रामायण में रावण का स्वभाव बहुत अहंकारी और आक्रामक था। जो लोग उसके पसंद की बात नहीं करते थे, वह उनसे बहुत बुरा व्यवहार करता था। रावण ने सीता हरण कर लिया था और श्रीराम सीता की खोज में वानर सेना के साथ लंका तक पहुंच गए थे। विभीषण अपने बड़े भाई रावण को समझाना चाहते थे कि वह राम से दुश्मनी न करें। वे जानते थे कि जो बात मैं कहना चाहता हूं, उसके बदले रावण मुझे दंड भी दे सकता है। विभीषण ने शब्दों में संयम और विनम्रता के साथ भरी राज सभा में रावण से कहा, 'आप सीताजी को लौटा दीजिए, रामजी आपको क्षमा कर देंगे। इसी में हम सभी का भला है।' शब्द बहुत संतुलित थे। लेकिन, रावण अपने स्वभाव की वजह से आक्रामक हो गया और उसने विभीषण को लात मार दी। लात खाने के बाद भी विभीषण ने बड़े भाई को प्रणाम किया। ये उनके व्यवहार की विनम्रता थी। विभीषण बोले, 'आप मुझ पर गुस्सा कर रहे हैं, आपको मेरी बात पसंद नहीं आई है तो मैं ये जगह छोड़ चला जाता हूं। लेकिन, मेरा आपसे यही निवेदन है कि आप मेरी बात पर विचार जरूर करें।' सीख - विभीषण हमें सीख दे रहे हैं कि जब किसी बड़े और अहंकारी व्यक्ति से जो कि गलत काम कर रहा है, उससे सही बात कहनी हो तो बहुत सावधानी रखनी चाहिए। ऐसे लोग आक्रामक हो सकते हैं। इन हालातों में हमें शब्दों का चयन बहुत सोच-समझ करना चाहिए। एक-एक शब्द गहरे अर्थ वाला होना चाहिए। साथ ही, स्वभाव में विनम्रता भी बनाए रखें। अगर हमारी बात स्वीकार नहीं की जाती है, तब भी हमें गुस्सा नहीं करना है। हो सकता है कि उस समय सामने वाले व्यक्ति को हमारी बात समझ न आए, लेकिन भविष्य में एक दिन उसे ये जरूर समझ आएगा कि बात सही कही जा रही थी। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें aaj ka jeevan mantra by pandit vijayshankar mehta, story of ravan and vibhishan, life management tips from ramayana https://ift.tt/3hVfjYs Dainik Bhaskar जब किसी बड़े और अहंकारी व्यक्ति के सामने कोई सही बात कहनी हो तो विनम्रता बनाए रखें
रामायण में रावण का स्वभाव बहुत अहंकारी और आक्रामक था। जो लोग उसके पसंद की बात नहीं करते थे, वह उनसे बहुत बुरा व्यवहार करता था। रावण ने सीता हरण कर लिया था और श्रीराम सीता की खोज में वानर सेना के साथ लंका तक पहुंच गए थे।
विभीषण अपने बड़े भाई रावण को समझाना चाहते थे कि वह राम से दुश्मनी न करें। वे जानते थे कि जो बात मैं कहना चाहता हूं, उसके बदले रावण मुझे दंड भी दे सकता है।
विभीषण ने शब्दों में संयम और विनम्रता के साथ भरी राज सभा में रावण से कहा, 'आप सीताजी को लौटा दीजिए, रामजी आपको क्षमा कर देंगे। इसी में हम सभी का भला है।'
शब्द बहुत संतुलित थे। लेकिन, रावण अपने स्वभाव की वजह से आक्रामक हो गया और उसने विभीषण को लात मार दी। लात खाने के बाद भी विभीषण ने बड़े भाई को प्रणाम किया। ये उनके व्यवहार की विनम्रता थी। विभीषण बोले, 'आप मुझ पर गुस्सा कर रहे हैं, आपको मेरी बात पसंद नहीं आई है तो मैं ये जगह छोड़ चला जाता हूं। लेकिन, मेरा आपसे यही निवेदन है कि आप मेरी बात पर विचार जरूर करें।'
सीख - विभीषण हमें सीख दे रहे हैं कि जब किसी बड़े और अहंकारी व्यक्ति से जो कि गलत काम कर रहा है, उससे सही बात कहनी हो तो बहुत सावधानी रखनी चाहिए। ऐसे लोग आक्रामक हो सकते हैं। इन हालातों में हमें शब्दों का चयन बहुत सोच-समझ करना चाहिए। एक-एक शब्द गहरे अर्थ वाला होना चाहिए। साथ ही, स्वभाव में विनम्रता भी बनाए रखें। अगर हमारी बात स्वीकार नहीं की जाती है, तब भी हमें गुस्सा नहीं करना है। हो सकता है कि उस समय सामने वाले व्यक्ति को हमारी बात समझ न आए, लेकिन भविष्य में एक दिन उसे ये जरूर समझ आएगा कि बात सही कही जा रही थी।
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