https://ift.tt/2HJuUN1 79 साल की हैं कोकिला पारेख। मुंबई के सांताक्रूज वेस्ट में रहती हैं। सालों से घर आए मेहमानों को अपनी स्पेशल मसाला चाय पिलाती रही हैं। जो चाय पीता था, वही पूछता था कि आखिर इसमें डाला क्या है। लॉकडाउन में बेटा, बहू घर पर ही थे तो प्लान किया कि क्यों न मां के हाथों का टेस्ट पूरी दुनिया तक पहुंचाया जाए। इस तरह घर से ही शुरू हो गया चाय मसाला बेचने का बिजनेस। महीनेभर के अंदर ही दिनभर में 700 से 800 ऑर्डर मिलने लगे। पढ़ें कोकिला पारेख की सक्सेस की कहानी... रिलेटिव, फ्रेंड्स को फ्री में देती थीं कोकिला बताती हैं कि मैं अहमदाबाद की रहने वाली हूं, शादी के बाद मुंबई में बस गई। गुजराती फैमिली में चाय में मसाला डाला ही जाता है। हमारे घर तो पीढ़ियों से चाय मसाला बनते आ रहा है। मुंबई आने के बाद मैं यहां भी मसाला बनाया करती थी। हम बहुत से रिलेटिव, फैमिली फ्रेंड्स को यूं ही मसाला दिया भी करते थे। कुछ लोग तो खास तौर पर मसाला लेने ही आते थे। कोकिला पारेख सालों से चाय मसाला बनाती आ रही हैं, लेकिन पहले उन्होंने कभी इसे कमर्शियल तौर पर लॉन्च करने का नहीं सोचा था। वो कहती हैं- लॉकडाउन में बेटे तुषार का काम घर से ही चल रहा था। एक दिन बातों-बातों में ही ये बात निकली कि क्यों न इस चाय मसाले को कमर्शियल किया जाए। बेटे और बहू प्रीति ने पैकेजिंग, डिजाइनिंग और वेंडर तक मसाला पहुंचाने की जिम्मेदारी ली। मुझे सिर्फ अच्छा मसाला तैयार करवाना था। हमने सोचा कोशिश करने में क्या बुराई है। वॉट्सऐप ग्रुप पर पोस्ट किया हमने सितंबर में ये सब प्लान किया और अक्टूबर के पहले वीक में ज्यादा क्वांटिटी में मसाला तैयार किया। बहू और बेटे ने वॉट्सऐप ग्रुप में मसाले के बारे में पोस्ट किया। जो लोग पहले से ले जाते रहे हैं, उन्हें भी बताया कि हमने कमर्शियल प्रोडक्शन शुरू किया है, आप चाहें तो ऑर्डर कर सकते हैं। पोस्ट करते ही हमें अच्छा रिस्पॉन्स मिला। सितंबर के आखिर तक हर रोज 250 ऑर्डर तक पहुंच चुके थे। न कहीं प्रमोशन किया, न विज्ञापन दिया। बस वॉट्सऐप ग्रुप और फैमिली फ्रेंड्स तक मैसेज फॉरवर्ड किया था। कोकिला कहती हैं, मुझे इस बात की बहुत खुशी है कि मेरे मसाले का टेस्ट अब कई लोगों तक पहुंच रहा है। वो बताती हैं, "माउथ पब्लिसिटी से ही मुंबई के साथ ही गुड़गांव, दिल्ली, अहमदाबाद से भी ऑर्डर मिलने लगे। जब ऑर्डर बढ़े तो एक हेल्पर रख लिया, लेकिन मसाले की मिक्सिंग का काम अब भी मैं ही करती हूं। प्रोडक्शन का पूरा काम बहु ने अपने हाथों में ले लिया और बेटा ऑर्डर से जुड़े काम देखने लगा। अब दिन के 700 से 800 ऑर्डर मिल रहे हैं। हम कुरियर के जरिए सीधे घर तक मसाला पहुंचा रहे हैं। इस मसाले से टेस्ट तो बढ़ता ही है, साथ ही यह इम्यूनिटी और डाइजेशन को भी इम्प्रूव करता है।" पैकेजिंग और लोगो पर काम किया बहू प्रीति बताती हैं- मां को जब हमने बोला कि मसाला कमर्शियल लॉन्च करना है तो वो बहुत खुश हो गईं। वो इस बात से खुश थीं कि उनका मसाला देशभर में जाएगा। कमर्शियल लॉन्चिंग के पहले हमने पैकेजिंग और लोगो पर काफी काम किया। पैकिंग के लिए एयरटाइट पैकेट चुना, ताकि मसाला खराब न