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https://ift.tt/2HBTTlf दिल्ली की रहने वाली दीप्ति अवस्थी शर्मा आउटडोर एडवर्टाइजिंग स्टार्टअप गोहोर्डिंग्स डॉट काॅम (Gohoardings.com) की फाउंडर हैं। साथ में एक सफल हाउस वाइफ और एक मां हैं। नोएडा स्थित यह स्टार्टअप देशभर में कहीं भी कभी भी ऑनलाइन होर्डिंग्स के लिए बुकिंग करने में मदद करता है। कंपनी ने हाल ही में आस्ट्रेलिया में कारोबार शुरू किया है। इस समय कंपनी का रेवेन्यू 20 करोड़ से ज्यादा है। कंपनी में पेटीएम के फाउंडर विजय शेखर शर्मा के इन्वेस्टमेंट की भी बात चल रही है। 24 साल की उम्र में शुरू किया इवेंट का कारोबार दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन के बाद दीप्ति ने सीए की तैयारी शुरू की लेकिन पढ़ाई और जाॅब में ज्यादा इंटरेस्ट नहीं होने के कारण सीए फाइनल ईयर ड्रॉप कर दिया और इवेंट का कारोबार शुरू किया। तब दीप्ति सिर्फ 24 साल की थीं। वो बताती हैं कि उन्होंने इवेंट का कारोबार पार्टनरशिप में शुरू किया था। कुछ स्पॉन्सरशिप भी मिली थी। वह कहती हैं, 2014 की 31 दिसंबर की रात दिल्ली में सबसे बड़े इवेंट का जिम्मा उनकी कंपनी को मिला था। 2016 में दीप्ति ने 50 हजार से डिजिटल होर्डिंग्स का कारोबार शुरू किया। अपनी मेहनत की बदौलत उन्होंने महज दो साल में ही 12 करोड़ का टर्नओवर हासिल कर कर लिया। उसमें कई सेलिब्रिटीज शिरकत करने वाले थे, लेकिन इवेंट से ठीक कुछ समय पहले स्पांसर्स ने हाथ खड़े कर दिए। स्पांसर्स के हटते ही इवेंट पार्टनर भी साथ छोड़कर चला गया। हालात यह हो गई कि उस इवेंट के टिकट ज्यादा नहीं बिके और मुझे करीब 40 लाख रुपए का नुकसान झेलना पड़ा। वह कहती हैं, उस समय मेरे पास करो या मरो जैसे हालात हो गए थे। हालांकि, मैंने भागने की बजाय खुद का पैसा लगाकर कार्यक्रम का आयोजन किसी तरह संपन्न किया। नुकसान की भरपाई घर बेच कर की 30 साल की दीप्ति बताती हैं, इवेंट के कारोबार में नुकसान की भरपाई के लिए हमें अपना घर बेचना पड़ा। हम कई सालों तक किराए के घर में रहे। पड़ोसी और संबंधियों ने ताने मारने शुरू कर दिए थे। लोगों ने तो यहां तक कह दिया कि बेटी को सिर पर चढ़ाने का यह नतीजा है और बनाओ आत्मनिर्भर। कारोबार में नुकसान, घर बेचने का दर्द और सगे संबंधियों के तानों ने मुझे इतना परेशान कर दिया कि मैं डिप्रेशन में चली गई थी। मैंने कई दिनों तक खुद को एक कमरे में बंद कर लिया था। हालांकि, मेरी मां और पिता ने कभी साथ नहीं छोड़ा। उन्होंने पूरा सपोर्ट किया। आज दीप्ति की कंपनी का टर्नओवर 20 करोड़ रुपए से ज्यादा है। इस समय उनकी कंपनी में करीब 30-40 लोगों की एक टीम काम कर रही है। दीप्ति कहती हैं, इस हादसे के करीब तीन माह बाद ही मैंने घर वालों के कहने पर शादी कर ली। एक तरह से अपने करियर और सपनों से समझौता कर लिया। हालांकि, इसे मेरी किस्मत कह सकते हैं कि मुझे सपोर्टिव पति के रूप में विकास शर्मा मिले। जब विकास को मेरे सपनों के बारे में पता चला, तब उन्होंने मुझे दोबारा बिजनेस के लिए प्रोत्साहित किया और फिर वहीं से जिंदगी में एक यूटर्न आया और शुरू हुआ डिजिटल होर्डिंग्स का कारोबार। 50 हजार लगाकर शुरू किया कारोबार दीप्ति बताती हैं, मैंने 2016 में बहुत ही छोटी रकम 50 हजार से डिजिटल होर्डिंग्स का कारोबार शुरू किया। इसमें विकास का आइडिएशन से लेकर फाइनेंशियल तक काफी सपोर्ट मिला। डिजिटल होर्डिंग्स कारोबार को शुरू करने के पीछे वजह बताते हुए दीप्ति कहती हैं, हमने जब इस पर रिसर्च किया तो पाया कि यह फील्ड काफी अनऑर्गनाइज्ड तरीके से काम कर रहा है। जहां कुछ भी क्लियर नहीं है। एक होर्डिंग लगवाने के लिए लोगों को काफी मशक्कत करनी पड़ती है। तभी सोचा कि क्यों न खुद की कंपनी स्थापित की जाए जहां सिर्फ एक क्लिक में होर्डिंग्स लगवाने का काम हो जाए। दीप्ति कहती हैं, विकास दिल्ली के ही एक टेक कंपनी में काम करते हैं। कारोबार को शुरू करने में उनसे मुझे तकनीकी तौर पर काफी हेल्प मिली। वहीं, मार्केटिंग और अकाउंट में मेरी नॉलेज अच्छी है। इसका मुझे यहां फायदा मिला। इस तरह हमने अपने दम पर कारोबार शुरू कर दिया। दीप्ति का यह आइडिया इतना सही था कि अपनी मेहनत की बदौलत उन्होंने महज दो साल में ही 12 करोड़ का टर्नओवर हासिल कर कर लिया और यह साल दर साल बढ़ता ही चला गया। दीप्ति की कंपनी ने हाल ही में आस्ट्रेलिया में कारोबार शुरू किया है, उन्हें कई अवार्ड्स भी मिल चुके हैं। आज दीप्ति की कंपनी का टर्नओवर 20 करोड़ रुपए से ज्यादा है। इस समय उनकी कंपनी में करीब 30-40 लोगों की एक टीम काम कर रही है। वह खुद भी सुबह 9 से रात के 11 बजे तक लगातार काम करती हैं। इसमें उसके पति भी पूरा सहयोग देते हैं। जानिए, यह स्टार्टअप कैसे काम करता है ? दीप्ति के मुताबिक, सबसे पहले हमारे वेबसाइट पर कस्टमर को लॉगइन करना होता है। इसके बाद वेबसाइट पर जाकर अपने लोकेशन (जहां उसे होर्डिंग लगवानी है) सर्च करके सिलेक्ट करना होता है। लोकेशन सिलेक्ट होने के बाद हमारे पास एक मेल आता है। उसके बाद कंपनी की तरफ से साइट और लोकेशन की उपलब्धता की कन्फर्मेशन भेजी जाती है। फिर कस्टमर की तरफ से आर्टवर्क और ऑर्डर आते हैं। इसके बाद हम उन्हें लोकेशन साइट पर लाइव होने के लिए एक आईडी एंड पासवर्ड उपलब्ध कराते हैं, ताकि कस्टमर अपने काम का करंट स्टेटस लाइव ट्रैक कर सके। बता दें कि यह कंपनी एक होर्डिंग को एक माह की अवधि तक लगवाने के लिए लगभग 1 लाख रुपए लेती है। हालांकि, दीप्ति कहती हैं कि होर्डिंग की कीमत विभिन्न राज्यों और लोकेशन वाइज निर्भर करता है। ...और अंत में दीप्ति कहती हैं, किसी भी काम को शुरू करने के लिए उसका बैकग्राउंड जानना बहुत जरूरी है। उस पर बहुत ज्यादा रिसर्च करना चाहिए। सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता है इसके लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें How a CA dropout and a software engineer created an online portal for OOH advertising from Dainik Bhaskar https://ift.tt/37JIP06 via IFTTT https://ift.tt/2TCxGWV दिल्ली की रहने वाली दीप्ति अवस्थी शर्मा आउटडोर एडवर्टाइजिंग स्टार्टअप गोहोर्डिंग्स डॉट काॅम (Gohoardings.com) की फाउंडर हैं। साथ में एक सफल हाउस वाइफ और एक मां हैं। नोएडा स्थित यह स्टार्टअप देशभर में कहीं भी कभी भी ऑनलाइन होर्डिंग्स के लिए बुकिंग करने में मदद करता है। कंपनी ने हाल ही में आस्ट्रेलिया में कारोबार शुरू किया है। इस समय कंपनी का रेवेन्यू 20 करोड़ से ज्यादा है। कंपनी में पेटीएम के फाउंडर विजय शेखर शर्मा के इन्वेस्टमेंट की भी बात चल रही है। 24 साल की उम्र में शुरू किया इवेंट का कारोबार दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन के बाद दीप्ति ने सीए की तैयारी शुरू की लेकिन पढ़ाई और जाॅब में ज्यादा इंटरेस्ट नहीं होने के कारण सीए फाइनल ईयर ड्रॉप कर दिया और इवेंट का कारोबार शुरू किया। तब दीप्ति सिर्फ 24 साल की थीं। वो बताती हैं कि उन्होंने इवेंट का कारोबार पार्टनरशिप में शुरू किया था। कुछ स्पॉन्सरशिप भी मिली थी। वह कहती हैं, 2014 की 31 दिसंबर की रात दिल्ली में सबसे बड़े इवेंट का जिम्मा उनकी कंपनी को मिला था। 2016 में दीप्ति ने 50 हजार से डिजिटल होर्डिंग्स का कारोबार शुरू किया। अपनी मेहनत की बदौलत उन्होंने महज दो साल में ही 12 करोड़ का टर्नओवर हासिल कर कर लिया। उसमें कई सेलिब्रिटीज शिरकत करने वाले थे, लेकिन इवेंट से ठीक कुछ समय पहले स्पांसर्स ने हाथ खड़े कर दिए। स्पांसर्स के हटते ही इवेंट पार्टनर भी साथ छोड़कर चला गया। हालात यह हो गई कि उस इवेंट के टिकट ज्यादा नहीं बिके और मुझे करीब 40 लाख रुपए का नुकसान झेलना पड़ा। वह कहती हैं, उस समय मेरे पास करो या मरो जैसे हालात हो गए थे। हालांकि, मैंने भागने की बजाय खुद का पैसा लगाकर कार्यक्रम का आयोजन किसी तरह संपन्न किया। नुकसान की भरपाई घर बेच कर की 30 साल की दीप्ति बताती हैं, इवेंट के कारोबार में नुकसान की भरपाई के लिए हमें अपना घर बेचना पड़ा। हम कई सालों तक किराए के घर में रहे। पड़ोसी और संबंधियों ने ताने मारने शुरू कर दिए थे। लोगों ने तो यहां तक कह दिया कि बेटी को सिर पर चढ़ाने का यह नतीजा है और बनाओ आत्मनिर्भर। कारोबार में नुकसान, घर बेचने का दर्द और सगे संबंधियों के तानों ने मुझे इतना परेशान कर दिया कि मैं डिप्रेशन में चली गई थी। मैंने कई दिनों तक खुद को एक कमरे में बंद कर लिया था। हालांकि, मेरी मां और पिता ने कभी साथ नहीं छोड़ा। उन्होंने पूरा सपोर्ट किया। आज दीप्ति की कंपनी का टर्नओवर 20 करोड़ रुपए से ज्यादा है। इस समय उनकी कंपनी में करीब 30-40 लोगों की एक टीम काम कर रही है। दीप्ति कहती हैं, इस हादसे के करीब तीन माह बाद ही मैंने घर वालों के कहने पर शादी कर ली। एक तरह से अपने करियर और सपनों से समझौता कर लिया। हालांकि, इसे मेरी किस्मत कह सकते हैं कि मुझे सपोर्टिव पति के रूप में विकास शर्मा मिले। जब विकास को मेरे सपनों के बारे में पता चला, तब उन्होंने मुझे दोबारा बिजनेस के लिए प्रोत्साहित किया और फिर वहीं से जिंदगी में एक यूटर्न आया और शुरू हुआ डिजिटल होर्डिंग्स का कारोबार। 50 हजार लगाकर शुरू किया कारोबार दीप्ति बताती हैं, मैंने 2016 में बहुत ही छोटी रकम 50 हजार से डिजिटल होर्डिंग्स का कारोबार शुरू किया। इसमें विकास का आइडिएशन से लेकर फाइनेंशियल तक काफी सपोर्ट मिला। डिजिटल होर्डिंग्स कारोबार को शुरू करने के पीछे वजह बताते हुए दीप्ति कहती हैं, हमने जब इस पर रिसर्च किया तो पाया कि यह फील्ड काफी अनऑर्गनाइज्ड तरीके से काम कर रहा है। जहां कुछ भी क्लियर नहीं है। एक होर्डिंग लगवाने के लिए लोगों को काफी मशक्कत करनी पड़ती है। तभी सोचा कि क्यों न खुद की कंपनी स्थापित की जाए जहां सिर्फ एक क्लिक में होर्डिंग्स लगवाने का काम हो जाए। दीप्ति कहती हैं, विकास दिल्ली के ही एक टेक कंपनी में काम करते हैं। कारोबार को शुरू करने में उनसे मुझे तकनीकी तौर पर काफी हेल्प मिली। वहीं, मार्केटिंग और अकाउंट में मेरी नॉलेज अच्छी है। इसका मुझे यहां फायदा मिला। इस तरह हमने अपने दम पर कारोबार शुरू कर दिया। दीप्ति का यह आइडिया इतना सही था कि अपनी मेहनत की बदौलत उन्होंने महज दो साल में ही 12 करोड़ का टर्नओवर हासिल कर कर लिया और यह साल दर साल बढ़ता ही चला गया। दीप्ति की कंपनी ने हाल ही में आस्ट्रेलिया में कारोबार शुरू किया है, उन्हें कई अवार्ड्स भी मिल चुके हैं। आज दीप्ति की कंपनी का टर्नओवर 20 करोड़ रुपए से ज्यादा है। इस समय उनकी कंपनी में करीब 30-40 लोगों की एक टीम काम कर रही है। वह खुद भी सुबह 9 से रात के 11 बजे तक लगातार काम करती हैं। इसमें उसके पति भी पूरा सहयोग देते हैं। जानिए, यह स्टार्टअप कैसे काम करता है ? दीप्ति के मुताबिक, सबसे पहले हमारे वेबसाइट पर कस्टमर को लॉगइन करना होता है। इसके बाद वेबसाइट पर जाकर अपने लोकेशन (जहां उसे होर्डिंग लगवानी है) सर्च करके सिलेक्ट करना होता है। लोकेशन सिलेक्ट होने के बाद हमारे पास एक मेल आता है। उसके बाद कंपनी की तरफ से साइट और लोकेशन की उपलब्धता की कन्फर्मेशन भेजी जाती है। फिर कस्टमर की तरफ से आर्टवर्क और ऑर्डर आते हैं। इसके बाद हम उन्हें लोकेशन साइट पर लाइव होने के लिए एक आईडी एंड पासवर्ड उपलब्ध कराते हैं, ताकि कस्टमर अपने काम का करंट स्टेटस लाइव ट्रैक कर सके। बता दें कि यह कंपनी एक होर्डिंग को एक माह की अवधि तक लगवाने के लिए लगभग 1 लाख रुपए लेती है। हालांकि, दीप्ति कहती हैं कि होर्डिंग की कीमत विभिन्न राज्यों और लोकेशन वाइज निर्भर करता है। ...और अंत में दीप्ति कहती हैं, किसी भी काम को शुरू करने के लिए उसका बैकग्राउंड जानना बहुत जरूरी है। उस पर बहुत ज्यादा रिसर्च करना चाहिए। सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता है इसके लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें How a CA dropout and a software engineer created an online portal for OOH advertising https://ift.tt/2HBTTlf Dainik Bhaskar घर बेचकर चुकाया था बिजनेस में हुआ नुकसान, अब डिजिटल होर्डिंग्स के काम से 20 करोड़ पहुंचा टर्नओवर

