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आज हम दिल्ली एम्स के दो डॉक्टरों की कहानी बताने जा रहे हैं। दोनों कोरोना मरीजों का इलाज करते-करते खुद कोरोना से संक्रमित हुए। ठीक होने के बाद एक तो वापस कोरोना वॉर्ड में भी लौट आए, मरीजों का फिर इलाज करने। पहली कहानी - डॉक्टर सुनील ज्याणी की, जो संक्रमित हुए, आईसीयू में इलाज चला, 10 किलो वजन कम हो गया, अब ड्यूटी पर लौटे मैं 24 मार्च से ही कोरोना पेशेंट का ट्रीटमेंट कर रहा था। सात-सात दिन के रोटेशन में हमारी ड्यूटी हुआ करती थी। 29 मई को मुझे अचानक बुखार आ गया। कपकपी लगने लगी। कमजोरी बहुत ज्यादा आ गई। मैंने अनुमान लगा लिया था कि मैं कोरोना पॉजिटिव हो गया हूं। उस दिन मैंने 15 मिनट पहले ही अपनी ड्यूटी खत्म कर दी और तुरंत अपने रूम में चला गया। उसी दिन रात में मुझे बहुत तेज ठंड लगी। घर राजस्थान में है। दिल्ली में एम्स के हॉस्टल में अकेला ही रहता हूं, इसलिए कोई देखने वाला नहीं था। सुबह होते ही मैंने डिपार्टमेंट में बताया कि ऐसे लक्षण हैं। उस दिन मेरा ब्लड लिया गया और दूसरे दिन रिपोर्ट निगेटिव आई। लेकिन, उस समय प्रोटोकॉल था कि यदि बुखार आया है तो 7 दिनों तक क्वारैंटाइन ही रहना है। इसलिए मैं क्वारैंटाइन ही था। डॉक्टर सुनील ज्याणी ने बताया कि हम पीपीई किट पहनकर ड्यूटी करते हैं। सभी प्रिकॉशन ले रहे थे, फिर भी संक्रमण का शिकार हो गए। क्वारैंटाइन के चौथे दिन मुझे बहुत तेज बुखार आया। कफ बनाना शुरू हो गया और बलगम में खून आने लगा। हालत ऐसी हो गई थी कि मैं खड़ा भी नहीं हो पा रहा था। साथियों ने मुझे तुरंत एम्स के ही कोविड वॉर्ड में एडमिट कर दिया। फिर मेरा दूसरा टेस्ट हुआ, जो पॉजिटिव आया। यह 4 जून की बात है। अगले पांच से छ दिन मैं नॉर्मल रहा, लेकिन 11 जून आते-आते एक बार फिर लक्षण काफी ज्यादा बढ़ गए और मेरी सांस फूलने लगी। मेरी बॉडी में ऑक्सीजन का लेवल 91 पर आ गया था। यह बहुत ही गंभीर स्थिति होती है। इसके बाद मुझे तुरंत आईसीयू में शिफ्ट कर दिया गया। किस्मत से आईसीयू में ट्रीटमेंट मिलते ही मैं रिस्पॉन्स कर गया और आठ से दस घंटे में काफी रिलीफ मिला। हॉस्पिटल में कलीग्स ही सुनील का सहारा थे, क्योंकि उन्होंने घर पर यह बात नहीं बताई थी। इसके बाद मुझे आईसीयू से नॉर्मल वॉर्ड में शिफ्ट कर दिया गया क्योंकि बिना वजह आईसीयू वॉर्ड में रहना और ज्यादा खतरनाक हो जाता है। फिर 26 जून तक नॉर्मल वॉर्ड में ही रहा। कोरोना से जीतने में मुझे करीब 22 दिन लग गए। जब मैं कोरोना से संक्रमित हुआ था तो ये बात घर पर नहीं बताई थी। क्योंकि बताता भी तो वो लोग मुझसे मिल नहीं सकते थे। उनका दिल्ली आना ज्यादा खतरनाक था, क्योंकि यहां तो बहुत कोरोना फैला हुआ था। डिस्चार्ज होने के दो दिन बाद 28 जून को मैं अपने घर पहुंचा। तभी घर में सबको बताया कि मैं कोरोना पॉजिटिव हो गया था और अब पूरी तरह से स्वस्थ हूं। मेरा करीब दस किलो वजन कम हो गया। पंद्रह दिन घर पर रेस्ट किया। 15 जुलाई से मैंने फिर ड्यूटी ज्वॉइन कर ली है। हालांकि, अभी कोरोना वॉर्ड में ड्यूटी नहीं है। मेरे पापा आर्मी से रिटायर हुए हैं, इसलिए वो छोटी-छोटी बातों से घबराते नहीं। उन्होंने कहा कि बिना डरे काम करो। 22 दिन लगातार ट्रीटमेंट के बाद सुनील कोरोना से ठीक हो सके। फिर अपने घर गए। मुझे कभी कोरोना का डर नहीं रहा क्योंकि हमारे वॉर्ड में स्वाइन फ्लू, एचआईवी, हेपेटाइटिस तक के पेशेंट आते हैं, जिनका मोर्टेलिटी रेट कोरोना से ज्यादा है और संक्रमण का खतरा भी। हम पूरे प्रिकॉशन लेकर काम कर रहे हैं। कोरोना वॉर्ड में जब भी ड्यूटी लगेगी, मैं फिर करना चाहूंगा। वॉर्ड में ड्यूटी करने पर लगता है कि हम भी कोरोना वॉरियर हैं और कुछ अलग कर रहे हैं। दूसरी कहानी - डॉक्टर प्रमोद कुमार की जो ठीक होकर दोबारा कोरोना वॉर्ड में मुस्तैद हो गए हैं मैं 24 मार्च से ही एम्स के ट्रॉमा सेंटर के आईसीयू में पोस्टेड हूं। हर चौथे हफ्ते हमारी ड्यूटी हुआ करती है। कोरोना के क्रिटिकल पेशेंट्स को देखने की जिम्मेदारी हमारी होती है। हम पूरे प्रिकॉशन के साथ वॉर्ड में होते हैं। पीपीई किट पहने होते हैं। 7 घंटे तक कुछ खाना-पीना नहीं। 6 घंटे मरीजों के बीच होते हैं तो कोरोना संक्रमित होने की रिस्क तो होती ही है। 5 जुलाई को मुझे हल्का बुखार आया। उसी दिन मैंने जांच के लिए खून दिया। 8 जुलाई को मैं कोरोना पॉजिटिव आया। मेरा घर झारखंड में है। घर पर मां, पापा और बहन हैं। यहां पर एम्स के हॉस्टल में रहता हूं। घरवालों को बता दिया था, लेकिन सिंपटम्स माइल्ड थे, इसलिए ज्यादा टेंशन की बात नहीं थी। 10 दिनों तक मैं एम्स के वॉर्ड में आइसोलेशन में रहा। ये डॉक्टर प्रमोद कुमार हैं। एम्स के हॉस्टल में ही रहते हैं। परिवार झारखंड में रहता है। कोरोना ड्यूटी के बाद से ही मैंने बाहर जाना बंद कर दिया था। मार्च से कहीं नहीं गया। सिर्फ हॉस्टल और कोरोना वॉर्ड में ही आना-जाना होता था। मुलाकात भी सिर्फ कलीग्स के साथ ही होती थी। घर जानबूझकर नहीं गया क्योंकि अभी यहां ड्यूटी चल रही है। कोरोना वॉर्ड के अंदर हमें कम से कम ये पता होता है कि कौन कोरोना पॉजिटिव है। हम पूरे प्रिकॉशन के साथ जाते हैं। वरना जिन लोगों को काम के सिलसिले में बाहर निकलना पड़ रहा है वो तो ये भी नहीं जानते कि कौन पॉजिटिव है और कौन नहीं। हालांकि, अभी मैं ठीक हो चुका हूं और ड्यूटी के लिए कोरोना वॉर्ड में वापस आ चुका हूं। वापस आने से पहले मैंने पढ़ा कि दोबारा संक्रमण का खतरा कितना होता है। यह कितना रिस्की हो सकता है, लेकिन इस बारे में ज्यादा कोई डाटा नहीं है तो मैं तो आ गया फिर ड्यूटी करने। कोरोना वॉर्ड में मरीज चिढ़ने लगते हैं कोरोना वॉर्ड में मरीजों का इलाज करने और खुद आइसोलेशन में रहने के दौरान हुए एक्सपीरियंस से पता चलता है कि जो वॉर्ड में या आइसोलेशन में होता है वो चिढ़ने लगता है। क्योंकि कोई मिलने-जुलने वाला नहीं होता। किसी से बात नहीं हो पाती। आईसीयू में तो मॉनिटर की आवाज आते रहती है। पीपीई किट पहनकर डॉक्टर आते रहते हैं। कई बार आपके आसपास ही किसी की डेथ भी हो जाती है, यह सब देखकर किसी का भी इरिटेट होना एक नॉर्मल बात है। डॉक्टर प्रमोद कुमार कोरोना से लड़ने के बाद एक बार फिर ड्यूटी पर लौट चुके हैं। आईसीयू में कई बार कुछ पेशेंट डेलिरियम में चले जाते हैं। यानी अपना होश खो बैठते हैं। ऐसा उन लोगों के साथ ज्यादा होता है जो मेंटली प्रिपेयर नहीं होते। मैं भी जब आइसोलेशन में था तो थोड़ा इरिटेट हो गया था। ऐसे में जरूरी है कि हम घरवालों से फोन पर ज्यादा से ज्यादा बात करते रहें। मोबाइल पर कुछ न कुछ करते रहें। काम करने की कंडीशन है तो करें या फिर कुछ पढ़ते रहें। खुद को कहीं न कहीं व्यस्त रखना जरूरी है वरना कोरोना ट्रीटमेंट का ये पीरियड काटना बहुत मुश्किल हो जाता है। खैर, मैं अपनी ड्यूटी पर दोबारा लौट चुका हूं। घरवालों ने कहा था कि हो सके तो कोरोना के बजाए किसी दूसरे वॉर्ड में ड्यूटी लगवा लो, लेकिन अभी हम नई उम्र के हैं। हमें गंभीर संक्रमण होने की आशंका कम है। पूरे प्रिकॉशन लेते हुए इलाज कर रहे हैं। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें परिवार ने कहा कि, हो सके तो अब कोरोना वॉर्ड से ड्यूटी हटवा लो लेकिन डॉक्टर प्रमोद कुमार ने यह कहते हुए इंकार कर दिया कि, यह हमारी जिम्मेदारी है। पीछे नहीं हट सकते। https://ift.tt/33daOTU Dainik Bhaskar तेज बुखार आया, मुंह से खून आने लगा, अकेले इलाज करवाते रहे लेकिन घरवालों को नहीं बताया

आज हम दिल्ली एम्स के दो डॉक्टरों की कहानी बताने जा रहे हैं। दोनों कोरोना मरीजों का इलाज करते-करते खुद कोरोना से संक्रमित हुए। ठीक होने के ब...
- July 31, 2020
आज हम दिल्ली एम्स के दो डॉक्टरों की कहानी बताने जा रहे हैं। दोनों कोरोना मरीजों का इलाज करते-करते खुद कोरोना से संक्रमित हुए। ठीक होने के बाद एक तो वापस कोरोना वॉर्ड में भी लौट आए, मरीजों का फिर इलाज करने। पहली कहानी - डॉक्टर सुनील ज्याणी की, जो संक्रमित हुए, आईसीयू में इलाज चला, 10 किलो वजन कम हो गया, अब ड्यूटी पर लौटे मैं 24 मार्च से ही कोरोना पेशेंट का ट्रीटमेंट कर रहा था। सात-सात दिन के रोटेशन में हमारी ड्यूटी हुआ करती थी। 29 मई को मुझे अचानक बुखार आ गया। कपकपी लगने लगी। कमजोरी बहुत ज्यादा आ गई। मैंने अनुमान लगा लिया था कि मैं कोरोना पॉजिटिव हो गया हूं। उस दिन मैंने 15 मिनट पहले ही अपनी ड्यूटी खत्म कर दी और तुरंत अपने रूम में चला गया। उसी दिन रात में मुझे बहुत तेज ठंड लगी। घर राजस्थान में है। दिल्ली में एम्स के हॉस्टल में अकेला ही रहता हूं, इसलिए कोई देखने वाला नहीं था। सुबह होते ही मैंने डिपार्टमेंट में बताया कि ऐसे लक्षण हैं। उस दिन मेरा ब्लड लिया गया और दूसरे दिन रिपोर्ट निगेटिव आई। लेकिन, उस समय प्रोटोकॉल था कि यदि बुखार आया है तो 7 दिनों तक क्वारैंटाइन ही रहना है। इसलिए मैं क्वारैंटाइन ही था। डॉक्टर सुनील ज्याणी ने बताया कि हम पीपीई किट पहनकर ड्यूटी करते हैं। सभी प्रिकॉशन ले रहे थे, फिर भी संक्रमण का शिकार हो गए। क्वारैंटाइन के चौथे दिन मुझे बहुत तेज बुखार आया। कफ बनाना शुरू हो गया और बलगम में खून आने लगा। हालत ऐसी हो गई थी कि मैं खड़ा भी नहीं हो पा रहा था। साथियों ने मुझे तुरंत एम्स के ही कोविड वॉर्ड में एडमिट कर दिया। फिर मेरा दूसरा टेस्ट हुआ, जो पॉजिटिव आया। यह 4 जून की बात है। अगले पांच से छ दिन मैं नॉर्मल रहा, लेकिन 11 जून आते-आते एक बार फिर लक्षण काफी ज्यादा बढ़ गए और मेरी सांस फूलने लगी। मेरी बॉडी में ऑक्सीजन का लेवल 91 पर आ गया था। यह बहुत ही गंभीर स्थिति होती है। इसके बाद मुझे तुरंत आईसीयू में शिफ्ट कर दिया गया। किस्मत से आईसीयू में ट्रीटमेंट मिलते ही मैं रिस्पॉन्स कर गया और आठ से दस घंटे में काफी रिलीफ मिला। हॉस्पिटल में कलीग्स ही सुनील का सहारा थे, क्योंकि उन्होंने घर पर यह बात नहीं बताई थी। इसके बाद मुझे आईसीयू से नॉर्मल वॉर्ड में शिफ्ट कर दिया गया क्योंकि बिना वजह आईसीयू वॉर्ड में रहना और ज्यादा खतरनाक हो जाता है। फिर 26 जून तक नॉर्मल वॉर्ड में ही रहा। कोरोना से जीतने में मुझे करीब 22 दिन लग गए। जब मैं कोरोना से संक्रमित हुआ था तो ये बात घर पर नहीं बताई थी। क्योंकि बताता भी तो वो लोग मुझसे मिल नहीं सकते थे। उनका दिल्ली आना ज्यादा खतरनाक था, क्योंकि यहां तो बहुत कोरोना फैला हुआ था। डिस्चार्ज होने के दो दिन बाद 28 जून को मैं अपने घर पहुंचा। तभी घर में सबको बताया कि मैं कोरोना पॉजिटिव हो गया था और अब पूरी तरह से स्वस्थ हूं। मेरा करीब दस किलो वजन कम हो गया। पंद्रह दिन घर पर रेस्ट किया। 15 जुलाई से मैंने फिर ड्यूटी ज्वॉइन कर ली है। हालांकि, अभी कोरोना वॉर्ड में ड्यूटी नहीं है। मेरे पापा आर्मी से रिटायर हुए हैं, इसलिए वो छोटी-छोटी बातों से घबराते नहीं। उन्होंने कहा कि बिना डरे काम करो। 22 दिन लगातार ट्रीटमेंट के बाद सुनील कोरोना से ठीक हो सके। फिर अपने घर गए। मुझे कभी कोरोना का डर नहीं रहा क्योंकि हमारे वॉर्ड में स्वाइन फ्लू, एचआईवी, हेपेटाइटिस तक के पेशेंट आते हैं, जिनका मोर्टेलिटी रेट कोरोना से ज्यादा है और संक्रमण का खतरा भी। हम पूरे प्रिकॉशन लेकर काम कर रहे हैं। कोरोना वॉर्ड में जब भी ड्यूटी लगेगी, मैं फिर करना चाहूंगा। वॉर्ड में ड्यूटी करने पर लगता है कि हम भी कोरोना वॉरियर हैं और कुछ अलग कर रहे हैं। दूसरी कहानी - डॉक्टर प्रमोद कुमार की जो ठीक होकर दोबारा कोरोना वॉर्ड में मुस्तैद हो गए हैं मैं 24 मार्च से ही एम्स के ट्रॉमा सेंटर के आईसीयू में पोस्टेड हूं। हर चौथे हफ्ते हमारी ड्यूटी हुआ करती है। कोरोना के क्रिटिकल पेशेंट्स को देखने की जिम्मेदारी हमारी होती है। हम पूरे प्रिकॉशन के साथ वॉर्ड में होते हैं। पीपीई किट पहने होते हैं। 7 घंटे तक कुछ खाना-पीना नहीं। 6 घंटे मरीजों के बीच होते हैं तो कोरोना संक्रमित होने की रिस्क तो होती ही है। 5 जुलाई को मुझे हल्का बुखार आया। उसी दिन मैंने जांच के लिए खून दिया। 8 जुलाई को मैं कोरोना पॉजिटिव आया। मेरा घर झारखंड में है। घर पर मां, पापा और बहन हैं। यहां पर एम्स के हॉस्टल में रहता हूं। घरवालों को बता दिया था, लेकिन सिंपटम्स माइल्ड थे, इसलिए ज्यादा टेंशन की बात नहीं थी। 10 दिनों तक मैं एम्स के वॉर्ड में आइसोलेशन में रहा। ये डॉक्टर प्रमोद कुमार हैं। एम्स के हॉस्टल में ही रहते हैं। परिवार झारखंड में रहता है। कोरोना ड्यूटी के बाद से ही मैंने बाहर जाना बंद कर दिया था। मार्च से कहीं नहीं गया। सिर्फ हॉस्टल और कोरोना वॉर्ड में ही आना-जाना होता था। मुलाकात भी सिर्फ कलीग्स के साथ ही होती थी। घर जानबूझकर नहीं गया क्योंकि अभी यहां ड्यूटी चल रही है। कोरोना वॉर्ड के अंदर हमें कम से कम ये पता होता है कि कौन कोरोना पॉजिटिव है। हम पूरे प्रिकॉशन के साथ जाते हैं। वरना जिन लोगों को काम के सिलसिले में बाहर निकलना पड़ रहा है वो तो ये भी नहीं जानते कि कौन पॉजिटिव है और कौन नहीं। हालांकि, अभी मैं ठीक हो चुका हूं और ड्यूटी के लिए कोरोना वॉर्ड में वापस आ चुका हूं। वापस आने से पहले मैंने पढ़ा कि दोबारा संक्रमण का खतरा कितना होता है। यह कितना रिस्की हो सकता है, लेकिन इस बारे में ज्यादा कोई डाटा नहीं है तो मैं तो आ गया फिर ड्यूटी करने। कोरोना वॉर्ड में मरीज चिढ़ने लगते हैं कोरोना वॉर्ड में मरीजों का इलाज करने और खुद आइसोलेशन में रहने के दौरान हुए एक्सपीरियंस से पता चलता है कि जो वॉर्ड में या आइसोलेशन में होता है वो चिढ़ने लगता है। क्योंकि कोई मिलने-जुलने वाला नहीं होता। किसी से बात नहीं हो पाती। आईसीयू में तो मॉनिटर की आवाज आते रहती है। पीपीई किट पहनकर डॉक्टर आते रहते हैं। कई बार आपके आसपास ही किसी की डेथ भी हो जाती है, यह सब देखकर किसी का भी इरिटेट होना एक नॉर्मल बात है। डॉक्टर प्रमोद कुमार कोरोना से लड़ने के बाद एक बार फिर ड्यूटी पर लौट चुके हैं। आईसीयू में कई बार कुछ पेशेंट डेलिरियम में चले जाते हैं। यानी अपना होश खो बैठते हैं। ऐसा उन लोगों के साथ ज्यादा होता है जो मेंटली प्रिपेयर नहीं होते। मैं भी जब आइसोलेशन में था तो थोड़ा इरिटेट हो गया था। ऐसे में जरूरी है कि हम घरवालों से फोन पर ज्यादा से ज्यादा बात करते रहें। मोबाइल पर कुछ न कुछ करते रहें। काम करने की कंडीशन है तो करें या फिर कुछ पढ़ते रहें। खुद को कहीं न कहीं व्यस्त रखना जरूरी है वरना कोरोना ट्रीटमेंट का ये पीरियड काटना बहुत मुश्किल हो जाता है। खैर, मैं अपनी ड्यूटी पर दोबारा लौट चुका हूं। घरवालों ने कहा था कि हो सके तो कोरोना के बजाए किसी दूसरे वॉर्ड में ड्यूटी लगवा लो, लेकिन अभी हम नई उम्र के हैं। हमें गंभीर संक्रमण होने की आशंका कम है। पूरे प्रिकॉशन लेते हुए इलाज कर रहे हैं। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें परिवार ने कहा कि, हो सके तो अब कोरोना वॉर्ड से ड्यूटी हटवा लो लेकिन डॉक्टर प्रमोद कुमार ने यह कहते हुए इंकार कर दिया कि, यह हमारी जिम्मेदारी है। पीछे नहीं हट सकते। https://ift.tt/33daOTU Dainik Bhaskar तेज बुखार आया, मुंह से खून आने लगा, अकेले इलाज करवाते रहे लेकिन घरवालों को नहीं बताया 

आज हम दिल्ली एम्स के दो डॉक्टरों की कहानी बताने जा रहे हैं। दोनों कोरोना मरीजों का इलाज करते-करते खुद कोरोना से संक्रमित हुए। ठीक होने के बाद एक तो वापस कोरोना वॉर्ड में भी लौट आए, मरीजों का फिर इलाज करने।

पहली कहानी - डॉक्टर सुनील ज्याणी की, जो संक्रमित हुए, आईसीयू में इलाज चला, 10 किलो वजन कम हो गया, अब ड्यूटी पर लौटे

मैं 24 मार्च से ही कोरोना पेशेंट का ट्रीटमेंट कर रहा था। सात-सात दिन के रोटेशन में हमारी ड्यूटी हुआ करती थी। 29 मई को मुझे अचानक बुखार आ गया। कपकपी लगने लगी। कमजोरी बहुत ज्यादा आ गई। मैंने अनुमान लगा लिया था कि मैं कोरोना पॉजिटिव हो गया हूं। उस दिन मैंने 15 मिनट पहले ही अपनी ड्यूटी खत्म कर दी और तुरंत अपने रूम में चला गया।

उसी दिन रात में मुझे बहुत तेज ठंड लगी। घर राजस्थान में है। दिल्ली में एम्स के हॉस्टल में अकेला ही रहता हूं, इसलिए कोई देखने वाला नहीं था। सुबह होते ही मैंने डिपार्टमेंट में बताया कि ऐसे लक्षण हैं। उस दिन मेरा ब्लड लिया गया और दूसरे दिन रिपोर्ट निगेटिव आई। लेकिन, उस समय प्रोटोकॉल था कि यदि बुखार आया है तो 7 दिनों तक क्वारैंटाइन ही रहना है। इसलिए मैं क्वारैंटाइन ही था।

डॉक्टर सुनील ज्याणी ने बताया कि हम पीपीई किट पहनकर ड्यूटी करते हैं। सभी प्रिकॉशन ले रहे थे, फिर भी संक्रमण का शिकार हो गए।

क्वारैंटाइन के चौथे दिन मुझे बहुत तेज बुखार आया। कफ बनाना शुरू हो गया और बलगम में खून आने लगा। हालत ऐसी हो गई थी कि मैं खड़ा भी नहीं हो पा रहा था। साथियों ने मुझे तुरंत एम्स के ही कोविड वॉर्ड में एडमिट कर दिया। फिर मेरा दूसरा टेस्ट हुआ, जो पॉजिटिव आया। यह 4 जून की बात है।

अगले पांच से छ दिन मैं नॉर्मल रहा, लेकिन 11 जून आते-आते एक बार फिर लक्षण काफी ज्यादा बढ़ गए और मेरी सांस फूलने लगी। मेरी बॉडी में ऑक्सीजन का लेवल 91 पर आ गया था। यह बहुत ही गंभीर स्थिति होती है। इसके बाद मुझे तुरंत आईसीयू में शिफ्ट कर दिया गया। किस्मत से आईसीयू में ट्रीटमेंट मिलते ही मैं रिस्पॉन्स कर गया और आठ से दस घंटे में काफी रिलीफ मिला।

हॉस्पिटल में कलीग्स ही सुनील का सहारा थे, क्योंकि उन्होंने घर पर यह बात नहीं बताई थी।

इसके बाद मुझे आईसीयू से नॉर्मल वॉर्ड में शिफ्ट कर दिया गया क्योंकि बिना वजह आईसीयू वॉर्ड में रहना और ज्यादा खतरनाक हो जाता है। फिर 26 जून तक नॉर्मल वॉर्ड में ही रहा। कोरोना से जीतने में मुझे करीब 22 दिन लग गए। जब मैं कोरोना से संक्रमित हुआ था तो ये बात घर पर नहीं बताई थी। क्योंकि बताता भी तो वो लोग मुझसे मिल नहीं सकते थे।

उनका दिल्ली आना ज्यादा खतरनाक था, क्योंकि यहां तो बहुत कोरोना फैला हुआ था। डिस्चार्ज होने के दो दिन बाद 28 जून को मैं अपने घर पहुंचा। तभी घर में सबको बताया कि मैं कोरोना पॉजिटिव हो गया था और अब पूरी तरह से स्वस्थ हूं। मेरा करीब दस किलो वजन कम हो गया। पंद्रह दिन घर पर रेस्ट किया।

15 जुलाई से मैंने फिर ड्यूटी ज्वॉइन कर ली है। हालांकि, अभी कोरोना वॉर्ड में ड्यूटी नहीं है। मेरे पापा आर्मी से रिटायर हुए हैं, इसलिए वो छोटी-छोटी बातों से घबराते नहीं। उन्होंने कहा कि बिना डरे काम करो।

22 दिन लगातार ट्रीटमेंट के बाद सुनील कोरोना से ठीक हो सके। फिर अपने घर गए।

मुझे कभी कोरोना का डर नहीं रहा क्योंकि हमारे वॉर्ड में स्वाइन फ्लू, एचआईवी, हेपेटाइटिस तक के पेशेंट आते हैं, जिनका मोर्टेलिटी रेट कोरोना से ज्यादा है और संक्रमण का खतरा भी। हम पूरे प्रिकॉशन लेकर काम कर रहे हैं। कोरोना वॉर्ड में जब भी ड्यूटी लगेगी, मैं फिर करना चाहूंगा। वॉर्ड में ड्यूटी करने पर लगता है कि हम भी कोरोना वॉरियर हैं और कुछ अलग कर रहे हैं।

दूसरी कहानी - डॉक्टर प्रमोद कुमार की जो ठीक होकर दोबारा कोरोना वॉर्ड में मुस्तैद हो गए हैं

मैं 24 मार्च से ही एम्स के ट्रॉमा सेंटर के आईसीयू में पोस्टेड हूं। हर चौथे हफ्ते हमारी ड्यूटी हुआ करती है। कोरोना के क्रिटिकल पेशेंट्स को देखने की जिम्मेदारी हमारी होती है। हम पूरे प्रिकॉशन के साथ वॉर्ड में होते हैं। पीपीई किट पहने होते हैं। 7 घंटे तक कुछ खाना-पीना नहीं। 6 घंटे मरीजों के बीच होते हैं तो कोरोना संक्रमित होने की रिस्क तो होती ही है।

5 जुलाई को मुझे हल्का बुखार आया। उसी दिन मैंने जांच के लिए खून दिया। 8 जुलाई को मैं कोरोना पॉजिटिव आया। मेरा घर झारखंड में है। घर पर मां, पापा और बहन हैं। यहां पर एम्स के हॉस्टल में रहता हूं। घरवालों को बता दिया था, लेकिन सिंपटम्स माइल्ड थे, इसलिए ज्यादा टेंशन की बात नहीं थी। 10 दिनों तक मैं एम्स के वॉर्ड में आइसोलेशन में रहा।

ये डॉक्टर प्रमोद कुमार हैं। एम्स के हॉस्टल में ही रहते हैं। परिवार झारखंड में रहता है।

कोरोना ड्यूटी के बाद से ही मैंने बाहर जाना बंद कर दिया था। मार्च से कहीं नहीं गया। सिर्फ हॉस्टल और कोरोना वॉर्ड में ही आना-जाना होता था। मुलाकात भी सिर्फ कलीग्स के साथ ही होती थी। घर जानबूझकर नहीं गया क्योंकि अभी यहां ड्यूटी चल रही है। कोरोना वॉर्ड के अंदर हमें कम से कम ये पता होता है कि कौन कोरोना पॉजिटिव है। हम पूरे प्रिकॉशन के साथ जाते हैं।

वरना जिन लोगों को काम के सिलसिले में बाहर निकलना पड़ रहा है वो तो ये भी नहीं जानते कि कौन पॉजिटिव है और कौन नहीं। हालांकि, अभी मैं ठीक हो चुका हूं और ड्यूटी के लिए कोरोना वॉर्ड में वापस आ चुका हूं। वापस आने से पहले मैंने पढ़ा कि दोबारा संक्रमण का खतरा कितना होता है। यह कितना रिस्की हो सकता है, लेकिन इस बारे में ज्यादा कोई डाटा नहीं है तो मैं तो आ गया फिर ड्यूटी करने।

कोरोना वॉर्ड में मरीज चिढ़ने लगते हैं

कोरोना वॉर्ड में मरीजों का इलाज करने और खुद आइसोलेशन में रहने के दौरान हुए एक्सपीरियंस से पता चलता है कि जो वॉर्ड में या आइसोलेशन में होता है वो चिढ़ने लगता है। क्योंकि कोई मिलने-जुलने वाला नहीं होता। किसी से बात नहीं हो पाती। आईसीयू में तो मॉनिटर की आवाज आते रहती है। पीपीई किट पहनकर डॉक्टर आते रहते हैं। कई बार आपके आसपास ही किसी की डेथ भी हो जाती है, यह सब देखकर किसी का भी इरिटेट होना एक नॉर्मल बात है।

डॉक्टर प्रमोद कुमार कोरोना से लड़ने के बाद एक बार फिर ड्यूटी पर लौट चुके हैं।

आईसीयू में कई बार कुछ पेशेंट डेलिरियम में चले जाते हैं। यानी अपना होश खो बैठते हैं। ऐसा उन लोगों के साथ ज्यादा होता है जो मेंटली प्रिपेयर नहीं होते। मैं भी जब आइसोलेशन में था तो थोड़ा इरिटेट हो गया था। ऐसे में जरूरी है कि हम घरवालों से फोन पर ज्यादा से ज्यादा बात करते रहें। मोबाइल पर कुछ न कुछ करते रहें।

काम करने की कंडीशन है तो करें या फिर कुछ पढ़ते रहें। खुद को कहीं न कहीं व्यस्त रखना जरूरी है वरना कोरोना ट्रीटमेंट का ये पीरियड काटना बहुत मुश्किल हो जाता है। खैर, मैं अपनी ड्यूटी पर दोबारा लौट चुका हूं। घरवालों ने कहा था कि हो सके तो कोरोना के बजाए किसी दूसरे वॉर्ड में ड्यूटी लगवा लो, लेकिन अभी हम नई उम्र के हैं। हमें गंभीर संक्रमण होने की आशंका कम है। पूरे प्रिकॉशन लेते हुए इलाज कर रहे हैं।

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परिवार ने कहा कि, हो सके तो अब कोरोना वॉर्ड से ड्यूटी हटवा लो लेकिन डॉक्टर प्रमोद कुमार ने यह कहते हुए इंकार कर दिया कि, यह हमारी जिम्मेदारी है। पीछे नहीं हट सकते।

https://ift.tt/33daOTU Dainik Bhaskar तेज बुखार आया, मुंह से खून आने लगा, अकेले इलाज करवाते रहे लेकिन घरवालों को नहीं बताया Reviewed by Manish Pethev on July 31, 2020 Rating: 5

अलग -अलग ओवर द टॉप (ओटीटी) माध्यमों पर इस वीकेंड पांच फिल्में रिलीज हो रही हैं। ‘शकुंतला देवी’ एमेजॉन पर आ रही है। ‘रात अकेली है’ नेटफ्लि‍क्स, ‘यारा’ जी5 पर, ‘माई क्लाइंट्स वाइफ’ शेमारूमी पर और ‘लूटकेस’ डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर आ रही है। ये फिल्म प्रदर्शन शैली सिनेमाघरों वाली मारामारी की याद दिला रही है, जहां किसी बड़े वीकेंड पर दो या तीन फिल्में एक साथ रिलीज होती थीं। सालभर मेंं हमारे देश में लगभग 1000 से 1400 फिल्में रिलीज होती हैं और रिलीज के वीकेंड मात्र 52 होते हैं, ऐसे में थिएटर्स में तो यह भीड़भाड़ समझ आती है, लेकिन ओटीटी तो बिल्कुल अलग तरह का माध्यम है। वहां एक बार फिल्म आने के बाद स्थायी रूप से उपलब्ध रहती है। ऐसे में एक वीकेंड पर पांच फिल्में रिलीज़ करने का औचित्य समझ से परे है, मैं हैरान हूं कि एक साथ रिलीज के पीछे क्या तर्क और बिज़नेस स्ट्रेटजी है? ओटीटी पर रिलीज करना और उनका प्रचार करके फिल्म के बारे में दर्शकों को बताना दो अलग बातें हैं। बड़े स्टार्स वाली ‌बड़ी फिल्म तो इस तरह अपनी मौजूदगी दर्ज करा लेंगी, लेकिन छोटी फिल्म्स फिर भीड़ में खो जाएंगी। शकुंतला देवी में विद्या बालन हैं, ऊपर से एमेजॉन जैसा प्लेटफॉर्म है। ऐसे में इस फिल्म को तो भरपूर पब्लिसिटी मिल गई है। यही अनुकूल परिस्थिति ‘रात अकेली है’ के साथ है। यहां बड़े नाम हैं। नवाज हैं, राधिका आप्टे भी हैं। मगर बाकी का क्या? सवाल है कि अगर फिल्में बनाने में काफी प्लानिंग होती है, तो रिलीज करने को लेकर बेहतर प्लानिंग क्यों नहीं हो सकती। यह प्रगतिशील सोच है कि डिजिटल प्लेटफॉर्म पर फिल्म करोड़ों घरों तक पहुंचेगी, लेकिन अगर लोगों को पता ही नहीं चलेगा कि कोई फिल्म किसी प्लेटफॉर्म पर आई है कि नहीं, ऐसे में वह सफल कैसे होगी। ओटीटी पर ही लोगों के पास अनगिनत विकल्प हैं। ऐसे में ये फिल्म ही देखी जाएंगी, कैसे तय होगा। सिनेमाघरों के दोबारा खुलने पर यकीनन सब पहले जैसा हो जाएगा। पर इन स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स के लिए नई बदलाव वाली रणनीति होनी चाहिए। दर्शकों के साथ संदेश आदान-प्रदान के नवीन तरीके विकसित होने चाहिए। जहां तक दर्शकों को दूसरे प्लेटफॉर्म पर रिलीज़ फिल्मों के पता चलने का सवाल है, तो इसमें कोई बड़ी बात नहीं, लेकिन इसमें यह तय नहीं होता कि वह अपना प्लेटफॉर्म बदलकर उस फिल्म के लिए दूसरे माध्यम पर जाए। थिएटर्स में वीकेंड्स पर चार-पांच फिल्में आती थीं, उस स्थिति में किसी को फायदा नहीं होता था। यही चीज़ इन माध्यमों पर दोहराई जा रही है। जब इतना शोर होगा, तो दर्शक भी कन्फ्यूज हो जाएगा। अगर वाकई मनोरंजन की दुनिया बदल रही है, तो जाहिर तौर पर रिलीज की रणनीति भी अलग होनी चाहिए। इसमें नए प्रयोग किए जा सकते हैं जैसे कि शुक्रवार के अलावा नए कंटेंट के लिए आप मंगलवार आ सकते हैं। ताकि शुक्रवार से सोमवार तक लोग एक कंटेंट देख लें। मंगलवार से दूसरा कंटेंट देखें। ऐसे में एक ही टाइम पर रिलीज की मारामारी नहीं रहेगी। इसमें हर्ज क्या है? मैं भी डिजिटल पर ही काम करती हूं। यहां मालूम नहीं होता कि कौन सी चीज क्लिक कर जाए। जैसा फिल्मों के साथ भी है कि नहीं मालूम कौन सी चल जाए। दुनियाभर में फिल्में शुक्रवार को रिलीज़ करने का रिवाज़ रहा है, मगर शुक्रवार का इंतजार जरूरी नहीं। आज ज्यादातर काम वर्क फ्रॉम होम हो रहा है। क्या पता लोग बुधवार को ही कंटेंट देख लें! अगर रविवार की दोपहर को कंटेंट रिलीज़ करते हैं, तो इससे ओटीटी माध्यमों को क्या फर्क पड़ेगा? एक ही वीकेंड पर कौन इतनी फिल्में देख पाएगा। ऐसे में एक दो तो मिस होने वाली हैं। जो फिल्में मैं देख पाती, वह मिस होगी। इसमें फायदा किसका है? (ये लेखिका के अपने विचार हैं।) आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें अनुपमा चोपड़ा https://ift.tt/39FlBY7 Dainik Bhaskar इस बार ओटीटी पर एक साथ पांच फिल्में रिलीज हो रही हैं, क्या दर्शक एक वीकेंड पर पांच फिल्में देख सकते हैं?

