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Farmers' protest march LIVE Updates: Security heightened at Delhi's borders with Faridabad, Gurguram
Farmers' protest march LIVE Updates: Security heightened at Delhi's borders with Faridabad, Gurguram
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Farmers' protest march LIVE Updates: Security heightened at Delhi's borders with Faridabad, Gurguram
Reviewed by Manish Pethev
on
November 26, 2020
Rating: 5
- Next 2008 Malegaon blast case trial likely to begin on day-to-day basis from December 1
- Previous चेन्नई एयरपोर्ट से बाहर निकला ही था कि टैक्सी वालों ने घेर लिया। "सब क्लोज्ड। नो बस। नो ट्रेन। तूफान कमिंग। किधर गोइंग? हम ले जाएगा।" घुटनों तक लपेटी हुई झकदार सफेद लुंगी और चेकदार शर्ट पहने एक साउथ इंडियन टैक्सी वाला मेरे पीछे पड़ गया। हिंदी, अंग्रेज़ी की खिचड़ी पकाकर वो लगातार तूफान की बातें किए जा रहा था। मुझे समझ नहीं आया कि वह मुझे तूफान का डर दिखा रहा है या अपने भीतर के डर को छिपाने की कोशिश कर रहा है। तूफान अभी भी बंगाल की खाड़ी में खासा पीछे करवटें ले रहा था। चेन्नई से करीब 400 किलोमीटर दूर। मगर उसका डर चेन्नई के सिर चढ़कर बोल रहा था। तूफान के चलते पूरे तमिलनाडु में एक लाख से अधिक लोगों को निकाला गया और पुडुचेरी में 1,000 से अधिक लोगों को निकाला गया। मैं अब तक अपनी पहले से बुक टैक्सी में सवार होकर महाबलीपुरम की ओर निकल पड़ा था। पिछले 24 घंटे से लगातार जारी बारिश से शहर पानी-पानी था। निवार साइक्लोन की आहट आसमान में थी पर उसका शोर मध्यम पर था। तूफान के चलते बुधवार के दिन स्कूल-ऑफिस की छुटि्टयां कर दी गई थीं। पूरे शहर में अजीब सी खामोशी थी। शायद जेहन में पलते हुए तूफान ने बंगाल की खाड़ी में पल रहे तूफान को मात दे दी थी महाबलीपुरम तक पहुंचते-पहुंचते हवाओं की रफ्तार खासी तेज हो चली थी। बारिश और हवा के बीच अब मुकाबले की स्थिति थी। सड़कों के किनारे लगे पेड़ों की कतारें इस मुकाबले से सहमी हुई नजर आ रही थीं। लड़ाई किसी की थी, उखड़ना किसी को था! अजीब नियति थी! मिथकों में वर्णित है कि महाबलीपुरम को असुरराज दानवीर महाबली ने बसाया था। दो पग में तीनों लोक नाप देने वाले भगवान विष्णु के वामन अवतार से उन्होंने तीसरा पग अपने सिर पर रखने की प्रार्थना की और अमर हो गए थे। भारी बारिश के बाद चेन्नई के आसपास के क्षेत्रों में गंभीर जल-जमाव हो गया है। इतिहास के साक्ष्य पल्लव वंश के संस्थापक नरसिंह वर्मन का उल्लेख करते हैं जिन्होंने इस ऐतिहासिक नगरी को मामल्लापुरम नाम दिया। इतिहास के ऐश्वर्य में डूबी इस नगरी के समुद्र तट में अजीब सा शोर था। इसकी लहरों में निवार तूफान का बल आ चुका था। वे लगभग चिंघाड़ती हुई समुद्र तट की परिधि तोड़ डालने को बेचैन दिखाई दीं। अचानक लहरों का एक तेज झोंका पैरों को छूता हुआ गुजरा। लौटते में पैर समुद्र की दिशा में खिंचने लगे। हवाएं भी लहरों की मदद में उतर आईं। मैं समुद्र के एकदम किनारे से निवार की विभीषिका के लाइव टेलीकास्ट में मशगूल था। पूरी ताकत लगाकर बाहर की ओर निकला। शायद ये निवार की चेतावनी थी। आगे की यात्रा में सावधान करने के लिए। महाबलीपुरम से पुडुचेरी के रास्ते में समुद्र