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https://ift.tt/3o0E87e कश्मीर में टूरिज्म धीरे धीरे पटरी पर लौट रहा है। जैसे जैसे सर्दी बढ़ रही है, वैसे ही यहां आने वाले सैलानियों की संख्या भी बढ़ रही है। पिछले हफ्ते ही यहां बर्फबारी शुरू हुई है और टूरिस्ट आने शुरू हो गए हैं। यह कश्मीर के लिए अच्छी खबर है। क्योंकि, टूरिज्म यहां की इकोनॉमी की बैकबोन है। चंडीगढ़ की रहने वाली शालिनी और उसके मंगेतर सोनू ने प्री-वेडिंग शूट के लिए कश्मीर का चुनाव किया। दोनों का मानना है कि इससे खूबसूरत जगह उनके लिए कोई और नहीं हो सकती। दोनों मंगलवार को डल झील पहुंचे और वहां पर फोटो शूट किया। शालिनी कहती हैं, 'मुझे कश्मीर का मौसम बेहद पसंद है। डल झील देखना मेरा ड्रीम था, जो पूरा हो गया। फोटोग्राफी के लिए कश्मीर से बेहतर कोई जगह नहीं शालिनी के साथ 8 लोग और कश्मीर आए हैं। कोरोना के खतरे को लेकर उनका कहना है कि जिंदगी को वायरस के डर से बांधा नहीं जा सकता। फोटो शूट के लिए उनके साथ आए राजकुमार कहते हैं- एक फोटोग्राफर के पॉइंट ऑफ व्यू से कश्मीर से बेहतर जगह नहीं हो सकती। हमारे लिए पूरे साल में दो महीने ही कमाई होती है। पिछले साल लॉकडाउन के चलते बहुत नुकसान उठाना पड़ा। प्री एंड पोस्ट-वेडिंग शूट के लिए ज्यादातर कपल कश्मीर आना पसंद करते हैं। सालभर से बंद था टूरिज्म से जुड़ा बिजनेस पिछले साल 5 अगस्त को आर्टिकल 370 हटाने से पहले सरकार ने बाहरी लोगों के लिए कश्मीर छोड़ने की एडवाइजरी जारी की थी। उस समय 5.2 लाख से ज्यादा मजदूर और स्टूडेंट यहां से चले गए थे। इससे कश्मीर की इकोनॉमी को बहुत नुकसान उठाना पड़ा। आर्टिकल 370 हटने के बाद कश्मीर में महीनों तक फोन और इंटरनेट सर्विस बंद रही। सरकार ने तीन महीने बाद एडवाइजरी वापस ले ली, लेकिन टूरिस्ट वापस नहीं लौटे। कोरोना के चलते घाटी में डबल लॉकडाउन रहा मोहम्मद इस्माइल उन सैकड़ों लोगों में शामिल हैं, जो डल झील में शिकारा चलाने का काम करते हैं। ये लोग अभी भी खाली बैठे हैं। वे कहते हैं- मैं बचपन से शिकारा चला रहा हूं, लेकिन इतना बुरा दौर पहले कभी नहीं देखा। पिछले साल अगस्त में कश्मीर छोड़ने वाले सैलानियों के फोटो उन्हें परेशान करते हैं। उम्मीद थी कि जल्द ही सब-कुछ वापस पटरी पर लौटेगा, लेकिन तभी मार्च में कोरोना के चलते लॉकडाउन लग गया। इस्माइल जैसे हजारों लोगों की उम्मीदों पर पानी फिर गया। कश्मीर में पिछले हफ्ते ही बर्फबारी शुरू हुई है, इसके साथ ही सैलानियों का यहां पहुंचना शुरू हो गया है। सरकारी मदद का ऐलान नाकाफी रहा जम्मू-कश्मीर सरकार ने शिकारा चलाने वालों के लिए तीन महीने तक हजार रुपए देने की घोषणा की थी। इस्माइल कहते हैं- एक हजार रु में क्या होने वाला है। हम पूरा पैकेज चाहते हैं, जिससे हमारी जरूरतें पूरी हो सकें। शिकारा चलाने वालों के साथ हजारों की संख्या में कैब ड्राइवर और टूर ऑपरेटर भी दोहरे लॉकडाउन की मार झेल रहे हैं। 45 साल के रियाज अहमद ने अमरनाथ यात्रा को देखते हुए एक टूरिस्ट कैब खरीदी थी। उन्होंने जतन करके 10 लाख रुपए जुटाए थे। बैंक से 9 लाख रुपए का लोन भी लिया। उन्हें उम्मीद थी कि यात्रा शुरू होने के बाद उनका बिजनेस चलेगा और अच्छी कमाई होगी। लेकिन लगातार दो लॉकडाउन से उनके मंसूबों पर पानी फिर गया। बेरोजगार हो गए श्रीनगर के 200 टैक्सी ड्राइवर रियाज कहते हैं- कमाई ठप होने से मैं 20 हजार रुपए की EMI नहीं भर सका। यह मेरे लिए सबसे बुरा दौर रहा। पहले हर दिन 2500 रुपए के करीब कमाई हो जाती थी। लेकिन, 5 अगस्त 2019 के बाद एक रुपए की भी आमदनी नहीं हुई। श्रीनगर के बुलेवार्ड रोड पर 200 से ज्यादा टैक्सी चलती हैं। इनमें से ज्यादातर 5 अगस्त के बाद से बिना काम के ही हैं। एक टैक्सी ड्राइवर के मुताबिक यहां की टैक्सियों से करीब 5 लाख रुपए का रेवेन्यू जेनरेट होता था, जो अब शून्य है। राजू एक कैब ड्राइवर हैं। वह कहते हैं- एक साल से ज्यादा वक्त बाद हम टूरिस्ट को लेकर कश्मीर आए हैं। अच्छा लग रहा है कि अब सैलानी धीरे-धीरे यहां आ रहे हैं। हम चाहते हैं कि बिजनेस वापस बहाल हो। कोरोना से बचने के लिए वैक्सीन जरूरी है। लॉकडाउन कोई सॉल्यूशन नहीं है। पिछले साल आर्टिकल 370 के हटने और फिर कोरोना के चलते कश्मीर के टूरिज्म को काफी नुकसान हुआ है। इकोनॉमी को 17 हजार 800 करोड़ का नुकसान कश्मीर चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज (KCCI) की पिछले साल दिसंबर में जारी रिपोर्ट के मुताबिक, कश्मीर की इकोनॉमी को साल 2019 में अगस्त से अक्टूबर के बीच 17 हजार 800 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ । करीब 4.9 लाख नौकरियां छूटी हैं। टूरिज्म सेक्टर में ही 9 हजार 191 करोड़ रु का नुकसान हुआ और 1 लाख 40 हजार 500 लोगों की नौकरी गई है। लोगों की मदद कर रहे स्थानीय संगठन हाउसबोट वेलफेयर ट्रस्ट, एक चैरिटी है जो करीब 600 नाव चलाने वालों को हर महीने मदद करती है। दो हाउस बोट्स और एक गेस्ट हाउस के मालिक तारिक पल्टू चैरिटी के लिए वॉलंटियर के तौर पर काम करते हैं। वे बताते हैं कि हमारे ट्रस्ट से जुड़े लोग कश्मीर के बाहर और दूसरे देशों में सेटल्ड हैं। हम लोग रात में फूड पैकेट्स बांटते थे। तारिक कहते हैं कि कश्मीर टूरिस्ट बिजनेस से जुड़े लोगों के लिए अच्छी खबर है कि अब लोग यहां आ रहे हैं। हालांकि, कोरोना के बढ़ते मामलों से डर भी है कि फिर से इस रफ्तार पर ब्रेक न लग जाए। सरकार को कश्मीर में टूरिज्म बहाल करने के लिए पहल करनी चाहिए। अवेयरनेस प्रोग्राम शुरू करने चाहिए, ताकि लोगों को लगे कि कश्मीर उनके लिए सेफ है। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें We want tourism back here, vaccine is necessary to avoid corona, lockdown is not a solution from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3l8zpys via IFTTT https://ift.tt/33nqXoP कश्मीर में टूरिज्म धीरे धीरे पटरी पर लौट रहा है। जैसे जैसे सर्दी बढ़ रही है, वैसे ही यहां आने वाले सैलानियों की संख्या भी बढ़ रही है। पिछले हफ्ते ही यहां बर्फबारी शुरू हुई है और टूरिस्ट आने शुरू हो गए हैं। यह कश्मीर के लिए अच्छी खबर है। क्योंकि, टूरिज्म यहां की इकोनॉमी की बैकबोन है। चंडीगढ़ की रहने वाली शालिनी और उसके मंगेतर सोनू ने प्री-वेडिंग शूट के लिए कश्मीर का चुनाव किया। दोनों का मानना है कि इससे खूबसूरत जगह उनके लिए कोई और नहीं हो सकती। दोनों मंगलवार को डल झील पहुंचे और वहां पर फोटो शूट किया। शालिनी कहती हैं, 'मुझे कश्मीर का मौसम बेहद पसंद है। डल झील देखना मेरा ड्रीम था, जो पूरा हो गया। फोटोग्राफी के लिए कश्मीर से बेहतर कोई जगह नहीं शालिनी के साथ 8 लोग और कश्मीर आए हैं। कोरोना के खतरे को लेकर उनका कहना है कि जिंदगी को वायरस के डर से बांधा नहीं जा सकता। फोटो शूट के लिए उनके साथ आए राजकुमार कहते हैं- एक फोटोग्राफर के पॉइंट ऑफ व्यू से कश्मीर से बेहतर जगह नहीं हो सकती। हमारे लिए पूरे साल में दो महीने ही कमाई होती है। पिछले साल लॉकडाउन के चलते बहुत नुकसान उठाना पड़ा। प्री एंड पोस्ट-वेडिंग शूट के लिए ज्यादातर कपल कश्मीर आना पसंद करते हैं। सालभर से बंद था टूरिज्म से जुड़ा बिजनेस पिछले साल 5 अगस्त को आर्टिकल 370 हटाने से पहले सरकार ने बाहरी लोगों के लिए कश्मीर छोड़ने की एडवाइजरी जारी की थी। उस समय 5.2 लाख से ज्यादा मजदूर और स्टूडेंट यहां से चले गए थे। इससे कश्मीर की इकोनॉमी को बहुत नुकसान उठाना पड़ा। आर्टिकल 370 हटने के बाद कश्मीर में महीनों तक फोन और इंटरनेट सर्विस बंद रही। सरकार ने तीन महीने बाद एडवाइजरी वापस ले ली, लेकिन टूरिस्ट वापस नहीं लौटे। कोरोना के चलते घाटी में डबल लॉकडाउन रहा मोहम्मद इस्माइल उन सैकड़ों लोगों में शामिल हैं, जो डल झील में शिकारा चलाने का काम करते हैं। ये लोग अभी भी खाली बैठे हैं। वे कहते हैं- मैं बचपन से शिकारा चला रहा हूं, लेकिन इतना बुरा दौर पहले कभी नहीं देखा। पिछले साल अगस्त में कश्मीर छोड़ने वाले सैलानियों के फोटो उन्हें परेशान करते हैं। उम्मीद थी कि जल्द ही सब-कुछ वापस पटरी पर लौटेगा, लेकिन तभी मार्च में कोरोना के चलते लॉकडाउन लग गया। इस्माइल जैसे हजारों लोगों की उम्मीदों पर पानी फिर गया। कश्मीर में पिछले हफ्ते ही बर्फबारी शुरू हुई है, इसके साथ ही सैलानियों का यहां पहुंचना शुरू हो गया है। सरकारी मदद का ऐलान नाकाफी रहा जम्मू-कश्मीर सरकार ने शिकारा चलाने वालों के लिए तीन महीने तक हजार रुपए देने की घोषणा की थी। इस्माइल कहते हैं- एक हजार रु में क्या होने वाला है। हम पूरा पैकेज चाहते हैं, जिससे हमारी जरूरतें पूरी हो सकें। शिकारा चलाने वालों के साथ हजारों की संख्या में कैब ड्राइवर और टूर ऑपरेटर भी दोहरे लॉकडाउन की मार झेल रहे हैं। 45 साल के रियाज अहमद ने अमरनाथ यात्रा को देखते हुए एक टूरिस्ट कैब खरीदी थी। उन्होंने जतन करके 10 लाख रुपए जुटाए थे। बैंक से 9 लाख रुपए का लोन भी लिया। उन्हें उम्मीद थी कि यात्रा शुरू होने के बाद उनका बिजनेस चलेगा और अच्छी कमाई होगी। लेकिन लगातार दो लॉकडाउन से उनके मंसूबों पर पानी फिर गया। बेरोजगार हो गए श्रीनगर के 200 टैक्सी ड्राइवर रियाज कहते हैं- कमाई ठप होने से मैं 20 हजार रुपए की EMI नहीं भर सका। यह मेरे लिए सबसे बुरा दौर रहा। पहले हर दिन 2500 रुपए के करीब कमाई हो जाती थी। लेकिन, 5 अगस्त 2019 के बाद एक रुपए की भी आमदनी नहीं हुई। श्रीनगर के बुलेवार्ड रोड पर 200 से ज्यादा टैक्सी चलती हैं। इनमें से ज्यादातर 5 अगस्त के बाद से बिना काम के ही हैं। एक टैक्सी ड्राइवर के मुताबिक यहां की टैक्सियों से करीब 5 लाख रुपए का रेवेन्यू जेनरेट होता था, जो अब शून्य है। राजू एक कैब ड्राइवर हैं। वह कहते हैं- एक साल से ज्यादा वक्त बाद हम टूरिस्ट को लेकर कश्मीर आए हैं। अच्छा लग रहा है कि अब सैलानी धीरे-धीरे यहां आ रहे हैं। हम चाहते हैं कि बिजनेस वापस बहाल हो। कोरोना से बचने के लिए वैक्सीन जरूरी है। लॉकडाउन कोई सॉल्यूशन नहीं है। पिछले साल आर्टिकल 370 के हटने और फिर कोरोना के चलते कश्मीर के टूरिज्म को काफी नुकसान हुआ है। इकोनॉमी को 17 हजार 800 करोड़ का नुकसान कश्मीर चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज (KCCI) की पिछले साल दिसंबर में जारी रिपोर्ट के मुताबिक, कश्मीर की इकोनॉमी को साल 2019 में अगस्त से अक्टूबर के बीच 17 हजार 800 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ । करीब 4.9 लाख नौकरियां छूटी हैं। टूरिज्म सेक्टर में ही 9 हजार 191 करोड़ रु का नुकसान हुआ और 1 लाख 40 हजार 500 लोगों की नौकरी गई है। लोगों की मदद कर रहे स्थानीय संगठन हाउसबोट वेलफेयर ट्रस्ट, एक चैरिटी है जो करीब 600 नाव चलाने वालों को हर महीने मदद करती है। दो हाउस बोट्स और एक गेस्ट हाउस के मालिक तारिक पल्टू चैरिटी के लिए वॉलंटियर के तौर पर काम करते हैं। वे बताते हैं कि हमारे ट्रस्ट से जुड़े लोग कश्मीर के बाहर और दूसरे देशों में सेटल्ड हैं। हम लोग रात में फूड पैकेट्स बांटते थे। तारिक कहते हैं कि कश्मीर टूरिस्ट बिजनेस से जुड़े लोगों के लिए अच्छी खबर है कि अब लोग यहां आ रहे हैं। हालांकि, कोरोना के बढ़ते मामलों से डर भी है कि फिर से इस रफ्तार पर ब्रेक न लग जाए। सरकार को कश्मीर में टूरिज्म बहाल करने के लिए पहल करनी चाहिए। अवेयरनेस प्रोग्राम शुरू करने चाहिए, ताकि लोगों को लगे कि कश्मीर उनके लिए सेफ है। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें We want tourism back here, vaccine is necessary to avoid corona, lockdown is not a solution https://ift.tt/3o0E87e Dainik Bhaskar डबल लॉकडाउन के बाद अब प्री-वेडिंग शूट के लिए कपल्स और बर्फबारी का मजा लेने कश्मीर आ रहे टूरिस्ट्स

