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फ्रांस से 7 हजार किलोमीटर की दूरी तय करके आज 5 राफेल पहली बार भारत की सरजमीं को चूमेंगे। हमारी सरहदों के ये रखवाले अंबाला एयरबेस पर उतरेंगे। इन 5 लड़ाकू विमानों से भारतीय वायुसेना को वो ताकत मिलेगी कि दुश्मन नजर उठाने के बारे में सोच भी नहीं सकेगा। एटम बॉम्ब ले जाने की ताकत रखने वाला ये विमान दुनिया में अकेला ऐसा फाइटर एयरक्राफ्ट है, जो 55 हजार फीट की ऊंचाई से भी दुश्मन को तबाह करने की ताकत रखता है। सबसे अहम बात यह है कि ये काबिलियत हमारे पड़ोसियों पाकिस्तान और चीन दोनों की ही सेना के पास नहीं है। जो कहने को तो पड़ोसी हैं... पर नीयत हमेशा दुश्मनों जैसी रखते हैं। दोपहर तक पहुंचने की संभावना राफेल के दोपहर तक एयरबेस पहुंचने की संभावना है। 5 विमानाें की बैच में सबसे पहले विमान काे वायुसेना की 17वीं गोल्डन एरो स्क्वॉड्रन के कमांडिंग ऑफिसर और शौर्य चक्र विजेता ग्रुप कैप्टन हरकीरत सिंह लैंड करवाएंगे। पीछे-पीछे 4 अन्य राफेल लैंड करेंगे। अगवानी के लिए वायुसेना प्रमुख आरकेएस भदाैरिया समेत वेस्टर्न एयर कमांड के कई अधिकारी भी अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पर मौजूद रहेंगे। इस मौके पर राफेल को लाने वाले पायलटों के परिवार भी मौजूद रहेंगे। लैंडिंग के बाद राफेल काे ‘वॉटर सैल्यूट’ दिया जाएगा। फिर पांचों राफेल एक कतार में खड़े किए जाएंगे। इसके बाद सैन्य सेरेमनी होगी। लैंडिंग के दाैरान एयरफाेर्स स्टेशन के आसपास धारा 144 लागू रहेगी। 3 किलोमीटर तक ड्रोन कैमरे के इस्तेमाल पर भी राेक रहेगी। पहला राफेल लाने वाले हरकीरत के हौसले की कहानी सैन्य तबके में ग्रुप कैप्टन हरकीरत सिंह किसी परिचय के माेहताज नहीं। विषम परिस्थितियों में खराब इंजन के बावजूद जान जोखिम में डालकर विमान को सुरक्षित लैंड कराने के लिए उन्हें शौर्य चक्र से नवाजा गया था। घटना 23 सितंबर 2008 की है। तब वे स्क्वाड्रन लीडर थे। राजस्थान के एक एयरबेस से मिग-21 बाइसन में रात्रि अभ्यास उड़ान पर थे। 4 किमी की ऊंचाई पर उन्हें इंजन से 3 धमाके सुनाई दिए। इंजन बंद होते ही कॉकपिट में अंधेरा छा गया। हरकीरत ने इमरजेंसी लाइट जलाई और किसी तरह आग पर काबू पाया। बिना देर किए इंजन को स्टार्ट करने की कोशिश की। इंजन चालू कर उन्होंने ग्राउंड कंट्रोल की मदद से नेविगेशन सिस्टम के जरिये रात में लैंडिंग की, जिसके लिए उच्च कौशल की जरूरत होती है। हरकीरत चाहते ताे कूद भी सकते थे, लेकिन उन्होंने मिग को भी सुरक्षित लैंड करवाया। हरकीरत के पिता निर्मल सिंह ले. कर्नल रहे हैं। उनकी पत्नी अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पर ही विंग कमांडर हैं और ग्राउंड ड्यूटी पर तैनात हैं। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें फ्रांस से यूएई के बीच रफाल में हवा में ही ईंधन भरा गया। यूएई से भारत आने तक भी दो बार हवा में ईंधन भरा जाएगा। https://ift.tt/30YoXBo Dainik Bhaskar पहले रफाल की लैंडिंग कराएंगे ग्रुप कैप्टन हरकीरत, 12 साल पहले हवा में धमाके से इंजन बंद होने के बाद रात में मिग को लैंड करवाया था

