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बात 2015 के विधानसभा चुनाव से कुछ समय पहले की है। पटना में अपने घर श्रीकृष्ण पुरी में बैठे रामविलास पासवान लोगों से मिल रहे थे। उसी घर के दूसरे कमरे में बेटे चिराग लोजपा के कार्यकर्ताओं के साथ मीटिंग कर रहे थे। तब वहां मौजूद लोगों से रामविलास ने बड़े गर्व से कहा- ‘चिराग ने सब संभाल लिया है।’ जब लोगों ने रामविलास से कहा कि आपका बेटा बहुत ज्यादा शहरी दिखता है, जबकि आप जमीनी नेता दिखते हैं। तब मुस्कुराते हुए रामविलास ने कहा- ‘वो दिल्ली में पढ़ा है न।’ खून में राजनीति, सपनों में बॉलीवुड 31 अक्टूबर 1982 को जब चिराग का जन्म हुआ, तब पिता रामविलास लोकसभा के सदस्य थे। बचपन से ही घर पर राजनीतिक माहौल था। उनकी स्कूली पढ़ाई दिल्ली में हुई और झांसी की बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी से कम्प्यूटर इंजीनियरिंग में बीटेक किया। पढ़ाई के बाद न तो राजनीति में आए और न ही किसी टेक कंपनी में नौकरी करने गए। उन्होंने बॉलीवुड का रुख किया। साल 2011 में कंगना रनोट के साथ उनकी फिल्म आई थी, ‘मिले न मिले हम’। 13 करोड़ में बनी ये फिल्म बुरी तरह फ्लॉप हुई थी। इसका बॉक्स ऑफिस कलेक्शन सिर्फ 97 लाख रुपए था। फिल्म के प्रमोशन के दौरान जब उनसे पूछा गया कि राजनीति की बजाय उन्होंने बॉलीवुड को क्यों चुना? तो इस पर चिराग ने जवाब दिया, ‘राजनीति एक ऐसी चीज है, जो मेरी रगों में बहती है। राजनीति से न मैं कभी दूर था, न हूं और न कभी रह सकता हूं। लेकिन, फिलहाल मैंने फिल्मों को अपना पेशा चुना है, क्योंकि मेरा बचपन से सपना था कि मैं अपने आप को बड़े पर्दे पर देखूं।’ हालांकि, चिराग की ये पहली और आखिरी फिल्म थी। इसके बाद उन्हें कोई फिल्म नहीं मिली। फिर राजनीति में आए, 12 साल बाद लोजपा को एनडीए में लेकर आए 28 अक्टूबर 2000 को रामविलास पासवान ने अपनी लोक जनशक्ति पार्टी यानी लोजपा बनाई। लोजपा पहले एनडीए का ही हिस्सा बनी। रामविलास पासवान अटल सरकार में मंत्री भी रहे, लेकिन बाद में एनडीए से अलग हो गए। कहा जाता है कि 2002 में गुजरात दंगों में नरेंद्र मोदी का नाम आने के बाद पासवान ने खुद को एनडीए से अलग कर लिया था। बाद में जब चिराग बॉलीवुड में कामयाब नहीं हो सके, तो उन्होंने अपने पिता की राजनीतिक विरासत संभालने का फैसला लिया। 2014 के लोकसभा चुनाव के वक्त चिराग राजनीति में एक्टिव हुए। लोग बताते हैं, 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले जब नीतीश कुमार एनडीए से अलग हो गए थे, तो चिराग के कहने पर ही लोजपा एनडीए का हिस्सा बनी। उस चुनाव में चिराग जमुई से खड़े हुए और जीते। 2014 में लोजपा 7 सीटों पर लड़ी और 6 जीती। नीतीश के आने पर सीटों का मसला उलझा, तो भाजपा को डेडलाइन दे दी जुलाई 2017 में नीतीश कुमार महागठबंधन छोड़कर दोबारा एनडीए में आ गए। 2019 के लोकसभा चुनाव के वक्त एनडीए में सीट शेयरिंग का मसला उलझ गया। उस समय लोजपा के अध्यक्ष रामविलास पासवान जरूर थे, लेकिन एक तरह से सारा काम चिराग ही संभाल रहे थे। जब कई दिनों की बातचीत के बाद भी एनडीए में सीट शेयरिंग का मसला नहीं सुलझा, तो चिराग ने ट्वीट कर भाजपा को सख्त चेतावनी दे दी। उन्होंने 18 दिसंबर 2018 को ट्वीट किया कि अगर 31 दिसंबर तक सीट शेयरिंग का मसला नहीं सुलझता है, तो नुकसान हो सकता है। नतीजा ये हुआ कि चिराग के ट्वीट के 5 दिन के भीतर ही एनडीए में सीटों का बंटवारा भी हो गया। लोजपा के हिस्से में 6 सीटें आईं और इन सभी सीटों पर जीत भी गई। 6 कंपनियों में शेयर, 90 लाख का बंगला 2014 के बाद 2019 में भी चिराग जमुई से ही लड़े और जीते। इस चुनाव के वक्त उन्होंने जो एफिडेविट दाखिल किया था, उसमें उन्होंने अपने पास 1.84 करोड़ रुपए की संपत्ति बताई थी। इसमें 90 लाख रुपए तो सिर्फ एक बंगले की कीमत ही है, जो पटना में है। चिराग के पास दो गाड़ियां हैं। पहली है जिप्सी, जिसकी कीमत 5 लाख रुपए है। और दूसरी है 30 लाख रुपए की फॉर्च्युनर। इनके अलावा चिराग पासवान 6 कंपनियों में डायरेक्टर भी हैं। इन सभी कंपनियों में उनके शेयर हैं, जिनकी कीमत 2019 के मुताबिक, 35.91 लाख रुपए है। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें Bihar Election 2020; Chirag Paswan Political Career Update | Lok Janshakti Party (LJP) leader Ram Vilas Paswan Son Chirag Paswan Property Details https://ift.tt/37yWPtE Dainik Bhaskar इंजीनियरिंग करके फिल्मों में गए और कंगना के हीरो बने; फिर राजनीति में आए और मोदी के हनुमान बने

