पूर्व भारतीय क्रिकेटर इरफान पठान ने कहा कि जीत के मामले में कोई भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की बराबरी नहीं कर सकता। लेकिन गौतम गंभीर को अधिक मौके मिलते तो वे भी एक बेहतरीन कप्तान साबित होते। टीम की ओर से 173 इंटरनेशनल मुकाबले खेलने वाले ऑलराउंडर पठान का करिअर काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा। पर वे इसके लिए किसी अन्य को दोषी नहीं मानते हैं। वे भविष्य में विदेशी लीग में खेलते दिख सकते हैं। उनसे बातचीत के मुख्य अंश: आप आईपीएल के दौरान कमेंट्री करेंगे। लेकिन क्या आपको लगता है कि आप फिर से क्रिकेट में वापस आ सकते हैं? खासकर किसी विदेशी लीग में? रिटायर होने से ठीक पहले मुझे क्रिकेट में मजा नहीं आ रहा था। लेकिन, हाल ही में मैंने जब मुंबई में रोड सेफ्टी टूर्नामेंट खेला तो मुझे पहले जैसा मजा आया। सीधे तौर पर तो मैं आपको कुछ नहीं कह सकता लेकिन हां, भविष्य में कुछ भी हो सकता है। बतौर ऑलराउंडर आपके आंकड़े कपिल देव के बाद सबसे अच्छे हैं। आपको नहीं लगता है किसी युवा की तुलना कपिल से होने से पहले उसे उस स्तर तक पहुंंचना जरूरी है? हकीकत में ऐसा कौन सोचता है। मैं क्रिकेट अपनी मर्जी से खेला। मेरे पास कोई पीआर करने वाला नहीं था। कोई गॉडफादर नहीं था। बहुत सारे बड़े लोग जो माइक लेकर बैठते हैं, वो मेरे बारे में बातें नहीं करते हैं। लेकिन उससे क्या फर्क पड़ता है। महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी की आप बहुत तारीफ करते नहीं दिखते हैं, ऐसा क्यों? लोग राहुल द्रविड़ की कप्तानी की तारीफ करते हैं, जिनकी कप्तानी में लक्ष्य का पीछा करते हुए टीम ने 16 मैच लगातार जीते। जहां तक धोनी की बात है, नतीजे और जीत हासिल करने के मामले में उनका कोई जोड़ नहीं है। मुझे धोनी के अलावा दादा और कुंबले की कप्तानी बहुत पसंद है लेकिन एक शख्स, जिसको ज्यादा श्रेय नहीं मिला, वो है गौतम गंभीर। गंभीर को कप्तानी के मौके ज्यादा मिलने चाहिए थे। वो एक बेहतरीन कप्तान साबित होते। आप सोशल मीडिया में ट्रोलिंग को कैसे झेलते हैं? कुछ लोग तो हमेशा नकारात्मक पहलू ही देखते हैं। चाहे आप कुछ भी करें। आप दाएं जाएंगे, तो वो कहेंगे कि बाएं जाना चाहिए था, अगर बाएं जाते तो वो कहते कि दाएं जाना चाहिए था। ऐसे लोग आपके परिवार में भी मिल जाएंगे। इससे फर्क नहीं पड़ता है। मुझे लोगों की राय नहीं, कई बार उनकी भाषा से तकलीफ होती है क्योंकि मेरा भी परिवार है। आपने इंग्लैंड के ऑलराउंडर बेन स्टोक्स की खूब तारीफ की। भारत के पास भी तो ऑलराउंडर के रूप में हार्दिक पंड्या जैसा खिलाड़ी है। उनके बारे में आपकी क्या राय है? स्टोक्स इतने उम्दा खिलाड़ी इसलिए बने क्योंकि उन्होंने अपने देश को बहुत मैच जिताकर दिए हैं। मेरी इच्छा है टीम इंडिया को भी कोई वैसा मैच जिताने वाला ऑलराउंडर मिले। दुर्भाग्य की बात है कि पंड्या किसी भी फॉर्मेंट की रैंकिंग में टॉप-10 में भी नहीं हैं। नि:संदेह, उनके पास जबर्दस्त क्षमता है, लेकिन भारत को एक ऐसे ऑलराउंडर की जरूरत