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भारत में पहली बार समानता की बात करने वाले वैष्णव संत रामानुजाचार्य स्वामी के जन्म को 1000 साल पूरे हो चुके हैं। हैदराबाद में रामानुजाचार्य का एक भव्य मंदिर बनाया जा रहा है। मंदिर की कुल लागत 1000 करोड़ से ज्यादा है। मंदिर की खासियत ये है कि यहां रामानुजाचार्य की दो मूर्तियां होंगी और दोनों ही खास होंगी। पहली मूर्ति अष्टधातु की 216 फीट ऊंची है, जो स्थापित की जा चुकी है, इसे स्टैच्यू ऑफ इक्विलिटी नाम दिया गया है। दूसरी प्रतिमा मंदिर के गर्भगृह में रखी जाएगी, जो 120 किलो सोने से बनी होगी। हैदराबाद से करीब 40 किमी दूर रामनगर में बन रहे इस मंदिर की कई खूबियां हैं। सनातन परंपरा के किसी भी संत के लिए अभी तक इतना भव्य मंदिर नहीं बना है। रामानुजाचार्य स्वामी पहले ऐसे संत है, जिनकी इतनी बड़ी प्रतिमा स्थापित की गई है। मंदिर का निर्माण 2014 में शुरू हुआ था। रामानुजाचार्य की बड़ी प्रतिमा चीन में बनी है। जिसकी लागत करीब 400 करोड़ रुपए है। ये अष्टधातु से बनी सबसे बड़ी प्रतिमा है। इसे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में शामिल किया गया है। रामानुजाचार्य 120 साल जिए थे, इसलिए 120 किलो सोने की मूर्ति रामानुजाचार्य की 120 किलो सोने से बनी मूर्ति के पीछे एक विशेष कारण है। मंदिर के संस्थापक चिन्ना जियार स्वामी के मुताबिक, रामानुजाचार्य स्वामी धरती पर 120 वर्ष तक रहे थे। इसलिए, 120 किलो सोने से बनी मूर्ति की स्थापना की जा रही है। रामानुजाचार्य स्वामी ने सबसे पहले समानता का संदेश दिया था। समाज में उनके योगदान को आज तक वो स्थान नहीं मिल पाया, जिसके वो अधिकारी थे। इस मंदिर के जरिए, उनकी समाज के निर्माण में रचनात्मक योगदान को दिखाया जाएगा। 45 एकड़ में बन रहा है पूरा मंदिर, 25 करोड़ के म्यूजिकल फाउंटेन स्टैच्यू ऑफ इक्विलिटी और रामानुजाचार्य टेंपल 45 एकड़ जमीन पर बनाया जा रहा है। मंदिर का मूल भवन करीब 1.5 लाख स्क्वैयर फीट के क्षेत्र में बन रहा है। जो 58 फीट ऊंचा है। इसी पर स्टैच्यू ऑफ इक्विलिटी रखी गई है। इस मंदिर में करीब 25 करोड़ की लागत से म्यूजिकल फाउंटेन लगाए जाएंगे। इनके जरिए भी स्वामी रामानुजाचार्य की गाथा सुनाई जाएगी। 5 भाषाओं में सुनाया जाएगा इतिहास मंदिर में दर्शनार्थियों को 5 भाषाओं में ऑडियो गाइड मिल सकेगी। अंग्रेजी, हिंदी, तमिल, तेलुगु सहित एक और भाषा इसमें शामिल होगी। यहां हर तरह की सुविधा होगी। मंदिर के भीतर रामानुजाचार्य के पूरे जीवन को चित्रों और वीडियो में दिखाया जाएगा। साथ ही, दक्षिण भारत के प्रसिद्ध 108 दिव्य देशम् की रिप्लिका भी इस स्टैच्यू ऑफ इक्विलिटी के चारों ओर बनाई जा रही है। स्टैच्यू ऑफ इक्विलिटी डिजाइन करने वाले आर्किटेक्ट आनंद साईं और पूज्य चिन्ना जियार स्वामी। डिजाइन पर दो साल तक किया काम - आनंद साईं स्टैच्यू ऑफ इक्विलिटी का डिजाइन आर्किटेक्ट और दक्षिण भारतीय फिल्मों के आर्ट डायरेक्टर आनंद साईं ने बनाया है। उनका कहना है कि इस मंदिर और स्टैच्यू ऑफ इक्विलिटी की डिजाइन पर करीब दो साल काम किया है। पूज्य चिन्ना जियार स्वामी ने इस पर कई बार मीटिंग की। उन्होंने ही 108 दिव्य देशम् की कॉन्सेप्ट मुझे दी थी। स्वामी जी के साथ दो साल तक इस काम किया और फिर डिजाइन फाइनल किया। ये मंदिर अपनी खूबियों के कारण दुनिया के सबसे सुंदर और दुर्लभ मंदिरों में से एक होगा। कौन थे संत रामानुजाचार्य वैष्णव संत रामानुजाचार्य का जन्म सन 1017 में हुआ था। वे विशिष्टाद्वैत वेदांत के प्रवर्तक थे। उनका जन्म तमिलनाड़ु में ही हुआ था और कांची में उन्होंने आलवार यमुनाचार्य जी से दीक्षा ली थी। श्रीरंगम के यतिराज नाम के संन्यासी से उन्होंने संन्यास की दीक्षा ली। पूरे भारत में घूमकर उन्होंने वेदांत और वैष्णव धर्म का प्रचार किया। उन्होंने कई संस्कृत ग्रंथों की भी रचना की। उसमें से श्रीभाष्यम् और वेदांत संग्रह उनके सबसे प्रसिद्ध ग्रंथ रहे। 120 वर्ष की आयु में 1137 में उन्होंने देहत्याग किया। रामानुजाचार्य पहले संत थे, जिन्होंने भक्ति, ध्यान और वेदांत को जाति बंधनों से दूर रखने की बात की। धर्म, मोक्ष और जीवन में समानता की पहली बात करने वाले रामानुजाचार्य ही थे। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें Statue of equality Ramanujacharya temple being built at a cost of 1000 crores, 120 kg gold statue will be installed, 216 feet high statue recorded in Guinness Book https://ift.tt/3b7fA7k Dainik Bhaskar 1000 करोड़ की लागत से बन रहा रामानुजाचार्य का मंदिर, 120 किलो सोने की मूर्ति होगी स्थापित, 216 फीट ऊंची प्रतिमा गिनीज बुक में दर्ज

