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यूरोपीय यूनियन सेफ्टी एजेंसी (ईएएसए) ने अपने 32 मेंबर देशों से कहा है कि वो फौरन पाकिस्तान के पायलटों पर बैन लगाए। सेफ्टी एजेंसी ने इन देशों को एक लेटर में लिखा- पाकिस्तान में पायलटों के लाइसेंस से जुड़ा बड़ा फ्रॉड सामने आया है। हम किसी तरह का रिस्क नहीं ले सकते। लिहाजा, इन पायलटों के एयरक्राफ्ट ऑपरेशन पर फौरन रोक लगाई जाए। दूसरी तरफ, पाकिस्तान की एविएशन मिनिस्ट्री ने पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस के 34 पायलट्स को सस्पेंड कर दिया। इनमें दो महिला पायलट भी शामिल हैं।
सेफ्टी एजेंसी ने क्या कहा?
ईएएसए ने मेंबर देशों को लिखे लेटर में कहा, ‘आपको इस बात की जानकारी मिल चुकी है कि पाकिस्तानी पायलटों के एक बड़े तबके के पास फर्जी लाइसेंस (करीब 40%) हैं। यह लाइसेंस पाकिस्तान की सिविल एविएशन अथॉरिटी ने ही जारी किए थे। हमारे लिए यह फिक्र की वजह है। लिहाजा, उन पायलटों पर फौरन रोक लगाएं जिनके पास पाकिस्तान से जारी लाइसेंस हैं। अगर आपके यहां पाकिस्तानी पायलट हैं तो इसकी जानकारी हमें दें।’
34 पायलट्स की नौकरी गई
पाकिस्तान ने 34 पायलटों के लाइसेंस की जांच पूरी करने के बाद इन्हें बर्खास्त कर दिया है। इन सभी के लाइसेंस संदिग्ध पाए गए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, नौकरी से हटाए गए पायलटों में दो महिला पायलट भी शामिल हैं। एविएशन मिनिस्ट्री ने कहा- यह मामला सामने आने के बाद हमारी साख खतरे में है।
6 देश पहले ही लगा चुके हैं बैन
कुवैत, ईरान, जॉर्डन, यूएई जैसे देश पहले ही पीआईए और पाकिस्तानी पायलटों को बैन कर चुके हैं। इसके बाद वियतनाम और ब्रिटेन ने भी यही फैसला किया। अब इस लिस्ट में मलेशिया भी शामिल हो गया है।
कैसे सामने आया फर्जीवाड़ा
22 मई को कराची में पीआईए का प्लेन क्रैश हुआ। 25 जून को इसकी जांच रिपोर्ट संसद में पेश हुई। एविएशन मिनिस्टर ने कहा- हादसा पायलट्स की गलती से हुआ। वो कोरोना पर चर्चा में मशगूल थे। पीआईए में 860 पायलट हैं। 262 के लाइसेंस फर्जी होने का शक है। इनके उड़ान भरने पर रोक लगा दी गई है। दिवालिया होने की कगार पर खड़ी पीआईए की मुश्कलें अब बढ़ती जा रही हैं।
पाकिस्तान के फर्जी पायलटों से जुड़ी ये खबरें भी आप पढ़ सकते हैं...