बात 2015 के विधानसभा चुनाव से कुछ समय पहले की है। पटना में अपने घर श्रीकृष्ण पुरी में बैठे रामविलास पासवान लोगों से मिल रहे थे। उसी घर के दूसरे कमरे में बेटे चिराग लोजपा के कार्यकर्ताओं के साथ मीटिंग कर रहे थे। तब वहां मौजूद लोगों से रामविलास ने बड़े गर्व से कहा- ‘चिराग ने सब संभाल लिया है।’ जब लोगों ने रामविलास से कहा कि आपका बेटा बहुत ज्यादा शहरी दिखता है, जबकि आप जमीनी नेता दिखते हैं। तब मुस्कुराते हुए रामविलास ने कहा- ‘वो दिल्ली में पढ़ा है न।’

खून में राजनीति, सपनों में बॉलीवुड
31 अक्टूबर 1982 को जब चिराग का जन्म हुआ, तब पिता रामविलास लोकसभा के सदस्य थे। बचपन से ही घर पर राजनीतिक माहौल था। उनकी स्कूली पढ़ाई दिल्ली में हुई और झांसी की बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी से कम्प्यूटर इंजीनियरिंग में बीटेक किया।

पढ़ाई के बाद न तो राजनीति में आए और न ही किसी टेक कंपनी में नौकरी करने गए। उन्होंने बॉलीवुड का रुख किया। साल 2011 में कंगना रनोट के साथ उनकी फिल्म आई थी, ‘मिले न मिले हम’। 13 करोड़ में बनी ये फिल्म बुरी तरह फ्लॉप हुई थी। इसका बॉक्स ऑफिस कलेक्शन सिर्फ 97 लाख रुपए था।

