यूपी के खाजपुर गांव के 20 वर्षीय आकाश सिंह ने दो साल में सैकड़ों कैदियों की जिंदगी बदली है। आकाश हर महीने दिल्ली -एनसीआर के 160 मंदिर और मजारों से करीब 8 हजार किलो राख और नारियल का कचरा जुटाते हैं और इनसे मूर्तियां तैयार करते हैं। इन मूर्तियों को जेल में बंद कैदी बनाते हैं। आकाश बताते हैं, ‘मैं जब छोटा था तब दोस्तों के साथ तालाब किनारे बैठता था। वहां मंदिर के पुजारी तालाब में राख डालते थे। इससे तालाब प्रदूषित होने लगा। कछुए और मछलियां मरने लगे। बाद में पढ़ाई के दौरान नदियों, तालाबों में कचरा डंपिंग की समस्या को समझा। यहीं से राख से मूर्तियां बनाने का आइडिया आया।’ आकाश सिंह राख को कॉन्क्रीट में बदला आकाश ने राख को कॉन्क्रीट में बदला। फिर नारियल के कचरे से राख बना सीमेंट एग्रीगेट के तौर पर कॉन्क्रीट में मिलाने का प्रयोग किया। 2018 में एनर्जिनी इनोवेशंस कंपनी बनाई। एक हजार रुपए से कच्चा माल खरीदा और मूर्तियां बनाईं, जो तुरंत बिक गईं। गौतमबुद्ध नगर की कासना जेल के अधीक्षक की मदद से कैदियों को जोड़ा। उन्हें प्रशिक्षण देकर मूर्तियां बनवाने लगे। इस राख से तैयार प्रोडक्ट कॉरपोरेट घरानों और गिफ्ट शॉप्स को बेचे जाते हैं। अब दो साल में कंपनी का टर्नओवर करोड़ों में है। इससे नदियों की सेहत के साथ कैदियों की जिंदगी भी निखर रही है। संजय एक साल पहले तक अपहरण, दुष्कर्म के आरोप में बंद थे। बचपन की दोस्त से शादी की तो उसके पिता ने उनपर यह केस लगवा दिया। जब उन्हें जेल में संजय के काम के बारे में पता चला तो केस वापस ले लिया। अाज संजय आकाश के साथ काम कर रहे हैं।’ आकाश की कहानी पर जल्द शॉर्ट फिल्म भी रिलीज होगी आकाश की कहानी पर एक शॉर्ट स्टोरी ओटीटी प्लेटफॉर्म पर 14 देशों में एक साथ रिलीज हुई है और जल्द ही भारत में रिलीज होने जा रही है। वह अब एमएसएमई मंत्रालय और नीति आयोग केे साथ भी कई प्रोजेक्ट कर रहे हैं। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें नोएडा के आकाश राख और नारियल का कचरा जुटाते हैं और इनसे मूर्तियां तैयार करते हैं। https://ift.tt/2EK4YPy Dainik Bhaskar मंदिर, मजारों से निकलने वाली राख से मूर्तियां बना रहे, दो साल में कैदियों की मदद से करोड़ों का बिजनेस खड़ा किया
यूपी के खाजपुर गांव के 20 वर्षीय आकाश सिंह ने दो साल में सैकड़ों कैदियों की जिंदगी बदली है। आकाश हर महीने दिल्ली -एनसीआर के 160 मंदिर और मजारों से करीब 8 हजार किलो राख और नारियल का कचरा जुटाते हैं और इनसे मूर्तियां तैयार करते हैं। इन मूर्तियों को जेल में बंद कैदी बनाते हैं।
आकाश बताते हैं, ‘मैं जब छोटा था तब दोस्तों के साथ तालाब किनारे बैठता था। वहां मंदिर के पुजारी तालाब में राख डालते थे। इससे तालाब प्रदूषित होने लगा। कछुए और मछलियां मरने लगे। बाद में पढ़ाई के दौरान नदियों, तालाबों में कचरा डंपिंग की समस्या को समझा। यहीं से राख से मूर्तियां बनाने का आइडिया आया।’
राख को कॉन्क्रीट में बदला
आकाश ने राख को कॉन्क्रीट में बदला। फिर नारियल के कचरे से राख बना सीमेंट एग्रीगेट के तौर पर कॉन्क्रीट में मिलाने का प्रयोग किया। 2018 में एनर्जिनी इनोवेशंस कंपनी बनाई। एक हजार रुपए से कच्चा माल खरीदा और मूर्तियां बनाईं, जो तुरंत बिक गईं।
गौतमबुद्ध नगर की कासना जेल के अधीक्षक की मदद से कैदियों को जोड़ा। उन्हें प्रशिक्षण देकर मूर्तियां बनवाने लगे। इस राख से तैयार प्रोडक्ट कॉरपोरेट घरानों और गिफ्ट शॉप्स को बेचे जाते हैं। अब दो साल में कंपनी का टर्नओवर करोड़ों में है।
इससे नदियों की सेहत के साथ कैदियों की जिंदगी भी निखर रही है। संजय एक साल पहले तक अपहरण, दुष्कर्म के आरोप में बंद थे। बचपन की दोस्त से शादी की तो उसके पिता ने उनपर यह केस लगवा दिया। जब उन्हें जेल में संजय के काम के बारे में पता चला तो केस वापस ले लिया। अाज संजय आकाश के साथ काम कर रहे हैं।’
आकाश की कहानी पर जल्द शॉर्ट फिल्म भी रिलीज होगी
आकाश की कहानी पर एक शॉर्ट स्टोरी ओटीटी प्लेटफॉर्म पर 14 देशों में एक साथ रिलीज हुई है और जल्द ही भारत में रिलीज होने जा रही है। वह अब एमएसएमई मंत्रालय और नीति आयोग केे साथ भी कई प्रोजेक्ट कर रहे हैं।
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