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दुनियाभर में स्कूल खोलने को लेकर कवायद शुरू हो गई है। ब्रिटेन, फ्रांस अमेरिका समेत कई देशों में सरकार अब इस बात पर दबाव डाल रही है कि हर हाल में स्कूल खोले जाने चाहिए। इस लिहाज से सरकारों के सामने दो गंभीर चुनौती खड़ी हो गई हैं। पहली यह कि छात्रों की अब तक की पढ़ाई में हुए नुकसान की भरपाई किस तरह हो और दूसरी यह कि सरकार अगर स्कूल खोल देती है, तो क्या पैरेंट्स अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए तैयार हैं? इन सवालों के बीच सबसे ज्यादा खतरा गरीब देशों को हो रहा है, जहां जरूरी संसाधन के अभाव में बच्चे स्कूल छोड़ रहे हैं। लॉकडाउन के कारण दुनियाभर में 150 करोड़ बच्चों ने स्कूल जाना छोड़ दिया है। इनमें से 70 करोड़ बच्चे भारत, बांग्लादेश जैसे विकासशील देशों में हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना की वजह से पढ़ाई का सबसे ज्यादा असर गरीब बच्चों और खासकर लड़कियों पर पड़ रहा है। ब्रिटेन में सितंबर से स्कूल खोले जाएंगे फ्रांस, डेनमार्क और न्यूजीलैंड जैसे देशों में सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों में ढिलाई दिए जाने के बाद यहां स्कूलों में बड़ी संख्या में बच्चे आने लगे हैं। ब्रिटेन में सितंबर से स्कूल खोले जाएंगे। ब्रिटिश सरकार ने 3220 करोड़ रुपए का नेशनल ट्यूटोरिंग प्रोग्राम लॉन्च किया है। इसके तहत स्कूल ग्रेजुएट्स की भर्ती की जाएगी जो पूर्णकालिक पढ़ाने का काम करेंगे। सरकार को भरोसा नहीं है कि बच्चे ऑनलाइन अच्छी तरह से पढ़ रहे हैं अमेरिका में तो राष्ट्रपति ट्रम्प ने तो स्कूल नहीं खोले जाने पर फंडिंग बंद करने तक की चेतावनी दे दी है। वहां सरकार को इस बात का भरोसा नहीं है कि बच्चे ऑनलाइन अच्छी तरह से पढ़ रहे हैं। इधर, यूनेस्को और एजुकेशन कंसलटेंसी फर्म मैकेंजी ने पढ़ाई में नुकसान की भरपाई के लिए तीन तरह की रणनीति अपनाए जाने की सलाह दी है। 1. अब स्कूलों को पढ़ाई के लिए छात्रों पर ज्यादा समय देना होगा। 2. पाठ्यक्रम नए सिरे से गठित करना होगा। 3. स्कूल और शिक्षकों के पढ़ाने के तरीके को और बेहतर करना होगा। देश के 33 करोड़ स्कूली बच्चों में सिर्फ 10% ही ऑनलाइन भारत में स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या करीब 33 करोड़ है। इनमें से सिर्फ 10.3% के पास ही ऑनलाइन पढ़ने की व्यवस्था है। केंद्र ने स्कूलों को खोलने को लेकर कई तरह की गाइडलाइन जारी की हैं, जिसमें सोशल डिस्टेंसिंग और सैनिटाइजेशन के नियम हैं। साथ ही स्कूलों में सिर्फ 30-40% स्ट्रेंथ रखने की भी बात की गई है। हालांकि, स्कूल अभी शुरू नहीं हुए हैं, लेकिन कई स्कूलों ने 1 से 8वीं कक्षा की ऑनलाइन क्लासेस शुरू कर दी हैं। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें भारत में स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या करीब 33 करोड़ है। इनमें से सिर्फ 10.3% के पास ही ऑनलाइन पढ़ने की व्यवस्था है। -प्रतीकात्मक फोटो https://ift.tt/397gyzo Dainik Bhaskar लॉकडाउन से 150 करोड़ बच्चों का स्कूल बंद, 70 करोड़ बच्चे भारत-बांग्लादेश जैसे देशों के, सवाल उठा- अब पढ़ाई के नुकसान की भरपाई कैसे होगी?