फिल्म के प्रमोशन के दौरान जब उनसे पूछा गया कि राजनीति की बजाय उन्होंने बॉलीवुड को क्यों चुना? तो इस पर चिराग ने जवाब दिया, ‘राजनीति एक ऐसी चीज है, जो मेरी रगों में बहती है। राजनीति से न मैं कभी दूर था, न हूं और न कभी रह सकता हूं। लेकिन, फिलहाल मैंने फिल्मों को अपना पेशा चुना है, क्योंकि मेरा बचपन से सपना था कि मैं अपने आप को बड़े पर्दे पर देखूं।’ हालांकि, चिराग की ये पहली और आखिरी फिल्म थी। इसके बाद उन्हें कोई फिल्म नहीं मिली।

फिर राजनीति में आए, 12 साल बाद लोजपा को एनडीए में लेकर आए
28 अक्टूबर 2000 को रामविलास पासवान ने अपनी लोक जनशक्ति पार्टी यानी लोजपा बनाई। लोजपा पहले एनडीए का ही हिस्सा बनी। रामविलास पासवान अटल सरकार में मंत्री भी रहे, लेकिन बाद में एनडीए से अलग हो गए। कहा जाता है कि 2002 में गुजरात दंगों में नरेंद्र मोदी का नाम आने के बाद पासवान ने खुद को एनडीए से अलग कर लिया था।

बाद में जब चिराग बॉलीवुड में कामयाब नहीं हो सके, तो उन्होंने अपने पिता की राजनीतिक विरासत संभालने का फैसला लिया। 2014 के लोकसभा चुनाव के वक्त चिराग राजनीति में एक्टिव हुए। लोग बताते हैं, 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले जब नीतीश कुमार एनडीए से अलग हो गए थे, तो चिराग के कहने पर ही लोजपा एनडीए का हिस्सा बनी। उस चुनाव में चिराग जमुई से खड़े हुए और जीते। 2014 में लोजपा 7 सीटों पर लड़ी और 6 जीती।

नीतीश के आने पर सीटों का मसला उलझा, तो भाजपा को डेडलाइन दे दी
जुलाई 2017 में नीतीश कुमार महागठबंधन छोड़कर दोबारा एनडीए में आ गए। 2019 के लोकसभा चुनाव के वक्त एनडीए में सीट शेयरिंग का मसला उलझ गया। उस समय लोजपा के अध्यक्ष रामविलास पासवान जरूर थे, लेकिन एक तरह से सारा काम चिराग ही संभाल रहे थे।

जब कई दिनों की बातचीत के बाद भी एनडीए में सीट शेयरिंग का मसला नहीं सुलझा, तो चिराग ने ट्वीट कर भाजपा को सख्त चेतावनी दे दी। उन्होंने 18 दिसंबर 2018 को ट्वीट किया कि अगर 31 दिसंबर तक सीट शेयरिंग का मसला नहीं सुलझता है, तो नुकसान हो सकता है। नतीजा ये हुआ कि चिराग के ट्वीट के 5 दिन के भीतर ही एनडीए में सीटों का बंटवारा भी हो गया। लोजपा के हिस्से में 6 सीटें आईं और इन सभी सीटों पर जीत भी गई।

6 कंपनियों में शेयर, 90 लाख का बंगला
2014 के बाद 2019 में भी चिराग जमुई से ही लड़े और जीते। इस चुनाव के वक्त उन्होंने जो एफिडेविट दाखिल किया था, उसमें उन्होंने अपने पास 1.84 करोड़ रुपए की संपत्ति बताई थी। इसमें 90 लाख रुपए तो सिर्फ एक बंगले की कीमत ही है, जो पटना में है।

चिराग के पास दो गाड़ियां हैं। पहली है जिप्सी, जिसकी कीमत 5 लाख रुपए है। और दूसरी है 30 लाख रुपए की फॉर्च्युनर। इनके अलावा चिराग पासवान 6 कंपनियों में डायरेक्टर भी हैं। इन सभी कंपनियों में उनके शेयर हैं, जिनकी कीमत 2019 के मुताबिक, 35.91 लाख रुपए है।



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Bihar Election 2020; Chirag Paswan Political Career Update | Lok Janshakti Party (LJP) leader Ram Vilas Paswan Son Chirag Paswan Property Details