दिल्ली की रहने वाली दीप्ति अवस्थी शर्मा आउटडोर एडवर्टाइजिंग स्टार्टअप गोहोर्डिंग्स डॉट काॅम (Gohoardings.com) की फाउंडर हैं। साथ में एक सफल हाउस वाइफ और एक मां हैं। नोएडा स्थित यह स्टार्टअप देशभर में कहीं भी कभी भी ऑनलाइन होर्डिंग्स के लिए बुकिंग करने में मदद करता है। कंपनी ने हाल ही में आस्ट्रेलिया में कारोबार शुरू किया है। इस समय कंपनी का रेवेन्यू 20 करोड़ से ज्यादा है। कंपनी में पेटीएम के फाउंडर विजय शेखर शर्मा के इन्वेस्टमेंट की भी बात चल रही है। 24 साल की उम्र में शुरू किया इवेंट का कारोबार दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन के बाद दीप्ति ने सीए की तैयारी शुरू की लेकिन पढ़ाई और जाॅब में ज्यादा इंटरेस्ट नहीं होने के कारण सीए फाइनल ईयर ड्रॉप कर दिया और इवेंट का कारोबार शुरू किया। तब दीप्ति सिर्फ 24 साल की थीं। वो बताती हैं कि उन्होंने इवेंट का कारोबार पार्टनरशिप में शुरू किया था। कुछ स्पॉन्सरशिप भी मिली थी। वह कहती हैं, 2014 की 31 दिसंबर की रात दिल्ली में सबसे बड़े इवेंट का जिम्मा उनकी कंपनी को मिला था। 2016 में दीप्ति ने 50 हजार से डिजिटल होर्डिंग्स का कारोबार शुरू किया। अपनी मेहनत की बदौलत उन्होंने महज दो साल में ही 12 करोड़ का टर्नओवर हासिल कर कर लिया। उसमें कई सेलिब्रिटीज शिरकत करने वाले थे, लेकिन इवेंट से ठीक कुछ समय पहले स्पांसर्स ने हाथ खड़े कर दिए। स्पांसर्स के हटते ही इवेंट पार्टनर भी साथ छोड़कर चला गया। हालात यह हो गई कि उस इवेंट के टिकट ज्यादा नहीं बिके और मुझे करीब 40 लाख रुपए का नुकसान झेलना पड़ा। वह कहती हैं, उस समय मेरे पास करो या मरो जैसे हालात हो गए थे। हालांकि, मैंने भागने की बजाय खुद का पैसा लगाकर कार्यक्रम का आयोजन किसी तरह संपन्न किया। नुकसान की भरपाई घर बेच कर की 30 साल की दीप्ति बताती हैं, इवेंट के कारोबार में नुकसान की भरपाई के लिए हमें अपना घर बेचना पड़ा। हम कई सालों तक किराए के घर में रहे। पड़ोसी और संबंधियों ने ताने मारने शुरू कर दिए थे। लोगों ने तो यहां तक कह दिया कि बेटी को सिर पर चढ़ाने का यह नतीजा है और बनाओ आत्मनिर्भर। कारोबार में नुकसान, घर बेचने का दर्द और सगे संबंधियों के तानों ने मुझे इतना परेशान कर दिया कि मैं डिप्रेशन में चली गई थी। मैंने कई दिनों तक खुद को एक कमरे में बंद कर लिया था। हालांकि, मेरी मां और पिता ने कभी साथ नहीं छोड़ा। उन्होंने पूरा सपोर्ट किया। आज दीप्ति की कंपनी का टर्नओवर 20 करोड़ रुपए से ज्यादा है। इस समय उनकी कंपनी में करीब 30-40 लोगों की एक टीम काम कर रही है। दीप्ति कहती हैं, इस हादसे के करीब तीन माह बाद ही मैंने घर वालों के कहने पर शादी कर ली। एक तरह से अपने करियर और सपनों से समझौता कर लिया। हालांकि, इसे मेरी किस्मत कह सकते हैं कि मुझे सपोर्टिव पति के रूप में विकास शर्मा मिले। जब विकास को मेरे सपनों के बारे में पता चला, तब उन्होंने मुझे दोबारा बिजनेस के लिए प्रोत्साहित किया और फिर वहीं से जिंदगी में एक यूटर्न आया और शुरू हुआ डिजिटल होर्डिंग्स का कारोबार। 50 हजार लगाकर शुरू किया कारोबार दीप्ति बताती हैं, मैंने 2016 में बहुत ही छोटी रकम 50 हजार से डिजिटल होर्डिंग्स का कारोबार शुरू किया। इसमें विकास का आइडिएशन से लेकर फाइनेंशियल तक काफी सपोर्ट मिला। डिजिटल होर्डिंग्स कारोबार को शुरू करने के पीछे वजह बताते हुए दीप्ति कहती हैं, हमने जब इस पर रिसर्च किया तो पाया कि यह फील्ड काफी अनऑर्गनाइज्ड तरीके से काम कर रहा है। जहां कुछ भी क्लियर नहीं है। एक होर्डिंग लगवाने के लिए लोगों को काफी मशक्कत करनी पड़ती है। तभी सोचा कि क्यों न खुद की कंपनी स्थापित की जाए जहां सिर्फ एक क्लिक में होर्डिंग्स लगवाने का काम हो जाए। दीप्ति कहती हैं, विकास दिल्ली के ही एक टेक कंपनी में काम करते हैं। कारोबार को शुरू करने में उनसे मुझे तकनीकी तौर पर काफी हेल्प मिली। वहीं, मार्केटिंग और अकाउंट में मेरी नॉलेज अच्छी है। इसका मुझे यहां फायदा मिला। इस तरह हमने अपने दम पर कारोबार शुरू कर दिया। दीप्ति का यह आइडिया इतना सही था कि अपनी मेहनत की बदौलत उन्होंने महज दो साल में ही 12 करोड़ का टर्नओवर हासिल कर कर लिया और यह साल दर साल बढ़ता ही चला गया। दीप्ति की कंपनी ने हाल ही में आस्ट्रेलिया में कारोबार शुरू किया है, उन्हें कई अवार्ड्स भी मिल चुके हैं। आज दीप्ति की कंपनी का टर्नओवर 20 करोड़ रुपए से ज्यादा है। इस समय उनकी कंपनी में करीब 30-40 लोगों की एक टीम काम कर रही है। वह खुद भी सुबह 9 से रात के 11 बजे तक लगातार काम करती हैं। इसमें उसके पति भी पूरा सहयोग देते हैं। जानिए, यह स्टार्टअप कैसे काम करता है ? दीप्ति के मुताबिक, सबसे पहले हमारे वेबसाइट पर कस्टमर को लॉगइन करना होता है। इसके बाद वेबसाइट पर जाकर अपने लोकेशन (जहां उसे होर्डिंग लगवानी है) सर्च करके सिलेक्ट करना होता है। लोकेशन सिलेक्ट होने के बाद हमारे पास एक मेल आता है। उसके बाद कंपनी की तरफ से साइट और लोकेशन की उपलब्धता की कन्फर्मेशन भेजी जाती है। फिर कस्टमर की तरफ से आर्टवर्क और ऑर्डर आते हैं। इसके बाद हम उन्हें लोकेशन साइट पर लाइव होने के लिए एक आईडी एंड पासवर्ड उपलब्ध कराते हैं, ताकि कस्टमर अपने काम का करंट स्टेटस लाइव ट्रैक कर सके। बता दें कि यह कंपनी एक होर्डिंग को एक माह की अवधि तक लगवाने के लिए लगभग 1 लाख रुपए लेती है। हालांकि, दीप्ति कहती हैं कि होर्डिंग की कीमत विभिन्न राज्यों और लोकेशन वाइज निर्भर करता है। ...और अंत में दीप्ति कहती हैं, किसी भी काम को शुरू करने के लिए उसका बैकग्राउंड जानना बहुत जरूरी है। उस पर बहुत ज्यादा रिसर्च करना चाहिए। सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता है इसके लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें How a CA dropout and a software engineer created an online portal for OOH advertising https://ift.tt/2HBTTlf Dainik Bhaskar घर बेचकर चुकाया था बिजनेस में हुआ नुकसान, अब डिजिटल होर्डिंग्स के काम से 20 करोड़ पहुंचा टर्नओवर

