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नमस्कार! हरियाणा में पुलिस ने किसानों पर आंसू गैस और वॉटर कैनन चलाई। सिडनी टेस्ट में लगातार दूसरे दिन मंकीगेट विवाद हुआ। चीन ने भारतीय सेना से अपने सैनिक की रिहाई की मांग की है। बहरहाल शुरू करते हैं न्यूज ब्रीफ। आज इन इवेंट्स पर रहेगी नजर... किसान आंदोलन और कृषि कानूनों से जुड़ी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वैक्सीन डिस्ट्रीब्यूशन को लेकर राज्यों के मुख्यमंत्रियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बात करेंगे। बॉम्बे हाईकोर्ट में बृहनमुंबई नगरपालिका (BMC) के नोटिस के खिलाफ एक्टर सोनू सूद की याचिका पर सुनवाई होगी। सेंट्रल बोर्ड और डायरेक्ट टैक्सेस (CBDT) के बोर्ड मेंबर्स के सिलेक्शन के लिए सेक्रेटरीज की बैठक होगी। देश-विदेश किसानों पर आंसू गैस-वॉटर कैनन चलाई किसान आंदोलन का रविवार को 46वां दिन था। दिल्ली की सीमाओं पर बैठे किसान अब भी केंद्र सरकार से दूरी बनाए हुए हैं। इस बीच, हरियाणा के करनाल में उस समय हंगामा हो गया, जब कैमला गांव में किसानों ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की रैली का विरोध किया। पुलिस ने किसानों को रोका तो दोनों के बीच झड़प शुरू हो गई। हंगामा इस कदर बढ़ा कि किसानों को रोकने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले दागने पड़े और वॉटर कैनन भी चलानी पड़ी। इसके बाद खराब मौसम का हवाला देकर मुख्यमंत्री खट्टर का कार्यक्रम रद्द कर दिया गया है। पीएम किसान योजना में बंदरबांट प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत 20 लाख 48 हजार ऐसे किसानों को 1 हजार 364 करोड़ रुपए का भुगतान कर दिया गया, जो तय क्राइटेरिया में ही नहीं आते थे। इस बात का खुलासा राइट टू इनफॉर्मेशन (RTI) से मिली जानकारी से हुआ है। कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव (CHRI) से जुड़े वेंकटेश नायक ने यह जानकारी मांगी थी। केंद्रीय कृषि मंत्रालय से मिली जानकारी के मुताबिक, जिन अपात्र किसानों के पास स्कीम का पैसा पहुंचा है, उनमें दो कैटेगरी शामिल हैं। पहली में वे किसान हैं, जो इसके लिए जरूरी योग्यता नहीं रखते हैं। दूसरी कैटेगरी में ऐसे किसान हैं, जो इनकम टैक्स भरते हैं। सिडनी में दूसरे दिन भी नस्लीय टिप्पणी सिडनी टेस्ट में लगातार दूसरे दिन मंकीगेट विवाद हुआ। टेस्ट के चौथे दिन भी भारतीय बॉलर मो. सिराज पर दर्शकों ने नस्लभेदी टिप्पणी की। बाउंड्री के करीब बैठे दर्शकों की एक टोली लगातार सिराज को ब्राउन मंकी और बिग डॉग बोल रही थी। सिराज ने इसकी शिकायत फील्ड अंपायर पॉल राफेल से की। मैच रेफरी और टीवी अंपायर से फील्ड अंपायर ने बातचीत की और फिर पुलिस बुलाई गई। पुलिस ने 6 दर्शकों को बाहर निकाल दिया। क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने भी इस घटना पर टीम इंडिया से माफी मांगी है। विराट कोहली ने भी इस घटना पर ऐतराज जताया है। वैक्सीनेशन पर कांग्रेस में दो फाड़ 16 जनवरी से देश में वैक्सीनेशन ड्राइव शुरू होना है। इस बीच, वैक्सीन पर सवाल खड़े करने वाली कांग्रेस दो खेमों में बंट गई है। शशि थरूर, जयराम रमेश जैसे कई नेताओं ने वैक्सीन पर सवाल खड़े किए तो कांग्रेसी राज वाले राज्य पंजाब, झारखंड और राजस्थान के मंत्री वैक्सीन के पक्ष में खड़े हो गए। इन राज्यों के मंत्रियों ने साफ कहा कि वैक्सीन पर किसी तरह का सवाल खड़ा करना ठीक नहीं है। झारखंड के मंत्री ने तो यहां तक कह दिया कि जनहित के मामलों में वह केंद्र सरकार के साथ खड़े हैं। वहां कांग्रेस गठबंधन की सरकार है। चीन ने सैनिक की रिहाई की मांग की चीन ने भारतीय सेना की हिरासत में मौजूद अपने सैनिक की फौरन रिहाई की मांग की है। चीन की सेना यानी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के मुताबिक, यह सैनिक अंधेरे और इलाके की समझ न होने की वजह से भारतीय क्षेत्र में पहुंच गया था। इसलिए उसे जल्द रिहा किया जाना चाहिए। घटना पैगॉन्ग त्सो लेक के दक्षिणी हिस्से की है। अक्टूबर में भी एक चीनी सैनिक भारतीय सीमा में घुस गया था। दो दिन बाद उसे चीनी सेना के अफसरों को सौंप दिया गया था। जवानों की जान बचाएगा हिमतापक चीन से तनाव के बीच सियाचिन और लद्दाख जैसे बर्फीले इलाकों में तैनात जवानों को अब ज्यादा परेशान नहीं होना पड़ेगा। डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO) ने जवानों के लिए हिमतापक हीटिंग डिवाइस तैयार की है। ये ऐसी डिवाइस है, जिसके जरिए सेना का बंकर माइनस 40 डिग्री सेल्सियस तापमान में भी गर्म रहेगा। आर्मी ने इस डिवाइस के लिए 420 करोड़ का ऑर्डर भी DRDO को दे दिया है। जल्द ही इसे बर्फीले इलाकों में ITBP और सेना की पोस्ट पर लगाया जाएगा। एक्सप्लेनर कृषि कानूनों पर सुप्रीम सुनवाई किसान आंदोलन और कृषि कानूनों से जुड़े सभी मामलों की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में आज होगी। दरअसल, किसान आंदोलन से जुड़ी कई याचिकाएं कोर्ट में दायर हुई थीं। कुछ याचिकाओं में आंदोलन को खत्म करने की मांग की गई है, तो कई याचिकाओं में तीनों कानूनों को रद्द करने की। इन्हीं सब याचिकाओं पर अब चीफ जस्टिस एसए बोबड़े, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमण्यम की बेंच करेगी। इस मामले की आखिरी सुनवाई 17 दिसंबर को हुई थी। लेकिन सवाल ये है कि क्या सुप्रीम कोर्ट से मसला सुलझ सकता है? आइए एक-एक करके इस मामले को पूरी तरह समझते हैं। पढ़ें पूरी खबर... पॉजिटिव खबर फर्श से अर्श तक का सफर आज हम आपको अजमेर के भरत ताराचंदानी की कहानी बताने जा रहे हैं। भरत जब छटवीं क्लास में थे, तब उनके पिता का एक्सीडेंट हो गया था। हादसे के बाद पिता बेड पर चले गए थे। तभी से भरत और उनके परिवार का स्ट्रगल शुरू हो गया था। लेकिन, आज वे पुष्कर में पांच दुकानों के मालिक हैं और टर्नओवर करोड़ों में है। ये सब वो कैसे कर पाए, उन्हीं से जानिए। पढ़ें पूरी खबर... 14 जनवरी हो सकता है सबसे सर्द दिन दो दशक बाद जनवरी के पहले हफ्ते में देशभर में मानसून जैसा माहौल बन गया। उत्तर के पहाड़ी राज्यों में जबरदस्त बर्फबारी हुई तो दक्षिण के राज्यों में भारी बारिश। दक्षिण में जनवरी में बारिश के 100 साल तक के रिकॉर्ड टूट गए। पश्चिमी विक्षोभ के साथ-साथ देश के अलग-अलग हिस्सों में एक साथ कई चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बनने से यह स्थिति पैदा हुई। देश के सभी ऊंचे पहाड़ी इलाकों में 5 से 8 फीट तक मोटी बर्फ की चादर लिपटी है। मौसम विभाग के मुताबिक, बर्फीली हवाओं का असर समूचे उत्तर, पश्चिम, मध्य व पूर्वी राज्यों पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार तक दिखेगा। अंधेरे में डूबे पाकिस्तान के शहर पाकिस्तान में शनिवार देर रात ब्लैकआउट (बिजली गुल) हो गया। इससे कराची, लाहौर, इस्लामाबाद, मुल्तान, कसूर, रावलपिंडी और मंडी अंधेरे में डूब गए। इसके बाद सोशल मीडिया पर #Blackout और #LoadShedding ट्रेंड करने लगा। इस्लामाबाद के डिप्टी कमिश्नर हमजा शफकत ने कहा कि बिजली कंपनी का सिस्टम ट्रिप होने के कारण ब्लैकआउट हुआ। लोगों ने सोशल मीडिया पर इस बदइंतजामी के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली। सुर्खियों में और क्या है... पश्चिम बंगाल में हर व्यक्ति को कोरोना वैक्सीन फ्री में दी जाएगी। विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने रविवार को ये एलान किया। कोरोना से अमेरिका, ब्रिटेन और ब्राजील में हालात बेकाबू हो चुके हैं। अमेरिका में शुक्रवार को दो लाख 49 हजार 519 मरीज मिले। ब्रिटेन की क्वीन एलिजाबेथ और प्रिंस फिलिप को शनिवार को कोरोना वैक्सीन लगाई गई। हालांकि, यह नहीं बताया गया है कि उन्हें कौन सी वैक्सीन दी गई है। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें Top News of 10 January 2021| PM Kisan Samman Yojana will save lives of soldiers in Bandarbant, Ladakh and Siachen, cold and can cause havoc on January 14 https://ift.tt/35qW8k6 Dainik Bhaskar PM किसान सम्मान योजना में बंदरबांट, लद्दाख-सियाचिन में जवानों की जान बचाएगा हिमतापक और 14 जनवरी को कहर ढा सकती है सर्दी