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बात 2015 के विधानसभा चुनाव से कुछ समय पहले की है। पटना में अपने घर श्रीकृष्ण पुरी में बैठे रामविलास पासवान लोगों से मिल रहे थे। उसी घर के दूसरे कमरे में बेटे चिराग लोजपा के कार्यकर्ताओं के साथ मीटिंग कर रहे थे। तब वहां मौजूद लोगों से रामविलास ने बड़े गर्व से कहा- ‘चिराग ने सब संभाल लिया है।’ जब लोगों ने रामविलास से कहा कि आपका बेटा बहुत ज्यादा शहरी दिखता है, जबकि आप जमीनी नेता दिखते हैं। तब मुस्कुराते हुए रामविलास ने कहा- ‘वो दिल्ली में पढ़ा है न।’ खून में राजनीति, सपनों में बॉलीवुड 31 अक्टूबर 1982 को जब चिराग का जन्म हुआ, तब पिता रामविलास लोकसभा के सदस्य थे। बचपन से ही घर पर राजनीतिक माहौल था। उनकी स्कूली पढ़ाई दिल्ली में हुई और झांसी की बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी से कम्प्यूटर इंजीनियरिंग में बीटेक किया। पढ़ाई के बाद न तो राजनीति में आए और न ही किसी टेक कंपनी में नौकरी करने गए। उन्होंने बॉलीवुड का रुख किया। साल 2011 में कंगना रनोट के साथ उनकी फिल्म आई थी, ‘मिले न मिले हम’। 13 करोड़ में बनी ये फिल्म बुरी तरह फ्लॉप हुई थी। इसका बॉक्स ऑफिस कलेक्शन सिर्फ 97 लाख रुपए था। फिल्म के प्रमोशन के दौरान जब उनसे पूछा गया कि राजनीति की बजाय उन्होंने बॉलीवुड को क्यों चुना? तो इस पर चिराग ने जवाब दिया, ‘राजनीति एक ऐसी चीज है, जो मेरी रगों में बहती है। राजनीति से न मैं कभी दूर था, न हूं और न कभी रह सकता हूं। लेकिन, फिलहाल मैंने फिल्मों को अपना पेशा चुना है, क्योंकि मेरा बचपन से सपना था कि मैं अपने आप को बड़े पर्दे पर देखूं।’ हालांकि, चिराग की ये पहली और आखिरी फिल्म थी। इसके बाद उन्हें कोई फिल्म नहीं मिली। फिर राजनीति में आए, 12 साल बाद लोजपा को एनडीए में लेकर आए 28 अक्टूबर 2000 को रामविलास पासवान ने अपनी लोक जनशक्ति पार्टी यानी लोजपा बनाई। लोजपा पहले एनडीए का ही हिस्सा बनी। रामविलास पासवान अटल सरकार में मंत्री भी रहे, लेकिन बाद में एनडीए से अलग हो गए। कहा जाता है कि 2002 में गुजरात दंगों में नरेंद्र मोदी का नाम आने के बाद पासवान ने खुद को एनडीए से अलग कर लिया था। बाद में जब चिराग बॉलीवुड में कामयाब नहीं हो सके, तो उन्होंने अपने पिता की राजनीतिक विरासत संभालने का फैसला लिया। 2014 के लोकसभा चुनाव के वक्त चिराग राजनीति में एक्टिव हुए। लोग बताते हैं, 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले जब नीतीश कुमार एनडीए से अलग हो गए थे, तो चिराग के कहने पर ही लोजपा एनडीए का हिस्सा बनी। उस चुनाव में चिराग जमुई से खड़े हुए और जीते। 2014 में लोजपा 7 सीटों पर लड़ी और 6 जीती। नीतीश के आने पर सीटों का मसला उलझा, तो भाजपा को डेडलाइन दे दी जुलाई 2017 में नीतीश कुमार महागठबंधन छोड़कर दोबारा एनडीए में आ गए। 2019 के लोकसभा चुनाव के वक्त एनडीए में सीट शेयरिंग का मसला उलझ गया। उस समय लोजपा के अध्यक्ष रामविलास पासवान जरूर थे, लेकिन एक तरह से सारा काम चिराग ही संभाल रहे थे। जब कई दिनों की बातचीत के बाद भी एनडीए में सीट शेयरिंग का मसला नहीं सुलझा, तो चिराग ने ट्वीट कर भाजपा को सख्त चेतावनी दे दी। उन्होंने 18 दिसंबर 2018 को ट्वीट किया कि अगर 31 दिसंबर तक सीट शेयरिंग का मसला नहीं सुलझता है, तो नुकसान हो सकता है। नतीजा ये हुआ कि चिराग के ट्वीट के 5 दिन के भीतर ही एनडीए में सीटों का बंटवारा भी हो गया। लोजपा के हिस्से में 6 सीटें आईं और इन सभी सीटों पर जीत भी गई। 6 कंपनियों में शेयर, 90 लाख का बंगला 2014 के बाद 2019 में भी चिराग जमुई से ही लड़े और जीते। इस चुनाव के वक्त उन्होंने जो एफिडेविट दाखिल किया था, उसमें उन्होंने अपने पास 1.84 करोड़ रुपए की संपत्ति बताई थी। इसमें 90 लाख रुपए तो सिर्फ एक बंगले की कीमत ही है, जो पटना में है। चिराग के पास दो गाड़ियां हैं। पहली है जिप्सी, जिसकी कीमत 5 लाख रुपए है। और दूसरी है 30 लाख रुपए की फॉर्च्युनर। इनके अलावा चिराग पासवान 6 कंपनियों में डायरेक्टर भी हैं। इन सभी कंपनियों में उनके शेयर हैं, जिनकी कीमत 2019 के मुताबिक, 35.91 लाख रुपए है। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें Bihar Election 2020; Chirag Paswan Political Career Update | Lok Janshakti Party (LJP) leader Ram Vilas Paswan Son Chirag Paswan Property Details https://ift.tt/37yWPtE Dainik Bhaskar इंजीनियरिंग करके फिल्मों में गए और कंगना के हीरो बने; फिर राजनीति में आए और मोदी के हनुमान बने 