दिल्ली की रहने वाली दीप्ति अवस्थी शर्मा आउटडोर एडवर्टाइजिंग स्टार्टअप गोहोर्डिंग्स डॉट काॅम (Gohoardings.com) की फाउंडर हैं। साथ में एक सफल हाउस वाइफ और एक मां हैं। नोएडा स्थित यह स्टार्टअप देशभर में कहीं भी कभी भी ऑनलाइन होर्डिंग्स के लिए बुकिंग करने में मदद करता है। कंपनी ने हाल ही में आस्ट्रेलिया में कारोबार शुरू किया है। इस समय कंपनी का रेवेन्यू 20 करोड़ से ज्यादा है। कंपनी में पेटीएम के फाउंडर विजय शेखर शर्मा के इन्वेस्टमेंट की भी बात चल रही है।

24 साल की उम्र में शुरू किया इवेंट का कारोबार

दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन के बाद दीप्ति ने सीए की तैयारी शुरू की लेकिन पढ़ाई और जाॅब में ज्यादा इंटरेस्ट नहीं होने के कारण सीए फाइनल ईयर ड्रॉप कर दिया और इवेंट का कारोबार शुरू किया। तब दीप्ति सिर्फ 24 साल की थीं। वो बताती हैं कि उन्होंने इवेंट का कारोबार पार्टनरशिप में शुरू किया था। कुछ स्पॉन्सरशिप भी मिली थी। वह कहती हैं, 2014 की 31 दिसंबर की रात दिल्ली में सबसे बड़े इवेंट का जिम्मा उनकी कंपनी को मिला था।

2016 में दीप्ति ने 50 हजार से डिजिटल होर्डिंग्स का कारोबार शुरू किया। अपनी मेहनत की बदौलत उन्होंने महज दो साल में ही 12 करोड़ का टर्नओवर हासिल कर कर लिया।

उसमें कई सेलिब्रिटीज शिरकत करने वाले थे, लेकिन इवेंट से ठीक कुछ समय पहले स्पांसर्स ने हाथ खड़े कर दिए। स्पांसर्स के हटते ही इवेंट पार्टनर भी साथ छोड़कर चला गया। हालात यह हो गई कि उस इवेंट के टिकट ज्यादा नहीं बिके और मुझे करीब 40 लाख रुपए का नुकसान झेलना पड़ा। वह कहती हैं, उस समय मेरे पास करो या मरो जैसे हालात हो गए थे। हालांकि, मैंने भागने की बजाय खुद का पैसा लगाकर कार्यक्रम का आयोजन किसी तरह संपन्न किया।

नुकसान की भरपाई घर बेच कर की

30 साल की दीप्ति बताती हैं, इवेंट के कारोबार में नुकसान की भरपाई के लिए हमें अपना घर बेचना पड़ा। हम कई सालों तक किराए के घर में रहे। पड़ोसी और संबंधियों ने ताने मारने शुरू कर दिए थे। लोगों ने तो यहां तक कह दिया कि बेटी को सिर पर चढ़ाने का यह नतीजा है और बनाओ आत्मनिर्भर।

कारोबार में नुकसान, घर बेचने का दर्द और सगे संबंधियों के तानों ने मुझे इतना परेशान कर दिया कि मैं डिप्रेशन में चली गई थी। मैंने कई दिनों तक खुद को एक कमरे में बंद कर लिया था। हालांकि, मेरी मां और पिता ने कभी साथ नहीं छोड़ा। उन्होंने पूरा सपोर्ट किया।

आज दीप्ति की कंपनी का टर्नओवर 20 करोड़ रुपए से ज्यादा है। इस समय उनकी कंपनी में करीब 30-40 लोगों की एक टीम काम कर रही है।

दीप्ति कहती हैं, इस हादसे के करीब तीन माह बाद ही मैंने घर वालों के कहने पर शादी कर ली। एक तरह से अपने करियर और सपनों से समझौता कर लिया। हालांकि, इसे मेरी किस्मत कह सकते हैं कि मुझे सपोर्टिव पति के रूप में विकास शर्मा मिले। जब विकास को मेरे सपनों के बारे में पता चला, तब उन्होंने मुझे दोबारा बिजनेस के लिए प्रोत्साहित किया और फिर वहीं से जिंदगी में एक यूटर्न आया और शुरू हुआ डिजिटल होर्डिंग्स का कारोबार।

50 हजार लगाकर शुरू किया कारोबार

दीप्ति बताती हैं, मैंने 2016 में बहुत ही छोटी रकम 50 हजार से डिजिटल होर्डिंग्स का कारोबार शुरू किया। इसमें विकास का आइडिएशन से लेकर फाइनेंशियल तक काफी सपोर्ट मिला। डिजिटल होर्डिंग्स कारोबार को शुरू करने के पीछे वजह बताते हुए दीप्ति कहती हैं, हमने जब इस पर रिसर्च किया तो पाया कि यह फील्ड काफी अनऑर्गनाइज्ड तरीके से काम कर रहा है।

