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https://ift.tt/36lalQt सभ्यताओं के विकास के साथ-साथ इंसान लगातार जानलेवा वायरसों का हमला झेलता रहा है। इनसे करोड़ों लोगों की जान भी चली गई। हर बार लगा कि इंसानों पर इससे बड़ा खतरा कभी नहीं मंडराया, मगर तर्कशक्ति के बूते विज्ञान से लैस इंसानों ने बड़े से बड़े वायरस को काबू कर लिया। आधुनिक समय का ऐसा ही एक वायरस है एचआईवी। जो जानलेवा एड्स की वजह बनता है। कई दशकों की दहशत के बाद आखिर 2015 में संयुक्त राष्ट्र की अगुवाई में सभी देशों ने 2030 तक इसे दुनिया से मिटाने का ऐलान कर दिया है और हम धीरे-धीरे इस ओर बढ़ भी रहे हैं। मौजूदा समय में पूरी दुनिया कोरोना वायरस के ऐसे ही हमले का सामना कर रही है। भारत समेत बड़े-बड़े देश इससे हिल गए, मगर इस बार भी इंसानों के जज्बे ने कोरोना पर लगाम कसना शुरू दिया है। दुनिया में कोरोना की करीब 48 वैक्सीन विकसित की जा रही हैं। इनमें से करीब 9 वैक्सीन का ट्रायल तीसरे चरण में हैं। माना जा रहा है कि 2021 में कोरोना पर भी इंसान निर्णायक जीत हासिल कर लेगा। दरअसल, वायरस धरती पर मौजूद सबसे पुराने जीवों में से एक हैं। साइंटिफिक अमेरिकन मैगजीन के अनुसार करीब 6 लाख ऐसे वायरस हैं जो जानवरों से इंसानों में प्रवेश कर सकते हैं। एचआईवी, कोरोना के अलावा स्मॉलपॉक्स या चेचक, सार्स, इबोला, स्वाइन फ्लू, रैबीज भी ऐसे ही जानलेवा वायरस हैं। चेचक ने तो 18वीं और 19वीं सदी में 50 करोड़ से ज्यादा लोगों की जान ले ली थी, मगर हमने वैक्सीन बनाकर दुनिया से इसे खत्म कर दिया। वर्ल्ड एड्स डे पर हम आपको बता रहे हैं इंसानों पर हमला करने वाले 10 सबसे खतरनाक वायरस और उसपर इंसानी जीत की कहानी। एचआईवी : संक्रमण फैलने की रफ्तार थमी, 2030 तक जड़ से करेंगे खत्म आधुनिक दुनिया का खतरनाक वायरस है। पिछले एक दशक में एचआईवी फैलने की रफ्तार थमी है, मगर भारत में अभी चुनौती बाकी है। भारत में करीब 22 लाख एड्स पीड़ित हैं। यूएन एड्स की रिपोर्ट के अनुसार भारत में 2018 में 88 हजार नए मरीज मिले वहीं एड्स से 69 हजार लोगों की मौत हुई। दुनिया के कुल एड्स मरीजों के 10% भारत में है। इंडेक्समंडी पोर्टल के हिसाब से दक्षिण अफ्रीका और नाइजीरिया के बाद भारत में एड्स के सबसे ज्यादा मरीज हैं। ऐसी समस्याओं के बावजूद संयुक्त राष्ट्र की ओर से 2015 में तय 12 सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) में से तीसरे लक्ष्य (बेहतर स्वास्थ्य और कल्याण) के तहत 2030 तक एचआईवी को खत्म करना है। प्रोजेक्ट के तहत 2030 तक नए एचआईवी एड्स से होने वाली मौतों को 90-90% तक कम करना है। इसे प्रोजेक्ट-90 भी कहा जाता है। इसके तहत टारगेट है कि एचआईवी संक्रमितों में 90% को खुद के संक्रमित होने का पता हो संक्रमित होने का पता चलने पर कम से कम 90% को इलाज मिले इलाज कराने वाले 90% मरीजों में दवाओं से वायरल लोड बेहद कम हो चेचक : इतिहास का पहला वायरस जिसे वैक्सीन से पूरी तरह खत्म किया गया इंसान चेचक के भयानक प्रकोप के कई दौर देख चुका है। वैरियोला वायरस से फैले इस महामारी की शुरुआत यों 1520 में मानी जाती है, मगर मिस्र में मिली ममी में भी इसके सबूत मिले हैं। किसी भी वायरस की तुलना में चेचक दुनिया के सबसे अधिक लोगों की जान (30 से 50 करोड़ मौत) ले चुका है। इससे जान जाने की दर 90% है। अकेले बीसवीं सदी में ही इस बीमारी से 20 करोड़ लोगों की मौत हुई। हालांकि वैक्सीनेशन के जरिए इस वायरस को अब दुनिया से पूरी तरह खत्म कर दिया गया है। 1796 में ब्रिटेन के डॉक्टर एडवर्ड जेनर ने इसकी पहली वैक्सीन ईजाद की थी। मानवता के इतिहास में केवल चेचक ऐसी बीमारी है, जिस पर किसी दवा या वैक्सीन के जरिए पूरी तरह नियंत्रण पाया जा सका। 1979 में डब्लूएचओ ने पूरी दुनिया को चेचक मुक्त घोषित कर दिया था। इन्फ्लुएंजा- इसके किसी न किसी वायरस से हर साल करीब 5 लाख लोग गंवाते हैं जान आम खांसी-जुकाम को भी फ्लू कहते हैं और स्पेनिश फ्लू को भी। इन्फ्लूएंजा के 4 कैटेगरी के वायरस कई तरह के संक्रमण के लिए जिम्मेदार है। स्पेनिश फ्लू इंसान के हालिया इतिहास की सबसे भयंकर महामारियों में से एक है। माना जाता है कि इससे 5 करोड़ लोगों मौत हुई थी। मौजूदा कोरोना की तरह स्पेनिश फ्लू से निपटने के लिए भी लोगों को क्वारंटीन किया जाता था। 1968 में फैले हॉन्गकॉन्ग फ्लू से दस लाख लोगों की जान गई थी। आज भी वो वायरस सीजनल फ्लू के तौर पर हमारे बीच में है। इसी तरह स्वाइन फ्लू भी एच1एन1 वायरस के ही एक और रूप से फैलती है। माना जाता है कि 2009 में 70 करोड़ से 140 करोड़ लोग असिम्प्टोमेटिक (बिना लक्षणों वाले) स्वाइन फ्लू से संक्रमित हुए, जो उस समय की 6.8 अरब आबादी का करीब 11 से 21% था। मगर इंसानों ने इसे भी काबू कर लिया। डब्लूएचओ ने 2010 में इस महामारी को भी समाप्त घोषित कर दिया। हंतावायरस: संक्रमित चूहे या गिलहरी से फैला, चीन में बनी वैक्सीन चूहों से फैलने वाले हंता वायरस के बारे में 1993 में पहली बार पता चला था। जब अमेरिका में एक कपल इस वायरस से संक्रमित होने के कारण मर गया था। इसके बाद कुछ ही महीनों में इस बीमारी से 600 लोगों की मौत हो गई थी। हंता वायरस से संक्रमित चूहे या गिलहरी किसी इंसान को काट लें तो इससे भी संक्रमण फैल सकता है। इस वायरस के फैलने का एक प्रमुख कारण चूहों के मल-मूत्र की जगह के संपर्क में आना है। कोरियाई युद्ध के दौरान हंता वायरस की वजह से 3000 सैनिक बीमार हुए थे, इनमें से 12 फीसदी मारे गए थे। रैबीज : हर साल 20 हजार लोगों की मौत, वैक्सीन से पक्का बचाव मुमकिन रैबीज एक वायरल बीमारी है, इसके कारण गर्म रक्त वाले जीवों के मस्तिष्क में सूजन (एक्यूट इन्सेफेलाइटिस) होती है। 99% यह बीमारी कुत्तों के काटने या उनसे खरोंच लगने के कारण होता है। भारत में हर साल 20 हजार लोगों की जान रैबीज से जाती है, जिनमें 40% की उम्र 15 साल से कम होती है। जबकि पूरी दुनिया में यह आंकड़ा 59 हजार है। 150 से ज्यादा देशों में फैली इस बीमारी की एंटी रैबीज वैक्सीन मुफ्त लगाई जाती हैं। यह आमतौर पर कुत्तों के काटने और संक्रमित जानवरों से खरोंच लगने के कारण होता है। प्रसिद्ध फ्रेंच वैज्ञानिक लुई पाश्चर ने 6 जुलाई 1885 में रैबीज के टीके का सफल परीक्षण किया। उनकी इस खोज ने मेडिकल की दुनिया में क्रांति ला दी और मानवता को एक बड़े संकट से बचा लिया था। इबोला: 44 सालों में 16 देशों में फैला, इसकी वैक्सीन बनी इबोला सबसे पहले 1967 में सामने आया था। 44 सालों के बाद भी इस वायरस को पूरी तरह खत्म नहीं किया जा सका है। 44 सालों में यह वायरस 16 देशों में फैल चुका है। सीरिया, लाइबेरिया और गिनी में इसके सबसे ज्यादा मामले सामने आए। 31 हजार मामलों में 28 हजार से ज्यादा मामले इन तीन देशों में आए, जो कुल मामलों का 92% है। इसे डब्ल्यूएचओ ने पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया। इस संक्रमण से अभी तक करीब 13 हजार लोगों की जान जा चुकी है। 2013 से 2016 के बीच ही सीरिया, लाइबेरिया और गिनी के 11,300 लोगों की जान ली इस संक्रमण से गई। मर्स : 8 सालों में 27 देशों तक पहुंचा, 5 वैक्सीन तैयार होने की कगार पर वायरस सबसे पहले 2012 में सउदी अरेबिया में सामने आया और फिर 2015 में साउथ कोरिया। । जिस वर्ग से सार्स कोरोना वायरस और मौजूदा कोविड-19 आते हैं, उसी वर्ग से मर्स का भी संबंध था। सबसे पहले यह बीमारी ऊंटों को हुई और उससे इंसानो में फैली।। पिछले 8 साल में इसके मामले सामने आ रहे हैं। आठ साल में यह वायरस 27 देशों में फैल चुका है। अभी तक इस वायरस के 2494 मामले सामने आ चुके हैं। इसके चलते अब तक 858 लोगों की जान जा चुकी है। इस वायरस की मृत्यु दर 34% से ऊपर है। रोटावायरस : हर साल 4 लाख बच्चों की मौत, वैक्सीन से इसे भी मारना मुमकिन विकासशील देशों में रोटावायरस छोटे बच्चों का अपना शिकार ज्यादा बनाता है। 2008 में रोटावायरस के संक्रमण से 5 साल से ज्यादा उम्र के करीब 4.5 लाख बच्चों की मौत हो गई थी, वहीं 2013 में रोटावायरस के संक्रमण के कारण लगभग 2,15,000 मौतें हुई थी, जिसमें ज्यादातर बच्चे ही थे। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार हर साल इस रोग से करीब 4 लाख बच्चों की मौत हो जाती हैं। इससे संक्रमित बच्चों में डायरिया की गंभीर शिकायत पाई जाती है। पहला वैक्सीन 2006 में मैक्सिको को मिला था। बाजार में अब इसके दो वैक्सीन उपलब्ध हैं। मारबर्ग : मरने की दर 90%, 2019 में अमेरिका ने बनाई वैक्सीन आज से 53 साल पहले 1967 में यह वायरस सर्बिया और युगोस्लाविया में सबसे पहले सामने आया। यह वायरस जर्मनी की एक लैब से लीक हो गया था, जो कि बंदरों से इंसानों में आया था। 1967 से लेकर 2014 तक इस वायरस के मामले सामने आते रहे। 13 देशों में इस वायरस का असर देखा गया, जिसमें से अधिकतर अफ्रीकी देश हैं। अब तक इस वायरस के सिर्फ 587 मामले सामने आए हैं। सबसे ज्यादा मामले अंगोला और डीआर कांगो में सामने आए हैं। दोनों देशों को मिलाकर 528 मामले होते हैं, जो कुल मामलों का लगभग 90% है। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि सिर्फ 587 मामलों में 475 लोगों की मौत हो गई। यह दुनिया का सबसे जानलेवा वायरस है। कोरोना : भारत में बनेगी रूसी वैक्सीन स्पूतनिक वी चीन के वुहान शहर से शुरू हुआ कोरोना वायरस दुनियाभर में एक खतरनाक महामारी का रूप ले चुका है। दुनिया में अब तक कोरोना के 6 करोड़ 30 लाख मामले सामने आ चुके हैं। 14 लाख 66 हजार लोगों की मौत हो चुकी है। अच्छी बात ये कि अब तक 4 करोड़ 36 लाख लोग ठीक हो चुके हैं। भारत में अब तक अब तक 94.32 लाख लोग संक्रमित हो चुके हैं, 88.46 लाख लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 1.37 लाख मरीजों की मौत हो चुकी है। दुनिया में कोरोना की करीब 48 वैक्सीन विकसित की जा रही हैं। इनमें से करीब 9 वैक्सीन का ट्रायल तीसरे चरण में हैं। माना जा रहा है कि 2021 जून-जुलाई में इसकी भी वैक्सीन तैयार हो जाएगी। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें We won over the deadly virus from the corona that attacked humans, the goal of eradicating HIV from the world by 2030 from Dainik Bhaskar /national/news/we-won-over-the-deadly-virus-from-the-corona-that-attacked-humans-the-goal-of-eradicating-hiv-from-the-world-by-2030-127964078.html via IFTTT https://ift.tt/3qfKtNX सभ्यताओं के विकास के साथ-साथ इंसान लगातार जानलेवा वायरसों का हमला झेलता रहा है। इनसे करोड़ों लोगों की जान भी चली गई। हर बार लगा कि इंसानों पर इससे बड़ा खतरा कभी नहीं मंडराया, मगर तर्कशक्ति के बूते विज्ञान से लैस इंसानों ने बड़े से बड़े वायरस को काबू कर लिया। आधुनिक समय का ऐसा ही एक वायरस है एचआईवी। जो जानलेवा एड्स की वजह बनता है। कई दशकों की दहशत के बाद आखिर 2015 में संयुक्त राष्ट्र की अगुवाई में सभी देशों ने 2030 तक इसे दुनिया से मिटाने का ऐलान कर दिया है और हम धीरे-धीरे इस ओर बढ़ भी रहे हैं। मौजूदा समय में पूरी दुनिया कोरोना वायरस के ऐसे ही हमले का सामना कर रही है। भारत समेत बड़े-बड़े देश इससे हिल गए, मगर इस बार भी इंसानों के जज्बे ने कोरोना पर लगाम कसना शुरू दिया है। दुनिया में कोरोना की करीब 48 वैक्सीन विकसित की जा रही हैं। इनमें से करीब 9 वैक्सीन का ट्रायल तीसरे चरण में हैं। माना जा रहा है कि 2021 में कोरोना पर भी इंसान निर्णायक जीत हासिल कर लेगा। दरअसल, वायरस धरती पर मौजूद सबसे पुराने जीवों में से एक हैं। साइंटिफिक अमेरिकन मैगजीन के अनुसार करीब 6 लाख ऐसे वायरस हैं जो जानवरों से इंसानों में प्रवेश कर सकते हैं। एचआईवी, कोरोना के अलावा स्मॉलपॉक्स या चेचक, सार्स, इबोला, स्वाइन फ्लू, रैबीज भी ऐसे ही जानलेवा वायरस हैं। चेचक ने तो 18वीं और 19वीं सदी में 50 करोड़ से ज्यादा लोगों की जान ले ली थी, मगर हमने वैक्सीन बनाकर दुनिया से इसे खत्म कर दिया। वर्ल्ड एड्स डे पर हम आपको बता रहे हैं इंसानों पर हमला करने वाले 10 सबसे खतरनाक वायरस और उसपर इंसानी जीत की कहानी। एचआईवी : संक्रमण फैलने की रफ्तार थमी, 2030 तक जड़ से करेंगे खत्म आधुनिक दुनिया का खतरनाक वायरस है। पिछले एक दशक में एचआईवी फैलने की रफ्तार थमी है, मगर भारत में अभी चुनौती बाकी है। भारत में करीब 22 लाख एड्स पीड़ित हैं। यूएन एड्स की रिपोर्ट के अनुसार भारत में 2018 में 88 हजार नए मरीज मिले वहीं एड्स से 69 हजार लोगों की मौत हुई। दुनिया के कुल एड्स मरीजों के 10% भारत में है। इंडेक्समंडी पोर्टल के हिसाब से दक्षिण अफ्रीका और नाइजीरिया के बाद भारत में एड्स के सबसे ज्यादा मरीज हैं। ऐसी समस्याओं के बावजूद संयुक्त राष्ट्र की ओर से 2015 में तय 12 सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) में से तीसरे लक्ष्य (बेहतर स्वास्थ्य और कल्याण) के तहत 2030 तक एचआईवी को खत्म करना है। प्रोजेक्ट के तहत 2030 तक नए एचआईवी एड्स से होने वाली मौतों को 90-90% तक कम करना है। इसे प्रोजेक्ट-90 भी कहा जाता है। इसके तहत टारगेट है कि एचआईवी संक्रमितों में 90% को खुद के संक्रमित होने का पता हो संक्रमित होने का पता चलने पर कम से कम 90% को इलाज मिले इलाज कराने वाले 90% मरीजों में दवाओं से वायरल लोड बेहद कम हो चेचक : इतिहास का पहला वायरस जिसे वैक्सीन से पूरी तरह खत्म किया गया इंसान चेचक के भयानक प्रकोप के कई दौर देख चुका है। वैरियोला वायरस से फैले इस महामारी की शुरुआत यों 1520 में मानी जाती है, मगर मिस्र में मिली ममी में भी इसके सबूत मिले हैं। किसी भी वायरस की तुलना में चेचक दुनिया के सबसे अधिक लोगों की जान (30 से 50 करोड़ मौत) ले चुका है। इससे जान जाने की दर 90% है। अकेले बीसवीं सदी में ही इस बीमारी से 20 करोड़ लोगों की मौत हुई। हालांकि वैक्सीनेशन के जरिए इस वायरस को अब दुनिया से पूरी तरह खत्म कर दिया गया है। 1796 में ब्रिटेन के डॉक्टर एडवर्ड जेनर ने इसकी पहली वैक्सीन ईजाद की थी। मानवता के इतिहास में केवल चेचक ऐसी बीमारी है, जिस पर किसी दवा या वैक्सीन के जरिए पूरी तरह नियंत्रण पाया जा सका। 1979 में डब्लूएचओ ने पूरी दुनिया को चेचक मुक्त घोषित कर दिया था। इन्फ्लुएंजा- इसके किसी न किसी वायरस से हर साल करीब 5 लाख लोग गंवाते हैं जान आम खांसी-जुकाम को भी फ्लू कहते हैं और स्पेनिश फ्लू को भी। इन्फ्लूएंजा के 4 कैटेगरी के वायरस कई तरह के संक्रमण के लिए जिम्मेदार है। स्पेनिश फ्लू इंसान के हालिया इतिहास की सबसे भयंकर महामारियों में से एक है। माना जाता है कि इससे 5 करोड़ लोगों मौत हुई थी। मौजूदा कोरोना की तरह स्पेनिश फ्लू से निपटने के लिए भी लोगों को क्वारंटीन किया जाता था। 1968 में फैले हॉन्गकॉन्ग फ्लू से दस लाख लोगों की जान गई थी। आज भी वो वायरस सीजनल फ्लू के तौर पर हमारे बीच में है। इसी तरह स्वाइन फ्लू भी एच1एन1 वायरस के ही एक और रूप से फैलती है। माना जाता है कि 2009 में 70 करोड़ से 140 करोड़ लोग असिम्प्टोमेटिक (बिना लक्षणों वाले) स्वाइन फ्लू से संक्रमित हुए, जो उस समय की 6.8 अरब आबादी का करीब 11 से 21% था। मगर इंसानों ने इसे भी काबू कर लिया। डब्लूएचओ ने 2010 में इस महामारी को भी समाप्त घोषित कर दिया। हंतावायरस: संक्रमित चूहे या गिलहरी से फैला, चीन में बनी वैक्सीन चूहों से फैलने वाले हंता वायरस के बारे में 1993 में पहली बार पता चला था। जब अमेरिका में एक कपल इस वायरस से संक्रमित होने के कारण मर गया था। इसके बाद कुछ ही महीनों में इस बीमारी से 600 लोगों की मौत हो गई थी। हंता वायरस से संक्रमित चूहे या गिलहरी किसी इंसान को काट लें तो इससे भी संक्रमण फैल सकता है। इस वायरस के फैलने का एक प्रमुख कारण चूहों के मल-मूत्र की जगह के संपर्क में आना है। कोरियाई युद्ध के दौरान हंता वायरस की वजह से 3000 सैनिक बीमार हुए थे, इनमें से 12 फीसदी मारे गए थे। रैबीज : हर साल 20 हजार लोगों की मौत, वैक्सीन से पक्का बचाव मुमकिन रैबीज एक वायरल बीमारी है, इसके कारण गर्म रक्त वाले जीवों के मस्तिष्क में सूजन (एक्यूट इन्सेफेलाइटिस) होती है। 99% यह बीमारी कुत्तों के काटने या उनसे खरोंच लगने के कारण होता है। भारत में हर साल 20 हजार लोगों की जान रैबीज से जाती है, जिनमें 40% की उम्र 15 साल से कम होती है। जबकि पूरी दुनिया में यह आंकड़ा 59 हजार है। 150 से ज्यादा देशों में फैली इस बीमारी की एंटी रैबीज वैक्सीन मुफ्त लगाई जाती हैं। यह आमतौर पर कुत्तों के काटने और संक्रमित जानवरों से खरोंच लगने के कारण होता है। प्रसिद्ध फ्रेंच वैज्ञानिक लुई पाश्चर ने 6 जुलाई 1885 में रैबीज के टीके का सफल परीक्षण किया। उनकी इस खोज ने मेडिकल की दुनिया में क्रांति ला दी और मानवता को एक बड़े संकट से बचा लिया था। इबोला: 44 सालों में 16 देशों में फैला, इसकी वैक्सीन बनी इबोला सबसे पहले 1967 में सामने आया था। 44 सालों के बाद भी इस वायरस को पूरी तरह खत्म नहीं किया जा सका है। 44 सालों में यह वायरस 16 देशों में फैल चुका है। सीरिया, लाइबेरिया और गिनी में इसके सबसे ज्यादा मामले सामने आए। 31 हजार मामलों में 28 हजार से ज्यादा मामले इन तीन देशों में आए, जो कुल मामलों का 92% है। इसे डब्ल्यूएचओ ने पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया। इस संक्रमण से अभी तक करीब 13 हजार लोगों की जान जा चुकी है। 2013 से 2016 के बीच ही सीरिया, लाइबेरिया और गिनी के 11,300 लोगों की जान ली इस संक्रमण से गई। मर्स : 8 सालों में 27 देशों तक पहुंचा, 5 वैक्सीन तैयार होने की कगार पर वायरस सबसे पहले 2012 में सउदी अरेबिया में सामने आया और फिर 2015 में साउथ कोरिया। । जिस वर्ग से सार्स कोरोना वायरस और मौजूदा कोविड-19 आते हैं, उसी वर्ग से मर्स का भी संबंध था। सबसे पहले यह बीमारी ऊंटों को हुई और उससे इंसानो में फैली।। पिछले 8 साल में इसके मामले सामने आ रहे हैं। आठ साल में यह वायरस 27 देशों में फैल चुका है। अभी तक इस वायरस के 2494 मामले सामने आ चुके हैं। इसके चलते अब तक 858 लोगों की जान जा चुकी है। इस वायरस की मृत्यु दर 34% से ऊपर है। रोटावायरस : हर साल 4 लाख बच्चों की मौत, वैक्सीन से इसे भी मारना मुमकिन विकासशील देशों में रोटावायरस छोटे बच्चों का अपना शिकार ज्यादा बनाता है। 2008 में रोटावायरस के संक्रमण से 5 साल से ज्यादा उम्र के करीब 4.5 लाख बच्चों की मौत हो गई थी, वहीं 2013 में रोटावायरस के संक्रमण के कारण लगभग 2,15,000 मौतें हुई थी, जिसमें ज्यादातर बच्चे ही थे। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार हर साल इस रोग से करीब 4 लाख बच्चों की मौत हो जाती हैं। इससे संक्रमित बच्चों में डायरिया की गंभीर शिकायत पाई जाती है। पहला वैक्सीन 2006 में मैक्सिको को मिला था। बाजार में अब इसके दो वैक्सीन उपलब्ध हैं। मारबर्ग : मरने की दर 90%, 2019 में अमेरिका ने बनाई वैक्सीन आज से 53 साल पहले 1967 में यह वायरस सर्बिया और युगोस्लाविया में सबसे पहले सामने आया। यह वायरस जर्मनी की एक लैब से लीक हो गया था, जो कि बंदरों से इंसानों में आया था। 1967 से लेकर 2014 तक इस वायरस के मामले सामने आते रहे। 13 देशों में इस वायरस का असर देखा गया, जिसमें से अधिकतर अफ्रीकी देश हैं। अब तक इस वायरस के सिर्फ 587 मामले सामने आए हैं। सबसे ज्यादा मामले अंगोला और डीआर कांगो में सामने आए हैं। दोनों देशों को मिलाकर 528 मामले होते हैं, जो कुल मामलों का लगभग 90% है। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि सिर्फ 587 मामलों में 475 लोगों की मौत हो गई। यह दुनिया का सबसे जानलेवा वायरस है। कोरोना : भारत में बनेगी रूसी वैक्सीन स्पूतनिक वी चीन के वुहान शहर से शुरू हुआ कोरोना वायरस दुनियाभर में एक खतरनाक महामारी का रूप ले चुका है। दुनिया में अब तक कोरोना के 6 करोड़ 30 लाख मामले सामने आ चुके हैं। 14 लाख 66 हजार लोगों की मौत हो चुकी है। अच्छी बात ये कि अब तक 4 करोड़ 36 लाख लोग ठीक हो चुके हैं। भारत में अब तक अब तक 94.32 लाख लोग संक्रमित हो चुके हैं, 88.46 लाख लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 1.37 लाख मरीजों की मौत हो चुकी है। दुनिया में कोरोना की करीब 48 वैक्सीन विकसित की जा रही हैं। इनमें से करीब 9 वैक्सीन का ट्रायल तीसरे चरण में हैं। माना जा रहा है कि 2021 जून-जुलाई में इसकी भी वैक्सीन तैयार हो जाएगी। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें We won over the deadly virus from the corona that attacked humans, the goal of eradicating HIV from the world by 2030 https://ift.tt/36lalQt Dainik Bhaskar इंसान ने 50 करोड़ जान लेने वाले चेचक को मारा, कई वायरस के टीके बनाए, एचआईवी-कोरोना भी मरेंगे