बात 2015 के विधानसभा चुनाव से कुछ समय पहले की है। पटना में अपने घर श्रीकृष्ण पुरी में बैठे रामविलास पासवान लोगों से मिल रहे थे। उसी घर के दूसरे कमरे में बेटे चिराग लोजपा के कार्यकर्ताओं के साथ मीटिंग कर रहे थे। तब वहां मौजूद लोगों से रामविलास ने बड़े गर्व से कहा- ‘चिराग ने सब संभाल लिया है।’ जब लोगों ने रामविलास से कहा कि आपका बेटा बहुत ज्यादा शहरी दिखता है, जबकि आप जमीनी नेता दिखते हैं। तब मुस्कुराते हुए रामविलास ने कहा- ‘वो दिल्ली में पढ़ा है न।’

खून में राजनीति, सपनों में बॉलीवुड
31 अक्टूबर 1982 को जब चिराग का जन्म हुआ, तब पिता रामविलास लोकसभा के सदस्य थे। बचपन से ही घर पर राजनीतिक माहौल था। उनकी स्कूली पढ़ाई दिल्ली में हुई और झांसी की बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी से कम्प्यूटर इंजीनियरिंग में बीटेक किया।

पढ़ाई के बाद न तो राजनीति में आए और न ही किसी टेक कंपनी में नौकरी करने गए। उन्होंने बॉलीवुड का रुख किया। साल 2011 में कंगना रनोट के साथ उनकी फिल्म आई थी, ‘मिले न मिले हम’। 13 करोड़ में बनी ये फिल्म बुरी तरह फ्लॉप हुई थी। इसका बॉक्स ऑफिस कलेक्शन सिर्फ 97 लाख रुपए था।

फिल्म के प्रमोशन के दौरान जब उनसे पूछा गया कि राजनीति की बजाय उन्होंने बॉलीवुड को क्यों चुना? तो इस पर चिराग ने जवाब दिया, ‘राजनीति एक ऐसी चीज है, जो मेरी रगों में बहती है। राजनीति से न मैं कभी दूर था, न हूं और न कभी रह सकता हूं। लेकिन, फिलहाल मैंने फिल्मों को अपना पेशा चुना है, क्योंकि मेरा बचपन से सपना था कि मैं अपने आप को बड़े पर्दे पर देखूं।’ हालांकि, चिराग की ये पहली और आखिरी फिल्म थी। इसके बाद उन्हें कोई फिल्म नहीं मिली।