हो और महक न जाए। उन्होंने बताया- शुरुआत में रेग्युलर मिक्सर ग्राइंडर ही इस्तेमाल कर रहे थे, जब प्रोडक्शन बढ़ा तो कमर्शियल मिक्सिंग यूनिट खरीद ली। हमने केटी चाय मसाला के नाम से अपनी कंपनी रजिस्टर्ड करवा ली है। अभी काम घर से ही चल रहा है, लेकिन जल्द ही एक छोटी कमर्शियल यूनिट शुरू करेंगे, जहां से पूरा काम होगा। डिस्ट्रीब्यूटरशिप के जरिए काम कर रहे हैं। बिना किसी पब्लिसिटी के श्रीनगर से लेकर अंडमान तक के ऑर्डर आ रहे हैं। ये भी पढ़ें 1 रुपए वाले मटर के पैकेट का बिजनेस शुरू किया, दूसरे महीने कमाई 50 हजार पहुंची, अब खुद की फैक्ट्री सरकारी टीचर ने यूट्यूब पर वीडियो देख खाली वक्त में खेती शुरू की, हर महीने तीन लाख कमाई घर बेचकर बिजनेस में हुए घाटे की भरपाई की, डिजिटल होर्डिंग के काम से 20 करोड़ पहुंचा टर्नओवर उत्तराखंड की दो समधनों ने 3 साल पहले शुरू किया ऑनलाइन गिफ्ट स्टोर, अब सालाना टर्नओवर 2 करोड़ रु. आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें 78 साल की उम्र है, लेकिन मसालों की मिक्सिंग खुद ही करती हैं। कहती हैं कि कुछ भी कम ज्यादा हो गया तो पूरा टेस्ट ही बदल जाता है। from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2TvJxps via IFTTT https://ift.tt/2TyrgI5 79 साल की हैं कोकिला पारेख। मुंबई के सांताक्रूज वेस्ट में रहती हैं। सालों से घर आए मेहमानों को अपनी स्पेशल मसाला चाय पिलाती रही हैं। जो चाय पीता था, वही पूछता था कि आखिर इसमें डाला क्या है। लॉकडाउन में बेटा, बहू घर पर ही थे तो प्लान किया कि क्यों न मां के हाथों का टेस्ट पूरी दुनिया तक पहुंचाया जाए। इस तरह घर से ही शुरू हो गया चाय मसाला बेचने का बिजनेस। महीनेभर के अंदर ही दिनभर में 700 से 800 ऑर्डर मिलने लगे। पढ़ें कोकिला पारेख की सक्सेस की कहानी... रिलेटिव, फ्रेंड्स को फ्री में देती थीं कोकिला बताती हैं कि मैं अहमदाबाद की रहने वाली हूं, शादी के बाद मुंबई में बस गई। गुजराती फैमिली में चाय में मसाला डाला ही जाता है। हमारे घर तो पीढ़ियों से चाय मसाला बनते आ रहा है। मुंबई आने के बाद मैं यहां भी मसाला बनाया करती थी। हम बहुत से रिलेटिव, फैमिली फ्रेंड्स को यूं ही मसाला दिया भी करते थे। कुछ लोग तो खास तौर पर मसाला लेने ही आते थे। कोकिला पारेख सालों से चाय मसाला बनाती आ रही हैं, लेकिन पहले उन्होंने कभी इसे कमर्शियल तौर पर लॉन्च करने का नहीं सोचा था। वो कहती हैं- लॉकडाउन में बेटे तुषार का काम घर से ही चल रहा था। एक दिन बातों-बातों में ही ये बात निकली कि क्यों न इस चाय मसाले को कमर्शियल किया जाए। बेटे और बहू प्रीति ने पैकेजिंग, डिजाइनिंग और वेंडर तक मसाला पहुंचाने की जिम्मेदारी ली। मुझे सिर्फ अच्छा मसाला तैयार करवाना था। हमने सोचा कोशिश करने में क्या बुराई है। वॉट्सऐप ग्रुप पर पोस्ट किया हमने सितंबर में ये सब प्लान किया और अक्टूबर के पहले वीक में ज्यादा क्वांटिटी में मसाला तैयार किया। बहू और बेटे ने वॉट्सऐप ग्रुप में मसाले के बारे में पोस्ट किया। जो लोग पहले से ले जाते रहे हैं, उन्हें भी बताया कि हमने कमर्शियल प्रोडक्शन शुरू किया है, आप चाहें तो