सभ्यताओं के विकास के साथ-साथ इंसान लगातार जानलेवा वायरसों का हमला झेलता रहा है। इनसे करोड़ों लोगों की जान भी चली गई। हर बार लगा कि इंसानों प...
- December 01, 2020
https://ift.tt/36lalQt सभ्यताओं के विकास के साथ-साथ इंसान लगातार जानलेवा वायरसों का हमला झेलता रहा है। इनसे करोड़ों लोगों की जान भी चली गई। हर बार लगा कि इंसानों पर इससे बड़ा खतरा कभी नहीं मंडराया, मगर तर्कशक्ति के बूते विज्ञान से लैस इंसानों ने बड़े से बड़े वायरस को काबू कर लिया। आधुनिक समय का ऐसा ही एक वायरस है एचआईवी। जो जानलेवा एड्स की वजह बनता है। कई दशकों की दहशत के बाद आखिर 2015 में संयुक्त राष्ट्र की अगुवाई में सभी देशों ने 2030 तक इसे दुनिया से मिटाने का ऐलान कर दिया है और हम धीरे-धीरे इस ओर बढ़ भी रहे हैं। मौजूदा समय में पूरी दुनिया कोरोना वायरस के ऐसे ही हमले का सामना कर रही है। भारत समेत बड़े-बड़े देश इससे हिल गए, मगर इस बार भी इंसानों के जज्बे ने कोरोना पर लगाम कसना शुरू दिया है। दुनिया में कोरोना की करीब 48 वैक्सीन विकसित की जा रही हैं। इनमें से करीब 9 वैक्सीन का ट्रायल तीसरे चरण में हैं। माना जा रहा है कि 2021 में कोरोना पर भी इंसान निर्णायक जीत हासिल कर लेगा। दरअसल, वायरस धरती पर मौजूद सबसे पुराने जीवों में से एक हैं। साइंटिफिक अमेरिकन मैगजीन के अनुसार करीब 6 लाख ऐसे वायरस हैं जो जानवरों से इंसानों में प्रवेश कर सकते हैं। एचआईवी, कोरोना के अलावा स्मॉलपॉक्स या चेचक, सार्स, इबोला, स्वाइन फ्लू, रैबीज भी ऐसे ही जानलेवा वायरस हैं। चेचक ने तो 18वीं और 19वीं सदी में 50 करोड़ से ज्यादा लोगों की जान ले ली थी, मगर हमने वैक्सीन बनाकर दुनिया से इसे खत्म कर दिया। वर्ल्ड एड्स डे पर हम आपको बता रहे हैं इंसानों पर हमला करने वाले 10 सबसे खतरनाक वायरस और उसपर इंसानी जीत की कहानी। एचआईवी : संक्रमण फैलने की रफ्तार थमी, 2030 तक जड़ से करेंगे खत्म आधुनिक दुनिया का खतरनाक वायरस है। पिछले एक दशक में एचआईवी फैलने की रफ्तार थमी है, मगर भारत में अभी चुनौती बाकी है। भारत में करीब 22 लाख एड्स पीड़ित हैं। यूएन एड्स की रिपोर्ट के अनुसार भारत में 2018 में 88 हजार नए मरीज मिले वहीं एड्स से 69 हजार लोगों की मौत हुई। दुनिया के कुल एड्स मरीजों के 10% भारत में है। इंडेक्समंडी पोर्टल के हिसाब से दक्षिण अफ्रीका और नाइजीरिया के बाद भारत में एड्स के सबसे ज्यादा मरीज हैं। ऐसी समस्याओं के बावजूद संयुक्त राष्ट्र की ओर से 2015 में तय 12 सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) में से तीसरे लक्ष्य (बेहतर स्वास्थ्य और कल्याण) के तहत 2030 तक एचआईवी को खत्म करना है। प्रोजेक्ट के तहत 2030 तक नए एचआईवी एड्स से होने वाली मौतों को 90-90% तक कम करना है। इसे प्रोजेक्ट-90 भी कहा जाता है। इसके तहत टारगेट है कि एचआईवी संक्रमितों में 90% को खुद के संक्रमित होने का पता हो संक्रमित होने का पता चलने पर कम से कम 90% को इलाज मिले इलाज कराने वाले 90% मरीजों में दवाओं से वायरल लोड बेहद कम हो चेचक : इतिहास का पहला वायरस जिसे वैक्सीन से पूरी तरह खत्म किया गया इंसान चेचक के भयानक प्रकोप के कई दौर देख चुका है। वैरियोला वायरस से फैले इस महामारी की शुरुआत यों 1520 में मानी जाती है, मगर मिस्र में मिली ममी में भी इसके सबूत मिले हैं। किसी भी वायरस की तुलना में चेचक दुनिया के सबसे अधिक लोगों की जान (30 से 50 करोड़ मौत) ले चुका है। इससे जान जाने की दर 90% है। अकेले बीसवीं सदी में ही इस बीमारी से 20 करोड़ लोगों की मौत हुई। हालांकि वैक्सीनेशन के जरिए इस वायरस को अब दुनिया से पूरी तरह खत्म कर दिया गया है। 1796 में ब्रिटेन के डॉक्टर एडवर्ड जेनर ने इसकी पहली वैक्सीन ईजाद की थी। मानवता के इतिहास में केवल चेचक ऐसी बीमारी है, जिस पर किसी दवा या वैक्सीन के जरिए पूरी तरह नियंत्रण पाया जा सका। 1979 में डब्लूएचओ ने पूरी दुनिया को चेचक मुक्त घोषित कर दिया था। इन्फ्लुएंजा- इसके किसी न किसी वायरस से हर साल करीब 5 लाख लोग गंवाते हैं जान आम खांसी-जुकाम को भी फ्लू कहते हैं और स्पेनिश फ्लू को भी। इन्फ्लूएंजा के 4 कैटेगरी के वायरस कई तरह के संक्रमण के लिए जिम्मेदार है। स्पेनिश फ्लू इंसान के हालिया इतिहास की सबसे भयंकर महामारियों में से एक है। माना जाता है कि इससे 5 करोड़ लोगों मौत हुई थी। मौजूदा कोरोना की तरह स्पेनिश फ्लू से निपटने के लिए भी लोगों को क्वारंटीन किया जाता था। 1968 में फैले हॉन्गकॉन्ग फ्लू से दस लाख लोगों की जान गई थी। आज भी वो वायरस सीजनल फ्लू के तौर पर हमारे बीच में है। इसी तरह स्वाइन फ्लू भी एच1एन1 वायरस के ही एक और रूप से फैलती है। माना जाता है कि 2009 में 70 करोड़ से 140 करोड़ लोग असिम्प्टोमेटिक (बिना लक्षणों वाले) स्वाइन फ्लू से संक्रमित हुए, जो उस समय की 6.8 अरब आबादी का करीब 11 से 21% था। मगर इंसानों ने इसे भी काबू कर लिया। डब्लूएचओ ने 2010 में इस महामारी को भी समाप्त घोषित कर दिया। हंतावायरस: संक्रमित चूहे या गिलहरी से फैला, चीन में बनी वैक्सीन चूहों से फैलने वाले हंता वायरस के बारे में 1993 में पहली बार पता चला था। जब अमेरिका में एक कपल इस वायरस से संक्रमित होने के कारण मर गया था। इसके बाद कुछ ही महीनों में इस बीमारी से 600 लोगों की मौत हो गई थी। हंता वायरस से संक्रमित चूहे या गिलहरी किसी इंसान को काट लें तो इससे भी संक्रमण फैल सकता है। इस वायरस के फैलने का एक प्रमुख कारण चूहों के मल-मूत्र की जगह के संपर्क में आना है। कोरियाई युद्ध के दौरान हंता वायरस की वजह से 3000 सैनिक बीमार हुए थे, इनमें से 12 फीसदी मारे गए थे। रैबीज : हर साल 20 हजार लोगों की मौत, वैक्सीन से पक्का बचाव मुमकिन रैबीज एक वायरल बीमारी है, इसके कारण गर्म रक्त वाले जीवों के मस्तिष्क में सूजन (एक्यूट इन्सेफेलाइटिस) होती है। 99% यह बीमारी कुत्तों के काटने या उनसे खरोंच लगने के कारण होता है। भारत में हर साल 20 हजार लोगों की जान रैबीज से जाती है, जिनमें 40% की उम्र 15 साल से कम होती है। जबकि पूरी दुनिया में यह आंकड़ा 59 हजार है। 150 से ज्यादा देशों में फैली इस बीमारी की एंटी रैबीज वैक्सीन मुफ्त लगाई जाती हैं। यह आमतौर पर कुत्तों के काटने और संक्रमित जानवरों से खरोंच लगने के कारण होता है। प्रसिद्ध फ्रेंच वैज्ञानिक लुई पाश्चर ने 6 जुलाई 1885 में रैबीज के टीके का सफल परीक्षण किया। उनकी इस खोज ने मेडिकल की दुनिया में क्रांति ला दी और मानवता को एक बड़े संकट से बचा लिया था। इबोला: 44 सालों में 16 देशों में फैला, इसकी वैक्सीन बनी इबोला सबसे पहले 1967 में सामने आया था। 44 सालों के बाद भी इस वायरस को पूरी तरह खत्म नहीं किया जा सका है। 44 सालों में यह वायरस 16 देशों में फैल चुका है। सीरिया, लाइबेरिया और गिनी में इसके सबसे ज्यादा मामले सामने आए। 31 हजार मामलों में 28 हजार से ज्यादा मामले इन तीन देशों में आए, जो कुल मामलों का 92% है। इसे डब्ल्यूएचओ ने पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया। इस संक्रमण से अभी तक करीब 13 हजार लोगों की जान जा चुकी है। 2013 से 2016 के बीच ही सीरिया, लाइबेरिया और गिनी के 11,300 लोगों की जान ली इस संक्रमण से गई। मर्स : 8 सालों में 27 देशों तक पहुंचा, 5 वैक्सीन तैयार होने की कगार पर वायरस सबसे पहले 2012 में सउदी अरेबिया में सामने आया और फिर 2015 में साउथ कोरिया। । जिस वर्ग से सार्स कोरोना वायरस और मौजूदा कोविड-19 आते हैं, उसी वर्ग से मर्स का भी संबंध था। सबसे पहले यह बीमारी ऊंटों को हुई और उससे इंसानो में फैली।। पिछले 8 साल में इसके मामले सामने आ रहे हैं। आठ साल में यह वायरस 27 देशों में फैल चुका है। अभी तक इस वायरस के 2494 मामले सामने आ चुके हैं। इसके चलते अब तक 858 लोगों की जान जा चुकी है। इस वायरस की मृत्यु दर 34% से ऊपर है। रोटावायरस : हर साल 4 लाख बच्चों की मौत, वैक्सीन से इसे भी मारना मुमकिन विकासशील देशों में रोटावायरस छोटे बच्चों का अपना शिकार ज्यादा बनाता है। 2008 में रोटावायरस के संक्रमण से 5 साल से ज्यादा उम्र के करीब 4.5 लाख बच्चों की मौत हो गई थी, वहीं 2013 में रोटावायरस के संक्रमण के कारण लगभग 2,15,000 मौतें हुई थी, जिसमें ज्यादातर बच्चे ही थे। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार हर साल इस रोग से करीब 4 लाख बच्चों की मौत हो जाती हैं। इससे संक्रमित बच्चों में डायरिया की गंभीर शिकायत पाई जाती है। पहला वैक्सीन 2006 में मैक्सिको को मिला था। बाजार में अब इसके दो वैक्सीन उपलब्ध हैं। मारबर्ग : मरने की दर 90%, 2019 में अमेरिका ने बनाई वैक्सीन आज से 53 साल पहले 1967 में यह वायरस सर्बिया और युगोस्लाविया में सबसे पहले सामने आया। यह वायरस जर्मनी की एक लैब से लीक हो गया था, जो कि बंदरों से इंसानों में आया था। 1967 से लेकर 2014 तक इस वायरस के मामले सामने आते रहे। 13 देशों में इस वायरस का असर देखा गया, जिसमें से अधिकतर अफ्रीकी देश हैं। अब तक इस वायरस के सिर्फ 587 मामले सामने आए हैं। सबसे ज्यादा मामले अंगोला और डीआर कांगो में सामने आए हैं। दोनों देशों को मिलाकर 528 मामले होते हैं, जो कुल मामलों का लगभग 90% है। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि सिर्फ 587 मामलों में 475 लोगों की मौत हो गई। यह दुनिया का सबसे जानलेवा वायरस है। कोरोना : भारत में बनेगी रूसी वैक्सीन स्पूतनिक वी चीन के वुहान शहर से शुरू हुआ कोरोना वायरस दुनियाभर में एक खतरनाक महामारी का रूप ले चुका है। दुनिया में अब तक कोरोना के 6 करोड़ 30 लाख मामले सामने आ चुके हैं। 14 लाख 66 हजार लोगों की मौत हो चुकी है। अच्छी बात ये कि अब तक 4 करोड़ 36 लाख लोग ठीक हो चुके हैं। भारत में अब तक अब तक 94.32 लाख लोग संक्रमित हो चुके हैं, 88.46 लाख लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 1.37 लाख मरीजों की मौत हो चुकी है। दुनिया में कोरोना की करीब 48 वैक्सीन विकसित की जा रही हैं। इनमें से करीब 9 वैक्सीन का ट्रायल तीसरे चरण में हैं। माना जा रहा है कि 2021 जून-जुलाई में इसकी भी वैक्सीन तैयार हो जाएगी। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें We won over the deadly virus from the corona that attacked humans, the goal of eradicating HIV from the world by 2030 from Dainik Bhaskar /national/news/we-won-over-the-deadly-virus-from-the-corona-that-attacked-humans-the-goal-of-eradicating-hiv-from-the-world-by-2030-127964078.html via IFTTT https://ift.tt/3qfKtNX सभ्यताओं के विकास के साथ-साथ इंसान लगातार जानलेवा वायरसों का हमला झेलता रहा है। इनसे करोड़ों लोगों की जान भी चली गई। हर बार लगा कि इंसानों पर इससे बड़ा खतरा कभी नहीं मंडराया, मगर तर्कशक्ति के बूते विज्ञान से लैस इंसानों ने बड़े से बड़े वायरस को काबू कर लिया। आधुनिक समय का ऐसा ही एक वायरस है एचआईवी। जो जानलेवा एड्स की वजह बनता है। कई दशकों की दहशत के बाद आखिर 2015 में संयुक्त राष्ट्र की अगुवाई में सभी देशों ने 2030 तक इसे दुनिया से मिटाने का ऐलान कर दिया है और हम धीरे-धीरे इस ओर बढ़ भी रहे हैं। मौजूदा समय में पूरी दुनिया कोरोना वायरस के ऐसे ही हमले का सामना कर रही है। भारत समेत बड़े-बड़े देश इससे हिल गए, मगर इस बार भी इंसानों के जज्बे ने कोरोना पर लगाम कसना शुरू दिया है। दुनिया में कोरोना की करीब 48 वैक्सीन विकसित की जा रही हैं। इनमें से करीब 9 वैक्सीन का ट्रायल तीसरे चरण में हैं। माना जा रहा है कि 2021 में कोरोना पर भी इंसान निर्णायक जीत हासिल कर लेगा। दरअसल, वायरस धरती पर मौजूद सबसे पुराने जीवों में से एक हैं। साइंटिफिक अमेरिकन मैगजीन के अनुसार करीब 6 लाख ऐसे वायरस हैं जो जानवरों से इंसानों में प्रवेश कर सकते हैं। एचआईवी, कोरोना के अलावा स्मॉलपॉक्स या चेचक, सार्स, इबोला, स्वाइन फ्लू, रैबीज भी ऐसे ही जानलेवा वायरस हैं। चेचक ने तो 18वीं और 19वीं सदी में 50 करोड़ से ज्यादा लोगों की जान ले ली थी, मगर हमने वैक्सीन बनाकर दुनिया से इसे खत्म कर दिया। वर्ल्ड एड्स डे पर हम आपको बता रहे हैं इंसानों पर हमला करने वाले 10 सबसे खतरनाक वायरस और उसपर इंसानी जीत की कहानी। एचआईवी : संक्रमण फैलने की रफ्तार थमी, 2030 तक जड़ से करेंगे खत्म आधुनिक दुनिया का खतरनाक वायरस है। पिछले एक दशक में एचआईवी फैलने की रफ्तार थमी है, मगर भारत में अभी चुनौती बाकी है। भारत में करीब 22 लाख एड्स पीड़ित हैं। यूएन एड्स की रिपोर्ट के अनुसार भारत में 2018 में 88 हजार नए मरीज मिले वहीं एड्स से 69 हजार लोगों की मौत हुई। दुनिया के कुल एड्स मरीजों के 10% भारत में है। इंडेक्समंडी पोर्टल के हिसाब से दक्षिण अफ्रीका और नाइजीरिया के बाद भारत में एड्स के सबसे ज्यादा मरीज हैं। ऐसी समस्याओं के बावजूद संयुक्त राष्ट्र की ओर से 2015 में तय 12 सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) में से तीसरे लक्ष्य (बेहतर स्वास्थ्य और कल्याण) के तहत 2030 तक एचआईवी को खत्म करना है। प्रोजेक्ट के तहत 2030 तक नए एचआईवी एड्स से होने वाली मौतों को 90-90% तक कम करना है। इसे प्रोजेक्ट-90 भी कहा जाता है। इसके तहत टारगेट है कि एचआईवी संक्रमितों में 90% को खुद के संक्रमित होने का पता हो संक्रमित होने का पता चलने पर कम से कम 90% को इलाज मिले इलाज कराने वाले 90% मरीजों में दवाओं से वायरल लोड बेहद कम हो चेचक : इतिहास का पहला वायरस जिसे वैक्सीन से पूरी तरह खत्म किया गया इंसान चेचक के भयानक प्रकोप के कई दौर देख चुका है। वैरियोला वायरस से फैले इस महामारी की शुरुआत यों 1520 में मानी जाती है, मगर मिस्र में मिली ममी में भी इसके सबूत मिले हैं। किसी भी वायरस की तुलना में चेचक दुनिया के सबसे अधिक लोगों की जान (30 से 50 करोड़ मौत) ले चुका है। इससे जान जाने की दर 90% है। अकेले बीसवीं सदी में ही इस बीमारी से 20 करोड़ लोगों की मौत हुई। हालांकि वैक्सीनेशन के जरिए इस वायरस को अब दुनिया से पूरी तरह खत्म कर दिया गया है। 1796 में ब्रिटेन के डॉक्टर एडवर्ड जेनर ने इसकी पहली वैक्सीन ईजाद की थी। मानवता के इतिहास में केवल चेचक ऐसी बीमारी है, जिस पर किसी दवा या वैक्सीन के जरिए पूरी तरह नियंत्रण पाया जा सका। 1979 में डब्लूएचओ ने पूरी दुनिया को चेचक मुक्त घोषित कर दिया था। इन्फ्लुएंजा- इसके किसी न किसी वायरस से हर साल करीब 5 लाख लोग गंवाते हैं जान आम खांसी-जुकाम को भी फ्लू कहते हैं और स्पेनिश फ्लू को भी। इन्फ्लूएंजा के 4 कैटेगरी के वायरस कई तरह के संक्रमण के लिए जिम्मेदार है। स्पेनिश फ्लू इंसान के हालिया इतिहास की सबसे भयंकर महामारियों में से एक है। माना जाता है कि इससे 5 करोड़ लोगों मौत हुई थी। मौजूदा कोरोना की तरह स्पेनिश फ्लू से निपटने के लिए भी लोगों को क्वारंटीन किया जाता था। 1968 में फैले हॉन्गकॉन्ग फ्लू से दस लाख लोगों की जान गई थी। आज भी वो वायरस सीजनल फ्लू के तौर पर हमारे बीच में है। इसी तरह स्वाइन फ्लू भी एच1एन1 वायरस के ही एक और रूप से फैलती है। माना जाता है कि 2009 में 70 करोड़ से 140 करोड़ लोग असिम्प्टोमेटिक (बिना लक्षणों वाले) स्वाइन फ्लू से संक्रमित हुए, जो उस समय की 6.8 अरब आबादी का करीब 11 से 21% था। मगर इंसानों ने इसे भी काबू कर लिया। डब्लूएचओ ने 2010 में इस महामारी को भी समाप्त घोषित कर दिया। हंतावायरस: संक्रमित चूहे या गिलहरी से फैला, चीन में बनी वैक्सीन चूहों से फैलने वाले हंता वायरस के बारे में 1993 में पहली बार पता चला था। जब अमेरिका में एक कपल इस वायरस से संक्रमित होने के कारण मर गया था। इसके बाद कुछ ही महीनों में इस बीमारी से 600 लोगों की मौत हो गई थी। हंता वायरस से संक्रमित चूहे या गिलहरी किसी इंसान को काट लें तो इससे भी संक्रमण फैल सकता है। इस वायरस के फैलने का एक प्रमुख कारण चूहों के मल-मूत्र की जगह के संपर्क में आना है। कोरियाई युद्ध के दौरान हंता वायरस की वजह से 3000 सैनिक बीमार हुए थे, इनमें से 12 फीसदी मारे गए थे। रैबीज : हर साल 20 हजार लोगों की मौत, वैक्सीन से पक्का बचाव मुमकिन रैबीज एक वायरल बीमारी है, इसके कारण गर्म रक्त वाले जीवों के मस्तिष्क में सूजन (एक्यूट इन्सेफेलाइटिस) होती है। 99% यह बीमारी कुत्तों के काटने या उनसे खरोंच लगने के कारण होता है। भारत में हर साल 20 हजार लोगों की जान रैबीज से जाती है, जिनमें 40% की उम्र 15 साल से कम होती है। जबकि पूरी दुनिया में यह आंकड़ा 59 हजार है। 150 से ज्यादा देशों में फैली इस बीमारी की एंटी रैबीज वैक्सीन मुफ्त लगाई जाती हैं। यह आमतौर पर कुत्तों के काटने और संक्रमित जानवरों से खरोंच लगने के कारण होता है। प्रसिद्ध फ्रेंच वैज्ञानिक लुई पाश्चर ने 6 जुलाई 1885 में रैबीज के टीके का सफल परीक्षण किया। उनकी इस खोज ने मेडिकल की दुनिया में क्रांति ला दी और मानवता को एक बड़े संकट से बचा लिया था। इबोला: 44 सालों में 16 देशों में फैला, इसकी वैक्सीन बनी इबोला सबसे पहले 1967 में सामने आया था। 44 सालों के बाद भी इस वायरस को पूरी तरह खत्म नहीं किया जा सका है। 44 सालों में यह वायरस 16 देशों में फैल चुका है। सीरिया, लाइबेरिया और गिनी में इसके सबसे ज्यादा मामले सामने आए। 31 हजार मामलों में 28 हजार से ज्यादा मामले इन तीन देशों में आए, जो कुल मामलों का 92% है। इसे डब्ल्यूएचओ ने पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया। इस संक्रमण से अभी तक करीब 13 हजार लोगों की जान जा चुकी है। 2013 से 2016 के बीच ही सीरिया, लाइबेरिया और गिनी के 11,300 लोगों की जान ली इस संक्रमण से गई। मर्स : 8 सालों में 27 देशों तक पहुंचा, 5 वैक्सीन तैयार होने की कगार पर वायरस सबसे पहले 2012 में सउदी अरेबिया में सामने आया और फिर 2015 में साउथ कोरिया। । जिस वर्ग से सार्स कोरोना वायरस और मौजूदा कोविड-19 आते हैं, उसी वर्ग से मर्स का भी संबंध था। सबसे पहले यह बीमारी ऊंटों को हुई और उससे इंसानो में फैली।। पिछले 8 साल में इसके मामले सामने आ रहे हैं। आठ साल में यह वायरस 27 देशों में फैल चुका है। अभी तक इस वायरस के 2494 मामले सामने आ चुके हैं। इसके चलते अब तक 858 लोगों की जान जा चुकी है। इस वायरस की मृत्यु दर 34% से ऊपर है। रोटावायरस : हर साल 4 लाख बच्चों की मौत, वैक्सीन से इसे भी मारना मुमकिन विकासशील देशों में रोटावायरस छोटे बच्चों का अपना शिकार ज्यादा बनाता है। 2008 में रोटावायरस के संक्रमण से 5 साल से ज्यादा उम्र के करीब 4.5 लाख बच्चों की मौत हो गई थी, वहीं 2013 में रोटावायरस के संक्रमण के कारण लगभग 2,15,000 मौतें हुई थी, जिसमें ज्यादातर बच्चे ही थे। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार हर साल इस रोग से करीब 4 लाख बच्चों की मौत हो जाती हैं। इससे संक्रमित बच्चों में डायरिया की गंभीर शिकायत पाई जाती है। पहला वैक्सीन 2006 में मैक्सिको को मिला था। बाजार में अब इसके दो वैक्सीन उपलब्ध हैं। मारबर्ग : मरने की दर 90%, 2019 में अमेरिका ने बनाई वैक्सीन आज से 53 साल पहले 1967 में यह वायरस सर्बिया और युगोस्लाविया में सबसे पहले सामने आया। यह वायरस जर्मनी की एक लैब से लीक हो गया था, जो कि बंदरों से इंसानों में आया था। 1967 से लेकर 2014 तक इस वायरस के मामले सामने आते रहे। 13 देशों में इस वायरस का असर देखा गया, जिसमें से अधिकतर अफ्रीकी देश हैं। अब तक इस वायरस के सिर्फ 587 मामले सामने आए हैं। सबसे ज्यादा मामले अंगोला और डीआर कांगो में सामने आए हैं। दोनों देशों को मिलाकर 528 मामले होते हैं, जो कुल मामलों का लगभग 90% है। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि सिर्फ 587 मामलों में 475 लोगों की मौत हो गई। यह दुनिया का सबसे जानलेवा वायरस है। कोरोना : भारत में बनेगी रूसी वैक्सीन स्पूतनिक वी चीन के वुहान शहर से शुरू हुआ कोरोना वायरस दुनियाभर में एक खतरनाक महामारी का रूप ले चुका है। दुनिया में अब तक कोरोना के 6 करोड़ 30 लाख मामले सामने आ चुके हैं। 14 लाख 66 हजार लोगों की मौत हो चुकी है। अच्छी बात ये कि अब तक 4 करोड़ 36 लाख लोग ठीक हो चुके हैं। भारत में अब तक अब तक 94.32 लाख लोग संक्रमित हो चुके हैं, 88.46 लाख लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 1.37 लाख मरीजों की मौत हो चुकी है। दुनिया में कोरोना की करीब 48 वैक्सीन विकसित की जा रही हैं। इनमें से करीब 9 वैक्सीन का ट्रायल तीसरे चरण में हैं। माना जा रहा है कि 2021 जून-जुलाई में इसकी भी वैक्सीन तैयार हो जाएगी। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें We won over the deadly virus from the corona that attacked humans, the goal of eradicating HIV from the world by 2030 https://ift.tt/36lalQt Dainik Bhaskar इंसान ने 50 करोड़ जान लेने वाले चेचक को मारा, कई वायरस के टीके बनाए, एचआईवी-कोरोना भी मरेंगे https://ift.tt/36lalQt 