अलग -अलग ओवर द टॉप (ओटीटी) माध्यमों पर इस वीकेंड पांच फिल्में रिलीज हो रही हैं। ‘शकुंतला देवी’ एमेजॉन पर आ रही है। ‘रात अकेली है’ नेटफ्लि‍क...
- July 31, 2020
अलग -अलग ओवर द टॉप (ओटीटी) माध्यमों पर इस वीकेंड पांच फिल्में रिलीज हो रही हैं। ‘शकुंतला देवी’ एमेजॉन पर आ रही है। ‘रात अकेली है’ नेटफ्लि‍क्स, ‘यारा’ जी5 पर, ‘माई क्लाइंट्स वाइफ’ शेमारूमी पर और ‘लूटकेस’ डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर आ रही है। ये फिल्म प्रदर्शन शैली सिनेमाघरों वाली मारामारी की याद दिला रही है, जहां किसी बड़े वीकेंड पर दो या तीन फिल्में एक साथ रिलीज होती थीं। सालभर मेंं हमारे देश में लगभग 1000 से 1400 फिल्में रिलीज होती हैं और रिलीज के वीकेंड मात्र 52 होते हैं, ऐसे में थिएटर्स में तो यह भीड़भाड़ समझ आती है, लेकिन ओटीटी तो बिल्कुल अलग तरह का माध्यम है। वहां एक बार फिल्म आने के बाद स्थायी रूप से उपलब्ध रहती है। ऐसे में एक वीकेंड पर पांच फिल्में रिलीज़ करने का औचित्य समझ से परे है, मैं हैरान हूं कि एक साथ रिलीज के पीछे क्या तर्क और बिज़नेस स्ट्रेटजी है? ओटीटी पर रिलीज करना और उनका प्रचार करके फिल्म के बारे में दर्शकों को बताना दो अलग बातें हैं। बड़े स्टार्स वाली ‌बड़ी फिल्म तो इस तरह अपनी मौजूदगी दर्ज करा लेंगी, लेकिन छोटी फिल्म्स फिर भीड़ में खो जाएंगी। शकुंतला देवी में विद्या बालन हैं, ऊपर से एमेजॉन जैसा प्लेटफॉर्म है। ऐसे में इस फिल्म को तो भरपूर पब्लिसिटी मिल गई है। यही अनुकूल परिस्थिति ‘रात अकेली है’ के साथ है। यहां बड़े नाम हैं। नवाज हैं, राधिका आप्टे भी हैं। मगर बाकी का क्या? सवाल है कि अगर फिल्में बनाने में काफी प्लानिंग होती है, तो रिलीज करने को लेकर बेहतर प्लानिंग क्यों नहीं हो सकती। यह प्रगतिशील सोच है कि डिजिटल प्लेटफॉर्म पर फिल्म करोड़ों घरों तक पहुंचेगी, लेकिन अगर लोगों को पता ही नहीं चलेगा कि कोई फिल्म किसी प्लेटफॉर्म पर आई है कि नहीं, ऐसे में वह सफल कैसे होगी। ओटीटी पर ही लोगों के पास अनगिनत विकल्प हैं। ऐसे में ये फिल्म ही देखी जाएंगी, कैसे तय होगा। सिनेमाघरों के दोबारा खुलने पर यकीनन सब पहले जैसा हो जाएगा। पर इन स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स के लिए नई बदलाव वाली रणनीति होनी चाहिए। दर्शकों के साथ संदेश आदान-प्रदान के नवीन तरीके विकसित होने चाहिए। जहां तक दर्शकों को दूसरे प्लेटफॉर्म पर रिलीज़ फिल्मों के पता चलने का सवाल है, तो इसमें कोई बड़ी बात नहीं, लेकिन इसमें यह तय नहीं होता कि वह अपना प्लेटफॉर्म बदलकर उस फिल्म के लिए दूसरे माध्यम पर जाए। थिएटर्स में वीकेंड्स पर चार-पांच फिल्में आती थीं, उस स्थिति में किसी को फायदा नहीं होता था। यही चीज़ इन माध्यमों पर दोहराई जा रही है। जब इतना शोर होगा, तो दर्शक भी कन्फ्यूज हो जाएगा। अगर वाकई मनोरंजन की दुनिया बदल रही है, तो जाहिर तौर पर रिलीज की रणनीति भी अलग होनी चाहिए। इसमें नए प्रयोग किए जा सकते हैं जैसे कि शुक्रवार के अलावा नए कंटेंट के लिए आप मंगलवार आ सकते हैं। ताकि शुक्रवार से सोमवार तक लोग एक कंटेंट देख लें। मंगलवार से दूसरा कंटेंट देखें। ऐसे में एक ही टाइम पर रिलीज की मारामारी नहीं रहेगी। इसमें हर्ज क्या है? मैं भी डिजिटल पर ही काम करती हूं। यहां मालूम नहीं होता कि कौन सी चीज क्लिक कर जाए। जैसा फिल्मों के साथ भी है कि नहीं मालूम कौन सी चल जाए। दुनियाभर में फिल्में शुक्रवार को रिलीज़ करने का रिवाज़ रहा है, मगर शुक्रवार का इंतजार जरूरी नहीं। आज ज्यादातर काम वर्क फ्रॉम होम हो रहा है। क्या पता लोग बुधवार को ही कंटेंट देख लें! अगर रविवार की दोपहर को कंटेंट रिलीज़ करते हैं, तो इससे ओटीटी माध्यमों को क्या फर्क पड़ेगा? एक ही वीकेंड पर कौन इतनी फिल्में देख पाएगा। ऐसे में एक दो तो मिस होने वाली हैं। जो फिल्में मैं देख पाती, वह मिस होगी। इसमें फायदा किसका है? (ये लेखिका के अपने विचार हैं।) आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें अनुपमा चोपड़ा https://ift.tt/39FlBY7 Dainik Bhaskar इस बार ओटीटी पर एक साथ पांच फिल्में रिलीज हो रही हैं, क्या दर्शक एक वीकेंड पर पांच फिल्में देख सकते हैं? 

अलग -अलग ओवर द टॉप (ओटीटी) माध्यमों पर इस वीकेंड पांच फिल्में रिलीज हो रही हैं। ‘शकुंतला देवी’ एमेजॉन पर आ रही है। ‘रात अकेली है’ नेटफ्लि‍क्स, ‘यारा’ जी5 पर, ‘माई क्लाइंट्स वाइफ’ शेमारूमी पर और ‘लूटकेस’ डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर आ रही है।

ये फिल्म प्रदर्शन शैली सिनेमाघरों वाली मारामारी की याद दिला रही है, जहां किसी बड़े वीकेंड पर दो या तीन फिल्में एक साथ रिलीज होती थीं। सालभर मेंं हमारे देश में लगभग 1000 से 1400 फिल्में रिलीज होती हैं और रिलीज के वीकेंड मात्र 52 होते हैं, ऐसे में थिएटर्स में तो यह भीड़भाड़ समझ आती है, लेकिन ओटीटी तो बिल्कुल अलग तरह का माध्यम है। वहां एक बार फिल्म आने के बाद स्थायी रूप से उपलब्ध रहती है। ऐसे में एक वीकेंड पर पांच फिल्में रिलीज़ करने का औचित्य समझ से परे है, मैं हैरान हूं कि एक साथ रिलीज के पीछे क्या तर्क और बिज़नेस स्ट्रेटजी है?

ओटीटी पर रिलीज करना और उनका प्रचार करके फिल्म के बारे में दर्शकों को बताना दो अलग बातें हैं। बड़े स्टार्स वाली ‌बड़ी फिल्म तो इस तरह अपनी मौजूदगी दर्ज करा लेंगी, लेकिन छोटी फिल्म्स फिर भीड़ में खो जाएंगी। शकुंतला देवी में विद्या बालन हैं, ऊपर से एमेजॉन जैसा प्लेटफॉर्म है। ऐसे में इस फिल्म को तो भरपूर पब्लिसिटी मिल गई है। यही अनुकूल परिस्थिति ‘रात अकेली है’ के साथ है। यहां बड़े नाम हैं। नवाज हैं, राधिका आप्टे भी हैं। मगर बाकी का क्या? सवाल है कि अगर फिल्में बनाने में काफी प्लानिंग होती है, तो रिलीज करने को लेकर बेहतर प्लानिंग क्यों नहीं हो सकती।

यह प्रगतिशील सोच है कि डिजिटल प्लेटफॉर्म पर फिल्म करोड़ों घरों तक पहुंचेगी, लेकिन अगर लोगों को पता ही नहीं चलेगा कि कोई फिल्म किसी प्लेटफॉर्म पर आई है कि नहीं, ऐसे में वह सफल कैसे होगी। ओटीटी पर ही लोगों के पास अनगिनत विकल्प हैं। ऐसे में ये फिल्म ही देखी जाएंगी, कैसे तय होगा।

सिनेमाघरों के दोबारा खुलने पर यकीनन सब पहले जैसा हो जाएगा। पर इन स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स के लिए नई बदलाव वाली रणनीति होनी चाहिए। दर्शकों के साथ संदेश आदान-प्रदान के नवीन तरीके विकसित होने चाहिए। जहां तक दर्शकों को दूसरे प्लेटफॉर्म पर रिलीज़ फिल्मों के पता चलने का सवाल है, तो इसमें कोई बड़ी बात नहीं, लेकिन इसमें यह तय नहीं होता कि वह अपना प्लेटफॉर्म बदलकर उस फिल्म के लिए दूसरे माध्यम पर जाए। थिएटर्स में वीकेंड्स पर चार-पांच फिल्में आती थीं, उस स्थिति में किसी को फायदा नहीं होता था। यही चीज़ इन माध्यमों पर दोहराई जा रही है। जब इतना शोर होगा, तो दर्शक भी कन्फ्यूज हो जाएगा।

अगर वाकई मनोरंजन की दुनिया बदल रही है, तो जाहिर तौर पर रिलीज की रणनीति भी अलग होनी चाहिए। इसमें नए प्रयोग किए जा सकते हैं जैसे कि शुक्रवार के अलावा नए कंटेंट के लिए आप मंगलवार आ सकते हैं। ताकि शुक्रवार से सोमवार तक लोग एक कंटेंट देख लें। मंगलवार से दूसरा कंटेंट देखें। ऐसे में एक ही टाइम पर रिलीज की मारामारी नहीं रहेगी। इसमें हर्ज क्या है? मैं भी डिजिटल पर ही काम करती हूं। यहां मालूम नहीं होता कि कौन सी चीज क्लिक कर जाए। जैसा फिल्मों के साथ भी है कि नहीं मालूम कौन सी चल जाए।

दुनियाभर में फिल्में शुक्रवार को रिलीज़ करने का रिवाज़ रहा है, मगर शुक्रवार का इंतजार जरूरी नहीं। आज ज्यादातर काम वर्क फ्रॉम होम हो रहा है। क्या पता लोग बुधवार को ही कंटेंट देख लें! अगर रविवार की दोपहर को कंटेंट रिलीज़ करते हैं, तो इससे ओटीटी माध्यमों को क्या फर्क पड़ेगा? एक ही वीकेंड पर कौन इतनी फिल्में देख पाएगा। ऐसे में एक दो तो मिस होने वाली हैं। जो फिल्में मैं देख पाती, वह मिस होगी। इसमें फायदा किसका है? (ये लेखिका के अपने विचार हैं।)

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अनुपमा चोपड़ा

https://ift.tt/39FlBY7 Dainik Bhaskar इस बार ओटीटी पर एक साथ पांच फिल्में रिलीज हो रही हैं, क्या दर्शक एक वीकेंड पर पांच फिल्में देख सकते हैं? Reviewed by Manish Pethev on July 31, 2020 Rating: 5

भारतीय राजनीति में आप कहां खड़े हैं, यह इसपर निर्भर है कि आप कहां बैठते हैं। इसका ताजा उदाहरण हैं राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र। मिश्र 1998 में उस भाजपा प्रतिनिधि मंडल का हिस्सा थे जो उप्र के तत्कालीन राज्यपाल रोमेश भंडारी द्वारा कल्याण सिंह सरकार को बर्खास्त करने के खिलाफ धरने पर बैठा था। अब कांग्रेस के विधायक जो राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की तुरंत सत्र बुलाने की मांग को मिश्र द्वारा खारिज करने के विरोध में धरने पर बैठे। राज्यपाल ने मांग मान ली, लेकिन सत्र बुलाने के लिए 21 दिन के नोटिस पीरियड पर जोर दिया है, जो कि विधायकों की खरीद-फरोख्त व एक और कांग्रेस सरकार को गिराने के लिए पर्याप्त समय होगा। स्पष्ट है कि मिश्र की निष्ठा संविधान में नहीं, केंद्र में है। मिश्र विवादों में आने वाले पहले राज्यपाल नहीं हैं। 2017 में गोवा में मृदुला सिन्हा और मणिपुर में नजमा हेपतुल्लाह ने भाजपा सरकारों को जल्दबाजी में शपथ दिलाई। कर्नाटक में 2018 में वजूभाई वाला, जो कि गुजरात बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष थे, ने बीएस येद्दुरप्पा को बिना बहुमत सरकार बनाने का आमंत्रण दिया था। सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद सरकार 48 घंटे में ही गिर गई। महाराष्ट्र में 2019 में बीएस कोशियारी ने अलसुबह देवेंद्र फडनवीस को शपथ दिलवा दी थी। इन सभी राज्यपालों में एक बात समान है। ये सभी बीजेपी के ‘मार्गदर्शक मंडल’ राजनेता हैं, जिनके लिए राज भवन आलीशान रिटायरमेंट होम की तरह है। ये संवैधानिक प्राधिकारी अपने पक्षपाती कामों के बचाव में कहते हैं कि वे तो बस कांग्रेस पार्टी द्वारा स्थापित पुरानी परंपरा निभा रहे हैं, जिसमें हमेशा राज्यपाल कार्यालय का दुरुपयोग होता था। एक तरह से यह भाजपा के ‘कांग्रेसीकरण’ का ही सबूत है। इन्होंने बाकियों से अलग होने का जो दावा जोर-शोर से किया था, उसका मतलब सिर्फ कांग्रेस का विकल्प बनना नहीं बल्कि एक वैकल्पिक राजनीतिक संस्कृति देना भी था। वाजपेयी-आडवाणी के दौर में ‘मूल्य-आधारित’ राजनीति का दावा करने वाली भाजपा में अब ऊंचे मोल की राजनीति हो रही है, जहां राजनीतिक साजिशों के साथ कीमत जुड़ी है। उदाहरण के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गहलोत के भाई को खाद घोटाले के 2007 के एक मामले में समन भेज दिया। ईडी पर भाजपा के सहयोगी और राजनीतिक बदला लेने का हथियार होने के आरोप लगते रहे हैं। यहां भी बचाव में यही कहा जा रहा है कि कांग्रेस का भी सरकारी एजेंसियों के इस्तेमाल का ट्रैक रिकॉर्ड रहा है। लेकिन अगर कांग्रेस के शासन में सीबीआई पिंजरे का तोता थी तो क्या ईडी भाजपा शासन में खूंखार कुत्ता है? फिर अलग होने का दावा करने वाली पार्टी का क्या हुआ? राजस्थान में पार्टी बदलने के लिए भारी मात्रा में पैसे दिए जाने के आरोपों का भी विश्लेषण करें। भले ही यह अटकलबाजी हो, लेकिन दल-बदल के पीछे मंत्री बनने के लालच से इनकार नहीं कर सकते। जिन्होंने पार्टी बदली उन्हें नवाजा गया, फिर वह गोवा रहा हो, मणिपुर, कर्नाटक या एमपी। पैसे की ताकत के नशे को कांग्रेस के पतन का कारण माना गया और इसके विपरीत भाजपा नेताओं की सादगीपसंद छवि मानी गई। अब दल बदलने के लिए भड़काने वाली भाजपा के अलग होने के दावे का क्या हुआ? सच्चाई यह है कि भाजपा पूर्ण प्रभुत्व की लालसा में आदर्शवाद के किसी भी अवशेष से समझौता कर सकती है। वह संसद में हो या विधानसभा या फिर नगर निगमों में, भाजपा की जितनी ‘जीत’ रही हैं, वे दरअसल पूर्व कांग्रेसी रहे हैं, जो भगवा लहर में बह गए। फिर वे मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह हो, गोवा के उपमुख्यमंत्री चंद्रकांत कावलेखर, मप्र में शिवराज सरकार के आधे मंत्री हो, असम के हेमंत बिस्व सरमा हों या फिर अरुणाचल के मुख्यमंत्री प्रेमा खांडू। ये सभी भाजपा में शामिल होने से पहले लंबे समय कांग्रेस में रहे। फेहरिस्त लंबी है। यह ‘नई’ भाजपा की हिंसक, अनैतिक प्रवृत्ति का खुलासा भी करता है, जो किसी भी तरह अपने विरोधी को तबाह करना चाहती है। इस प्रक्रिया में कभी बहुत अनुशासित रहा भाजपा का ढांचा और वैचारिक सामंजस्य खतरे में है। जब आप अवसरवादिता को बढ़ावा दें और नैतिक व्यवहार को कमजोर करें तो आप भविष्य के संभावित राजनीतिक खतरों को जन्म देते हैं। उधर राजनीति की कठोर वास्तविकताओं से आरएसएस का भी अपनी राजनीतिक शाखा पर से नियंत्रण लगातार कम हो रहा है। जहां पहले नैतिक अधिकार आरएसएस सरसंघचालक का माना जाता था, अब मोदी-शाह युग में वे स्पष्टरूप से दूसरे पायदान पर आ गए हैं। वहीं अब संस्थागत नियंत्रण लगभग पूरा हो चुका है। एक चुनाव आयुक्त, जो असहमति जताते हैं तो उन्हें गैरजरूरी पद पर मनिला भेज देते हैं। एक सुप्रीम कोर्ट जज को रिटायरमेंट के कुछ ही महीनों में राज्यसभा के लिए नामित कर देते हैं, जबकि प्रधानमंत्री की तारीफ करने वाले एक मौजूदा जज राजनीति के विवादास्पद मामलों की सुनवाई करते हैं। संसद एक नोटिस बोर्ड बनकर रह गई है। और मीडिया का एक बड़ा हिस्सा चीयरलीडर की भूमिका में है। इस बीच भाजपा विस्तार कर रही है। कल मध्यप्रदेश, आज राजस्थान और पता नहीं कल कौन-सा विपक्ष शासित राज्य। क्या विरोधी आवाज के लिए कोई जगह बची है? (ये लेखक के अपने विचार हैं) आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें राजदीप सरदेसाई, वरिष्ठ पत्रकार https://ift.tt/2Xf3HGx Dainik Bhaskar ‘नई’ भाजपा वैसी नहीं है, जैसा वह दावा करती थी; अब दिखने लगा है कि भाजपा का ‘कांग्रेसीकरण’ हो रहा

भारतीय राजनीति में आप कहां खड़े हैं, यह इसपर निर्भर है कि आप कहां बैठते हैं। इसका ताजा उदाहरण हैं राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र। मिश्र 19...
- July 31, 2020
भारतीय राजनीति में आप कहां खड़े हैं, यह इसपर निर्भर है कि आप कहां बैठते हैं। इसका ताजा उदाहरण हैं राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र। मिश्र 1998 में उस भाजपा प्रतिनिधि मंडल का हिस्सा थे जो उप्र के तत्कालीन राज्यपाल रोमेश भंडारी द्वारा कल्याण सिंह सरकार को बर्खास्त करने के खिलाफ धरने पर बैठा था। अब कांग्रेस के विधायक जो राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की तुरंत सत्र बुलाने की मांग को मिश्र द्वारा खारिज करने के विरोध में धरने पर बैठे। राज्यपाल ने मांग मान ली, लेकिन सत्र बुलाने के लिए 21 दिन के नोटिस पीरियड पर जोर दिया है, जो कि विधायकों की खरीद-फरोख्त व एक और कांग्रेस सरकार को गिराने के लिए पर्याप्त समय होगा। स्पष्ट है कि मिश्र की निष्ठा संविधान में नहीं, केंद्र में है। मिश्र विवादों में आने वाले पहले राज्यपाल नहीं हैं। 2017 में गोवा में मृदुला सिन्हा और मणिपुर में नजमा हेपतुल्लाह ने भाजपा सरकारों को जल्दबाजी में शपथ दिलाई। कर्नाटक में 2018 में वजूभाई वाला, जो कि गुजरात बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष थे, ने बीएस येद्दुरप्पा को बिना बहुमत सरकार बनाने का आमंत्रण दिया था। सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद सरकार 48 घंटे में ही गिर गई। महाराष्ट्र में 2019 में बीएस कोशियारी ने अलसुबह देवेंद्र फडनवीस को शपथ दिलवा दी थी। इन सभी राज्यपालों में एक बात समान है। ये सभी बीजेपी के ‘मार्गदर्शक मंडल’ राजनेता हैं, जिनके लिए राज भवन आलीशान रिटायरमेंट होम की तरह है। ये संवैधानिक प्राधिकारी अपने पक्षपाती कामों के बचाव में कहते हैं कि वे तो बस कांग्रेस पार्टी द्वारा स्थापित पुरानी परंपरा निभा रहे हैं, जिसमें हमेशा राज्यपाल कार्यालय का दुरुपयोग होता था। एक तरह से यह भाजपा के ‘कांग्रेसीकरण’ का ही सबूत है। इन्होंने बाकियों से अलग होने का जो दावा जोर-शोर से किया था, उसका मतलब सिर्फ कांग्रेस का विकल्प बनना नहीं बल्कि एक वैकल्पिक राजनीतिक संस्कृति देना भी था। वाजपेयी-आडवाणी के दौर में ‘मूल्य-आधारित’ राजनीति का दावा करने वाली भाजपा में अब ऊंचे मोल की राजनीति हो रही है, जहां राजनीतिक साजिशों के साथ कीमत जुड़ी है। उदाहरण के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गहलोत के भाई को खाद घोटाले के 2007 के एक मामले में समन भेज दिया। ईडी पर भाजपा के सहयोगी और राजनीतिक बदला लेने का हथियार होने के आरोप लगते रहे हैं। यहां भी बचाव में यही कहा जा रहा है कि कांग्रेस का भी सरकारी एजेंसियों के इस्तेमाल का ट्रैक रिकॉर्ड रहा है। लेकिन अगर कांग्रेस के शासन में सीबीआई पिंजरे का तोता थी तो क्या ईडी भाजपा शासन में खूंखार कुत्ता है? फिर अलग होने का दावा करने वाली पार्टी का क्या हुआ? राजस्थान में पार्टी बदलने के लिए भारी मात्रा में पैसे दिए जाने के आरोपों का भी विश्लेषण करें। भले ही यह अटकलबाजी हो, लेकिन दल-बदल के पीछे मंत्री बनने के लालच से इनकार नहीं कर सकते। जिन्होंने पार्टी बदली उन्हें नवाजा गया, फिर वह गोवा रहा हो, मणिपुर, कर्नाटक या एमपी। पैसे की ताकत के नशे को कांग्रेस के पतन का कारण माना गया और इसके विपरीत भाजपा नेताओं की सादगीपसंद छवि मानी गई। अब दल बदलने के लिए भड़काने वाली भाजपा के अलग होने के दावे का क्या हुआ? सच्चाई यह है कि भाजपा पूर्ण प्रभुत्व की लालसा में आदर्शवाद के किसी भी अवशेष से समझौता कर सकती है। वह संसद में हो या विधानसभा या फिर नगर निगमों में, भाजपा की जितनी ‘जीत’ रही हैं, वे दरअसल पूर्व कांग्रेसी रहे हैं, जो भगवा लहर में बह गए। फिर वे मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह हो, गोवा के उपमुख्यमंत्री चंद्रकांत कावलेखर, मप्र में शिवराज सरकार के आधे मंत्री हो, असम के हेमंत बिस्व सरमा हों या फिर अरुणाचल के मुख्यमंत्री प्रेमा खांडू। ये सभी भाजपा में शामिल होने से पहले लंबे समय कांग्रेस में रहे। फेहरिस्त लंबी है। यह ‘नई’ भाजपा की हिंसक, अनैतिक प्रवृत्ति का खुलासा भी करता है, जो किसी भी तरह अपने विरोधी को तबाह करना चाहती है। इस प्रक्रिया में कभी बहुत अनुशासित रहा भाजपा का ढांचा और वैचारिक सामंजस्य खतरे में है। जब आप अवसरवादिता को बढ़ावा दें और नैतिक व्यवहार को कमजोर करें तो आप भविष्य के संभावित राजनीतिक खतरों को जन्म देते हैं। उधर राजनीति की कठोर वास्तविकताओं से आरएसएस का भी अपनी राजनीतिक शाखा पर से नियंत्रण लगातार कम हो रहा है। जहां पहले नैतिक अधिकार आरएसएस सरसंघचालक का माना जाता था, अब मोदी-शाह युग में वे स्पष्टरूप से दूसरे पायदान पर आ गए हैं। वहीं अब संस्थागत नियंत्रण लगभग पूरा हो चुका है। एक चुनाव आयुक्त, जो असहमति जताते हैं तो उन्हें गैरजरूरी पद पर मनिला भेज देते हैं। एक सुप्रीम कोर्ट जज को रिटायरमेंट के कुछ ही महीनों में राज्यसभा के लिए नामित कर देते हैं, जबकि प्रधानमंत्री की तारीफ करने वाले एक मौजूदा जज राजनीति के विवादास्पद मामलों की सुनवाई करते हैं। संसद एक नोटिस बोर्ड बनकर रह गई है। और मीडिया का एक बड़ा हिस्सा चीयरलीडर की भूमिका में है। इस बीच भाजपा विस्तार कर रही है। कल मध्यप्रदेश, आज राजस्थान और पता नहीं कल कौन-सा विपक्ष शासित राज्य। क्या विरोधी आवाज के लिए कोई जगह बची है? (ये लेखक के अपने विचार हैं) आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें राजदीप सरदेसाई, वरिष्ठ पत्रकार https://ift.tt/2Xf3HGx Dainik Bhaskar ‘नई’ भाजपा वैसी नहीं है, जैसा वह दावा करती थी; अब दिखने लगा है कि भाजपा का ‘कांग्रेसीकरण’ हो रहा 

भारतीय राजनीति में आप कहां खड़े हैं, यह इसपर निर्भर है कि आप कहां बैठते हैं। इसका ताजा उदाहरण हैं राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र। मिश्र 1998 में उस भाजपा प्रतिनिधि मंडल का हिस्सा थे जो उप्र के तत्कालीन राज्यपाल रोमेश भंडारी द्वारा कल्याण सिंह सरकार को बर्खास्त करने के खिलाफ धरने पर बैठा था।

अब कांग्रेस के विधायक जो राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की तुरंत सत्र बुलाने की मांग को मिश्र द्वारा खारिज करने के विरोध में धरने पर बैठे। राज्यपाल ने मांग मान ली, लेकिन सत्र बुलाने के लिए 21 दिन के नोटिस पीरियड पर जोर दिया है, जो कि विधायकों की खरीद-फरोख्त व एक और कांग्रेस सरकार को गिराने के लिए पर्याप्त समय होगा। स्पष्ट है कि मिश्र की निष्ठा संविधान में नहीं, केंद्र में है।

मिश्र विवादों में आने वाले पहले राज्यपाल नहीं हैं। 2017 में गोवा में मृदुला सिन्हा और मणिपुर में नजमा हेपतुल्लाह ने भाजपा सरकारों को जल्दबाजी में शपथ दिलाई। कर्नाटक में 2018 में वजूभाई वाला, जो कि गुजरात बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष थे, ने बीएस येद्दुरप्पा को बिना बहुमत सरकार बनाने का आमंत्रण दिया था।

सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद सरकार 48 घंटे में ही गिर गई। महाराष्ट्र में 2019 में बीएस कोशियारी ने अलसुबह देवेंद्र फडनवीस को शपथ दिलवा दी थी। इन सभी राज्यपालों में एक बात समान है। ये सभी बीजेपी के ‘मार्गदर्शक मंडल’ राजनेता हैं, जिनके लिए राज भवन आलीशान रिटायरमेंट होम की तरह है।

ये संवैधानिक प्राधिकारी अपने पक्षपाती कामों के बचाव में कहते हैं कि वे तो बस कांग्रेस पार्टी द्वारा स्थापित पुरानी परंपरा निभा रहे हैं, जिसमें हमेशा राज्यपाल कार्यालय का दुरुपयोग होता था। एक तरह से यह भाजपा के ‘कांग्रेसीकरण’ का ही सबूत है।

इन्होंने बाकियों से अलग होने का जो दावा जोर-शोर से किया था, उसका मतलब सिर्फ कांग्रेस का विकल्प बनना नहीं बल्कि एक वैकल्पिक राजनीतिक संस्कृति देना भी था। वाजपेयी-आडवाणी के दौर में ‘मूल्य-आधारित’ राजनीति का दावा करने वाली भाजपा में अब ऊंचे मोल की राजनीति हो रही है, जहां राजनीतिक साजिशों के साथ कीमत जुड़ी है।

उदाहरण के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गहलोत के भाई को खाद घोटाले के 2007 के एक मामले में समन भेज दिया। ईडी पर भाजपा के सहयोगी और राजनीतिक बदला लेने का हथियार होने के आरोप लगते रहे हैं।

यहां भी बचाव में यही कहा जा रहा है कि कांग्रेस का भी सरकारी एजेंसियों के इस्तेमाल का ट्रैक रिकॉर्ड रहा है। लेकिन अगर कांग्रेस के शासन में सीबीआई पिंजरे का तोता थी तो क्या ईडी भाजपा शासन में खूंखार कुत्ता है? फिर अलग होने का दावा करने वाली पार्टी का क्या हुआ?

राजस्थान में पार्टी बदलने के लिए भारी मात्रा में पैसे दिए जाने के आरोपों का भी विश्लेषण करें। भले ही यह अटकलबाजी हो, लेकिन दल-बदल के पीछे मंत्री बनने के लालच से इनकार नहीं कर सकते। जिन्होंने पार्टी बदली उन्हें नवाजा गया, फिर वह गोवा रहा हो, मणिपुर, कर्नाटक या एमपी।

पैसे की ताकत के नशे को कांग्रेस के पतन का कारण माना गया और इसके विपरीत भाजपा नेताओं की सादगीपसंद छवि मानी गई। अब दल बदलने के लिए भड़काने वाली भाजपा के अलग होने के दावे का क्या हुआ?

सच्चाई यह है कि भाजपा पूर्ण प्रभुत्व की लालसा में आदर्शवाद के किसी भी अवशेष से समझौता कर सकती है। वह संसद में हो या विधानसभा या फिर नगर निगमों में, भाजपा की जितनी ‘जीत’ रही हैं, वे दरअसल पूर्व कांग्रेसी रहे हैं, जो भगवा लहर में बह गए।

फिर वे मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह हो, गोवा के उपमुख्यमंत्री चंद्रकांत कावलेखर, मप्र में शिवराज सरकार के आधे मंत्री हो, असम के हेमंत बिस्व सरमा हों या फिर अरुणाचल के मुख्यमंत्री प्रेमा खांडू। ये सभी भाजपा में शामिल होने से पहले लंबे समय कांग्रेस में रहे। फेहरिस्त लंबी है।

यह ‘नई’ भाजपा की हिंसक, अनैतिक प्रवृत्ति का खुलासा भी करता है, जो किसी भी तरह अपने विरोधी को तबाह करना चाहती है। इस प्रक्रिया में कभी बहुत अनुशासित रहा भाजपा का ढांचा और वैचारिक सामंजस्य खतरे में है। जब आप अवसरवादिता को बढ़ावा दें और नैतिक व्यवहार को कमजोर करें तो आप भविष्य के संभावित राजनीतिक खतरों को जन्म देते हैं।

उधर राजनीति की कठोर वास्तविकताओं से आरएसएस का भी अपनी राजनीतिक शाखा पर से नियंत्रण लगातार कम हो रहा है। जहां पहले नैतिक अधिकार आरएसएस सरसंघचालक का माना जाता था, अब मोदी-शाह युग में वे स्पष्टरूप से दूसरे पायदान पर आ गए हैं।

वहीं अब संस्थागत नियंत्रण लगभग पूरा हो चुका है। एक चुनाव आयुक्त, जो असहमति जताते हैं तो उन्हें गैरजरूरी पद पर मनिला भेज देते हैं। एक सुप्रीम कोर्ट जज को रिटायरमेंट के कुछ ही महीनों में राज्यसभा के लिए नामित कर देते हैं, जबकि प्रधानमंत्री की तारीफ करने वाले एक मौजूदा जज राजनीति के विवादास्पद मामलों की सुनवाई करते हैं।

संसद एक नोटिस बोर्ड बनकर रह गई है। और मीडिया का एक बड़ा हिस्सा चीयरलीडर की भूमिका में है। इस बीच भाजपा विस्तार कर रही है। कल मध्यप्रदेश, आज राजस्थान और पता नहीं कल कौन-सा विपक्ष शासित राज्य। क्या विरोधी आवाज के लिए कोई जगह बची है? (ये लेखक के अपने विचार हैं)

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राजदीप सरदेसाई, वरिष्ठ पत्रकार

https://ift.tt/2Xf3HGx Dainik Bhaskar ‘नई’ भाजपा वैसी नहीं है, जैसा वह दावा करती थी; अब दिखने लगा है कि भाजपा का ‘कांग्रेसीकरण’ हो रहा Reviewed by Manish Pethev on July 31, 2020 Rating: 5

देश के सबसे ज्यादा कोरोना मरीजों वाले 20 शहरों में संक्रमण दर 17% हो चुकी है, जो राष्ट्रीय दर (8.7%) से दोगुनी है। यानी, देश में हर 100 टेस्ट में 8-9 मरीज मिले हैं, जबकि इन शहरों में 17 मरीज मिले हैं। कारण- टेस्ट कम होना। इन शहरों में देश के कुल 49% मरीज हैं, जबकि देश में कुल टेस्ट में इन शहरों के मरीजों की हिस्सेदारी सिर्फ 24% है। इसीलिए, संक्रमण दर ऊंची है। लेकिन, अच्छी बात यह है कि इन शहरों में 70% मरीज ठीक हो चुके हैं। यह दर राष्ट्रीय औसत से 6% ज्यादा है। यह आंकड़ा इसलिए अहम है, क्योंकि देश में रिकवरी रेट 6% बढ़ने में 45 दिन लगे हैं। जिन शहरों में मरीज ज्यादा हैं, रिकवरी रेट भी वहीं ज्यादा है। इसलिए बढ़ रही चिंता - चिंता की बात यह कि जयपुर-जोधपुर को छोड़कर सभी शहरों में संक्रमण की दर 5% से ज्यादा। (डब्ल्यूएचओ के अनुसार, 5% से ज्यादा संक्रमण का मतलब है कि टेस्ट कम हो रहे हैं) ठाणे में हर 100 टेस्ट में 40 से ज्यादा मरीज मिल रहे हैं, यह दर ब्राजील के बाद दुनिया में सबसे ज्यादा। दुनिया में एक दिन में रिकॉर्ड 2.90 लाख नए मरीज मिले दुनिया में कोरोनाकाल के साढ़े चार महीने में पहली बार बुधवार को एक दिन में रिकॉर्ड 2,90,393 कोरोना मरीज मिले। सबसे ज्यादा 70,869 मरीज ब्राजील और 66,921 मरीज अमेरिका में मिले। यानी दुनिया के 47.4% मरीज सिर्फ इन दो देशों में मिले हैं। अगर इनमें भारत के 52,656 मरीज भी जोड़ दें तो यह संख्या 1,90,464 बनती है। यानी दुनिया के 66% मरीज सिर्फ ब्राजील, अमेरिका और भारत में मिलने लगे हैं। दुनिया में बुधवार को कुल 7,032 मौतें हुईं। 21 अप्रैल के बाद सिर्फ दो बार मौतों का आंकड़ा 7 हजार के ऊपर गया है। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें नई दिल्ली में कोरोना की जांच के लिए स्वाब सैंपल लेता स्वास्थ्यकर्मी। https://ift.tt/2BIFW1Z Dainik Bhaskar 20 शहरों में देश के 49% मरीज, लेकिन टेस्ट सिर्फ 24%; इसीलिए संक्रमण दोगुना, बड़े शहरों में संक्रमण की दर 17% हुई

देश के सबसे ज्यादा कोरोना मरीजों वाले 20 शहरों में संक्रमण दर 17% हो चुकी है, जो राष्ट्रीय दर (8.7%) से दोगुनी है। यानी, देश में हर 100 टेस...
- July 31, 2020
देश के सबसे ज्यादा कोरोना मरीजों वाले 20 शहरों में संक्रमण दर 17% हो चुकी है, जो राष्ट्रीय दर (8.7%) से दोगुनी है। यानी, देश में हर 100 टेस्ट में 8-9 मरीज मिले हैं, जबकि इन शहरों में 17 मरीज मिले हैं। कारण- टेस्ट कम होना। इन शहरों में देश के कुल 49% मरीज हैं, जबकि देश में कुल टेस्ट में इन शहरों के मरीजों की हिस्सेदारी सिर्फ 24% है। इसीलिए, संक्रमण दर ऊंची है। लेकिन, अच्छी बात यह है कि इन शहरों में 70% मरीज ठीक हो चुके हैं। यह दर राष्ट्रीय औसत से 6% ज्यादा है। यह आंकड़ा इसलिए अहम है, क्योंकि देश में रिकवरी रेट 6% बढ़ने में 45 दिन लगे हैं। जिन शहरों में मरीज ज्यादा हैं, रिकवरी रेट भी वहीं ज्यादा है। इसलिए बढ़ रही चिंता - चिंता की बात यह कि जयपुर-जोधपुर को छोड़कर सभी शहरों में संक्रमण की दर 5% से ज्यादा। (डब्ल्यूएचओ के अनुसार, 5% से ज्यादा संक्रमण का मतलब है कि टेस्ट कम हो रहे हैं) ठाणे में हर 100 टेस्ट में 40 से ज्यादा मरीज मिल रहे हैं, यह दर ब्राजील के बाद दुनिया में सबसे ज्यादा। दुनिया में एक दिन में रिकॉर्ड 2.90 लाख नए मरीज मिले दुनिया में कोरोनाकाल के साढ़े चार महीने में पहली बार बुधवार को एक दिन में रिकॉर्ड 2,90,393 कोरोना मरीज मिले। सबसे ज्यादा 70,869 मरीज ब्राजील और 66,921 मरीज अमेरिका में मिले। यानी दुनिया के 47.4% मरीज सिर्फ इन दो देशों में मिले हैं। अगर इनमें भारत के 52,656 मरीज भी जोड़ दें तो यह संख्या 1,90,464 बनती है। यानी दुनिया के 66% मरीज सिर्फ ब्राजील, अमेरिका और भारत में मिलने लगे हैं। दुनिया में बुधवार को कुल 7,032 मौतें हुईं। 21 अप्रैल के बाद सिर्फ दो बार मौतों का आंकड़ा 7 हजार के ऊपर गया है। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें नई दिल्ली में कोरोना की जांच के लिए स्वाब सैंपल लेता स्वास्थ्यकर्मी। https://ift.tt/2BIFW1Z Dainik Bhaskar 20 शहरों में देश के 49% मरीज, लेकिन टेस्ट सिर्फ 24%; इसीलिए संक्रमण दोगुना, बड़े शहरों में संक्रमण की दर 17% हुई 

