भारतीय रेलवे समय-समय पर अपनी अनूठी पहल के चलते चर्चा में रहता है। इस बार पश्चिम मध्य रेलवे ने ऊर्जा संरक्षण को लेकर जो तकनीक अपनाई है, उसे जल्द ही देश भर के रेलवे स्टेशनों पर लागू किया जाएगा। पश्चिम मध्य रेलवे जाेन के तहत आने वाले मध्य प्रदेश के भोपाल, जबलपुर और नरसिंहपुर रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर कुछ इस तरह की व्यवस्था की गई है कि जैसे ही ट्रेन प्लेटफॉर्म पर आती है, वहां 100% लाइट्स ऑन हो जाती हैं और ट्रेन के प्लेटफॉर्म से बाहर जाते ही 50% लाइट्स ऑटोमेटिक ऑफ हो जाती हैं। ट्रेन के प्लेटफॉर्म से बाहर जाते ही 50% लाइट्स ऑटोमेटिक ऑफ हो जाती हैं। छाेटे स्टेशनों पर 30% और बड़े स्टेशनों पर 50% लाइट्स ही ऑन रहती है दरअसल, रेलवे ने ऊर्जा संरक्षण के उद्देश्य से यह पहल की है।पश्चिम मध्य रेलवे की मुख्य जनसंपर्क अधिकारी प्रियंका दीक्षित बताती हैं कि यहां के जीएम शैलेंद्र कुमार सिंह की पहल पर इस सिस्टम पर काम किया गया है। फिलहाल छोटे स्टेशनों पर सामान्य तौर पर 30% लाइट्स ऑन रखी जा रही हैं वहीं बड़े स्टेशनों पर यह 50% रहती है। ट्रेन के आने पर प्लेटफॉर्म की लाइट्स 100% ऑन हो जाती हैं। फिलहाल जोन के भोपाल, जबलपुर और नरसिंहपुर स्टेशनों पर यह व्यवस्था की गई है। जल्द ही अन्य स्टेशनों पर भी यह व्यवस्था लागू की जाएगी। प्लेटफॉर्म के लाइटिंग सिस्टम को होम और स्टार्टर सिग्नल के साथ जोड़ा गया है। ट्रेन जैसे ही स्टेशन के हाेम सिग्नल पर आती है तो पूरी लाइट्स ऑटोमेटिक ऑन हो जाती है। शाम 6 बजे से सुबह 6 बजे तक काम करता है, यह ऑटोमैटिक सिस्टम भोपाल रेल मंडल के डीआरएम उदय बोरवणकर बताते हैं कि स्टेशन प्लेटफॉर्म पर ट्रेनें नहीं होने के बाद भी अक्सर पूरी लाइट्स जलती रहती हैं। इससे बिजली की खपत भी लगातार होती थी। अनावश्यकबिजली की खपत को कम करने के लिए रेलवे ने यह शुरुआत की है। इसके लिए प्लेटफॉर्म के लाइटिंग सिस्टम को होम और स्टार्टर सिग्नल के साथ जोड़ा गया है। ऐसा करने से ट्रेन जैसे ही स्टेशन के हाेम सिग्नल पर आती है तो पूरी लाइट्स ऑटोमेटिक ऑन हो जाती है और जैसे ही ट्रेन प्लेटफॉर्म को क्रॉस करती है और ट्रेन का आखिरी कोच स्टार्टर सिग्नल को टच करता है, प्लेटफॉर्म की 50 % लाइट्स ऑफ हो जाती है। यह व्यवस्था शाम 6 से सुबह 6 बजे तक रहती है। भोपाल रेलवे स्टेशन के एक प्लेटफॉर्म पर शाम 6 से सुबह 6 बजे तक 12 घंटे में करीब 200 यूनिट बिजली खपत होती थी, जो अब घटकर 80 यूनिट रह गई है। भोपाल स्टेशन के एक प्लेटफॉर्म पर 12 घंटे में 120 यूनिट बिजली की बचत हो रही है रेलवे के मुताबिक, भोपाल रेलवे स्टेशन के एक प्लेटफॉर्म पर शाम 6 से सुबह 6 बजे तक 12 घंटे में करीब 200 यूनिट बिजली खपत होती थी, जो अब घटकर 80 यूनिट रह गई है। रेलवे की इस पहल से एक प्लेटफॉर्म के सालाना बिल में करीब साढ़े तीन लाख रुपए की कमी आएगी। यह सिर्फ एक रेलवे स्टेशन के एक प्लेटफॉर्म के बिल में होने वाली बचत है, इस पहल से रेलवे देश भर के स्टेशनों पर हर साल करोड़ों रुपए की बचत करने की तैयारी में है। यह भी पढ़ें. 1.रेलवे में 1.41 लाख पद खाली, पर सरकार अब इन्हें भरने के मूड में नहीं, बल्कि बड़े बदलाव की तैयारी में है आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें ट्रेन के प्लेटफॉर्म पर आते ही 100 % लाइट्स ऑटोमेटिक ऑन हो जाती हैं। https://ift.tt/32ILqEX Dainik Bhaskar ट्रेन के प्लेटफॉर्म पर आने पर ही जलती हैं सारी लाइट्स, ट्रेन के जाते ही 50% लाइट्स ऑटोमेटिक बंद हो जाती हैं
