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कोरोनावायरस के खिलाफ लड़ाई में मास्क सबसे बड़ा हथियार बनकर सामने आया है। सीडीसी, WHO जैसी कई स्वास्थ्य संस्थाएं लोगों से मास्क पहनने की अपील कर रही हैं। भारत में भी सरकार ने मास्क पहनाना अनिवार्य किया हुआ। लेकिन, केंद्र सरकार की नई एडवाइजरी से हर कोई हैरान है। दरअसल, सरकार ने कहा है कि एन-95 मास्क सुरक्षित नहीं है। यह वायरस को रोकने में सफल नहीं है। लेकिन, यह वही एन-95 मास्क है, जो कोरोना के शुरू होते ही दुनिया में सबसे पहले और सबसे ज्यादा चर्चा में रहा है। आज भी दुनिया के तमाम देशों में एक्सपर्ट्स इस मास्क को सबसे ज्यादा सुरक्षित बता रहे हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक, एन-95 मास्क 0.3 माइक्रॉन्स के आकार के ड्रॉपलेट्स को 95% तक रोक सकता है। जबकि कपड़े का मास्क 1 माइक्रॉन्स के आकार के ड्रॉपलेट्स को 69% तक सही रोकता है। कोरोना के ड्रॉपलेट्स का आकार 0.6 से 5 माइक्रॉन्स तक होता है। एन- 95 मास्क दो तरह के होते हैं वाल्व लगे मास्क बिना वाल्व वाले मास्क केंद्र सरकार ने वाल्वलगे एन-95 मास्क को पहनने से रोका है। सभी एन-95 मास्क को नहीं। हां, यह जरूर कहा है कि अधिकृत स्वास्थ्य कर्मियों की जगह आम लोग एन-95 मास्क का अनुचित इस्तेमाल कर रहे हैं। इसे नहीं करना चाहिए। एन-95: यह मास्क सिंगल यूज होते हैं और पॉलिएस्टर और दूसरे सिंथेटिक फाइबर्स से बने होते हैं- यह मास्क छोटे पार्टिकल्स (0.3 माइक्रॉन्स) को करीब 95% तक रोक लेता है। आमतौर पर इतने छोटे कणों को रोकना बेहद मुश्किल होता है। इंसान के औसत बाल का आकार 70 से 100 माइक्रॉन्स चौड़ा होता है। यह मास्क सिंगल यूज होते हैं और पॉलिएस्टर और दूसरे सिंथेटिक फाइबर्स से बने होते हैं। इसमें फाइबर की एक लेयर होती है जो फिल्टर का काम करती है। यह कणों को रोकते हैं। इस मास्क में यह पक्का कर लें कि आपकी स्किन और मास्क में कोई गैप नहीं होना चाहिए। इसमें एक नोज-पीस होता है जो चेहरे के आकार के हिसाब से ढल सकता है। कई हेल्थ केयर वर्कर्स सालाना फिटिंग टेस्ट कराते हैं, जिसमें एयर लीकेज की जांच होती है और मास्क का साइज फिट हो जाए। अगर आपके चेहरे पर दाढ़ी है तो यह ठीक से फिट नहीं होगा। यह मास्क बच्चों के चेहरे पर भी फिट नहीं होते। कुछ एन- 95 मास्क में सामने एक्सलेशन वाल्व होते हैं, जिससे सांस लेने में आसानी होती है। यह मास्क आमतौर पर कंस्ट्रक्शन में उपयोग होते हैं। वाल्ववाले मास्क हॉस्पिटल के ऑपरेशन रूम जैसी जगहों में उपयोग नहीं करने चाहिए। ऐसे में यह आपके सांस लेने पर दूसरों की सुरक्षा नहीं करता है। बाजार में और कौन से मास्क उपलब्ध हैं- 1- मेडिकल मास्क इस तरह के मास्क कई प्रकार के होते हैं और एन-95 से कम प्रभावी होते हैं। इनमें से कुछ मास्क लैब कंडीशन के अंदर 60 से 80% छोटे कणों को रोक लेते हैं। आमतौर पर मेडिकल मास्क सांस लेने लायक और पेपर जैसे सिंथेटिक फाइबर से बने होते हैं। यह रेक्टेंगल शेप में होते हैं और प्लेट्स बनी होती हैं। यह मास्क डिस्पोजेबल होते हैं और एक बार के उपयोग के लिए बने होते हैं। यह मास्क आपको बड़ी बूंदों से बचाते हैं, लेकिन चेहरे पर ढीले होने के कारण यह एन-95 के मुकाबले कम असरदार होते हैं। 2- होम मेड मास्क मेडिकल मास्क की कम सप्लाई के कारण कई लोगों ने घर में बने मास्क का उपयोग किया। अगर अच्छे फैब्रिक और बेहतर ढंग से इसका निर्माण किया गया है तो यह मेडिकल मास्क जैसी सुरक्षा देता है। एक अच्छा होम मेड मास्क ऐसे मेटेरियल से तैयार किया जाता है जो वायरस पार्टिकल को रोकने में सक्षम होता है। यह कॉटन फैब्रिक से बने होते हैं। ऐसे मास्क का निर्माण हैवी कॉटन टी-शर्ट से भी किया जा सकता है। ऐसा मेटेरियल जिसमें धागों की मात्रा ज्यादा होती है। यह मास्क बेहतर सुरक्षा प्रदान करते हैं। इंटरनेट पर कॉटन मास्क बनाने के कई तरीके मौजूद हैं। लेकिन आप ऐसे मास्क की तलाश करें, जिसमें कम से कम दो लेयर हों और जो आपकी नाक और ठुड्डी को कवर करे। 3- होम मेड फिल्टर मास्क यह एक अन्य तरह के कॉटन मास्क होते हैं, जो 100 फीसदी कॉटन टी-शर्ट से बने होते हैं। इन मास्क में पीछे एक जेब होती है जो फिल्टर का काम करती है। हमने इसमें एक कॉफी फिल्टर का इस्तेमाल किया है। पेपर टॉवेल भी टेस्ट किए जा चुके हैं। एक प्रयोग बताता है कि पेपर टॉवेल की दो लेयर 0.3 माइक्रॉन के 23 से 33% तक ब्लॉक करती हैं। लोग इस दौरान कई फिल्टर मेटेरियल का उपयोग कर रहे हैं। इनमें एयर फिल्टर और वैक्यूम बैग्स शामिल हैं। यह असरदार हो सकते हैं, लेकिन इनमें जोखिम होते हैं। कई बार यह सांस लेने लायक नहीं होते और कई बार हानिकारक फाइबर होते हैं, जिन्हें आप सांस के साथ अंदर ले सकते हैं। इसके साथ ही एक औसत व्यक्ति को इतने फिल्ट्रेशन की जरूरत नहीं होती है। आप जो भी फिल्टर का उपयोग करें, यह पक्का कर लें कि इसकी साइड में कॉटन या इसके जैसे किसी मेटेरियल की कोई लेयर हो। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें Coronavirus N95 Face Mask; Eveything You Need To Know https://ift.tt/2BrdXnw Dainik Bhaskar सिर्फ वाल्व वाले एन-95 मास्क नहीं हैं सेफ, बाकी 0.3 माइक्रॉन्स तक के ड्रॉपलेट्स को 95% तक सटीक रोकते हैं; जानिए इसकी और खूबियों के बारे में