सभ्यताओं के विकास के साथ-साथ इंसान लगातार जानलेवा वायरसों का हमला झेलता रहा है। इनसे करोड़ों लोगों की जान भी चली गई। हर बार लगा कि इंसानों पर इससे बड़ा खतरा कभी नहीं मंडराया, मगर तर्कशक्ति के बूते विज्ञान से लैस इंसानों ने बड़े से बड़े वायरस को काबू कर लिया। आधुनिक समय का ऐसा ही एक वायरस है एचआईवी। जो जानलेवा एड्स की वजह बनता है। कई दशकों की दहशत के बाद आखिर 2015 में संयुक्त राष्ट्र की अगुवाई में सभी देशों ने 2030 तक इसे दुनिया से मिटाने का ऐलान कर दिया है और हम धीरे-धीरे इस ओर बढ़ भी रहे हैं।

मौजूदा समय में पूरी दुनिया कोरोना वायरस के ऐसे ही हमले का सामना कर रही है। भारत समेत बड़े-बड़े देश इससे हिल गए, मगर इस बार भी इंसानों के जज्बे ने कोरोना पर लगाम कसना शुरू दिया है। दुनिया में कोरोना की करीब 48 वैक्सीन विकसित की जा रही हैं। इनमें से करीब 9 वैक्सीन का ट्रायल तीसरे चरण में हैं। माना जा रहा है कि 2021 में कोरोना पर भी इंसान निर्णायक जीत हासिल कर लेगा।

दरअसल, वायरस धरती पर मौजूद सबसे पुराने जीवों में से एक हैं। साइंटिफिक अमेरिकन मैगजीन के अनुसार करीब 6 लाख ऐसे वायरस हैं जो जानवरों से इंसानों में प्रवेश कर सकते हैं। एचआईवी, कोरोना के अलावा स्मॉलपॉक्स या चेचक, सार्स, इबोला, स्वाइन फ्लू, रैबीज भी ऐसे ही जानलेवा वायरस हैं। चेचक ने तो 18वीं और 19वीं सदी में 50 करोड़ से ज्यादा लोगों की जान ले ली थी, मगर हमने वैक्सीन बनाकर दुनिया से इसे खत्म कर दिया। वर्ल्ड एड्स डे पर हम आपको बता रहे हैं इंसानों पर हमला करने वाले 10 सबसे खतरनाक वायरस और उसपर इंसानी जीत की कहानी।

