https://ift.tt/364dPHt इस समय देशभर में जिस तरह कोरोना के केस बढ़ रहे हैं, उसी रफ्तार से डेंगू के केस भी रिपोर्ट हो रहे हैं। दोनों के ही लक्षण करीब-करीब एक से हैं। ऐसे में लोगों को और सरकारी मशीनरी को भी यह पहचान करने में दिक्कत हो रही है कि वे किसकी जांच कराएं- डेंगू की या कोविड-19 की? इसी तरह मलेरिया और चिकनगुनिया के केस भी सामने आने लगे हैं। इनमें भी बुखार और सिरदर्द जैसे लक्षण कोविड-19 की तरह ही है। इस बीच, ब्राजील में हुई एक स्टडी ने डेंगू और कोरोनावायरस के संबंधों का खुलासा किया है। स्टडी में दावा किया गया है कि जिन इलाकों में डेंगू का प्रकोप ज्यादा था, वहां लोगों के शरीर में कोविड-19 से लड़ने के लिए पर्याप्त मात्रा में एंटीबॉडी भी पाई गई है। ऐसे में यह चर्चा भी चल पड़ी है कि डेंगू कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में एक बड़ा हथियार भी बन सकता है। पहले जानते हैं कि ब्राजील की स्टडी क्या है और यह क्या कहती है? अमेरिका और भारत के बाद कोविड-19 से तीसरे सबसे ज्यादा प्रभावित देश ब्राजील में यह स्टडी की गई। इसमें कोविड-19 के प्रसार और डेंगू के बीच संबंधों को स्थापित किया गया है। इस रिपोर्ट में दावा किया है कि डेंगू होने पर वह एक स्तर तक कोविड-19 होने के खतरे को कम करता है। ड्यूक यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर मिगुएल निकोलेलिस के नेतृत्व में की गई इस स्टडी को अब तक किसी जर्नल में प्रकाशित नहीं किया गया है। इसमें 2019 और 2020 में डेंगू के प्रसार और कोविड-19 के जियोग्राफिक डिस्ट्रिब्यूशन की तुलना की गई है। निकोलेलिस ने पाया कि जिन जगहों पर कोविड-19 इंफेक्शन की दर कम थी, वहां 2019 या 2020 में डेंगू का प्रकोप ज्यादा था। स्टडी कहती है कि यह डेंगू के फ्लेविवायरस सीरोटाइप्स और SARS-CoV-2 के इम्युनोलॉजिकल क्रॉस-रिएक्टिविटी की संभावना बताती है। निकोलेलिस ने बताया कि इससे पहले की गई स्टडी में जिन लोगों के खून में डेंगू के एंटीबॉडी पाए गए, वे कोविड-19 के लिए पॉजिटिव भी निकले हैं। हालांकि, उन्हें कभी भी कोविड-19 का इंफेक्शन नहीं हुआ था। निकोलेलिस ने कहा कि यह संकेत देता है कि दोनों वायरस के बीच इम्युनोलॉजिकल इंटरेक्शन हुआ है,जिसकी किसी ने भी कल्पना नहीं की थी। दोनों ही वायरस बिल्कुल ही अलग फैमिली से हैं। कनेक्शन साबित करने के लिए और स्टडी की आवश्यकता होगी। निकोलेलिस की टीम ने डेंगू और कोविड-19 के बीच इसी तरह का संबंध लैटिन अमेरिका, एशिया और प्रशांत महासागर व हिंद महासागर के कई द्वीपों पर पाया है। निकोलेलिस ने यह भी कहा कि उनकी यह स्टडी एक दुर्घटना के तौर पर सामने आई। वे यह पता कर रहे थे कि ब्राजील में केस बढ़ने में मुख्य भूमिका हाईवे ने निभाई। हमारे यहां डेंगू की फिलहाल क्या स्थिति है? इस समय मानसून होने के बाद उत्तर भारत के ज्यादातर इलाकों में डेंगू के केस लगातार बढ़ रहे हैं। साथ ही मलेरिया और चिकनगुनिया के भी केस सामने आ रहे हैं। दिल्ली में अब तक डेंगू के ढाई सौ से ज्यादा केस सामने आ चुके हैं। इसी तरह पंजाब, हरियाणा समेत पूरे उत्तर भारत में डेंगू के केस की संख्या हजार के आसपास पहुंच चुकी है। दिल्ली में कोविड-19 के प्रकोप के बीच डेंगू के खिलाफ #10Hafte10Baje10Minute अभियान शुरू हो गया है। खुद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसकी बागडोर संभाली और घर की सफाई कर फोटो ट्विटर पर पोस्ट की। नेशनल वेक्टर बोर्न डिसीज कंट्रोल प्रोग्राम के अनुसार, 2019 में 1,36,422 डेंगू केस सामने आए थे। इसमें 132 लोगों की मौत हुई थी। 