डोनाल्ड ट्रम्प पांच साल पहले गोल्डन एस्केलेटर के जरिए सियासत में दाखिल हुए और प्रेसिडेंशियल कैम्पेन चलाया। उन्होंने कहा था- मैं ओबामाकेयर के बड़े झूठ का पर्दाफाश करूंगा। एक बड़ी दीवार बनाउंगा, जैसी पहले किसी और ने नहीं बनाई होगी। इसके लिए मैक्सिको को भी पैसा देना होगा। ट्रम्प फिर मैदान में हैं, लेकिन कुछ नहीं बदला। अब उनके सलाहकार उन्हें दूसरी पारी के लिए नए सुझाव दे रहे हैं। मिशन टू मार्स और दुनिया का सबसे बेहतरीन इन्फ्रास्ट्रक्चर सिस्टम आदि। ये सिर्फ बातें और दावे हैं। इनकी कहीं कोई डिटेल नहीं। जॉर्ज बुश इसे विजन कहते थे। फिर वही स्लोगन ट्रम्प ने पिछले चुनाव में जो वादे किए थे, वे इस बार भी वही हैं। मेक अमेरिका ग्रेट अगेन। खास बात ये है कि ट्रम्प के कुछ समर्थकों को भी नहीं मालूम कि उनका अगले टर्म के लिए प्लान क्या होगा। 20 साल के कायला बर्न्स कहते हैं- मुझे उनके वादों या इरादों के बारे में जानकारी नहीं। मैं बस उनको वोट देना चाहता हूं। चार साल के कार्यकाल में ट्रम्प ने सियासी और राष्ट्रपति के तौर पर कई परंपराएं तोड़ीं, नियम तोड़े। लेकिन, अब भी वे ये नहीं बता पाते कि उन्हें चार साल और मिले तो वे क्या करेंगे। सिर्फ बाइडेन पर फोकस ट्रम्प अब भी उसी रास्ते पर चल रहे हैं, जिस पर पहले चल रहे थे। कोरोनावायरस के आने से पहले जो हालात थे, ट्रम्प उसका क्रेडिट खुद ले रहे हैं। उनका पूरा फोकस जो बाइडेन को निशाना बनाने पर है। महामारी से वे बेफिक्र नजर आते हैं। संक्रमण बढ़ रहा है, राष्ट्रपति कहते हैं कि ये कम हो रहा है, खत्म होने वाला है। प्रेसिडेंट हिस्ट्री के जानकार डगलस ब्रिंकले कहते हैं- मैंने पहले कभी ऐसा नहीं देखा। अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव लड़ने वाले को अपना चार साल का प्लान बताना ही होता है। ट्रम्प इसका पालन नहीं कर रहे हैं। ट्रम्प ये भी नहीं बता पा रहे हैं कि देश को महामारी से कैसे निकालेंगे। तब तस्वीर ज्यादा साफ थी 2016 में बातें और दावे ज्यादा साफ थे। आप ये नहीं कह सकते कि एक वर्तमान राष्ट्रपति वॉशिंगटन में पॉलिटिकल आउटसाइडर है। रिपब्लिकन स्ट्रैटेजिस्ट ब्रैड टॉड कहते हैं- मेरा अनुभव तो ये कहता है कि वोटर आपको राष्ट्रपति बनाकर जिम्मेदारी सौंपते हैं। ये आखिरी जॉब नहीं होता। टम्प डेमोक्रेट्स को कट्टर वामपंथी कहते हैं और दावा करते हैं कि चुनाव तो हर हाल में वो ही जीतेंगे। उनके समर्थक भी परेशान हैं। वे भी नहीं समझा पा रहे हैं कि राष्ट्रपति महामारी और इकोनॉमी को लेकर क्या कहना और क्या करना चाहते हैं। उन्हें भी ट्रम्प का एजेंडा खोखला नजर आने लगा है। स्विंग स्टेट्स में फिक्र ज्यादा स्विंग स्टेट्स के रिपब्लिकन समर्थक भी चाहते हैं कि राष्ट्रपति इकोनॉमिक रिकवरी पर बोलें। कम से कम प्रचार के अंतिम दौर में तो ये बताएं कि उनकी रणनीति क्या होगी। लेकिन, ट्रम्प ये भी नहीं कर पा रहे हैं। हालिया, पोल्स भी बताते हैं कि इलेक्शन के मुद्दों पर ट्रम्प पीछे हैं। वोटर्स भी बंट रहे हैं कि क्या ट्रम्प इकोनॉमी को संभाल पाएंगे। 2016 में उनकी कैम्पेन मैनेजर रहीं कैलीन कॉन्वे कहती हैं कि ट्रम्प इकोनॉमिक रिकवरी और वैक्सीन डेवलपमेंट का तरजीह देंगे। समर्थकों के तर्क ट्रम्प के कुछ समर्थक ऐसे भी हैं जो ये दावा करते हैं कि राष्ट्रपति ने पहले ही काफी काम किया है और उनसे आप कितनी और अपेक्षा रखते हैं। 