है, जो गेंद या बल्ले से मैच जिताकर दें। बस, उसी की कमी है मौजूदा टीम इंडिया में। क्या इरफान भविष्य में राजनीति में नजर आ सकते हैं? अगर मुझे भविष्य में ऐसा लगता है कि लोगों की सेवा के लिए आना है तो देखूंगा। लेकिन, अगर ऐसा करता हूं तो पूरे दिल से करूंगा। मुझे पैसा बनाने या फिर किसी और एजेंडे के लिए राजनीति में नहीं आना है। अब तक मैंने एक-एक पाई जो कमाई है, ईमानदारी की है। अगर मुझे लगता है कि लोगों के लिए कुछ अच्छा हो सकता है तो आऊंगा नहीं तो कभी नहीं। आलोचक कहते हैं कि ग्रेग चैपल ने आपको बर्बाद कर दिया? आपको लगता है कि कोई शख्स किसी को बर्बाद कर सकता है। मैं अपनी नाकामी और संघर्ष के लिए किसी और को दोषी नहीं बनाना चाहता हूं। मैं तो ऊपरवाले का शुक्रगुजार हूं कि मैंने भारत के लिए इतना लंबा खेला और मुझे ढेर सारा प्यार मिला। हां, ये अफसोस जरूर होता है कि मुझे उतना बैक सपोर्ट नहीं मिला, जिसका मैं हकदार था। जिस खिलाड़ी ने अपने आखिरी मैच में 5 विकेट लिए हों, उसे आप अगले मैच में फेल होने तक का मौका नहीं देते हो, ऐसा मेरे साथ ही हुआ। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें इरफान पठान का कहना है कि मैं अपनी नाकामी और संघर्ष के लिए किसी और को दोषी नहीं बनाना चाहता हूं। -फाइल फोटो https://ift.tt/3l4d6Lr Dainik Bhaskar इरफान ने कहा- धोनी की बराबरी कोई नहीं कर सकता, पर गंभीर को ज्यादा मौके मिलते तो वे बेहतरीन कप्तान साबित होते
पूर्व भारतीय क्रिकेटर इरफान पठान ने कहा कि जीत के मामले में कोई भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की बराबरी नहीं कर सकता। लेकिन गौतम गंभीर को अधिक मौके मिलते तो वे भी एक बेहतरीन कप्तान साबित होते। टीम की ओर से 173 इंटरनेशनल मुकाबले खेलने वाले ऑलराउंडर पठान का करिअर काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा। पर वे इसके लिए किसी अन्य को दोषी नहीं मानते हैं। वे भविष्य में विदेशी लीग में खेलते दिख सकते हैं। उनसे बातचीत के मुख्य अंश:
आप आईपीएल के दौरान कमेंट्री करेंगे। लेकिन क्या आपको लगता है कि आप फिर से क्रिकेट में वापस आ सकते हैं? खासकर किसी विदेशी लीग में?
रिटायर होने से ठीक पहले मुझे क्रिकेट में मजा नहीं आ रहा था। लेकिन, हाल ही में मैंने जब मुंबई में रोड सेफ्टी टूर्नामेंट खेला तो मुझे पहले जैसा मजा आया। सीधे तौर पर तो मैं आपको कुछ नहीं कह सकता लेकिन हां, भविष्य में कुछ भी हो सकता है।
बतौर ऑलराउंडर आपके आंकड़े कपिल देव के बाद सबसे अच्छे हैं। आपको नहीं लगता है किसी युवा की तुलना कपिल से होने से पहले उसे उस स्तर तक पहुंंचना जरूरी है?
हकीकत में ऐसा कौन सोचता है। मैं क्रिकेट अपनी मर्जी से खेला। मेरे पास कोई पीआर करने वाला नहीं था। कोई गॉडफादर नहीं था। बहुत सारे बड़े लोग जो माइक लेकर बैठते हैं, वो मेरे बारे में बातें नहीं करते हैं। लेकिन उससे क्या फर्क पड़ता है।
महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी की आप बहुत तारीफ करते नहीं दिखते हैं, ऐसा क्यों?