कश्मीर में टूरिज्म धीरे धीरे पटरी पर लौट रहा है। जैसे जैसे सर्दी बढ़ रही है, वैसे ही यहां आने वाले सैलानियों की संख्या भी बढ़ रही है। पिछले हफ्ते ही यहां बर्फबारी शुरू हुई है और टूरिस्ट आने शुरू हो गए हैं। यह कश्मीर के लिए अच्छी खबर है। क्योंकि, टूरिज्म यहां की इकोनॉमी की बैकबोन है। चंडीगढ़ की रहने वाली शालिनी और उसके मंगेतर सोनू ने प्री-वेडिंग शूट के लिए कश्मीर का चुनाव किया। दोनों का मानना है कि इससे खूबसूरत जगह उनके लिए कोई और नहीं हो सकती। दोनों मंगलवार को डल झील पहुंचे और वहां पर फोटो शूट किया। शालिनी कहती हैं, 'मुझे कश्मीर का मौसम बेहद पसंद है। डल झील देखना मेरा ड्रीम था, जो पूरा हो गया। फोटोग्राफी के लिए कश्मीर से बेहतर कोई जगह नहीं शालिनी के साथ 8 लोग और कश्मीर आए हैं। कोरोना के खतरे को लेकर उनका कहना है कि जिंदगी को वायरस के डर से बांधा नहीं जा सकता। फोटो शूट के लिए उनके साथ आए राजकुमार कहते हैं- एक फोटोग्राफर के पॉइंट ऑफ व्यू से कश्मीर से बेहतर जगह नहीं हो सकती। हमारे लिए पूरे साल में दो महीने ही कमाई होती है। पिछले साल लॉकडाउन के चलते बहुत नुकसान उठाना पड़ा। प्री एंड पोस्ट-वेडिंग शूट के लिए ज्यादातर कपल कश्मीर आना पसंद करते हैं। सालभर से बंद था टूरिज्म से जुड़ा बिजनेस पिछले साल 5 अगस्त को आर्टिकल 370 हटाने से पहले सरकार ने बाहरी लोगों के लिए कश्मीर छोड़ने की एडवाइजरी जारी की थी। उस समय 5.2 लाख से ज्यादा मजदूर और स्टूडेंट यहां से चले गए थे। इससे कश्मीर की इकोनॉमी को बहुत नुकसान उठाना पड़ा। आर्टिकल 370 हटने के बाद कश्मीर में महीनों तक फोन और इंटरनेट सर्विस बंद रही। सरकार ने तीन महीने बाद एडवाइजरी वापस ले ली, लेकिन टूरिस्ट वापस नहीं लौटे। कोरोना के चलते घाटी में डबल लॉकडाउन रहा मोहम्मद इस्माइल उन सैकड़ों लोगों में शामिल हैं, जो डल झील में शिकारा चलाने का काम करते हैं। ये लोग अभी भी खाली बैठे हैं। वे कहते हैं- मैं बचपन से शिकारा चला रहा हूं, लेकिन इतना बुरा दौर पहले कभी नहीं देखा। पिछले साल अगस्त में कश्मीर छोड़ने वाले सैलानियों के फोटो उन्हें परेशान करते हैं। उम्मीद थी कि जल्द ही सब-कुछ वापस पटरी पर लौटेगा, लेकिन तभी मार्च में कोरोना के चलते लॉकडाउन लग गया। इस्माइल जैसे हजारों लोगों की उम्मीदों पर पानी फिर गया। कश्मीर में पिछले हफ्ते ही बर्फबारी शुरू हुई है, इसके साथ ही सैलानियों का यहां पहुंचना शुरू हो गया है। सरकारी मदद का ऐलान नाकाफी रहा जम्मू-कश्मीर सरकार ने शिकारा चलाने वालों के लिए तीन महीने तक हजार रुपए देने की घोषणा की थी। इस्माइल कहते हैं- एक हजार रु में क्या होने वाला है। हम पूरा पैकेज चाहते हैं, जिससे हमारी जरूरतें पूरी हो सकें। शिकारा चलाने वालों के साथ हजारों की संख्या में कैब ड्राइवर और टूर ऑपरेटर भी दोहरे लॉकडाउन की मार झेल रहे हैं। 45 साल के रियाज अहमद ने अमरनाथ यात्रा को देखते हुए एक टूरिस्ट कैब खरीदी थी। उन्होंने जतन करके 10 लाख रुपए जुटाए थे। बैंक से 9 लाख रुपए का लोन भी लिया। उन्हें उम्मीद थी कि यात्रा शुरू होने के बाद उनका बिजनेस चलेगा और अच्छी कमाई होगी। लेकिन लगातार दो लॉकडाउन से उनके मंसूबों पर पानी फिर गया। बेरोजगार हो गए श्रीनगर के 200 टैक्सी ड्राइवर रियाज कहते हैं- कमाई ठप होने से मैं 20 हजार रुपए की EMI नहीं भर सका। यह मेरे लिए सबसे बुरा दौर रहा। पहले हर दिन 2500 रुपए के करीब कमाई हो जाती थी। लेकिन, 5 अगस्त 2019 के बाद एक रुपए की भी आमदनी नहीं हुई। श्रीनगर के बुलेवार्ड रोड पर 200 से ज्यादा टैक्सी चलती हैं। इनमें से ज्यादातर 5 अगस्त के बाद से बिना काम के ही हैं। एक टैक्सी ड्राइवर के मुताबिक यहां की टैक्सियों से करीब 5 लाख रुपए का रेवेन्यू जेनरेट होता था, जो अब शून्य है। राजू एक कैब ड्राइवर हैं। वह कहते हैं- एक साल से ज्यादा वक्त बाद हम टूरिस्ट को लेकर कश्मीर आए हैं। अच्छा लग रहा है कि अब सैलानी धीरे-धीरे यहां आ रहे हैं। हम चाहते हैं कि बिजनेस वापस बहाल हो। कोरोना से बचने के लिए वैक्सीन जरूरी है। लॉकडाउन कोई सॉल्यूशन नहीं है। पिछले साल आर्टिकल 370 के हटने और फिर कोरोना के चलते कश्मीर के टूरिज्म को काफी नुकसान हुआ है। इकोनॉमी को 17 हजार 800 करोड़ का नुकसान कश्मीर चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज (KCCI) की पिछले साल दिसंबर में जारी रिपोर्ट के मुताबिक, कश्मीर की इकोनॉमी को साल 2019 में अगस्त से अक्टूबर के बीच 17 हजार 800 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ । करीब 4.9 लाख नौकरियां छूटी हैं। टूरिज्म सेक्टर में ही 9 हजार 191 करोड़ रु का नुकसान हुआ और 1 लाख 40 हजार 500 लोगों की नौकरी गई है। लोगों की मदद कर रहे स्थानीय संगठन हाउसबोट वेलफेयर ट्रस्ट, एक चैरिटी है जो करीब 600 नाव चलाने वालों को हर महीने मदद करती है। दो हाउस बोट्स और एक गेस्ट हाउस के मालिक तारिक पल्टू चैरिटी के लिए वॉलंटियर के तौर पर काम करते हैं। वे बताते हैं कि हमारे ट्रस्ट से जुड़े लोग कश्मीर के बाहर और दूसरे देशों में सेटल्ड हैं। हम लोग रात में फूड पैकेट्स बांटते थे। तारिक कहते हैं कि कश्मीर टूरिस्ट बिजनेस से जुड़े लोगों के लिए अच्छी खबर है कि अब लोग यहां आ रहे हैं। हालांकि, कोरोना के बढ़ते मामलों से डर भी है कि फिर से इस रफ्तार पर ब्रेक न लग जाए। सरकार को कश्मीर में टूरिज्म बहाल करने के लिए पहल करनी चाहिए। अवेयरनेस प्रोग्राम शुरू करने चाहिए, ताकि लोगों को लगे कि कश्मीर उनके लिए सेफ है। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें We want tourism back here, vaccine is necessary to avoid corona, lockdown is not a solution https://ift.tt/3o0E87e Dainik Bhaskar डबल लॉकडाउन के बाद अब प्री-वेडिंग शूट के लिए कपल्स और बर्फबारी का मजा लेने कश्मीर आ रहे टूरिस्ट्स

