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आज कहानी राजकोट के रहने वाले नीलेश गोहिल की। एग्रोनॉमी में ग्रेजुएशन करने के बाद नीलेश ने मधुमक्खी पालन करने का फैसला किया। उन्होंने इटेलियन मधुमक्खियों की 50 पेटियों से शहद बनाने की शुरुआत की। इस शहद की इतनी डिमांड बढ़ी कि एक साल के अंदर ही वे 200 पेटियों से ज्यादा का उत्पादन करने लगे। वे एक साल में ही सात लाख रुपए से ज्यादा की कमाई कर चुके हैं। 23 साल के नीलेश बताते हैं कि उन्होंने इस प्रोफेशन के लिए छह महीने की ट्रेनिंग ली। 2019 में मधुमक्खी पालन शुरू किया। पहले सोशल मीडिया के जरिए बिजनेस किया। जब लोगों को इसके बारे में पता चला तो डिमांड बढ़ती गई। आज नीलेश 1800 किलो शहद का प्रोडक्शन करते हैं और इसकी होलसेल सप्लाई करते हैं। मधुमक्खी पालन की शुरुआत पांच बाक्स से कर सकते हैं। एक बॉक्स में लगभग चार हजार रुपए का खर्चा आता है। नीलेश का कहना है कि उन्होंने इटालियन मधुमक्खियों को इसलिए चुना, क्योंकि इनसे शहद का प्रोडक्शन ज्यादा होता है। अभी वे हर महीने 150 किलो शहद का उत्पादन कर लेते हैं। इनसे छह प्रकार का (अजमो, वरियाली, बोर, क्रिस्टल, मल्टी और रायडो) शहद का उत्पादन होता है। वे अब देसी शहद के लिए देसी मधुमक्खियों के पालन की कोशिश में लगे हैं। फूलों वाली जगह जाना पड़ता है नीलेश बताते हैं, ‘मधुमक्खियों की खेती के लिए लगातार मूवमेंट जरूरी होता है। इसके लिए मुझे उन इलाकों में जाना पड़ता है, जहां बड़े पैमाने पर फूलों का उत्पादन होता है। मैं गुजरात में जामनगर, कच्छ, सुरेंद्रनगर, मोरबी और जूनागढ़ की यात्रा करता रहता हूं। यहां अलग-अलग तरह के फूलों के खेत हैं, जिनसे अलग-अलग फ्लेवर का शहद मिल जाता है। रायडो शहद (सरसों के फूल का शहद) के लिए मुझे राजस्थान जाना पड़ता है। क्योंकि, राजस्थान के उदयपुर, जयपुर और कोटा के आसपास के इलाकों में बड़े पैमाने पर सरसों की खेती होती है।’ नीलेश अभी 1800 किलो शहद का प्रोडक्शन करते हैं। उनके पास 200 से ज्यादा शहद की पेटियां हैं। किस तरह बनता है शहद सबसे पहले मधुमक्खियां फूलों का रस चूसती हैं। इसके बाद वे वैक्स की बनी पेटी में मलत्याग करती हैं और यही मल शहद के रूप में परिवर्तित होता है। शुरुआत में इसमें पानी की मात्रा अधिक होती है, लेकिन रात में मधुमक्खियां अपने पंख की मदद से शहद से पानी अलग कर देती हैं। शहद निर्माण की यह प्रक्रिया लगातार 7-8 दिनों तक चलती है। इस तरह के शहद को कच्चा शहद कहा जाता है। इसके बाद शहद को पकाने के लिए रखा जाता है। करीब 12 से 15 दिनों में शहद पक कर तैयार हो जाता है, जिसे पेटी से निकाल लिया जाता है। इस शहद का सीधे उपयोग किया जा सकता है। किन चीजों की जरूरत होती है इसके लिए खुली जगह की जरूरत होती है, जहां मधुमक्खियों के पालन के लिए पेटियां रखी जा सकें। लकड़ी के बने बक्से और मुंह की सेफ्टी के लिए जाली। मधुमक्खियों की उन्नत किस्म। हाथों के लिए दस्ताने और धुंआदानी। अगर आप 200 से 300 पेटियां मधुमक्खियां पालते हैं तो आपको 4 से 5 हजार स्क्वायर फीट जमीन चाहिए। मधुमक्खी की चार प्रजातियों में से इटालियन मक्खी सबसे अच्छी मानी जाती है। यह शांत स्वभाव की होती है और छत्ता छोड़कर कम भागती है। मुनाफा कैसे कमाएं पांच बॉक्स के लिए करीब 20 हजार रु खर्च होंगे। बाद में इनकी संख्या बढ़ाई जा सकती है। एक महीने में एक पेटी से चार किलो तक शहद मिल सकती है, जिसे आराम से बाजार में सौ रुपए किलो तक बेचा जा सकता है। पेटियों की संख्या बढ़ाकर एक महीने में एक लाख रुपए तक की कमाई की जा सकती है। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें नीलेश बताते हैं कि मधुमक्खियों की खेती के लिए लगातार मूवमेंट जरूरी होता है। इसके लिए उन्हें उन इलाकों में जाना पड़ता है, जहां बड़े पैमाने पर फूलों का उत्पादन होता है। https://ift.tt/3q3JGyH Dainik Bhaskar 23 साल के नीलेश ने ग्रेजुएशन के बाद इटालियन मधुमक्खी का पालन शुरू किया, पहले ही साल 7 लाख रु. की कमाई