भारत में पहली बार समानता की बात करने वाले वैष्णव संत रामानुजाचार्य स्वामी के जन्म को 1000 साल पूरे हो चुके हैं। हैदराबाद में रामानुजाचार्य का एक भव्य मंदिर बनाया जा रहा है। मंदिर की कुल लागत 1000 करोड़ से ज्यादा है। मंदिर की खासियत ये है कि यहां रामानुजाचार्य की दो मूर्तियां होंगी और दोनों ही खास होंगी।

पहली मूर्ति अष्टधातु की 216 फीट ऊंची है, जो स्थापित की जा चुकी है, इसे स्टैच्यू ऑफ इक्विलिटी नाम दिया गया है। दूसरी प्रतिमा मंदिर के गर्भगृह में रखी जाएगी, जो 120 किलो सोने से बनी होगी। हैदराबाद से करीब 40 किमी दूर रामनगर में बन रहे इस मंदिर की कई खूबियां हैं।

सनातन परंपरा के किसी भी संत के लिए अभी तक इतना भव्य मंदिर नहीं बना है। रामानुजाचार्य स्वामी पहले ऐसे संत है, जिनकी इतनी बड़ी प्रतिमा स्थापित की गई है। मंदिर का निर्माण 2014 में शुरू हुआ था। रामानुजाचार्य की बड़ी प्रतिमा चीन में बनी है। जिसकी लागत करीब 400 करोड़ रुपए है। ये अष्टधातु से बनी सबसे बड़ी प्रतिमा है। इसे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में शामिल किया गया है।

  • रामानुजाचार्य 120 साल जिए थे, इसलिए 120 किलो सोने की मूर्ति

रामानुजाचार्य की 120 किलो सोने से बनी मूर्ति के पीछे एक विशेष कारण है। मंदिर के संस्थापक चिन्ना जियार स्वामी के मुताबिक, रामानुजाचार्य स्वामी धरती पर 120 वर्ष तक रहे थे। इसलिए, 120 किलो सोने से बनी मूर्ति की स्थापना की जा रही है।

