसानों को रोका तो दोनों के बीच झड़प शुरू हो गई। हंगामा इस कदर बढ़ा कि किसानों को रोकने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले दागने पड़े और वॉटर कैनन भी चलानी पड़ी। इसके बाद खराब मौसम का हवाला देकर मुख्यमंत्री खट्टर का कार्यक्रम रद्द कर दिया गया है। पीएम किसान योजना में बंदरबांट प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत 20 लाख 48 हजार ऐसे किसानों को 1 हजार 364 करोड़ रुपए का भुगतान कर दिया गया, जो तय क्राइटेरिया में ही नहीं आते थे। इस बात का खुलासा राइट टू इनफॉर्मेशन (RTI) से मिली जानकारी से हुआ है। कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव (CHRI) से जुड़े वेंकटेश नायक ने यह जानकारी मांगी थी। केंद्रीय कृषि मंत्रालय से मिली जानकारी के मुताबिक, जिन अपात्र किसानों के पास स्कीम का पैसा पहुंचा है, उनमें दो कैटेगरी शामिल हैं। पहली में वे किसान हैं, जो इसके लिए जरूरी योग्यता नहीं रखते हैं। दूसरी कैटेगरी में ऐसे किसान हैं, जो इनकम टैक्स भरते हैं। सिडनी में दूसरे दिन भी नस्लीय टिप्पणी सिडनी टेस्ट में लगातार दूसरे दिन मंकीगेट विवाद हुआ। टेस्ट के चौथे दिन भी भारतीय बॉलर मो. सिराज पर दर्शकों ने नस्लभेदी टिप्पणी की। बाउंड्री के करीब बैठे दर्शकों की एक टोली लगातार सिराज को ब्राउन मंकी और बिग डॉग बोल रही थी। सिराज ने इसकी शिकायत फील्ड अंपायर पॉल राफेल से की। मैच रेफरी और टीवी अंपायर से फील्ड अंपायर ने बातचीत की और फिर पुलिस बुलाई गई। पुलिस ने 6 दर्शकों को बाहर निकाल दिया। क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने भी इस घटना पर टीम इंडिया से माफी मांगी है। विराट कोहली ने भी इस घटना पर ऐतराज जताया है। वैक्सीनेशन पर कांग्रेस में दो फाड़ 16 जनवरी से देश में वैक्सीनेशन ड्राइव शुरू होना है। इस बीच, वैक्सीन पर सवाल खड़े करने वाली कांग्रेस दो खेमों में बंट गई है। शशि थरूर, जयराम रमेश जैसे कई नेताओं ने वैक्सीन पर सवाल खड़े किए तो कांग्रेसी राज वाले राज्य पंजाब, झारखंड और राजस्थान के मंत्री वैक्सीन के पक्ष में खड़े हो गए। इन राज्यों के मंत्रियों ने साफ कहा कि वैक्सीन पर किसी तरह का सवाल खड़ा करना ठीक नहीं है। झारखंड के मंत्री ने तो यहां तक कह दिया कि जनहित के मामलों में वह केंद्र सरकार के साथ खड़े हैं। वहां कांग्रेस गठबंधन की सरकार है। चीन ने सैनिक की रिहाई की मांग की चीन ने भारतीय सेना की हिरासत में मौजूद अपने सैनिक की फौरन रिहाई की मांग की है। चीन की सेना यानी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के मुताबिक, यह सैनिक अंधेरे और इलाके की समझ न होने की वजह से भारतीय क्षेत्र में पहुंच गया था। इसलिए उसे जल्द रिहा किया जाना चाहिए। घटना पैगॉन्ग त्सो लेक के दक्षिणी हिस्से की है। अक्टूबर में भी एक चीनी सैनिक भारतीय सीमा में घुस गया था। दो दिन बाद उसे चीनी सेना के अफसरों को सौंप दिया गया था। जवानों की जान बचाएगा हिमतापक चीन से तनाव के बीच सियाचिन और लद्दाख जैसे बर्फीले इलाकों में तैनात जवानों को अब ज्यादा परेशान नहीं होना पड़ेगा। डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO) ने जवानों के लिए हिमतापक हीटिंग डिवाइस तैयार की है। ये ऐसी डिवाइस है, जिसके जरिए सेना का बंकर माइनस 40 डिग्री सेल्सियस तापमान में भी गर्म रहेगा। आर्मी ने इस डिवाइस के लिए 420 करोड़ का ऑर्डर भी DRDO को दे दिया है। जल्द ही इसे बर्फीले इलाकों में ITBP और सेना की पोस्ट पर लगाया जाएगा। एक्सप्लेनर कृषि कानूनों पर सुप्रीम सुनवाई किसान आंदोलन और कृषि कानूनों से जुड़े सभी मामलों की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में आज होगी। दरअसल, किसान आंदोलन से जुड़ी कई याचिकाएं कोर्ट में दायर हुई थीं। कुछ याचिकाओं में आंदोलन को खत्म करने की मांग की गई है, तो कई याचिकाओं में तीनों कानूनों को रद्द करने की। इन्हीं सब याचिकाओं पर अब चीफ जस्टिस एसए बोबड़े, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमण्यम की बेंच करेगी। इस मामले की आखिरी सुनवाई 17 दिसंबर को हुई थी। लेकिन सवाल ये है कि क्या सुप्रीम कोर्ट से मसला सुलझ सकता है? आइए एक-एक करके इस मामले को पूरी तरह समझते हैं। पढ़ें पूरी खबर... पॉजिटिव खबर फर्श से अर्श तक का सफर आज हम आपको अजमेर के भरत ताराचंदानी की कहानी बताने जा रहे हैं। भरत जब छटवीं क्लास में थे, तब उनके पिता का एक्सीडेंट हो गया था। हादसे के बाद पिता बेड पर चले गए थे। तभी से भरत और उनके परिवार का स्ट्रगल शुरू हो गया था। लेकिन, आज वे पुष्कर में पांच दुकानों के मालिक हैं और टर्नओवर करोड़ों में है। ये सब वो कैसे कर पाए, उन्हीं से जानिए। पढ़ें पूरी खबर... 14 जनवरी हो सकता है सबसे सर्द दिन दो दशक बाद जनवरी के पहले हफ्ते में देशभर में मानसून जैसा माहौल बन गया। उत्तर के पहाड़ी राज्यों में जबरदस्त बर्फबारी हुई तो दक्षिण के राज्यों में भारी बारिश। दक्षिण में जनवरी में बारिश के 100 साल तक के रिकॉर्ड टूट गए। पश्चिमी विक्षोभ के साथ-साथ देश के अलग-अलग हिस्सों में एक साथ कई चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बनने से यह स्थिति पैदा हुई। देश के सभी ऊंचे पहाड़ी इलाकों में 5 से 8 फीट तक मोटी बर्फ की चादर लिपटी है। मौसम विभाग के मुताबिक, बर्फीली हवाओं का असर समूचे उत्तर, पश्चिम, मध्य व पूर्वी राज्यों पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार तक दिखेगा। अंधेरे में डूबे पाकिस्तान के शहर पाकिस्तान में शनिवार देर रात ब्लैकआउट (बिजली गुल) हो गया। इससे कराची, लाहौर, इस्लामाबाद, मुल्तान, कसूर, रावलपिंडी और मंडी अंधेरे में डूब गए। इसके बाद सोशल मीडिया पर #Blackout और #LoadShedding ट्रेंड करने लगा। इस्लामाबाद के डिप्टी कमिश्नर हमजा शफकत ने कहा कि बिजली कंपनी का सिस्टम ट्रिप होने के कारण ब्लैकआउट हुआ। लोगों ने सोशल मीडिया पर इस बदइंतजामी के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली। सुर्खियों में और क्या है... पश्चिम बंगाल में हर व्यक्ति को कोरोना वैक्सीन फ्री में दी जाएगी। विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने रविवार को ये एलान किया। कोरोना से अमेरिका, ब्रिटेन और ब्राजील में हालात बेकाबू हो चुके हैं। अमेरिका में शुक्रवार को दो लाख 49 हजार 519 मरीज मिले। ब्रिटेन की क्वीन एलिजाबेथ और प्रिंस फिलिप को शनिवार को कोरोना वैक्सीन लगाई गई। हालांकि, यह नहीं बताया गया है कि उन्हें कौन सी वैक्सीन दी गई है। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें Top News of 10 January 2021| PM Kisan Samman Yojana will save lives of soldiers in Bandarbant, Ladakh and Siachen, cold and can cause havoc on January 14 https://ift.tt/35qW8k6 Dainik Bhaskar PM किसान सम्मान योजना में बंदरबांट, लद्दाख-सियाचिन में जवानों की जान बचाएगा हिमतापक और 14 जनवरी को कहर ढा सकती है सर्दी 

नमस्कार!
हरियाणा में पुलिस ने किसानों पर आंसू गैस और वॉटर कैनन चलाई। सिडनी टेस्ट में लगातार दूसरे दिन मंकीगेट विवाद हुआ। चीन ने भारतीय सेना से अपने सैनिक की रिहाई की मांग की है। बहरहाल शुरू करते हैं न्यूज ब्रीफ।

आज इन इवेंट्स पर रहेगी नजर...

किसान आंदोलन और कृषि कानूनों से जुड़ी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वैक्सीन डिस्ट्रीब्यूशन को लेकर राज्यों के मुख्यमंत्रियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बात करेंगे।

बॉम्बे हाईकोर्ट में बृहनमुंबई नगरपालिका (BMC) के नोटिस के खिलाफ एक्टर सोनू सूद की याचिका पर सुनवाई होगी।

सेंट्रल बोर्ड और डायरेक्ट टैक्सेस (CBDT) के बोर्ड मेंबर्स के सिलेक्शन के लिए सेक्रेटरीज की बैठक होगी।

देश-विदेश

किसानों पर आंसू गैस-वॉटर कैनन चलाई
किसान आंदोलन का रविवार को 46वां दिन था। दिल्ली की सीमाओं पर बैठे किसान अब भी केंद्र सरकार से दूरी बनाए हुए हैं। इस बीच, हरियाणा के करनाल में उस समय हंगामा हो गया, जब कैमला गांव में किसानों ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की रैली का विरोध किया। पुलिस ने किसानों को रोका तो दोनों के बीच झड़प शुरू हो गई। हंगामा इस कदर बढ़ा कि किसानों को रोकने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले दागने पड़े और वॉटर कैनन भी चलानी पड़ी। इसके बाद खराब मौसम का हवाला देकर मुख्यमंत्री खट्टर का कार्यक्रम रद्द कर दिया गया है।

पीएम किसान योजना में बंदरबांट
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत 20 लाख 48 हजार ऐसे किसानों को 1 हजार 364 करोड़ रुपए का भुगतान कर दिया गया, जो तय क्राइटेरिया में ही नहीं आते थे। इस बात का खुलासा राइट टू इनफॉर्मेशन (RTI) से मिली जानकारी से हुआ है। कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव (CHRI) से जुड़े वेंकटेश नायक ने यह जानकारी मांगी थी। केंद्रीय कृषि मंत्रालय से मिली जानकारी के मुताबिक, जिन अपात्र किसानों के पास स्कीम का पैसा पहुंचा है, उनमें दो कैटेगरी शामिल हैं। पहली में वे किसान हैं, जो इसके लिए जरूरी योग्यता नहीं रखते हैं। दूसरी कैटेगरी में ऐसे किसान हैं, जो इनकम टैक्स भरते हैं।

सिडनी में दूसरे दिन भी नस्लीय टिप्पणी
सिडनी टेस्ट में लगातार दूसरे दिन मंकीगेट विवाद हुआ। टेस्ट के चौथे दिन भी भारतीय बॉलर मो. सिराज पर दर्शकों ने नस्लभेदी टिप्पणी की। बाउंड्री के करीब बैठे दर्शकों की एक टोली लगातार सिराज को ब्राउन मंकी और बिग डॉग बोल रही थी। सिराज ने इसकी शिकायत फील्ड अंपायर पॉल राफेल से की। मैच रेफरी और टीवी अंपायर से फील्ड अंपायर ने बातचीत की और फिर पुलिस बुलाई गई। पुलिस ने 6 दर्शकों को बाहर निकाल दिया। क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने भी इस घटना पर टीम इंडिया से माफी मांगी है। विराट कोहली ने भी इस घटना पर ऐतराज जताया है।

वैक्सीनेशन पर कांग्रेस में दो फाड़
16 जनवरी से देश में वैक्सीनेशन ड्राइव शुरू होना है। इस बीच, वैक्सीन पर सवाल खड़े करने वाली कांग्रेस दो खेमों में बंट गई है। शशि थरूर, जयराम रमेश जैसे कई नेताओं ने वैक्सीन पर सवाल खड़े किए तो कांग्रेसी राज वाले राज्य पंजाब, झारखंड और राजस्थान के मंत्री वैक्सीन के पक्ष में खड़े हो गए। इन राज्यों के मंत्रियों ने साफ कहा कि वैक्सीन पर किसी तरह का सवाल खड़ा करना ठीक नहीं है। झारखंड के मंत्री ने तो यहां तक कह दिया कि जनहित के मामलों में वह केंद्र सरकार के साथ खड़े हैं। वहां कांग्रेस गठबंधन की सरकार है।

चीन ने सैनिक की रिहाई की मांग की
चीन ने भारतीय सेना की हिरासत में मौजूद अपने सैनिक की फौरन रिहाई की मांग की है। चीन की सेना यानी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के मुताबिक, यह सैनिक अंधेरे और इलाके की समझ न होने की वजह से भारतीय क्षेत्र में पहुंच गया था। इसलिए उसे जल्द रिहा किया जाना चाहिए। घटना पैगॉन्ग त्सो लेक के दक्षिणी हिस्से की है। अक्टूबर में भी एक चीनी सैनिक भारतीय सीमा में घुस गया था। दो दिन बाद उसे चीनी सेना के अफसरों को सौंप दिया गया था।

जवानों की जान बचाएगा हिमतापक
चीन से तनाव के बीच सियाचिन और लद्दाख जैसे बर्फीले इलाकों में तैनात जवानों को अब ज्यादा परेशान नहीं होना पड़ेगा। डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO) ने जवानों के लिए हिमतापक हीटिंग डिवाइस तैयार की है। ये ऐसी डिवाइस है, जिसके जरिए सेना का बंकर माइनस 40 डिग्री सेल्सियस तापमान में भी गर्म रहेगा। आर्मी ने इस डिवाइस के लिए 420 करोड़ का ऑर्डर भी DRDO को दे दिया है। जल्द ही इसे बर्फीले इलाकों में ITBP और सेना की पोस्ट पर लगाया जाएगा।

एक्सप्लेनर
कृषि कानूनों पर सुप्रीम सुनवाई
किसान आंदोलन और कृषि कानूनों से जुड़े सभी मामलों की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में आज होगी। दरअसल, किसान आंदोलन से जुड़ी कई याचिकाएं कोर्ट में दायर हुई थीं। कुछ याचिकाओं में आंदोलन को खत्म करने की मांग की गई है, तो कई याचिकाओं में तीनों कानूनों को रद्द करने की। इन्हीं सब याचिकाओं पर अब चीफ जस्टिस एसए बोबड़े, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमण्यम की बेंच करेगी। इस मामले की आखिरी सुनवाई 17 दिसंबर को हुई थी। लेकिन सवाल ये है कि क्या सुप्रीम कोर्ट से मसला सुलझ सकता है? आइए एक-एक करके इस मामले को पूरी तरह समझते हैं।

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पॉजिटिव खबर
फर्श से अर्श तक का सफर
आज हम आपको अजमेर के भरत ताराचंदानी की कहानी बताने जा रहे हैं। भरत जब छटवीं क्लास में थे, तब उनके पिता का एक्सीडेंट हो गया था। हादसे के बाद पिता बेड पर चले गए थे। तभी से भरत और उनके परिवार का स्ट्रगल शुरू हो गया था। लेकिन, आज वे पुष्कर में पांच दुकानों के मालिक हैं और टर्नओवर करोड़ों में है। ये सब वो कैसे कर पाए, उन्हीं से जानिए।

पढ़ें पूरी खबर...

14 जनवरी हो सकता है सबसे सर्द दिन
दो दशक बाद जनवरी के पहले हफ्ते में देशभर में मानसून जैसा माहौल बन गया। उत्तर के पहाड़ी राज्यों में जबरदस्त बर्फबारी हुई तो दक्षिण के राज्यों में भारी बारिश। दक्षिण में जनवरी में बारिश के 100 साल तक के रिकॉर्ड टूट गए। पश्चिमी विक्षोभ के साथ-साथ देश के अलग-अलग हिस्सों में एक साथ कई चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बनने से यह स्थिति पैदा हुई। देश के सभी ऊंचे पहाड़ी इलाकों में 5 से 8 फीट तक मोटी बर्फ की चादर लिपटी है। मौसम विभाग के मुताबिक, बर्फीली हवाओं का असर समूचे उत्तर, पश्चिम, मध्य व पूर्वी राज्यों पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार तक दिखेगा।

अंधेरे में डूबे पाकिस्तान के शहर
पाकिस्तान में शनिवार देर रात ब्लैकआउट (बिजली गुल) हो गया। इससे कराची, लाहौर, इस्लामाबाद, मुल्तान, कसूर, रावलपिंडी और मंडी अंधेरे में डूब गए। इसके बाद सोशल मीडिया पर #Blackout और #LoadShedding ट्रेंड करने लगा। इस्लामाबाद के डिप्टी कमिश्नर हमजा शफकत ने कहा कि बिजली कंपनी का सिस्टम ट्रिप होने के कारण ब्लैकआउट हुआ। लोगों ने सोशल मीडिया पर इस बदइंतजामी के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली।

सुर्खियों में और क्या है...

पश्चिम बंगाल में हर व्यक्ति को कोरोना वैक्सीन फ्री में दी जाएगी। विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने रविवार को ये एलान किया।

कोरोना से अमेरिका, ब्रिटेन और ब्राजील में हालात बेकाबू हो चुके हैं। अमेरिका में शुक्रवार को दो लाख 49 हजार 519 मरीज मिले।

ब्रिटेन की क्वीन एलिजाबेथ और प्रिंस फिलिप को शनिवार को कोरोना वैक्सीन लगाई गई। हालांकि, यह नहीं बताया गया है कि उन्हें कौन सी वैक्सीन दी गई है।

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Top News of 10 January 2021| PM Kisan Samman Yojana will save lives of soldiers in Bandarbant, Ladakh and Siachen, cold and can cause havoc on January 14

https://ift.tt/35qW8k6 Dainik Bhaskar PM किसान सम्मान योजना में बंदरबांट, लद्दाख-सियाचिन में जवानों की जान बचाएगा हिमतापक और 14 जनवरी को कहर ढा सकती है सर्दी Reviewed by Manish Pethev on January 11, 2021 Rating: 5

आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें Farmers Agitation | Rally | Khattar | Helicopter | Haryana CM's rally canceled due to opposition from farmers https://ift.tt/2K1hUU4 Dainik Bhaskar किसानों के विरोध के चलते हरियाणा के CM की रैली रद्द, अपने ही जिले में बुलाई थी महापंचायत

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- January 11, 2021
आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें Farmers Agitation | Rally | Khattar | Helicopter | Haryana CM's rally canceled due to opposition from farmers https://ift.tt/2K1hUU4 Dainik Bhaskar किसानों के विरोध के चलते हरियाणा के CM की रैली रद्द, अपने ही जिले में बुलाई थी महापंचायत 

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Farmers Agitation | Rally | Khattar | Helicopter | Haryana CM's rally canceled due to opposition from farmers

https://ift.tt/2K1hUU4 Dainik Bhaskar किसानों के विरोध के चलते हरियाणा के CM की रैली रद्द, अपने ही जिले में बुलाई थी महापंचायत Reviewed by Manish Pethev on January 11, 2021 Rating: 5

कहानी - महाभारत में पांडवों का 12 वर्ष का वनवास और 1 वर्ष का अज्ञातवास पूरा हो चुका था। इसके बाद श्रीकृष्ण पांडवों के दूत बनकर हस्तिनापुर पहुंचे और दुर्योधन से कहा कि अब पांडवों को उनका राज्य लौटा दो। लेकिन, दुर्योधन ने कृष्ण की बात नहीं मानी। कृष्ण ने दुर्योधन को कई तरह से समझाने की कोशिश की, लेकिन दुर्योधन पांडवों को एक गांव तक देने के लिए तैयार नहीं था। तब श्रीकृष्ण दरबार से जाने लगे तो दुर्योधन ने उनसे कहा, 'आप हमारे यहां आए तो बिना भोजन किए कैसे जा सकते हैं, मैं आपको मेरे यहां भोजन करने के लिए आमंत्रित करता हूं।' कृष्ण बोले, 'मेरा ये नियम है कि मैं किसी के यहां और किसी के साथ भोजन करते समय दो बातें ध्यान रखता हूं। पहली, मुझे बहुत भूख लगी हो। दूसरी, सामने वाला मुझे बहुत प्रेम से खिला रहा हो। इस समय तुम्हारे साथ ये दोनों बातें नहीं हैं। पहली बात, मुझे अभी भूख नहीं लगी है। दूसरी बात, तुम मेरी सही बात नहीं मान रहे हो। तुम मुझे खाना खिलाना चाहते हो, लेकिन मुझे इसमें प्रेम दिखाई नहीं दे रहा है। जैसा तुम्हारा स्वभाव है, इसमें भी कोई षड़यंत्र हो सकता है।' इसके बाद कृष्ण विदुर के यहां भोजन करने चले गए। सीख- श्रीकृष्ण ने सीख दी है कि हम जब भी किसी के यहां खाना खाने जाते हैं तो ये बात जरूर ध्यान रखें कि खाना खिलाने वाले के विचार कैसे हैं, उसकी नीयत कैसी है? क्योंकि अन्न हमारे मन पर असर डालता है। अगर हम बुरे स्वभाव वाले व्यक्ति के हाथ का बना खाना खाएंगे तो उसकी बुराई हमारे अंदर प्रवेश कर जाएगी। कोई व्यक्ति गलत इरादे से खाना खिलाए तो उसके यहां खाना खाने से बचना चाहिए। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें aaj ka jeevan mantra by pandit vijayshanakr mehta, story of krishna and duryodhana, lord krishna lesson to duryodhan https://ift.tt/3i03noh Dainik Bhaskar अगर कोई खाने पर बुलाए तो उसकी सोच और नीयत कैसी है, इस बात का ध्यान जरूर रखें

कहानी - महाभारत में पांडवों का 12 वर्ष का वनवास और 1 वर्ष का अज्ञातवास पूरा हो चुका था। इसके बाद श्रीकृष्ण पांडवों के दूत बनकर हस्तिनापुर ...
- January 11, 2021
कहानी - महाभारत में पांडवों का 12 वर्ष का वनवास और 1 वर्ष का अज्ञातवास पूरा हो चुका था। इसके बाद श्रीकृष्ण पांडवों के दूत बनकर हस्तिनापुर पहुंचे और दुर्योधन से कहा कि अब पांडवों को उनका राज्य लौटा दो। लेकिन, दुर्योधन ने कृष्ण की बात नहीं मानी। कृष्ण ने दुर्योधन को कई तरह से समझाने की कोशिश की, लेकिन दुर्योधन पांडवों को एक गांव तक देने के लिए तैयार नहीं था। तब श्रीकृष्ण दरबार से जाने लगे तो दुर्योधन ने उनसे कहा, 'आप हमारे यहां आए तो बिना भोजन किए कैसे जा सकते हैं, मैं आपको मेरे यहां भोजन करने के लिए आमंत्रित करता हूं।' कृष्ण बोले, 'मेरा ये नियम है कि मैं किसी के यहां और किसी के साथ भोजन करते समय दो बातें ध्यान रखता हूं। पहली, मुझे बहुत भूख लगी हो। दूसरी, सामने वाला मुझे बहुत प्रेम से खिला रहा हो। इस समय तुम्हारे साथ ये दोनों बातें नहीं हैं। पहली बात, मुझे अभी भूख नहीं लगी है। दूसरी बात, तुम मेरी सही बात नहीं मान रहे हो। तुम मुझे खाना खिलाना चाहते हो, लेकिन मुझे इसमें प्रेम दिखाई नहीं दे रहा है। जैसा तुम्हारा स्वभाव है, इसमें भी कोई षड़यंत्र हो सकता है।' इसके बाद कृष्ण विदुर के यहां भोजन करने चले गए। सीख- श्रीकृष्ण ने सीख दी है कि हम जब भी किसी के यहां खाना खाने जाते हैं तो ये बात जरूर ध्यान रखें कि खाना खिलाने वाले के विचार कैसे हैं, उसकी नीयत कैसी है? क्योंकि अन्न हमारे मन पर असर डालता है। अगर हम बुरे स्वभाव वाले व्यक्ति के हाथ का बना खाना खाएंगे तो उसकी बुराई हमारे अंदर प्रवेश कर जाएगी। कोई व्यक्ति गलत इरादे से खाना खिलाए तो उसके यहां खाना खाने से बचना चाहिए। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें aaj ka jeevan mantra by pandit vijayshanakr mehta, story of krishna and duryodhana, lord krishna lesson to duryodhan https://ift.tt/3i03noh Dainik Bhaskar अगर कोई खाने पर बुलाए तो उसकी सोच और नीयत कैसी है, इस बात का ध्यान जरूर रखें 

कहानी - महाभारत में पांडवों का 12 वर्ष का वनवास और 1 वर्ष का अज्ञातवास पूरा हो चुका था। इसके बाद श्रीकृष्ण पांडवों के दूत बनकर हस्तिनापुर पहुंचे और दुर्योधन से कहा कि अब पांडवों को उनका राज्य लौटा दो। लेकिन, दुर्योधन ने कृष्ण की बात नहीं मानी।

कृष्ण ने दुर्योधन को कई तरह से समझाने की कोशिश की, लेकिन दुर्योधन पांडवों को एक गांव तक देने के लिए तैयार नहीं था। तब श्रीकृष्ण दरबार से जाने लगे तो दुर्योधन ने उनसे कहा, 'आप हमारे यहां आए तो बिना भोजन किए कैसे जा सकते हैं, मैं आपको मेरे यहां भोजन करने के लिए आमंत्रित करता हूं।'

कृष्ण बोले, 'मेरा ये नियम है कि मैं किसी के यहां और किसी के साथ भोजन करते समय दो बातें ध्यान रखता हूं। पहली, मुझे बहुत भूख लगी हो। दूसरी, सामने वाला मुझे बहुत प्रेम से खिला रहा हो। इस समय तुम्हारे साथ ये दोनों बातें नहीं हैं। पहली बात, मुझे अभी भूख नहीं लगी है। दूसरी बात, तुम मेरी सही बात नहीं मान रहे हो। तुम मुझे खाना खिलाना चाहते हो, लेकिन मुझे इसमें प्रेम दिखाई नहीं दे रहा है। जैसा तुम्हारा स्वभाव है, इसमें भी कोई षड़यंत्र हो सकता है।'

इसके बाद कृष्ण विदुर के यहां भोजन करने चले गए।

सीख- श्रीकृष्ण ने सीख दी है कि हम जब भी किसी के यहां खाना खाने जाते हैं तो ये बात जरूर ध्यान रखें कि खाना खिलाने वाले के विचार कैसे हैं, उसकी नीयत कैसी है? क्योंकि अन्न हमारे मन पर असर डालता है। अगर हम बुरे स्वभाव वाले व्यक्ति के हाथ का बना खाना खाएंगे तो उसकी बुराई हमारे अंदर प्रवेश कर जाएगी। कोई व्यक्ति गलत इरादे से खाना खिलाए तो उसके यहां खाना खाने से बचना चाहिए।

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aaj ka jeevan mantra by pandit vijayshanakr mehta, story of krishna and duryodhana, lord krishna lesson to duryodhan

https://ift.tt/3i03noh Dainik Bhaskar अगर कोई खाने पर बुलाए तो उसकी सोच और नीयत कैसी है, इस बात का ध्यान जरूर रखें Reviewed by Manish Pethev on January 11, 2021 Rating: 5

आज हम आपको अजमेर के भरत ताराचंदानी की कहानी बताने जा रहे हैं। भरत जब छठवीं क्लास में थे, तब उनके पिता का एक्सीडेंट हो गया था और वो बेड रेस्ट पर चले गए थे। तभी से भरत और उनके परिवार का संघर्ष शुरू हो गया था। आज वो पुष्कर में पांच दुकानों के मालिक हैं और टर्नओवर करोड़ों में है। ये सब वो कैसे कर पाए, उन्हीं से जानिए। भरत कहते हैं, 'पिता अकेले कमाने वाले थे और अचानक उनका एक्सीडेंट हो जाने से कमाई बंद हो गई। हम सब भाई-बहन छोटे थे। मां समझ नहीं पा रही थीं कि अब परिवार का भरण-पोषण आखिर होगा कैसे? दिनोंदिन हालात बिगड़ते ही गए। मां ने सिलाई-बुनाई का काम शुरू किया। बड़े भाई ने मेडिकल स्टोर पर जाना शुरू कर दिया। मैं किराने की दुकान पर जाने लगा। सुबह अखबार भी बांटता था। एसटीडी पीसीओ पर काम किया। हम लोग हर छोटा-बड़ा वो काम कर रहे थे, जिससे घर में चार पैसे आ सकें। कुछ सालों तक जिंदगी की गाड़ी ऐसे ही चलती रही।' उन्होंने बताया कि हम सिंधी कम्युनिटी से आते हैं। हमारी कम्युनिटी के लोग या तो बिजनेस करते हैं या पैसा कमाने विदेश जाते हैं। पहले तो ऐसा ही होता था। मेरे बड़े भाई को किसी लिंक के जरिए पश्चिम अफ्रीका जाने का मौका मिला। वो वहां नौकरी करने लगे। वो जो पैसे भेजते थे, उससे हम उधारी चुका रहे थे। चार साल बाद वो वापस आ गए और पुष्कर में नौकरी करने लगे। भरत बताते हैं, 'मैं 12वीं कर चुका था। अपने मामा के एक कॉन्टैक्ट से मैं दुबई चला गया और वहां टेक्सटाइल कंपनी में नौकरी करने लगा। मुझे लगता था कि दुबई जाते ही सब ठीक हो जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। वहां मैंने बहुत स्ट्रगल किया। सामान की डिलिवरी, बुकिंग से लेकर कार्टन उठाने तक का काम करता था। पांच साल तक वहां नौकरी करता रहा।' भरत कहते हैं कि ये बहुत पहले तय कर लिया था कि मुझे इतना कमाना है कि मेरे घरवालों को कभी पीछे मुड़कर न देखना पड़े। इंसेंटिव की स्कीम काम कर गई वो कहते हैं, 'जब लौटकर अजमेर आया तो बड़े भाई ने कहा कि अब हमें अपना कुछ करना चाहिए। आखिर कब तक किसी दूसरे के लिए काम करते रहेंगे। गल्फ कंट्री में रहने वाले अपने एक दोस्त से मैंने तीन लाख रुपए उधार लिए। कुछ पैसे बड़े भाई ने यहां-वहां से लिए और हमने पुष्कर में 6 लाख रुपए में लीज पर एक दुकान ले ली। जहां दुकान ली, वहां उस समय कोई डेवलपमेंट नहीं था। आसपास के दुकानदार बोल रहे थे कि यहां शाम को परिंदे भी नहीं दिखते, ग्राहक क्या आएंगे। लेकिन मैंने देखा कि वहां आसपास होटल और धर्मशालाएं बहुत हैं। मुझे उम्मीद थी कि कपड़े की दुकान खुलेगी तो ग्राहक आना शुरू हो जाएंगे। मैंने हिम्मत करके वहीं दुकान खोली।' भरत ने बताया, 'गाइड और ड्राइवर्स को पांच परसेंट इंसेंटिव देना शुरू किया। शर्त यही थी कि जितने ग्राहक तुम दुकान पर लाओगे, उतना इंसेंटिव तुम्हें भी मिलेगा और दस से पंद्रह परसेंट डिस्काउंट ग्राहकों को भी दूंगा। मेरी ये स्कीम काम कर गई और दुकान पर ग्राहकों की भीड़ लगना शुरू हो गई। मेरी दुकान पर बसों में टूरिस्ट आने लगे। रात में दो-दो बजे तक ग्राहकी होनी लगी।' तीन दुकानों को मिलाकर बनाया शोरूम वो कहते हैं कि ये सब देखकर आसपास के कई व्यापारियों ने मेरी दुकान के आसपास दुकानें खोलना शुरू कर दीं। धीरे-धीरे मार्केट डेवलप हो गया। सब जगह एक जैसा माल मिलने लगा। फिर मुझे लगा कि अब कुछ बड़ा नहीं किया तो फिर बिजनेस में आगे नहीं बढ़ पाएंगे। इसलिए जो भी पैसा कमाया था, वो सब लगाकर दो दुकानें और खरीदीं। तीनों दुकानों को मिलाकर शोरूम में तब्दील कर दिया। तब से आज तक मुझे और मेरे परिवार को पीछे मुड़कर नहीं देखना पड़ा। अब हमारे पास पुष्कर में पांच दुकानें हैं। जिस दुकान पर मैं बैठता हूं, उसका ही टर्नओवर एक करोड़ से ऊपर है। दस से पंद्रह लोगों को हम रोजगार दे रहे हैं। मैंने ये अनुभव किया है कि भले ही जो किस्मत में तो वो आपको न मिले, लेकिन जो आपकी मेहनत का है, वो आपसे कोई नहीं छीन सकता। भरत ने कहा, 'मुझे लिखने-पढ़ने का शौक बचपन से ही रहा है। पहले मजबूरी के चलते ये काम नहीं कर पाया था। अब बिजनेस के साथ ये भी कर रहा हूं। कई स्क्रिप्ट्स पर काम कर रहा हूं। हां और सुबह उठने का जो नियम पांच साल पहले था, वो आज भी है। आज भी सुबह साढ़े सात-आठ बजे दुकान खोल देता हूं। चाहे कुछ भी हो।' आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें अजमेर के रहने वाले भरत तारांचदानी का अब पुष्कर में एक बड़ा शोरूम है। इसके साथ ही कई दुकानें भी हैं। https://ift.tt/2XuETtO Dainik Bhaskar बचपन में पिता का एक्सीडेंट हो गया, घर चलाने के लिए अखबार बांटा; आज पांच दुकानों के मालिक

आज हम आपको अजमेर के भरत ताराचंदानी की कहानी बताने जा रहे हैं। भरत जब छठवीं क्लास में थे, तब उनके पिता का एक्सीडेंट हो गया था और वो बेड रेस्...
- January 11, 2021
आज हम आपको अजमेर के भरत ताराचंदानी की कहानी बताने जा रहे हैं। भरत जब छठवीं क्लास में थे, तब उनके पिता का एक्सीडेंट हो गया था और वो बेड रेस्ट पर चले गए थे। तभी से भरत और उनके परिवार का संघर्ष शुरू हो गया था। आज वो पुष्कर में पांच दुकानों के मालिक हैं और टर्नओवर करोड़ों में है। ये सब वो कैसे कर पाए, उन्हीं से जानिए। भरत कहते हैं, 'पिता अकेले कमाने वाले थे और अचानक उनका एक्सीडेंट हो जाने से कमाई बंद हो गई। हम सब भाई-बहन छोटे थे। मां समझ नहीं पा रही थीं कि अब परिवार का भरण-पोषण आखिर होगा कैसे? दिनोंदिन हालात बिगड़ते ही गए। मां ने सिलाई-बुनाई का काम शुरू किया। बड़े भाई ने मेडिकल स्टोर पर जाना शुरू कर दिया। मैं किराने की दुकान पर जाने लगा। सुबह अखबार भी बांटता था। एसटीडी पीसीओ पर काम किया। हम लोग हर छोटा-बड़ा वो काम कर रहे थे, जिससे घर में चार पैसे आ सकें। कुछ सालों तक जिंदगी की गाड़ी ऐसे ही चलती रही।' उन्होंने बताया कि हम सिंधी कम्युनिटी से आते हैं। हमारी कम्युनिटी के लोग या तो बिजनेस करते हैं या पैसा कमाने विदेश जाते हैं। पहले तो ऐसा ही होता था। मेरे बड़े भाई को किसी लिंक के जरिए पश्चिम अफ्रीका जाने का मौका मिला। वो वहां नौकरी करने लगे। वो जो पैसे भेजते थे, उससे हम उधारी चुका रहे थे। चार साल बाद वो वापस आ गए और पुष्कर में नौकरी करने लगे। भरत बताते हैं, 'मैं 12वीं कर चुका था। अपने मामा के एक कॉन्टैक्ट से मैं दुबई चला गया और वहां टेक्सटाइल कंपनी में नौकरी करने लगा। मुझे लगता था कि दुबई जाते ही सब ठीक हो जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। वहां मैंने बहुत स्ट्रगल किया। सामान की डिलिवरी, बुकिंग से लेकर कार्टन उठाने तक का काम करता था। पांच साल तक वहां नौकरी करता रहा।' भरत कहते हैं कि ये बहुत पहले तय कर लिया था कि मुझे इतना कमाना है कि मेरे घरवालों को कभी पीछे मुड़कर न देखना पड़े। इंसेंटिव की स्कीम काम कर गई वो कहते हैं, 'जब लौटकर अजमेर आया तो बड़े भाई ने कहा कि अब हमें अपना कुछ करना चाहिए। आखिर कब तक किसी दूसरे के लिए काम करते रहेंगे। गल्फ कंट्री में रहने वाले अपने एक दोस्त से मैंने तीन लाख रुपए उधार लिए। कुछ पैसे बड़े भाई ने यहां-वहां से लिए और हमने पुष्कर में 6 लाख रुपए में लीज पर एक दुकान ले ली। जहां दुकान ली, वहां उस समय कोई डेवलपमेंट नहीं था। आसपास के दुकानदार बोल रहे थे कि यहां शाम को परिंदे भी नहीं दिखते, ग्राहक क्या आएंगे। लेकिन मैंने देखा कि वहां आसपास होटल और धर्मशालाएं बहुत हैं। मुझे उम्मीद थी कि कपड़े की दुकान खुलेगी तो ग्राहक आना शुरू हो जाएंगे। मैंने हिम्मत करके वहीं दुकान खोली।' भरत ने बताया, 'गाइड और ड्राइवर्स को पांच परसेंट इंसेंटिव देना शुरू किया। शर्त यही थी कि जितने ग्राहक तुम दुकान पर लाओगे, उतना इंसेंटिव तुम्हें भी मिलेगा और दस से पंद्रह परसेंट डिस्काउंट ग्राहकों को भी दूंगा। मेरी ये स्कीम काम कर गई और दुकान पर ग्राहकों की भीड़ लगना शुरू हो गई। मेरी दुकान पर बसों में टूरिस्ट आने लगे। रात में दो-दो बजे तक ग्राहकी होनी लगी।' तीन दुकानों को मिलाकर बनाया शोरूम वो कहते हैं कि ये सब देखकर आसपास के कई व्यापारियों ने मेरी दुकान के आसपास दुकानें खोलना शुरू कर दीं। धीरे-धीरे मार्केट डेवलप हो गया। सब जगह एक जैसा माल मिलने लगा। फिर मुझे लगा कि अब कुछ बड़ा नहीं किया तो फिर बिजनेस में आगे नहीं बढ़ पाएंगे। इसलिए जो भी पैसा कमाया था, वो सब लगाकर दो दुकानें और खरीदीं। तीनों दुकानों को मिलाकर शोरूम में तब्दील कर दिया। तब से आज तक मुझे और मेरे परिवार को पीछे मुड़कर नहीं देखना पड़ा। अब हमारे पास पुष्कर में पांच दुकानें हैं। जिस दुकान पर मैं बैठता हूं, उसका ही टर्नओवर एक करोड़ से ऊपर है। दस से पंद्रह लोगों को हम रोजगार दे रहे हैं। मैंने ये अनुभव किया है कि भले ही जो किस्मत में तो वो आपको न मिले, लेकिन जो आपकी मेहनत का है, वो आपसे कोई नहीं छीन सकता। भरत ने कहा, 'मुझे लिखने-पढ़ने का शौक बचपन से ही रहा है। पहले मजबूरी के चलते ये काम नहीं कर पाया था। अब बिजनेस के साथ ये भी कर रहा हूं। कई स्क्रिप्ट्स पर काम कर रहा हूं। हां और सुबह उठने का जो नियम पांच साल पहले था, वो आज भी है। आज भी सुबह साढ़े सात-आठ बजे दुकान खोल देता हूं। चाहे कुछ भी हो।' आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें अजमेर के रहने वाले भरत तारांचदानी का अब पुष्कर में एक बड़ा शोरूम है। इसके साथ ही कई दुकानें भी हैं। https://ift.tt/2XuETtO Dainik Bhaskar बचपन में पिता का एक्सीडेंट हो गया, घर चलाने के लिए अखबार बांटा; आज पांच दुकानों के मालिक 