कश्मीर में टूरिज्म धीरे धीरे पटरी पर लौट रहा है। जैसे जैसे सर्दी बढ़ रही है, वैसे ही यहां आने वाले सैलानियों की संख्या भी बढ़ रही है। पिछले हफ्ते ही यहां बर्फबारी शुरू हुई है और टूरिस्ट आने शुरू हो गए हैं। यह कश्मीर के लिए अच्छी खबर है। क्योंकि, टूरिज्म यहां की इकोनॉमी की बैकबोन है।

चंडीगढ़ की रहने वाली शालिनी और उसके मंगेतर सोनू ने प्री-वेडिंग शूट के लिए कश्मीर का चुनाव किया। दोनों का मानना है कि इससे खूबसूरत जगह उनके लिए कोई और नहीं हो सकती। दोनों मंगलवार को डल झील पहुंचे और वहां पर फोटो शूट किया। शालिनी कहती हैं, 'मुझे कश्मीर का मौसम बेहद पसंद है। डल झील देखना मेरा ड्रीम था, जो पूरा हो गया।

फोटोग्राफी के लिए कश्मीर से बेहतर कोई जगह नहीं

शालिनी के साथ 8 लोग और कश्मीर आए हैं। कोरोना के खतरे को लेकर उनका कहना है कि जिंदगी को वायरस के डर से बांधा नहीं जा सकता। फोटो शूट के लिए उनके साथ आए राजकुमार कहते हैं- एक फोटोग्राफर के पॉइंट ऑफ व्यू से कश्मीर से बेहतर जगह नहीं हो सकती। हमारे लिए पूरे साल में दो महीने ही कमाई होती है। पिछले साल लॉकडाउन के चलते बहुत नुकसान उठाना पड़ा।

प्री एंड पोस्ट-वेडिंग शूट के लिए ज्यादातर कपल कश्मीर आना पसंद करते हैं।

सालभर से बंद था टूरिज्म से जुड़ा बिजनेस

पिछले साल 5 अगस्त को आर्टिकल 370 हटाने से पहले सरकार ने बाहरी लोगों के लिए कश्मीर छोड़ने की एडवाइजरी जारी की थी। उस समय 5.2 लाख से ज्यादा मजदूर और स्टूडेंट यहां से चले गए थे। इससे कश्मीर की इकोनॉमी को बहुत नुकसान उठाना पड़ा। आर्टिकल 370 हटने के बाद कश्मीर में महीनों तक फोन और इंटरनेट सर्विस बंद रही। सरकार ने तीन महीने बाद एडवाइजरी वापस ले ली, लेकिन टूरिस्ट वापस नहीं लौटे।

कोरोना के चलते घाटी में डबल लॉकडाउन रहा

मोहम्मद इस्माइल उन सैकड़ों लोगों में शामिल हैं, जो डल झील में शिकारा चलाने का काम करते हैं। ये लोग अभी भी खाली बैठे हैं। वे कहते हैं- मैं बचपन से शिकारा चला रहा हूं, लेकिन इतना बुरा दौर पहले कभी नहीं देखा। पिछले साल अगस्त में कश्मीर छोड़ने वाले सैलानियों के फोटो उन्हें परेशान करते हैं। उम्मीद थी कि जल्द ही सब-कुछ वापस पटरी पर लौटेगा, लेकिन तभी मार्च में कोरोना के चलते लॉकडाउन लग गया। इस्माइल जैसे हजारों लोगों की उम्मीदों पर पानी फिर गया।

कश्मीर में पिछले हफ्ते ही बर्फबारी शुरू हुई है, इसके साथ ही सैलानियों का यहां पहुंचना शुरू हो गया है।

सरकारी मदद का ऐलान नाकाफी रहा

जम्मू-कश्मीर सरकार ने शिकारा चलाने वालों के लिए तीन महीने तक हजार रुपए देने की घोषणा की थी। इस्माइल कहते हैं- एक हजार रु में क्या होने वाला है। हम पूरा पैकेज चाहते हैं, जिससे हमारी जरूरतें पूरी हो सकें। शिकारा चलाने वालों के साथ हजारों की संख्या में कैब ड्राइवर और टूर ऑपरेटर भी दोहरे लॉकडाउन की मार झेल रहे हैं।