रामानुजाचार्य स्वामी ने सबसे पहले समानता का संदेश दिया था। समाज में उनके योगदान को आज तक वो स्थान नहीं मिल पाया, जिसके वो अधिकारी थे। इस मंदिर के जरिए, उनकी समाज के निर्माण में रचनात्मक योगदान को दिखाया जाएगा।

  • 45 एकड़ में बन रहा है पूरा मंदिर, 25 करोड़ के म्यूजिकल फाउंटेन

स्टैच्यू ऑफ इक्विलिटी और रामानुजाचार्य टेंपल 45 एकड़ जमीन पर बनाया जा रहा है। मंदिर का मूल भवन करीब 1.5 लाख स्क्वैयर फीट के क्षेत्र में बन रहा है। जो 58 फीट ऊंचा है। इसी पर स्टैच्यू ऑफ इक्विलिटी रखी गई है। इस मंदिर में करीब 25 करोड़ की लागत से म्यूजिकल फाउंटेन लगाए जाएंगे। इनके जरिए भी स्वामी रामानुजाचार्य की गाथा सुनाई जाएगी।

  • 5 भाषाओं में सुनाया जाएगा इतिहास

मंदिर में दर्शनार्थियों को 5 भाषाओं में ऑडियो गाइड मिल सकेगी। अंग्रेजी, हिंदी, तमिल, तेलुगु सहित एक और भाषा इसमें शामिल होगी। यहां हर तरह की सुविधा होगी। मंदिर के भीतर रामानुजाचार्य के पूरे जीवन को चित्रों और वीडियो में दिखाया जाएगा। साथ ही, दक्षिण भारत के प्रसिद्ध 108 दिव्य देशम् की रिप्लिका भी इस स्टैच्यू ऑफ इक्विलिटी के चारों ओर बनाई जा रही है।

स्टैच्यू ऑफ इक्विलिटी डिजाइन करने वाले आर्किटेक्ट आनंद साईं और पूज्य चिन्ना जियार स्वामी।
  • डिजाइन पर दो साल तक किया काम - आनंद साईं

स्टैच्यू ऑफ इक्विलिटी का डिजाइन आर्किटेक्ट और दक्षिण भारतीय फिल्मों के आर्ट डायरेक्टर आनंद साईं ने बनाया है। उनका कहना है कि इस मंदिर और स्टैच्यू ऑफ इक्विलिटी की डिजाइन पर करीब दो साल काम किया है। पूज्य चिन्ना जियार स्वामी ने इस पर कई बार मीटिंग की। उन्होंने ही 108 दिव्य देशम् की कॉन्सेप्ट मुझे दी थी। स्वामी जी के साथ दो साल तक इस काम किया और फिर डिजाइन फाइनल किया। ये मंदिर अपनी खूबियों के कारण दुनिया के सबसे सुंदर और दुर्लभ मंदिरों में से एक होगा।

  • कौन थे संत रामानुजाचार्य

वैष्णव संत रामानुजाचार्य का जन्म सन 1017 में हुआ था। वे विशिष्टाद्वैत वेदांत के प्रवर्तक थे। उनका जन्म तमिलनाड़ु में ही हुआ था और कांची में उन्होंने आलवार यमुनाचार्य जी से दीक्षा ली थी। श्रीरंगम के यतिराज नाम के संन्यासी से उन्होंने संन्यास की दीक्षा ली। पूरे भारत में घूमकर उन्होंने वेदांत और वैष्णव धर्म का प्रचार किया।

उन्होंने कई संस्कृत ग्रंथों की भी रचना की। उसमें से श्रीभाष्यम् और वेदांत संग्रह उनके सबसे प्रसिद्ध ग्रंथ रहे। 120 वर्ष की आयु में 1137 में उन्होंने देहत्याग किया। रामानुजाचार्य पहले संत थे, जिन्होंने भक्ति, ध्यान और वेदांत को जाति बंधनों से दूर रखने की बात की। धर्म, मोक्ष और जीवन में समानता की पहली बात करने वाले रामानुजाचार्य ही थे।



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Statue of equality Ramanujacharya temple being built at a cost of 1000 crores, 120 kg gold statue will be installed, 216 feet high statue recorded in Guinness Book