आज हम आपको अजमेर के भरत ताराचंदानी की कहानी बताने जा रहे हैं। भरत जब छठवीं क्लास में थे, तब उनके पिता का एक्सीडेंट हो गया था और वो बेड रेस्ट पर चले गए थे। तभी से भरत और उनके परिवार का संघर्ष शुरू हो गया था। आज वो पुष्कर में पांच दुकानों के मालिक हैं और टर्नओवर करोड़ों में है। ये सब वो कैसे कर पाए, उन्हीं से जानिए।

भरत कहते हैं, 'पिता अकेले कमाने वाले थे और अचानक उनका एक्सीडेंट हो जाने से कमाई बंद हो गई। हम सब भाई-बहन छोटे थे। मां समझ नहीं पा रही थीं कि अब परिवार का भरण-पोषण आखिर होगा कैसे? दिनोंदिन हालात बिगड़ते ही गए। मां ने सिलाई-बुनाई का काम शुरू किया। बड़े भाई ने मेडिकल स्टोर पर जाना शुरू कर दिया। मैं किराने की दुकान पर जाने लगा। सुबह अखबार भी बांटता था। एसटीडी पीसीओ पर काम किया। हम लोग हर छोटा-बड़ा वो काम कर रहे थे, जिससे घर में चार पैसे आ सकें। कुछ सालों तक जिंदगी की गाड़ी ऐसे ही चलती रही।'

उन्होंने बताया कि हम सिंधी कम्युनिटी से आते हैं। हमारी कम्युनिटी के लोग या तो बिजनेस करते हैं या पैसा कमाने विदेश जाते हैं। पहले तो ऐसा ही होता था। मेरे बड़े भाई को किसी लिंक के जरिए पश्चिम अफ्रीका जाने का मौका मिला। वो वहां नौकरी करने लगे। वो जो पैसे भेजते थे, उससे हम उधारी चुका रहे थे। चार साल बाद वो वापस आ गए और पुष्कर में नौकरी करने लगे।

भरत बताते हैं, 'मैं 12वीं कर चुका था। अपने मामा के एक कॉन्टैक्ट से मैं दुबई चला गया और वहां टेक्सटाइल कंपनी में नौकरी करने लगा। मुझे लगता था कि दुबई जाते ही सब ठीक हो जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। वहां मैंने बहुत स्ट्रगल किया। सामान की डिलिवरी, बुकिंग से लेकर कार्टन उठाने तक का काम करता था। पांच साल तक वहां नौकरी करता रहा।'

भरत कहते हैं कि ये बहुत पहले तय कर लिया था कि मुझे इतना कमाना है कि मेरे घरवालों को कभी पीछे मुड़कर न देखना पड़े।

इंसेंटिव की स्कीम काम कर गई

वो कहते हैं, 'जब लौटकर अजमेर आया तो बड़े भाई ने कहा कि अब हमें अपना कुछ करना चाहिए। आखिर कब तक किसी दूसरे के लिए काम करते रहेंगे। गल्फ कंट्री में रहने वाले अपने एक दोस्त से मैंने तीन लाख रुपए उधार लिए। कुछ पैसे बड़े भाई ने यहां-वहां से लिए और हमने पुष्कर में 6 लाख रुपए में लीज पर एक दुकान ले ली। जहां दुकान ली, वहां उस समय कोई डेवलपमेंट नहीं था। आसपास के दुकानदार बोल रहे थे कि यहां शाम को परिंदे भी नहीं दिखते, ग्राहक क्या आएंगे। लेकिन मैंने देखा कि वहां आसपास होटल और धर्मशालाएं बहुत हैं। मुझे उम्मीद थी कि कपड़े की दुकान खुलेगी तो ग्राहक आना शुरू हो जाएंगे। मैंने हिम्मत करके वहीं दुकान खोली।'

भरत ने बताया, 'गाइड और ड्राइवर्स को पांच परसेंट इंसेंटिव देना शुरू किया। शर्त यही थी कि जितने ग्राहक तुम दुकान पर लाओगे, उतना इंसेंटिव तुम्हें भी मिलेगा और दस से पंद्रह परसेंट डिस्काउंट ग्राहकों को भी दूंगा। मेरी ये स्कीम काम कर गई और दुकान पर ग्राहकों की भीड़ लगना शुरू हो गई। मेरी दुकान पर बसों में टूरिस्ट आने लगे। रात में दो-दो बजे तक ग्राहकी होनी लगी।'

तीन दुकानों को मिलाकर बनाया शोरूम

वो कहते हैं कि ये सब देखकर आसपास के कई व्यापारियों ने मेरी दुकान के आसपास दुकानें खोलना शुरू कर दीं। धीरे-धीरे मार्केट डेवलप हो गया। सब जगह एक जैसा माल मिलने लगा। फिर मुझे लगा कि अब कुछ बड़ा नहीं किया तो फिर बिजनेस में आगे नहीं बढ़ पाएंगे। इसलिए जो भी पैसा कमाया था, वो सब लगाकर दो दुकानें और खरीदीं। तीनों दुकानों को मिलाकर शोरूम में तब्दील कर दिया। तब से आज तक मुझे और मेरे परिवार को पीछे मुड़कर नहीं देखना पड़ा। अब हमारे पास पुष्कर में पांच दुकानें हैं। जिस दुकान पर मैं बैठता हूं, उसका ही टर्नओवर एक करोड़ से ऊपर है। दस से पंद्रह लोगों को हम रोजगार दे रहे हैं। मैंने ये अनुभव किया है कि भले ही जो किस्मत में तो वो आपको न मिले, लेकिन जो आपकी मेहनत का है, वो आपसे कोई नहीं छीन सकता।

भरत ने कहा, 'मुझे लिखने-पढ़ने का शौक बचपन से ही रहा है। पहले मजबूरी के चलते ये काम नहीं कर पाया था। अब बिजनेस के साथ ये भी कर रहा हूं। कई स्क्रिप्ट्स पर काम कर रहा हूं। हां और सुबह उठने का जो नियम पांच साल पहले था, वो आज भी है। आज भी सुबह साढ़े सात-आठ बजे दुकान खोल देता हूं। चाहे कुछ भी हो।'

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अजमेर के रहने वाले भरत तारांचदानी का अब पुष्कर में एक बड़ा शोरूम है। इसके साथ ही कई दुकानें भी हैं।

https://ift.tt/2XuETtO Dainik Bhaskar बचपन में पिता का एक्सीडेंट हो गया, घर चलाने के लिए अखबार बांटा; आज पांच दुकानों के मालिक Reviewed by Manish Pethev on January 11, 2021 Rating: 5

देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का आज ही के दिन 1966 में उज्बेकिस्तान के ताशकंद में निधन हो गया था। पंडित जवाहर लाल नेहरू के निधन के बाद 9 जून 1964 को शास्त्री प्रधानमंत्री बने थे। शास्त्री ने ही 'जय जवान, जय किसान' का नारा दिया था। वो करीब 18 महीने तक प्रधानमंत्री रहे। उनके नेतृत्व में ही भारत ने 1965 की जंग में पाकिस्तान को शिकस्त दी थी। इसके बाद वो पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान के साथ युद्ध समाप्त करने के समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए ताशकंद गए थे और वहीं उनकी मौत हो गई। अभी तक रहस्य बनी है शास्त्री की मौत लाल बहादुर शास्त्री की मौत का रहस्य आज भी बना हुआ है। 10 जनवरी 1966 को पाकिस्तान के साथ ताशकंद समझौते पर हस्ताक्षर करने के महज 12 घंटे बाद 11 जनवरी को तड़के 1 बजकर 32 मिनट पर उनकी मौत हो गई। बताया जाता है कि शास्त्री मृत्यु से आधे घंटे पहले तक बिल्कुल ठीक थे, लेकिन 15 से 20 मिनट में उनकी तबियत खराब हो गई। इसके बाद डॉक्टरों ने उन्हें एंट्रा-मस्कुलर इंजेक्शन दिया। इंजेक्शन देने के चंद मिनट बाद ही उनकी मौत हो गई। शास्त्री की मौत पर संदेह इसलिए भी किया जाता है, क्योंकि उनका पोस्टमार्टम भी नहीं किया गया था। उनकी पत्नी ललिता शास्त्री ने दावा किया था कि उनके पति को जहर देकर मारा गया। उनके बेटे सुनील का भी कहना था कि उनके पिता की बॉडी पर नीले निशान थे। जब शास्त्री के शव को दिल्ली लाने के लिए ताशकंद एयरपोर्ट पर ले जाया जा रहा था तो रास्ते में सोवियत संघ, भारत और पाकिस्तान के झंडे झुके हुए थे। शास्त्री के ताबूत को कंधा देने वालों में सोवियत प्रधानमंत्री कोसिगिन और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान भी थे। ताशकंद में समझौते के बाद लाल बहादुर शास्त्री, पाकिस्तान के तब के राष्ट्रपति अयूब खान और सोवियत संघ के प्रधानमंत्री अलेक्सेई कोसिगिन। वो ऐसे पीएम थे, जिनके कहने पर लाखों भारतीयों ने एक वक्त का खाना छोड़ दिया 1965 में जब भारत-पाकिस्तान के बीच जंग चल रही थी, तो अमेरिकी राष्ट्रपति लिंडन जॉनसन ने शास्त्री को धमकी दी थी कि अगर आपने पाकिस्तान के खिलाफ लड़ाई बंद नहीं की, तो हम आपको जो लाल गेहूं भेजते हैं, उसे बंद कर देंगे। उस वक्त भारत गेहूं के उत्पादन में आत्मनिर्भर नहीं था। शास्त्री को ये बात चुभ गई। उन्होंने देशवासियों से अपील की कि हम लोग एक वक्त का भोजन नहीं करेंगे। उससे अमेरिका से आने वाले गेहूं की जरूरत नहीं होगी। शास्त्री की अपील पर उस वक्त लाखों भारतीयों ने एक वक्त खाना खाना छोड़ दिया था। देशवासियों से अपील से पहले शास्त्री ने खुद अपने घर में एक वक्त का खाना नहीं खाया और न ही उनके परिवार ने। ऐसा इसलिए, क्योंकि वो देखना चाहते थे कि उनके बच्चे भूखे रह सकते हैं या नहीं। जब उन्होंने देख लिया कि वो और उनके बच्चे एक वक्त बिना खाना खाए रह सकते हैं, तब जाकर उन्होंने देशवासियों से अपील की। पेरू में आए बर्फीले तूफान में 2 हजार लोगों की मौत आज ही के दिन 1962 में पेरू के उत्तर-पश्चिम हिस्से में बर्फीले तूफान और चट्टान खिसकने से कम से कम 2 हजार लोगों की मौत हो गई थी। उस समय पेरू की सबसे ऊंची पहाड़ी एंडीज से अचानक लाखों टन बर्फ, चट्टानें, कीचड़ और मलबा नीचे गिरने लगा। ये हादसा आधी रात को हुआ था। इस मलबे के नीचे 8 शहर दब गए थे। कुछ लोगों को बचा भी लिया गया था। इसके बाद 1970 में भी पेरू में एक और बर्फीले तूफान में करीब 20 हजार लोग मारे गए थे। भारत और दुनिया में 11 जनवरी की महत्वपूर्ण घटनाएं : 2015 : कोलिंदा ग्रबर किटरोविक को क्रोएशिया की पहली महिला प्रधानमंत्री चुनी गईं। 2009 : 66वें गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड में स्लमडॉग मिलेनियर को बेस्ट फिल्म का अवॉर्ड मिला। 1998 : अल्जीरिया की सरकार ने दो गांवों पर हुए हमलों के लिए इस्लामी चरमपंथियों को जिम्मेदार ठहराया। इन हमलों में 100 लोगों की हत्या कर दी गई थी। 1972 : बांग्लादेश को पूर्वी जर्मनी ने मान्यता प्रदान की। 1954 : बाल मजदूरी के खिलाफ आवाज उठाने वाले नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी का जन्‍म। 1942 : द्वितीय विश्वयुद्ध में जापान ने कुआलालंपुर पर कब्जा किया। 1922 : डायबिटीज के मरीजों को पहली इंसुलिन दी गई। 1569 : इंग्लैंड में पहली लॉटरी की शुरुआत हुई। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें Today History: Aaj Ka Itihas India World 11 January Update | Lal Bahadur Shastri Death Mystery Uzbekistan Tashkent Interesting Facts https://ift.tt/3bElDTd Dainik Bhaskar लाल बहादुर शास्त्री का ताशकंद में निधन; वो PM जिनकी एक आवाज पर भारतीयों ने एक वक्त का खाना छोड़ दिया

देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का आज ही के दिन 1966 में उज्बेकिस्तान के ताशकंद में निधन हो गया था। पंडित जवाहर लाल नेहरू के ...
- January 11, 2021
देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का आज ही के दिन 1966 में उज्बेकिस्तान के ताशकंद में निधन हो गया था। पंडित जवाहर लाल नेहरू के निधन के बाद 9 जून 1964 को शास्त्री प्रधानमंत्री बने थे। शास्त्री ने ही 'जय जवान, जय किसान' का नारा दिया था। वो करीब 18 महीने तक प्रधानमंत्री रहे। उनके नेतृत्व में ही भारत ने 1965 की जंग में पाकिस्तान को शिकस्त दी थी। इसके बाद वो पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान के साथ युद्ध समाप्त करने के समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए ताशकंद गए थे और वहीं उनकी मौत हो गई। अभी तक रहस्य बनी है शास्त्री की मौत लाल बहादुर शास्त्री की मौत का रहस्य आज भी बना हुआ है। 10 जनवरी 1966 को पाकिस्तान के साथ ताशकंद समझौते पर हस्ताक्षर करने के महज 12 घंटे बाद 11 जनवरी को तड़के 1 बजकर 32 मिनट पर उनकी मौत हो गई। बताया जाता है कि शास्त्री मृत्यु से आधे घंटे पहले तक बिल्कुल ठीक थे, लेकिन 15 से 20 मिनट में उनकी तबियत खराब हो गई। इसके बाद डॉक्टरों ने उन्हें एंट्रा-मस्कुलर इंजेक्शन दिया। इंजेक्शन देने के चंद मिनट बाद ही उनकी मौत हो गई। शास्त्री की मौत पर संदेह इसलिए भी किया जाता है, क्योंकि उनका पोस्टमार्टम भी नहीं किया गया था। उनकी पत्नी ललिता शास्त्री ने दावा किया था कि उनके पति को जहर देकर मारा गया। उनके बेटे सुनील का भी कहना था कि उनके पिता की बॉडी पर नीले निशान थे। जब शास्त्री के शव को दिल्ली लाने के लिए ताशकंद एयरपोर्ट पर ले जाया जा रहा था तो रास्ते में सोवियत संघ, भारत और पाकिस्तान के झंडे झुके हुए थे। शास्त्री के ताबूत को कंधा देने वालों में सोवियत प्रधानमंत्री कोसिगिन और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान भी थे। ताशकंद में समझौते के बाद लाल बहादुर शास्त्री, पाकिस्तान के तब के राष्ट्रपति अयूब खान और सोवियत संघ के प्रधानमंत्री अलेक्सेई कोसिगिन। वो ऐसे पीएम थे, जिनके कहने पर लाखों भारतीयों ने एक वक्त का खाना छोड़ दिया 1965 में जब भारत-पाकिस्तान के बीच जंग चल रही थी, तो अमेरिकी राष्ट्रपति लिंडन जॉनसन ने शास्त्री को धमकी दी थी कि अगर आपने पाकिस्तान के खिलाफ लड़ाई बंद नहीं की, तो हम आपको जो लाल गेहूं भेजते हैं, उसे बंद कर देंगे। उस वक्त भारत गेहूं के उत्पादन में आत्मनिर्भर नहीं था। शास्त्री को ये बात चुभ गई। उन्होंने देशवासियों से अपील की कि हम लोग एक वक्त का भोजन नहीं करेंगे। उससे अमेरिका से आने वाले गेहूं की जरूरत नहीं होगी। शास्त्री की अपील पर उस वक्त लाखों भारतीयों ने एक वक्त खाना खाना छोड़ दिया था। देशवासियों से अपील से पहले शास्त्री ने खुद अपने घर में एक वक्त का खाना नहीं खाया और न ही उनके परिवार ने। ऐसा इसलिए, क्योंकि वो देखना चाहते थे कि उनके बच्चे भूखे रह सकते हैं या नहीं। जब उन्होंने देख लिया कि वो और उनके बच्चे एक वक्त बिना खाना खाए रह सकते हैं, तब जाकर उन्होंने देशवासियों से अपील की। पेरू में आए बर्फीले तूफान में 2 हजार लोगों की मौत आज ही के दिन 1962 में पेरू के उत्तर-पश्चिम हिस्से में बर्फीले तूफान और चट्टान खिसकने से कम से कम 2 हजार लोगों की मौत हो गई थी। उस समय पेरू की सबसे ऊंची पहाड़ी एंडीज से अचानक लाखों टन बर्फ, चट्टानें, कीचड़ और मलबा नीचे गिरने लगा। ये हादसा आधी रात को हुआ था। इस मलबे के नीचे 8 शहर दब गए थे। कुछ लोगों को बचा भी लिया गया था। इसके बाद 1970 में भी पेरू में एक और बर्फीले तूफान में करीब 20 हजार लोग मारे गए थे। भारत और दुनिया में 11 जनवरी की महत्वपूर्ण घटनाएं : 2015 : कोलिंदा ग्रबर किटरोविक को क्रोएशिया की पहली महिला प्रधानमंत्री चुनी गईं। 2009 : 66वें गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड में स्लमडॉग मिलेनियर को बेस्ट फिल्म का अवॉर्ड मिला। 1998 : अल्जीरिया की सरकार ने दो गांवों पर हुए हमलों के लिए इस्लामी चरमपंथियों को जिम्मेदार ठहराया। इन हमलों में 100 लोगों की हत्या कर दी गई थी। 1972 : बांग्लादेश को पूर्वी जर्मनी ने मान्यता प्रदान की। 1954 : बाल मजदूरी के खिलाफ आवाज उठाने वाले नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी का जन्‍म। 1942 : द्वितीय विश्वयुद्ध में जापान ने कुआलालंपुर पर कब्जा किया। 1922 : डायबिटीज के मरीजों को पहली इंसुलिन दी गई। 1569 : इंग्लैंड में पहली लॉटरी की शुरुआत हुई। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें Today History: Aaj Ka Itihas India World 11 January Update | Lal Bahadur Shastri Death Mystery Uzbekistan Tashkent Interesting Facts https://ift.tt/3bElDTd Dainik Bhaskar लाल बहादुर शास्त्री का ताशकंद में निधन; वो PM जिनकी एक आवाज पर भारतीयों ने एक वक्त का खाना छोड़ दिया 

देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का आज ही के दिन 1966 में उज्बेकिस्तान के ताशकंद में निधन हो गया था। पंडित जवाहर लाल नेहरू के निधन के बाद 9 जून 1964 को शास्त्री प्रधानमंत्री बने थे। शास्त्री ने ही 'जय जवान, जय किसान' का नारा दिया था। वो करीब 18 महीने तक प्रधानमंत्री रहे। उनके नेतृत्व में ही भारत ने 1965 की जंग में पाकिस्तान को शिकस्त दी थी। इसके बाद वो पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान के साथ युद्ध समाप्त करने के समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए ताशकंद गए थे और वहीं उनकी मौत हो गई।

अभी तक रहस्य बनी है शास्त्री की मौत
लाल बहादुर शास्त्री की मौत का रहस्य आज भी बना हुआ है। 10 जनवरी 1966 को पाकिस्तान के साथ ताशकंद समझौते पर हस्ताक्षर करने के महज 12 घंटे बाद 11 जनवरी को तड़के 1 बजकर 32 मिनट पर उनकी मौत हो गई।

बताया जाता है कि शास्त्री मृत्यु से आधे घंटे पहले तक बिल्कुल ठीक थे, लेकिन 15 से 20 मिनट में उनकी तबियत खराब हो गई। इसके बाद डॉक्टरों ने उन्हें एंट्रा-मस्कुलर इंजेक्शन दिया। इंजेक्शन देने के चंद मिनट बाद ही उनकी मौत हो गई।

शास्त्री की मौत पर संदेह इसलिए भी किया जाता है, क्योंकि उनका पोस्टमार्टम भी नहीं किया गया था। उनकी पत्नी ललिता शास्त्री ने दावा किया था कि उनके पति को जहर देकर मारा गया। उनके बेटे सुनील का भी कहना था कि उनके पिता की बॉडी पर नीले निशान थे।

जब शास्त्री के शव को दिल्ली लाने के लिए ताशकंद एयरपोर्ट पर ले जाया जा रहा था तो रास्ते में सोवियत संघ, भारत और पाकिस्तान के झंडे झुके हुए थे। शास्त्री के ताबूत को कंधा देने वालों में सोवियत प्रधानमंत्री कोसिगिन और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान भी थे।

ताशकंद में समझौते के बाद लाल बहादुर शास्त्री, पाकिस्तान के तब के राष्ट्रपति अयूब खान और सोवियत संघ के प्रधानमंत्री अलेक्सेई कोसिगिन।

वो ऐसे पीएम थे, जिनके कहने पर लाखों भारतीयों ने एक वक्त का खाना छोड़ दिया
1965 में जब भारत-पाकिस्तान के बीच जंग चल रही थी, तो अमेरिकी राष्ट्रपति लिंडन जॉनसन ने शास्त्री को धमकी दी थी कि अगर आपने पाकिस्तान के खिलाफ लड़ाई बंद नहीं की, तो हम आपको जो लाल गेहूं भेजते हैं, उसे बंद कर देंगे।

उस वक्त भारत गेहूं के उत्पादन में आत्मनिर्भर नहीं था। शास्त्री को ये बात चुभ गई। उन्होंने देशवासियों से अपील की कि हम लोग एक वक्त का भोजन नहीं करेंगे। उससे अमेरिका से आने वाले गेहूं की जरूरत नहीं होगी। शास्त्री की अपील पर उस वक्त लाखों भारतीयों ने एक वक्त खाना खाना छोड़ दिया था।

देशवासियों से अपील से पहले शास्त्री ने खुद अपने घर में एक वक्त का खाना नहीं खाया और न ही उनके परिवार ने। ऐसा इसलिए, क्योंकि वो देखना चाहते थे कि उनके बच्चे भूखे रह सकते हैं या नहीं। जब उन्होंने देख लिया कि वो और उनके बच्चे एक वक्त बिना खाना खाए रह सकते हैं, तब जाकर उन्होंने देशवासियों से अपील की।

पेरू में आए बर्फीले तूफान में 2 हजार लोगों की मौत
आज ही के दिन 1962 में पेरू के उत्तर-पश्चिम हिस्से में बर्फीले तूफान और चट्टान खिसकने से कम से कम 2 हजार लोगों की मौत हो गई थी। उस समय पेरू की सबसे ऊंची पहाड़ी एंडीज से अचानक लाखों टन बर्फ, चट्टानें, कीचड़ और मलबा नीचे गिरने लगा। ये हादसा आधी रात को हुआ था। इस मलबे के नीचे 8 शहर दब गए थे। कुछ लोगों को बचा भी लिया गया था। इसके बाद 1970 में भी पेरू में एक और बर्फीले तूफान में करीब 20 हजार लोग मारे गए थे।

भारत और दुनिया में 11 जनवरी की महत्वपूर्ण घटनाएं :

2015 : कोलिंदा ग्रबर किटरोविक को क्रोएशिया की पहली महिला प्रधानमंत्री चुनी गईं।

2009 : 66वें गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड में स्लमडॉग मिलेनियर को बेस्ट फिल्म का अवॉर्ड मिला।

1998 : अल्जीरिया की सरकार ने दो गांवों पर हुए हमलों के लिए इस्लामी चरमपंथियों को जिम्मेदार ठहराया। इन हमलों में 100 लोगों की हत्या कर दी गई थी।

1972 : बांग्लादेश को पूर्वी जर्मनी ने मान्यता प्रदान की।

1954 : बाल मजदूरी के खिलाफ आवाज उठाने वाले नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी का जन्‍म।

1942 : द्वितीय विश्वयुद्ध में जापान ने कुआलालंपुर पर कब्जा किया।

1922 : डायबिटीज के मरीजों को पहली इंसुलिन दी गई।

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आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें Easy recipe for making chana dal sabzi, guests who come home will also like https://ift.tt/2XsKf91 Dainik Bhaskar चना दाल सब्जी बनाने की आसान रेसिपी, घर आए मेहमानों को भी खूब आएगी पसंद

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आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें Easy recipe for making chana dal sabzi, guests who come home will also like https://ift.tt/2XsKf91 Dainik Bhaskar चना दाल सब्जी बनाने की आसान रेसिपी, घर आए मेहमानों को भी खूब आएगी पसंद 

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Easy recipe for making chana dal sabzi, guests who come home will also like

https://ift.tt/2XsKf91 Dainik Bhaskar चना दाल सब्जी बनाने की आसान रेसिपी, घर आए मेहमानों को भी खूब आएगी पसंद Reviewed by Manish Pethev on January 11, 2021 Rating: 5

किसान आंदोलन और कृषि कानूनों से जुड़े सभी मामलों की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में आज होगी। दरअसल, किसान आंदोलन से जुड़ी कई याचिकाएं कोर्ट में दायर हुई थीं। कुछ याचिकाओं में आंदोलन को खत्म करने की मांग की गई है, तो कई याचिकाओं में तीनों कानूनों को रद्द करने की। इन्हीं सब याचिकाओं पर अब चीफ जस्टिस एसए बोबड़े, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम की बेंच सुनवाई करेगी। इस मामले की आखिरी सुनवाई 17 दिसंबर को हुई थी। सवाल ये है कि क्या सुप्रीम कोर्ट से मसला सुलझ सकता है? आइए एक-एक करके इस मामले को पूरी तरह समझते हैं। सबसे पहले बात खेती से जुड़े उन 3 कानूनों की... 1. फार्मर्स प्रोड्यूस ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) एक्टः किसान सरकारी मंडियों (एपीएमसी) से बाहर फसल बेच सकते हैं। ऐसी खरीद-फरोख्त पर टैक्स नहीं लगेगा। 2. फार्मर्स (एम्पॉवरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑफ प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विस एक्टः किसान कॉन्ट्रैक्ट करके पहले से तय एक दाम पर अपनी फसल बेच सकते हैं। 3. एसेंशियल कमोडिटीज (अमेंडमेंट) एक्टः अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेल, आलू और प्याज को आवश्यक वस्तुओं की लिस्ट से बाहर कर दिया है। केवल युद्ध, भुखमरी, प्राकृतिक आपदा या बेहद महंगाई होने पर स्टॉक सीमा तय होगी। दो वजहें, सुप्रीम कोर्ट कैसे पहुंचा किसानों का मसला? पहलीः 26 नवंबर से किसान दिल्ली की सड़कों पर जमा हैं। उनकी वजह से आम लोगों को दिक्कतें हो रही हैं। इसको लेकर याचिकाएं दाखिल हुईं। इस पर कोर्ट ने कहा था कि जब तक कोई हिंसा नहीं होती, तब तक विरोध करना किसानों का अधिकार है। दूसरीः किसान संगठन तीनों कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हैं। इसको लेकर राजद से राज्यसभा सांसद मनोज झा, डीएमके से राज्यसभा सांसद तिरुचि सिवा और छत्तीसगढ़ किसान कांग्रेस के राकेश वैष्णव ने याचिका लगाई और मांग की कि कोर्ट सरकार को तीनों कानून रद्द करने का आदेश दे। अब बात सुप्रीम कोर्ट जाने पर क्या है सरकार और किसानों का रुख? सरकार का रुखः 8 जनवरी को किसान संगठनों और सरकार के बीच बात हुई। बातचीत के दौरान कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में इसी मामले को लेकर सुनवाई है। आप वहां बात रख सकते हैं। कोर्ट जो कहेगा, सब मान लेंगे। किसानों का रुखः किसान कोर्ट जाने के पक्ष में नहीं है। किसान तीनों कानून को रद्द करने की मांग पर अड़े हैं। ऑल इंडिया किसान सभा के जनरल सेक्रेटरी हन्नान मुल्ला का कहना है कि जब तक कानून वापस नहीं होगा, तब तक लड़ाई चलती रहेगी। किसान आंदोलन कर रहे किसान संगठन कौन से हैं? और किसान संगठन के चर्चित चेहरे कौन से हैं? जानें यहां अब सवाल क्या सुप्रीम कोर्ट से मसला सुलझ सकता है? किसान नेताओं का ये कहना है कि हमारी लड़ाई सीधे सरकार से ही। कानून की संवैधानिकता को तो हमने पहले भी चुनौती नहीं दी थी। उसको हम अभी भी चैलेंज नहीं कर रहे हैं। कोर्ट का काम सिर्फ इतना है कि कोई कानून संविधान के दायरे में है या नहीं, ये तय करना। हम खुद कोर्ट नहीं गए, इसलिए सुप्रीम कोर्ट उस पर क्या कहता है, इससे हमें फर्क नहीं पड़ता। हम बस ये चाहते हैं कि सरकार ये तीनों कानून वापस ले, क्योंकि ये कानून किसानों के लिए नहीं, बल्कि पूंजीपतियों के हित में हैं। क्या सुप्रीम कोर्ट सरकार को कानून वापस लेने को कह सकती है? इस बारे में संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप बताते हैं कि अगर सुप्रीम कोर्ट को ऐसा लगता है कि कानून संविधान के विरुद्ध है, संविधान की अवहेलना कर रहा है, तो वो कानून को निरस्त कर सकता है, लेकिन अगर संविधान के हिसाब से सही है, तो सुप्रीम कोर्ट को कुछ नहीं करना चाहिए। वहीं, हैदराबाद की नेशनल एकेडमी ऑफ लीगल स्टडीज एंड रिसर्च (NALSAR) यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ के वाइस चांसलर फैजान मुस्तफा बताते हैं कि अगर कोई संविधान के विरुद्ध है और मौलिक अधिकारों का हनन करता है, तो उसे सुप्रीम कोर्ट तो क्या, हाईकोर्ट में भी चैलेंज किया जा सकता है। फैजान बताते हैं कि सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट उस कानून को निरस्त कर सकता है। अगर सुप्रीम कोर्ट में कानून निरस्त, तो सरकार के पास क्या रास्ता बचा? इस बारे में फैजान मुस्तफा बताते हैं कि अगर सुप्रीम कोर्ट से कोई कानून निरस्त हो जाता है, तो सरकार चाहे तो दोबारा संसद से उस कानून को बना सकती है। हालांकि, ऐसा होने की संभावना बहुत ही कम होती है। वो बताते हैं कि 2014 में सरकार ने नेशनल ज्यूडिशियल अपॉइंटमेंट कमीशन बनाया था। इसके लिए कानून भी आया था और संविधान में संशोधन भी किया था। सुप्रीम कोर्ट ने कानून और संशोधन दोनों को ही निरस्त कर दिया था। उसके बाद सरकार ने इस पर कोई कानून नहीं बनाया। आखिर किसानों की मांगें क्या हैं? सरकार क्या कह रही है उन पर? 1. खेती से जुड़े तीनों कानून रद्द हों। किसानों के मुताबिक इससे कॉर्पोरेट घरानों को फायदा होगा। सरकार का रुखः कानून वापस नहीं ले सकते। संशोधन कर सकते हैं। 2. MSP का कानून बने, ताकि उचित दाम मिल सके। सरकार का रुखः आंदोलन खत्म करने को तैयार हैं, तो आश्वासन दे सकते हैं। 3. नया बिजली कानून न आए, क्योंकि इससे किसानों को बिजली पर मिलने वाली सब्सिडी खत्म हो जाएगी। सरकार का रुखः बिजली कानून 2003 ही लागू रहेगा। नया कानून नहीं आएगा। 4. पराली जलाने पर 5 साल तक की जेल और 1 करोड़ रुपए जुर्माने वाला प्रस्ताव वापस हो। सरकार का रुखः पराली जलाने पर किसी किसान को जेल नहीं होगी। सरकार इस प्रावधान को हटाने को राजी है। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें Kisan Andolan Hearing Explainer; Narendra Modi Govt Will Withdraw Farm Laws? | What Is Haryana Punjab Farmers Demand https://ift.tt/38t7zK6 Dainik Bhaskar किसानों के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई: क्या मसला सुलझेगा? कोर्ट कानून निरस्त कर सकता है?

किसान आंदोलन और कृषि कानूनों से जुड़े सभी मामलों की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में आज होगी। दरअसल, किसान आंदोलन से जुड़ी कई याचिकाएं कोर्ट में दा...
- January 11, 2021
किसान आंदोलन और कृषि कानूनों से जुड़े सभी मामलों की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में आज होगी। दरअसल, किसान आंदोलन से जुड़ी कई याचिकाएं कोर्ट में दायर हुई थीं। कुछ याचिकाओं में आंदोलन को खत्म करने की मांग की गई है, तो कई याचिकाओं में तीनों कानूनों को रद्द करने की। इन्हीं सब याचिकाओं पर अब चीफ जस्टिस एसए बोबड़े, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम की बेंच सुनवाई करेगी। इस मामले की आखिरी सुनवाई 17 दिसंबर को हुई थी। सवाल ये है कि क्या सुप्रीम कोर्ट से मसला सुलझ सकता है? आइए एक-एक करके इस मामले को पूरी तरह समझते हैं। सबसे पहले बात खेती से जुड़े उन 3 कानूनों की... 1. फार्मर्स प्रोड्यूस ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) एक्टः किसान सरकारी मंडियों (एपीएमसी) से बाहर फसल बेच सकते हैं। ऐसी खरीद-फरोख्त पर टैक्स नहीं लगेगा। 2. फार्मर्स (एम्पॉवरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑफ प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विस एक्टः किसान कॉन्ट्रैक्ट करके पहले से तय एक दाम पर अपनी फसल बेच सकते हैं। 3. एसेंशियल कमोडिटीज (अमेंडमेंट) एक्टः अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेल, आलू और प्याज को आवश्यक वस्तुओं की लिस्ट से बाहर कर दिया है। केवल युद्ध, भुखमरी, प्राकृतिक आपदा या बेहद महंगाई होने पर स्टॉक सीमा तय होगी। दो वजहें, सुप्रीम कोर्ट कैसे पहुंचा किसानों का मसला? पहलीः 26 नवंबर से किसान दिल्ली की सड़कों पर जमा हैं। उनकी वजह से आम लोगों को दिक्कतें हो रही हैं। इसको लेकर याचिकाएं दाखिल हुईं। इस पर कोर्ट ने कहा था कि जब तक कोई हिंसा नहीं होती, तब तक विरोध करना किसानों का अधिकार है। दूसरीः किसान संगठन तीनों कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हैं। इसको लेकर राजद से राज्यसभा सांसद मनोज झा, डीएमके से राज्यसभा सांसद तिरुचि सिवा और छत्तीसगढ़ किसान कांग्रेस के राकेश वैष्णव ने याचिका लगाई और मांग की कि कोर्ट सरकार को तीनों कानून रद्द करने का आदेश दे। अब बात सुप्रीम कोर्ट जाने पर क्या है सरकार और किसानों का रुख? सरकार का रुखः 8 जनवरी को किसान संगठनों और सरकार के बीच बात हुई। बातचीत के दौरान कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में इसी मामले को लेकर सुनवाई है। आप वहां बात रख सकते हैं। कोर्ट जो कहेगा, सब मान लेंगे। किसानों का रुखः किसान कोर्ट जाने के पक्ष में नहीं है। किसान तीनों कानून को रद्द करने की मांग पर अड़े हैं। ऑल इंडिया किसान सभा के जनरल सेक्रेटरी हन्नान मुल्ला का कहना है कि जब तक कानून वापस नहीं होगा, तब तक लड़ाई चलती रहेगी। किसान आंदोलन कर रहे किसान संगठन कौन से हैं? और किसान संगठन के चर्चित चेहरे कौन से हैं? जानें यहां अब सवाल क्या सुप्रीम कोर्ट से मसला सुलझ सकता है? किसान नेताओं का ये कहना है कि हमारी लड़ाई सीधे सरकार से ही। कानून की संवैधानिकता को तो हमने पहले भी चुनौती नहीं दी थी। उसको हम अभी भी चैलेंज नहीं कर रहे हैं। कोर्ट का काम सिर्फ इतना है कि कोई कानून संविधान के दायरे में है या नहीं, ये तय करना। हम खुद कोर्ट नहीं गए, इसलिए सुप्रीम कोर्ट उस पर क्या कहता है, इससे हमें फर्क नहीं पड़ता। हम बस ये चाहते हैं कि सरकार ये तीनों कानून वापस ले, क्योंकि ये कानून किसानों के लिए नहीं, बल्कि पूंजीपतियों के हित में हैं। क्या सुप्रीम कोर्ट सरकार को कानून वापस लेने को कह सकती है? इस बारे में संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप बताते हैं कि अगर सुप्रीम कोर्ट को ऐसा लगता है कि कानून संविधान के विरुद्ध है, संविधान की अवहेलना कर रहा है, तो वो कानून को निरस्त कर सकता है, लेकिन अगर संविधान के हिसाब से सही है, तो सुप्रीम कोर्ट को कुछ नहीं करना चाहिए। वहीं, हैदराबाद की नेशनल एकेडमी ऑफ लीगल स्टडीज एंड रिसर्च (NALSAR) यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ के वाइस चांसलर फैजान मुस्तफा बताते हैं कि अगर कोई संविधान के विरुद्ध है और मौलिक अधिकारों का हनन करता है, तो उसे सुप्रीम कोर्ट तो क्या, हाईकोर्ट में भी चैलेंज किया जा सकता है। फैजान बताते हैं कि सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट उस कानून को निरस्त कर सकता है। अगर सुप्रीम कोर्ट में कानून निरस्त, तो सरकार के पास क्या रास्ता बचा? इस बारे में फैजान मुस्तफा बताते हैं कि अगर सुप्रीम कोर्ट से कोई कानून निरस्त हो जाता है, तो सरकार चाहे तो दोबारा संसद से उस कानून को बना सकती है। हालांकि, ऐसा होने की संभावना बहुत ही कम होती है। वो बताते हैं कि 2014 में सरकार ने नेशनल ज्यूडिशियल अपॉइंटमेंट कमीशन बनाया था। इसके लिए कानून भी आया था और संविधान में संशोधन भी किया था। सुप्रीम कोर्ट ने कानून और संशोधन दोनों को ही निरस्त कर दिया था। उसके बाद सरकार ने इस पर कोई कानून नहीं बनाया। आखिर किसानों की मांगें क्या हैं? सरकार क्या कह रही है उन पर? 1. खेती से जुड़े तीनों कानून रद्द हों। किसानों के मुताबिक इससे कॉर्पोरेट घरानों को फायदा होगा। सरकार का रुखः कानून वापस नहीं ले सकते। संशोधन कर सकते हैं। 2. MSP का कानून बने, ताकि उचित दाम मिल सके। सरकार का रुखः आंदोलन खत्म करने को तैयार हैं, तो आश्वासन दे सकते हैं। 3. नया बिजली कानून न आए, क्योंकि इससे किसानों को बिजली पर मिलने वाली सब्सिडी खत्म हो जाएगी। सरकार का रुखः बिजली कानून 2003 ही लागू रहेगा। नया कानून नहीं आएगा। 4. पराली जलाने पर 5 साल तक की जेल और 1 करोड़ रुपए जुर्माने वाला प्रस्ताव वापस हो। सरकार का रुखः पराली जलाने पर किसी किसान को जेल नहीं होगी। सरकार इस प्रावधान को हटाने को राजी है। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें Kisan Andolan Hearing Explainer; Narendra Modi Govt Will Withdraw Farm Laws? | What Is Haryana Punjab Farmers Demand https://ift.tt/38t7zK6 Dainik Bhaskar किसानों के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई: क्या मसला सुलझेगा? कोर्ट कानून निरस्त कर सकता है? 