1. अब मलेशिया ने पाकिस्तान के पायलटों पर बैन लगाया, कहा- पाकिस्तान के एविएशन मिनिस्टर ने खुद माना कि उनके 40% पायलट फर्जी हैं
2. पाकिस्तान की सरकारी एयरलाइंस के 860 में से 150 पायलट नहीं उड़ा सकेंगे प्लेन, 262 पायलट्स का एग्जाम किसी और ने दिया था
3. पाकिस्तान में फर्जी लाइसेंस वाले 262 पायलट्स के एयरकाफ्ट उड़ाने पर रोक, इनके खिलाफ जांच होगी, दोषी पाए गए तो जेल जाएंगे
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पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस (पीआईए) ने पिछले महीने 141 पायलट्स के उड़ान भरने पर रोक लगा दी थी। इसके बाद 262 पायलटों के लाइसेंस भी संदिग्ध पाए गए थे। (फाइल)
https://ift.tt/38zoMjw Dainik Bhaskar यूरोप की सेफ्टी एजेंसी ने 32 देशों से पाकिस्तानी पायलटों पर बैन लगाने को कहा; इमरान सरकार ने 2 महिलाओं समेत 34 पायलट सस्पेंड किए
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यूपी पुलिस के लिए चुनौती बना 4 लाख का इनामी गैंगस्टर विकास दुबे का एमपी कनेक्शनसामने आने के बाद कुछ नई कहानियां सामने आई हैं। मध्य प्रदेश के शहडोल जिले कि बुढ़ार कस्बे से यूपी एसटीएफ विकास दुबे के साले ज्ञानेंद्र निगम उर्फ राजू और भतीजे आदर्श को उठाकर ले गई है। विकास दुबे ने करीब 20 साल पहले ज्ञानेंद्र निगम की बहन रिचा निगम उर्फ सोनू से कानपुर में लव मैरिज की थी। बताया जा रहा है कि इन दिनों विकास के काम रिचा खुद देख रही थी। विकास द्वारा 8 पुलिसकर्मियों को हत्या किए जाने के बाद से रिचा भी फरार है।
यूपी एसटीएफ सोमवार शाम को शहडोल के बुढ़ार पहुंची और विकास के भतीजे आदर्श को उठा लिया। आदर्श के पिता ज्ञानेंद्र उस समय बुढ़ार में नहीं थे। मंगलवार शाम को जब वे बुढ़ार पहुंचे तो सीधे एसपी से मिलने पहुंचे और अपना पक्ष रखा। बुढार पुलिस ने रातभर ज्ञानेंद्र को थाने में रखा। इसके बाद बुधवार सुबह यूपी एसटीएफ की टीम फिर बुढ़ार पहुंची और ज्ञानेंद्र को भी अपने साथ ले गई।
विकास के साले और भतीजे को ले गई यूपी एसटीएफ
मंगलवार शाम ज्ञानेंद्र ने बताया था कि वे और विकास 25 साल पहले अच्छे दोस्त थे। उसकी बहन से रिचा निगम से विकास ने करीब 20 साल पहले शादी की है। दो आपराधिक मामलों में उसका विकास के साथ नाम आने के बाद वो कानपुर से बुढ़ार आ गया। और यहीं पर अपना कारोबार कर रहा है। उसका विकास और अपनी बहन रिचा से कोई संबंध नहीं है। 10-15 साल से तो उसकी विकास से बात भी नहीं हुई है। ज्ञानेंद्र की यही बात पुलिस के गले नहीं उतर रही है।
विकास कीबुआ के घर आती थी रिचा
इधर विकास दुबे की जो लव स्टोरी सामने आई है उसके अनुसार विकास दुबे कानपुर में शास्त्री नगर में अपनी बुआ के घर पढ़ाई करने आया था। पड़ोस में रहने वाले एयरफोर्स कर्मी एचपी निगम की बेटी रिचा से उसकी मुलाकात हुई। रिचा से उसके पापा प्यार से सोनू कहते थे। रिचा से नजदीकी बड़ाने के लिए विकास ने उसके भाई ज्ञानेंद्र से दोस्ती कर ली। दोस्ती इतना परवान चढ़ी की विकास के हर काम में रिचा का भाई ज्ञानेंद्र उसका साथ देने लगा। विकास का रिचा के घर आना जाना शुरू हो गया। विकास किसी भी बहाने से रिचा के घर पहुंच जाता। धीरे-धीरे दोनों में नजदीकियां बढ़ी और एक दूसरे से प्यार करने लगे। इस बीच विकास ने रिचा के माता-पिता के सामने शादी का प्रस्ताव रखा। लेकिन उन्होंने दूसरी जाति का होने के कारण शादी से मना कर दिया।