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भारत में पहली बार समानता की बात करने वाले वैष्णव संत रामानुजाचार्य स्वामी के जन्म को 1000 साल पूरे हो चुके हैं। हैदराबाद में रामानुजाचार्य का एक भव्य मंदिर बनाया जा रहा है। मंदिर की कुल लागत 1000 करोड़ से ज्यादा है। मंदिर की खासियत ये है कि यहां रामानुजाचार्य की दो मूर्तियां होंगी और दोनों ही खास होंगी। पहली मूर्ति अष्टधातु की 216 फीट ऊंची है, जो स्थापित की जा चुकी है, इसे स्टैच्यू ऑफ इक्विलिटी नाम दिया गया है। दूसरी प्रतिमा मंदिर के गर्भगृह में रखी जाएगी, जो 120 किलो सोने से बनी होगी। हैदराबाद से करीब 40 किमी दूर रामनगर में बन रहे इस मंदिर की कई खूबियां हैं। सनातन परंपरा के किसी भी संत के लिए अभी तक इतना भव्य मंदिर नहीं बना है। रामानुजाचार्य स्वामी पहले ऐसे संत है, जिनकी इतनी बड़ी प्रतिमा स्थापित की गई है। मंदिर का निर्माण 2014 में शुरू हुआ था। रामानुजाचार्य की बड़ी प्रतिमा चीन में बनी है। जिसकी लागत करीब 400 करोड़ रुपए है। ये अष्टधातु से बनी सबसे बड़ी प्रतिमा है। इसे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में शामिल किया गया है। रामानुजाचार्य 120 साल जिए थे, इसलिए 120 किलो सोने की मूर्ति रामानुजाचार्य की 120 किलो सोने से बनी मूर्ति के पीछे एक विशेष कारण है। मंदिर के संस्थापक चिन्ना जियार स्वामी के मुताबिक, रामानुजाचार्य स्वामी धरती पर 120 वर्ष तक रहे थे। इसलिए, 120 किलो सोने से बनी मूर्ति की स्थापना की जा रही है। रामानुजाचार्य स्वामी ने सबसे पहले समानता का संदेश दिया था। समाज में उनके योगदान को आज तक वो स्थान नहीं मिल पाया, जिसके वो अधिकारी थे। इस मंदिर के जरिए, उनकी समाज के निर्माण में रचनात्मक योगदान को दिखाया जाएगा। 45 एकड़ में बन रहा है पूरा मंदिर, 25 करोड़ के म्यूजिकल फाउंटेन स्टैच्यू ऑफ इक्विलिटी और रामानुजाचार्य टेंपल 45 एकड़ जमीन पर बनाया जा रहा है। मंदिर का मूल भवन करीब 1.5 लाख स्क्वैयर फीट के क्षेत्र में बन रहा है। जो 58 फीट ऊंचा है। इसी पर स्टैच्यू ऑफ इक्विलिटी रखी गई है। इस मंदिर में करीब 25 करोड़ की लागत से म्यूजिकल फाउंटेन लगाए जाएंगे। इनके जरिए भी स्वामी रामानुजाचार्य की गाथा सुनाई जाएगी। 5 भाषाओं में सुनाया जाएगा इतिहास मंदिर में दर्शनार्थियों को 5 भाषाओं में ऑडियो गाइड मिल सकेगी। अंग्रेजी, हिंदी, तमिल, तेलुगु सहित एक और भाषा इसमें शामिल होगी। यहां हर तरह की सुविधा होगी। मंदिर के भीतर रामानुजाचार्य के पूरे जीवन को चित्रों और वीडियो में दिखाया जाएगा। साथ ही, दक्षिण भारत के प्रसिद्ध 108 दिव्य देशम् की रिप्लिका भी इस स्टैच्यू ऑफ इक्विलिटी के चारों ओर बनाई जा रही है। स्टैच्यू ऑफ इक्विलिटी डिजाइन करने वाले आर्किटेक्ट आनंद साईं और पूज्य चिन्ना जियार स्वामी। डिजाइन पर दो साल तक किया काम - आनंद साईं स्टैच्यू ऑफ इक्विलिटी का डिजाइन आर्किटेक्ट और दक्षिण भारतीय फिल्मों के आर्ट डायरेक्टर आनंद साईं ने बनाया है। उनका कहना है कि इस मंदिर और स्टैच्यू ऑफ इक्विलिटी की डिजाइन पर करीब दो साल काम किया है। पूज्य चिन्ना जियार स्वामी ने इस पर कई बार मीटिंग की। उन्होंने ही 108 दिव्य देशम् की कॉन्सेप्ट मुझे दी थी। स्वामी जी के साथ दो साल तक इस काम किया और फिर डिजाइन फाइनल किया। ये मंदिर अपनी खूबियों के कारण दुनिया के सबसे सुंदर और दुर्लभ मंदिरों में से एक होगा। कौन थे संत रामानुजाचार्य वैष्णव संत रामानुजाचार्य का जन्म सन 1017 में हुआ था। वे विशिष्टाद्वैत वेदांत के प्रवर्तक थे। उनका जन्म तमिलनाड़ु में ही हुआ था और कांची में उन्होंने आलवार यमुनाचार्य जी से दीक्षा ली थी। श्रीरंगम के यतिराज नाम के संन्यासी से उन्होंने संन्यास की दीक्षा ली। पूरे भारत में घूमकर उन्होंने वेदांत और वैष्णव धर्म का प्रचार किया। उन्होंने कई संस्कृत ग्रंथों की भी रचना की। उसमें से श्रीभाष्यम् और वेदांत संग्रह उनके सबसे प्रसिद्ध ग्रंथ रहे। 120 वर्ष की आयु में 1137 में उन्होंने देहत्याग किया। रामानुजाचार्य पहले संत थे, जिन्होंने भक्ति, ध्यान और वेदांत को जाति बंधनों से दूर रखने की बात की। धर्म, मोक्ष और जीवन में समानता की पहली बात करने वाले रामानुजाचार्य ही थे। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें Statue of equality Ramanujacharya temple being built at a cost of 1000 crores, 120 kg gold statue will be installed, 216 feet high statue recorded in Guinness Book https://ift.tt/3b7fA7k Dainik Bhaskar 1000 करोड़ की लागत से बन रहा रामानुजाचार्य का मंदिर, 120 किलो सोने की मूर्ति होगी स्थापित, 216 फीट ऊंची प्रतिमा गिनीज बुक में दर्ज 