एचआईवी : संक्रमण फैलने की रफ्तार थमी, 2030 तक जड़ से करेंगे खत्म

आधुनिक दुनिया का खतरनाक वायरस है। पिछले एक दशक में एचआईवी फैलने की रफ्तार थमी है, मगर भारत में अभी चुनौती बाकी है। भारत में करीब 22 लाख एड्स पीड़ित हैं। यूएन एड्स की रिपोर्ट के अनुसार भारत में 2018 में 88 हजार नए मरीज मिले वहीं एड्स से 69 हजार लोगों की मौत हुई। दुनिया के कुल एड्स मरीजों के 10% भारत में है। इंडेक्समंडी पोर्टल के हिसाब से दक्षिण अफ्रीका और नाइजीरिया के बाद भारत में एड्स के सबसे ज्यादा मरीज हैं। ऐसी समस्याओं के बावजूद संयुक्त राष्ट्र की ओर से 2015 में तय 12 सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) में से तीसरे लक्ष्य (बेहतर स्वास्थ्य और कल्याण) के तहत 2030 तक एचआईवी को खत्म करना है। प्रोजेक्ट के तहत 2030 तक नए एचआईवी एड्स से होने वाली मौतों को 90-90% तक कम करना है। इसे प्रोजेक्ट-90 भी कहा जाता है।

इसके तहत टारगेट है कि

एचआईवी संक्रमितों में 90% को खुद के संक्रमित होने का पता हो

संक्रमित होने का पता चलने पर कम से कम 90% को इलाज मिले

इलाज कराने वाले 90% मरीजों में दवाओं से वायरल लोड बेहद कम हो

चेचक : इतिहास का पहला वायरस जिसे वैक्सीन से पूरी तरह खत्म किया गया

इंसान चेचक के भयानक प्रकोप के कई दौर देख चुका है। वैरियोला वायरस से फैले इस महामारी की शुरुआत यों 1520 में मानी जाती है, मगर मिस्र में मिली ममी में भी इसके सबूत मिले हैं। किसी भी वायरस की तुलना में चेचक दुनिया के सबसे अधिक लोगों की जान (30 से 50 करोड़ मौत) ले चुका है। इससे जान जाने की दर 90% है। अकेले बीसवीं सदी में ही इस बीमारी से 20 करोड़ लोगों की मौत हुई। हालांकि वैक्सीनेशन के जरिए इस वायरस को अब दुनिया से पूरी तरह खत्म कर दिया गया है। 1796 में ब्रिटेन के डॉक्टर एडवर्ड जेनर ने इसकी पहली वैक्सीन ईजाद की थी। मानवता के इतिहास में केवल चेचक ऐसी बीमारी है, जिस पर किसी दवा या वैक्सीन के जरिए पूरी तरह नियंत्रण पाया जा सका। 1979 में डब्लूएचओ ने पूरी दुनिया को चेचक मुक्त घोषित कर दिया था।

इन्फ्लुएंजा- इसके किसी न किसी वायरस से हर साल करीब 5 लाख लोग गंवाते हैं जान

आम खांसी-जुकाम को भी फ्लू कहते हैं और स्पेनिश फ्लू को भी। इन्फ्लूएंजा के 4 कैटेगरी के वायरस कई तरह के संक्रमण के लिए जिम्मेदार है। स्पेनिश फ्लू इंसान के हालिया इतिहास की सबसे भयंकर महामारियों में से एक है। माना जाता है कि इससे 5 करोड़ लोगों मौत हुई थी। मौजूदा कोरोना की तरह स्पेनिश फ्लू से निपटने के लिए भी लोगों को क्वारंटीन किया जाता था। 1968 में फैले हॉन्गकॉन्ग फ्लू से दस लाख लोगों की जान गई थी। आज भी वो वायरस सीजनल फ्लू के तौर पर हमारे बीच में है। इसी तरह स्वाइन फ्लू भी एच1एन1 वायरस के ही एक और रूप से फैलती है। माना जाता है कि 2009 में 70 करोड़ से 140 करोड़ लोग असिम्प्टोमेटिक (बिना लक्षणों वाले) स्वाइन फ्लू से संक्रमित हुए, जो उस समय की 6.8 अरब आबादी का करीब 11 से 21% था। मगर इंसानों ने इसे भी काबू कर लिया। डब्लूएचओ ने 2010 में इस महामारी को भी समाप्त घोषित कर दिया।

हंतावायरस: संक्रमित चूहे या गिलहरी से फैला, चीन में बनी वैक्सीन

चूहों से फैलने वाले हंता वायरस के बारे में 1993 में पहली बार पता चला था। जब अमेरिका में एक कपल इस वायरस से संक्रमित होने के कारण मर गया था। इसके बाद कुछ ही महीनों में इस बीमारी से 600 लोगों की मौत हो गई थी। हंता वायरस से संक्रमित चूहे या गिलहरी किसी इंसान को काट लें तो इससे भी संक्रमण फैल सकता है। इस वायरस के फैलने का एक प्रमुख कारण चूहों के मल-मूत्र की जगह के संपर्क में आना है। कोरियाई युद्ध के दौरान हंता वायरस की वजह से 3000 सैनिक बीमार हुए थे, इनमें से 12 फीसदी मारे गए थे।

रैबीज : हर साल 20 हजार लोगों की मौत, वैक्सीन से पक्का बचाव मुमकिन

रैबीज एक वायरल बीमारी है, इसके कारण गर्म रक्त वाले जीवों के मस्तिष्क में सूजन (एक्यूट इन्सेफेलाइटिस) होती है। 99% यह बीमारी कुत्तों के काटने या उनसे खरोंच लगने के कारण होता है। भारत में हर साल 20 हजार लोगों की जान रैबीज से जाती है, जिनमें 40% की उम्र 15 साल से कम होती है। जबकि पूरी दुनिया में यह आंकड़ा 59 हजार है। 150 से ज्यादा देशों में फैली इस बीमारी की एंटी रैबीज वैक्सीन मुफ्त लगाई जाती हैं। यह आमतौर पर कुत्तों के काटने और संक्रमित जानवरों से खरोंच लगने के कारण होता है। प्रसिद्ध फ्रेंच वैज्ञानिक लुई पाश्चर ने 6 जुलाई 1885 में रैबीज के टीके का सफल परीक्षण किया। उनकी इस खोज ने मेडिकल की दुनिया में क्रांति ला दी और मानवता को एक बड़े संकट से बचा लिया था।

इबोला: 44 सालों में 16 देशों में फैला, इसकी वैक्सीन बनी

इबोला सबसे पहले 1967 में सामने आया था। 44 सालों के बाद भी इस वायरस को पूरी तरह खत्म नहीं किया जा सका है। 44 सालों में यह वायरस 16 देशों में फैल चुका है। सीरिया, लाइबेरिया और गिनी में इसके सबसे ज्यादा मामले सामने आए। 31 हजार मामलों में 28 हजार से ज्यादा मामले इन तीन देशों में आए, जो कुल मामलों का 92% है। इसे डब्ल्यूएचओ ने पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया। इस संक्रमण से अभी तक करीब 13 हजार लोगों की जान जा चुकी है। 2013 से 2016 के बीच ही सीरिया, लाइबेरिया और गिनी के 11,300 लोगों की जान ली इस संक्रमण से गई।

मर्स : 8 सालों में 27 देशों तक पहुंचा, 5 वैक्सीन तैयार होने की कगार पर

वायरस सबसे पहले 2012 में सउदी अरेबिया में सामने आया और फिर 2015 में साउथ कोरिया। । जिस वर्ग से सार्स कोरोना वायरस और मौजूदा कोविड-19 आते हैं, उसी वर्ग से मर्स का भी संबंध था। सबसे पहले यह बीमारी ऊंटों को हुई और उससे इंसानो में फैली।। पिछले 8 साल में इसके मामले सामने आ रहे हैं। आठ साल में यह वायरस 27 देशों में फैल चुका है। अभी तक इस वायरस के 2494 मामले सामने आ चुके हैं। इसके चलते अब तक 858 लोगों की जान जा चुकी है। इस वायरस की मृत्यु दर 34% से ऊपर है।

रोटावायरस : हर साल 4 लाख बच्चों की मौत, वैक्सीन से इसे भी मारना मुमकिन

विकासशील देशों में रोटावायरस छोटे बच्चों का अपना शिकार ज्यादा बनाता है। 2008 में रोटावायरस के संक्रमण से 5 साल से ज्यादा उम्र के करीब 4.5 लाख बच्चों की मौत हो गई थी, वहीं 2013 में रोटावायरस के संक्रमण के कारण लगभग 2,15,000 मौतें हुई थी, जिसमें ज्यादातर बच्चे ही थे। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार हर साल इस रोग से करीब 4 लाख बच्चों की मौत हो जाती हैं। इससे संक्रमित बच्चों में डायरिया की गंभीर शिकायत पाई जाती है। पहला वैक्सीन 2006 में मैक्सिको को मिला था। बाजार में अब इसके दो वैक्सीन उपलब्ध हैं।

मारबर्ग : मरने की दर 90%, 2019 में अमेरिका ने बनाई वैक्सीन

आज से 53 साल पहले 1967 में यह वायरस सर्बिया और युगोस्लाविया में सबसे पहले सामने आया। यह वायरस जर्मनी की एक लैब से लीक हो गया था, जो कि बंदरों से इंसानों में आया था। 1967 से लेकर 2014 तक इस वायरस के मामले सामने आते रहे। 13 देशों में इस वायरस का असर देखा गया, जिसमें से अधिकतर अफ्रीकी देश हैं। अब तक इस वायरस के सिर्फ 587 मामले सामने आए हैं। सबसे ज्यादा मामले अंगोला और डीआर कांगो में सामने आए हैं। दोनों देशों को मिलाकर 528 मामले होते हैं, जो कुल मामलों का लगभग 90% है। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि सिर्फ 587 मामलों में 475 लोगों की मौत हो गई। यह दुनिया का सबसे जानलेवा वायरस है।

कोरोना : भारत में बनेगी रूसी वैक्सीन स्पूतनिक वी

चीन के वुहान शहर से शुरू हुआ कोरोना वायरस दुनियाभर में एक खतरनाक महामारी का रूप ले चुका है। दुनिया में अब तक कोरोना के 6 करोड़ 30 लाख मामले सामने आ चुके हैं। 14 लाख 66 हजार लोगों की मौत हो चुकी है। अच्छी बात ये कि अब तक 4 करोड़ 36 लाख लोग ठीक हो चुके हैं। भारत में अब तक अब तक 94.32 लाख लोग संक्रमित हो चुके हैं, 88.46 लाख लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 1.37 लाख मरीजों की मौत हो चुकी है। दुनिया में कोरोना की करीब 48 वैक्सीन विकसित की जा रही हैं। इनमें से करीब 9 वैक्सीन का ट्रायल तीसरे चरण में हैं। माना जा रहा है कि 2021 जून-जुलाई में इसकी भी वैक्सीन तैयार हो जाएगी।

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We won over the deadly virus from the corona that attacked humans, the goal of eradicating HIV from the world by 2030

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via IFTTT https://ift.tt/3qfKtNX सभ्यताओं के विकास के साथ-साथ इंसान लगातार जानलेवा वायरसों का हमला झेलता रहा है। इनसे करोड़ों लोगों की जान भी चली गई। हर बार लगा कि इंसानों पर इससे बड़ा खतरा कभी नहीं मंडराया, मगर तर्कशक्ति के बूते विज्ञान से लैस इंसानों ने बड़े से बड़े वायरस को काबू कर लिया। आधुनिक समय का ऐसा ही एक वायरस है एचआईवी। जो जानलेवा एड्स की वजह बनता है। कई दशकों की दहशत के बाद आखिर 2015 में संयुक्त राष्ट्र की अगुवाई में सभी देशों ने 2030 तक इसे दुनिया से मिटाने का ऐलान कर दिया है और हम धीरे-धीरे इस ओर बढ़ भी रहे हैं। मौजूदा समय में पूरी दुनिया कोरोना वायरस के ऐसे ही हमले का सामना कर रही है। भारत समेत बड़े-बड़े देश इससे हिल गए, मगर इस बार भी इंसानों के जज्बे ने कोरोना पर लगाम कसना शुरू दिया है। दुनिया में कोरोना की करीब 48 वैक्सीन विकसित की जा रही हैं। इनमें से करीब 9 वैक्सीन का ट्रायल तीसरे चरण में हैं। माना जा रहा है कि 2021 में कोरोना पर भी इंसान निर्णायक जीत हासिल कर लेगा। दरअसल, वायरस धरती पर मौजूद सबसे पुराने जीवों में से एक हैं। साइंटिफिक अमेरिकन मैगजीन के अनुसार करीब 6 लाख ऐसे वायरस हैं जो जानवरों से इंसानों में प्रवेश कर सकते हैं। एचआईवी, कोरोना के अलावा स्मॉलपॉक्स या चेचक, सार्स, इबोला, स्वाइन फ्लू, रैबीज भी ऐसे ही जानलेवा वायरस हैं। चेचक ने तो 18वीं और 19वीं सदी में 50 करोड़ से ज्यादा लोगों की जान ले ली थी, मगर हमने वैक्सीन बनाकर दुनिया से इसे खत्म कर दिया। वर्ल्ड एड्स डे पर हम आपको बता रहे हैं इंसानों पर हमला करने वाले 10 सबसे खतरनाक वायरस और उसपर इंसानी जीत की कहानी। एचआईवी : संक्रमण फैलने की रफ्तार थमी, 2030 तक जड़ से करेंगे खत्म आधुनिक दुनिया का खतरनाक वायरस है। पिछले एक दशक में एचआईवी फैलने की रफ्तार थमी है, मगर भारत में अभी चुनौती बाकी है। भारत में करीब 22 लाख एड्स पीड़ित हैं। यूएन एड्स की रिपोर्ट के अनुसार भारत में 2018 में 88 हजार नए मरीज मिले वहीं एड्स से 69 हजार लोगों की मौत हुई। दुनिया के कुल एड्स मरीजों के 10% भारत में है। इंडेक्समंडी पोर्टल के हिसाब से दक्षिण अफ्रीका और नाइजीरिया के बाद भारत में एड्स के सबसे ज्यादा मरीज हैं। ऐसी समस्याओं के बावजूद संयुक्त राष्ट्र की ओर से 2015 में तय 12 सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) में से तीसरे लक्ष्य (बेहतर स्वास्थ्य और कल्याण) के तहत 2030 तक एचआईवी को खत्म करना है। प्रोजेक्ट के तहत 2030 तक नए एचआईवी एड्स से होने वाली मौतों को 90-90% तक कम करना है। इसे प्रोजेक्ट-90 भी कहा जाता है। इसके तहत टारगेट है कि एचआईवी संक्रमितों में 90% को खुद के संक्रमित होने का पता हो संक्रमित होने का पता चलने पर कम से कम 90% को इलाज मिले इलाज कराने वाले 90% मरीजों में दवाओं से वायरल लोड बेहद कम हो चेचक : इतिहास का पहला वायरस जिसे वैक्सीन से पूरी तरह खत्म किया गया इंसान चेचक के भयानक प्रकोप के कई दौर देख चुका है। वैरियोला वायरस से फैले इस महामारी की शुरुआत यों 1520 में मानी जाती है, मगर मिस्र में मिली ममी में भी इसके सबूत मिले हैं। किसी भी वायरस की तुलना में चेचक दुनिया के सबसे अधिक लोगों की जान (30 से 50 करोड़ मौत) ले चुका है। इससे जान जाने की दर 90% है। अकेले बीसवीं सदी में ही इस बीमारी से 20 करोड़ लोगों की मौत हुई। हालांकि वैक्सीनेशन के जरिए इस वायरस को अब दुनिया से पूरी तरह खत्म कर दिया गया है। 1796 में ब्रिटेन के डॉक्टर एडवर्ड जेनर ने इसकी पहली वैक्सीन ईजाद की थी। मानवता के इतिहास में केवल चेचक ऐसी बीमारी है, जिस पर किसी दवा या वैक्सीन के जरिए पूरी तरह नियंत्रण पाया जा सका। 1979 में डब्लूएचओ ने पूरी दुनिया को चेचक मुक्त घोषित कर दिया था। इन्फ्लुएंजा- इसके किसी न किसी वायरस से हर साल करीब 5 लाख लोग गंवाते हैं जान आम खांसी-जुकाम को भी फ्लू कहते हैं और स्पेनिश फ्लू को भी। इन्फ्लूएंजा के 4 कैटेगरी के वायरस कई तरह के संक्रमण के लिए जिम्मेदार है। स्पेनिश फ्लू इंसान के हालिया इतिहास की सबसे भयंकर महामारियों में से एक है। माना जाता है कि इससे 5 करोड़ लोगों मौत हुई थी। मौजूदा कोरोना की तरह स्पेनिश फ्लू से निपटने के लिए भी लोगों को क्वारंटीन किया जाता था। 1968 में फैले हॉन्गकॉन्ग फ्लू से दस लाख लोगों की जान गई थी। आज भी वो वायरस सीजनल फ्लू के तौर पर हमारे बीच में है। इसी तरह स्वाइन फ्लू भी एच1एन1 वायरस के ही एक और रूप से फैलती है। माना जाता है कि 2009 में 70 करोड़ से 140 करोड़ लोग असिम्प्टोमेटिक (बिना लक्षणों वाले) स्वाइन फ्लू से संक्रमित हुए, जो उस समय की 6.8 अरब आबादी का करीब 11 से 21% था। मगर इंसानों ने इसे भी काबू कर लिया। डब्लूएचओ ने 2010 में इस महामारी को भी समाप्त घोषित कर दिया। हंतावायरस: संक्रमित चूहे या गिलहरी से फैला, चीन में बनी वैक्सीन चूहों से फैलने वाले हंता वायरस के बारे में 1993 में पहली बार पता चला था। जब अमेरिका में एक कपल इस वायरस से संक्रमित होने के कारण मर गया था। इसके बाद कुछ ही महीनों में इस बीमारी से 600 लोगों की मौत हो गई थी। हंता वायरस से संक्रमित चूहे या गिलहरी किसी इंसान को काट लें तो इससे भी संक्रमण फैल सकता है। इस वायरस के फैलने का एक प्रमुख कारण चूहों के मल-मूत्र की जगह के संपर्क में आना है। कोरियाई युद्ध के दौरान हंता वायरस की वजह से 3000 सैनिक बीमार हुए थे, इनमें से 12 फीसदी मारे गए थे। रैबीज : हर साल 20 हजार लोगों की मौत, वैक्सीन से पक्का बचाव मुमकिन रैबीज एक वायरल बीमारी है, इसके कारण गर्म रक्त वाले जीवों के मस्तिष्क में सूजन (एक्यूट इन्सेफेलाइटिस) होती है। 99% यह बीमारी कुत्तों के काटने या उनसे खरोंच लगने के कारण होता है। भारत में हर साल 20 हजार लोगों की जान रैबीज से जाती है, जिनमें 40% की उम्र 15 साल से कम होती है। जबकि पूरी दुनिया में यह आंकड़ा 59 हजार है। 150 से ज्यादा देशों में फैली इस बीमारी की एंटी रैबीज वैक्सीन मुफ्त लगाई जाती हैं। यह आमतौर पर कुत्तों के काटने और संक्रमित जानवरों से खरोंच लगने के कारण होता है। प्रसिद्ध फ्रेंच वैज्ञानिक लुई पाश्चर ने 6 जुलाई 1885 में रैबीज के टीके का सफल परीक्षण किया। उनकी इस खोज ने मेडिकल की दुनिया में क्रांति ला दी और मानवता को एक बड़े संकट से बचा लिया था। इबोला: 44 सालों में 16 देशों में फैला, इसकी वैक्सीन बनी इबोला सबसे पहले 1967 में सामने आया था। 44 सालों के बाद भी इस वायरस को पूरी तरह खत्म नहीं किया जा सका है। 44 सालों में यह वायरस 16 देशों में फैल चुका है। सीरिया, लाइबेरिया और गिनी में इसके सबसे ज्यादा मामले सामने आए। 31 हजार मामलों में 28 हजार से ज्यादा मामले इन तीन देशों में आए, जो कुल मामलों का 92% है। इसे डब्ल्यूएचओ ने पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया। इस संक्रमण से अभी तक करीब 13 हजार लोगों की जान जा चुकी है। 2013 से 2016 के बीच ही सीरिया, लाइबेरिया और गिनी के 11,300 लोगों की जान ली इस संक्रमण से गई। मर्स : 8 सालों में 27 देशों तक पहुंचा, 5 वैक्सीन तैयार होने की कगार पर वायरस सबसे पहले 2012 में सउदी अरेबिया में सामने आया और फिर 2015 में साउथ कोरिया। । जिस वर्ग से सार्स कोरोना वायरस और मौजूदा कोविड-19 आते हैं, उसी वर्ग से मर्स का भी संबंध था। सबसे पहले यह बीमारी ऊंटों को हुई और उससे इंसानो में फैली।। पिछले 8 साल में इसके मामले सामने आ रहे हैं। आठ साल में यह वायरस 27 देशों में फैल चुका है। अभी तक इस वायरस के 2494 मामले सामने आ चुके हैं। इसके चलते अब तक 858 लोगों की जान जा चुकी है। इस वायरस की मृत्यु दर 34% से ऊपर है। रोटावायरस : हर साल 4 लाख बच्चों की मौत, वैक्सीन से इसे भी मारना मुमकिन विकासशील देशों में रोटावायरस छोटे बच्चों का अपना शिकार ज्यादा बनाता है। 2008 में रोटावायरस के संक्रमण से 5 साल से ज्यादा उम्र के करीब 4.5 लाख बच्चों की मौत हो गई थी, वहीं 2013 में रोटावायरस के संक्रमण के कारण लगभग 2,15,000 मौतें हुई थी, जिसमें ज्यादातर बच्चे ही थे। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार हर साल इस रोग से करीब 4 लाख बच्चों की मौत हो जाती हैं। इससे संक्रमित बच्चों में डायरिया की गंभीर शिकायत पाई जाती है। पहला वैक्सीन 2006 में मैक्सिको को मिला था। बाजार में अब इसके दो वैक्सीन उपलब्ध हैं। मारबर्ग : मरने की दर 90%, 2019 में अमेरिका ने बनाई वैक्सीन आज से 53 साल पहले 1967 में यह वायरस सर्बिया और युगोस्लाविया में सबसे पहले सामने आया। यह वायरस जर्मनी की एक लैब से लीक हो गया था, जो कि बंदरों से इंसानों में आया था। 1967 से लेकर 2014 तक इस वायरस के मामले सामने आते रहे। 13 देशों में इस वायरस का असर देखा गया, जिसमें से अधिकतर अफ्रीकी देश हैं। अब तक इस वायरस के सिर्फ 587 मामले सामने आए हैं। सबसे ज्यादा मामले अंगोला और डीआर कांगो में सामने आए हैं। दोनों देशों को मिलाकर 528 मामले होते हैं, जो कुल मामलों का लगभग 90% है। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि सिर्फ 587 मामलों में 475 लोगों की मौत हो गई। यह दुनिया का सबसे जानलेवा वायरस है। कोरोना : भारत में बनेगी रूसी वैक्सीन स्पूतनिक वी चीन के वुहान शहर से शुरू हुआ कोरोना वायरस दुनियाभर में एक खतरनाक महामारी का रूप ले चुका है। दुनिया में अब तक कोरोना के 6 करोड़ 30 लाख मामले सामने आ चुके हैं। 14 लाख 66 हजार लोगों की मौत हो चुकी है। अच्छी बात ये कि अब तक 4 करोड़ 36 लाख लोग ठीक हो चुके हैं। भारत में अब तक अब तक 94.32 लाख लोग संक्रमित हो चुके हैं, 88.46 लाख लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 1.37 लाख मरीजों की मौत हो चुकी है। दुनिया में कोरोना की करीब 48 वैक्सीन विकसित की जा रही हैं। इनमें से करीब 9 वैक्सीन का ट्रायल तीसरे चरण में हैं। माना जा रहा है कि 2021 जून-जुलाई में इसकी भी वैक्सीन तैयार हो जाएगी। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें We won over the deadly virus from the corona that attacked humans, the goal of eradicating HIV from the world by 2030 https://ift.tt/36lalQt Dainik Bhaskar इंसान ने 50 करोड़ जान लेने वाले चेचक को मारा, कई वायरस के टीके बनाए, एचआईवी-कोरोना भी मरेंगे Reviewed by Manish Pethev on December 01, 2020 Rating: 5

