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किसान आंदोलन का गढ़ बन चुका टीकरी बॉर्डर दिल्ली के सबसे पश्चिमी छोर पर है। ग्रीन लाइन पर दौड़ने वाली दिल्ली मेट्रो इसी टीकरी बॉर्डर को पार करके हरियाणा के बहादुरगढ़ में दाखिल होती है। यह मेट्रो तो आज भी अपनी रफ्तार से दिल्ली और हरियाणा के बीच दौड़ रही है, लेकिन इस मेट्रो लाइन के ठीक नीचे चलने वाली मुख्य रोहतक रोड बीते एक महीने से आंदोलन कर रहे किसानों का अस्थायी डेरा बन गई है। इस सड़क पर चलने वाला ट्रैफिक 26 नवंबर से बंद है। दिल्ली से हरियाणा जाने के लिए कुछ वैकल्पिक रास्ते खुले हुए हैं। इनकी जानकारी दिल्ली ट्रैफिक पुलिस समय-समय पर जारी करती है। दिल्ली-रोहतक रोड पूरी तरह से किसानों के कब्जे में है और हर दिन के साथ उनकी संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। इस सड़क पर जगह-जगह खड़े मेट्रो के पिलर अब आंदोलन कर रहे किसानों का अस्थायी पता बन चुके हैं। मसलन, महिलाओं द्वारा चलाया जा रहा लंगर कहां लगा है, यह सवाल पूछने पर कोई बता देगा कि वह पिलर नंबर-788 के पास है। ऐसे ही यहां से निकल रहे अखबार ‘ट्रॉली टाइम्स’ के बारे में पूछने पर कोई भी आंदोलनकारी बता देता है कि ट्रॉली टाइम्स का ऑफिस पिलर नंबर-783 के पास है। किसान आंदोलन में बड़ी संख्या में युवा शामिल हैं। वे बैनर-पोस्टर के माध्यम से आंदोलन को मजबूत कर रहे हैं। टीकरी बॉर्डर पर किसान आंदोलन इतना मजबूत हो गया है कि यहां से न सिर्फ अखबार निकलने लगा है बल्कि लाइब्रेरी भी खुल गई है। ट्रॉली थिएटर नाम से एक थिएटर चलाया जाने लगा है। किसान मॉल बन चुका है, जहां जरूरत की लगभग सभी चीज़ें किसानों के लिए फ्री हैं। वॉशिंग मशीनें लग चुकी हैं। बूढ़े किसानों के लिए हीटर और फुट मसाजर लग चुके हैं। किसानों के अस्थायी डेरे किसी गांव जैसा रूप लेने लगे हैं। दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन का शुरुआती दौर में सबसे बड़ा केंद्र दिल्ली के उत्तरी छोर पर बसा सिंघु बॉर्डर ही था। उस वक्त टीकरी बॉर्डर के मुकाबले सिंघु बॉर्डर कई गुना ज़्यादा किसान जमा हो चुके थे। धीरे-धीरे अब टीकरी बॉर्डर पर भी किसानों की संख्या लगभग उतनी ही हो चुकी है जितनी सिंघु बॉर्डर पर है। इस आंदोलन में पहले दिन से शामिल हरियाणा के किसान मीत मान कहते हैं, ‘सिंघु बॉर्डर पर पहले दिन से ही किसानों की संख्या इसलिए ज्यादा थी, क्योंकि पंजाब से आए किसानों के जत्थे जीटी रोड होते हुए पहुंच रहे थे। सिंघु बॉर्डर उसी रोड पर था इसलिए वहां एक साथ हजारों किसान पहुंच चुके थे। टीकरी में किसान धीरे-धीरे और अलग-अलग जत्थों में ज्यादा पहुंचे हैं। इसलिए यहां आंदोलन को बड़ा होने में समय ज़्यादा लगा।’ टीकरी बॉर्डर पर अब न सिर्फ अखबार निकलने लगा है बल्कि शहीद भगत सिंह के नाम से एक पुस्तकालय भी खुल गया है। मीत मान यह भी दावा करते हैं कि आज टीकरी बॉर्डर पर किसानों की संख्या हजारों में हो चुकी है। मीत मान का यह दावा अतिशयोक्ति भी नहीं है। टीकरी बॉर्डर से दिल्ली-रोहतक रोड पर किसानों का जमावड़ा लगभग 20 किलोमीटर लंबा हो चुका है। टीकरी से लेकर सापला के पास रोहद टोल प्लाजा तक, किसानों की ट्रैक्टर-ट्रॉली खड़ी दिखती हैं। टीकरी बॉर्डर पर आंदोलन के धीरे-धीरे बढ़ने का एक कारण यह भी है कि यहां हरियाणा से आए उन किसानों की संख्या ज्यादा है जो आंदोलन में एक साथ न आकर अलग-अलग समय पर शामिल हुए हैं। हरियाणा के झज्जर, रोहतक, जींद, कैथल, फतेहाबाद, हिसार, सिरसा, भिवानी, और चरखी दादरी जैसे जिलों में तमाम किसानों के लिए सिंघु की तुलना में टीकरी बॉर्डर ज्यादा नजदीक है। लिहाजा वे यहीं जमा हो रहे हैं। संख्या की बात करें तो आज टीकरी बॉर्डर पर लगभग उतने ही किसान जमा हो चुके हैं, जितने कि सिंघु बॉर्डर पर। इसके बाद भी आंदोलन के इन दोनों केंद्रों पर कई अंतर पहली नज़र में ही देखे जा सकते हैं। टीकरी के मुकाबले सिंघु बॉर्डर पर व्यवस्थाएं ज्यादा हैं। उनका मैनेजमेंट भी बेहतर तरीके से हो रहा है। मसलन रात को पूरे इलाके की सिक्योरिटी से लेकर सड़कों की सफाई तक की जो व्यवस्था सिंघु बॉर्डर पर नजर आती है वैसी टीकरी बॉर्डर पर नहीं है। आंदोलन में शामिल बुजुर्ग किसानों के लिए हर जरूरत की चीज यहां उपलब्ध है। उनकी हेल्थ का भी ध्यान रखा जा रहा है। राजस्थान से आए किसान गौरव सिंह कहते हैं, टीकरी बॉर्डर की अव्यवस्थाओं में दिल्ली सरकार की भी बड़ी भूमिका है। अरविंद केजरीवाल भले ही किसानों के साथ होने की बात बोल रहे हैं लेकिन उनकी तरफ से यहां कोई मदद नहीं पहुंच रही है। सिर्फ दो मोबाइल टॉयलेट दिल्ली सरकार ने यहां लगवाए हैं। यहां सफाई तक नहीं हो रही है। हरियाणा की नगर पालिकाएं कहीं बेहतर काम कर रही हैं। यहां सड़क के एक तरफ दिल्ली है और दूसरी तरफ हरियाणा। हरियाणा के इलाकों में नगर निगम के लोग दिन-रात सफाई के लिए मौजूद रहते हैं।’ गौरव कहते हैं, ‘ये अव्यवस्थाएं भी धीरे-धीरे दूर हो रही हैं और किसान ही सब कुछ व्यवस्थित कर रहे हैं। भयानक ठंड में किसी तरह वे अपनी लड़ाई को जारी रखने के लिए वे सब कुछ कर रहे हैं। वे ये संकल्प लेकर आए हैं कि कानून वापस करवाने से पहले किसी हाल में नहीं लौटेंगे चाहे इसमें जितना भी समय लग जाए। अभी तो किसानों ने हाइवे पर सिर्फ तंबू गाड़े हैं, अगर सरकार ने कानून वापस नहीं लिए तो किसान यहीं पक्के मकान बना लेंगे।’ आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें तीनों नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान 26 नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं। https://ift.tt/38Pgg0p Dainik Bhaskar किसान कहते हैं- 'अभी तो हमने सिर्फ तंबू गाड़े हैं, कानून वापस नहीं हुए तो हाइवे पर पक्के मकान भी बना लेंगे'

किसान आंदोलन का गढ़ बन चुका टीकरी बॉर्डर दिल्ली के सबसे पश्चिमी छोर पर है। ग्रीन लाइन पर दौड़ने वाली दिल्ली मेट्रो इसी टीकरी बॉर्डर को पार ...
- December 30, 2020
किसान आंदोलन का गढ़ बन चुका टीकरी बॉर्डर दिल्ली के सबसे पश्चिमी छोर पर है। ग्रीन लाइन पर दौड़ने वाली दिल्ली मेट्रो इसी टीकरी बॉर्डर को पार करके हरियाणा के बहादुरगढ़ में दाखिल होती है। यह मेट्रो तो आज भी अपनी रफ्तार से दिल्ली और हरियाणा के बीच दौड़ रही है, लेकिन इस मेट्रो लाइन के ठीक नीचे चलने वाली मुख्य रोहतक रोड बीते एक महीने से आंदोलन कर रहे किसानों का अस्थायी डेरा बन गई है। इस सड़क पर चलने वाला ट्रैफिक 26 नवंबर से बंद है। दिल्ली से हरियाणा जाने के लिए कुछ वैकल्पिक रास्ते खुले हुए हैं। इनकी जानकारी दिल्ली ट्रैफिक पुलिस समय-समय पर जारी करती है। दिल्ली-रोहतक रोड पूरी तरह से किसानों के कब्जे में है और हर दिन के साथ उनकी संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। इस सड़क पर जगह-जगह खड़े मेट्रो के पिलर अब आंदोलन कर रहे किसानों का अस्थायी पता बन चुके हैं। मसलन, महिलाओं द्वारा चलाया जा रहा लंगर कहां लगा है, यह सवाल पूछने पर कोई बता देगा कि वह पिलर नंबर-788 के पास है। ऐसे ही यहां से निकल रहे अखबार ‘ट्रॉली टाइम्स’ के बारे में पूछने पर कोई भी आंदोलनकारी बता देता है कि ट्रॉली टाइम्स का ऑफिस पिलर नंबर-783 के पास है। किसान आंदोलन में बड़ी संख्या में युवा शामिल हैं। वे बैनर-पोस्टर के माध्यम से आंदोलन को मजबूत कर रहे हैं। टीकरी बॉर्डर पर किसान आंदोलन इतना मजबूत हो गया है कि यहां से न सिर्फ अखबार निकलने लगा है बल्कि लाइब्रेरी भी खुल गई है। ट्रॉली थिएटर नाम से एक थिएटर चलाया जाने लगा है। किसान मॉल बन चुका है, जहां जरूरत की लगभग सभी चीज़ें किसानों के लिए फ्री हैं। वॉशिंग मशीनें लग चुकी हैं। बूढ़े किसानों के लिए हीटर और फुट मसाजर लग चुके हैं। किसानों के अस्थायी डेरे किसी गांव जैसा रूप लेने लगे हैं। दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन का शुरुआती दौर में सबसे बड़ा केंद्र दिल्ली के उत्तरी छोर पर बसा सिंघु बॉर्डर ही था। उस वक्त टीकरी बॉर्डर के मुकाबले सिंघु बॉर्डर कई गुना ज़्यादा किसान जमा हो चुके थे। धीरे-धीरे अब टीकरी बॉर्डर पर भी किसानों की संख्या लगभग उतनी ही हो चुकी है जितनी सिंघु बॉर्डर पर है। इस आंदोलन में पहले दिन से शामिल हरियाणा के किसान मीत मान कहते हैं, ‘सिंघु बॉर्डर पर पहले दिन से ही किसानों की संख्या इसलिए ज्यादा थी, क्योंकि पंजाब से आए किसानों के जत्थे जीटी रोड होते हुए पहुंच रहे थे। सिंघु बॉर्डर उसी रोड पर था इसलिए वहां एक साथ हजारों किसान पहुंच चुके थे। टीकरी में किसान धीरे-धीरे और अलग-अलग जत्थों में ज्यादा पहुंचे हैं। इसलिए यहां आंदोलन को बड़ा होने में समय ज़्यादा लगा।’ टीकरी बॉर्डर पर अब न सिर्फ अखबार निकलने लगा है बल्कि शहीद भगत सिंह के नाम से एक पुस्तकालय भी खुल गया है। मीत मान यह भी दावा करते हैं कि आज टीकरी बॉर्डर पर किसानों की संख्या हजारों में हो चुकी है। मीत मान का यह दावा अतिशयोक्ति भी नहीं है। टीकरी बॉर्डर से दिल्ली-रोहतक रोड पर किसानों का जमावड़ा लगभग 20 किलोमीटर लंबा हो चुका है। टीकरी से लेकर सापला के पास रोहद टोल प्लाजा तक, किसानों की ट्रैक्टर-ट्रॉली खड़ी दिखती हैं। टीकरी बॉर्डर पर आंदोलन के धीरे-धीरे बढ़ने का एक कारण यह भी है कि यहां हरियाणा से आए उन किसानों की संख्या ज्यादा है जो आंदोलन में एक साथ न आकर अलग-अलग समय पर शामिल हुए हैं। हरियाणा के झज्जर, रोहतक, जींद, कैथल, फतेहाबाद, हिसार, सिरसा, भिवानी, और चरखी दादरी जैसे जिलों में तमाम किसानों के लिए सिंघु की तुलना में टीकरी बॉर्डर ज्यादा नजदीक है। लिहाजा वे यहीं जमा हो रहे हैं। संख्या की बात करें तो आज टीकरी बॉर्डर पर लगभग उतने ही किसान जमा हो चुके हैं, जितने कि सिंघु बॉर्डर पर। इसके बाद भी आंदोलन के इन दोनों केंद्रों पर कई अंतर पहली नज़र में ही देखे जा सकते हैं। टीकरी के मुकाबले सिंघु बॉर्डर पर व्यवस्थाएं ज्यादा हैं। उनका मैनेजमेंट भी बेहतर तरीके से हो रहा है। मसलन रात को पूरे इलाके की सिक्योरिटी से लेकर सड़कों की सफाई तक की जो व्यवस्था सिंघु बॉर्डर पर नजर आती है वैसी टीकरी बॉर्डर पर नहीं है। आंदोलन में शामिल बुजुर्ग किसानों के लिए हर जरूरत की चीज यहां उपलब्ध है। उनकी हेल्थ का भी ध्यान रखा जा रहा है। राजस्थान से आए किसान गौरव सिंह कहते हैं, टीकरी बॉर्डर की अव्यवस्थाओं में दिल्ली सरकार की भी बड़ी भूमिका है। अरविंद केजरीवाल भले ही किसानों के साथ होने की बात बोल रहे हैं लेकिन उनकी तरफ से यहां कोई मदद नहीं पहुंच रही है। सिर्फ दो मोबाइल टॉयलेट दिल्ली सरकार ने यहां लगवाए हैं। यहां सफाई तक नहीं हो रही है। हरियाणा की नगर पालिकाएं कहीं बेहतर काम कर रही हैं। यहां सड़क के एक तरफ दिल्ली है और दूसरी तरफ हरियाणा। हरियाणा के इलाकों में नगर निगम के लोग दिन-रात सफाई के लिए मौजूद रहते हैं।’ गौरव कहते हैं, ‘ये अव्यवस्थाएं भी धीरे-धीरे दूर हो रही हैं और किसान ही सब कुछ व्यवस्थित कर रहे हैं। भयानक ठंड में किसी तरह वे अपनी लड़ाई को जारी रखने के लिए वे सब कुछ कर रहे हैं। वे ये संकल्प लेकर आए हैं कि कानून वापस करवाने से पहले किसी हाल में नहीं लौटेंगे चाहे इसमें जितना भी समय लग जाए। अभी तो किसानों ने हाइवे पर सिर्फ तंबू गाड़े हैं, अगर सरकार ने कानून वापस नहीं लिए तो किसान यहीं पक्के मकान बना लेंगे।’ आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें तीनों नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान 26 नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं। https://ift.tt/38Pgg0p Dainik Bhaskar किसान कहते हैं- 'अभी तो हमने सिर्फ तंबू गाड़े हैं, कानून वापस नहीं हुए तो हाइवे पर पक्के मकान भी बना लेंगे' 