भारत में पहली बार समानता की बात करने वाले वैष्णव संत रामानुजाचार्य स्वामी के जन्म को 1000 साल पूरे हो चुके हैं। हैदराबाद में रामानुजाचार्य का एक भव्य मंदिर बनाया जा रहा है। मंदिर की कुल लागत 1000 करोड़ से ज्यादा है। मंदिर की खासियत ये है कि यहां रामानुजाचार्य की दो मूर्तियां होंगी और दोनों ही खास होंगी।

पहली मूर्ति अष्टधातु की 216 फीट ऊंची है, जो स्थापित की जा चुकी है, इसे स्टैच्यू ऑफ इक्विलिटी नाम दिया गया है। दूसरी प्रतिमा मंदिर के गर्भगृह में रखी जाएगी, जो 120 किलो सोने से बनी होगी। हैदराबाद से करीब 40 किमी दूर रामनगर में बन रहे इस मंदिर की कई खूबियां हैं।

सनातन परंपरा के किसी भी संत के लिए अभी तक इतना भव्य मंदिर नहीं बना है। रामानुजाचार्य स्वामी पहले ऐसे संत है, जिनकी इतनी बड़ी प्रतिमा स्थापित की गई है। मंदिर का निर्माण 2014 में शुरू हुआ था। रामानुजाचार्य की बड़ी प्रतिमा चीन में बनी है। जिसकी लागत करीब 400 करोड़ रुपए है। ये अष्टधातु से बनी सबसे बड़ी प्रतिमा है। इसे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में शामिल किया गया है।

रामानुजाचार्य 120 साल जिए थे, इसलिए 120 किलो सोने की मूर्ति

रामानुजाचार्य की 120 किलो सोने से बनी मूर्ति के पीछे एक विशेष कारण है। मंदिर के संस्थापक चिन्ना जियार स्वामी के मुताबिक, रामानुजाचार्य स्वामी धरती पर 120 वर्ष तक रहे थे। इसलिए, 120 किलो सोने से बनी मूर्ति की स्थापना की जा रही है।

रामानुजाचार्य स्वामी ने सबसे पहले समानता का संदेश दिया था। समाज में उनके योगदान को आज तक वो स्थान नहीं मिल पाया, जिसके वो अधिकारी थे। इस मंदिर के जरिए, उनकी समाज के निर्माण में रचनात्मक योगदान को दिखाया जाएगा।

