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क्या आप लगातार घर से ऑफिस का काम या पढ़ाई कर रहे हैं? यदि हां, तो दो बार सोचिए, क्योंकि आप कोरोना से तो बच सकते हैं, लेकिन कुछ ऐसी बीमारियों की गिरफ्त में आ सकते हैं, जो आपको जिंदगीभर परेशान कर सकती हैं। एक स्टडी के मुताबिक, दुनियाभर में वर्क फ्रॉम होम करने वाले आधे से ज्यादा व्यस्क जॉब और घर के काम में बैलेंस बनाने के चक्कर में एंग्जाइटी की चपेट में आ चुके हैं। एस्टर डीएम हेल्थकेयर की डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर अलीशा मोपेन ने वर्क फ्रॉम होम करने वाले लोगों से जुड़ी 5 खतरनाक चीजें आइडेंटिफाई की हैं। उन्होंने इसे “DEMON” यानी भूत या पिशाच नाम दिया है। DEMON के सभी 5 वर्ड अलग-अलग खतरे के बारे में बताते हैं। मोपेन के मुताबिक- जो लोग लॉकडाउन या आइसोलेशन के चलते वर्क फ्रॉम होम हैं या स्टडी फ्रॉम होम हैं, उन्हें समय रहते DEMON से छुटकारा पाने का तरीका ढूंढना होगा, नहीं तो ये 5 समस्याएं जिंदगीभर के लिए मुसीबत बन सकती हैं। हमारी जिंदगी लंबी है, इसलिए जरूरत इस बात की है कि हम अपने घरों में दुबके हुए DEMON यानी पिशाच को पहचानें और उससे दूर रहें। आइए जानते हैं DEMON को और उससे छुटकारा पाने के तरीकों के बारे में- डिवाइस एडिक्शन- नोमोफोबिया से बचना है तो डिजिटल डिटॉक्स है जरूरी कोरोना आने के साथ ही हम बड़ी तेजी के साथ फिजिकल वर्ल्ड से डिजिटल वर्ल्ड में दाखिल हुए और अब इसकी कीमत चुका रहे हैं। इलेक्ट्रानिक डिवाइसेज ने हमारे काम, पढ़ाई और कम्युनिकेशन को तो आसान बनाया है, लेकिन दोस्तों और परिवार से फिजिकली तौर पर दूर कर दिया है। अब हम पहले से कहीं ज्यादा स्क्रीन पर निर्भर हैं। 2021 में जूम पर डेली मीटिंग करने वाले यूजर्स की संख्या 30 करोड़ तक पहुंच सकती है। माइक्रोसॉफ्ट को उम्मीद है कि इस साल यूजर्स एक दिन में 30 बिलियन मिनट तक उसके प्लेटफार्म का इस्तेमाल कर सकते हैं। नेटफ्लिक्स ने साल के पहले छह महीने में 2.6 करोड़ सब्सक्राइबर को जोड़ने का लक्ष्य रखा है। गूगल क्लासरूम को उम्मीद है कि उसके यूजर्स पिछले साल से दोगुना हो जाएंगे। इस तरह हम धीरे-धीरे अपनी बुनियादी जरूरतों के लिए ऐसी तमाम कंपनियों के ऐप और प्लेटफार्म पर निर्भर होते जा रहे हैं। "नोमोफोबिया" या बिना मोबाइल के रहने पर होने वाला डर, ये 2020 में दुनिया में और ज्यादा बढ़ गया है। ऐसी स्थिति में डिजिटल डिटॉक्स यानी थोड़े-थोड़े समय के लिए खुद को स्मार्ट डिवाइस से दूर रखने की तरकीब ही हमें सेफ रख सकती है। आई स्ट्रेन- स्क्रीन टाइम कम करें डिवाइस एडिक्शन और स्क्रीन टाइम बढ़ने से हमारी आंखों पर जोर बढ़ गया है, इसी के चलते आंखों से जुड़ी कई तरह की समस्याएं भी सामने आ रही हैं। ऑनलाइन लर्निंग, गेमिंग और इंटरटेनमेंट से बच्चों में मायोपिया यानी निकट दृष्टि दोष की समस्या पैदा हो रही है। दुनियाभर में 6 से 19 साल तक के बच्चों में मायोपिया के मामले काफी बढ़ गए हैं। यूरोप और उत्तरी अमेरिका में 40% बच्चों में मायोपिया की समस्या देखने को मिली है। एशियाई बच्चों में भी ये समस्या है। व्यस्क लोग कम्प्युटर विजन सिंड्रोम या डिजिटल आई स्ट्रेन की समस्या से जूझ रहे हैं। इसके सिंप्टम्स आंखों का सूखना, लगातार सिर दर्द होना, कम या धुंधला दिखाई देना हैं। इससे बचने के लिए आपको रेगुलर आई चेकअप कराना होगा। स्क्रीन टाइम के दौरान हर 20 मिनट पर आपको नजर फेरना चाहिए, इसके लिए 20 फीट की दूरी पर स्थिति किसी चीज को देख सकते हैं। साथ ही जितना संभव हो स्क्रीन टाइम को कम करें। मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम्स- दिनचर्या में सेल्फ केयर स्ट्रेटजी को शामिल करें दुनिया में तीसरी बड़ी समस्या जो उभर के आई है, वे यह है कि बड़ी संख्या में लोग मानसिक रूप से बीमार हो रहे हैं। 