फिर राजनीति में आए, 12 साल बाद लोजपा को एनडीए में लेकर आए
28 अक्टूबर 2000 को रामविलास पासवान ने अपनी लोक जनशक्ति पार्टी यानी लोजपा बनाई। लोजपा पहले एनडीए का ही हिस्सा बनी। रामविलास पासवान अटल सरकार में मंत्री भी रहे, लेकिन बाद में एनडीए से अलग हो गए। कहा जाता है कि 2002 में गुजरात दंगों में नरेंद्र मोदी का नाम आने के बाद पासवान ने खुद को एनडीए से अलग कर लिया था।

बाद में जब चिराग बॉलीवुड में कामयाब नहीं हो सके, तो उन्होंने अपने पिता की राजनीतिक विरासत संभालने का फैसला लिया। 2014 के लोकसभा चुनाव के वक्त चिराग राजनीति में एक्टिव हुए। लोग बताते हैं, 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले जब नीतीश कुमार एनडीए से अलग हो गए थे, तो चिराग के कहने पर ही लोजपा एनडीए का हिस्सा बनी। उस चुनाव में चिराग जमुई से खड़े हुए और जीते। 2014 में लोजपा 7 सीटों पर लड़ी और 6 जीती।

नीतीश के आने पर सीटों का मसला उलझा, तो भाजपा को डेडलाइन दे दी
जुलाई 2017 में नीतीश कुमार महागठबंधन छोड़कर दोबारा एनडीए में आ गए। 2019 के लोकसभा चुनाव के वक्त एनडीए में सीट शेयरिंग का मसला उलझ गया। उस समय लोजपा के अध्यक्ष रामविलास पासवान जरूर थे, लेकिन एक तरह से सारा काम चिराग ही संभाल रहे थे।

जब कई दिनों की बातचीत के बाद भी एनडीए में सीट शेयरिंग का मसला नहीं सुलझा, तो चिराग ने ट्वीट कर भाजपा को सख्त चेतावनी दे दी। उन्होंने 18 दिसंबर 2018 को ट्वीट किया कि अगर 31 दिसंबर तक सीट शेयरिंग का मसला नहीं सुलझता है, तो नुकसान हो सकता है। नतीजा ये हुआ कि चिराग के ट्वीट के 5 दिन के भीतर ही एनडीए में सीटों का बंटवारा भी हो गया। लोजपा के हिस्से में 6 सीटें आईं और इन सभी सीटों पर जीत भी गई।

6 कंपनियों में शेयर, 90 लाख का बंगला
2014 के बाद 2019 में भी चिराग जमुई से ही लड़े और जीते। इस चुनाव के वक्त उन्होंने जो एफिडेविट दाखिल किया था, उसमें उन्होंने अपने पास 1.84 करोड़ रुपए की संपत्ति बताई थी। इसमें 90 लाख रुपए तो सिर्फ एक बंगले की कीमत ही है, जो पटना में है।

चिराग के पास दो गाड़ियां हैं। पहली है जिप्सी, जिसकी कीमत 5 लाख रुपए है। और दूसरी है 30 लाख रुपए की फॉर्च्युनर। इनके अलावा चिराग पासवान 6 कंपनियों में डायरेक्टर भी हैं। इन सभी कंपनियों में उनके शेयर हैं, जिनकी कीमत 2019 के मुताबिक, 35.91 लाख रुपए है।

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Bihar Election 2020; Chirag Paswan Political Career Update | Lok Janshakti Party (LJP) leader Ram Vilas Paswan Son Chirag Paswan Property Details

https://ift.tt/37yWPtE Dainik Bhaskar इंजीनियरिंग करके फिल्मों में गए और कंगना के हीरो बने; फिर राजनीति में आए और मोदी के हनुमान बने Reviewed by Manish Pethev on October 25, 2020 Rating: 5

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