जहां कुछ भी क्लियर नहीं है। एक होर्डिंग लगवाने के लिए लोगों को काफी मशक्कत करनी पड़ती है। तभी सोचा कि क्यों न खुद की कंपनी स्थापित की जाए जहां सिर्फ एक क्लिक में होर्डिंग्स लगवाने का काम हो जाए। दीप्ति कहती हैं, विकास दिल्ली के ही एक टेक कंपनी में काम करते हैं। कारोबार को शुरू करने में उनसे मुझे तकनीकी तौर पर काफी हेल्प मिली।

वहीं, मार्केटिंग और अकाउंट में मेरी नॉलेज अच्छी है। इसका मुझे यहां फायदा मिला। इस तरह हमने अपने दम पर कारोबार शुरू कर दिया। दीप्ति का यह आइडिया इतना सही था कि अपनी मेहनत की बदौलत उन्होंने महज दो साल में ही 12 करोड़ का टर्नओवर हासिल कर कर लिया और यह साल दर साल बढ़ता ही चला गया।

दीप्ति की कंपनी ने हाल ही में आस्ट्रेलिया में कारोबार शुरू किया है, उन्हें कई अवार्ड्स भी मिल चुके हैं।

आज दीप्ति की कंपनी का टर्नओवर 20 करोड़ रुपए से ज्यादा है। इस समय उनकी कंपनी में करीब 30-40 लोगों की एक टीम काम कर रही है। वह खुद भी सुबह 9 से रात के 11 बजे तक लगातार काम करती हैं। इसमें उसके पति भी पूरा सहयोग देते हैं।

जानिए, यह स्टार्टअप कैसे काम करता है ?

दीप्ति के मुताबिक, सबसे पहले हमारे वेबसाइट पर कस्टमर को लॉगइन करना होता है। इसके बाद वेबसाइट पर जाकर अपने लोकेशन (जहां उसे होर्डिंग लगवानी है) सर्च करके सिलेक्ट करना होता है। लोकेशन सिलेक्ट होने के बाद हमारे पास एक मेल आता है। उसके बाद कंपनी की तरफ से साइट और लोकेशन की उपलब्धता की कन्फर्मेशन भेजी जाती है। फिर कस्टमर की तरफ से आर्टवर्क और ऑर्डर आते हैं।

इसके बाद हम उन्हें लोकेशन साइट पर लाइव होने के लिए एक आईडी एंड पासवर्ड उपलब्ध कराते हैं, ताकि कस्टमर अपने काम का करंट स्टेटस लाइव ट्रैक कर सके। बता दें कि यह कंपनी एक होर्डिंग को एक माह की अवधि तक लगवाने के लिए लगभग 1 लाख रुपए लेती है। हालांकि, दीप्ति कहती हैं कि होर्डिंग की कीमत विभिन्न राज्यों और लोकेशन वाइज निर्भर करता है।

...और अंत में दीप्ति कहती हैं, किसी भी काम को शुरू करने के लिए उसका बैकग्राउंड जानना बहुत जरूरी है। उस पर बहुत ज्यादा रिसर्च करना चाहिए। सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता है इसके लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है।