किसान आंदोलन का गढ़ बन चुका टीकरी बॉर्डर दिल्ली के सबसे पश्चिमी छोर पर है। ग्रीन लाइन पर दौड़ने वाली दिल्ली मेट्रो इसी टीकरी बॉर्डर को पार करके हरियाणा के बहादुरगढ़ में दाखिल होती है। यह मेट्रो तो आज भी अपनी रफ्तार से दिल्ली और हरियाणा के बीच दौड़ रही है, लेकिन इस मेट्रो लाइन के ठीक नीचे चलने वाली मुख्य रोहतक रोड बीते एक महीने से आंदोलन कर रहे किसानों का अस्थायी डेरा बन गई है।

इस सड़क पर चलने वाला ट्रैफिक 26 नवंबर से बंद है। दिल्ली से हरियाणा जाने के लिए कुछ वैकल्पिक रास्ते खुले हुए हैं। इनकी जानकारी दिल्ली ट्रैफिक पुलिस समय-समय पर जारी करती है। दिल्ली-रोहतक रोड पूरी तरह से किसानों के कब्जे में है और हर दिन के साथ उनकी संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।

इस सड़क पर जगह-जगह खड़े मेट्रो के पिलर अब आंदोलन कर रहे किसानों का अस्थायी पता बन चुके हैं। मसलन, महिलाओं द्वारा चलाया जा रहा लंगर कहां लगा है, यह सवाल पूछने पर कोई बता देगा कि वह पिलर नंबर-788 के पास है। ऐसे ही यहां से निकल रहे अखबार ‘ट्रॉली टाइम्स’ के बारे में पूछने पर कोई भी आंदोलनकारी बता देता है कि ट्रॉली टाइम्स का ऑफिस पिलर नंबर-783 के पास है।

किसान आंदोलन में बड़ी संख्या में युवा शामिल हैं। वे बैनर-पोस्टर के माध्यम से आंदोलन को मजबूत कर रहे हैं।

टीकरी बॉर्डर पर किसान आंदोलन इतना मजबूत हो गया है कि यहां से न सिर्फ अखबार निकलने लगा है बल्कि लाइब्रेरी भी खुल गई है। ट्रॉली थिएटर नाम से एक थिएटर चलाया जाने लगा है। किसान मॉल बन चुका है, जहां जरूरत की लगभग सभी चीज़ें किसानों के लिए फ्री हैं। वॉशिंग मशीनें लग चुकी हैं। बूढ़े किसानों के लिए हीटर और फुट मसाजर लग चुके हैं। किसानों के अस्थायी डेरे किसी गांव जैसा रूप लेने लगे हैं।

दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन का शुरुआती दौर में सबसे बड़ा केंद्र दिल्ली के उत्तरी छोर पर बसा सिंघु बॉर्डर ही था। उस वक्त टीकरी बॉर्डर के मुकाबले सिंघु बॉर्डर कई गुना ज़्यादा किसान जमा हो चुके थे। धीरे-धीरे अब टीकरी बॉर्डर पर भी किसानों की संख्या लगभग उतनी ही हो चुकी है जितनी सिंघु बॉर्डर पर है।

इस आंदोलन में पहले दिन से शामिल हरियाणा के किसान मीत मान कहते हैं, ‘सिंघु बॉर्डर पर पहले दिन से ही किसानों की संख्या इसलिए ज्यादा थी, क्योंकि पंजाब से आए किसानों के जत्थे जीटी रोड होते हुए पहुंच रहे थे। सिंघु बॉर्डर उसी रोड पर था इसलिए वहां एक साथ हजारों किसान पहुंच चुके थे। टीकरी में किसान धीरे-धीरे और अलग-अलग जत्थों में ज्यादा पहुंचे हैं। इसलिए यहां आंदोलन को बड़ा होने में समय ज़्यादा लगा।’

टीकरी बॉर्डर पर अब न सिर्फ अखबार निकलने लगा है बल्कि शहीद भगत सिंह के नाम से एक पुस्तकालय भी खुल गया है।

मीत मान यह भी दावा करते हैं कि आज टीकरी बॉर्डर पर किसानों की संख्या हजारों में हो चुकी है। मीत मान का यह दावा अतिशयोक्ति भी नहीं है। टीकरी बॉर्डर से दिल्ली-रोहतक रोड पर किसानों का जमावड़ा लगभग 20 किलोमीटर लंबा हो चुका है। टीकरी से लेकर सापला के पास रोहद टोल प्लाजा तक, किसानों की ट्रैक्टर-ट्रॉली खड़ी दिखती हैं।

टीकरी बॉर्डर पर आंदोलन के धीरे-धीरे बढ़ने का एक कारण यह भी है कि यहां हरियाणा से आए उन किसानों की संख्या ज्यादा है जो आंदोलन में एक साथ न आकर अलग-अलग समय पर शामिल हुए हैं। हरियाणा के झज्जर, रोहतक, जींद, कैथल, फतेहाबाद, हिसार, सिरसा, भिवानी, और चरखी दादरी जैसे जिलों में तमाम किसानों के लिए सिंघु की तुलना में टीकरी बॉर्डर ज्यादा नजदीक है। लिहाजा वे यहीं जमा हो रहे हैं।

संख्या की बात करें तो आज टीकरी बॉर्डर पर लगभग उतने ही किसान जमा हो चुके हैं, जितने कि सिंघु बॉर्डर पर। इसके बाद भी आंदोलन के इन दोनों केंद्रों पर कई अंतर पहली नज़र में ही देखे जा सकते हैं। टीकरी के मुकाबले सिंघु बॉर्डर पर व्यवस्थाएं ज्यादा हैं। उनका मैनेजमेंट भी बेहतर तरीके से हो रहा है। मसलन रात को पूरे इलाके की सिक्योरिटी से लेकर सड़कों की सफाई तक की जो व्यवस्था सिंघु बॉर्डर पर नजर आती है वैसी टीकरी बॉर्डर पर नहीं है।

आंदोलन में शामिल बुजुर्ग किसानों के लिए हर जरूरत की चीज यहां उपलब्ध है। उनकी हेल्थ का भी ध्यान रखा जा रहा है।

राजस्थान से आए किसान गौरव सिंह कहते हैं, टीकरी बॉर्डर की अव्यवस्थाओं में दिल्ली सरकार की भी बड़ी भूमिका है। अरविंद केजरीवाल भले ही किसानों के साथ होने की बात बोल रहे हैं लेकिन उनकी तरफ से यहां कोई मदद नहीं पहुंच रही है। सिर्फ दो मोबाइल टॉयलेट दिल्ली सरकार ने यहां लगवाए हैं। यहां सफाई तक नहीं हो रही है। हरियाणा की नगर पालिकाएं कहीं बेहतर काम कर रही हैं। यहां सड़क के एक तरफ दिल्ली है और दूसरी तरफ हरियाणा। हरियाणा के इलाकों में नगर निगम के लोग दिन-रात सफाई के लिए मौजूद रहते हैं।’

गौरव कहते हैं, ‘ये अव्यवस्थाएं भी धीरे-धीरे दूर हो रही हैं और किसान ही सब कुछ व्यवस्थित कर रहे हैं। भयानक ठंड में किसी तरह वे अपनी लड़ाई को जारी रखने के लिए वे सब कुछ कर रहे हैं। वे ये संकल्प लेकर आए हैं कि कानून वापस करवाने से पहले किसी हाल में नहीं लौटेंगे चाहे इसमें जितना भी समय लग जाए। अभी तो किसानों ने हाइवे पर सिर्फ तंबू गाड़े हैं, अगर सरकार ने कानून वापस नहीं लिए तो किसान यहीं पक्के मकान बना लेंगे।’

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तीनों नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान 26 नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं।