फ्रांस से 7 हजार किलोमीटर की दूरी तय करके आज 5 राफेल पहली बार भारत की सरजमीं को चूमेंगे। हमारी सरहदों के ये रखवाले अंबाला एयरबेस पर उतरेंगे। इन 5 लड़ाकू विमानों से भारतीय वायुसेना को वो ताकत मिलेगी कि दुश्मन नजर उठाने के बारे में सोच भी नहीं सकेगा। एटम बॉम्ब ले जाने की ताकत रखने वाला ये विमान दुनिया में अकेला ऐसा फाइटर एयरक्राफ्ट है, जो 55 हजार फीट की ऊंचाई से भी दुश्मन को तबाह करने की ताकत रखता है। सबसे अहम बात यह है कि ये काबिलियत हमारे पड़ोसियों पाकिस्तान और चीन दोनों की ही सेना के पास नहीं है। जो कहने को तो पड़ोसी हैं... पर नीयत हमेशा दुश्मनों जैसी रखते हैं।

दोपहर तक पहुंचने की संभावना

राफेल के दोपहर तक एयरबेस पहुंचने की संभावना है। 5 विमानाें की बैच में सबसे पहले विमान काे वायुसेना की 17वीं गोल्डन एरो स्क्वॉड्रन के कमांडिंग ऑफिसर और शौर्य चक्र विजेता ग्रुप कैप्टन हरकीरत सिंह लैंड करवाएंगे। पीछे-पीछे 4 अन्य राफेल लैंड करेंगे। अगवानी के लिए वायुसेना प्रमुख आरकेएस भदाैरिया समेत वेस्टर्न एयर कमांड के कई अधिकारी भी अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पर मौजूद रहेंगे।

इस मौके पर राफेल को लाने वाले पायलटों के परिवार भी मौजूद रहेंगे। लैंडिंग के बाद राफेल काे ‘वॉटर सैल्यूट’ दिया जाएगा। फिर पांचों राफेल एक कतार में खड़े किए जाएंगे। इसके बाद सैन्य सेरेमनी होगी। लैंडिंग के दाैरान एयरफाेर्स स्टेशन के आसपास धारा 144 लागू रहेगी। 3 किलोमीटर तक ड्रोन कैमरे के इस्तेमाल पर भी राेक रहेगी।

पहला राफेल लाने वाले हरकीरत के हौसले की कहानी

सैन्य तबके में ग्रुप कैप्टन हरकीरत सिंह किसी परिचय के माेहताज नहीं। विषम परिस्थितियों में खराब इंजन के बावजूद जान जोखिम में डालकर विमान को सुरक्षित लैंड कराने के लिए उन्हें शौर्य चक्र से नवाजा गया था।

घटना 23 सितंबर 2008 की है। तब वे स्क्वाड्रन लीडर थे। राजस्थान के एक एयरबेस से मिग-21 बाइसन में रात्रि अभ्यास उड़ान पर थे। 4 किमी की ऊंचाई पर उन्हें इंजन से 3 धमाके सुनाई दिए। इंजन बंद होते ही कॉकपिट में अंधेरा छा गया। हरकीरत ने इमरजेंसी लाइट जलाई और किसी तरह आग पर काबू पाया। बिना देर किए इंजन को स्टार्ट करने की कोशिश की।

इंजन चालू कर उन्होंने ग्राउंड कंट्रोल की मदद से नेविगेशन सिस्टम के जरिये रात में लैंडिंग की, जिसके लिए उच्च कौशल की जरूरत होती है। हरकीरत चाहते ताे कूद भी सकते थे, लेकिन उन्होंने मिग को भी सुरक्षित लैंड करवाया। हरकीरत के पिता निर्मल सिंह ले. कर्नल रहे हैं। उनकी पत्नी अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पर ही विंग कमांडर हैं और ग्राउंड ड्यूटी पर तैनात हैं।



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फ्रांस से यूएई के बीच रफाल में हवा में ही ईंधन भरा गया। यूएई से भारत आने तक भी दो बार हवा में ईंधन भरा जाएगा।