देश के सबसे ज्यादा कोरोना मरीजों वाले 20 शहरों में संक्रमण दर 17% हो चुकी है, जो राष्ट्रीय दर (8.7%) से दोगुनी है। यानी, देश में हर 100 टेस्ट में 8-9 मरीज मिले हैं, जबकि इन शहरों में 17 मरीज मिले हैं। कारण- टेस्ट कम होना।

इन शहरों में देश के कुल 49% मरीज हैं, जबकि देश में कुल टेस्ट में इन शहरों के मरीजों की हिस्सेदारी सिर्फ 24% है। इसीलिए, संक्रमण दर ऊंची है। लेकिन, अच्छी बात यह है कि इन शहरों में 70% मरीज ठीक हो चुके हैं। यह दर राष्ट्रीय औसत से 6% ज्यादा है। यह आंकड़ा इसलिए अहम है, क्योंकि देश में रिकवरी रेट 6% बढ़ने में 45 दिन लगे हैं। जिन शहरों में मरीज ज्यादा हैं, रिकवरी रेट भी वहीं ज्यादा है।

इसलिए बढ़ रही चिंता -

चिंता की बात यह कि जयपुर-जोधपुर को छोड़कर सभी शहरों में संक्रमण की दर 5% से ज्यादा। (डब्ल्यूएचओ के अनुसार, 5% से ज्यादा संक्रमण का मतलब है कि टेस्ट कम हो रहे हैं)

ठाणे में हर 100 टेस्ट में 40 से ज्यादा मरीज मिल रहे हैं, यह दर ब्राजील के बाद दुनिया में सबसे ज्यादा।

दुनिया में एक दिन में रिकॉर्ड 2.90 लाख नए मरीज मिले

दुनिया में कोरोनाकाल के साढ़े चार महीने में पहली बार बुधवार को एक दिन में रिकॉर्ड 2,90,393 कोरोना मरीज मिले। सबसे ज्यादा 70,869 मरीज ब्राजील और 66,921 मरीज अमेरिका में मिले। यानी दुनिया के 47.4% मरीज सिर्फ इन दो देशों में मिले हैं।

अगर इनमें भारत के 52,656 मरीज भी जोड़ दें तो यह संख्या 1,90,464 बनती है। यानी दुनिया के 66% मरीज सिर्फ ब्राजील, अमेरिका और भारत में मिलने लगे हैं। दुनिया में बुधवार को कुल 7,032 मौतें हुईं। 21 अप्रैल के बाद सिर्फ दो बार मौतों का आंकड़ा 7 हजार के ऊपर गया है।

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नई दिल्ली में कोरोना की जांच के लिए स्वाब सैंपल लेता स्वास्थ्यकर्मी।

https://ift.tt/2BIFW1Z Dainik Bhaskar 20 शहरों में देश के 49% मरीज, लेकिन टेस्ट सिर्फ 24%; इसीलिए संक्रमण दोगुना, बड़े शहरों में संक्रमण की दर 17% हुई Reviewed by Manish Pethev on July 31, 2020 Rating: 5

बीएसएफ ने गुजरात के पश्चिमी बॉर्डर की सबसे खतरनाक सीमा से पाकिस्तानी घुसपैठ को पूरी तरह ब्लॉक कर दिया है। अथाह दलदल वाले हरामी नाले तक जहां सुरक्षा करना मुश्किल था, उसे तीन ओर से सील कर दिया है। बीएसएफ ने 22 किलोमीटर लंबी फ्लड लाइट से लैस सड़क बना दी, जो नाले के मुहाने तक जाती है और इसी सड़क किनारे खड़े कर दिए वॉच/ओपी टॉवर और पोस्ट (बीओपी)। चूंकि यहां दलदल से आया नहीं जा सकता, सिर्फ हरामी नाले से घुसपैठ हो सकती थी। यह 22 किमी लंबा नाला 1.5 किमी से ज्यादा चौड़ा है। चार हजार वर्ग किमी इसी दलदली क्षेत्र में है 92 किमी लंबा सर क्रीक इलाका, जिस पर पाकिस्तान अपना कब्जा बताता रहा है। पहले लखपत पोस्ट से घुसपैठ को रोकना था बहुत मुश्किल हरामी नाले तक जाने के लिए जवान ऑल टरेन व्हीकल, बोट और पैदल चलकर पहुंचते थे। ये सफर 25 किमी दूर लखपत कोट से शुरू होता था अन्यथा कोटेश्वर होकर आना पड़ता था। भारतीय बीओपी भी लखपत के पास ही थी। यहां से सीधी रोड कनेक्टिवटी पर काम शुरू हुआ। बिजली की लाइन बिछाई और फ्लड लाइट्स भी लगाई गईं। अब पिलर संख्या 1175 के पास नई बीओपी का निर्माण कर दिया। सड़क के छोर पर ओपी टॉवर हैं। 55 साल में 30 फीट से डेढ़ किमी चौड़ा हुआ नाला 965 से पहले ये नाला 30-35 फीट चौड़ा था, अब इसका फैलाव डेढ़ किमी तक हो गया है। इसका दूसरा नाला 700 मीटर और तीसरा 500 मीटर चौड़ा है। तीनों का 22 किमी लंबा चैनल। क्रीक में 2 बार भारत और 2 बार पाकिस्तान में बहाव होता है। बेपरवाह पाक रेंजर्स, हरामी नाले तक भेज रहे मछुआरे बीएसएफ की मौजूदगी नहीं होने से पहले पाकिस्तानी आसानी से हरामी नाला में फिशिंग और घुसपैठ करते थे, लेकिन बीएसएफ ने इंटरनेशनल बॉर्डर के सहारे सब रोक दिया। हरामी नाले के होरिजेंटल व वर्टिकल दोनों प्रवाह के चैनल को सील कर दिया है। इतनी सख्ती के बावजूद पाकिस्तानी मछुआरे जीरो लाइन तक फिशिंग करने आ रहे हैं। पाकिस्तानी रेंजर्स मछुआरों को 5 से 10 दिन की अवैध पर्ची देकर भेज दिया करते हैं। हमने हरामी नाले को तीन तरफ से सील कर दिया है सरक्रीक इलाके में स्थित हरामी नाला सुरक्षा के लिए सबसे बड़ी चुनौती बना हुआ था। यहां से पाकिस्तानी मछुआरे घुसते थे। घुसपैठ की भी आशंका रहती थी। अब हमने यहां नाले को तीन ओर से सील कर दिया है। नाले के मुहाने तक सड़क बनाई गई है। निगरानी के लिए यहां नए निर्माण भी किए जा रहे हैं। - जीएस मलिक, आईजी, बीएसएफ गुजरात फ्रंटियर आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें हरामी नाले तक जाने के लिए जवान ऑल टरेन व्हीकल, बोट और पैदल चलकर पहुंचते थे। ये सफर 25 किमी दूर लखपत कोट से शुरू होता था अन्यथा कोटेश्वर होकर आना पड़ता था। https://ift.tt/30dJnqO Dainik Bhaskar सबसे घातक बॉर्डर हरामीनाला तीन तरफ से सील; बीएसएफ ने राेड, फ्लड लाइट, टावर से खत्म की पाक से घुसपैठ की गुंजाइश

बीएसएफ ने गुजरात के पश्चिमी बॉर्डर की सबसे खतरनाक सीमा से पाकिस्तानी घुसपैठ को पूरी तरह ब्लॉक कर दिया है। अथाह दलदल वाले हरामी नाले तक जहां...
- July 31, 2020
बीएसएफ ने गुजरात के पश्चिमी बॉर्डर की सबसे खतरनाक सीमा से पाकिस्तानी घुसपैठ को पूरी तरह ब्लॉक कर दिया है। अथाह दलदल वाले हरामी नाले तक जहां सुरक्षा करना मुश्किल था, उसे तीन ओर से सील कर दिया है। बीएसएफ ने 22 किलोमीटर लंबी फ्लड लाइट से लैस सड़क बना दी, जो नाले के मुहाने तक जाती है और इसी सड़क किनारे खड़े कर दिए वॉच/ओपी टॉवर और पोस्ट (बीओपी)। चूंकि यहां दलदल से आया नहीं जा सकता, सिर्फ हरामी नाले से घुसपैठ हो सकती थी। यह 22 किमी लंबा नाला 1.5 किमी से ज्यादा चौड़ा है। चार हजार वर्ग किमी इसी दलदली क्षेत्र में है 92 किमी लंबा सर क्रीक इलाका, जिस पर पाकिस्तान अपना कब्जा बताता रहा है। पहले लखपत पोस्ट से घुसपैठ को रोकना था बहुत मुश्किल हरामी नाले तक जाने के लिए जवान ऑल टरेन व्हीकल, बोट और पैदल चलकर पहुंचते थे। ये सफर 25 किमी दूर लखपत कोट से शुरू होता था अन्यथा कोटेश्वर होकर आना पड़ता था। भारतीय बीओपी भी लखपत के पास ही थी। यहां से सीधी रोड कनेक्टिवटी पर काम शुरू हुआ। बिजली की लाइन बिछाई और फ्लड लाइट्स भी लगाई गईं। अब पिलर संख्या 1175 के पास नई बीओपी का निर्माण कर दिया। सड़क के छोर पर ओपी टॉवर हैं। 55 साल में 30 फीट से डेढ़ किमी चौड़ा हुआ नाला 965 से पहले ये नाला 30-35 फीट चौड़ा था, अब इसका फैलाव डेढ़ किमी तक हो गया है। इसका दूसरा नाला 700 मीटर और तीसरा 500 मीटर चौड़ा है। तीनों का 22 किमी लंबा चैनल। क्रीक में 2 बार भारत और 2 बार पाकिस्तान में बहाव होता है। बेपरवाह पाक रेंजर्स, हरामी नाले तक भेज रहे मछुआरे बीएसएफ की मौजूदगी नहीं होने से पहले पाकिस्तानी आसानी से हरामी नाला में फिशिंग और घुसपैठ करते थे, लेकिन बीएसएफ ने इंटरनेशनल बॉर्डर के सहारे सब रोक दिया। हरामी नाले के होरिजेंटल व वर्टिकल दोनों प्रवाह के चैनल को सील कर दिया है। इतनी सख्ती के बावजूद पाकिस्तानी मछुआरे जीरो लाइन तक फिशिंग करने आ रहे हैं। पाकिस्तानी रेंजर्स मछुआरों को 5 से 10 दिन की अवैध पर्ची देकर भेज दिया करते हैं। हमने हरामी नाले को तीन तरफ से सील कर दिया है सरक्रीक इलाके में स्थित हरामी नाला सुरक्षा के लिए सबसे बड़ी चुनौती बना हुआ था। यहां से पाकिस्तानी मछुआरे घुसते थे। घुसपैठ की भी आशंका रहती थी। अब हमने यहां नाले को तीन ओर से सील कर दिया है। नाले के मुहाने तक सड़क बनाई गई है। निगरानी के लिए यहां नए निर्माण भी किए जा रहे हैं। - जीएस मलिक, आईजी, बीएसएफ गुजरात फ्रंटियर आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें हरामी नाले तक जाने के लिए जवान ऑल टरेन व्हीकल, बोट और पैदल चलकर पहुंचते थे। ये सफर 25 किमी दूर लखपत कोट से शुरू होता था अन्यथा कोटेश्वर होकर आना पड़ता था। https://ift.tt/30dJnqO Dainik Bhaskar सबसे घातक बॉर्डर हरामीनाला तीन तरफ से सील; बीएसएफ ने राेड, फ्लड लाइट, टावर से खत्म की पाक से घुसपैठ की गुंजाइश 

बीएसएफ ने गुजरात के पश्चिमी बॉर्डर की सबसे खतरनाक सीमा से पाकिस्तानी घुसपैठ को पूरी तरह ब्लॉक कर दिया है। अथाह दलदल वाले हरामी नाले तक जहां सुरक्षा करना मुश्किल था, उसे तीन ओर से सील कर दिया है। बीएसएफ ने 22 किलोमीटर लंबी फ्लड लाइट से लैस सड़क बना दी, जो नाले के मुहाने तक जाती है और इसी सड़क किनारे खड़े कर दिए वॉच/ओपी टॉवर और पोस्ट (बीओपी)।

चूंकि यहां दलदल से आया नहीं जा सकता, सिर्फ हरामी नाले से घुसपैठ हो सकती थी। यह 22 किमी लंबा नाला 1.5 किमी से ज्यादा चौड़ा है। चार हजार वर्ग किमी इसी दलदली क्षेत्र में है 92 किमी लंबा सर क्रीक इलाका, जिस पर पाकिस्तान अपना कब्जा बताता रहा है।

पहले लखपत पोस्ट से घुसपैठ को रोकना था बहुत मुश्किल

हरामी नाले तक जाने के लिए जवान ऑल टरेन व्हीकल, बोट और पैदल चलकर पहुंचते थे। ये सफर 25 किमी दूर लखपत कोट से शुरू होता था अन्यथा कोटेश्वर होकर आना पड़ता था। भारतीय बीओपी भी लखपत के पास ही थी। यहां से सीधी रोड कनेक्टिवटी पर काम शुरू हुआ। बिजली की लाइन बिछाई और फ्लड लाइट्स भी लगाई गईं। अब पिलर संख्या 1175 के पास नई बीओपी का निर्माण कर दिया। सड़क के छोर पर ओपी टॉवर हैं।

55 साल में 30 फीट से डेढ़ किमी चौड़ा हुआ नाला

965 से पहले ये नाला 30-35 फीट चौड़ा था, अब इसका फैलाव डेढ़ किमी तक हो गया है।

इसका दूसरा नाला 700 मीटर और तीसरा 500 मीटर चौड़ा है। तीनों का 22 किमी लंबा चैनल।

क्रीक में 2 बार भारत और 2 बार पाकिस्तान में बहाव होता है।

बेपरवाह पाक रेंजर्स, हरामी नाले तक भेज रहे मछुआरे

बीएसएफ की मौजूदगी नहीं होने से पहले पाकिस्तानी आसानी से हरामी नाला में फिशिंग और घुसपैठ करते थे, लेकिन बीएसएफ ने इंटरनेशनल बॉर्डर के सहारे सब रोक दिया। हरामी नाले के होरिजेंटल व वर्टिकल दोनों प्रवाह के चैनल को सील कर दिया है। इतनी सख्ती के बावजूद पाकिस्तानी मछुआरे जीरो लाइन तक फिशिंग करने आ रहे हैं। पाकिस्तानी रेंजर्स मछुआरों को 5 से 10 दिन की अवैध पर्ची देकर भेज दिया करते हैं।

हमने हरामी नाले को तीन तरफ से सील कर दिया है

सरक्रीक इलाके में स्थित हरामी नाला सुरक्षा के लिए सबसे बड़ी चुनौती बना हुआ था। यहां से पाकिस्तानी मछुआरे घुसते थे। घुसपैठ की भी आशंका रहती थी। अब हमने यहां नाले को तीन ओर से सील कर दिया है। नाले के मुहाने तक सड़क बनाई गई है। निगरानी के लिए यहां नए निर्माण भी किए जा रहे हैं। - जीएस मलिक, आईजी, बीएसएफ गुजरात फ्रंटियर

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हरामी नाले तक जाने के लिए जवान ऑल टरेन व्हीकल, बोट और पैदल चलकर पहुंचते थे। ये सफर 25 किमी दूर लखपत कोट से शुरू होता था अन्यथा कोटेश्वर होकर आना पड़ता था।

https://ift.tt/30dJnqO Dainik Bhaskar सबसे घातक बॉर्डर हरामीनाला तीन तरफ से सील; बीएसएफ ने राेड, फ्लड लाइट, टावर से खत्म की पाक से घुसपैठ की गुंजाइश Reviewed by Manish Pethev on July 31, 2020 Rating: 5

टेक टाइटंस अमेजन, फेसबुक, गूगल और एपल के सीईओ अमेरिकी कांग्रेस में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से पेश हुए। ये ऑनलाइन मार्केट में ताकत का बेजा इस्तेमाल, कारोबारी प्रतिस्पर्धा खत्म करने के आरोपों पर सुनवाई का सामना कर रहे हैं। 4 घंटे से ज्यादा चली सुनवाई के दौरान दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति जेफ बेजोस स्नैक्स खाते रहे। दो घंटे तक वह सवाल टालते रहे। इसी तरह सांसदों के डेटा सिक्योरिटी को लेकर तीखे सवालों पर बाकी को भी जवाब नहीं सूझा। कमेटी की जांच में पाया गया कि ये कंपनियां विस्तार के लिए प्रतिस्पर्धियों को दबा रही हैं। सभी ने दलील दी कि उन्होंने कुछ भी गैरकानूनी नहीं किया है। 5 घंटे सुनवाई: कठघरे में 360 लाख करोड़ रु. की कंपनियों के अधिकारी, सांसदों के तीखे सवालों का नहीं सूझा सीधा जवाब इंस्टाग्राम खरीदने संबंधी 8 साल पुराने ईमेल पर पैनल ने घेरा फेसबुक सीईओ मार्क जकरबर्ग 2016 के राष्ट्रपति चुनाव में रूस के प्रभाव के सवाल पर बचाव की मुद्रा में दिखे। डेटा चोरी और इंस्टाग्राम खरीदने संबंधी अपने 8 साल पुराने ईमेल पर भी वह घिरे। ईमेल में कहा गया था कि फेसबुक के लिए इंस्टाग्राम बहुत ही विध्वंसकारी हो सकता है। उन्होंने कहा, फेडरल ट्रेड कमीशन ने उस डील को अपनी स्वीकृति दी थी। ‘प्राइवेसी-डेटा सिक्योरिटी पर यूजर्स के हाथों में कंट्रोल दिया’ दूसरी साइटों से आइडिया-सूचनाएं चुराकर उसे अपना बताने, फिर मोटा लाभ कमाने संबंधी सवाल पर सीईओ सुंदर पिचई ने कहा, ‘गूगल सरल तरीके से उपयोगी सूचनाएं लोगों तक पहुंचाता है। प्राइवेसी-सिक्योरिटी पर हमने यूजर्स के हाथों में पूरा कंट्रोल दिया है।’ एड कंपनी से डेटा लेने के सवाल पर पिचई बोले- यूजर्स के फायदे के लिए ज्यादा से ज्यादा डेटा कलेक्ट कर रहे हैं। ‘स्मार्ट फोन बिजनेस में मार्केट शेयर हासिल करना गली की लड़ाई जैसा’ एपल प्ले स्टोर पर कंपनी के खुद के पूर्ण नियंत्रण संबंधी सवाल पर सीईओ टिम कुक ने कहा, ‘सॉफ्टवेयर मार्केट में बहुत कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। डेवलपर्स के सामने भी उतनी ही प्रतिस्पर्धा है जितनी कि कस्टमर्स के लिए। मैं इसे इस तरह से समझाना चाहूंगा कि स्मार्ट फोन के बिजनेस में मार्केट शेयर हासिल करना गली की लड़ाई जैसा हो गया है।’ ‘गारंटी नहीं दे सकता कि पॉलिसी का उल्लंघन नहीं हुआ होगा’ कांग्रेस में पहली बार पेश हुए बेजोस से प्राइसिंग, अधिग्रहण और थर्ड पार्टी सेलर्स के डेटा इस्तेमाल पर सवाल किए गए। इस पर उन्होंने कहा, ‘डेटा इस्तेमाल रोकने को पॉलिसी है, लेकिन मैं गारंटी नहीं दे सकता कि उसका उल्लंघन नहीं हुआ।’ ज्यादातर सवालों पर जवाब था, ‘मैं इसका उत्तर नहीं दे सकता है, मुझे वो वाकया याद नहीं।’ बेजोस ने बड़ी कंपनी की पैरवी की। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें फेसबुक सीईओ मार्क जकरबर्ग 2016 के राष्ट्रपति चुनाव में रूस के प्रभाव के सवाल पर बचाव की मुद्रा में दिखे। डेटा चोरी और इंस्टाग्राम खरीदने संबंधी अपने 8 साल पुराने ईमेल पर भी वह घिरे। (फाइल फोटो) https://ift.tt/2Dn47Dw Dainik Bhaskar चुनाव में रूसी दखल के सवाल पर बचाव में दिखे जकरबर्ग, सुनवाई में स्नैक्स खाते रहे बेजोस, पिचई से पूछा-सूचनाएं चुराकर अपनी क्यों बताता है गूगल

टेक टाइटंस अमेजन, फेसबुक, गूगल और एपल के सीईओ अमेरिकी कांग्रेस में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से पेश हुए। ये ऑनलाइन मार्केट में ताकत का बेजा इस्त...
- July 31, 2020
टेक टाइटंस अमेजन, फेसबुक, गूगल और एपल के सीईओ अमेरिकी कांग्रेस में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से पेश हुए। ये ऑनलाइन मार्केट में ताकत का बेजा इस्तेमाल, कारोबारी प्रतिस्पर्धा खत्म करने के आरोपों पर सुनवाई का सामना कर रहे हैं। 4 घंटे से ज्यादा चली सुनवाई के दौरान दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति जेफ बेजोस स्नैक्स खाते रहे। दो घंटे तक वह सवाल टालते रहे। इसी तरह सांसदों के डेटा सिक्योरिटी को लेकर तीखे सवालों पर बाकी को भी जवाब नहीं सूझा। कमेटी की जांच में पाया गया कि ये कंपनियां विस्तार के लिए प्रतिस्पर्धियों को दबा रही हैं। सभी ने दलील दी कि उन्होंने कुछ भी गैरकानूनी नहीं किया है। 5 घंटे सुनवाई: कठघरे में 360 लाख करोड़ रु. की कंपनियों के अधिकारी, सांसदों के तीखे सवालों का नहीं सूझा सीधा जवाब इंस्टाग्राम खरीदने संबंधी 8 साल पुराने ईमेल पर पैनल ने घेरा फेसबुक सीईओ मार्क जकरबर्ग 2016 के राष्ट्रपति चुनाव में रूस के प्रभाव के सवाल पर बचाव की मुद्रा में दिखे। डेटा चोरी और इंस्टाग्राम खरीदने संबंधी अपने 8 साल पुराने ईमेल पर भी वह घिरे। ईमेल में कहा गया था कि फेसबुक के लिए इंस्टाग्राम बहुत ही विध्वंसकारी हो सकता है। उन्होंने कहा, फेडरल ट्रेड कमीशन ने उस डील को अपनी स्वीकृति दी थी। ‘प्राइवेसी-डेटा सिक्योरिटी पर यूजर्स के हाथों में कंट्रोल दिया’ दूसरी साइटों से आइडिया-सूचनाएं चुराकर उसे अपना बताने, फिर मोटा लाभ कमाने संबंधी सवाल पर सीईओ सुंदर पिचई ने कहा, ‘गूगल सरल तरीके से उपयोगी सूचनाएं लोगों तक पहुंचाता है। प्राइवेसी-सिक्योरिटी पर हमने यूजर्स के हाथों में पूरा कंट्रोल दिया है।’ एड कंपनी से डेटा लेने के सवाल पर पिचई बोले- यूजर्स के फायदे के लिए ज्यादा से ज्यादा डेटा कलेक्ट कर रहे हैं। ‘स्मार्ट फोन बिजनेस में मार्केट शेयर हासिल करना गली की लड़ाई जैसा’ एपल प्ले स्टोर पर कंपनी के खुद के पूर्ण नियंत्रण संबंधी सवाल पर सीईओ टिम कुक ने कहा, ‘सॉफ्टवेयर मार्केट में बहुत कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। डेवलपर्स के सामने भी उतनी ही प्रतिस्पर्धा है जितनी कि कस्टमर्स के लिए। मैं इसे इस तरह से समझाना चाहूंगा कि स्मार्ट फोन के बिजनेस में मार्केट शेयर हासिल करना गली की लड़ाई जैसा हो गया है।’ ‘गारंटी नहीं दे सकता कि पॉलिसी का उल्लंघन नहीं हुआ होगा’ कांग्रेस में पहली बार पेश हुए बेजोस से प्राइसिंग, अधिग्रहण और थर्ड पार्टी सेलर्स के डेटा इस्तेमाल पर सवाल किए गए। इस पर उन्होंने कहा, ‘डेटा इस्तेमाल रोकने को पॉलिसी है, लेकिन मैं गारंटी नहीं दे सकता कि उसका उल्लंघन नहीं हुआ।’ ज्यादातर सवालों पर जवाब था, ‘मैं इसका उत्तर नहीं दे सकता है, मुझे वो वाकया याद नहीं।’ बेजोस ने बड़ी कंपनी की पैरवी की। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें फेसबुक सीईओ मार्क जकरबर्ग 2016 के राष्ट्रपति चुनाव में रूस के प्रभाव के सवाल पर बचाव की मुद्रा में दिखे। डेटा चोरी और इंस्टाग्राम खरीदने संबंधी अपने 8 साल पुराने ईमेल पर भी वह घिरे। (फाइल फोटो) https://ift.tt/2Dn47Dw Dainik Bhaskar चुनाव में रूसी दखल के सवाल पर बचाव में दिखे जकरबर्ग, सुनवाई में स्नैक्स खाते रहे बेजोस, पिचई से पूछा-सूचनाएं चुराकर अपनी क्यों बताता है गूगल 

टेक टाइटंस अमेजन, फेसबुक, गूगल और एपल के सीईओ अमेरिकी कांग्रेस में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से पेश हुए। ये ऑनलाइन मार्केट में ताकत का बेजा इस्तेमाल, कारोबारी प्रतिस्पर्धा खत्म करने के आरोपों पर सुनवाई का सामना कर रहे हैं।

4 घंटे से ज्यादा चली सुनवाई के दौरान दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति जेफ बेजोस स्नैक्स खाते रहे। दो घंटे तक वह सवाल टालते रहे। इसी तरह सांसदों के डेटा सिक्योरिटी को लेकर तीखे सवालों पर बाकी को भी जवाब नहीं सूझा। कमेटी की जांच में पाया गया कि ये कंपनियां विस्तार के लिए प्रतिस्पर्धियों को दबा रही हैं। सभी ने दलील दी कि उन्होंने कुछ भी गैरकानूनी नहीं किया है।

5 घंटे सुनवाई: कठघरे में 360 लाख करोड़ रु. की कंपनियों के अधिकारी, सांसदों के तीखे सवालों का नहीं सूझा सीधा जवाब

इंस्टाग्राम खरीदने संबंधी 8 साल पुराने ईमेल पर पैनल ने घेरा

फेसबुक सीईओ मार्क जकरबर्ग 2016 के राष्ट्रपति चुनाव में रूस के प्रभाव के सवाल पर बचाव की मुद्रा में दिखे। डेटा चोरी और इंस्टाग्राम खरीदने संबंधी अपने 8 साल पुराने ईमेल पर भी वह घिरे। ईमेल में कहा गया था कि फेसबुक के लिए इंस्टाग्राम बहुत ही विध्वंसकारी हो सकता है। उन्होंने कहा, फेडरल ट्रेड कमीशन ने उस डील को अपनी स्वीकृति दी थी।

‘प्राइवेसी-डेटा सिक्योरिटी पर यूजर्स के हाथों में कंट्रोल दिया’

दूसरी साइटों से आइडिया-सूचनाएं चुराकर उसे अपना बताने, फिर मोटा लाभ कमाने संबंधी सवाल पर सीईओ सुंदर पिचई ने कहा, ‘गूगल सरल तरीके से उपयोगी सूचनाएं लोगों तक पहुंचाता है। प्राइवेसी-सिक्योरिटी पर हमने यूजर्स के हाथों में पूरा कंट्रोल दिया है।’ एड कंपनी से डेटा लेने के सवाल पर पिचई बोले- यूजर्स के फायदे के लिए ज्यादा से ज्यादा डेटा कलेक्ट कर रहे हैं।

‘स्मार्ट फोन बिजनेस में मार्केट शेयर हासिल करना गली की लड़ाई जैसा’

एपल प्ले स्टोर पर कंपनी के खुद के पूर्ण नियंत्रण संबंधी सवाल पर सीईओ टिम कुक ने कहा, ‘सॉफ्टवेयर मार्केट में बहुत कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। डेवलपर्स के सामने भी उतनी ही प्रतिस्पर्धा है जितनी कि कस्टमर्स के लिए। मैं इसे इस तरह से समझाना चाहूंगा कि स्मार्ट फोन के बिजनेस में मार्केट शेयर हासिल करना गली की लड़ाई जैसा हो गया है।’

‘गारंटी नहीं दे सकता कि पॉलिसी का उल्लंघन नहीं हुआ होगा’

कांग्रेस में पहली बार पेश हुए बेजोस से प्राइसिंग, अधिग्रहण और थर्ड पार्टी सेलर्स के डेटा इस्तेमाल पर सवाल किए गए। इस पर उन्होंने कहा, ‘डेटा इस्तेमाल रोकने को पॉलिसी है, लेकिन मैं गारंटी नहीं दे सकता कि उसका उल्लंघन नहीं हुआ।’ ज्यादातर सवालों पर जवाब था, ‘मैं इसका उत्तर नहीं दे सकता है, मुझे वो वाकया याद नहीं।’ बेजोस ने बड़ी कंपनी की पैरवी की।

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फेसबुक सीईओ मार्क जकरबर्ग 2016 के राष्ट्रपति चुनाव में रूस के प्रभाव के सवाल पर बचाव की मुद्रा में दिखे। डेटा चोरी और इंस्टाग्राम खरीदने संबंधी अपने 8 साल पुराने ईमेल पर भी वह घिरे। (फाइल फोटो)

https://ift.tt/2Dn47Dw Dainik Bhaskar चुनाव में रूसी दखल के सवाल पर बचाव में दिखे जकरबर्ग, सुनवाई में स्नैक्स खाते रहे बेजोस, पिचई से पूछा-सूचनाएं चुराकर अपनी क्यों बताता है गूगल Reviewed by Manish Pethev on July 31, 2020 Rating: 5

अयोध्या में 5 अगस्त को श्रीराम मंदिर का भूमि पूजन होगा। सरयू नदी में अपार जलराशि पूरे आवेग से बह रही है। कहते हैं कि सरयू को छोड़कर भगवान राम के समय की कोई निशानी अयोध्या में शेष नहीं है। अब जल्द श्रीराम की जन्मभूमि पर भव्य विशाल मंदिर आकार लेने लगेगा। सरयू के तट पर मौजूद नागेश्वरनाथ मंदिर में श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ को सावन का जलाभिषेक करा रहे हैं। राम की पौड़ी पर आसपास के गांवों से आए लोगों की चहल- पहल है। गोंडा से आए केवलराम (60) ने कहा, ‘लंबे समय से कानूनी लड़ाई चल रही थी। विहिप के लोग आंदोलन कर रहे थे, लेकिन भरोसा नहीं था कि रामलला का मंदिर बन ही जाएगा। हम अपने जीवन में ही अयोध्या में रामलला का मंदिर देख सकेंगे।’इस बीच अयोध्या में ‘पेंट माई सिटी अभियान’ भी चल रहा है। अयोध्या को पीले रंग में रंगा जा रहा है। दुकानें भी पहले से ज्यादा सजी-धजी दिख रही हैं। हालांकि, मार्गों में सफाई का बहुत काम बाकी है। कुछ जगहों पर जल्दबाजी में निर्माण और मरम्मत के काम हो रहे हैं। दीवार ही नहीं, लोग भी इन दिनों पीले कपड़ों में ज्यादा दिख रहे हैं। अवध यूनिवर्सिटी की छात्राएं भी मदद कर रहीं अवध यूनिवर्सिटी के फाइन आर्ट की 70 छात्राएं सजावट में सहयोग कर रही हैं। छात्राएं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वागत रोली चंदन के तिलक और गुलाब की पंखुड़ियों की वर्षा से करेंगी। अयोध्या में 4 अगस्त को मठों और मंदिरों में श्रीरामचरित मानस का पाठ शुरू होगा। इसके लिए 25 केंद्र बनाए गए हैं।भूमि पूजन के लिए मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, असम, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल समेत अन्य राज्यों की 51 नदियों से जल लाया जा रहा है। इसके अलावा देशभर के तीर्थ स्थलों से मिट्टी भी लाई जा रही है। इसमें डाक विभाग से लेकर कुछ संस्थाएं सहयोग कर रही हैं। भूमि पूजन के प्रसाद के लिए लड्‌डू भी बनाए जा रहे हैं। सुरक्षा: अयोध्या को 7 जोन में बांटकर जवान तैनात, नेपाल सीमा पर भी अलर्ट अयोध्या के सीनियर एसपी दीपक कुमार ने बताया कि शहर को सात जोन में बांटकर सुरक्षाबलों को तैनात किया गया है। प्रवेश मार्गों पर बैरीकेडिंग कर जांच की जा रही है। होटलों, धर्मशालाओं में ठहरे लोगों के बारे में पूछताछ की जा रही है। भूमि पूजन स्थल पर पहुंचने के लिये दो रास्ते चिन्हित किए गए हैं। प्रधानमंत्री मोदी का हेलीकॉप्टर भूमि पूजन स्थल से एक किमी दूर उतरेगा। यह रास्ता सुपर सेफ्टी जोन होगा, जिस पर एसपीजी की निगरानी रहेगी। यूपी के बलरामपुर से लगी नेपाल सीमा पर भी सतर्कता बढ़ा दी गई है। एसपी देवरंजन वर्मा ने इसकी पुष्टि की है। इतिहास से... अंग्रेज जज के आदेश पर 1902 में लगे थे 148 शिलापट अयोध्या के तीर्थ स्थलों पर 148 शिलापट हैं। अयोध्या शोध संस्थान के निदेशक वाईपी सिंह के मुताबिक अंग्रेज जज एडवर्ड के आदेश पर 1902 में इन्हें विवेचनी सभा ने लगवाए थे। साल 1898 में अयोध्या की बड़ी छावनी के महंत राम मनोहर प्रसाद ने तीर्थ यात्रियों की सुविधा के लिए इन्हें लगवाना शुरू किया था। एक वर्ग ने आपत्ति जताई। कोर्ट में 3 साल केस चला। जज एडवर्ड ने महंत के पक्ष में फैसला दिया। शिलापटों को उखाड़ने पर 3 हजार रुपए का जुर्माना या तीन साल की सजा के आदेश भी दिए। शिलापटों को प्रमाण के तौर पर श्रीराम जन्मभूमि के मुकदमे में भी पेश किया गया था। इधर अमेरिका में... जय श्री राम के जय घोष से गूंजेगा टाइम्स स्क्वैयर अमेरिका में न्यूयॉर्क के प्रतिष्ठित टाइम्स स्क्वैयर पर 5 अगस्त को भगवान राम की भव्य तस्वीर प्रदर्शित की जाएगी। राम मंदिर के मॉडल की 3डी तस्वीरें और भूमि पूजन की तस्वीरें भी दिखाई जाएंगी। अमेरिकी-भारतीय लोक मामलों की समिति के अध्यक्ष जगदीश सेवानी ने इसकी पुष्टि की। उन्होंने कहा कि विशाल नैस्डैक स्क्रीन और 17 हजार वर्ग फुट की रैप-अराउंड एलईडी डिस्प्ले स्क्रीन लगाई जा रही है। कार्यक्रम में ‘जय श्री राम’ का जयघोष किया जाएगा। भारतीय समुदाय के लोग इस खास उत्सव को मनाने और मिठाइयां वितरित करने के लिए एकत्रित होंगे। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें अयोध्या में जगह-जगह दीवारों पर भगवान राम और सीता जी के चित्र बनाए जा रहे हैं। https://ift.tt/2XbuFPt Dainik Bhaskar पीले रंग में रंगी रामलला की धरती, सरयू से लेकर राम की पौड़ी तक भक्ति की धारा तेज