दुनियाभर में स्कूल खोलने को लेकर कवायद शुरू हो गई है। ब्रिटेन, फ्रांस अमेरिका समेत कई देशों में सरकार अब इस बात पर दबाव डाल रही है कि हर हाल में स्कूल खोले जाने चाहिए। इस लिहाज से सरकारों के सामने दो गंभीर चुनौती खड़ी हो गई हैं। पहली यह कि छात्रों की अब तक की पढ़ाई में हुए नुकसान की भरपाई किस तरह हो और दूसरी यह कि सरकार अगर स्कूल खोल देती है, तो क्या पैरेंट्स अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए तैयार हैं?

इन सवालों के बीच सबसे ज्यादा खतरा गरीब देशों को हो रहा है, जहां जरूरी संसाधन के अभाव में बच्चे स्कूल छोड़ रहे हैं। लॉकडाउन के कारण दुनियाभर में 150 करोड़ बच्चों ने स्कूल जाना छोड़ दिया है। इनमें से 70 करोड़ बच्चे भारत, बांग्लादेश जैसे विकासशील देशों में हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना की वजह से पढ़ाई का सबसे ज्यादा असर गरीब बच्चों और खासकर लड़कियों पर पड़ रहा है।

ब्रिटेन में सितंबर से स्कूल खोले जाएंगे

फ्रांस, डेनमार्क और न्यूजीलैंड जैसे देशों में सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों में ढिलाई दिए जाने के बाद यहां स्कूलों में बड़ी संख्या में बच्चे आने लगे हैं। ब्रिटेन में सितंबर से स्कूल खोले जाएंगे। ब्रिटिश सरकार ने 3220 करोड़ रुपए का नेशनल ट्यूटोरिंग प्रोग्राम लॉन्च किया है। इसके तहत स्कूल ग्रेजुएट्स की भर्ती की जाएगी जो पूर्णकालिक पढ़ाने का काम करेंगे।

सरकार को भरोसा नहीं है कि बच्चे ऑनलाइन अच्छी तरह से पढ़ रहे हैं

अमेरिका में तो राष्ट्रपति ट्रम्प ने तो स्कूल नहीं खोले जाने पर फंडिंग बंद करने तक की चेतावनी दे दी है। वहां सरकार को इस बात का भरोसा नहीं है कि बच्चे ऑनलाइन अच्छी तरह से पढ़ रहे हैं। इधर, यूनेस्को और एजुकेशन कंसलटेंसी फर्म मैकेंजी ने पढ़ाई में नुकसान की भरपाई के लिए तीन तरह की रणनीति अपनाए जाने की सलाह दी है।

1. अब स्कूलों को पढ़ाई के लिए छात्रों पर ज्यादा समय देना होगा।

2. पाठ्यक्रम नए सिरे से गठित करना होगा।

3. स्कूल और शिक्षकों के पढ़ाने के तरीके को और बेहतर करना होगा।

देश के 33 करोड़ स्कूली बच्चों में सिर्फ 10% ही ऑनलाइन

भारत में स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या करीब 33 करोड़ है। इनमें से सिर्फ 10.3% के पास ही ऑनलाइन पढ़ने की व्यवस्था है। केंद्र ने स्कूलों को खोलने को लेकर कई तरह की गाइडलाइन जारी की हैं, जिसमें सोशल डिस्टेंसिंग और सैनिटाइजेशन के नियम हैं। साथ ही स्कूलों में सिर्फ 30-40% स्ट्रेंथ रखने की भी बात की गई है। हालांकि, स्कूल अभी शुरू नहीं हुए हैं, लेकिन कई स्कूलों ने 1 से 8वीं कक्षा की ऑनलाइन क्लासेस शुरू कर दी हैं।



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भारत में स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या करीब 33 करोड़ है। इनमें से सिर्फ 10.3% के पास ही ऑनलाइन पढ़ने की व्यवस्था है। -प्रतीकात्मक फोटो