रिचा को भगाकर ले गया था विकास
रिचा के पिता ने बेटी के घर से निकलने पर पाबंदी लगा दी। और विकास को घर आने से मना कर दिया। 1997 में विकास दुबे ने रिचा को भगाकर ले गया और लव मैरिज कर ली। कुछ दिन बाद रिचा विकास को छोड़कर वापस भी आ गई थी लेकिन विकास की धमकियों के आगे हार मान ली फिर विकास के साथ रहने लगी। इधर, रिचा का भाई विकास का दायां हाथ बनकर काम करने लगा। उसके ऊपर कई आपराधिक मामले दर्ज हो गए। विकास के साले ज्ञानेंद्र का भी कहना है कि विकास ने उसके कानपुर स्थित मकान तक पर कब्जा कर लिया है। बड़ी मुश्किल से वे उसपर फिर से कब्जा कर पाए हैं। अब शहडोल पुलिस ये गुत्थी सुलझाने में लगी है कि आखिर विकास का साला शहडोल के बुढ़ार कस्बा ही क्यों पहुंचा और उसने यहां भूसे का ही कारोबार क्यों चुना।
एसपी से जाकर मिले राजू और उसकी पत्नी
मंगलवार को राजू निगम और उसकी पत्नी पुष्पा निगम पुलिस अधीक्षक से मिलने पहुंचे इन दोनों ने पुलिस अधीक्षक को बताया कि वह 15 साल पहले ही कानपुर छोड़कर बुढ़ार आकर रहने लगे हैं। विकास दुबे से उनका कोई लेना देना नहीं है, इन्होंने शपथ पत्र देकर कहा कि 15 साल से विकास के साथ कोई नाता भी नहीं है। पुष्पा निगम ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से गुहार लगाते हुए कहा है कि मेरे पति राजू निगम और बेटे आदर्श को एसटीएफ टीम से मुक्त कर दिया जाए। न तो विकास यहां आता है और न ही हम लोग विकास के यहां जाते। पुष्पा निगम ने कहा है कि विकास दुबे ने जो कुछ भी किया है गलत किया है और उसका परिणाम उसे भुगतना चाहिए लेकिन मेरे पति और मेरा बेटा निर्दोष है।
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विकास दुबे और उसकी पत्नी रिचा
https://ift.tt/3iIMj64 Dainik Bhaskar यूपी के गैंगस्टर विकास दुबे की लव स्टोरी; दोस्त की बहन को ले गया था भगाकर, सास-ससुर की कनपटी पर लगा दी थी पिस्टल
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इंग्लैंड और वेस्टइंडीज के बीच तीन टेस्ट की सीरीज का पहला मैच थोड़ी देर में शुरू होने वाला है। इस मैच के साथ कोरोनावायरस के बीच 116 दिन बाद इंटरनेशनल क्रिकेट की शुरुआत हो रही है। वहीं, 143 साल के क्रिकेट इतिहास में पहली बार कोई टेस्ट बगैर दर्शकों के खेला जाएगा। यह मैच साउथैम्पटन के रोज बाउल स्टेडियम में होगा। इस ग्राउंड पर इंग्लैंड अब तक कोई मैच नहीं हारा है। मेजबान ने यहां तीन मैच खेले हैं। इनमें दो मैच में भारत को हराया, जबकि एक श्रीलंका से ड्रॉ खेला।
टेस्ट चैम्पियनशिप में अपनी दावेदारी के लिए इंग्लैंड के लिए मैच जीतना जरूरी होगा। मौजूदा पॉइंट टेबल में इंग्लैंड 9 मैच खेलकर 146 अंक के साथ चौथे नंबर पर है। वहीं, टीम इंडिया 360 अंक के साथ टॉप पर काबिज है।
सीरीज क्लीन स्वीप करने पर इंग्लैंड चैम्पियनशिप में तीसरे नंबर पर पहुंचेगी