किसान आंदोलन और कृषि कानूनों से जुड़े सभी मामलों की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में आज होगी। दरअसल, किसान आंदोलन से जुड़ी कई याचिकाएं कोर्ट में दायर हुई थीं। कुछ याचिकाओं में आंदोलन को खत्म करने की मांग की गई है, तो कई याचिकाओं में तीनों कानूनों को रद्द करने की। इन्हीं सब याचिकाओं पर अब चीफ जस्टिस एसए बोबड़े, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम की बेंच सुनवाई करेगी। इस मामले की आखिरी सुनवाई 17 दिसंबर को हुई थी। सवाल ये है कि क्या सुप्रीम कोर्ट से मसला सुलझ सकता है?

आइए एक-एक करके इस मामले को पूरी तरह समझते हैं।

सबसे पहले बात खेती से जुड़े उन 3 कानूनों की...
1. फार्मर्स प्रोड्यूस ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) एक्टः किसान सरकारी मंडियों (एपीएमसी) से बाहर फसल बेच सकते हैं। ऐसी खरीद-फरोख्त पर टैक्स नहीं लगेगा।
2. फार्मर्स (एम्पॉवरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑफ प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विस एक्टः किसान कॉन्ट्रैक्ट करके पहले से तय एक दाम पर अपनी फसल बेच सकते हैं।
3. एसेंशियल कमोडिटीज (अमेंडमेंट) एक्टः अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेल, आलू और प्याज को आवश्यक वस्तुओं की लिस्ट से बाहर कर दिया है। केवल युद्ध, भुखमरी, प्राकृतिक आपदा या बेहद महंगाई होने पर स्टॉक सीमा तय होगी।

दो वजहें, सुप्रीम कोर्ट कैसे पहुंचा किसानों का मसला?
पहलीः 26 नवंबर से किसान दिल्ली की सड़कों पर जमा हैं। उनकी वजह से आम लोगों को दिक्कतें हो रही हैं। इसको लेकर याचिकाएं दाखिल हुईं। इस पर कोर्ट ने कहा था कि जब तक कोई हिंसा नहीं होती, तब तक विरोध करना किसानों का अधिकार है।

दूसरीः किसान संगठन तीनों कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हैं। इसको लेकर राजद से राज्यसभा सांसद मनोज झा, डीएमके से राज्यसभा सांसद तिरुचि सिवा और छत्तीसगढ़ किसान कांग्रेस के राकेश वैष्णव ने याचिका लगाई और मांग की कि कोर्ट सरकार को तीनों कानून रद्द करने का आदेश दे।

अब बात सुप्रीम कोर्ट जाने पर क्या है सरकार और किसानों का रुख?
सरकार का रुखः 8 जनवरी को किसान संगठनों और सरकार के बीच बात हुई। बातचीत के दौरान कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में इसी मामले को लेकर सुनवाई है। आप वहां बात रख सकते हैं। कोर्ट जो कहेगा, सब मान लेंगे।
किसानों का रुखः किसान कोर्ट जाने के पक्ष में नहीं है। किसान तीनों कानून को रद्द करने की मांग पर अड़े हैं। ऑल इंडिया किसान सभा के जनरल सेक्रेटरी हन्नान मुल्ला का कहना है कि जब तक कानून वापस नहीं होगा, तब तक लड़ाई चलती रहेगी।

किसान आंदोलन कर रहे किसान संगठन कौन से हैं? और किसान संगठन के चर्चित चेहरे कौन से हैं? जानें यहां

अब सवाल क्या सुप्रीम कोर्ट से मसला सुलझ सकता है?
किसान नेताओं का ये कहना है कि हमारी लड़ाई सीधे सरकार से ही। कानून की संवैधानिकता को तो हमने पहले भी चुनौती नहीं दी थी। उसको हम अभी भी चैलेंज नहीं कर रहे हैं। कोर्ट का काम सिर्फ इतना है कि कोई कानून संविधान के दायरे में है या नहीं, ये तय करना। हम खुद कोर्ट नहीं गए, इसलिए सुप्रीम कोर्ट उस पर क्या कहता है, इससे हमें फर्क नहीं पड़ता। हम बस ये चाहते हैं कि सरकार ये तीनों कानून वापस ले, क्योंकि ये कानून किसानों के लिए नहीं, बल्कि पूंजीपतियों के हित में हैं।

क्या सुप्रीम कोर्ट सरकार को कानून वापस लेने को कह सकती है?
इस बारे में संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप बताते हैं कि अगर सुप्रीम कोर्ट को ऐसा लगता है कि कानून संविधान के विरुद्ध है, संविधान की अवहेलना कर रहा है, तो वो कानून को निरस्त कर सकता है, लेकिन अगर संविधान के हिसाब से सही है, तो सुप्रीम कोर्ट को कुछ नहीं करना चाहिए।

वहीं, हैदराबाद की नेशनल एकेडमी ऑफ लीगल स्टडीज एंड रिसर्च (NALSAR) यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ के वाइस चांसलर फैजान मुस्तफा बताते हैं कि अगर कोई संविधान के विरुद्ध है और मौलिक अधिकारों का हनन करता है, तो उसे सुप्रीम कोर्ट तो क्या, हाईकोर्ट में भी चैलेंज किया जा सकता है। फैजान बताते हैं कि सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट उस कानून को निरस्त कर सकता है।

अगर सुप्रीम कोर्ट में कानून निरस्त, तो सरकार के पास क्या रास्ता बचा?
इस बारे में फैजान मुस्तफा बताते हैं कि अगर सुप्रीम कोर्ट से कोई कानून निरस्त हो जाता है, तो सरकार चाहे तो दोबारा संसद से उस कानून को बना सकती है। हालांकि, ऐसा होने की संभावना बहुत ही कम होती है।

वो बताते हैं कि 2014 में सरकार ने नेशनल ज्यूडिशियल अपॉइंटमेंट कमीशन बनाया था। इसके लिए कानून भी आया था और संविधान में संशोधन भी किया था। सुप्रीम कोर्ट ने कानून और संशोधन दोनों को ही निरस्त कर दिया था। उसके बाद सरकार ने इस पर कोई कानून नहीं बनाया।

आखिर किसानों की मांगें क्या हैं? सरकार क्या कह रही है उन पर?
1. खेती से जुड़े तीनों कानून रद्द हों। किसानों के मुताबिक इससे कॉर्पोरेट घरानों को फायदा होगा।
सरकार का रुखः कानून वापस नहीं ले सकते। संशोधन कर सकते हैं।

2. MSP का कानून बने, ताकि उचित दाम मिल सके।
सरकार का रुखः आंदोलन खत्म करने को तैयार हैं, तो आश्वासन दे सकते हैं।

3. नया बिजली कानून न आए, क्योंकि इससे किसानों को बिजली पर मिलने वाली सब्सिडी खत्म हो जाएगी।
सरकार का रुखः बिजली कानून 2003 ही लागू रहेगा। नया कानून नहीं आएगा।

4. पराली जलाने पर 5 साल तक की जेल और 1 करोड़ रुपए जुर्माने वाला प्रस्ताव वापस हो।
सरकार का रुखः पराली जलाने पर किसी किसान को जेल नहीं होगी। सरकार इस प्रावधान को हटाने को राजी है।

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Kisan Andolan Hearing Explainer; Narendra Modi Govt Will Withdraw Farm Laws? | What Is Haryana Punjab Farmers Demand

https://ift.tt/38t7zK6 Dainik Bhaskar किसानों के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई: क्या मसला सुलझेगा? कोर्ट कानून निरस्त कर सकता है? Reviewed by Manish Pethev on January 11, 2021 Rating: 5

बीते शुक्रवार किसानों की सरकार के साथ बातचीत एक बार फिर से विफल रही। अब 15 जनवरी को किसान नेता 9वीं बार केंद्रीय मंत्रियों से मिलेंगे। लेकिन इस बैठक को लेकर भी किसान नेताओं में कोई उत्साह नहीं है और करीब सभी किसान नेता ये मान रहे हैं कि अगली बैठक भी बेनतीजा ही रहने वाली है। ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि जब किसान नेताओं को इन बैठकों से समाधान की कोई उम्मीद ही नहीं है तो वे बैठक में शामिल ही क्यों हो रहे हैं? किसान नेता जोगिंदर सिंह उग्राहां इस सवाल पर कहते हैं, ‘शहीद भगत सिंह से भी ऐसे ही सवाल पूछे जाते थे कि जब आपको न्यायालय से न्याय मिलने को कोई उम्मीद नहीं है तो आप हर तारीख पर अदालत क्यों जा रहे हैं। तब भगत सिंह का जवाब होता था कि हम अदालत इसलिए जा रहे हैं ताकि पूरे देश की अवाम को अपनी आवाज पहुंचा सके। हम भी इन बैठकों में सिर्फ इसीलिए जा रहे हैं।’ इन बैठकों के बेनतीजा रह जाने के लिए सरकार को जिम्मेदार बताते हुए उग्राहां कहते हैं, ‘बातचीत हमारे कारण नहीं, बल्कि सरकार के कारण विफल हो रही हैं। हमारी मांग तो बहुत सीधी है कि तीनों कानूनों को रद्द किया जाए, उसके बिना हम वापस नहीं लौटेंगे। सरकार को ये बात हम कई बार बता चुके हैं, लेकिन फिर भी वो हर बार हमें बुलाती है और ये मांग नहीं मानती। वो अगली बार भी ऐसा ही करेंगे, लेकिन हम फिर भी बैठक में शामिल होंगे ताकि सरकार को बेनकाब कर सकें।’ किसान नेता जोगिंदर सिंह उग्राहां कहते हैं कि तीनों कानूनों को रद्द किया जाए, उसके बिना हम वापस नहीं लौटेंगे। किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी भी मानते हैं कि सरकार के साथ हो रही इस बातचीत से समाधान नहीं निकालने वाला है और 15 जनवरी को होने वाली वार्ता भी पूरी तरह से विफल होने जा रही है। इसके बावजूद भी बैठक में शामिल होने के बारे में वे कहते हैं, ‘सरकार ने पहले ही इस आंदोलन को बदनाम करने की बहुत कोशिश की है। कभी हमें खालिस्तानी कहा गया, कभी आतंकवादी कहा गया और कभी कहा कि हम नकली किसान हैं। हम अपनी तरफ से सरकार को ऐसा कोई मौका नहीं देना चाहते कि वो किसानों को बदनाम करे। इसीलिए हम बैठक में आते हैं। ऐसे में सरकार ये नहीं कह सकती है कि हम बातचीत के लिए तैयार हैं, पर किसान ही इससे पीछे हट रहे हैं। इसीलिए हम ये जानते हुए भी अगली बैठक में जाएंगे कि उस दिन भी समाधान तो नहीं होने वाला है।’ किसानों की सरकार से बातचीत इसलिए अटक गई है, क्योंकि किसान कानूनों के रद्द होने से कम पर मानने को तैयार नहीं हैं और सरकार कानूनों को रद्द करने के लिए तैयार नहीं है। ऐसे में सरकार लगातार ये प्रयास कर रही है कि बातचीत के जरिए कोई बीच का रास्ता निकाला जा सके। किसान नेता हन्नान मुल्ला कहते हैं, ‘ये कानून किसानों की मौत के वारंट हैं। इस पर कोई समझौता या बीच का रास्ता कैसे हो सकता है। मौत का वारंट तो रद्द ही किया जाता है, उसमें संशोधन नहीं होते। हम ये भी जानते हैं कि सरकार भी मानने वाली नहीं है। सरकार ने ये कानून उन लोगों के लिए बनाए हैं, जिनके पैसे से वो चुनाव जीते हैं, जिनके जहाजों में वो चुनावी रैली करते हैं। कानून वापस लेकर वो पूंजीपतियों को नाराज नहीं कर सकते। अगली बैठक में भी सरकार नहीं मानेगी, ये हम जानते हैं। इसलिए अपने संघर्ष को ऐसे आगे बढ़ा रहे हैं कि सबसे बेहतर नतीजों की उम्मीद करो, लेकिन सबसे बुरे नतीजों के लिए तैयार रहो।’ उत्तर प्रदेश के बड़े किसान नेता राकेश टिकैत कहते हैं कि सरकार इस आंदोलन को कमजोर करने के लिए ही तारीख पर तारीख दे रही है। बीते शुक्रवार को हुई बैठक में सरकार ने यह भी प्रस्ताव दिया है कि किसान चाहें तो सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं और वहां इन कानूनों को चुनौती दे सकते हैं। इस प्रस्ताव पर अखिल भारतीय किसान सभा के नेता मेजर सिंह कहते हैं, ‘कोर्ट की भूमिका कानूनों की समीक्षा करते हुए यह तय करने की है कि कोई कानून संविधान के दायरे में है या नहीं। हम तो कानूनों की संवैधानिकता को चुनौती दे ही नहीं रहे तो कोर्ट जाकर क्या करेंगे। कानून बनाना सरकार के अधिकार क्षेत्र में है, लेकिन वो कानून किसान हितैषी नहीं हैं इसलिए हमारी लड़ाई सरकार से है और जब तक हम ये लड़ाई जीतेंगे नहीं, तब तक सरकार से लड़ते रहेंगे।’ सरकार से हो रही बातचीत को भी इसी लड़ाई का हिस्सा मानते हुए उत्तर प्रदेश के बड़े किसान नेता राकेश टिकैत कहते हैं, ‘सरकार इस आंदोलन को कमजोर करने के लिए ही तारीख पर तारीख दे रही है। इनसे होना कुछ नहीं है। बस लोग बिना मुकदमे की तारीख झेल रहे हैं। अगली बैठक में भी यही होगा। सरकार को लगता है कि ऐसा करने से आंदोलन कमजोर होगा और जनता में ये संदेश जाएगा कि सरकार तो बात कर रही है, लेकिन किसान नहीं मान रहे। हम भी इसलिए बैठक से मना नहीं कर रहे, क्योंकि हम जनता को बताना चाहते हैं कि हम तो अपनी मांगों को लेकर बिलकुल स्पष्ट हैं और वो सरकार है, जो मान नहीं रही।' गतिरोध की यही स्थिति बनी रही तो बातचीत का औचित्य क्या रहेगा और ऐसा कब तक चलेगा? इस सवाल पर राकेश टिकैत कहते हैं, ‘फिलहाल तो यही समझ लीजिए की हम अगली बैठक के बहाने 26 जनवरी को होने वाली ट्रैक्टर परेड की रेकी कर लेंगे। उस दिन किसान मार्च निकलेगा। तब भी सरकार नहीं मानी तो आंदोलन चलता रहेगा। हम मई 2024 तक ये आंदोलन चलाएंगे, जब तक इस सरकार का कार्यकाल पूरा नहीं हो जाता।’ आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें 15 जनवरी को किसान नेता एक बार फिर केंद्रीय मंत्रियों से मिलेंगे। लेकिन इस बैठक को लेकर भी किसान नेताओं में कोई उत्साह नहीं है, वे मान रहे हैं कि अगली बैठक भी बेनतीजा ही रहने वाली है। https://ift.tt/3q62FZj Dainik Bhaskar किसान नेता बोले- हमेें पता है होना कुछ नहीं, पर सरकार को बेनकाब करने के लिए बैठक में जाएंगे

बीते शुक्रवार किसानों की सरकार के साथ बातचीत एक बार फिर से विफल रही। अब 15 जनवरी को किसान नेता 9वीं बार केंद्रीय मंत्रियों से मिलेंगे। लेकि...
- January 11, 2021
बीते शुक्रवार किसानों की सरकार के साथ बातचीत एक बार फिर से विफल रही। अब 15 जनवरी को किसान नेता 9वीं बार केंद्रीय मंत्रियों से मिलेंगे। लेकिन इस बैठक को लेकर भी किसान नेताओं में कोई उत्साह नहीं है और करीब सभी किसान नेता ये मान रहे हैं कि अगली बैठक भी बेनतीजा ही रहने वाली है। ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि जब किसान नेताओं को इन बैठकों से समाधान की कोई उम्मीद ही नहीं है तो वे बैठक में शामिल ही क्यों हो रहे हैं? किसान नेता जोगिंदर सिंह उग्राहां इस सवाल पर कहते हैं, ‘शहीद भगत सिंह से भी ऐसे ही सवाल पूछे जाते थे कि जब आपको न्यायालय से न्याय मिलने को कोई उम्मीद नहीं है तो आप हर तारीख पर अदालत क्यों जा रहे हैं। तब भगत सिंह का जवाब होता था कि हम अदालत इसलिए जा रहे हैं ताकि पूरे देश की अवाम को अपनी आवाज पहुंचा सके। हम भी इन बैठकों में सिर्फ इसीलिए जा रहे हैं।’ इन बैठकों के बेनतीजा रह जाने के लिए सरकार को जिम्मेदार बताते हुए उग्राहां कहते हैं, ‘बातचीत हमारे कारण नहीं, बल्कि सरकार के कारण विफल हो रही हैं। हमारी मांग तो बहुत सीधी है कि तीनों कानूनों को रद्द किया जाए, उसके बिना हम वापस नहीं लौटेंगे। सरकार को ये बात हम कई बार बता चुके हैं, लेकिन फिर भी वो हर बार हमें बुलाती है और ये मांग नहीं मानती। वो अगली बार भी ऐसा ही करेंगे, लेकिन हम फिर भी बैठक में शामिल होंगे ताकि सरकार को बेनकाब कर सकें।’ किसान नेता जोगिंदर सिंह उग्राहां कहते हैं कि तीनों कानूनों को रद्द किया जाए, उसके बिना हम वापस नहीं लौटेंगे। किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी भी मानते हैं कि सरकार के साथ हो रही इस बातचीत से समाधान नहीं निकालने वाला है और 15 जनवरी को होने वाली वार्ता भी पूरी तरह से विफल होने जा रही है। इसके बावजूद भी बैठक में शामिल होने के बारे में वे कहते हैं, ‘सरकार ने पहले ही इस आंदोलन को बदनाम करने की बहुत कोशिश की है। कभी हमें खालिस्तानी कहा गया, कभी आतंकवादी कहा गया और कभी कहा कि हम नकली किसान हैं। हम अपनी तरफ से सरकार को ऐसा कोई मौका नहीं देना चाहते कि वो किसानों को बदनाम करे। इसीलिए हम बैठक में आते हैं। ऐसे में सरकार ये नहीं कह सकती है कि हम बातचीत के लिए तैयार हैं, पर किसान ही इससे पीछे हट रहे हैं। इसीलिए हम ये जानते हुए भी अगली बैठक में जाएंगे कि उस दिन भी समाधान तो नहीं होने वाला है।’ किसानों की सरकार से बातचीत इसलिए अटक गई है, क्योंकि किसान कानूनों के रद्द होने से कम पर मानने को तैयार नहीं हैं और सरकार कानूनों को रद्द करने के लिए तैयार नहीं है। ऐसे में सरकार लगातार ये प्रयास कर रही है कि बातचीत के जरिए कोई बीच का रास्ता निकाला जा सके। किसान नेता हन्नान मुल्ला कहते हैं, ‘ये कानून किसानों की मौत के वारंट हैं। इस पर कोई समझौता या बीच का रास्ता कैसे हो सकता है। मौत का वारंट तो रद्द ही किया जाता है, उसमें संशोधन नहीं होते। हम ये भी जानते हैं कि सरकार भी मानने वाली नहीं है। सरकार ने ये कानून उन लोगों के लिए बनाए हैं, जिनके पैसे से वो चुनाव जीते हैं, जिनके जहाजों में वो चुनावी रैली करते हैं। कानून वापस लेकर वो पूंजीपतियों को नाराज नहीं कर सकते। अगली बैठक में भी सरकार नहीं मानेगी, ये हम जानते हैं। इसलिए अपने संघर्ष को ऐसे आगे बढ़ा रहे हैं कि सबसे बेहतर नतीजों की उम्मीद करो, लेकिन सबसे बुरे नतीजों के लिए तैयार रहो।’ उत्तर प्रदेश के बड़े किसान नेता राकेश टिकैत कहते हैं कि सरकार इस आंदोलन को कमजोर करने के लिए ही तारीख पर तारीख दे रही है। बीते शुक्रवार को हुई बैठक में सरकार ने यह भी प्रस्ताव दिया है कि किसान चाहें तो सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं और वहां इन कानूनों को चुनौती दे सकते हैं। इस प्रस्ताव पर अखिल भारतीय किसान सभा के नेता मेजर सिंह कहते हैं, ‘कोर्ट की भूमिका कानूनों की समीक्षा करते हुए यह तय करने की है कि कोई कानून संविधान के दायरे में है या नहीं। हम तो कानूनों की संवैधानिकता को चुनौती दे ही नहीं रहे तो कोर्ट जाकर क्या करेंगे। कानून बनाना सरकार के अधिकार क्षेत्र में है, लेकिन वो कानून किसान हितैषी नहीं हैं इसलिए हमारी लड़ाई सरकार से है और जब तक हम ये लड़ाई जीतेंगे नहीं, तब तक सरकार से लड़ते रहेंगे।’ सरकार से हो रही बातचीत को भी इसी लड़ाई का हिस्सा मानते हुए उत्तर प्रदेश के बड़े किसान नेता राकेश टिकैत कहते हैं, ‘सरकार इस आंदोलन को कमजोर करने के लिए ही तारीख पर तारीख दे रही है। इनसे होना कुछ नहीं है। बस लोग बिना मुकदमे की तारीख झेल रहे हैं। अगली बैठक में भी यही होगा। सरकार को लगता है कि ऐसा करने से आंदोलन कमजोर होगा और जनता में ये संदेश जाएगा कि सरकार तो बात कर रही है, लेकिन किसान नहीं मान रहे। हम भी इसलिए बैठक से मना नहीं कर रहे, क्योंकि हम जनता को बताना चाहते हैं कि हम तो अपनी मांगों को लेकर बिलकुल स्पष्ट हैं और वो सरकार है, जो मान नहीं रही।' गतिरोध की यही स्थिति बनी रही तो बातचीत का औचित्य क्या रहेगा और ऐसा कब तक चलेगा? इस सवाल पर राकेश टिकैत कहते हैं, ‘फिलहाल तो यही समझ लीजिए की हम अगली बैठक के बहाने 26 जनवरी को होने वाली ट्रैक्टर परेड की रेकी कर लेंगे। उस दिन किसान मार्च निकलेगा। तब भी सरकार नहीं मानी तो आंदोलन चलता रहेगा। हम मई 2024 तक ये आंदोलन चलाएंगे, जब तक इस सरकार का कार्यकाल पूरा नहीं हो जाता।’ आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें 15 जनवरी को किसान नेता एक बार फिर केंद्रीय मंत्रियों से मिलेंगे। लेकिन इस बैठक को लेकर भी किसान नेताओं में कोई उत्साह नहीं है, वे मान रहे हैं कि अगली बैठक भी बेनतीजा ही रहने वाली है। https://ift.tt/3q62FZj Dainik Bhaskar किसान नेता बोले- हमेें पता है होना कुछ नहीं, पर सरकार को बेनकाब करने के लिए बैठक में जाएंगे 

बीते शुक्रवार किसानों की सरकार के साथ बातचीत एक बार फिर से विफल रही। अब 15 जनवरी को किसान नेता 9वीं बार केंद्रीय मंत्रियों से मिलेंगे। लेकिन इस बैठक को लेकर भी किसान नेताओं में कोई उत्साह नहीं है और करीब सभी किसान नेता ये मान रहे हैं कि अगली बैठक भी बेनतीजा ही रहने वाली है।

ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि जब किसान नेताओं को इन बैठकों से समाधान की कोई उम्मीद ही नहीं है तो वे बैठक में शामिल ही क्यों हो रहे हैं? किसान नेता जोगिंदर सिंह उग्राहां इस सवाल पर कहते हैं, ‘शहीद भगत सिंह से भी ऐसे ही सवाल पूछे जाते थे कि जब आपको न्यायालय से न्याय मिलने को कोई उम्मीद नहीं है तो आप हर तारीख पर अदालत क्यों जा रहे हैं। तब भगत सिंह का जवाब होता था कि हम अदालत इसलिए जा रहे हैं ताकि पूरे देश की अवाम को अपनी आवाज पहुंचा सके। हम भी इन बैठकों में सिर्फ इसीलिए जा रहे हैं।’

इन बैठकों के बेनतीजा रह जाने के लिए सरकार को जिम्मेदार बताते हुए उग्राहां कहते हैं, ‘बातचीत हमारे कारण नहीं, बल्कि सरकार के कारण विफल हो रही हैं। हमारी मांग तो बहुत सीधी है कि तीनों कानूनों को रद्द किया जाए, उसके बिना हम वापस नहीं लौटेंगे। सरकार को ये बात हम कई बार बता चुके हैं, लेकिन फिर भी वो हर बार हमें बुलाती है और ये मांग नहीं मानती। वो अगली बार भी ऐसा ही करेंगे, लेकिन हम फिर भी बैठक में शामिल होंगे ताकि सरकार को बेनकाब कर सकें।’

किसान नेता जोगिंदर सिंह उग्राहां कहते हैं कि तीनों कानूनों को रद्द किया जाए, उसके बिना हम वापस नहीं लौटेंगे।

किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी भी मानते हैं कि सरकार के साथ हो रही इस बातचीत से समाधान नहीं निकालने वाला है और 15 जनवरी को होने वाली वार्ता भी पूरी तरह से विफल होने जा रही है। इसके बावजूद भी बैठक में शामिल होने के बारे में वे कहते हैं, ‘सरकार ने पहले ही इस आंदोलन को बदनाम करने की बहुत कोशिश की है। कभी हमें खालिस्तानी कहा गया, कभी आतंकवादी कहा गया और कभी कहा कि हम नकली किसान हैं। हम अपनी तरफ से सरकार को ऐसा कोई मौका नहीं देना चाहते कि वो किसानों को बदनाम करे। इसीलिए हम बैठक में आते हैं। ऐसे में सरकार ये नहीं कह सकती है कि हम बातचीत के लिए तैयार हैं, पर किसान ही इससे पीछे हट रहे हैं। इसीलिए हम ये जानते हुए भी अगली बैठक में जाएंगे कि उस दिन भी समाधान तो नहीं होने वाला है।’

किसानों की सरकार से बातचीत इसलिए अटक गई है, क्योंकि किसान कानूनों के रद्द होने से कम पर मानने को तैयार नहीं हैं और सरकार कानूनों को रद्द करने के लिए तैयार नहीं है। ऐसे में सरकार लगातार ये प्रयास कर रही है कि बातचीत के जरिए कोई बीच का रास्ता निकाला जा सके।

किसान नेता हन्नान मुल्ला कहते हैं, ‘ये कानून किसानों की मौत के वारंट हैं। इस पर कोई समझौता या बीच का रास्ता कैसे हो सकता है। मौत का वारंट तो रद्द ही किया जाता है, उसमें संशोधन नहीं होते। हम ये भी जानते हैं कि सरकार भी मानने वाली नहीं है। सरकार ने ये कानून उन लोगों के लिए बनाए हैं, जिनके पैसे से वो चुनाव जीते हैं, जिनके जहाजों में वो चुनावी रैली करते हैं। कानून वापस लेकर वो पूंजीपतियों को नाराज नहीं कर सकते। अगली बैठक में भी सरकार नहीं मानेगी, ये हम जानते हैं। इसलिए अपने संघर्ष को ऐसे आगे बढ़ा रहे हैं कि सबसे बेहतर नतीजों की उम्मीद करो, लेकिन सबसे बुरे नतीजों के लिए तैयार रहो।’

उत्तर प्रदेश के बड़े किसान नेता राकेश टिकैत कहते हैं कि सरकार इस आंदोलन को कमजोर करने के लिए ही तारीख पर तारीख दे रही है।

बीते शुक्रवार को हुई बैठक में सरकार ने यह भी प्रस्ताव दिया है कि किसान चाहें तो सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं और वहां इन कानूनों को चुनौती दे सकते हैं। इस प्रस्ताव पर अखिल भारतीय किसान सभा के नेता मेजर सिंह कहते हैं, ‘कोर्ट की भूमिका कानूनों की समीक्षा करते हुए यह तय करने की है कि कोई कानून संविधान के दायरे में है या नहीं। हम तो कानूनों की संवैधानिकता को चुनौती दे ही नहीं रहे तो कोर्ट जाकर क्या करेंगे। कानून बनाना सरकार के अधिकार क्षेत्र में है, लेकिन वो कानून किसान हितैषी नहीं हैं इसलिए हमारी लड़ाई सरकार से है और जब तक हम ये लड़ाई जीतेंगे नहीं, तब तक सरकार से लड़ते रहेंगे।’

सरकार से हो रही बातचीत को भी इसी लड़ाई का हिस्सा मानते हुए उत्तर प्रदेश के बड़े किसान नेता राकेश टिकैत कहते हैं, ‘सरकार इस आंदोलन को कमजोर करने के लिए ही तारीख पर तारीख दे रही है। इनसे होना कुछ नहीं है। बस लोग बिना मुकदमे की तारीख झेल रहे हैं। अगली बैठक में भी यही होगा। सरकार को लगता है कि ऐसा करने से आंदोलन कमजोर होगा और जनता में ये संदेश जाएगा कि सरकार तो बात कर रही है, लेकिन किसान नहीं मान रहे। हम भी इसलिए बैठक से मना नहीं कर रहे, क्योंकि हम जनता को बताना चाहते हैं कि हम तो अपनी मांगों को लेकर बिलकुल स्पष्ट हैं और वो सरकार है, जो मान नहीं रही।'

गतिरोध की यही स्थिति बनी रही तो बातचीत का औचित्य क्या रहेगा और ऐसा कब तक चलेगा? इस सवाल पर राकेश टिकैत कहते हैं, ‘फिलहाल तो यही समझ लीजिए की हम अगली बैठक के बहाने 26 जनवरी को होने वाली ट्रैक्टर परेड की रेकी कर लेंगे। उस दिन किसान मार्च निकलेगा। तब भी सरकार नहीं मानी तो आंदोलन चलता रहेगा। हम मई 2024 तक ये आंदोलन चलाएंगे, जब तक इस सरकार का कार्यकाल पूरा नहीं हो जाता।’

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15 जनवरी को किसान नेता एक बार फिर केंद्रीय मंत्रियों से मिलेंगे। लेकिन इस बैठक को लेकर भी किसान नेताओं में कोई उत्साह नहीं है, वे मान रहे हैं कि अगली बैठक भी बेनतीजा ही रहने वाली है।

https://ift.tt/3q62FZj Dainik Bhaskar किसान नेता बोले- हमेें पता है होना कुछ नहीं, पर सरकार को बेनकाब करने के लिए बैठक में जाएंगे Reviewed by Manish Pethev on January 11, 2021 Rating: 5

क्या आप लगातार घर से ऑफिस का काम या पढ़ाई कर रहे हैं? यदि हां, तो दो बार सोचिए, क्योंकि आप कोरोना से तो बच सकते हैं, लेकिन कुछ ऐसी बीमारियों की गिरफ्त में आ सकते हैं, जो आपको जिंदगीभर परेशान कर सकती हैं। एक स्टडी के मुताबिक, दुनियाभर में वर्क फ्रॉम होम करने वाले आधे से ज्यादा व्यस्क जॉब और घर के काम में बैलेंस बनाने के चक्कर में एंग्जाइटी की चपेट में आ चुके हैं। एस्टर डीएम हेल्थकेयर की डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर अलीशा मोपेन ने वर्क फ्रॉम होम करने वाले लोगों से जुड़ी 5 खतरनाक चीजें आइडेंटिफाई की हैं। उन्होंने इसे “DEMON” यानी भूत या पिशाच नाम दिया है। DEMON के सभी 5 वर्ड अलग-अलग खतरे के बारे में बताते हैं। मोपेन के मुताबिक- जो लोग लॉकडाउन या आइसोलेशन के चलते वर्क फ्रॉम होम हैं या स्टडी फ्रॉम होम हैं, उन्हें समय रहते DEMON से छुटकारा पाने का तरीका ढूंढना होगा, नहीं तो ये 5 समस्याएं जिंदगीभर के लिए मुसीबत बन सकती हैं। हमारी जिंदगी लंबी है, इसलिए जरूरत इस बात की है कि हम अपने घरों में दुबके हुए DEMON यानी पिशाच को पहचानें और उससे दूर रहें। आइए जानते हैं DEMON को और उससे छुटकारा पाने के तरीकों के बारे में- डिवाइस एडिक्शन- नोमोफोबिया से बचना है तो डिजिटल डिटॉक्स है जरूरी कोरोना आने के साथ ही हम बड़ी तेजी के साथ फिजिकल वर्ल्ड से डिजिटल वर्ल्ड में दाखिल हुए और अब इसकी कीमत चुका रहे हैं। इलेक्ट्रानिक डिवाइसेज ने हमारे काम, पढ़ाई और कम्युनिकेशन को तो आसान बनाया है, लेकिन दोस्तों और परिवार से फिजिकली तौर पर दूर कर दिया है। अब हम पहले से कहीं ज्यादा स्क्रीन पर निर्भर हैं। 2021 में जूम पर डेली मीटिंग करने वाले यूजर्स की संख्या 30 करोड़ तक पहुंच सकती है। माइक्रोसॉफ्ट को उम्मीद है कि इस साल यूजर्स एक दिन में 30 बिलियन मिनट तक उसके प्लेटफार्म का इस्तेमाल कर सकते हैं। नेटफ्लिक्स ने साल के पहले छह महीने में 2.6 करोड़ सब्सक्राइबर को जोड़ने का लक्ष्य रखा है। गूगल क्लासरूम को उम्मीद है कि उसके यूजर्स पिछले साल से दोगुना हो जाएंगे। इस तरह हम धीरे-धीरे अपनी बुनियादी जरूरतों के लिए ऐसी तमाम कंपनियों के ऐप और प्लेटफार्म पर निर्भर होते जा रहे हैं। "नोमोफोबिया" या बिना मोबाइल के रहने पर होने वाला डर, ये 2020 में दुनिया में और ज्यादा बढ़ गया है। ऐसी स्थिति में डिजिटल डिटॉक्स यानी थोड़े-थोड़े समय के लिए खुद को स्मार्ट डिवाइस से दूर रखने की तरकीब ही हमें सेफ रख सकती है। आई स्ट्रेन- स्क्रीन टाइम कम करें डिवाइस एडिक्शन और स्क्रीन टाइम बढ़ने से हमारी आंखों पर जोर बढ़ गया है, इसी के चलते आंखों से जुड़ी कई तरह की समस्याएं भी सामने आ रही हैं। ऑनलाइन लर्निंग, गेमिंग और इंटरटेनमेंट से बच्चों में मायोपिया यानी निकट दृष्टि दोष की समस्या पैदा हो रही है। दुनियाभर में 6 से 19 साल तक के बच्चों में मायोपिया के मामले काफी बढ़ गए हैं। यूरोप और उत्तरी अमेरिका में 40% बच्चों में मायोपिया की समस्या देखने को मिली है। एशियाई बच्चों में भी ये समस्या है। व्यस्क लोग कम्प्युटर विजन सिंड्रोम या डिजिटल आई स्ट्रेन की समस्या से जूझ रहे हैं। इसके सिंप्टम्स आंखों का सूखना, लगातार सिर दर्द होना, कम या धुंधला दिखाई देना हैं। इससे बचने के लिए आपको रेगुलर आई चेकअप कराना होगा। स्क्रीन टाइम के दौरान हर 20 मिनट पर आपको नजर फेरना चाहिए, इसके लिए 20 फीट की दूरी पर स्थिति किसी चीज को देख सकते हैं। साथ ही जितना संभव हो स्क्रीन टाइम को कम करें। मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम्स- दिनचर्या में सेल्फ केयर स्ट्रेटजी को शामिल करें दुनिया में तीसरी बड़ी समस्या जो उभर के आई है, वे यह है कि बड़ी संख्या में लोग मानसिक रूप से बीमार हो रहे हैं। 2020 में यह समस्या हर ऐज ग्रुप के लोगों में देखने को मिली। बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स अपने साथियों और टीचर से नहीं मिल पाने और भविष्य को लेकर एंग्जाइटी के शिकार हुए हैं। दुनिया के आधे से ज्यादा वर्किंग एडल्ट जॉब सिक्युरिटी को लेकर एंग्जाइटी के शिकार हैं। इसके अलावा जॉब, काम का पैटर्न और रूटीन बदलने से भी लोग तनाव में काम करने को मजबूर हैं। WHO के मुताबिक आने वाले दिनों और सालों में लोगों को मेंटल हेल्थ और साइकोलॉजिकल सपोर्ट की बहुत जरूरत पड़ने वाली है। इसलिए हमें अपनी रोज की दिनचर्या में सेल्फ केयर स्ट्रेटजी को शामिल करने की जरूरत है, ताकि हमारा मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य बेहतर रहे। रूटीन ब्रेक न हो, इसके लिए हमें कुछ आसान और प्रभावी कदम भी उठाने होंगे, जैसे- निगेटिव न्यूज मीडिया से रहें, पॉजिटिव चीजों पर फोकस करें, प्राथमिकताओं को तय करें और व्यस्त रहें, परिवार के लोगों से जुड़े रहें। ओबेसिटी- बचना है तो खुद को संयमित करें कोरोना के पहले से ही मोटापा दुनिया की बड़ी समस्या रही है, लेकिन पिछले साल ये और बड़ी हो गई। मोटापे के पीछे कई तरह के फैक्टर काम करते हैं, जैसे- ज्यादा कैलोरी वाले फूड, अधिक स्क्रीन टाइम, फिजिकल एक्टीविटीज का कम होना और सस्ते नॉन-फिजिकल एंटरटेनमेंट आदि। दरअसल, स्टे ऐट होम, क्वारैंटाइन, लॉकडाउन जैसी चीजों के चलते घर से निकलना बिल्कुल कम हो गया और लोग मोटापे के शिकार हो रहे हैं। घर पर रहने से आप कुछ समय के लिए तो सेफ रह सकते हैं, लेकिन लंबे समय तक रहने वाली बीमारियों के चपेट में आ सकते हैं- जैसे डाइबिटीज, हाइपरटेंशन आदि। इससे बचने के लिए हमें हर दिन 8 घंटे की नींद लेना चाहिए, नियमित व्यायाम (भले ही घर पर करें), संतुलित और स्वस्थ खान-पान करें, तंबाकू और शराब से परहेज करना चाहिए। इसके अलावा आराम के लिए और खुद को रिचार्ज करने के लिए कुछ समय निकालना चाहिए। नेक और बैक पेन- खड़े होकर काम करें या आरामदायक कुर्सी खरीदें घर पर घंटों लगातार पढ़ाई और ऑफिस का काम करने से गर्दन और कमर दर्द की समस्याएं आम हो गई हैं। दरअसल, गर्दन और कमर को बहुत कम हिलाने-डुलाने से ये दर्द और असहजता पैदा हो रही है। यदि इसे यूं ही जारी रखते हैं तो आगे यह समस्या आपको हमेशा के लिए हो सकती है और फिर इलाज के लिए डॉक्टरों के चक्कर लगाने को मजबूर होंगे। इसके कुछ समाधान हैं, जैसे आप खड़े होकर टेबल पर अपना काम करें या ऐसी कुर्सी खरीदें जिसपर बैठने से कमर को अच्छा सपोर्ट मिले, आप अपनी बाहों, गर्दन और कमर को स्ट्रेच कर सकें। इसके अलावा छोटे ब्रेक भी ले सकते हैं, यह एकबार में एक घंटे के लिए भी हो सकता है। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें Online Work From Home or Study; How to Get Rid of DEMON https://ift.tt/39nIRdc Dainik Bhaskar लगातार घर से काम और पढ़ाई करके आप DEMON के शिकार हो रहे हैं, जानिए ये क्या है और कैसे बचें