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1 जनवरी 2020 को प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया था, ‘यह एक अद्भुत साल है। यह साल खुशी और संपन्नता से भर देगा। इस साल में सब स्वस्थ रहें और सबकी आकांक्षाएं पूरी हों।’ 2020 ने तो मोदी की नहीं सुनी। खुशी और संपन्नता तो दूर, आटा-दाल से लेकर शराब तक के लिए लंबी-लंबी कतारें लगीं। सेहत का आलम ये रहा कि कोरोना को भगाने के लिए मुकेश अंबानी तक एंटीलिया की छत पर थाली-कटोरा पीटते दिखे। आकांक्षाएं तो सबकी धरी की धरी रह गईं। चलते हैं छोटे से सफर पर... यहां हमने बीते साल के 12 महीनों की तस्वीरें उकेरी हैं। देखिए और बताइए कि क्या आपकी जिंदगी भी यहीं से गुजरी या आपने कुछ और किया... आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें How Indians changed their habits in 2020 https://ift.tt/37Zhff7 Dainik Bhaskar सुनो 2020... जा रहे हो! अपना साल भर का हिसाब-किताब भी साथ ही लेते जाओ

1 जनवरी 2020 को प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया था, ‘यह एक अद्भुत साल है। यह साल खुशी और संपन्नता से भर देगा। इस साल में सब स्वस्थ रहें और ...
- December 30, 2020
1 जनवरी 2020 को प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया था, ‘यह एक अद्भुत साल है। यह साल खुशी और संपन्नता से भर देगा। इस साल में सब स्वस्थ रहें और सबकी आकांक्षाएं पूरी हों।’ 2020 ने तो मोदी की नहीं सुनी। खुशी और संपन्नता तो दूर, आटा-दाल से लेकर शराब तक के लिए लंबी-लंबी कतारें लगीं। सेहत का आलम ये रहा कि कोरोना को भगाने के लिए मुकेश अंबानी तक एंटीलिया की छत पर थाली-कटोरा पीटते दिखे। आकांक्षाएं तो सबकी धरी की धरी रह गईं। चलते हैं छोटे से सफर पर... यहां हमने बीते साल के 12 महीनों की तस्वीरें उकेरी हैं। देखिए और बताइए कि क्या आपकी जिंदगी भी यहीं से गुजरी या आपने कुछ और किया... आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें How Indians changed their habits in 2020 https://ift.tt/37Zhff7 Dainik Bhaskar सुनो 2020... जा रहे हो! अपना साल भर का हिसाब-किताब भी साथ ही लेते जाओ 

1 जनवरी 2020 को प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया था, ‘यह एक अद्भुत साल है। यह साल खुशी और संपन्नता से भर देगा। इस साल में सब स्वस्थ रहें और सबकी आकांक्षाएं पूरी हों।’ 2020 ने तो मोदी की नहीं सुनी। खुशी और संपन्नता तो दूर, आटा-दाल से लेकर शराब तक के लिए लंबी-लंबी कतारें लगीं। सेहत का आलम ये रहा कि कोरोना को भगाने के लिए मुकेश अंबानी तक एंटीलिया की छत पर थाली-कटोरा पीटते दिखे। आकांक्षाएं तो सबकी धरी की धरी रह गईं।

चलते हैं छोटे से सफर पर... यहां हमने बीते साल के 12 महीनों की तस्वीरें उकेरी हैं। देखिए और बताइए कि क्या आपकी जिंदगी भी यहीं से गुजरी या आपने कुछ और किया...

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How Indians changed their habits in 2020

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देश में इस बार नया साल मनाना आसान नहीं होगा। न्यू ईयर ग्रैंड सेलिब्रेशन के लिए प्रसिद्ध मुंबई, बेंगलुरू, मैसूर और पुड्डुचेरी में नए साल की वो तस्वीर नहीं दिखेगी, जो यहां के जश्न के लिए मशहूर है। सबसे कम पाबंदियां गोवा में हैं, लेकिन यहां की महंगाई के बीच नया साल मनाना आसान नहीं होगा। जानिए, देशभर के वो शहर, जो नए साल के जश्न के लिए मशहूर हैं, वहां के हालात कैसे हैं और नए साल का सेलिब्रेशन कैसे होगा, पूरी रिपोर्ट... मैसूर : आतिशबाजी से रोशन होने वाला मैसूर पैलेस इस साल सूना रहेगा मैसूर पैलेस को देखने हर साल करीब 60 लाख पर्यटक पहुंचते हैं। विंटर फेस्टिवल से जगमगाने वाला यह पैलेस इस साल शांत है। नाइट कर्फ्यू के कारण यहां न्यू ईयर सेलिब्रेशन नहीं होगा। कर्नाटक के मैसूर पैलेस में हर साल 24 दिसंबर से ही विंटर फेस्टिवल का आगाज होता है। आतिशबाजी देखने के लिए बड़ी संख्या में सैलानी यहां आते हैं, लेकिन इस साल प्रशासन ने विंटर फेस्टिवल पर पूरी तरह रोक लगा दी है। मैसूर होटल ऑनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सी. नारायण गोड़ा के मुताबिक, मैसूर का कोई भी बड़ा होटल इस साल न्यू ईयर पार्टी की तैयारी नहीं कर रहा है। कर्नाटक में 23 दिसंबर से नाइट कर्फ्यू लागू है, जो 2 जनवरी तक जारी रहेगा। गोवा: यहां सख्त पाबंदियां नहीं, न्यू ईयर पर 10 ग्रैंड पार्टियों की प्लानिंग गोवा में न्यू ईयर पार्टी का नजारा ऐसा होता है। यहां हर साल 31 दिसंबर को 25 से 30 ग्रैंड पार्टी ऑर्गनाइज की जाती हैं। इस साल यहां 10 बड़ी पार्टी ही ऑर्गनाइज की जाएंगी। - फाइल फोटो नया साल गोवा में सेलिब्रेट कर सकते हैं, क्योंकि यहां प्रशासन की तरफ से सख्त पाबंदियां नहीं हैं। गोवा में 31 दिसंबर को 10 बड़ी पार्टीज शेड्यूल हैं। हर साल यहां 30 बड़ी पार्टीज ऑर्गनाइज की जाती हैं। महामारी में बिना किसी बंदिश के न्यू ईयर सेलिब्रेट करने के लिए गोवा इस साल बेहतर डेस्टिनेशन है। पुणे की ट्रैवल एजेंसी श्री विनायक हॉलीडेज के ओनर संतोष गुप्ता के मुताबिक, नए साल के लिए गोवा, महाबलेश्वर और लोनावला के लिए जाने वाली कैब में 40% तक बढ़ोतरी हुई है। ट्रैवल कंपनी गो आईबीबो का हालिया सर्वे कहता है कि 60% भारतीय बीच या हिल्स वाले टूरिस्ट स्पॉट पर नया साल मनाना चाहते हैं। शिमला-मनाली: बिना पार्टी सेलिब्रेट करना होगा न्यू ईयर, नाइट कर्फ्यू में एक घंटे की ढील यह शिमला की माल रोड है। यहां हर साल क्रिसमस और न्यू ईयर के सेलिब्रेशन का भव्य नजारा दिखता है, लेकिन इस साल नाइट कर्फ्यू के कारण सन्नाटा रहेगा। हिमाचल प्रदेश के शिमला, मंडी, कांगड़ा और कुल्लू में 5 जनवरी तक के लिए नाइट कर्फ्यू लागू रहेगा। रात 9 बजे से सुबह 6 बजे तक कर्फ्यू की टाइमिंग थी, लेकिन क्रिसमस से पहले इसमें एक घंटे की छूट दी गई है। अब कर्फ्यू रात 10 बजे से लगेगा। यहां हर तरह की पब्लिक गैदरिंग पर रोक है। अगर आप न्यू ईयर सेलिब्रेट करने शिमला या मनाली जा रहे हैं तो पहाड़ों के बीच सुकून के पल तो बिता सकते हैं, पर न्यू ईयर पार्टी का जश्न नहीं मना पाएंगे। मुम्बई: मायानगरी में नाइट कर्फ्यू के बीच होगी नए साल की शुरुआत मुम्बई में 5 जनवरी तक नाइट कर्फ्यू लागू रहेगा। गेटवे ऑफ इंडिया के आसपास होने वाले इवेंट भी इस साल नहीं हो रहे हैं। मुम्बई में नए साल की शुरुआत नाइट कर्फ्यू के बीच होगी। बृहन्मुंबई महानगर पालिका, यानी BMC ने यहां रात 11 से सुबह 6 बजे तक रेस्टोरेंट, होटल, बार और फूड कोर्ट बंद रखने के आदेश दिए हैं। ब्रिटेन में कोरोना का नया स्ट्रेन सामने आने के बाद 21 दिसंबर से नाइट कर्फ्यू लगाया गया, जो 5 जनवरी तक लगा रहेगा। रात 8 बजे के पहले एक जगह पर अधिकतम 50 लोग इकट्ठा हो सकते हैं। पुणे में भी नए साल की ग्रैंड पार्टीज न के बराबर देखने को मिलेंगी। पुणे के एसोसिएशन ऑफ क्लब्स के अध्यक्ष ने बताया कि 31 दिसंबर को सभी क्लब संचालक सोशल डिस्टेंसिंग को देखते हुए बड़ी पार्टी ऑर्गनाइज करने से बच रहे हैं। बेंगलुरु: न्यू ईयर के जश्न पर बैन, रात में घर से बाहर भी नहीं निकल सकेंगे यह बेंगलुरु की चर्च स्ट्रीट है। हर साल 31 दिसंबर की रात यहां लोगों की भीड़ होती है। नाइट कर्फ्यू के कारण इस साल यहां न्यू ईयर सेलिब्रेशन नहीं हो सकेगा। - फाइल फोटो एमजी रोड, ब्रिगेड रोड और चर्च स्ट्रीट पर होने वाला सेलिब्रेशन बेंगलुरु के न्यू ईयर की पहचान है। इस साल कोरोनाकाल में ये तीनों जगहें सूनी रहेंगी। बेंगलुरु महानगर पालिका के कमिश्नर मंजूनाथ प्रसाद ने बताया कि इस साल पब और रेस्टोरेंट में होने वाले सभी न्यू ईयर सेलिब्रेशन पूरी तरह बैन रहेगा। कर्नाटक सरकार भी राज्य में क्रिसमस और न्यू ईयर पार्टीज पर रोक लगाने की गाइडलाइन जारी कर चुकी है। यहां 23 दिसंबर से 2 जनवरी तक नाइट कर्फ्यू लागू रहेगा। सिर्फ जरूरी प्रोग्राम हो सकेंगे, जिसमें कोविड गाइडलाइन का पालन करना जरूरी है। पुड्डुचेरी: नियमों में बंधी रहेंगी पार्टियां, खुली जगहों पर ही मनेगा जश्न सिर्फ नया साल ही नहीं, जनवरी में होने वाले दूसरे फेस्टिवल्स भी पाबंदियों के बीच मनेंगे। न्यू पार्टीज बीच के किनारे खुले में ऑर्गनाइज की जाएंगी। इस दौरान मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना जरूरी होगा। पुड्डुचेरी के बीच रोड पर होने वाली न्यू ईयर पार्टियां लोकल्स के साथ ही बड़ी संख्या में सैलानियों का ध्यान भी खींचती हैं। बीच पार्टियों के लिए प्रशासन ने नई गाइडलाइन लागू की है। सभी बीच पार्टीज के ऑर्गेनाइजर्स को निर्देश दिए गए हैं कि जश्न में शामिल होने वाले गेस्ट्स की संख्या कम से कम रखें। पार्टियां खुली जगहों पर ही ऑर्गेनाइज की जाएंगी। यहां ओपन पार्टी में भी मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा। मुख्यमंत्री वी. नारायणस्वामी का कहना है कि सिर्फ नया साल ही नहीं, सेनी पेयरची और पोंगल जैसे त्योहार को भी सख्त पाबंदियों के बीच मनाया जाएगा। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें Goa Mumbai; New Year 2020 Celebrations India News Photo Update | Celebrations in Goa Shimla Mumbai To Bengaluru Mysore Palace https://ift.tt/3rxfQEe Dainik Bhaskar बेंगलुरू में न्यू ईयर पार्टी बैन, मुम्बई, शिमला और मनाली में नाइट कर्फ्यू ने जश्न की तैयारियों पर फेरा पानी