2020 में यह समस्या हर ऐज ग्रुप के लोगों में देखने को मिली। बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स अपने साथियों और टीचर से नहीं मिल पाने और भविष्य को लेकर एंग्जाइटी के शिकार हुए हैं। दुनिया के आधे से ज्यादा वर्किंग एडल्ट जॉब सिक्युरिटी को लेकर एंग्जाइटी के शिकार हैं। इसके अलावा जॉब, काम का पैटर्न और रूटीन बदलने से भी लोग तनाव में काम करने को मजबूर हैं। WHO के मुताबिक आने वाले दिनों और सालों में लोगों को मेंटल हेल्थ और साइकोलॉजिकल सपोर्ट की बहुत जरूरत पड़ने वाली है। इसलिए हमें अपनी रोज की दिनचर्या में सेल्फ केयर स्ट्रेटजी को शामिल करने की जरूरत है, ताकि हमारा मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य बेहतर रहे। रूटीन ब्रेक न हो, इसके लिए हमें कुछ आसान और प्रभावी कदम भी उठाने होंगे, जैसे- निगेटिव न्यूज मीडिया से रहें, पॉजिटिव चीजों पर फोकस करें, प्राथमिकताओं को तय करें और व्यस्त रहें, परिवार के लोगों से जुड़े रहें। ओबेसिटी- बचना है तो खुद को संयमित करें कोरोना के पहले से ही मोटापा दुनिया की बड़ी समस्या रही है, लेकिन पिछले साल ये और बड़ी हो गई। मोटापे के पीछे कई तरह के फैक्टर काम करते हैं, जैसे- ज्यादा कैलोरी वाले फूड, अधिक स्क्रीन टाइम, फिजिकल एक्टीविटीज का कम होना और सस्ते नॉन-फिजिकल एंटरटेनमेंट आदि। दरअसल, स्टे ऐट होम, क्वारैंटाइन, लॉकडाउन जैसी चीजों के चलते घर से निकलना बिल्कुल कम हो गया और लोग मोटापे के शिकार हो रहे हैं। घर पर रहने से आप कुछ समय के लिए तो सेफ रह सकते हैं, लेकिन लंबे समय तक रहने वाली बीमारियों के चपेट में आ सकते हैं- जैसे डाइबिटीज, हाइपरटेंशन आदि। इससे बचने के लिए हमें हर दिन 8 घंटे की नींद लेना चाहिए, नियमित व्यायाम (भले ही घर पर करें), संतुलित और स्वस्थ खान-पान करें, तंबाकू और शराब से परहेज करना चाहिए। इसके अलावा आराम के लिए और खुद को रिचार्ज करने के लिए कुछ समय निकालना चाहिए। नेक और बैक पेन- खड़े होकर काम करें या आरामदायक कुर्सी खरीदें घर पर घंटों लगातार पढ़ाई और ऑफिस का काम करने से गर्दन और कमर दर्द की समस्याएं आम हो गई हैं। दरअसल, गर्दन और कमर को बहुत कम हिलाने-डुलाने से ये दर्द और असहजता पैदा हो रही है। यदि इसे यूं ही जारी रखते हैं तो आगे यह समस्या आपको हमेशा के लिए हो सकती है और फिर इलाज के लिए डॉक्टरों के चक्कर लगाने को मजबूर होंगे। इसके कुछ समाधान हैं, जैसे आप खड़े होकर टेबल पर अपना काम करें या ऐसी कुर्सी खरीदें जिसपर बैठने से कमर को अच्छा सपोर्ट मिले, आप अपनी बाहों, गर्दन और कमर को स्ट्रेच कर सकें। इसके अलावा छोटे ब्रेक भी ले सकते हैं, यह एकबार में एक घंटे के लिए भी हो सकता है। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें Online Work From Home or Study; How to Get Rid of DEMON https://ift.tt/39nIRdc Dainik Bhaskar लगातार घर से काम और पढ़ाई करके आप DEMON के शिकार हो रहे हैं, जानिए ये क्या है और कैसे बचें