नमस्कार! हरियाणा में पुलिस ने किसानों पर आंसू गैस और वॉटर कैनन चलाई। सिडनी टेस्ट में लगातार दूसरे दिन मंकीगेट विवाद हुआ। चीन ने भारतीय सेन...
- January 11, 2021
नमस्कार! हरियाणा में पुलिस ने किसानों पर आंसू गैस और वॉटर कैनन चलाई। सिडनी टेस्ट में लगातार दूसरे दिन मंकीगेट विवाद हुआ। चीन ने भारतीय सेना से अपने सैनिक की रिहाई की मांग की है। बहरहाल शुरू करते हैं न्यूज ब्रीफ। आज इन इवेंट्स पर रहेगी नजर... किसान आंदोलन और कृषि कानूनों से जुड़ी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वैक्सीन डिस्ट्रीब्यूशन को लेकर राज्यों के मुख्यमंत्रियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बात करेंगे। बॉम्बे हाईकोर्ट में बृहनमुंबई नगरपालिका (BMC) के नोटिस के खिलाफ एक्टर सोनू सूद की याचिका पर सुनवाई होगी। सेंट्रल बोर्ड और डायरेक्ट टैक्सेस (CBDT) के बोर्ड मेंबर्स के सिलेक्शन के लिए सेक्रेटरीज की बैठक होगी। देश-विदेश किसानों पर आंसू गैस-वॉटर कैनन चलाई किसान आंदोलन का रविवार को 46वां दिन था। दिल्ली की सीमाओं पर बैठे किसान अब भी केंद्र सरकार से दूरी बनाए हुए हैं। इस बीच, हरियाणा के करनाल में उस समय हंगामा हो गया, जब कैमला गांव में किसानों ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की रैली का विरोध किया। पुलिस ने किसानों को रोका तो दोनों के बीच झड़प शुरू हो गई। हंगामा इस कदर बढ़ा कि किसानों को रोकने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले दागने पड़े और वॉटर कैनन भी चलानी पड़ी। इसके बाद खराब मौसम का हवाला देकर मुख्यमंत्री खट्टर का कार्यक्रम रद्द कर दिया गया है। पीएम किसान योजना में बंदरबांट प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत 20 लाख 48 हजार ऐसे किसानों को 1 हजार 364 करोड़ रुपए का भुगतान कर दिया गया, जो तय क्राइटेरिया में ही नहीं आते थे। इस बात का खुलासा राइट टू इनफॉर्मेशन (RTI) से मिली जानकारी से हुआ है। कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव (CHRI) से जुड़े वेंकटेश नायक ने यह जानकारी मांगी थी। केंद्रीय कृषि मंत्रालय से मिली जानकारी के मुताबिक, जिन अपात्र किसानों के पास स्कीम का पैसा पहुंचा है, उनमें दो कैटेगरी शामिल हैं। पहली में वे किसान हैं, जो इसके लिए जरूरी योग्यता नहीं रखते हैं। दूसरी कैटेगरी में ऐसे किसान हैं, जो इनकम टैक्स भरते हैं। सिडनी में दूसरे दिन भी नस्लीय टिप्पणी सिडनी टेस्ट में लगातार दूसरे दिन मंकीगेट विवाद हुआ। टेस्ट के चौथे दिन भी भारतीय बॉलर मो. सिराज पर दर्शकों ने नस्लभेदी टिप्पणी की। बाउंड्री के करीब बैठे दर्शकों की एक टोली लगातार सिराज को ब्राउन मंकी और बिग डॉग बोल रही थी। सिराज ने इसकी शिकायत फील्ड अंपायर पॉल राफेल से की। मैच रेफरी और टीवी अंपायर से फील्ड अंपायर ने बातचीत की और फिर पुलिस बुलाई गई। पुलिस ने 6 दर्शकों को बाहर निकाल दिया। क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने भी इस घटना पर टीम इंडिया से माफी मांगी है। विराट कोहली ने भी इस घटना पर ऐतराज जताया है। वैक्सीनेशन पर कांग्रेस में दो फाड़ 16 जनवरी से देश में वैक्सीनेशन ड्राइव शुरू होना है। इस बीच, वैक्सीन पर सवाल खड़े करने वाली कांग्रेस दो खेमों में बंट गई है। शशि थरूर, जयराम रमेश जैसे कई नेताओं ने वैक्सीन पर सवाल खड़े किए तो कांग्रेसी राज वाले राज्य पंजाब, झारखंड और राजस्थान के मंत्री वैक्सीन के पक्ष में खड़े हो गए। इन राज्यों के मंत्रियों ने साफ कहा कि वैक्सीन पर किसी तरह का सवाल खड़ा करना ठीक नहीं है। झारखंड के मंत्री ने तो यहां तक कह दिया कि जनहित के मामलों में वह केंद्र सरकार के साथ खड़े हैं। वहां कांग्रेस गठबंधन की सरकार है। चीन ने सैनिक की रिहाई की मांग की चीन ने भारतीय सेना की हिरासत में मौजूद अपने सैनिक की फौरन रिहाई की मांग की है। चीन की सेना यानी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के मुताबिक, यह सैनिक अंधेरे और इलाके की समझ न होने की वजह से भारतीय क्षेत्र में पहुंच गया था। इसलिए उसे जल्द रिहा किया जाना चाहिए। घटना पैगॉन्ग त्सो लेक के दक्षिणी हिस्से की है। अक्टूबर में भी एक चीनी सैनिक भारतीय सीमा में घुस गया था। दो दिन बाद उसे चीनी सेना के अफसरों को सौंप दिया गया था। जवानों की जान बचाएगा हिमतापक चीन से तनाव के बीच सियाचिन और लद्दाख जैसे बर्फीले इलाकों में तैनात जवानों को अब ज्यादा परेशान नहीं होना पड़ेगा। डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO) ने जवानों के लिए हिमतापक हीटिंग डिवाइस तैयार की है। ये ऐसी डिवाइस है, जिसके जरिए सेना का बंकर माइनस 40 डिग्री सेल्सियस तापमान में भी गर्म रहेगा। आर्मी ने इस डिवाइस के लिए 420 करोड़ का ऑर्डर भी DRDO को दे दिया है। जल्द ही इसे बर्फीले इलाकों में ITBP और सेना की पोस्ट पर लगाया जाएगा। एक्सप्लेनर कृषि कानूनों पर सुप्रीम सुनवाई किसान आंदोलन और कृषि कानूनों से जुड़े सभी मामलों की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में आज होगी। दरअसल, किसान आंदोलन से जुड़ी कई याचिकाएं कोर्ट में दायर हुई थीं। कुछ याचिकाओं में आंदोलन को खत्म करने की मांग की गई है, तो कई याचिकाओं में तीनों कानूनों को रद्द करने की। इन्हीं सब याचिकाओं पर अब चीफ जस्टिस एसए बोबड़े, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमण्यम की बेंच करेगी। इस मामले की आखिरी सुनवाई 17 दिसंबर को हुई थी। लेकिन सवाल ये है कि क्या सुप्रीम कोर्ट से मसला सुलझ सकता है? आइए एक-एक करके इस मामले को पूरी तरह समझते हैं। पढ़ें पूरी खबर... पॉजिटिव खबर फर्श से अर्श तक का सफर आज हम आपको अजमेर के भरत ताराचंदानी की कहानी बताने जा रहे हैं। भरत जब छटवीं क्लास में थे, तब उनके पिता का एक्सीडेंट हो गया था। हादसे के बाद पिता बेड पर चले गए थे। तभी से भरत और उनके परिवार का स्ट्रगल शुरू हो गया था। लेकिन, आज वे पुष्कर में पांच दुकानों के मालिक हैं और टर्नओवर करोड़ों में है। ये सब वो कैसे कर पाए, उन्हीं से जानिए। पढ़ें पूरी खबर... 14 जनवरी हो सकता है सबसे सर्द दिन दो दशक बाद जनवरी के पहले हफ्ते में देशभर में मानसून जैसा माहौल बन गया। उत्तर के पहाड़ी राज्यों में जबरदस्त बर्फबारी हुई तो दक्षिण के राज्यों में भारी बारिश। दक्षिण में जनवरी में बारिश के 100 साल तक के रिकॉर्ड टूट गए। पश्चिमी विक्षोभ के साथ-साथ देश के अलग-अलग हिस्सों में एक साथ कई चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बनने से यह स्थिति पैदा हुई। देश के सभी ऊंचे पहाड़ी इलाकों में 5 से 8 फीट तक मोटी बर्फ की चादर लिपटी है। मौसम विभाग के मुताबिक, बर्फीली हवाओं का असर समूचे उत्तर, पश्चिम, मध्य व पूर्वी राज्यों पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार तक दिखेगा। अंधेरे में डूबे पाकिस्तान के शहर पाकिस्तान में शनिवार देर रात ब्लैकआउट (बिजली गुल) हो गया। इससे कराची, लाहौर, इस्लामाबाद, मुल्तान, कसूर, रावलपिंडी और मंडी अंधेरे में डूब गए। इसके बाद सोशल मीडिया पर #Blackout और #LoadShedding ट्रेंड करने लगा। इस्लामाबाद के डिप्टी कमिश्नर हमजा शफकत ने कहा कि बिजली कंपनी का सिस्टम ट्रिप होने के कारण ब्लैकआउट हुआ। लोगों ने सोशल मीडिया पर इस बदइंतजामी के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली। सुर्खियों में और क्या है... पश्चिम बंगाल में हर व्यक्ति को कोरोना वैक्सीन फ्री में दी जाएगी। विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने रविवार को ये एलान किया। कोरोना से अमेरिका, ब्रिटेन और ब्राजील में हालात बेकाबू हो चुके हैं। अमेरिका में शुक्रवार को दो लाख 49 हजार 519 मरीज मिले। ब्रिटेन की क्वीन एलिजाबेथ और प्रिंस फिलिप को शनिवार को कोरोना वैक्सीन लगाई गई। हालांकि, यह नहीं बताया गया है कि उन्हें कौन सी वैक्सीन दी गई है। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें Top News of 10 January 2021| PM Kisan Samman Yojana will save lives of soldiers in Bandarbant, Ladakh and Siachen, cold and can cause havoc on January 14 https://ift.tt/35qW8k6 Dainik Bhaskar PM किसान सम्मान योजना में बंदरबांट, लद्दाख-सियाचिन में जवानों की जान बचाएगा हिमतापक और 14 जनवरी को कहर ढा सकती है सर्दी 

नमस्कार!
हरियाणा में पुलिस ने किसानों पर आंसू गैस और वॉटर कैनन चलाई। सिडनी टेस्ट में लगातार दूसरे दिन मंकीगेट विवाद हुआ। चीन ने भारतीय सेना से अपने सैनिक की रिहाई की मांग की है। बहरहाल शुरू करते हैं न्यूज ब्रीफ।

आज इन इवेंट्स पर रहेगी नजर...

किसान आंदोलन और कृषि कानूनों से जुड़ी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वैक्सीन डिस्ट्रीब्यूशन को लेकर राज्यों के मुख्यमंत्रियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बात करेंगे।

बॉम्बे हाईकोर्ट में बृहनमुंबई नगरपालिका (BMC) के नोटिस के खिलाफ एक्टर सोनू सूद की याचिका पर सुनवाई होगी।

सेंट्रल बोर्ड और डायरेक्ट टैक्सेस (CBDT) के बोर्ड मेंबर्स के सिलेक्शन के लिए सेक्रेटरीज की बैठक होगी।

देश-विदेश

किसानों पर आंसू गैस-वॉटर कैनन चलाई
किसान आंदोलन का रविवार को 46वां दिन था। दिल्ली की सीमाओं पर बैठे किसान अब भी केंद्र सरकार से दूरी बनाए हुए हैं। इस बीच, हरियाणा के करनाल में उस समय हंगामा हो गया, जब कैमला गांव में किसानों ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की रैली का विरोध किया। पुलिस ने किसानों को रोका तो दोनों के बीच झड़प शुरू हो गई। हंगामा इस कदर बढ़ा कि किसानों को रोकने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले दागने पड़े और वॉटर कैनन भी चलानी पड़ी। इसके बाद खराब मौसम का हवाला देकर मुख्यमंत्री खट्टर का कार्यक्रम रद्द कर दिया गया है।

पीएम किसान योजना में बंदरबांट
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत 20 लाख 48 हजार ऐसे किसानों को 1 हजार 364 करोड़ रुपए का भुगतान कर दिया गया, जो तय क्राइटेरिया में ही नहीं आते थे। इस बात का खुलासा राइट टू इनफॉर्मेशन (RTI) से मिली जानकारी से हुआ है। कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव (CHRI) से जुड़े वेंकटेश नायक ने यह जानकारी मांगी थी। केंद्रीय कृषि मंत्रालय से मिली जानकारी के मुताबिक, जिन अपात्र किसानों के पास स्कीम का पैसा पहुंचा है, उनमें दो कैटेगरी शामिल हैं। पहली में वे किसान हैं, जो इसके लिए जरूरी योग्यता नहीं रखते हैं। दूसरी कैटेगरी में ऐसे किसान हैं, जो इनकम टैक्स भरते हैं।

सिडनी में दूसरे दिन भी नस्लीय टिप्पणी
सिडनी टेस्ट में लगातार दूसरे दिन मंकीगेट विवाद हुआ। टेस्ट के चौथे दिन भी भारतीय बॉलर मो. सिराज पर दर्शकों ने नस्लभेदी टिप्पणी की। बाउंड्री के करीब बैठे दर्शकों की एक टोली लगातार सिराज को ब्राउन मंकी और बिग डॉग बोल रही थी। सिराज ने इसकी शिकायत फील्ड अंपायर पॉल राफेल से की। मैच रेफरी और टीवी अंपायर से फील्ड अंपायर ने बातचीत की और फिर पुलिस बुलाई गई। पुलिस ने 6 दर्शकों को बाहर निकाल दिया। क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने भी इस घटना पर टीम इंडिया से माफी मांगी है। विराट कोहली ने भी इस घटना पर ऐतराज जताया है।

वैक्सीनेशन पर कांग्रेस में दो फाड़
16 जनवरी से देश में वैक्सीनेशन ड्राइव शुरू होना है। इस बीच, वैक्सीन पर सवाल खड़े करने वाली कांग्रेस दो खेमों में बंट गई है। शशि थरूर, जयराम रमेश जैसे कई नेताओं ने वैक्सीन पर सवाल खड़े किए तो कांग्रेसी राज वाले राज्य पंजाब, झारखंड और राजस्थान के मंत्री वैक्सीन के पक्ष में खड़े हो गए। इन राज्यों के मंत्रियों ने साफ कहा कि वैक्सीन पर किसी तरह का सवाल खड़ा करना ठीक नहीं है। झारखंड के मंत्री ने तो यहां तक कह दिया कि जनहित के मामलों में वह केंद्र सरकार के साथ खड़े हैं। वहां कांग्रेस गठबंधन की सरकार है।