अयोध्या में 5 अगस्त को श्रीराम मंदिर का भूमि पूजन होगा। सरयू नदी में अपार जलराशि पूरे आवेग से बह रही है। कहते हैं कि सरयू को छोड़कर भगवान रा...
- July 31, 2020
अयोध्या में 5 अगस्त को श्रीराम मंदिर का भूमि पूजन होगा। सरयू नदी में अपार जलराशि पूरे आवेग से बह रही है। कहते हैं कि सरयू को छोड़कर भगवान राम के समय की कोई निशानी अयोध्या में शेष नहीं है। अब जल्द श्रीराम की जन्मभूमि पर भव्य विशाल मंदिर आकार लेने लगेगा। सरयू के तट पर मौजूद नागेश्वरनाथ मंदिर में श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ को सावन का जलाभिषेक करा रहे हैं। राम की पौड़ी पर आसपास के गांवों से आए लोगों की चहल- पहल है। गोंडा से आए केवलराम (60) ने कहा, ‘लंबे समय से कानूनी लड़ाई चल रही थी। विहिप के लोग आंदोलन कर रहे थे, लेकिन भरोसा नहीं था कि रामलला का मंदिर बन ही जाएगा। हम अपने जीवन में ही अयोध्या में रामलला का मंदिर देख सकेंगे।’इस बीच अयोध्या में ‘पेंट माई सिटी अभियान’ भी चल रहा है। अयोध्या को पीले रंग में रंगा जा रहा है। दुकानें भी पहले से ज्यादा सजी-धजी दिख रही हैं। हालांकि, मार्गों में सफाई का बहुत काम बाकी है। कुछ जगहों पर जल्दबाजी में निर्माण और मरम्मत के काम हो रहे हैं। दीवार ही नहीं, लोग भी इन दिनों पीले कपड़ों में ज्यादा दिख रहे हैं। अवध यूनिवर्सिटी की छात्राएं भी मदद कर रहीं अवध यूनिवर्सिटी के फाइन आर्ट की 70 छात्राएं सजावट में सहयोग कर रही हैं। छात्राएं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वागत रोली चंदन के तिलक और गुलाब की पंखुड़ियों की वर्षा से करेंगी। अयोध्या में 4 अगस्त को मठों और मंदिरों में श्रीरामचरित मानस का पाठ शुरू होगा। इसके लिए 25 केंद्र बनाए गए हैं।भूमि पूजन के लिए मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, असम, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल समेत अन्य राज्यों की 51 नदियों से जल लाया जा रहा है। इसके अलावा देशभर के तीर्थ स्थलों से मिट्टी भी लाई जा रही है। इसमें डाक विभाग से लेकर कुछ संस्थाएं सहयोग कर रही हैं। भूमि पूजन के प्रसाद के लिए लड्‌डू भी बनाए जा रहे हैं। सुरक्षा: अयोध्या को 7 जोन में बांटकर जवान तैनात, नेपाल सीमा पर भी अलर्ट अयोध्या के सीनियर एसपी दीपक कुमार ने बताया कि शहर को सात जोन में बांटकर सुरक्षाबलों को तैनात किया गया है। प्रवेश मार्गों पर बैरीकेडिंग कर जांच की जा रही है। होटलों, धर्मशालाओं में ठहरे लोगों के बारे में पूछताछ की जा रही है। भूमि पूजन स्थल पर पहुंचने के लिये दो रास्ते चिन्हित किए गए हैं। प्रधानमंत्री मोदी का हेलीकॉप्टर भूमि पूजन स्थल से एक किमी दूर उतरेगा। यह रास्ता सुपर सेफ्टी जोन होगा, जिस पर एसपीजी की निगरानी रहेगी। यूपी के बलरामपुर से लगी नेपाल सीमा पर भी सतर्कता बढ़ा दी गई है। एसपी देवरंजन वर्मा ने इसकी पुष्टि की है। इतिहास से... अंग्रेज जज के आदेश पर 1902 में लगे थे 148 शिलापट अयोध्या के तीर्थ स्थलों पर 148 शिलापट हैं। अयोध्या शोध संस्थान के निदेशक वाईपी सिंह के मुताबिक अंग्रेज जज एडवर्ड के आदेश पर 1902 में इन्हें विवेचनी सभा ने लगवाए थे। साल 1898 में अयोध्या की बड़ी छावनी के महंत राम मनोहर प्रसाद ने तीर्थ यात्रियों की सुविधा के लिए इन्हें लगवाना शुरू किया था। एक वर्ग ने आपत्ति जताई। कोर्ट में 3 साल केस चला। जज एडवर्ड ने महंत के पक्ष में फैसला दिया। शिलापटों को उखाड़ने पर 3 हजार रुपए का जुर्माना या तीन साल की सजा के आदेश भी दिए। शिलापटों को प्रमाण के तौर पर श्रीराम जन्मभूमि के मुकदमे में भी पेश किया गया था। इधर अमेरिका में... जय श्री राम के जय घोष से गूंजेगा टाइम्स स्क्वैयर अमेरिका में न्यूयॉर्क के प्रतिष्ठित टाइम्स स्क्वैयर पर 5 अगस्त को भगवान राम की भव्य तस्वीर प्रदर्शित की जाएगी। राम मंदिर के मॉडल की 3डी तस्वीरें और भूमि पूजन की तस्वीरें भी दिखाई जाएंगी। अमेरिकी-भारतीय लोक मामलों की समिति के अध्यक्ष जगदीश सेवानी ने इसकी पुष्टि की। उन्होंने कहा कि विशाल नैस्डैक स्क्रीन और 17 हजार वर्ग फुट की रैप-अराउंड एलईडी डिस्प्ले स्क्रीन लगाई जा रही है। कार्यक्रम में ‘जय श्री राम’ का जयघोष किया जाएगा। भारतीय समुदाय के लोग इस खास उत्सव को मनाने और मिठाइयां वितरित करने के लिए एकत्रित होंगे। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें अयोध्या में जगह-जगह दीवारों पर भगवान राम और सीता जी के चित्र बनाए जा रहे हैं। https://ift.tt/2XbuFPt Dainik Bhaskar पीले रंग में रंगी रामलला की धरती, सरयू से लेकर राम की पौड़ी तक भक्ति की धारा तेज 

अयोध्या में 5 अगस्त को श्रीराम मंदिर का भूमि पूजन होगा। सरयू नदी में अपार जलराशि पूरे आवेग से बह रही है। कहते हैं कि सरयू को छोड़कर भगवान राम के समय की कोई निशानी अयोध्या में शेष नहीं है। अब जल्द श्रीराम की जन्मभूमि पर भव्य विशाल मंदिर आकार लेने लगेगा। सरयू के तट पर मौजूद नागेश्वरनाथ मंदिर में श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ को सावन का जलाभिषेक करा रहे हैं। राम की पौड़ी पर आसपास के गांवों से आए लोगों की चहल- पहल है।

गोंडा से आए केवलराम (60) ने कहा, ‘लंबे समय से कानूनी लड़ाई चल रही थी। विहिप के लोग आंदोलन कर रहे थे, लेकिन भरोसा नहीं था कि रामलला का मंदिर बन ही जाएगा। हम अपने जीवन में ही अयोध्या में रामलला का मंदिर देख सकेंगे।’इस बीच अयोध्या में ‘पेंट माई सिटी अभियान’ भी चल रहा है। अयोध्या को पीले रंग में रंगा जा रहा है। दुकानें भी पहले से ज्यादा सजी-धजी दिख रही हैं। हालांकि, मार्गों में सफाई का बहुत काम बाकी है। कुछ जगहों पर जल्दबाजी में निर्माण और मरम्मत के काम हो रहे हैं।

दीवार ही नहीं, लोग भी इन दिनों पीले कपड़ों में ज्यादा दिख रहे हैं।

अवध यूनिवर्सिटी की छात्राएं भी मदद कर रहीं

अवध यूनिवर्सिटी के फाइन आर्ट की 70 छात्राएं सजावट में सहयोग कर रही हैं। छात्राएं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वागत रोली चंदन के तिलक और गुलाब की पंखुड़ियों की वर्षा से करेंगी। अयोध्या में 4 अगस्त को मठों और मंदिरों में श्रीरामचरित मानस का पाठ शुरू होगा।

इसके लिए 25 केंद्र बनाए गए हैं।भूमि पूजन के लिए मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, असम, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल समेत अन्य राज्यों की 51 नदियों से जल लाया जा रहा है। इसके अलावा देशभर के तीर्थ स्थलों से मिट्टी भी लाई जा रही है। इसमें डाक विभाग से लेकर कुछ संस्थाएं सहयोग कर रही हैं।

भूमि पूजन के प्रसाद के लिए लड्‌डू भी बनाए जा रहे हैं।

सुरक्षा: अयोध्या को 7 जोन में बांटकर जवान तैनात, नेपाल सीमा पर भी अलर्ट

अयोध्या के सीनियर एसपी दीपक कुमार ने बताया कि शहर को सात जोन में बांटकर सुरक्षाबलों को तैनात किया गया है। प्रवेश मार्गों पर बैरीकेडिंग कर जांच की जा रही है। होटलों, धर्मशालाओं में ठहरे लोगों के बारे में पूछताछ की जा रही है। भूमि पूजन स्थल पर पहुंचने के लिये दो रास्ते चिन्हित किए गए हैं। प्रधानमंत्री मोदी का हेलीकॉप्टर भूमि पूजन स्थल से एक किमी दूर उतरेगा। यह रास्ता सुपर सेफ्टी जोन होगा, जिस पर एसपीजी की निगरानी रहेगी। यूपी के बलरामपुर से लगी नेपाल सीमा पर भी सतर्कता बढ़ा दी गई है। एसपी देवरंजन वर्मा ने इसकी पुष्टि की है।

इतिहास से... अंग्रेज जज के आदेश पर 1902 में लगे थे 148 शिलापट

अयोध्या के तीर्थ स्थलों पर 148 शिलापट हैं। अयोध्या शोध संस्थान के निदेशक वाईपी सिंह के मुताबिक अंग्रेज जज एडवर्ड के आदेश पर 1902 में इन्हें विवेचनी सभा ने लगवाए थे। साल 1898 में अयोध्या की बड़ी छावनी के महंत राम मनोहर प्रसाद ने तीर्थ यात्रियों की सुविधा के लिए इन्हें लगवाना शुरू किया था। एक वर्ग ने आपत्ति जताई। कोर्ट में 3 साल केस चला। जज एडवर्ड ने महंत के पक्ष में फैसला दिया। शिलापटों को उखाड़ने पर 3 हजार रुपए का जुर्माना या तीन साल की सजा के आदेश भी दिए। शिलापटों को प्रमाण के तौर पर श्रीराम जन्मभूमि के मुकदमे में भी पेश किया गया था।

इधर अमेरिका में... जय श्री राम के जय घोष से गूंजेगा टाइम्स स्क्वैयर

अमेरिका में न्यूयॉर्क के प्रतिष्ठित टाइम्स स्क्वैयर पर 5 अगस्त को भगवान राम की भव्य तस्वीर प्रदर्शित की जाएगी। राम मंदिर के मॉडल की 3डी तस्वीरें और भूमि पूजन की तस्वीरें भी दिखाई जाएंगी। अमेरिकी-भारतीय लोक मामलों की समिति के अध्यक्ष जगदीश सेवानी ने इसकी पुष्टि की। उन्होंने कहा कि विशाल नैस्डैक स्क्रीन और 17 हजार वर्ग फुट की रैप-अराउंड एलईडी डिस्प्ले स्क्रीन लगाई जा रही है। कार्यक्रम में ‘जय श्री राम’ का जयघोष किया जाएगा। भारतीय समुदाय के लोग इस खास उत्सव को मनाने और मिठाइयां वितरित करने के लिए एकत्रित होंगे।

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अयोध्या में जगह-जगह दीवारों पर भगवान राम और सीता जी के चित्र बनाए जा रहे हैं।

https://ift.tt/2XbuFPt Dainik Bhaskar पीले रंग में रंगी रामलला की धरती, सरयू से लेकर राम की पौड़ी तक भक्ति की धारा तेज Reviewed by Manish Pethev on July 31, 2020 Rating: 5

अमेरिका में 70% शिक्षकों ने चेतावनी दी है कि अगर कोरोना काल के दौरान स्कूल खोले गए तो वे हड़ताल पर चले जाएंगे। ये सभी विभिन्न शिक्षक संगठनों के सदस्य हैं। इन संगठनों ने बयान जारी कर हड़ताल की चेतावनी की पुष्टि की है। ऐसा तब हो रहा है, जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प स्कूल खोलने पर जोर दे रहे हैं। अमेरिकन फेडरेशन ऑफ टीचर्स के अध्यक्ष रैंडी वेनगार्टन ने कहा कि स्कूलों में कोरोना की रोकथाम के लिए पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। ज्यादातर कक्षाओं में वेंटिलेशन नहीं हैं। मास्क भी कम पड़ रहे हैं। शिक्षकों की मांग है कि ऑनलाइन पढ़ाई भी सीमित की जाना चाहिए। उधर, एक संगठन ने स्कूल खोलने के आदेश के खिलाफ फ्लोरिडा के गवर्नर रॉन डीसैंटिस पर मुकदमा कर दिया है। जबकि जन शिक्षा केंद्र के प्रमुख रॉबिन लेक ने कहा कि पूरे मामले में बच्चों को मोहरा बनाकर इस्तेमाल किया जा रहा है। इसी महीने हुए सर्वे में 60% अभिभावकों ने शिक्षकों की मांग का समर्थन किया है। अमेरिका में कोरोना के अब तक 45,68,375 मरीज मिले हैं। जबकि 1,53,848 मौतें हुई हैं। ऑस्ट्रेलिया: विक्टोरिया राज्य में 723 नए मरीज, इतने देशभर में भी एक दिन में नहीं आए; मेलबर्न में सख्ती ऑस्ट्रेलिया में विक्टोरिया राज्य कोरोना का सबसे बड़ा हॉट स्पॉट बन गया है। यहां 24 घंटे में 723 नए मरीज मिले हैं। यह सिर्फ एक राज्य का नहीं, पूरे ऑस्ट्रेलिया का एक दिन के मरीजों का सबसे बड़ा आंकड़ा है। विक्टोरिया के मुख्यमंत्री डेनियल एंड्रयू ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि मेलबर्न में बेहद गंभीर हालात होते जा रहे हैं। ऐसे में हमें हर दिन नए-नए इलाकों में सख्त लॉकडाउन करना पड़ रहा है। दुनिया: इटली में 15 अक्टूबर तक इमरजेंसी बढ़ाई, उत्तर कोरिया में 696 लोगों को क्वारैंटाइन में भेजा इटली ने 15 अक्टूबर तक स्टेट इमरजेंसी बढ़ा दी है। इटली में 31 जनवरी से स्टेट इमरजेंसी लागू है। यह इस महीने खत्म होने वाली थी। यहां अब तक 2,46,776 मरीज मिले हैं। जबकि 35,129 मौतें हुई हैं। उधर, डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि उत्तर कोरिया में अब तक 1211 लोगों का कोरोना टेस्ट किया गया है। इनमें से कोई संक्रमित नहीं मिला है। यहां अभी 696 नागरिक क्वारैंटाइन में रखे गए हैं। - न्यूयॉर्क टाइम्स से विशेष अनुबंध के तहत आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें फोटो अमेरिका के साल्ट लेक सिटी की है। यहां के स्कूलों में प्रदर्शन चल रहे हैं। https://ift.tt/3fjlEKe Dainik Bhaskar ट्रम्प स्कूल खोलने के लिए बोले तो शिक्षकों ने दी हड़ताल की चेतावनी, कहा- स्कूल बंद रहें

अमेरिका में 70% शिक्षकों ने चेतावनी दी है कि अगर कोरोना काल के दौरान स्कूल खोले गए तो वे हड़ताल पर चले जाएंगे। ये सभी विभिन्न शिक्षक संगठनों...
- July 31, 2020
अमेरिका में 70% शिक्षकों ने चेतावनी दी है कि अगर कोरोना काल के दौरान स्कूल खोले गए तो वे हड़ताल पर चले जाएंगे। ये सभी विभिन्न शिक्षक संगठनों के सदस्य हैं। इन संगठनों ने बयान जारी कर हड़ताल की चेतावनी की पुष्टि की है। ऐसा तब हो रहा है, जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प स्कूल खोलने पर जोर दे रहे हैं। अमेरिकन फेडरेशन ऑफ टीचर्स के अध्यक्ष रैंडी वेनगार्टन ने कहा कि स्कूलों में कोरोना की रोकथाम के लिए पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। ज्यादातर कक्षाओं में वेंटिलेशन नहीं हैं। मास्क भी कम पड़ रहे हैं। शिक्षकों की मांग है कि ऑनलाइन पढ़ाई भी सीमित की जाना चाहिए। उधर, एक संगठन ने स्कूल खोलने के आदेश के खिलाफ फ्लोरिडा के गवर्नर रॉन डीसैंटिस पर मुकदमा कर दिया है। जबकि जन शिक्षा केंद्र के प्रमुख रॉबिन लेक ने कहा कि पूरे मामले में बच्चों को मोहरा बनाकर इस्तेमाल किया जा रहा है। इसी महीने हुए सर्वे में 60% अभिभावकों ने शिक्षकों की मांग का समर्थन किया है। अमेरिका में कोरोना के अब तक 45,68,375 मरीज मिले हैं। जबकि 1,53,848 मौतें हुई हैं। ऑस्ट्रेलिया: विक्टोरिया राज्य में 723 नए मरीज, इतने देशभर में भी एक दिन में नहीं आए; मेलबर्न में सख्ती ऑस्ट्रेलिया में विक्टोरिया राज्य कोरोना का सबसे बड़ा हॉट स्पॉट बन गया है। यहां 24 घंटे में 723 नए मरीज मिले हैं। यह सिर्फ एक राज्य का नहीं, पूरे ऑस्ट्रेलिया का एक दिन के मरीजों का सबसे बड़ा आंकड़ा है। विक्टोरिया के मुख्यमंत्री डेनियल एंड्रयू ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि मेलबर्न में बेहद गंभीर हालात होते जा रहे हैं। ऐसे में हमें हर दिन नए-नए इलाकों में सख्त लॉकडाउन करना पड़ रहा है। दुनिया: इटली में 15 अक्टूबर तक इमरजेंसी बढ़ाई, उत्तर कोरिया में 696 लोगों को क्वारैंटाइन में भेजा इटली ने 15 अक्टूबर तक स्टेट इमरजेंसी बढ़ा दी है। इटली में 31 जनवरी से स्टेट इमरजेंसी लागू है। यह इस महीने खत्म होने वाली थी। यहां अब तक 2,46,776 मरीज मिले हैं। जबकि 35,129 मौतें हुई हैं। उधर, डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि उत्तर कोरिया में अब तक 1211 लोगों का कोरोना टेस्ट किया गया है। इनमें से कोई संक्रमित नहीं मिला है। यहां अभी 696 नागरिक क्वारैंटाइन में रखे गए हैं। - न्यूयॉर्क टाइम्स से विशेष अनुबंध के तहत आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें फोटो अमेरिका के साल्ट लेक सिटी की है। यहां के स्कूलों में प्रदर्शन चल रहे हैं। https://ift.tt/3fjlEKe Dainik Bhaskar ट्रम्प स्कूल खोलने के लिए बोले तो शिक्षकों ने दी हड़ताल की चेतावनी, कहा- स्कूल बंद रहें 

अमेरिका में 70% शिक्षकों ने चेतावनी दी है कि अगर कोरोना काल के दौरान स्कूल खोले गए तो वे हड़ताल पर चले जाएंगे। ये सभी विभिन्न शिक्षक संगठनों के सदस्य हैं। इन संगठनों ने बयान जारी कर हड़ताल की चेतावनी की पुष्टि की है। ऐसा तब हो रहा है, जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प स्कूल खोलने पर जोर दे रहे हैं।

अमेरिकन फेडरेशन ऑफ टीचर्स के अध्यक्ष रैंडी वेनगार्टन ने कहा कि स्कूलों में कोरोना की रोकथाम के लिए पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। ज्यादातर कक्षाओं में वेंटिलेशन नहीं हैं। मास्क भी कम पड़ रहे हैं। शिक्षकों की मांग है कि ऑनलाइन पढ़ाई भी सीमित की जाना चाहिए।

उधर, एक संगठन ने स्कूल खोलने के आदेश के खिलाफ फ्लोरिडा के गवर्नर रॉन डीसैंटिस पर मुकदमा कर दिया है। जबकि जन शिक्षा केंद्र के प्रमुख रॉबिन लेक ने कहा कि पूरे मामले में बच्चों को मोहरा बनाकर इस्तेमाल किया जा रहा है। इसी महीने हुए सर्वे में 60% अभिभावकों ने शिक्षकों की मांग का समर्थन किया है। अमेरिका में कोरोना के अब तक 45,68,375 मरीज मिले हैं। जबकि 1,53,848 मौतें हुई हैं।

ऑस्ट्रेलिया: विक्टोरिया राज्य में 723 नए मरीज, इतने देशभर में भी एक दिन में नहीं आए; मेलबर्न में सख्ती

ऑस्ट्रेलिया में विक्टोरिया राज्य कोरोना का सबसे बड़ा हॉट स्पॉट बन गया है। यहां 24 घंटे में 723 नए मरीज मिले हैं। यह सिर्फ एक राज्य का नहीं, पूरे ऑस्ट्रेलिया का एक दिन के मरीजों का सबसे बड़ा आंकड़ा है। विक्टोरिया के मुख्यमंत्री डेनियल एंड्रयू ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि मेलबर्न में बेहद गंभीर हालात होते जा रहे हैं। ऐसे में हमें हर दिन नए-नए इलाकों में सख्त लॉकडाउन करना पड़ रहा है।

दुनिया: इटली में 15 अक्टूबर तक इमरजेंसी बढ़ाई, उत्तर कोरिया में 696 लोगों को क्वारैंटाइन में भेजा

इटली ने 15 अक्टूबर तक स्टेट इमरजेंसी बढ़ा दी है। इटली में 31 जनवरी से स्टेट इमरजेंसी लागू है। यह इस महीने खत्म होने वाली थी। यहां अब तक 2,46,776 मरीज मिले हैं। जबकि 35,129 मौतें हुई हैं। उधर, डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि उत्तर कोरिया में अब तक 1211 लोगों का कोरोना टेस्ट किया गया है। इनमें से कोई संक्रमित नहीं मिला है। यहां अभी 696 नागरिक क्वारैंटाइन में रखे गए हैं।

- न्यूयॉर्क टाइम्स से विशेष अनुबंध के तहत

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फोटो अमेरिका के साल्ट लेक सिटी की है। यहां के स्कूलों में प्रदर्शन चल रहे हैं।

https://ift.tt/3fjlEKe Dainik Bhaskar ट्रम्प स्कूल खोलने के लिए बोले तो शिक्षकों ने दी हड़ताल की चेतावनी, कहा- स्कूल बंद रहें Reviewed by Manish Pethev on July 31, 2020 Rating: 5

कोरोना महामारी में गुजरात के सूरत में अब तक 1300 से ज्यादा लोगों का अंतिम संस्कार और दफन विधि हो चुकी है। श्मशान की तरह कब्रिस्तान में भी संख्या बढ़ने लगी है। मोरा भागल कब्रिस्तान में खुदाई करने वाले इब्राहिम ने बताया कि एक समय था जब पूरे दिन बैठा रहता था। कोई शव नहीं आता था। यह कोविड-19 से पहले की बात है, लेकिन कोरोना के कारण अब सांस लेने का भी वक्त नहीं मिल रहा है। एक कब्र खोदने में 4 से 5 घंटे लग जाते हैं। एक साथ 4 या 5 तो कई बार इससे भी ज्यादा शव आ जाते हैं। इससे समय से कब्र खोदना मुश्किल होता है, इसलिए जेसीबी का उपयोग करना शुरू किया है। पहले 6 फीट की गहराई में कब्र खोदते थे। लेकिन अब कोरोना के कारण 10 फीट गहरी कब्र खोदते हैं। बोटावाल ट्रस्ट का यह कब्रिस्तान 800 साल पुराना है। पिछले 800 सालों में जिस जगह का अभी तक उपयोग नहीं किया गया उस जगह को अब कोरोना के शव को दफन करने के लिए उपयोग में लिया जा रहा है। कब्रिस्तान ही हमारा घर, यहीं आता है खाना; पत्नी और बच्चों से फोन पर ही बात होती है इब्राहिम ने बताया कि हमें सीधे तौर पर कोरोना से कोई खतरा नहीं है। लेकिन एकता ट्रस्ट की टीम आती है और उनके पास कर्मचारी ज्यादा नहीं होते तो हम भी पीपीई किट पहनकर दफन-विधि में सहयोग करते हैं। हम चार लोग हैं, लेकिन एक भी व्यक्ति अप्रैल से घर नहीं गया। खाना कब्रिस्तान पर ही आ जाता है। परिवार का कोई सदस्य आता है तो उसके साथ दूर से ही बात कर लेते हैं। बच्चों और पत्नी के साथ मोबाइल पर ही बातें होती हैं। अब तो कब्रिस्तान ही हमारा घर है, यहीं रात को सो जाते हैं। अब हमारी एक अलग दुनिया बन चुकी है। अब लगता है कि कब्रिस्तान में जो है वही सबसे सुरक्षित है, क्योंकि यहां कोई आता-जाता नहीं है। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें मोरा भागल कब्रिस्तान में खुदाई करने वाले इब्राहिम बताते हैं कि पहले दिनभर में कभी कभार कोई शव नहीं आता था लेकिन अब सांस लेने की भी फुर्सत नहीं है। https://ift.tt/2DlH8sN Dainik Bhaskar कब्र खोदने वाले चार लोग अप्रैल से घर नहीं गए, कब्रिस्तान में ही सोते हैं, बोले- कितनी कब्रें खोदीं याद नहीं

कोरोना महामारी में गुजरात के सूरत में अब तक 1300 से ज्यादा लोगों का अंतिम संस्कार और दफन विधि हो चुकी है। श्मशान की तरह कब्रिस्तान में भी स...
- July 31, 2020
कोरोना महामारी में गुजरात के सूरत में अब तक 1300 से ज्यादा लोगों का अंतिम संस्कार और दफन विधि हो चुकी है। श्मशान की तरह कब्रिस्तान में भी संख्या बढ़ने लगी है। मोरा भागल कब्रिस्तान में खुदाई करने वाले इब्राहिम ने बताया कि एक समय था जब पूरे दिन बैठा रहता था। कोई शव नहीं आता था। यह कोविड-19 से पहले की बात है, लेकिन कोरोना के कारण अब सांस लेने का भी वक्त नहीं मिल रहा है। एक कब्र खोदने में 4 से 5 घंटे लग जाते हैं। एक साथ 4 या 5 तो कई बार इससे भी ज्यादा शव आ जाते हैं। इससे समय से कब्र खोदना मुश्किल होता है, इसलिए जेसीबी का उपयोग करना शुरू किया है। पहले 6 फीट की गहराई में कब्र खोदते थे। लेकिन अब कोरोना के कारण 10 फीट गहरी कब्र खोदते हैं। बोटावाल ट्रस्ट का यह कब्रिस्तान 800 साल पुराना है। पिछले 800 सालों में जिस जगह का अभी तक उपयोग नहीं किया गया उस जगह को अब कोरोना के शव को दफन करने के लिए उपयोग में लिया जा रहा है। कब्रिस्तान ही हमारा घर, यहीं आता है खाना; पत्नी और बच्चों से फोन पर ही बात होती है इब्राहिम ने बताया कि हमें सीधे तौर पर कोरोना से कोई खतरा नहीं है। लेकिन एकता ट्रस्ट की टीम आती है और उनके पास कर्मचारी ज्यादा नहीं होते तो हम भी पीपीई किट पहनकर दफन-विधि में सहयोग करते हैं। हम चार लोग हैं, लेकिन एक भी व्यक्ति अप्रैल से घर नहीं गया। खाना कब्रिस्तान पर ही आ जाता है। परिवार का कोई सदस्य आता है तो उसके साथ दूर से ही बात कर लेते हैं। बच्चों और पत्नी के साथ मोबाइल पर ही बातें होती हैं। अब तो कब्रिस्तान ही हमारा घर है, यहीं रात को सो जाते हैं। अब हमारी एक अलग दुनिया बन चुकी है। अब लगता है कि कब्रिस्तान में जो है वही सबसे सुरक्षित है, क्योंकि यहां कोई आता-जाता नहीं है। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें मोरा भागल कब्रिस्तान में खुदाई करने वाले इब्राहिम बताते हैं कि पहले दिनभर में कभी कभार कोई शव नहीं आता था लेकिन अब सांस लेने की भी फुर्सत नहीं है। https://ift.tt/2DlH8sN Dainik Bhaskar कब्र खोदने वाले चार लोग अप्रैल से घर नहीं गए, कब्रिस्तान में ही सोते हैं, बोले- कितनी कब्रें खोदीं याद नहीं 

कोरोना महामारी में गुजरात के सूरत में अब तक 1300 से ज्यादा लोगों का अंतिम संस्कार और दफन विधि हो चुकी है। श्मशान की तरह कब्रिस्तान में भी संख्या बढ़ने लगी है। मोरा भागल कब्रिस्तान में खुदाई करने वाले इब्राहिम ने बताया कि एक समय था जब पूरे दिन बैठा रहता था। कोई शव नहीं आता था। यह कोविड-19 से पहले की बात है, लेकिन कोरोना के कारण अब सांस लेने का भी वक्त नहीं मिल रहा है।

एक कब्र खोदने में 4 से 5 घंटे लग जाते हैं। एक साथ 4 या 5 तो कई बार इससे भी ज्यादा शव आ जाते हैं। इससे समय से कब्र खोदना मुश्किल होता है, इसलिए जेसीबी का उपयोग करना शुरू किया है। पहले 6 फीट की गहराई में कब्र खोदते थे। लेकिन अब कोरोना के कारण 10 फीट गहरी कब्र खोदते हैं।

बोटावाल ट्रस्ट का यह कब्रिस्तान 800 साल पुराना है। पिछले 800 सालों में जिस जगह का अभी तक उपयोग नहीं किया गया उस जगह को अब कोरोना के शव को दफन करने के लिए उपयोग में लिया जा रहा है।

कब्रिस्तान ही हमारा घर, यहीं आता है खाना; पत्नी और बच्चों से फोन पर ही बात होती है

इब्राहिम ने बताया कि हमें सीधे तौर पर कोरोना से कोई खतरा नहीं है। लेकिन एकता ट्रस्ट की टीम आती है और उनके पास कर्मचारी ज्यादा नहीं होते तो हम भी पीपीई किट पहनकर दफन-विधि में सहयोग करते हैं। हम चार लोग हैं, लेकिन एक भी व्यक्ति अप्रैल से घर नहीं गया। खाना कब्रिस्तान पर ही आ जाता है।

परिवार का कोई सदस्य आता है तो उसके साथ दूर से ही बात कर लेते हैं। बच्चों और पत्नी के साथ मोबाइल पर ही बातें होती हैं। अब तो कब्रिस्तान ही हमारा घर है, यहीं रात को सो जाते हैं। अब हमारी एक अलग दुनिया बन चुकी है। अब लगता है कि कब्रिस्तान में जो है वही सबसे सुरक्षित है, क्योंकि यहां कोई आता-जाता नहीं है।

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मोरा भागल कब्रिस्तान में खुदाई करने वाले इब्राहिम बताते हैं कि पहले दिनभर में कभी कभार कोई शव नहीं आता था लेकिन अब सांस लेने की भी फुर्सत नहीं है।

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https://ift.tt/2PcwTte अयोध्या में 5 अगस्त को राम मंदिर की नींव रखी जाएगी। इससे पहले राम मंदिर नींव के भीतर टाइम कैप्सूल रखे जाने को लेकर खूब चर्चा है। यह कैप्सूल क्या है? क्या ऐसा पहली बार हो रहा है? ऐसे तमाम सवाल लोगों के मन में चल रहे हैं। दरअसल, बताया जा रहा है कि राम मंदिर का इतिहास हजारों साल तक मौजूद रहे, इसके लिए मंदिर के गर्भगृह की 200 फीट गहराई में टाइम कैप्सूल रखा जाएगा। इस टाइम कैप्सूल पर मंदिर का पूरा विवरण और इतिहास लिखा रहेगा, ताकि भविष्य में जन्मभूमि और राम मंदिर का इतिहास देखा जा सके और कोई विवाद न हो। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल ने मीडिया को सबसे पहले यह जानकारी दी थी। बिहार के रहने वाले कामेश्वर चौपाल वह व्यक्ति हैं, जिन्होंने 9 नवंबर 1989 को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए आधारशिला रखी थी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राम मंदिर निर्माण के लिए बने श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में उन्हें सदस्य भी बनाया गया है। 1989 में भी भूमि के नीचे दबाया गया था ताम्र लेख राम मंदिर के चीफ आर्किटेक्ट निखिल सोमपुरा बताते हैं कि प्रधानमंत्री के कार्यक्रम के बाद मंदिर का निर्माण शुरू हो जाएगा। उनके मुताबिक 200 मीटर गहराई की मिट्टी का सैंपल लिया गया था, लेकिन अभी उसकी रिपोर्ट नहीं आई है। रिपोर्ट के आधार पर ही मंदिर का निर्माण करने वाली कंपनी एलएनटी नींव की खुदाई शुरू कर देगी। टाइम कैप्सूल क्या होता है? टाइम कैप्सूल एक कंटेनर की तरह होता है और हर तरह के मौसम को सहन करने की इसमें क्षमता होती है। अयोध्या में राम मंदिर के नीचे डाला जाने वाला टाइम कैप्सूल कुछ सदियों के बाद एक ऐतिहासिक दस्तावेज के रूप में जाना जाएगा। टाइम कैप्सूल को एक ऐसे ऐतिहासिक महत्व के दस्तावेज के रूप में जाना जाता है, जिसमें किसी काल की सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक स्थिति का उल्लेख हो। यह दस्तावेज ताम्र पत्र पर लिखा जाएगा। टाइम कैप्सूल पर क्या लिखा जाएगा? इस ताम्र पत्र पर मंदिर का संक्षिप्त इतिहास, शिलान्यास की तारीख, भूमिपूजन करने वाले मुख्य अतिथि, उपस्थित विशिष्टजन का नाम, निर्माण की शैली तथा वास्तुविद का नाम लिखा रहेगा। ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल के अनुसार, ताम्र लेख तैयार करने की जिम्मेदारी दिल्ली की एक कंपनी को सौंपी गई है। 1989 में भी जब राममंदिर का शिलान्यास हुआ था, तब भी एक ताम्र लेख भूमि के नीचे दबाया गया था इस बीच, यह जानकारी भी सामने आई है कि साल 1989 में जब गर्भगृह के सामने राममंदिर का शिलान्यास हुआ था, उस वक्त भी एक ताम्र लेख भूमि के नीचे दबाया गया था। रामलला की ओर से मुकदमे की पैरवी करने वाले वकील त्रिलोकीनाथ पांडेय बताते हैं कि उस वक्त ताम्र लेख विश्व हिन्दू परिषद के महासचिव अशोक सिंहल ने तैयार कराया था। पांडेय बताते हैं कि ताम्रपत्र तांबे से बनाया जाता है, क्योंकि इस धातु में जंग नहीं लगती है। यह लेख मिट्टी में भी हजारों साल तक सुरक्षित रहेगा। जब इंदिरा गांधी ने बनवाया टाइम कैप्सूल भारत में पहले भी ऐसे टाइम कैप्सूल ऐतिहासिक महत्व की इमारतों की नींव में डाले जा चुके हैं। 1973 में इंदिरा गांधी सरकार ने लालकिले की नींव में ऐसा ही एक टाइम कैप्सूल डाला था। तब इसे काल-पत्र का नाम दिया गया था। उस वक्त विपक्ष के लोगों ने इंदिरा गांधी के इस कदम की काफी आलोचना की थी और आरोप लगाया था कि इस काल-पत्र में इंदिरा गांधी ने अपने परिवार का महिमामंडन किया है। इंदिरा सरकार के काल-पत्र में क्या लिखा था, उसका राज आज तक नहीं खुल सका इंदिरा गांधी की सरकार ने अतीत की अहम घटनाओं को दर्ज करने का काम इंडियन काउंसिल ऑफ हिस्टोरिकल रिसर्च यानी आईसीएचआर को सौंपा था और मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज के इतिहास के प्रोफेसर एस कृष्णासामी को पूरी पाण्डुलिपि तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई थी, लेकिन यह काम पूरा होने से पहले ही विवादों में फंस गया और इंदिरा सरकार के इस काल-पत्र में क्या लिखा था, उसका राज आज तक नहीं खुल सका। 1977 में कांग्रेस सत्ता से बेदखल हो गई और मोरारजी देसाई के नेतृत्व में जनता पार्टी की सरकार बनी। सरकार गठन के कुछ दिनों बाद टाइम कैप्सूल को निकाला गया, लेकिन जनता पार्टी की सरकार ने इस बात का रहस्योद्घाटन नहीं किया कि उस टाइम कैप्सूल में क्या था? बाद में प्रधानमंत्री कार्यालय से मांगी गई एक जानकारी में बताया गया था कि पीएमओ को इसके बारे में कुछ भी पता नहीं है। मोदी भी बनवा चुके हैं टाइम कैप्सूल टाइम कैप्सूल के विवाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम भी जुड़ा रहा है। नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो 2011 में उन पर भी टाइम कैप्सूल दफनाने का विपक्ष ने आरोप लगाया था। विपक्ष का कहना था कि गांधीनगर में निर्मित महात्मा मंदिर के नीचे टाइम कैप्सूल दफनाया गया है, जिसमें मोदी ने अपनी उपलब्धियों का बखान किया है। 2017 में स्पेन में 400 साल पुराना टाइम कैप्सूल निकला था 30 नवंबर 2017 को स्पेन के बर्गोस में करीब 400 साल पुराना टाइम कैप्सूल निकला था, जो ईसा मसीह की मूर्ति के रूप में था। मूर्ति के भीतर साल 1777 के आसपास की आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक जानकारियां थीं। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें अयोध्या में 5 अगस्त को राम मंदिर की नींव रखी जाएगी। इससे पहले राम मंदिर नींव के भीतर टाइम कैप्सूल रखे जाने को लेकर खूब चर्चा है। from Dainik Bhaskar /utility/news/what-is-a-time-capsule-placed-200-feet-underground-at-ram-temple-construction-site-in-ayodhya-127569559.html via IFTTT https://ift.tt/2P9YStH अयोध्या में 5 अगस्त को राम मंदिर की नींव रखी जाएगी। इससे पहले राम मंदिर नींव के भीतर टाइम कैप्सूल रखे जाने को लेकर खूब चर्चा है। यह कैप्सूल क्या है? क्या ऐसा पहली बार हो रहा है? ऐसे तमाम सवाल लोगों के मन में चल रहे हैं। दरअसल, बताया जा रहा है कि राम मंदिर का इतिहास हजारों साल तक मौजूद रहे, इसके लिए मंदिर के गर्भगृह की 200 फीट गहराई में टाइम कैप्सूल रखा जाएगा। इस टाइम कैप्सूल पर मंदिर का पूरा विवरण और इतिहास लिखा रहेगा, ताकि भविष्य में जन्मभूमि और राम मंदिर का इतिहास देखा जा सके और कोई विवाद न हो। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल ने मीडिया को सबसे पहले यह जानकारी दी थी। बिहार के रहने वाले कामेश्वर चौपाल वह व्यक्ति हैं, जिन्होंने 9 नवंबर 1989 को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए आधारशिला रखी थी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राम मंदिर निर्माण के लिए बने श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में उन्हें सदस्य भी बनाया गया है। 1989 में भी भूमि के नीचे दबाया गया था ताम्र लेख राम मंदिर के चीफ आर्किटेक्ट निखिल सोमपुरा बताते हैं कि प्रधानमंत्री के कार्यक्रम के बाद मंदिर का निर्माण शुरू हो जाएगा। उनके मुताबिक 200 मीटर गहराई की मिट्टी का सैंपल लिया गया था, लेकिन अभी उसकी रिपोर्ट नहीं आई है। रिपोर्ट के आधार पर ही मंदिर का निर्माण करने वाली कंपनी एलएनटी नींव की खुदाई शुरू कर देगी। टाइम कैप्सूल क्या होता है? टाइम कैप्सूल एक कंटेनर की तरह होता है और हर तरह के मौसम को सहन करने की इसमें क्षमता होती है। अयोध्या में राम मंदिर के नीचे डाला जाने वाला टाइम कैप्सूल कुछ सदियों के बाद एक ऐतिहासिक दस्तावेज के रूप में जाना जाएगा। टाइम कैप्सूल को एक ऐसे ऐतिहासिक महत्व के दस्तावेज के रूप में जाना जाता है, जिसमें किसी काल की सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक स्थिति का उल्लेख हो। यह दस्तावेज ताम्र पत्र पर लिखा जाएगा। टाइम कैप्सूल पर क्या लिखा जाएगा? इस ताम्र पत्र पर मंदिर का संक्षिप्त इतिहास, शिलान्यास की तारीख, भूमिपूजन करने वाले मुख्य अतिथि, उपस्थित विशिष्टजन का नाम, निर्माण की शैली तथा वास्तुविद का नाम लिखा रहेगा। ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल के अनुसार, ताम्र लेख तैयार करने की जिम्मेदारी दिल्ली की एक कंपनी को सौंपी गई है। 1989 में भी जब राममंदिर का शिलान्यास हुआ था, तब भी एक ताम्र लेख भूमि के नीचे दबाया गया था इस बीच, यह जानकारी भी सामने आई है कि साल 1989 में जब गर्भगृह के सामने राममंदिर का शिलान्यास हुआ था, उस वक्त भी एक ताम्र लेख भूमि के नीचे दबाया गया था। रामलला की ओर से मुकदमे की पैरवी करने वाले वकील त्रिलोकीनाथ पांडेय बताते हैं कि उस वक्त ताम्र लेख विश्व हिन्दू परिषद के महासचिव अशोक सिंहल ने तैयार कराया था। पांडेय बताते हैं कि ताम्रपत्र तांबे से बनाया जाता है, क्योंकि इस धातु में जंग नहीं लगती है। यह लेख मिट्टी में भी हजारों साल तक सुरक्षित रहेगा। जब इंदिरा गांधी ने बनवाया टाइम कैप्सूल भारत में पहले भी ऐसे टाइम कैप्सूल ऐतिहासिक महत्व की इमारतों की नींव में डाले जा चुके हैं। 1973 में इंदिरा गांधी सरकार ने लालकिले की नींव में ऐसा ही एक टाइम कैप्सूल डाला था। तब इसे काल-पत्र का नाम दिया गया था। उस वक्त विपक्ष के लोगों ने इंदिरा गांधी के इस कदम की काफी आलोचना की थी और आरोप लगाया था कि इस काल-पत्र में इंदिरा गांधी ने अपने परिवार का महिमामंडन किया है। इंदिरा सरकार के काल-पत्र में क्या लिखा था, उसका राज आज तक नहीं खुल सका इंदिरा गांधी की सरकार ने अतीत की अहम घटनाओं को दर्ज करने का काम इंडियन काउंसिल ऑफ हिस्टोरिकल रिसर्च यानी आईसीएचआर को सौंपा था और मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज के इतिहास के प्रोफेसर एस कृष्णासामी को पूरी पाण्डुलिपि तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई थी, लेकिन यह काम पूरा होने से पहले ही विवादों में फंस गया और इंदिरा सरकार के इस काल-पत्र में क्या लिखा था, उसका राज आज तक नहीं खुल सका। 1977 में कांग्रेस सत्ता से बेदखल हो गई और मोरारजी देसाई के नेतृत्व में जनता पार्टी की सरकार बनी। सरकार गठन के कुछ दिनों बाद टाइम कैप्सूल को निकाला गया, लेकिन जनता पार्टी की सरकार ने इस बात का रहस्योद्घाटन नहीं किया कि उस टाइम कैप्सूल में क्या था? बाद में प्रधानमंत्री कार्यालय से मांगी गई एक जानकारी में बताया गया था कि पीएमओ को इसके बारे में कुछ भी पता नहीं है। मोदी भी बनवा चुके हैं टाइम कैप्सूल टाइम कैप्सूल के विवाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम भी जुड़ा रहा है। नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो 2011 में उन पर भी टाइम कैप्सूल दफनाने का विपक्ष ने आरोप लगाया था। विपक्ष का कहना था कि गांधीनगर में निर्मित महात्मा मंदिर के नीचे टाइम कैप्सूल दफनाया गया है, जिसमें मोदी ने अपनी उपलब्धियों का बखान किया है। 2017 में स्पेन में 400 साल पुराना टाइम कैप्सूल निकला था 30 नवंबर 2017 को स्पेन के बर्गोस में करीब 400 साल पुराना टाइम कैप्सूल निकला था, जो ईसा मसीह की मूर्ति के रूप में था। मूर्ति के भीतर साल 1777 के आसपास की आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक जानकारियां थीं। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें अयोध्या में 5 अगस्त को राम मंदिर की नींव रखी जाएगी। इससे पहले राम मंदिर नींव के भीतर टाइम कैप्सूल रखे जाने को लेकर खूब चर्चा है। https://ift.tt/2PcwTte Dainik Bhaskar राम मंदिर के गर्भगृह में 200 फीट गहराई में रखा जाएगा टाइम कैप्सूल, इंदिरा गांधी और नरेंद्र मोदी ऐसा पहले भी कर चुके हैं