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दुनियाभर में स्कूल खोलने को लेकर कवायद शुरू हो गई है। ब्रिटेन, फ्रांस अमेरिका समेत कई देशों में सरकार अब इस बात पर दबाव डाल रही है कि हर हाल में स्कूल खोले जाने चाहिए। इस लिहाज से सरकारों के सामने दो गंभीर चुनौती खड़ी हो गई हैं। पहली यह कि छात्रों की अब तक की पढ़ाई में हुए नुकसान की भरपाई किस तरह हो और दूसरी यह कि सरकार अगर स्कूल खोल देती है, तो क्या पैरेंट्स अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए तैयार हैं? इन सवालों के बीच सबसे ज्यादा खतरा गरीब देशों को हो रहा है, जहां जरूरी संसाधन के अभाव में बच्चे स्कूल छोड़ रहे हैं। लॉकडाउन के कारण दुनियाभर में 150 करोड़ बच्चों ने स्कूल जाना छोड़ दिया है। इनमें से 70 करोड़ बच्चे भारत, बांग्लादेश जैसे विकासशील देशों में हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना की वजह से पढ़ाई का सबसे ज्यादा असर गरीब बच्चों और खासकर लड़कियों पर पड़ रहा है। ब्रिटेन में सितंबर से स्कूल खोले जाएंगे फ्रांस, डेनमार्क और न्यूजीलैंड जैसे देशों में सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों में ढिलाई दिए जाने के बाद यहां स्कूलों में बड़ी संख्या में बच्चे आने लगे हैं। ब्रिटेन में सितंबर से स्कूल खोले जाएंगे। ब्रिटिश सरकार ने 3220 करोड़ रुपए का नेशनल ट्यूटोरिंग प्रोग्राम लॉन्च किया है। इसके तहत स्कूल ग्रेजुएट्स की भर्ती की जाएगी जो पूर्णकालिक पढ़ाने का काम करेंगे। सरकार को भरोसा नहीं है कि बच्चे ऑनलाइन अच्छी तरह से पढ़ रहे हैं अमेरिका में तो राष्ट्रपति ट्रम्प ने तो स्कूल नहीं खोले जाने पर फंडिंग बंद करने तक की चेतावनी दे दी है। वहां सरकार को इस बात का भरोसा नहीं है कि बच्चे ऑनलाइन अच्छी तरह से पढ़ रहे हैं। इधर, यूनेस्को और एजुकेशन कंसलटेंसी फर्म मैकेंजी ने पढ़ाई में नुकसान की भरपाई के लिए तीन तरह की रणनीति अपनाए जाने की सलाह दी है। 1. अब स्कूलों को पढ़ाई के लिए छात्रों पर ज्यादा समय देना होगा। 2. पाठ्यक्रम नए सिरे से गठित करना होगा। 3. स्कूल और शिक्षकों के पढ़ाने के तरीके को और बेहतर करना होगा। देश के 33 करोड़ स्कूली बच्चों में सिर्फ 10% ही ऑनलाइन भारत में स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या करीब 33 करोड़ है। इनमें से सिर्फ 10.3% के पास ही ऑनलाइन पढ़ने की व्यवस्था है। केंद्र ने स्कूलों को खोलने को लेकर कई तरह की गाइडलाइन जारी की हैं, जिसमें सोशल डिस्टेंसिंग और सैनिटाइजेशन के नियम हैं। साथ ही स्कूलों में सिर्फ 30-40% स्ट्रेंथ रखने की भी बात की गई है। हालांकि, स्कूल अभी शुरू नहीं हुए हैं, लेकिन कई स्कूलों ने 1 से 8वीं कक्षा की ऑनलाइन क्लासेस शुरू कर दी हैं। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें भारत में स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या करीब 33 करोड़ है। इनमें से सिर्फ 10.3% के पास ही ऑनलाइन पढ़ने की व्यवस्था है। -प्रतीकात्मक फोटो https://ift.tt/397gyzo Dainik Bhaskar लॉकडाउन से 150 करोड़ बच्चों का स्कूल बंद, 70 करोड़ बच्चे भारत-बांग्लादेश जैसे देशों के, सवाल उठा- अब पढ़ाई के नुकसान की भरपाई कैसे होगी? 