क्या आप लगातार घर से ऑफिस का काम या पढ़ाई कर रहे हैं? यदि हां, तो दो बार सोचिए, क्योंकि आप कोरोना से तो बच सकते हैं, लेकिन कुछ ऐसी बीमारियों की गिरफ्त में आ सकते हैं, जो आपको जिंदगीभर परेशान कर सकती हैं।

एक स्टडी के मुताबिक, दुनियाभर में वर्क फ्रॉम होम करने वाले आधे से ज्यादा व्यस्क जॉब और घर के काम में बैलेंस बनाने के चक्कर में एंग्जाइटी की चपेट में आ चुके हैं। एस्टर डीएम हेल्थकेयर की डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर अलीशा मोपेन ने वर्क फ्रॉम होम करने वाले लोगों से जुड़ी 5 खतरनाक चीजें आइडेंटिफाई की हैं। उन्होंने इसे “DEMON” यानी भूत या पिशाच नाम दिया है। DEMON के सभी 5 वर्ड अलग-अलग खतरे के बारे में बताते हैं।

मोपेन के मुताबिक- जो लोग लॉकडाउन या आइसोलेशन के चलते वर्क फ्रॉम होम हैं या स्टडी फ्रॉम होम हैं, उन्हें समय रहते DEMON से छुटकारा पाने का तरीका ढूंढना होगा, नहीं तो ये 5 समस्याएं जिंदगीभर के लिए मुसीबत बन सकती हैं। हमारी जिंदगी लंबी है, इसलिए जरूरत इस बात की है कि हम अपने घरों में दुबके हुए DEMON यानी पिशाच को पहचानें और उससे दूर रहें।

आइए जानते हैं DEMON को और उससे छुटकारा पाने के तरीकों के बारे में-

डिवाइस एडिक्शन-

नोमोफोबिया से बचना है तो डिजिटल डिटॉक्स है जरूरी

कोरोना आने के साथ ही हम बड़ी तेजी के साथ फिजिकल वर्ल्ड से डिजिटल वर्ल्ड में दाखिल हुए और अब इसकी कीमत चुका रहे हैं। इलेक्ट्रानिक डिवाइसेज ने हमारे काम, पढ़ाई और कम्युनिकेशन को तो आसान बनाया है, लेकिन दोस्तों और परिवार से फिजिकली तौर पर दूर कर दिया है। अब हम पहले से कहीं ज्यादा स्क्रीन पर निर्भर हैं। 2021 में जूम पर डेली मीटिंग करने वाले यूजर्स की संख्या 30 करोड़ तक पहुंच सकती है। माइक्रोसॉफ्ट को उम्मीद है कि इस साल यूजर्स एक दिन में 30 बिलियन मिनट तक उसके प्लेटफार्म का इस्तेमाल कर सकते हैं।

नेटफ्लिक्स ने साल के पहले छह महीने में 2.6 करोड़ सब्सक्राइबर को जोड़ने का लक्ष्य रखा है। गूगल क्लासरूम को उम्मीद है कि उसके यूजर्स पिछले साल से दोगुना हो जाएंगे। इस तरह हम धीरे-धीरे अपनी बुनियादी जरूरतों के लिए ऐसी तमाम कंपनियों के ऐप और प्लेटफार्म पर निर्भर होते जा रहे हैं। "नोमोफोबिया" या बिना मोबाइल के रहने पर होने वाला डर, ये 2020 में दुनिया में और ज्यादा बढ़ गया है। ऐसी स्थिति में डिजिटल डिटॉक्स यानी थोड़े-थोड़े समय के लिए खुद को स्मार्ट डिवाइस से दूर रखने की तरकीब ही हमें सेफ रख सकती है।

आई स्ट्रेन-

स्क्रीन टाइम कम करें

डिवाइस एडिक्शन और स्क्रीन टाइम बढ़ने से हमारी आंखों पर जोर बढ़ गया है, इसी के चलते आंखों से जुड़ी कई तरह की समस्याएं भी सामने आ रही हैं। ऑनलाइन लर्निंग, गेमिंग और इंटरटेनमेंट से बच्चों में मायोपिया यानी निकट दृष्टि दोष की समस्या पैदा हो रही है। दुनियाभर में 6 से 19 साल तक के बच्चों में मायोपिया के मामले काफी बढ़ गए हैं। यूरोप और उत्तरी अमेरिका में 40% बच्चों में मायोपिया की समस्या देखने को मिली है। एशियाई बच्चों में भी ये समस्या है।

