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Defence Acquisition Procedure 2020: Rajnath Singh unveils process, India can now take defence assets on lease
Defence Acquisition Procedure 2020: Rajnath Singh unveils process, India can now take defence assets on lease
https://ift.tt/eA8V8J Defence Minister Rajnath Singh on Monday unveiled the Defence Acquisition Procedure (DAP) 2020 which is aligned with the government`s vision of Atmanirbhar Bharat and giving an impetus to the Make in India initiative.
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Defence Acquisition Procedure 2020: Rajnath Singh unveils process, India can now take defence assets on lease
Reviewed by Manish Pethev
on
September 29, 2020
Rating: 5
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- Next Ayodhya hopes for closure to decades-old dispute
- Previous चार साल पहले भारतीय सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया था। यह पहला मौका था जब हमने दुश्मन पर नियंत्रण रेखा के पार जाकर हमला किया था। तब क्यों, उससे पहले क्यों नहीं? जबकि पाकिस्तान तो नियंत्रण रेखा को पार कर कई दशकों से हम पर हमला करता आ रहा है। इसकी शुरुआत हुई थी उसी साल 18 सितंबर को। जब आतंकवादियों ने कश्मीर के उड़ी में आर्मी कैम्प पर हमला किया और हमने अपने 18 जवानों को खो दिया। शायद शुरुआत तो और पहले हो गई थी, जनवरी में जब आतंकियों ने पठानकोट के एयरफोर्स बेस पर हमला किया था, जिसमें जान और माल दोनों का नुकसान हुआ था। फरवरी में आतंकियों ने श्रीनगर के बाहरी इलाके में छह मंजिला इमारत पर कब्जा कर 66 लोगों को बंधक बना लिया, देश में बंधक बनाने की शायद सबसे बड़ी घटना थी वो। सीमा पार से पाकिस्तान ऐसी कई बड़ी आतंकी वारदातों को अंजाम देता आया है। आतंकियों को भेजने में कम खर्च था, ओछे हमले की घटनाएं, सैनिकों के शवों के साथ छेड़छाड़ और उस पर इंकार की राजनीति। यह कहना कि इसमें हमारी कोई भूमिका नहीं, ये तो कश्मीरी आतंकियों की कारस्तानी है। उलट इसके हम कभी ये हथकंडे नहीं अपना सके। यही वजह रही की भारतीय सेना और ज्यादा रक्षात्मक बनती गई। हम जानते हैं कि जो शुरुआत करता है वो ज्यादा नुकसान पहुंचा पाता है। और पाकिस्तान जब आतंकी हमले करता तो अपने सैनिकों की जिंदगी को भी दांव पर नहीं लगाना पड़ता। वो उनके लिए कम खर्च में ज्यादा मुनाफे वाला सौदा बन जाता है। इसलिए उड़ी हमला आखरी कील साबित हुआ। मेरे लिए काला रविवार था वो, बतौर कोर कमांडर मैंने 18 जवानों को खोया था। उस आग को जलते देखना, उस जगह जाकर, उनके शवों को आखिरी सलामी देना, लेकिन वो दिन था प्रण लेने का था। उस दिन जब रक्षामंत्री और सेना प्रमुख एक ही दिन में मेरे दफ्तर में थे। वो दिन जब पूरे देश में उबाल था, नेता बौखलाए हुए थे, और वो दिन जब हर जवान बदला चाहता था, अपने साथी की मौत का बदला। रक्षामंत्री स्वर्गीय मनोहर पर्रिकर और सेना प्रमुख के साथ मेरे दफ्तर में होने का ये फायदा हुआ कि तीन घंटे में हमें आतंकियों पर सर्जिकल स्ट्राइक करने की इजाजत मिल गई, ताकि पाकिस्तान को उपयुक्त सबक सिखाया जा सके। देश का नेतृत्व मजबूत था, इसलिए पाकिस्तान को वैसा ही दर्द देने का फैसला लिया गया। हम जंग को अब उनके इलाके में ले जाने को राजी थे, आतंकियों पर नियंत्रण रेखा के पार जाकर हमला करने को। कुछ ऐसा जो इससे पहले कभी नही हुआ था, जो हमारे देश ने पहले कभी नहीं