2016-2019 तक भारत में हर साल 1 लाख से दो लाख डेंगू के केस मिले हैं। आम तौर पर सितंबर के अंत तक डेंगू के केस बढ़ते हैं और अक्टूबर-नवंबर में अपने पीक पर रहते हैं। ऐसा हर साल होता है क्योंकि इन महीनों में दिन का तापमान 20 डिग्री के आसपास रहता है जो डेंगू के मच्छरों को पनपने के लिए अनुकूल है। डेंगू के ख़िलाफ़ महाअभियान में आज दूसरे रविवार को मैंने फिर से अपने घर की चेकिंग की और इकट्ठा हुए साफ़ पानी को बदला। इसमें सिर्फ़ 10 मिनट का वक्त लगा, आप भी अपने घर की चेकिंग जरूर करें। डेंगू हारेगा और दिल्ली एक बार फिर जीतेगी। #10Hafte10Baje10Minute हर रविवार, डेंगू पर वार pic.twitter.com/MOZTkQGhNy — Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) September 13, 2020 कोविड-19 और डेंगू को पहचानने में क्या दिक्कत है? ज्यादातर विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड-19 और डेंगू दोनों में शुरुआती लक्षण एक जैसा है- तेज बुखार, सिरदर्द और शरीर दर्द। ऐसे में इनकी पहचान थोड़ी मुश्किल है। साथ ही दोनों के इलाज का तरीका भी बिल्कुल अलग है। मध्यप्रदेश में कोविड-19 स्टेट कोऑर्डिनेटर डॉ. लोकेंद्र दवे ने कहा कि इस समय महामारी को देखते हुए हम पहले कोविड-19 का टेस्ट कराते हैं। जब वह निगेटिव आता है तो उसके बाद डेंगू, मलेरिया और अन्य वेक्टर-बोर्न बीमारियों की जांच करा रहे हैं। दोनों के संबंधों पर डॉ. दवे का कहना है कि इन दोनों ही नहीं, बल्कि अन्य वेक्टर-बोर्न बीमारियों में भी लक्षण तकरीबन एक-से ही हैं। लेकिन इनके रिलेशन पर फिलहाल कुछ भी बात करना जल्दबाजी होगी। इस पर और स्टडी होने की आवश्यकता है। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें Coronavirus Dengue Immunity | Will Dengue Antibodies Protect You From COVID-19 Infection? Everything You Need To Know What Is The Difference Dengue and Corona from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3kJB6T6 via IFTTT https://ift.tt/33ULgcI इस समय देशभर में जिस तरह कोरोना के केस बढ़ रहे हैं, उसी रफ्तार से डेंगू के केस भी रिपोर्ट हो रहे हैं। दोनों के ही लक्षण करीब-करीब एक से हैं। ऐसे में लोगों को और सरकारी मशीनरी को भी यह पहचान करने में दिक्कत हो रही है कि वे किसकी जांच कराएं- डेंगू की या कोविड-19 की? इसी तरह मलेरिया और चिकनगुनिया के केस भी सामने आने लगे हैं। इनमें भी बुखार और सिरदर्द जैसे लक्षण कोविड-19 की तरह ही है। इस बीच, ब्राजील में हुई एक स्टडी ने डेंगू और कोरोनावायरस के संबंधों का खुलासा किया है। स्टडी में दावा किया गया है कि जिन इलाकों में डेंगू का प्रकोप ज्यादा था, वहां लोगों के शरीर में कोविड-19 से लड़ने के लिए पर्याप्त मात्रा में एंटीबॉडी भी पाई गई है। ऐसे में यह चर्चा भी चल पड़ी है कि डेंगू कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में एक बड़ा हथियार भी बन सकता है। पहले जानते हैं कि ब्राजील की स्टडी क्या है और यह क्या कहती है? अमेरिका और भारत के बाद कोविड-19 से तीसरे सबसे ज्यादा प्रभावित देश ब्राजील में यह स्टडी की गई। इसमें कोविड-19 के प्रसार और डेंगू के बीच संबंधों को स्थापित किया गया है। इस रिपोर्ट में दावा किया है कि डेंगू होने पर वह एक स्तर तक कोविड-19 होने के खतरे को कम करता है। ड्यूक यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर मिगुएल निकोलेलिस के नेतृत्व में की गई