देश में इस बार नया साल मनाना आसान नहीं होगा। न्यू ईयर ग्रैंड सेलिब्रेशन के लिए प्रसिद्ध मुंबई, बेंगलुरू, मैसूर और पुड्डुचेरी में नए साल की ...
- December 30, 2020
देश में इस बार नया साल मनाना आसान नहीं होगा। न्यू ईयर ग्रैंड सेलिब्रेशन के लिए प्रसिद्ध मुंबई, बेंगलुरू, मैसूर और पुड्डुचेरी में नए साल की वो तस्वीर नहीं दिखेगी, जो यहां के जश्न के लिए मशहूर है। सबसे कम पाबंदियां गोवा में हैं, लेकिन यहां की महंगाई के बीच नया साल मनाना आसान नहीं होगा। जानिए, देशभर के वो शहर, जो नए साल के जश्न के लिए मशहूर हैं, वहां के हालात कैसे हैं और नए साल का सेलिब्रेशन कैसे होगा, पूरी रिपोर्ट... मैसूर : आतिशबाजी से रोशन होने वाला मैसूर पैलेस इस साल सूना रहेगा मैसूर पैलेस को देखने हर साल करीब 60 लाख पर्यटक पहुंचते हैं। विंटर फेस्टिवल से जगमगाने वाला यह पैलेस इस साल शांत है। नाइट कर्फ्यू के कारण यहां न्यू ईयर सेलिब्रेशन नहीं होगा। कर्नाटक के मैसूर पैलेस में हर साल 24 दिसंबर से ही विंटर फेस्टिवल का आगाज होता है। आतिशबाजी देखने के लिए बड़ी संख्या में सैलानी यहां आते हैं, लेकिन इस साल प्रशासन ने विंटर फेस्टिवल पर पूरी तरह रोक लगा दी है। मैसूर होटल ऑनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सी. नारायण गोड़ा के मुताबिक, मैसूर का कोई भी बड़ा होटल इस साल न्यू ईयर पार्टी की तैयारी नहीं कर रहा है। कर्नाटक में 23 दिसंबर से नाइट कर्फ्यू लागू है, जो 2 जनवरी तक जारी रहेगा। गोवा: यहां सख्त पाबंदियां नहीं, न्यू ईयर पर 10 ग्रैंड पार्टियों की प्लानिंग गोवा में न्यू ईयर पार्टी का नजारा ऐसा होता है। यहां हर साल 31 दिसंबर को 25 से 30 ग्रैंड पार्टी ऑर्गनाइज की जाती हैं। इस साल यहां 10 बड़ी पार्टी ही ऑर्गनाइज की जाएंगी। - फाइल फोटो नया साल गोवा में सेलिब्रेट कर सकते हैं, क्योंकि यहां प्रशासन की तरफ से सख्त पाबंदियां नहीं हैं। गोवा में 31 दिसंबर को 10 बड़ी पार्टीज शेड्यूल हैं। हर साल यहां 30 बड़ी पार्टीज ऑर्गनाइज की जाती हैं। महामारी में बिना किसी बंदिश के न्यू ईयर सेलिब्रेट करने के लिए गोवा इस साल बेहतर डेस्टिनेशन है। पुणे की ट्रैवल एजेंसी श्री विनायक हॉलीडेज के ओनर संतोष गुप्ता के मुताबिक, नए साल के लिए गोवा, महाबलेश्वर और लोनावला के लिए जाने वाली कैब में 40% तक बढ़ोतरी हुई है। ट्रैवल कंपनी गो आईबीबो का हालिया सर्वे कहता है कि 60% भारतीय बीच या हिल्स वाले टूरिस्ट स्पॉट पर नया साल मनाना चाहते हैं। शिमला-मनाली: बिना पार्टी सेलिब्रेट करना होगा न्यू ईयर, नाइट कर्फ्यू में एक घंटे की ढील यह शिमला की माल रोड है। यहां हर साल क्रिसमस और न्यू ईयर के सेलिब्रेशन का भव्य नजारा दिखता है, लेकिन इस साल नाइट कर्फ्यू के कारण सन्नाटा रहेगा। हिमाचल प्रदेश के शिमला, मंडी, कांगड़ा और कुल्लू में 5 जनवरी तक के लिए नाइट कर्फ्यू लागू रहेगा। रात 9 बजे से सुबह 6 बजे तक कर्फ्यू की टाइमिंग थी, लेकिन क्रिसमस से पहले इसमें एक घंटे की छूट दी गई है। अब कर्फ्यू रात 10 बजे से लगेगा। यहां हर तरह की पब्लिक गैदरिंग पर रोक है। अगर आप न्यू ईयर सेलिब्रेट करने शिमला या मनाली जा रहे हैं तो पहाड़ों के बीच सुकून के पल तो बिता सकते हैं, पर न्यू ईयर पार्टी का जश्न नहीं मना पाएंगे। मुम्बई: मायानगरी में नाइट कर्फ्यू के बीच होगी नए साल की शुरुआत मुम्बई में 5 जनवरी तक नाइट कर्फ्यू लागू रहेगा। गेटवे ऑफ इंडिया के आसपास होने वाले इवेंट भी इस साल नहीं हो रहे हैं। मुम्बई में नए साल की शुरुआत नाइट कर्फ्यू के बीच होगी। बृहन्मुंबई महानगर पालिका, यानी BMC ने यहां रात 11 से सुबह 6 बजे तक रेस्टोरेंट, होटल, बार और फूड कोर्ट बंद रखने के आदेश दिए हैं। ब्रिटेन में कोरोना का नया स्ट्रेन सामने आने के बाद 21 दिसंबर से नाइट कर्फ्यू लगाया गया, जो 5 जनवरी तक लगा रहेगा। रात 8 बजे के पहले एक जगह पर अधिकतम 50 लोग इकट्ठा हो सकते हैं। पुणे में भी नए साल की ग्रैंड पार्टीज न के बराबर देखने को मिलेंगी। पुणे के एसोसिएशन ऑफ क्लब्स के अध्यक्ष ने बताया कि 31 दिसंबर को सभी क्लब संचालक सोशल डिस्टेंसिंग को देखते हुए बड़ी पार्टी ऑर्गनाइज करने से बच रहे हैं। बेंगलुरु: न्यू ईयर के जश्न पर बैन, रात में घर से बाहर भी नहीं निकल सकेंगे यह बेंगलुरु की चर्च स्ट्रीट है। हर साल 31 दिसंबर की रात यहां लोगों की भीड़ होती है। नाइट कर्फ्यू के कारण इस साल यहां न्यू ईयर सेलिब्रेशन नहीं हो सकेगा। - फाइल फोटो एमजी रोड, ब्रिगेड रोड और चर्च स्ट्रीट पर होने वाला सेलिब्रेशन बेंगलुरु के न्यू ईयर की पहचान है। इस साल कोरोनाकाल में ये तीनों जगहें सूनी रहेंगी। बेंगलुरु महानगर पालिका के कमिश्नर मंजूनाथ प्रसाद ने बताया कि इस साल पब और रेस्टोरेंट में होने वाले सभी न्यू ईयर सेलिब्रेशन पूरी तरह बैन रहेगा। कर्नाटक सरकार भी राज्य में क्रिसमस और न्यू ईयर पार्टीज पर रोक लगाने की गाइडलाइन जारी कर चुकी है। यहां 23 दिसंबर से 2 जनवरी तक नाइट कर्फ्यू लागू रहेगा। सिर्फ जरूरी प्रोग्राम हो सकेंगे, जिसमें कोविड गाइडलाइन का पालन करना जरूरी है। पुड्डुचेरी: नियमों में बंधी रहेंगी पार्टियां, खुली जगहों पर ही मनेगा जश्न सिर्फ नया साल ही नहीं, जनवरी में होने वाले दूसरे फेस्टिवल्स भी पाबंदियों के बीच मनेंगे। न्यू पार्टीज बीच के किनारे खुले में ऑर्गनाइज की जाएंगी। इस दौरान मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना जरूरी होगा। पुड्डुचेरी के बीच रोड पर होने वाली न्यू ईयर पार्टियां लोकल्स के साथ ही बड़ी संख्या में सैलानियों का ध्यान भी खींचती हैं। बीच पार्टियों के लिए प्रशासन ने नई गाइडलाइन लागू की है। सभी बीच पार्टीज के ऑर्गेनाइजर्स को निर्देश दिए गए हैं कि जश्न में शामिल होने वाले गेस्ट्स की संख्या कम से कम रखें। पार्टियां खुली जगहों पर ही ऑर्गेनाइज की जाएंगी। यहां ओपन पार्टी में भी मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा। मुख्यमंत्री वी. नारायणस्वामी का कहना है कि सिर्फ नया साल ही नहीं, सेनी पेयरची और पोंगल जैसे त्योहार को भी सख्त पाबंदियों के बीच मनाया जाएगा। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें Goa Mumbai; New Year 2020 Celebrations India News Photo Update | Celebrations in Goa Shimla Mumbai To Bengaluru Mysore Palace https://ift.tt/3rxfQEe Dainik Bhaskar बेंगलुरू में न्यू ईयर पार्टी बैन, मुम्बई, शिमला और मनाली में नाइट कर्फ्यू ने जश्न की तैयारियों पर फेरा पानी 

देश में इस बार नया साल मनाना आसान नहीं होगा। न्यू ईयर ग्रैंड सेलिब्रेशन के लिए प्रसिद्ध मुंबई, बेंगलुरू, मैसूर और पुड्डुचेरी में नए साल की वो तस्वीर नहीं दिखेगी, जो यहां के जश्न के लिए मशहूर है। सबसे कम पाबंदियां गोवा में हैं, लेकिन यहां की महंगाई के बीच नया साल मनाना आसान नहीं होगा।

जानिए, देशभर के वो शहर, जो नए साल के जश्न के लिए मशहूर हैं, वहां के हालात कैसे हैं और नए साल का सेलिब्रेशन कैसे होगा, पूरी रिपोर्ट...

मैसूर : आतिशबाजी से रोशन होने वाला मैसूर पैलेस इस साल सूना रहेगा

मैसूर पैलेस को देखने हर साल करीब 60 लाख पर्यटक पहुंचते हैं। विंटर फेस्टिवल से जगमगाने वाला यह पैलेस इस साल शांत है। नाइट कर्फ्यू के कारण यहां न्यू ईयर सेलिब्रेशन नहीं होगा।

कर्नाटक के मैसूर पैलेस में हर साल 24 दिसंबर से ही विंटर फेस्टिवल का आगाज होता है। आतिशबाजी देखने के लिए बड़ी संख्या में सैलानी यहां आते हैं, लेकिन इस साल प्रशासन ने विंटर फेस्टिवल पर पूरी तरह रोक लगा दी है। मैसूर होटल ऑनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सी. नारायण गोड़ा के मुताबिक, मैसूर का कोई भी बड़ा होटल इस साल न्यू ईयर पार्टी की तैयारी नहीं कर रहा है। कर्नाटक में 23 दिसंबर से नाइट कर्फ्यू लागू है, जो 2 जनवरी तक जारी रहेगा।

गोवा: यहां सख्त पाबंदियां नहीं, न्यू ईयर पर 10 ग्रैंड पार्टियों की प्लानिंग

गोवा में न्यू ईयर पार्टी का नजारा ऐसा होता है। यहां हर साल 31 दिसंबर को 25 से 30 ग्रैंड पार्टी ऑर्गनाइज की जाती हैं। इस साल यहां 10 बड़ी पार्टी ही ऑर्गनाइज की जाएंगी। - फाइल फोटो

नया साल गोवा में सेलिब्रेट कर सकते हैं, क्योंकि यहां प्रशासन की तरफ से सख्त पाबंदियां नहीं हैं। गोवा में 31 दिसंबर को 10 बड़ी पार्टीज शेड्यूल हैं। हर साल यहां 30 बड़ी पार्टीज ऑर्गनाइज की जाती हैं। महामारी में बिना किसी बंदिश के न्यू ईयर सेलिब्रेट करने के लिए गोवा इस साल बेहतर डेस्टिनेशन है।