चैम्पियनशिप के नियम के मुताबिक, हर सीरीज के 120 पॉइंट निर्धारित किए गए हैं। सीरीज के मैच के हिसाब से विजेता टीम को अंक मिलते हैं। जैसे- इंग्लैंड और वेस्टइंडीज के बीच तीन टेस्ट की सीरीज में एक मैच के 40 अंक जीतने वाली टीम को मिलेंगे। यदि इंग्लैंड टीम सीरीज में क्लीन स्वीप करती है, तो वह 266 पॉइंट के साथ तीसरे नंबर पर पहुंच जाएगी।
मैच जीतकर इंग्लैंड 186 पॉइंट्स के साथटेस्ट चैम्पियनशिप में नंबर-3 पर आ जाएगा
टीम
मैच
जीते
हारे
ड्रॉ
पॉइंट
भारत
9
7
2
0
360
ऑस्ट्रेलिया
10
7
2
1
296
न्यूजीलैंड
7
3
4
0
180
इंग्लैंड
9
5
3
1
146
पाकिस्तान
5
2
2
1
140
143 साल के इतिहास में पहली बार बगैर दर्शकों के टेस्ट होगा
143 साल के इतिहास में यह पहली बार होगा, जब कोई टेस्ट मैच बगैर दर्शकों के खेला जाएगा। दुनिया का पहला आधिकारिक टेस्ट 15 मार्च 1877 से खेला गया था। सबसे बड़ी बात तो यह है कि खाली स्टेडियम में यह मैच उसी देश (इंग्लैंड) में खेला जाएगा, जिसनेक्रिकेट को शुरू किया है।
हेड-टू-हेड
इंग्लैंड और वेस्टइंडीज के बीच अब तक 157 टेस्ट खेले गए हैं। इनमें से इंग्लैंड ने 49 टेस्ट जीते, 57 में हार मिली और 51 मैच ड्रॉ रहे हैं। वहीं, इंग्लिश टीम ने घर में विंडीज से 86 में से 34 मुकाबले जीते और 30 में उसे हार मिली। जबकि 22 मुकाबले ड्रॉ रहे हैं।
विंडीज को पहले दिन अच्छा खेल दिखाना होगा: लारा
वेस्टइंडीज के पूर्व बल्लेबाज ब्रायन लारा ने कहा कि वेस्टइंडीज टीम 1988 से इंग्लैंड में सीरीज नहीं जीत सकी है। ऐसे में यदि इस बार टीम सीरीज जीतती है, तो यह उसके लिए बड़ी उपलब्धि होगी। उन्होंने कहा, ‘‘इस सीरीज पर दुनियाभर की नजर होगी। दोनों टीमों के बीच कड़ी टक्कर की उम्मीद है। यदि वेस्टइंडीज टीम सीरीज के पहले दिन ही अच्छा खेल दिखाती है, तो यह उसके लिए बहुत अहम होगा।’’
पहले मैच में रूट की जगह स्टोक्स कप्तानी करेंगे
इंग्लैंड टेस्ट क्रिकेट टीम के कप्तान जो रूट पहले मैच में नहीं खेलेंगे। उनकी जगह बेन स्टोक्स टीम की कप्तानी करेंगे। रूट पिता बनने वाले हैं, इसलिए पहले टेस्ट मैच से वह खुद ही हट गए हैं।
दोनों टीमें
वेस्टइंडीज: जेसन होल्डर (कप्तान), शेन डाउरिच (विकेटकीपर), जर्मेन ब्लैकवुड, नकरमाह बोनर, क्रैग ब्रैथवेट, शमर ब्रूक्स, जॉन कैंपबेल, रोस्टन चेस, राहीकेन कॉर्नवाल, केमर होल्डर, शाई होप, अल्जारी जोसेफ, रेमन रीफर और केमार रोच।
इंग्लैंड: बेन स्टोक्स (कप्तान), मार्क वुड, जेम्स एंडरसन, जोस बटलर, जोफ्रा आर्चर, डॉमनिक बेस, स्टुअर्ट ब्रॉड, रोरी बर्न्स, जैक क्रॉवल, जो डेनली, ओली पोप, डॉम सिबले, क्रिस वोक्स और जो रूट।
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England Vs West Indies 1st Test Live | ENG Vs WI Southampton First Test Live Cricket Score Updates
https://ift.tt/38D9mLd Dainik Bhaskar 143 साल के इतिहास में पहली बार बगैर दर्शकों टेस्ट खेला जाएगा, साउथैम्पटन में इंग्लिश टीम अब तक कोई मैच नहीं हारी
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उत्तर प्रदेश में कानपुर के बिकरुगांव में 2 जुलाईको विकास और उसकी गैंग से मुठभेड़ करने वाली पुलिस टीम में बुलंदशहर केरहने वाले सिपाही अजय कश्यप भी शामिल थे। वे बदमाशों की गाेलीबारी में जख्मी हुए हैं। अजय बिठूर थाने में तैनात हैं। मूलत:डिबाई कस्बे के रहने वाले हैं। स्वस्थ होने पर अजय अस्पताल से डिस्चार्ज होकर अपने घर पहुंचे। अजय ने उस रात केपूरेघटनाक्रम सेपर्दा उठाया है। अजय कहते हैं किवह रात किसी अमावस की रात से कम नहीं थी।