अयोध्या में 5 अगस्त को राम मंदिर की नींव रखी जाएगी। इससे पहले राम मंदिर नींव के भीतर टाइम कैप्सूल रखे जाने को लेकर खूब चर्चा है। यह कैप्सूल ...
- July 31, 2020
https://ift.tt/2PcwTte अयोध्या में 5 अगस्त को राम मंदिर की नींव रखी जाएगी। इससे पहले राम मंदिर नींव के भीतर टाइम कैप्सूल रखे जाने को लेकर खूब चर्चा है। यह कैप्सूल क्या है? क्या ऐसा पहली बार हो रहा है? ऐसे तमाम सवाल लोगों के मन में चल रहे हैं। दरअसल, बताया जा रहा है कि राम मंदिर का इतिहास हजारों साल तक मौजूद रहे, इसके लिए मंदिर के गर्भगृह की 200 फीट गहराई में टाइम कैप्सूल रखा जाएगा। इस टाइम कैप्सूल पर मंदिर का पूरा विवरण और इतिहास लिखा रहेगा, ताकि भविष्य में जन्मभूमि और राम मंदिर का इतिहास देखा जा सके और कोई विवाद न हो। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल ने मीडिया को सबसे पहले यह जानकारी दी थी। बिहार के रहने वाले कामेश्वर चौपाल वह व्यक्ति हैं, जिन्होंने 9 नवंबर 1989 को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए आधारशिला रखी थी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राम मंदिर निर्माण के लिए बने श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में उन्हें सदस्य भी बनाया गया है। 1989 में भी भूमि के नीचे दबाया गया था ताम्र लेख राम मंदिर के चीफ आर्किटेक्ट निखिल सोमपुरा बताते हैं कि प्रधानमंत्री के कार्यक्रम के बाद मंदिर का निर्माण शुरू हो जाएगा। उनके मुताबिक 200 मीटर गहराई की मिट्टी का सैंपल लिया गया था, लेकिन अभी उसकी रिपोर्ट नहीं आई है। रिपोर्ट के आधार पर ही मंदिर का निर्माण करने वाली कंपनी एलएनटी नींव की खुदाई शुरू कर देगी। टाइम कैप्सूल क्या होता है? टाइम कैप्सूल एक कंटेनर की तरह होता है और हर तरह के मौसम को सहन करने की इसमें क्षमता होती है। अयोध्या में राम मंदिर के नीचे डाला जाने वाला टाइम कैप्सूल कुछ सदियों के बाद एक ऐतिहासिक दस्तावेज के रूप में जाना जाएगा। टाइम कैप्सूल को एक ऐसे ऐतिहासिक महत्व के दस्तावेज के रूप में जाना जाता है, जिसमें किसी काल की सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक स्थिति का उल्लेख हो। यह दस्तावेज ताम्र पत्र पर लिखा जाएगा। टाइम कैप्सूल पर क्या लिखा जाएगा? इस ताम्र पत्र पर मंदिर का संक्षिप्त इतिहास, शिलान्यास की तारीख, भूमिपूजन करने वाले मुख्य अतिथि, उपस्थित विशिष्टजन का नाम, निर्माण की शैली तथा वास्तुविद का नाम लिखा रहेगा। ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल के अनुसार, ताम्र लेख तैयार करने की जिम्मेदारी दिल्ली की एक कंपनी को सौंपी गई है। 1989 में भी जब राममंदिर का शिलान्यास हुआ था, तब भी एक ताम्र लेख भूमि के नीचे दबाया गया था इस बीच, यह जानकारी भी सामने आई है कि साल 1989 में जब गर्भगृह के सामने राममंदिर का शिलान्यास हुआ था, उस वक्त भी एक ताम्र लेख भूमि के नीचे दबाया गया था। रामलला की ओर से मुकदमे की पैरवी करने वाले वकील त्रिलोकीनाथ पांडेय बताते हैं कि उस वक्त ताम्र लेख विश्व हिन्दू परिषद के महासचिव अशोक सिंहल ने तैयार कराया था। पांडेय बताते हैं कि ताम्रपत्र तांबे से बनाया जाता है, क्योंकि इस धातु में जंग नहीं लगती है। यह लेख मिट्टी में भी हजारों साल तक सुरक्षित रहेगा। जब इंदिरा गांधी ने बनवाया टाइम कैप्सूल भारत में पहले भी ऐसे टाइम कैप्सूल ऐतिहासिक महत्व की इमारतों की नींव में डाले जा चुके हैं। 1973 में इंदिरा गांधी सरकार ने लालकिले की नींव में ऐसा ही एक टाइम कैप्सूल डाला था। तब इसे काल-पत्र का नाम दिया गया था। उस वक्त विपक्ष के लोगों ने इंदिरा गांधी के इस कदम की काफी आलोचना की थी और आरोप लगाया था कि इस काल-पत्र में इंदिरा गांधी ने अपने परिवार का महिमामंडन किया है। इंदिरा सरकार के काल-पत्र में क्या लिखा था, उसका राज आज तक नहीं खुल सका इंदिरा गांधी की सरकार ने अतीत की अहम घटनाओं को दर्ज करने का काम इंडियन काउंसिल ऑफ हिस्टोरिकल रिसर्च यानी आईसीएचआर को सौंपा था और मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज के इतिहास के प्रोफेसर एस कृष्णासामी को पूरी पाण्डुलिपि तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई थी, लेकिन यह काम पूरा होने से पहले ही विवादों में फंस गया और इंदिरा सरकार के इस काल-पत्र में क्या लिखा था, उसका राज आज तक नहीं खुल सका। 1977 में कांग्रेस सत्ता से बेदखल हो गई और मोरारजी देसाई के नेतृत्व में जनता पार्टी की सरकार बनी। सरकार गठन के कुछ दिनों बाद टाइम कैप्सूल को निकाला गया, लेकिन जनता पार्टी की सरकार ने इस बात का रहस्योद्घाटन नहीं किया कि उस टाइम कैप्सूल में क्या था? बाद में प्रधानमंत्री कार्यालय से मांगी गई एक जानकारी में बताया गया था कि पीएमओ को इसके बारे में कुछ भी पता नहीं है। मोदी भी बनवा चुके हैं टाइम कैप्सूल टाइम कैप्सूल के विवाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम भी जुड़ा रहा है। नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो 2011 में उन पर भी टाइम कैप्सूल दफनाने का विपक्ष ने आरोप लगाया था। विपक्ष का कहना था कि गांधीनगर में निर्मित महात्मा मंदिर के नीचे टाइम कैप्सूल दफनाया गया है, जिसमें मोदी ने अपनी उपलब्धियों का बखान किया है। 2017 में स्पेन में 400 साल पुराना टाइम कैप्सूल निकला था 30 नवंबर 2017 को स्पेन के बर्गोस में करीब 400 साल पुराना टाइम कैप्सूल निकला था, जो ईसा मसीह की मूर्ति के रूप में था। मूर्ति के भीतर साल 1777 के आसपास की आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक जानकारियां थीं। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें अयोध्या में 5 अगस्त को राम मंदिर की नींव रखी जाएगी। इससे पहले राम मंदिर नींव के भीतर टाइम कैप्सूल रखे जाने को लेकर खूब चर्चा है। from Dainik Bhaskar /utility/news/what-is-a-time-capsule-placed-200-feet-underground-at-ram-temple-construction-site-in-ayodhya-127569559.html via IFTTT https://ift.tt/2P9YStH अयोध्या में 5 अगस्त को राम मंदिर की नींव रखी जाएगी। इससे पहले राम मंदिर नींव के भीतर टाइम कैप्सूल रखे जाने को लेकर खूब चर्चा है। यह कैप्सूल क्या है? क्या ऐसा पहली बार हो रहा है? ऐसे तमाम सवाल लोगों के मन में चल रहे हैं। दरअसल, बताया जा रहा है कि राम मंदिर का इतिहास हजारों साल तक मौजूद रहे, इसके लिए मंदिर के गर्भगृह की 200 फीट गहराई में टाइम कैप्सूल रखा जाएगा। इस टाइम कैप्सूल पर मंदिर का पूरा विवरण और इतिहास लिखा रहेगा, ताकि भविष्य में जन्मभूमि और राम मंदिर का इतिहास देखा जा सके और कोई विवाद न हो। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल ने मीडिया को सबसे पहले यह जानकारी दी थी। बिहार के रहने वाले कामेश्वर चौपाल वह व्यक्ति हैं, जिन्होंने 9 नवंबर 1989 को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए आधारशिला रखी थी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राम मंदिर निर्माण के लिए बने श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में उन्हें सदस्य भी बनाया गया है। 1989 में भी भूमि के नीचे दबाया गया था ताम्र लेख राम मंदिर के चीफ आर्किटेक्ट निखिल सोमपुरा बताते हैं कि प्रधानमंत्री के कार्यक्रम के बाद मंदिर का निर्माण शुरू हो जाएगा। उनके मुताबिक 200 मीटर गहराई की मिट्टी का सैंपल लिया गया था, लेकिन अभी उसकी रिपोर्ट नहीं आई है। रिपोर्ट के आधार पर ही मंदिर का निर्माण करने वाली कंपनी एलएनटी नींव की खुदाई शुरू कर देगी। टाइम कैप्सूल क्या होता है? टाइम कैप्सूल एक कंटेनर की तरह होता है और हर तरह के मौसम को सहन करने की इसमें क्षमता होती है। अयोध्या में राम मंदिर के नीचे डाला जाने वाला टाइम कैप्सूल कुछ सदियों के बाद एक ऐतिहासिक दस्तावेज के रूप में जाना जाएगा। टाइम कैप्सूल को एक ऐसे ऐतिहासिक महत्व के दस्तावेज के रूप में जाना जाता है, जिसमें किसी काल की सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक स्थिति का उल्लेख हो। यह दस्तावेज ताम्र पत्र पर लिखा जाएगा। टाइम कैप्सूल पर क्या लिखा जाएगा? इस ताम्र पत्र पर मंदिर का संक्षिप्त इतिहास, शिलान्यास की तारीख, भूमिपूजन करने वाले मुख्य अतिथि, उपस्थित विशिष्टजन का नाम, निर्माण की शैली तथा वास्तुविद का नाम लिखा रहेगा। ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल के अनुसार, ताम्र लेख तैयार करने की जिम्मेदारी दिल्ली की एक कंपनी को सौंपी गई है। 1989 में भी जब राममंदिर का शिलान्यास हुआ था, तब भी एक ताम्र लेख भूमि के नीचे दबाया गया था इस बीच, यह जानकारी भी सामने आई है कि साल 1989 में जब गर्भगृह के सामने राममंदिर का शिलान्यास हुआ था, उस वक्त भी एक ताम्र लेख भूमि के नीचे दबाया गया था। रामलला की ओर से मुकदमे की पैरवी करने वाले वकील त्रिलोकीनाथ पांडेय बताते हैं कि उस वक्त ताम्र लेख विश्व हिन्दू परिषद के महासचिव अशोक सिंहल ने तैयार कराया था। पांडेय बताते हैं कि ताम्रपत्र तांबे से बनाया जाता है, क्योंकि इस धातु में जंग नहीं लगती है। यह लेख मिट्टी में भी हजारों साल तक सुरक्षित रहेगा। जब इंदिरा गांधी ने बनवाया टाइम कैप्सूल भारत में पहले भी ऐसे टाइम कैप्सूल ऐतिहासिक महत्व की इमारतों की नींव में डाले जा चुके हैं। 1973 में इंदिरा गांधी सरकार ने लालकिले की नींव में ऐसा ही एक टाइम कैप्सूल डाला था। तब इसे काल-पत्र का नाम दिया गया था। उस वक्त विपक्ष के लोगों ने इंदिरा गांधी के इस कदम की काफी आलोचना की थी और आरोप लगाया था कि इस काल-पत्र में इंदिरा गांधी ने अपने परिवार का महिमामंडन किया है। इंदिरा सरकार के काल-पत्र में क्या लिखा था, उसका राज आज तक नहीं खुल सका इंदिरा गांधी की सरकार ने अतीत की अहम घटनाओं को दर्ज करने का काम इंडियन काउंसिल ऑफ हिस्टोरिकल रिसर्च यानी आईसीएचआर को सौंपा था और मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज के इतिहास के प्रोफेसर एस कृष्णासामी को पूरी पाण्डुलिपि तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई थी, लेकिन यह काम पूरा होने से पहले ही विवादों में फंस गया और इंदिरा सरकार के इस काल-पत्र में क्या लिखा था, उसका राज आज तक नहीं खुल सका। 1977 में कांग्रेस सत्ता से बेदखल हो गई और मोरारजी देसाई के नेतृत्व में जनता पार्टी की सरकार बनी। सरकार गठन के कुछ दिनों बाद टाइम कैप्सूल को निकाला गया, लेकिन जनता पार्टी की सरकार ने इस बात का रहस्योद्घाटन नहीं किया कि उस टाइम कैप्सूल में क्या था? बाद में प्रधानमंत्री कार्यालय से मांगी गई एक जानकारी में बताया गया था कि पीएमओ को इसके बारे में कुछ भी पता नहीं है। मोदी भी बनवा चुके हैं टाइम कैप्सूल टाइम कैप्सूल के विवाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम भी जुड़ा रहा है। नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो 2011 में उन पर भी टाइम कैप्सूल दफनाने का विपक्ष ने आरोप लगाया था। विपक्ष का कहना था कि गांधीनगर में निर्मित महात्मा मंदिर के नीचे टाइम कैप्सूल दफनाया गया है, जिसमें मोदी ने अपनी उपलब्धियों का बखान किया है। 2017 में स्पेन में 400 साल पुराना टाइम कैप्सूल निकला था 30 नवंबर 2017 को स्पेन के बर्गोस में करीब 400 साल पुराना टाइम कैप्सूल निकला था, जो ईसा मसीह की मूर्ति के रूप में था। मूर्ति के भीतर साल 1777 के आसपास की आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक जानकारियां थीं। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें अयोध्या में 5 अगस्त को राम मंदिर की नींव रखी जाएगी। इससे पहले राम मंदिर नींव के भीतर टाइम कैप्सूल रखे जाने को लेकर खूब चर्चा है। https://ift.tt/2PcwTte Dainik Bhaskar राम मंदिर के गर्भगृह में 200 फीट गहराई में रखा जाएगा टाइम कैप्सूल, इंदिरा गांधी और नरेंद्र मोदी ऐसा पहले भी कर चुके हैं https://ift.tt/2PcwTte 

अयोध्या में 5 अगस्त को राम मंदिर की नींव रखी जाएगी। इससे पहले राम मंदिर नींव के भीतर टाइम कैप्सूल रखे जाने को लेकर खूब चर्चा है। यह कैप्सूल क्या है? क्या ऐसा पहली बार हो रहा है? ऐसे तमाम सवाल लोगों के मन में चल रहे हैं। दरअसल, बताया जा रहा है कि राम मंदिर का इतिहास हजारों साल तक मौजूद रहे, इसके लिए मंदिर के गर्भगृह की 200 फीट गहराई में टाइम कैप्सूल रखा जाएगा।

इस टाइम कैप्सूल पर मंदिर का पूरा विवरण और इतिहास लिखा रहेगा, ताकि भविष्य में जन्मभूमि और राम मंदिर का इतिहास देखा जा सके और कोई विवाद न हो। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल ने मीडिया को सबसे पहले यह जानकारी दी थी।

बिहार के रहने वाले कामेश्वर चौपाल वह व्यक्ति हैं, जिन्होंने 9 नवंबर 1989 को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए आधारशिला रखी थी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राम मंदिर निर्माण के लिए बने श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में उन्हें सदस्य भी बनाया गया है।

1989 में भी भूमि के नीचे दबाया गया था ताम्र लेख
राम मंदिर के चीफ आर्किटेक्ट निखिल सोमपुरा बताते हैं कि प्रधानमंत्री के कार्यक्रम के बाद मंदिर का निर्माण शुरू हो जाएगा। उनके मुताबिक 200 मीटर गहराई की मिट्टी का सैंपल लिया गया था, लेकिन अभी उसकी रिपोर्ट नहीं आई है। रिपोर्ट के आधार पर ही मंदिर का निर्माण करने वाली कंपनी एलएनटी नींव की खुदाई शुरू कर देगी।

टाइम कैप्सूल क्या होता है?

टाइम कैप्सूल एक कंटेनर की तरह होता है और हर तरह के मौसम को सहन करने की इसमें क्षमता होती है। अयोध्या में राम मंदिर के नीचे डाला जाने वाला टाइम कैप्सूल कुछ सदियों के बाद एक ऐतिहासिक दस्तावेज के रूप में जाना जाएगा। टाइम कैप्सूल को एक ऐसे ऐतिहासिक महत्व के दस्तावेज के रूप में जाना जाता है, जिसमें किसी काल की सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक स्थिति का उल्लेख हो। यह दस्तावेज ताम्र पत्र पर लिखा जाएगा।

टाइम कैप्सूल पर क्या लिखा जाएगा?

इस ताम्र पत्र पर मंदिर का संक्षिप्त इतिहास, शिलान्यास की तारीख, भूमिपूजन करने वाले मुख्य अतिथि, उपस्थित विशिष्टजन का नाम, निर्माण की शैली तथा वास्तुविद का नाम लिखा रहेगा। ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल के अनुसार, ताम्र लेख तैयार करने की जिम्मेदारी दिल्ली की एक कंपनी को सौंपी गई है।

1989 में भी जब राममंदिर का शिलान्यास हुआ था, तब भी एक ताम्र लेख भूमि के नीचे दबाया गया था

इस बीच, यह जानकारी भी सामने आई है कि साल 1989 में जब गर्भगृह के सामने राममंदिर का शिलान्यास हुआ था, उस वक्त भी एक ताम्र लेख भूमि के नीचे दबाया गया था। रामलला की ओर से मुकदमे की पैरवी करने वाले वकील त्रिलोकीनाथ पांडेय बताते हैं कि उस वक्त ताम्र लेख विश्व हिन्दू परिषद के महासचिव अशोक सिंहल ने तैयार कराया था। पांडेय बताते हैं कि ताम्रपत्र तांबे से बनाया जाता है, क्योंकि इस धातु में जंग नहीं लगती है। यह लेख मिट्टी में भी हजारों साल तक सुरक्षित रहेगा।

जब इंदिरा गांधी ने बनवाया टाइम कैप्सूल
भारत में पहले भी ऐसे टाइम कैप्सूल ऐतिहासिक महत्व की इमारतों की नींव में डाले जा चुके हैं। 1973 में इंदिरा गांधी सरकार ने लालकिले की नींव में ऐसा ही एक टाइम कैप्सूल डाला था। तब इसे काल-पत्र का नाम दिया गया था। उस वक्त विपक्ष के लोगों ने इंदिरा गांधी के इस कदम की काफी आलोचना की थी और आरोप लगाया था कि इस काल-पत्र में इंदिरा गांधी ने अपने परिवार का महिमामंडन किया है।

इंदिरा सरकार के काल-पत्र में क्या लिखा था, उसका राज आज तक नहीं खुल सका

इंदिरा गांधी की सरकार ने अतीत की अहम घटनाओं को दर्ज करने का काम इंडियन काउंसिल ऑफ हिस्टोरिकल रिसर्च यानी आईसीएचआर को सौंपा था और मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज के इतिहास के प्रोफेसर एस कृष्णासामी को पूरी पाण्डुलिपि तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई थी, लेकिन यह काम पूरा होने से पहले ही विवादों में फंस गया और इंदिरा सरकार के इस काल-पत्र में क्या लिखा था, उसका राज आज तक नहीं खुल सका।

1977 में कांग्रेस सत्ता से बेदखल हो गई और मोरारजी देसाई के नेतृत्व में जनता पार्टी की सरकार बनी। सरकार गठन के कुछ दिनों बाद टाइम कैप्सूल को निकाला गया, लेकिन जनता पार्टी की सरकार ने इस बात का रहस्योद्घाटन नहीं किया कि उस टाइम कैप्सूल में क्या था? बाद में प्रधानमंत्री कार्यालय से मांगी गई एक जानकारी में बताया गया था कि पीएमओ को इसके बारे में कुछ भी पता नहीं है।

मोदी भी बनवा चुके हैं टाइम कैप्सूल
टाइम कैप्सूल के विवाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम भी जुड़ा रहा है। नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो 2011 में उन पर भी टाइम कैप्सूल दफनाने का विपक्ष ने आरोप लगाया था। विपक्ष का कहना था कि गांधीनगर में निर्मित महात्मा मंदिर के नीचे टाइम कैप्सूल दफनाया गया है, जिसमें मोदी ने अपनी उपलब्धियों का बखान किया है।

2017 में स्पेन में 400 साल पुराना टाइम कैप्सूल निकला था
30 नवंबर 2017 को स्पेन के बर्गोस में करीब 400 साल पुराना टाइम कैप्सूल निकला था, जो ईसा मसीह की मूर्ति के रूप में था। मूर्ति के भीतर साल 1777 के आसपास की आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक जानकारियां थीं।

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अयोध्या में 5 अगस्त को राम मंदिर की नींव रखी जाएगी। इससे पहले राम मंदिर नींव के भीतर टाइम कैप्सूल रखे जाने को लेकर खूब चर्चा है।

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via IFTTT https://ift.tt/2P9YStH अयोध्या में 5 अगस्त को राम मंदिर की नींव रखी जाएगी। इससे पहले राम मंदिर नींव के भीतर टाइम कैप्सूल रखे जाने को लेकर खूब चर्चा है। यह कैप्सूल क्या है? क्या ऐसा पहली बार हो रहा है? ऐसे तमाम सवाल लोगों के मन में चल रहे हैं। दरअसल, बताया जा रहा है कि राम मंदिर का इतिहास हजारों साल तक मौजूद रहे, इसके लिए मंदिर के गर्भगृह की 200 फीट गहराई में टाइम कैप्सूल रखा जाएगा। इस टाइम कैप्सूल पर मंदिर का पूरा विवरण और इतिहास लिखा रहेगा, ताकि भविष्य में जन्मभूमि और राम मंदिर का इतिहास देखा जा सके और कोई विवाद न हो। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल ने मीडिया को सबसे पहले यह जानकारी दी थी। बिहार के रहने वाले कामेश्वर चौपाल वह व्यक्ति हैं, जिन्होंने 9 नवंबर 1989 को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए आधारशिला रखी थी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राम मंदिर निर्माण के लिए बने श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में उन्हें सदस्य भी बनाया गया है। 1989 में भी भूमि के नीचे दबाया गया था ताम्र लेख राम मंदिर के चीफ आर्किटेक्ट निखिल सोमपुरा बताते हैं कि प्रधानमंत्री के कार्यक्रम के बाद मंदिर का निर्माण शुरू हो जाएगा। उनके मुताबिक 200 मीटर गहराई की मिट्टी का सैंपल लिया गया था, लेकिन अभी उसकी रिपोर्ट नहीं आई है। रिपोर्ट के आधार पर ही मंदिर का निर्माण करने वाली कंपनी एलएनटी नींव की खुदाई शुरू कर देगी। टाइम कैप्सूल क्या होता है? टाइम कैप्सूल एक कंटेनर की तरह होता है और हर तरह के मौसम को सहन करने की इसमें क्षमता होती है। अयोध्या में राम मंदिर के नीचे डाला जाने वाला टाइम कैप्सूल कुछ सदियों के बाद एक ऐतिहासिक दस्तावेज के रूप में जाना जाएगा। टाइम कैप्सूल को एक ऐसे ऐतिहासिक महत्व के दस्तावेज के रूप में जाना जाता है, जिसमें किसी काल की सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक स्थिति का उल्लेख हो। यह दस्तावेज ताम्र पत्र पर लिखा जाएगा। टाइम कैप्सूल पर क्या लिखा जाएगा? इस ताम्र पत्र पर मंदिर का संक्षिप्त इतिहास, शिलान्यास की तारीख, भूमिपूजन करने वाले मुख्य अतिथि, उपस्थित विशिष्टजन का नाम, निर्माण की शैली तथा वास्तुविद का नाम लिखा रहेगा। ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल के अनुसार, ताम्र लेख तैयार करने की जिम्मेदारी दिल्ली की एक कंपनी को सौंपी गई है। 1989 में भी जब राममंदिर का शिलान्यास हुआ था, तब भी एक ताम्र लेख भूमि के नीचे दबाया गया था इस बीच, यह जानकारी भी सामने आई है कि साल 1989 में जब गर्भगृह के सामने राममंदिर का शिलान्यास हुआ था, उस वक्त भी एक ताम्र लेख भूमि के नीचे दबाया गया था। रामलला की ओर से मुकदमे की पैरवी करने वाले वकील त्रिलोकीनाथ पांडेय बताते हैं कि उस वक्त ताम्र लेख विश्व हिन्दू परिषद के महासचिव अशोक सिंहल ने तैयार कराया था। पांडेय बताते हैं कि ताम्रपत्र तांबे से बनाया जाता है, क्योंकि इस धातु में जंग नहीं लगती है। यह लेख मिट्टी में भी हजारों साल तक सुरक्षित रहेगा। जब इंदिरा गांधी ने बनवाया टाइम कैप्सूल भारत में पहले भी ऐसे टाइम कैप्सूल ऐतिहासिक महत्व की इमारतों की नींव में डाले जा चुके हैं। 1973 में इंदिरा गांधी सरकार ने लालकिले की नींव में ऐसा ही एक टाइम कैप्सूल डाला था। तब इसे काल-पत्र का नाम दिया गया था। उस वक्त विपक्ष के लोगों ने इंदिरा गांधी के इस कदम की काफी आलोचना की थी और आरोप लगाया था कि इस काल-पत्र में इंदिरा गांधी ने अपने परिवार का महिमामंडन किया है। इंदिरा सरकार के काल-पत्र में क्या लिखा था, उसका राज आज तक नहीं खुल सका इंदिरा गांधी की सरकार ने अतीत की अहम घटनाओं को दर्ज करने का काम इंडियन काउंसिल ऑफ हिस्टोरिकल रिसर्च यानी आईसीएचआर को सौंपा था और मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज के इतिहास के प्रोफेसर एस कृष्णासामी को पूरी पाण्डुलिपि तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई थी, लेकिन यह काम पूरा होने से पहले ही विवादों में फंस गया और इंदिरा सरकार के इस काल-पत्र में क्या लिखा था, उसका राज आज तक नहीं खुल सका। 1977 में कांग्रेस सत्ता से बेदखल हो गई और मोरारजी देसाई के नेतृत्व में जनता पार्टी की सरकार बनी। सरकार गठन के कुछ दिनों बाद टाइम कैप्सूल को निकाला गया, लेकिन जनता पार्टी की सरकार ने इस बात का रहस्योद्घाटन नहीं किया कि उस टाइम कैप्सूल में क्या था? बाद में प्रधानमंत्री कार्यालय से मांगी गई एक जानकारी में बताया गया था कि पीएमओ को इसके बारे में कुछ भी पता नहीं है। मोदी भी बनवा चुके हैं टाइम कैप्सूल टाइम कैप्सूल के विवाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम भी जुड़ा रहा है। नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो 2011 में उन पर भी टाइम कैप्सूल दफनाने का विपक्ष ने आरोप लगाया था। विपक्ष का कहना था कि गांधीनगर में निर्मित महात्मा मंदिर के नीचे टाइम कैप्सूल दफनाया गया है, जिसमें मोदी ने अपनी उपलब्धियों का बखान किया है। 2017 में स्पेन में 400 साल पुराना टाइम कैप्सूल निकला था 30 नवंबर 2017 को स्पेन के बर्गोस में करीब 400 साल पुराना टाइम कैप्सूल निकला था, जो ईसा मसीह की मूर्ति के रूप में था। मूर्ति के भीतर साल 1777 के आसपास की आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक जानकारियां थीं। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें अयोध्या में 5 अगस्त को राम मंदिर की नींव रखी जाएगी। इससे पहले राम मंदिर नींव के भीतर टाइम कैप्सूल रखे जाने को लेकर खूब चर्चा है। https://ift.tt/2PcwTte Dainik Bhaskar राम मंदिर के गर्भगृह में 200 फीट गहराई में रखा जाएगा टाइम कैप्सूल, इंदिरा गांधी और नरेंद्र मोदी ऐसा पहले भी कर चुके हैं Reviewed by Manish Pethev on July 31, 2020 Rating: 5