पुणे की ट्रैवल एजेंसी श्री विनायक हॉलीडेज के ओनर संतोष गुप्ता के मुताबिक, नए साल के लिए गोवा, महाबलेश्वर और लोनावला के लिए जाने वाली कैब में 40% तक बढ़ोतरी हुई है। ट्रैवल कंपनी गो आईबीबो का हालिया सर्वे कहता है कि 60% भारतीय बीच या हिल्स वाले टूरिस्ट स्पॉट पर नया साल मनाना चाहते हैं।

शिमला-मनाली: बिना पार्टी सेलिब्रेट करना होगा न्यू ईयर, नाइट कर्फ्यू में एक घंटे की ढील

यह शिमला की माल रोड है। यहां हर साल क्रिसमस और न्यू ईयर के सेलिब्रेशन का भव्य नजारा दिखता है, लेकिन इस साल नाइट कर्फ्यू के कारण सन्नाटा रहेगा।

हिमाचल प्रदेश के शिमला, मंडी, कांगड़ा और कुल्लू में 5 जनवरी तक के लिए नाइट कर्फ्यू लागू रहेगा। रात 9 बजे से सुबह 6 बजे तक कर्फ्यू की टाइमिंग थी, लेकिन क्रिसमस से पहले इसमें एक घंटे की छूट दी गई है। अब कर्फ्यू रात 10 बजे से लगेगा। यहां हर तरह की पब्लिक गैदरिंग पर रोक है। अगर आप न्यू ईयर सेलिब्रेट करने शिमला या मनाली जा रहे हैं तो पहाड़ों के बीच सुकून के पल तो बिता सकते हैं, पर न्यू ईयर पार्टी का जश्न नहीं मना पाएंगे।

मुम्बई: मायानगरी में नाइट कर्फ्यू के बीच होगी नए साल की शुरुआत

मुम्बई में 5 जनवरी तक नाइट कर्फ्यू लागू रहेगा। गेटवे ऑफ इंडिया के आसपास होने वाले इवेंट भी इस साल नहीं हो रहे हैं।

मुम्बई में नए साल की शुरुआत नाइट कर्फ्यू के बीच होगी। बृहन्मुंबई महानगर पालिका, यानी BMC ने यहां रात 11 से सुबह 6 बजे तक रेस्टोरेंट, होटल, बार और फूड कोर्ट बंद रखने के आदेश दिए हैं। ब्रिटेन में कोरोना का नया स्ट्रेन सामने आने के बाद 21 दिसंबर से नाइट कर्फ्यू लगाया गया, जो 5 जनवरी तक लगा रहेगा। रात 8 बजे के पहले एक जगह पर अधिकतम 50 लोग इकट्ठा हो सकते हैं।

पुणे में भी नए साल की ग्रैंड पार्टीज न के बराबर देखने को मिलेंगी। पुणे के एसोसिएशन ऑफ क्लब्स के अध्यक्ष ने बताया कि 31 दिसंबर को सभी क्लब संचालक सोशल डिस्टेंसिंग को देखते हुए बड़ी पार्टी ऑर्गनाइज करने से बच रहे हैं।

बेंगलुरु: न्यू ईयर के जश्न पर बैन, रात में घर से बाहर भी नहीं निकल सकेंगे

यह बेंगलुरु की चर्च स्ट्रीट है। हर साल 31 दिसंबर की रात यहां लोगों की भीड़ होती है। नाइट कर्फ्यू के कारण इस साल यहां न्यू ईयर सेलिब्रेशन नहीं हो सकेगा। - फाइल फोटो

एमजी रोड, ब्रिगेड रोड और चर्च स्ट्रीट पर होने वाला सेलिब्रेशन बेंगलुरु के न्यू ईयर की पहचान है। इस साल कोरोनाकाल में ये तीनों जगहें सूनी रहेंगी। बेंगलुरु महानगर पालिका के कमिश्नर मंजूनाथ प्रसाद ने बताया कि इस साल पब और रेस्टोरेंट में होने वाले सभी न्यू ईयर सेलिब्रेशन पूरी तरह बैन रहेगा। कर्नाटक सरकार भी राज्य में क्रिसमस और न्यू ईयर पार्टीज पर रोक लगाने की गाइडलाइन जारी कर चुकी है। यहां 23 दिसंबर से 2 जनवरी तक नाइट कर्फ्यू लागू रहेगा। सिर्फ जरूरी प्रोग्राम हो सकेंगे, जिसमें कोविड गाइडलाइन का पालन करना जरूरी है।

पुड्डुचेरी: नियमों में बंधी रहेंगी पार्टियां, खुली जगहों पर ही मनेगा जश्न

सिर्फ नया साल ही नहीं, जनवरी में होने वाले दूसरे फेस्टिवल्स भी पाबंदियों के बीच मनेंगे। न्यू पार्टीज बीच के किनारे खुले में ऑर्गनाइज की जाएंगी। इस दौरान मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना जरूरी होगा।

पुड्डुचेरी के बीच रोड पर होने वाली न्यू ईयर पार्टियां लोकल्स के साथ ही बड़ी संख्या में सैलानियों का ध्यान भी खींचती हैं। बीच पार्टियों के लिए प्रशासन ने नई गाइडलाइन लागू की है। सभी बीच पार्टीज के ऑर्गेनाइजर्स को निर्देश दिए गए हैं कि जश्न में शामिल होने वाले गेस्ट्स की संख्या कम से कम रखें। पार्टियां खुली जगहों पर ही ऑर्गेनाइज की जाएंगी।

यहां ओपन पार्टी में भी मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा। मुख्यमंत्री वी. नारायणस्वामी का कहना है कि सिर्फ नया साल ही नहीं, सेनी पेयरची और पोंगल जैसे त्योहार को भी सख्त पाबंदियों के बीच मनाया जाएगा।

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Goa Mumbai; New Year 2020 Celebrations India News Photo Update | Celebrations in Goa Shimla Mumbai To Bengaluru Mysore Palace

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आज ही के दिन 2006 में दो दशक तक इराक पर राज करने वाले तानाशाह सद्दाम हुसैन को फांसी दी गई थी। इराक के तिकरित के एक गांव में पैदा हुए सद्दाम हुसैन ने महज 20 साल की उम्र में बाथ पार्टी की सदस्यता ली। 1962 में इराक में हुए विद्रोह का भी हिस्सा सद्दाम हुसैन रहे। उस वक्त उनकी उम्र 25 साल थी। 31 साल का होते-होते सद्दाम इराक की सत्ता में आ गए। बात 1968 की है। जब सद्दाम ने अहमद हसन अल बक्र के साथ मिलकर सत्ता पर कब्जा कर लिया था। अल बक्र के साथ 11 साल शासन करने के बाद सद्दाम ने खराब स्वास्थ्य का हवाला देकर अल बक्र को भी इस्तीफे के लिए मजबूर कर दिया और खुद इराक के राष्ट्रपति बन गए। इसके बाद अगले 20 साल सद्दाम ने इराक पर राज किया। इस दौरान 1982 में सद्दाम पर जानलेवा हमले की कोशिश हुई। इस हमले के बाद दुजैल में 148 शियाओं को मार दिया गया। 2006 में जब सद्दाम को फांसी पर चढ़ाया गया, तो उन्हें इसी नरसंहार का दोषी ठहराया गया था। इससे पहले 2003 में अमेरिका और ब्रिटेन ने इराक पर हमला कर सद्दाम को गिरफ्तार कर लिया था। और इसी के साथ इराक में सद्दाम शासन का खात्मा हुआ। ISRO की स्थापना करने वाले वैज्ञानिक विक्रम साराभाई का निधन वो वैज्ञानिक जिन्होंने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (IIM) की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे जिन्होंने 1962 में इंडियन नेशनल कमिटी फॉर स्पेस रिसर्च की स्थापना की, जिसका नाम बाद में ISRO हुआ। जिन्होंने विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर, तिरुवनंतपुरम की स्थापना की। आज ही के दिन 1971 में उनका निधन हुआ था। हम बात कर रहे हैं विक्रम साराभाई की। उनका जन्म 12 अगस्त 1919 को अहमदाबाद में हुआ था। पढ़ाई कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से पूरी की। 1942 में दूसरे विश्व युद्ध के वक्त देश लौटना पड़ा। यहां आकर रिसर्च पर कई काम किए। 28 साल की उम्र में 11 नवंबर 1947 को अहमदाबाद में भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला की स्थापना की। यहां से शुरू हुआ उनका सफर 1971 तक जारी रहा। उन्हें देश के स्पेस साइंस प्रोग्राम को आगे बढ़ाने और उंचाई पर ले जाने का श्रेय है। विज्ञान में उनके योगदान को देखते हुए 1966 में पद्म भूषण और 1972 में मरणोपरांत पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। सोवियत संघ की स्थापना हुई 1922 में लेनिन ने आसपास के 14 राज्यों को रूस में मिलाया और आधिकारिक रूप से USSR की स्थापना हुई। मॉस्को इसकी राजधानी बनी। व्लादिमिर लेनिन इसके प्रमुख थे। जार की तानाशाही के बाद इसे लोकतंत्र की स्थापना में उठाया गया कदम माना गया। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। एक बार फिर नए तरह का तानाशाही शासन की शुरुआत हुई। स्टालिन इस तानाशाही सत्ता का सबसे बड़ा नाम बने। करीब 69 साल के अपने अस्तित्व के दौरान इस सोवियत संघ ने हिटलर को मात दी। अमेरिका के साथ शीत युद्ध के दौरान दुनिया ने दोनों देशों के बीच परमाणु हथियारों की होड़ देखी। 1985 में गोर्बाचोफ कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव बने, तो उन्होंने सुधार कार्यक्रम शुरू किया क्योंकि उनके पास एक खराब अर्थव्यवस्था और एक अक्षम राजनीतिक ढांचा था। इन्हीं सुधारों का नतीजा रहा कि 1991 में सोवियत संघ का विघटन हो गया। इसके बाद यूक्रेन, बेलारूस, मॉल्डोवा, उज्बेकिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, तजाकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, जॉर्जिया, अजरबेजान, अर्मेनिया, लिथुआनिया, लात्विया और इस्टोनिया के साथ रूस अस्तित्व में आया। भारत और दुनिया में 30 दिसंबर की महत्वपूर्ण घटनाएं : 2007: बेनजीर भुट्टो की हत्या के तीन दिन बाद उनके बेटे बिलावल को पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी का चेयरमैन चुना गया। बिलावल उस वक्त महज 19 साल के थे। 1996: ग्वाटेमाला में 36 साल से चल रहा गृहयुद्ध 29-30 दिसंबर 1996 को खत्म हुआ। 1975: हिन्दी के कवि और गजलकार दुष्यंत कुमार का निधन। 1975: मशहूर गोल्फर अमेरिका के टाइगर वुड्स का जन्म हुआ। वुड्स पहले गोल्फर हैं, जिन्होंने लगातार चार मेजर टूर्नामेंट जीते। 1949: भारत ने चीन को मान्यता दी। एक अक्टूबर 1949 को नए चीन के गठन के बाद उसे मान्यता देने वाले दूसरा गैर-कम्युनिस्ट राष्ट्र बना। 1943: स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस ने पोर्ट ब्लेयर में भारत की आजादी का झंडा लहराया। 1906: अखिल भारतीय मुस्लिम लीग की स्थापना ढाका में हुई। 1865: मशहूर ब्रिटिश राइटर रूडयार्ड किपलिंग का जन्म हुआ। 1803: अंग्रेज मराठा युद्ध के बाद मराठा प्रमुख दौलत राव सिंधिया और अंग्रेजों ने संधि की। इस संधि को सुर्जी-अर्जुनगांव की संधि के नाम से जाना जाता है। 1703: जापान की राजधानी टोक्यो में भूकंप से 37 हजार लोगों की मौत। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें Today History: Aaj Ka Itihas India World 30 December Update | ISRO Scientist Vikram Sarabhai Death Saddam Hussein Hanging Facts https://ift.tt/2KKt9kd Dainik Bhaskar उस तानाशाह को अमेरिका ने फांसी दी, जिसने अपने ऊपर हुए हमले के बाद 148 लोगों को मरवा दिया था