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October 26, 2020 at 06:13AM
https://ift.tt/2HBTTlf दिल्ली की रहने वाली दीप्ति अवस्थी शर्मा आउटडोर एडवर्टाइजिंग स्टार्टअप गोहोर्डिंग्स डॉट काॅम (Gohoardings.com) की फाउंडर हैं। साथ में एक सफल हाउस वाइफ और एक मां हैं। नोएडा स्थित यह स्टार्टअप देशभर में कहीं भी कभी भी ऑनलाइन होर्डिंग्स के लिए बुकिंग करने में मदद करता है। कंपनी ने हाल ही में आस्ट्रेलिया में कारोबार शुरू किया है। इस समय कंपनी का रेवेन्यू 20 करोड़ से ज्यादा है। कंपनी में पेटीएम के फाउंडर विजय शेखर शर्मा के इन्वेस्टमेंट की भी बात चल रही है। 24 साल की उम्र में शुरू किया इवेंट का कारोबार दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन के बाद दीप्ति ने सीए की तैयारी शुरू की लेकिन पढ़ाई और जाॅब में ज्यादा इंटरेस्ट नहीं होने के कारण सीए फाइनल ईयर ड्रॉप कर दिया और इवेंट का कारोबार शुरू किया। तब दीप्ति सिर्फ 24 साल की थीं। वो बताती हैं कि उन्होंने इवेंट का कारोबार पार्टनरशिप में शुरू किया था। कुछ स्पॉन्सरशिप भी मिली थी। वह कहती हैं, 2014 की 31 दिसंबर की रात दिल्ली में सबसे बड़े इवेंट का जिम्मा उनकी कंपनी को मिला था। 2016 में दीप्ति ने 50 हजार से डिजिटल होर्डिंग्स का कारोबार शुरू किया। अपनी मेहनत की बदौलत उन्होंने महज दो साल में ही 12 करोड़ का टर्नओवर हासिल कर कर लिया। उसमें कई सेलिब्रिटीज शिरकत करने वाले थे, लेकिन इवेंट से ठीक कुछ समय पहले स्पांसर्स ने हाथ खड़े कर दिए। स्पांसर्स के हटते ही इवेंट पार्टनर भी साथ छोड़कर चला गया। हालात यह हो गई कि उस इवेंट के टिकट ज्यादा नहीं बिके और मुझे करीब 40 लाख रुपए का नुकसान झेलना पड़ा। वह कहती हैं, उस समय मेरे पास करो या मरो जैसे हालात हो गए थे। हालांकि, मैंने भागने की बजाय खुद का पैसा लगाकर कार्यक्रम का आयोजन किसी तरह संपन्न किया। नुकसान की भरपाई घर बेच कर की 30 साल की दीप्ति बताती हैं, इवेंट के कारोबार में नुकसान की भरपाई के लिए हमें अपना घर बेचना पड़ा। हम कई सालों तक किराए के घर में रहे। पड़ोसी और संबंधियों ने ताने मारने शुरू कर दिए थे। लोगों ने तो यहां तक कह दिया कि बेटी को सिर पर चढ़ाने का यह नतीजा है और बनाओ आत्मनिर्भर। कारोबार में नुकसान, घर बेचने का दर्द और सगे संबंधियों के तानों ने मुझे इतना परेशान कर दिया कि मैं डिप्रेशन में चली गई थी। मैंने कई दिनों तक खुद को एक कमरे में बंद कर लिया था। हालांकि, मेरी मां और पिता ने कभी साथ नहीं छोड़ा। उन्होंने पूरा सपोर्ट किया। आज दीप्ति की कंपनी का टर्नओवर 20 करोड़ रुपए से ज्यादा है। इस समय उनकी कंपनी में करीब 30-40 लोगों की एक टीम काम कर रही है। दीप्ति कहती हैं, इस हादसे के करीब तीन माह बाद ही मैंने घर वालों के कहने पर शादी कर ली। एक तरह से अपने करियर और सपनों से समझौता कर लिया। हालांकि, इसे मेरी किस्मत कह सकते हैं कि मुझे सपोर्टिव पति के रूप में विकास शर्मा मिले। जब विकास को मेरे सपनों के बारे में पता चला, तब उन्होंने मुझे दोबारा बिजनेस के लिए प्रोत्साहित किया और फिर वहीं से जिंदगी में एक यूटर्न आया और शुरू हुआ डिजिटल होर्डिंग्स का कारोबार। 50 हजार लगाकर शुरू किया कारोबार दीप्ति बताती हैं, मैंने 2016 में बहुत ही छोटी रकम 50 हजार से डिजिटल होर्डिंग्स का कारोबार शुरू किया। इसमें विकास का आइडिएशन से लेकर फाइनेंशियल तक काफी सपोर्ट मिला। डिजिटल होर्डिंग्स कारोबार को शुरू करने के पीछे वजह बताते हुए दीप्ति कहती हैं, हमने जब इस पर रिसर्च किया तो पाया कि यह फील्ड काफी अनऑर्गनाइज्ड तरीके से काम कर रहा है। जहां कुछ भी क्लियर नहीं है। एक होर्डिंग लगवाने के लिए लोगों को काफी मशक्कत करनी पड़ती है। तभी सोचा कि क्यों न खुद की कंपनी स्थापित की जाए जहां सिर्फ एक क्लिक में होर्डिंग्स लगवाने का काम हो जाए। दीप्ति कहती हैं, विकास दिल्ली के ही एक टेक कंपनी में काम करते हैं। कारोबार को शुरू करने में उनसे मुझे तकनीकी तौर पर काफी हेल्प मिली। वहीं, मार्केटिंग और अकाउंट में मेरी नॉलेज अच्छी है। इसका मुझे यहां फायदा मिला। इस तरह हमने अपने दम पर कारोबार शुरू कर दिया। दीप्ति का यह आइडिया इतना सही था कि अपनी मेहनत की बदौलत उन्होंने महज दो साल में ही 12 करोड़ का टर्नओवर हासिल कर कर लिया और यह साल दर साल बढ़ता ही चला गया। दीप्ति की कंपनी ने हाल ही में आस्ट्रेलिया में कारोबार शुरू किया है, उन्हें कई अवार्ड्स भी मिल चुके हैं। आज दीप्ति की कंपनी का टर्नओवर 20 करोड़ रुपए से ज्यादा है। इस समय उनकी कंपनी में करीब 30-40 लोगों की एक टीम काम कर रही है। वह खुद भी सुबह 9 से रात के 11 बजे तक लगातार काम करती हैं। इसमें उसके पति भी पूरा सहयोग देते हैं। जानिए, यह स्टार्टअप कैसे काम करता है ? दीप्ति के मुताबिक, सबसे पहले हमारे वेबसाइट पर कस्टमर को लॉगइन करना होता है। इसके बाद वेबसाइट पर जाकर अपने लोकेशन (जहां उसे होर्डिंग लगवानी है) सर्च करके सिलेक्ट करना होता है। लोकेशन सिलेक्ट होने के बाद हमारे पास एक मेल आता है। उसके बाद कंपनी की तरफ से साइट और लोकेशन की उपलब्धता की कन्फर्मेशन भेजी जाती है। फिर कस्टमर की तरफ से आर्टवर्क और ऑर्डर आते हैं। इसके बाद हम उन्हें लोकेशन साइट पर लाइव होने के लिए एक आईडी एंड पासवर्ड उपलब्ध कराते हैं, ताकि कस्टमर अपने काम का करंट स्टेटस लाइव ट्रैक कर सके। बता दें कि यह कंपनी एक होर्डिंग को एक माह की अवधि तक लगवाने के लिए लगभग 1 लाख रुपए लेती है। हालांकि, दीप्ति कहती हैं कि होर्डिंग की कीमत विभिन्न राज्यों और लोकेशन वाइज निर्भर करता है। ...