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गुजरात की पाटण तहसील के बोतरवाडा गांव में रहने वाले हरेश पटेल मैकेनिकल इंजीनियर हैं। वे फेब्रिकेशन का काम करते थे। डेढ़ साल पहले उन्होंने पशुपालन का काम शुरू किया। इससे वे हर साल 8 लाख रुपए की कमाई कर रहे हैं। वे अपने खेतों में गोबर और गोमूत्र का उपयोग कर रासायनिक खाद का खर्च भी बचाते हैं। इसके साथ ही वे अब गोबर से धूपबत्ती भी बना रहे हैं। गुजरात सरकार ने इस साल उन्हें श्रेष्ठ पशुपालक के पुरस्कार से सम्मानित किया है। 35 साल के हरेश पहले ने पिता और बड़े भाई की सलाह पर 4 गायों से गोशाला की शुरुआत की। धीरे-धीरे इनकी संख्या बढ़ाते गए और आज उनके पास 44 गायें हैं। अब उनका टारगेट 100 गायों का है। हरेश पटेल की गोशाला माधव गोशाला के नाम से पहचानी जाती है, जिसमें गिर नस्ल की ही देसी गाएं हैं। गायों के दूध से घी बनाते हैं, जिसकी मार्केट में कीमत 1700 रुपए किलो है। इसके अलावा गायों के मूत्र से अर्क और गोबर से ईकोफ्रेंडली धूपबत्ती (कई फ्लेवर में, गूगल, लोहबान आदि) बनाकर बेचते हैं। पशुपालन के साथ खेती भी हरेश पटेल के पास 30 बीघा जमीन है, जिसमें वे गाय आधारित ऑर्गेनिक खेती करते हैं। खेती में गो-मूत्र और गोबर का उपयोग करते हैं। इससे न सिर्फ रासायनिक खाद का खरीदने का खर्च ही बचता है, बल्कि इससे जमीन भी उर्वरा रहती है। खेतों में गोबर और गोमूत्र के अलावा कीटनाशक के रूप में छाछ का छिड़काव करते हैं। इतना ही नहीं, गायों के लिए घास-चारा भी खेतों में ही उगाते हैं। गिर जंगल की गायों के शुद्ध घी की गुजरात में काफी डिमांड है। पिछले साल उन्होंने 400 किलो घी तैयार कर बेचा, जिससे उन्हें करीब 8 लाख रुपए की कमाई हुई। बड़े शहरों में घी पहुंचाते हैं पशुपालन की शुरुआत के समय हरेश पटेल सालाना 12 हजार लीटर का उत्पादन करते थे। प्रति लीटर दूध की 70 रुपए कीमत मिलती थी। इसके बाद बचे दूध का घी बनाकर बेचते थे। जब वडोदरा-सूरत और मुंबई जैसे शहरों में घी की डिमांड बढ़ने लगी तो उन्होंने दूध बेचना छोड़कर उसका घी तैयार करना शुरू कर दिया। हरेश बताते हैं कि घी की मांग अब भी बढ़ती जा रही है और इसके चलत वे गिर नस्ल की गायों की संख्या बढ़ाने कोशिशों में लगे हुए हैं। 100 गायों के पालन का लक्ष्य हरेश गिर की कई नस्लों की गायों के संवर्धन के लिए प्रयत्नशील हैं। वे समय-समय पर अपनी गोशाला में गिर की गायों की ब्रीडिंग के लिए बीज दान भी करते हैं। राज्य सरकार से मिलने वाली सहायता राशि से गायों की खरीदी करते हैं। हरेश बताते हैं कि उनका लक्ष्य गिर की 100 गायों के संवर्धन का है। हरेश को इसी साल गुजरात सरकार द्वारा श्रेष्ठ पशुपालक के पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। दाहोद में आयोजित पुरस्कार वितरण समारोह में कैबिनेट मंत्री कुंवरजी बावलिया ने उन्हें अवॉर्ड के साथ 15000 रुपए की प्रोत्साहन राशि भी दी थी। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें गुजरात की पाटण तहसील के बोतरवाडा गांव में रहने वाले हरेश पटेल मैकेनिकल इंजीनियर हैं। https://ift.tt/2HtxTZt Dainik Bhaskar गुजरात के मैकेनिकल इंजीनियर ने 4 गायों से पशुपालन शुरू किया, अब हर साल 8 लाख का मुनाफा