45 साल के रियाज अहमद ने अमरनाथ यात्रा को देखते हुए एक टूरिस्ट कैब खरीदी थी। उन्होंने जतन करके 10 लाख रुपए जुटाए थे। बैंक से 9 लाख रुपए का लोन भी लिया। उन्हें उम्मीद थी कि यात्रा शुरू होने के बाद उनका बिजनेस चलेगा और अच्छी कमाई होगी। लेकिन लगातार दो लॉकडाउन से उनके मंसूबों पर पानी फिर गया।

बेरोजगार हो गए श्रीनगर के 200 टैक्सी ड्राइवर

रियाज कहते हैं- कमाई ठप होने से मैं 20 हजार रुपए की EMI नहीं भर सका। यह मेरे लिए सबसे बुरा दौर रहा। पहले हर दिन 2500 रुपए के करीब कमाई हो जाती थी। लेकिन, 5 अगस्त 2019 के बाद एक रुपए की भी आमदनी नहीं हुई। श्रीनगर के बुलेवार्ड रोड पर 200 से ज्यादा टैक्सी चलती हैं। इनमें से ज्यादातर 5 अगस्त के बाद से बिना काम के ही हैं। एक टैक्सी ड्राइवर के मुताबिक यहां की टैक्सियों से करीब 5 लाख रुपए का रेवेन्यू जेनरेट होता था, जो अब शून्य है।

राजू एक कैब ड्राइवर हैं। वह कहते हैं- एक साल से ज्यादा वक्त बाद हम टूरिस्ट को लेकर कश्मीर आए हैं। अच्छा लग रहा है कि अब सैलानी धीरे-धीरे यहां आ रहे हैं। हम चाहते हैं कि बिजनेस वापस बहाल हो। कोरोना से बचने के लिए वैक्सीन जरूरी है। लॉकडाउन कोई सॉल्यूशन नहीं है।

पिछले साल आर्टिकल 370 के हटने और फिर कोरोना के चलते कश्मीर के टूरिज्म को काफी नुकसान हुआ है।

इकोनॉमी को 17 हजार 800 करोड़ का नुकसान

कश्मीर चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज (KCCI) की पिछले साल दिसंबर में जारी रिपोर्ट के मुताबिक, कश्मीर की इकोनॉमी को साल 2019 में अगस्त से अक्टूबर के बीच 17 हजार 800 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ । करीब 4.9 लाख नौकरियां छूटी हैं। टूरिज्म सेक्टर में ही 9 हजार 191 करोड़ रु का नुकसान हुआ और 1 लाख 40 हजार 500 लोगों की नौकरी गई है।

लोगों की मदद कर रहे स्थानीय संगठन

हाउसबोट वेलफेयर ट्रस्ट, एक चैरिटी है जो करीब 600 नाव चलाने वालों को हर महीने मदद करती है। दो हाउस बोट्स और एक गेस्ट हाउस के मालिक तारिक पल्टू चैरिटी के लिए वॉलंटियर के तौर पर काम करते हैं। वे बताते हैं कि हमारे ट्रस्ट से जुड़े लोग कश्मीर के बाहर और दूसरे देशों में सेटल्ड हैं। हम लोग रात में फूड पैकेट्स बांटते थे।

तारिक कहते हैं कि कश्मीर टूरिस्ट बिजनेस से जुड़े लोगों के लिए अच्छी खबर है कि अब लोग यहां आ रहे हैं। हालांकि, कोरोना के बढ़ते मामलों से डर भी है कि फिर से इस रफ्तार पर ब्रेक न लग जाए। सरकार को कश्मीर में टूरिज्म बहाल करने के लिए पहल करनी चाहिए। अवेयरनेस प्रोग्राम शुरू करने चाहिए, ताकि लोगों को लगे कि कश्मीर उनके लिए सेफ है।