क्या आप लगातार घर से ऑफिस का काम या पढ़ाई कर रहे हैं? यदि हां, तो दो बार सोचिए, क्योंकि आप कोरोना से तो बच सकते हैं, लेकिन कुछ ऐसी बीमारियों...
- January 11, 2021
क्या आप लगातार घर से ऑफिस का काम या पढ़ाई कर रहे हैं? यदि हां, तो दो बार सोचिए, क्योंकि आप कोरोना से तो बच सकते हैं, लेकिन कुछ ऐसी बीमारियों की गिरफ्त में आ सकते हैं, जो आपको जिंदगीभर परेशान कर सकती हैं। एक स्टडी के मुताबिक, दुनियाभर में वर्क फ्रॉम होम करने वाले आधे से ज्यादा व्यस्क जॉब और घर के काम में बैलेंस बनाने के चक्कर में एंग्जाइटी की चपेट में आ चुके हैं। एस्टर डीएम हेल्थकेयर की डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर अलीशा मोपेन ने वर्क फ्रॉम होम करने वाले लोगों से जुड़ी 5 खतरनाक चीजें आइडेंटिफाई की हैं। उन्होंने इसे “DEMON” यानी भूत या पिशाच नाम दिया है। DEMON के सभी 5 वर्ड अलग-अलग खतरे के बारे में बताते हैं। मोपेन के मुताबिक- जो लोग लॉकडाउन या आइसोलेशन के चलते वर्क फ्रॉम होम हैं या स्टडी फ्रॉम होम हैं, उन्हें समय रहते DEMON से छुटकारा पाने का तरीका ढूंढना होगा, नहीं तो ये 5 समस्याएं जिंदगीभर के लिए मुसीबत बन सकती हैं। हमारी जिंदगी लंबी है, इसलिए जरूरत इस बात की है कि हम अपने घरों में दुबके हुए DEMON यानी पिशाच को पहचानें और उससे दूर रहें। आइए जानते हैं DEMON को और उससे छुटकारा पाने के तरीकों के बारे में- डिवाइस एडिक्शन- नोमोफोबिया से बचना है तो डिजिटल डिटॉक्स है जरूरी कोरोना आने के साथ ही हम बड़ी तेजी के साथ फिजिकल वर्ल्ड से डिजिटल वर्ल्ड में दाखिल हुए और अब इसकी कीमत चुका रहे हैं। इलेक्ट्रानिक डिवाइसेज ने हमारे काम, पढ़ाई और कम्युनिकेशन को तो आसान बनाया है, लेकिन दोस्तों और परिवार से फिजिकली तौर पर दूर कर दिया है। अब हम पहले से कहीं ज्यादा स्क्रीन पर निर्भर हैं। 2021 में जूम पर डेली मीटिंग करने वाले यूजर्स की संख्या 30 करोड़ तक पहुंच सकती है। माइक्रोसॉफ्ट को उम्मीद है कि इस साल यूजर्स एक दिन में 30 बिलियन मिनट तक उसके प्लेटफार्म का इस्तेमाल कर सकते हैं। नेटफ्लिक्स ने साल के पहले छह महीने में 2.6 करोड़ सब्सक्राइबर को जोड़ने का लक्ष्य रखा है। गूगल क्लासरूम को उम्मीद है कि उसके यूजर्स पिछले साल से दोगुना हो जाएंगे। इस तरह हम धीरे-धीरे अपनी बुनियादी जरूरतों के लिए ऐसी तमाम कंपनियों के ऐप और प्लेटफार्म पर निर्भर होते जा रहे हैं। "नोमोफोबिया" या बिना मोबाइल के रहने पर होने वाला डर, ये 2020 में दुनिया में और ज्यादा बढ़ गया है। ऐसी स्थिति में डिजिटल डिटॉक्स यानी थोड़े-थोड़े समय के लिए खुद को स्मार्ट डिवाइस से दूर रखने की तरकीब ही हमें सेफ रख सकती है। आई स्ट्रेन- स्क्रीन टाइम कम करें डिवाइस एडिक्शन और स्क्रीन टाइम बढ़ने से हमारी आंखों पर जोर बढ़ गया है, इसी के चलते आंखों से जुड़ी कई तरह की समस्याएं भी सामने आ रही हैं। ऑनलाइन लर्निंग, गेमिंग और इंटरटेनमेंट से बच्चों में मायोपिया यानी निकट दृष्टि दोष की समस्या पैदा हो रही है। दुनियाभर में 6 से 19 साल तक के बच्चों में मायोपिया के मामले काफी बढ़ गए हैं। यूरोप और उत्तरी अमेरिका में 40% बच्चों में मायोपिया की समस्या देखने को मिली है। एशियाई बच्चों में भी ये समस्या है। व्यस्क लोग कम्प्युटर विजन सिंड्रोम या डिजिटल आई स्ट्रेन की समस्या से जूझ रहे हैं। इसके सिंप्टम्स आंखों का सूखना, लगातार सिर दर्द होना, कम या धुंधला दिखाई देना हैं। इससे बचने के लिए आपको रेगुलर आई चेकअप कराना होगा। स्क्रीन टाइम के दौरान हर 20 मिनट पर आपको नजर फेरना चाहिए, इसके लिए 20 फीट की दूरी पर स्थिति किसी चीज को देख सकते हैं। साथ ही जितना संभव हो स्क्रीन टाइम को कम करें। मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम्स- दिनचर्या में सेल्फ केयर स्ट्रेटजी को शामिल करें दुनिया में तीसरी बड़ी समस्या जो उभर के आई है, वे यह है कि बड़ी संख्या में लोग मानसिक रूप से बीमार हो रहे हैं। 2020 में यह समस्या हर ऐज ग्रुप के लोगों में देखने को मिली। बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स अपने साथियों और टीचर से नहीं मिल पाने और भविष्य को लेकर एंग्जाइटी के शिकार हुए हैं। दुनिया के आधे से ज्यादा वर्किंग एडल्ट जॉब सिक्युरिटी को लेकर एंग्जाइटी के शिकार हैं। इसके अलावा जॉब, काम का पैटर्न और रूटीन बदलने से भी लोग तनाव में काम करने को मजबूर हैं। WHO के मुताबिक आने वाले दिनों और सालों में लोगों को मेंटल हेल्थ और साइकोलॉजिकल सपोर्ट की बहुत जरूरत पड़ने वाली है। इसलिए हमें अपनी रोज की दिनचर्या में सेल्फ केयर स्ट्रेटजी को शामिल करने की जरूरत है, ताकि हमारा मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य बेहतर रहे। रूटीन ब्रेक न हो, इसके लिए हमें कुछ आसान और प्रभावी कदम भी उठाने होंगे, जैसे- निगेटिव न्यूज मीडिया से रहें, पॉजिटिव चीजों पर फोकस करें, प्राथमिकताओं को तय करें और व्यस्त रहें, परिवार के लोगों से जुड़े रहें। ओबेसिटी- बचना है तो खुद को संयमित करें कोरोना के पहले से ही मोटापा दुनिया की बड़ी समस्या रही है, लेकिन पिछले साल ये और बड़ी हो गई। मोटापे के पीछे कई तरह के फैक्टर काम करते हैं, जैसे- ज्यादा कैलोरी वाले फूड, अधिक स्क्रीन टाइम, फिजिकल एक्टीविटीज का कम होना और सस्ते नॉन-फिजिकल एंटरटेनमेंट आदि। दरअसल, स्टे ऐट होम, क्वारैंटाइन, लॉकडाउन जैसी चीजों के चलते घर से निकलना बिल्कुल कम हो गया और लोग मोटापे के शिकार हो रहे हैं। घर पर रहने से आप कुछ समय के लिए तो सेफ रह सकते हैं, लेकिन लंबे समय तक रहने वाली बीमारियों के चपेट में आ सकते हैं- जैसे डाइबिटीज, हाइपरटेंशन आदि। इससे बचने के लिए हमें हर दिन 8 घंटे की नींद लेना चाहिए, नियमित व्यायाम (भले ही घर पर करें), संतुलित और स्वस्थ खान-पान करें, तंबाकू और शराब से परहेज करना चाहिए। इसके अलावा आराम के लिए और खुद को रिचार्ज करने के लिए कुछ समय निकालना चाहिए। नेक और बैक पेन- खड़े होकर काम करें या आरामदायक कुर्सी खरीदें घर पर घंटों लगातार पढ़ाई और ऑफिस का काम करने से गर्दन और कमर दर्द की समस्याएं आम हो गई हैं। दरअसल, गर्दन और कमर को बहुत कम हिलाने-डुलाने से ये दर्द और असहजता पैदा हो रही है। यदि इसे यूं ही जारी रखते हैं तो आगे यह समस्या आपको हमेशा के लिए हो सकती है और फिर इलाज के लिए डॉक्टरों के चक्कर लगाने को मजबूर होंगे। इसके कुछ समाधान हैं, जैसे आप खड़े होकर टेबल पर अपना काम करें या ऐसी कुर्सी खरीदें जिसपर बैठने से कमर को अच्छा सपोर्ट मिले, आप अपनी बाहों, गर्दन और कमर को स्ट्रेच कर सकें। इसके अलावा छोटे ब्रेक भी ले सकते हैं, यह एकबार में एक घंटे के लिए भी हो सकता है। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें Online Work From Home or Study; How to Get Rid of DEMON https://ift.tt/39nIRdc Dainik Bhaskar लगातार घर से काम और पढ़ाई करके आप DEMON के शिकार हो रहे हैं, जानिए ये क्या है और कैसे बचें 

क्या आप लगातार घर से ऑफिस का काम या पढ़ाई कर रहे हैं? यदि हां, तो दो बार सोचिए, क्योंकि आप कोरोना से तो बच सकते हैं, लेकिन कुछ ऐसी बीमारियों की गिरफ्त में आ सकते हैं, जो आपको जिंदगीभर परेशान कर सकती हैं।

एक स्टडी के मुताबिक, दुनियाभर में वर्क फ्रॉम होम करने वाले आधे से ज्यादा व्यस्क जॉब और घर के काम में बैलेंस बनाने के चक्कर में एंग्जाइटी की चपेट में आ चुके हैं। एस्टर डीएम हेल्थकेयर की डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर अलीशा मोपेन ने वर्क फ्रॉम होम करने वाले लोगों से जुड़ी 5 खतरनाक चीजें आइडेंटिफाई की हैं। उन्होंने इसे “DEMON” यानी भूत या पिशाच नाम दिया है। DEMON के सभी 5 वर्ड अलग-अलग खतरे के बारे में बताते हैं।

मोपेन के मुताबिक- जो लोग लॉकडाउन या आइसोलेशन के चलते वर्क फ्रॉम होम हैं या स्टडी फ्रॉम होम हैं, उन्हें समय रहते DEMON से छुटकारा पाने का तरीका ढूंढना होगा, नहीं तो ये 5 समस्याएं जिंदगीभर के लिए मुसीबत बन सकती हैं। हमारी जिंदगी लंबी है, इसलिए जरूरत इस बात की है कि हम अपने घरों में दुबके हुए DEMON यानी पिशाच को पहचानें और उससे दूर रहें।

आइए जानते हैं DEMON को और उससे छुटकारा पाने के तरीकों के बारे में-

डिवाइस एडिक्शन-

नोमोफोबिया से बचना है तो डिजिटल डिटॉक्स है जरूरी

कोरोना आने के साथ ही हम बड़ी तेजी के साथ फिजिकल वर्ल्ड से डिजिटल वर्ल्ड में दाखिल हुए और अब इसकी कीमत चुका रहे हैं। इलेक्ट्रानिक डिवाइसेज ने हमारे काम, पढ़ाई और कम्युनिकेशन को तो आसान बनाया है, लेकिन दोस्तों और परिवार से फिजिकली तौर पर दूर कर दिया है। अब हम पहले से कहीं ज्यादा स्क्रीन पर निर्भर हैं। 2021 में जूम पर डेली मीटिंग करने वाले यूजर्स की संख्या 30 करोड़ तक पहुंच सकती है। माइक्रोसॉफ्ट को उम्मीद है कि इस साल यूजर्स एक दिन में 30 बिलियन मिनट तक उसके प्लेटफार्म का इस्तेमाल कर सकते हैं।

नेटफ्लिक्स ने साल के पहले छह महीने में 2.6 करोड़ सब्सक्राइबर को जोड़ने का लक्ष्य रखा है। गूगल क्लासरूम को उम्मीद है कि उसके यूजर्स पिछले साल से दोगुना हो जाएंगे। इस तरह हम धीरे-धीरे अपनी बुनियादी जरूरतों के लिए ऐसी तमाम कंपनियों के ऐप और प्लेटफार्म पर निर्भर होते जा रहे हैं। "नोमोफोबिया" या बिना मोबाइल के रहने पर होने वाला डर, ये 2020 में दुनिया में और ज्यादा बढ़ गया है। ऐसी स्थिति में डिजिटल डिटॉक्स यानी थोड़े-थोड़े समय के लिए खुद को स्मार्ट डिवाइस से दूर रखने की तरकीब ही हमें सेफ रख सकती है।

आई स्ट्रेन-

स्क्रीन टाइम कम करें

डिवाइस एडिक्शन और स्क्रीन टाइम बढ़ने से हमारी आंखों पर जोर बढ़ गया है, इसी के चलते आंखों से जुड़ी कई तरह की समस्याएं भी सामने आ रही हैं। ऑनलाइन लर्निंग, गेमिंग और इंटरटेनमेंट से बच्चों में मायोपिया यानी निकट दृष्टि दोष की समस्या पैदा हो रही है। दुनियाभर में 6 से 19 साल तक के बच्चों में मायोपिया के मामले काफी बढ़ गए हैं। यूरोप और उत्तरी अमेरिका में 40% बच्चों में मायोपिया की समस्या देखने को मिली है। एशियाई बच्चों में भी ये समस्या है।

व्यस्क लोग कम्प्युटर विजन सिंड्रोम या डिजिटल आई स्ट्रेन की समस्या से जूझ रहे हैं। इसके सिंप्टम्स आंखों का सूखना, लगातार सिर दर्द होना, कम या धुंधला दिखाई देना हैं। इससे बचने के लिए आपको रेगुलर आई चेकअप कराना होगा। स्क्रीन टाइम के दौरान हर 20 मिनट पर आपको नजर फेरना चाहिए, इसके लिए 20 फीट की दूरी पर स्थिति किसी चीज को देख सकते हैं। साथ ही जितना संभव हो स्क्रीन टाइम को कम करें।

मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम्स-

दिनचर्या में सेल्फ केयर स्ट्रेटजी को शामिल करें

दुनिया में तीसरी बड़ी समस्या जो उभर के आई है, वे यह है कि बड़ी संख्या में लोग मानसिक रूप से बीमार हो रहे हैं। 2020 में यह समस्या हर ऐज ग्रुप के लोगों में देखने को मिली। बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स अपने साथियों और टीचर से नहीं मिल पाने और भविष्य को लेकर एंग्जाइटी के शिकार हुए हैं। दुनिया के आधे से ज्यादा वर्किंग एडल्ट जॉब सिक्युरिटी को लेकर एंग्जाइटी के शिकार हैं। इसके अलावा जॉब, काम का पैटर्न और रूटीन बदलने से भी लोग तनाव में काम करने को मजबूर हैं।

WHO के मुताबिक आने वाले दिनों और सालों में लोगों को मेंटल हेल्थ और साइकोलॉजिकल सपोर्ट की बहुत जरूरत पड़ने वाली है। इसलिए हमें अपनी रोज की दिनचर्या में सेल्फ केयर स्ट्रेटजी को शामिल करने की जरूरत है, ताकि हमारा मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य बेहतर रहे। रूटीन ब्रेक न हो, इसके लिए हमें कुछ आसान और प्रभावी कदम भी उठाने होंगे, जैसे- निगेटिव न्यूज मीडिया से रहें, पॉजिटिव चीजों पर फोकस करें, प्राथमिकताओं को तय करें और व्यस्त रहें, परिवार के लोगों से जुड़े रहें।

ओबेसिटी-

बचना है तो खुद को संयमित करें

कोरोना के पहले से ही मोटापा दुनिया की बड़ी समस्या रही है, लेकिन पिछले साल ये और बड़ी हो गई। मोटापे के पीछे कई तरह के फैक्टर काम करते हैं, जैसे- ज्यादा कैलोरी वाले फूड, अधिक स्क्रीन टाइम, फिजिकल एक्टीविटीज का कम होना और सस्ते नॉन-फिजिकल एंटरटेनमेंट आदि।

दरअसल, स्टे ऐट होम, क्वारैंटाइन, लॉकडाउन जैसी चीजों के चलते घर से निकलना बिल्कुल कम हो गया और लोग मोटापे के शिकार हो रहे हैं। घर पर रहने से आप कुछ समय के लिए तो सेफ रह सकते हैं, लेकिन लंबे समय तक रहने वाली बीमारियों के चपेट में आ सकते हैं- जैसे डाइबिटीज, हाइपरटेंशन आदि।

इससे बचने के लिए हमें हर दिन 8 घंटे की नींद लेना चाहिए, नियमित व्यायाम (भले ही घर पर करें), संतुलित और स्वस्थ खान-पान करें, तंबाकू और शराब से परहेज करना चाहिए। इसके अलावा आराम के लिए और खुद को रिचार्ज करने के लिए कुछ समय निकालना चाहिए।

नेक और बैक पेन-

खड़े होकर काम करें या आरामदायक कुर्सी खरीदें

घर पर घंटों लगातार पढ़ाई और ऑफिस का काम करने से गर्दन और कमर दर्द की समस्याएं आम हो गई हैं। दरअसल, गर्दन और कमर को बहुत कम हिलाने-डुलाने से ये दर्द और असहजता पैदा हो रही है। यदि इसे यूं ही जारी रखते हैं तो आगे यह समस्या आपको हमेशा के लिए हो सकती है और फिर इलाज के लिए डॉक्टरों के चक्कर लगाने को मजबूर होंगे।

इसके कुछ समाधान हैं, जैसे आप खड़े होकर टेबल पर अपना काम करें या ऐसी कुर्सी खरीदें जिसपर बैठने से कमर को अच्छा सपोर्ट मिले, आप अपनी बाहों, गर्दन और कमर को स्ट्रेच कर सकें। इसके अलावा छोटे ब्रेक भी ले सकते हैं, यह एकबार में एक घंटे के लिए भी हो सकता है।

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Online Work From Home or Study; How to Get Rid of DEMON

https://ift.tt/39nIRdc Dainik Bhaskar लगातार घर से काम और पढ़ाई करके आप DEMON के शिकार हो रहे हैं, जानिए ये क्या है और कैसे बचें Reviewed by Manish Pethev on January 11, 2021 Rating: 5

अयोध्या में बनने वाले राम मंदिर के लिए धन संग्रह का काम 15 जनवरी यानी मकर संक्रांति से शुरू हो रहा है। यह कार्यक्रम 42 दिनों का होगा। 27 फरवरी यानी माघ पूर्णिमा को इसकी समाप्ति होगी। श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने इसे ‘राम मंदिर निधि समर्पण अभियान’ नाम दिया है। इस अभियान को लेकर हमने विश्व हिन्दू परिषद के इंटरनेशनल वर्किंग प्रेसिडेंट और इस अभियान के प्रमुख आलोक कुमार, मध्य प्रदेश के लिए अभियान प्रमुख राजेश तिवारी और बिहार के सह अभियान प्रमुख परशुराम कुमार से बात की। बातचीत के प्रमुख अंश... धन संग्रह अभियान की रूपरेखा क्या होगी हम सभी राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र के सदस्य के रूप में काम कर रहे हैं। पूरे देश में 5.25 लाख गांवों में 13 करोड़ परिवारों के 65 करोड़ लोगों तक पहुंचने का टारगेट है। आंकड़ा बढ़ भी सकता है। इसके लिए हर राज्य में टीमें भी बन गई हैं। मध्य प्रदेश में 6.5 करोड़ और बिहार में 7.5 करोड़ लोगों तक पहुंचने का लक्ष्य है। इसी तरह बाकी राज्यों ने भी अपने टारगेट सेट कर रखे हैं। राम मंदिर के लिए चंदा किस मोड में स्वीकार किया जाएगा अभी धन तीन तरह से लिए जा रहा है। पहला कूपन के माध्यम से, दूसरा रसीद के जरिए और तीसरा सीधे अकाउंट में डिपॉजिट किया जा सकता है। ट्रस्ट की तरफ से कूपन और रसीद राज्यों को भेज दिए गए हैं। 10 रुपए, 100 रुपए और 1000 रुपए के कूपन होंगे। 100 रु के 8 करोड़, 10 रु के 4 करोड़ और1000 रु के 12 लाख कूपन छापे जाएंगे। इससे ज्यादा जिसे दान करना है वो रसीद के जरिए कर सकता हैं। उसके लिए कोई लिमिट नहीं है। कूपन पर भगवान राम और मंदिर का चित्र होगा। जो लोग रसीद के माध्यम से दान करेंगे उन्हें एक पत्रक और राम जी का चित्र भेंट किया जाएगा। पत्रक पर मंदिर के इतिहास के बारे में जानकारी होगी। जो हिंदी, अंग्रेजी के अलावा राज्यों की मातृ भाषा में भी होगा। इसके अलावा जो लोग बड़ी राशि दान देंगे उन्हें पत्रक और चित्र के अलावा स्मृति के रूप में अंग वस्त्र, कॉफी टेबल जैसी चीजें भेंट की जाएगी। हालांकि ये अनिवार्य नहीं है। राज्य अपने लेवल पर ये तय करने के लिए स्वतंत्र हैं कि वो किसे क्या भेंट करना चाहते हैं। श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की तरफ से जारी एक हजार रु का कूपन। 10 रु, 100 रु और 1000 रु के कूपन ट्रस्ट ने जारी किए हैं। क्या विदेश से धन स्वीकार किया जाएगा फिलहाल, विदेशी धन स्वीकार नहीं होगा। क्योंकि इसके लिए फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट (FCRA) की मान्यता जरूरी है जो फिलहाल ट्रस्ट के पास नहीं है। इसको लेकर प्रोसेस जारी है। लेकिन अप्रूवल कब तक मिलेगा, इसके बारे अभी कुछ नहीं कहा जा सकता। क्या गहने या अन्न दान किया जा सकता है अभी सिर्फ नकद पैसे ही लिए जाएंगे। आभूषण, अन्न या कोई और संपत्ति स्वीकार नहीं होगी। जो लोग दान देना चाहते हैं, उन्हें इन चीजों को बेचकर पैसे इकट्ठा करना होगा। फिर वो कूपन या रसीद के माध्यम से दान कर सकते हैं। ट्रांसपेरेंसी और सुरक्षा के लिहाज से कौन से उपाय किए गए हैं दान सिर्फ कूपन और रसीद के जरिए ही स्वीकार होंगे। ग्रामीण क्षेत्रों में 24 घंटे और शहरी क्षेत्रों में 48 घंटे के भीतर दिन भर में जमा की गई राशि को नजदीकी बैंक में जमा करना होगा। पहले दिन जिस बैंक की जिस शाखा में पैसा जमा होगा, अगले 42 दिन तक उसी बैंक की उसी शाखा में पैसा जमा कराना होगा। बैंकों में पैसा जमा करने के लिए अलग से डिपॉजिट स्लिप छापे गए हैं, जिसमें कोड नंबर हैं, अकाउंट नंबर नहीं। ये राशि सिर्फ तीन ही बैंकों में जमा होगी। ये बैंक हैं - स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा। ये तीनों बैंक जमा राशि के लिए सिर्फ कलेक्शन अकाउंट का काम करेंगे। यहां से पैसे निकाले नहीं जा सकेंगे। कितने लोगों की टोलियां बनेंगी और इसमें कितने लोग होंगे सभी राज्यों में जिला स्तर पर एक कमेटी होगी। कई राज्यों में ब्लॉक स्तर पर भी कमेटियां बनेंगीं। इसके लिए हर जिले में एक ऑफिस भी होगा। कुछ राज्यों में ऑफिस बन गए हैं जबकि कई जगहों पर अभी प्रोसेस में हैं। हर गांव या मोहल्ले में जरूरत के हिसाब से टोलियां बनेंगीं। किसी गांव में 4-5 टोलियां भी हो सकती हैं। हर टोली में पांच लोग होंगे जिसमें एक टीम लीडर होगा। उसके पास कूपन और रसीद होंगे। धन संग्रह वही करेगा। इसी तरह हर पांच टोलियों पर एक डिपॉजिटर होगा। यही बैंक में जाकर पैसे जमा करेगा। इस अभियान से जुड़े लोगों को हर लेवल पर ट्रेंड किया जा रहा है। देशभर में ऑनलाइन ट्रेनिंग दी जा रही है। इसमें टोलियों के संचालन, हिसाब किताब करना, बैंकों में पैसे जमा करना, प्रचार प्रसार करना जैसी चीजें शामिल हैं। इन विषयों से जुड़े एक्सपर्ट ट्रेनिंग दे रहे हैं। श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की तरफ से जारी की गई धन संग्रह की रसीद। जो लोगो दो हजार से ज्यादा का दान करेंगे वो रसीद के माध्यम से कर सकेंगे। केंद्र, राज्य और जिलों में जो कमेटियां बनी हैं। उनमें ज्यादातर लोग संघ और विश्व हिंदू परिषद से जुड़े लोग हैं। ऐसे में सवाल है कि क्या आम नागरिक टोली का हिस्सा हो सकता है... आलोक कुमार कहते हैं कि ये जरूरी नहीं है कि वह संघ या VHP से जुड़ा हो तो ही कमेटी में शामिल होगा। उस राज्य या जिले का कोई भी सोशल वर्कर या अहम व्यक्ति टीम का हिस्सा हो सकता है। वहीं राजेश तिवारी बताते हैं कि धन संग्रह टोली में कोई भी शामिल हो सकता है। इसके लिए उसे लोकल लेवल पर टीम लीडर से कॉन्टैक्ट करना होगा। लेकिन डिपॉजिटर या टीम लीडर की जिम्मेदारी उसे ही दी जाएगी जो पहले से परिचित होगा। कितने तरह की टोलियां होंगी और उनका काम क्या होगा टोलियां बनाने की जिम्मेदारी राज्यों की है। वे अपनी सुविधानुसार टोलियां बना रहे हैं। मुख्य रूप से जो टोलियां अभी बनी हैं वो इस प्रकार है... धन संग्रह टोली : घर- घर जाकर कूपन और रसीद बांटना और उनसे पैसे कलेक्ट करना। आर्थिक टोली : धन संग्रह को लेकर पैसों का हिसाब किताब देखना। कार्यालय टोली : हर जिले में इस अभियान के लिए कार्यालय बने हैं। वहां कुछ लोगों की टीम है जो जिलास्तर पर अभियान की मॉनिटरिंग करेगी। प्रचार प्रसार टोली : इस अभियान को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने के लिए ब्लॉक स्तर पर प्रचार की टोलियां बनी हैं। इसमें सोशल मीडिया और मेन स्ट्रीम मीडिया से जुड़े और अनुभवी लोग शामिल हैं। विशिष्ट टोली : जो लोग बड़ी राशि यानी 5 लाख से ज्यादा का डोनेशन करेंगे, उनसे संपर्क के लिए विशिष्ट टोलियां बनी हैं। कितना धन संग्रह का टारगेट है अभी हमने धन संग्रह को लेकर कोई टारगेट नहीं रखा है। राम के नाम पर लोग जितना भी अपनी श्रद्धा से देंगे, हम स्वीकार करेंगे। वैसे भी मंदिर के साथ-साथ और भी चीजें बननी हैं, जो अभी सिर्फ ड्रॉइंग बोर्ड पर है। अप्रूवल नहीं मिला है। इसलिए अभी से कुल खर्च का अनुमान लगाना मुश्किल है। आपको बता दें कि ट्रस्ट ने अपनी तरफ से मंदिर निर्माण के लिए एक अलग कमेटी बनाई है। उसके अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा हैं। अकाउंट संभालने के लिए अलग से ऑडिटर जनरल भी नियुक्त किया गया है। प्रचार-प्रसार और जन जागरूकता के लिए कौन -कौन से कार्यक्रम किए जाएंगे ट्रस्ट की कोशिश है कि यह अभियान जन अभियान बने यानी इसमें हर आदमी की कोई न कोई भूमिका हो। इसके लिए हर लेवल पर जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। कई जगहों पर मंदिरों में हनुमान चालीसा का पाठ, प्रभात फेरी, रात्रि जागरण भजन कीर्तन, अखबारों में विज्ञापन, रोज प्रेस कॉन्फ्रेंस करना जैसे कार्यक्रम शामिल हैं। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें अयोध्या में राम मंदिर का प्रस्तावित मॉडल। 15 जनवरी से देशभर में राम मंदिर निर्माण के लिए धन संग्रह अभियान शुरू हो रहा है। https://ift.tt/35v4ZBn Dainik Bhaskar हर मोहल्ले में एक टोली होगी, 65 करोड़ लोगों तक पहुंचने का टारगेट; कूपन और रसीद के जरिए ही लिया जाएगा चंदा

अयोध्या में बनने वाले राम मंदिर के लिए धन संग्रह का काम 15 जनवरी यानी मकर संक्रांति से शुरू हो रहा है। यह कार्यक्रम 42 दिनों का होगा। 27 फर...
- January 11, 2021
अयोध्या में बनने वाले राम मंदिर के लिए धन संग्रह का काम 15 जनवरी यानी मकर संक्रांति से शुरू हो रहा है। यह कार्यक्रम 42 दिनों का होगा। 27 फरवरी यानी माघ पूर्णिमा को इसकी समाप्ति होगी। श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने इसे ‘राम मंदिर निधि समर्पण अभियान’ नाम दिया है। इस अभियान को लेकर हमने विश्व हिन्दू परिषद के इंटरनेशनल वर्किंग प्रेसिडेंट और इस अभियान के प्रमुख आलोक कुमार, मध्य प्रदेश के लिए अभियान प्रमुख राजेश तिवारी और बिहार के सह अभियान प्रमुख परशुराम कुमार से बात की। बातचीत के प्रमुख अंश... धन संग्रह अभियान की रूपरेखा क्या होगी हम सभी राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र के सदस्य के रूप में काम कर रहे हैं। पूरे देश में 5.25 लाख गांवों में 13 करोड़ परिवारों के 65 करोड़ लोगों तक पहुंचने का टारगेट है। आंकड़ा बढ़ भी सकता है। इसके लिए हर राज्य में टीमें भी बन गई हैं। मध्य प्रदेश में 6.5 करोड़ और बिहार में 7.5 करोड़ लोगों तक पहुंचने का लक्ष्य है। इसी तरह बाकी राज्यों ने भी अपने टारगेट सेट कर रखे हैं। राम मंदिर के लिए चंदा किस मोड में स्वीकार किया जाएगा अभी धन तीन तरह से लिए जा रहा है। पहला कूपन के माध्यम से, दूसरा रसीद के जरिए और तीसरा सीधे अकाउंट में डिपॉजिट किया जा सकता है। ट्रस्ट की तरफ से कूपन और रसीद राज्यों को भेज दिए गए हैं। 10 रुपए, 100 रुपए और 1000 रुपए के कूपन होंगे। 100 रु के 8 करोड़, 10 रु के 4 करोड़ और1000 रु के 12 लाख कूपन छापे जाएंगे। इससे ज्यादा जिसे दान करना है वो रसीद के जरिए कर सकता हैं। उसके लिए कोई लिमिट नहीं है। कूपन पर भगवान राम और मंदिर का चित्र होगा। जो लोग रसीद के माध्यम से दान करेंगे उन्हें एक पत्रक और राम जी का चित्र भेंट किया जाएगा। पत्रक पर मंदिर के इतिहास के बारे में जानकारी होगी। जो हिंदी, अंग्रेजी के अलावा राज्यों की मातृ भाषा में भी होगा। इसके अलावा जो लोग बड़ी राशि दान देंगे उन्हें पत्रक और चित्र के अलावा स्मृति के रूप में अंग वस्त्र, कॉफी टेबल जैसी चीजें भेंट की जाएगी। हालांकि ये अनिवार्य नहीं है। राज्य अपने लेवल पर ये तय करने के लिए स्वतंत्र हैं कि वो किसे क्या भेंट करना चाहते हैं। श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की तरफ से जारी एक हजार रु का कूपन। 10 रु, 100 रु और 1000 रु के कूपन ट्रस्ट ने जारी किए हैं। क्या विदेश से धन स्वीकार किया जाएगा फिलहाल, विदेशी धन स्वीकार नहीं होगा। क्योंकि इसके लिए फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट (FCRA) की मान्यता जरूरी है जो फिलहाल ट्रस्ट के पास नहीं है। इसको लेकर प्रोसेस जारी है। लेकिन अप्रूवल कब तक मिलेगा, इसके बारे अभी कुछ नहीं कहा जा सकता। क्या गहने या अन्न दान किया जा सकता है अभी सिर्फ नकद पैसे ही लिए जाएंगे। आभूषण, अन्न या कोई और संपत्ति स्वीकार नहीं होगी। जो लोग दान देना चाहते हैं, उन्हें इन चीजों को बेचकर पैसे इकट्ठा करना होगा। फिर वो कूपन या रसीद के माध्यम से दान कर सकते हैं। ट्रांसपेरेंसी और सुरक्षा के लिहाज से कौन से उपाय किए गए हैं दान सिर्फ कूपन और रसीद के जरिए ही स्वीकार होंगे। ग्रामीण क्षेत्रों में 24 घंटे और शहरी क्षेत्रों में 48 घंटे के भीतर दिन भर में जमा की गई राशि को नजदीकी बैंक में जमा करना होगा। पहले दिन जिस बैंक की जिस शाखा में पैसा जमा होगा, अगले 42 दिन तक उसी बैंक की उसी शाखा में पैसा जमा कराना होगा। बैंकों में पैसा जमा करने के लिए अलग से डिपॉजिट स्लिप छापे गए हैं, जिसमें कोड नंबर हैं, अकाउंट नंबर नहीं। ये राशि सिर्फ तीन ही बैंकों में जमा होगी। ये बैंक हैं - स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा। ये तीनों बैंक जमा राशि के लिए सिर्फ कलेक्शन अकाउंट का काम करेंगे। यहां से पैसे निकाले नहीं जा सकेंगे। कितने लोगों की टोलियां बनेंगी और इसमें कितने लोग होंगे सभी राज्यों में जिला स्तर पर एक कमेटी होगी। कई राज्यों में ब्लॉक स्तर पर भी कमेटियां बनेंगीं। इसके लिए हर जिले में एक ऑफिस भी होगा। कुछ राज्यों में ऑफिस बन गए हैं जबकि कई जगहों पर अभी प्रोसेस में हैं। हर गांव या मोहल्ले में जरूरत के हिसाब से टोलियां बनेंगीं। किसी गांव में 4-5 टोलियां भी हो सकती हैं। हर टोली में पांच लोग होंगे जिसमें एक टीम लीडर होगा। उसके पास कूपन और रसीद होंगे। धन संग्रह वही करेगा। इसी तरह हर पांच टोलियों पर एक डिपॉजिटर होगा। यही बैंक में जाकर पैसे जमा करेगा। इस अभियान से जुड़े लोगों को हर लेवल पर ट्रेंड किया जा रहा है। देशभर में ऑनलाइन ट्रेनिंग दी जा रही है। इसमें टोलियों के संचालन, हिसाब किताब करना, बैंकों में पैसे जमा करना, प्रचार प्रसार करना जैसी चीजें शामिल हैं। इन विषयों से जुड़े एक्सपर्ट ट्रेनिंग दे रहे हैं। श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की तरफ से जारी की गई धन संग्रह की रसीद। जो लोगो दो हजार से ज्यादा का दान करेंगे वो रसीद के माध्यम से कर सकेंगे। केंद्र, राज्य और जिलों में जो कमेटियां बनी हैं। उनमें ज्यादातर लोग संघ और विश्व हिंदू परिषद से जुड़े लोग हैं। ऐसे में सवाल है कि क्या आम नागरिक टोली का हिस्सा हो सकता है... आलोक कुमार कहते हैं कि ये जरूरी नहीं है कि वह संघ या VHP से जुड़ा हो तो ही कमेटी में शामिल होगा। उस राज्य या जिले का कोई भी सोशल वर्कर या अहम व्यक्ति टीम का हिस्सा हो सकता है। वहीं राजेश तिवारी बताते हैं कि धन संग्रह टोली में कोई भी शामिल हो सकता है। इसके लिए उसे लोकल लेवल पर टीम लीडर से कॉन्टैक्ट करना होगा। लेकिन डिपॉजिटर या टीम लीडर की जिम्मेदारी उसे ही दी जाएगी जो पहले से परिचित होगा। कितने तरह की टोलियां होंगी और उनका काम क्या होगा टोलियां बनाने की जिम्मेदारी राज्यों की है। वे अपनी सुविधानुसार टोलियां बना रहे हैं। मुख्य रूप से जो टोलियां अभी बनी हैं वो इस प्रकार है... धन संग्रह टोली : घर- घर जाकर कूपन और रसीद बांटना और उनसे पैसे कलेक्ट करना। आर्थिक टोली : धन संग्रह को लेकर पैसों का हिसाब किताब देखना। कार्यालय टोली : हर जिले में इस अभियान के लिए कार्यालय बने हैं। वहां कुछ लोगों की टीम है जो जिलास्तर पर अभियान की मॉनिटरिंग करेगी। प्रचार प्रसार टोली : इस अभियान को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने के लिए ब्लॉक स्तर पर प्रचार की टोलियां बनी हैं। इसमें सोशल मीडिया और मेन स्ट्रीम मीडिया से जुड़े और अनुभवी लोग शामिल हैं। विशिष्ट टोली : जो लोग बड़ी राशि यानी 5 लाख से ज्यादा का डोनेशन करेंगे, उनसे संपर्क के लिए विशिष्ट टोलियां बनी हैं। कितना धन संग्रह का टारगेट है अभी हमने धन संग्रह को लेकर कोई टारगेट नहीं रखा है। राम के नाम पर लोग जितना भी अपनी श्रद्धा से देंगे, हम स्वीकार करेंगे। वैसे भी मंदिर के साथ-साथ और भी चीजें बननी हैं, जो अभी सिर्फ ड्रॉइंग बोर्ड पर है। अप्रूवल नहीं मिला है। इसलिए अभी से कुल खर्च का अनुमान लगाना मुश्किल है। आपको बता दें कि ट्रस्ट ने अपनी तरफ से मंदिर निर्माण के लिए एक अलग कमेटी बनाई है। उसके अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा हैं। अकाउंट संभालने के लिए अलग से ऑडिटर जनरल भी नियुक्त किया गया है। प्रचार-प्रसार और जन जागरूकता के लिए कौन -कौन से कार्यक्रम किए जाएंगे ट्रस्ट की कोशिश है कि यह अभियान जन अभियान बने यानी इसमें हर आदमी की कोई न कोई भूमिका हो। इसके लिए हर लेवल पर जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। कई जगहों पर मंदिरों में हनुमान चालीसा का पाठ, प्रभात फेरी, रात्रि जागरण भजन कीर्तन, अखबारों में विज्ञापन, रोज प्रेस कॉन्फ्रेंस करना जैसे कार्यक्रम शामिल हैं। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें अयोध्या में राम मंदिर का प्रस्तावित मॉडल। 15 जनवरी से देशभर में राम मंदिर निर्माण के लिए धन संग्रह अभियान शुरू हो रहा है। https://ift.tt/35v4ZBn Dainik Bhaskar हर मोहल्ले में एक टोली होगी, 65 करोड़ लोगों तक पहुंचने का टारगेट; कूपन और रसीद के जरिए ही लिया जाएगा चंदा 

अयोध्या में बनने वाले राम मंदिर के लिए धन संग्रह का काम 15 जनवरी यानी मकर संक्रांति से शुरू हो रहा है। यह कार्यक्रम 42 दिनों का होगा। 27 फरवरी यानी माघ पूर्णिमा को इसकी समाप्ति होगी। श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने इसे ‘राम मंदिर निधि समर्पण अभियान’ नाम दिया है। इस अभियान को लेकर हमने विश्व हिन्दू परिषद के इंटरनेशनल वर्किंग प्रेसिडेंट और इस अभियान के प्रमुख आलोक कुमार, मध्य प्रदेश के लिए अभियान प्रमुख राजेश तिवारी और बिहार के सह अभियान प्रमुख परशुराम कुमार से बात की। बातचीत के प्रमुख अंश...