कोरोनावायरस के खिलाफ लड़ाई में मास्क सबसे बड़ा हथियार बनकर सामने आया है। सीडीसी, WHO जैसी कई स्वास्थ्य संस्थाएं लोगों से मास्क पहनने की अपील कर रही हैं। भारत में भी सरकार ने मास्क पहनाना अनिवार्य किया हुआ। लेकिन, केंद्र सरकार की नई एडवाइजरी से हर कोई हैरान है। दरअसल, सरकार ने कहा है कि एन-95 मास्क सुरक्षित नहीं है। यह वायरस को रोकने में सफल नहीं है।

लेकिन, यह वही एन-95 मास्क है, जो कोरोना के शुरू होते ही दुनिया में सबसे पहले और सबसे ज्यादा चर्चा में रहा है। आज भी दुनिया के तमाम देशों में एक्सपर्ट्स इस मास्क को सबसे ज्यादा सुरक्षित बता रहे हैं।
वैज्ञानिकों के मुताबिक, एन-95 मास्क 0.3 माइक्रॉन्स के आकार के ड्रॉपलेट्स को 95% तक रोक सकता है। जबकि कपड़े का मास्क 1 माइक्रॉन्स के आकार के ड्रॉपलेट्स को 69% तक सही रोकता है। कोरोना के ड्रॉपलेट्स का आकार 0.6 से 5 माइक्रॉन्स तक होता है।

एन- 95 मास्क दो तरह के होते हैं

  • वाल्व लगे मास्क
  • बिना वाल्व वाले मास्क

केंद्र सरकार ने वाल्वलगे एन-95 मास्क को पहनने से रोका है। सभी एन-95 मास्क को नहीं। हां, यह जरूर कहा है कि अधिकृत स्वास्थ्य कर्मियों की जगह आम लोग एन-95 मास्क का अनुचित इस्तेमाल कर रहे हैं। इसे नहीं करना चाहिए।


एन-95: यह मास्क सिंगल यूज होते हैं और पॉलिएस्टर और दूसरे सिंथेटिक फाइबर्स से बने होते हैं-