एक टॉर्च की रोशनी पड़ते ही गोलियों की बौछार शुरू हो गई
‘‘गुरुवार रात करीब 12:15 बजे सीओ बिल्हौर देवेंद्र मिश्र की अगुवाई में तीन थाने चौबेपुर, बिठूर और शिवराजपुर की पुलिस गैंगस्टरविकास दुबे के घर दबिश देने के लिए निकली थी। पुलिस ने अपने वाहन गांव से बाहर खड़े कर दिएऔर पैदल ही विकास के घर की तरफ निकल पड़े। विकास के घर से करीब 200 मीटर दूर रास्ते में एक जेसीबी मशीन खड़ी मिली। पुलिस जेसीबी को क्रॉस कर आगेबढ़ी। सड़क से पुलिस ने जैसे ही विकासकी छत पर टाॅर्च मारी तो वहां एक आदमी दिखाई दिया। पुलिस विकासके घर की बैक साइड से घेराबंदी करना चाहती थी। पुलिस घरकी बैक साइड जाने के लिए कोने पर पहुंची ही थी तभीएक टॉर्च की रोशनी पुलिस टीम पर पड़ी औरगोलियों को बौछार शुरू हो गई।’’
बचने की खुशी नहीं,साथियों की शहादत का रंज
‘‘पहली बार में ही बदमाशों ने 20-22 राउंड फायरिंग पुलिस पर की। सबसे पहले मेरे एक हाथ में गोली लगी, फिर पैरों में गोली लगी। जिससे मैं घायल हुआ। साथ में रहा सिपाही अजय सेंगर भी घायल हुआ था।इसके बाद मैंनेएक दीवार और ट्राॅली की आड़ ली और एक छतिग्रस्त मकान से होते हुए गली में पहुंच गया। तीन तरफ से घरों की छतों से बदमाश फायर कर रहे थे। जबकि पुलिस टीम कोटारगेट दिखाई नहीं देरहे थे। बदमाश बार-बार अपनी जगह भी बदल रहे थे। इसके बाद गली से होते हुए घायल पुलिसवाले किसी तरह अपनी जान बचाते हुए जीप तक पहुंचे। वहां से सीनियर अफसरों ने घायलों को अस्पताल भिजवाया। अजय ने बताया कि उसको अपने बचने की इतनी खुशी नहीं है जितना रंज अपने साथियों की शहादत का है। ’’
सिर्फ विकास के घर के बाहर सोलर लाइट जल रही थी
पुलिस जांच में सामने आया किदबिश के दौरान गांव में बिजली नहीं आ रही थी। पूरे गांव में अंधेरा छाया था। सिर्फ एक सोलर लाइट विकास के घर के बाहर जल रही थी। इसकी वजह से पुलिसवालोंको छतों पर छिपे बदमाशों का मूवमेंट नहीं दिख रहा था।
विकास और उसकी गैंग पर पुलिस का शिकंजा
यूपी पुलिस ने विकास दुबे पर पांच लाख का इनाम घोषित किया है। पुलिस पर हमले के मामले में 20-22 नामजद समेत 60 लोगों पर केस दर्ज किया गया है। पुलिस ने 3 जुलाई की सुबह मुठभेड़ में विकास के मामा प्रेमप्रकाश पांडे और सहयोगी अतुल दुबे को मार गिराया था। रविवार को पुलिस ने विकास के नौकर और खास सहयोगी दयाशंकर उर्फ कल्लू अग्निहोत्री को मुठभेड़ में घायल किया। बुधवार को मुठभेड़ में विकास का राइट हैंड अमर दुबे मारा गया। मंगलवार को पुलिस उसकी मां क्षमा दुबे, दयाशंकर की पत्नी रेखा अग्निहोत्री और एक अन्य को गिरफ्तार कर चुकी है। इसके अलावा, फरीदाबाद से विकास का साथी प्रभात समेत तीन लोग गिरफ्तार हुए हैं। विकास यहां से गुड़गांव की तरफ भाग निकला है।
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यह तस्वीर बुलंदशहर की है। सिपाही अजय अपने परिवार के साथ। कानपुर शूटआउट में गोली लगने से उनका हाथ टूट गया।
https://ift.tt/31UEIvj Dainik Bhaskar मुठभेड़ में शामिल सिपाही ने बताया- ‘हम विकास के घर की घेराबंदी कर रहे थे, एकाएक पुलिस टीम पर रोशनी पड़ी और बरसने लगीं गोलियां’