भारतीय रेलवे समय-समय पर अपनी अनूठी पहल के चलते चर्चा में रहता है। इस बार पश्चिम मध्य रेलवे ने ऊर्जा संरक्षण को लेकर जो तकनीक अपनाई है, उसे जल्द ही देश भर के रेलवे स्टेशनों पर लागू किया जाएगा। पश्चिम मध्य रेलवे जाेन के तहत आने वाले मध्य प्रदेश के भोपाल, जबलपुर और नरसिंहपुर रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर कुछ इस तरह की व्यवस्था की गई है कि जैसे ही ट्रेन प्लेटफॉर्म पर आती है, वहां 100% लाइट्स ऑन हो जाती हैं और ट्रेन के प्लेटफॉर्म से बाहर जाते ही 50% लाइट्स ऑटोमेटिक ऑफ हो जाती हैं।
छाेटे स्टेशनों पर 30% और बड़े स्टेशनों पर 50% लाइट्स ही ऑन रहती है
दरअसल, रेलवे ने ऊर्जा संरक्षण के उद्देश्य से यह पहल की है।पश्चिम मध्य रेलवे की मुख्य जनसंपर्क अधिकारी प्रियंका दीक्षित बताती हैं कि यहां के जीएम शैलेंद्र कुमार सिंह की पहल पर इस सिस्टम पर काम किया गया है। फिलहाल छोटे स्टेशनों पर सामान्य तौर पर 30% लाइट्स ऑन रखी जा रही हैं वहीं बड़े स्टेशनों पर यह 50% रहती है। ट्रेन के आने पर प्लेटफॉर्म की लाइट्स 100% ऑन हो जाती हैं। फिलहाल जोन के भोपाल, जबलपुर और नरसिंहपुर स्टेशनों पर यह व्यवस्था की गई है। जल्द ही अन्य स्टेशनों पर भी यह व्यवस्था लागू की जाएगी।
शाम 6 बजे से सुबह 6 बजे तक काम करता है, यह ऑटोमैटिक सिस्टम
भोपाल रेल मंडल के डीआरएम उदय बोरवणकर बताते हैं कि स्टेशन प्लेटफॉर्म पर ट्रेनें नहीं होने के बाद भी अक्सर पूरी लाइट्स जलती रहती हैं। इससे बिजली की खपत भी लगातार होती थी। अनावश्यकबिजली की खपत को कम करने के लिए रेलवे ने यह शुरुआत की है। इसके लिए प्लेटफॉर्म के लाइटिंग सिस्टम को होम और स्टार्टर सिग्नल के साथ जोड़ा गया है।
ऐसा करने से ट्रेन जैसे ही स्टेशन के हाेम सिग्नल पर आती है तो पूरी लाइट्स ऑटोमेटिक ऑन हो जाती है और जैसे ही ट्रेन प्लेटफॉर्म को क्रॉस करती है और ट्रेन का आखिरी कोच स्टार्टर सिग्नल को टच करता है, प्लेटफॉर्म की 50 % लाइट्स ऑफ हो जाती है। यह व्यवस्था शाम 6 से सुबह 6 बजे तक रहती है।
भोपाल स्टेशन के एक प्लेटफॉर्म पर 12 घंटे में 120 यूनिट बिजली की बचत हो रही है
रेलवे के मुताबिक, भोपाल रेलवे स्टेशन के एक प्लेटफॉर्म पर शाम 6 से सुबह 6 बजे तक 12 घंटे में करीब 200 यूनिट बिजली खपत होती थी, जो अब घटकर 80 यूनिट रह गई है। रेलवे की इस पहल से एक प्लेटफॉर्म के सालाना बिल में करीब साढ़े तीन लाख रुपए की कमी आएगी। यह सिर्फ एक रेलवे स्टेशन के एक प्लेटफॉर्म के बिल में होने वाली बचत है, इस पहल से रेलवे देश भर के स्टेशनों पर हर साल करोड़ों रुपए की बचत करने की तैयारी में है।
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