हमारे साथ-साथ चल रहा था। समुद्र के किनारे बसे घर एकदम निर्जन नजर आ रहे थे। वहां के रहने वाले जान को जहान से ऊपर मानकर कहीं और चले गए थे। रास्ते में एनडीआरएफ की आवाजाही दिख रही थी। तमिलनाडु पुलिस और उसके रेस्क्यू ट्रूपर्स किसी भी अनहोनी से जूझने के लिए अलर्ट नजर आ रहे थे। हम अब तक तमिलनाडु-पुडुच्चेरी की सीमा पर बसे अरीयानकुप्पम तक पहुंच चुके थे। यह मछुआरों का गांव था। मौसम विभाग के अनुसार, तमिलनाडु के थंजावुरस तिरुवरूर, मइलादुतिरई, अरियालुर, पेरंबलूर, कल्लाकुर्ची, विल्लुरम, तिरुवन्नामलई जिलों के अलावा पुडुचेरी और कराईकल में भारी बारिश हुई। यहां के समुद्री तट पर मछुआरे अपनी नावें और फिशिंग नेट एक किनारे पर सहेजकर बैठे थे। वे सूनी नजरों से समुद्र को देख रहे थे। समुद्र उनका अन्नदाता था। उनके परिवार का पालनकर्ता था। वे समझ नही पा रहे थे कि आखिर उनका पालनकर्ता किस बात पर इतना नाराज है? उन्होंने बताया कि प्रशासन ने उन्हें पांच दिन पहले ही इस तूफान की चेतावनी दे दी थी। इसलिए कोई भी समुद्र में नही गया। उनका कोई भी अपना खतरे में नही है। यह बताते हुए असमंजस की सुनामी के बीच भी उनके चेहरे पर संतोष की लकीरें उभर आईं। हम अब तक पुडुचेरी में दाखिल हो चुके थे। यह महर्षि अरविंद की तपोस्थली रही है। इस तूफान की चोट के दायरे में तमिलनाडु के महाबलीपुरम उर्फ मामल्लापुरम से लेकर पुडुचेरी के कराईकल के तट थे। हमारा मकसद इस पूरे रूट का मुआयना करते हुए निवार की विभीषिका का अंदाजा लगाना था। पुडुचेरी के गांधी बीच या रॉक बीच पर बंगाल की खाड़ी की गर्जना बेहद तेज हो चली थी। यहां से भी हमें लाइव करना था। महाबलीपुरम की चेतावनी जहन में ताजा थी। इसलिए हम यहां लहरों से कुछ दूरी पर खड़े थे। तमिलनाडु के चेन्नई, वेल्लोर, कुडल्लोर, विलुप्पुरम, नागपट्टनम, तिरुवूर, चेंगलपट्टू और पेरम्बलोर सहित 13 जिलों में 26 नवंबर तक छुट्टी कर दी गई है। लहरों की फिर भी जगह तय है, लेकिन हवाओं का क्या? वे कब किसी की सुनती हैं! गांधी बीच लगभग सुनसान था। हमारे यहां खड़े होने को शायद इन तेज हवाओं ने प्रकृति की नाफरमानी सा समझा और सीधा हमारे छाते से उलझ गईं। छाता देखते ही देखते उल्टा हो चुका था। उसके भीतर की तीलियां बाहर को झांक रहीं थीं। मैने छाते को हवाओं की दिशा में धकेलना शुरू किया। विपरीत दिशा से आते दबाव ने उसे सीधा तो कर दिया मगर उसकी चूलें हिला दीं। तीलियों पर बंधा कपड़ा उधड़ चुका था। यह एक दिन के भीतर ही निवार की मुझे दूसरी बार चेतावनी थी। मैं अब कराईकल में हूं। यहां डर के बीच भी रोटी के सवाल कायम हैं। हमें जगह-जगह कुछ ऐसे लोग मिले जो तूफान के भीषण जोखिम के बीच भी रोजी-रोजगार की भट्ठी सुलगाकर बैठे थे। उनके होते हुए चाय से लेकर निवाले तक के इंतजाम होते रहे। उन्हें देखकर लगा कि वाकई मनुष्य की जिजीविषा का कोई जवाब नही। निवार कितना ही ताकतवर क्यों न हो, इस जिजीविषा से हार जाएगा। अभिषेक उपाध्याय, TV9 भारतवर्ष में एडिटर, स्पेशल प्रोजेक्ट के तौर पर कार्यरत हैं। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें चेन्नई में पिछले 24 घंटे से बारिश हो रही है। कई इलाकों में पानी भर गया है। ज्यादातर इलाके खाली करा लिए गए हैं। https://ift.tt/3l56NpO Dainik Bhaskar तूफान से भी अधिक डरावना था, तूफान का वो खौफ!