आज कहानी राजकोट के रहने वाले नीलेश गोहिल की। एग्रोनॉमी में ग्रेजुएशन करने के बाद नीलेश ने मधुमक्खी पालन करने का फैसला किया। उन्होंने इटेलियन मधुमक्खियों की 50 पेटियों से शहद बनाने की शुरुआत की। इस शहद की इतनी डिमांड बढ़ी कि एक साल के अंदर ही वे 200 पेटियों से ज्यादा का उत्पादन करने लगे। वे एक साल में ही सात लाख रुपए से ज्यादा की कमाई कर चुके हैं।

23 साल के नीलेश बताते हैं कि उन्होंने इस प्रोफेशन के लिए छह महीने की ट्रेनिंग ली। 2019 में मधुमक्खी पालन शुरू किया। पहले सोशल मीडिया के जरिए बिजनेस किया। जब लोगों को इसके बारे में पता चला तो डिमांड बढ़ती गई। आज नीलेश 1800 किलो शहद का प्रोडक्शन करते हैं और इसकी होलसेल सप्लाई करते हैं।

मधुमक्खी पालन की शुरुआत पांच बाक्स से कर सकते हैं। एक बॉक्स में लगभग चार हजार रुपए का खर्चा आता है।

नीलेश का कहना है कि उन्होंने इटालियन मधुमक्खियों को इसलिए चुना, क्योंकि इनसे शहद का प्रोडक्शन ज्यादा होता है। अभी वे हर महीने 150 किलो शहद का उत्पादन कर लेते हैं। इनसे छह प्रकार का (अजमो, वरियाली, बोर, क्रिस्टल, मल्टी और रायडो) शहद का उत्पादन होता है। वे अब देसी शहद के लिए देसी मधुमक्खियों के पालन की कोशिश में लगे हैं।

फूलों वाली जगह जाना पड़ता है
नीलेश बताते हैं, ‘मधुमक्खियों की खेती के लिए लगातार मूवमेंट जरूरी होता है। इसके लिए मुझे उन इलाकों में जाना पड़ता है, जहां बड़े पैमाने पर फूलों का उत्पादन होता है। मैं गुजरात में जामनगर, कच्छ, सुरेंद्रनगर, मोरबी और जूनागढ़ की यात्रा करता रहता हूं। यहां अलग-अलग तरह के फूलों के खेत हैं, जिनसे अलग-अलग फ्लेवर का शहद मिल जाता है। रायडो शहद (सरसों के फूल का शहद) के लिए मुझे राजस्थान जाना पड़ता है। क्योंकि, राजस्थान के उदयपुर, जयपुर और कोटा के आसपास के इलाकों में बड़े पैमाने पर सरसों की खेती होती है।’

नीलेश अभी 1800 किलो शहद का प्रोडक्शन करते हैं। उनके पास 200 से ज्यादा शहद की पेटियां हैं।

किस तरह बनता है शहद
सबसे पहले मधुमक्खियां फूलों का रस चूसती हैं। इसके बाद वे वैक्स की बनी पेटी में मलत्याग करती हैं और यही मल शहद के रूप में परिवर्तित होता है। शुरुआत में इसमें पानी की मात्रा अधिक होती है, लेकिन रात में मधुमक्खियां अपने पंख की मदद से शहद से पानी अलग कर देती हैं।