व्यस्क लोग कम्प्युटर विजन सिंड्रोम या डिजिटल आई स्ट्रेन की समस्या से जूझ रहे हैं। इसके सिंप्टम्स आंखों का सूखना, लगातार सिर दर्द होना, कम या धुंधला दिखाई देना हैं। इससे बचने के लिए आपको रेगुलर आई चेकअप कराना होगा। स्क्रीन टाइम के दौरान हर 20 मिनट पर आपको नजर फेरना चाहिए, इसके लिए 20 फीट की दूरी पर स्थिति किसी चीज को देख सकते हैं। साथ ही जितना संभव हो स्क्रीन टाइम को कम करें।

मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम्स-

दिनचर्या में सेल्फ केयर स्ट्रेटजी को शामिल करें

दुनिया में तीसरी बड़ी समस्या जो उभर के आई है, वे यह है कि बड़ी संख्या में लोग मानसिक रूप से बीमार हो रहे हैं। 2020 में यह समस्या हर ऐज ग्रुप के लोगों में देखने को मिली। बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स अपने साथियों और टीचर से नहीं मिल पाने और भविष्य को लेकर एंग्जाइटी के शिकार हुए हैं। दुनिया के आधे से ज्यादा वर्किंग एडल्ट जॉब सिक्युरिटी को लेकर एंग्जाइटी के शिकार हैं। इसके अलावा जॉब, काम का पैटर्न और रूटीन बदलने से भी लोग तनाव में काम करने को मजबूर हैं।

WHO के मुताबिक आने वाले दिनों और सालों में लोगों को मेंटल हेल्थ और साइकोलॉजिकल सपोर्ट की बहुत जरूरत पड़ने वाली है। इसलिए हमें अपनी रोज की दिनचर्या में सेल्फ केयर स्ट्रेटजी को शामिल करने की जरूरत है, ताकि हमारा मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य बेहतर रहे। रूटीन ब्रेक न हो, इसके लिए हमें कुछ आसान और प्रभावी कदम भी उठाने होंगे, जैसे- निगेटिव न्यूज मीडिया से रहें, पॉजिटिव चीजों पर फोकस करें, प्राथमिकताओं को तय करें और व्यस्त रहें, परिवार के लोगों से जुड़े रहें।

ओबेसिटी-

बचना है तो खुद को संयमित करें

कोरोना के पहले से ही मोटापा दुनिया की बड़ी समस्या रही है, लेकिन पिछले साल ये और बड़ी हो गई। मोटापे के पीछे कई तरह के फैक्टर काम करते हैं, जैसे- ज्यादा कैलोरी वाले फूड, अधिक स्क्रीन टाइम, फिजिकल एक्टीविटीज का कम होना और सस्ते नॉन-फिजिकल एंटरटेनमेंट आदि।

दरअसल, स्टे ऐट होम, क्वारैंटाइन, लॉकडाउन जैसी चीजों के चलते घर से निकलना बिल्कुल कम हो गया और लोग मोटापे के शिकार हो रहे हैं। घर पर रहने से आप कुछ समय के लिए तो सेफ रह सकते हैं, लेकिन लंबे समय तक रहने वाली बीमारियों के चपेट में आ सकते हैं- जैसे डाइबिटीज, हाइपरटेंशन आदि।

इससे बचने के लिए हमें हर दिन 8 घंटे की नींद लेना चाहिए, नियमित व्यायाम (भले ही घर पर करें), संतुलित और स्वस्थ खान-पान करें, तंबाकू और शराब से परहेज करना चाहिए। इसके अलावा आराम के लिए और खुद को रिचार्ज करने के लिए कुछ समय निकालना चाहिए।

नेक और बैक पेन-

खड़े होकर काम करें या आरामदायक कुर्सी खरीदें

घर पर घंटों लगातार पढ़ाई और ऑफिस का काम करने से गर्दन और कमर दर्द की समस्याएं आम हो गई हैं। दरअसल, गर्दन और कमर को बहुत कम हिलाने-डुलाने से ये दर्द और असहजता पैदा हो रही है। यदि इसे यूं ही जारी रखते हैं तो आगे यह समस्या आपको हमेशा के लिए हो सकती है और फिर इलाज के लिए डॉक्टरों के चक्कर लगाने को मजबूर होंगे।

इसके कुछ समाधान हैं, जैसे आप खड़े होकर टेबल पर अपना काम करें या ऐसी कुर्सी खरीदें जिसपर बैठने से कमर को अच्छा सपोर्ट मिले, आप अपनी बाहों, गर्दन और कमर को स्ट्रेच कर सकें। इसके अलावा छोटे ब्रेक भी ले सकते हैं, यह एकबार में एक घंटे के लिए भी हो सकता है।