धन संग्रह अभियान की रूपरेखा क्या होगी

हम सभी राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र के सदस्य के रूप में काम कर रहे हैं। पूरे देश में 5.25 लाख गांवों में 13 करोड़ परिवारों के 65 करोड़ लोगों तक पहुंचने का टारगेट है। आंकड़ा बढ़ भी सकता है। इसके लिए हर राज्य में टीमें भी बन गई हैं। मध्य प्रदेश में 6.5 करोड़ और बिहार में 7.5 करोड़ लोगों तक पहुंचने का लक्ष्य है। इसी तरह बाकी राज्यों ने भी अपने टारगेट सेट कर रखे हैं।

राम मंदिर के लिए चंदा किस मोड में स्वीकार किया जाएगा

अभी धन तीन तरह से लिए जा रहा है। पहला कूपन के माध्यम से, दूसरा रसीद के जरिए और तीसरा सीधे अकाउंट में डिपॉजिट किया जा सकता है। ट्रस्ट की तरफ से कूपन और रसीद राज्यों को भेज दिए गए हैं। 10 रुपए, 100 रुपए और 1000 रुपए के कूपन होंगे। 100 रु के 8 करोड़, 10 रु के 4 करोड़ और1000 रु के 12 लाख कूपन छापे जाएंगे। इससे ज्यादा जिसे दान करना है वो रसीद के जरिए कर सकता हैं। उसके लिए कोई लिमिट नहीं है।

कूपन पर भगवान राम और मंदिर का चित्र होगा। जो लोग रसीद के माध्यम से दान करेंगे उन्हें एक पत्रक और राम जी का चित्र भेंट किया जाएगा। पत्रक पर मंदिर के इतिहास के बारे में जानकारी होगी। जो हिंदी, अंग्रेजी के अलावा राज्यों की मातृ भाषा में भी होगा।

इसके अलावा जो लोग बड़ी राशि दान देंगे उन्हें पत्रक और चित्र के अलावा स्मृति के रूप में अंग वस्त्र, कॉफी टेबल जैसी चीजें भेंट की जाएगी। हालांकि ये अनिवार्य नहीं है। राज्य अपने लेवल पर ये तय करने के लिए स्वतंत्र हैं कि वो किसे क्या भेंट करना चाहते हैं।

श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की तरफ से जारी एक हजार रु का कूपन। 10 रु, 100 रु और 1000 रु के कूपन ट्रस्ट ने जारी किए हैं।

क्या विदेश से धन स्वीकार किया जाएगा

फिलहाल, विदेशी धन स्वीकार नहीं होगा। क्योंकि इसके लिए फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट (FCRA) की मान्यता जरूरी है जो फिलहाल ट्रस्ट के पास नहीं है। इसको लेकर प्रोसेस जारी है। लेकिन अप्रूवल कब तक मिलेगा, इसके बारे अभी कुछ नहीं कहा जा सकता।

क्या गहने या अन्न दान किया जा सकता है

अभी सिर्फ नकद पैसे ही लिए जाएंगे। आभूषण, अन्न या कोई और संपत्ति स्वीकार नहीं होगी। जो लोग दान देना चाहते हैं, उन्हें इन चीजों को बेचकर पैसे इकट्ठा करना होगा। फिर वो कूपन या रसीद के माध्यम से दान कर सकते हैं।

ट्रांसपेरेंसी और सुरक्षा के लिहाज से कौन से उपाय किए गए हैं

दान सिर्फ कूपन और रसीद के जरिए ही स्वीकार होंगे। ग्रामीण क्षेत्रों में 24 घंटे और शहरी क्षेत्रों में 48 घंटे के भीतर दिन भर में जमा की गई राशि को नजदीकी बैंक में जमा करना होगा। पहले दिन जिस बैंक की जिस शाखा में पैसा जमा होगा, अगले 42 दिन तक उसी बैंक की उसी शाखा में पैसा जमा कराना होगा। बैंकों में पैसा जमा करने के लिए अलग से डिपॉजिट स्लिप छापे गए हैं, जिसमें कोड नंबर हैं, अकाउंट नंबर नहीं।

ये राशि सिर्फ तीन ही बैंकों में जमा होगी। ये बैंक हैं - स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा। ये तीनों बैंक जमा राशि के लिए सिर्फ कलेक्शन अकाउंट का काम करेंगे। यहां से पैसे निकाले नहीं जा सकेंगे।

कितने लोगों की टोलियां बनेंगी और इसमें कितने लोग होंगे

सभी राज्यों में जिला स्तर पर एक कमेटी होगी। कई राज्यों में ब्लॉक स्तर पर भी कमेटियां बनेंगीं। इसके लिए हर जिले में एक ऑफिस भी होगा। कुछ राज्यों में ऑफिस बन गए हैं जबकि कई जगहों पर अभी प्रोसेस में हैं। हर गांव या मोहल्ले में जरूरत के हिसाब से टोलियां बनेंगीं। किसी गांव में 4-5 टोलियां भी हो सकती हैं।

हर टोली में पांच लोग होंगे जिसमें एक टीम लीडर होगा। उसके पास कूपन और रसीद होंगे। धन संग्रह वही करेगा। इसी तरह हर पांच टोलियों पर एक डिपॉजिटर होगा। यही बैंक में जाकर पैसे जमा करेगा।

इस अभियान से जुड़े लोगों को हर लेवल पर ट्रेंड किया जा रहा है। देशभर में ऑनलाइन ट्रेनिंग दी जा रही है। इसमें टोलियों के संचालन, हिसाब किताब करना, बैंकों में पैसे जमा करना, प्रचार प्रसार करना जैसी चीजें शामिल हैं। इन विषयों से जुड़े एक्सपर्ट ट्रेनिंग दे रहे हैं।

श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की तरफ से जारी की गई धन संग्रह की रसीद। जो लोगो दो हजार से ज्यादा का दान करेंगे वो रसीद के माध्यम से कर सकेंगे।

केंद्र, राज्य और जिलों में जो कमेटियां बनी हैं। उनमें ज्यादातर लोग संघ और विश्व हिंदू परिषद से जुड़े लोग हैं। ऐसे में सवाल है कि क्या आम नागरिक टोली का हिस्सा हो सकता है...

आलोक कुमार कहते हैं कि ये जरूरी नहीं है कि वह संघ या VHP से जुड़ा हो तो ही कमेटी में शामिल होगा। उस राज्य या जिले का कोई भी सोशल वर्कर या अहम व्यक्ति टीम का हिस्सा हो सकता है। वहीं राजेश तिवारी बताते हैं कि धन संग्रह टोली में कोई भी शामिल हो सकता है। इसके लिए उसे लोकल लेवल पर टीम लीडर से कॉन्टैक्ट करना होगा। लेकिन डिपॉजिटर या टीम लीडर की जिम्मेदारी उसे ही दी जाएगी जो पहले से परिचित होगा।

कितने तरह की टोलियां होंगी और उनका काम क्या होगा

टोलियां बनाने की जिम्मेदारी राज्यों की है। वे अपनी सुविधानुसार टोलियां बना रहे हैं। मुख्य रूप से जो टोलियां अभी बनी हैं वो इस प्रकार है...

धन संग्रह टोली : घर- घर जाकर कूपन और रसीद बांटना और उनसे पैसे कलेक्ट करना।

आर्थिक टोली : धन संग्रह को लेकर पैसों का हिसाब किताब देखना।

कार्यालय टोली : हर जिले में इस अभियान के लिए कार्यालय बने हैं। वहां कुछ लोगों की टीम है जो जिलास्तर पर अभियान की मॉनिटरिंग करेगी।

प्रचार प्रसार टोली : इस अभियान को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने के लिए ब्लॉक स्तर पर प्रचार की टोलियां बनी हैं। इसमें सोशल मीडिया और मेन स्ट्रीम मीडिया से जुड़े और अनुभवी लोग शामिल हैं।

विशिष्ट टोली : जो लोग बड़ी राशि यानी 5 लाख से ज्यादा का डोनेशन करेंगे, उनसे संपर्क के लिए विशिष्ट टोलियां बनी हैं।

कितना धन संग्रह का टारगेट है

अभी हमने धन संग्रह को लेकर कोई टारगेट नहीं रखा है। राम के नाम पर लोग जितना भी अपनी श्रद्धा से देंगे, हम स्वीकार करेंगे। वैसे भी मंदिर के साथ-साथ और भी चीजें बननी हैं, जो अभी सिर्फ ड्रॉइंग बोर्ड पर है। अप्रूवल नहीं मिला है। इसलिए अभी से कुल खर्च का अनुमान लगाना मुश्किल है।

आपको बता दें कि ट्रस्ट ने अपनी तरफ से मंदिर निर्माण के लिए एक अलग कमेटी बनाई है। उसके अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा हैं। अकाउंट संभालने के लिए अलग से ऑडिटर जनरल भी नियुक्त किया गया है।

प्रचार-प्रसार और जन जागरूकता के लिए कौन -कौन से कार्यक्रम किए जाएंगे

ट्रस्ट की कोशिश है कि यह अभियान जन अभियान बने यानी इसमें हर आदमी की कोई न कोई भूमिका हो। इसके लिए हर लेवल पर जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। कई जगहों पर मंदिरों में हनुमान चालीसा का पाठ, प्रभात फेरी, रात्रि जागरण भजन कीर्तन, अखबारों में विज्ञापन, रोज प्रेस कॉन्फ्रेंस करना जैसे कार्यक्रम शामिल हैं।

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अयोध्या में राम मंदिर का प्रस्तावित मॉडल। 15 जनवरी से देशभर में राम मंदिर निर्माण के लिए धन संग्रह अभियान शुरू हो रहा है।

https://ift.tt/35v4ZBn Dainik Bhaskar हर मोहल्ले में एक टोली होगी, 65 करोड़ लोगों तक पहुंचने का टारगेट; कूपन और रसीद के जरिए ही लिया जाएगा चंदा Reviewed by Manish Pethev on January 11, 2021 Rating: 5

फेसबुक और टि्वटर ने गलत जानकारी देने और हिंसा भड़काने वाले पोस्ट हटानी शुरू की तो अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के लाखों समर्थक मुफ्त ऐप सोशल नेटवर्क पार्लर पर चले गए। लेकिन अमेजन, एपल और गूगल ने एप के खिलाफ कड़े रुख के बाद अब पार्लर को किस तरह के खतरे का सामना करना पड़ा रहा है? अब दूसरे एप अपने कंटेंट को लेकर क्या कदम उठाएंगे? पढ़ें इस लेख में... टेक्नोलॉजी कंपनियों का कड़ा रुख/ अमेजन,एपल और गूगल ने ट्रम्प समर्थकों का पसंदीदा एप हटाया, हिंसा को बढ़ावा देने का है आरोप भारतीय मूल के रिसर्चर नरिंदर सिंह कपानी को नोबेल पुरस्कार देने का दावा उनकी मृत्यु के बाद एक बार फिर सामने आया है। डॉ. कपानी, हॉपकिंस और एक अन्य शोधकर्ता के रिसर्च पेपर के आधार पर फाइबर ऑप्टिक्स का जन्म हुआ है। क्या है डॉ. कपानी की पूरी कहानी और कैसे की उन्होंने यह असाधारण खोज? पढ़ें इस लेख में... नरिंदर सिंह कपानी को नोबेल देने की मांग/ फाइबर ऑप्टिक्स के जनक और रिसर्चर की मृत्यु के बाद फिर एक बार सामने आया दावा अमेरिका में इस बार डेमोक्रेटिक, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को माफ करने के मूड में नहीं हैं। पार्टी के कई सदस्य कानून तोड़ने के लिए ट्रम्प, उनके परिवार और सहयोगियों की जवाबदेही तय करना चाहते हैं। बाइडेन पर इसको लेकर किस तरह का दबाव है? डेमोक्रेटिक ट्रम्प के खिलाफ क्या कार्रवाई चाहते हैं? पढ़ें इस लेख में... ट्रम्प के खिलाफ महाभियोग काफी नहीं होगा/बाइडेन पर ट्रम्प के खिलाफ मुकदमे चलाने का बढ़ रहा है दबाव ब्रिटिश सरकार ने कोरोनावायरस से गंभीर रूप से बीमार मरीजों के इलाज में गठिया की दो दवाइयों का उपयोग करने के निर्देश दिए हैं। इंपीरियल कॉलेज, लंदन के फिजिशियन डॉ. एंथोनी गॉर्डन का क्या कहना है इस बारे में? पढ़ें इस लेख में..... गठिया की 2 दवाईयों से कोरोना में फायदा/ 800 मरीजों पर किए गए ट्रायल में मृत्यु दर में भारी गिरावट आई आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें The New York Times / Read, The New York Times's select stories this week with just one click today https://ift.tt/2XvNRHn Dainik Bhaskar पढ़िए, द न्यूयॉर्क टाइम्स की इस हफ्ते की चुनिंदा स्टोरीज सिर्फ एक क्लिक पर

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- January 11, 2021
फेसबुक और टि्वटर ने गलत जानकारी देने और हिंसा भड़काने वाले पोस्ट हटानी शुरू की तो अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के लाखों समर्थक मुफ्त ऐप सोशल नेटवर्क पार्लर पर चले गए। लेकिन अमेजन, एपल और गूगल ने एप के खिलाफ कड़े रुख के बाद अब पार्लर को किस तरह के खतरे का सामना करना पड़ा रहा है? अब दूसरे एप अपने कंटेंट को लेकर क्या कदम उठाएंगे? पढ़ें इस लेख में... टेक्नोलॉजी कंपनियों का कड़ा रुख/ अमेजन,एपल और गूगल ने ट्रम्प समर्थकों का पसंदीदा एप हटाया, हिंसा को बढ़ावा देने का है आरोप भारतीय मूल के रिसर्चर नरिंदर सिंह कपानी को नोबेल पुरस्कार देने का दावा उनकी मृत्यु के बाद एक बार फिर सामने आया है। डॉ. कपानी, हॉपकिंस और एक अन्य शोधकर्ता के रिसर्च पेपर के आधार पर फाइबर ऑप्टिक्स का जन्म हुआ है। क्या है डॉ. कपानी की पूरी कहानी और कैसे की उन्होंने यह असाधारण खोज? पढ़ें इस लेख में... नरिंदर सिंह कपानी को नोबेल देने की मांग/ फाइबर ऑप्टिक्स के जनक और रिसर्चर की मृत्यु के बाद फिर एक बार सामने आया दावा अमेरिका में इस बार डेमोक्रेटिक, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को माफ करने के मूड में नहीं हैं। पार्टी के कई सदस्य कानून तोड़ने के लिए ट्रम्प, उनके परिवार और सहयोगियों की जवाबदेही तय करना चाहते हैं। बाइडेन पर इसको लेकर किस तरह का दबाव है? डेमोक्रेटिक ट्रम्प के खिलाफ क्या कार्रवाई चाहते हैं? पढ़ें इस लेख में... ट्रम्प के खिलाफ महाभियोग काफी नहीं होगा/बाइडेन पर ट्रम्प के खिलाफ मुकदमे चलाने का बढ़ रहा है दबाव ब्रिटिश सरकार ने कोरोनावायरस से गंभीर रूप से बीमार मरीजों के इलाज में गठिया की दो दवाइयों का उपयोग करने के निर्देश दिए हैं। इंपीरियल कॉलेज, लंदन के फिजिशियन डॉ. एंथोनी गॉर्डन का क्या कहना है इस बारे में? पढ़ें इस लेख में..... गठिया की 2 दवाईयों से कोरोना में फायदा/ 800 मरीजों पर किए गए ट्रायल में मृत्यु दर में भारी गिरावट आई आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें The New York Times / Read, The New York Times's select stories this week with just one click today https://ift.tt/2XvNRHn Dainik Bhaskar पढ़िए, द न्यूयॉर्क टाइम्स की इस हफ्ते की चुनिंदा स्टोरीज सिर्फ एक क्लिक पर 

फेसबुक और टि्वटर ने गलत जानकारी देने और हिंसा भड़काने वाले पोस्ट हटानी शुरू की तो अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के लाखों समर्थक मुफ्त ऐप सोशल नेटवर्क पार्लर पर चले गए। लेकिन अमेजन, एपल और गूगल ने एप के खिलाफ कड़े रुख के बाद अब पार्लर को किस तरह के खतरे का सामना करना पड़ा रहा है? अब दूसरे एप अपने कंटेंट को लेकर क्या कदम उठाएंगे? पढ़ें इस लेख में...

टेक्नोलॉजी कंपनियों का कड़ा रुख/ अमेजन,एपल और गूगल ने ट्रम्प समर्थकों का पसंदीदा एप हटाया, हिंसा को बढ़ावा देने का है आरोप

भारतीय मूल के रिसर्चर नरिंदर सिंह कपानी को नोबेल पुरस्कार देने का दावा उनकी मृत्यु के बाद एक बार फिर सामने आया है। डॉ. कपानी, हॉपकिंस और एक अन्य शोधकर्ता के रिसर्च पेपर के आधार पर फाइबर ऑप्टिक्स का जन्म हुआ है। क्या है डॉ. कपानी की पूरी कहानी और कैसे की उन्होंने यह असाधारण खोज? पढ़ें इस लेख में...

नरिंदर सिंह कपानी को नोबेल देने की मांग/ फाइबर ऑप्टिक्स के जनक और रिसर्चर की मृत्यु के बाद फिर एक बार सामने आया दावा

अमेरिका में इस बार डेमोक्रेटिक, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को माफ करने के मूड में नहीं हैं। पार्टी के कई सदस्य कानून तोड़ने के लिए ट्रम्प, उनके परिवार और सहयोगियों की जवाबदेही तय करना चाहते हैं। बाइडेन पर इसको लेकर किस तरह का दबाव है? डेमोक्रेटिक ट्रम्प के खिलाफ क्या कार्रवाई चाहते हैं? पढ़ें इस लेख में...

ट्रम्प के खिलाफ महाभियोग काफी नहीं होगा/बाइडेन पर ट्रम्प के खिलाफ मुकदमे चलाने का बढ़ रहा है दबाव

ब्रिटिश सरकार ने कोरोनावायरस से गंभीर रूप से बीमार मरीजों के इलाज में गठिया की दो दवाइयों का उपयोग करने के निर्देश दिए हैं। इंपीरियल कॉलेज, लंदन के फिजिशियन डॉ. एंथोनी गॉर्डन का क्या कहना है इस बारे में? पढ़ें इस लेख में.....

गठिया की 2 दवाईयों से कोरोना में फायदा/ 800 मरीजों पर किए गए ट्रायल में मृत्यु दर में भारी गिरावट आई

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https://ift.tt/2XvNRHn Dainik Bhaskar पढ़िए, द न्यूयॉर्क टाइम्स की इस हफ्ते की चुनिंदा स्टोरीज सिर्फ एक क्लिक पर Reviewed by Manish Pethev on January 11, 2021 Rating: 5

क्या हो रहा है वायरल: सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हो रही है। पोस्ट में एक फोटो है जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 'गुजरात फाइल्स' नाम की किताब पकड़े हुए हैं। कैप्शन में लिखा है, 'आखिरकार उन्होंने उस पुस्तक को पढ़ने का समय निकाला, जिसमें उन्होंने अभिनय किया था।' He finally found the time to read that book he starred in... . Gujarat Files Book by @RanaAyyub pic.twitter.com/aMA0iGR6WQ — smishdesigns (@smishdesigns) December 28, 2020 और सच क्या है? इस पोस्ट की सच्चाई जानने के लिए हमनें 'गुजरात फाइल्स' नाम की किताब को इंटरनेट पर सर्च किया। सर्चिंग में सामने आया कि यह किताब 2002 में हुए गुजरात दंगों पर आधारित है। इसे भारतीय पत्रकार राणा अय्यूब ने लिखा है। पड़ताल के दौरान हमने राणा अय्यूब का सोशल मीडिया अकाउंट चेक किया। उन्होंने अपने अकाउंट पर खुद इस फोटो को शेयर करते हुए लिखा था, 'मोदी जी को मिला नए साल का तोहफा' पड़ताल के आखिरी चरण में हमने इस फोटो को गूगल पर रिवर्स सर्च किया। सर्च रिजल्ट में हमें यह फोटो नरेंद्र मोदी के सोशल मीडिया अकाउंट पर मिली। पीएम मोदी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर 26 दिसंबर, 2020 को यह फोटो शेयर किया था, लेकिन उनके हाथों में गुजरात दंगों पर आधारित किताब नहीं थी। View this post on Instagram A post shared by Narendra Modi (@narendramodi) पड़ताल से साफ है कि सोशल मीडिया पर वायरल हो रही पोस्ट फेक है। पोस्ट में प्रधानमंत्री मोदी की फोटो पर बुक का कवर एडिट करके लगाया गया है। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें The book 'Gujarat Files' written above the Gujarat riots in the hands of Prime Minister Modi, photo thrown in the investigation https://ift.tt/3sc2uh5 Dainik Bhaskar पीएम मोदी के हाथ में दिखी गुजरात दंगों पर लिखी किताब 'गुजरात फाइल्स', पड़ताल में फेक निकली फोटो

क्या हो रहा है वायरल: सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हो रही है। पोस्ट में एक फोटो है जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 'गुजरात फाइल्स...
- January 11, 2021
क्या हो रहा है वायरल: सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हो रही है। पोस्ट में एक फोटो है जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 'गुजरात फाइल्स' नाम की किताब पकड़े हुए हैं। कैप्शन में लिखा है, 'आखिरकार उन्होंने उस पुस्तक को पढ़ने का समय निकाला, जिसमें उन्होंने अभिनय किया था।' He finally found the time to read that book he starred in... . Gujarat Files Book by @RanaAyyub pic.twitter.com/aMA0iGR6WQ — smishdesigns (@smishdesigns) December 28, 2020 और सच क्या है? इस पोस्ट की सच्चाई जानने के लिए हमनें 'गुजरात फाइल्स' नाम की किताब को इंटरनेट पर सर्च किया। सर्चिंग में सामने आया कि यह किताब 2002 में हुए गुजरात दंगों पर आधारित है। इसे भारतीय पत्रकार राणा अय्यूब ने लिखा है। पड़ताल के दौरान हमने राणा अय्यूब का सोशल मीडिया अकाउंट चेक किया। उन्होंने अपने अकाउंट पर खुद इस फोटो को शेयर करते हुए लिखा था, 'मोदी जी को मिला नए साल का तोहफा' पड़ताल के आखिरी चरण में हमने इस फोटो को गूगल पर रिवर्स सर्च किया। सर्च रिजल्ट में हमें यह फोटो नरेंद्र मोदी के सोशल मीडिया अकाउंट पर मिली। पीएम मोदी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर 26 दिसंबर, 2020 को यह फोटो शेयर किया था, लेकिन उनके हाथों में गुजरात दंगों पर आधारित किताब नहीं थी। View this post on Instagram A post shared by Narendra Modi (@narendramodi) पड़ताल से साफ है कि सोशल मीडिया पर वायरल हो रही पोस्ट फेक है। पोस्ट में प्रधानमंत्री मोदी की फोटो पर बुक का कवर एडिट करके लगाया गया है। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें The book 'Gujarat Files' written above the Gujarat riots in the hands of Prime Minister Modi, photo thrown in the investigation https://ift.tt/3sc2uh5 Dainik Bhaskar पीएम मोदी के हाथ में दिखी गुजरात दंगों पर लिखी किताब 'गुजरात फाइल्स', पड़ताल में फेक निकली फोटो 

क्या हो रहा है वायरल: सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हो रही है। पोस्ट में एक फोटो है जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 'गुजरात फाइल्स' नाम की किताब पकड़े हुए हैं। कैप्शन में लिखा है, 'आखिरकार उन्होंने उस पुस्तक को पढ़ने का समय निकाला, जिसमें उन्होंने अभिनय किया था।'

He finally found the time to read that book he starred in...
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Gujarat Files Book by @RanaAyyub pic.twitter.com/aMA0iGR6WQ

— smishdesigns (@smishdesigns) December 28, 2020

और सच क्या है?

इस पोस्ट की सच्चाई जानने के लिए हमनें 'गुजरात फाइल्स' नाम की किताब को इंटरनेट पर सर्च किया।

सर्चिंग में सामने आया कि यह किताब 2002 में हुए गुजरात दंगों पर आधारित है। इसे भारतीय पत्रकार राणा अय्यूब ने लिखा है।

पड़ताल के दौरान हमने राणा अय्यूब का सोशल मीडिया अकाउंट चेक किया। उन्होंने अपने अकाउंट पर खुद इस फोटो को शेयर करते हुए लिखा था, 'मोदी जी को मिला नए साल का तोहफा'

पड़ताल के आखिरी चरण में हमने इस फोटो को गूगल पर रिवर्स सर्च किया। सर्च रिजल्ट में हमें यह फोटो नरेंद्र मोदी के सोशल मीडिया अकाउंट पर मिली।

पीएम मोदी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर 26 दिसंबर, 2020 को यह फोटो शेयर किया था, लेकिन उनके हाथों में गुजरात दंगों पर आधारित किताब नहीं थी।

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पड़ताल से साफ है कि सोशल मीडिया पर वायरल हो रही पोस्ट फेक है। पोस्ट में प्रधानमंत्री मोदी की फोटो पर बुक का कवर एडिट करके लगाया गया है।

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The book 'Gujarat Files' written above the Gujarat riots in the hands of Prime Minister Modi, photo thrown in the investigation

https://ift.tt/3sc2uh5 Dainik Bhaskar पीएम मोदी के हाथ में दिखी गुजरात दंगों पर लिखी किताब 'गुजरात फाइल्स', पड़ताल में फेक निकली फोटो Reviewed by Manish Pethev on January 11, 2021 Rating: 5

यह साल 5G तकनीक का है। इसके आने से हमारे मोबाइल इंटरनेट की स्पीड ही नहीं बढ़ेगी बल्कि देश की इंडस्ट्रियल प्रोडक्टिविटी में 10 गुना तक इजाफा होगा। 5G टेक्नोलॉजी के लिए यह साल कितना अहम है, अभी इस पर देश में क्या काम हो रहा है, ऐसे सवालों के जवाब जानने के लिए भास्कर के प्रमोद त्रिवेदी ने सेलुलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (COAI) के महानिदेशक रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल डॉ एसपी कोचर से बात की। पढ़िए बातचीत के प्रमुख अंश। Q. 5G सर्विस कैसे लोगों का जीवन बदलेगी? 4G का व्यक्तिगत उपयोग ज्यादा होता है, ऐसा 5G में नहीं होगा। इसमें लोगों को इंटरनेट स्पीड ज्यादा मिलेगी, लेकिन 5G का ज्यादा उपयोग उद्योगों में होगा। 5G का कन्वर्सेशन मशीन टू मशीन होगा। इंडस्ट्री में ये औद्योगिक क्रांति लाएगा। रोबोटिक काम होगा। स्मार्ट सिटी जैसी योजनाएं तेजी से पूरी हो सकेंगी। औद्योगिक उत्पादकता औसतन कई गुना बढ़ जाएगी। Q. 5G हैंडसेट को लेकर क्या तैयारी है? अभी 5G हैंडसेट महंगे हैं। हम ये भी देख रहे हैं कि सस्ते 5G अफोर्डेबल स्मार्ट फोन कैसे आएंगे। ये लोगों तक पहुंचाना बहुत जरूरी है। हमारा प्रयास है कि 5G फोन की कीमत 8 से 10 हजार होनी चाहिए। हम इस पर काम कर रहे हैं। Q. 2021 में देश में 5G सेवा शुरू हो सकेगी? इस साल 5G का ट्रायल होगा। लेकिन कमर्शियल स्तर पर लॉन्च की संभावना कम ही दिखती है। अभी सरकार ने 5G के लिए स्पेक्ट्रम की नीलामी पर कोई निर्णय नहीं लिया है। नीलामी के बाद कीमत तय होंगी, नेटवर्क और उपकरण लगेंगे। इसके बाद ही 5G नेटवर्क शुरू हो सकेंगे। सब कुछ ठीक रहा तो हो सकता है कि इस साल एक-दो कंपनियां कमर्शियल शुरुआत भी कर दें। Q. टेलीकॉम में 2021 में क्या बदलने वाला है? हमेशा की तरह हमारा प्रयास रहेगा कि सब्स्क्राइबर को अच्छी सुविधा, बेहतर दाम पर मिले। जिस तरह से मार्च में स्पेक्ट्रम नीलामी की बेस प्राइस तय हुई है, उसके हिसाब से अभी चार्ज कम होने की संभावनाएं कम हैं। लेकिन सरकार से टैक्स में छूट की बात चल रही है। अगर वो मिलती है तो कीमत में अंतर आएगा। कॉस्ट का अंतर आता है तो डेटा और सस्ता हो सकता है। Q. टैक्स में छूट मिलती है तो फायदा यूजर्स को होगा या कंपनियों को? टैक्स कम हाेने का बड़ा फायदा यूजर्स को ही होगा। जरूरी सेवा मानकर टैक्स कम करना चाहिए। इससे लोगों को सही कीमत पर बेहतर इंटरनेट मिलेगा। हमें देखना होगा कि जो लैवीज और टैक्सेस टेलीकॉम पर लगाए गए हैं, उन्हें नेशनलाइज किया जाए और कम किया जाए। Q. आप किस तरह के टैक्स में छूट चाहते हैं? टेलीकॉम पर तकरीबन 40% तक टैक्स लगते हैं। टैक्स के लिहाज से देखें तो टेलीकॉम इंडस्ट्री को एक जरूरी सर्विस नहीं माना जाता है, जो सही नहीं है। स्पेक्ट्रम फीस, लाइसेंस फीस, यूएसओ फंड जैसी सब चीजें हम पर लागू होती हैं। हमारा आग्रह रहता है कि इसे कम किया जाए। Q. सरकार मार्च में स्पेक्ट्रम नीलामी करने जा रही है। टेलीकॉम को क्या फायदा हो सकता है? हमारे यहां जो नीलामी होती है, वो बेस प्राइस के पुराने बनाए हुए फॉर्मूले पर होती है। फिर कहते हैं कि इससे ऊपर ही बिड कर सकते हैं। यही कारण रहा कि पिछली नीलामी में काफी सारा स्पेक्ट्रम नहीं बिक पाया था। इस बार भी चिंता तो है कि क्या इस बेस प्राइस पर सारा स्पेक्ट्रम बिक पाएगा। Q. बजट को लेकर क्या उम्मीदें हैं? हमने सरकार को अपनी बात बता दी है। हम पर कई तरह से जीएसटी लग रही है, उसे हटाइए। नीलामी तक में जीएसटी लगता है जबकि नीलामी में सर्विस शामिल नहीं है। स्पेक्ट्रम खरीदने पर जीएसटी लगता है। लाइसेंस फीस हम सरकार को देते हैं तो उस पर जीएसटी नहीं लगना चाहिए, क्योंकि हम तो सरकार को फीस दे रहे हैं, तो उसमें कैसे सर्विस टैक्स लग सकता है। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें सेलुलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (COAI) के महानिदेशक रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल डॉ एसपी कोचर का फाइल फोटो। https://ift.tt/3skQzxJ Dainik Bhaskar इंडस्ट्रियल प्रोडक्टिविटी 10 गुना बढे़गी, रोबोटिक काम से स्मार्ट सिटी जैसे प्रोजेक्ट तेजी से पूरे होंगे

यह साल 5G तकनीक का है। इसके आने से हमारे मोबाइल इंटरनेट की स्पीड ही नहीं बढ़ेगी बल्कि देश की इंडस्ट्रियल प्रोडक्टिविटी में 10 गुना तक इजाफा ...
- January 11, 2021
यह साल 5G तकनीक का है। इसके आने से हमारे मोबाइल इंटरनेट की स्पीड ही नहीं बढ़ेगी बल्कि देश की इंडस्ट्रियल प्रोडक्टिविटी में 10 गुना तक इजाफा होगा। 5G टेक्नोलॉजी के लिए यह साल कितना अहम है, अभी इस पर देश में क्या काम हो रहा है, ऐसे सवालों के जवाब जानने के लिए भास्कर के प्रमोद त्रिवेदी ने सेलुलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (COAI) के महानिदेशक रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल डॉ एसपी कोचर से बात की। पढ़िए बातचीत के प्रमुख अंश। Q. 5G सर्विस कैसे लोगों का जीवन बदलेगी? 4G का व्यक्तिगत उपयोग ज्यादा होता है, ऐसा 5G में नहीं होगा। इसमें लोगों को इंटरनेट स्पीड ज्यादा मिलेगी, लेकिन 5G का ज्यादा उपयोग उद्योगों में होगा। 5G का कन्वर्सेशन मशीन टू मशीन होगा। इंडस्ट्री में ये औद्योगिक क्रांति लाएगा। रोबोटिक काम होगा। स्मार्ट सिटी जैसी योजनाएं तेजी से पूरी हो सकेंगी। औद्योगिक उत्पादकता औसतन कई गुना बढ़ जाएगी। Q. 5G हैंडसेट को लेकर क्या तैयारी है? अभी 5G हैंडसेट महंगे हैं। हम ये भी देख रहे हैं कि सस्ते 5G अफोर्डेबल स्मार्ट फोन कैसे आएंगे। ये लोगों तक पहुंचाना बहुत जरूरी है। हमारा प्रयास है कि 5G फोन की कीमत 8 से 10 हजार होनी चाहिए। हम इस पर काम कर रहे हैं। Q. 2021 में देश में 5G सेवा शुरू हो सकेगी? इस साल 5G का ट्रायल होगा। लेकिन कमर्शियल स्तर पर लॉन्च की संभावना कम ही दिखती है। अभी सरकार ने 5G के लिए स्पेक्ट्रम की नीलामी पर कोई निर्णय नहीं लिया है। नीलामी के बाद कीमत तय होंगी, नेटवर्क और उपकरण लगेंगे। इसके बाद ही 5G नेटवर्क शुरू हो सकेंगे। सब कुछ ठीक रहा तो हो सकता है कि इस साल एक-दो कंपनियां कमर्शियल शुरुआत भी कर दें। Q. टेलीकॉम में 2021 में क्या बदलने वाला है? हमेशा की तरह हमारा प्रयास रहेगा कि सब्स्क्राइबर को अच्छी सुविधा, बेहतर दाम पर मिले। जिस तरह से मार्च में स्पेक्ट्रम नीलामी की बेस प्राइस तय हुई है, उसके हिसाब से अभी चार्ज कम होने की संभावनाएं कम हैं। लेकिन सरकार से टैक्स में छूट की बात चल रही है। अगर वो मिलती है तो कीमत में अंतर आएगा। कॉस्ट का अंतर आता है तो डेटा और सस्ता हो सकता है। Q. टैक्स में छूट मिलती है तो फायदा यूजर्स को होगा या कंपनियों को? टैक्स कम हाेने का बड़ा फायदा यूजर्स को ही होगा। जरूरी सेवा मानकर टैक्स कम करना चाहिए। इससे लोगों को सही कीमत पर बेहतर इंटरनेट मिलेगा। हमें देखना होगा कि जो लैवीज और टैक्सेस टेलीकॉम पर लगाए गए हैं, उन्हें नेशनलाइज किया जाए और कम किया जाए। Q. आप किस तरह के टैक्स में छूट चाहते हैं? टेलीकॉम पर तकरीबन 40% तक टैक्स लगते हैं। टैक्स के लिहाज से देखें तो टेलीकॉम इंडस्ट्री को एक जरूरी सर्विस नहीं माना जाता है, जो सही नहीं है। स्पेक्ट्रम फीस, लाइसेंस फीस, यूएसओ फंड जैसी सब चीजें हम पर लागू होती हैं। हमारा आग्रह रहता है कि इसे कम किया जाए। Q. सरकार मार्च में स्पेक्ट्रम नीलामी करने जा रही है। टेलीकॉम को क्या फायदा हो सकता है? हमारे यहां जो नीलामी होती है, वो बेस प्राइस के पुराने बनाए हुए फॉर्मूले पर होती है। फिर कहते हैं कि इससे ऊपर ही बिड कर सकते हैं। यही कारण रहा कि पिछली नीलामी में काफी सारा स्पेक्ट्रम नहीं बिक पाया था। इस बार भी चिंता तो है कि क्या इस बेस प्राइस पर सारा स्पेक्ट्रम बिक पाएगा। Q. बजट को लेकर क्या उम्मीदें हैं? हमने सरकार को अपनी बात बता दी है। हम पर कई तरह से जीएसटी लग रही है, उसे हटाइए। नीलामी तक में जीएसटी लगता है जबकि नीलामी में सर्विस शामिल नहीं है। स्पेक्ट्रम खरीदने पर जीएसटी लगता है। लाइसेंस फीस हम सरकार को देते हैं तो उस पर जीएसटी नहीं लगना चाहिए, क्योंकि हम तो सरकार को फीस दे रहे हैं, तो उसमें कैसे सर्विस टैक्स लग सकता है। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें सेलुलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (COAI) के महानिदेशक रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल डॉ एसपी कोचर का फाइल फोटो। https://ift.tt/3skQzxJ Dainik Bhaskar इंडस्ट्रियल प्रोडक्टिविटी 10 गुना बढे़गी, रोबोटिक काम से स्मार्ट सिटी जैसे प्रोजेक्ट तेजी से पूरे होंगे 