लोग राहुल द्रविड़ की कप्तानी की तारीफ करते हैं, जिनकी कप्तानी में लक्ष्य का पीछा करते हुए टीम ने 16 मैच लगातार जीते। जहां तक धोनी की बात है, नतीजे और जीत हासिल करने के मामले में उनका कोई जोड़ नहीं है। मुझे धोनी के अलावा दादा और कुंबले की कप्तानी बहुत पसंद है लेकिन एक शख्स, जिसको ज्यादा श्रेय नहीं मिला, वो है गौतम गंभीर। गंभीर को कप्तानी के मौके ज्यादा मिलने चाहिए थे। वो एक बेहतरीन कप्तान साबित होते।
आप सोशल मीडिया में ट्रोलिंग को कैसे झेलते हैं?
कुछ लोग तो हमेशा नकारात्मक पहलू ही देखते हैं। चाहे आप कुछ भी करें। आप दाएं जाएंगे, तो वो कहेंगे कि बाएं जाना चाहिए था, अगर बाएं जाते तो वो कहते कि दाएं जाना चाहिए था। ऐसे लोग आपके परिवार में भी मिल जाएंगे। इससे फर्क नहीं पड़ता है। मुझे लोगों की राय नहीं, कई बार उनकी भाषा से तकलीफ होती है क्योंकि मेरा भी परिवार है।
आपने इंग्लैंड के ऑलराउंडर बेन स्टोक्स की खूब तारीफ की। भारत के पास भी तो ऑलराउंडर के रूप में हार्दिक पंड्या जैसा खिलाड़ी है। उनके बारे में आपकी क्या राय है?
स्टोक्स इतने उम्दा खिलाड़ी इसलिए बने क्योंकि उन्होंने अपने देश को बहुत मैच जिताकर दिए हैं। मेरी इच्छा है टीम इंडिया को भी कोई वैसा मैच जिताने वाला ऑलराउंडर मिले। दुर्भाग्य की बात है कि पंड्या किसी भी फॉर्मेंट की रैंकिंग में टॉप-10 में भी नहीं हैं। नि:संदेह, उनके पास जबर्दस्त क्षमता है, लेकिन भारत को एक ऐसे ऑलराउंडर की जरूरत है, जो गेंद या बल्ले से मैच जिताकर दें। बस, उसी की कमी है मौजूदा टीम इंडिया में।
क्या इरफान भविष्य में राजनीति में नजर आ सकते हैं?
अगर मुझे भविष्य में ऐसा लगता है कि लोगों की सेवा के लिए आना है तो देखूंगा। लेकिन, अगर ऐसा करता हूं तो पूरे दिल से करूंगा। मुझे पैसा बनाने या फिर किसी और एजेंडे के लिए राजनीति में नहीं आना है। अब तक मैंने एक-एक पाई जो कमाई है, ईमानदारी की है। अगर मुझे लगता है कि लोगों के लिए कुछ अच्छा हो सकता है तो आऊंगा नहीं तो कभी नहीं।
आलोचक कहते हैं कि ग्रेग चैपल ने आपको बर्बाद कर दिया?
आपको लगता है कि कोई शख्स किसी को बर्बाद कर सकता है। मैं अपनी नाकामी और संघर्ष के लिए किसी और को दोषी नहीं बनाना चाहता हूं। मैं तो ऊपरवाले का शुक्रगुजार हूं कि मैंने भारत के लिए इतना लंबा खेला और मुझे ढेर सारा प्यार मिला। हां, ये अफसोस जरूर होता है कि मुझे उतना बैक सपोर्ट नहीं मिला, जिसका मैं हकदार था। जिस खिलाड़ी ने अपने आखिरी मैच में 5 विकेट लिए हों, उसे आप अगले मैच में फेल होने तक का मौका नहीं देते हो, ऐसा मेरे साथ ही हुआ।
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