45 एकड़ में बन रहा है पूरा मंदिर, 25 करोड़ के म्यूजिकल फाउंटेन

स्टैच्यू ऑफ इक्विलिटी और रामानुजाचार्य टेंपल 45 एकड़ जमीन पर बनाया जा रहा है। मंदिर का मूल भवन करीब 1.5 लाख स्क्वैयर फीट के क्षेत्र में बन रहा है। जो 58 फीट ऊंचा है। इसी पर स्टैच्यू ऑफ इक्विलिटी रखी गई है। इस मंदिर में करीब 25 करोड़ की लागत से म्यूजिकल फाउंटेन लगाए जाएंगे। इनके जरिए भी स्वामी रामानुजाचार्य की गाथा सुनाई जाएगी।

5 भाषाओं में सुनाया जाएगा इतिहास

मंदिर में दर्शनार्थियों को 5 भाषाओं में ऑडियो गाइड मिल सकेगी। अंग्रेजी, हिंदी, तमिल, तेलुगु सहित एक और भाषा इसमें शामिल होगी। यहां हर तरह की सुविधा होगी। मंदिर के भीतर रामानुजाचार्य के पूरे जीवन को चित्रों और वीडियो में दिखाया जाएगा। साथ ही, दक्षिण भारत के प्रसिद्ध 108 दिव्य देशम् की रिप्लिका भी इस स्टैच्यू ऑफ इक्विलिटी के चारों ओर बनाई जा रही है।

स्टैच्यू ऑफ इक्विलिटी डिजाइन करने वाले आर्किटेक्ट आनंद साईं और पूज्य चिन्ना जियार स्वामी।

डिजाइन पर दो साल तक किया काम - आनंद साईं

स्टैच्यू ऑफ इक्विलिटी का डिजाइन आर्किटेक्ट और दक्षिण भारतीय फिल्मों के आर्ट डायरेक्टर आनंद साईं ने बनाया है। उनका कहना है कि इस मंदिर और स्टैच्यू ऑफ इक्विलिटी की डिजाइन पर करीब दो साल काम किया है। पूज्य चिन्ना जियार स्वामी ने इस पर कई बार मीटिंग की। उन्होंने ही 108 दिव्य देशम् की कॉन्सेप्ट मुझे दी थी। स्वामी जी के साथ दो साल तक इस काम किया और फिर डिजाइन फाइनल किया। ये मंदिर अपनी खूबियों के कारण दुनिया के सबसे सुंदर और दुर्लभ मंदिरों में से एक होगा।

कौन थे संत रामानुजाचार्य

वैष्णव संत रामानुजाचार्य का जन्म सन 1017 में हुआ था। वे विशिष्टाद्वैत वेदांत के प्रवर्तक थे। उनका जन्म तमिलनाड़ु में ही हुआ था और कांची में उन्होंने आलवार यमुनाचार्य जी से दीक्षा ली थी। श्रीरंगम के यतिराज नाम के संन्यासी से उन्होंने संन्यास की दीक्षा ली। पूरे भारत में घूमकर उन्होंने वेदांत और वैष्णव धर्म का प्रचार किया।

उन्होंने कई संस्कृत ग्रंथों की भी रचना की। उसमें से श्रीभाष्यम् और वेदांत संग्रह उनके सबसे प्रसिद्ध ग्रंथ रहे। 120 वर्ष की आयु में 1137 में उन्होंने देहत्याग किया। रामानुजाचार्य पहले संत थे, जिन्होंने भक्ति, ध्यान और वेदांत को जाति बंधनों से दूर रखने की बात की। धर्म, मोक्ष और जीवन में समानता की पहली बात करने वाले रामानुजाचार्य ही थे।

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Statue of equality Ramanujacharya temple being built at a cost of 1000 crores, 120 kg gold statue will be installed, 216 feet high statue recorded in Guinness Book

https://ift.tt/3b7fA7k Dainik Bhaskar 1000 करोड़ की लागत से बन रहा रामानुजाचार्य का मंदिर, 120 किलो सोने की मूर्ति होगी स्थापित, 216 फीट ऊंची प्रतिमा गिनीज बुक में दर्ज Reviewed by Manish Pethev on August 28, 2020 Rating: 5

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