और अंत में दीप्ति कहती हैं, किसी भी काम को शुरू करने के लिए उसका बैकग्राउंड जानना बहुत जरूरी है। उस पर बहुत ज्यादा रिसर्च करना चाहिए। सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता है इसके लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें How a CA dropout and a software engineer created an online portal for OOH advertising from Dainik Bhaskar https://ift.tt/37JIP06 via IFTTT https://ift.tt/2TCxGWV दिल्ली की रहने वाली दीप्ति अवस्थी शर्मा आउटडोर एडवर्टाइजिंग स्टार्टअप गोहोर्डिंग्स डॉट काॅम (Gohoardings.com) की फाउंडर हैं। साथ में एक सफल हाउस वाइफ और एक मां हैं। नोएडा स्थित यह स्टार्टअप देशभर में कहीं भी कभी भी ऑनलाइन होर्डिंग्स के लिए बुकिंग करने में मदद करता है। कंपनी ने हाल ही में आस्ट्रेलिया में कारोबार शुरू किया है। इस समय कंपनी का रेवेन्यू 20 करोड़ से ज्यादा है। कंपनी में पेटीएम के फाउंडर विजय शेखर शर्मा के इन्वेस्टमेंट की भी बात चल रही है। 24 साल की उम्र में शुरू किया इवेंट का कारोबार दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन के बाद दीप्ति ने सीए की तैयारी शुरू की लेकिन पढ़ाई और जाॅब में ज्यादा इंटरेस्ट नहीं होने के कारण सीए फाइनल ईयर ड्रॉप कर दिया और इवेंट का कारोबार शुरू किया। तब दीप्ति सिर्फ 24 साल की थीं। वो बताती हैं कि उन्होंने इवेंट का कारोबार पार्टनरशिप में शुरू किया था। कुछ स्पॉन्सरशिप भी मिली थी। वह कहती हैं, 2014 की 31 दिसंबर की रात दिल्ली में सबसे बड़े इवेंट का जिम्मा उनकी कंपनी को मिला था। 2016 में दीप्ति ने 50 हजार से डिजिटल होर्डिंग्स का कारोबार शुरू किया। अपनी मेहनत की बदौलत उन्होंने महज दो साल में ही 12 करोड़ का टर्नओवर हासिल कर कर लिया। उसमें कई सेलिब्रिटीज शिरकत करने वाले थे, लेकिन इवेंट से ठीक कुछ समय पहले स्पांसर्स ने हाथ खड़े कर दिए। स्पांसर्स के हटते ही इवेंट पार्टनर भी साथ छोड़कर चला गया। हालात यह हो गई कि उस इवेंट के टिकट ज्यादा नहीं बिके और मुझे करीब 40 लाख रुपए का नुकसान झेलना पड़ा। वह कहती हैं, उस समय मेरे पास करो या मरो जैसे हालात हो गए थे। हालांकि, मैंने भागने की बजाय खुद का पैसा लगाकर कार्यक्रम का आयोजन किसी तरह संपन्न किया। नुकसान की भरपाई घर बेच कर की 30 साल की दीप्ति बताती हैं, इवेंट के कारोबार में नुकसान की भरपाई के लिए हमें अपना घर बेचना पड़ा। हम कई सालों तक किराए के घर में रहे। पड़ोसी और संबंधियों ने ताने मारने शुरू कर दिए थे। लोगों ने तो यहां तक कह दिया कि बेटी को सिर पर चढ़ाने का यह नतीजा है और बनाओ आत्मनिर्भर। कारोबार में नुकसान, घर बेचने का दर्द और सगे संबंधियों के तानों ने मुझे इतना परेशान कर दिया कि मैं डिप्रेशन में चली गई थी। मैंने कई दिनों तक खुद को एक कमरे में बंद कर लिया था। हालांकि, मेरी मां और पिता ने कभी साथ नहीं छोड़ा। उन्होंने पूरा सपोर्ट किया। आज दीप्ति की कंपनी का टर्नओवर 20 करोड़ रुपए से ज्यादा है। इस समय उनकी कंपनी में करीब 30-40 लोगों की एक टीम काम कर रही है। दीप्ति कहती हैं, इस हादसे के करीब तीन माह बाद ही मैंने घर वालों के कहने पर शादी कर ली। एक तरह से अपने करियर और सपनों से समझौता कर लिया। हालांकि, इसे मेरी किस्मत कह सकते हैं कि मुझे सपोर्टिव पति के रूप में विकास शर्मा मिले। जब विकास को मेरे सपनों के बारे में पता चला, तब उन्होंने मुझे दोबारा बिजनेस के लिए प्रोत्साहित किया और फिर वहीं से जिंदगी में एक यूटर्न आया और शुरू हुआ डिजिटल होर्डिंग्स का कारोबार। 50 हजार लगाकर शुरू किया कारोबार दीप्ति बताती हैं, मैंने 2016 में बहुत ही छोटी रकम 50 हजार से डिजिटल होर्डिंग्स का कारोबार शुरू किया। इसमें विकास का आइडिएशन से लेकर फाइनेंशियल तक काफी सपोर्ट मिला। डिजिटल होर्डिंग्स कारोबार को शुरू करने के पीछे वजह बताते हुए दीप्ति कहती हैं, हमने जब इस पर रिसर्च किया तो पाया कि यह फील्ड काफी अनऑर्गनाइज्ड तरीके से काम कर रहा है। जहां कुछ भी क्लियर नहीं है। एक होर्डिंग लगवाने के लिए लोगों को काफी मशक्कत करनी पड़ती है। तभी सोचा कि क्यों न खुद की कंपनी स्थापित की जाए जहां सिर्फ एक क्लिक में होर्डिंग्स लगवाने का काम हो जाए। दीप्ति कहती हैं, विकास दिल्ली के ही एक टेक कंपनी में काम करते हैं। कारोबार को शुरू करने में उनसे मुझे तकनीकी तौर पर काफी हेल्प मिली। वहीं, मार्केटिंग और अकाउंट में मेरी नॉलेज अच्छी है। इसका मुझे यहां फायदा मिला। इस तरह हमने अपने दम पर कारोबार शुरू कर दिया। दीप्ति का यह आइडिया इतना सही था कि अपनी मेहनत की बदौलत उन्होंने महज दो साल में ही 12 करोड़ का टर्नओवर हासिल कर कर लिया और यह साल दर साल बढ़ता ही चला गया। दीप्ति की कंपनी ने हाल ही में आस्ट्रेलिया में कारोबार शुरू किया है, उन्हें कई अवार्ड्स भी मिल चुके हैं। आज दीप्ति की कंपनी का टर्नओवर 20 करोड़ रुपए से ज्यादा है। इस समय उनकी कंपनी में करीब 30-40 लोगों की एक टीम काम कर रही है। वह खुद भी सुबह 9 से रात के 11 बजे तक लगातार काम करती हैं। इसमें उसके पति भी पूरा सहयोग देते हैं। जानिए, यह स्टार्टअप कैसे काम करता है ? दीप्ति के मुताबिक, सबसे पहले हमारे वेबसाइट पर कस्टमर को लॉगइन करना होता है। इसके बाद वेबसाइट पर जाकर अपने लोकेशन (जहां उसे होर्डिंग लगवानी है) सर्च करके सिलेक्ट करना होता है। लोकेशन सिलेक्ट होने के बाद हमारे पास एक मेल आता है। उसके बाद कंपनी की तरफ से साइट और लोकेशन की उपलब्धता की कन्फर्मेशन भेजी जाती है। फिर कस्टमर की तरफ से आर्टवर्क और ऑर्डर आते हैं। इसके बाद हम उन्हें लोकेशन साइट पर लाइव होने के लिए एक आईडी एंड पासवर्ड उपलब्ध कराते हैं, ताकि कस्टमर अपने काम का करंट स्टेटस लाइव ट्रैक कर सके। बता दें कि यह कंपनी एक होर्डिंग को एक माह की अवधि तक लगवाने के लिए लगभग 1 लाख रुपए लेती है। हालांकि, दीप्ति कहती हैं कि होर्डिंग की कीमत विभिन्न राज्यों और लोकेशन वाइज निर्भर करता है। ...और अंत में दीप्ति कहती हैं, किसी भी काम को शुरू करने के लिए उसका बैकग्राउंड जानना बहुत जरूरी है। उस पर बहुत ज्यादा रिसर्च करना चाहिए। सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता है इसके लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें How a CA dropout and a software engineer created an online portal for OOH advertising https://ift.tt/2HBTTlf Dainik Bhaskar घर बेचकर चुकाया था बिजनेस में हुआ नुकसान, अब डिजिटल होर्डिंग्स के काम से 20 करोड़ पहुंचा टर्नओवर https://ift.tt/2HBTTlf 