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क्या आप लगातार घर से ऑफिस का काम या पढ़ाई कर रहे हैं? यदि हां, तो दो बार सोचिए, क्योंकि आप कोरोना से तो बच सकते हैं, लेकिन कुछ ऐसी बीमारियों की गिरफ्त में आ सकते हैं, जो आपको जिंदगीभर परेशान कर सकती हैं। एक स्टडी के मुताबिक, दुनियाभर में वर्क फ्रॉम होम करने वाले आधे से ज्यादा व्यस्क जॉब और घर के काम में बैलेंस बनाने के चक्कर में एंग्जाइटी की चपेट में आ चुके हैं। एस्टर डीएम हेल्थकेयर की डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर अलीशा मोपेन ने वर्क फ्रॉम होम करने वाले लोगों से जुड़ी 5 खतरनाक चीजें आइडेंटिफाई की हैं। उन्होंने इसे “DEMON” यानी भूत या पिशाच नाम दिया है। DEMON के सभी 5 वर्ड अलग-अलग खतरे के बारे में बताते हैं। मोपेन के मुताबिक- जो लोग लॉकडाउन या आइसोलेशन के चलते वर्क फ्रॉम होम हैं या स्टडी फ्रॉम होम हैं, उन्हें समय रहते DEMON से छुटकारा पाने का तरीका ढूंढना होगा, नहीं तो ये 5 समस्याएं जिंदगीभर के लिए मुसीबत बन सकती हैं। हमारी जिंदगी लंबी है, इसलिए जरूरत इस बात की है कि हम अपने घरों में दुबके हुए DEMON यानी पिशाच को पहचानें और उससे दूर रहें। आइए जानते हैं DEMON को और उससे छुटकारा पाने के तरीकों के बारे में- डिवाइस एडिक्शन- नोमोफोबिया से बचना है तो डिजिटल डिटॉक्स है जरूरी कोरोना आने के साथ ही हम बड़ी तेजी के साथ फिजिकल वर्ल्ड से डिजिटल वर्ल्ड में दाखिल हुए और अब इसकी कीमत चुका रहे हैं। इलेक्ट्रानिक डिवाइसेज ने हमारे काम, पढ़ाई और कम्युनिकेशन को तो आसान बनाया है, लेकिन दोस्तों और परिवार से फिजिकली तौर पर दूर कर दिया है। अब हम पहले से कहीं ज्यादा स्क्रीन पर निर्भर हैं। 2021 में जूम पर डेली मीटिंग करने वाले यूजर्स की संख्या 30 करोड़ तक पहुंच सकती है। माइक्रोसॉफ्ट को उम्मीद है कि इस साल यूजर्स एक दिन में 30 बिलियन मिनट तक उसके प्लेटफार्म का इस्तेमाल कर सकते हैं। नेटफ्लिक्स ने साल के पहले छह महीने में 2.6 करोड़ सब्सक्राइबर को जोड़ने का लक्ष्य रखा है। गूगल क्लासरूम को उम्मीद है कि उसके यूजर्स पिछले साल से दोगुना हो जाएंगे। इस तरह हम धीरे-धीरे अपनी बुनियादी जरूरतों के लिए ऐसी तमाम कंपनियों के ऐप और प्लेटफार्म पर निर्भर होते जा रहे हैं। "नोमोफोबिया" या बिना मोबाइल के रहने पर होने वाला डर, ये 2020 में दुनिया में और ज्यादा बढ़ गया है। ऐसी स्थिति में डिजिटल डिटॉक्स यानी थोड़े-थोड़े समय के लिए खुद को स्मार्ट डिवाइस से दूर रखने की तरकीब ही हमें सेफ रख सकती है। आई स्ट्रेन- स्क्रीन टाइम कम करें डिवाइस एडिक्शन और स्क्रीन टाइम बढ़ने से हमारी आंखों पर जोर बढ़ गया है, इसी के चलते आंखों से जुड़ी कई तरह की समस्याएं भी सामने आ रही हैं। ऑनलाइन लर्निंग, गेमिंग और इंटरटेनमेंट से बच्चों में मायोपिया यानी निकट दृष्टि दोष की समस्या पैदा हो रही है। दुनियाभर में 6 से 19 साल तक के बच्चों में मायोपिया के मामले काफी बढ़ गए हैं। यूरोप और उत्तरी अमेरिका में 40% बच्चों में मायोपिया की समस्या देखने को मिली है। एशियाई बच्चों में भी ये समस्या है। व्यस्क लोग कम्प्युटर विजन सिंड्रोम या डिजिटल आई स्ट्रेन की समस्या से जूझ रहे हैं। इसके सिंप्टम्स आंखों का सूखना, लगातार सिर दर्द होना, कम या धुंधला दिखाई देना हैं। इससे बचने के लिए आपको रेगुलर आई चेकअप कराना होगा। स्क्रीन टाइम के दौरान हर 20 मिनट पर आपको नजर फेरना चाहिए, इसके लिए 20 फीट की दूरी पर स्थिति किसी चीज को देख सकते हैं। साथ ही जितना संभव हो स्क्रीन टाइम को कम करें। मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम्स- दिनचर्या में सेल्फ केयर स्ट्रेटजी को शामिल करें दुनिया में तीसरी बड़ी समस्या जो उभर के आई है, वे यह है कि बड़ी संख्या में लोग मानसिक रूप से बीमार हो रहे हैं। 