चीन ने सैनिक की रिहाई की मांग की
चीन ने भारतीय सेना की हिरासत में मौजूद अपने सैनिक की फौरन रिहाई की मांग की है। चीन की सेना यानी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के मुताबिक, यह सैनिक अंधेरे और इलाके की समझ न होने की वजह से भारतीय क्षेत्र में पहुंच गया था। इसलिए उसे जल्द रिहा किया जाना चाहिए। घटना पैगॉन्ग त्सो लेक के दक्षिणी हिस्से की है। अक्टूबर में भी एक चीनी सैनिक भारतीय सीमा में घुस गया था। दो दिन बाद उसे चीनी सेना के अफसरों को सौंप दिया गया था।

जवानों की जान बचाएगा हिमतापक
चीन से तनाव के बीच सियाचिन और लद्दाख जैसे बर्फीले इलाकों में तैनात जवानों को अब ज्यादा परेशान नहीं होना पड़ेगा। डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO) ने जवानों के लिए हिमतापक हीटिंग डिवाइस तैयार की है। ये ऐसी डिवाइस है, जिसके जरिए सेना का बंकर माइनस 40 डिग्री सेल्सियस तापमान में भी गर्म रहेगा। आर्मी ने इस डिवाइस के लिए 420 करोड़ का ऑर्डर भी DRDO को दे दिया है। जल्द ही इसे बर्फीले इलाकों में ITBP और सेना की पोस्ट पर लगाया जाएगा।

एक्सप्लेनर
कृषि कानूनों पर सुप्रीम सुनवाई
किसान आंदोलन और कृषि कानूनों से जुड़े सभी मामलों की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में आज होगी। दरअसल, किसान आंदोलन से जुड़ी कई याचिकाएं कोर्ट में दायर हुई थीं। कुछ याचिकाओं में आंदोलन को खत्म करने की मांग की गई है, तो कई याचिकाओं में तीनों कानूनों को रद्द करने की। इन्हीं सब याचिकाओं पर अब चीफ जस्टिस एसए बोबड़े, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमण्यम की बेंच करेगी। इस मामले की आखिरी सुनवाई 17 दिसंबर को हुई थी। लेकिन सवाल ये है कि क्या सुप्रीम कोर्ट से मसला सुलझ सकता है? आइए एक-एक करके इस मामले को पूरी तरह समझते हैं।

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पॉजिटिव खबर
फर्श से अर्श तक का सफर
आज हम आपको अजमेर के भरत ताराचंदानी की कहानी बताने जा रहे हैं। भरत जब छटवीं क्लास में थे, तब उनके पिता का एक्सीडेंट हो गया था। हादसे के बाद पिता बेड पर चले गए थे। तभी से भरत और उनके परिवार का स्ट्रगल शुरू हो गया था। लेकिन, आज वे पुष्कर में पांच दुकानों के मालिक हैं और टर्नओवर करोड़ों में है। ये सब वो कैसे कर पाए, उन्हीं से जानिए।

पढ़ें पूरी खबर...

14 जनवरी हो सकता है सबसे सर्द दिन
दो दशक बाद जनवरी के पहले हफ्ते में देशभर में मानसून जैसा माहौल बन गया। उत्तर के पहाड़ी राज्यों में जबरदस्त बर्फबारी हुई तो दक्षिण के राज्यों में भारी बारिश। दक्षिण में जनवरी में बारिश के 100 साल तक के रिकॉर्ड टूट गए। पश्चिमी विक्षोभ के साथ-साथ देश के अलग-अलग हिस्सों में एक साथ कई चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बनने से यह स्थिति पैदा हुई। देश के सभी ऊंचे पहाड़ी इलाकों में 5 से 8 फीट तक मोटी बर्फ की चादर लिपटी है। मौसम विभाग के मुताबिक, बर्फीली हवाओं का असर समूचे उत्तर, पश्चिम, मध्य व पूर्वी राज्यों पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार तक दिखेगा।

अंधेरे में डूबे पाकिस्तान के शहर
पाकिस्तान में शनिवार देर रात ब्लैकआउट (बिजली गुल) हो गया। इससे कराची, लाहौर, इस्लामाबाद, मुल्तान, कसूर, रावलपिंडी और मंडी अंधेरे में डूब गए। इसके बाद सोशल मीडिया पर #Blackout और #LoadShedding ट्रेंड करने लगा। इस्लामाबाद के डिप्टी कमिश्नर हमजा शफकत ने कहा कि बिजली कंपनी का सिस्टम ट्रिप होने के कारण ब्लैकआउट हुआ। लोगों ने सोशल मीडिया पर इस बदइंतजामी के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली।

सुर्खियों में और क्या है...

पश्चिम बंगाल में हर व्यक्ति को कोरोना वैक्सीन फ्री में दी जाएगी। विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने रविवार को ये एलान किया।

कोरोना से अमेरिका, ब्रिटेन और ब्राजील में हालात बेकाबू हो चुके हैं। अमेरिका में शुक्रवार को दो लाख 49 हजार 519 मरीज मिले।

ब्रिटेन की क्वीन एलिजाबेथ और प्रिंस फिलिप को शनिवार को कोरोना वैक्सीन लगाई गई। हालांकि, यह नहीं बताया गया है कि उन्हें कौन सी वैक्सीन दी गई है।

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Top News of 10 January 2021| PM Kisan Samman Yojana will save lives of soldiers in Bandarbant, Ladakh and Siachen, cold and can cause havoc on January 14

https://ift.tt/35qW8k6 Dainik Bhaskar PM किसान सम्मान योजना में बंदरबांट, लद्दाख-सियाचिन में जवानों की जान बचाएगा हिमतापक और 14 जनवरी को कहर ढा सकती है सर्दी Reviewed by Manish Pethev on January 11, 2021 Rating: 5

आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें Farmers Agitation | Rally | Khattar | Helicopter | Haryana CM's rally canceled due to opposition from farmers https://ift.tt/2K1hUU4 Dainik Bhaskar किसानों के विरोध के चलते हरियाणा के CM की रैली रद्द, अपने ही जिले में बुलाई थी महापंचायत

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- January 11, 2021
आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें Farmers Agitation | Rally | Khattar | Helicopter | Haryana CM's rally canceled due to opposition from farmers https://ift.tt/2K1hUU4 Dainik Bhaskar किसानों के विरोध के चलते हरियाणा के CM की रैली रद्द, अपने ही जिले में बुलाई थी महापंचायत 

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Farmers Agitation | Rally | Khattar | Helicopter | Haryana CM's rally canceled due to opposition from farmers

https://ift.tt/2K1hUU4 Dainik Bhaskar किसानों के विरोध के चलते हरियाणा के CM की रैली रद्द, अपने ही जिले में बुलाई थी महापंचायत Reviewed by Manish Pethev on January 11, 2021 Rating: 5

कहानी - महाभारत में पांडवों का 12 वर्ष का वनवास और 1 वर्ष का अज्ञातवास पूरा हो चुका था। इसके बाद श्रीकृष्ण पांडवों के दूत बनकर हस्तिनापुर पहुंचे और दुर्योधन से कहा कि अब पांडवों को उनका राज्य लौटा दो। लेकिन, दुर्योधन ने कृष्ण की बात नहीं मानी। कृष्ण ने दुर्योधन को कई तरह से समझाने की कोशिश की, लेकिन दुर्योधन पांडवों को एक गांव तक देने के लिए तैयार नहीं था। तब श्रीकृष्ण दरबार से जाने लगे तो दुर्योधन ने उनसे कहा, 'आप हमारे यहां आए तो बिना भोजन किए कैसे जा सकते हैं, मैं आपको मेरे यहां भोजन करने के लिए आमंत्रित करता हूं।' कृष्ण बोले, 'मेरा ये नियम है कि मैं किसी के यहां और किसी के साथ भोजन करते समय दो बातें ध्यान रखता हूं। पहली, मुझे बहुत भूख लगी हो। दूसरी, सामने वाला मुझे बहुत प्रेम से खिला रहा हो। इस समय तुम्हारे साथ ये दोनों बातें नहीं हैं। पहली बात, मुझे अभी भूख नहीं लगी है। दूसरी बात, तुम मेरी सही बात नहीं मान रहे हो। तुम मुझे खाना खिलाना चाहते हो, लेकिन मुझे इसमें प्रेम दिखाई नहीं दे रहा है। जैसा तुम्हारा स्वभाव है, इसमें भी कोई षड़यंत्र हो सकता है।' इसके बाद कृष्ण विदुर के यहां भोजन करने चले गए। सीख- श्रीकृष्ण ने सीख दी है कि हम जब भी किसी के यहां खाना खाने जाते हैं तो ये बात जरूर ध्यान रखें कि खाना खिलाने वाले के विचार कैसे हैं, उसकी नीयत कैसी है? क्योंकि अन्न हमारे मन पर असर डालता है। अगर हम बुरे स्वभाव वाले व्यक्ति के हाथ का बना खाना खाएंगे तो उसकी बुराई हमारे अंदर प्रवेश कर जाएगी। कोई व्यक्ति गलत इरादे से खाना खिलाए तो उसके यहां खाना खाने से बचना चाहिए। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें aaj ka jeevan mantra by pandit vijayshanakr mehta, story of krishna and duryodhana, lord krishna lesson to duryodhan https://ift.tt/3i03noh Dainik Bhaskar अगर कोई खाने पर बुलाए तो उसकी सोच और नीयत कैसी है, इस बात का ध्यान जरूर रखें

कहानी - महाभारत में पांडवों का 12 वर्ष का वनवास और 1 वर्ष का अज्ञातवास पूरा हो चुका था। इसके बाद श्रीकृष्ण पांडवों के दूत बनकर हस्तिनापुर ...
- January 11, 2021
कहानी - महाभारत में पांडवों का 12 वर्ष का वनवास और 1 वर्ष का अज्ञातवास पूरा हो चुका था। इसके बाद श्रीकृष्ण पांडवों के दूत बनकर हस्तिनापुर पहुंचे और दुर्योधन से कहा कि अब पांडवों को उनका राज्य लौटा दो। लेकिन, दुर्योधन ने कृष्ण की बात नहीं मानी। कृष्ण ने दुर्योधन को कई तरह से समझाने की कोशिश की, लेकिन दुर्योधन पांडवों को एक गांव तक देने के लिए तैयार नहीं था। तब श्रीकृष्ण दरबार से जाने लगे तो दुर्योधन ने उनसे कहा, 'आप हमारे यहां आए तो बिना भोजन किए कैसे जा सकते हैं, मैं आपको मेरे यहां भोजन करने के लिए आमंत्रित करता हूं।' कृष्ण बोले, 'मेरा ये नियम है कि मैं किसी के यहां और किसी के साथ भोजन करते समय दो बातें ध्यान रखता हूं। पहली, मुझे बहुत भूख लगी हो। दूसरी, सामने वाला मुझे बहुत प्रेम से खिला रहा हो। इस समय तुम्हारे साथ ये दोनों बातें नहीं हैं। पहली बात, मुझे अभी भूख नहीं लगी है। दूसरी बात, तुम मेरी सही बात नहीं मान रहे हो। तुम मुझे खाना खिलाना चाहते हो, लेकिन मुझे इसमें प्रेम दिखाई नहीं दे रहा है। जैसा तुम्हारा स्वभाव है, इसमें भी कोई षड़यंत्र हो सकता है।' इसके बाद कृष्ण विदुर के यहां भोजन करने चले गए। सीख- श्रीकृष्ण ने सीख दी है कि हम जब भी किसी के यहां खाना खाने जाते हैं तो ये बात जरूर ध्यान रखें कि खाना खिलाने वाले के विचार कैसे हैं, उसकी नीयत कैसी है? क्योंकि अन्न हमारे मन पर असर डालता है। अगर हम बुरे स्वभाव वाले व्यक्ति के हाथ का बना खाना खाएंगे तो उसकी बुराई हमारे अंदर प्रवेश कर जाएगी। कोई व्यक्ति गलत इरादे से खाना खिलाए तो उसके यहां खाना खाने से बचना चाहिए। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें aaj ka jeevan mantra by pandit vijayshanakr mehta, story of krishna and duryodhana, lord krishna lesson to duryodhan https://ift.tt/3i03noh Dainik Bhaskar अगर कोई खाने पर बुलाए तो उसकी सोच और नीयत कैसी है, इस बात का ध्यान जरूर रखें 

कहानी - महाभारत में पांडवों का 12 वर्ष का वनवास और 1 वर्ष का अज्ञातवास पूरा हो चुका था। इसके बाद श्रीकृष्ण पांडवों के दूत बनकर हस्तिनापुर पहुंचे और दुर्योधन से कहा कि अब पांडवों को उनका राज्य लौटा दो। लेकिन, दुर्योधन ने कृष्ण की बात नहीं मानी।