यह साल 5G तकनीक का है। इसके आने से हमारे मोबाइल इंटरनेट की स्पीड ही नहीं बढ़ेगी बल्कि देश की इंडस्ट्रियल प्रोडक्टिविटी में 10 गुना तक इजाफा होगा। 5G टेक्नोलॉजी के लिए यह साल कितना अहम है, अभी इस पर देश में क्या काम हो रहा है, ऐसे सवालों के जवाब जानने के लिए भास्कर के प्रमोद त्रिवेदी ने सेलुलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (COAI) के महानिदेशक रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल डॉ एसपी कोचर से बात की। पढ़िए बातचीत के प्रमुख अंश।

Q. 5G सर्विस कैसे लोगों का जीवन बदलेगी?
4G का व्यक्तिगत उपयोग ज्यादा होता है, ऐसा 5G में नहीं होगा। इसमें लोगों को इंटरनेट स्पीड ज्यादा मिलेगी, लेकिन 5G का ज्यादा उपयोग उद्योगों में होगा। 5G का कन्वर्सेशन मशीन टू मशीन होगा। इंडस्ट्री में ये औद्योगिक क्रांति लाएगा। रोबोटिक काम होगा। स्मार्ट सिटी जैसी योजनाएं तेजी से पूरी हो सकेंगी। औद्योगिक उत्पादकता औसतन कई गुना बढ़ जाएगी।

Q. 5G हैंडसेट को लेकर क्या तैयारी है?
अभी 5G हैंडसेट महंगे हैं। हम ये भी देख रहे हैं कि सस्ते 5G अफोर्डेबल स्मार्ट फोन कैसे आएंगे। ये लोगों तक पहुंचाना बहुत जरूरी है। हमारा प्रयास है कि 5G फोन की कीमत 8 से 10 हजार होनी चाहिए। हम इस पर काम कर रहे हैं।

Q. 2021 में देश में 5G सेवा शुरू हो सकेगी?
इस साल 5G का ट्रायल होगा। लेकिन कमर्शियल स्तर पर लॉन्च की संभावना कम ही दिखती है। अभी सरकार ने 5G के लिए स्पेक्ट्रम की नीलामी पर कोई निर्णय नहीं लिया है। नीलामी के बाद कीमत तय होंगी, नेटवर्क और उपकरण लगेंगे। इसके बाद ही 5G नेटवर्क शुरू हो सकेंगे। सब कुछ ठीक रहा तो हो सकता है कि इस साल एक-दो कंपनियां कमर्शियल शुरुआत भी कर दें।

Q. टेलीकॉम में 2021 में क्या बदलने वाला है?
हमेशा की तरह हमारा प्रयास रहेगा कि सब्स्क्राइबर को अच्छी सुविधा, बेहतर दाम पर मिले। जिस तरह से मार्च में स्पेक्ट्रम नीलामी की बेस प्राइस तय हुई है, उसके हिसाब से अभी चार्ज कम होने की संभावनाएं कम हैं। लेकिन सरकार से टैक्स में छूट की बात चल रही है। अगर वो मिलती है तो कीमत में अंतर आएगा। कॉस्ट का अंतर आता है तो डेटा और सस्ता हो सकता है।

Q. टैक्स में छूट मिलती है तो फायदा यूजर्स को होगा या कंपनियों को?
टैक्स कम हाेने का बड़ा फायदा यूजर्स को ही होगा। जरूरी सेवा मानकर टैक्स कम करना चाहिए। इससे लोगों को सही कीमत पर बेहतर इंटरनेट मिलेगा। हमें देखना होगा कि जो लैवीज और टैक्सेस टेलीकॉम पर लगाए गए हैं, उन्हें नेशनलाइज किया जाए और कम किया जाए।

Q. आप किस तरह के टैक्स में छूट चाहते हैं?
टेलीकॉम पर तकरीबन 40% तक टैक्स लगते हैं। टैक्स के लिहाज से देखें तो टेलीकॉम इंडस्ट्री को एक जरूरी सर्विस नहीं माना जाता है, जो सही नहीं है। स्पेक्ट्रम फीस, लाइसेंस फीस, यूएसओ फंड जैसी सब चीजें हम पर लागू होती हैं। हमारा आग्रह रहता है कि इसे कम किया जाए।

Q. सरकार मार्च में स्पेक्ट्रम नीलामी करने जा रही है। टेलीकॉम को क्या फायदा हो सकता है?
हमारे यहां जो नीलामी होती है, वो बेस प्राइस के पुराने बनाए हुए फॉर्मूले पर होती है। फिर कहते हैं कि इससे ऊपर ही बिड कर सकते हैं। यही कारण रहा कि पिछली नीलामी में काफी सारा स्पेक्ट्रम नहीं बिक पाया था। इस बार भी चिंता तो है कि क्या इस बेस प्राइस पर सारा स्पेक्ट्रम बिक पाएगा।

Q. बजट को लेकर क्या उम्मीदें हैं?
हमने सरकार को अपनी बात बता दी है। हम पर कई तरह से जीएसटी लग रही है, उसे हटाइए। नीलामी तक में जीएसटी लगता है जबकि नीलामी में सर्विस शामिल नहीं है। स्पेक्ट्रम खरीदने पर जीएसटी लगता है। लाइसेंस फीस हम सरकार को देते हैं तो उस पर जीएसटी नहीं लगना चाहिए, क्योंकि हम तो सरकार को फीस दे रहे हैं, तो उसमें कैसे सर्विस टैक्स लग सकता है।

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सेलुलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (COAI) के महानिदेशक रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल डॉ एसपी कोचर का फाइल फोटो।

https://ift.tt/3skQzxJ Dainik Bhaskar इंडस्ट्रियल प्रोडक्टिविटी 10 गुना बढे़गी, रोबोटिक काम से स्मार्ट सिटी जैसे प्रोजेक्ट तेजी से पूरे होंगे Reviewed by Manish Pethev on January 11, 2021 Rating: 5

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- January 11, 2021
आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें Farmers Agitation | Rally | Khattar | Helicopter | Haryana CM's rally canceled due to opposition from farmers https://ift.tt/3buMtNg Dainik Bhaskar किसानों के विरोध के चलते हरियाणा के CM की रैली रद्द, अपने ही जिले में बुलाई थी महापंचायत 

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Farmers Agitation | Rally | Khattar | Helicopter | Haryana CM's rally canceled due to opposition from farmers

https://ift.tt/3buMtNg Dainik Bhaskar किसानों के विरोध के चलते हरियाणा के CM की रैली रद्द, अपने ही जिले में बुलाई थी महापंचायत Reviewed by Manish Pethev on January 11, 2021 Rating: 5

नमस्कार! हरियाणा में पुलिस ने किसानों पर आंसू गैस और वॉटर कैनन चलाई। सिडनी टेस्ट में लगातार दूसरे दिन मंकीगेट विवाद हुआ। चीन ने भारतीय सेना से अपने सैनिक की रिहाई की मांग की है। बहरहाल शुरू करते हैं न्यूज ब्रीफ। आज इन इवेंट्स पर रहेगी नजर... किसान आंदोलन और कृषि कानूनों से जुड़ी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वैक्सीन डिस्ट्रीब्यूशन को लेकर राज्यों के मुख्यमंत्रियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बात करेंगे। बॉम्बे हाईकोर्ट में बृहनमुंबई नगरपालिका (BMC) के नोटिस के खिलाफ एक्टर सोनू सूद की याचिका पर सुनवाई होगी। सेंट्रल बोर्ड और डायरेक्ट टैक्सेस (CBDT) के बोर्ड मेंबर्स के सिलेक्शन के लिए सेक्रेटरीज की बैठक होगी। देश-विदेश किसानों पर आंसू गैस-वॉटर कैनन चलाई किसान आंदोलन का रविवार को 46वां दिन था। दिल्ली की सीमाओं पर बैठे किसान अब भी केंद्र सरकार से दूरी बनाए हुए हैं। इस बीच, हरियाणा के करनाल में उस समय हंगामा हो गया, जब कैमला गांव में किसानों ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की रैली का विरोध किया। पुलिस ने किसानों को रोका तो दोनों के बीच झड़प शुरू हो गई। हंगामा इस कदर बढ़ा कि किसानों को रोकने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले दागने पड़े और वॉटर कैनन भी चलानी पड़ी। इसके बाद खराब मौसम का हवाला देकर मुख्यमंत्री खट्टर का कार्यक्रम रद्द कर दिया गया है। पीएम किसान योजना में बंदरबांट प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत 20 लाख 48 हजार ऐसे किसानों को 1 हजार 364 करोड़ रुपए का भुगतान कर दिया गया, जो तय क्राइटेरिया में ही नहीं आते थे। इस बात का खुलासा राइट टू इनफॉर्मेशन (RTI) से मिली जानकारी से हुआ है। कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव (CHRI) से जुड़े वेंकटेश नायक ने यह जानकारी मांगी थी। केंद्रीय कृषि मंत्रालय से मिली जानकारी के मुताबिक, जिन अपात्र किसानों के पास स्कीम का पैसा पहुंचा है, उनमें दो कैटेगरी शामिल हैं। पहली में वे किसान हैं, जो इसके लिए जरूरी योग्यता नहीं रखते हैं। दूसरी कैटेगरी में ऐसे किसान हैं, जो इनकम टैक्स भरते हैं। सिडनी में दूसरे दिन भी नस्लीय टिप्पणी सिडनी टेस्ट में लगातार दूसरे दिन मंकीगेट विवाद हुआ। टेस्ट के चौथे दिन भी भारतीय बॉलर मो. सिराज पर दर्शकों ने नस्लभेदी टिप्पणी की। बाउंड्री के करीब बैठे दर्शकों की एक टोली लगातार सिराज को ब्राउन मंकी और बिग डॉग बोल रही थी। सिराज ने इसकी शिकायत फील्ड अंपायर पॉल राफेल से की। मैच रेफरी और टीवी अंपायर से फील्ड अंपायर ने बातचीत की और फिर पुलिस बुलाई गई। पुलिस ने 6 दर्शकों को बाहर निकाल दिया। क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने भी इस घटना पर टीम इंडिया से माफी मांगी है। विराट कोहली ने भी इस घटना पर ऐतराज जताया है। वैक्सीनेशन पर कांग्रेस में दो फाड़ 16 जनवरी से देश में वैक्सीनेशन ड्राइव शुरू होना है। इस बीच, वैक्सीन पर सवाल खड़े करने वाली कांग्रेस दो खेमों में बंट गई है। शशि थरूर, जयराम रमेश जैसे कई नेताओं ने वैक्सीन पर सवाल खड़े किए तो कांग्रेसी राज वाले राज्य पंजाब, झारखंड और राजस्थान के मंत्री वैक्सीन के पक्ष में खड़े हो गए। इन राज्यों के मंत्रियों ने साफ कहा कि वैक्सीन पर किसी तरह का सवाल खड़ा करना ठीक नहीं है। झारखंड के मंत्री ने तो यहां तक कह दिया कि जनहित के मामलों में वह केंद्र सरकार के साथ खड़े हैं। वहां कांग्रेस गठबंधन की सरकार है। चीन ने सैनिक की रिहाई की मांग की चीन ने भारतीय सेना की हिरासत में मौजूद अपने सैनिक की फौरन रिहाई की मांग की है। चीन की सेना यानी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के मुताबिक, यह सैनिक अंधेरे और इलाके की समझ न होने की वजह से भारतीय क्षेत्र में पहुंच गया था। इसलिए उसे जल्द रिहा किया जाना चाहिए। घटना पैगॉन्ग त्सो लेक के दक्षिणी हिस्से की है। अक्टूबर में भी एक चीनी सैनिक भारतीय सीमा में घुस गया था। दो दिन बाद उसे चीनी सेना के अफसरों को सौंप दिया गया था। जवानों की जान बचाएगा हिमतापक चीन से तनाव के बीच सियाचिन और लद्दाख जैसे बर्फीले इलाकों में तैनात जवानों को अब ज्यादा परेशान नहीं होना पड़ेगा। डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO) ने जवानों के लिए हिमतापक हीटिंग डिवाइस तैयार की है। ये ऐसी डिवाइस है, जिसके जरिए सेना का बंकर माइनस 40 डिग्री सेल्सियस तापमान में भी गर्म रहेगा। आर्मी ने इस डिवाइस के लिए 420 करोड़ का ऑर्डर भी DRDO को दे दिया है। जल्द ही इसे बर्फीले इलाकों में ITBP और सेना की पोस्ट पर लगाया जाएगा। एक्सप्लेनर कृषि कानूनों पर सुप्रीम सुनवाई किसान आंदोलन और कृषि कानूनों से जुड़े सभी मामलों की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में आज होगी। दरअसल, किसान आंदोलन से जुड़ी कई याचिकाएं कोर्ट में दायर हुई थीं। कुछ याचिकाओं में आंदोलन को खत्म करने की मांग की गई है, तो कई याचिकाओं में तीनों कानूनों को रद्द करने की। इन्हीं सब याचिकाओं पर अब चीफ जस्टिस एसए बोबड़े, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमण्यम की बेंच करेगी। इस मामले की आखिरी सुनवाई 17 दिसंबर को हुई थी। लेकिन सवाल ये है कि क्या सुप्रीम कोर्ट से मसला सुलझ सकता है? आइए एक-एक करके इस मामले को पूरी तरह समझते हैं। पढ़ें पूरी खबर... पॉजिटिव खबर फर्श से अर्श तक का सफर आज हम आपको अजमेर के भरत ताराचंदानी की कहानी बताने जा रहे हैं। भरत जब छटवीं क्लास में थे, तब उनके पिता का एक्सीडेंट हो गया था। हादसे के बाद पिता बेड पर चले गए थे। तभी से भरत और उनके परिवार का स्ट्रगल शुरू हो गया था। लेकिन, आज वे पुष्कर में पांच दुकानों के मालिक हैं और टर्नओवर करोड़ों में है। ये सब वो कैसे कर पाए, उन्हीं से जानिए। पढ़ें पूरी खबर... 14 जनवरी हो सकता है सबसे सर्द दिन दो दशक बाद जनवरी के पहले हफ्ते में देशभर में मानसून जैसा माहौल बन गया। उत्तर के पहाड़ी राज्यों में जबरदस्त बर्फबारी हुई तो दक्षिण के राज्यों में भारी बारिश। दक्षिण में जनवरी में बारिश के 100 साल तक के रिकॉर्ड टूट गए। पश्चिमी विक्षोभ के साथ-साथ देश के अलग-अलग हिस्सों में एक साथ कई चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बनने से यह स्थिति पैदा हुई। देश के सभी ऊंचे पहाड़ी इलाकों में 5 से 8 फीट तक मोटी बर्फ की चादर लिपटी है। मौसम विभाग के मुताबिक, बर्फीली हवाओं का असर समूचे उत्तर, पश्चिम, मध्य व पूर्वी राज्यों पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार तक दिखेगा। अंधेरे में डूबे पाकिस्तान के शहर पाकिस्तान में शनिवार देर रात ब्लैकआउट (बिजली गुल) हो गया। इससे कराची, लाहौर, इस्लामाबाद, मुल्तान, कसूर, रावलपिंडी और मंडी अंधेरे में डूब गए। इसके बाद सोशल मीडिया पर #Blackout और #LoadShedding ट्रेंड करने लगा। इस्लामाबाद के डिप्टी कमिश्नर हमजा शफकत ने कहा कि बिजली कंपनी का सिस्टम ट्रिप होने के कारण ब्लैकआउट हुआ। लोगों ने सोशल मीडिया पर इस बदइंतजामी के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली। सुर्खियों में और क्या है... पश्चिम बंगाल में हर व्यक्ति को कोरोना वैक्सीन फ्री में दी जाएगी। विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने रविवार को ये एलान किया। कोरोना से अमेरिका, ब्रिटेन और ब्राजील में हालात बेकाबू हो चुके हैं। अमेरिका में शुक्रवार को दो लाख 49 हजार 519 मरीज मिले। ब्रिटेन की क्वीन एलिजाबेथ और प्रिंस फिलिप को शनिवार को कोरोना वैक्सीन लगाई गई। हालांकि, यह नहीं बताया गया है कि उन्हें कौन सी वैक्सीन दी गई है। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें Top News of 10 January 2021| PM Kisan Samman Yojana will save lives of soldiers in Bandarbant, Ladakh and Siachen, cold and can cause havoc on January 14 https://ift.tt/38uT9sQ Dainik Bhaskar PM किसान सम्मान योजना में बंदरबांट, लद्दाख-सियाचिन में जवानों की जान बचाएगा हिमतापक और 14 जनवरी को कहर ढा सकती है सर्दी

नमस्कार! हरियाणा में पुलिस ने किसानों पर आंसू गैस और वॉटर कैनन चलाई। सिडनी टेस्ट में लगातार दूसरे दिन मंकीगेट विवाद हुआ। चीन ने भारतीय सेन...
- January 11, 2021
नमस्कार! हरियाणा में पुलिस ने किसानों पर आंसू गैस और वॉटर कैनन चलाई। सिडनी टेस्ट में लगातार दूसरे दिन मंकीगेट विवाद हुआ। चीन ने भारतीय सेना से अपने सैनिक की रिहाई की मांग की है। बहरहाल शुरू करते हैं न्यूज ब्रीफ। आज इन इवेंट्स पर रहेगी नजर... किसान आंदोलन और कृषि कानूनों से जुड़ी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वैक्सीन डिस्ट्रीब्यूशन को लेकर राज्यों के मुख्यमंत्रियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बात करेंगे। बॉम्बे हाईकोर्ट में बृहनमुंबई नगरपालिका (BMC) के नोटिस के खिलाफ एक्टर सोनू सूद की याचिका पर सुनवाई होगी। सेंट्रल बोर्ड और डायरेक्ट टैक्सेस (CBDT) के बोर्ड मेंबर्स के सिलेक्शन के लिए सेक्रेटरीज की बैठक होगी। देश-विदेश किसानों पर आंसू गैस-वॉटर कैनन चलाई किसान आंदोलन का रविवार को 46वां दिन था। दिल्ली की सीमाओं पर बैठे किसान अब भी केंद्र सरकार से दूरी बनाए हुए हैं। इस बीच, हरियाणा के करनाल में उस समय हंगामा हो गया, जब कैमला गांव में किसानों ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की रैली का विरोध किया। पुलिस ने किसानों को रोका तो दोनों के बीच झड़प शुरू हो गई। हंगामा इस कदर बढ़ा कि किसानों को रोकने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले दागने पड़े और वॉटर कैनन भी चलानी पड़ी। इसके बाद खराब मौसम का हवाला देकर मुख्यमंत्री खट्टर का कार्यक्रम रद्द कर दिया गया है। पीएम किसान योजना में बंदरबांट प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत 20 लाख 48 हजार ऐसे किसानों को 1 हजार 364 करोड़ रुपए का भुगतान कर दिया गया, जो तय क्राइटेरिया में ही नहीं आते थे। इस बात का खुलासा राइट टू इनफॉर्मेशन (RTI) से मिली जानकारी से हुआ है। कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव (CHRI) से जुड़े वेंकटेश नायक ने यह जानकारी मांगी थी। केंद्रीय कृषि मंत्रालय से मिली जानकारी के मुताबिक, जिन अपात्र किसानों के पास स्कीम का पैसा पहुंचा है, उनमें दो कैटेगरी शामिल हैं। पहली में वे किसान हैं, जो इसके लिए जरूरी योग्यता नहीं रखते हैं। दूसरी कैटेगरी में ऐसे किसान हैं, जो इनकम टैक्स भरते हैं। सिडनी में दूसरे दिन भी नस्लीय टिप्पणी सिडनी टेस्ट में लगातार दूसरे दिन मंकीगेट विवाद हुआ। टेस्ट के चौथे दिन भी भारतीय बॉलर मो. सिराज पर दर्शकों ने नस्लभेदी टिप्पणी की। बाउंड्री के करीब बैठे दर्शकों की एक टोली लगातार सिराज को ब्राउन मंकी और बिग डॉग बोल रही थी। सिराज ने इसकी शिकायत फील्ड अंपायर पॉल राफेल से की। मैच रेफरी और टीवी अंपायर से फील्ड अंपायर ने बातचीत की और फिर पुलिस बुलाई गई। पुलिस ने 6 दर्शकों को बाहर निकाल दिया। क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने भी इस घटना पर टीम इंडिया से माफी मांगी है। विराट कोहली ने भी इस घटना पर ऐतराज जताया है। वैक्सीनेशन पर कांग्रेस में दो फाड़ 16 जनवरी से देश में वैक्सीनेशन ड्राइव शुरू होना है। इस बीच, वैक्सीन पर सवाल खड़े करने वाली कांग्रेस दो खेमों में बंट गई है। शशि थरूर, जयराम रमेश जैसे कई नेताओं ने वैक्सीन पर सवाल खड़े किए तो कांग्रेसी राज वाले राज्य पंजाब, झारखंड और राजस्थान के मंत्री वैक्सीन के पक्ष में खड़े हो गए। इन राज्यों के मंत्रियों ने साफ कहा कि वैक्सीन पर किसी तरह का सवाल खड़ा करना ठीक नहीं है। झारखंड के मंत्री ने तो यहां तक कह दिया कि जनहित के मामलों में वह केंद्र सरकार के साथ खड़े हैं। वहां कांग्रेस गठबंधन की सरकार है। चीन ने सैनिक की रिहाई की मांग की चीन ने भारतीय सेना की हिरासत में मौजूद अपने सैनिक की फौरन रिहाई की मांग की है। चीन की सेना यानी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के मुताबिक, यह सैनिक अंधेरे और इलाके की समझ न होने की वजह से भारतीय क्षेत्र में पहुंच गया था। इसलिए उसे जल्द रिहा किया जाना चाहिए। घटना पैगॉन्ग त्सो लेक के दक्षिणी हिस्से की है। अक्टूबर में भी एक चीनी सैनिक भारतीय सीमा में घुस गया था। दो दिन बाद उसे चीनी सेना के अफसरों को सौंप दिया गया था। जवानों की जान बचाएगा हिमतापक चीन से तनाव के बीच सियाचिन और लद्दाख जैसे बर्फीले इलाकों में तैनात जवानों को अब ज्यादा परेशान नहीं होना पड़ेगा। डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO) ने जवानों के लिए हिमतापक हीटिंग डिवाइस तैयार की है। ये ऐसी डिवाइस है, जिसके जरिए सेना का बंकर माइनस 40 डिग्री सेल्सियस तापमान में भी गर्म रहेगा। आर्मी ने इस डिवाइस के लिए 420 करोड़ का ऑर्डर भी DRDO को दे दिया है। जल्द ही इसे बर्फीले इलाकों में ITBP और सेना की पोस्ट पर लगाया जाएगा। एक्सप्लेनर कृषि कानूनों पर सुप्रीम सुनवाई किसान आंदोलन और कृषि कानूनों से जुड़े सभी मामलों की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में आज होगी। दरअसल, किसान आंदोलन से जुड़ी कई याचिकाएं कोर्ट में दायर हुई थीं। कुछ याचिकाओं में आंदोलन को खत्म करने की मांग की गई है, तो कई याचिकाओं में तीनों कानूनों को रद्द करने की। इन्हीं सब याचिकाओं पर अब चीफ जस्टिस एसए बोबड़े, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमण्यम की बेंच करेगी। इस मामले की आखिरी सुनवाई 17 दिसंबर को हुई थी। लेकिन सवाल ये है कि क्या सुप्रीम कोर्ट से मसला सुलझ सकता है? आइए एक-एक करके इस मामले को पूरी तरह समझते हैं। पढ़ें पूरी खबर... पॉजिटिव खबर फर्श से अर्श तक का सफर आज हम आपको अजमेर के भरत ताराचंदानी की कहानी बताने जा रहे हैं। भरत जब छटवीं क्लास में थे, तब उनके पिता का एक्सीडेंट हो गया था। हादसे के बाद पिता बेड पर चले गए थे। तभी से भरत और उनके परिवार का स्ट्रगल शुरू हो गया था। लेकिन, आज वे पुष्कर में पांच दुकानों के मालिक हैं और टर्नओवर करोड़ों में है। ये सब वो कैसे कर पाए, उन्हीं से जानिए। पढ़ें पूरी खबर... 14 जनवरी हो सकता है सबसे सर्द दिन दो दशक बाद जनवरी के पहले हफ्ते में देशभर में मानसून जैसा माहौल बन गया। उत्तर के पहाड़ी राज्यों में जबरदस्त बर्फबारी हुई तो दक्षिण के राज्यों में भारी बारिश। दक्षिण में जनवरी में बारिश के 100 साल तक के रिकॉर्ड टूट गए। पश्चिमी विक्षोभ के साथ-साथ देश के अलग-अलग हिस्सों में एक साथ कई चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बनने से यह स्थिति पैदा हुई। देश के सभी ऊंचे पहाड़ी इलाकों में 5 से 8 फीट तक मोटी बर्फ की चादर लिपटी है। मौसम विभाग के मुताबिक, बर्फीली हवाओं का असर समूचे उत्तर, पश्चिम, मध्य व पूर्वी राज्यों पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार तक दिखेगा। अंधेरे में डूबे पाकिस्तान के शहर पाकिस्तान में शनिवार देर रात ब्लैकआउट (बिजली गुल) हो गया। इससे कराची, लाहौर, इस्लामाबाद, मुल्तान, कसूर, रावलपिंडी और मंडी अंधेरे में डूब गए। इसके बाद सोशल मीडिया पर #Blackout और #LoadShedding ट्रेंड करने लगा। इस्लामाबाद के डिप्टी कमिश्नर हमजा शफकत ने कहा कि बिजली कंपनी का सिस्टम ट्रिप होने के कारण ब्लैकआउट हुआ। लोगों ने सोशल मीडिया पर इस बदइंतजामी के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली। सुर्खियों में और क्या है... पश्चिम बंगाल में हर व्यक्ति को कोरोना वैक्सीन फ्री में दी जाएगी। विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने रविवार को ये एलान किया। कोरोना से अमेरिका, ब्रिटेन और ब्राजील में हालात बेकाबू हो चुके हैं। अमेरिका में शुक्रवार को दो लाख 49 हजार 519 मरीज मिले। ब्रिटेन की क्वीन एलिजाबेथ और प्रिंस फिलिप को शनिवार को कोरोना वैक्सीन लगाई गई। हालांकि, यह नहीं बताया गया है कि उन्हें कौन सी वैक्सीन दी गई है। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें Top News of 10 January 2021| PM Kisan Samman Yojana will save lives of soldiers in Bandarbant, Ladakh and Siachen, cold and can cause havoc on January 14 https://ift.tt/38uT9sQ Dainik Bhaskar PM किसान सम्मान योजना में बंदरबांट, लद्दाख-सियाचिन में जवानों की जान बचाएगा हिमतापक और 14 जनवरी को कहर ढा सकती है सर्दी 

नमस्कार!
हरियाणा में पुलिस ने किसानों पर आंसू गैस और वॉटर कैनन चलाई। सिडनी टेस्ट में लगातार दूसरे दिन मंकीगेट विवाद हुआ। चीन ने भारतीय सेना से अपने सैनिक की रिहाई की मांग की है। बहरहाल शुरू करते हैं न्यूज ब्रीफ।

आज इन इवेंट्स पर रहेगी नजर...

किसान आंदोलन और कृषि कानूनों से जुड़ी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वैक्सीन डिस्ट्रीब्यूशन को लेकर राज्यों के मुख्यमंत्रियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बात करेंगे।

बॉम्बे हाईकोर्ट में बृहनमुंबई नगरपालिका (BMC) के नोटिस के खिलाफ एक्टर सोनू सूद की याचिका पर सुनवाई होगी।

सेंट्रल बोर्ड और डायरेक्ट टैक्सेस (CBDT) के बोर्ड मेंबर्स के सिलेक्शन के लिए सेक्रेटरीज की बैठक होगी।

देश-विदेश

किसानों पर आंसू गैस-वॉटर कैनन चलाई
किसान आंदोलन का रविवार को 46वां दिन था। दिल्ली की सीमाओं पर बैठे किसान अब भी केंद्र सरकार से दूरी बनाए हुए हैं। इस बीच, हरियाणा के करनाल में उस समय हंगामा हो गया, जब कैमला गांव में किसानों ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की रैली का विरोध किया। पुलिस ने किसानों को रोका तो दोनों के बीच झड़प शुरू हो गई। हंगामा इस कदर बढ़ा कि किसानों को रोकने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले दागने पड़े और वॉटर कैनन भी चलानी पड़ी। इसके बाद खराब मौसम का हवाला देकर मुख्यमंत्री खट्टर का कार्यक्रम रद्द कर दिया गया है।

पीएम किसान योजना में बंदरबांट
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत 20 लाख 48 हजार ऐसे किसानों को 1 हजार 364 करोड़ रुपए का भुगतान कर दिया गया, जो तय क्राइटेरिया में ही नहीं आते थे। इस बात का खुलासा राइट टू इनफॉर्मेशन (RTI) से मिली जानकारी से हुआ है। कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव (CHRI) से जुड़े वेंकटेश नायक ने यह जानकारी मांगी थी। केंद्रीय कृषि मंत्रालय से मिली जानकारी के मुताबिक, जिन अपात्र किसानों के पास स्कीम का पैसा पहुंचा है, उनमें दो कैटेगरी शामिल हैं। पहली में वे किसान हैं, जो इसके लिए जरूरी योग्यता नहीं रखते हैं। दूसरी कैटेगरी में ऐसे किसान हैं, जो इनकम टैक्स भरते हैं।

सिडनी में दूसरे दिन भी नस्लीय टिप्पणी
सिडनी टेस्ट में लगातार दूसरे दिन मंकीगेट विवाद हुआ। टेस्ट के चौथे दिन भी भारतीय बॉलर मो. सिराज पर दर्शकों ने नस्लभेदी टिप्पणी की। बाउंड्री के करीब बैठे दर्शकों की एक टोली लगातार सिराज को ब्राउन मंकी और बिग डॉग बोल रही थी। सिराज ने इसकी शिकायत फील्ड अंपायर पॉल राफेल से की। मैच रेफरी और टीवी अंपायर से फील्ड अंपायर ने बातचीत की और फिर पुलिस बुलाई गई। पुलिस ने 6 दर्शकों को बाहर निकाल दिया। क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने भी इस घटना पर टीम इंडिया से माफी मांगी है। विराट कोहली ने भी इस घटना पर ऐतराज जताया है।

वैक्सीनेशन पर कांग्रेस में दो फाड़
16 जनवरी से देश में वैक्सीनेशन ड्राइव शुरू होना है। इस बीच, वैक्सीन पर सवाल खड़े करने वाली कांग्रेस दो खेमों में बंट गई है। शशि थरूर, जयराम रमेश जैसे कई नेताओं ने वैक्सीन पर सवाल खड़े किए तो कांग्रेसी राज वाले राज्य पंजाब, झारखंड और राजस्थान के मंत्री वैक्सीन के पक्ष में खड़े हो गए। इन राज्यों के मंत्रियों ने साफ कहा कि वैक्सीन पर किसी तरह का सवाल खड़ा करना ठीक नहीं है। झारखंड के मंत्री ने तो यहां तक कह दिया कि जनहित के मामलों में वह केंद्र सरकार के साथ खड़े हैं। वहां कांग्रेस गठबंधन की सरकार है।

चीन ने सैनिक की रिहाई की मांग की
चीन ने भारतीय सेना की हिरासत में मौजूद अपने सैनिक की फौरन रिहाई की मांग की है। चीन की सेना यानी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के मुताबिक, यह सैनिक अंधेरे और इलाके की समझ न होने की वजह से भारतीय क्षेत्र में पहुंच गया था। इसलिए उसे जल्द रिहा किया जाना चाहिए। घटना पैगॉन्ग त्सो लेक के दक्षिणी हिस्से की है। अक्टूबर में भी एक चीनी सैनिक भारतीय सीमा में घुस गया था। दो दिन बाद उसे चीनी सेना के अफसरों को सौंप दिया गया था।

जवानों की जान बचाएगा हिमतापक
चीन से तनाव के बीच सियाचिन और लद्दाख जैसे बर्फीले इलाकों में तैनात जवानों को अब ज्यादा परेशान नहीं होना पड़ेगा। डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO) ने जवानों के लिए हिमतापक हीटिंग डिवाइस तैयार की है। ये ऐसी डिवाइस है, जिसके जरिए सेना का बंकर माइनस 40 डिग्री सेल्सियस तापमान में भी गर्म रहेगा। आर्मी ने इस डिवाइस के लिए 420 करोड़ का ऑर्डर भी DRDO को दे दिया है। जल्द ही इसे बर्फीले इलाकों में ITBP और सेना की पोस्ट पर लगाया जाएगा।

एक्सप्लेनर
कृषि कानूनों पर सुप्रीम सुनवाई
किसान आंदोलन और कृषि कानूनों से जुड़े सभी मामलों की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में आज होगी। दरअसल, किसान आंदोलन से जुड़ी कई याचिकाएं कोर्ट में दायर हुई थीं। कुछ याचिकाओं में आंदोलन को खत्म करने की मांग की गई है, तो कई याचिकाओं में तीनों कानूनों को रद्द करने की। इन्हीं सब याचिकाओं पर अब चीफ जस्टिस एसए बोबड़े, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमण्यम की बेंच करेगी। इस मामले की आखिरी सुनवाई 17 दिसंबर को हुई थी। लेकिन सवाल ये है कि क्या सुप्रीम कोर्ट से मसला सुलझ सकता है? आइए एक-एक करके इस मामले को पूरी तरह समझते हैं।

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फर्श से अर्श तक का सफर
आज हम आपको अजमेर के भरत ताराचंदानी की कहानी बताने जा रहे हैं। भरत जब छटवीं क्लास में थे, तब उनके पिता का एक्सीडेंट हो गया था। हादसे के बाद पिता बेड पर चले गए थे। तभी से भरत और उनके परिवार का स्ट्रगल शुरू हो गया था। लेकिन, आज वे पुष्कर में पांच दुकानों के मालिक हैं और टर्नओवर करोड़ों में है। ये सब वो कैसे कर पाए, उन्हीं से जानिए।

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14 जनवरी हो सकता है सबसे सर्द दिन
दो दशक बाद जनवरी के पहले हफ्ते में देशभर में मानसून जैसा माहौल बन गया। उत्तर के पहाड़ी राज्यों में जबरदस्त बर्फबारी हुई तो दक्षिण के राज्यों में भारी बारिश। दक्षिण में जनवरी में बारिश के 100 साल तक के रिकॉर्ड टूट गए। पश्चिमी विक्षोभ के साथ-साथ देश के अलग-अलग हिस्सों में एक साथ कई चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बनने से यह स्थिति पैदा हुई। देश के सभी ऊंचे पहाड़ी इलाकों में 5 से 8 फीट तक मोटी बर्फ की चादर लिपटी है। मौसम विभाग के मुताबिक, बर्फीली हवाओं का असर समूचे उत्तर, पश्चिम, मध्य व पूर्वी राज्यों पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार तक दिखेगा।

अंधेरे में डूबे पाकिस्तान के शहर
पाकिस्तान में शनिवार देर रात ब्लैकआउट (बिजली गुल) हो गया। इससे कराची, लाहौर, इस्लामाबाद, मुल्तान, कसूर, रावलपिंडी और मंडी अंधेरे में डूब गए। इसके बाद सोशल मीडिया पर #Blackout और #LoadShedding ट्रेंड करने लगा। इस्लामाबाद के डिप्टी कमिश्नर हमजा शफकत ने कहा कि बिजली कंपनी का सिस्टम ट्रिप होने के कारण ब्लैकआउट हुआ। लोगों ने सोशल मीडिया पर इस बदइंतजामी के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली।

सुर्खियों में और क्या है...