सभ्यताओं के विकास के साथ-साथ इंसान लगातार जानलेवा वायरसों का हमला झेलता रहा है। इनसे करोड़ों लोगों की जान भी चली गई। हर बार लगा कि इंसानों पर इससे बड़ा खतरा कभी नहीं मंडराया, मगर तर्कशक्ति के बूते विज्ञान से लैस इंसानों ने बड़े से बड़े वायरस को काबू कर लिया। आधुनिक समय का ऐसा ही एक वायरस है एचआईवी। जो जानलेवा एड्स की वजह बनता है। कई दशकों की दहशत के बाद आखिर 2015 में संयुक्त राष्ट्र की अगुवाई में सभी देशों ने 2030 तक इसे दुनिया से मिटाने का ऐलान कर दिया है और हम धीरे-धीरे इस ओर बढ़ भी रहे हैं। मौजूदा समय में पूरी दुनिया कोरोना वायरस के ऐसे ही हमले का सामना कर रही है। भारत समेत बड़े-बड़े देश इससे हिल गए, मगर इस बार भी इंसानों के जज्बे ने कोरोना पर लगाम कसना शुरू दिया है। दुनिया में कोरोना की करीब 48 वैक्सीन विकसित की जा रही हैं। इनमें से करीब 9 वैक्सीन का ट्रायल तीसरे चरण में हैं। माना जा रहा है कि 2021 में कोरोना पर भी इंसान निर्णायक जीत हासिल कर लेगा। दरअसल, वायरस धरती पर मौजूद सबसे पुराने जीवों में से एक हैं। साइंटिफिक अमेरिकन मैगजीन के अनुसार करीब 6 लाख ऐसे वायरस हैं जो जानवरों से इंसानों में प्रवेश कर सकते हैं। एचआईवी, कोरोना के अलावा स्मॉलपॉक्स या चेचक, सार्स, इबोला, स्वाइन फ्लू, रैबीज भी ऐसे ही जानलेवा वायरस हैं। चेचक ने तो 18वीं और 19वीं सदी में 50 करोड़ से ज्यादा लोगों की जान ले ली थी, मगर हमने वैक्सीन बनाकर दुनिया से इसे खत्म कर दिया। वर्ल्ड एड्स डे पर हम आपको बता रहे हैं इंसानों पर हमला करने वाले 10 सबसे खतरनाक वायरस और उसपर इंसानी जीत की कहानी। एचआईवी : संक्रमण फैलने की रफ्तार थमी, 2030 तक जड़ से करेंगे खत्म आधुनिक दुनिया का खतरनाक वायरस है। पिछले एक दशक में एचआईवी फैलने की रफ्तार थमी है, मगर भारत में अभी चुनौती बाकी है। भारत में करीब 22 लाख एड्स पीड़ित हैं। यूएन एड्स की रिपोर्ट के अनुसार भारत में 2018 में 88 हजार नए मरीज मिले वहीं एड्स से 69 हजार लोगों की मौत हुई। दुनिया के कुल एड्स मरीजों के 10% भारत में है। इंडेक्समंडी पोर्टल के हिसाब से दक्षिण अफ्रीका और नाइजीरिया के बाद भारत में एड्स के सबसे ज्यादा मरीज हैं। ऐसी समस्याओं के बावजूद संयुक्त राष्ट्र की ओर से 2015 में तय 12 सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) में से तीसरे लक्ष्य (बेहतर स्वास्थ्य और कल्याण) के तहत 2030 तक एचआईवी को खत्म करना है। प्रोजेक्ट के तहत 2030 तक नए एचआईवी एड्स से होने वाली मौतों को 90-90% तक कम करना है। इसे प्रोजेक्ट-90 भी कहा जाता है। इसके तहत टारगेट है कि एचआईवी संक्रमितों में 90% को खुद के संक्रमित होने का पता हो संक्रमित होने का पता चलने पर कम से कम 90% को इलाज मिले इलाज कराने वाले 90% मरीजों में दवाओं से वायरल लोड बेहद कम हो चेचक : इतिहास का पहला वायरस जिसे वैक्सीन से पूरी तरह खत्म किया गया इंसान चेचक के भयानक प्रकोप के कई दौर देख चुका है। वैरियोला वायरस से फैले इस महामारी की शुरुआत यों 1520 में मानी जाती है, मगर मिस्र में मिली ममी में भी इसके सबूत मिले हैं। किसी भी वायरस की तुलना में चेचक दुनिया के सबसे अधिक लोगों की जान (30 से 50 करोड़ मौत) ले चुका है। इससे जान जाने की दर 90% है। अकेले बीसवीं सदी में ही इस बीमारी से 20 करोड़ लोगों की मौत हुई। हालांकि वैक्सीनेशन के जरिए इस वायरस को अब दुनिया से पूरी तरह खत्म कर दिया गया है। 1796 में ब्रिटेन के डॉक्टर एडवर्ड जेनर ने इसकी पहली वैक्सीन ईजाद की थी। मानवता के इतिहास में केवल चेचक ऐसी बीमारी है, जिस पर किसी दवा या वैक्सीन के जरिए पूरी तरह नियंत्रण पाया जा सका। 1979 में डब्लूएचओ ने पूरी दुनिया को चेचक मुक्त घोषित कर दिया था। इन्फ्लुएंजा- इसके किसी न किसी वायरस से हर साल करीब 5 लाख लोग गंवाते हैं जान आम खांसी-जुकाम को भी फ्लू कहते हैं और स्पेनिश फ्लू को भी। इन्फ्लूएंजा के 4 कैटेगरी के वायरस कई तरह के संक्रमण के लिए जिम्मेदार है। स्पेनिश फ्लू इंसान के हालिया इतिहास की सबसे भयंकर महामारियों में से एक है। माना जाता है कि इससे 5 करोड़ लोगों मौत हुई थी। मौजूदा कोरोना की तरह स्पेनिश फ्लू से निपटने के लिए भी लोगों को क्वारंटीन किया जाता था। 1968 में फैले हॉन्गकॉन्ग फ्लू से दस लाख लोगों की जान गई थी। आज भी वो वायरस सीजनल फ्लू के तौर पर हमारे बीच में है। इसी तरह स्वाइन फ्लू भी एच1एन1 वायरस के ही एक और रूप से फैलती है। माना जाता है कि 2009 में 70 करोड़ से 140 करोड़ लोग असिम्प्टोमेटिक (बिना लक्षणों वाले) स्वाइन फ्लू से संक्रमित हुए, जो उस समय की 6.8 अरब आबादी का करीब 11 से 21% था। मगर इंसानों ने इसे भी काबू कर लिया। डब्लूएचओ ने 2010 में इस महामारी को भी समाप्त घोषित कर दिया। हंतावायरस: संक्रमित चूहे या गिलहरी से फैला, चीन में बनी वैक्सीन चूहों से फैलने वाले हंता वायरस के बारे में 1993 में पहली बार पता चला था। जब अमेरिका में एक कपल इस वायरस से संक्रमित होने के कारण मर गया था। इसके बाद कुछ ही महीनों में इस बीमारी से 600 लोगों की मौत हो गई थी। हंता वायरस से संक्रमित चूहे या गिलहरी किसी इंसान को काट लें तो इससे भी संक्रमण फैल सकता है। इस वायरस के फैलने का एक प्रमुख कारण चूहों के मल-मूत्र की जगह के संपर्क में आना है। कोरियाई युद्ध के दौरान हंता वायरस की वजह से 3000 सैनिक बीमार हुए थे, इनमें से 12 फीसदी मारे गए थे। रैबीज : हर साल 20 हजार लोगों की मौत, वैक्सीन से पक्का बचाव मुमकिन रैबीज एक वायरल बीमारी है, इसके कारण गर्म रक्त वाले जीवों के मस्तिष्क में सूजन (एक्यूट इन्सेफेलाइटिस) होती है। 99% यह बीमारी कुत्तों के काटने या उनसे खरोंच लगने के कारण होता है। भारत में हर साल 20 हजार लोगों की जान रैबीज से जाती है, जिनमें 40% की उम्र 15 साल से कम होती है। जबकि पूरी दुनिया में यह आंकड़ा 59 हजार है। 150 से ज्यादा देशों में फैली इस बीमारी की एंटी रैबीज वैक्सीन मुफ्त लगाई जाती हैं। यह आमतौर पर कुत्तों के काटने और संक्रमित जानवरों से खरोंच लगने के कारण होता है। प्रसिद्ध फ्रेंच वैज्ञानिक लुई पाश्चर ने 6 जुलाई 1885 में रैबीज के टीके का सफल परीक्षण किया। उनकी इस खोज ने मेडिकल की दुनिया में क्रांति ला दी और मानवता को एक बड़े संकट से बचा लिया था। इबोला: 44 सालों में 16 देशों में फैला, इसकी वैक्सीन बनी इबोला सबसे पहले 1967 में सामने आया था। 44 सालों के बाद भी इस वायरस को पूरी तरह खत्म नहीं किया जा सका है। 44 सालों में यह वायरस 16 देशों में फैल चुका है। सीरिया, लाइबेरिया और गिनी में इसके सबसे ज्यादा मामले सामने आए। 31 हजार मामलों में 28 हजार से ज्यादा मामले इन तीन देशों में आए, जो कुल मामलों का 92% है। इसे डब्ल्यूएचओ ने पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया। इस संक्रमण से अभी तक करीब 13 हजार लोगों की जान जा चुकी है। 2013 से 2016 के बीच ही सीरिया, लाइबेरिया और गिनी के 11,300 लोगों की जान ली इस संक्रमण से गई। मर्स : 8 सालों में 27 देशों तक पहुंचा, 5 वैक्सीन तैयार होने की कगार पर वायरस सबसे पहले 2012 में सउदी अरेबिया में सामने आया और फिर 2015 में साउथ कोरिया। । जिस वर्ग से सार्स कोरोना वायरस और मौजूदा कोविड-19 आते हैं, उसी वर्ग से मर्स का भी संबंध था। सबसे पहले यह बीमारी ऊंटों को हुई और उससे इंसानो में फैली।। पिछले 8 साल में इसके मामले सामने आ रहे हैं। आठ साल में यह वायरस 27 देशों में फैल चुका है। अभी तक इस वायरस के 2494 मामले सामने आ चुके हैं। इसके चलते अब तक 858 लोगों की जान जा चुकी है। इस वायरस की मृत्यु दर 34% से ऊपर है। रोटावायरस : हर साल 4 लाख बच्चों की मौत, वैक्सीन से इसे भी मारना मुमकिन विकासशील देशों में रोटावायरस छोटे बच्चों का अपना शिकार ज्यादा बनाता है। 2008 में रोटावायरस के संक्रमण से 5 साल से ज्यादा उम्र के करीब 4.5 लाख बच्चों की मौत हो गई थी, वहीं 2013 में रोटावायरस के संक्रमण के कारण लगभग 2,15,000 मौतें हुई थी, जिसमें ज्यादातर बच्चे ही थे। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार हर साल इस रोग से करीब 4 लाख बच्चों की मौत हो जाती हैं। इससे संक्रमित बच्चों में डायरिया की गंभीर शिकायत पाई जाती है। पहला वैक्सीन 2006 में मैक्सिको को मिला था। बाजार में अब इसके दो वैक्सीन उपलब्ध हैं। मारबर्ग : मरने की दर 90%, 2019 में अमेरिका ने बनाई वैक्सीन आज से 53 साल पहले 1967 में यह वायरस सर्बिया और युगोस्लाविया में सबसे पहले सामने आया। यह वायरस जर्मनी की एक लैब से लीक हो गया था, जो कि बंदरों से इंसानों में आया था। 1967 से लेकर 2014 तक इस वायरस के मामले सामने आते रहे। 13 देशों में इस वायरस का असर देखा गया, जिसमें से अधिकतर अफ्रीकी देश हैं। अब तक इस वायरस के सिर्फ 587 मामले सामने आए हैं। सबसे ज्यादा मामले अंगोला और डीआर कांगो में सामने आए हैं। दोनों देशों को मिलाकर 528 मामले होते हैं, जो कुल मामलों का लगभग 90% है। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि सिर्फ 587 मामलों में 475 लोगों की मौत हो गई। यह दुनिया का सबसे जानलेवा वायरस है। कोरोना : भारत में बनेगी रूसी वैक्सीन स्पूतनिक वी चीन के वुहान शहर से शुरू हुआ कोरोना वायरस दुनियाभर में एक खतरनाक महामारी का रूप ले चुका है। दुनिया में अब तक कोरोना के 6 करोड़ 30 लाख मामले सामने आ चुके हैं। 14 लाख 66 हजार लोगों की मौत हो चुकी है। अच्छी बात ये कि अब तक 4 करोड़ 36 लाख लोग ठीक हो चुके हैं। भारत में अब तक अब तक 94.32 लाख लोग संक्रमित हो चुके हैं, 88.46 लाख लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 1.37 लाख मरीजों की मौत हो चुकी है। दुनिया में कोरोना की करीब 48 वैक्सीन विकसित की जा रही हैं। इनमें से करीब 9 वैक्सीन का ट्रायल तीसरे चरण में हैं। माना जा रहा है कि 2021 जून-जुलाई में इसकी भी वैक्सीन तैयार हो जाएगी। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें We won over the deadly virus from the corona that attacked humans, the goal of eradicating HIV from the world by 2030 https://ift.tt/36lalQt Dainik Bhaskar इंसान ने 50 करोड़ जान लेने वाले चेचक को मारा, कई वायरस के टीके बनाए, एचआईवी-कोरोना भी मरेंगे