आज ही के दिन 2006 में दो दशक तक इराक पर राज करने वाले तानाशाह सद्दाम हुसैन को फांसी दी गई थी। इराक के तिकरित के एक गांव में पैदा हुए सद्दाम...
- December 30, 2020
आज ही के दिन 2006 में दो दशक तक इराक पर राज करने वाले तानाशाह सद्दाम हुसैन को फांसी दी गई थी। इराक के तिकरित के एक गांव में पैदा हुए सद्दाम हुसैन ने महज 20 साल की उम्र में बाथ पार्टी की सदस्यता ली। 1962 में इराक में हुए विद्रोह का भी हिस्सा सद्दाम हुसैन रहे। उस वक्त उनकी उम्र 25 साल थी। 31 साल का होते-होते सद्दाम इराक की सत्ता में आ गए। बात 1968 की है। जब सद्दाम ने अहमद हसन अल बक्र के साथ मिलकर सत्ता पर कब्जा कर लिया था। अल बक्र के साथ 11 साल शासन करने के बाद सद्दाम ने खराब स्वास्थ्य का हवाला देकर अल बक्र को भी इस्तीफे के लिए मजबूर कर दिया और खुद इराक के राष्ट्रपति बन गए। इसके बाद अगले 20 साल सद्दाम ने इराक पर राज किया। इस दौरान 1982 में सद्दाम पर जानलेवा हमले की कोशिश हुई। इस हमले के बाद दुजैल में 148 शियाओं को मार दिया गया। 2006 में जब सद्दाम को फांसी पर चढ़ाया गया, तो उन्हें इसी नरसंहार का दोषी ठहराया गया था। इससे पहले 2003 में अमेरिका और ब्रिटेन ने इराक पर हमला कर सद्दाम को गिरफ्तार कर लिया था। और इसी के साथ इराक में सद्दाम शासन का खात्मा हुआ। ISRO की स्थापना करने वाले वैज्ञानिक विक्रम साराभाई का निधन वो वैज्ञानिक जिन्होंने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (IIM) की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे जिन्होंने 1962 में इंडियन नेशनल कमिटी फॉर स्पेस रिसर्च की स्थापना की, जिसका नाम बाद में ISRO हुआ। जिन्होंने विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर, तिरुवनंतपुरम की स्थापना की। आज ही के दिन 1971 में उनका निधन हुआ था। हम बात कर रहे हैं विक्रम साराभाई की। उनका जन्म 12 अगस्त 1919 को अहमदाबाद में हुआ था। पढ़ाई कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से पूरी की। 1942 में दूसरे विश्व युद्ध के वक्त देश लौटना पड़ा। यहां आकर रिसर्च पर कई काम किए। 28 साल की उम्र में 11 नवंबर 1947 को अहमदाबाद में भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला की स्थापना की। यहां से शुरू हुआ उनका सफर 1971 तक जारी रहा। उन्हें देश के स्पेस साइंस प्रोग्राम को आगे बढ़ाने और उंचाई पर ले जाने का श्रेय है। विज्ञान में उनके योगदान को देखते हुए 1966 में पद्म भूषण और 1972 में मरणोपरांत पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। सोवियत संघ की स्थापना हुई 1922 में लेनिन ने आसपास के 14 राज्यों को रूस में मिलाया और आधिकारिक रूप से USSR की स्थापना हुई। मॉस्को इसकी राजधानी बनी। व्लादिमिर लेनिन इसके प्रमुख थे। जार की तानाशाही के बाद इसे लोकतंत्र की स्थापना में उठाया गया कदम माना गया। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। एक बार फिर नए तरह का तानाशाही शासन की शुरुआत हुई। स्टालिन इस तानाशाही सत्ता का सबसे बड़ा नाम बने। करीब 69 साल के अपने अस्तित्व के दौरान इस सोवियत संघ ने हिटलर को मात दी। अमेरिका के साथ शीत युद्ध के दौरान दुनिया ने दोनों देशों के बीच परमाणु हथियारों की होड़ देखी। 1985 में गोर्बाचोफ कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव बने, तो उन्होंने सुधार कार्यक्रम शुरू किया क्योंकि उनके पास एक खराब अर्थव्यवस्था और एक अक्षम राजनीतिक ढांचा था। इन्हीं सुधारों का नतीजा रहा कि 1991 में सोवियत संघ का विघटन हो गया। इसके बाद यूक्रेन, बेलारूस, मॉल्डोवा, उज्बेकिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, तजाकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, जॉर्जिया, अजरबेजान, अर्मेनिया, लिथुआनिया, लात्विया और इस्टोनिया के साथ रूस अस्तित्व में आया। भारत और दुनिया में 30 दिसंबर की महत्वपूर्ण घटनाएं : 2007: बेनजीर भुट्टो की हत्या के तीन दिन बाद उनके बेटे बिलावल को पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी का चेयरमैन चुना गया। बिलावल उस वक्त महज 19 साल के थे। 1996: ग्वाटेमाला में 36 साल से चल रहा गृहयुद्ध 29-30 दिसंबर 1996 को खत्म हुआ। 1975: हिन्दी के कवि और गजलकार दुष्यंत कुमार का निधन। 1975: मशहूर गोल्फर अमेरिका के टाइगर वुड्स का जन्म हुआ। वुड्स पहले गोल्फर हैं, जिन्होंने लगातार चार मेजर टूर्नामेंट जीते। 1949: भारत ने चीन को मान्यता दी। एक अक्टूबर 1949 को नए चीन के गठन के बाद उसे मान्यता देने वाले दूसरा गैर-कम्युनिस्ट राष्ट्र बना। 1943: स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस ने पोर्ट ब्लेयर में भारत की आजादी का झंडा लहराया। 1906: अखिल भारतीय मुस्लिम लीग की स्थापना ढाका में हुई। 1865: मशहूर ब्रिटिश राइटर रूडयार्ड किपलिंग का जन्म हुआ। 1803: अंग्रेज मराठा युद्ध के बाद मराठा प्रमुख दौलत राव सिंधिया और अंग्रेजों ने संधि की। इस संधि को सुर्जी-अर्जुनगांव की संधि के नाम से जाना जाता है। 1703: जापान की राजधानी टोक्यो में भूकंप से 37 हजार लोगों की मौत। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें Today History: Aaj Ka Itihas India World 30 December Update | ISRO Scientist Vikram Sarabhai Death Saddam Hussein Hanging Facts https://ift.tt/2KKt9kd Dainik Bhaskar उस तानाशाह को अमेरिका ने फांसी दी, जिसने अपने ऊपर हुए हमले के बाद 148 लोगों को मरवा दिया था 

आज ही के दिन 2006 में दो दशक तक इराक पर राज करने वाले तानाशाह सद्दाम हुसैन को फांसी दी गई थी। इराक के तिकरित के एक गांव में पैदा हुए सद्दाम हुसैन ने महज 20 साल की उम्र में बाथ पार्टी की सदस्यता ली। 1962 में इराक में हुए विद्रोह का भी हिस्सा सद्दाम हुसैन रहे। उस वक्त उनकी उम्र 25 साल थी। 31 साल का होते-होते सद्दाम इराक की सत्ता में आ गए। बात 1968 की है। जब सद्दाम ने अहमद हसन अल बक्र के साथ मिलकर सत्ता पर कब्जा कर लिया था।

अल बक्र के साथ 11 साल शासन करने के बाद सद्दाम ने खराब स्वास्थ्य का हवाला देकर अल बक्र को भी इस्तीफे के लिए मजबूर कर दिया और खुद इराक के राष्ट्रपति बन गए। इसके बाद अगले 20 साल सद्दाम ने इराक पर राज किया। इस दौरान 1982 में सद्दाम पर जानलेवा हमले की कोशिश हुई। इस हमले के बाद दुजैल में 148 शियाओं को मार दिया गया।

2006 में जब सद्दाम को फांसी पर चढ़ाया गया, तो उन्हें इसी नरसंहार का दोषी ठहराया गया था। इससे पहले 2003 में अमेरिका और ब्रिटेन ने इराक पर हमला कर सद्दाम को गिरफ्तार कर लिया था। और इसी के साथ इराक में सद्दाम शासन का खात्मा हुआ।

ISRO की स्थापना करने वाले वैज्ञानिक विक्रम साराभाई का निधन

वो वैज्ञानिक जिन्होंने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (IIM) की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे जिन्होंने 1962 में इंडियन नेशनल कमिटी फॉर स्पेस रिसर्च की स्थापना की, जिसका नाम बाद में ISRO हुआ। जिन्होंने विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर, तिरुवनंतपुरम की स्थापना की। आज ही के दिन 1971 में उनका निधन हुआ था। हम बात कर रहे हैं विक्रम साराभाई की।

उनका जन्म 12 अगस्त 1919 को अहमदाबाद में हुआ था। पढ़ाई कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से पूरी की। 1942 में दूसरे विश्व युद्ध के वक्त देश लौटना पड़ा। यहां आकर रिसर्च पर कई काम किए। 28 साल की उम्र में 11 नवंबर 1947 को अहमदाबाद में भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला की स्थापना की। यहां से शुरू हुआ उनका सफर 1971 तक जारी रहा। उन्हें देश के स्पेस साइंस प्रोग्राम को आगे बढ़ाने और उंचाई पर ले जाने का श्रेय है। विज्ञान में उनके योगदान को देखते हुए 1966 में पद्म भूषण और 1972 में मरणोपरांत पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।

सोवियत संघ की स्थापना हुई

1922 में लेनिन ने आसपास के 14 राज्यों को रूस में मिलाया और आधिकारिक रूप से USSR की स्थापना हुई। मॉस्को इसकी राजधानी बनी। व्लादिमिर लेनिन इसके प्रमुख थे। जार की तानाशाही के बाद इसे लोकतंत्र की स्थापना में उठाया गया कदम माना गया। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। एक बार फिर नए तरह का तानाशाही शासन की शुरुआत हुई।

स्टालिन इस तानाशाही सत्ता का सबसे बड़ा नाम बने। करीब 69 साल के अपने अस्तित्व के दौरान इस सोवियत संघ ने हिटलर को मात दी। अमेरिका के साथ शीत युद्ध के दौरान दुनिया ने दोनों देशों के बीच परमाणु हथियारों की होड़ देखी।

1985 में गोर्बाचोफ कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव बने, तो उन्होंने सुधार कार्यक्रम शुरू किया क्योंकि उनके पास एक खराब अर्थव्यवस्था और एक अक्षम राजनीतिक ढांचा था। इन्हीं सुधारों का नतीजा रहा कि 1991 में सोवियत संघ का विघटन हो गया। इसके बाद यूक्रेन, बेलारूस, मॉल्डोवा, उज्बेकिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, तजाकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, जॉर्जिया, अजरबेजान, अर्मेनिया, लिथुआनिया, लात्विया और इस्टोनिया के साथ रूस अस्तित्व में आया।

भारत और दुनिया में 30 दिसंबर की महत्वपूर्ण घटनाएं :

2007: बेनजीर भुट्टो की हत्या के तीन दिन बाद उनके बेटे बिलावल को पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी का चेयरमैन चुना गया। बिलावल उस वक्त महज 19 साल के थे।

1996: ग्वाटेमाला में 36 साल से चल रहा गृहयुद्ध 29-30 दिसंबर 1996 को खत्म हुआ।

1975: हिन्दी के कवि और गजलकार दुष्यंत कुमार का निधन।

1975: मशहूर गोल्फर अमेरिका के टाइगर वुड्स का जन्म हुआ। वुड्स पहले गोल्फर हैं, जिन्होंने लगातार चार मेजर टूर्नामेंट जीते।