दिल्ली की रहने वाली दीप्ति अवस्थी शर्मा आउटडोर एडवर्टाइजिंग स्टार्टअप गोहोर्डिंग्स डॉट काॅम (Gohoardings.com) की फाउंडर हैं। साथ में एक सफल हाउस वाइफ और एक मां हैं। नोएडा स्थित यह स्टार्टअप देशभर में कहीं भी कभी भी ऑनलाइन होर्डिंग्स के लिए बुकिंग करने में मदद करता है। कंपनी ने हाल ही में आस्ट्रेलिया में कारोबार शुरू किया है। इस समय कंपनी का रेवेन्यू 20 करोड़ से ज्यादा है। कंपनी में पेटीएम के फाउंडर विजय शेखर शर्मा के इन्वेस्टमेंट की भी बात चल रही है।

24 साल की उम्र में शुरू किया इवेंट का कारोबार

दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन के बाद दीप्ति ने सीए की तैयारी शुरू की लेकिन पढ़ाई और जाॅब में ज्यादा इंटरेस्ट नहीं होने के कारण सीए फाइनल ईयर ड्रॉप कर दिया और इवेंट का कारोबार शुरू किया। तब दीप्ति सिर्फ 24 साल की थीं। वो बताती हैं कि उन्होंने इवेंट का कारोबार पार्टनरशिप में शुरू किया था। कुछ स्पॉन्सरशिप भी मिली थी। वह कहती हैं, 2014 की 31 दिसंबर की रात दिल्ली में सबसे बड़े इवेंट का जिम्मा उनकी कंपनी को मिला था।

2016 में दीप्ति ने 50 हजार से डिजिटल होर्डिंग्स का कारोबार शुरू किया। अपनी मेहनत की बदौलत उन्होंने महज दो साल में ही 12 करोड़ का टर्नओवर हासिल कर कर लिया।

उसमें कई सेलिब्रिटीज शिरकत करने वाले थे, लेकिन इवेंट से ठीक कुछ समय पहले स्पांसर्स ने हाथ खड़े कर दिए। स्पांसर्स के हटते ही इवेंट पार्टनर भी साथ छोड़कर चला गया। हालात यह हो गई कि उस इवेंट के टिकट ज्यादा नहीं बिके और मुझे करीब 40 लाख रुपए का नुकसान झेलना पड़ा। वह कहती हैं, उस समय मेरे पास करो या मरो जैसे हालात हो गए थे। हालांकि, मैंने भागने की बजाय खुद का पैसा लगाकर कार्यक्रम का आयोजन किसी तरह संपन्न किया।