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November 27, 2020 at 06:13AM
https://ift.tt/3o0E87e कश्मीर में टूरिज्म धीरे धीरे पटरी पर लौट रहा है। जैसे जैसे सर्दी बढ़ रही है, वैसे ही यहां आने वाले सैलानियों की संख्या भी बढ़ रही है। पिछले हफ्ते ही यहां बर्फबारी शुरू हुई है और टूरिस्ट आने शुरू हो गए हैं। यह कश्मीर के लिए अच्छी खबर है। क्योंकि, टूरिज्म यहां की इकोनॉमी की बैकबोन है। चंडीगढ़ की रहने वाली शालिनी और उसके मंगेतर सोनू ने प्री-वेडिंग शूट के लिए कश्मीर का चुनाव किया। दोनों का मानना है कि इससे खूबसूरत जगह उनके लिए कोई और नहीं हो सकती। दोनों मंगलवार को डल झील पहुंचे और वहां पर फोटो शूट किया। शालिनी कहती हैं, 'मुझे कश्मीर का मौसम बेहद पसंद है। डल झील देखना मेरा ड्रीम था, जो पूरा हो गया। फोटोग्राफी के लिए कश्मीर से बेहतर कोई जगह नहीं शालिनी के साथ 8 लोग और कश्मीर आए हैं। कोरोना के खतरे को लेकर उनका कहना है कि जिंदगी को वायरस के डर से बांधा नहीं जा सकता। फोटो शूट के लिए उनके साथ आए राजकुमार कहते हैं- एक फोटोग्राफर के पॉइंट ऑफ व्यू से कश्मीर से बेहतर जगह नहीं हो सकती। हमारे लिए पूरे साल में दो महीने ही कमाई होती है। पिछले साल लॉकडाउन के चलते बहुत नुकसान उठाना पड़ा। प्री एंड पोस्ट-वेडिंग शूट के लिए ज्यादातर कपल कश्मीर आना पसंद करते हैं। सालभर से बंद था टूरिज्म से जुड़ा बिजनेस पिछले साल 5 अगस्त को आर्टिकल 370 हटाने से पहले सरकार ने बाहरी लोगों के लिए कश्मीर छोड़ने की एडवाइजरी जारी की थी। उस समय 5.2 लाख से ज्यादा मजदूर और स्टूडेंट यहां से चले गए थे। इससे कश्मीर की इकोनॉमी को बहुत नुकसान उठाना पड़ा। आर्टिकल 370 हटने के बाद कश्मीर में महीनों तक फोन और इंटरनेट सर्विस बंद रही। सरकार ने तीन महीने बाद एडवाइजरी वापस ले ली, लेकिन टूरिस्ट वापस नहीं लौटे। कोरोना के चलते घाटी में डबल लॉकडाउन रहा मोहम्मद इस्माइल उन सैकड़ों लोगों में शामिल हैं, जो डल झील में शिकारा चलाने का काम करते हैं। ये लोग अभी भी खाली बैठे हैं। वे कहते हैं- मैं बचपन से शिकारा चला रहा हूं, लेकिन इतना बुरा दौर पहले कभी नहीं देखा। पिछले साल अगस्त में कश्मीर छोड़ने वाले सैलानियों के फोटो उन्हें परेशान करते हैं। उम्मीद थी कि जल्द ही सब-कुछ वापस पटरी पर लौटेगा, लेकिन तभी मार्च में कोरोना के चलते लॉकडाउन लग गया। इस्माइल जैसे हजारों लोगों की उम्मीदों पर पानी फिर गया। कश्मीर में पिछले हफ्ते ही बर्फबारी शुरू हुई है, इसके साथ ही सैलानियों का यहां पहुंचना शुरू हो गया है। सरकारी मदद का ऐलान नाकाफी रहा जम्मू-कश्मीर सरकार ने शिकारा चलाने वालों के लिए तीन महीने तक हजार रुपए देने की घोषणा की थी। इस्माइल कहते हैं- एक हजार रु में क्या होने वाला है। हम पूरा पैकेज चाहते हैं, जिससे हमारी जरूरतें पूरी हो सकें। शिकारा चलाने वालों के साथ हजारों की संख्या में कैब ड्राइवर और टूर ऑपरेटर भी दोहरे लॉकडाउन की मार झेल रहे हैं। 45 साल के रियाज अहमद ने अमरनाथ यात्रा को देखते हुए एक टूरिस्ट कैब खरीदी थी। उन्होंने जतन करके 10 लाख रुपए जुटाए थे। बैंक से 9 लाख रुपए का लोन भी लिया। उन्हें उम्मीद थी कि यात्रा शुरू होने के बाद उनका बिजनेस चलेगा और अच्छी कमाई होगी। लेकिन लगातार दो लॉकडाउन से उनके मंसूबों पर पानी फिर गया। बेरोजगार हो गए श्रीनगर के 200 टैक्सी ड्राइवर रियाज कहते हैं- कमाई ठप होने से मैं 20 हजार रुपए की EMI नहीं भर सका। यह मेरे लिए सबसे बुरा दौर रहा। पहले हर दिन 2500 रुपए के करीब कमाई हो जाती थी। लेकिन, 5 अगस्त 2019 के बाद एक रुपए की भी आमदनी नहीं हुई। श्रीनगर के बुलेवार्ड रोड पर 200 से ज्यादा टैक्सी चलती हैं। इनमें से ज्यादातर 5 अगस्त के बाद से बिना काम के ही हैं। एक टैक्सी ड्राइवर के मुताबिक यहां की टैक्सियों से करीब 5 लाख रुपए का रेवेन्यू जेनरेट होता था, जो अब शून्य है। राजू एक कैब ड्राइवर हैं। वह कहते हैं- एक साल से ज्यादा वक्त बाद हम टूरिस्ट को लेकर कश्मीर आए हैं। अच्छा लग रहा है कि अब सैलानी धीरे-धीरे यहां आ रहे हैं। हम चाहते हैं कि बिजनेस वापस बहाल हो। कोरोना से बचने के लिए वैक्सीन जरूरी है। लॉकडाउन कोई सॉल्यूशन नहीं है। पिछले साल आर्टिकल 370 के हटने और फिर कोरोना के चलते कश्मीर के टूरिज्म को काफी नुकसान हुआ है। इकोनॉमी को 17 हजार 800 करोड़ का नुकसान कश्मीर चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज (KCCI) की पिछले साल दिसंबर में जारी रिपोर्ट के मुताबिक, कश्मीर की इकोनॉमी को साल 2019 में अगस्त से अक्टूबर के बीच 17 हजार 800 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ । करीब 4.9 लाख नौकरियां छूटी हैं। टूरिज्म सेक्टर में ही 9 हजार 191 करोड़ रु का नुकसान हुआ और 1 लाख 40 हजार 500 लोगों की नौकरी गई है। लोगों की मदद कर रहे स्थानीय संगठन हाउसबोट वेलफेयर ट्रस्ट, एक चैरिटी है जो करीब 600 नाव चलाने वालों को हर महीने मदद करती है। दो हाउस बोट्स और एक गेस्ट हाउस के मालिक तारिक पल्टू चैरिटी के लिए वॉलंटियर के तौर पर काम करते हैं। वे बताते हैं कि हमारे ट्रस्ट से जुड़े लोग कश्मीर के बाहर और दूसरे देशों में सेटल्ड हैं। हम लोग रात में फूड पैकेट्स बांटते थे। तारिक कहते हैं कि कश्मीर टूरिस्ट बिजनेस से जुड़े लोगों के लिए अच्छी खबर है कि अब लोग यहां आ रहे हैं। हालांकि, कोरोना के बढ़ते मामलों से डर भी है कि फिर से इस रफ्तार पर ब्रेक न लग जाए। सरकार को कश्मीर में टूरिज्म बहाल करने के लिए पहल करनी चाहिए। अवेयरनेस प्रोग्राम शुरू करने चाहिए, ताकि लोगों को लगे कि कश्मीर उनके लिए सेफ है। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें We want tourism back here, vaccine is necessary to avoid corona, lockdown is not a solution from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3l8zpys via IFTTT https://ift.tt/33nqXoP कश्मीर में टूरिज्म धीरे धीरे पटरी पर लौट रहा है। जैसे जैसे सर्दी बढ़ रही है, वैसे ही यहां आने वाले सैलानियों की संख्या भी बढ़ रही है। पिछले हफ्ते ही यहां बर्फबारी शुरू हुई है और टूरिस्ट आने शुरू हो गए हैं। यह कश्मीर के लिए अच्छी खबर है। क्योंकि, टूरिज्म यहां की इकोनॉमी की बैकबोन है। चंडीगढ़ की रहने वाली शालिनी और उसके मंगेतर सोनू ने प्री-वेडिंग शूट के लिए कश्मीर का चुनाव किया। दोनों का मानना है कि इससे खूबसूरत जगह उनके लिए कोई और नहीं हो सकती। दोनों मंगलवार को डल झील पहुंचे और वहां पर फोटो शूट किया। शालिनी कहती हैं, 'मुझे कश्मीर का मौसम बेहद पसंद है। डल झील देखना मेरा ड्रीम था, जो पूरा हो गया। फोटोग्राफी के लिए कश्मीर से बेहतर कोई जगह नहीं शालिनी के साथ 8 लोग और कश्मीर आए हैं। कोरोना के खतरे को लेकर उनका कहना है कि जिंदगी को वायरस के डर से बांधा नहीं जा सकता। फोटो शूट के लिए उनके साथ आए राजकुमार कहते हैं- एक फोटोग्राफर के पॉइंट ऑफ व्यू से कश्मीर से बेहतर जगह नहीं हो सकती। हमारे लिए पूरे साल में दो महीने ही कमाई होती है। पिछले साल लॉकडाउन के चलते बहुत नुकसान उठाना पड़ा। प्री एंड पोस्ट-वेडिंग शूट के लिए ज्यादातर कपल कश्मीर आना पसंद करते हैं। सालभर से बंद था टूरिज्म से जुड़ा बिजनेस पिछले साल 5 अगस्त को आर्टिकल 370 हटाने से पहले सरकार ने बाहरी लोगों के लिए कश्मीर छोड़ने की एडवाइजरी जारी की थी। उस समय 5.2 लाख से ज्यादा मजदूर और स्टूडेंट यहां से चले गए थे। इससे कश्मीर की इकोनॉमी को बहुत नुकसान उठाना पड़ा। आर्टिकल 370 हटने के बाद कश्मीर में महीनों तक फोन और इंटरनेट सर्विस बंद रही। सरकार ने तीन महीने बाद एडवाइजरी वापस ले ली, लेकिन टूरिस्ट वापस नहीं लौटे। कोरोना के चलते घाटी में डबल लॉकडाउन रहा मोहम्मद इस्माइल उन सैकड़ों लोगों में शामिल हैं, जो डल झील में शिकारा चलाने का काम करते हैं। ये लोग अभी भी खाली बैठे हैं। वे कहते हैं- मैं बचपन से शिकारा चला रहा हूं, लेकिन इतना बुरा दौर पहले कभी नहीं देखा। पिछले साल अगस्त में कश्मीर छोड़ने वाले सैलानियों के फोटो उन्हें परेशान करते हैं। उम्मीद थी कि जल्द ही सब-कुछ वापस पटरी पर लौटेगा, लेकिन तभी मार्च में कोरोना के चलते लॉकडाउन लग गया। इस्माइल जैसे हजारों लोगों की उम्मीदों पर पानी फिर गया। कश्मीर में पिछले हफ्ते ही बर्फबारी शुरू हुई है, इसके साथ ही सैलानियों का यहां पहुंचना शुरू हो गया है। सरकारी मदद का ऐलान नाकाफी रहा जम्मू-कश्मीर सरकार ने शिकारा चलाने वालों के लिए तीन महीने तक हजार रुपए देने की घोषणा की थी। इस्माइल कहते हैं- एक हजार रु में क्या होने वाला है। हम पूरा पैकेज चाहते हैं, जिससे हमारी जरूरतें पूरी हो सकें। शिकारा चलाने वालों के साथ हजारों की संख्या में कैब ड्राइवर और टूर ऑपरेटर भी दोहरे लॉकडाउन की मार झेल रहे हैं। 45 साल के रियाज अहमद ने अमरनाथ यात्रा को देखते हुए एक टूरिस्ट कैब खरीदी थी। उन्होंने जतन करके 10 लाख रुपए जुटाए थे। बैंक से 9 लाख रुपए का लोन भी लिया। उन्हें उम्मीद थी कि यात्रा शुरू होने के बाद उनका बिजनेस चलेगा और अच्छी कमाई होगी। लेकिन लगातार दो लॉकडाउन से उनके मंसूबों पर पानी फिर गया। बेरोजगार हो गए श्रीनगर के 200 टैक्सी ड्राइवर रियाज कहते हैं- कमाई ठप होने से मैं 20 हजार रुपए की EMI नहीं भर सका। यह मेरे लिए सबसे बुरा दौर रहा। पहले हर दिन 2500 रुपए के करीब कमाई हो जाती थी। लेकिन, 5 अगस्त 2019 के बाद एक रुपए की भी आमदनी नहीं हुई। श्रीनगर के बुलेवार्ड रोड पर 200 से ज्यादा टैक्सी चलती हैं। इनमें से ज्यादातर 5 अगस्त के बाद से बिना काम के ही हैं। एक टैक्सी ड्राइवर के मुताबिक यहां की टैक्सियों से करीब 5 लाख रुपए का रेवेन्यू जेनरेट होता था, जो अब शून्य है। राजू एक कैब ड्राइवर हैं। वह कहते हैं- एक साल से ज्यादा वक्त बाद हम टूरिस्ट को लेकर कश्मीर आए हैं। अच्छा लग रहा है कि अब सैलानी धीरे-धीरे यहां आ रहे हैं। हम चाहते हैं कि बिजनेस वापस बहाल हो। कोरोना से बचने के लिए वैक्सीन जरूरी है। लॉकडाउन कोई सॉल्यूशन नहीं है। पिछले साल आर्टिकल 370 के हटने और फिर कोरोना के चलते कश्मीर के टूरिज्म को काफी नुकसान हुआ है। इकोनॉमी को 17 हजार 800 करोड़ का नुकसान कश्मीर चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज (KCCI) की पिछले साल दिसंबर में जारी रिपोर्ट के मुताबिक, कश्मीर की इकोनॉमी को साल 2019 में अगस्त से अक्टूबर के बीच 17 हजार 800 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ । करीब 4.9 लाख नौकरियां छूटी हैं। टूरिज्म सेक्टर में ही 9 हजार 191 करोड़ रु का नुकसान हुआ और 1 लाख 40 हजार 500 लोगों की नौकरी गई है। लोगों की मदद कर रहे स्थानीय संगठन हाउसबोट वेलफेयर ट्रस्ट, एक चैरिटी है जो करीब 600 नाव चलाने वालों को हर महीने मदद करती है। दो हाउस बोट्स और एक गेस्ट हाउस के मालिक तारिक पल्टू चैरिटी के लिए वॉलंटियर के तौर पर काम करते हैं। वे बताते हैं कि हमारे ट्रस्ट से जुड़े लोग कश्मीर के बाहर और दूसरे देशों में सेटल्ड हैं। हम लोग रात में फूड पैकेट्स बांटते थे। तारिक कहते हैं कि कश्मीर टूरिस्ट बिजनेस से जुड़े लोगों के लिए अच्छी खबर है कि अब लोग यहां आ रहे हैं। हालांकि, कोरोना के बढ़ते मामलों से डर भी है कि फिर से इस रफ्तार पर ब्रेक न लग जाए। सरकार को कश्मीर में टूरिज्म बहाल करने के लिए पहल करनी चाहिए। अवेयरनेस प्रोग्राम शुरू करने चाहिए, ताकि लोगों को लगे कि कश्मीर उनके लिए सेफ है। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें We want tourism back here, vaccine is necessary to avoid corona, lockdown is not a solution https://ift.tt/3o0E87e Dainik Bhaskar डबल लॉकडाउन के बाद अब प्री-वेडिंग शूट के लिए कपल्स और बर्फबारी का मजा लेने कश्मीर आ रहे टूरिस्ट्स https://ift.tt/3o0E87e 