1949: भारत ने चीन को मान्यता दी। एक अक्टूबर 1949 को नए चीन के गठन के बाद उसे मान्यता देने वाले दूसरा गैर-कम्युनिस्ट राष्ट्र बना।

1943: स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस ने पोर्ट ब्लेयर में भारत की आजादी का झंडा लहराया।

1906: अखिल भारतीय मुस्लिम लीग की स्थापना ढाका में हुई।

1865: मशहूर ब्रिटिश राइटर रूडयार्ड किपलिंग का जन्म हुआ।

1803: अंग्रेज मराठा युद्ध के बाद मराठा प्रमुख दौलत राव सिंधिया और अंग्रेजों ने संधि की। इस संधि को सुर्जी-अर्जुनगांव की संधि के नाम से जाना जाता है।

1703: जापान की राजधानी टोक्यो में भूकंप से 37 हजार लोगों की मौत।

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Today History: Aaj Ka Itihas India World 30 December Update | ISRO Scientist Vikram Sarabhai Death Saddam Hussein Hanging Facts

https://ift.tt/2KKt9kd Dainik Bhaskar उस तानाशाह को अमेरिका ने फांसी दी, जिसने अपने ऊपर हुए हमले के बाद 148 लोगों को मरवा दिया था Reviewed by Manish Pethev on December 30, 2020 Rating: 5

क्या आपको पता है कि भारत में एसिडिटी से कितने लोग परेशान हैं? जवाब है 25 करोड़। यह उन लोगों का आंकड़ा है, जिन्हें एसिडिटी एक परमानेंट बीमारी के तौर पर परेशान कर रही है। ऐसे लोगों का तो कोई आंकड़ा ही नहीं है, जिन्हें यह कभी-कभी होती है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि देश में एसिडिटी कितनी आम समस्या है। सर्दियों का मौसम चल रहा है, इसमें एसिडिटी की समस्या बढ़ जाती है। लखनऊ में फिजीशियन डॉ. शिखा पांडे बताती हैं कि सर्दियों में एसिडिटी के मामले आम दिनों की तुलना में दोगुने हो जाते हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह सर्दियों में डाइजेशन सिस्टम का स्लो हो जाना है। सर्दियों में लोगों का फिजिकल एक्सरसाइज और खान-पान को लेकर ज्यादा लापरवाह हो जाना भी इसकी एक वजह है। एसिडिटी क्या है? डॉ. शिखा के मुताबिक, हमारे पेट की ग्रंथियों द्वारा एक एसिड बनता है, इसे ऑर्गेनिक एसिड कहते हैं। जब यही एसिड जरूरत से ज्यादा बनने लगता है, तो यह हमारे लिए एक बड़ी समस्या बन जाता है। इसे ही एसिडिटी कहा जाता है। एसिडिटी की वजह से पेट में अल्सर, गेस्ट्रिक सूजन, हार्ट-बर्न और अपच जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। कई दवाएं भी गेस्ट्रिक की वजह बनती हैं। ज्यादा या भारी खाना खाने से होने वाली एसिडिटी के चलते पेट और छाती में तेज जलन होती है। जिन लोगों को एसिडिटी होती है, उनमें अपच और कब्ज भी आम है। एसिडिटी के कारण क्या हैं? हमारा पेट आमतौर पर गेस्ट्रिक एसिड बनाता है, जो डाइजेशन में मदद करता है। गेस्ट्रिक एसिड मतलब, पेट में बनने वाला एसिड लिक्विड फॉर्म में न होकर गैस के फॉर्म में होता है। हमारी लापरवाही के चलते या ठंड लग जाने के बाद यह ज्यादा मात्रा में बनने लगती है। इसके बनने की वजह बस यहीं तक सीमित नहीं हैं। अगर कोई जरूरत से ज्यादा तनाव लेता है, तो उसे एसिडिटी की समस्या हो सकती है। एसिडिटी के शुरुआती लक्षण क्या हैं? एसिडिटी के कई लक्षण होते हैं, लेकिन कुछ लक्षण प्रॉमिनेंट होते हैं। यानी अगर आपको ऐसी समस्याएं लगातार दिख रही हैं तो आप समझ जाइए कि आपको एसिडिटी हो गई है। अगर आप शुरूआती लक्षणों को नजरअंदाज कर रहे हैं, तो यह एसिडिटी एक परमानेंट समस्या के तौर पर उभर सकती है। बचने के लिए बरतें ये सावधानियां यहां हम इलाज की बात नहीं कर रहे हैं बल्कि हम आपको यह बता रहे हैं कि एसिडिटी से बचने के लिए क्या करें। रिफ्लक्स पैदा करने वाले खाने से बचें: अधिक मसालेदार भोजन, कॉफी और कार्बोनेट युक्त खाना न खाएं। खाने को तीन के बजाय 5 हिस्से में बांटें: दिन में 3 बार नियमित खाना न खाएं, इसे 5 छोटे भागों में बांटे ताकि दबाव से बचा जा सके। खाना खाने के बाद लेटे ना: खाने के बाद अपने बिस्तर तक पहुंचने के लिए कम से कम आधे घंटे का समय लें, खाने के बाद तुरंत लेटने से डाइजेशन सिस्टम पर बुरा असर पड़ता है। नॉर्मल एसिडिटी में ही सावधान हो जाएं: अगर गैस बन रही है तो कुछ हफ्तों के लिए एसिडिटी ट्रिगर करने वाले खाने को छोड़ दें। इसे नजरंदाज करना ठीक नहीं। फैट को कंट्रोल करें : अगर वजन बढ़ रहा है और शरीर में ज्यादा फैट नजर आ रहा है तो यह एसिडिटी की वजह बन सकता है। इसलिए जितना जल्दी हो सके, बॉडी फैट को कंट्रोल करें। कुछ दवाओं से बचें: कुछ ओटीसी दवाएं जैसे इब्युप्रोफेन, पेरासिटामोल एसिडिटी और दूसरी प्रिस्क्रिप्शन दवाओं जैसे एंटिचोलिनर्जिक्स, डोपामाइन जैसी दवाओं, थियोफाइलिइन, सेडेटिव्स, कैल्शियम चैनल ब्लॉकर्स और बीटा-ब्लॉकर से एसिडिटी पैदा हो सकती हैं। अगर डॉक्टर इन दवाओं को लिखता है तभी लें। कैसे पाएं एसिडिटी से निजात ? अगर एसिडिटी हो गई है, तो उससे छुटकारा पाने के लिए कुछ विशेष सावधानियों को बरतना होगा। डॉ. शिखा के मुताबिक, इसके इलाज के दौरान सबसे पहले हमें खुद पर कंट्रोल करना होगा। खाने-पीने से लेकर फिजिकल एक्टिविटी तक कोई भी लापरवाही महंगी पड़ सकती है। ये 3 चेकअप जरूरी PH की निगरानी: यह एसोफैगस में एसिड लेवल की जांच करता है। यह डिवाइस डॉक्टर द्वारा एसोफैगस में डाला जाता है, यह एसोफैगस में एसिड की मात्रा को मापने के लिए 2 दिनों के लिए वहां छोड़ दिया जाता है। बेरियम स्वल्लो: यह नैरो एसोफैगस और अल्सर का पता लगाने में मदद करता है। अगर ज्यादा दिक्कत हो रही है, तो आपको इस टेस्ट से भी गुजरना चाहिए। एंडोस्कोपी: निचले हिस्से में छोटे कैमरे के साथ एक लंबी, लचीली रोशनी वाली ट्यूब को मुंह के माध्यम से डाला जाता है और कैमरा से एसोफैगस की मदद से पेट की समस्याओं का पता लगाया जाता है। खाने में इन चीजों को करें शामिल बादाम: यह पेट के दर्द से राहत देता है और एसिडिटी को पूरी तरह रोकता है। इसे लेने में एक बात का ध्यान रखें कि इसे खाना खाने के बाद लें और 4 बादाम से ज्यादा न लें। केला और सेब: केले में प्राकृतिक रूप से एंटासिड होता है। इसे भी रात के खाने के बाद लिया जा सकता है। यह पेट में जरूरत से ज्यादा एसिड नहीं बनने देता। नारियल पानी: नारियल पानी पीने के दौरान, शरीर का PH एसिडिक लेवल क्षारीय हो जाता है और यह एसिड के गंभीर प्रभावों से बचाता है। यह फाइबर युक्त पानी होता है, इससे पाचन भी आसान हो जाता है और एसिडिटी के प्रेशर को भी कम करता है। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें Ignoring acidity can cause diseases like ulcers, causes, symptoms and ways to avoid https://ift.tt/3o1rd5b Dainik Bhaskar एसिडिटी को नजरअंदाज करने से हो सकती हैं अल्सर जैसी बीमारियां; जानें कारण, लक्षण और बचने के उपाय