सभ्यताओं के विकास के साथ-साथ इंसान लगातार जानलेवा वायरसों का हमला झेलता रहा है। इनसे करोड़ों लोगों की जान भी चली गई। हर बार लगा कि इंसानों ...
- December 01, 2020
सभ्यताओं के विकास के साथ-साथ इंसान लगातार जानलेवा वायरसों का हमला झेलता रहा है। इनसे करोड़ों लोगों की जान भी चली गई। हर बार लगा कि इंसानों पर इससे बड़ा खतरा कभी नहीं मंडराया, मगर तर्कशक्ति के बूते विज्ञान से लैस इंसानों ने बड़े से बड़े वायरस को काबू कर लिया। आधुनिक समय का ऐसा ही एक वायरस है एचआईवी। जो जानलेवा एड्स की वजह बनता है। कई दशकों की दहशत के बाद आखिर 2015 में संयुक्त राष्ट्र की अगुवाई में सभी देशों ने 2030 तक इसे दुनिया से मिटाने का ऐलान कर दिया है और हम धीरे-धीरे इस ओर बढ़ भी रहे हैं। मौजूदा समय में पूरी दुनिया कोरोना वायरस के ऐसे ही हमले का सामना कर रही है। भारत समेत बड़े-बड़े देश इससे हिल गए, मगर इस बार भी इंसानों के जज्बे ने कोरोना पर लगाम कसना शुरू दिया है। दुनिया में कोरोना की करीब 48 वैक्सीन विकसित की जा रही हैं। इनमें से करीब 9 वैक्सीन का ट्रायल तीसरे चरण में हैं। माना जा रहा है कि 2021 में कोरोना पर भी इंसान निर्णायक जीत हासिल कर लेगा। दरअसल, वायरस धरती पर मौजूद सबसे पुराने जीवों में से एक हैं। साइंटिफिक अमेरिकन मैगजीन के अनुसार करीब 6 लाख ऐसे वायरस हैं जो जानवरों से इंसानों में प्रवेश कर सकते हैं। एचआईवी, कोरोना के अलावा स्मॉलपॉक्स या चेचक, सार्स, इबोला, स्वाइन फ्लू, रैबीज भी ऐसे ही जानलेवा वायरस हैं। चेचक ने तो 18वीं और 19वीं सदी में 50 करोड़ से ज्यादा लोगों की जान ले ली थी, मगर हमने वैक्सीन बनाकर दुनिया से इसे खत्म कर दिया। वर्ल्ड एड्स डे पर हम आपको बता रहे हैं इंसानों पर हमला करने वाले 10 सबसे खतरनाक वायरस और उसपर इंसानी जीत की कहानी। एचआईवी : संक्रमण फैलने की रफ्तार थमी, 2030 तक जड़ से करेंगे खत्म आधुनिक दुनिया का खतरनाक वायरस है। पिछले एक दशक में एचआईवी फैलने की रफ्तार थमी है, मगर भारत में अभी चुनौती बाकी है। भारत में करीब 22 लाख एड्स पीड़ित हैं। यूएन एड्स की रिपोर्ट के अनुसार भारत में 2018 में 88 हजार नए मरीज मिले वहीं एड्स से 69 हजार लोगों की मौत हुई। दुनिया के कुल एड्स मरीजों के 10% भारत में है। इंडेक्समंडी पोर्टल के हिसाब से दक्षिण अफ्रीका और नाइजीरिया के बाद भारत में एड्स के सबसे ज्यादा मरीज हैं। ऐसी समस्याओं के बावजूद संयुक्त राष्ट्र की ओर से 2015 में तय 12 सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) में से तीसरे लक्ष्य (बेहतर स्वास्थ्य और कल्याण) के तहत 2030 तक एचआईवी को खत्म करना है। प्रोजेक्ट के तहत 2030 तक नए एचआईवी एड्स से होने वाली मौतों को 90-90% तक कम करना है। इसे प्रोजेक्ट-90 भी कहा जाता है। इसके तहत टारगेट है कि एचआईवी संक्रमितों में 90% को खुद के संक्रमित होने का पता हो संक्रमित होने का पता चलने पर कम से कम 90% को इलाज मिले इलाज कराने वाले 90% मरीजों में दवाओं से वायरल लोड बेहद कम हो चेचक : इतिहास का पहला वायरस जिसे वैक्सीन से पूरी तरह खत्म किया गया इंसान चेचक के भयानक प्रकोप के कई दौर देख चुका है। वैरियोला वायरस से फैले इस महामारी की शुरुआत यों 1520 में मानी जाती है, मगर मिस्र में मिली ममी में भी इसके सबूत मिले हैं। किसी भी वायरस की तुलना में चेचक दुनिया के सबसे अधिक लोगों की जान (30 से 50 करोड़ मौत) ले चुका है। इससे जान जाने की दर 90% है। अकेले बीसवीं सदी में ही इस बीमारी से 20 करोड़ लोगों की मौत हुई। हालांकि वैक्सीनेशन के जरिए इस वायरस को अब दुनिया से पूरी तरह खत्म कर दिया गया है। 1796 में ब्रिटेन के डॉक्टर एडवर्ड जेनर ने इसकी पहली वैक्सीन ईजाद की थी। मानवता के इतिहास में केवल चेचक ऐसी बीमारी है, जिस पर किसी दवा या वैक्सीन के जरिए पूरी तरह नियंत्रण पाया जा सका। 1979 में डब्लूएचओ ने पूरी दुनिया को चेचक मुक्त घोषित कर दिया था। इन्फ्लुएंजा- इसके किसी न किसी वायरस से हर साल करीब 5 लाख लोग गंवाते हैं जान आम खांसी-जुकाम को भी फ्लू कहते हैं और स्पेनिश फ्लू को भी। इन्फ्लूएंजा के 4 कैटेगरी के वायरस कई तरह के संक्रमण के लिए जिम्मेदार है। स्पेनिश फ्लू इंसान के हालिया इतिहास की सबसे भयंकर महामारियों में से एक है। माना जाता है कि इससे 5 करोड़ लोगों मौत हुई थी। मौजूदा कोरोना की तरह स्पेनिश फ्लू से निपटने के लिए भी लोगों को क्वारंटीन किया जाता था। 1968 में फैले हॉन्गकॉन्ग फ्लू से दस लाख लोगों की जान गई थी। आज भी वो वायरस सीजनल फ्लू के तौर पर हमारे बीच में है। इसी तरह स्वाइन फ्लू भी एच1एन1 वायरस के ही एक और रूप से फैलती है। माना जाता है कि 2009 में 70 करोड़ से 140 करोड़ लोग असिम्प्टोमेटिक (बिना लक्षणों वाले) स्वाइन फ्लू से संक्रमित हुए, जो उस समय की 6.8 अरब आबादी का करीब 11 से 21% था। मगर इंसानों ने इसे भी काबू कर लिया। डब्लूएचओ ने 2010 में इस महामारी को भी समाप्त घोषित कर दिया। हंतावायरस: संक्रमित चूहे या गिलहरी से फैला, चीन में बनी वैक्सीन चूहों से फैलने वाले हंता वायरस के बारे में 1993 में पहली बार पता चला था। जब अमेरिका में एक कपल इस वायरस से संक्रमित होने के कारण मर गया था। इसके बाद कुछ ही महीनों में इस बीमारी से 600 लोगों की मौत हो गई थी। हंता वायरस से संक्रमित चूहे या गिलहरी किसी इंसान को काट लें तो इससे भी संक्रमण फैल सकता है। इस वायरस के फैलने का एक प्रमुख कारण चूहों के मल-मूत्र की जगह के संपर्क में आना है। कोरियाई युद्ध के दौरान हंता वायरस की वजह से 3000 सैनिक बीमार हुए थे, इनमें से 12 फीसदी मारे गए थे। रैबीज : हर साल 20 हजार लोगों की मौत, वैक्सीन से पक्का बचाव मुमकिन रैबीज एक वायरल बीमारी है, इसके कारण गर्म रक्त वाले जीवों के मस्तिष्क में सूजन (एक्यूट इन्सेफेलाइटिस) होती है। 99% यह बीमारी कुत्तों के काटने या उनसे खरोंच लगने के कारण होता है। भारत में हर साल 20 हजार लोगों की जान रैबीज से जाती है, जिनमें 40% की उम्र 15 साल से कम होती है। जबकि पूरी दुनिया में यह आंकड़ा 59 हजार है। 150 से ज्यादा देशों में फैली इस बीमारी की एंटी रैबीज वैक्सीन मुफ्त लगाई जाती हैं। यह आमतौर पर कुत्तों के काटने और संक्रमित जानवरों से खरोंच लगने के कारण होता है। प्रसिद्ध फ्रेंच वैज्ञानिक लुई पाश्चर ने 6 जुलाई 1885 में रैबीज के टीके का सफल परीक्षण किया। उनकी इस खोज ने मेडिकल की दुनिया में क्रांति ला दी और मानवता को एक बड़े संकट से बचा लिया था। इबोला: 44 सालों में 16 देशों में फैला, इसकी वैक्सीन बनी इबोला सबसे पहले 1967 में सामने आया था। 44 सालों के बाद भी इस वायरस को पूरी तरह खत्म नहीं किया जा सका है। 44 सालों में यह वायरस 16 देशों में फैल चुका है। सीरिया, लाइबेरिया और गिनी में इसके सबसे ज्यादा मामले सामने आए। 31 हजार मामलों में 28 हजार से ज्यादा मामले इन तीन देशों में आए, जो कुल मामलों का 92% है। इसे डब्ल्यूएचओ ने पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया। इस संक्रमण से अभी तक करीब 13 हजार लोगों की जान जा चुकी है। 2013 से 2016 के बीच ही सीरिया, लाइबेरिया और गिनी के 11,300 लोगों की जान ली इस संक्रमण से गई। मर्स : 8 सालों में 27 देशों तक पहुंचा, 5 वैक्सीन तैयार होने की कगार पर वायरस सबसे पहले 2012 में सउदी अरेबिया में सामने आया और फिर 2015 में साउथ कोरिया। । जिस वर्ग से सार्स कोरोना वायरस और मौजूदा कोविड-19 आते हैं, उसी वर्ग से मर्स का भी संबंध था। सबसे पहले यह बीमारी ऊंटों को हुई और उससे इंसानो में फैली।। पिछले 8 साल में इसके मामले सामने आ रहे हैं। आठ साल में यह वायरस 27 देशों में फैल चुका है। अभी तक इस वायरस के 2494 मामले सामने आ चुके हैं। इसके चलते अब तक 858 लोगों की जान जा चुकी है। इस वायरस की मृत्यु दर 34% से ऊपर है। रोटावायरस : हर साल 4 लाख बच्चों की मौत, वैक्सीन से इसे भी मारना मुमकिन विकासशील देशों में रोटावायरस छोटे बच्चों का अपना शिकार ज्यादा बनाता है। 2008 में रोटावायरस के संक्रमण से 5 साल से ज्यादा उम्र के करीब 4.5 लाख बच्चों की मौत हो गई थी, वहीं 2013 में रोटावायरस के संक्रमण के कारण लगभग 2,15,000 मौतें हुई थी, जिसमें ज्यादातर बच्चे ही थे। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार हर साल इस रोग से करीब 4 लाख बच्चों की मौत हो जाती हैं। इससे संक्रमित बच्चों में डायरिया की गंभीर शिकायत पाई जाती है। पहला वैक्सीन 2006 में मैक्सिको को मिला था। बाजार में अब इसके दो वैक्सीन उपलब्ध हैं। मारबर्ग : मरने की दर 90%, 2019 में अमेरिका ने बनाई वैक्सीन आज से 53 साल पहले 1967 में यह वायरस सर्बिया और युगोस्लाविया में सबसे पहले सामने आया। यह वायरस जर्मनी की एक लैब से लीक हो गया था, जो कि बंदरों से इंसानों में आया था। 1967 से लेकर 2014 तक इस वायरस के मामले सामने आते रहे। 13 देशों में इस वायरस का असर देखा गया, जिसमें से अधिकतर अफ्रीकी देश हैं। अब तक इस वायरस के सिर्फ 587 मामले सामने आए हैं। सबसे ज्यादा मामले अंगोला और डीआर कांगो में सामने आए हैं। दोनों देशों को मिलाकर 528 मामले होते हैं, जो कुल मामलों का लगभग 90% है। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि सिर्फ 587 मामलों में 475 लोगों की मौत हो गई। यह दुनिया का सबसे जानलेवा वायरस है। कोरोना : भारत में बनेगी रूसी वैक्सीन स्पूतनिक वी चीन के वुहान शहर से शुरू हुआ कोरोना वायरस दुनियाभर में एक खतरनाक महामारी का रूप ले चुका है। दुनिया में अब तक कोरोना के 6 करोड़ 30 लाख मामले सामने आ चुके हैं। 14 लाख 66 हजार लोगों की मौत हो चुकी है। अच्छी बात ये कि अब तक 4 करोड़ 36 लाख लोग ठीक हो चुके हैं। भारत में अब तक अब तक 94.32 लाख लोग संक्रमित हो चुके हैं, 88.46 लाख लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 1.37 लाख मरीजों की मौत हो चुकी है। दुनिया में कोरोना की करीब 48 वैक्सीन विकसित की जा रही हैं। इनमें से करीब 9 वैक्सीन का ट्रायल तीसरे चरण में हैं। माना जा रहा है कि 2021 जून-जुलाई में इसकी भी वैक्सीन तैयार हो जाएगी। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें We won over the deadly virus from the corona that attacked humans, the goal of eradicating HIV from the world by 2030 https://ift.tt/36lalQt Dainik Bhaskar इंसान ने 50 करोड़ जान लेने वाले चेचक को मारा, कई वायरस के टीके बनाए, एचआईवी-कोरोना भी मरेंगे 

सभ्यताओं के विकास के साथ-साथ इंसान लगातार जानलेवा वायरसों का हमला झेलता रहा है। इनसे करोड़ों लोगों की जान भी चली गई। हर बार लगा कि इंसानों पर इससे बड़ा खतरा कभी नहीं मंडराया, मगर तर्कशक्ति के बूते विज्ञान से लैस इंसानों ने बड़े से बड़े वायरस को काबू कर लिया। आधुनिक समय का ऐसा ही एक वायरस है एचआईवी। जो जानलेवा एड्स की वजह बनता है। कई दशकों की दहशत के बाद आखिर 2015 में संयुक्त राष्ट्र की अगुवाई में सभी देशों ने 2030 तक इसे दुनिया से मिटाने का ऐलान कर दिया है और हम धीरे-धीरे इस ओर बढ़ भी रहे हैं।

मौजूदा समय में पूरी दुनिया कोरोना वायरस के ऐसे ही हमले का सामना कर रही है। भारत समेत बड़े-बड़े देश इससे हिल गए, मगर इस बार भी इंसानों के जज्बे ने कोरोना पर लगाम कसना शुरू दिया है। दुनिया में कोरोना की करीब 48 वैक्सीन विकसित की जा रही हैं। इनमें से करीब 9 वैक्सीन का ट्रायल तीसरे चरण में हैं। माना जा रहा है कि 2021 में कोरोना पर भी इंसान निर्णायक जीत हासिल कर लेगा।

दरअसल, वायरस धरती पर मौजूद सबसे पुराने जीवों में से एक हैं। साइंटिफिक अमेरिकन मैगजीन के अनुसार करीब 6 लाख ऐसे वायरस हैं जो जानवरों से इंसानों में प्रवेश कर सकते हैं। एचआईवी, कोरोना के अलावा स्मॉलपॉक्स या चेचक, सार्स, इबोला, स्वाइन फ्लू, रैबीज भी ऐसे ही जानलेवा वायरस हैं। चेचक ने तो 18वीं और 19वीं सदी में 50 करोड़ से ज्यादा लोगों की जान ले ली थी, मगर हमने वैक्सीन बनाकर दुनिया से इसे खत्म कर दिया। वर्ल्ड एड्स डे पर हम आपको बता रहे हैं इंसानों पर हमला करने वाले 10 सबसे खतरनाक वायरस और उसपर इंसानी जीत की कहानी।

एचआईवी : संक्रमण फैलने की रफ्तार थमी, 2030 तक जड़ से करेंगे खत्म

आधुनिक दुनिया का खतरनाक वायरस है। पिछले एक दशक में एचआईवी फैलने की रफ्तार थमी है, मगर भारत में अभी चुनौती बाकी है। भारत में करीब 22 लाख एड्स पीड़ित हैं। यूएन एड्स की रिपोर्ट के अनुसार भारत में 2018 में 88 हजार नए मरीज मिले वहीं एड्स से 69 हजार लोगों की मौत हुई। दुनिया के कुल एड्स मरीजों के 10% भारत में है। इंडेक्समंडी पोर्टल के हिसाब से दक्षिण अफ्रीका और नाइजीरिया के बाद भारत में एड्स के सबसे ज्यादा मरीज हैं। ऐसी समस्याओं के बावजूद संयुक्त राष्ट्र की ओर से 2015 में तय 12 सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) में से तीसरे लक्ष्य (बेहतर स्वास्थ्य और कल्याण) के तहत 2030 तक एचआईवी को खत्म करना है। प्रोजेक्ट के तहत 2030 तक नए एचआईवी एड्स से होने वाली मौतों को 90-90% तक कम करना है। इसे प्रोजेक्ट-90 भी कहा जाता है।

इसके तहत टारगेट है कि

एचआईवी संक्रमितों में 90% को खुद के संक्रमित होने का पता हो

संक्रमित होने का पता चलने पर कम से कम 90% को इलाज मिले

इलाज कराने वाले 90% मरीजों में दवाओं से वायरल लोड बेहद कम हो

चेचक : इतिहास का पहला वायरस जिसे वैक्सीन से पूरी तरह खत्म किया गया

इंसान चेचक के भयानक प्रकोप के कई दौर देख चुका है। वैरियोला वायरस से फैले इस महामारी की शुरुआत यों 1520 में मानी जाती है, मगर मिस्र में मिली ममी में भी इसके सबूत मिले हैं। किसी भी वायरस की तुलना में चेचक दुनिया के सबसे अधिक लोगों की जान (30 से 50 करोड़ मौत) ले चुका है। इससे जान जाने की दर 90% है। अकेले बीसवीं सदी में ही इस बीमारी से 20 करोड़ लोगों की मौत हुई। हालांकि वैक्सीनेशन के जरिए इस वायरस को अब दुनिया से पूरी तरह खत्म कर दिया गया है। 1796 में ब्रिटेन के डॉक्टर एडवर्ड जेनर ने इसकी पहली वैक्सीन ईजाद की थी। मानवता के इतिहास में केवल चेचक ऐसी बीमारी है, जिस पर किसी दवा या वैक्सीन के जरिए पूरी तरह नियंत्रण पाया जा सका। 1979 में डब्लूएचओ ने पूरी दुनिया को चेचक मुक्त घोषित कर दिया था।