गुजरात की पाटण तहसील के बोतरवाडा गांव में रहने वाले हरेश पटेल मैकेनिकल इंजीनियर हैं। वे फेब्रिकेशन का काम करते थे। डेढ़ साल पहले उन्होंने पशुपालन का काम शुरू किया। इससे वे हर साल 8 लाख रुपए की कमाई कर रहे हैं। वे अपने खेतों में गोबर और गोमूत्र का उपयोग कर रासायनिक खाद का खर्च भी बचाते हैं। इसके साथ ही वे अब गोबर से धूपबत्ती भी बना रहे हैं। गुजरात सरकार ने इस साल उन्हें श्रेष्ठ पशुपालक के पुरस्कार से सम्मानित किया है।

35 साल के हरेश पहले ने पिता और बड़े भाई की सलाह पर 4 गायों से गोशाला की शुरुआत की। धीरे-धीरे इनकी संख्या बढ़ाते गए और आज उनके पास 44 गायें हैं। अब उनका टारगेट 100 गायों का है। हरेश पटेल की गोशाला माधव गोशाला के नाम से पहचानी जाती है, जिसमें गिर नस्ल की ही देसी गाएं हैं। गायों के दूध से घी बनाते हैं, जिसकी मार्केट में कीमत 1700 रुपए किलो है। इसके अलावा गायों के मूत्र से अर्क और गोबर से ईकोफ्रेंडली धूपबत्ती (कई फ्लेवर में, गूगल, लोहबान आदि) बनाकर बेचते हैं।

पशुपालन के साथ खेती भी

हरेश पटेल के पास 30 बीघा जमीन है, जिसमें वे गाय आधारित ऑर्गेनिक खेती करते हैं। खेती में गो-मूत्र और गोबर का उपयोग करते हैं। इससे न सिर्फ रासायनिक खाद का खरीदने का खर्च ही बचता है, बल्कि इससे जमीन भी उर्वरा रहती है। खेतों में गोबर और गोमूत्र के अलावा कीटनाशक के रूप में छाछ का छिड़काव करते हैं। इतना ही नहीं, गायों के लिए घास-चारा भी खेतों में ही उगाते हैं। गिर जंगल की गायों के शुद्ध घी की गुजरात में काफी डिमांड है। पिछले साल उन्होंने 400 किलो घी तैयार कर बेचा, जिससे उन्हें करीब 8 लाख रुपए की कमाई हुई।

बड़े शहरों में घी पहुंचाते हैं
पशुपालन की शुरुआत के समय हरेश पटेल सालाना 12 हजार लीटर का उत्पादन करते थे। प्रति लीटर दूध की 70 रुपए कीमत मिलती थी। इसके बाद बचे दूध का घी बनाकर बेचते थे। जब वडोदरा-सूरत और मुंबई जैसे शहरों में घी की डिमांड बढ़ने लगी तो उन्होंने दूध बेचना छोड़कर उसका घी तैयार करना शुरू कर दिया। हरेश बताते हैं कि घी की मांग अब भी बढ़ती जा रही है और इसके चलत वे गिर नस्ल की गायों की संख्या बढ़ाने कोशिशों में लगे हुए हैं।

100 गायों के पालन का लक्ष्य
हरेश गिर की कई नस्लों की गायों के संवर्धन के लिए प्रयत्नशील हैं। वे समय-समय पर अपनी गोशाला में गिर की गायों की ब्रीडिंग के लिए बीज दान भी करते हैं। राज्य सरकार से मिलने वाली सहायता राशि से गायों की खरीदी करते हैं। हरेश बताते हैं कि उनका लक्ष्य गिर की 100 गायों के संवर्धन का है।

हरेश को इसी साल गुजरात सरकार द्वारा श्रेष्ठ पशुपालक के पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। दाहोद में आयोजित पुरस्कार वितरण समारोह में कैबिनेट मंत्री कुंवरजी बावलिया ने उन्हें अवॉर्ड के साथ 15000 रुपए की प्रोत्साहन राशि भी दी थी।



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गुजरात की पाटण तहसील के बोतरवाडा गांव में रहने वाले हरेश पटेल मैकेनिकल इंजीनियर हैं।