55 साल की डायना कॉन्वेरेसा कहती हैं- ट्रम्प वही कर रहे हैं, जो उन्हें करना चाहिए। यानी अपना काम। ओहियो के जॉन टेनोरी वकील हैं। वे कहते हैं- ट्रम्प का एजेंडा सिर्फ अपने आर्थिक हित देखना है। फिर चाहे इसके लिए पुतिन से ही मदद क्यों न लेना पड़े। एक रिटायर्ड सोशल वर्कर पैटी जॉर्डन कहती हैं- मुझे राष्ट्रपति में किसी बदलाव की उम्मीद नजर नहीं आती। देश की जिम्मेदारी लेने से वो भागते हैं। नीतियां तो बतानी होंगी आमतौर पर दोबारा मैदान में आने वाले राष्ट्रपति अपना एजेंडा साफ करते हैं। बिल क्लिंटन ने कहा था कि वे 21वीं सदी के लिए रास्ता तैयार कर रहे हैं। जॉर्ज बुश ने दुनिया को महफूज करने और अमेरिकी आशावाद का नारा दिया था। बराक ओबामा ने विकास का सूत्र दिया था। बुश के दौर में व्हाइट हाउस में पॉलिटिकल डायरेक्टर रह चुकीं सारा फेगन कहती हैं- ट्रम्प अगर अगले टर्म के लिए एजेंडा पेश करते हैं तो वे फायदे में रहेंगे। उन्हें ये बताना चाहिए कि उनके और बाइडेन की नीतियों में क्या फर्क रहेगा। लोग इसे समझना चाहते हैं। ट्रम्प इरादे जाहिर कर चुके हैं अगस्त में ट्रम्प ने न्यूयॉर्क टाइम्स को एक इंटरव्यू दिया था। इसमें ईमानदारी से सेकंड टर्म के बारे में बात की थी। उनसे पूछा गया था कि अगर अगर वोटर्स उन्हें दूसरे कार्यकाल के लिए चुनते हैं तो उनका बर्ताव कैसा रहेगा? इस पर उन्होंने कहा था- पहले जैसा ही। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें Donald Trump Joe Biden; US Election Opinion Polls 2020 Update | Trump Seeking Second Term, Has Only Slogans, No Agenda To Put Before Voters https://ift.tt/37OpDOK Dainik Bhaskar दूसरी बार प्रेसिडेंट बनना चाह रहे ट्रम्प के पास सिर्फ नारे, वोटर्स को बताने के लिए कोई एजेंडा नहीं
डोनाल्ड ट्रम्प पांच साल पहले गोल्डन एस्केलेटर के जरिए सियासत में दाखिल हुए और प्रेसिडेंशियल कैम्पेन चलाया। उन्होंने कहा था- मैं ओबामाकेयर के बड़े झूठ का पर्दाफाश करूंगा। एक बड़ी दीवार बनाउंगा, जैसी पहले किसी और ने नहीं बनाई होगी। इसके लिए मैक्सिको को भी पैसा देना होगा। ट्रम्प फिर मैदान में हैं, लेकिन कुछ नहीं बदला। अब उनके सलाहकार उन्हें दूसरी पारी के लिए नए सुझाव दे रहे हैं। मिशन टू मार्स और दुनिया का सबसे बेहतरीन इन्फ्रास्ट्रक्चर सिस्टम आदि। ये सिर्फ बातें और दावे हैं। इनकी कहीं कोई डिटेल नहीं। जॉर्ज बुश इसे विजन कहते थे।
फिर वही स्लोगन
ट्रम्प ने पिछले चुनाव में जो वादे किए थे, वे इस बार भी वही हैं। मेक अमेरिका ग्रेट अगेन। खास बात ये है कि ट्रम्प के कुछ समर्थकों को भी नहीं मालूम कि उनका अगले टर्म के लिए प्लान क्या होगा। 20 साल के कायला बर्न्स कहते हैं- मुझे उनके वादों या इरादों के बारे में जानकारी नहीं। मैं बस उनको वोट देना चाहता हूं। चार साल के कार्यकाल में ट्रम्प ने सियासी और राष्ट्रपति के तौर पर कई परंपराएं तोड़ीं, नियम तोड़े। लेकिन, अब भी वे ये नहीं बता पाते कि उन्हें चार साल और मिले तो वे क्या करेंगे।
सिर्फ बाइडेन पर फोकस