2020 में यह समस्या हर ऐज ग्रुप के लोगों में देखने को मिली। बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स अपने साथियों और टीचर से नहीं मिल पाने और भविष्य को लेकर एंग्जाइटी के शिकार हुए हैं। दुनिया के आधे से ज्यादा वर्किंग एडल्ट जॉब सिक्युरिटी को लेकर एंग्जाइटी के शिकार हैं। इसके अलावा जॉब, काम का पैटर्न और रूटीन बदलने से भी लोग तनाव में काम करने को मजबूर हैं। WHO के मुताबिक आने वाले दिनों और सालों में लोगों को मेंटल हेल्थ और साइकोलॉजिकल सपोर्ट की बहुत जरूरत पड़ने वाली है। इसलिए हमें अपनी रोज की दिनचर्या में सेल्फ केयर स्ट्रेटजी को शामिल करने की जरूरत है, ताकि हमारा मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य बेहतर रहे। रूटीन ब्रेक न हो, इसके लिए हमें कुछ आसान और प्रभावी कदम भी उठाने होंगे, जैसे- निगेटिव न्यूज मीडिया से रहें, पॉजिटिव चीजों पर फोकस करें, प्राथमिकताओं को तय करें और व्यस्त रहें, परिवार के लोगों से जुड़े रहें। ओबेसिटी- बचना है तो खुद को संयमित करें कोरोना के पहले से ही मोटापा दुनिया की बड़ी समस्या रही है, लेकिन पिछले साल ये और बड़ी हो गई। मोटापे के पीछे कई तरह के फैक्टर काम करते हैं, जैसे- ज्यादा कैलोरी वाले फूड, अधिक स्क्रीन टाइम, फिजिकल एक्टीविटीज का कम होना और सस्ते नॉन-फिजिकल एंटरटेनमेंट आदि। दरअसल, स्टे ऐट होम, क्वारैंटाइन, लॉकडाउन जैसी चीजों के चलते घर से निकलना बिल्कुल कम हो गया और लोग मोटापे के शिकार हो रहे हैं। घर पर रहने से आप कुछ समय के लिए तो सेफ रह सकते हैं, लेकिन लंबे समय तक रहने वाली बीमारियों के चपेट में आ सकते हैं- जैसे डाइबिटीज, हाइपरटेंशन आदि। इससे बचने के लिए हमें हर दिन 8 घंटे की नींद लेना चाहिए, नियमित व्यायाम (भले ही घर पर करें), संतुलित और स्वस्थ खान-पान करें, तंबाकू और शराब से परहेज करना चाहिए। इसके अलावा आराम के लिए और खुद को रिचार्ज करने के लिए कुछ समय निकालना चाहिए। नेक और बैक पेन- खड़े होकर काम करें या आरामदायक कुर्सी खरीदें घर पर घंटों लगातार पढ़ाई और ऑफिस का काम करने से गर्दन और कमर दर्द की समस्याएं आम हो गई हैं। दरअसल, गर्दन और कमर को बहुत कम हिलाने-डुलाने से ये दर्द और असहजता पैदा हो रही है। यदि इसे यूं ही जारी रखते हैं तो आगे यह समस्या आपको हमेशा के लिए हो सकती है और फिर इलाज के लिए डॉक्टरों के चक्कर लगाने को मजबूर होंगे। इसके कुछ समाधान हैं, जैसे आप खड़े होकर टेबल पर अपना काम करें या ऐसी कुर्सी खरीदें जिसपर बैठने से कमर को अच्छा सपोर्ट मिले, आप अपनी बाहों, गर्दन और कमर को स्ट्रेच कर सकें। इसके अलावा छोटे ब्रेक भी ले सकते हैं, यह एकबार में एक घंटे के लिए भी हो सकता है। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें Online Work From Home or Study; How to Get Rid of DEMON https://ift.tt/39nIRdc Dainik Bhaskar लगातार घर से काम और पढ़ाई करके आप DEMON के शिकार हो रहे हैं, जानिए ये क्या है और कैसे बचें 