पश्चिम बंगाल में हर व्यक्ति को कोरोना वैक्सीन फ्री में दी जाएगी। विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने रविवार को ये एलान किया।

कोरोना से अमेरिका, ब्रिटेन और ब्राजील में हालात बेकाबू हो चुके हैं। अमेरिका में शुक्रवार को दो लाख 49 हजार 519 मरीज मिले।

ब्रिटेन की क्वीन एलिजाबेथ और प्रिंस फिलिप को शनिवार को कोरोना वैक्सीन लगाई गई। हालांकि, यह नहीं बताया गया है कि उन्हें कौन सी वैक्सीन दी गई है।

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Top News of 10 January 2021| PM Kisan Samman Yojana will save lives of soldiers in Bandarbant, Ladakh and Siachen, cold and can cause havoc on January 14

https://ift.tt/38uT9sQ Dainik Bhaskar PM किसान सम्मान योजना में बंदरबांट, लद्दाख-सियाचिन में जवानों की जान बचाएगा हिमतापक और 14 जनवरी को कहर ढा सकती है सर्दी Reviewed by Manish Pethev on January 11, 2021 Rating: 5

भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच सिडनी टेस्ट के चौथे दिन का खेल जारी है। दूसरी पारी में ऑस्ट्रेलिया के 4 विकेट गिर चुके हैं। तेज गेंदबाज नवदीप सैनी ने मार्नस लाबुशेन के बाद मैथ्यू वेड को भी पवेलियन भेजा। स्टीव स्मिथ और क्रिस ग्रीन क्रीज पर मौजूद हैं। स्मिथ ने टेस्ट करियर की 30वीं फिफ्टी लगाई। मैच का स्कोरकार्ड देखने के लिए यहां क्लिक करें... इससे पहले लाबुशेन और स्मिथ ने तीसरे विकेट के लिए 224 बॉल पर 103 रन की पार्टनरशिप की। लाबुशेन ने टेस्ट करियर की 10वीं फिफ्टी लगाई। वे 118 बॉल पर 73 रन बनाकर आउट हुए। सैनी ने उन्हें ऋद्धिमान साहा के हाथों कैच कराया। लाबुशेन ने पिछली पारी में भी 91 रन बनाए थे। वहीं, मैथ्यू वेड कुछ खास नहीं कर सके और 4 रन बनाकर आउट हुए। उन्हें भी सैनी ने आउट किया। सैनी अपने डेब्यू टेस्ट में अब तक 4 विकेट ले चुके हैं। पहली पारी में भी उन्होंने 2 विकेट लिए थे। अश्विन ने वॉर्नर को रिकॉर्ड 10वीं बार आउट किया इससे पहले दूसरे दिन ऑस्ट्रेलिया ने दूसरी पारी में 2 विकेट खोए। रविचंद्रन अश्विन ने डेविड वॉर्नर को LBW आउट किया। उन्होंने 23 बॉल पर 19 रन की पारी खेली। अश्विन ने वॉर्नर को टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज्यादा 10 बार आउट किया है। इसके अलावा उन्होंने इंग्लैंड के पूर्व क्रिकेटर एलिस्टेयर कुक को 9 बार आउट किया। मोहम्मद सिराज ने विल पुकोव्स्की को आउट कर ऑस्ट्रेलिया को पहला झटका पंत की जगह साहा कर रहे विकेटकीपिंग ऋषभ पंत की जगह ऋद्धिमान साहा सब्सटिट्यूट फील्डर के तौर पर विकेटकीपिंग कर रहे हैं। भारतीय पारी के दौरान पंत के हाथ (एल्बो) में चोट लगी थी। वहीं, रविंद्र जडेजा को भी बैटिंग के दौरान बाएं अंगूठे में चोट लगी थी। दोनों को स्कैन के लिए अस्पताल ले जाया गया। इंजर्ड प्लेयर्स से परेशान टीम इंडिया:तीसरे टेस्ट के तीसरे दिन जडेजा और पंत भी घायल; दूसरी पारी में टारगेट चेज करना हो सकता है मुश्किल टीम इंडिया ने 148 रन पर 8 विकेट गंवाए भारतीय टीम पहली पारी में 244 रन पर सिमट गई थी। भारत ने तीसरे दिन 96 रन पर 2 विकेट से आगे खेलना शुरू किया था। यानी तीसरे दिन टीम ने 148 रन बनाने में बाकी 8 विकेट गंवा दिए। चेतेश्वर पुजारा, पंत और रविंद्र जडेजा के अलावा कोई भी बल्लेबाज विकेट पर नहीं टिक सका। 4 बल्लेबाज तो दहाई का आंकड़ा भी नहीं छू सके। दूसरे दिन भारत ने अपने दोनों ओपनर रोहित शर्मा और शुभमन गिल को गंवा दिया था। भारत की 14वें पारी में 50+ की ओपनिंग पार्टनरशिप:शुभमन ऑस्ट्रेलिया में 50+ स्कोर बनाने वाले भारत के सबसे युवा टेस्ट ओपनर बने 12 साल बाद भारत के 3 बल्लेबाज एक पारी में रन आउट भारत की पहली पारी में हनुमा विहारी, रविचंद्रन अश्विन और बुमराह रन आउट हुए। 12 साल बाद एक पारी में 3 भारतीय बल्लेबाज रन आउट हुए। इससे पहले 2008-09 में इंग्लैंड के खिलाफ मोहाली में एक पारी में भारत के 3 बल्लेबाज रन आउट हुए थे। 2008-09 में वीरेंद्र सहवाग, वीवीएस लक्ष्मण और युवराज सिंह रन आउट हुए थे। यह 7वीं बार है जब एक पारी में भारत के 3 या इससे ज्यादा बल्लेबाज रन आउट हुए हैं। पुजारा की स्लो बैटिंग से पोंटिंग खफा:चेतेश्ववर का जवाब- मुझे बैटिंग करना आता है, सोशल मीडिया पर द्रविड़ vs पुजारा ट्रेंडिंग में 3 टेस्ट में चौथी बार कमिंस का शिकार बने पुजारा पैट कमिंस ने चेतेश्वर पुजारा को विकेटकीपर टिम पेन के हाथों कैच कराया। वे 176 बॉल पर 50 रन बनाकर आउट हुए। कमिंस ने सीरीज की 5 पारियों में चौथी बार पुजारा को आउट किया। वहीं, ऋषभ पंत 67 बॉल पर 36 रन बनाकर आउट हुए। उन्हें जोश हेजलवुड ने डेविड वॉर्नर के हाथों कैच कराया। ऑस्ट्रेलिया की ओर से कमिंस ने 4, हेजलवुड ने 2 और स्टार्क ने 1 विकेट लिए। पुजारा ने तीसरे दिन टेस्ट करियर की 25वीं फिफ्टी लगाई। पुजारा के करियर की यह सबसे धीमी फिफ्टी है। उन्होंने इसके लिए 174 गेंदें खेलीं। IND vs AUS तीसरा टेस्ट:दूसरी पारी में ऑस्ट्रेलिया को अब तक 197 रन की बढ़त; तीसरे दिन 251 रन बने और 10 विकेट गिरे दूसरे दिन जडेजा ने ऑस्ट्रेलिया को 4 झटके दिए जडेजा ने ऑस्ट्रेलिया को 4 बड़े झटके दिए। पहले मार्नस लाबुशेन को 91 रन पर अजिंक्य रहाणे के हाथों कैच आउट कराया। उन्होंने टेस्ट करियर की 9वीं फिफ्टी लगाई। साथ ही स्मिथ के साथ तीसरे विकेट के लिए 100 रन की पार्टनरशिप भी की। जडेजा ने मैथ्यू वेड (13) को जसप्रीत बुमराह के हाथों कैच आउट कराया। इसके बाद पैट कमिंस और नाथन लियोन को खाता भी नहीं खोलने दिया। कमिंस बोल्ड हुए, जबकि लियोन को LBW किया। भारत ने पहली पारी में ऑस्ट्रेलिया को 338 रन पर समेट दिया। सिडनी टेस्ट का दूसरा दिन:शुभमन ने करियर की पहली फिफ्टी जड़ी, जडेजा ने 4 विकेट लेकर ऑस्ट्रेलिया को ढेर किया सैनी ने डेब्यू टेस्ट में 2 विकेट झटके तेज गेंदबाज नवदीप सैनी ने डेब्यू टेस्ट में दो विकेट लिए। उन्होंने ओपनर विल पुकोव्स्की (62) को LBW किया। इसके बाद मिचेल स्टार्क (24) को शुभमन के हाथों कैच आउट कराया। वहीं, जसप्रीत बुमराह ने 2 विकेट लेकर ऑस्ट्रेलियाई मिडिल ऑर्डर को धराशायी किया। स्टीव ने ग्रीम स्मिथ और एलन बॉर्डर की बराबरी की ऑस्ट्रेलिया के स्टीव स्मिथ ने टेस्ट करियर का 27वां शतक जड़ा। इसी के साथ उन्होंने वेस्टइंडीज के लीजेंड सर गैरी सोबर्स (26) को पीछे छोड़ दिया है। स्टीव 226 बॉल पर 131 रन बनाकर जडेजा के हाथों रनआउट हुए। सचिन-कोहली से आगे स्मिथ:136 टेस्ट पारियों में 27 शतक लगाए; तेंदुलकर और विराट ने इसके लिए 141 इनिंग्स खेलीं थीं ऑस्ट्रेलिया की खराब शुरुआत, वॉर्नर जल्दी पवेलियन लौटे मेजबान टीम की पहली पारी में खराब शुरुआत हुई। चौथे ओवर में ही मोहम्मद सिराज ने ऑस्ट्रेलिया को पहला झटका दिया। डेविड वॉर्नर 5 रन बनाकर पवेलियन लौटे। चेतेश्वर पुजारा ने उनका कैच लिया। इसके बाद पुकोव्स्की ने लाबुशेन के साथ दूसरे विकेट के लिए 100 रन की पार्टनरशिप कर पारी को संभाला। इसके बाद लाबुशेन ने स्मिथ के साथ तीसरे विकेट के लिए 100 रन की पार्टनरशिप की। सिडनी टेस्ट का पहला दिन आधा धुला:ऑस्ट्रेलिया का स्कोर 166/2, डेब्यू मैच में सैनी को एक विकेट और पुकोव्स्की की फिफ्टी आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें दूसरी पारी में स्टीव स्मिथ ने टेस्ट करियर की 30वीं फिफ्टी लगाई। https://ift.tt/35tU8rw Dainik Bhaskar स्मिथ की फिफ्टी, ऑस्ट्रेलिया का 4 विकेट गिरे, सैनी ने लाबुशेन के बाद मैथ्यू वेड को भी पवेलियन भेजा

भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच सिडनी टेस्ट के चौथे दिन का खेल जारी है। दूसरी पारी में ऑस्ट्रेलिया के 4 विकेट गिर चुके हैं। तेज गेंदबाज नवदीप सै...
- January 10, 2021
भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच सिडनी टेस्ट के चौथे दिन का खेल जारी है। दूसरी पारी में ऑस्ट्रेलिया के 4 विकेट गिर चुके हैं। तेज गेंदबाज नवदीप सैनी ने मार्नस लाबुशेन के बाद मैथ्यू वेड को भी पवेलियन भेजा। स्टीव स्मिथ और क्रिस ग्रीन क्रीज पर मौजूद हैं। स्मिथ ने टेस्ट करियर की 30वीं फिफ्टी लगाई। मैच का स्कोरकार्ड देखने के लिए यहां क्लिक करें... इससे पहले लाबुशेन और स्मिथ ने तीसरे विकेट के लिए 224 बॉल पर 103 रन की पार्टनरशिप की। लाबुशेन ने टेस्ट करियर की 10वीं फिफ्टी लगाई। वे 118 बॉल पर 73 रन बनाकर आउट हुए। सैनी ने उन्हें ऋद्धिमान साहा के हाथों कैच कराया। लाबुशेन ने पिछली पारी में भी 91 रन बनाए थे। वहीं, मैथ्यू वेड कुछ खास नहीं कर सके और 4 रन बनाकर आउट हुए। उन्हें भी सैनी ने आउट किया। सैनी अपने डेब्यू टेस्ट में अब तक 4 विकेट ले चुके हैं। पहली पारी में भी उन्होंने 2 विकेट लिए थे। अश्विन ने वॉर्नर को रिकॉर्ड 10वीं बार आउट किया इससे पहले दूसरे दिन ऑस्ट्रेलिया ने दूसरी पारी में 2 विकेट खोए। रविचंद्रन अश्विन ने डेविड वॉर्नर को LBW आउट किया। उन्होंने 23 बॉल पर 19 रन की पारी खेली। अश्विन ने वॉर्नर को टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज्यादा 10 बार आउट किया है। इसके अलावा उन्होंने इंग्लैंड के पूर्व क्रिकेटर एलिस्टेयर कुक को 9 बार आउट किया। मोहम्मद सिराज ने विल पुकोव्स्की को आउट कर ऑस्ट्रेलिया को पहला झटका पंत की जगह साहा कर रहे विकेटकीपिंग ऋषभ पंत की जगह ऋद्धिमान साहा सब्सटिट्यूट फील्डर के तौर पर विकेटकीपिंग कर रहे हैं। भारतीय पारी के दौरान पंत के हाथ (एल्बो) में चोट लगी थी। वहीं, रविंद्र जडेजा को भी बैटिंग के दौरान बाएं अंगूठे में चोट लगी थी। दोनों को स्कैन के लिए अस्पताल ले जाया गया। इंजर्ड प्लेयर्स से परेशान टीम इंडिया:तीसरे टेस्ट के तीसरे दिन जडेजा और पंत भी घायल; दूसरी पारी में टारगेट चेज करना हो सकता है मुश्किल टीम इंडिया ने 148 रन पर 8 विकेट गंवाए भारतीय टीम पहली पारी में 244 रन पर सिमट गई थी। भारत ने तीसरे दिन 96 रन पर 2 विकेट से आगे खेलना शुरू किया था। यानी तीसरे दिन टीम ने 148 रन बनाने में बाकी 8 विकेट गंवा दिए। चेतेश्वर पुजारा, पंत और रविंद्र जडेजा के अलावा कोई भी बल्लेबाज विकेट पर नहीं टिक सका। 4 बल्लेबाज तो दहाई का आंकड़ा भी नहीं छू सके। दूसरे दिन भारत ने अपने दोनों ओपनर रोहित शर्मा और शुभमन गिल को गंवा दिया था। भारत की 14वें पारी में 50+ की ओपनिंग पार्टनरशिप:शुभमन ऑस्ट्रेलिया में 50+ स्कोर बनाने वाले भारत के सबसे युवा टेस्ट ओपनर बने 12 साल बाद भारत के 3 बल्लेबाज एक पारी में रन आउट भारत की पहली पारी में हनुमा विहारी, रविचंद्रन अश्विन और बुमराह रन आउट हुए। 12 साल बाद एक पारी में 3 भारतीय बल्लेबाज रन आउट हुए। इससे पहले 2008-09 में इंग्लैंड के खिलाफ मोहाली में एक पारी में भारत के 3 बल्लेबाज रन आउट हुए थे। 2008-09 में वीरेंद्र सहवाग, वीवीएस लक्ष्मण और युवराज सिंह रन आउट हुए थे। यह 7वीं बार है जब एक पारी में भारत के 3 या इससे ज्यादा बल्लेबाज रन आउट हुए हैं। पुजारा की स्लो बैटिंग से पोंटिंग खफा:चेतेश्ववर का जवाब- मुझे बैटिंग करना आता है, सोशल मीडिया पर द्रविड़ vs पुजारा ट्रेंडिंग में 3 टेस्ट में चौथी बार कमिंस का शिकार बने पुजारा पैट कमिंस ने चेतेश्वर पुजारा को विकेटकीपर टिम पेन के हाथों कैच कराया। वे 176 बॉल पर 50 रन बनाकर आउट हुए। कमिंस ने सीरीज की 5 पारियों में चौथी बार पुजारा को आउट किया। वहीं, ऋषभ पंत 67 बॉल पर 36 रन बनाकर आउट हुए। उन्हें जोश हेजलवुड ने डेविड वॉर्नर के हाथों कैच कराया। ऑस्ट्रेलिया की ओर से कमिंस ने 4, हेजलवुड ने 2 और स्टार्क ने 1 विकेट लिए। पुजारा ने तीसरे दिन टेस्ट करियर की 25वीं फिफ्टी लगाई। पुजारा के करियर की यह सबसे धीमी फिफ्टी है। उन्होंने इसके लिए 174 गेंदें खेलीं। IND vs AUS तीसरा टेस्ट:दूसरी पारी में ऑस्ट्रेलिया को अब तक 197 रन की बढ़त; तीसरे दिन 251 रन बने और 10 विकेट गिरे दूसरे दिन जडेजा ने ऑस्ट्रेलिया को 4 झटके दिए जडेजा ने ऑस्ट्रेलिया को 4 बड़े झटके दिए। पहले मार्नस लाबुशेन को 91 रन पर अजिंक्य रहाणे के हाथों कैच आउट कराया। उन्होंने टेस्ट करियर की 9वीं फिफ्टी लगाई। साथ ही स्मिथ के साथ तीसरे विकेट के लिए 100 रन की पार्टनरशिप भी की। जडेजा ने मैथ्यू वेड (13) को जसप्रीत बुमराह के हाथों कैच आउट कराया। इसके बाद पैट कमिंस और नाथन लियोन को खाता भी नहीं खोलने दिया। कमिंस बोल्ड हुए, जबकि लियोन को LBW किया। भारत ने पहली पारी में ऑस्ट्रेलिया को 338 रन पर समेट दिया। सिडनी टेस्ट का दूसरा दिन:शुभमन ने करियर की पहली फिफ्टी जड़ी, जडेजा ने 4 विकेट लेकर ऑस्ट्रेलिया को ढेर किया सैनी ने डेब्यू टेस्ट में 2 विकेट झटके तेज गेंदबाज नवदीप सैनी ने डेब्यू टेस्ट में दो विकेट लिए। उन्होंने ओपनर विल पुकोव्स्की (62) को LBW किया। इसके बाद मिचेल स्टार्क (24) को शुभमन के हाथों कैच आउट कराया। वहीं, जसप्रीत बुमराह ने 2 विकेट लेकर ऑस्ट्रेलियाई मिडिल ऑर्डर को धराशायी किया। स्टीव ने ग्रीम स्मिथ और एलन बॉर्डर की बराबरी की ऑस्ट्रेलिया के स्टीव स्मिथ ने टेस्ट करियर का 27वां शतक जड़ा। इसी के साथ उन्होंने वेस्टइंडीज के लीजेंड सर गैरी सोबर्स (26) को पीछे छोड़ दिया है। स्टीव 226 बॉल पर 131 रन बनाकर जडेजा के हाथों रनआउट हुए। सचिन-कोहली से आगे स्मिथ:136 टेस्ट पारियों में 27 शतक लगाए; तेंदुलकर और विराट ने इसके लिए 141 इनिंग्स खेलीं थीं ऑस्ट्रेलिया की खराब शुरुआत, वॉर्नर जल्दी पवेलियन लौटे मेजबान टीम की पहली पारी में खराब शुरुआत हुई। चौथे ओवर में ही मोहम्मद सिराज ने ऑस्ट्रेलिया को पहला झटका दिया। डेविड वॉर्नर 5 रन बनाकर पवेलियन लौटे। चेतेश्वर पुजारा ने उनका कैच लिया। इसके बाद पुकोव्स्की ने लाबुशेन के साथ दूसरे विकेट के लिए 100 रन की पार्टनरशिप कर पारी को संभाला। इसके बाद लाबुशेन ने स्मिथ के साथ तीसरे विकेट के लिए 100 रन की पार्टनरशिप की। सिडनी टेस्ट का पहला दिन आधा धुला:ऑस्ट्रेलिया का स्कोर 166/2, डेब्यू मैच में सैनी को एक विकेट और पुकोव्स्की की फिफ्टी आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें दूसरी पारी में स्टीव स्मिथ ने टेस्ट करियर की 30वीं फिफ्टी लगाई। https://ift.tt/35tU8rw Dainik Bhaskar स्मिथ की फिफ्टी, ऑस्ट्रेलिया का 4 विकेट गिरे, सैनी ने लाबुशेन के बाद मैथ्यू वेड को भी पवेलियन भेजा 

भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच सिडनी टेस्ट के चौथे दिन का खेल जारी है। दूसरी पारी में ऑस्ट्रेलिया के 4 विकेट गिर चुके हैं। तेज गेंदबाज नवदीप सैनी ने मार्नस लाबुशेन के बाद मैथ्यू वेड को भी पवेलियन भेजा। स्टीव स्मिथ और क्रिस ग्रीन क्रीज पर मौजूद हैं। स्मिथ ने टेस्ट करियर की 30वीं फिफ्टी लगाई। मैच का स्कोरकार्ड देखने के लिए यहां क्लिक करें...

इससे पहले लाबुशेन और स्मिथ ने तीसरे विकेट के लिए 224 बॉल पर 103 रन की पार्टनरशिप की। लाबुशेन ने टेस्ट करियर की 10वीं फिफ्टी लगाई। वे 118 बॉल पर 73 रन बनाकर आउट हुए। सैनी ने उन्हें ऋद्धिमान साहा के हाथों कैच कराया। लाबुशेन ने पिछली पारी में भी 91 रन बनाए थे।

वहीं, मैथ्यू वेड कुछ खास नहीं कर सके और 4 रन बनाकर आउट हुए। उन्हें भी सैनी ने आउट किया। सैनी अपने डेब्यू टेस्ट में अब तक 4 विकेट ले चुके हैं। पहली पारी में भी उन्होंने 2 विकेट लिए थे।

अश्विन ने वॉर्नर को रिकॉर्ड 10वीं बार आउट किया
इससे पहले दूसरे दिन ऑस्ट्रेलिया ने दूसरी पारी में 2 विकेट खोए। रविचंद्रन अश्विन ने डेविड वॉर्नर को LBW आउट किया। उन्होंने 23 बॉल पर 19 रन की पारी खेली। अश्विन ने वॉर्नर को टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज्यादा 10 बार आउट किया है। इसके अलावा उन्होंने इंग्लैंड के पूर्व क्रिकेटर एलिस्टेयर कुक को 9 बार आउट किया। मोहम्मद सिराज ने विल पुकोव्स्की को आउट कर ऑस्ट्रेलिया को पहला झटका

पंत की जगह साहा कर रहे विकेटकीपिंग
ऋषभ पंत की जगह ऋद्धिमान साहा सब्सटिट्यूट फील्डर के तौर पर विकेटकीपिंग कर रहे हैं। भारतीय पारी के दौरान पंत के हाथ (एल्बो) में चोट लगी थी। वहीं, रविंद्र जडेजा को भी बैटिंग के दौरान बाएं अंगूठे में चोट लगी थी। दोनों को स्कैन के लिए अस्पताल ले जाया गया।

इंजर्ड प्लेयर्स से परेशान टीम इंडिया:तीसरे टेस्ट के तीसरे दिन जडेजा और पंत भी घायल; दूसरी पारी में टारगेट चेज करना हो सकता है मुश्किल

टीम इंडिया ने 148 रन पर 8 विकेट गंवाए
भारतीय टीम पहली पारी में 244 रन पर सिमट गई थी। भारत ने तीसरे दिन 96 रन पर 2 विकेट से आगे खेलना शुरू किया था। यानी तीसरे दिन टीम ने 148 रन बनाने में बाकी 8 विकेट गंवा दिए। चेतेश्वर पुजारा, पंत और रविंद्र जडेजा के अलावा कोई भी बल्लेबाज विकेट पर नहीं टिक सका। 4 बल्लेबाज तो दहाई का आंकड़ा भी नहीं छू सके। दूसरे दिन भारत ने अपने दोनों ओपनर रोहित शर्मा और शुभमन गिल को गंवा दिया था।

भारत की 14वें पारी में 50+ की ओपनिंग पार्टनरशिप:शुभमन ऑस्ट्रेलिया में 50+ स्कोर बनाने वाले भारत के सबसे युवा टेस्ट ओपनर बने

12 साल बाद भारत के 3 बल्लेबाज एक पारी में रन आउट
भारत की पहली पारी में हनुमा विहारी, रविचंद्रन अश्विन और बुमराह रन आउट हुए। 12 साल बाद एक पारी में 3 भारतीय बल्लेबाज रन आउट हुए। इससे पहले 2008-09 में इंग्लैंड के खिलाफ मोहाली में एक पारी में भारत के 3 बल्लेबाज रन आउट हुए थे। 2008-09 में वीरेंद्र सहवाग, वीवीएस लक्ष्मण और युवराज सिंह रन आउट हुए थे। यह 7वीं बार है जब एक पारी में भारत के 3 या इससे ज्यादा बल्लेबाज रन आउट हुए हैं।

पुजारा की स्लो बैटिंग से पोंटिंग खफा:चेतेश्ववर का जवाब- मुझे बैटिंग करना आता है, सोशल मीडिया पर द्रविड़ vs पुजारा ट्रेंडिंग में

3 टेस्ट में चौथी बार कमिंस का शिकार बने पुजारा
पैट कमिंस ने चेतेश्वर पुजारा को विकेटकीपर टिम पेन के हाथों कैच कराया। वे 176 बॉल पर 50 रन बनाकर आउट हुए। कमिंस ने सीरीज की 5 पारियों में चौथी बार पुजारा को आउट किया। वहीं, ऋषभ पंत 67 बॉल पर 36 रन बनाकर आउट हुए। उन्हें जोश हेजलवुड ने डेविड वॉर्नर के हाथों कैच कराया। ऑस्ट्रेलिया की ओर से कमिंस ने 4, हेजलवुड ने 2 और स्टार्क ने 1 विकेट लिए। पुजारा ने तीसरे दिन टेस्ट करियर की 25वीं फिफ्टी लगाई। पुजारा के करियर की यह सबसे धीमी फिफ्टी है। उन्होंने इसके लिए 174 गेंदें खेलीं।

IND vs AUS तीसरा टेस्ट:दूसरी पारी में ऑस्ट्रेलिया को अब तक 197 रन की बढ़त; तीसरे दिन 251 रन बने और 10 विकेट गिरे

दूसरे दिन जडेजा ने ऑस्ट्रेलिया को 4 झटके दिए
जडेजा ने ऑस्ट्रेलिया को 4 बड़े झटके दिए। पहले मार्नस लाबुशेन को 91 रन पर अजिंक्य रहाणे के हाथों कैच आउट कराया। उन्होंने टेस्ट करियर की 9वीं फिफ्टी लगाई। साथ ही स्मिथ के साथ तीसरे विकेट के लिए 100 रन की पार्टनरशिप भी की। जडेजा ने मैथ्यू वेड (13) को जसप्रीत बुमराह के हाथों कैच आउट कराया। इसके बाद पैट कमिंस और नाथन लियोन को खाता भी नहीं खोलने दिया। कमिंस बोल्ड हुए, जबकि लियोन को LBW किया। भारत ने पहली पारी में ऑस्ट्रेलिया को 338 रन पर समेट दिया।

सिडनी टेस्ट का दूसरा दिन:शुभमन ने करियर की पहली फिफ्टी जड़ी, जडेजा ने 4 विकेट लेकर ऑस्ट्रेलिया को ढेर किया

सैनी ने डेब्यू टेस्ट में 2 विकेट झटके
तेज गेंदबाज नवदीप सैनी ने डेब्यू टेस्ट में दो विकेट लिए। उन्होंने ओपनर विल पुकोव्स्की (62) को LBW किया। इसके बाद मिचेल स्टार्क (24) को शुभमन के हाथों कैच आउट कराया। वहीं, जसप्रीत बुमराह ने 2 विकेट लेकर ऑस्ट्रेलियाई मिडिल ऑर्डर को धराशायी किया।

स्टीव ने ग्रीम स्मिथ और एलन बॉर्डर की बराबरी की
ऑस्ट्रेलिया के स्टीव स्मिथ ने टेस्ट करियर का 27वां शतक जड़ा। इसी के साथ उन्होंने वेस्टइंडीज के लीजेंड सर गैरी सोबर्स (26) को पीछे छोड़ दिया है। स्टीव 226 बॉल पर 131 रन बनाकर जडेजा के हाथों रनआउट हुए।

सचिन-कोहली से आगे स्मिथ:136 टेस्ट पारियों में 27 शतक लगाए; तेंदुलकर और विराट ने इसके लिए 141 इनिंग्स खेलीं थीं

ऑस्ट्रेलिया की खराब शुरुआत, वॉर्नर जल्दी पवेलियन लौटे
मेजबान टीम की पहली पारी में खराब शुरुआत हुई। चौथे ओवर में ही मोहम्मद सिराज ने ऑस्ट्रेलिया को पहला झटका दिया। डेविड वॉर्नर 5 रन बनाकर पवेलियन लौटे। चेतेश्वर पुजारा ने उनका कैच लिया। इसके बाद पुकोव्स्की ने लाबुशेन के साथ दूसरे विकेट के लिए 100 रन की पार्टनरशिप कर पारी को संभाला। इसके बाद लाबुशेन ने स्मिथ के साथ तीसरे विकेट के लिए 100 रन की पार्टनरशिप की।

सिडनी टेस्ट का पहला दिन आधा धुला:ऑस्ट्रेलिया का स्कोर 166/2, डेब्यू मैच में सैनी को एक विकेट और पुकोव्स्की की फिफ्टी

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दूसरी पारी में स्टीव स्मिथ ने टेस्ट करियर की 30वीं फिफ्टी लगाई।

https://ift.tt/35tU8rw Dainik Bhaskar स्मिथ की फिफ्टी, ऑस्ट्रेलिया का 4 विकेट गिरे, सैनी ने लाबुशेन के बाद मैथ्यू वेड को भी पवेलियन भेजा Reviewed by Manish Pethev on January 10, 2021 Rating: 5

रामायण में रावण का स्वभाव बहुत अहंकारी और आक्रामक था। जो लोग उसके पसंद की बात नहीं करते थे, वह उनसे बहुत बुरा व्यवहार करता था। रावण ने सीता हरण कर लिया था और श्रीराम सीता की खोज में वानर सेना के साथ लंका तक पहुंच गए थे। विभीषण अपने बड़े भाई रावण को समझाना चाहते थे कि वह राम से दुश्मनी न करें। वे जानते थे कि जो बात मैं कहना चाहता हूं, उसके बदले रावण मुझे दंड भी दे सकता है। विभीषण ने शब्दों में संयम और विनम्रता के साथ भरी राज सभा में रावण से कहा, 'आप सीताजी को लौटा दीजिए, रामजी आपको क्षमा कर देंगे। इसी में हम सभी का भला है।' शब्द बहुत संतुलित थे। लेकिन, रावण अपने स्वभाव की वजह से आक्रामक हो गया और उसने विभीषण को लात मार दी। लात खाने के बाद भी विभीषण ने बड़े भाई को प्रणाम किया। ये उनके व्यवहार की विनम्रता थी। विभीषण बोले, 'आप मुझ पर गुस्सा कर रहे हैं, आपको मेरी बात पसंद नहीं आई है तो मैं ये जगह छोड़ चला जाता हूं। लेकिन, मेरा आपसे यही निवेदन है कि आप मेरी बात पर विचार जरूर करें।' सीख - विभीषण हमें सीख दे रहे हैं कि जब किसी बड़े और अहंकारी व्यक्ति से जो कि गलत काम कर रहा है, उससे सही बात कहनी हो तो बहुत सावधानी रखनी चाहिए। ऐसे लोग आक्रामक हो सकते हैं। इन हालातों में हमें शब्दों का चयन बहुत सोच-समझ करना चाहिए। एक-एक शब्द गहरे अर्थ वाला होना चाहिए। साथ ही, स्वभाव में विनम्रता भी बनाए रखें। अगर हमारी बात स्वीकार नहीं की जाती है, तब भी हमें गुस्सा नहीं करना है। हो सकता है कि उस समय सामने वाले व्यक्ति को हमारी बात समझ न आए, लेकिन भविष्य में एक दिन उसे ये जरूर समझ आएगा कि बात सही कही जा रही थी। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें aaj ka jeevan mantra by pandit vijayshankar mehta, story of ravan and vibhishan, life management tips from ramayana https://ift.tt/3hVfjYs Dainik Bhaskar जब किसी बड़े और अहंकारी व्यक्ति के सामने कोई सही बात कहनी हो तो विनम्रता बनाए रखें

रामायण में रावण का स्वभाव बहुत अहंकारी और आक्रामक था। जो लोग उसके पसंद की बात नहीं करते थे, वह उनसे बहुत बुरा व्यवहार करता था। रावण ने सीता...
- January 10, 2021
रामायण में रावण का स्वभाव बहुत अहंकारी और आक्रामक था। जो लोग उसके पसंद की बात नहीं करते थे, वह उनसे बहुत बुरा व्यवहार करता था। रावण ने सीता हरण कर लिया था और श्रीराम सीता की खोज में वानर सेना के साथ लंका तक पहुंच गए थे। विभीषण अपने बड़े भाई रावण को समझाना चाहते थे कि वह राम से दुश्मनी न करें। वे जानते थे कि जो बात मैं कहना चाहता हूं, उसके बदले रावण मुझे दंड भी दे सकता है। विभीषण ने शब्दों में संयम और विनम्रता के साथ भरी राज सभा में रावण से कहा, 'आप सीताजी को लौटा दीजिए, रामजी आपको क्षमा कर देंगे। इसी में हम सभी का भला है।' शब्द बहुत संतुलित थे। लेकिन, रावण अपने स्वभाव की वजह से आक्रामक हो गया और उसने विभीषण को लात मार दी। लात खाने के बाद भी विभीषण ने बड़े भाई को प्रणाम किया। ये उनके व्यवहार की विनम्रता थी। विभीषण बोले, 'आप मुझ पर गुस्सा कर रहे हैं, आपको मेरी बात पसंद नहीं आई है तो मैं ये जगह छोड़ चला जाता हूं। लेकिन, मेरा आपसे यही निवेदन है कि आप मेरी बात पर विचार जरूर करें।' सीख - विभीषण हमें सीख दे रहे हैं कि जब किसी बड़े और अहंकारी व्यक्ति से जो कि गलत काम कर रहा है, उससे सही बात कहनी हो तो बहुत सावधानी रखनी चाहिए। ऐसे लोग आक्रामक हो सकते हैं। इन हालातों में हमें शब्दों का चयन बहुत सोच-समझ करना चाहिए। एक-एक शब्द गहरे अर्थ वाला होना चाहिए। साथ ही, स्वभाव में विनम्रता भी बनाए रखें। अगर हमारी बात स्वीकार नहीं की जाती है, तब भी हमें गुस्सा नहीं करना है। हो सकता है कि उस समय सामने वाले व्यक्ति को हमारी बात समझ न आए, लेकिन भविष्य में एक दिन उसे ये जरूर समझ आएगा कि बात सही कही जा रही थी। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें aaj ka jeevan mantra by pandit vijayshankar mehta, story of ravan and vibhishan, life management tips from ramayana https://ift.tt/3hVfjYs Dainik Bhaskar जब किसी बड़े और अहंकारी व्यक्ति के सामने कोई सही बात कहनी हो तो विनम्रता बनाए रखें 

रामायण में रावण का स्वभाव बहुत अहंकारी और आक्रामक था। जो लोग उसके पसंद की बात नहीं करते थे, वह उनसे बहुत बुरा व्यवहार करता था। रावण ने सीता हरण कर लिया था और श्रीराम सीता की खोज में वानर सेना के साथ लंका तक पहुंच गए थे।

विभीषण अपने बड़े भाई रावण को समझाना चाहते थे कि वह राम से दुश्मनी न करें। वे जानते थे कि जो बात मैं कहना चाहता हूं, उसके बदले रावण मुझे दंड भी दे सकता है।

विभीषण ने शब्दों में संयम और विनम्रता के साथ भरी राज सभा में रावण से कहा, 'आप सीताजी को लौटा दीजिए, रामजी आपको क्षमा कर देंगे। इसी में हम सभी का भला है।'

शब्द बहुत संतुलित थे। लेकिन, रावण अपने स्वभाव की वजह से आक्रामक हो गया और उसने विभीषण को लात मार दी। लात खाने के बाद भी विभीषण ने बड़े भाई को प्रणाम किया। ये उनके व्यवहार की विनम्रता थी। विभीषण बोले, 'आप मुझ पर गुस्सा कर रहे हैं, आपको मेरी बात पसंद नहीं आई है तो मैं ये जगह छोड़ चला जाता हूं। लेकिन, मेरा आपसे यही निवेदन है कि आप मेरी बात पर विचार जरूर करें।'

सीख - विभीषण हमें सीख दे रहे हैं कि जब किसी बड़े और अहंकारी व्यक्ति से जो कि गलत काम कर रहा है, उससे सही बात कहनी हो तो बहुत सावधानी रखनी चाहिए। ऐसे लोग आक्रामक हो सकते हैं। इन हालातों में हमें शब्दों का चयन बहुत सोच-समझ करना चाहिए। एक-एक शब्द गहरे अर्थ वाला होना चाहिए। साथ ही, स्वभाव में विनम्रता भी बनाए रखें। अगर हमारी बात स्वीकार नहीं की जाती है, तब भी हमें गुस्सा नहीं करना है। हो सकता है कि उस समय सामने वाले व्यक्ति को हमारी बात समझ न आए, लेकिन भविष्य में एक दिन उसे ये जरूर समझ आएगा कि बात सही कही जा रही थी।

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https://ift.tt/3hVfjYs Dainik Bhaskar जब किसी बड़े और अहंकारी व्यक्ति के सामने कोई सही बात कहनी हो तो विनम्रता बनाए रखें Reviewed by Manish Pethev on January 10, 2021 Rating: 5

आज कहानी राजकोट के रहने वाले नीलेश गोहिल की। एग्रोनॉमी में ग्रेजुएशन करने के बाद नीलेश ने मधुमक्खी पालन करने का फैसला किया। उन्होंने इटेलियन मधुमक्खियों की 50 पेटियों से शहद बनाने की शुरुआत की। इस शहद की इतनी डिमांड बढ़ी कि एक साल के अंदर ही वे 200 पेटियों से ज्यादा का उत्पादन करने लगे। वे एक साल में ही सात लाख रुपए से ज्यादा की कमाई कर चुके हैं। 23 साल के नीलेश बताते हैं कि उन्होंने इस प्रोफेशन के लिए छह महीने की ट्रेनिंग ली। 2019 में मधुमक्खी पालन शुरू किया। पहले सोशल मीडिया के जरिए बिजनेस किया। जब लोगों को इसके बारे में पता चला तो डिमांड बढ़ती गई। आज नीलेश 1800 किलो शहद का प्रोडक्शन करते हैं और इसकी होलसेल सप्लाई करते हैं। मधुमक्खी पालन की शुरुआत पांच बाक्स से कर सकते हैं। एक बॉक्स में लगभग चार हजार रुपए का खर्चा आता है। नीलेश का कहना है कि उन्होंने इटालियन मधुमक्खियों को इसलिए चुना, क्योंकि इनसे शहद का प्रोडक्शन ज्यादा होता है। अभी वे हर महीने 150 किलो शहद का उत्पादन कर लेते हैं। इनसे छह प्रकार का (अजमो, वरियाली, बोर, क्रिस्टल, मल्टी और रायडो) शहद का उत्पादन होता है। वे अब देसी शहद के लिए देसी मधुमक्खियों के पालन की कोशिश में लगे हैं। फूलों वाली जगह जाना पड़ता है नीलेश बताते हैं, ‘मधुमक्खियों की खेती के लिए लगातार मूवमेंट जरूरी होता है। इसके लिए मुझे उन इलाकों में जाना पड़ता है, जहां बड़े पैमाने पर फूलों का उत्पादन होता है। मैं गुजरात में जामनगर, कच्छ, सुरेंद्रनगर, मोरबी और जूनागढ़ की यात्रा करता रहता हूं। यहां अलग-अलग तरह के फूलों के खेत हैं, जिनसे अलग-अलग फ्लेवर का शहद मिल जाता है। रायडो शहद (सरसों के फूल का शहद) के लिए मुझे राजस्थान जाना पड़ता है। क्योंकि, राजस्थान के उदयपुर, जयपुर और कोटा के आसपास के इलाकों में बड़े पैमाने पर सरसों की खेती होती है।’ नीलेश अभी 1800 किलो शहद का प्रोडक्शन करते हैं। उनके पास 200 से ज्यादा शहद की पेटियां हैं। किस तरह बनता है शहद सबसे पहले मधुमक्खियां फूलों का रस चूसती हैं। इसके बाद वे वैक्स की बनी पेटी में मलत्याग करती हैं और यही मल शहद के रूप में परिवर्तित होता है। शुरुआत में इसमें पानी की मात्रा अधिक होती है, लेकिन रात में मधुमक्खियां अपने पंख की मदद से शहद से पानी अलग कर देती हैं। शहद निर्माण की यह प्रक्रिया लगातार 7-8 दिनों तक चलती है। इस तरह के शहद को कच्चा शहद कहा जाता है। इसके बाद शहद को पकाने के लिए रखा जाता है। करीब 12 से 15 दिनों में शहद पक कर तैयार हो जाता है, जिसे पेटी से निकाल लिया जाता है। इस शहद का सीधे उपयोग किया जा सकता है। किन चीजों की जरूरत होती है इसके लिए खुली जगह की जरूरत होती है, जहां मधुमक्खियों के पालन के लिए पेटियां रखी जा सकें। लकड़ी के बने बक्से और मुंह की सेफ्टी के लिए जाली। मधुमक्खियों की उन्नत किस्म। हाथों के लिए दस्ताने और धुंआदानी। अगर आप 200 से 300 पेटियां मधुमक्खियां पालते हैं तो आपको 4 से 5 हजार स्क्वायर फीट जमीन चाहिए। मधुमक्खी की चार प्रजातियों में से इटालियन मक्खी सबसे अच्छी मानी जाती है। यह शांत स्वभाव की होती है और छत्ता छोड़कर कम भागती है। मुनाफा कैसे कमाएं पांच बॉक्स के लिए करीब 20 हजार रु खर्च होंगे। बाद में इनकी संख्या बढ़ाई जा सकती है। एक महीने में एक पेटी से चार किलो तक शहद मिल सकती है, जिसे आराम से बाजार में सौ रुपए किलो तक बेचा जा सकता है। पेटियों की संख्या बढ़ाकर एक महीने में एक लाख रुपए तक की कमाई की जा सकती है। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें नीलेश बताते हैं कि मधुमक्खियों की खेती के लिए लगातार मूवमेंट जरूरी होता है। इसके लिए उन्हें उन इलाकों में जाना पड़ता है, जहां बड़े पैमाने पर फूलों का उत्पादन होता है। https://ift.tt/3q3JGyH Dainik Bhaskar 23 साल के नीलेश ने ग्रेजुएशन के बाद इटालियन मधुमक्खी का पालन शुरू किया, पहले ही साल 7 लाख रु. की कमाई