ऑर्डर कर सकते हैं। पोस्ट करते ही हमें अच्छा रिस्पॉन्स मिला। सितंबर के आखिर तक हर रोज 250 ऑर्डर तक पहुंच चुके थे। न कहीं प्रमोशन किया, न विज्ञापन दिया। बस वॉट्सऐप ग्रुप और फैमिली फ्रेंड्स तक मैसेज फॉरवर्ड किया था। कोकिला कहती हैं, मुझे इस बात की बहुत खुशी है कि मेरे मसाले का टेस्ट अब कई लोगों तक पहुंच रहा है। वो बताती हैं, "माउथ पब्लिसिटी से ही मुंबई के साथ ही गुड़गांव, दिल्ली, अहमदाबाद से भी ऑर्डर मिलने लगे। जब ऑर्डर बढ़े तो एक हेल्पर रख लिया, लेकिन मसाले की मिक्सिंग का काम अब भी मैं ही करती हूं। प्रोडक्शन का पूरा काम बहु ने अपने हाथों में ले लिया और बेटा ऑर्डर से जुड़े काम देखने लगा। अब दिन के 700 से 800 ऑर्डर मिल रहे हैं। हम कुरियर के जरिए सीधे घर तक मसाला पहुंचा रहे हैं। इस मसाले से टेस्ट तो बढ़ता ही है, साथ ही यह इम्यूनिटी और डाइजेशन को भी इम्प्रूव करता है।" पैकेजिंग और लोगो पर काम किया बहू प्रीति बताती हैं- मां को जब हमने बोला कि मसाला कमर्शियल लॉन्च करना है तो वो बहुत खुश हो गईं। वो इस बात से खुश थीं कि उनका मसाला देशभर में जाएगा। कमर्शियल लॉन्चिंग के पहले हमने पैकेजिंग और लोगो पर काफी काम किया। पैकिंग के लिए एयरटाइट पैकेट चुना, ताकि मसाला खराब न हो और महक न जाए। उन्होंने बताया- शुरुआत में रेग्युलर मिक्सर ग्राइंडर ही इस्तेमाल कर रहे थे, जब प्रोडक्शन बढ़ा तो कमर्शियल मिक्सिंग यूनिट खरीद ली। हमने केटी चाय मसाला के नाम से अपनी कंपनी रजिस्टर्ड करवा ली है। अभी काम घर से ही चल रहा है, लेकिन जल्द ही एक छोटी कमर्शियल यूनिट शुरू करेंगे, जहां से पूरा काम होगा। डिस्ट्रीब्यूटरशिप के जरिए काम कर रहे हैं। बिना किसी पब्लिसिटी के श्रीनगर से लेकर अंडमान तक के ऑर्डर आ रहे हैं। ये भी पढ़ें 1 रुपए वाले मटर के पैकेट का बिजनेस शुरू किया, दूसरे महीने कमाई 50 हजार पहुंची, अब खुद की फैक्ट्री सरकारी टीचर ने यूट्यूब पर वीडियो देख खाली वक्त में खेती शुरू की, हर महीने तीन लाख कमाई घर बेचकर बिजनेस में हुए घाटे की भरपाई की, डिजिटल होर्डिंग के काम से 20 करोड़ पहुंचा टर्नओवर उत्तराखंड की दो समधनों ने 3 साल पहले शुरू किया ऑनलाइन गिफ्ट स्टोर, अब सालाना टर्नओवर 2 करोड़ रु. आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें 78 साल की उम्र है, लेकिन मसालों की मिक्सिंग खुद ही करती हैं। कहती हैं कि कुछ भी कम ज्यादा हो गया तो पूरा टेस्ट ही बदल जाता है। https://ift.tt/2HJuUN1 Dainik Bhaskar 79 साल की उम्र में शुरू किया चाय मसाले का बिजनेस, रोज मिल रहे 800 ऑर्डर, वॉट्सऐप ग्रुप से की थी शुरुआत
79 साल की हैं कोकिला पारेख। मुंबई के सांताक्रूज वेस्ट में रहती हैं। सालों से घर आए मेहमानों को अपनी स्पेशल मसाला चाय पिलाती रही हैं। जो चाय पीता था, वही पूछता था कि आखिर इसमें डाला क्या है। लॉकडाउन में बेटा, बहू घर पर ही थे तो प्लान किया कि क्यों न मां के हाथों का टेस्ट पूरी दुनिया तक पहुंचाया जाए।
इस तरह घर से ही शुरू हो गया चाय मसाला बेचने का बिजनेस। महीनेभर के अंदर ही दिनभर में 700 से 800 ऑर्डर मिलने लगे। पढ़ें कोकिला पारेख की सक्सेस की कहानी...