क्या आप लगातार घर से ऑफिस का काम या पढ़ाई कर रहे हैं? यदि हां, तो दो बार सोचिए, क्योंकि आप कोरोना से तो बच सकते हैं, लेकिन कुछ ऐसी बीमारियों की गिरफ्त में आ सकते हैं, जो आपको जिंदगीभर परेशान कर सकती हैं।

एक स्टडी के मुताबिक, दुनियाभर में वर्क फ्रॉम होम करने वाले आधे से ज्यादा व्यस्क जॉब और घर के काम में बैलेंस बनाने के चक्कर में एंग्जाइटी की चपेट में आ चुके हैं। एस्टर डीएम हेल्थकेयर की डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर अलीशा मोपेन ने वर्क फ्रॉम होम करने वाले लोगों से जुड़ी 5 खतरनाक चीजें आइडेंटिफाई की हैं। उन्होंने इसे “DEMON” यानी भूत या पिशाच नाम दिया है। DEMON के सभी 5 वर्ड अलग-अलग खतरे के बारे में बताते हैं।

मोपेन के मुताबिक- जो लोग लॉकडाउन या आइसोलेशन के चलते वर्क फ्रॉम होम हैं या स्टडी फ्रॉम होम हैं, उन्हें समय रहते DEMON से छुटकारा पाने का तरीका ढूंढना होगा, नहीं तो ये 5 समस्याएं जिंदगीभर के लिए मुसीबत बन सकती हैं। हमारी जिंदगी लंबी है, इसलिए जरूरत इस बात की है कि हम अपने घरों में दुबके हुए DEMON यानी पिशाच को पहचानें और उससे दूर रहें।

आइए जानते हैं DEMON को और उससे छुटकारा पाने के तरीकों के बारे में-

डिवाइस एडिक्शन-

नोमोफोबिया से बचना है तो डिजिटल डिटॉक्स है जरूरी

कोरोना आने के साथ ही हम बड़ी तेजी के साथ फिजिकल वर्ल्ड से डिजिटल वर्ल्ड में दाखिल हुए और अब इसकी कीमत चुका रहे हैं। इलेक्ट्रानिक डिवाइसेज ने हमारे काम, पढ़ाई और कम्युनिकेशन को तो आसान बनाया है, लेकिन दोस्तों और परिवार से फिजिकली तौर पर दूर कर दिया है। अब हम पहले से कहीं ज्यादा स्क्रीन पर निर्भर हैं। 2021 में जूम पर डेली मीटिंग करने वाले यूजर्स की संख्या 30 करोड़ तक पहुंच सकती है। माइक्रोसॉफ्ट को उम्मीद है कि इस साल यूजर्स एक दिन में 30 बिलियन मिनट तक उसके प्लेटफार्म का इस्तेमाल कर सकते हैं।

नेटफ्लिक्स ने साल के पहले छह महीने में 2.6 करोड़ सब्सक्राइबर को जोड़ने का लक्ष्य रखा है। गूगल क्लासरूम को उम्मीद है कि उसके यूजर्स पिछले साल से दोगुना हो जाएंगे। इस तरह हम धीरे-धीरे अपनी बुनियादी जरूरतों के लिए ऐसी तमाम कंपनियों के ऐप और प्लेटफार्म पर निर्भर होते जा रहे हैं। "नोमोफोबिया" या बिना मोबाइल के रहने पर होने वाला डर, ये 2020 में दुनिया में और ज्यादा बढ़ गया है। ऐसी स्थिति में डिजिटल डिटॉक्स यानी थोड़े-थोड़े समय के लिए खुद को स्मार्ट डिवाइस से दूर रखने की तरकीब ही हमें सेफ रख सकती है।

आई स्ट्रेन-

स्क्रीन टाइम कम करें

डिवाइस एडिक्शन और स्क्रीन टाइम बढ़ने से हमारी आंखों पर जोर बढ़ गया है, इसी के चलते आंखों से जुड़ी कई तरह की समस्याएं भी सामने आ रही हैं। ऑनलाइन लर्निंग, गेमिंग और इंटरटेनमेंट से बच्चों में मायोपिया यानी निकट दृष्टि दोष की समस्या पैदा हो रही है। दुनियाभर में 6 से 19 साल तक के बच्चों में मायोपिया के मामले काफी बढ़ गए हैं। यूरोप और उत्तरी अमेरिका में 40% बच्चों में मायोपिया की समस्या देखने को मिली है। एशियाई बच्चों में भी ये समस्या है।

व्यस्क लोग कम्प्युटर विजन सिंड्रोम या डिजिटल आई स्ट्रेन की समस्या से जूझ रहे हैं। इसके सिंप्टम्स आंखों का सूखना, लगातार सिर दर्द होना, कम या धुंधला दिखाई देना हैं। इससे बचने के लिए आपको रेगुलर आई चेकअप कराना होगा। स्क्रीन टाइम के दौरान हर 20 मिनट पर आपको नजर फेरना चाहिए, इसके लिए 20 फीट की दूरी पर स्थिति किसी चीज को देख सकते हैं। साथ ही जितना संभव हो स्क्रीन टाइम को कम करें।

मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम्स-

दिनचर्या में सेल्फ केयर स्ट्रेटजी को शामिल करें

दुनिया में तीसरी बड़ी समस्या जो उभर के आई है, वे यह है कि बड़ी संख्या में लोग मानसिक रूप से बीमार हो रहे हैं। 2020 में यह समस्या हर ऐज ग्रुप के लोगों में देखने को मिली। बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स अपने साथियों और टीचर से नहीं मिल पाने और भविष्य को लेकर एंग्जाइटी के शिकार हुए हैं। दुनिया के आधे से ज्यादा वर्किंग एडल्ट जॉब सिक्युरिटी को लेकर एंग्जाइटी के शिकार हैं। इसके अलावा जॉब, काम का पैटर्न और रूटीन बदलने से भी लोग तनाव में काम करने को मजबूर हैं।

WHO के मुताबिक आने वाले दिनों और सालों में लोगों को मेंटल हेल्थ और साइकोलॉजिकल सपोर्ट की बहुत जरूरत पड़ने वाली है। इसलिए हमें अपनी रोज की दिनचर्या में सेल्फ केयर स्ट्रेटजी को शामिल करने की जरूरत है, ताकि हमारा मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य बेहतर रहे। रूटीन ब्रेक न हो, इसके लिए हमें कुछ आसान और प्रभावी कदम भी उठाने होंगे, जैसे- निगेटिव न्यूज मीडिया से रहें, पॉजिटिव चीजों पर फोकस करें, प्राथमिकताओं को तय करें और व्यस्त रहें, परिवार के लोगों से जुड़े रहें।

ओबेसिटी-

बचना है तो खुद को संयमित करें

कोरोना के पहले से ही मोटापा दुनिया की बड़ी समस्या रही है, लेकिन पिछले साल ये और बड़ी हो गई। मोटापे के पीछे कई तरह के फैक्टर काम करते हैं, जैसे- ज्यादा कैलोरी वाले फूड, अधिक स्क्रीन टाइम, फिजिकल एक्टीविटीज का कम होना और सस्ते नॉन-फिजिकल एंटरटेनमेंट आदि।

दरअसल, स्टे ऐट होम, क्वारैंटाइन, लॉकडाउन जैसी चीजों के चलते घर से निकलना बिल्कुल कम हो गया और लोग मोटापे के शिकार हो रहे हैं। घर पर रहने से आप कुछ समय के लिए तो सेफ रह सकते हैं, लेकिन लंबे समय तक रहने वाली बीमारियों के चपेट में आ सकते हैं- जैसे डाइबिटीज, हाइपरटेंशन आदि।

इससे बचने के लिए हमें हर दिन 8 घंटे की नींद लेना चाहिए, नियमित व्यायाम (भले ही घर पर करें), संतुलित और स्वस्थ खान-पान करें, तंबाकू और शराब से परहेज करना चाहिए। इसके अलावा आराम के लिए और खुद को रिचार्ज करने के लिए कुछ समय निकालना चाहिए।

नेक और बैक पेन-

खड़े होकर काम करें या आरामदायक कुर्सी खरीदें

घर पर घंटों लगातार पढ़ाई और ऑफिस का काम करने से गर्दन और कमर दर्द की समस्याएं आम हो गई हैं। दरअसल, गर्दन और कमर को बहुत कम हिलाने-डुलाने से ये दर्द और असहजता पैदा हो रही है। यदि इसे यूं ही जारी रखते हैं तो आगे यह समस्या आपको हमेशा के लिए हो सकती है और फिर इलाज के लिए डॉक्टरों के चक्कर लगाने को मजबूर होंगे।

इसके कुछ समाधान हैं, जैसे आप खड़े होकर टेबल पर अपना काम करें या ऐसी कुर्सी खरीदें जिसपर बैठने से कमर को अच्छा सपोर्ट मिले, आप अपनी बाहों, गर्दन और कमर को स्ट्रेच कर सकें। इसके अलावा छोटे ब्रेक भी ले सकते हैं, यह एकबार में एक घंटे के लिए भी हो सकता है।

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Online Work From Home or Study; How to Get Rid of DEMON

https://ift.tt/39nIRdc Dainik Bhaskar लगातार घर से काम और पढ़ाई करके आप DEMON के शिकार हो रहे हैं, जानिए ये क्या है और कैसे बचें Reviewed by Manish Pethev on January 11, 2021 Rating: 5

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