https://ift.tt/39Iam0U हाल ही में जारी की गई लैंसेट की रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया की आबादी 2064 में पीक पर होगी। इसके बाद ये घटने लगेगी। इससे पहले यूएन ने 2100 में इसके पीक पर पहुंचने का अनुमान लगाया था। रिपोर्ट के मुताबिक 2064 में दुनिया की आबादी 973 करोड़ हो जाएगी। 2100 तक ये घटकर 879 रह जाएगी। भारत दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाला देश होगा। लेकिन, उसकी आबादी 2048 के बाद घटने लगेगी। इस ग्लोबल पॉपुलेशन प्रोजेक्शन रिपोर्ट में आने वाले 80 सालों में दुनिया की आबादी के बारे में कई तरह के फैक्ट्स हैं। जैसे- आने वाले 80 साल बाद भारत और दुनिया के अन्य देशों की आबादी कितनी होगी। कब तक बढ़ेगी और कब से घटेगी? किन देशों की आबादी तेजी से घटेगी? कौन से देश ऐसे हैं जिनकी आबादी आज की आबादी से आधी रह जाएगी? ग्लोबल फर्टीलिटी रेट 2100 तक घटकर 1.66 हो जाएगा। भारत समेत दुनिया के उन देशों में फर्टिलिटी रेट 70% तक कम होगा जिनकी आबादी ज्यादा है। 2100 भारत की फर्टिलिटी रेट में 68% तक घट जाएगा। 138 करोड़ आबादी वाले देश भारत में 2100 तक 28% लोग कम हो जाएंगे। सबसे ज्यादा आबादी वाले देशों में शामिल रूस, जापान, ब्राजील 2100 तक टॉप टेन से बाहर हो जाएंगे 21 करोड़ आबादी वाला देश ब्राजील आबादी के लिहाज से इस वक्त दुनिया का 6वां सबसे बड़ा देश है। 2100 में इसकी आबादी घटकर 16.5 करोड़ रह जाएगी। जापान की आबादी 80 साल में आधी से कम हो 6 करोड़ हो जाएगी और वो दुनिया में 38वें नंबर पर आ जाएगा। 2017 के बाद से रूस और जापान की आबादी लगातार घट रही है। पाकिस्तान को छोड़कर दक्षिण एशिया के हर देश की आबादी घटेगी 2100 में पाकिस्तान को छोड़कर दक्षिण एशिया के सभी देशों की आबादी आज के मुकाबले कम होगी। भारत की आबादी आज के मुकाबले करीब 21% कम होगी तो बांग्‍लादेश में आज के मुकाबले आधे लोग रह जाएंगे। वहीं, पाकिस्तान की आबादी 80 साल बाद 16% बढ़ेगी। हालांकि, वहां पीक 2062 में आएगा। जब वहां आज के मुकाबले करीब 47% ज्यादा आबादी होगी। 2100 तक चीन की आबादी लगभग आधी हो जाएगी। भारत की आबादी 32% घटेगी। बांग्लादेश की आबादी भी करीब आधी हो जाएगी। जबकि इंडोनेशिया आबादी मामूली घटेगी। तो पाकिस्तान की बढ़ेगी। इसके बाद भी बांग्लादेश को छोड़कर, एशिया के इन पांच देशों में से चार देश विश्व के सबसे ज्यादा आबादी वाले दस देशों में अभी की तरह बने रहेंगे। पाकिस्तान इंडोनेशिया से ऊपर चला जाएगा, लेकिन एशिया के सबसे ज्यादा आबादी वाले पांच देशों की लिस्ट में कोई बदलाव नहीं होगा। 2017 में दुनिया के सबसे ज्यादा आबादी वाले 10 देशों में से चार देश जापान, रूस, बांग्लादेश, और ब्राजील 2100 में टॉप 10 से बाहर हो जाएंगे। 2100 में इनकी जगह, तंजानिया, मिस्र, इथोपिया और कांगो दुनिया के सबसे ज्यादा आबादी वाले दस देशों में होंगे। अभी कांगो की आबादी 8 करोड़ 80 लाख है। वो आबादी के लिहाज से 18वें नंबर पर है। इथोपिया की आबादी अभी 10 करोड़ 2 लाख है जो दुनिया में 13 वें नंबर पर है,मिस्र की आबादी अभी 9 करोड़ 60 लाख है जो कि दुनिया में 14वें नंबर पर है और तंजानिया की आबादी 5 करोड़ 30 लाख है जो दुनिया में 24वें नंबर पर है। मिस्र को छोड़कर बाकी तीन देश अफ्रीका से हैं। वर्किंग एज पॉपुलेशन मतलब 20-64 साल के उम्र के लोगों की आबादी। 2100 में भारत वर्किंग एज पॉपुलेशन में भी दुनिया में नंबर एक पर होगा। चीन की वर्किंग एज पॉपुलेशन करीब 70% घटेगी लेकिन चीन की जनसंख्या ज्यादा होने के कारण, वह 2100 में भी दुनिया में दूसरे नंबर पर बना रहेगा। नोट- 2017 में चाइल्ड एज पॉपुलेशन और वर्किंग एज पॉपुलेशन को वर्ल्ड बैंक के मुताबिक है। जो 0-14 और 15-64 होती है। लैंटस की रिपोर्ट में इसे 0-19 और 20-65 लिया गया है। 2017 की तुलना में 2100 के प्रोजेक्शन के अंतर में थोड़ा बदलाव हो सकता है। पहले भी रिसर्च में देखा गया है कि हर शताब्दी में, हर देश के सामने दो बार उतार-चढ़ाव आते हैं। एक बार आबादी घटती है जबकि एक ही शताब्दी में दूसरी बार आबादी बढ़ती है। जिस साल में सबसे ज्यादा होती है उसे पीक ईयर पॉपुलेशन कहा जाता है। चीन में सबसे ज्यादा आबादी अभी के दशक में बढ़ रही है। जापान में पीक ईयर 2017 में था, स्पेन और थाईलैंड भी पीक ईयर क्रॉस कर चुके हैं। अब इस प्वाइंट से आबादी घटेगी। ग्लोबल लाइफ एक्सपेक्टेंसी 70-80 साल की होती है, इसीलिए आने वाले 50 साल से 80 साल तक इन सभी देशों में नेचुरल डेथ रेट पीक पर होगा और 2100 तक आबादी आधी हो जाएगी आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें World (India) Population Projections 2100 Update | What Will Be World and India Population Be In 2100? Everything Thing You Need To Know In Latest Research from Dainik Bhaskar /national/news/world-population-projections-in-2100-everything-thing-you-need-to-know-in-latest-research-127569556.html via IFTTT https://ift.tt/33axTq4 हाल ही में जारी की गई लैंसेट की रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया की आबादी 2064 में पीक पर होगी। इसके बाद ये घटने लगेगी। इससे पहले यूएन ने 2100 में इसके पीक पर पहुंचने का अनुमान लगाया था। रिपोर्ट के मुताबिक 2064 में दुनिया की आबादी 973 करोड़ हो जाएगी। 2100 तक ये घटकर 879 रह जाएगी। भारत दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाला देश होगा। लेकिन, उसकी आबादी 2048 के बाद घटने लगेगी। इस ग्लोबल पॉपुलेशन प्रोजेक्शन रिपोर्ट में आने वाले 80 सालों में दुनिया की आबादी के बारे में कई तरह के फैक्ट्स हैं। जैसे- आने वाले 80 साल बाद भारत और दुनिया के अन्य देशों की आबादी कितनी होगी। कब तक बढ़ेगी और कब से घटेगी? किन देशों की आबादी तेजी से घटेगी? कौन से देश ऐसे हैं जिनकी आबादी आज की आबादी से आधी रह जाएगी? ग्लोबल फर्टीलिटी रेट 2100 तक घटकर 1.66 हो जाएगा। भारत समेत दुनिया के उन देशों में फर्टिलिटी रेट 70% तक कम होगा जिनकी आबादी ज्यादा है। 2100 भारत की फर्टिलिटी रेट में 68% तक घट जाएगा। 138 करोड़ आबादी वाले देश भारत में 2100 तक 28% लोग कम हो जाएंगे। सबसे ज्यादा आबादी वाले देशों में शामिल रूस, जापान, ब्राजील 2100 तक टॉप टेन से बाहर हो जाएंगे 21 करोड़ आबादी वाला देश ब्राजील आबादी के लिहाज से इस वक्त दुनिया का 6वां सबसे बड़ा देश है। 2100 में इसकी आबादी घटकर 16.5 करोड़ रह जाएगी। जापान की आबादी 80 साल में आधी से कम हो 6 करोड़ हो जाएगी और वो दुनिया में 38वें नंबर पर आ जाएगा। 2017 के बाद से रूस और जापान की आबादी लगातार घट रही है। पाकिस्तान को छोड़कर दक्षिण एशिया के हर देश की आबादी घटेगी 2100 में पाकिस्तान को छोड़कर दक्षिण एशिया के सभी देशों की आबादी आज के मुकाबले कम होगी। भारत की आबादी आज के मुकाबले करीब 21% कम होगी तो बांग्‍लादेश में आज के मुकाबले आधे लोग रह जाएंगे। वहीं, पाकिस्तान की आबादी 80 साल बाद 16% बढ़ेगी। हालांकि, वहां पीक 2062 में आएगा। जब वहां आज के मुकाबले करीब 47% ज्यादा आबादी होगी। 2100 तक चीन की आबादी लगभग आधी हो जाएगी। भारत की आबादी 32% घटेगी। बांग्लादेश की आबादी भी करीब आधी हो जाएगी। जबकि इंडोनेशिया आबादी मामूली घटेगी। तो पाकिस्तान की बढ़ेगी। इसके बाद भी बांग्लादेश को छोड़कर, एशिया के इन पांच देशों में से चार देश विश्व के सबसे ज्यादा आबादी वाले दस देशों में अभी की तरह बने रहेंगे। पाकिस्तान इंडोनेशिया से ऊपर चला जाएगा, लेकिन एशिया के सबसे ज्यादा आबादी वाले पांच देशों की लिस्ट में कोई बदलाव नहीं होगा। 2017 में दुनिया के सबसे ज्यादा आबादी वाले 10 देशों में से चार देश जापान, रूस, बांग्लादेश, और ब्राजील 2100 में टॉप 10 से बाहर हो जाएंगे। 2100 में इनकी जगह, तंजानिया, मिस्र, इथोपिया और कांगो दुनिया के सबसे ज्यादा आबादी वाले दस देशों में होंगे। अभी कांगो की आबादी 8 करोड़ 80 लाख है। वो आबादी के लिहाज से 18वें नंबर पर है। इथोपिया की आबादी अभी 10 करोड़ 2 लाख है जो दुनिया में 13 वें नंबर पर है,मिस्र की आबादी अभी 9 करोड़ 60 लाख है जो कि दुनिया में 14वें नंबर पर है और तंजानिया की आबादी 5 करोड़ 30 लाख है जो दुनिया में 24वें नंबर पर है। मिस्र को छोड़कर बाकी तीन देश अफ्रीका से हैं। वर्किंग एज पॉपुलेशन मतलब 20-64 साल के उम्र के लोगों की आबादी। 2100 में भारत वर्किंग एज पॉपुलेशन में भी दुनिया में नंबर एक पर होगा। चीन की वर्किंग एज पॉपुलेशन करीब 70% घटेगी लेकिन चीन की जनसंख्या ज्यादा होने के कारण, वह 2100 में भी दुनिया में दूसरे नंबर पर बना रहेगा। नोट- 2017 में चाइल्ड एज पॉपुलेशन और वर्किंग एज पॉपुलेशन को वर्ल्ड बैंक के मुताबिक है। जो 0-14 और 15-64 होती है। लैंटस की रिपोर्ट में इसे 0-19 और 20-65 लिया गया है। 2017 की तुलना में 2100 के प्रोजेक्शन के अंतर में थोड़ा बदलाव हो सकता है। पहले भी रिसर्च में देखा गया है कि हर शताब्दी में, हर देश के सामने दो बार उतार-चढ़ाव आते हैं। एक बार आबादी घटती है जबकि एक ही शताब्दी में दूसरी बार आबादी बढ़ती है। जिस साल में सबसे ज्यादा होती है उसे पीक ईयर पॉपुलेशन कहा जाता है। चीन में सबसे ज्यादा आबादी अभी के दशक में बढ़ रही है। जापान में पीक ईयर 2017 में था, स्पेन और थाईलैंड भी पीक ईयर क्रॉस कर चुके हैं। अब इस प्वाइंट से आबादी घटेगी। ग्लोबल लाइफ एक्सपेक्टेंसी 70-80 साल की होती है, इसीलिए आने वाले 50 साल से 80 साल तक इन सभी देशों में नेचुरल डेथ रेट पीक पर होगा और 2100 तक आबादी आधी हो जाएगी आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें World (India) Population Projections 2100 Update | What Will Be World and India Population Be In 2100? Everything Thing You Need To Know In Latest Research https://ift.tt/39Iam0U Dainik Bhaskar 2100 तक भारत में लोगों की संख्या घटकर 109 करोड़ रह जाएगी, सबसे अधिक आबादी वाले चीन में 80 साल बाद जनसंख्या आधी हो जाएगी

हाल ही में जारी की गई लैंसेट की रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया की आबादी 2064 में पीक पर होगी। इसके बाद ये घटने लगेगी। इससे पहले यूएन ने 21...
- July 31, 2020
https://ift.tt/39Iam0U हाल ही में जारी की गई लैंसेट की रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया की आबादी 2064 में पीक पर होगी। इसके बाद ये घटने लगेगी। इससे पहले यूएन ने 2100 में इसके पीक पर पहुंचने का अनुमान लगाया था। रिपोर्ट के मुताबिक 2064 में दुनिया की आबादी 973 करोड़ हो जाएगी। 2100 तक ये घटकर 879 रह जाएगी। भारत दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाला देश होगा। लेकिन, उसकी आबादी 2048 के बाद घटने लगेगी। इस ग्लोबल पॉपुलेशन प्रोजेक्शन रिपोर्ट में आने वाले 80 सालों में दुनिया की आबादी के बारे में कई तरह के फैक्ट्स हैं। जैसे- आने वाले 80 साल बाद भारत और दुनिया के अन्य देशों की आबादी कितनी होगी। कब तक बढ़ेगी और कब से घटेगी? किन देशों की आबादी तेजी से घटेगी? कौन से देश ऐसे हैं जिनकी आबादी आज की आबादी से आधी रह जाएगी? ग्लोबल फर्टीलिटी रेट 2100 तक घटकर 1.66 हो जाएगा। भारत समेत दुनिया के उन देशों में फर्टिलिटी रेट 70% तक कम होगा जिनकी आबादी ज्यादा है। 2100 भारत की फर्टिलिटी रेट में 68% तक घट जाएगा। 138 करोड़ आबादी वाले देश भारत में 2100 तक 28% लोग कम हो जाएंगे। सबसे ज्यादा आबादी वाले देशों में शामिल रूस, जापान, ब्राजील 2100 तक टॉप टेन से बाहर हो जाएंगे 21 करोड़ आबादी वाला देश ब्राजील आबादी के लिहाज से इस वक्त दुनिया का 6वां सबसे बड़ा देश है। 2100 में इसकी आबादी घटकर 16.5 करोड़ रह जाएगी। जापान की आबादी 80 साल में आधी से कम हो 6 करोड़ हो जाएगी और वो दुनिया में 38वें नंबर पर आ जाएगा। 2017 के बाद से रूस और जापान की आबादी लगातार घट रही है। पाकिस्तान को छोड़कर दक्षिण एशिया के हर देश की आबादी घटेगी 2100 में पाकिस्तान को छोड़कर दक्षिण एशिया के सभी देशों की आबादी आज के मुकाबले कम होगी। भारत की आबादी आज के मुकाबले करीब 21% कम होगी तो बांग्‍लादेश में आज के मुकाबले आधे लोग रह जाएंगे। वहीं, पाकिस्तान की आबादी 80 साल बाद 16% बढ़ेगी। हालांकि, वहां पीक 2062 में आएगा। जब वहां आज के मुकाबले करीब 47% ज्यादा आबादी होगी। 2100 तक चीन की आबादी लगभग आधी हो जाएगी। भारत की आबादी 32% घटेगी। बांग्लादेश की आबादी भी करीब आधी हो जाएगी। जबकि इंडोनेशिया आबादी मामूली घटेगी। तो पाकिस्तान की बढ़ेगी। इसके बाद भी बांग्लादेश को छोड़कर, एशिया के इन पांच देशों में से चार देश विश्व के सबसे ज्यादा आबादी वाले दस देशों में अभी की तरह बने रहेंगे। पाकिस्तान इंडोनेशिया से ऊपर चला जाएगा, लेकिन एशिया के सबसे ज्यादा आबादी वाले पांच देशों की लिस्ट में कोई बदलाव नहीं होगा। 2017 में दुनिया के सबसे ज्यादा आबादी वाले 10 देशों में से चार देश जापान, रूस, बांग्लादेश, और ब्राजील 2100 में टॉप 10 से बाहर हो जाएंगे। 2100 में इनकी जगह, तंजानिया, मिस्र, इथोपिया और कांगो दुनिया के सबसे ज्यादा आबादी वाले दस देशों में होंगे। अभी कांगो की आबादी 8 करोड़ 80 लाख है। वो आबादी के लिहाज से 18वें नंबर पर है। इथोपिया की आबादी अभी 10 करोड़ 2 लाख है जो दुनिया में 13 वें नंबर पर है,मिस्र की आबादी अभी 9 करोड़ 60 लाख है जो कि दुनिया में 14वें नंबर पर है और तंजानिया की आबादी 5 करोड़ 30 लाख है जो दुनिया में 24वें नंबर पर है। मिस्र को छोड़कर बाकी तीन देश अफ्रीका से हैं। वर्किंग एज पॉपुलेशन मतलब 20-64 साल के उम्र के लोगों की आबादी। 2100 में भारत वर्किंग एज पॉपुलेशन में भी दुनिया में नंबर एक पर होगा। चीन की वर्किंग एज पॉपुलेशन करीब 70% घटेगी लेकिन चीन की जनसंख्या ज्यादा होने के कारण, वह 2100 में भी दुनिया में दूसरे नंबर पर बना रहेगा। नोट- 2017 में चाइल्ड एज पॉपुलेशन और वर्किंग एज पॉपुलेशन को वर्ल्ड बैंक के मुताबिक है। जो 0-14 और 15-64 होती है। लैंटस की रिपोर्ट में इसे 0-19 और 20-65 लिया गया है। 2017 की तुलना में 2100 के प्रोजेक्शन के अंतर में थोड़ा बदलाव हो सकता है। पहले भी रिसर्च में देखा गया है कि हर शताब्दी में, हर देश के सामने दो बार उतार-चढ़ाव आते हैं। एक बार आबादी घटती है जबकि एक ही शताब्दी में दूसरी बार आबादी बढ़ती है। जिस साल में सबसे ज्यादा होती है उसे पीक ईयर पॉपुलेशन कहा जाता है। चीन में सबसे ज्यादा आबादी अभी के दशक में बढ़ रही है। जापान में पीक ईयर 2017 में था, स्पेन और थाईलैंड भी पीक ईयर क्रॉस कर चुके हैं। अब इस प्वाइंट से आबादी घटेगी। ग्लोबल लाइफ एक्सपेक्टेंसी 70-80 साल की होती है, इसीलिए आने वाले 50 साल से 80 साल तक इन सभी देशों में नेचुरल डेथ रेट पीक पर होगा और 2100 तक आबादी आधी हो जाएगी आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें World (India) Population Projections 2100 Update | What Will Be World and India Population Be In 2100? Everything Thing You Need To Know In Latest Research from Dainik Bhaskar /national/news/world-population-projections-in-2100-everything-thing-you-need-to-know-in-latest-research-127569556.html via IFTTT https://ift.tt/33axTq4 हाल ही में जारी की गई लैंसेट की रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया की आबादी 2064 में पीक पर होगी। इसके बाद ये घटने लगेगी। इससे पहले यूएन ने 2100 में इसके पीक पर पहुंचने का अनुमान लगाया था। रिपोर्ट के मुताबिक 2064 में दुनिया की आबादी 973 करोड़ हो जाएगी। 2100 तक ये घटकर 879 रह जाएगी। भारत दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाला देश होगा। लेकिन, उसकी आबादी 2048 के बाद घटने लगेगी। इस ग्लोबल पॉपुलेशन प्रोजेक्शन रिपोर्ट में आने वाले 80 सालों में दुनिया की आबादी के बारे में कई तरह के फैक्ट्स हैं। जैसे- आने वाले 80 साल बाद भारत और दुनिया के अन्य देशों की आबादी कितनी होगी। कब तक बढ़ेगी और कब से घटेगी? किन देशों की आबादी तेजी से घटेगी? कौन से देश ऐसे हैं जिनकी आबादी आज की आबादी से आधी रह जाएगी? ग्लोबल फर्टीलिटी रेट 2100 तक घटकर 1.66 हो जाएगा। भारत समेत दुनिया के उन देशों में फर्टिलिटी रेट 70% तक कम होगा जिनकी आबादी ज्यादा है। 2100 भारत की फर्टिलिटी रेट में 68% तक घट जाएगा। 138 करोड़ आबादी वाले देश भारत में 2100 तक 28% लोग कम हो जाएंगे। सबसे ज्यादा आबादी वाले देशों में शामिल रूस, जापान, ब्राजील 2100 तक टॉप टेन से बाहर हो जाएंगे 21 करोड़ आबादी वाला देश ब्राजील आबादी के लिहाज से इस वक्त दुनिया का 6वां सबसे बड़ा देश है। 2100 में इसकी आबादी घटकर 16.5 करोड़ रह जाएगी। जापान की आबादी 80 साल में आधी से कम हो 6 करोड़ हो जाएगी और वो दुनिया में 38वें नंबर पर आ जाएगा। 2017 के बाद से रूस और जापान की आबादी लगातार घट रही है। पाकिस्तान को छोड़कर दक्षिण एशिया के हर देश की आबादी घटेगी 2100 में पाकिस्तान को छोड़कर दक्षिण एशिया के सभी देशों की आबादी आज के मुकाबले कम होगी। भारत की आबादी आज के मुकाबले करीब 21% कम होगी तो बांग्‍लादेश में आज के मुकाबले आधे लोग रह जाएंगे। वहीं, पाकिस्तान की आबादी 80 साल बाद 16% बढ़ेगी। हालांकि, वहां पीक 2062 में आएगा। जब वहां आज के मुकाबले करीब 47% ज्यादा आबादी होगी। 2100 तक चीन की आबादी लगभग आधी हो जाएगी। भारत की आबादी 32% घटेगी। बांग्लादेश की आबादी भी करीब आधी हो जाएगी। जबकि इंडोनेशिया आबादी मामूली घटेगी। तो पाकिस्तान की बढ़ेगी। इसके बाद भी बांग्लादेश को छोड़कर, एशिया के इन पांच देशों में से चार देश विश्व के सबसे ज्यादा आबादी वाले दस देशों में अभी की तरह बने रहेंगे। पाकिस्तान इंडोनेशिया से ऊपर चला जाएगा, लेकिन एशिया के सबसे ज्यादा आबादी वाले पांच देशों की लिस्ट में कोई बदलाव नहीं होगा। 2017 में दुनिया के सबसे ज्यादा आबादी वाले 10 देशों में से चार देश जापान, रूस, बांग्लादेश, और ब्राजील 2100 में टॉप 10 से बाहर हो जाएंगे। 2100 में इनकी जगह, तंजानिया, मिस्र, इथोपिया और कांगो दुनिया के सबसे ज्यादा आबादी वाले दस देशों में होंगे। अभी कांगो की आबादी 8 करोड़ 80 लाख है। वो आबादी के लिहाज से 18वें नंबर पर है। इथोपिया की आबादी अभी 10 करोड़ 2 लाख है जो दुनिया में 13 वें नंबर पर है,मिस्र की आबादी अभी 9 करोड़ 60 लाख है जो कि दुनिया में 14वें नंबर पर है और तंजानिया की आबादी 5 करोड़ 30 लाख है जो दुनिया में 24वें नंबर पर है। मिस्र को छोड़कर बाकी तीन देश अफ्रीका से हैं। वर्किंग एज पॉपुलेशन मतलब 20-64 साल के उम्र के लोगों की आबादी। 2100 में भारत वर्किंग एज पॉपुलेशन में भी दुनिया में नंबर एक पर होगा। चीन की वर्किंग एज पॉपुलेशन करीब 70% घटेगी लेकिन चीन की जनसंख्या ज्यादा होने के कारण, वह 2100 में भी दुनिया में दूसरे नंबर पर बना रहेगा। नोट- 2017 में चाइल्ड एज पॉपुलेशन और वर्किंग एज पॉपुलेशन को वर्ल्ड बैंक के मुताबिक है। जो 0-14 और 15-64 होती है। लैंटस की रिपोर्ट में इसे 0-19 और 20-65 लिया गया है। 2017 की तुलना में 2100 के प्रोजेक्शन के अंतर में थोड़ा बदलाव हो सकता है। पहले भी रिसर्च में देखा गया है कि हर शताब्दी में, हर देश के सामने दो बार उतार-चढ़ाव आते हैं। एक बार आबादी घटती है जबकि एक ही शताब्दी में दूसरी बार आबादी बढ़ती है। जिस साल में सबसे ज्यादा होती है उसे पीक ईयर पॉपुलेशन कहा जाता है। चीन में सबसे ज्यादा आबादी अभी के दशक में बढ़ रही है। जापान में पीक ईयर 2017 में था, स्पेन और थाईलैंड भी पीक ईयर क्रॉस कर चुके हैं। अब इस प्वाइंट से आबादी घटेगी। ग्लोबल लाइफ एक्सपेक्टेंसी 70-80 साल की होती है, इसीलिए आने वाले 50 साल से 80 साल तक इन सभी देशों में नेचुरल डेथ रेट पीक पर होगा और 2100 तक आबादी आधी हो जाएगी आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें World (India) Population Projections 2100 Update | What Will Be World and India Population Be In 2100? Everything Thing You Need To Know In Latest Research https://ift.tt/39Iam0U Dainik Bhaskar 2100 तक भारत में लोगों की संख्या घटकर 109 करोड़ रह जाएगी, सबसे अधिक आबादी वाले चीन में 80 साल बाद जनसंख्या आधी हो जाएगी https://ift.tt/39Iam0U 

हाल ही में जारी की गई लैंसेट की रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया की आबादी 2064 में पीक पर होगी। इसके बाद ये घटने लगेगी। इससे पहले यूएन ने 2100 में इसके पीक पर पहुंचने का अनुमान लगाया था। रिपोर्ट के मुताबिक 2064 में दुनिया की आबादी 973 करोड़ हो जाएगी। 2100 तक ये घटकर 879 रह जाएगी। भारत दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाला देश होगा। लेकिन, उसकी आबादी 2048 के बाद घटने लगेगी।

इस ग्लोबल पॉपुलेशन प्रोजेक्शन रिपोर्ट में आने वाले 80 सालों में दुनिया की आबादी के बारे में कई तरह के फैक्ट्स हैं। जैसे- आने वाले 80 साल बाद भारत और दुनिया के अन्य देशों की आबादी कितनी होगी। कब तक बढ़ेगी और कब से घटेगी? किन देशों की आबादी तेजी से घटेगी? कौन से देश ऐसे हैं जिनकी आबादी आज की आबादी से आधी रह जाएगी?

ग्लोबल फर्टीलिटी रेट 2100 तक घटकर 1.66 हो जाएगा। भारत समेत दुनिया के उन देशों में फर्टिलिटी रेट 70% तक कम होगा जिनकी आबादी ज्यादा है। 2100 भारत की फर्टिलिटी रेट में 68% तक घट जाएगा। 138 करोड़ आबादी वाले देश भारत में 2100 तक 28% लोग कम हो जाएंगे।

सबसे ज्यादा आबादी वाले देशों में शामिल रूस, जापान, ब्राजील 2100 तक टॉप टेन से बाहर हो जाएंगे

21 करोड़ आबादी वाला देश ब्राजील आबादी के लिहाज से इस वक्त दुनिया का 6वां सबसे बड़ा देश है। 2100 में इसकी आबादी घटकर 16.5 करोड़ रह जाएगी। जापान की आबादी 80 साल में आधी से कम हो 6 करोड़ हो जाएगी और वो दुनिया में 38वें नंबर पर आ जाएगा। 2017 के बाद से रूस और जापान की आबादी लगातार घट रही है।

पाकिस्तान को छोड़कर दक्षिण एशिया के हर देश की आबादी घटेगी

2100 में पाकिस्तान को छोड़कर दक्षिण एशिया के सभी देशों की आबादी आज के मुकाबले कम होगी। भारत की आबादी आज के मुकाबले करीब 21% कम होगी तो बांग्‍लादेश में आज के मुकाबले आधे लोग रह जाएंगे। वहीं, पाकिस्तान की आबादी 80 साल बाद 16% बढ़ेगी। हालांकि, वहां पीक 2062 में आएगा। जब वहां आज के मुकाबले करीब 47% ज्यादा आबादी होगी।

2100 तक चीन की आबादी लगभग आधी हो जाएगी। भारत की आबादी 32% घटेगी। बांग्लादेश की आबादी भी करीब आधी हो जाएगी। जबकि इंडोनेशिया आबादी मामूली घटेगी। तो पाकिस्तान की बढ़ेगी। इसके बाद भी बांग्लादेश को छोड़कर, एशिया के इन पांच देशों में से चार देश विश्व के सबसे ज्यादा आबादी वाले दस देशों में अभी की तरह बने रहेंगे। पाकिस्तान इंडोनेशिया से ऊपर चला जाएगा, लेकिन एशिया के सबसे ज्यादा आबादी वाले पांच देशों की लिस्ट में कोई बदलाव नहीं होगा।

2017 में दुनिया के सबसे ज्यादा आबादी वाले 10 देशों में से चार देश जापान, रूस, बांग्लादेश, और ब्राजील 2100 में टॉप 10 से बाहर हो जाएंगे। 2100 में इनकी जगह, तंजानिया, मिस्र, इथोपिया और कांगो दुनिया के सबसे ज्यादा आबादी वाले दस देशों में होंगे। अभी कांगो की आबादी 8 करोड़ 80 लाख है। वो आबादी के लिहाज से 18वें नंबर पर है।

इथोपिया की आबादी अभी 10 करोड़ 2 लाख है जो दुनिया में 13 वें नंबर पर है,मिस्र की आबादी अभी 9 करोड़ 60 लाख है जो कि दुनिया में 14वें नंबर पर है और तंजानिया की आबादी 5 करोड़ 30 लाख है जो दुनिया में 24वें नंबर पर है। मिस्र को छोड़कर बाकी तीन देश अफ्रीका से हैं।

वर्किंग एज पॉपुलेशन मतलब 20-64 साल के उम्र के लोगों की आबादी। 2100 में भारत वर्किंग एज पॉपुलेशन में भी दुनिया में नंबर एक पर होगा। चीन की वर्किंग एज पॉपुलेशन करीब 70% घटेगी लेकिन चीन की जनसंख्या ज्यादा होने के कारण, वह 2100 में भी दुनिया में दूसरे नंबर पर बना रहेगा।

नोट- 2017 में चाइल्ड एज पॉपुलेशन और वर्किंग एज पॉपुलेशन को वर्ल्ड बैंक के मुताबिक है। जो 0-14 और 15-64 होती है। लैंटस की रिपोर्ट में इसे 0-19 और 20-65 लिया गया है। 2017 की तुलना में 2100 के प्रोजेक्शन के अंतर में थोड़ा बदलाव हो सकता है।

पहले भी रिसर्च में देखा गया है कि हर शताब्दी में, हर देश के सामने दो बार उतार-चढ़ाव आते हैं। एक बार आबादी घटती है जबकि एक ही शताब्दी में दूसरी बार आबादी बढ़ती है। जिस साल में सबसे ज्यादा होती है उसे पीक ईयर पॉपुलेशन कहा जाता है। चीन में सबसे ज्यादा आबादी अभी के दशक में बढ़ रही है।

जापान में पीक ईयर 2017 में था, स्पेन और थाईलैंड भी पीक ईयर क्रॉस कर चुके हैं। अब इस प्वाइंट से आबादी घटेगी। ग्लोबल लाइफ एक्सपेक्टेंसी 70-80 साल की होती है, इसीलिए आने वाले 50 साल से 80 साल तक इन सभी देशों में नेचुरल डेथ रेट पीक पर होगा और 2100 तक आबादी आधी हो जाएगी

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World (India) Population Projections 2100 Update | What Will Be World and India Population Be In 2100? Everything Thing You Need To Know In Latest Research

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https://ift.tt/3hQ1j0O तारीख है 31 जुलाई और दिन है शुक्रवार का। अगर कोरोनावायरस नहीं आया होता, तो आज नई फिल्म रिलीज होती। खैर, आज हॉटस्टार पर कुणाल खेमू और रसिका दुग्गल की लूटकेस फिल्म रिलीज होगी। ये कॉमेडी फिल्म है। कोरोना के टाइम में तो देख ही सकते हैं। ये तो हो गई फिल्म की बात। अब जल्दी से कुछ खबरों से भी गुजर लेते हैं। 1. अयोध्या में क्या चल रहा है? राम मंदिर निर्माण के लिए 5 अगस्त को भूमि पूजन होना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसमें शामिल होंगे। लेकिन, पूजन होता, उससे पहले ही यहां कोरोना पहुंच गया है। खबर आई है कि रामलला मंदिर के प्रधान पुजारी आचार्य सतेंद्र दास के शिष्य प्रदीप दास कोरोना संक्रमित हो गए हैं। प्रदीप दास रामलला मंदिर के सहायक पुजारी भी हैं। सिर्फ पुजारी ही नहीं, बल्कि राम जन्मभूमि में तैनात 16 पुलिसवालों के भी कोरोना पॉजिटिव होने की खबर है। हालांकि, पुजारी और पुलिसवालों के कोरोना पॉजिटिव होने की बात यहां के सीडीओ प्रथमेश कुमार खारिज कर चुके हैं। पूरी खबर पढ़ें 2. राजस्थान के बवाल में नया क्या? अब बात राजस्थान की। 20 दिन से ज्यादा हो गए, लेकिन यहां का बवाल शांत होता नहीं दिख रहा है। या तो सरकार गिरेगी? या तो बचेगी? तभी शांत होगा। खैर, इस घमासान के बीच राजस्थान विधानसभा के स्पीकर सीपी जोशी का एक वीडियो वायरल हो रहा है। इस वीडियो में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत भी हैं। असल में ये वीडियो दोनों की बातचीत का है। इस वायरल वीडियो में स्पीकर सीपी जोशी मुख्यमंत्री के बेटे वैभव से कह रहे हैं 'मामला टफ हो गया है।' फिर वैभव कहते हैं 'राज्यसभा के वक्त ही खबरें आ गई थीं। जिस तरह से माहौल खराब हो रहा है। इन्होंने 10 दिन राज्यसभा चुनाव के निकाले, फिर वापस।' वैभव को सीपी जोशी जवाब देते हैं '30 आदमी निकल जाते हैं, तो आप कुछ नहीं कर सकते। हल्ला करते रहते। वो सरकार गिरा देते। अपने हिसाब से उन्होंने कॉन्टैक्ट करके करवा लिया है। बाकी दूसरे के बस की बात नहीं है।' पूरी खबर पढ़ें 3. सुशांत की मौत का मामला कहां तक पहुंचा? सुशांत सिंह राजपूत की मौत को डेढ़ महीने से ज्यादा हो गए और हर दिन इस मामले में कुछ न कुछ नया मोड़ आ ही रहा है। अब सुप्रीम कोर्ट ने सुशांत की मौत की सीबीआई जांच कराने से साफ इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट में अल्का प्रिया ने पीआईएल लगाई थी और मांग की थी कि इसकी जांच सीबीआई करे। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने भी कह दिया कि पुलिस को उनका काम करने दीजिए। उससे पहले महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने भी कहा कि इस मामले की सीबीआई जांच की जरूरत नहीं है। मुंबई पुलिस इसकी जांच में सक्षम है। उधर सुशांत के पिता केके सिंह का कहना है कि उन्हें मुंबई में हो रही जांच पर भरोसा नहीं है। इसलिए वो चाहते हैं कि पटना पुलिस भी मामले की जांच करे। कहा तो ये भी जा रहा है कि सुशांत ने मुंबई में आत्महत्या की थी। ऐसे में पटना में जो एफआईआर दर्ज हुई, वो जीरो एफआईआर मानी जाएगी और जांच मुंबई पुलिस ही करेगी। पूरी खबर पढ़ें 4. मणिपुर में असम राइफल्स पर किसने हमला किया? ये खबर बुरी है। दरअसल, 29 जुलाई की शाम पौन 7 बजे मणिपुर में असम राइफल्स के जवानों पर हमला हुआ। इस हमले में 3 जवान शहीद हो गए। 5 जख्मी भी हुए हैं, जिन्हें सेना के अस्पताल में भर्ती किया गया है। ये हमला जहां हुआ है, वो जगह भारत-म्यांमार सीमा से बस 3 किमी दूर है। हमला खोंगताल में हुआ, जो मणिपुर के चंदेल जिले में पड़ता है। अब जो पता चला है, वो ये कि असम राइफल्स के 13 जवानों की टुकड़ी अपनी पोस्ट पर लौट रही थी। रास्ते में आईईडी ब्लास्ट हो गया। इसके बाद घात लगाकर बैठे उग्रवादियों ने फायरिंग कर दी। ये हमला किसने किया? अभी तक पता नहीं चला है। हालांकि, शक है कि इस हमले के पीछे मणिपुर का लोकल्स ग्रुप पीपुल्स लिबरेशन आर्मी का हाथ हो सकता है। पूरी खबर पढ़ें 5. कब होगी नेशनल स्पोर्ट्स अवॉर्ड सेरेमनी? कोरोनावायरस का असर खेलों पर तो पड़ा और अब अवॉर्ड सेरेमनी पर भी पड़ने वाला है। एक खबर आई है कि इस साल 29 अगस्त को जो नेशनल स्पोर्ट्स अवॉर्ड सेरेमनी होनी थी, उसकी तारीख कोरोना की वजह से एक या दो महीने आगे बढ़ सकती है। हालांकि, राष्ट्रपति भवन की तरफ से अभी जवाब आना बाकी है। 29 अगस्त को हॉकी के खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद की जयंती है। इसी दिन राष्ट्रीय खेल दिवस भी होता है। इसलिए इस दिन राष्ट्रपति राजीव गांधी खेल रत्न, अर्जुन, द्रोणाचार्य और ध्यानचंद अवॉर्ड देते हैं। ये सेरेमनी भी राष्ट्रपति भवन में ही होती है। पूरी खबर पढ़ें 6. कैसा होगा आज का दिन? जाते-जाते सबसे जरूरी बात कि आज का राशिफल क्या कहता है? तो आज शुक्रवार को ज्येष्ठा नक्षत्र में चंद्रमा होने से चर और इंद्र नाम के दो शुभ योग बन रहे हैं। इनका असर मेष, वृषभ, सिंह, वृश्चिक, मकर, कुंभ और मीन राशि वाले लोगों पर पड़ेगा। इसका फायदा भी है। इन 7 राशि वाले लोगों को जॉब और बिजनेस में आगे बढ़ने के मौके मिल सकते हैं। लेकिन, अगर आपकी राशि मिथुन, कर्क, कन्या, तुला या धनु है, तो आपको आज थोड़ा संभलकर रहना होगा। क्योंकि इन 5 राशि वालों के कामकाज में रुकावटें आने की आशंका है। पूरी खबर पढ़ें आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें morning news brief sushant singh rajput rajasthan political crisis ram janmbhoomi coronavirus from Dainik Bhaskar /national/news/morning-news-brief-sushant-singh-rajput-rajasthan-political-crisis-ram-janmbhoomi-coronavirus-127569554.html via IFTTT https://ift.tt/311ODND तारीख है 31 जुलाई और दिन है शुक्रवार का। अगर कोरोनावायरस नहीं आया होता, तो आज नई फिल्म रिलीज होती। खैर, आज हॉटस्टार पर कुणाल खेमू और रसिका दुग्गल की लूटकेस फिल्म रिलीज होगी। ये कॉमेडी फिल्म है। कोरोना के टाइम में तो देख ही सकते हैं। ये तो हो गई फिल्म की बात। अब जल्दी से कुछ खबरों से भी गुजर लेते हैं। 1. अयोध्या में क्या चल रहा है? राम मंदिर निर्माण के लिए 5 अगस्त को भूमि पूजन होना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसमें शामिल होंगे। लेकिन, पूजन होता, उससे पहले ही यहां कोरोना पहुंच गया है। खबर आई है कि रामलला मंदिर के प्रधान पुजारी आचार्य सतेंद्र दास के शिष्य प्रदीप दास कोरोना संक्रमित हो गए हैं। प्रदीप दास रामलला मंदिर के सहायक पुजारी भी हैं। सिर्फ पुजारी ही नहीं, बल्कि राम जन्मभूमि में तैनात 16 पुलिसवालों के भी कोरोना पॉजिटिव होने की खबर है। हालांकि, पुजारी और पुलिसवालों के कोरोना पॉजिटिव होने की बात यहां के सीडीओ प्रथमेश कुमार खारिज कर चुके हैं। पूरी खबर पढ़ें 2. राजस्थान के बवाल में नया क्या? अब बात राजस्थान की। 20 दिन से ज्यादा हो गए, लेकिन यहां का बवाल शांत होता नहीं दिख रहा है। या तो सरकार गिरेगी? या तो बचेगी? तभी शांत होगा। खैर, इस घमासान के बीच राजस्थान विधानसभा के स्पीकर सीपी जोशी का एक वीडियो वायरल हो रहा है। इस वीडियो में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत भी हैं। असल में ये वीडियो दोनों की बातचीत का है। इस वायरल वीडियो में स्पीकर सीपी जोशी मुख्यमंत्री के बेटे वैभव से कह रहे हैं 'मामला टफ हो गया है।' फिर वैभव कहते हैं 'राज्यसभा के वक्त ही खबरें आ गई थीं। जिस तरह से माहौल खराब हो रहा है। इन्होंने 10 दिन राज्यसभा चुनाव के निकाले, फिर वापस।' वैभव को सीपी जोशी जवाब देते हैं '30 आदमी निकल जाते हैं, तो आप कुछ नहीं कर सकते। हल्ला करते रहते। वो सरकार गिरा देते। अपने हिसाब से उन्होंने कॉन्टैक्ट करके करवा लिया है। बाकी दूसरे के बस की बात नहीं है।' पूरी खबर पढ़ें 3. सुशांत की मौत का मामला कहां तक पहुंचा? सुशांत सिंह राजपूत की मौत को डेढ़ महीने से ज्यादा हो गए और हर दिन इस मामले में कुछ न कुछ नया मोड़ आ ही रहा है। अब सुप्रीम कोर्ट ने सुशांत की मौत की सीबीआई जांच कराने से साफ इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट में अल्का प्रिया ने पीआईएल लगाई थी और मांग की थी कि इसकी जांच सीबीआई करे। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने भी कह दिया कि पुलिस को उनका काम करने दीजिए। उससे पहले महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने भी कहा कि इस मामले की सीबीआई जांच की जरूरत नहीं है। मुंबई पुलिस इसकी जांच में सक्षम है। उधर सुशांत के पिता केके सिंह का कहना है कि उन्हें मुंबई में हो रही जांच पर भरोसा नहीं है। इसलिए वो चाहते हैं कि पटना पुलिस भी मामले की जांच करे। कहा तो ये भी जा रहा है कि सुशांत ने मुंबई में आत्महत्या की थी। ऐसे में पटना में जो एफआईआर दर्ज हुई, वो जीरो एफआईआर मानी जाएगी और जांच मुंबई पुलिस ही करेगी। पूरी खबर पढ़ें 4. मणिपुर में असम राइफल्स पर किसने हमला किया? ये खबर बुरी है। दरअसल, 29 जुलाई की शाम पौन 7 बजे मणिपुर में असम राइफल्स के जवानों पर हमला हुआ। इस हमले में 3 जवान शहीद हो गए। 5 जख्मी भी हुए हैं, जिन्हें सेना के अस्पताल में भर्ती किया गया है। ये हमला जहां हुआ है, वो जगह भारत-म्यांमार सीमा से बस 3 किमी दूर है। हमला खोंगताल में हुआ, जो मणिपुर के चंदेल जिले में पड़ता है। अब जो पता चला है, वो ये कि असम राइफल्स के 13 जवानों की टुकड़ी अपनी पोस्ट पर लौट रही थी। रास्ते में आईईडी ब्लास्ट हो गया। इसके बाद घात लगाकर बैठे उग्रवादियों ने फायरिंग कर दी। ये हमला किसने किया? अभी तक पता नहीं चला है। हालांकि, शक है कि इस हमले के पीछे मणिपुर का लोकल्स ग्रुप पीपुल्स लिबरेशन आर्मी का हाथ हो सकता है। पूरी खबर पढ़ें 5. कब होगी नेशनल स्पोर्ट्स अवॉर्ड सेरेमनी? कोरोनावायरस का असर खेलों पर तो पड़ा और अब अवॉर्ड सेरेमनी पर भी पड़ने वाला है। एक खबर आई है कि इस साल 29 अगस्त को जो नेशनल स्पोर्ट्स अवॉर्ड सेरेमनी होनी थी, उसकी तारीख कोरोना की वजह से एक या दो महीने आगे बढ़ सकती है। हालांकि, राष्ट्रपति भवन की तरफ से अभी जवाब आना बाकी है। 29 अगस्त को हॉकी के खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद की जयंती है। इसी दिन राष्ट्रीय खेल दिवस भी होता है। इसलिए इस दिन राष्ट्रपति राजीव गांधी खेल रत्न, अर्जुन, द्रोणाचार्य और ध्यानचंद अवॉर्ड देते हैं। ये सेरेमनी भी राष्ट्रपति भवन में ही होती है। पूरी खबर पढ़ें 6. कैसा होगा आज का दिन? जाते-जाते सबसे जरूरी बात कि आज का राशिफल क्या कहता है? तो आज शुक्रवार को ज्येष्ठा नक्षत्र में चंद्रमा होने से चर और इंद्र नाम के दो शुभ योग बन रहे हैं। इनका असर मेष, वृषभ, सिंह, वृश्चिक, मकर, कुंभ और मीन राशि वाले लोगों पर पड़ेगा। इसका फायदा भी है। इन 7 राशि वाले लोगों को जॉब और बिजनेस में आगे बढ़ने के मौके मिल सकते हैं। लेकिन, अगर आपकी राशि मिथुन, कर्क, कन्या, तुला या धनु है, तो आपको आज थोड़ा संभलकर रहना होगा। क्योंकि इन 5 राशि वालों के कामकाज में रुकावटें आने की आशंका है। पूरी खबर पढ़ें आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें morning news brief sushant singh rajput rajasthan political crisis ram janmbhoomi coronavirus https://ift.tt/3hQ1j0O Dainik Bhaskar सुशांत की मौत की सीबीआई जांच नहीं होगी, राजस्थान में वीडियो से बवाल; इन 5 राशि वालों को आज थोड़ा संभलकर रहना होगा