कृष्ण ने दुर्योधन को कई तरह से समझाने की कोशिश की, लेकिन दुर्योधन पांडवों को एक गांव तक देने के लिए तैयार नहीं था। तब श्रीकृष्ण दरबार से जाने लगे तो दुर्योधन ने उनसे कहा, 'आप हमारे यहां आए तो बिना भोजन किए कैसे जा सकते हैं, मैं आपको मेरे यहां भोजन करने के लिए आमंत्रित करता हूं।'

कृष्ण बोले, 'मेरा ये नियम है कि मैं किसी के यहां और किसी के साथ भोजन करते समय दो बातें ध्यान रखता हूं। पहली, मुझे बहुत भूख लगी हो। दूसरी, सामने वाला मुझे बहुत प्रेम से खिला रहा हो। इस समय तुम्हारे साथ ये दोनों बातें नहीं हैं। पहली बात, मुझे अभी भूख नहीं लगी है। दूसरी बात, तुम मेरी सही बात नहीं मान रहे हो। तुम मुझे खाना खिलाना चाहते हो, लेकिन मुझे इसमें प्रेम दिखाई नहीं दे रहा है। जैसा तुम्हारा स्वभाव है, इसमें भी कोई षड़यंत्र हो सकता है।'

इसके बाद कृष्ण विदुर के यहां भोजन करने चले गए।

सीख- श्रीकृष्ण ने सीख दी है कि हम जब भी किसी के यहां खाना खाने जाते हैं तो ये बात जरूर ध्यान रखें कि खाना खिलाने वाले के विचार कैसे हैं, उसकी नीयत कैसी है? क्योंकि अन्न हमारे मन पर असर डालता है। अगर हम बुरे स्वभाव वाले व्यक्ति के हाथ का बना खाना खाएंगे तो उसकी बुराई हमारे अंदर प्रवेश कर जाएगी। कोई व्यक्ति गलत इरादे से खाना खिलाए तो उसके यहां खाना खाने से बचना चाहिए।

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aaj ka jeevan mantra by pandit vijayshanakr mehta, story of krishna and duryodhana, lord krishna lesson to duryodhan

https://ift.tt/3i03noh Dainik Bhaskar अगर कोई खाने पर बुलाए तो उसकी सोच और नीयत कैसी है, इस बात का ध्यान जरूर रखें Reviewed by Manish Pethev on January 11, 2021 Rating: 5

आज हम आपको अजमेर के भरत ताराचंदानी की कहानी बताने जा रहे हैं। भरत जब छठवीं क्लास में थे, तब उनके पिता का एक्सीडेंट हो गया था और वो बेड रेस्ट पर चले गए थे। तभी से भरत और उनके परिवार का संघर्ष शुरू हो गया था। आज वो पुष्कर में पांच दुकानों के मालिक हैं और टर्नओवर करोड़ों में है। ये सब वो कैसे कर पाए, उन्हीं से जानिए। भरत कहते हैं, 'पिता अकेले कमाने वाले थे और अचानक उनका एक्सीडेंट हो जाने से कमाई बंद हो गई। हम सब भाई-बहन छोटे थे। मां समझ नहीं पा रही थीं कि अब परिवार का भरण-पोषण आखिर होगा कैसे? दिनोंदिन हालात बिगड़ते ही गए। मां ने सिलाई-बुनाई का काम शुरू किया। बड़े भाई ने मेडिकल स्टोर पर जाना शुरू कर दिया। मैं किराने की दुकान पर जाने लगा। सुबह अखबार भी बांटता था। एसटीडी पीसीओ पर काम किया। हम लोग हर छोटा-बड़ा वो काम कर रहे थे, जिससे घर में चार पैसे आ सकें। कुछ सालों तक जिंदगी की गाड़ी ऐसे ही चलती रही।' उन्होंने बताया कि हम सिंधी कम्युनिटी से आते हैं। हमारी कम्युनिटी के लोग या तो बिजनेस करते हैं या पैसा कमाने विदेश जाते हैं। पहले तो ऐसा ही होता था। मेरे बड़े भाई को किसी लिंक के जरिए पश्चिम अफ्रीका जाने का मौका मिला। वो वहां नौकरी करने लगे। वो जो पैसे भेजते थे, उससे हम उधारी चुका रहे थे। चार साल बाद वो वापस आ गए और पुष्कर में नौकरी करने लगे। भरत बताते हैं, 'मैं 12वीं कर चुका था। अपने मामा के एक कॉन्टैक्ट से मैं दुबई चला गया और वहां टेक्सटाइल कंपनी में नौकरी करने लगा। मुझे लगता था कि दुबई जाते ही सब ठीक हो जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। वहां मैंने बहुत स्ट्रगल किया। सामान की डिलिवरी, बुकिंग से लेकर कार्टन उठाने तक का काम करता था। पांच साल तक वहां नौकरी करता रहा।' भरत कहते हैं कि ये बहुत पहले तय कर लिया था कि मुझे इतना कमाना है कि मेरे घरवालों को कभी पीछे मुड़कर न देखना पड़े। इंसेंटिव की स्कीम काम कर गई वो कहते हैं, 'जब लौटकर अजमेर आया तो बड़े भाई ने कहा कि अब हमें अपना कुछ करना चाहिए। आखिर कब तक किसी दूसरे के लिए काम करते रहेंगे। गल्फ कंट्री में रहने वाले अपने एक दोस्त से मैंने तीन लाख रुपए उधार लिए। कुछ पैसे बड़े भाई ने यहां-वहां से लिए और हमने पुष्कर में 6 लाख रुपए में लीज पर एक दुकान ले ली। जहां दुकान ली, वहां उस समय कोई डेवलपमेंट नहीं था। आसपास के दुकानदार बोल रहे थे कि यहां शाम को परिंदे भी नहीं दिखते, ग्राहक क्या आएंगे। लेकिन मैंने देखा कि वहां आसपास होटल और धर्मशालाएं बहुत हैं। मुझे उम्मीद थी कि कपड़े की दुकान खुलेगी तो ग्राहक आना शुरू हो जाएंगे। मैंने हिम्मत करके वहीं दुकान खोली।' भरत ने बताया, 'गाइड और ड्राइवर्स को पांच परसेंट इंसेंटिव देना शुरू किया। शर्त यही थी कि जितने ग्राहक तुम दुकान पर लाओगे, उतना इंसेंटिव तुम्हें भी मिलेगा और दस से पंद्रह परसेंट डिस्काउंट ग्राहकों को भी दूंगा। मेरी ये स्कीम काम कर गई और दुकान पर ग्राहकों की भीड़ लगना शुरू हो गई। मेरी दुकान पर बसों में टूरिस्ट आने लगे। रात में दो-दो बजे तक ग्राहकी होनी लगी।' तीन दुकानों को मिलाकर बनाया शोरूम वो कहते हैं कि ये सब देखकर आसपास के कई व्यापारियों ने मेरी दुकान के आसपास दुकानें खोलना शुरू कर दीं। धीरे-धीरे मार्केट डेवलप हो गया। सब जगह एक जैसा माल मिलने लगा। फिर मुझे लगा कि अब कुछ बड़ा नहीं किया तो फिर बिजनेस में आगे नहीं बढ़ पाएंगे। इसलिए जो भी पैसा कमाया था, वो सब लगाकर दो दुकानें और खरीदीं। तीनों दुकानों को मिलाकर शोरूम में तब्दील कर दिया। तब से आज तक मुझे और मेरे परिवार को पीछे मुड़कर नहीं देखना पड़ा। अब हमारे पास पुष्कर में पांच दुकानें हैं। जिस दुकान पर मैं बैठता हूं, उसका ही टर्नओवर एक करोड़ से ऊपर है। दस से पंद्रह लोगों को हम रोजगार दे रहे हैं। मैंने ये अनुभव किया है कि भले ही जो किस्मत में तो वो आपको न मिले, लेकिन जो आपकी मेहनत का है, वो आपसे कोई नहीं छीन सकता। भरत ने कहा, 'मुझे लिखने-पढ़ने का शौक बचपन से ही रहा है। पहले मजबूरी के चलते ये काम नहीं कर पाया था। अब बिजनेस के साथ ये भी कर रहा हूं। कई स्क्रिप्ट्स पर काम कर रहा हूं। हां और सुबह उठने का जो नियम पांच साल पहले था, वो आज भी है। आज भी सुबह साढ़े सात-आठ बजे दुकान खोल देता हूं। चाहे कुछ भी हो।' आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें अजमेर के रहने वाले भरत तारांचदानी का अब पुष्कर में एक बड़ा शोरूम है। इसके साथ ही कई दुकानें भी हैं। https://ift.tt/2XuETtO Dainik Bhaskar बचपन में पिता का एक्सीडेंट हो गया, घर चलाने के लिए अखबार बांटा; आज पांच दुकानों के मालिक

आज हम आपको अजमेर के भरत ताराचंदानी की कहानी बताने जा रहे हैं। भरत जब छठवीं क्लास में थे, तब उनके पिता का एक्सीडेंट हो गया था और वो बेड रेस्...
- January 11, 2021
आज हम आपको अजमेर के भरत ताराचंदानी की कहानी बताने जा रहे हैं। भरत जब छठवीं क्लास में थे, तब उनके पिता का एक्सीडेंट हो गया था और वो बेड रेस्ट पर चले गए थे। तभी से भरत और उनके परिवार का संघर्ष शुरू हो गया था। आज वो पुष्कर में पांच दुकानों के मालिक हैं और टर्नओवर करोड़ों में है। ये सब वो कैसे कर पाए, उन्हीं से जानिए। भरत कहते हैं, 'पिता अकेले कमाने वाले थे और अचानक उनका एक्सीडेंट हो जाने से कमाई बंद हो गई। हम सब भाई-बहन छोटे थे। मां समझ नहीं पा रही थीं कि अब परिवार का भरण-पोषण आखिर होगा कैसे? दिनोंदिन हालात बिगड़ते ही गए। मां ने सिलाई-बुनाई का काम शुरू किया। बड़े भाई ने मेडिकल स्टोर पर जाना शुरू कर दिया। मैं किराने की दुकान पर जाने लगा। सुबह अखबार भी बांटता था। एसटीडी पीसीओ पर काम किया। हम लोग हर छोटा-बड़ा वो काम कर रहे थे, जिससे घर में चार पैसे आ सकें। कुछ सालों तक जिंदगी की गाड़ी ऐसे ही चलती रही।' उन्होंने बताया कि हम सिंधी कम्युनिटी से आते हैं। हमारी कम्युनिटी के लोग या तो बिजनेस करते हैं या पैसा कमाने विदेश जाते हैं। पहले तो ऐसा ही होता था। मेरे बड़े भाई को किसी लिंक के जरिए पश्चिम अफ्रीका जाने का मौका मिला। वो वहां नौकरी करने लगे। वो जो पैसे भेजते थे, उससे हम उधारी चुका रहे थे। चार साल बाद वो वापस आ गए और पुष्कर में नौकरी करने लगे। भरत बताते हैं, 'मैं 12वीं कर चुका था। अपने मामा के एक कॉन्टैक्ट से मैं दुबई चला गया और वहां टेक्सटाइल कंपनी में नौकरी करने लगा। मुझे लगता था कि दुबई जाते ही सब ठीक हो जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। वहां मैंने बहुत स्ट्रगल किया। सामान की डिलिवरी, बुकिंग से लेकर कार्टन उठाने तक का काम करता था। पांच साल तक वहां नौकरी करता रहा।' भरत कहते हैं कि ये बहुत पहले तय कर लिया था कि मुझे इतना कमाना है कि मेरे घरवालों को कभी पीछे मुड़कर न देखना पड़े। इंसेंटिव की स्कीम काम कर गई वो कहते हैं, 'जब लौटकर अजमेर आया तो बड़े भाई ने कहा कि अब हमें अपना कुछ करना चाहिए। आखिर कब तक किसी दूसरे के लिए काम करते रहेंगे। गल्फ कंट्री में रहने वाले अपने एक दोस्त से मैंने तीन लाख रुपए उधार लिए। कुछ पैसे बड़े भाई ने यहां-वहां से लिए और हमने पुष्कर में 6 लाख रुपए में लीज पर एक दुकान ले ली। जहां दुकान ली, वहां उस समय कोई डेवलपमेंट नहीं था। आसपास के दुकानदार बोल रहे थे कि यहां शाम को परिंदे भी नहीं दिखते, ग्राहक क्या आएंगे। लेकिन मैंने देखा कि वहां आसपास होटल और धर्मशालाएं बहुत हैं। मुझे उम्मीद थी कि कपड़े की दुकान खुलेगी तो ग्राहक आना शुरू हो जाएंगे। मैंने हिम्मत करके वहीं दुकान खोली।' भरत ने बताया, 'गाइड और ड्राइवर्स को पांच परसेंट इंसेंटिव देना शुरू किया। शर्त यही थी कि जितने ग्राहक तुम दुकान पर लाओगे, उतना इंसेंटिव तुम्हें भी मिलेगा और दस से पंद्रह परसेंट डिस्काउंट ग्राहकों को भी दूंगा। मेरी ये स्कीम काम कर गई और दुकान पर ग्राहकों की भीड़ लगना शुरू हो गई। मेरी दुकान पर बसों में टूरिस्ट आने लगे। रात में दो-दो बजे तक ग्राहकी होनी लगी।' तीन दुकानों को मिलाकर बनाया शोरूम वो कहते हैं कि ये सब देखकर आसपास के कई व्यापारियों ने मेरी दुकान के आसपास दुकानें खोलना शुरू कर दीं। धीरे-धीरे मार्केट डेवलप हो गया। सब जगह एक जैसा माल मिलने लगा। फिर मुझे लगा कि अब कुछ बड़ा नहीं किया तो फिर बिजनेस में आगे नहीं बढ़ पाएंगे। इसलिए जो भी पैसा कमाया था, वो सब लगाकर दो दुकानें और खरीदीं। तीनों दुकानों को मिलाकर शोरूम में तब्दील कर दिया। तब से आज तक मुझे और मेरे परिवार को पीछे मुड़कर नहीं देखना पड़ा। अब हमारे पास पुष्कर में पांच दुकानें हैं। जिस दुकान पर मैं बैठता हूं, उसका ही टर्नओवर एक करोड़ से ऊपर है। दस से पंद्रह लोगों को हम रोजगार दे रहे हैं। मैंने ये अनुभव किया है कि भले ही जो किस्मत में तो वो आपको न मिले, लेकिन जो आपकी मेहनत का है, वो आपसे कोई नहीं छीन सकता। भरत ने कहा, 'मुझे लिखने-पढ़ने का शौक बचपन से ही रहा है। पहले मजबूरी के चलते ये काम नहीं कर पाया था। अब बिजनेस के साथ ये भी कर रहा हूं। कई स्क्रिप्ट्स पर काम कर रहा हूं। हां और सुबह उठने का जो नियम पांच साल पहले था, वो आज भी है। आज भी सुबह साढ़े सात-आठ बजे दुकान खोल देता हूं। चाहे कुछ भी हो।' आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें अजमेर के रहने वाले भरत तारांचदानी का अब पुष्कर में एक बड़ा शोरूम है। इसके साथ ही कई दुकानें भी हैं। https://ift.tt/2XuETtO Dainik Bhaskar बचपन में पिता का एक्सीडेंट हो गया, घर चलाने के लिए अखबार बांटा; आज पांच दुकानों के मालिक 