इस स्टडी को अब तक किसी जर्नल में प्रकाशित नहीं किया गया है। इसमें 2019 और 2020 में डेंगू के प्रसार और कोविड-19 के जियोग्राफिक डिस्ट्रिब्यूशन की तुलना की गई है। निकोलेलिस ने पाया कि जिन जगहों पर कोविड-19 इंफेक्शन की दर कम थी, वहां 2019 या 2020 में डेंगू का प्रकोप ज्यादा था। स्टडी कहती है कि यह डेंगू के फ्लेविवायरस सीरोटाइप्स और SARS-CoV-2 के इम्युनोलॉजिकल क्रॉस-रिएक्टिविटी की संभावना बताती है। निकोलेलिस ने बताया कि इससे पहले की गई स्टडी में जिन लोगों के खून में डेंगू के एंटीबॉडी पाए गए, वे कोविड-19 के लिए पॉजिटिव भी निकले हैं। हालांकि, उन्हें कभी भी कोविड-19 का इंफेक्शन नहीं हुआ था। निकोलेलिस ने कहा कि यह संकेत देता है कि दोनों वायरस के बीच इम्युनोलॉजिकल इंटरेक्शन हुआ है,जिसकी किसी ने भी कल्पना नहीं की थी। दोनों ही वायरस बिल्कुल ही अलग फैमिली से हैं। कनेक्शन साबित करने के लिए और स्टडी की आवश्यकता होगी। निकोलेलिस की टीम ने डेंगू और कोविड-19 के बीच इसी तरह का संबंध लैटिन अमेरिका, एशिया और प्रशांत महासागर व हिंद महासागर के कई द्वीपों पर पाया है। निकोलेलिस ने यह भी कहा कि उनकी यह स्टडी एक दुर्घटना के तौर पर सामने आई। वे यह पता कर रहे थे कि ब्राजील में केस बढ़ने में मुख्य भूमिका हाईवे ने निभाई। हमारे यहां डेंगू की फिलहाल क्या स्थिति है? इस समय मानसून होने के बाद उत्तर भारत के ज्यादातर इलाकों में डेंगू के केस लगातार बढ़ रहे हैं। साथ ही मलेरिया और चिकनगुनिया के भी केस सामने आ रहे हैं। दिल्ली में अब तक डेंगू के ढाई सौ से ज्यादा केस सामने आ चुके हैं। इसी तरह पंजाब, हरियाणा समेत पूरे उत्तर भारत में डेंगू के केस की संख्या हजार के आसपास पहुंच चुकी है। दिल्ली में कोविड-19 के प्रकोप के बीच डेंगू के खिलाफ #10Hafte10Baje10Minute अभियान शुरू हो गया है। खुद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसकी बागडोर संभाली और घर की सफाई कर फोटो ट्विटर पर पोस्ट की। नेशनल वेक्टर बोर्न डिसीज कंट्रोल प्रोग्राम के अनुसार, 2019 में 1,36,422 डेंगू केस सामने आए थे। इसमें 132 लोगों की मौत हुई थी। 2016-2019 तक भारत में हर साल 1 लाख से दो लाख डेंगू के केस मिले हैं। आम तौर पर सितंबर के अंत तक डेंगू के केस बढ़ते हैं और अक्टूबर-नवंबर में अपने पीक पर रहते हैं। ऐसा हर साल होता है क्योंकि इन महीनों में दिन का तापमान 20 डिग्री के आसपास रहता है जो डेंगू के मच्छरों को पनपने के लिए अनुकूल है। डेंगू के ख़िलाफ़ महाअभियान में आज दूसरे रविवार को मैंने फिर से अपने घर की चेकिंग की और इकट्ठा हुए साफ़ पानी को बदला। इसमें सिर्फ़ 10 मिनट का वक्त लगा, आप भी अपने घर की चेकिंग जरूर करें। डेंगू हारेगा और दिल्ली एक बार फिर जीतेगी। #10Hafte10Baje10Minute हर रविवार, डेंगू पर वार pic.twitter.com/MOZTkQGhNy — Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) September 13, 2020 कोविड-19 और डेंगू को पहचानने में क्या दिक्कत है? ज्यादातर विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड-19 और डेंगू दोनों में शुरुआती लक्षण एक जैसा है- तेज बुखार, सिरदर्द और शरीर दर्द। ऐसे में इनकी पहचान थोड़ी मुश्किल है। साथ ही दोनों के इलाज का तरीका भी बिल्कुल अलग है। मध्यप्रदेश में कोविड-19 स्टेट कोऑर्डिनेटर डॉ. लोकेंद्र दवे ने कहा कि इस समय महामारी को देखते हुए हम पहले कोविड-19 का टेस्ट कराते हैं। जब वह निगेटिव आता है तो उसके बाद डेंगू, मलेरिया और अन्य वेक्टर-बोर्न बीमारियों की जांच करा रहे हैं। दोनों के संबंधों पर डॉ. दवे का कहना है कि इन दोनों ही नहीं, बल्कि अन्य वेक्टर-बोर्न बीमारियों में भी लक्षण तकरीबन एक-से ही हैं। लेकिन इनके रिलेशन पर फिलहाल कुछ भी बात करना जल्दबाजी होगी। इस पर और स्टडी होने की आवश्यकता है। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें Coronavirus Dengue Immunity | Will Dengue Antibodies Protect You From COVID-19 Infection? Everything You Need To Know What Is The Difference Dengue and Corona https://ift.tt/364dPHt Dainik Bhaskar कोविड-19 के साथ-साथ देश में बढ़ने लगे हैं डेंगू के केस; क्या डेंगू होने पर कोविड-19 का खतरा बिल्कुल कम हो जाएगा?
इस समय देशभर में जिस तरह कोरोना के केस बढ़ रहे हैं, उसी रफ्तार से डेंगू के केस भी रिपोर्ट हो रहे हैं। दोनों के ही लक्षण करीब-करीब एक से हैं। ऐसे में लोगों को और सरकारी मशीनरी को भी यह पहचान करने में दिक्कत हो रही है कि वे किसकी जांच कराएं- डेंगू की या कोविड-19 की? इसी तरह मलेरिया और चिकनगुनिया के केस भी सामने आने लगे हैं। इनमें भी बुखार और सिरदर्द जैसे लक्षण कोविड-19 की तरह ही है।
इस बीच, ब्राजील में हुई एक स्टडी ने डेंगू और कोरोनावायरस के संबंधों का खुलासा किया है। स्टडी में दावा किया गया है कि जिन इलाकों में डेंगू का प्रकोप ज्यादा था, वहां लोगों के शरीर में कोविड-19 से लड़ने के लिए पर्याप्त मात्रा में एंटीबॉडी भी पाई गई है। ऐसे में यह चर्चा भी चल पड़ी है कि डेंगू कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में एक बड़ा हथियार भी बन सकता है।
पहले जानते हैं कि ब्राजील की स्टडी क्या है और यह क्या कहती है?
- अमेरिका और भारत के बाद कोविड-19 से तीसरे सबसे ज्यादा प्रभावित देश ब्राजील में यह स्टडी की गई। इसमें कोविड-19 के प्रसार और डेंगू के बीच संबंधों को स्थापित किया गया है। इस रिपोर्ट में दावा किया है कि डेंगू होने पर वह एक स्तर तक कोविड-19 होने के खतरे को कम करता है।
- ड्यूक यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर मिगुएल निकोलेलिस के नेतृत्व में की गई इस स्टडी को अब तक किसी जर्नल में प्रकाशित नहीं किया गया है। इसमें 2019 और 2020 में डेंगू के प्रसार और कोविड-19 के जियोग्राफिक डिस्ट्रिब्यूशन की तुलना की गई है।
- निकोलेलिस ने पाया कि जिन जगहों पर कोविड-19 इंफेक्शन की दर कम थी, वहां 2019 या 2020 में डेंगू का प्रकोप ज्यादा था। स्टडी कहती है कि यह डेंगू के फ्लेविवायरस सीरोटाइप्स और SARS-CoV-2 के इम्युनोलॉजिकल क्रॉस-रिएक्टिविटी की संभावना बताती है।
- निकोलेलिस ने बताया कि इससे पहले की गई स्टडी में जिन लोगों के खून में डेंगू के एंटीबॉडी पाए गए, वे कोविड-19 के लिए पॉजिटिव भी निकले हैं। हालांकि, उन्हें कभी भी कोविड-19 का इंफेक्शन नहीं हुआ था।
- निकोलेलिस ने कहा कि यह संकेत देता है कि दोनों वायरस के बीच इम्युनोलॉजिकल इंटरेक्शन हुआ है,जिसकी किसी ने भी कल्पना नहीं की थी। दोनों ही वायरस बिल्कुल ही अलग फैमिली से हैं। कनेक्शन साबित करने के लिए और स्टडी की आवश्यकता होगी।
- निकोलेलिस की टीम ने डेंगू और कोविड-19 के बीच इसी तरह का संबंध लैटिन अमेरिका, एशिया और प्रशांत महासागर व हिंद महासागर के कई द्वीपों पर पाया है। निकोलेलिस ने यह भी कहा कि उनकी यह स्टडी एक दुर्घटना के तौर पर सामने आई। वे यह पता कर रहे थे कि ब्राजील में केस बढ़ने में मुख्य भूमिका हाईवे ने निभाई।
हमारे यहां डेंगू की फिलहाल क्या स्थिति है?