नुकसान की भरपाई घर बेच कर की

30 साल की दीप्ति बताती हैं, इवेंट के कारोबार में नुकसान की भरपाई के लिए हमें अपना घर बेचना पड़ा। हम कई सालों तक किराए के घर में रहे। पड़ोसी और संबंधियों ने ताने मारने शुरू कर दिए थे। लोगों ने तो यहां तक कह दिया कि बेटी को सिर पर चढ़ाने का यह नतीजा है और बनाओ आत्मनिर्भर।

कारोबार में नुकसान, घर बेचने का दर्द और सगे संबंधियों के तानों ने मुझे इतना परेशान कर दिया कि मैं डिप्रेशन में चली गई थी। मैंने कई दिनों तक खुद को एक कमरे में बंद कर लिया था। हालांकि, मेरी मां और पिता ने कभी साथ नहीं छोड़ा। उन्होंने पूरा सपोर्ट किया।

आज दीप्ति की कंपनी का टर्नओवर 20 करोड़ रुपए से ज्यादा है। इस समय उनकी कंपनी में करीब 30-40 लोगों की एक टीम काम कर रही है।

दीप्ति कहती हैं, इस हादसे के करीब तीन माह बाद ही मैंने घर वालों के कहने पर शादी कर ली। एक तरह से अपने करियर और सपनों से समझौता कर लिया। हालांकि, इसे मेरी किस्मत कह सकते हैं कि मुझे सपोर्टिव पति के रूप में विकास शर्मा मिले। जब विकास को मेरे सपनों के बारे में पता चला, तब उन्होंने मुझे दोबारा बिजनेस के लिए प्रोत्साहित किया और फिर वहीं से जिंदगी में एक यूटर्न आया और शुरू हुआ डिजिटल होर्डिंग्स का कारोबार।

50 हजार लगाकर शुरू किया कारोबार

दीप्ति बताती हैं, मैंने 2016 में बहुत ही छोटी रकम 50 हजार से डिजिटल होर्डिंग्स का कारोबार शुरू किया। इसमें विकास का आइडिएशन से लेकर फाइनेंशियल तक काफी सपोर्ट मिला। डिजिटल होर्डिंग्स कारोबार को शुरू करने के पीछे वजह बताते हुए दीप्ति कहती हैं, हमने जब इस पर रिसर्च किया तो पाया कि यह फील्ड काफी अनऑर्गनाइज्ड तरीके से काम कर रहा है।

जहां कुछ भी क्लियर नहीं है। एक होर्डिंग लगवाने के लिए लोगों को काफी मशक्कत करनी पड़ती है। तभी सोचा कि क्यों न खुद की कंपनी स्थापित की जाए जहां सिर्फ एक क्लिक में होर्डिंग्स लगवाने का काम हो जाए। दीप्ति कहती हैं, विकास दिल्ली के ही एक टेक कंपनी में काम करते हैं। कारोबार को शुरू करने में उनसे मुझे तकनीकी तौर पर काफी हेल्प मिली।

वहीं, मार्केटिंग और अकाउंट में मेरी नॉलेज अच्छी है। इसका मुझे यहां फायदा मिला। इस तरह हमने अपने दम पर कारोबार शुरू कर दिया। दीप्ति का यह आइडिया इतना सही था कि अपनी मेहनत की बदौलत उन्होंने महज दो साल में ही 12 करोड़ का टर्नओवर हासिल कर कर लिया और यह साल दर साल बढ़ता ही चला गया।

दीप्ति की कंपनी ने हाल ही में आस्ट्रेलिया में कारोबार शुरू किया है, उन्हें कई अवार्ड्स भी मिल चुके हैं।

आज दीप्ति की कंपनी का टर्नओवर 20 करोड़ रुपए से ज्यादा है। इस समय उनकी कंपनी में करीब 30-40 लोगों की एक टीम काम कर रही है। वह खुद भी सुबह 9 से रात के 11 बजे तक लगातार काम करती हैं। इसमें उसके पति भी पूरा सहयोग देते हैं।

जानिए, यह स्टार्टअप कैसे काम करता है ?

दीप्ति के मुताबिक, सबसे पहले हमारे वेबसाइट पर कस्टमर को लॉगइन करना होता है। इसके बाद वेबसाइट पर जाकर अपने लोकेशन (जहां उसे होर्डिंग लगवानी है) सर्च करके सिलेक्ट करना होता है। लोकेशन सिलेक्ट होने के बाद हमारे पास एक मेल आता है। उसके बाद कंपनी की तरफ से साइट और लोकेशन की उपलब्धता की कन्फर्मेशन भेजी जाती है। फिर कस्टमर की तरफ से आर्टवर्क और ऑर्डर आते हैं।

इसके बाद हम उन्हें लोकेशन साइट पर लाइव होने के लिए एक आईडी एंड पासवर्ड उपलब्ध कराते हैं, ताकि कस्टमर अपने काम का करंट स्टेटस लाइव ट्रैक कर सके। बता दें कि यह कंपनी एक होर्डिंग को एक माह की अवधि तक लगवाने के लिए लगभग 1 लाख रुपए लेती है। हालांकि, दीप्ति कहती हैं कि होर्डिंग की कीमत विभिन्न राज्यों और लोकेशन वाइज निर्भर करता है।

...और अंत में दीप्ति कहती हैं, किसी भी काम को शुरू करने के लिए उसका बैकग्राउंड जानना बहुत जरूरी है। उस पर बहुत ज्यादा रिसर्च करना चाहिए। सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता है इसके लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है।

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दीप्ति के मुताबिक, सबसे पहले हमारे वेबसाइट पर कस्टमर को लॉगइन करना होता है। इसके बाद वेबसाइट पर जाकर अपने लोकेशन (जहां उसे होर्डिंग लगवानी है) सर्च करके सिलेक्ट करना होता है। लोकेशन सिलेक्ट होने के बाद हमारे पास एक मेल आता है। उसके बाद कंपनी की तरफ से साइट और लोकेशन की उपलब्धता की कन्फर्मेशन भेजी जाती है। फिर कस्टमर की तरफ से आर्टवर्क और ऑर्डर आते हैं। इसके बाद हम उन्हें लोकेशन साइट पर लाइव होने के लिए एक आईडी एंड पासवर्ड उपलब्ध कराते हैं, ताकि कस्टमर अपने काम का करंट स्टेटस लाइव ट्रैक कर सके। बता दें कि यह कंपनी एक होर्डिंग को एक माह की अवधि तक लगवाने के लिए लगभग 1 लाख रुपए लेती है। हालांकि, दीप्ति कहती हैं कि होर्डिंग की कीमत विभिन्न राज्यों और लोकेशन वाइज निर्भर करता है। ...और अंत में दीप्ति कहती हैं, किसी भी काम को शुरू करने के लिए उसका बैकग्राउंड जानना बहुत जरूरी है। उस पर बहुत ज्यादा रिसर्च करना चाहिए। सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता है इसके लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें How a CA dropout and a software engineer created an online portal for OOH advertising https://ift.tt/2HBTTlf Dainik Bhaskar घर बेचकर चुकाया था बिजनेस में हुआ नुकसान, अब डिजिटल होर्डिंग्स के काम से 20 करोड़ पहुंचा टर्नओवर Reviewed by Manish Pethev on October 26, 2020 Rating: 5

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