किया था। राजनीतिक और राजनयिक पावर ने एक साथ आकर, यूएन जनरल एसेंबली में और उससे बाहर भी। दस दिन बाद एक ऑपरेशन लॉन्च किया गया। अलग-अलग जगहों से। जैसा प्लान किया था वैसा ही हुआ। अगली सुबह सेना के डीजी मिलिट्री ऑपरेशन्स ने पाकिस्तानी डीजी मिलिट्री ऑपरेशन्स को फोन किया और बताया कि हमने किया। हमने किया, क्योंकि आपने उड़ी में आतंकवादी हमला किया। पाकिस्तान नकारता रहा, क्योंकि उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि क्या प्रतिक्रिया दें, और अपने आवाम को क्या जवाब दें, लेकिन भारत ने नई लाल लकीर खींच दी थी। इसी प्रकार के तजुर्बे के साथ, पुलवामा हमले के बाद बालाकोट एयरस्ट्राइक को पाकिस्तान के बिल्कुल अंदर लॉन्च किया गया। इलाके से एकदम अलग, हमें याद करना होगा कि हम चीन के खिलाफ भूटान के हक में खड़े रहे, इंडिया-चाइना-भूटान ट्राई जंक्शन पर, डोकलाम प्लैट्यू पर। चीन को अपना एडवांस रोकना पड़ा था। ये कुछ बड़े ऑपरेशन हैं जिसने सिक्योरिटी के नए आयाम दिए, जहां भारत ने मजबूत फैसले लेने शुरू किए, जब भी जरूरत पड़ी। इस साल भारत चीन के बीच लद्दाख में कुछ जगहों पर संघर्ष हुए। जिनमें से कुछ बाकियों से ज्यादा युद्धकारी थे। बातचीत चल ही रही थी जब गलवान टर्निंग पाॅइंट बन गया। जहां हमने चीन की टेक्नीक का ऐसा रूप देखा जिसकी कल्पना भी नहीं की थी। भारतीय जवानों ने भी हर तरीका इस्तेमाल किया, ट्रेनिंग के दायरे से परे जाकर। इसके बावजूद वीरता और मजबूती के बूते उन्होंने दुश्मन को भारी नुकसान पहुंचाया। ऐसा करते हमने 20 वीरों को खोया है, जिनमें कर्नल संतोष बाबू का नेतृत्व और सर्वोच्च बलिदान भी शामिल है। इसके कुछ महीनों बाद हमारे जवानों ने पैन्गॉन्ग लेक के दक्षिण में कुछ चोटियों पर कब्जा कर लिया। इससे चीन बौखला गया, उसने कभी सोचा भी नहीं था कि भारत यूं पहले कदम बढ़ाएगा। इसने चीन की ताकत को युद्ध क्षेत्र में और बातचीत के बीच कमजोर कर दिया। ये नया भारत है। ये बदला हुआ भारत है, ज्यादा नया और मजबूत। भारत ने आखिरकार नर्म देश का तमगा हटा दिया। ये तो बस मिलिट्री एक्शन की बात हुई, लेकिन राजनीतिक, राजनयिक और आर्थिक स्तर पर भी मजबूत कदम उठाए गए, जो देश के लिए फायदेमंद साबित हुए। लेकिन इस सबकी शुरुआत सर्जिकल स्ट्राइक से ही हुई थी, चार साल पहले। हमारे जवानों की वीरता ने न सिर्फ उड़ी में खोई जान का बदला लिया, बल्कि बालाकोट और गलवान जैसे कदम उठाने की राह भी खोली।आज मेरा सलाम उड़ी में जान गंवाने वाले शहीदों के नाम और सैल्यूट उन वीरों को जिन्होंने सीमा पार जाकर सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया। सेना से जुड़ी ये खबरें भी आप पढ़ सकते हैं... 1. एक्सपर्ट कमेंट / चीन को लेकर भारत के पास ये 4 मिलिट्री ऑप्शन हैं, क्योंकि सेना की तैयारी तो सिर्फ मिलिट्री ऑप्शन की ही होती है 2.एक्सपर्ट एनालिसिस / बॉर्डर मीटिंग में भारत के लेफ्टिनेंट जनरल के सामने चीन से मेजर जनरल आने पर देश में गुस्सा, लेकिन यह बात रैंक नहीं, रोल की है 3. एनालिसिस / हमारे देश में लोकतंत्र है इसलिए हम बता देते हैं, लेकिन चीन कभी नहीं बताएगा कि उसके कितने सैनिक मारे गए हैं आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें Surgical strike day: Four years on Remembering the surgical strike, How army soldiers destroyed terror launchpads https://ift.tt/2Gf9Qgq Dainik Bhaskar रक्षामंत्री पर्रिकर और सेना प्रमुख मेरे साथ दफ्तर में थे, तीन घंटे में हमें सर्जिकल स्ट्राइक करने की इजाजत मिल गई