शहद निर्माण की यह प्रक्रिया लगातार 7-8 दिनों तक चलती है। इस तरह के शहद को कच्चा शहद कहा जाता है। इसके बाद शहद को पकाने के लिए रखा जाता है। करीब 12 से 15 दिनों में शहद पक कर तैयार हो जाता है, जिसे पेटी से निकाल लिया जाता है। इस शहद का सीधे उपयोग किया जा सकता है।

किन चीजों की जरूरत होती है

  • इसके लिए खुली जगह की जरूरत होती है, जहां मधुमक्खियों के पालन के लिए पेटियां रखी जा सकें।
  • लकड़ी के बने बक्से और मुंह की सेफ्टी के लिए जाली।
  • मधुमक्खियों की उन्नत किस्म।
  • हाथों के लिए दस्ताने और धुंआदानी।
  • अगर आप 200 से 300 पेटियां मधुमक्खियां पालते हैं तो आपको 4 से 5 हजार स्क्वायर फीट जमीन चाहिए।
    मधुमक्खी की चार प्रजातियों में से इटालियन मक्खी सबसे अच्छी मानी जाती है। यह शांत स्वभाव की होती है और छत्ता छोड़कर कम भागती है।

मुनाफा कैसे कमाएं
पांच बॉक्स के लिए करीब 20 हजार रु खर्च होंगे। बाद में इनकी संख्या बढ़ाई जा सकती है। एक महीने में एक पेटी से चार किलो तक शहद मिल सकती है, जिसे आराम से बाजार में सौ रुपए किलो तक बेचा जा सकता है। पेटियों की संख्या बढ़ाकर एक महीने में एक लाख रुपए तक की कमाई की जा सकती है।



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नीलेश बताते हैं कि मधुमक्खियों की खेती के लिए लगातार मूवमेंट जरूरी होता है। इसके लिए उन्हें उन इलाकों में जाना पड़ता है, जहां बड़े पैमाने पर फूलों का उत्पादन होता है।