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फ्रांस से 7 हजार किलोमीटर की दूरी तय करके आज 5 राफेल पहली बार भारत की सरजमीं को चूमेंगे। हमारी सरहदों के ये रखवाले अंबाला एयरबेस पर उतरेंगे। इन 5 लड़ाकू विमानों से भारतीय वायुसेना को वो ताकत मिलेगी कि दुश्मन नजर उठाने के बारे में सोच भी नहीं सकेगा। एटम बॉम्ब ले जाने की ताकत रखने वाला ये विमान दुनिया में अकेला ऐसा फाइटर एयरक्राफ्ट है, जो 55 हजार फीट की ऊंचाई से भी दुश्मन को तबाह करने की ताकत रखता है। सबसे अहम बात यह है कि ये काबिलियत हमारे पड़ोसियों पाकिस्तान और चीन दोनों की ही सेना के पास नहीं है। जो कहने को तो पड़ोसी हैं... पर नीयत हमेशा दुश्मनों जैसी रखते हैं। दोपहर तक पहुंचने की संभावना राफेल के दोपहर तक एयरबेस पहुंचने की संभावना है। 5 विमानाें की बैच में सबसे पहले विमान काे वायुसेना की 17वीं गोल्डन एरो स्क्वॉड्रन के कमांडिंग ऑफिसर और शौर्य चक्र विजेता ग्रुप कैप्टन हरकीरत सिंह लैंड करवाएंगे। पीछे-पीछे 4 अन्य राफेल लैंड करेंगे। अगवानी के लिए वायुसेना प्रमुख आरकेएस भदाैरिया समेत वेस्टर्न एयर कमांड के कई अधिकारी भी अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पर मौजूद रहेंगे। इस मौके पर राफेल को लाने वाले पायलटों के परिवार भी मौजूद रहेंगे। लैंडिंग के बाद राफेल काे ‘वॉटर सैल्यूट’ दिया जाएगा। फिर पांचों राफेल एक कतार में खड़े किए जाएंगे। इसके बाद सैन्य सेरेमनी होगी। लैंडिंग के दाैरान एयरफाेर्स स्टेशन के आसपास धारा 144 लागू रहेगी। 3 किलोमीटर तक ड्रोन कैमरे के इस्तेमाल पर भी राेक रहेगी। पहला राफेल लाने वाले हरकीरत के हौसले की कहानी सैन्य तबके में ग्रुप कैप्टन हरकीरत सिंह किसी परिचय के माेहताज नहीं। विषम परिस्थितियों में खराब इंजन के बावजूद जान जोखिम में डालकर विमान को सुरक्षित लैंड कराने के लिए उन्हें शौर्य चक्र से नवाजा गया था। घटना 23 सितंबर 2008 की है। तब वे स्क्वाड्रन लीडर थे। राजस्थान के एक एयरबेस से मिग-21 बाइसन में रात्रि अभ्यास उड़ान पर थे। 4 किमी की ऊंचाई पर उन्हें इंजन से 3 धमाके सुनाई दिए। इंजन बंद होते ही कॉकपिट में अंधेरा छा गया। हरकीरत ने इमरजेंसी लाइट जलाई और किसी तरह आग पर काबू पाया। बिना देर किए इंजन को स्टार्ट करने की कोशिश की। इंजन चालू कर उन्होंने ग्राउंड कंट्रोल की मदद से नेविगेशन सिस्टम के जरिये रात में लैंडिंग की, जिसके लिए उच्च कौशल की जरूरत होती है। हरकीरत चाहते ताे कूद भी सकते थे, लेकिन उन्होंने मिग को भी सुरक्षित लैंड करवाया। हरकीरत के पिता निर्मल सिंह ले. कर्नल रहे हैं। उनकी पत्नी अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पर ही विंग कमांडर हैं और ग्राउंड ड्यूटी पर तैनात हैं। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें फ्रांस से यूएई के बीच रफाल में हवा में ही ईंधन भरा गया। यूएई से भारत आने तक भी दो बार हवा में ईंधन भरा जाएगा। https://ift.tt/30YoXBo Dainik Bhaskar पहले रफाल की लैंडिंग कराएंगे ग्रुप कैप्टन हरकीरत, 12 साल पहले हवा में धमाके से इंजन बंद होने के बाद रात में मिग को लैंड करवाया था 