तारीख है 31 जुलाई और दिन है शुक्रवार का। अगर कोरोनावायरस नहीं आया होता, तो आज नई फिल्म रिलीज होती। खैर, आज हॉटस्टार पर कुणाल खेमू और रसिका द...
- July 31, 2020
https://ift.tt/3hQ1j0O तारीख है 31 जुलाई और दिन है शुक्रवार का। अगर कोरोनावायरस नहीं आया होता, तो आज नई फिल्म रिलीज होती। खैर, आज हॉटस्टार पर कुणाल खेमू और रसिका दुग्गल की लूटकेस फिल्म रिलीज होगी। ये कॉमेडी फिल्म है। कोरोना के टाइम में तो देख ही सकते हैं। ये तो हो गई फिल्म की बात। अब जल्दी से कुछ खबरों से भी गुजर लेते हैं। 1. अयोध्या में क्या चल रहा है? राम मंदिर निर्माण के लिए 5 अगस्त को भूमि पूजन होना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसमें शामिल होंगे। लेकिन, पूजन होता, उससे पहले ही यहां कोरोना पहुंच गया है। खबर आई है कि रामलला मंदिर के प्रधान पुजारी आचार्य सतेंद्र दास के शिष्य प्रदीप दास कोरोना संक्रमित हो गए हैं। प्रदीप दास रामलला मंदिर के सहायक पुजारी भी हैं। सिर्फ पुजारी ही नहीं, बल्कि राम जन्मभूमि में तैनात 16 पुलिसवालों के भी कोरोना पॉजिटिव होने की खबर है। हालांकि, पुजारी और पुलिसवालों के कोरोना पॉजिटिव होने की बात यहां के सीडीओ प्रथमेश कुमार खारिज कर चुके हैं। पूरी खबर पढ़ें 2. राजस्थान के बवाल में नया क्या? अब बात राजस्थान की। 20 दिन से ज्यादा हो गए, लेकिन यहां का बवाल शांत होता नहीं दिख रहा है। या तो सरकार गिरेगी? या तो बचेगी? तभी शांत होगा। खैर, इस घमासान के बीच राजस्थान विधानसभा के स्पीकर सीपी जोशी का एक वीडियो वायरल हो रहा है। इस वीडियो में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत भी हैं। असल में ये वीडियो दोनों की बातचीत का है। इस वायरल वीडियो में स्पीकर सीपी जोशी मुख्यमंत्री के बेटे वैभव से कह रहे हैं 'मामला टफ हो गया है।' फिर वैभव कहते हैं 'राज्यसभा के वक्त ही खबरें आ गई थीं। जिस तरह से माहौल खराब हो रहा है। इन्होंने 10 दिन राज्यसभा चुनाव के निकाले, फिर वापस।' वैभव को सीपी जोशी जवाब देते हैं '30 आदमी निकल जाते हैं, तो आप कुछ नहीं कर सकते। हल्ला करते रहते। वो सरकार गिरा देते। अपने हिसाब से उन्होंने कॉन्टैक्ट करके करवा लिया है। बाकी दूसरे के बस की बात नहीं है।' पूरी खबर पढ़ें 3. सुशांत की मौत का मामला कहां तक पहुंचा? सुशांत सिंह राजपूत की मौत को डेढ़ महीने से ज्यादा हो गए और हर दिन इस मामले में कुछ न कुछ नया मोड़ आ ही रहा है। अब सुप्रीम कोर्ट ने सुशांत की मौत की सीबीआई जांच कराने से साफ इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट में अल्का प्रिया ने पीआईएल लगाई थी और मांग की थी कि इसकी जांच सीबीआई करे। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने भी कह दिया कि पुलिस को उनका काम करने दीजिए। उससे पहले महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने भी कहा कि इस मामले की सीबीआई जांच की जरूरत नहीं है। मुंबई पुलिस इसकी जांच में सक्षम है। उधर सुशांत के पिता केके सिंह का कहना है कि उन्हें मुंबई में हो रही जांच पर भरोसा नहीं है। इसलिए वो चाहते हैं कि पटना पुलिस भी मामले की जांच करे। कहा तो ये भी जा रहा है कि सुशांत ने मुंबई में आत्महत्या की थी। ऐसे में पटना में जो एफआईआर दर्ज हुई, वो जीरो एफआईआर मानी जाएगी और जांच मुंबई पुलिस ही करेगी। पूरी खबर पढ़ें 4. मणिपुर में असम राइफल्स पर किसने हमला किया? ये खबर बुरी है। दरअसल, 29 जुलाई की शाम पौन 7 बजे मणिपुर में असम राइफल्स के जवानों पर हमला हुआ। इस हमले में 3 जवान शहीद हो गए। 5 जख्मी भी हुए हैं, जिन्हें सेना के अस्पताल में भर्ती किया गया है। ये हमला जहां हुआ है, वो जगह भारत-म्यांमार सीमा से बस 3 किमी दूर है। हमला खोंगताल में हुआ, जो मणिपुर के चंदेल जिले में पड़ता है। अब जो पता चला है, वो ये कि असम राइफल्स के 13 जवानों की टुकड़ी अपनी पोस्ट पर लौट रही थी। रास्ते में आईईडी ब्लास्ट हो गया। इसके बाद घात लगाकर बैठे उग्रवादियों ने फायरिंग कर दी। ये हमला किसने किया? अभी तक पता नहीं चला है। हालांकि, शक है कि इस हमले के पीछे मणिपुर का लोकल्स ग्रुप पीपुल्स लिबरेशन आर्मी का हाथ हो सकता है। पूरी खबर पढ़ें 5. कब होगी नेशनल स्पोर्ट्स अवॉर्ड सेरेमनी? कोरोनावायरस का असर खेलों पर तो पड़ा और अब अवॉर्ड सेरेमनी पर भी पड़ने वाला है। एक खबर आई है कि इस साल 29 अगस्त को जो नेशनल स्पोर्ट्स अवॉर्ड सेरेमनी होनी थी, उसकी तारीख कोरोना की वजह से एक या दो महीने आगे बढ़ सकती है। हालांकि, राष्ट्रपति भवन की तरफ से अभी जवाब आना बाकी है। 29 अगस्त को हॉकी के खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद की जयंती है। इसी दिन राष्ट्रीय खेल दिवस भी होता है। इसलिए इस दिन राष्ट्रपति राजीव गांधी खेल रत्न, अर्जुन, द्रोणाचार्य और ध्यानचंद अवॉर्ड देते हैं। ये सेरेमनी भी राष्ट्रपति भवन में ही होती है। पूरी खबर पढ़ें 6. कैसा होगा आज का दिन? जाते-जाते सबसे जरूरी बात कि आज का राशिफल क्या कहता है? तो आज शुक्रवार को ज्येष्ठा नक्षत्र में चंद्रमा होने से चर और इंद्र नाम के दो शुभ योग बन रहे हैं। इनका असर मेष, वृषभ, सिंह, वृश्चिक, मकर, कुंभ और मीन राशि वाले लोगों पर पड़ेगा। इसका फायदा भी है। इन 7 राशि वाले लोगों को जॉब और बिजनेस में आगे बढ़ने के मौके मिल सकते हैं। लेकिन, अगर आपकी राशि मिथुन, कर्क, कन्या, तुला या धनु है, तो आपको आज थोड़ा संभलकर रहना होगा। क्योंकि इन 5 राशि वालों के कामकाज में रुकावटें आने की आशंका है। पूरी खबर पढ़ें आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें morning news brief sushant singh rajput rajasthan political crisis ram janmbhoomi coronavirus from Dainik Bhaskar /national/news/morning-news-brief-sushant-singh-rajput-rajasthan-political-crisis-ram-janmbhoomi-coronavirus-127569554.html via IFTTT https://ift.tt/311ODND तारीख है 31 जुलाई और दिन है शुक्रवार का। अगर कोरोनावायरस नहीं आया होता, तो आज नई फिल्म रिलीज होती। खैर, आज हॉटस्टार पर कुणाल खेमू और रसिका दुग्गल की लूटकेस फिल्म रिलीज होगी। ये कॉमेडी फिल्म है। कोरोना के टाइम में तो देख ही सकते हैं। ये तो हो गई फिल्म की बात। अब जल्दी से कुछ खबरों से भी गुजर लेते हैं। 1. अयोध्या में क्या चल रहा है? राम मंदिर निर्माण के लिए 5 अगस्त को भूमि पूजन होना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसमें शामिल होंगे। लेकिन, पूजन होता, उससे पहले ही यहां कोरोना पहुंच गया है। खबर आई है कि रामलला मंदिर के प्रधान पुजारी आचार्य सतेंद्र दास के शिष्य प्रदीप दास कोरोना संक्रमित हो गए हैं। प्रदीप दास रामलला मंदिर के सहायक पुजारी भी हैं। सिर्फ पुजारी ही नहीं, बल्कि राम जन्मभूमि में तैनात 16 पुलिसवालों के भी कोरोना पॉजिटिव होने की खबर है। हालांकि, पुजारी और पुलिसवालों के कोरोना पॉजिटिव होने की बात यहां के सीडीओ प्रथमेश कुमार खारिज कर चुके हैं। पूरी खबर पढ़ें 2. राजस्थान के बवाल में नया क्या? अब बात राजस्थान की। 20 दिन से ज्यादा हो गए, लेकिन यहां का बवाल शांत होता नहीं दिख रहा है। या तो सरकार गिरेगी? या तो बचेगी? तभी शांत होगा। खैर, इस घमासान के बीच राजस्थान विधानसभा के स्पीकर सीपी जोशी का एक वीडियो वायरल हो रहा है। इस वीडियो में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत भी हैं। असल में ये वीडियो दोनों की बातचीत का है। इस वायरल वीडियो में स्पीकर सीपी जोशी मुख्यमंत्री के बेटे वैभव से कह रहे हैं 'मामला टफ हो गया है।' फिर वैभव कहते हैं 'राज्यसभा के वक्त ही खबरें आ गई थीं। जिस तरह से माहौल खराब हो रहा है। इन्होंने 10 दिन राज्यसभा चुनाव के निकाले, फिर वापस।' वैभव को सीपी जोशी जवाब देते हैं '30 आदमी निकल जाते हैं, तो आप कुछ नहीं कर सकते। हल्ला करते रहते। वो सरकार गिरा देते। अपने हिसाब से उन्होंने कॉन्टैक्ट करके करवा लिया है। बाकी दूसरे के बस की बात नहीं है।' पूरी खबर पढ़ें 3. सुशांत की मौत का मामला कहां तक पहुंचा? सुशांत सिंह राजपूत की मौत को डेढ़ महीने से ज्यादा हो गए और हर दिन इस मामले में कुछ न कुछ नया मोड़ आ ही रहा है। अब सुप्रीम कोर्ट ने सुशांत की मौत की सीबीआई जांच कराने से साफ इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट में अल्का प्रिया ने पीआईएल लगाई थी और मांग की थी कि इसकी जांच सीबीआई करे। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने भी कह दिया कि पुलिस को उनका काम करने दीजिए। उससे पहले महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने भी कहा कि इस मामले की सीबीआई जांच की जरूरत नहीं है। मुंबई पुलिस इसकी जांच में सक्षम है। उधर सुशांत के पिता केके सिंह का कहना है कि उन्हें मुंबई में हो रही जांच पर भरोसा नहीं है। इसलिए वो चाहते हैं कि पटना पुलिस भी मामले की जांच करे। कहा तो ये भी जा रहा है कि सुशांत ने मुंबई में आत्महत्या की थी। ऐसे में पटना में जो एफआईआर दर्ज हुई, वो जीरो एफआईआर मानी जाएगी और जांच मुंबई पुलिस ही करेगी। पूरी खबर पढ़ें 4. मणिपुर में असम राइफल्स पर किसने हमला किया? ये खबर बुरी है। दरअसल, 29 जुलाई की शाम पौन 7 बजे मणिपुर में असम राइफल्स के जवानों पर हमला हुआ। इस हमले में 3 जवान शहीद हो गए। 5 जख्मी भी हुए हैं, जिन्हें सेना के अस्पताल में भर्ती किया गया है। ये हमला जहां हुआ है, वो जगह भारत-म्यांमार सीमा से बस 3 किमी दूर है। हमला खोंगताल में हुआ, जो मणिपुर के चंदेल जिले में पड़ता है। अब जो पता चला है, वो ये कि असम राइफल्स के 13 जवानों की टुकड़ी अपनी पोस्ट पर लौट रही थी। रास्ते में आईईडी ब्लास्ट हो गया। इसके बाद घात लगाकर बैठे उग्रवादियों ने फायरिंग कर दी। ये हमला किसने किया? अभी तक पता नहीं चला है। हालांकि, शक है कि इस हमले के पीछे मणिपुर का लोकल्स ग्रुप पीपुल्स लिबरेशन आर्मी का हाथ हो सकता है। पूरी खबर पढ़ें 5. कब होगी नेशनल स्पोर्ट्स अवॉर्ड सेरेमनी? कोरोनावायरस का असर खेलों पर तो पड़ा और अब अवॉर्ड सेरेमनी पर भी पड़ने वाला है। एक खबर आई है कि इस साल 29 अगस्त को जो नेशनल स्पोर्ट्स अवॉर्ड सेरेमनी होनी थी, उसकी तारीख कोरोना की वजह से एक या दो महीने आगे बढ़ सकती है। हालांकि, राष्ट्रपति भवन की तरफ से अभी जवाब आना बाकी है। 29 अगस्त को हॉकी के खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद की जयंती है। इसी दिन राष्ट्रीय खेल दिवस भी होता है। इसलिए इस दिन राष्ट्रपति राजीव गांधी खेल रत्न, अर्जुन, द्रोणाचार्य और ध्यानचंद अवॉर्ड देते हैं। ये सेरेमनी भी राष्ट्रपति भवन में ही होती है। पूरी खबर पढ़ें 6. कैसा होगा आज का दिन? जाते-जाते सबसे जरूरी बात कि आज का राशिफल क्या कहता है? तो आज शुक्रवार को ज्येष्ठा नक्षत्र में चंद्रमा होने से चर और इंद्र नाम के दो शुभ योग बन रहे हैं। इनका असर मेष, वृषभ, सिंह, वृश्चिक, मकर, कुंभ और मीन राशि वाले लोगों पर पड़ेगा। इसका फायदा भी है। इन 7 राशि वाले लोगों को जॉब और बिजनेस में आगे बढ़ने के मौके मिल सकते हैं। लेकिन, अगर आपकी राशि मिथुन, कर्क, कन्या, तुला या धनु है, तो आपको आज थोड़ा संभलकर रहना होगा। क्योंकि इन 5 राशि वालों के कामकाज में रुकावटें आने की आशंका है। पूरी खबर पढ़ें आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें morning news brief sushant singh rajput rajasthan political crisis ram janmbhoomi coronavirus https://ift.tt/3hQ1j0O Dainik Bhaskar सुशांत की मौत की सीबीआई जांच नहीं होगी, राजस्थान में वीडियो से बवाल; इन 5 राशि वालों को आज थोड़ा संभलकर रहना होगा https://ift.tt/3hQ1j0O 

तारीख है 31 जुलाई और दिन है शुक्रवार का। अगर कोरोनावायरस नहीं आया होता, तो आज नई फिल्म रिलीज होती। खैर, आज हॉटस्टार पर कुणाल खेमू और रसिका दुग्गल की लूटकेस फिल्म रिलीज होगी। ये कॉमेडी फिल्म है। कोरोना के टाइम में तो देख ही सकते हैं। ये तो हो गई फिल्म की बात। अब जल्दी से कुछ खबरों से भी गुजर लेते हैं।

1. अयोध्या में क्या चल रहा है?
राम मंदिर निर्माण के लिए 5 अगस्त को भूमि पूजन होना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसमें शामिल होंगे। लेकिन, पूजन होता, उससे पहले ही यहां कोरोना पहुंच गया है।

खबर आई है कि रामलला मंदिर के प्रधान पुजारी आचार्य सतेंद्र दास के शिष्य प्रदीप दास कोरोना संक्रमित हो गए हैं। प्रदीप दास रामलला मंदिर के सहायक पुजारी भी हैं। सिर्फ पुजारी ही नहीं, बल्कि राम जन्मभूमि में तैनात 16 पुलिसवालों के भी कोरोना पॉजिटिव होने की खबर है।

हालांकि, पुजारी और पुलिसवालों के कोरोना पॉजिटिव होने की बात यहां के सीडीओ प्रथमेश कुमार खारिज कर चुके हैं।

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2. राजस्थान के बवाल में नया क्या?
अब बात राजस्थान की। 20 दिन से ज्यादा हो गए, लेकिन यहां का बवाल शांत होता नहीं दिख रहा है। या तो सरकार गिरेगी? या तो बचेगी? तभी शांत होगा। खैर, इस घमासान के बीच राजस्थान विधानसभा के स्पीकर सीपी जोशी का एक वीडियो वायरल हो रहा है। इस वीडियो में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत भी हैं। असल में ये वीडियो दोनों की बातचीत का है।

इस वायरल वीडियो में स्पीकर सीपी जोशी मुख्यमंत्री के बेटे वैभव से कह रहे हैं 'मामला टफ हो गया है।' फिर वैभव कहते हैं 'राज्यसभा के वक्त ही खबरें आ गई थीं। जिस तरह से माहौल खराब हो रहा है। इन्होंने 10 दिन राज्यसभा चुनाव के निकाले, फिर वापस।'

वैभव को सीपी जोशी जवाब देते हैं '30 आदमी निकल जाते हैं, तो आप कुछ नहीं कर सकते। हल्ला करते रहते। वो सरकार गिरा देते। अपने हिसाब से उन्होंने कॉन्टैक्ट करके करवा लिया है। बाकी दूसरे के बस की बात नहीं है।'

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3. सुशांत की मौत का मामला कहां तक पहुंचा?
सुशांत सिंह राजपूत की मौत को डेढ़ महीने से ज्यादा हो गए और हर दिन इस मामले में कुछ न कुछ नया मोड़ आ ही रहा है। अब सुप्रीम कोर्ट ने सुशांत की मौत की सीबीआई जांच कराने से साफ इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट में अल्का प्रिया ने पीआईएल लगाई थी और मांग की थी कि इसकी जांच सीबीआई करे। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने भी कह दिया कि पुलिस को उनका काम करने दीजिए।

उससे पहले महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने भी कहा कि इस मामले की सीबीआई जांच की जरूरत नहीं है। मुंबई पुलिस इसकी जांच में सक्षम है।

उधर सुशांत के पिता केके सिंह का कहना है कि उन्हें मुंबई में हो रही जांच पर भरोसा नहीं है। इसलिए वो चाहते हैं कि पटना पुलिस भी मामले की जांच करे।

कहा तो ये भी जा रहा है कि सुशांत ने मुंबई में आत्महत्या की थी। ऐसे में पटना में जो एफआईआर दर्ज हुई, वो जीरो एफआईआर मानी जाएगी और जांच मुंबई पुलिस ही करेगी।

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4. मणिपुर में असम राइफल्स पर किसने हमला किया?
ये खबर बुरी है। दरअसल, 29 जुलाई की शाम पौन 7 बजे मणिपुर में असम राइफल्स के जवानों पर हमला हुआ। इस हमले में 3 जवान शहीद हो गए। 5 जख्मी भी हुए हैं, जिन्हें सेना के अस्पताल में भर्ती किया गया है।

ये हमला जहां हुआ है, वो जगह भारत-म्यांमार सीमा से बस 3 किमी दूर है। हमला खोंगताल में हुआ, जो मणिपुर के चंदेल जिले में पड़ता है। अब जो पता चला है, वो ये कि असम राइफल्स के 13 जवानों की टुकड़ी अपनी पोस्ट पर लौट रही थी। रास्ते में आईईडी ब्लास्ट हो गया। इसके बाद घात लगाकर बैठे उग्रवादियों ने फायरिंग कर दी।

ये हमला किसने किया? अभी तक पता नहीं चला है। हालांकि, शक है कि इस हमले के पीछे मणिपुर का लोकल्स ग्रुप पीपुल्स लिबरेशन आर्मी का हाथ हो सकता है।

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5. कब होगी नेशनल स्पोर्ट्स अवॉर्ड सेरेमनी?
कोरोनावायरस का असर खेलों पर तो पड़ा और अब अवॉर्ड सेरेमनी पर भी पड़ने वाला है। एक खबर आई है कि इस साल 29 अगस्त को जो नेशनल स्पोर्ट्स अवॉर्ड सेरेमनी होनी थी, उसकी तारीख कोरोना की वजह से एक या दो महीने आगे बढ़ सकती है। हालांकि, राष्ट्रपति भवन की तरफ से अभी जवाब आना बाकी है।

29 अगस्त को हॉकी के खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद की जयंती है। इसी दिन राष्ट्रीय खेल दिवस भी होता है। इसलिए इस दिन राष्ट्रपति राजीव गांधी खेल रत्न, अर्जुन, द्रोणाचार्य और ध्यानचंद अवॉर्ड देते हैं। ये सेरेमनी भी राष्ट्रपति भवन में ही होती है।

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6. कैसा होगा आज का दिन?
जाते-जाते सबसे जरूरी बात कि आज का राशिफल क्या कहता है? तो आज शुक्रवार को ज्येष्ठा नक्षत्र में चंद्रमा होने से चर और इंद्र नाम के दो शुभ योग बन रहे हैं। इनका असर मेष, वृषभ, सिंह, वृश्चिक, मकर, कुंभ और मीन राशि वाले लोगों पर पड़ेगा। इसका फायदा भी है। इन 7 राशि वाले लोगों को जॉब और बिजनेस में आगे बढ़ने के मौके मिल सकते हैं।

लेकिन, अगर आपकी राशि मिथुन, कर्क, कन्या, तुला या धनु है, तो आपको आज थोड़ा संभलकर रहना होगा। क्योंकि इन 5 राशि वालों के कामकाज में रुकावटें आने की आशंका है।

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morning news brief sushant singh rajput rajasthan political crisis ram janmbhoomi coronavirus

from Dainik Bhaskar /national/news/morning-news-brief-sushant-singh-rajput-rajasthan-political-crisis-ram-janmbhoomi-coronavirus-127569554.html
via IFTTT https://ift.tt/311ODND तारीख है 31 जुलाई और दिन है शुक्रवार का। अगर कोरोनावायरस नहीं आया होता, तो आज नई फिल्म रिलीज होती। खैर, आज हॉटस्टार पर कुणाल खेमू और रसिका दुग्गल की लूटकेस फिल्म रिलीज होगी। ये कॉमेडी फिल्म है। कोरोना के टाइम में तो देख ही सकते हैं। ये तो हो गई फिल्म की बात। अब जल्दी से कुछ खबरों से भी गुजर लेते हैं। 1. अयोध्या में क्या चल रहा है? राम मंदिर निर्माण के लिए 5 अगस्त को भूमि पूजन होना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसमें शामिल होंगे। लेकिन, पूजन होता, उससे पहले ही यहां कोरोना पहुंच गया है। खबर आई है कि रामलला मंदिर के प्रधान पुजारी आचार्य सतेंद्र दास के शिष्य प्रदीप दास कोरोना संक्रमित हो गए हैं। प्रदीप दास रामलला मंदिर के सहायक पुजारी भी हैं। सिर्फ पुजारी ही नहीं, बल्कि राम जन्मभूमि में तैनात 16 पुलिसवालों के भी कोरोना पॉजिटिव होने की खबर है। हालांकि, पुजारी और पुलिसवालों के कोरोना पॉजिटिव होने की बात यहां के सीडीओ प्रथमेश कुमार खारिज कर चुके हैं। पूरी खबर पढ़ें 2. राजस्थान के बवाल में नया क्या? अब बात राजस्थान की। 20 दिन से ज्यादा हो गए, लेकिन यहां का बवाल शांत होता नहीं दिख रहा है। या तो सरकार गिरेगी? या तो बचेगी? तभी शांत होगा। खैर, इस घमासान के बीच राजस्थान विधानसभा के स्पीकर सीपी जोशी का एक वीडियो वायरल हो रहा है। इस वीडियो में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत भी हैं। असल में ये वीडियो दोनों की बातचीत का है। इस वायरल वीडियो में स्पीकर सीपी जोशी मुख्यमंत्री के बेटे वैभव से कह रहे हैं 'मामला टफ हो गया है।' फिर वैभव कहते हैं 'राज्यसभा के वक्त ही खबरें आ गई थीं। जिस तरह से माहौल खराब हो रहा है। इन्होंने 10 दिन राज्यसभा चुनाव के निकाले, फिर वापस।' वैभव को सीपी जोशी जवाब देते हैं '30 आदमी निकल जाते हैं, तो आप कुछ नहीं कर सकते। हल्ला करते रहते। वो सरकार गिरा देते। अपने हिसाब से उन्होंने कॉन्टैक्ट करके करवा लिया है। बाकी दूसरे के बस की बात नहीं है।' पूरी खबर पढ़ें 3. सुशांत की मौत का मामला कहां तक पहुंचा? सुशांत सिंह राजपूत की मौत को डेढ़ महीने से ज्यादा हो गए और हर दिन इस मामले में कुछ न कुछ नया मोड़ आ ही रहा है। अब सुप्रीम कोर्ट ने सुशांत की मौत की सीबीआई जांच कराने से साफ इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट में अल्का प्रिया ने पीआईएल लगाई थी और मांग की थी कि इसकी जांच सीबीआई करे। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने भी कह दिया कि पुलिस को उनका काम करने दीजिए। उससे पहले महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने भी कहा कि इस मामले की सीबीआई जांच की जरूरत नहीं है। मुंबई पुलिस इसकी जांच में सक्षम है। उधर सुशांत के पिता केके सिंह का कहना है कि उन्हें मुंबई में हो रही जांच पर भरोसा नहीं है। इसलिए वो चाहते हैं कि पटना पुलिस भी मामले की जांच करे। कहा तो ये भी जा रहा है कि सुशांत ने मुंबई में आत्महत्या की थी। ऐसे में पटना में जो एफआईआर दर्ज हुई, वो जीरो एफआईआर मानी जाएगी और जांच मुंबई पुलिस ही करेगी। पूरी खबर पढ़ें 4. मणिपुर में असम राइफल्स पर किसने हमला किया? ये खबर बुरी है। दरअसल, 29 जुलाई की शाम पौन 7 बजे मणिपुर में असम राइफल्स के जवानों पर हमला हुआ। इस हमले में 3 जवान शहीद हो गए। 5 जख्मी भी हुए हैं, जिन्हें सेना के अस्पताल में भर्ती किया गया है। ये हमला जहां हुआ है, वो जगह भारत-म्यांमार सीमा से बस 3 किमी दूर है। हमला खोंगताल में हुआ, जो मणिपुर के चंदेल जिले में पड़ता है। अब जो पता चला है, वो ये कि असम राइफल्स के 13 जवानों की टुकड़ी अपनी पोस्ट पर लौट रही थी। रास्ते में आईईडी ब्लास्ट हो गया। इसके बाद घात लगाकर बैठे उग्रवादियों ने फायरिंग कर दी। ये हमला किसने किया? अभी तक पता नहीं चला है। हालांकि, शक है कि इस हमले के पीछे मणिपुर का लोकल्स ग्रुप पीपुल्स लिबरेशन आर्मी का हाथ हो सकता है। पूरी खबर पढ़ें 5. कब होगी नेशनल स्पोर्ट्स अवॉर्ड सेरेमनी? कोरोनावायरस का असर खेलों पर तो पड़ा और अब अवॉर्ड सेरेमनी पर भी पड़ने वाला है। एक खबर आई है कि इस साल 29 अगस्त को जो नेशनल स्पोर्ट्स अवॉर्ड सेरेमनी होनी थी, उसकी तारीख कोरोना की वजह से एक या दो महीने आगे बढ़ सकती है। हालांकि, राष्ट्रपति भवन की तरफ से अभी जवाब आना बाकी है। 29 अगस्त को हॉकी के खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद की जयंती है। इसी दिन राष्ट्रीय खेल दिवस भी होता है। इसलिए इस दिन राष्ट्रपति राजीव गांधी खेल रत्न, अर्जुन, द्रोणाचार्य और ध्यानचंद अवॉर्ड देते हैं। ये सेरेमनी भी राष्ट्रपति भवन में ही होती है। पूरी खबर पढ़ें 6. कैसा होगा आज का दिन? जाते-जाते सबसे जरूरी बात कि आज का राशिफल क्या कहता है? तो आज शुक्रवार को ज्येष्ठा नक्षत्र में चंद्रमा होने से चर और इंद्र नाम के दो शुभ योग बन रहे हैं। इनका असर मेष, वृषभ, सिंह, वृश्चिक, मकर, कुंभ और मीन राशि वाले लोगों पर पड़ेगा। इसका फायदा भी है। इन 7 राशि वाले लोगों को जॉब और बिजनेस में आगे बढ़ने के मौके मिल सकते हैं। लेकिन, अगर आपकी राशि मिथुन, कर्क, कन्या, तुला या धनु है, तो आपको आज थोड़ा संभलकर रहना होगा। क्योंकि इन 5 राशि वालों के कामकाज में रुकावटें आने की आशंका है। पूरी खबर पढ़ें आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें morning news brief sushant singh rajput rajasthan political crisis ram janmbhoomi coronavirus https://ift.tt/3hQ1j0O Dainik Bhaskar सुशांत की मौत की सीबीआई जांच नहीं होगी, राजस्थान में वीडियो से बवाल; इन 5 राशि वालों को आज थोड़ा संभलकर रहना होगा Reviewed by Manish Pethev on July 31, 2020 Rating: 5
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- July 31, 2020
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अयोध्या में 5 अगस्त को राम मंदिर की नींव रखी जाएगी। इससे पहले राम मंदिर नींव के भीतर टाइम कैप्सूल रखे जाने को लेकर खूब चर्चा है। यह कैप्सूल क्या है? क्या ऐसा पहली बार हो रहा है? ऐसे तमाम सवाल लोगों के मन में चल रहे हैं। दरअसल, बताया जा रहा है कि राम मंदिर का इतिहास हजारों साल तक मौजूद रहे, इसके लिए मंदिर के गर्भगृह की 200 फीट गहराई में टाइम कैप्सूल रखा जाएगा। इस टाइम कैप्सूल पर मंदिर का पूरा विवरण और इतिहास लिखा रहेगा, ताकि भविष्य में जन्मभूमि और राम मंदिर का इतिहास देखा जा सके और कोई विवाद न हो। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल ने मीडिया को सबसे पहले यह जानकारी दी थी। बिहार के रहने वाले कामेश्वर चौपाल वह व्यक्ति हैं, जिन्होंने 9 नवंबर 1989 को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए आधारशिला रखी थी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राम मंदिर निर्माण के लिए बने श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में उन्हें सदस्य भी बनाया गया है। 1989 में भी भूमि के नीचे दबाया गया था ताम्र लेख राम मंदिर के चीफ आर्किटेक्ट निखिल सोमपुरा बताते हैं कि प्रधानमंत्री के कार्यक्रम के बाद मंदिर का निर्माण शुरू हो जाएगा। उनके मुताबिक 200 मीटर गहराई की मिट्टी का सैंपल लिया गया था, लेकिन अभी उसकी रिपोर्ट नहीं आई है। रिपोर्ट के आधार पर ही मंदिर का निर्माण करने वाली कंपनी एलएनटी नींव की खुदाई शुरू कर देगी। टाइम कैप्सूल क्या होता है? टाइम कैप्सूल एक कंटेनर की तरह होता है और हर तरह के मौसम को सहन करने की इसमें क्षमता होती है। अयोध्या में राम मंदिर के नीचे डाला जाने वाला टाइम कैप्सूल कुछ सदियों के बाद एक ऐतिहासिक दस्तावेज के रूप में जाना जाएगा। टाइम कैप्सूल को एक ऐसे ऐतिहासिक महत्व के दस्तावेज के रूप में जाना जाता है, जिसमें किसी काल की सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक स्थिति का उल्लेख हो। यह दस्तावेज ताम्र पत्र पर लिखा जाएगा। टाइम कैप्सूल पर क्या लिखा जाएगा? इस ताम्र पत्र पर मंदिर का संक्षिप्त इतिहास, शिलान्यास की तारीख, भूमिपूजन करने वाले मुख्य अतिथि, उपस्थित विशिष्टजन का नाम, निर्माण की शैली तथा वास्तुविद का नाम लिखा रहेगा। ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल के अनुसार, ताम्र लेख तैयार करने की जिम्मेदारी दिल्ली की एक कंपनी को सौंपी गई है। 1989 में भी जब राममंदिर का शिलान्यास हुआ था, तब भी एक ताम्र लेख भूमि के नीचे दबाया गया था इस बीच, यह जानकारी भी सामने आई है कि साल 1989 में जब गर्भगृह के सामने राममंदिर का शिलान्यास हुआ था, उस वक्त भी एक ताम्र लेख भूमि के नीचे दबाया गया था। रामलला की ओर से मुकदमे की पैरवी करने वाले वकील त्रिलोकीनाथ पांडेय बताते हैं कि उस वक्त ताम्र लेख विश्व हिन्दू परिषद के महासचिव अशोक सिंहल ने तैयार कराया था। पांडेय बताते हैं कि ताम्रपत्र तांबे से बनाया जाता है, क्योंकि इस धातु में जंग नहीं लगती है। यह लेख मिट्टी में भी हजारों साल तक सुरक्षित रहेगा। जब इंदिरा गांधी ने बनवाया टाइम कैप्सूल भारत में पहले भी ऐसे टाइम कैप्सूल ऐतिहासिक महत्व की इमारतों की नींव में डाले जा चुके हैं। 1973 में इंदिरा गांधी सरकार ने लालकिले की नींव में ऐसा ही एक टाइम कैप्सूल डाला था। तब इसे काल-पत्र का नाम दिया गया था। उस वक्त विपक्ष के लोगों ने इंदिरा गांधी के इस कदम की काफी आलोचना की थी और आरोप लगाया था कि इस काल-पत्र में इंदिरा गांधी ने अपने परिवार का महिमामंडन किया है। इंदिरा सरकार के काल-पत्र में क्या लिखा था, उसका राज आज तक नहीं खुल सका इंदिरा गांधी की सरकार ने अतीत की अहम घटनाओं को दर्ज करने का काम इंडियन काउंसिल ऑफ हिस्टोरिकल रिसर्च यानी आईसीएचआर को सौंपा था और मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज के इतिहास के प्रोफेसर एस कृष्णासामी को पूरी पाण्डुलिपि तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई थी, लेकिन यह काम पूरा होने से पहले ही विवादों में फंस गया और इंदिरा सरकार के इस काल-पत्र में क्या लिखा था, उसका राज आज तक नहीं खुल सका। 1977 में कांग्रेस सत्ता से बेदखल हो गई और मोरारजी देसाई के नेतृत्व में जनता पार्टी की सरकार बनी। सरकार गठन के कुछ दिनों बाद टाइम कैप्सूल को निकाला गया, लेकिन जनता पार्टी की सरकार ने इस बात का रहस्योद्घाटन नहीं किया कि उस टाइम कैप्सूल में क्या था? बाद में प्रधानमंत्री कार्यालय से मांगी गई एक जानकारी में बताया गया था कि पीएमओ को इसके बारे में कुछ भी पता नहीं है। मोदी भी बनवा चुके हैं टाइम कैप्सूल टाइम कैप्सूल के विवाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम भी जुड़ा रहा है। नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो 2011 में उन पर भी टाइम कैप्सूल दफनाने का विपक्ष ने आरोप लगाया था। विपक्ष का कहना था कि गांधीनगर में निर्मित महात्मा मंदिर के नीचे टाइम कैप्सूल दफनाया गया है, जिसमें मोदी ने अपनी उपलब्धियों का बखान किया है। 2017 में स्पेन में 400 साल पुराना टाइम कैप्सूल निकला था 30 नवंबर 2017 को स्पेन के बर्गोस में करीब 400 साल पुराना टाइम कैप्सूल निकला था, जो ईसा मसीह की मूर्ति के रूप में था। मूर्ति के भीतर साल 1777 के आसपास की आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक जानकारियां थीं। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें अयोध्या में 5 अगस्त को राम मंदिर की नींव रखी जाएगी। इससे पहले राम मंदिर नींव के भीतर टाइम कैप्सूल रखे जाने को लेकर खूब चर्चा है। https://ift.tt/2PcwTte Dainik Bhaskar राम मंदिर के गर्भगृह में 200 फीट गहराई में रखा जाएगा टाइम कैप्सूल, इंदिरा गांधी और नरेंद्र मोदी ऐसा पहले भी कर चुके हैं