आज हम आपको अजमेर के भरत ताराचंदानी की कहानी बताने जा रहे हैं। भरत जब छठवीं क्लास में थे, तब उनके पिता का एक्सीडेंट हो गया था और वो बेड रेस्ट पर चले गए थे। तभी से भरत और उनके परिवार का संघर्ष शुरू हो गया था। आज वो पुष्कर में पांच दुकानों के मालिक हैं और टर्नओवर करोड़ों में है। ये सब वो कैसे कर पाए, उन्हीं से जानिए।

भरत कहते हैं, 'पिता अकेले कमाने वाले थे और अचानक उनका एक्सीडेंट हो जाने से कमाई बंद हो गई। हम सब भाई-बहन छोटे थे। मां समझ नहीं पा रही थीं कि अब परिवार का भरण-पोषण आखिर होगा कैसे? दिनोंदिन हालात बिगड़ते ही गए। मां ने सिलाई-बुनाई का काम शुरू किया। बड़े भाई ने मेडिकल स्टोर पर जाना शुरू कर दिया। मैं किराने की दुकान पर जाने लगा। सुबह अखबार भी बांटता था। एसटीडी पीसीओ पर काम किया। हम लोग हर छोटा-बड़ा वो काम कर रहे थे, जिससे घर में चार पैसे आ सकें। कुछ सालों तक जिंदगी की गाड़ी ऐसे ही चलती रही।'

उन्होंने बताया कि हम सिंधी कम्युनिटी से आते हैं। हमारी कम्युनिटी के लोग या तो बिजनेस करते हैं या पैसा कमाने विदेश जाते हैं। पहले तो ऐसा ही होता था। मेरे बड़े भाई को किसी लिंक के जरिए पश्चिम अफ्रीका जाने का मौका मिला। वो वहां नौकरी करने लगे। वो जो पैसे भेजते थे, उससे हम उधारी चुका रहे थे। चार साल बाद वो वापस आ गए और पुष्कर में नौकरी करने लगे।

भरत बताते हैं, 'मैं 12वीं कर चुका था। अपने मामा के एक कॉन्टैक्ट से मैं दुबई चला गया और वहां टेक्सटाइल कंपनी में नौकरी करने लगा। मुझे लगता था कि दुबई जाते ही सब ठीक हो जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। वहां मैंने बहुत स्ट्रगल किया। सामान की डिलिवरी, बुकिंग से लेकर कार्टन उठाने तक का काम करता था। पांच साल तक वहां नौकरी करता रहा।'

भरत कहते हैं कि ये बहुत पहले तय कर लिया था कि मुझे इतना कमाना है कि मेरे घरवालों को कभी पीछे मुड़कर न देखना पड़े।

इंसेंटिव की स्कीम काम कर गई

वो कहते हैं, 'जब लौटकर अजमेर आया तो बड़े भाई ने कहा कि अब हमें अपना कुछ करना चाहिए। आखिर कब तक किसी दूसरे के लिए काम करते रहेंगे। गल्फ कंट्री में रहने वाले अपने एक दोस्त से मैंने तीन लाख रुपए उधार लिए। कुछ पैसे बड़े भाई ने यहां-वहां से लिए और हमने पुष्कर में 6 लाख रुपए में लीज पर एक दुकान ले ली। जहां दुकान ली, वहां उस समय कोई डेवलपमेंट नहीं था। आसपास के दुकानदार बोल रहे थे कि यहां शाम को परिंदे भी नहीं दिखते, ग्राहक क्या आएंगे। लेकिन मैंने देखा कि वहां आसपास होटल और धर्मशालाएं बहुत हैं। मुझे उम्मीद थी कि कपड़े की दुकान खुलेगी तो ग्राहक आना शुरू हो जाएंगे। मैंने हिम्मत करके वहीं दुकान खोली।'

भरत ने बताया, 'गाइड और ड्राइवर्स को पांच परसेंट इंसेंटिव देना शुरू किया। शर्त यही थी कि जितने ग्राहक तुम दुकान पर लाओगे, उतना इंसेंटिव तुम्हें भी मिलेगा और दस से पंद्रह परसेंट डिस्काउंट ग्राहकों को भी दूंगा। मेरी ये स्कीम काम कर गई और दुकान पर ग्राहकों की भीड़ लगना शुरू हो गई। मेरी दुकान पर बसों में टूरिस्ट आने लगे। रात में दो-दो बजे तक ग्राहकी होनी लगी।'

तीन दुकानों को मिलाकर बनाया शोरूम

वो कहते हैं कि ये सब देखकर आसपास के कई व्यापारियों ने मेरी दुकान के आसपास दुकानें खोलना शुरू कर दीं। धीरे-धीरे मार्केट डेवलप हो गया। सब जगह एक जैसा माल मिलने लगा। फिर मुझे लगा कि अब कुछ बड़ा नहीं किया तो फिर बिजनेस में आगे नहीं बढ़ पाएंगे। इसलिए जो भी पैसा कमाया था, वो सब लगाकर दो दुकानें और खरीदीं। तीनों दुकानों को मिलाकर शोरूम में तब्दील कर दिया। तब से आज तक मुझे और मेरे परिवार को पीछे मुड़कर नहीं देखना पड़ा। अब हमारे पास पुष्कर में पांच दुकानें हैं। जिस दुकान पर मैं बैठता हूं, उसका ही टर्नओवर एक करोड़ से ऊपर है। दस से पंद्रह लोगों को हम रोजगार दे रहे हैं। मैंने ये अनुभव किया है कि भले ही जो किस्मत में तो वो आपको न मिले, लेकिन जो आपकी मेहनत का है, वो आपसे कोई नहीं छीन सकता।

भरत ने कहा, 'मुझे लिखने-पढ़ने का शौक बचपन से ही रहा है। पहले मजबूरी के चलते ये काम नहीं कर पाया था। अब बिजनेस के साथ ये भी कर रहा हूं। कई स्क्रिप्ट्स पर काम कर रहा हूं। हां और सुबह उठने का जो नियम पांच साल पहले था, वो आज भी है। आज भी सुबह साढ़े सात-आठ बजे दुकान खोल देता हूं। चाहे कुछ भी हो।'

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अजमेर के रहने वाले भरत तारांचदानी का अब पुष्कर में एक बड़ा शोरूम है। इसके साथ ही कई दुकानें भी हैं।

https://ift.tt/2XuETtO Dainik Bhaskar बचपन में पिता का एक्सीडेंट हो गया, घर चलाने के लिए अखबार बांटा; आज पांच दुकानों के मालिक Reviewed by Manish Pethev on January 11, 2021 Rating: 5

देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का आज ही के दिन 1966 में उज्बेकिस्तान के ताशकंद में निधन हो गया था। पंडित जवाहर लाल नेहरू के निधन के बाद 9 जून 1964 को शास्त्री प्रधानमंत्री बने थे। शास्त्री ने ही 'जय जवान, जय किसान' का नारा दिया था। वो करीब 18 महीने तक प्रधानमंत्री रहे। उनके नेतृत्व में ही भारत ने 1965 की जंग में पाकिस्तान को शिकस्त दी थी। इसके बाद वो पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान के साथ युद्ध समाप्त करने के समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए ताशकंद गए थे और वहीं उनकी मौत हो गई। अभी तक रहस्य बनी है शास्त्री की मौत लाल बहादुर शास्त्री की मौत का रहस्य आज भी बना हुआ है। 10 जनवरी 1966 को पाकिस्तान के साथ ताशकंद समझौते पर हस्ताक्षर करने के महज 12 घंटे बाद 11 जनवरी को तड़के 1 बजकर 32 मिनट पर उनकी मौत हो गई। बताया जाता है कि शास्त्री मृत्यु से आधे घंटे पहले तक बिल्कुल ठीक थे, लेकिन 15 से 20 मिनट में उनकी तबियत खराब हो गई। इसके बाद डॉक्टरों ने उन्हें एंट्रा-मस्कुलर इंजेक्शन दिया। इंजेक्शन देने के चंद मिनट बाद ही उनकी मौत हो गई। शास्त्री की मौत पर संदेह इसलिए भी किया जाता है, क्योंकि उनका पोस्टमार्टम भी नहीं किया गया था। उनकी पत्नी ललिता शास्त्री ने दावा किया था कि उनके पति को जहर देकर मारा गया। उनके बेटे सुनील का भी कहना था कि उनके पिता की बॉडी पर नीले निशान थे। जब शास्त्री के शव को दिल्ली लाने के लिए ताशकंद एयरपोर्ट पर ले जाया जा रहा था तो रास्ते में सोवियत संघ, भारत और पाकिस्तान के झंडे झुके हुए थे। शास्त्री के ताबूत को कंधा देने वालों में सोवियत प्रधानमंत्री कोसिगिन और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान भी थे। ताशकंद में समझौते के बाद लाल बहादुर शास्त्री, पाकिस्तान के तब के राष्ट्रपति अयूब खान और सोवियत संघ के प्रधानमंत्री अलेक्सेई कोसिगिन। वो ऐसे पीएम थे, जिनके कहने पर लाखों भारतीयों ने एक वक्त का खाना छोड़ दिया 1965 में जब भारत-पाकिस्तान के बीच जंग चल रही थी, तो अमेरिकी राष्ट्रपति लिंडन जॉनसन ने शास्त्री को धमकी दी थी कि अगर आपने पाकिस्तान के खिलाफ लड़ाई बंद नहीं की, तो हम आपको जो लाल गेहूं भेजते हैं, उसे बंद कर देंगे। उस वक्त भारत गेहूं के उत्पादन में आत्मनिर्भर नहीं था। शास्त्री को ये बात चुभ गई। उन्होंने देशवासियों से अपील की कि हम लोग एक वक्त का भोजन नहीं करेंगे। उससे अमेरिका से आने वाले गेहूं की जरूरत नहीं होगी। शास्त्री की अपील पर उस वक्त लाखों भारतीयों ने एक वक्त खाना खाना छोड़ दिया था। देशवासियों से अपील से पहले शास्त्री ने खुद अपने घर में एक वक्त का खाना नहीं खाया और न ही उनके परिवार ने। ऐसा इसलिए, क्योंकि वो देखना चाहते थे कि उनके बच्चे भूखे रह सकते हैं या नहीं। जब उन्होंने देख लिया कि वो और उनके बच्चे एक वक्त बिना खाना खाए रह सकते हैं, तब जाकर उन्होंने देशवासियों से अपील की। पेरू में आए बर्फीले तूफान में 2 हजार लोगों की मौत आज ही के दिन 1962 में पेरू के उत्तर-पश्चिम हिस्से में बर्फीले तूफान और चट्टान खिसकने से कम से कम 2 हजार लोगों की मौत हो गई थी। उस समय पेरू की सबसे ऊंची पहाड़ी एंडीज से अचानक लाखों टन बर्फ, चट्टानें, कीचड़ और मलबा नीचे गिरने लगा। ये हादसा आधी रात को हुआ था। इस मलबे के नीचे 8 शहर दब गए थे। कुछ लोगों को बचा भी लिया गया था। इसके बाद 1970 में भी पेरू में एक और बर्फीले तूफान में करीब 20 हजार लोग मारे गए थे। भारत और दुनिया में 11 जनवरी की महत्वपूर्ण घटनाएं : 2015 : कोलिंदा ग्रबर किटरोविक को क्रोएशिया की पहली महिला प्रधानमंत्री चुनी गईं। 2009 : 66वें गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड में स्लमडॉग मिलेनियर को बेस्ट फिल्म का अवॉर्ड मिला। 1998 : अल्जीरिया की सरकार ने दो गांवों पर हुए हमलों के लिए इस्लामी चरमपंथियों को जिम्मेदार ठहराया। इन हमलों में 100 लोगों की हत्या कर दी गई थी। 1972 : बांग्लादेश को पूर्वी जर्मनी ने मान्यता प्रदान की। 1954 : बाल मजदूरी के खिलाफ आवाज उठाने वाले नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी का जन्‍म। 1942 : द्वितीय विश्वयुद्ध में जापान ने कुआलालंपुर पर कब्जा किया। 1922 : डायबिटीज के मरीजों को पहली इंसुलिन दी गई। 1569 : इंग्लैंड में पहली लॉटरी की शुरुआत हुई। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें Today History: Aaj Ka Itihas India World 11 January Update | Lal Bahadur Shastri Death Mystery Uzbekistan Tashkent Interesting Facts https://ift.tt/3bElDTd Dainik Bhaskar लाल बहादुर शास्त्री का ताशकंद में निधन; वो PM जिनकी एक आवाज पर भारतीयों ने एक वक्त का खाना छोड़ दिया

देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का आज ही के दिन 1966 में उज्बेकिस्तान के ताशकंद में निधन हो गया था। पंडित जवाहर लाल नेहरू के ...
- January 11, 2021
देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का आज ही के दिन 1966 में उज्बेकिस्तान के ताशकंद में निधन हो गया था। पंडित जवाहर लाल नेहरू के निधन के बाद 9 जून 1964 को शास्त्री प्रधानमंत्री बने थे। शास्त्री ने ही 'जय जवान, जय किसान' का नारा दिया था। वो करीब 18 महीने तक प्रधानमंत्री रहे। उनके नेतृत्व में ही भारत ने 1965 की जंग में पाकिस्तान को शिकस्त दी थी। इसके बाद वो पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान के साथ युद्ध समाप्त करने के समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए ताशकंद गए थे और वहीं उनकी मौत हो गई। अभी तक रहस्य बनी है शास्त्री की मौत लाल बहादुर शास्त्री की मौत का रहस्य आज भी बना हुआ है। 10 जनवरी 1966 को पाकिस्तान के साथ ताशकंद समझौते पर हस्ताक्षर करने के महज 12 घंटे बाद 11 जनवरी को तड़के 1 बजकर 32 मिनट पर उनकी मौत हो गई। बताया जाता है कि शास्त्री मृत्यु से आधे घंटे पहले तक बिल्कुल ठीक थे, लेकिन 15 से 20 मिनट में उनकी तबियत खराब हो गई। इसके बाद डॉक्टरों ने उन्हें एंट्रा-मस्कुलर इंजेक्शन दिया। इंजेक्शन देने के चंद मिनट बाद ही उनकी मौत हो गई। शास्त्री की मौत पर संदेह इसलिए भी किया जाता है, क्योंकि उनका पोस्टमार्टम भी नहीं किया गया था। उनकी पत्नी ललिता शास्त्री ने दावा किया था कि उनके पति को जहर देकर मारा गया। उनके बेटे सुनील का भी कहना था कि उनके पिता की बॉडी पर नीले निशान थे। जब शास्त्री के शव को दिल्ली लाने के लिए ताशकंद एयरपोर्ट पर ले जाया जा रहा था तो रास्ते में सोवियत संघ, भारत और पाकिस्तान के झंडे झुके हुए थे। शास्त्री के ताबूत को कंधा देने वालों में सोवियत प्रधानमंत्री कोसिगिन और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान भी थे। ताशकंद में समझौते के बाद लाल बहादुर शास्त्री, पाकिस्तान के तब के राष्ट्रपति अयूब खान और सोवियत संघ के प्रधानमंत्री अलेक्सेई कोसिगिन। वो ऐसे पीएम थे, जिनके कहने पर लाखों भारतीयों ने एक वक्त का खाना छोड़ दिया 1965 में जब भारत-पाकिस्तान के बीच जंग चल रही थी, तो अमेरिकी राष्ट्रपति लिंडन जॉनसन ने शास्त्री को धमकी दी थी कि अगर आपने पाकिस्तान के खिलाफ लड़ाई बंद नहीं की, तो हम आपको जो लाल गेहूं भेजते हैं, उसे बंद कर देंगे। उस वक्त भारत गेहूं के उत्पादन में आत्मनिर्भर नहीं था। शास्त्री को ये बात चुभ गई। उन्होंने देशवासियों से अपील की कि हम लोग एक वक्त का भोजन नहीं करेंगे। उससे अमेरिका से आने वाले गेहूं की जरूरत नहीं होगी। शास्त्री की अपील पर उस वक्त लाखों भारतीयों ने एक वक्त खाना खाना छोड़ दिया था। देशवासियों से अपील से पहले शास्त्री ने खुद अपने घर में एक वक्त का खाना नहीं खाया और न ही उनके परिवार ने। ऐसा इसलिए, क्योंकि वो देखना चाहते थे कि उनके बच्चे भूखे रह सकते हैं या नहीं। जब उन्होंने देख लिया कि वो और उनके बच्चे एक वक्त बिना खाना खाए रह सकते हैं, तब जाकर उन्होंने देशवासियों से अपील की। पेरू में आए बर्फीले तूफान में 2 हजार लोगों की मौत आज ही के दिन 1962 में पेरू के उत्तर-पश्चिम हिस्से में बर्फीले तूफान और चट्टान खिसकने से कम से कम 2 हजार लोगों की मौत हो गई थी। उस समय पेरू की सबसे ऊंची पहाड़ी एंडीज से अचानक लाखों टन बर्फ, चट्टानें, कीचड़ और मलबा नीचे गिरने लगा। ये हादसा आधी रात को हुआ था। इस मलबे के नीचे 8 शहर दब गए थे। कुछ लोगों को बचा भी लिया गया था। इसके बाद 1970 में भी पेरू में एक और बर्फीले तूफान में करीब 20 हजार लोग मारे गए थे। भारत और दुनिया में 11 जनवरी की महत्वपूर्ण घटनाएं : 2015 : कोलिंदा ग्रबर किटरोविक को क्रोएशिया की पहली महिला प्रधानमंत्री चुनी गईं। 2009 : 66वें गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड में स्लमडॉग मिलेनियर को बेस्ट फिल्म का अवॉर्ड मिला। 1998 : अल्जीरिया की सरकार ने दो गांवों पर हुए हमलों के लिए इस्लामी चरमपंथियों को जिम्मेदार ठहराया। इन हमलों में 100 लोगों की हत्या कर दी गई थी। 1972 : बांग्लादेश को पूर्वी जर्मनी ने मान्यता प्रदान की। 1954 : बाल मजदूरी के खिलाफ आवाज उठाने वाले नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी का जन्‍म। 1942 : द्वितीय विश्वयुद्ध में जापान ने कुआलालंपुर पर कब्जा किया। 1922 : डायबिटीज के मरीजों को पहली इंसुलिन दी गई। 1569 : इंग्लैंड में पहली लॉटरी की शुरुआत हुई। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें Today History: Aaj Ka Itihas India World 11 January Update | Lal Bahadur Shastri Death Mystery Uzbekistan Tashkent Interesting Facts https://ift.tt/3bElDTd Dainik Bhaskar लाल बहादुर शास्त्री का ताशकंद में निधन; वो PM जिनकी एक आवाज पर भारतीयों ने एक वक्त का खाना छोड़ दिया 

देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का आज ही के दिन 1966 में उज्बेकिस्तान के ताशकंद में निधन हो गया था। पंडित जवाहर लाल नेहरू के निधन के बाद 9 जून 1964 को शास्त्री प्रधानमंत्री बने थे। शास्त्री ने ही 'जय जवान, जय किसान' का नारा दिया था। वो करीब 18 महीने तक प्रधानमंत्री रहे। उनके नेतृत्व में ही भारत ने 1965 की जंग में पाकिस्तान को शिकस्त दी थी। इसके बाद वो पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान के साथ युद्ध समाप्त करने के समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए ताशकंद गए थे और वहीं उनकी मौत हो गई।

अभी तक रहस्य बनी है शास्त्री की मौत
लाल बहादुर शास्त्री की मौत का रहस्य आज भी बना हुआ है। 10 जनवरी 1966 को पाकिस्तान के साथ ताशकंद समझौते पर हस्ताक्षर करने के महज 12 घंटे बाद 11 जनवरी को तड़के 1 बजकर 32 मिनट पर उनकी मौत हो गई।

बताया जाता है कि शास्त्री मृत्यु से आधे घंटे पहले तक बिल्कुल ठीक थे, लेकिन 15 से 20 मिनट में उनकी तबियत खराब हो गई। इसके बाद डॉक्टरों ने उन्हें एंट्रा-मस्कुलर इंजेक्शन दिया। इंजेक्शन देने के चंद मिनट बाद ही उनकी मौत हो गई।

शास्त्री की मौत पर संदेह इसलिए भी किया जाता है, क्योंकि उनका पोस्टमार्टम भी नहीं किया गया था। उनकी पत्नी ललिता शास्त्री ने दावा किया था कि उनके पति को जहर देकर मारा गया। उनके बेटे सुनील का भी कहना था कि उनके पिता की बॉडी पर नीले निशान थे।

जब शास्त्री के शव को दिल्ली लाने के लिए ताशकंद एयरपोर्ट पर ले जाया जा रहा था तो रास्ते में सोवियत संघ, भारत और पाकिस्तान के झंडे झुके हुए थे। शास्त्री के ताबूत को कंधा देने वालों में सोवियत प्रधानमंत्री कोसिगिन और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान भी थे।

ताशकंद में समझौते के बाद लाल बहादुर शास्त्री, पाकिस्तान के तब के राष्ट्रपति अयूब खान और सोवियत संघ के प्रधानमंत्री अलेक्सेई कोसिगिन।

वो ऐसे पीएम थे, जिनके कहने पर लाखों भारतीयों ने एक वक्त का खाना छोड़ दिया
1965 में जब भारत-पाकिस्तान के बीच जंग चल रही थी, तो अमेरिकी राष्ट्रपति लिंडन जॉनसन ने शास्त्री को धमकी दी थी कि अगर आपने पाकिस्तान के खिलाफ लड़ाई बंद नहीं की, तो हम आपको जो लाल गेहूं भेजते हैं, उसे बंद कर देंगे।

उस वक्त भारत गेहूं के उत्पादन में आत्मनिर्भर नहीं था। शास्त्री को ये बात चुभ गई। उन्होंने देशवासियों से अपील की कि हम लोग एक वक्त का भोजन नहीं करेंगे। उससे अमेरिका से आने वाले गेहूं की जरूरत नहीं होगी। शास्त्री की अपील पर उस वक्त लाखों भारतीयों ने एक वक्त खाना खाना छोड़ दिया था।