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आज कहानी राजकोट के रहने वाले नीलेश गोहिल की। एग्रोनॉमी में ग्रेजुएशन करने के बाद नीलेश ने मधुमक्खी पालन करने का फैसला किया। उन्होंने इटेलियन मधुमक्खियों की 50 पेटियों से शहद बनाने की शुरुआत की। इस शहद की इतनी डिमांड बढ़ी कि एक साल के अंदर ही वे 200 पेटियों से ज्यादा का उत्पादन करने लगे। वे एक साल में ही सात लाख रुपए से ज्यादा की कमाई कर चुके हैं। 23 साल के नीलेश बताते हैं कि उन्होंने इस प्रोफेशन के लिए छह महीने की ट्रेनिंग ली। 2019 में मधुमक्खी पालन शुरू किया। पहले सोशल मीडिया के जरिए बिजनेस किया। जब लोगों को इसके बारे में पता चला तो डिमांड बढ़ती गई। आज नीलेश 1800 किलो शहद का प्रोडक्शन करते हैं और इसकी होलसेल सप्लाई करते हैं। मधुमक्खी पालन की शुरुआत पांच बाक्स से कर सकते हैं। एक बॉक्स में लगभग चार हजार रुपए का खर्चा आता है। नीलेश का कहना है कि उन्होंने इटालियन मधुमक्खियों को इसलिए चुना, क्योंकि इनसे शहद का प्रोडक्शन ज्यादा होता है। अभी वे हर महीने 150 किलो शहद का उत्पादन कर लेते हैं। इनसे छह प्रकार का (अजमो, वरियाली, बोर, क्रिस्टल, मल्टी और रायडो) शहद का उत्पादन होता है। वे अब देसी शहद के लिए देसी मधुमक्खियों के पालन की कोशिश में लगे हैं। फूलों वाली जगह जाना पड़ता है नीलेश बताते हैं, ‘मधुमक्खियों की खेती के लिए लगातार मूवमेंट जरूरी होता है। इसके लिए मुझे उन इलाकों में जाना पड़ता है, जहां बड़े पैमाने पर फूलों का उत्पादन होता है। मैं गुजरात में जामनगर, कच्छ, सुरेंद्रनगर, मोरबी और जूनागढ़ की यात्रा करता रहता हूं। यहां अलग-अलग तरह के फूलों के खेत हैं, जिनसे अलग-अलग फ्लेवर का शहद मिल जाता है। रायडो शहद (सरसों के फूल का शहद) के लिए मुझे राजस्थान जाना पड़ता है। क्योंकि, राजस्थान के उदयपुर, जयपुर और कोटा के आसपास के इलाकों में बड़े पैमाने पर सरसों की खेती होती है।’ नीलेश अभी 1800 किलो शहद का प्रोडक्शन करते हैं। उनके पास 200 से ज्यादा शहद की पेटियां हैं। किस तरह बनता है शहद सबसे पहले मधुमक्खियां फूलों का रस चूसती हैं। इसके बाद वे वैक्स की बनी पेटी में मलत्याग करती हैं और यही मल शहद के रूप में परिवर्तित होता है। शुरुआत में इसमें पानी की मात्रा अधिक होती है, लेकिन रात में मधुमक्खियां अपने पंख की मदद से शहद से पानी अलग कर देती हैं। शहद निर्माण की यह प्रक्रिया लगातार 7-8 दिनों तक चलती है। इस तरह के शहद को कच्चा शहद कहा जाता है। इसके बाद शहद को पकाने के लिए रखा जाता है। करीब 12 से 15 दिनों में शहद पक कर तैयार हो जाता है, जिसे पेटी से निकाल लिया जाता है। इस शहद का सीधे उपयोग किया जा सकता है। किन चीजों की जरूरत होती है इसके लिए खुली जगह की जरूरत होती है, जहां मधुमक्खियों के पालन के लिए पेटियां रखी जा सकें। लकड़ी के बने बक्से और मुंह की सेफ्टी के लिए जाली। मधुमक्खियों की उन्नत किस्म। हाथों के लिए दस्ताने और धुंआदानी। अगर आप 200 से 300 पेटियां मधुमक्खियां पालते हैं तो आपको 4 से 5 हजार स्क्वायर फीट जमीन चाहिए। मधुमक्खी की चार प्रजातियों में से इटालियन मक्खी सबसे अच्छी मानी जाती है। यह शांत स्वभाव की होती है और छत्ता छोड़कर कम भागती है। मुनाफा कैसे कमाएं पांच बॉक्स के लिए करीब 20 हजार रु खर्च होंगे। बाद में इनकी संख्या बढ़ाई जा सकती है। एक महीने में एक पेटी से चार किलो तक शहद मिल सकती है, जिसे आराम से बाजार में सौ रुपए किलो तक बेचा जा सकता है। पेटियों की संख्या बढ़ाकर एक महीने में एक लाख रुपए तक की कमाई की जा सकती है। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें नीलेश बताते हैं कि मधुमक्खियों की खेती के लिए लगातार मूवमेंट जरूरी होता है। इसके लिए उन्हें उन इलाकों में जाना पड़ता है, जहां बड़े पैमाने पर फूलों का उत्पादन होता है। https://ift.tt/3q3JGyH Dainik Bhaskar 23 साल के नीलेश ने ग्रेजुएशन के बाद इटालियन मधुमक्खी का पालन शुरू किया, पहले ही साल 7 लाख रु. की कमाई 

आज कहानी राजकोट के रहने वाले नीलेश गोहिल की। एग्रोनॉमी में ग्रेजुएशन करने के बाद नीलेश ने मधुमक्खी पालन करने का फैसला किया। उन्होंने इटेलियन मधुमक्खियों की 50 पेटियों से शहद बनाने की शुरुआत की। इस शहद की इतनी डिमांड बढ़ी कि एक साल के अंदर ही वे 200 पेटियों से ज्यादा का उत्पादन करने लगे। वे एक साल में ही सात लाख रुपए से ज्यादा की कमाई कर चुके हैं।

23 साल के नीलेश बताते हैं कि उन्होंने इस प्रोफेशन के लिए छह महीने की ट्रेनिंग ली। 2019 में मधुमक्खी पालन शुरू किया। पहले सोशल मीडिया के जरिए बिजनेस किया। जब लोगों को इसके बारे में पता चला तो डिमांड बढ़ती गई। आज नीलेश 1800 किलो शहद का प्रोडक्शन करते हैं और इसकी होलसेल सप्लाई करते हैं।

मधुमक्खी पालन की शुरुआत पांच बाक्स से कर सकते हैं। एक बॉक्स में लगभग चार हजार रुपए का खर्चा आता है।