रिलेटिव, फ्रेंड्स को फ्री में देती थीं
कोकिला बताती हैं कि मैं अहमदाबाद की रहने वाली हूं, शादी के बाद मुंबई में बस गई। गुजराती फैमिली में चाय में मसाला डाला ही जाता है। हमारे घर तो पीढ़ियों से चाय मसाला बनते आ रहा है। मुंबई आने के बाद मैं यहां भी मसाला बनाया करती थी। हम बहुत से रिलेटिव, फैमिली फ्रेंड्स को यूं ही मसाला दिया भी करते थे। कुछ लोग तो खास तौर पर मसाला लेने ही आते थे।
वो कहती हैं- लॉकडाउन में बेटे तुषार का काम घर से ही चल रहा था। एक दिन बातों-बातों में ही ये बात निकली कि क्यों न इस चाय मसाले को कमर्शियल किया जाए। बेटे और बहू प्रीति ने पैकेजिंग, डिजाइनिंग और वेंडर तक मसाला पहुंचाने की जिम्मेदारी ली। मुझे सिर्फ अच्छा मसाला तैयार करवाना था। हमने सोचा कोशिश करने में क्या बुराई है।
वॉट्सऐप ग्रुप पर पोस्ट किया
हमने सितंबर में ये सब प्लान किया और अक्टूबर के पहले वीक में ज्यादा क्वांटिटी में मसाला तैयार किया। बहू और बेटे ने वॉट्सऐप ग्रुप में मसाले के बारे में पोस्ट किया। जो लोग पहले से ले जाते रहे हैं, उन्हें भी बताया कि हमने कमर्शियल प्रोडक्शन शुरू किया है, आप चाहें तो ऑर्डर कर सकते हैं।
पोस्ट करते ही हमें अच्छा रिस्पॉन्स मिला। सितंबर के आखिर तक हर रोज 250 ऑर्डर तक पहुंच चुके थे। न कहीं प्रमोशन किया, न विज्ञापन दिया। बस वॉट्सऐप ग्रुप और फैमिली फ्रेंड्स तक मैसेज फॉरवर्ड किया था।
वो बताती हैं, "माउथ पब्लिसिटी से ही मुंबई के साथ ही गुड़गांव, दिल्ली, अहमदाबाद से भी ऑर्डर मिलने लगे। जब ऑर्डर बढ़े तो एक हेल्पर रख लिया, लेकिन मसाले की मिक्सिंग का काम अब भी मैं ही करती हूं। प्रोडक्शन का पूरा काम बहु ने अपने हाथों में ले लिया और बेटा ऑर्डर से जुड़े काम देखने लगा। अब दिन के 700 से 800 ऑर्डर मिल रहे हैं। हम कुरियर के जरिए सीधे घर तक मसाला पहुंचा रहे हैं। इस मसाले से टेस्ट तो बढ़ता ही है, साथ ही यह इम्यूनिटी और डाइजेशन को भी इम्प्रूव करता है।"
पैकेजिंग और लोगो पर काम किया
बहू प्रीति बताती हैं- मां को जब हमने बोला कि मसाला कमर्शियल लॉन्च करना है तो वो बहुत खुश हो गईं। वो इस बात से खुश थीं कि उनका मसाला देशभर में जाएगा। कमर्शियल लॉन्चिंग के पहले हमने पैकेजिंग और लोगो पर काफी काम किया। पैकिंग के लिए एयरटाइट पैकेट चुना, ताकि मसाला खराब न हो और महक न जाए।
उन्होंने बताया- शुरुआत में रेग्युलर मिक्सर ग्राइंडर ही इस्तेमाल कर रहे थे, जब प्रोडक्शन बढ़ा तो कमर्शियल मिक्सिंग यूनिट खरीद ली। हमने केटी चाय मसाला के नाम से अपनी कंपनी रजिस्टर्ड करवा ली है। अभी काम घर से ही चल रहा है, लेकिन जल्द ही एक छोटी कमर्शियल यूनिट शुरू करेंगे, जहां से पूरा काम होगा। डिस्ट्रीब्यूटरशिप के जरिए काम कर रहे हैं। बिना किसी पब्लिसिटी के श्रीनगर से लेकर अंडमान तक के ऑर्डर आ रहे हैं।
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सरकारी टीचर ने यूट्यूब पर वीडियो देख खाली वक्त में खेती शुरू की, हर महीने तीन लाख कमाई
घर बेचकर बिजनेस में हुए घाटे की भरपाई की, डिजिटल होर्डिंग के काम से 20 करोड़ पहुंचा टर्नओवर
उत्तराखंड की दो समधनों ने 3 साल पहले शुरू किया ऑनलाइन गिफ्ट स्टोर, अब सालाना टर्नओवर 2 करोड़ रु.
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October 29, 2020 at 06:13AM
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