आज कहानी राजकोट के रहने वाले नीलेश गोहिल की। एग्रोनॉमी में ग्रेजुएशन करने के बाद नीलेश ने मधुमक्खी पालन करने का फैसला किया। उन्होंने इटेलिय...
- January 10, 2021
आज कहानी राजकोट के रहने वाले नीलेश गोहिल की। एग्रोनॉमी में ग्रेजुएशन करने के बाद नीलेश ने मधुमक्खी पालन करने का फैसला किया। उन्होंने इटेलियन मधुमक्खियों की 50 पेटियों से शहद बनाने की शुरुआत की। इस शहद की इतनी डिमांड बढ़ी कि एक साल के अंदर ही वे 200 पेटियों से ज्यादा का उत्पादन करने लगे। वे एक साल में ही सात लाख रुपए से ज्यादा की कमाई कर चुके हैं। 23 साल के नीलेश बताते हैं कि उन्होंने इस प्रोफेशन के लिए छह महीने की ट्रेनिंग ली। 2019 में मधुमक्खी पालन शुरू किया। पहले सोशल मीडिया के जरिए बिजनेस किया। जब लोगों को इसके बारे में पता चला तो डिमांड बढ़ती गई। आज नीलेश 1800 किलो शहद का प्रोडक्शन करते हैं और इसकी होलसेल सप्लाई करते हैं। मधुमक्खी पालन की शुरुआत पांच बाक्स से कर सकते हैं। एक बॉक्स में लगभग चार हजार रुपए का खर्चा आता है। नीलेश का कहना है कि उन्होंने इटालियन मधुमक्खियों को इसलिए चुना, क्योंकि इनसे शहद का प्रोडक्शन ज्यादा होता है। अभी वे हर महीने 150 किलो शहद का उत्पादन कर लेते हैं। इनसे छह प्रकार का (अजमो, वरियाली, बोर, क्रिस्टल, मल्टी और रायडो) शहद का उत्पादन होता है। वे अब देसी शहद के लिए देसी मधुमक्खियों के पालन की कोशिश में लगे हैं। फूलों वाली जगह जाना पड़ता है नीलेश बताते हैं, ‘मधुमक्खियों की खेती के लिए लगातार मूवमेंट जरूरी होता है। इसके लिए मुझे उन इलाकों में जाना पड़ता है, जहां बड़े पैमाने पर फूलों का उत्पादन होता है। मैं गुजरात में जामनगर, कच्छ, सुरेंद्रनगर, मोरबी और जूनागढ़ की यात्रा करता रहता हूं। यहां अलग-अलग तरह के फूलों के खेत हैं, जिनसे अलग-अलग फ्लेवर का शहद मिल जाता है। रायडो शहद (सरसों के फूल का शहद) के लिए मुझे राजस्थान जाना पड़ता है। क्योंकि, राजस्थान के उदयपुर, जयपुर और कोटा के आसपास के इलाकों में बड़े पैमाने पर सरसों की खेती होती है।’ नीलेश अभी 1800 किलो शहद का प्रोडक्शन करते हैं। उनके पास 200 से ज्यादा शहद की पेटियां हैं। किस तरह बनता है शहद सबसे पहले मधुमक्खियां फूलों का रस चूसती हैं। इसके बाद वे वैक्स की बनी पेटी में मलत्याग करती हैं और यही मल शहद के रूप में परिवर्तित होता है। शुरुआत में इसमें पानी की मात्रा अधिक होती है, लेकिन रात में मधुमक्खियां अपने पंख की मदद से शहद से पानी अलग कर देती हैं। शहद निर्माण की यह प्रक्रिया लगातार 7-8 दिनों तक चलती है। इस तरह के शहद को कच्चा शहद कहा जाता है। इसके बाद शहद को पकाने के लिए रखा जाता है। करीब 12 से 15 दिनों में शहद पक कर तैयार हो जाता है, जिसे पेटी से निकाल लिया जाता है। इस शहद का सीधे उपयोग किया जा सकता है। किन चीजों की जरूरत होती है इसके लिए खुली जगह की जरूरत होती है, जहां मधुमक्खियों के पालन के लिए पेटियां रखी जा सकें। लकड़ी के बने बक्से और मुंह की सेफ्टी के लिए जाली। मधुमक्खियों की उन्नत किस्म। हाथों के लिए दस्ताने और धुंआदानी। अगर आप 200 से 300 पेटियां मधुमक्खियां पालते हैं तो आपको 4 से 5 हजार स्क्वायर फीट जमीन चाहिए। मधुमक्खी की चार प्रजातियों में से इटालियन मक्खी सबसे अच्छी मानी जाती है। यह शांत स्वभाव की होती है और छत्ता छोड़कर कम भागती है। मुनाफा कैसे कमाएं पांच बॉक्स के लिए करीब 20 हजार रु खर्च होंगे। बाद में इनकी संख्या बढ़ाई जा सकती है। एक महीने में एक पेटी से चार किलो तक शहद मिल सकती है, जिसे आराम से बाजार में सौ रुपए किलो तक बेचा जा सकता है। पेटियों की संख्या बढ़ाकर एक महीने में एक लाख रुपए तक की कमाई की जा सकती है। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें नीलेश बताते हैं कि मधुमक्खियों की खेती के लिए लगातार मूवमेंट जरूरी होता है। इसके लिए उन्हें उन इलाकों में जाना पड़ता है, जहां बड़े पैमाने पर फूलों का उत्पादन होता है। https://ift.tt/3q3JGyH Dainik Bhaskar 23 साल के नीलेश ने ग्रेजुएशन के बाद इटालियन मधुमक्खी का पालन शुरू किया, पहले ही साल 7 लाख रु. की कमाई 

आज कहानी राजकोट के रहने वाले नीलेश गोहिल की। एग्रोनॉमी में ग्रेजुएशन करने के बाद नीलेश ने मधुमक्खी पालन करने का फैसला किया। उन्होंने इटेलियन मधुमक्खियों की 50 पेटियों से शहद बनाने की शुरुआत की। इस शहद की इतनी डिमांड बढ़ी कि एक साल के अंदर ही वे 200 पेटियों से ज्यादा का उत्पादन करने लगे। वे एक साल में ही सात लाख रुपए से ज्यादा की कमाई कर चुके हैं।

23 साल के नीलेश बताते हैं कि उन्होंने इस प्रोफेशन के लिए छह महीने की ट्रेनिंग ली। 2019 में मधुमक्खी पालन शुरू किया। पहले सोशल मीडिया के जरिए बिजनेस किया। जब लोगों को इसके बारे में पता चला तो डिमांड बढ़ती गई। आज नीलेश 1800 किलो शहद का प्रोडक्शन करते हैं और इसकी होलसेल सप्लाई करते हैं।

मधुमक्खी पालन की शुरुआत पांच बाक्स से कर सकते हैं। एक बॉक्स में लगभग चार हजार रुपए का खर्चा आता है।

नीलेश का कहना है कि उन्होंने इटालियन मधुमक्खियों को इसलिए चुना, क्योंकि इनसे शहद का प्रोडक्शन ज्यादा होता है। अभी वे हर महीने 150 किलो शहद का उत्पादन कर लेते हैं। इनसे छह प्रकार का (अजमो, वरियाली, बोर, क्रिस्टल, मल्टी और रायडो) शहद का उत्पादन होता है। वे अब देसी शहद के लिए देसी मधुमक्खियों के पालन की कोशिश में लगे हैं।

फूलों वाली जगह जाना पड़ता है
नीलेश बताते हैं, ‘मधुमक्खियों की खेती के लिए लगातार मूवमेंट जरूरी होता है। इसके लिए मुझे उन इलाकों में जाना पड़ता है, जहां बड़े पैमाने पर फूलों का उत्पादन होता है। मैं गुजरात में जामनगर, कच्छ, सुरेंद्रनगर, मोरबी और जूनागढ़ की यात्रा करता रहता हूं। यहां अलग-अलग तरह के फूलों के खेत हैं, जिनसे अलग-अलग फ्लेवर का शहद मिल जाता है। रायडो शहद (सरसों के फूल का शहद) के लिए मुझे राजस्थान जाना पड़ता है। क्योंकि, राजस्थान के उदयपुर, जयपुर और कोटा के आसपास के इलाकों में बड़े पैमाने पर सरसों की खेती होती है।’

नीलेश अभी 1800 किलो शहद का प्रोडक्शन करते हैं। उनके पास 200 से ज्यादा शहद की पेटियां हैं।

किस तरह बनता है शहद
सबसे पहले मधुमक्खियां फूलों का रस चूसती हैं। इसके बाद वे वैक्स की बनी पेटी में मलत्याग करती हैं और यही मल शहद के रूप में परिवर्तित होता है। शुरुआत में इसमें पानी की मात्रा अधिक होती है, लेकिन रात में मधुमक्खियां अपने पंख की मदद से शहद से पानी अलग कर देती हैं।

शहद निर्माण की यह प्रक्रिया लगातार 7-8 दिनों तक चलती है। इस तरह के शहद को कच्चा शहद कहा जाता है। इसके बाद शहद को पकाने के लिए रखा जाता है। करीब 12 से 15 दिनों में शहद पक कर तैयार हो जाता है, जिसे पेटी से निकाल लिया जाता है। इस शहद का सीधे उपयोग किया जा सकता है।

किन चीजों की जरूरत होती है

इसके लिए खुली जगह की जरूरत होती है, जहां मधुमक्खियों के पालन के लिए पेटियां रखी जा सकें।

लकड़ी के बने बक्से और मुंह की सेफ्टी के लिए जाली।

मधुमक्खियों की उन्नत किस्म।

हाथों के लिए दस्ताने और धुंआदानी।

अगर आप 200 से 300 पेटियां मधुमक्खियां पालते हैं तो आपको 4 से 5 हजार स्क्वायर फीट जमीन चाहिए।

मधुमक्खी की चार प्रजातियों में से इटालियन मक्खी सबसे अच्छी मानी जाती है। यह शांत स्वभाव की होती है और छत्ता छोड़कर कम भागती है।

मुनाफा कैसे कमाएं
पांच बॉक्स के लिए करीब 20 हजार रु खर्च होंगे। बाद में इनकी संख्या बढ़ाई जा सकती है। एक महीने में एक पेटी से चार किलो तक शहद मिल सकती है, जिसे आराम से बाजार में सौ रुपए किलो तक बेचा जा सकता है। पेटियों की संख्या बढ़ाकर एक महीने में एक लाख रुपए तक की कमाई की जा सकती है।

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नीलेश बताते हैं कि मधुमक्खियों की खेती के लिए लगातार मूवमेंट जरूरी होता है। इसके लिए उन्हें उन इलाकों में जाना पड़ता है, जहां बड़े पैमाने पर फूलों का उत्पादन होता है।

https://ift.tt/3q3JGyH Dainik Bhaskar 23 साल के नीलेश ने ग्रेजुएशन के बाद इटालियन मधुमक्खी का पालन शुरू किया, पहले ही साल 7 लाख रु. की कमाई Reviewed by Manish Pethev on January 10, 2021 Rating: 5

देश से अभी कोरोना गया भी नहीं है कि बर्ड फ्लू नाम की एक और बड़ी बीमारी आ गई है। बर्ड फ्लू वायरस कोरोना से 50 गुना ज्यादा खतरनाक है। देशभर में पांच लाख से ज्यादा पक्षियों की मौत हो चुकी है। इनमें हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा और केरल सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। ऐसे में लोग परेशान हैं कि वे कोरोना के साथ बर्ड फ्लू से कैसे बचें? आखिर बर्ड फ्लू है क्या? इसके लक्षण और इलाज क्या हैं? इस तरह के तमाम सवाल लोगों के जेहन में आ रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक बर्ड फ्लू खतरनाक बीमारी है, यह इन्फ्लूएंजा टाइप-ए H5N1 वायरस की वजह से फैलती है। इसे एवियन इन्फ्लूएंजा भी कहा जाता है। बर्ड फ्लू पक्षियों से इंसानों या दूसरे जानवरों में भी फैल सकता है। सबसे ज्यादा पोल्ट्री फार्म में पलने वाली मुर्गियों से फैलता है। कोरोना की तरह इसके भी कई अलग-अलग स्ट्रेन होते हैं। हालांकि, इंसान से इंसान में इस वायरस के ट्रांसमिशन का जोखिम बेहद कम है। H5N1 से संक्रमित पक्षी करीब 10 दिनों तक मल या लार के जरिए वायरस रिलीज करता है। H5N1 बर्ड फ्लू वायरस किसी सतह के जरिए भी इंसानों को संक्रमित कर सकता है। बर्ड फ्लू से कैसे बचा जा सकता है? एम्स, नई दिल्ली से डीएम कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर संजय कुमार चुघ कहते हैं कि इसका कारगर उपाय है कि आप पक्षियों से सीधे संपर्क में न आएं। उनकी बीट को न छुएं। जहां पक्षी रहते हैं, वहां बिल्कुल न जाएं। जो लोग अंडा या मुर्गी-मुर्गा खाते हैं, वे इसे खरीदने जाएं तो साफ-सफाई का ध्यान रखें। खरीददारी के वक्त और मीट काटने के दौरान ग्लव्ज पहनें। इसके तुरंत बाद हाथ सैनिटाइज करें या साबुन से हाथ धोएं। नॉनवेज अच्छे से पकाकर ही खाएं, इससे रिस्क खत्म हो जाता है। बर्ड फ्लू से इंसान कैसे संक्रमित हो सकता है? संक्रमित पक्षी के मल, नाक, मुंह या आंखों से निकलने वाले पदार्थ के संपर्क में आने पर इंसान संक्रमित हो सकता है। यह वायरस इंसानों में आंख, नाक और मुंह के जरिए प्रवेश कर सकता है। कच्चे और दूषित पोल्ट्री प्रोडक्ट खाने से भी आप संक्रमित हो सकते हैं। ज्यादातर मामलों में देखा गया कि इंसानों में इन्फ्लूएंजा A (H5N1) और A (H7N9) वायरस जिंदा या मृत संक्रमित पक्षियों के संपर्क में आने से पहुंचा। बर्ड फ्लू के लक्षण कौन से हैं? डॉ. संजय कहते हैं कि बर्ड फ्लू के सारे लक्षण वायरल वाले ही हैं। इसमें भी जुकाम, खांसी, बुखार, बदन दर्द और मांसपेशियों में दर्द होता है। इनके अलावा सांस फूलने की शिकायत, नाक से खून, आंख लाल होना, डायरिया, पेट में दर्द भी हो सकता है। फेफड़े डैमेज हो जाने से सांस फूलती है। वे लोग जो पक्षियों के संपर्क में आते हैं, उन्हें सारे बचाव के तरीके कोरोना वाले ही अपनाने चाहिए। इसके सिंप्टम्स दिखने के बाद तुरंत हास्पिटल में एडमिट हो जाएं या आइसोलेशन में जाएं और ज्यादा बीमार मरीजों को इंटेंसिव केयर की जरूरत होती है। बर्ड फ्लू कितना खतरनाक है? डॉक्टर संजय कहते हैं कि यह बहुत खतरनाक बीमारी है। इसमें संक्रमितों की मृत्युदर 60 फीसदी तक है, यानी हर 10 में से 5-6 लोगों की जान जाती है। हालांकि, ये इंसान से इंसान में ट्रांसमिट नहीं होता है, लेकिन वायरस म्यूटेट करते हैं। जैसे कोरोना के मामले में हुआ है। इससे वायरस के और ज्यादा कंटेजियस (संक्रामक) होने का खतरा रहता है। बर्ड फ्लू के 11 वायरस हैं, इनमें से 5 इंसानों के लिए जानलेवा हैं बर्ड फ्लू के 11 वायरस हैं जो इंसानों को संक्रमित करते हैं, लेकिन इनमें से 5 इंसानों के लिए जानलेवा साबित हो सकते हैं। ये हैं- H5N1, H7N3, H7N7, H7N9 और H9N2। इन वायरसों को HPAI (Highly Pathogenic Avian Influenza) कहा जाता है। इनमें सबसे खतरनाक H5N1 वायरस है। यही पहला बर्ड फ्लू वायरस था, जिसने इंसानों को भी संक्रमित किया। दुनिया भर में जंगली पक्षियों की आंतों में ये फ्लू वायरस होते हैं, लेकिन आमतौर पर ये पक्षी उनसे बीमार नहीं होते हैं। हालांकि, बर्ड फ्लू मुर्गियों और बत्तखों समेत कुछ पालतू पक्षियों को बीमार बना सकता है, जिससे उनकी जान भी जा सकती है। क्या अंडा और चिकन खाने से बर्ड फ्लू का खतरा है? बर्ड फ्लू और अंडे/चिकन खाने के बीच कोई संबंध नहीं है। हालांकि, डॉक्टर लोगों को अधपके पोल्ट्री प्रोडक्ट और मांस नहीं खाने का सुझाव देते हैं। WHO के मुताबिक अभी तक ये सबूत नहीं मिले हैं कि पके हुए पोल्ट्री फूड से किसी इंसान को बर्ड फ्लू हो सकता है। ये वायरस तापमान के प्रति संवेदनशील है और अधिक कुकिंग टेंपरेचर में नष्ट हो जाता है। केंद्र सरकार ने भी कहा है कि पोल्ट्री उत्पाद खाने से इंसान में बर्ड फ्लू वायरस के फैलने को कोई प्रमाण नहीं है। हालांकि, साफ-सफाई और खाना बनाने के दौरान सावधानी जरूरी है। क्या इंसानों में भी बर्ड फ्लू का खतरा है? H5N1 पहला बर्ड फ्लू वायरस है, जिसने पहली बार किसी इंसान को संक्रमित किया था। इसका पहला मामला साल 1997 में हॉन्गकॉन्ग में आया था। H5N1 आमतौर पर पानी में रहने वाले पक्षियों में होता है, लेकिन ये पोल्ट्री फार्म में पलने वाले पक्षियों में भी आसानी से फैल सकता है। WHO के मुताबिक बर्ड फ्लू एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में ट्रांसमिट हो सकता है, ऐसा संभव है, लेकिन दुर्लभ है। बर्ड फ्लू का इलाज क्या है? डॉ. संजय कहते हैं कि स्वाइन फ्लू (H1N1) में ओसेल टामीविर (टॉमीफ्लू) नाम की दवा इस्तेमाल होती। यही दवा बर्ड फ्लू के इलाज में भी इस्तेमाल हो रही है, लेकिन इस दवा से आप पूरी तरह से ठीक हो जाएंगे, यह निश्चित नहीं है। एक और दवा भी है, इसका नाम जानामि-वीर (रेलेंजा) है। ये दवाएं बीमारी के खतरे को कुछ हद तक कम कर देती हैं। बर्ड फ्लू कितना खतरनाक है? बर्ड फ्लू अब तक दुनिया में चार बार बड़े पैमाने पर फैल चुका है। यह 60 से ज्यादा देशों में महामारी का रूप भी ले चुका है। 2003 से अब तक लगातार यह किसी न किसी देश में अपना असर दिखाता रहा है। H5N1 बर्ड फ्लू वायरस सबसे ज्यादा खतरनाक है, क्योंकि इससे संक्रमित होने वालों में से आधे से ज्यादा की मौत हो जाती है। 2003 से अब तक H5N1 वायरस से कुल 861 लोग संक्रमित हुए हैं। इनमें से 455 की मौत हुई है, यानी मृत्युदर 52.8 फीसदी है। यह कोरोनावायरस से होने वाली मृत्युदर से करीब 50 गुना ज्यादा है। दुनिया में कोरोना से होने वाली मृत्युदर 3% और भारत में 1.5% है। अमेरिकी हेल्थ एजेंसी FDA (फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन) ने कुछ साल पहले इसके लिए एक वैक्सीन डिजाइन को मंजूरी दे दी थी, लेकिन अभी वह लोगों के लिए उपलब्ध नहीं है। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें Coronavirus Vs Bird Flu Avian Influenza; What Is More Dangerous? Symptoms, Prevention & More | Over 5 Lakh Birds Died In 12 Days https://ift.tt/3oxB56T Dainik Bhaskar कोरोना से 50 गुना ज्यादा खतरनाक है बर्ड फ्लू, हर 10 संक्रमित में से 5 की जान जाती है; जानिए क्या हैं बचाव और लक्षण

देश से अभी कोरोना गया भी नहीं है कि बर्ड फ्लू नाम की एक और बड़ी बीमारी आ गई है। बर्ड फ्लू वायरस कोरोना से 50 गुना ज्यादा खतरनाक है। देशभर मे...
- January 10, 2021
देश से अभी कोरोना गया भी नहीं है कि बर्ड फ्लू नाम की एक और बड़ी बीमारी आ गई है। बर्ड फ्लू वायरस कोरोना से 50 गुना ज्यादा खतरनाक है। देशभर में पांच लाख से ज्यादा पक्षियों की मौत हो चुकी है। इनमें हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा और केरल सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। ऐसे में लोग परेशान हैं कि वे कोरोना के साथ बर्ड फ्लू से कैसे बचें? आखिर बर्ड फ्लू है क्या? इसके लक्षण और इलाज क्या हैं? इस तरह के तमाम सवाल लोगों के जेहन में आ रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक बर्ड फ्लू खतरनाक बीमारी है, यह इन्फ्लूएंजा टाइप-ए H5N1 वायरस की वजह से फैलती है। इसे एवियन इन्फ्लूएंजा भी कहा जाता है। बर्ड फ्लू पक्षियों से इंसानों या दूसरे जानवरों में भी फैल सकता है। सबसे ज्यादा पोल्ट्री फार्म में पलने वाली मुर्गियों से फैलता है। कोरोना की तरह इसके भी कई अलग-अलग स्ट्रेन होते हैं। हालांकि, इंसान से इंसान में इस वायरस के ट्रांसमिशन का जोखिम बेहद कम है। H5N1 से संक्रमित पक्षी करीब 10 दिनों तक मल या लार के जरिए वायरस रिलीज करता है। H5N1 बर्ड फ्लू वायरस किसी सतह के जरिए भी इंसानों को संक्रमित कर सकता है। बर्ड फ्लू से कैसे बचा जा सकता है? एम्स, नई दिल्ली से डीएम कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर संजय कुमार चुघ कहते हैं कि इसका कारगर उपाय है कि आप पक्षियों से सीधे संपर्क में न आएं। उनकी बीट को न छुएं। जहां पक्षी रहते हैं, वहां बिल्कुल न जाएं। जो लोग अंडा या मुर्गी-मुर्गा खाते हैं, वे इसे खरीदने जाएं तो साफ-सफाई का ध्यान रखें। खरीददारी के वक्त और मीट काटने के दौरान ग्लव्ज पहनें। इसके तुरंत बाद हाथ सैनिटाइज करें या साबुन से हाथ धोएं। नॉनवेज अच्छे से पकाकर ही खाएं, इससे रिस्क खत्म हो जाता है। बर्ड फ्लू से इंसान कैसे संक्रमित हो सकता है? संक्रमित पक्षी के मल, नाक, मुंह या आंखों से निकलने वाले पदार्थ के संपर्क में आने पर इंसान संक्रमित हो सकता है। यह वायरस इंसानों में आंख, नाक और मुंह के जरिए प्रवेश कर सकता है। कच्चे और दूषित पोल्ट्री प्रोडक्ट खाने से भी आप संक्रमित हो सकते हैं। ज्यादातर मामलों में देखा गया कि इंसानों में इन्फ्लूएंजा A (H5N1) और A (H7N9) वायरस जिंदा या मृत संक्रमित पक्षियों के संपर्क में आने से पहुंचा। बर्ड फ्लू के लक्षण कौन से हैं? डॉ. संजय कहते हैं कि बर्ड फ्लू के सारे लक्षण वायरल वाले ही हैं। इसमें भी जुकाम, खांसी, बुखार, बदन दर्द और मांसपेशियों में दर्द होता है। इनके अलावा सांस फूलने की शिकायत, नाक से खून, आंख लाल होना, डायरिया, पेट में दर्द भी हो सकता है। फेफड़े डैमेज हो जाने से सांस फूलती है। वे लोग जो पक्षियों के संपर्क में आते हैं, उन्हें सारे बचाव के तरीके कोरोना वाले ही अपनाने चाहिए। इसके सिंप्टम्स दिखने के बाद तुरंत हास्पिटल में एडमिट हो जाएं या आइसोलेशन में जाएं और ज्यादा बीमार मरीजों को इंटेंसिव केयर की जरूरत होती है। बर्ड फ्लू कितना खतरनाक है? डॉक्टर संजय कहते हैं कि यह बहुत खतरनाक बीमारी है। इसमें संक्रमितों की मृत्युदर 60 फीसदी तक है, यानी हर 10 में से 5-6 लोगों की जान जाती है। हालांकि, ये इंसान से इंसान में ट्रांसमिट नहीं होता है, लेकिन वायरस म्यूटेट करते हैं। जैसे कोरोना के मामले में हुआ है। इससे वायरस के और ज्यादा कंटेजियस (संक्रामक) होने का खतरा रहता है। बर्ड फ्लू के 11 वायरस हैं, इनमें से 5 इंसानों के लिए जानलेवा हैं बर्ड फ्लू के 11 वायरस हैं जो इंसानों को संक्रमित करते हैं, लेकिन इनमें से 5 इंसानों के लिए जानलेवा साबित हो सकते हैं। ये हैं- H5N1, H7N3, H7N7, H7N9 और H9N2। इन वायरसों को HPAI (Highly Pathogenic Avian Influenza) कहा जाता है। इनमें सबसे खतरनाक H5N1 वायरस है। यही पहला बर्ड फ्लू वायरस था, जिसने इंसानों को भी संक्रमित किया। दुनिया भर में जंगली पक्षियों की आंतों में ये फ्लू वायरस होते हैं, लेकिन आमतौर पर ये पक्षी उनसे बीमार नहीं होते हैं। हालांकि, बर्ड फ्लू मुर्गियों और बत्तखों समेत कुछ पालतू पक्षियों को बीमार बना सकता है, जिससे उनकी जान भी जा सकती है। क्या अंडा और चिकन खाने से बर्ड फ्लू का खतरा है? बर्ड फ्लू और अंडे/चिकन खाने के बीच कोई संबंध नहीं है। हालांकि, डॉक्टर लोगों को अधपके पोल्ट्री प्रोडक्ट और मांस नहीं खाने का सुझाव देते हैं। WHO के मुताबिक अभी तक ये सबूत नहीं मिले हैं कि पके हुए पोल्ट्री फूड से किसी इंसान को बर्ड फ्लू हो सकता है। ये वायरस तापमान के प्रति संवेदनशील है और अधिक कुकिंग टेंपरेचर में नष्ट हो जाता है। केंद्र सरकार ने भी कहा है कि पोल्ट्री उत्पाद खाने से इंसान में बर्ड फ्लू वायरस के फैलने को कोई प्रमाण नहीं है। हालांकि, साफ-सफाई और खाना बनाने के दौरान सावधानी जरूरी है। क्या इंसानों में भी बर्ड फ्लू का खतरा है? H5N1 पहला बर्ड फ्लू वायरस है, जिसने पहली बार किसी इंसान को संक्रमित किया था। इसका पहला मामला साल 1997 में हॉन्गकॉन्ग में आया था। H5N1 आमतौर पर पानी में रहने वाले पक्षियों में होता है, लेकिन ये पोल्ट्री फार्म में पलने वाले पक्षियों में भी आसानी से फैल सकता है। WHO के मुताबिक बर्ड फ्लू एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में ट्रांसमिट हो सकता है, ऐसा संभव है, लेकिन दुर्लभ है। बर्ड फ्लू का इलाज क्या है? डॉ. संजय कहते हैं कि स्वाइन फ्लू (H1N1) में ओसेल टामीविर (टॉमीफ्लू) नाम की दवा इस्तेमाल होती। यही दवा बर्ड फ्लू के इलाज में भी इस्तेमाल हो रही है, लेकिन इस दवा से आप पूरी तरह से ठीक हो जाएंगे, यह निश्चित नहीं है। एक और दवा भी है, इसका नाम जानामि-वीर (रेलेंजा) है। ये दवाएं बीमारी के खतरे को कुछ हद तक कम कर देती हैं। बर्ड फ्लू कितना खतरनाक है? बर्ड फ्लू अब तक दुनिया में चार बार बड़े पैमाने पर फैल चुका है। यह 60 से ज्यादा देशों में महामारी का रूप भी ले चुका है। 2003 से अब तक लगातार यह किसी न किसी देश में अपना असर दिखाता रहा है। H5N1 बर्ड फ्लू वायरस सबसे ज्यादा खतरनाक है, क्योंकि इससे संक्रमित होने वालों में से आधे से ज्यादा की मौत हो जाती है। 2003 से अब तक H5N1 वायरस से कुल 861 लोग संक्रमित हुए हैं। इनमें से 455 की मौत हुई है, यानी मृत्युदर 52.8 फीसदी है। यह कोरोनावायरस से होने वाली मृत्युदर से करीब 50 गुना ज्यादा है। दुनिया में कोरोना से होने वाली मृत्युदर 3% और भारत में 1.5% है। अमेरिकी हेल्थ एजेंसी FDA (फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन) ने कुछ साल पहले इसके लिए एक वैक्सीन डिजाइन को मंजूरी दे दी थी, लेकिन अभी वह लोगों के लिए उपलब्ध नहीं है। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें Coronavirus Vs Bird Flu Avian Influenza; What Is More Dangerous? Symptoms, Prevention & More | Over 5 Lakh Birds Died In 12 Days https://ift.tt/3oxB56T Dainik Bhaskar कोरोना से 50 गुना ज्यादा खतरनाक है बर्ड फ्लू, हर 10 संक्रमित में से 5 की जान जाती है; जानिए क्या हैं बचाव और लक्षण 

देश से अभी कोरोना गया भी नहीं है कि बर्ड फ्लू नाम की एक और बड़ी बीमारी आ गई है। बर्ड फ्लू वायरस कोरोना से 50 गुना ज्यादा खतरनाक है। देशभर में पांच लाख से ज्यादा पक्षियों की मौत हो चुकी है। इनमें हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा और केरल सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। ऐसे में लोग परेशान हैं कि वे कोरोना के साथ बर्ड फ्लू से कैसे बचें? आखिर बर्ड फ्लू है क्या? इसके लक्षण और इलाज क्या हैं? इस तरह के तमाम सवाल लोगों के जेहन में आ रहे हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक बर्ड फ्लू खतरनाक बीमारी है, यह इन्फ्लूएंजा टाइप-ए H5N1 वायरस की वजह से फैलती है। इसे एवियन इन्फ्लूएंजा भी कहा जाता है। बर्ड फ्लू पक्षियों से इंसानों या दूसरे जानवरों में भी फैल सकता है। सबसे ज्यादा पोल्ट्री फार्म में पलने वाली मुर्गियों से फैलता है। कोरोना की तरह इसके भी कई अलग-अलग स्ट्रेन होते हैं। हालांकि, इंसान से इंसान में इस वायरस के ट्रांसमिशन का जोखिम बेहद कम है।

H5N1 से संक्रमित पक्षी करीब 10 दिनों तक मल या लार के जरिए वायरस रिलीज करता है। H5N1 बर्ड फ्लू वायरस किसी सतह के जरिए भी इंसानों को संक्रमित कर सकता है।

बर्ड फ्लू से कैसे बचा जा सकता है?
एम्स, नई दिल्ली से डीएम कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर संजय कुमार चुघ कहते हैं कि इसका कारगर उपाय है कि आप पक्षियों से सीधे संपर्क में न आएं। उनकी बीट को न छुएं। जहां पक्षी रहते हैं, वहां बिल्कुल न जाएं। जो लोग अंडा या मुर्गी-मुर्गा खाते हैं, वे इसे खरीदने जाएं तो साफ-सफाई का ध्यान रखें। खरीददारी के वक्त और मीट काटने के दौरान ग्लव्ज पहनें। इसके तुरंत बाद हाथ सैनिटाइज करें या साबुन से हाथ धोएं। नॉनवेज अच्छे से पकाकर ही खाएं, इससे रिस्क खत्म हो जाता है।

बर्ड फ्लू से इंसान कैसे संक्रमित हो सकता है?

संक्रमित पक्षी के मल, नाक, मुंह या आंखों से निकलने वाले पदार्थ के संपर्क में आने पर इंसान संक्रमित हो सकता है।

यह वायरस इंसानों में आंख, नाक और मुंह के जरिए प्रवेश कर सकता है।

कच्चे और दूषित पोल्ट्री प्रोडक्ट खाने से भी आप संक्रमित हो सकते हैं।

ज्यादातर मामलों में देखा गया कि इंसानों में इन्फ्लूएंजा A (H5N1) और A (H7N9) वायरस जिंदा या मृत संक्रमित पक्षियों के संपर्क में आने से पहुंचा।

बर्ड फ्लू के लक्षण कौन से हैं?
डॉ. संजय कहते हैं कि बर्ड फ्लू के सारे लक्षण वायरल वाले ही हैं। इसमें भी जुकाम, खांसी, बुखार, बदन दर्द और मांसपेशियों में दर्द होता है। इनके अलावा सांस फूलने की शिकायत, नाक से खून, आंख लाल होना, डायरिया, पेट में दर्द भी हो सकता है। फेफड़े डैमेज हो जाने से सांस फूलती है।

वे लोग जो पक्षियों के संपर्क में आते हैं, उन्हें सारे बचाव के तरीके कोरोना वाले ही अपनाने चाहिए। इसके सिंप्टम्स दिखने के बाद तुरंत हास्पिटल में एडमिट हो जाएं या आइसोलेशन में जाएं और ज्यादा बीमार मरीजों को इंटेंसिव केयर की जरूरत होती है।

बर्ड फ्लू कितना खतरनाक है?

डॉक्टर संजय कहते हैं कि यह बहुत खतरनाक बीमारी है। इसमें संक्रमितों की मृत्युदर 60 फीसदी तक है, यानी हर 10 में से 5-6 लोगों की जान जाती है। हालांकि, ये इंसान से इंसान में ट्रांसमिट नहीं होता है, लेकिन वायरस म्यूटेट करते हैं। जैसे कोरोना के मामले में हुआ है। इससे वायरस के और ज्यादा कंटेजियस (संक्रामक) होने का खतरा रहता है।

बर्ड फ्लू के 11 वायरस हैं, इनमें से 5 इंसानों के लिए जानलेवा हैं

बर्ड फ्लू के 11 वायरस हैं जो इंसानों को संक्रमित करते हैं, लेकिन इनमें से 5 इंसानों के लिए जानलेवा साबित हो सकते हैं। ये हैं- H5N1, H7N3, H7N7, H7N9 और H9N2।

इन वायरसों को HPAI (Highly Pathogenic Avian Influenza) कहा जाता है। इनमें सबसे खतरनाक H5N1 वायरस है। यही पहला बर्ड फ्लू वायरस था, जिसने इंसानों को भी संक्रमित किया।

दुनिया भर में जंगली पक्षियों की आंतों में ये फ्लू वायरस होते हैं, लेकिन आमतौर पर ये पक्षी उनसे बीमार नहीं होते हैं। हालांकि, बर्ड फ्लू मुर्गियों और बत्तखों समेत कुछ पालतू पक्षियों को बीमार बना सकता है, जिससे उनकी जान भी जा सकती है।

क्या अंडा और चिकन खाने से बर्ड फ्लू का खतरा है?

बर्ड फ्लू और अंडे/चिकन खाने के बीच कोई संबंध नहीं है। हालांकि, डॉक्टर लोगों को अधपके पोल्ट्री प्रोडक्ट और मांस नहीं खाने का सुझाव देते हैं।

WHO के मुताबिक अभी तक ये सबूत नहीं मिले हैं कि पके हुए पोल्ट्री फूड से किसी इंसान को बर्ड फ्लू हो सकता है। ये वायरस तापमान के प्रति संवेदनशील है और अधिक कुकिंग टेंपरेचर में नष्ट हो जाता है।

केंद्र सरकार ने भी कहा है कि पोल्ट्री उत्पाद खाने से इंसान में बर्ड फ्लू वायरस के फैलने को कोई प्रमाण नहीं है। हालांकि, साफ-सफाई और खाना बनाने के दौरान सावधानी जरूरी है।

क्या इंसानों में भी बर्ड फ्लू का खतरा है?

H5N1 पहला बर्ड फ्लू वायरस है, जिसने पहली बार किसी इंसान को संक्रमित किया था। इसका पहला मामला साल 1997 में हॉन्गकॉन्ग में आया था।

H5N1 आमतौर पर पानी में रहने वाले पक्षियों में होता है, लेकिन ये पोल्ट्री फार्म में पलने वाले पक्षियों में भी आसानी से फैल सकता है।

WHO के मुताबिक बर्ड फ्लू एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में ट्रांसमिट हो सकता है, ऐसा संभव है, लेकिन दुर्लभ है।

बर्ड फ्लू का इलाज क्या है?
डॉ. संजय कहते हैं कि स्वाइन फ्लू (H1N1) में ओसेल टामीविर (टॉमीफ्लू) नाम की दवा इस्तेमाल होती। यही दवा बर्ड फ्लू के इलाज में भी इस्तेमाल हो रही है, लेकिन इस दवा से आप पूरी तरह से ठीक हो जाएंगे, यह निश्चित नहीं है। एक और दवा भी है, इसका नाम जानामि-वीर (रेलेंजा) है। ये दवाएं बीमारी के खतरे को कुछ हद तक कम कर देती हैं।

बर्ड फ्लू कितना खतरनाक है?

बर्ड फ्लू अब तक दुनिया में चार बार बड़े पैमाने पर फैल चुका है। यह 60 से ज्यादा देशों में महामारी का रूप भी ले चुका है।

2003 से अब तक लगातार यह किसी न किसी देश में अपना असर दिखाता रहा है। H5N1 बर्ड फ्लू वायरस सबसे ज्यादा खतरनाक है, क्योंकि इससे संक्रमित होने वालों में से आधे से ज्यादा की मौत हो जाती है।

2003 से अब तक H5N1 वायरस से कुल 861 लोग संक्रमित हुए हैं। इनमें से 455 की मौत हुई है, यानी मृत्युदर 52.8 फीसदी है। यह कोरोनावायरस से होने वाली मृत्युदर से करीब 50 गुना ज्यादा है। दुनिया में कोरोना से होने वाली मृत्युदर 3% और भारत में 1.5% है।

अमेरिकी हेल्थ एजेंसी FDA (फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन) ने कुछ साल पहले इसके लिए एक वैक्सीन डिजाइन को मंजूरी दे दी थी, लेकिन अभी वह लोगों के लिए उपलब्ध नहीं है।

आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें

Coronavirus Vs Bird Flu Avian Influenza; What Is More Dangerous? Symptoms, Prevention & More | Over 5 Lakh Birds Died In 12 Days

https://ift.tt/3oxB56T Dainik Bhaskar कोरोना से 50 गुना ज्यादा खतरनाक है बर्ड फ्लू, हर 10 संक्रमित में से 5 की जान जाती है; जानिए क्या हैं बचाव और लक्षण Reviewed by Manish Pethev on January 10, 2021 Rating: 5

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