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प्रभाकर.भारतीय रेलवे में लगभग 1.41 लाख पद खाली हैं। पहले रेलवे ने इन पदों के लिए वैकेंसी निकालने का फैसला किया था, लेकिन पिछले हफ्ते रेलवे ने तमाम जोन प्रबंधकों को पत्र लिखकर चौंका दिया। इस पत्र में नई भर्तियां नहीं करने और खाली पदों में 50 फीसदी की कटौती करने की बात कही गई थी। इस पर विवाद शुरू हुआ, तो रेलवे अपनी बात से मुकर गया। लेकिन यह कोई नई और छिपी बात नहीं है कि भारतीय रेलवे अब निजीकरण की पटरी पर दौड़ने की तैयारी कर रही है।
एक्सपर्ट्स बोले- सरकार की बातों पर यकीन नहीं
दरअसल, अपनी लेटलतीफी, हादसों की वजह से चर्चा में रहने वाली भारतीय रेल अब कोरोना से उपजे वित्तीय संकट की जद में है। दुनिया के चौथे सबसे बड़े रेल नेटवर्क को पटरी पर लाने के लिए सरकार उसके स्वरूप में बदलाव की तैयारी कर रही है। इसके तहत हजारों पदों में कटौती करने के अलावा नई नियुक्तियों पर रोक लगाने और देश के कई रूट पर ट्रेनों को निजी हाथों में सौंपने जैसे कदम उठाए जा रहे हैं।
इस कवायद का चौतरफा विरोध के बीच रेलवे ने सफाई दी है कि सुरक्षा से जुड़े पदों में कोई कटौती नहीं की जाएगी, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि केंद्र सरकार एक सोची-समझी रणनीति के तहत विदेशों की तर्ज पर रेलवे को निजी हाथों में सौंपने में जुटी है।
रेलवे कर्मचारी यूनियन प्रदर्शन की तैयारी में
ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि इससे आम लोगों के हितों की कहां तक रक्षा हो सकेगी? इसकी वजह यह है कि देश की ज्यादातर आबादी के लिए भारतीय रेल जीवनरेखा की भूमिका निभाती रही है। निजी हाथों में जाने के बाद सुविधाओं की तुलना में किराए में असामान्य बढ़ोतरी तय मानी जा रही है।
यही वजह है कि तमाम रेलवे कर्मचारी यूनियनों ने इस फैसले के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन की तैयारी कर रहे हैं। हालांकि, सुरक्षा के मामले में 2019-2020 के दौरान लेवल क्रासिंग पर एक भी हादसा नहीं होने की दलील देते हुए रेलवे अपनी पीठ जरूर थपथपा रही है।
भारतीय रेल
12 लाख कर्मचारी काम करते हैं, राजस्व का करीब 65%हिस्सा कर्मचारियों पर खर्च होता है
भारतीय रेल देश में सबसे ज्यादा लोगों को नौकरी देने वाला संस्थान है। फिलहाल, इसमें 12 लाख से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं, रेलवे के कुल राजस्व का करीब 65 फीसदी हिस्सा कर्मचारियों के वेतन और पेंशन पर खर्च होता है। 2018 से रेलवे ने सुरक्षा विभाग में 72,274 और गैर-सुरक्षा में 68,366 खाली पदों का ऐलान कर चुकाहै। फिलहाल रेलवे में लगभग 1.41 लाख खाली पद हैं।
पहले पत्र लिखा-
पिछले सप्ताह रेलवे ने तमाम जोन के महाप्रबंधकों को भेजे पत्र में कहा था कि वे नए पदों का सृजन रोक दें और खाली पदों में भी 50 प्रतिशत की कटौती करें, लेकिन इस पर पैदा होने वाले विवाद के बाद अगले दिन ही उसे इस पर सफाई देनी पड़ी। उसने अपनी सफाई में कहा है कि आने वाले दिनों में उसके कुछ कर्मचारियों की जॉब प्रोफाइल में बदलाव हो सकता है, लेकिन उनकी नौकरियां नहीं जाएंगी।