इन्फ्लुएंजा- इसके किसी न किसी वायरस से हर साल करीब 5 लाख लोग गंवाते हैं जान

आम खांसी-जुकाम को भी फ्लू कहते हैं और स्पेनिश फ्लू को भी। इन्फ्लूएंजा के 4 कैटेगरी के वायरस कई तरह के संक्रमण के लिए जिम्मेदार है। स्पेनिश फ्लू इंसान के हालिया इतिहास की सबसे भयंकर महामारियों में से एक है। माना जाता है कि इससे 5 करोड़ लोगों मौत हुई थी। मौजूदा कोरोना की तरह स्पेनिश फ्लू से निपटने के लिए भी लोगों को क्वारंटीन किया जाता था। 1968 में फैले हॉन्गकॉन्ग फ्लू से दस लाख लोगों की जान गई थी। आज भी वो वायरस सीजनल फ्लू के तौर पर हमारे बीच में है। इसी तरह स्वाइन फ्लू भी एच1एन1 वायरस के ही एक और रूप से फैलती है। माना जाता है कि 2009 में 70 करोड़ से 140 करोड़ लोग असिम्प्टोमेटिक (बिना लक्षणों वाले) स्वाइन फ्लू से संक्रमित हुए, जो उस समय की 6.8 अरब आबादी का करीब 11 से 21% था। मगर इंसानों ने इसे भी काबू कर लिया। डब्लूएचओ ने 2010 में इस महामारी को भी समाप्त घोषित कर दिया।

हंतावायरस: संक्रमित चूहे या गिलहरी से फैला, चीन में बनी वैक्सीन

चूहों से फैलने वाले हंता वायरस के बारे में 1993 में पहली बार पता चला था। जब अमेरिका में एक कपल इस वायरस से संक्रमित होने के कारण मर गया था। इसके बाद कुछ ही महीनों में इस बीमारी से 600 लोगों की मौत हो गई थी। हंता वायरस से संक्रमित चूहे या गिलहरी किसी इंसान को काट लें तो इससे भी संक्रमण फैल सकता है। इस वायरस के फैलने का एक प्रमुख कारण चूहों के मल-मूत्र की जगह के संपर्क में आना है। कोरियाई युद्ध के दौरान हंता वायरस की वजह से 3000 सैनिक बीमार हुए थे, इनमें से 12 फीसदी मारे गए थे।

रैबीज : हर साल 20 हजार लोगों की मौत, वैक्सीन से पक्का बचाव मुमकिन

रैबीज एक वायरल बीमारी है, इसके कारण गर्म रक्त वाले जीवों के मस्तिष्क में सूजन (एक्यूट इन्सेफेलाइटिस) होती है। 99% यह बीमारी कुत्तों के काटने या उनसे खरोंच लगने के कारण होता है। भारत में हर साल 20 हजार लोगों की जान रैबीज से जाती है, जिनमें 40% की उम्र 15 साल से कम होती है। जबकि पूरी दुनिया में यह आंकड़ा 59 हजार है। 150 से ज्यादा देशों में फैली इस बीमारी की एंटी रैबीज वैक्सीन मुफ्त लगाई जाती हैं। यह आमतौर पर कुत्तों के काटने और संक्रमित जानवरों से खरोंच लगने के कारण होता है। प्रसिद्ध फ्रेंच वैज्ञानिक लुई पाश्चर ने 6 जुलाई 1885 में रैबीज के टीके का सफल परीक्षण किया। उनकी इस खोज ने मेडिकल की दुनिया में क्रांति ला दी और मानवता को एक बड़े संकट से बचा लिया था।

इबोला: 44 सालों में 16 देशों में फैला, इसकी वैक्सीन बनी

इबोला सबसे पहले 1967 में सामने आया था। 44 सालों के बाद भी इस वायरस को पूरी तरह खत्म नहीं किया जा सका है। 44 सालों में यह वायरस 16 देशों में फैल चुका है। सीरिया, लाइबेरिया और गिनी में इसके सबसे ज्यादा मामले सामने आए। 31 हजार मामलों में 28 हजार से ज्यादा मामले इन तीन देशों में आए, जो कुल मामलों का 92% है। इसे डब्ल्यूएचओ ने पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया। इस संक्रमण से अभी तक करीब 13 हजार लोगों की जान जा चुकी है। 2013 से 2016 के बीच ही सीरिया, लाइबेरिया और गिनी के 11,300 लोगों की जान ली इस संक्रमण से गई।

मर्स : 8 सालों में 27 देशों तक पहुंचा, 5 वैक्सीन तैयार होने की कगार पर

वायरस सबसे पहले 2012 में सउदी अरेबिया में सामने आया और फिर 2015 में साउथ कोरिया। । जिस वर्ग से सार्स कोरोना वायरस और मौजूदा कोविड-19 आते हैं, उसी वर्ग से मर्स का भी संबंध था। सबसे पहले यह बीमारी ऊंटों को हुई और उससे इंसानो में फैली।। पिछले 8 साल में इसके मामले सामने आ रहे हैं। आठ साल में यह वायरस 27 देशों में फैल चुका है। अभी तक इस वायरस के 2494 मामले सामने आ चुके हैं। इसके चलते अब तक 858 लोगों की जान जा चुकी है। इस वायरस की मृत्यु दर 34% से ऊपर है।

रोटावायरस : हर साल 4 लाख बच्चों की मौत, वैक्सीन से इसे भी मारना मुमकिन

विकासशील देशों में रोटावायरस छोटे बच्चों का अपना शिकार ज्यादा बनाता है। 2008 में रोटावायरस के संक्रमण से 5 साल से ज्यादा उम्र के करीब 4.5 लाख बच्चों की मौत हो गई थी, वहीं 2013 में रोटावायरस के संक्रमण के कारण लगभग 2,15,000 मौतें हुई थी, जिसमें ज्यादातर बच्चे ही थे। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार हर साल इस रोग से करीब 4 लाख बच्चों की मौत हो जाती हैं। इससे संक्रमित बच्चों में डायरिया की गंभीर शिकायत पाई जाती है। पहला वैक्सीन 2006 में मैक्सिको को मिला था। बाजार में अब इसके दो वैक्सीन उपलब्ध हैं।

मारबर्ग : मरने की दर 90%, 2019 में अमेरिका ने बनाई वैक्सीन

आज से 53 साल पहले 1967 में यह वायरस सर्बिया और युगोस्लाविया में सबसे पहले सामने आया। यह वायरस जर्मनी की एक लैब से लीक हो गया था, जो कि बंदरों से इंसानों में आया था। 1967 से लेकर 2014 तक इस वायरस के मामले सामने आते रहे। 13 देशों में इस वायरस का असर देखा गया, जिसमें से अधिकतर अफ्रीकी देश हैं। अब तक इस वायरस के सिर्फ 587 मामले सामने आए हैं। सबसे ज्यादा मामले अंगोला और डीआर कांगो में सामने आए हैं। दोनों देशों को मिलाकर 528 मामले होते हैं, जो कुल मामलों का लगभग 90% है। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि सिर्फ 587 मामलों में 475 लोगों की मौत हो गई। यह दुनिया का सबसे जानलेवा वायरस है।

कोरोना : भारत में बनेगी रूसी वैक्सीन स्पूतनिक वी

चीन के वुहान शहर से शुरू हुआ कोरोना वायरस दुनियाभर में एक खतरनाक महामारी का रूप ले चुका है। दुनिया में अब तक कोरोना के 6 करोड़ 30 लाख मामले सामने आ चुके हैं। 14 लाख 66 हजार लोगों की मौत हो चुकी है। अच्छी बात ये कि अब तक 4 करोड़ 36 लाख लोग ठीक हो चुके हैं। भारत में अब तक अब तक 94.32 लाख लोग संक्रमित हो चुके हैं, 88.46 लाख लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 1.37 लाख मरीजों की मौत हो चुकी है। दुनिया में कोरोना की करीब 48 वैक्सीन विकसित की जा रही हैं। इनमें से करीब 9 वैक्सीन का ट्रायल तीसरे चरण में हैं। माना जा रहा है कि 2021 जून-जुलाई में इसकी भी वैक्सीन तैयार हो जाएगी।

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We won over the deadly virus from the corona that attacked humans, the goal of eradicating HIV from the world by 2030

https://ift.tt/36lalQt Dainik Bhaskar इंसान ने 50 करोड़ जान लेने वाले चेचक को मारा, कई वायरस के टीके बनाए, एचआईवी-कोरोना भी मरेंगे Reviewed by Manish Pethev on December 01, 2020 Rating: 5

ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ दूसरे वनडे में भी भारतीय टीम का प्रदर्शन निराशाजनक रहा। टीम के बॉलर्स एक बार फिर विकेट निकालने में कामयाब नहीं हुए। ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों ने जमकर उनकी क्लास ली और टॉप-5 बल्लेबाजों ने 50 से ज्यादा का स्कोर बनाया। इनमें स्टीव स्मिथ ने शानदार 104 रन की पारी खेली। वहीं, कप्तान एरॉन फिंच, डेविड वॉर्नर, मार्नस लाबुशाने और ग्लेन मैक्सवेल ने फिफ्टी लगाई। भारत ने विकेट लेने के लिए कुल 7 बॉलर्स का इस्तेमाल किया। इनमें जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद शमी, नवदीप सैनी और यजुवेंद्र चहल ने तो 70 से ज्यादा रन लुटाए। बॉलिंग की हालत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कप्तान विराट कोहली को मयंक अग्रवाल से बॉलिंग करानी पड़ी। वन-डे में वे टीमें, जिनके 5 बल्लेबाजों ने एक ही मैच में 50+ स्कोर बनाया देश किसके खिलाफ वेन्यू साल पाकिस्तान जिम्बाब्वे कराची 2008 ऑस्ट्रेलिया भारत जयपुर 2013* ऑस्ट्रेलिया भारत सिडनी 2020* *शुरुआती 5 बल्लेबाजों ने 50+ रन का स्कोर बनाया। पावर-प्ले में फिर भारतीय गेंदबाज विकेट नहीं ले सके लगातार पांचवें मैच में भारतीय बॉलर्स पावर-प्ले में एक भी विकेट नहीं ले सके। इससे पहले जनवरी-फरवरी में न्यूजीलैंड टूर पर भी भारतीय गेंदबाज पावर-प्ले में एक भी विकेट नहीं ले पाए थे। यही वजह रही कि मैच में ऑस्ट्रेलियाई टीम ने हाईएस्ट टोटल खड़ा किया। बुमराह-शमी जैसे दिग्गज तेज गेंदबाज भी कंगारू बल्लेबाजी के सामने बेबस नजर आए। पावर-प्ले में ऑस्ट्रेलियाई टीम ने बिना कोई विकेट खोए 59 रन बनाए। जडेजा-पंड्या को छोड़कर सभी बॉलर्स ने रन लुटाए रविंद्र जडेजा और हार्दिक पंड्या को छोड़कर सभी बॉलर्स ने जमकर रन लुटाए। टीम के लिए सिर्फ बुमराह और जडेजा ने ही 10 ओवर का कोटा पूरा किया। बुमराह ने मैच में सबसे ज्यादा 79 रन दिए। शमी ने 73, चहल ने 71 और सैनी ने 70 रन लुटाए। जडेजा ने अपने स्पेल में 60 रन दिए, जबकि पंड्या ने 4 ओवर में 24 रन दिए। बुमराह के लिए इंटरनेशनल क्रिकेट के लिहाज से साल 2020 कुछ खास नहीं रहा। उन्होंने 2020 में अब तक 8 वनडे खेले हैं, जिसमें उनके नाम सिर्फ 3 ही विकेट दर्ज हैं। 2019 में उन्होंने 14 वनडे मैच में 25 और 2018 में 13 वनडे मैच में 22 विकेट लिए थे। भारत के पास वॉर्नर-फिंच का तोड़ नहीं भारत के पास दूसरे मैच में भी वॉर्नर-फिंच के खिलाफ कोई प्लान देखने को नहीं मिला। दोनों ने शुरुआती 10 ओवर्स में संभलकर टीम के स्कोर को आगे बढ़ाया। इसके बाद दोनों ने आक्रामक शॉट खेलने शुरू किए। वॉर्नर ने 7 चौकों और 3 छक्कों की मदद से 83 और फिंच ने 69 बॉल पवर 60 रन बनाए। वॉर्नर ने पहले वनडे में भी फिफ्टी लगाई थी, जबकि फिंच ने 115 रन की पारी खेली थी। इन दोनों ने वनडे में अब तक कुल 12 बार शतकीय साझेदारी की है। जिसमें से 5 साझेदारियां (187, 231, 258 नॉट आउट, 156 और 142) भारत के खिलाफ रही हैं। भारत के खिलाफ दोनों का ही रिकॉर्ड शानदार है। ऑस्ट्रेलिया के लिए सबसे ज्यादा 100+ रन की ओपनिंग पार्टनरशिप गिलक्रिस्ट-हेडन के नाम ओपनर कितनी बार एडम गिलक्रिस्ट-मैथ्यू हेडन 16 एरॉन फिंच-डेविड वॉर्नर 12 रिकी पोंटिंग-माइकल क्लार्क 11 मैथ्यू हेडन-रिकी पोंटिंग 10 978 वनडे मैचों के इतिहास में पहली बार ऐसा भी हुआ डेविड वार्नर और एरॉन फिंच की सलामी जोड़ी ने एससीजी में खेले जा रहे दूसरे वनडे में पहले विकेट के लिए 142 रनों का साझेदारी की। यह इस जोड़ी की भारत के खिलाफ लगातार दूसरी शतकीय साझेदारी है। इसी मैदान पर खेले गए पहले वनडे मैच में इन दोनों ने 156 रन जोड़े थे। वनडे में यह लगातार तीसरा मौका है जब भारत के खिलाफ पहले विकेट के लिए शतकीय साझेदारी हुई हो और यह एक रिकॉर्ड भी है। 978 वनडे मैचों के इतिहास में पहली बार हुआ है कि भारत के खिलाफ लगातार तीन बार वनडे में पहले विकेट के लिए शतकीय साझेदारी हुई। इन दो वनडे मैचों से पहले माउंट माउनगानुई में न्यूजीलैंड की मार्टिन गुप्टिल और हेनरी निकोलस की जोड़ी ने पहले विकेट के लिए 106 रन जोड़े थे। भारत के खिलाफ स्मिथ का शानदार प्रदर्शन जारी भारत के खिलाफ स्टीव स्मिथ का शानदार प्रदर्शन जारी है। स्मिथ ने लगातार दूसरे वनडे में शतक जड़ा। यह भारत के खिलाफ उनका लगातार तीसरा शतक है। इस मैच से पहले स्मिथ ने 19 जनवरी को बेंगलुरू में भारत के खिलाफ 131 रनों की पारी खेली थी। इसके बाद, मौजूदा सीरीज के पहले मैच में जो इसी मैदान पर शुक्रवार को खेला गया था, उसमें स्मिथ ने 105 रन बनाए थे। भारत के खिलाफ ऐसा करने वाले वे चौथे खिलाड़ी हैं। स्मिथ ने भारतीय बॉलर्स की जमकर क्लास ली और 162.5 के स्ट्राइक रेट से रन बनाए। अपनी पारी के दौरान उन्होंने 14 चौके और 2 छक्के जड़े। स्मिथ ने लाबुशाने के साथ तीसरे विकेट के लिए 136 रन की पार्टनरशिप की। इसके लिए दोनों बल्लेबाजों ने सिर्फ 95 बॉल का सामना किया। मिडिल ओवर में रन रेट बढ़ाकर उन्होंने मैक्सवेल के लिए बेस तैयार किया। ऑस्ट्रेलिया के सबसे तेज शतक वाले खिलाड़ी खिलाड़ी किसके खिलाफ कब कहां कितनी बॉल पर ग्लेन मैक्सवेल श्रीलंका 2015 सिडनी 51 जेम्स फॉकनर भारत 2013 बेंगलुरु 57 स्टीव स्मिथ भारत 2020 सिडनी 62 स्टीव स्मिथ भारत 2020 सिडनी 62 मैथ्यू हेडन साउथ अफ्रीका 2007 बस्सेटेरे 66 मैक्सवेल की तूफानी पारी रही टर्निंग पॉइंट ऑस्ट्रेलिया ने भारत के खिलाफ सबसे बड़ा स्कोर बनाया। इस मामले में उसने पिछले मुकाबले के 374 रन को पीछे छोड़ते हुए 389 रन का स्कोर बनाया। इसमें सबसे अहम योगदान रहा ग्लेन मैक्सवेल का। मैक्सवेल ने सिर्फ 29 बॉल पर 217 से अधिक के स्ट्राइक रेट से नाबाद 63 रन बनाए। इस दौरान उन्होंने 4 चौके और 4 छक्के लगाए। भारतीय बल्लेबाज बड़ी पारी नहीं खेल सके टारगेट चेज करने उतरी भारतीय टीम के बल्लेबाजों को शुरुआत तो मिली, लेकिन वे इसे बड़ स्कोर में नहीं तब्दील कर सके। शिखर धवन (30) और मयंक अग्रवाल (58) ने टीम को अच्छी शुरुआत दिलाई, लेकिन वे वॉर्नर-फिंच की तरह मजबूत नींव नहीं रख सके। कप्तान विराट कोहली (89) और लोकेश राहुल (76) ने भारत की उम्मीदों को जगाए रखा। श्रेयस अय्यर को भी अच्छी शुरुआत मिली, लेकिन वे भी 38 रन बनाकर चलते बने। पिछले मैच में बल्ले से कमाल दिखाने वाले हार्दिक पंड्या भी 28 रन ही बना सके। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें India Tour Of Australia, India-Australia Series 2020, Virat Kohli, Steve Smith, Hardik Pandya, David Warner https://ift.tt/3lluYjU Dainik Bhaskar ऑस्ट्रेलियाई टॉप-5 बल्लेबाजों ने 50+ रन बनाए; भारत ने 7 बॉलर्स लगाए, 4 ने 70 से ज्यादा रन लुटाए

ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ दूसरे वनडे में भी भारतीय टीम का प्रदर्शन निराशाजनक रहा। टीम के बॉलर्स एक बार फिर विकेट निकालने में कामयाब नहीं हुए। ऑस...
- November 30, 2020
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ दूसरे वनडे में भी भारतीय टीम का प्रदर्शन निराशाजनक रहा। टीम के बॉलर्स एक बार फिर विकेट निकालने में कामयाब नहीं हुए। ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों ने जमकर उनकी क्लास ली और टॉप-5 बल्लेबाजों ने 50 से ज्यादा का स्कोर बनाया। इनमें स्टीव स्मिथ ने शानदार 104 रन की पारी खेली। वहीं, कप्तान एरॉन फिंच, डेविड वॉर्नर, मार्नस लाबुशाने और ग्लेन मैक्सवेल ने फिफ्टी लगाई। भारत ने विकेट लेने के लिए कुल 7 बॉलर्स का इस्तेमाल किया। इनमें जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद शमी, नवदीप सैनी और यजुवेंद्र चहल ने तो 70 से ज्यादा रन लुटाए। बॉलिंग की हालत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कप्तान विराट कोहली को मयंक अग्रवाल से बॉलिंग करानी पड़ी। वन-डे में वे टीमें, जिनके 5 बल्लेबाजों ने एक ही मैच में 50+ स्कोर बनाया देश किसके खिलाफ वेन्यू साल पाकिस्तान जिम्बाब्वे कराची 2008 ऑस्ट्रेलिया भारत जयपुर 2013* ऑस्ट्रेलिया भारत सिडनी 2020* *शुरुआती 5 बल्लेबाजों ने 50+ रन का स्कोर बनाया। पावर-प्ले में फिर भारतीय गेंदबाज विकेट नहीं ले सके लगातार पांचवें मैच में भारतीय बॉलर्स पावर-प्ले में एक भी विकेट नहीं ले सके। इससे पहले जनवरी-फरवरी में न्यूजीलैंड टूर पर भी भारतीय गेंदबाज पावर-प्ले में एक भी विकेट नहीं ले पाए थे। यही वजह रही कि मैच में ऑस्ट्रेलियाई टीम ने हाईएस्ट टोटल खड़ा किया। बुमराह-शमी जैसे दिग्गज तेज गेंदबाज भी कंगारू बल्लेबाजी के सामने बेबस नजर आए। पावर-प्ले में ऑस्ट्रेलियाई टीम ने बिना कोई विकेट खोए 59 रन बनाए। जडेजा-पंड्या को छोड़कर सभी बॉलर्स ने रन लुटाए रविंद्र जडेजा और हार्दिक पंड्या को छोड़कर सभी बॉलर्स ने जमकर रन लुटाए। टीम के लिए सिर्फ बुमराह और जडेजा ने ही 10 ओवर का कोटा पूरा किया। बुमराह ने मैच में सबसे ज्यादा 79 रन दिए। शमी ने 73, चहल ने 71 और सैनी ने 70 रन लुटाए। जडेजा ने अपने स्पेल में 60 रन दिए, जबकि पंड्या ने 4 ओवर में 24 रन दिए। बुमराह के लिए इंटरनेशनल क्रिकेट के लिहाज से साल 2020 कुछ खास नहीं रहा। उन्होंने 2020 में अब तक 8 वनडे खेले हैं, जिसमें उनके नाम सिर्फ 3 ही विकेट दर्ज हैं। 2019 में उन्होंने 14 वनडे मैच में 25 और 2018 में 13 वनडे मैच में 22 विकेट लिए थे। भारत के पास वॉर्नर-फिंच का तोड़ नहीं भारत के पास दूसरे मैच में भी वॉर्नर-फिंच के खिलाफ कोई प्लान देखने को नहीं मिला। दोनों ने शुरुआती 10 ओवर्स में संभलकर टीम के स्कोर को आगे बढ़ाया। इसके बाद दोनों ने आक्रामक शॉट खेलने शुरू किए। वॉर्नर ने 7 चौकों और 3 छक्कों की मदद से 83 और फिंच ने 69 बॉल पवर 60 रन बनाए। वॉर्नर ने पहले वनडे में भी फिफ्टी लगाई थी, जबकि फिंच ने 115 रन की पारी खेली थी। इन दोनों ने वनडे में अब तक कुल 12 बार शतकीय साझेदारी की है। जिसमें से 5 साझेदारियां (187, 231, 258 नॉट आउट, 156 और 142) भारत के खिलाफ रही हैं। भारत के खिलाफ दोनों का ही रिकॉर्ड शानदार है। ऑस्ट्रेलिया के लिए सबसे ज्यादा 100+ रन की ओपनिंग पार्टनरशिप गिलक्रिस्ट-हेडन के नाम ओपनर कितनी बार एडम गिलक्रिस्ट-मैथ्यू हेडन 16 एरॉन फिंच-डेविड वॉर्नर 12 रिकी पोंटिंग-माइकल क्लार्क 11 मैथ्यू हेडन-रिकी पोंटिंग 10 978 वनडे मैचों के इतिहास में पहली बार ऐसा भी हुआ डेविड वार्नर और एरॉन फिंच की सलामी जोड़ी ने एससीजी में खेले जा रहे दूसरे वनडे में पहले विकेट के लिए 142 रनों का साझेदारी की। यह इस जोड़ी की भारत के खिलाफ लगातार दूसरी शतकीय साझेदारी है। इसी मैदान पर खेले गए पहले वनडे मैच में इन दोनों ने 156 रन जोड़े थे। वनडे में यह लगातार तीसरा मौका है जब भारत के खिलाफ पहले विकेट के लिए शतकीय साझेदारी हुई हो और यह एक रिकॉर्ड भी है। 978 वनडे मैचों के इतिहास में पहली बार हुआ है कि भारत के खिलाफ लगातार तीन बार वनडे में पहले विकेट के लिए शतकीय साझेदारी हुई। इन दो वनडे मैचों से पहले माउंट माउनगानुई में न्यूजीलैंड की मार्टिन गुप्टिल और हेनरी निकोलस की जोड़ी ने पहले विकेट के लिए 106 रन जोड़े थे। भारत के खिलाफ स्मिथ का शानदार प्रदर्शन जारी भारत के खिलाफ स्टीव स्मिथ का शानदार प्रदर्शन जारी है। स्मिथ ने लगातार दूसरे वनडे में शतक जड़ा। यह भारत के खिलाफ उनका लगातार तीसरा शतक है। इस मैच से पहले स्मिथ ने 19 जनवरी को बेंगलुरू में भारत के खिलाफ 131 रनों की पारी खेली थी। इसके बाद, मौजूदा सीरीज के पहले मैच में जो इसी मैदान पर शुक्रवार को खेला गया था, उसमें स्मिथ ने 105 रन बनाए थे। भारत के खिलाफ ऐसा करने वाले वे चौथे खिलाड़ी हैं। स्मिथ ने भारतीय बॉलर्स की जमकर क्लास ली और 162.5 के स्ट्राइक रेट से रन बनाए। अपनी पारी के दौरान उन्होंने 14 चौके और 2 छक्के जड़े। स्मिथ ने लाबुशाने के साथ तीसरे विकेट के लिए 136 रन की पार्टनरशिप की। इसके लिए दोनों बल्लेबाजों ने सिर्फ 95 बॉल का सामना किया। मिडिल ओवर में रन रेट बढ़ाकर उन्होंने मैक्सवेल के लिए बेस तैयार किया। ऑस्ट्रेलिया के सबसे तेज शतक वाले खिलाड़ी खिलाड़ी किसके खिलाफ कब कहां कितनी बॉल पर ग्लेन मैक्सवेल श्रीलंका 2015 सिडनी 51 जेम्स फॉकनर भारत 2013 बेंगलुरु 57 स्टीव स्मिथ भारत 2020 सिडनी 62 स्टीव स्मिथ भारत 2020 सिडनी 62 मैथ्यू हेडन साउथ अफ्रीका 2007 बस्सेटेरे 66 मैक्सवेल की तूफानी पारी रही टर्निंग पॉइंट ऑस्ट्रेलिया ने भारत के खिलाफ सबसे बड़ा स्कोर बनाया। इस मामले में उसने पिछले मुकाबले के 374 रन को पीछे छोड़ते हुए 389 रन का स्कोर बनाया। इसमें सबसे अहम योगदान रहा ग्लेन मैक्सवेल का। मैक्सवेल ने सिर्फ 29 बॉल पर 217 से अधिक के स्ट्राइक रेट से नाबाद 63 रन बनाए। इस दौरान उन्होंने 4 चौके और 4 छक्के लगाए। भारतीय बल्लेबाज बड़ी पारी नहीं खेल सके टारगेट चेज करने उतरी भारतीय टीम के बल्लेबाजों को शुरुआत तो मिली, लेकिन वे इसे बड़ स्कोर में नहीं तब्दील कर सके। शिखर धवन (30) और मयंक अग्रवाल (58) ने टीम को अच्छी शुरुआत दिलाई, लेकिन वे वॉर्नर-फिंच की तरह मजबूत नींव नहीं रख सके। कप्तान विराट कोहली (89) और लोकेश राहुल (76) ने भारत की उम्मीदों को जगाए रखा। श्रेयस अय्यर को भी अच्छी शुरुआत मिली, लेकिन वे भी 38 रन बनाकर चलते बने। पिछले मैच में बल्ले से कमाल दिखाने वाले हार्दिक पंड्या भी 28 रन ही बना सके। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें India Tour Of Australia, India-Australia Series 2020, Virat Kohli, Steve Smith, Hardik Pandya, David Warner https://ift.tt/3lluYjU Dainik Bhaskar ऑस्ट्रेलियाई टॉप-5 बल्लेबाजों ने 50+ रन बनाए; भारत ने 7 बॉलर्स लगाए, 4 ने 70 से ज्यादा रन लुटाए 

ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ दूसरे वनडे में भी भारतीय टीम का प्रदर्शन निराशाजनक रहा। टीम के बॉलर्स एक बार फिर विकेट निकालने में कामयाब नहीं हुए। ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों ने जमकर उनकी क्लास ली और टॉप-5 बल्लेबाजों ने 50 से ज्यादा का स्कोर बनाया। इनमें स्टीव स्मिथ ने शानदार 104 रन की पारी खेली। वहीं, कप्तान एरॉन फिंच, डेविड वॉर्नर, मार्नस लाबुशाने और ग्लेन मैक्सवेल ने फिफ्टी लगाई।

भारत ने विकेट लेने के लिए कुल 7 बॉलर्स का इस्तेमाल किया। इनमें जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद शमी, नवदीप सैनी और यजुवेंद्र चहल ने तो 70 से ज्यादा रन लुटाए। बॉलिंग की हालत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कप्तान विराट कोहली को मयंक अग्रवाल से बॉलिंग करानी पड़ी।

वन-डे में वे टीमें, जिनके 5 बल्लेबाजों ने एक ही मैच में 50+ स्कोर बनाया

देश

किसके खिलाफ

वेन्यू

साल

पाकिस्तान

जिम्बाब्वे

कराची

2008

ऑस्ट्रेलिया

भारत

जयपुर

2013*

ऑस्ट्रेलिया

भारत

सिडनी

2020*

*शुरुआती 5 बल्लेबाजों ने 50+ रन का स्कोर बनाया।

पावर-प्ले में फिर भारतीय गेंदबाज विकेट नहीं ले सके
लगातार पांचवें मैच में भारतीय बॉलर्स पावर-प्ले में एक भी विकेट नहीं ले सके। इससे पहले जनवरी-फरवरी में न्यूजीलैंड टूर पर भी भारतीय गेंदबाज पावर-प्ले में एक भी विकेट नहीं ले पाए थे। यही वजह रही कि मैच में ऑस्ट्रेलियाई टीम ने हाईएस्ट टोटल खड़ा किया। बुमराह-शमी जैसे दिग्गज तेज गेंदबाज भी कंगारू बल्लेबाजी के सामने बेबस नजर आए। पावर-प्ले में ऑस्ट्रेलियाई टीम ने बिना कोई विकेट खोए 59 रन बनाए।

जडेजा-पंड्या को छोड़कर सभी बॉलर्स ने रन लुटाए
रविंद्र जडेजा और हार्दिक पंड्या को छोड़कर सभी बॉलर्स ने जमकर रन लुटाए। टीम के लिए सिर्फ बुमराह और जडेजा ने ही 10 ओवर का कोटा पूरा किया। बुमराह ने मैच में सबसे ज्यादा 79 रन दिए। शमी ने 73, चहल ने 71 और सैनी ने 70 रन लुटाए। जडेजा ने अपने स्पेल में 60 रन दिए, जबकि पंड्या ने 4 ओवर में 24 रन दिए।

बुमराह के लिए इंटरनेशनल क्रिकेट के लिहाज से साल 2020 कुछ खास नहीं रहा। उन्होंने 2020 में अब तक 8 वनडे खेले हैं, जिसमें उनके नाम सिर्फ 3 ही विकेट दर्ज हैं। 2019 में उन्होंने 14 वनडे मैच में 25 और 2018 में 13 वनडे मैच में 22 विकेट लिए थे।

भारत के पास वॉर्नर-फिंच का तोड़ नहीं
भारत के पास दूसरे मैच में भी वॉर्नर-फिंच के खिलाफ कोई प्लान देखने को नहीं मिला। दोनों ने शुरुआती 10 ओवर्स में संभलकर टीम के स्कोर को आगे बढ़ाया। इसके बाद दोनों ने आक्रामक शॉट खेलने शुरू किए। वॉर्नर ने 7 चौकों और 3 छक्कों की मदद से 83 और फिंच ने 69 बॉल पवर 60 रन बनाए। वॉर्नर ने पहले वनडे में भी फिफ्टी लगाई थी, जबकि फिंच ने 115 रन की पारी खेली थी।

इन दोनों ने वनडे में अब तक कुल 12 बार शतकीय साझेदारी की है। जिसमें से 5 साझेदारियां (187, 231, 258 नॉट आउट, 156 और 142) भारत के खिलाफ रही हैं। भारत के खिलाफ दोनों का ही रिकॉर्ड शानदार है।

ऑस्ट्रेलिया के लिए सबसे ज्यादा 100+ रन की ओपनिंग पार्टनरशिप गिलक्रिस्ट-हेडन के नाम

ओपनर

कितनी बार

एडम गिलक्रिस्ट-मैथ्यू हेडन

16

एरॉन फिंच-डेविड वॉर्नर

12

रिकी पोंटिंग-माइकल क्लार्क

11

मैथ्यू हेडन-रिकी पोंटिंग

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978 वनडे मैचों के इतिहास में पहली बार ऐसा भी हुआ
डेविड वार्नर और एरॉन फिंच की सलामी जोड़ी ने एससीजी में खेले जा रहे दूसरे वनडे में पहले विकेट के लिए 142 रनों का साझेदारी की। यह इस जोड़ी की भारत के खिलाफ लगातार दूसरी शतकीय साझेदारी है। इसी मैदान पर खेले गए पहले वनडे मैच में इन दोनों ने 156 रन जोड़े थे। वनडे में यह लगातार तीसरा मौका है जब भारत के खिलाफ पहले विकेट के लिए शतकीय साझेदारी हुई हो और यह एक रिकॉर्ड भी है।

978 वनडे मैचों के इतिहास में पहली बार हुआ है कि भारत के खिलाफ लगातार तीन बार वनडे में पहले विकेट के लिए शतकीय साझेदारी हुई। इन दो वनडे मैचों से पहले माउंट माउनगानुई में न्यूजीलैंड की मार्टिन गुप्टिल और हेनरी निकोलस की जोड़ी ने पहले विकेट के लिए 106 रन जोड़े थे।

भारत के खिलाफ स्मिथ का शानदार प्रदर्शन जारी
भारत के खिलाफ स्टीव स्मिथ का शानदार प्रदर्शन जारी है। स्मिथ ने लगातार दूसरे वनडे में शतक जड़ा। यह भारत के खिलाफ उनका लगातार तीसरा शतक है। इस मैच से पहले स्मिथ ने 19 जनवरी को बेंगलुरू में भारत के खिलाफ 131 रनों की पारी खेली थी। इसके बाद, मौजूदा सीरीज के पहले मैच में जो इसी मैदान पर शुक्रवार को खेला गया था, उसमें स्मिथ ने 105 रन बनाए थे। भारत के खिलाफ ऐसा करने वाले वे चौथे खिलाड़ी हैं।

स्मिथ ने भारतीय बॉलर्स की जमकर क्लास ली और 162.5 के स्ट्राइक रेट से रन बनाए। अपनी पारी के दौरान उन्होंने 14 चौके और 2 छक्के जड़े। स्मिथ ने लाबुशाने के साथ तीसरे विकेट के लिए 136 रन की पार्टनरशिप की। इसके लिए दोनों बल्लेबाजों ने सिर्फ 95 बॉल का सामना किया। मिडिल ओवर में रन रेट बढ़ाकर उन्होंने मैक्सवेल के लिए बेस तैयार किया।

ऑस्ट्रेलिया के सबसे तेज शतक वाले खिलाड़ी

खिलाड़ी

किसके खिलाफ

कब

कहां

कितनी बॉल पर

ग्लेन मैक्सवेल

श्रीलंका

2015

सिडनी

51

जेम्स फॉकनर

भारत

2013

बेंगलुरु

57

स्टीव स्मिथ

भारत

2020

सिडनी

62

स्टीव स्मिथ

भारत

2020

सिडनी

62

मैथ्यू हेडन

साउथ अफ्रीका

2007

बस्सेटेरे

66

मैक्सवेल की तूफानी पारी रही टर्निंग पॉइंट
ऑस्ट्रेलिया ने भारत के खिलाफ सबसे बड़ा स्कोर बनाया। इस मामले में उसने पिछले मुकाबले के 374 रन को पीछे छोड़ते हुए 389 रन का स्कोर बनाया। इसमें सबसे अहम योगदान रहा ग्लेन मैक्सवेल का। मैक्सवेल ने सिर्फ 29 बॉल पर 217 से अधिक के स्ट्राइक रेट से नाबाद 63 रन बनाए। इस दौरान उन्होंने 4 चौके और 4 छक्के लगाए।

भारतीय बल्लेबाज बड़ी पारी नहीं खेल सके
टारगेट चेज करने उतरी भारतीय टीम के बल्लेबाजों को शुरुआत तो मिली, लेकिन वे इसे बड़ स्कोर में नहीं तब्दील कर सके। शिखर धवन (30) और मयंक अग्रवाल (58) ने टीम को अच्छी शुरुआत दिलाई, लेकिन वे वॉर्नर-फिंच की तरह मजबूत नींव नहीं रख सके।

कप्तान विराट कोहली (89) और लोकेश राहुल (76) ने भारत की उम्मीदों को जगाए रखा। श्रेयस अय्यर को भी अच्छी शुरुआत मिली, लेकिन वे भी 38 रन बनाकर चलते बने। पिछले मैच में बल्ले से कमाल दिखाने वाले हार्दिक पंड्या भी 28 रन ही बना सके।

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https://ift.tt/3lluYjU Dainik Bhaskar ऑस्ट्रेलियाई टॉप-5 बल्लेबाजों ने 50+ रन बनाए; भारत ने 7 बॉलर्स लगाए, 4 ने 70 से ज्यादा रन लुटाए Reviewed by Manish Pethev on November 30, 2020 Rating: 5

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