दुनियाभर में स्कूल खोलने को लेकर कवायद शुरू हो गई है। ब्रिटेन, फ्रांस अमेरिका समेत कई देशों में सरकार अब इस बात पर दबाव डाल रही है कि हर हाल में स्कूल खोले जाने चाहिए। इस लिहाज से सरकारों के सामने दो गंभीर चुनौती खड़ी हो गई हैं। पहली यह कि छात्रों की अब तक की पढ़ाई में हुए नुकसान की भरपाई किस तरह हो और दूसरी यह कि सरकार अगर स्कूल खोल देती है, तो क्या पैरेंट्स अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए तैयार हैं?

इन सवालों के बीच सबसे ज्यादा खतरा गरीब देशों को हो रहा है, जहां जरूरी संसाधन के अभाव में बच्चे स्कूल छोड़ रहे हैं। लॉकडाउन के कारण दुनियाभर में 150 करोड़ बच्चों ने स्कूल जाना छोड़ दिया है। इनमें से 70 करोड़ बच्चे भारत, बांग्लादेश जैसे विकासशील देशों में हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना की वजह से पढ़ाई का सबसे ज्यादा असर गरीब बच्चों और खासकर लड़कियों पर पड़ रहा है।

ब्रिटेन में सितंबर से स्कूल खोले जाएंगे

फ्रांस, डेनमार्क और न्यूजीलैंड जैसे देशों में सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों में ढिलाई दिए जाने के बाद यहां स्कूलों में बड़ी संख्या में बच्चे आने लगे हैं। ब्रिटेन में सितंबर से स्कूल खोले जाएंगे। ब्रिटिश सरकार ने 3220 करोड़ रुपए का नेशनल ट्यूटोरिंग प्रोग्राम लॉन्च किया है। इसके तहत स्कूल ग्रेजुएट्स की भर्ती की जाएगी जो पूर्णकालिक पढ़ाने का काम करेंगे।

सरकार को भरोसा नहीं है कि बच्चे ऑनलाइन अच्छी तरह से पढ़ रहे हैं

अमेरिका में तो राष्ट्रपति ट्रम्प ने तो स्कूल नहीं खोले जाने पर फंडिंग बंद करने तक की चेतावनी दे दी है। वहां सरकार को इस बात का भरोसा नहीं है कि बच्चे ऑनलाइन अच्छी तरह से पढ़ रहे हैं। इधर, यूनेस्को और एजुकेशन कंसलटेंसी फर्म मैकेंजी ने पढ़ाई में नुकसान की भरपाई के लिए तीन तरह की रणनीति अपनाए जाने की सलाह दी है।

1. अब स्कूलों को पढ़ाई के लिए छात्रों पर ज्यादा समय देना होगा।

2. पाठ्यक्रम नए सिरे से गठित करना होगा।

3. स्कूल और शिक्षकों के पढ़ाने के तरीके को और बेहतर करना होगा।

देश के 33 करोड़ स्कूली बच्चों में सिर्फ 10% ही ऑनलाइन

भारत में स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या करीब 33 करोड़ है। इनमें से सिर्फ 10.3% के पास ही ऑनलाइन पढ़ने की व्यवस्था है। केंद्र ने स्कूलों को खोलने को लेकर कई तरह की गाइडलाइन जारी की हैं, जिसमें सोशल डिस्टेंसिंग और सैनिटाइजेशन के नियम हैं। साथ ही स्कूलों में सिर्फ 30-40% स्ट्रेंथ रखने की भी बात की गई है। हालांकि, स्कूल अभी शुरू नहीं हुए हैं, लेकिन कई स्कूलों ने 1 से 8वीं कक्षा की ऑनलाइन क्लासेस शुरू कर दी हैं।

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भारत में स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या करीब 33 करोड़ है। इनमें से सिर्फ 10.3% के पास ही ऑनलाइन पढ़ने की व्यवस्था है। -प्रतीकात्मक फोटो

https://ift.tt/397gyzo Dainik Bhaskar लॉकडाउन से 150 करोड़ बच्चों का स्कूल बंद, 70 करोड़ बच्चे भारत-बांग्लादेश जैसे देशों के, सवाल उठा- अब पढ़ाई के नुकसान की भरपाई कैसे होगी? Reviewed by Manish Pethev on July 19, 2020 Rating: 5

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