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गुजरात की पाटण तहसील के बोतरवाडा गांव में रहने वाले हरेश पटेल मैकेनिकल इंजीनियर हैं। वे फेब्रिकेशन का काम करते थे। डेढ़ साल पहले उन्होंने पशुपालन का काम शुरू किया। इससे वे हर साल 8 लाख रुपए की कमाई कर रहे हैं। वे अपने खेतों में गोबर और गोमूत्र का उपयोग कर रासायनिक खाद का खर्च भी बचाते हैं। इसके साथ ही वे अब गोबर से धूपबत्ती भी बना रहे हैं। गुजरात सरकार ने इस साल उन्हें श्रेष्ठ पशुपालक के पुरस्कार से सम्मानित किया है।

35 साल के हरेश पहले ने पिता और बड़े भाई की सलाह पर 4 गायों से गोशाला की शुरुआत की। धीरे-धीरे इनकी संख्या बढ़ाते गए और आज उनके पास 44 गायें हैं। अब उनका टारगेट 100 गायों का है। हरेश पटेल की गोशाला माधव गोशाला के नाम से पहचानी जाती है, जिसमें गिर नस्ल की ही देसी गाएं हैं। गायों के दूध से घी बनाते हैं, जिसकी मार्केट में कीमत 1700 रुपए किलो है। इसके अलावा गायों के मूत्र से अर्क और गोबर से ईकोफ्रेंडली धूपबत्ती (कई फ्लेवर में, गूगल, लोहबान आदि) बनाकर बेचते हैं।

पशुपालन के साथ खेती भी

हरेश पटेल के पास 30 बीघा जमीन है, जिसमें वे गाय आधारित ऑर्गेनिक खेती करते हैं। खेती में गो-मूत्र और गोबर का उपयोग करते हैं। इससे न सिर्फ रासायनिक खाद का खरीदने का खर्च ही बचता है, बल्कि इससे जमीन भी उर्वरा रहती है। खेतों में गोबर और गोमूत्र के अलावा कीटनाशक के रूप में छाछ का छिड़काव करते हैं। इतना ही नहीं, गायों के लिए घास-चारा भी खेतों में ही उगाते हैं। गिर जंगल की गायों के शुद्ध घी की गुजरात में काफी डिमांड है। पिछले साल उन्होंने 400 किलो घी तैयार कर बेचा, जिससे उन्हें करीब 8 लाख रुपए की कमाई हुई।

बड़े शहरों में घी पहुंचाते हैं
पशुपालन की शुरुआत के समय हरेश पटेल सालाना 12 हजार लीटर का उत्पादन करते थे। प्रति लीटर दूध की 70 रुपए कीमत मिलती थी। इसके बाद बचे दूध का घी बनाकर बेचते थे। जब वडोदरा-सूरत और मुंबई जैसे शहरों में घी की डिमांड बढ़ने लगी तो उन्होंने दूध बेचना छोड़कर उसका घी तैयार करना शुरू कर दिया। हरेश बताते हैं कि घी की मांग अब भी बढ़ती जा रही है और इसके चलत वे गिर नस्ल की गायों की संख्या बढ़ाने कोशिशों में लगे हुए हैं।

100 गायों के पालन का लक्ष्य
हरेश गिर की कई नस्लों की गायों के संवर्धन के लिए प्रयत्नशील हैं। वे समय-समय पर अपनी गोशाला में गिर की गायों की ब्रीडिंग के लिए बीज दान भी करते हैं। राज्य सरकार से मिलने वाली सहायता राशि से गायों की खरीदी करते हैं। हरेश बताते हैं कि उनका लक्ष्य गिर की 100 गायों के संवर्धन का है।

हरेश को इसी साल गुजरात सरकार द्वारा श्रेष्ठ पशुपालक के पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। दाहोद में आयोजित पुरस्कार वितरण समारोह में कैबिनेट मंत्री कुंवरजी बावलिया ने उन्हें अवॉर्ड के साथ 15000 रुपए की प्रोत्साहन राशि भी दी थी।

आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें

गुजरात की पाटण तहसील के बोतरवाडा गांव में रहने वाले हरेश पटेल मैकेनिकल इंजीनियर हैं।

https://ift.tt/2HtxTZt Dainik Bhaskar गुजरात के मैकेनिकल इंजीनियर ने 4 गायों से पशुपालन शुरू किया, अब हर साल 8 लाख का मुनाफा Reviewed by Manish Pethev on October 24, 2020 Rating: 5

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