देशवासियों से अपील से पहले शास्त्री ने खुद अपने घर में एक वक्त का खाना नहीं खाया और न ही उनके परिवार ने। ऐसा इसलिए, क्योंकि वो देखना चाहते थे कि उनके बच्चे भूखे रह सकते हैं या नहीं। जब उन्होंने देख लिया कि वो और उनके बच्चे एक वक्त बिना खाना खाए रह सकते हैं, तब जाकर उन्होंने देशवासियों से अपील की।

पेरू में आए बर्फीले तूफान में 2 हजार लोगों की मौत
आज ही के दिन 1962 में पेरू के उत्तर-पश्चिम हिस्से में बर्फीले तूफान और चट्टान खिसकने से कम से कम 2 हजार लोगों की मौत हो गई थी। उस समय पेरू की सबसे ऊंची पहाड़ी एंडीज से अचानक लाखों टन बर्फ, चट्टानें, कीचड़ और मलबा नीचे गिरने लगा। ये हादसा आधी रात को हुआ था। इस मलबे के नीचे 8 शहर दब गए थे। कुछ लोगों को बचा भी लिया गया था। इसके बाद 1970 में भी पेरू में एक और बर्फीले तूफान में करीब 20 हजार लोग मारे गए थे।

भारत और दुनिया में 11 जनवरी की महत्वपूर्ण घटनाएं :

2015 : कोलिंदा ग्रबर किटरोविक को क्रोएशिया की पहली महिला प्रधानमंत्री चुनी गईं।

2009 : 66वें गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड में स्लमडॉग मिलेनियर को बेस्ट फिल्म का अवॉर्ड मिला।

1998 : अल्जीरिया की सरकार ने दो गांवों पर हुए हमलों के लिए इस्लामी चरमपंथियों को जिम्मेदार ठहराया। इन हमलों में 100 लोगों की हत्या कर दी गई थी।

1972 : बांग्लादेश को पूर्वी जर्मनी ने मान्यता प्रदान की।

1954 : बाल मजदूरी के खिलाफ आवाज उठाने वाले नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी का जन्‍म।

1942 : द्वितीय विश्वयुद्ध में जापान ने कुआलालंपुर पर कब्जा किया।

1922 : डायबिटीज के मरीजों को पहली इंसुलिन दी गई।

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आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें Easy recipe for making chana dal sabzi, guests who come home will also like https://ift.tt/2XsKf91 Dainik Bhaskar चना दाल सब्जी बनाने की आसान रेसिपी, घर आए मेहमानों को भी खूब आएगी पसंद

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आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें Easy recipe for making chana dal sabzi, guests who come home will also like https://ift.tt/2XsKf91 Dainik Bhaskar चना दाल सब्जी बनाने की आसान रेसिपी, घर आए मेहमानों को भी खूब आएगी पसंद 

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Easy recipe for making chana dal sabzi, guests who come home will also like

https://ift.tt/2XsKf91 Dainik Bhaskar चना दाल सब्जी बनाने की आसान रेसिपी, घर आए मेहमानों को भी खूब आएगी पसंद Reviewed by Manish Pethev on January 11, 2021 Rating: 5

किसान आंदोलन और कृषि कानूनों से जुड़े सभी मामलों की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में आज होगी। दरअसल, किसान आंदोलन से जुड़ी कई याचिकाएं कोर्ट में दायर हुई थीं। कुछ याचिकाओं में आंदोलन को खत्म करने की मांग की गई है, तो कई याचिकाओं में तीनों कानूनों को रद्द करने की। इन्हीं सब याचिकाओं पर अब चीफ जस्टिस एसए बोबड़े, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम की बेंच सुनवाई करेगी। इस मामले की आखिरी सुनवाई 17 दिसंबर को हुई थी। सवाल ये है कि क्या सुप्रीम कोर्ट से मसला सुलझ सकता है? आइए एक-एक करके इस मामले को पूरी तरह समझते हैं। सबसे पहले बात खेती से जुड़े उन 3 कानूनों की... 1. फार्मर्स प्रोड्यूस ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) एक्टः किसान सरकारी मंडियों (एपीएमसी) से बाहर फसल बेच सकते हैं। ऐसी खरीद-फरोख्त पर टैक्स नहीं लगेगा। 2. फार्मर्स (एम्पॉवरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑफ प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विस एक्टः किसान कॉन्ट्रैक्ट करके पहले से तय एक दाम पर अपनी फसल बेच सकते हैं। 3. एसेंशियल कमोडिटीज (अमेंडमेंट) एक्टः अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेल, आलू और प्याज को आवश्यक वस्तुओं की लिस्ट से बाहर कर दिया है। केवल युद्ध, भुखमरी, प्राकृतिक आपदा या बेहद महंगाई होने पर स्टॉक सीमा तय होगी। दो वजहें, सुप्रीम कोर्ट कैसे पहुंचा किसानों का मसला? पहलीः 26 नवंबर से किसान दिल्ली की सड़कों पर जमा हैं। उनकी वजह से आम लोगों को दिक्कतें हो रही हैं। इसको लेकर याचिकाएं दाखिल हुईं। इस पर कोर्ट ने कहा था कि जब तक कोई हिंसा नहीं होती, तब तक विरोध करना किसानों का अधिकार है। दूसरीः किसान संगठन तीनों कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हैं। इसको लेकर राजद से राज्यसभा सांसद मनोज झा, डीएमके से राज्यसभा सांसद तिरुचि सिवा और छत्तीसगढ़ किसान कांग्रेस के राकेश वैष्णव ने याचिका लगाई और मांग की कि कोर्ट सरकार को तीनों कानून रद्द करने का आदेश दे। अब बात सुप्रीम कोर्ट जाने पर क्या है सरकार और किसानों का रुख? सरकार का रुखः 8 जनवरी को किसान संगठनों और सरकार के बीच बात हुई। बातचीत के दौरान कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में इसी मामले को लेकर सुनवाई है। आप वहां बात रख सकते हैं। कोर्ट जो कहेगा, सब मान लेंगे। किसानों का रुखः किसान कोर्ट जाने के पक्ष में नहीं है। किसान तीनों कानून को रद्द करने की मांग पर अड़े हैं। ऑल इंडिया किसान सभा के जनरल सेक्रेटरी हन्नान मुल्ला का कहना है कि जब तक कानून वापस नहीं होगा, तब तक लड़ाई चलती रहेगी। किसान आंदोलन कर रहे किसान संगठन कौन से हैं? और किसान संगठन के चर्चित चेहरे कौन से हैं? जानें यहां अब सवाल क्या सुप्रीम कोर्ट से मसला सुलझ सकता है? किसान नेताओं का ये कहना है कि हमारी लड़ाई सीधे सरकार से ही। कानून की संवैधानिकता को तो हमने पहले भी चुनौती नहीं दी थी। उसको हम अभी भी चैलेंज नहीं कर रहे हैं। कोर्ट का काम सिर्फ इतना है कि कोई कानून संविधान के दायरे में है या नहीं, ये तय करना। हम खुद कोर्ट नहीं गए, इसलिए सुप्रीम कोर्ट उस पर क्या कहता है, इससे हमें फर्क नहीं पड़ता। हम बस ये चाहते हैं कि सरकार ये तीनों कानून वापस ले, क्योंकि ये कानून किसानों के लिए नहीं, बल्कि पूंजीपतियों के हित में हैं। क्या सुप्रीम कोर्ट सरकार को कानून वापस लेने को कह सकती है? इस बारे में संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप बताते हैं कि अगर सुप्रीम कोर्ट को ऐसा लगता है कि कानून संविधान के विरुद्ध है, संविधान की अवहेलना कर रहा है, तो वो कानून को निरस्त कर सकता है, लेकिन अगर संविधान के हिसाब से सही है, तो सुप्रीम कोर्ट को कुछ नहीं करना चाहिए। वहीं, हैदराबाद की नेशनल एकेडमी ऑफ लीगल स्टडीज एंड रिसर्च (NALSAR) यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ के वाइस चांसलर फैजान मुस्तफा बताते हैं कि अगर कोई संविधान के विरुद्ध है और मौलिक अधिकारों का हनन करता है, तो उसे सुप्रीम कोर्ट तो क्या, हाईकोर्ट में भी चैलेंज किया जा सकता है। फैजान बताते हैं कि सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट उस कानून को निरस्त कर सकता है। अगर सुप्रीम कोर्ट में कानून निरस्त, तो सरकार के पास क्या रास्ता बचा? इस बारे में फैजान मुस्तफा बताते हैं कि अगर सुप्रीम कोर्ट से कोई कानून निरस्त हो जाता है, तो सरकार चाहे तो दोबारा संसद से उस कानून को बना सकती है। हालांकि, ऐसा होने की संभावना बहुत ही कम होती है। वो बताते हैं कि 2014 में सरकार ने नेशनल ज्यूडिशियल अपॉइंटमेंट कमीशन बनाया था। इसके लिए कानून भी आया था और संविधान में संशोधन भी किया था। सुप्रीम कोर्ट ने कानून और संशोधन दोनों को ही निरस्त कर दिया था। उसके बाद सरकार ने इस पर कोई कानून नहीं बनाया। आखिर किसानों की मांगें क्या हैं? सरकार क्या कह रही है उन पर? 1. खेती से जुड़े तीनों कानून रद्द हों। किसानों के मुताबिक इससे कॉर्पोरेट घरानों को फायदा होगा। सरकार का रुखः कानून वापस नहीं ले सकते। संशोधन कर सकते हैं। 2. MSP का कानून बने, ताकि उचित दाम मिल सके। सरकार का रुखः आंदोलन खत्म करने को तैयार हैं, तो आश्वासन दे सकते हैं। 3. नया बिजली कानून न आए, क्योंकि इससे किसानों को बिजली पर मिलने वाली सब्सिडी खत्म हो जाएगी। सरकार का रुखः बिजली कानून 2003 ही लागू रहेगा। नया कानून नहीं आएगा। 4. पराली जलाने पर 5 साल तक की जेल और 1 करोड़ रुपए जुर्माने वाला प्रस्ताव वापस हो। सरकार का रुखः पराली जलाने पर किसी किसान को जेल नहीं होगी। सरकार इस प्रावधान को हटाने को राजी है। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें Kisan Andolan Hearing Explainer; Narendra Modi Govt Will Withdraw Farm Laws? | What Is Haryana Punjab Farmers Demand https://ift.tt/38t7zK6 Dainik Bhaskar किसानों के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई: क्या मसला सुलझेगा? कोर्ट कानून निरस्त कर सकता है?

