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कहानी - महाभारत में पांडवों का 12 वर्ष का वनवास और 1 वर्ष का अज्ञातवास पूरा हो चुका था। इसके बाद श्रीकृष्ण पांडवों के दूत बनकर हस्तिनापुर पहुंचे और दुर्योधन से कहा कि अब पांडवों को उनका राज्य लौटा दो। लेकिन, दुर्योधन ने कृष्ण की बात नहीं मानी। कृष्ण ने दुर्योधन को कई तरह से समझाने की कोशिश की, लेकिन दुर्योधन पांडवों को एक गांव तक देने के लिए तैयार नहीं था। तब श्रीकृष्ण दरबार से जाने लगे तो दुर्योधन ने उनसे कहा, 'आप हमारे यहां आए तो बिना भोजन किए कैसे जा सकते हैं, मैं आपको मेरे यहां भोजन करने के लिए आमंत्रित करता हूं।' कृष्ण बोले, 'मेरा ये नियम है कि मैं किसी के यहां और किसी के साथ भोजन करते समय दो बातें ध्यान रखता हूं। पहली, मुझे बहुत भूख लगी हो। दूसरी, सामने वाला मुझे बहुत प्रेम से खिला रहा हो। इस समय तुम्हारे साथ ये दोनों बातें नहीं हैं। पहली बात, मुझे अभी भूख नहीं लगी है। दूसरी बात, तुम मेरी सही बात नहीं मान रहे हो। तुम मुझे खाना खिलाना चाहते हो, लेकिन मुझे इसमें प्रेम दिखाई नहीं दे रहा है। जैसा तुम्हारा स्वभाव है, इसमें भी कोई षड़यंत्र हो सकता है।' इसके बाद कृष्ण विदुर के यहां भोजन करने चले गए। सीख- श्रीकृष्ण ने सीख दी है कि हम जब भी किसी के यहां खाना खाने जाते हैं तो ये बात जरूर ध्यान रखें कि खाना खिलाने वाले के विचार कैसे हैं, उसकी नीयत कैसी है? क्योंकि अन्न हमारे मन पर असर डालता है। अगर हम बुरे स्वभाव वाले व्यक्ति के हाथ का बना खाना खाएंगे तो उसकी बुराई हमारे अंदर प्रवेश कर जाएगी। कोई व्यक्ति गलत इरादे से खाना खिलाए तो उसके यहां खाना खाने से बचना चाहिए। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें aaj ka jeevan mantra by pandit vijayshanakr mehta, story of krishna and duryodhana, lord krishna lesson to duryodhan https://ift.tt/3i03noh Dainik Bhaskar अगर कोई खाने पर बुलाए तो उसकी सोच और नीयत कैसी है, इस बात का ध्यान जरूर रखें

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कहानी - महाभारत में पांडवों का 12 वर्ष का वनवास और 1 वर्ष का अज्ञातवास पूरा हो चुका था। इसके बाद श्रीकृष्ण पांडवों के दूत बनकर हस्तिनापुर पहुंचे और दुर्योधन से कहा कि अब पांडवों को उनका राज्य लौटा दो। लेकिन, दुर्योधन ने कृष्ण की बात नहीं मानी।

कृष्ण ने दुर्योधन को कई तरह से समझाने की कोशिश की, लेकिन दुर्योधन पांडवों को एक गांव तक देने के लिए तैयार नहीं था। तब श्रीकृष्ण दरबार से जाने लगे तो दुर्योधन ने उनसे कहा, 'आप हमारे यहां आए तो बिना भोजन किए कैसे जा सकते हैं, मैं आपको मेरे यहां भोजन करने के लिए आमंत्रित करता हूं।'