कश्मीर में टूरिज्म धीरे धीरे पटरी पर लौट रहा है। जैसे जैसे सर्दी बढ़ रही है, वैसे ही यहां आने वाले सैलानियों की संख्या भी बढ़ रही है। पिछले हफ्ते ही यहां बर्फबारी शुरू हुई है और टूरिस्ट आने शुरू हो गए हैं। यह कश्मीर के लिए अच्छी खबर है। क्योंकि, टूरिज्म यहां की इकोनॉमी की बैकबोन है।

चंडीगढ़ की रहने वाली शालिनी और उसके मंगेतर सोनू ने प्री-वेडिंग शूट के लिए कश्मीर का चुनाव किया। दोनों का मानना है कि इससे खूबसूरत जगह उनके लिए कोई और नहीं हो सकती। दोनों मंगलवार को डल झील पहुंचे और वहां पर फोटो शूट किया। शालिनी कहती हैं, 'मुझे कश्मीर का मौसम बेहद पसंद है। डल झील देखना मेरा ड्रीम था, जो पूरा हो गया।

फोटोग्राफी के लिए कश्मीर से बेहतर कोई जगह नहीं

शालिनी के साथ 8 लोग और कश्मीर आए हैं। कोरोना के खतरे को लेकर उनका कहना है कि जिंदगी को वायरस के डर से बांधा नहीं जा सकता। फोटो शूट के लिए उनके साथ आए राजकुमार कहते हैं- एक फोटोग्राफर के पॉइंट ऑफ व्यू से कश्मीर से बेहतर जगह नहीं हो सकती। हमारे लिए पूरे साल में दो महीने ही कमाई होती है। पिछले साल लॉकडाउन के चलते बहुत नुकसान उठाना पड़ा।

प्री एंड पोस्ट-वेडिंग शूट के लिए ज्यादातर कपल कश्मीर आना पसंद करते हैं।

सालभर से बंद था टूरिज्म से जुड़ा बिजनेस

पिछले साल 5 अगस्त को आर्टिकल 370 हटाने से पहले सरकार ने बाहरी लोगों के लिए कश्मीर छोड़ने की एडवाइजरी जारी की थी। उस समय 5.2 लाख से ज्यादा मजदूर और स्टूडेंट यहां से चले गए थे। इससे कश्मीर की इकोनॉमी को बहुत नुकसान उठाना पड़ा। आर्टिकल 370 हटने के बाद कश्मीर में महीनों तक फोन और इंटरनेट सर्विस बंद रही। सरकार ने तीन महीने बाद एडवाइजरी वापस ले ली, लेकिन टूरिस्ट वापस नहीं लौटे।

कोरोना के चलते घाटी में डबल लॉकडाउन रहा

मोहम्मद इस्माइल उन सैकड़ों लोगों में शामिल हैं, जो डल झील में शिकारा चलाने का काम करते हैं। ये लोग अभी भी खाली बैठे हैं। वे कहते हैं- मैं बचपन से शिकारा चला रहा हूं, लेकिन इतना बुरा दौर पहले कभी नहीं देखा। पिछले साल अगस्त में कश्मीर छोड़ने वाले सैलानियों के फोटो उन्हें परेशान करते हैं। उम्मीद थी कि जल्द ही सब-कुछ वापस पटरी पर लौटेगा, लेकिन तभी मार्च में कोरोना के चलते लॉकडाउन लग गया। इस्माइल जैसे हजारों लोगों की उम्मीदों पर पानी फिर गया।

कश्मीर में पिछले हफ्ते ही बर्फबारी शुरू हुई है, इसके साथ ही सैलानियों का यहां पहुंचना शुरू हो गया है।

सरकारी मदद का ऐलान नाकाफी रहा

जम्मू-कश्मीर सरकार ने शिकारा चलाने वालों के लिए तीन महीने तक हजार रुपए देने की घोषणा की थी। इस्माइल कहते हैं- एक हजार रु में क्या होने वाला है। हम पूरा पैकेज चाहते हैं, जिससे हमारी जरूरतें पूरी हो सकें। शिकारा चलाने वालों के साथ हजारों की संख्या में कैब ड्राइवर और टूर ऑपरेटर भी दोहरे लॉकडाउन की मार झेल रहे हैं।

45 साल के रियाज अहमद ने अमरनाथ यात्रा को देखते हुए एक टूरिस्ट कैब खरीदी थी। उन्होंने जतन करके 10 लाख रुपए जुटाए थे। बैंक से 9 लाख रुपए का लोन भी लिया। उन्हें उम्मीद थी कि यात्रा शुरू होने के बाद उनका बिजनेस चलेगा और अच्छी कमाई होगी। लेकिन लगातार दो लॉकडाउन से उनके मंसूबों पर पानी फिर गया।

बेरोजगार हो गए श्रीनगर के 200 टैक्सी ड्राइवर

रियाज कहते हैं- कमाई ठप होने से मैं 20 हजार रुपए की EMI नहीं भर सका। यह मेरे लिए सबसे बुरा दौर रहा। पहले हर दिन 2500 रुपए के करीब कमाई हो जाती थी। लेकिन, 5 अगस्त 2019 के बाद एक रुपए की भी आमदनी नहीं हुई। श्रीनगर के बुलेवार्ड रोड पर 200 से ज्यादा टैक्सी चलती हैं। इनमें से ज्यादातर 5 अगस्त के बाद से बिना काम के ही हैं। एक टैक्सी ड्राइवर के मुताबिक यहां की टैक्सियों से करीब 5 लाख रुपए का रेवेन्यू जेनरेट होता था, जो अब शून्य है।

राजू एक कैब ड्राइवर हैं। वह कहते हैं- एक साल से ज्यादा वक्त बाद हम टूरिस्ट को लेकर कश्मीर आए हैं। अच्छा लग रहा है कि अब सैलानी धीरे-धीरे यहां आ रहे हैं। हम चाहते हैं कि बिजनेस वापस बहाल हो। कोरोना से बचने के लिए वैक्सीन जरूरी है। लॉकडाउन कोई सॉल्यूशन नहीं है।

पिछले साल आर्टिकल 370 के हटने और फिर कोरोना के चलते कश्मीर के टूरिज्म को काफी नुकसान हुआ है।

इकोनॉमी को 17 हजार 800 करोड़ का नुकसान

कश्मीर चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज (KCCI) की पिछले साल दिसंबर में जारी रिपोर्ट के मुताबिक, कश्मीर की इकोनॉमी को साल 2019 में अगस्त से अक्टूबर के बीच 17 हजार 800 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ । करीब 4.9 लाख नौकरियां छूटी हैं। टूरिज्म सेक्टर में ही 9 हजार 191 करोड़ रु का नुकसान हुआ और 1 लाख 40 हजार 500 लोगों की नौकरी गई है।

लोगों की मदद कर रहे स्थानीय संगठन

हाउसबोट वेलफेयर ट्रस्ट, एक चैरिटी है जो करीब 600 नाव चलाने वालों को हर महीने मदद करती है। दो हाउस बोट्स और एक गेस्ट हाउस के मालिक तारिक पल्टू चैरिटी के लिए वॉलंटियर के तौर पर काम करते हैं। वे बताते हैं कि हमारे ट्रस्ट से जुड़े लोग कश्मीर के बाहर और दूसरे देशों में सेटल्ड हैं। हम लोग रात में फूड पैकेट्स बांटते थे।

तारिक कहते हैं कि कश्मीर टूरिस्ट बिजनेस से जुड़े लोगों के लिए अच्छी खबर है कि अब लोग यहां आ रहे हैं। हालांकि, कोरोना के बढ़ते मामलों से डर भी है कि फिर से इस रफ्तार पर ब्रेक न लग जाए। सरकार को कश्मीर में टूरिज्म बहाल करने के लिए पहल करनी चाहिए। अवेयरनेस प्रोग्राम शुरू करने चाहिए, ताकि लोगों को लगे कि कश्मीर उनके लिए सेफ है।

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We want tourism back here, vaccine is necessary to avoid corona, lockdown is not a solution

from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3l8zpys
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