अयोध्या में 5 अगस्त को राम मंदिर की नींव रखी जाएगी। इससे पहले राम मंदिर नींव के भीतर टाइम कैप्सूल रखे जाने को लेकर खूब चर्चा है। यह कैप्सूल...
- July 31, 2020
अयोध्या में 5 अगस्त को राम मंदिर की नींव रखी जाएगी। इससे पहले राम मंदिर नींव के भीतर टाइम कैप्सूल रखे जाने को लेकर खूब चर्चा है। यह कैप्सूल क्या है? क्या ऐसा पहली बार हो रहा है? ऐसे तमाम सवाल लोगों के मन में चल रहे हैं। दरअसल, बताया जा रहा है कि राम मंदिर का इतिहास हजारों साल तक मौजूद रहे, इसके लिए मंदिर के गर्भगृह की 200 फीट गहराई में टाइम कैप्सूल रखा जाएगा। इस टाइम कैप्सूल पर मंदिर का पूरा विवरण और इतिहास लिखा रहेगा, ताकि भविष्य में जन्मभूमि और राम मंदिर का इतिहास देखा जा सके और कोई विवाद न हो। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल ने मीडिया को सबसे पहले यह जानकारी दी थी। बिहार के रहने वाले कामेश्वर चौपाल वह व्यक्ति हैं, जिन्होंने 9 नवंबर 1989 को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए आधारशिला रखी थी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राम मंदिर निर्माण के लिए बने श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में उन्हें सदस्य भी बनाया गया है। 1989 में भी भूमि के नीचे दबाया गया था ताम्र लेख राम मंदिर के चीफ आर्किटेक्ट निखिल सोमपुरा बताते हैं कि प्रधानमंत्री के कार्यक्रम के बाद मंदिर का निर्माण शुरू हो जाएगा। उनके मुताबिक 200 मीटर गहराई की मिट्टी का सैंपल लिया गया था, लेकिन अभी उसकी रिपोर्ट नहीं आई है। रिपोर्ट के आधार पर ही मंदिर का निर्माण करने वाली कंपनी एलएनटी नींव की खुदाई शुरू कर देगी। टाइम कैप्सूल क्या होता है? टाइम कैप्सूल एक कंटेनर की तरह होता है और हर तरह के मौसम को सहन करने की इसमें क्षमता होती है। अयोध्या में राम मंदिर के नीचे डाला जाने वाला टाइम कैप्सूल कुछ सदियों के बाद एक ऐतिहासिक दस्तावेज के रूप में जाना जाएगा। टाइम कैप्सूल को एक ऐसे ऐतिहासिक महत्व के दस्तावेज के रूप में जाना जाता है, जिसमें किसी काल की सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक स्थिति का उल्लेख हो। यह दस्तावेज ताम्र पत्र पर लिखा जाएगा। टाइम कैप्सूल पर क्या लिखा जाएगा? इस ताम्र पत्र पर मंदिर का संक्षिप्त इतिहास, शिलान्यास की तारीख, भूमिपूजन करने वाले मुख्य अतिथि, उपस्थित विशिष्टजन का नाम, निर्माण की शैली तथा वास्तुविद का नाम लिखा रहेगा। ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल के अनुसार, ताम्र लेख तैयार करने की जिम्मेदारी दिल्ली की एक कंपनी को सौंपी गई है। 1989 में भी जब राममंदिर का शिलान्यास हुआ था, तब भी एक ताम्र लेख भूमि के नीचे दबाया गया था इस बीच, यह जानकारी भी सामने आई है कि साल 1989 में जब गर्भगृह के सामने राममंदिर का शिलान्यास हुआ था, उस वक्त भी एक ताम्र लेख भूमि के नीचे दबाया गया था। रामलला की ओर से मुकदमे की पैरवी करने वाले वकील त्रिलोकीनाथ पांडेय बताते हैं कि उस वक्त ताम्र लेख विश्व हिन्दू परिषद के महासचिव अशोक सिंहल ने तैयार कराया था। पांडेय बताते हैं कि ताम्रपत्र तांबे से बनाया जाता है, क्योंकि इस धातु में जंग नहीं लगती है। यह लेख मिट्टी में भी हजारों साल तक सुरक्षित रहेगा। जब इंदिरा गांधी ने बनवाया टाइम कैप्सूल भारत में पहले भी ऐसे टाइम कैप्सूल ऐतिहासिक महत्व की इमारतों की नींव में डाले जा चुके हैं। 1973 में इंदिरा गांधी सरकार ने लालकिले की नींव में ऐसा ही एक टाइम कैप्सूल डाला था। तब इसे काल-पत्र का नाम दिया गया था। उस वक्त विपक्ष के लोगों ने इंदिरा गांधी के इस कदम की काफी आलोचना की थी और आरोप लगाया था कि इस काल-पत्र में इंदिरा गांधी ने अपने परिवार का महिमामंडन किया है। इंदिरा सरकार के काल-पत्र में क्या लिखा था, उसका राज आज तक नहीं खुल सका इंदिरा गांधी की सरकार ने अतीत की अहम घटनाओं को दर्ज करने का काम इंडियन काउंसिल ऑफ हिस्टोरिकल रिसर्च यानी आईसीएचआर को सौंपा था और मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज के इतिहास के प्रोफेसर एस कृष्णासामी को पूरी पाण्डुलिपि तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई थी, लेकिन यह काम पूरा होने से पहले ही विवादों में फंस गया और इंदिरा सरकार के इस काल-पत्र में क्या लिखा था, उसका राज आज तक नहीं खुल सका। 1977 में कांग्रेस सत्ता से बेदखल हो गई और मोरारजी देसाई के नेतृत्व में जनता पार्टी की सरकार बनी। सरकार गठन के कुछ दिनों बाद टाइम कैप्सूल को निकाला गया, लेकिन जनता पार्टी की सरकार ने इस बात का रहस्योद्घाटन नहीं किया कि उस टाइम कैप्सूल में क्या था? बाद में प्रधानमंत्री कार्यालय से मांगी गई एक जानकारी में बताया गया था कि पीएमओ को इसके बारे में कुछ भी पता नहीं है। मोदी भी बनवा चुके हैं टाइम कैप्सूल टाइम कैप्सूल के विवाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम भी जुड़ा रहा है। नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो 2011 में उन पर भी टाइम कैप्सूल दफनाने का विपक्ष ने आरोप लगाया था। विपक्ष का कहना था कि गांधीनगर में निर्मित महात्मा मंदिर के नीचे टाइम कैप्सूल दफनाया गया है, जिसमें मोदी ने अपनी उपलब्धियों का बखान किया है। 2017 में स्पेन में 400 साल पुराना टाइम कैप्सूल निकला था 30 नवंबर 2017 को स्पेन के बर्गोस में करीब 400 साल पुराना टाइम कैप्सूल निकला था, जो ईसा मसीह की मूर्ति के रूप में था। मूर्ति के भीतर साल 1777 के आसपास की आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक जानकारियां थीं। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें अयोध्या में 5 अगस्त को राम मंदिर की नींव रखी जाएगी। इससे पहले राम मंदिर नींव के भीतर टाइम कैप्सूल रखे जाने को लेकर खूब चर्चा है। https://ift.tt/2PcwTte Dainik Bhaskar राम मंदिर के गर्भगृह में 200 फीट गहराई में रखा जाएगा टाइम कैप्सूल, इंदिरा गांधी और नरेंद्र मोदी ऐसा पहले भी कर चुके हैं 

अयोध्या में 5 अगस्त को राम मंदिर की नींव रखी जाएगी। इससे पहले राम मंदिर नींव के भीतर टाइम कैप्सूल रखे जाने को लेकर खूब चर्चा है। यह कैप्सूल क्या है? क्या ऐसा पहली बार हो रहा है? ऐसे तमाम सवाल लोगों के मन में चल रहे हैं। दरअसल, बताया जा रहा है कि राम मंदिर का इतिहास हजारों साल तक मौजूद रहे, इसके लिए मंदिर के गर्भगृह की 200 फीट गहराई में टाइम कैप्सूल रखा जाएगा।

इस टाइम कैप्सूल पर मंदिर का पूरा विवरण और इतिहास लिखा रहेगा, ताकि भविष्य में जन्मभूमि और राम मंदिर का इतिहास देखा जा सके और कोई विवाद न हो। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल ने मीडिया को सबसे पहले यह जानकारी दी थी।

बिहार के रहने वाले कामेश्वर चौपाल वह व्यक्ति हैं, जिन्होंने 9 नवंबर 1989 को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए आधारशिला रखी थी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राम मंदिर निर्माण के लिए बने श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में उन्हें सदस्य भी बनाया गया है।

1989 में भी भूमि के नीचे दबाया गया था ताम्र लेख
राम मंदिर के चीफ आर्किटेक्ट निखिल सोमपुरा बताते हैं कि प्रधानमंत्री के कार्यक्रम के बाद मंदिर का निर्माण शुरू हो जाएगा। उनके मुताबिक 200 मीटर गहराई की मिट्टी का सैंपल लिया गया था, लेकिन अभी उसकी रिपोर्ट नहीं आई है। रिपोर्ट के आधार पर ही मंदिर का निर्माण करने वाली कंपनी एलएनटी नींव की खुदाई शुरू कर देगी।

टाइम कैप्सूल क्या होता है?

टाइम कैप्सूल एक कंटेनर की तरह होता है और हर तरह के मौसम को सहन करने की इसमें क्षमता होती है। अयोध्या में राम मंदिर के नीचे डाला जाने वाला टाइम कैप्सूल कुछ सदियों के बाद एक ऐतिहासिक दस्तावेज के रूप में जाना जाएगा। टाइम कैप्सूल को एक ऐसे ऐतिहासिक महत्व के दस्तावेज के रूप में जाना जाता है, जिसमें किसी काल की सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक स्थिति का उल्लेख हो। यह दस्तावेज ताम्र पत्र पर लिखा जाएगा।

टाइम कैप्सूल पर क्या लिखा जाएगा?

इस ताम्र पत्र पर मंदिर का संक्षिप्त इतिहास, शिलान्यास की तारीख, भूमिपूजन करने वाले मुख्य अतिथि, उपस्थित विशिष्टजन का नाम, निर्माण की शैली तथा वास्तुविद का नाम लिखा रहेगा। ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल के अनुसार, ताम्र लेख तैयार करने की जिम्मेदारी दिल्ली की एक कंपनी को सौंपी गई है।

1989 में भी जब राममंदिर का शिलान्यास हुआ था, तब भी एक ताम्र लेख भूमि के नीचे दबाया गया था

इस बीच, यह जानकारी भी सामने आई है कि साल 1989 में जब गर्भगृह के सामने राममंदिर का शिलान्यास हुआ था, उस वक्त भी एक ताम्र लेख भूमि के नीचे दबाया गया था। रामलला की ओर से मुकदमे की पैरवी करने वाले वकील त्रिलोकीनाथ पांडेय बताते हैं कि उस वक्त ताम्र लेख विश्व हिन्दू परिषद के महासचिव अशोक सिंहल ने तैयार कराया था। पांडेय बताते हैं कि ताम्रपत्र तांबे से बनाया जाता है, क्योंकि इस धातु में जंग नहीं लगती है। यह लेख मिट्टी में भी हजारों साल तक सुरक्षित रहेगा।

जब इंदिरा गांधी ने बनवाया टाइम कैप्सूल
भारत में पहले भी ऐसे टाइम कैप्सूल ऐतिहासिक महत्व की इमारतों की नींव में डाले जा चुके हैं। 1973 में इंदिरा गांधी सरकार ने लालकिले की नींव में ऐसा ही एक टाइम कैप्सूल डाला था। तब इसे काल-पत्र का नाम दिया गया था। उस वक्त विपक्ष के लोगों ने इंदिरा गांधी के इस कदम की काफी आलोचना की थी और आरोप लगाया था कि इस काल-पत्र में इंदिरा गांधी ने अपने परिवार का महिमामंडन किया है।

इंदिरा सरकार के काल-पत्र में क्या लिखा था, उसका राज आज तक नहीं खुल सका

इंदिरा गांधी की सरकार ने अतीत की अहम घटनाओं को दर्ज करने का काम इंडियन काउंसिल ऑफ हिस्टोरिकल रिसर्च यानी आईसीएचआर को सौंपा था और मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज के इतिहास के प्रोफेसर एस कृष्णासामी को पूरी पाण्डुलिपि तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई थी, लेकिन यह काम पूरा होने से पहले ही विवादों में फंस गया और इंदिरा सरकार के इस काल-पत्र में क्या लिखा था, उसका राज आज तक नहीं खुल सका।

1977 में कांग्रेस सत्ता से बेदखल हो गई और मोरारजी देसाई के नेतृत्व में जनता पार्टी की सरकार बनी। सरकार गठन के कुछ दिनों बाद टाइम कैप्सूल को निकाला गया, लेकिन जनता पार्टी की सरकार ने इस बात का रहस्योद्घाटन नहीं किया कि उस टाइम कैप्सूल में क्या था? बाद में प्रधानमंत्री कार्यालय से मांगी गई एक जानकारी में बताया गया था कि पीएमओ को इसके बारे में कुछ भी पता नहीं है।

मोदी भी बनवा चुके हैं टाइम कैप्सूल
टाइम कैप्सूल के विवाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम भी जुड़ा रहा है। नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो 2011 में उन पर भी टाइम कैप्सूल दफनाने का विपक्ष ने आरोप लगाया था। विपक्ष का कहना था कि गांधीनगर में निर्मित महात्मा मंदिर के नीचे टाइम कैप्सूल दफनाया गया है, जिसमें मोदी ने अपनी उपलब्धियों का बखान किया है।

2017 में स्पेन में 400 साल पुराना टाइम कैप्सूल निकला था
30 नवंबर 2017 को स्पेन के बर्गोस में करीब 400 साल पुराना टाइम कैप्सूल निकला था, जो ईसा मसीह की मूर्ति के रूप में था। मूर्ति के भीतर साल 1777 के आसपास की आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक जानकारियां थीं।

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अयोध्या में 5 अगस्त को राम मंदिर की नींव रखी जाएगी। इससे पहले राम मंदिर नींव के भीतर टाइम कैप्सूल रखे जाने को लेकर खूब चर्चा है।

https://ift.tt/2PcwTte Dainik Bhaskar राम मंदिर के गर्भगृह में 200 फीट गहराई में रखा जाएगा टाइम कैप्सूल, इंदिरा गांधी और नरेंद्र मोदी ऐसा पहले भी कर चुके हैं Reviewed by Manish Pethev on July 31, 2020 Rating: 5

हाल ही में जारी की गई लैंसेट की रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया की आबादी 2064 में पीक पर होगी। इसके बाद ये घटने लगेगी। इससे पहले यूएन ने 2100 में इसके पीक पर पहुंचने का अनुमान लगाया था। रिपोर्ट के मुताबिक 2064 में दुनिया की आबादी 973 करोड़ हो जाएगी। 2100 तक ये घटकर 879 रह जाएगी। भारत दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाला देश होगा। लेकिन, उसकी आबादी 2048 के बाद घटने लगेगी। इस ग्लोबल पॉपुलेशन प्रोजेक्शन रिपोर्ट में आने वाले 80 सालों में दुनिया की आबादी के बारे में कई तरह के फैक्ट्स हैं। जैसे- आने वाले 80 साल बाद भारत और दुनिया के अन्य देशों की आबादी कितनी होगी। कब तक बढ़ेगी और कब से घटेगी? किन देशों की आबादी तेजी से घटेगी? कौन से देश ऐसे हैं जिनकी आबादी आज की आबादी से आधी रह जाएगी? ग्लोबल फर्टीलिटी रेट 2100 तक घटकर 1.66 हो जाएगा। भारत समेत दुनिया के उन देशों में फर्टिलिटी रेट 70% तक कम होगा जिनकी आबादी ज्यादा है। 2100 भारत की फर्टिलिटी रेट में 68% तक घट जाएगा। 138 करोड़ आबादी वाले देश भारत में 2100 तक 28% लोग कम हो जाएंगे। सबसे ज्यादा आबादी वाले देशों में शामिल रूस, जापान, ब्राजील 2100 तक टॉप टेन से बाहर हो जाएंगे 21 करोड़ आबादी वाला देश ब्राजील आबादी के लिहाज से इस वक्त दुनिया का 6वां सबसे बड़ा देश है। 2100 में इसकी आबादी घटकर 16.5 करोड़ रह जाएगी। जापान की आबादी 80 साल में आधी से कम हो 6 करोड़ हो जाएगी और वो दुनिया में 38वें नंबर पर आ जाएगा। 2017 के बाद से रूस और जापान की आबादी लगातार घट रही है। पाकिस्तान को छोड़कर दक्षिण एशिया के हर देश की आबादी घटेगी 2100 में पाकिस्तान को छोड़कर दक्षिण एशिया के सभी देशों की आबादी आज के मुकाबले कम होगी। भारत की आबादी आज के मुकाबले करीब 21% कम होगी तो बांग्‍लादेश में आज के मुकाबले आधे लोग रह जाएंगे। वहीं, पाकिस्तान की आबादी 80 साल बाद 16% बढ़ेगी। हालांकि, वहां पीक 2062 में आएगा। जब वहां आज के मुकाबले करीब 47% ज्यादा आबादी होगी। 2100 तक चीन की आबादी लगभग आधी हो जाएगी। भारत की आबादी 32% घटेगी। बांग्लादेश की आबादी भी करीब आधी हो जाएगी। जबकि इंडोनेशिया आबादी मामूली घटेगी। तो पाकिस्तान की बढ़ेगी। इसके बाद भी बांग्लादेश को छोड़कर, एशिया के इन पांच देशों में से चार देश विश्व के सबसे ज्यादा आबादी वाले दस देशों में अभी की तरह बने रहेंगे। पाकिस्तान इंडोनेशिया से ऊपर चला जाएगा, लेकिन एशिया के सबसे ज्यादा आबादी वाले पांच देशों की लिस्ट में कोई बदलाव नहीं होगा। 2017 में दुनिया के सबसे ज्यादा आबादी वाले 10 देशों में से चार देश जापान, रूस, बांग्लादेश, और ब्राजील 2100 में टॉप 10 से बाहर हो जाएंगे। 2100 में इनकी जगह, तंजानिया, मिस्र, इथोपिया और कांगो दुनिया के सबसे ज्यादा आबादी वाले दस देशों में होंगे। अभी कांगो की आबादी 8 करोड़ 80 लाख है। वो आबादी के लिहाज से 18वें नंबर पर है। इथोपिया की आबादी अभी 10 करोड़ 2 लाख है जो दुनिया में 13 वें नंबर पर है,मिस्र की आबादी अभी 9 करोड़ 60 लाख है जो कि दुनिया में 14वें नंबर पर है और तंजानिया की आबादी 5 करोड़ 30 लाख है जो दुनिया में 24वें नंबर पर है। मिस्र को छोड़कर बाकी तीन देश अफ्रीका से हैं। वर्किंग एज पॉपुलेशन मतलब 20-64 साल के उम्र के लोगों की आबादी। 2100 में भारत वर्किंग एज पॉपुलेशन में भी दुनिया में नंबर एक पर होगा। चीन की वर्किंग एज पॉपुलेशन करीब 70% घटेगी लेकिन चीन की जनसंख्या ज्यादा होने के कारण, वह 2100 में भी दुनिया में दूसरे नंबर पर बना रहेगा। नोट- 2017 में चाइल्ड एज पॉपुलेशन और वर्किंग एज पॉपुलेशन को वर्ल्ड बैंक के मुताबिक है। जो 0-14 और 15-64 होती है। लैंटस की रिपोर्ट में इसे 0-19 और 20-65 लिया गया है। 2017 की तुलना में 2100 के प्रोजेक्शन के अंतर में थोड़ा बदलाव हो सकता है। पहले भी रिसर्च में देखा गया है कि हर शताब्दी में, हर देश के सामने दो बार उतार-चढ़ाव आते हैं। एक बार आबादी घटती है जबकि एक ही शताब्दी में दूसरी बार आबादी बढ़ती है। जिस साल में सबसे ज्यादा होती है उसे पीक ईयर पॉपुलेशन कहा जाता है। चीन में सबसे ज्यादा आबादी अभी के दशक में बढ़ रही है। जापान में पीक ईयर 2017 में था, स्पेन और थाईलैंड भी पीक ईयर क्रॉस कर चुके हैं। अब इस प्वाइंट से आबादी घटेगी। ग्लोबल लाइफ एक्सपेक्टेंसी 70-80 साल की होती है, इसीलिए आने वाले 50 साल से 80 साल तक इन सभी देशों में नेचुरल डेथ रेट पीक पर होगा और 2100 तक आबादी आधी हो जाएगी आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें World (India) Population Projections 2100 Update | What Will Be World and India Population Be In 2100? Everything Thing You Need To Know In Latest Research https://ift.tt/39Iam0U Dainik Bhaskar 2100 तक भारत में लोगों की संख्या घटकर 109 करोड़ रह जाएगी, सबसे अधिक आबादी वाले चीन में 80 साल बाद जनसंख्या आधी हो जाएगी

हाल ही में जारी की गई लैंसेट की रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया की आबादी 2064 में पीक पर होगी। इसके बाद ये घटने लगेगी। इससे पहले यूएन ने 2...
- July 31, 2020
हाल ही में जारी की गई लैंसेट की रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया की आबादी 2064 में पीक पर होगी। इसके बाद ये घटने लगेगी। इससे पहले यूएन ने 2100 में इसके पीक पर पहुंचने का अनुमान लगाया था। रिपोर्ट के मुताबिक 2064 में दुनिया की आबादी 973 करोड़ हो जाएगी। 2100 तक ये घटकर 879 रह जाएगी। भारत दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाला देश होगा। लेकिन, उसकी आबादी 2048 के बाद घटने लगेगी। इस ग्लोबल पॉपुलेशन प्रोजेक्शन रिपोर्ट में आने वाले 80 सालों में दुनिया की आबादी के बारे में कई तरह के फैक्ट्स हैं। जैसे- आने वाले 80 साल बाद भारत और दुनिया के अन्य देशों की आबादी कितनी होगी। कब तक बढ़ेगी और कब से घटेगी? किन देशों की आबादी तेजी से घटेगी? कौन से देश ऐसे हैं जिनकी आबादी आज की आबादी से आधी रह जाएगी? ग्लोबल फर्टीलिटी रेट 2100 तक घटकर 1.66 हो जाएगा। भारत समेत दुनिया के उन देशों में फर्टिलिटी रेट 70% तक कम होगा जिनकी आबादी ज्यादा है। 2100 भारत की फर्टिलिटी रेट में 68% तक घट जाएगा। 138 करोड़ आबादी वाले देश भारत में 2100 तक 28% लोग कम हो जाएंगे। सबसे ज्यादा आबादी वाले देशों में शामिल रूस, जापान, ब्राजील 2100 तक टॉप टेन से बाहर हो जाएंगे 21 करोड़ आबादी वाला देश ब्राजील आबादी के लिहाज से इस वक्त दुनिया का 6वां सबसे बड़ा देश है। 2100 में इसकी आबादी घटकर 16.5 करोड़ रह जाएगी। जापान की आबादी 80 साल में आधी से कम हो 6 करोड़ हो जाएगी और वो दुनिया में 38वें नंबर पर आ जाएगा। 2017 के बाद से रूस और जापान की आबादी लगातार घट रही है। पाकिस्तान को छोड़कर दक्षिण एशिया के हर देश की आबादी घटेगी 2100 में पाकिस्तान को छोड़कर दक्षिण एशिया के सभी देशों की आबादी आज के मुकाबले कम होगी। भारत की आबादी आज के मुकाबले करीब 21% कम होगी तो बांग्‍लादेश में आज के मुकाबले आधे लोग रह जाएंगे। वहीं, पाकिस्तान की आबादी 80 साल बाद 16% बढ़ेगी। हालांकि, वहां पीक 2062 में आएगा। जब वहां आज के मुकाबले करीब 47% ज्यादा आबादी होगी। 2100 तक चीन की आबादी लगभग आधी हो जाएगी। भारत की आबादी 32% घटेगी। बांग्लादेश की आबादी भी करीब आधी हो जाएगी। जबकि इंडोनेशिया आबादी मामूली घटेगी। तो पाकिस्तान की बढ़ेगी। इसके बाद भी बांग्लादेश को छोड़कर, एशिया के इन पांच देशों में से चार देश विश्व के सबसे ज्यादा आबादी वाले दस देशों में अभी की तरह बने रहेंगे। पाकिस्तान इंडोनेशिया से ऊपर चला जाएगा, लेकिन एशिया के सबसे ज्यादा आबादी वाले पांच देशों की लिस्ट में कोई बदलाव नहीं होगा। 2017 में दुनिया के सबसे ज्यादा आबादी वाले 10 देशों में से चार देश जापान, रूस, बांग्लादेश, और ब्राजील 2100 में टॉप 10 से बाहर हो जाएंगे। 2100 में इनकी जगह, तंजानिया, मिस्र, इथोपिया और कांगो दुनिया के सबसे ज्यादा आबादी वाले दस देशों में होंगे। अभी कांगो की आबादी 8 करोड़ 80 लाख है। वो आबादी के लिहाज से 18वें नंबर पर है। इथोपिया की आबादी अभी 10 करोड़ 2 लाख है जो दुनिया में 13 वें नंबर पर है,मिस्र की आबादी अभी 9 करोड़ 60 लाख है जो कि दुनिया में 14वें नंबर पर है और तंजानिया की आबादी 5 करोड़ 30 लाख है जो दुनिया में 24वें नंबर पर है। मिस्र को छोड़कर बाकी तीन देश अफ्रीका से हैं। वर्किंग एज पॉपुलेशन मतलब 20-64 साल के उम्र के लोगों की आबादी। 2100 में भारत वर्किंग एज पॉपुलेशन में भी दुनिया में नंबर एक पर होगा। चीन की वर्किंग एज पॉपुलेशन करीब 70% घटेगी लेकिन चीन की जनसंख्या ज्यादा होने के कारण, वह 2100 में भी दुनिया में दूसरे नंबर पर बना रहेगा। नोट- 2017 में चाइल्ड एज पॉपुलेशन और वर्किंग एज पॉपुलेशन को वर्ल्ड बैंक के मुताबिक है। जो 0-14 और 15-64 होती है। लैंटस की रिपोर्ट में इसे 0-19 और 20-65 लिया गया है। 2017 की तुलना में 2100 के प्रोजेक्शन के अंतर में थोड़ा बदलाव हो सकता है। पहले भी रिसर्च में देखा गया है कि हर शताब्दी में, हर देश के सामने दो बार उतार-चढ़ाव आते हैं। एक बार आबादी घटती है जबकि एक ही शताब्दी में दूसरी बार आबादी बढ़ती है। जिस साल में सबसे ज्यादा होती है उसे पीक ईयर पॉपुलेशन कहा जाता है। चीन में सबसे ज्यादा आबादी अभी के दशक में बढ़ रही है। जापान में पीक ईयर 2017 में था, स्पेन और थाईलैंड भी पीक ईयर क्रॉस कर चुके हैं। अब इस प्वाइंट से आबादी घटेगी। ग्लोबल लाइफ एक्सपेक्टेंसी 70-80 साल की होती है, इसीलिए आने वाले 50 साल से 80 साल तक इन सभी देशों में नेचुरल डेथ रेट पीक पर होगा और 2100 तक आबादी आधी हो जाएगी आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें World (India) Population Projections 2100 Update | What Will Be World and India Population Be In 2100? Everything Thing You Need To Know In Latest Research https://ift.tt/39Iam0U Dainik Bhaskar 2100 तक भारत में लोगों की संख्या घटकर 109 करोड़ रह जाएगी, सबसे अधिक आबादी वाले चीन में 80 साल बाद जनसंख्या आधी हो जाएगी 

हाल ही में जारी की गई लैंसेट की रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया की आबादी 2064 में पीक पर होगी। इसके बाद ये घटने लगेगी। इससे पहले यूएन ने 2100 में इसके पीक पर पहुंचने का अनुमान लगाया था। रिपोर्ट के मुताबिक 2064 में दुनिया की आबादी 973 करोड़ हो जाएगी। 2100 तक ये घटकर 879 रह जाएगी। भारत दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाला देश होगा। लेकिन, उसकी आबादी 2048 के बाद घटने लगेगी।

इस ग्लोबल पॉपुलेशन प्रोजेक्शन रिपोर्ट में आने वाले 80 सालों में दुनिया की आबादी के बारे में कई तरह के फैक्ट्स हैं। जैसे- आने वाले 80 साल बाद भारत और दुनिया के अन्य देशों की आबादी कितनी होगी। कब तक बढ़ेगी और कब से घटेगी? किन देशों की आबादी तेजी से घटेगी? कौन से देश ऐसे हैं जिनकी आबादी आज की आबादी से आधी रह जाएगी?

ग्लोबल फर्टीलिटी रेट 2100 तक घटकर 1.66 हो जाएगा। भारत समेत दुनिया के उन देशों में फर्टिलिटी रेट 70% तक कम होगा जिनकी आबादी ज्यादा है। 2100 भारत की फर्टिलिटी रेट में 68% तक घट जाएगा। 138 करोड़ आबादी वाले देश भारत में 2100 तक 28% लोग कम हो जाएंगे।

सबसे ज्यादा आबादी वाले देशों में शामिल रूस, जापान, ब्राजील 2100 तक टॉप टेन से बाहर हो जाएंगे

21 करोड़ आबादी वाला देश ब्राजील आबादी के लिहाज से इस वक्त दुनिया का 6वां सबसे बड़ा देश है। 2100 में इसकी आबादी घटकर 16.5 करोड़ रह जाएगी। जापान की आबादी 80 साल में आधी से कम हो 6 करोड़ हो जाएगी और वो दुनिया में 38वें नंबर पर आ जाएगा। 2017 के बाद से रूस और जापान की आबादी लगातार घट रही है।

पाकिस्तान को छोड़कर दक्षिण एशिया के हर देश की आबादी घटेगी

2100 में पाकिस्तान को छोड़कर दक्षिण एशिया के सभी देशों की आबादी आज के मुकाबले कम होगी। भारत की आबादी आज के मुकाबले करीब 21% कम होगी तो बांग्‍लादेश में आज के मुकाबले आधे लोग रह जाएंगे। वहीं, पाकिस्तान की आबादी 80 साल बाद 16% बढ़ेगी। हालांकि, वहां पीक 2062 में आएगा। जब वहां आज के मुकाबले करीब 47% ज्यादा आबादी होगी।

2100 तक चीन की आबादी लगभग आधी हो जाएगी। भारत की आबादी 32% घटेगी। बांग्लादेश की आबादी भी करीब आधी हो जाएगी। जबकि इंडोनेशिया आबादी मामूली घटेगी। तो पाकिस्तान की बढ़ेगी। इसके बाद भी बांग्लादेश को छोड़कर, एशिया के इन पांच देशों में से चार देश विश्व के सबसे ज्यादा आबादी वाले दस देशों में अभी की तरह बने रहेंगे। पाकिस्तान इंडोनेशिया से ऊपर चला जाएगा, लेकिन एशिया के सबसे ज्यादा आबादी वाले पांच देशों की लिस्ट में कोई बदलाव नहीं होगा।

2017 में दुनिया के सबसे ज्यादा आबादी वाले 10 देशों में से चार देश जापान, रूस, बांग्लादेश, और ब्राजील 2100 में टॉप 10 से बाहर हो जाएंगे। 2100 में इनकी जगह, तंजानिया, मिस्र, इथोपिया और कांगो दुनिया के सबसे ज्यादा आबादी वाले दस देशों में होंगे। अभी कांगो की आबादी 8 करोड़ 80 लाख है। वो आबादी के लिहाज से 18वें नंबर पर है।

इथोपिया की आबादी अभी 10 करोड़ 2 लाख है जो दुनिया में 13 वें नंबर पर है,मिस्र की आबादी अभी 9 करोड़ 60 लाख है जो कि दुनिया में 14वें नंबर पर है और तंजानिया की आबादी 5 करोड़ 30 लाख है जो दुनिया में 24वें नंबर पर है। मिस्र को छोड़कर बाकी तीन देश अफ्रीका से हैं।

वर्किंग एज पॉपुलेशन मतलब 20-64 साल के उम्र के लोगों की आबादी। 2100 में भारत वर्किंग एज पॉपुलेशन में भी दुनिया में नंबर एक पर होगा। चीन की वर्किंग एज पॉपुलेशन करीब 70% घटेगी लेकिन चीन की जनसंख्या ज्यादा होने के कारण, वह 2100 में भी दुनिया में दूसरे नंबर पर बना रहेगा।

नोट- 2017 में चाइल्ड एज पॉपुलेशन और वर्किंग एज पॉपुलेशन को वर्ल्ड बैंक के मुताबिक है। जो 0-14 और 15-64 होती है। लैंटस की रिपोर्ट में इसे 0-19 और 20-65 लिया गया है। 2017 की तुलना में 2100 के प्रोजेक्शन के अंतर में थोड़ा बदलाव हो सकता है।

पहले भी रिसर्च में देखा गया है कि हर शताब्दी में, हर देश के सामने दो बार उतार-चढ़ाव आते हैं। एक बार आबादी घटती है जबकि एक ही शताब्दी में दूसरी बार आबादी बढ़ती है। जिस साल में सबसे ज्यादा होती है उसे पीक ईयर पॉपुलेशन कहा जाता है। चीन में सबसे ज्यादा आबादी अभी के दशक में बढ़ रही है।

जापान में पीक ईयर 2017 में था, स्पेन और थाईलैंड भी पीक ईयर क्रॉस कर चुके हैं। अब इस प्वाइंट से आबादी घटेगी। ग्लोबल लाइफ एक्सपेक्टेंसी 70-80 साल की होती है, इसीलिए आने वाले 50 साल से 80 साल तक इन सभी देशों में नेचुरल डेथ रेट पीक पर होगा और 2100 तक आबादी आधी हो जाएगी

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World (India) Population Projections 2100 Update | What Will Be World and India Population Be In 2100? Everything Thing You Need To Know In Latest Research

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