नीलेश का कहना है कि उन्होंने इटालियन मधुमक्खियों को इसलिए चुना, क्योंकि इनसे शहद का प्रोडक्शन ज्यादा होता है। अभी वे हर महीने 150 किलो शहद का उत्पादन कर लेते हैं। इनसे छह प्रकार का (अजमो, वरियाली, बोर, क्रिस्टल, मल्टी और रायडो) शहद का उत्पादन होता है। वे अब देसी शहद के लिए देसी मधुमक्खियों के पालन की कोशिश में लगे हैं।

फूलों वाली जगह जाना पड़ता है
नीलेश बताते हैं, ‘मधुमक्खियों की खेती के लिए लगातार मूवमेंट जरूरी होता है। इसके लिए मुझे उन इलाकों में जाना पड़ता है, जहां बड़े पैमाने पर फूलों का उत्पादन होता है। मैं गुजरात में जामनगर, कच्छ, सुरेंद्रनगर, मोरबी और जूनागढ़ की यात्रा करता रहता हूं। यहां अलग-अलग तरह के फूलों के खेत हैं, जिनसे अलग-अलग फ्लेवर का शहद मिल जाता है। रायडो शहद (सरसों के फूल का शहद) के लिए मुझे राजस्थान जाना पड़ता है। क्योंकि, राजस्थान के उदयपुर, जयपुर और कोटा के आसपास के इलाकों में बड़े पैमाने पर सरसों की खेती होती है।’

नीलेश अभी 1800 किलो शहद का प्रोडक्शन करते हैं। उनके पास 200 से ज्यादा शहद की पेटियां हैं।

किस तरह बनता है शहद
सबसे पहले मधुमक्खियां फूलों का रस चूसती हैं। इसके बाद वे वैक्स की बनी पेटी में मलत्याग करती हैं और यही मल शहद के रूप में परिवर्तित होता है। शुरुआत में इसमें पानी की मात्रा अधिक होती है, लेकिन रात में मधुमक्खियां अपने पंख की मदद से शहद से पानी अलग कर देती हैं।

शहद निर्माण की यह प्रक्रिया लगातार 7-8 दिनों तक चलती है। इस तरह के शहद को कच्चा शहद कहा जाता है। इसके बाद शहद को पकाने के लिए रखा जाता है। करीब 12 से 15 दिनों में शहद पक कर तैयार हो जाता है, जिसे पेटी से निकाल लिया जाता है। इस शहद का सीधे उपयोग किया जा सकता है।

किन चीजों की जरूरत होती है

इसके लिए खुली जगह की जरूरत होती है, जहां मधुमक्खियों के पालन के लिए पेटियां रखी जा सकें।

लकड़ी के बने बक्से और मुंह की सेफ्टी के लिए जाली।

मधुमक्खियों की उन्नत किस्म।

हाथों के लिए दस्ताने और धुंआदानी।

अगर आप 200 से 300 पेटियां मधुमक्खियां पालते हैं तो आपको 4 से 5 हजार स्क्वायर फीट जमीन चाहिए।

मधुमक्खी की चार प्रजातियों में से इटालियन मक्खी सबसे अच्छी मानी जाती है। यह शांत स्वभाव की होती है और छत्ता छोड़कर कम भागती है।

मुनाफा कैसे कमाएं
पांच बॉक्स के लिए करीब 20 हजार रु खर्च होंगे। बाद में इनकी संख्या बढ़ाई जा सकती है। एक महीने में एक पेटी से चार किलो तक शहद मिल सकती है, जिसे आराम से बाजार में सौ रुपए किलो तक बेचा जा सकता है। पेटियों की संख्या बढ़ाकर एक महीने में एक लाख रुपए तक की कमाई की जा सकती है।

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नीलेश बताते हैं कि मधुमक्खियों की खेती के लिए लगातार मूवमेंट जरूरी होता है। इसके लिए उन्हें उन इलाकों में जाना पड़ता है, जहां बड़े पैमाने पर फूलों का उत्पादन होता है।

https://ift.tt/3q3JGyH Dainik Bhaskar 23 साल के नीलेश ने ग्रेजुएशन के बाद इटालियन मधुमक्खी का पालन शुरू किया, पहले ही साल 7 लाख रु. की कमाई Reviewed by Manish Pethev on January 10, 2021 Rating: 5

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