कृष्ण बोले, 'मेरा ये नियम है कि मैं किसी के यहां और किसी के साथ भोजन करते समय दो बातें ध्यान रखता हूं। पहली, मुझे बहुत भूख लगी हो। दूसरी, सामने वाला मुझे बहुत प्रेम से खिला रहा हो। इस समय तुम्हारे साथ ये दोनों बातें नहीं हैं। पहली बात, मुझे अभी भूख नहीं लगी है। दूसरी बात, तुम मेरी सही बात नहीं मान रहे हो। तुम मुझे खाना खिलाना चाहते हो, लेकिन मुझे इसमें प्रेम दिखाई नहीं दे रहा है। जैसा तुम्हारा स्वभाव है, इसमें भी कोई षड़यंत्र हो सकता है।'

इसके बाद कृष्ण विदुर के यहां भोजन करने चले गए।

सीख- श्रीकृष्ण ने सीख दी है कि हम जब भी किसी के यहां खाना खाने जाते हैं तो ये बात जरूर ध्यान रखें कि खाना खिलाने वाले के विचार कैसे हैं, उसकी नीयत कैसी है? क्योंकि अन्न हमारे मन पर असर डालता है। अगर हम बुरे स्वभाव वाले व्यक्ति के हाथ का बना खाना खाएंगे तो उसकी बुराई हमारे अंदर प्रवेश कर जाएगी। कोई व्यक्ति गलत इरादे से खाना खिलाए तो उसके यहां खाना खाने से बचना चाहिए।



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कहानी - महाभारत में पांडवों का 12 वर्ष का वनवास और 1 वर्ष का अज्ञातवास पूरा हो चुका था। इसके बाद श्रीकृष्ण पांडवों के दूत बनकर हस्तिनापुर पहुंचे और दुर्योधन से कहा कि अब पांडवों को उनका राज्य लौटा दो। लेकिन, दुर्योधन ने कृष्ण की बात नहीं मानी।

कृष्ण ने दुर्योधन को कई तरह से समझाने की कोशिश की, लेकिन दुर्योधन पांडवों को एक गांव तक देने के लिए तैयार नहीं था। तब श्रीकृष्ण दरबार से जाने लगे तो दुर्योधन ने उनसे कहा, 'आप हमारे यहां आए तो बिना भोजन किए कैसे जा सकते हैं, मैं आपको मेरे यहां भोजन करने के लिए आमंत्रित करता हूं।'

कृष्ण बोले, 'मेरा ये नियम है कि मैं किसी के यहां और किसी के साथ भोजन करते समय दो बातें ध्यान रखता हूं। पहली, मुझे बहुत भूख लगी हो। दूसरी, सामने वाला मुझे बहुत प्रेम से खिला रहा हो। इस समय तुम्हारे साथ ये दोनों बातें नहीं हैं। पहली बात, मुझे अभी भूख नहीं लगी है। दूसरी बात, तुम मेरी सही बात नहीं मान रहे हो। तुम मुझे खाना खिलाना चाहते हो, लेकिन मुझे इसमें प्रेम दिखाई नहीं दे रहा है। जैसा तुम्हारा स्वभाव है, इसमें भी कोई षड़यंत्र हो सकता है।'

इसके बाद कृष्ण विदुर के यहां भोजन करने चले गए।

सीख- श्रीकृष्ण ने सीख दी है कि हम जब भी किसी के यहां खाना खाने जाते हैं तो ये बात जरूर ध्यान रखें कि खाना खिलाने वाले के विचार कैसे हैं, उसकी नीयत कैसी है? क्योंकि अन्न हमारे मन पर असर डालता है। अगर हम बुरे स्वभाव वाले व्यक्ति के हाथ का बना खाना खाएंगे तो उसकी बुराई हमारे अंदर प्रवेश कर जाएगी। कोई व्यक्ति गलत इरादे से खाना खिलाए तो उसके यहां खाना खाने से बचना चाहिए।

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https://ift.tt/3i03noh Dainik Bhaskar अगर कोई खाने पर बुलाए तो उसकी सोच और नीयत कैसी है, इस बात का ध्यान जरूर रखें Reviewed by Manish Pethev on January 11, 2021 Rating: 5

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