फ्रांस से 7 हजार किलोमीटर की दूरी तय करके आज 5 राफेल पहली बार भारत की सरजमीं को चूमेंगे। हमारी सरहदों के ये रखवाले अंबाला एयरबेस पर उतरेंगे। इन 5 लड़ाकू विमानों से भारतीय वायुसेना को वो ताकत मिलेगी कि दुश्मन नजर उठाने के बारे में सोच भी नहीं सकेगा। एटम बॉम्ब ले जाने की ताकत रखने वाला ये विमान दुनिया में अकेला ऐसा फाइटर एयरक्राफ्ट है, जो 55 हजार फीट की ऊंचाई से भी दुश्मन को तबाह करने की ताकत रखता है। सबसे अहम बात यह है कि ये काबिलियत हमारे पड़ोसियों पाकिस्तान और चीन दोनों की ही सेना के पास नहीं है। जो कहने को तो पड़ोसी हैं... पर नीयत हमेशा दुश्मनों जैसी रखते हैं।

दोपहर तक पहुंचने की संभावना

राफेल के दोपहर तक एयरबेस पहुंचने की संभावना है। 5 विमानाें की बैच में सबसे पहले विमान काे वायुसेना की 17वीं गोल्डन एरो स्क्वॉड्रन के कमांडिंग ऑफिसर और शौर्य चक्र विजेता ग्रुप कैप्टन हरकीरत सिंह लैंड करवाएंगे। पीछे-पीछे 4 अन्य राफेल लैंड करेंगे। अगवानी के लिए वायुसेना प्रमुख आरकेएस भदाैरिया समेत वेस्टर्न एयर कमांड के कई अधिकारी भी अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पर मौजूद रहेंगे।

इस मौके पर राफेल को लाने वाले पायलटों के परिवार भी मौजूद रहेंगे। लैंडिंग के बाद राफेल काे ‘वॉटर सैल्यूट’ दिया जाएगा। फिर पांचों राफेल एक कतार में खड़े किए जाएंगे। इसके बाद सैन्य सेरेमनी होगी। लैंडिंग के दाैरान एयरफाेर्स स्टेशन के आसपास धारा 144 लागू रहेगी। 3 किलोमीटर तक ड्रोन कैमरे के इस्तेमाल पर भी राेक रहेगी।

पहला राफेल लाने वाले हरकीरत के हौसले की कहानी

सैन्य तबके में ग्रुप कैप्टन हरकीरत सिंह किसी परिचय के माेहताज नहीं। विषम परिस्थितियों में खराब इंजन के बावजूद जान जोखिम में डालकर विमान को सुरक्षित लैंड कराने के लिए उन्हें शौर्य चक्र से नवाजा गया था।

घटना 23 सितंबर 2008 की है। तब वे स्क्वाड्रन लीडर थे। राजस्थान के एक एयरबेस से मिग-21 बाइसन में रात्रि अभ्यास उड़ान पर थे। 4 किमी की ऊंचाई पर उन्हें इंजन से 3 धमाके सुनाई दिए। इंजन बंद होते ही कॉकपिट में अंधेरा छा गया। हरकीरत ने इमरजेंसी लाइट जलाई और किसी तरह आग पर काबू पाया। बिना देर किए इंजन को स्टार्ट करने की कोशिश की।

इंजन चालू कर उन्होंने ग्राउंड कंट्रोल की मदद से नेविगेशन सिस्टम के जरिये रात में लैंडिंग की, जिसके लिए उच्च कौशल की जरूरत होती है। हरकीरत चाहते ताे कूद भी सकते थे, लेकिन उन्होंने मिग को भी सुरक्षित लैंड करवाया। हरकीरत के पिता निर्मल सिंह ले. कर्नल रहे हैं। उनकी पत्नी अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पर ही विंग कमांडर हैं और ग्राउंड ड्यूटी पर तैनात हैं।

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फ्रांस से यूएई के बीच रफाल में हवा में ही ईंधन भरा गया। यूएई से भारत आने तक भी दो बार हवा में ईंधन भरा जाएगा।

https://ift.tt/30YoXBo Dainik Bhaskar पहले रफाल की लैंडिंग कराएंगे ग्रुप कैप्टन हरकीरत, 12 साल पहले हवा में धमाके से इंजन बंद होने के बाद रात में मिग को लैंड करवाया था Reviewed by Manish Pethev on July 29, 2020 Rating: 5

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