क्या आपको पता है कि भारत में एसिडिटी से कितने लोग परेशान हैं? जवाब है 25 करोड़। यह उन लोगों का आंकड़ा है, जिन्हें एसिडिटी एक परमानेंट बीमारी...
- December 30, 2020
क्या आपको पता है कि भारत में एसिडिटी से कितने लोग परेशान हैं? जवाब है 25 करोड़। यह उन लोगों का आंकड़ा है, जिन्हें एसिडिटी एक परमानेंट बीमारी के तौर पर परेशान कर रही है। ऐसे लोगों का तो कोई आंकड़ा ही नहीं है, जिन्हें यह कभी-कभी होती है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि देश में एसिडिटी कितनी आम समस्या है। सर्दियों का मौसम चल रहा है, इसमें एसिडिटी की समस्या बढ़ जाती है। लखनऊ में फिजीशियन डॉ. शिखा पांडे बताती हैं कि सर्दियों में एसिडिटी के मामले आम दिनों की तुलना में दोगुने हो जाते हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह सर्दियों में डाइजेशन सिस्टम का स्लो हो जाना है। सर्दियों में लोगों का फिजिकल एक्सरसाइज और खान-पान को लेकर ज्यादा लापरवाह हो जाना भी इसकी एक वजह है। एसिडिटी क्या है? डॉ. शिखा के मुताबिक, हमारे पेट की ग्रंथियों द्वारा एक एसिड बनता है, इसे ऑर्गेनिक एसिड कहते हैं। जब यही एसिड जरूरत से ज्यादा बनने लगता है, तो यह हमारे लिए एक बड़ी समस्या बन जाता है। इसे ही एसिडिटी कहा जाता है। एसिडिटी की वजह से पेट में अल्सर, गेस्ट्रिक सूजन, हार्ट-बर्न और अपच जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। कई दवाएं भी गेस्ट्रिक की वजह बनती हैं। ज्यादा या भारी खाना खाने से होने वाली एसिडिटी के चलते पेट और छाती में तेज जलन होती है। जिन लोगों को एसिडिटी होती है, उनमें अपच और कब्ज भी आम है। एसिडिटी के कारण क्या हैं? हमारा पेट आमतौर पर गेस्ट्रिक एसिड बनाता है, जो डाइजेशन में मदद करता है। गेस्ट्रिक एसिड मतलब, पेट में बनने वाला एसिड लिक्विड फॉर्म में न होकर गैस के फॉर्म में होता है। हमारी लापरवाही के चलते या ठंड लग जाने के बाद यह ज्यादा मात्रा में बनने लगती है। इसके बनने की वजह बस यहीं तक सीमित नहीं हैं। अगर कोई जरूरत से ज्यादा तनाव लेता है, तो उसे एसिडिटी की समस्या हो सकती है। एसिडिटी के शुरुआती लक्षण क्या हैं? एसिडिटी के कई लक्षण होते हैं, लेकिन कुछ लक्षण प्रॉमिनेंट होते हैं। यानी अगर आपको ऐसी समस्याएं लगातार दिख रही हैं तो आप समझ जाइए कि आपको एसिडिटी हो गई है। अगर आप शुरूआती लक्षणों को नजरअंदाज कर रहे हैं, तो यह एसिडिटी एक परमानेंट समस्या के तौर पर उभर सकती है। बचने के लिए बरतें ये सावधानियां यहां हम इलाज की बात नहीं कर रहे हैं बल्कि हम आपको यह बता रहे हैं कि एसिडिटी से बचने के लिए क्या करें। रिफ्लक्स पैदा करने वाले खाने से बचें: अधिक मसालेदार भोजन, कॉफी और कार्बोनेट युक्त खाना न खाएं। खाने को तीन के बजाय 5 हिस्से में बांटें: दिन में 3 बार नियमित खाना न खाएं, इसे 5 छोटे भागों में बांटे ताकि दबाव से बचा जा सके। खाना खाने के बाद लेटे ना: खाने के बाद अपने बिस्तर तक पहुंचने के लिए कम से कम आधे घंटे का समय लें, खाने के बाद तुरंत लेटने से डाइजेशन सिस्टम पर बुरा असर पड़ता है। नॉर्मल एसिडिटी में ही सावधान हो जाएं: अगर गैस बन रही है तो कुछ हफ्तों के लिए एसिडिटी ट्रिगर करने वाले खाने को छोड़ दें। इसे नजरंदाज करना ठीक नहीं। फैट को कंट्रोल करें : अगर वजन बढ़ रहा है और शरीर में ज्यादा फैट नजर आ रहा है तो यह एसिडिटी की वजह बन सकता है। इसलिए जितना जल्दी हो सके, बॉडी फैट को कंट्रोल करें। कुछ दवाओं से बचें: कुछ ओटीसी दवाएं जैसे इब्युप्रोफेन, पेरासिटामोल एसिडिटी और दूसरी प्रिस्क्रिप्शन दवाओं जैसे एंटिचोलिनर्जिक्स, डोपामाइन जैसी दवाओं, थियोफाइलिइन, सेडेटिव्स, कैल्शियम चैनल ब्लॉकर्स और बीटा-ब्लॉकर से एसिडिटी पैदा हो सकती हैं। अगर डॉक्टर इन दवाओं को लिखता है तभी लें। कैसे पाएं एसिडिटी से निजात ? अगर एसिडिटी हो गई है, तो उससे छुटकारा पाने के लिए कुछ विशेष सावधानियों को बरतना होगा। डॉ. शिखा के मुताबिक, इसके इलाज के दौरान सबसे पहले हमें खुद पर कंट्रोल करना होगा। खाने-पीने से लेकर फिजिकल एक्टिविटी तक कोई भी लापरवाही महंगी पड़ सकती है। ये 3 चेकअप जरूरी PH की निगरानी: यह एसोफैगस में एसिड लेवल की जांच करता है। यह डिवाइस डॉक्टर द्वारा एसोफैगस में डाला जाता है, यह एसोफैगस में एसिड की मात्रा को मापने के लिए 2 दिनों के लिए वहां छोड़ दिया जाता है। बेरियम स्वल्लो: यह नैरो एसोफैगस और अल्सर का पता लगाने में मदद करता है। अगर ज्यादा दिक्कत हो रही है, तो आपको इस टेस्ट से भी गुजरना चाहिए। एंडोस्कोपी: निचले हिस्से में छोटे कैमरे के साथ एक लंबी, लचीली रोशनी वाली ट्यूब को मुंह के माध्यम से डाला जाता है और कैमरा से एसोफैगस की मदद से पेट की समस्याओं का पता लगाया जाता है। खाने में इन चीजों को करें शामिल बादाम: यह पेट के दर्द से राहत देता है और एसिडिटी को पूरी तरह रोकता है। इसे लेने में एक बात का ध्यान रखें कि इसे खाना खाने के बाद लें और 4 बादाम से ज्यादा न लें। केला और सेब: केले में प्राकृतिक रूप से एंटासिड होता है। इसे भी रात के खाने के बाद लिया जा सकता है। यह पेट में जरूरत से ज्यादा एसिड नहीं बनने देता। नारियल पानी: नारियल पानी पीने के दौरान, शरीर का PH एसिडिक लेवल क्षारीय हो जाता है और यह एसिड के गंभीर प्रभावों से बचाता है। यह फाइबर युक्त पानी होता है, इससे पाचन भी आसान हो जाता है और एसिडिटी के प्रेशर को भी कम करता है। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें Ignoring acidity can cause diseases like ulcers, causes, symptoms and ways to avoid https://ift.tt/3o1rd5b Dainik Bhaskar एसिडिटी को नजरअंदाज करने से हो सकती हैं अल्सर जैसी बीमारियां; जानें कारण, लक्षण और बचने के उपाय 

क्या आपको पता है कि भारत में एसिडिटी से कितने लोग परेशान हैं? जवाब है 25 करोड़। यह उन लोगों का आंकड़ा है, जिन्हें एसिडिटी एक परमानेंट बीमारी के तौर पर परेशान कर रही है। ऐसे लोगों का तो कोई आंकड़ा ही नहीं है, जिन्हें यह कभी-कभी होती है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि देश में एसिडिटी कितनी आम समस्या है। सर्दियों का मौसम चल रहा है, इसमें एसिडिटी की समस्या बढ़ जाती है।

लखनऊ में फिजीशियन डॉ. शिखा पांडे बताती हैं कि सर्दियों में एसिडिटी के मामले आम दिनों की तुलना में दोगुने हो जाते हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह सर्दियों में डाइजेशन सिस्टम का स्लो हो जाना है। सर्दियों में लोगों का फिजिकल एक्सरसाइज और खान-पान को लेकर ज्यादा लापरवाह हो जाना भी इसकी एक वजह है।

एसिडिटी क्या है?

डॉ. शिखा के मुताबिक, हमारे पेट की ग्रंथियों द्वारा एक एसिड बनता है, इसे ऑर्गेनिक एसिड कहते हैं। जब यही एसिड जरूरत से ज्यादा बनने लगता है, तो यह हमारे लिए एक बड़ी समस्या बन जाता है। इसे ही एसिडिटी कहा जाता है।

एसिडिटी की वजह से पेट में अल्सर, गेस्ट्रिक सूजन, हार्ट-बर्न और अपच जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। कई दवाएं भी गेस्ट्रिक की वजह बनती हैं। ज्यादा या भारी खाना खाने से होने वाली एसिडिटी के चलते पेट और छाती में तेज जलन होती है। जिन लोगों को एसिडिटी होती है, उनमें अपच और कब्ज भी आम है।

एसिडिटी के कारण क्या हैं?

हमारा पेट आमतौर पर गेस्ट्रिक एसिड बनाता है, जो डाइजेशन में मदद करता है। गेस्ट्रिक एसिड मतलब, पेट में बनने वाला एसिड लिक्विड फॉर्म में न होकर गैस के फॉर्म में होता है। हमारी लापरवाही के चलते या ठंड लग जाने के बाद यह ज्यादा मात्रा में बनने लगती है। इसके बनने की वजह बस यहीं तक सीमित नहीं हैं। अगर कोई जरूरत से ज्यादा तनाव लेता है, तो उसे एसिडिटी की समस्या हो सकती है।

एसिडिटी के शुरुआती लक्षण क्या हैं?

एसिडिटी के कई लक्षण होते हैं, लेकिन कुछ लक्षण प्रॉमिनेंट होते हैं। यानी अगर आपको ऐसी समस्याएं लगातार दिख रही हैं तो आप समझ जाइए कि आपको एसिडिटी हो गई है। अगर आप शुरूआती लक्षणों को नजरअंदाज कर रहे हैं, तो यह एसिडिटी एक परमानेंट समस्या के तौर पर उभर सकती है।

बचने के लिए बरतें ये सावधानियां
यहां हम इलाज की बात नहीं कर रहे हैं बल्कि हम आपको यह बता रहे हैं कि एसिडिटी से बचने के लिए क्या करें।

रिफ्लक्स पैदा करने वाले खाने से बचें: अधिक मसालेदार भोजन, कॉफी और कार्बोनेट युक्त खाना न खाएं।

खाने को तीन के बजाय 5 हिस्से में बांटें: दिन में 3 बार नियमित खाना न खाएं, इसे 5 छोटे भागों में बांटे ताकि दबाव से बचा जा सके।

खाना खाने के बाद लेटे ना: खाने के बाद अपने बिस्तर तक पहुंचने के लिए कम से कम आधे घंटे का समय लें, खाने के बाद तुरंत लेटने से डाइजेशन सिस्टम पर बुरा असर पड़ता है।

नॉर्मल एसिडिटी में ही सावधान हो जाएं: अगर गैस बन रही है तो कुछ हफ्तों के लिए एसिडिटी ट्रिगर करने वाले खाने को छोड़ दें। इसे नजरंदाज करना ठीक नहीं।

फैट को कंट्रोल करें : अगर वजन बढ़ रहा है और शरीर में ज्यादा फैट नजर आ रहा है तो यह एसिडिटी की वजह बन सकता है। इसलिए जितना जल्दी हो सके, बॉडी फैट को कंट्रोल करें।

कुछ दवाओं से बचें: कुछ ओटीसी दवाएं जैसे इब्युप्रोफेन, पेरासिटामोल एसिडिटी और दूसरी प्रिस्क्रिप्शन दवाओं जैसे एंटिचोलिनर्जिक्स, डोपामाइन जैसी दवाओं, थियोफाइलिइन, सेडेटिव्स, कैल्शियम चैनल ब्लॉकर्स और बीटा-ब्लॉकर से एसिडिटी पैदा हो सकती हैं। अगर डॉक्टर इन दवाओं को लिखता है तभी लें।

कैसे पाएं एसिडिटी से निजात ?

अगर एसिडिटी हो गई है, तो उससे छुटकारा पाने के लिए कुछ विशेष सावधानियों को बरतना होगा। डॉ. शिखा के मुताबिक, इसके इलाज के दौरान सबसे पहले हमें खुद पर कंट्रोल करना होगा। खाने-पीने से लेकर फिजिकल एक्टिविटी तक कोई भी लापरवाही महंगी पड़ सकती है।

ये 3 चेकअप जरूरी

PH की निगरानी: यह एसोफैगस में एसिड लेवल की जांच करता है। यह डिवाइस डॉक्टर द्वारा एसोफैगस में डाला जाता है, यह एसोफैगस में एसिड की मात्रा को मापने के लिए 2 दिनों के लिए वहां छोड़ दिया जाता है।

बेरियम स्वल्लो: यह नैरो एसोफैगस और अल्सर का पता लगाने में मदद करता है। अगर ज्यादा दिक्कत हो रही है, तो आपको इस टेस्ट से भी गुजरना चाहिए।

एंडोस्कोपी: निचले हिस्से में छोटे कैमरे के साथ एक लंबी, लचीली रोशनी वाली ट्यूब को मुंह के माध्यम से डाला जाता है और कैमरा से एसोफैगस की मदद से पेट की समस्याओं का पता लगाया जाता है।

खाने में इन चीजों को करें शामिल

बादाम: यह पेट के दर्द से राहत देता है और एसिडिटी को पूरी तरह रोकता है। इसे लेने में एक बात का ध्यान रखें कि इसे खाना खाने के बाद लें और 4 बादाम से ज्यादा न लें।

केला और सेब: केले में प्राकृतिक रूप से एंटासिड होता है। इसे भी रात के खाने के बाद लिया जा सकता है। यह पेट में जरूरत से ज्यादा एसिड नहीं बनने देता।

नारियल पानी: नारियल पानी पीने के दौरान, शरीर का PH एसिडिक लेवल क्षारीय हो जाता है और यह एसिड के गंभीर प्रभावों से बचाता है। यह फाइबर युक्त पानी होता है, इससे पाचन भी आसान हो जाता है और एसिडिटी के प्रेशर को भी कम करता है।

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Ignoring acidity can cause diseases like ulcers, causes, symptoms and ways to avoid

https://ift.tt/3o1rd5b Dainik Bhaskar एसिडिटी को नजरअंदाज करने से हो सकती हैं अल्सर जैसी बीमारियां; जानें कारण, लक्षण और बचने के उपाय Reviewed by Manish Pethev on December 30, 2020 Rating: 5

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