फिर सफाई दी-
रेलवे बोर्ड के महानिदेशक आनंद एस खाती का कहना था, "भारतीय रेल कर्मचारियों की मौजूदा तादाद में कटौती नहीं कर रही है। नई तकनीक आने की वजह से कुछ लोगों का काम बदल सकता है। इसके लिए उनको ट्रेनिंग भी दी जाएगी, लेकिन किसी भी कर्मचारी की नौकरी नहीं जाएगी। भारतीय रेल बिना कौशल वाली नौकरियों की ओर जा रही है। सही व्यक्ति को सही काम दिया जाएगा।'
लेकिन, रेलवे ने तमाम जोन के महाप्रबंधकों को पत्र क्यों भेजा है? इस सवाल पर उन्होंने कहा कि इसका मकसद उन पदों पर भर्ती से बचना है, जहां कोई काम नहीं है। फिलहाल मौजूदा भर्ती प्रक्रिया जारी रहेगी और उन पर नियुक्तियां भी की जाएंगी। जिन पदों पर भर्ती के लिए में विज्ञापन जारी हो चुके हैं, उनमें कोई बदलाव नहीं होगा।
निजीकरण का रोडमैप
कंपनियों को 35 साल के लिए संचालन का जिम्मा सौंपा जाएगा
खाली पदों में कटौती और नई भर्तियां रोकने के फैसले के साथ ही रेलवे ने अब निजीकरण की राह पर भी ठोस कदम बढ़ा दिया है। हालांकि तेजस जैसी ट्रेनों के साथ वह इसकी शुरुआत पहले ही कर चुकी है, लेकिन अब देश के 109 रूटों पर 151 ट्रेनों को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी है।
यह काम 2023 से शुरू होगा और संबंधित कंपनियों को 35 साल के लिए संचालन का जिम्मा सौंपा जाएगा। इसके ऐलान के साथ ही टाटा और अडानी समूह जैसे कई व्यापारिक घराने इसमें दिलचस्पी दिखाने लगे हैं।
संचालन के लिए चुनी जाने वाली कंपनियों को रेलवे को विभिन्न मद में एक निश्चित रकम देनी होगी। इसके लिए निजी क्षेत्र को तीस हजार करोड़ रुपए का निवेश करना होगा।
निजीकरण करने के पीछे रेलवे की दलील है कि इससे रेलवे में नई तकनीक आएगी, मरम्मत औऱ रख-रखाव का खर्च कम होगा, ट्रेन के यात्रा का समय घटेगा, रोजगार को बढ़ावा मिलेगा और यात्रियों को विश्वस्तरीय सुविधाएं मुहैया कराई जा सकेंगी। फिलहाल रेलवे 2800 मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों का संचालन करती है।
किराए पर असर पड़ना तय
जब अचानक हर टिकट पर छपने लगा कि किराए में सरकारी सब्सिडी 43 फीसदी है
निजीकरण के पक्ष में सरकार और रेलवे की ओर से दी जा रही दलीलों में चाहे जितना दम हो इसका असर यात्री किराए पर पड़ना तय है। मिसाल के तौर पर दिल्ली से लखनऊ के बीच चलने वाली तेजस एक्सप्रेस का किराया इसी रूट पर चलने वाली राजधानी एक्सप्रेस से कहीं ज्यादा है। यही वजह है कि इस फैसले का चौतरफा विरोध होने लगा है।
देश की आजादी के बाद से ही तमाम सरकारें अब तक रेलवे का संचालन सामाजिक जिम्मेदारी के तौर पर करती रही हैं। इसके लिए किराए में भारी-भरकम सब्सिडी दी जाती है। वैसे, बड़े पैमाने पर ट्रेनों के निजीकरण की योजना के संकेत तो कुछ समय पहले से ही मिलने लगे थे, जब अचानक हर टिकट पर छपने लगा कि किराए में सरकारी सब्सिडी 43 फीसदी है। इस सब्सिडी की वजह से सरकार को सालाना 30 हजार करोड़ का नुकसान होता है।
आजाद भारत में रेल का विकास
1947 में कुल रेलवे लाइनों का 40 फीसदी हिस्सा पाकिस्तान में चला गया था
1947 में स्वतंत्रता के बाद देश में रेलवे का कामचलाऊ नेटवर्क था। उस समय कुल रेलवे लाइनों का 40 फीसदी हिस्सा पाकिस्तान में चला गया था। ऐसे में कई लाइनों को भारतीय इलाकों के जरिए जोड़ कर संचालन के लायक बनाना पड़ा।