ट्रम्प अब भी उसी रास्ते पर चल रहे हैं, जिस पर पहले चल रहे थे। कोरोनावायरस के आने से पहले जो हालात थे, ट्रम्प उसका क्रेडिट खुद ले रहे हैं। उनका पूरा फोकस जो बाइडेन को निशाना बनाने पर है। महामारी से वे बेफिक्र नजर आते हैं। संक्रमण बढ़ रहा है, राष्ट्रपति कहते हैं कि ये कम हो रहा है, खत्म होने वाला है। प्रेसिडेंट हिस्ट्री के जानकार डगलस ब्रिंकले कहते हैं- मैंने पहले कभी ऐसा नहीं देखा। अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव लड़ने वाले को अपना चार साल का प्लान बताना ही होता है। ट्रम्प इसका पालन नहीं कर रहे हैं। ट्रम्प ये भी नहीं बता पा रहे हैं कि देश को महामारी से कैसे निकालेंगे।
तब तस्वीर ज्यादा साफ थी
2016 में बातें और दावे ज्यादा साफ थे। आप ये नहीं कह सकते कि एक वर्तमान राष्ट्रपति वॉशिंगटन में पॉलिटिकल आउटसाइडर है। रिपब्लिकन स्ट्रैटेजिस्ट ब्रैड टॉड कहते हैं- मेरा अनुभव तो ये कहता है कि वोटर आपको राष्ट्रपति बनाकर जिम्मेदारी सौंपते हैं। ये आखिरी जॉब नहीं होता। टम्प डेमोक्रेट्स को कट्टर वामपंथी कहते हैं और दावा करते हैं कि चुनाव तो हर हाल में वो ही जीतेंगे। उनके समर्थक भी परेशान हैं। वे भी नहीं समझा पा रहे हैं कि राष्ट्रपति महामारी और इकोनॉमी को लेकर क्या कहना और क्या करना चाहते हैं। उन्हें भी ट्रम्प का एजेंडा खोखला नजर आने लगा है।
स्विंग स्टेट्स में फिक्र ज्यादा
स्विंग स्टेट्स के रिपब्लिकन समर्थक भी चाहते हैं कि राष्ट्रपति इकोनॉमिक रिकवरी पर बोलें। कम से कम प्रचार के अंतिम दौर में तो ये बताएं कि उनकी रणनीति क्या होगी। लेकिन, ट्रम्प ये भी नहीं कर पा रहे हैं। हालिया, पोल्स भी बताते हैं कि इलेक्शन के मुद्दों पर ट्रम्प पीछे हैं। वोटर्स भी बंट रहे हैं कि क्या ट्रम्प इकोनॉमी को संभाल पाएंगे। 2016 में उनकी कैम्पेन मैनेजर रहीं कैलीन कॉन्वे कहती हैं कि ट्रम्प इकोनॉमिक रिकवरी और वैक्सीन डेवलपमेंट का तरजीह देंगे।
समर्थकों के तर्क
ट्रम्प के कुछ समर्थक ऐसे भी हैं जो ये दावा करते हैं कि राष्ट्रपति ने पहले ही काफी काम किया है और उनसे आप कितनी और अपेक्षा रखते हैं। 55 साल की डायना कॉन्वेरेसा कहती हैं- ट्रम्प वही कर रहे हैं, जो उन्हें करना चाहिए। यानी अपना काम। ओहियो के जॉन टेनोरी वकील हैं। वे कहते हैं- ट्रम्प का एजेंडा सिर्फ अपने आर्थिक हित देखना है। फिर चाहे इसके लिए पुतिन से ही मदद क्यों न लेना पड़े। एक रिटायर्ड सोशल वर्कर पैटी जॉर्डन कहती हैं- मुझे राष्ट्रपति में किसी बदलाव की उम्मीद नजर नहीं आती। देश की जिम्मेदारी लेने से वो भागते हैं।
नीतियां तो बतानी होंगी
आमतौर पर दोबारा मैदान में आने वाले राष्ट्रपति अपना एजेंडा साफ करते हैं। बिल क्लिंटन ने कहा था कि वे 21वीं सदी के लिए रास्ता तैयार कर रहे हैं। जॉर्ज बुश ने दुनिया को महफूज करने और अमेरिकी आशावाद का नारा दिया था। बराक ओबामा ने विकास का सूत्र दिया था। बुश के दौर में व्हाइट हाउस में पॉलिटिकल डायरेक्टर रह चुकीं सारा फेगन कहती हैं- ट्रम्प अगर अगले टर्म के लिए एजेंडा पेश करते हैं तो वे फायदे में रहेंगे। उन्हें ये बताना चाहिए कि उनके और बाइडेन की नीतियों में क्या फर्क रहेगा। लोग इसे समझना चाहते हैं।
ट्रम्प इरादे जाहिर कर चुके हैं
अगस्त में ट्रम्प ने न्यूयॉर्क टाइम्स को एक इंटरव्यू दिया था। इसमें ईमानदारी से सेकंड टर्म के बारे में बात की थी। उनसे पूछा गया था कि अगर अगर वोटर्स उन्हें दूसरे कार्यकाल के लिए चुनते हैं तो उनका बर्ताव कैसा रहेगा? इस पर उन्होंने कहा था- पहले जैसा ही।
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