किसान आंदोलन और कृषि कानूनों से जुड़े सभी मामलों की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में आज होगी। दरअसल, किसान आंदोलन से जुड़ी कई याचिकाएं कोर्ट में दा...
- January 11, 2021
किसान आंदोलन और कृषि कानूनों से जुड़े सभी मामलों की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में आज होगी। दरअसल, किसान आंदोलन से जुड़ी कई याचिकाएं कोर्ट में दायर हुई थीं। कुछ याचिकाओं में आंदोलन को खत्म करने की मांग की गई है, तो कई याचिकाओं में तीनों कानूनों को रद्द करने की। इन्हीं सब याचिकाओं पर अब चीफ जस्टिस एसए बोबड़े, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम की बेंच सुनवाई करेगी। इस मामले की आखिरी सुनवाई 17 दिसंबर को हुई थी। सवाल ये है कि क्या सुप्रीम कोर्ट से मसला सुलझ सकता है? आइए एक-एक करके इस मामले को पूरी तरह समझते हैं। सबसे पहले बात खेती से जुड़े उन 3 कानूनों की... 1. फार्मर्स प्रोड्यूस ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) एक्टः किसान सरकारी मंडियों (एपीएमसी) से बाहर फसल बेच सकते हैं। ऐसी खरीद-फरोख्त पर टैक्स नहीं लगेगा। 2. फार्मर्स (एम्पॉवरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑफ प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विस एक्टः किसान कॉन्ट्रैक्ट करके पहले से तय एक दाम पर अपनी फसल बेच सकते हैं। 3. एसेंशियल कमोडिटीज (अमेंडमेंट) एक्टः अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेल, आलू और प्याज को आवश्यक वस्तुओं की लिस्ट से बाहर कर दिया है। केवल युद्ध, भुखमरी, प्राकृतिक आपदा या बेहद महंगाई होने पर स्टॉक सीमा तय होगी। दो वजहें, सुप्रीम कोर्ट कैसे पहुंचा किसानों का मसला? पहलीः 26 नवंबर से किसान दिल्ली की सड़कों पर जमा हैं। उनकी वजह से आम लोगों को दिक्कतें हो रही हैं। इसको लेकर याचिकाएं दाखिल हुईं। इस पर कोर्ट ने कहा था कि जब तक कोई हिंसा नहीं होती, तब तक विरोध करना किसानों का अधिकार है। दूसरीः किसान संगठन तीनों कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हैं। इसको लेकर राजद से राज्यसभा सांसद मनोज झा, डीएमके से राज्यसभा सांसद तिरुचि सिवा और छत्तीसगढ़ किसान कांग्रेस के राकेश वैष्णव ने याचिका लगाई और मांग की कि कोर्ट सरकार को तीनों कानून रद्द करने का आदेश दे। अब बात सुप्रीम कोर्ट जाने पर क्या है सरकार और किसानों का रुख? सरकार का रुखः 8 जनवरी को किसान संगठनों और सरकार के बीच बात हुई। बातचीत के दौरान कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में इसी मामले को लेकर सुनवाई है। आप वहां बात रख सकते हैं। कोर्ट जो कहेगा, सब मान लेंगे। किसानों का रुखः किसान कोर्ट जाने के पक्ष में नहीं है। किसान तीनों कानून को रद्द करने की मांग पर अड़े हैं। ऑल इंडिया किसान सभा के जनरल सेक्रेटरी हन्नान मुल्ला का कहना है कि जब तक कानून वापस नहीं होगा, तब तक लड़ाई चलती रहेगी। किसान आंदोलन कर रहे किसान संगठन कौन से हैं? और किसान संगठन के चर्चित चेहरे कौन से हैं? जानें यहां अब सवाल क्या सुप्रीम कोर्ट से मसला सुलझ सकता है? किसान नेताओं का ये कहना है कि हमारी लड़ाई सीधे सरकार से ही। कानून की संवैधानिकता को तो हमने पहले भी चुनौती नहीं दी थी। उसको हम अभी भी चैलेंज नहीं कर रहे हैं। कोर्ट का काम सिर्फ इतना है कि कोई कानून संविधान के दायरे में है या नहीं, ये तय करना। हम खुद कोर्ट नहीं गए, इसलिए सुप्रीम कोर्ट उस पर क्या कहता है, इससे हमें फर्क नहीं पड़ता। हम बस ये चाहते हैं कि सरकार ये तीनों कानून वापस ले, क्योंकि ये कानून किसानों के लिए नहीं, बल्कि पूंजीपतियों के हित में हैं। क्या सुप्रीम कोर्ट सरकार को कानून वापस लेने को कह सकती है? इस बारे में संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप बताते हैं कि अगर सुप्रीम कोर्ट को ऐसा लगता है कि कानून संविधान के विरुद्ध है, संविधान की अवहेलना कर रहा है, तो वो कानून को निरस्त कर सकता है, लेकिन अगर संविधान के हिसाब से सही है, तो सुप्रीम कोर्ट को कुछ नहीं करना चाहिए। वहीं, हैदराबाद की नेशनल एकेडमी ऑफ लीगल स्टडीज एंड रिसर्च (NALSAR) यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ के वाइस चांसलर फैजान मुस्तफा बताते हैं कि अगर कोई संविधान के विरुद्ध है और मौलिक अधिकारों का हनन करता है, तो उसे सुप्रीम कोर्ट तो क्या, हाईकोर्ट में भी चैलेंज किया जा सकता है। फैजान बताते हैं कि सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट उस कानून को निरस्त कर सकता है। अगर सुप्रीम कोर्ट में कानून निरस्त, तो सरकार के पास क्या रास्ता बचा? इस बारे में फैजान मुस्तफा बताते हैं कि अगर सुप्रीम कोर्ट से कोई कानून निरस्त हो जाता है, तो सरकार चाहे तो दोबारा संसद से उस कानून को बना सकती है। हालांकि, ऐसा होने की संभावना बहुत ही कम होती है। वो बताते हैं कि 2014 में सरकार ने नेशनल ज्यूडिशियल अपॉइंटमेंट कमीशन बनाया था। इसके लिए कानून भी आया था और संविधान में संशोधन भी किया था। सुप्रीम कोर्ट ने कानून और संशोधन दोनों को ही निरस्त कर दिया था। उसके बाद सरकार ने इस पर कोई कानून नहीं बनाया। आखिर किसानों की मांगें क्या हैं? सरकार क्या कह रही है उन पर? 1. खेती से जुड़े तीनों कानून रद्द हों। किसानों के मुताबिक इससे कॉर्पोरेट घरानों को फायदा होगा। सरकार का रुखः कानून वापस नहीं ले सकते। संशोधन कर सकते हैं। 2. MSP का कानून बने, ताकि उचित दाम मिल सके। सरकार का रुखः आंदोलन खत्म करने को तैयार हैं, तो आश्वासन दे सकते हैं। 3. नया बिजली कानून न आए, क्योंकि इससे किसानों को बिजली पर मिलने वाली सब्सिडी खत्म हो जाएगी। सरकार का रुखः बिजली कानून 2003 ही लागू रहेगा। नया कानून नहीं आएगा। 4. पराली जलाने पर 5 साल तक की जेल और 1 करोड़ रुपए जुर्माने वाला प्रस्ताव वापस हो। सरकार का रुखः पराली जलाने पर किसी किसान को जेल नहीं होगी। सरकार इस प्रावधान को हटाने को राजी है। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें Kisan Andolan Hearing Explainer; Narendra Modi Govt Will Withdraw Farm Laws? | What Is Haryana Punjab Farmers Demand https://ift.tt/38t7zK6 Dainik Bhaskar किसानों के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई: क्या मसला सुलझेगा? कोर्ट कानून निरस्त कर सकता है? 

किसान आंदोलन और कृषि कानूनों से जुड़े सभी मामलों की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में आज होगी। दरअसल, किसान आंदोलन से जुड़ी कई याचिकाएं कोर्ट में दायर हुई थीं। कुछ याचिकाओं में आंदोलन को खत्म करने की मांग की गई है, तो कई याचिकाओं में तीनों कानूनों को रद्द करने की। इन्हीं सब याचिकाओं पर अब चीफ जस्टिस एसए बोबड़े, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम की बेंच सुनवाई करेगी। इस मामले की आखिरी सुनवाई 17 दिसंबर को हुई थी। सवाल ये है कि क्या सुप्रीम कोर्ट से मसला सुलझ सकता है?

आइए एक-एक करके इस मामले को पूरी तरह समझते हैं।

सबसे पहले बात खेती से जुड़े उन 3 कानूनों की...
1. फार्मर्स प्रोड्यूस ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) एक्टः किसान सरकारी मंडियों (एपीएमसी) से बाहर फसल बेच सकते हैं। ऐसी खरीद-फरोख्त पर टैक्स नहीं लगेगा।
2. फार्मर्स (एम्पॉवरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑफ प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विस एक्टः किसान कॉन्ट्रैक्ट करके पहले से तय एक दाम पर अपनी फसल बेच सकते हैं।
3. एसेंशियल कमोडिटीज (अमेंडमेंट) एक्टः अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेल, आलू और प्याज को आवश्यक वस्तुओं की लिस्ट से बाहर कर दिया है। केवल युद्ध, भुखमरी, प्राकृतिक आपदा या बेहद महंगाई होने पर स्टॉक सीमा तय होगी।

दो वजहें, सुप्रीम कोर्ट कैसे पहुंचा किसानों का मसला?
पहलीः 26 नवंबर से किसान दिल्ली की सड़कों पर जमा हैं। उनकी वजह से आम लोगों को दिक्कतें हो रही हैं। इसको लेकर याचिकाएं दाखिल हुईं। इस पर कोर्ट ने कहा था कि जब तक कोई हिंसा नहीं होती, तब तक विरोध करना किसानों का अधिकार है।

दूसरीः किसान संगठन तीनों कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हैं। इसको लेकर राजद से राज्यसभा सांसद मनोज झा, डीएमके से राज्यसभा सांसद तिरुचि सिवा और छत्तीसगढ़ किसान कांग्रेस के राकेश वैष्णव ने याचिका लगाई और मांग की कि कोर्ट सरकार को तीनों कानून रद्द करने का आदेश दे।

अब बात सुप्रीम कोर्ट जाने पर क्या है सरकार और किसानों का रुख?
सरकार का रुखः 8 जनवरी को किसान संगठनों और सरकार के बीच बात हुई। बातचीत के दौरान कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में इसी मामले को लेकर सुनवाई है। आप वहां बात रख सकते हैं। कोर्ट जो कहेगा, सब मान लेंगे।
किसानों का रुखः किसान कोर्ट जाने के पक्ष में नहीं है। किसान तीनों कानून को रद्द करने की मांग पर अड़े हैं। ऑल इंडिया किसान सभा के जनरल सेक्रेटरी हन्नान मुल्ला का कहना है कि जब तक कानून वापस नहीं होगा, तब तक लड़ाई चलती रहेगी।

किसान आंदोलन कर रहे किसान संगठन कौन से हैं? और किसान संगठन के चर्चित चेहरे कौन से हैं? जानें यहां

अब सवाल क्या सुप्रीम कोर्ट से मसला सुलझ सकता है?
किसान नेताओं का ये कहना है कि हमारी लड़ाई सीधे सरकार से ही। कानून की संवैधानिकता को तो हमने पहले भी चुनौती नहीं दी थी। उसको हम अभी भी चैलेंज नहीं कर रहे हैं। कोर्ट का काम सिर्फ इतना है कि कोई कानून संविधान के दायरे में है या नहीं, ये तय करना। हम खुद कोर्ट नहीं गए, इसलिए सुप्रीम कोर्ट उस पर क्या कहता है, इससे हमें फर्क नहीं पड़ता। हम बस ये चाहते हैं कि सरकार ये तीनों कानून वापस ले, क्योंकि ये कानून किसानों के लिए नहीं, बल्कि पूंजीपतियों के हित में हैं।

क्या सुप्रीम कोर्ट सरकार को कानून वापस लेने को कह सकती है?
इस बारे में संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप बताते हैं कि अगर सुप्रीम कोर्ट को ऐसा लगता है कि कानून संविधान के विरुद्ध है, संविधान की अवहेलना कर रहा है, तो वो कानून को निरस्त कर सकता है, लेकिन अगर संविधान के हिसाब से सही है, तो सुप्रीम कोर्ट को कुछ नहीं करना चाहिए।

वहीं, हैदराबाद की नेशनल एकेडमी ऑफ लीगल स्टडीज एंड रिसर्च (NALSAR) यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ के वाइस चांसलर फैजान मुस्तफा बताते हैं कि अगर कोई संविधान के विरुद्ध है और मौलिक अधिकारों का हनन करता है, तो उसे सुप्रीम कोर्ट तो क्या, हाईकोर्ट में भी चैलेंज किया जा सकता है। फैजान बताते हैं कि सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट उस कानून को निरस्त कर सकता है।

अगर सुप्रीम कोर्ट में कानून निरस्त, तो सरकार के पास क्या रास्ता बचा?
इस बारे में फैजान मुस्तफा बताते हैं कि अगर सुप्रीम कोर्ट से कोई कानून निरस्त हो जाता है, तो सरकार चाहे तो दोबारा संसद से उस कानून को बना सकती है। हालांकि, ऐसा होने की संभावना बहुत ही कम होती है।

वो बताते हैं कि 2014 में सरकार ने नेशनल ज्यूडिशियल अपॉइंटमेंट कमीशन बनाया था। इसके लिए कानून भी आया था और संविधान में संशोधन भी किया था। सुप्रीम कोर्ट ने कानून और संशोधन दोनों को ही निरस्त कर दिया था। उसके बाद सरकार ने इस पर कोई कानून नहीं बनाया।

आखिर किसानों की मांगें क्या हैं? सरकार क्या कह रही है उन पर?
1. खेती से जुड़े तीनों कानून रद्द हों। किसानों के मुताबिक इससे कॉर्पोरेट घरानों को फायदा होगा।
सरकार का रुखः कानून वापस नहीं ले सकते। संशोधन कर सकते हैं।

2. MSP का कानून बने, ताकि उचित दाम मिल सके।
सरकार का रुखः आंदोलन खत्म करने को तैयार हैं, तो आश्वासन दे सकते हैं।

3. नया बिजली कानून न आए, क्योंकि इससे किसानों को बिजली पर मिलने वाली सब्सिडी खत्म हो जाएगी।
सरकार का रुखः बिजली कानून 2003 ही लागू रहेगा। नया कानून नहीं आएगा।

4. पराली जलाने पर 5 साल तक की जेल और 1 करोड़ रुपए जुर्माने वाला प्रस्ताव वापस हो।
सरकार का रुखः पराली जलाने पर किसी किसान को जेल नहीं होगी। सरकार इस प्रावधान को हटाने को राजी है।

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