1952 में सरकार ने मौजूदा रेल नेटवर्क को जोन में बदलने का फैसला किया। तब कुल छह जोन बनाए गए थे। अर्थव्यवस्था विकसित होने के साथ सभी रेलवे उत्पादन इकाइयां स्वदेशी निर्माण करने लगीं और रेलवे ने अपनी लाइनों को बदलना शुरू कर दिया।
2003 में मौजूदा जोन से काटकर छह और जोन बनाए गए और 2006 में एक और जोन जोड़ा गया। भारतीय रेलवे में अब कोलकाता मेट्रो समेत 17 जोन हैं। 2018–19 के आकड़ों के अनुसार रेलवे को 1,972 अरब रुपए के राजस्व पर 60 अरब रुपए का शुद्ध मुनाफा हुआ था।
निजीकरण के फैसले का विरोध करने वालों की दलील है कि निजी हाथों में जाते ही सब्सिडी तो खत्म होगी ही, रखरखाव और सेवा के नाम पर किराए भी बेतहाशा बढ़ जाएंगे. यानी आम लोगों पर दोहरी मार पड़ेगी।
कर्मचारी यूनियन और मजदूर संगठनों ने जताया विरोध
विभिन्न कर्मचारी यूनियनों और मजदूर संगठनों ने इस फैसले पर कड़ा विरोध जताया है। रेलवे बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष अमरेंद्र कुमार ने अपने एक लेख में कहा है, "सुरक्षा पर रेलवे के तमाम दावों के बावजूद अब भी कई सवालों के जवाब मिलना बाकी है, 2019-20 के दौरान हुए 55 हादसों में से 40 रेलवे कर्मचारियों की गलती या लापरवाही के चलते हुए थे, यह गंभीर चिंता का विषय है। हालांकि रेलवे ने साफ किया है कि सुरक्षा से जुड़े पदों में कोई कटौती नहीं की जाएगी।
रेलवे बोर्ड के चेयरमैन वीके यादव कहते हैं, "निजी कंपनियां महज पांच फीसदी ट्रेनों का ही संचालन करेंगी। इन ट्रेनों का किराया इन मार्गों के हवाई और बस किराये के अनुरूप प्रतिस्पर्धी होगा। निजी कंपनियों के हाथों में जाने पर रेलगाड़ियों को तेज गति से चलाने के साथ ही रेल डिब्बों की तकनीक में भी बदलाव आएगा।
लेकिन, सीपीएम के मजदूर संगठन सीटू के नेता श्यामल मजुमदार कहते हैं कि "मौजूदा परिस्थिति में पदों में कटौती और नई भर्तियां रोकने का प्रतिकूल असर हो सकता है। उसके अलावा कोरोना महामारी के दौरान इस फैसले से रेलवे की नीयत पर सवाल उठना स्वाभाविक है।
ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के महामंत्री शिव गोपाल मिश्रा कहते हैं कि हम किसी भी हालत में भारतीय रेलवे का निजीकरण नहीं होंने देंगे। निजीकरण ही रेलवे का इलाज नहीं है। तकनीक में सुधार और मौजूदा कर्मचारियों की दक्षता बढ़ा कर भी रेलवे की हालत सुधारी जा सकती है। लेकिन केंद्र के रवैए से साफ है कि वह इस मामले में अपने कदम पीछे नहीं खींचने वाली है।
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2018 से अब तक रेलवे ने सुरक्षा विभाग में 72,274 और गैर-सुरक्षा में 68,366 खाली पदों का ऐलान कर चुका है।
https://ift.tt/2VZvI4f Dainik Bhaskar रेलवे में 1.41 लाख पद खाली हैं, पर सरकार अब इन्हें भरने के मूड में नहीं, बल्कि बड़े बदलाव की तैयारी में है
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Manish Pethev
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July 08, 2020
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5
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