- इस समय मानसून होने के बाद उत्तर भारत के ज्यादातर इलाकों में डेंगू के केस लगातार बढ़ रहे हैं। साथ ही मलेरिया और चिकनगुनिया के भी केस सामने आ रहे हैं। दिल्ली में अब तक डेंगू के ढाई सौ से ज्यादा केस सामने आ चुके हैं। इसी तरह पंजाब, हरियाणा समेत पूरे उत्तर भारत में डेंगू के केस की संख्या हजार के आसपास पहुंच चुकी है।
- दिल्ली में कोविड-19 के प्रकोप के बीच डेंगू के खिलाफ #10Hafte10Baje10Minute अभियान शुरू हो गया है। खुद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसकी बागडोर संभाली और घर की सफाई कर फोटो ट्विटर पर पोस्ट की। नेशनल वेक्टर बोर्न डिसीज कंट्रोल प्रोग्राम के अनुसार, 2019 में 1,36,422 डेंगू केस सामने आए थे। इसमें 132 लोगों की मौत हुई थी। 2016-2019 तक भारत में हर साल 1 लाख से दो लाख डेंगू के केस मिले हैं।
- आम तौर पर सितंबर के अंत तक डेंगू के केस बढ़ते हैं और अक्टूबर-नवंबर में अपने पीक पर रहते हैं। ऐसा हर साल होता है क्योंकि इन महीनों में दिन का तापमान 20 डिग्री के आसपास रहता है जो डेंगू के मच्छरों को पनपने के लिए अनुकूल है।
डेंगू के ख़िलाफ़ महाअभियान में आज दूसरे रविवार को मैंने फिर से अपने घर की चेकिंग की और इकट्ठा हुए साफ़ पानी को बदला। इसमें सिर्फ़ 10 मिनट का वक्त लगा, आप भी अपने घर की चेकिंग जरूर करें। डेंगू हारेगा और दिल्ली एक बार फिर जीतेगी। #10Hafte10Baje10Minute
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) September 13, 2020
हर रविवार, डेंगू पर वार pic.twitter.com/MOZTkQGhNy
कोविड-19 और डेंगू को पहचानने में क्या दिक्कत है?
- ज्यादातर विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड-19 और डेंगू दोनों में शुरुआती लक्षण एक जैसा है- तेज बुखार, सिरदर्द और शरीर दर्द। ऐसे में इनकी पहचान थोड़ी मुश्किल है। साथ ही दोनों के इलाज का तरीका भी बिल्कुल अलग है।
- मध्यप्रदेश में कोविड-19 स्टेट कोऑर्डिनेटर डॉ. लोकेंद्र दवे ने कहा कि इस समय महामारी को देखते हुए हम पहले कोविड-19 का टेस्ट कराते हैं। जब वह निगेटिव आता है तो उसके बाद डेंगू, मलेरिया और अन्य वेक्टर-बोर्न बीमारियों की जांच करा रहे हैं।
- दोनों के संबंधों पर डॉ. दवे का कहना है कि इन दोनों ही नहीं, बल्कि अन्य वेक्टर-बोर्न बीमारियों में भी लक्षण तकरीबन एक-से ही हैं। लेकिन इनके रिलेशन पर फिलहाल कुछ भी बात करना जल्दबाजी होगी। इस पर और स्टडी होने की आवश्यकता है।
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September 25, 2020 at 06:13AM
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