  • यह मास्क छोटे पार्टिकल्स (0.3 माइक्रॉन्स) को करीब 95% तक रोक लेता है। आमतौर पर इतने छोटे कणों को रोकना बेहद मुश्किल होता है। इंसान के औसत बाल का आकार 70 से 100 माइक्रॉन्स चौड़ा होता है।
  • यह मास्क सिंगल यूज होते हैं और पॉलिएस्टर और दूसरे सिंथेटिक फाइबर्स से बने होते हैं। इसमें फाइबर की एक लेयर होती है जो फिल्टर का काम करती है। यह कणों को रोकते हैं।
  • इस मास्क में यह पक्का कर लें कि आपकी स्किन और मास्क में कोई गैप नहीं होना चाहिए। इसमें एक नोज-पीस होता है जो चेहरे के आकार के हिसाब से ढल सकता है।
  • कई हेल्थ केयर वर्कर्स सालाना फिटिंग टेस्ट कराते हैं, जिसमें एयर लीकेज की जांच होती है और मास्क का साइज फिट हो जाए। अगर आपके चेहरे पर दाढ़ी है तो यह ठीक से फिट नहीं होगा। यह मास्क बच्चों के चेहरे पर भी फिट नहीं होते।
  • कुछ एन- 95 मास्क में सामने एक्सलेशन वाल्व होते हैं, जिससे सांस लेने में आसानी होती है। यह मास्क आमतौर पर कंस्ट्रक्शन में उपयोग होते हैं।
  • वाल्ववाले मास्क हॉस्पिटल के ऑपरेशन रूम जैसी जगहों में उपयोग नहीं करने चाहिए। ऐसे में यह आपके सांस लेने पर दूसरों की सुरक्षा नहीं करता है।

बाजार में और कौन से मास्क उपलब्ध हैं-

1- मेडिकल मास्क

  • इस तरह के मास्क कई प्रकार के होते हैं और एन-95 से कम प्रभावी होते हैं। इनमें से कुछ मास्क लैब कंडीशन के अंदर 60 से 80% छोटे कणों को रोक लेते हैं।
  • आमतौर पर मेडिकल मास्क सांस लेने लायक और पेपर जैसे सिंथेटिक फाइबर से बने होते हैं। यह रेक्टेंगल शेप में होते हैं और प्लेट्स बनी होती हैं। यह मास्क डिस्पोजेबल होते हैं और एक बार के उपयोग के लिए बने होते हैं।
  • यह मास्क आपको बड़ी बूंदों से बचाते हैं, लेकिन चेहरे पर ढीले होने के कारण यह एन-95 के मुकाबले कम असरदार होते हैं।

2- होम मेड मास्क

  • मेडिकल मास्क की कम सप्लाई के कारण कई लोगों ने घर में बने मास्क का उपयोग किया। अगर अच्छे फैब्रिक और बेहतर ढंग से इसका निर्माण किया गया है तो यह मेडिकल मास्क जैसी सुरक्षा देता है।
  • एक अच्छा होम मेड मास्क ऐसे मेटेरियल से तैयार किया जाता है जो वायरस पार्टिकल को रोकने में सक्षम होता है। यह कॉटन फैब्रिक से बने होते हैं।
  • ऐसे मास्क का निर्माण हैवी कॉटन टी-शर्ट से भी किया जा सकता है। ऐसा मेटेरियल जिसमें धागों की मात्रा ज्यादा होती है। यह मास्क बेहतर सुरक्षा प्रदान करते हैं।
  • इंटरनेट पर कॉटन मास्क बनाने के कई तरीके मौजूद हैं। लेकिन आप ऐसे मास्क की तलाश करें, जिसमें कम से कम दो लेयर हों और जो आपकी नाक और ठुड्डी को कवर करे।

3- होम मेड फिल्टर मास्क

  • यह एक अन्य तरह के कॉटन मास्क होते हैं, जो 100 फीसदी कॉटन टी-शर्ट से बने होते हैं। इन मास्क में पीछे एक जेब होती है जो फिल्टर का काम करती है।
  • हमने इसमें एक कॉफी फिल्टर का इस्तेमाल किया है। पेपर टॉवेल भी टेस्ट किए जा चुके हैं। एक प्रयोग बताता है कि पेपर टॉवेल की दो लेयर 0.3 माइक्रॉन के 23 से 33% तक ब्लॉक करती हैं।
  • लोग इस दौरान कई फिल्टर मेटेरियल का उपयोग कर रहे हैं। इनमें एयर फिल्टर और वैक्यूम बैग्स शामिल हैं। यह असरदार हो सकते हैं, लेकिन इनमें जोखिम होते हैं।
  • कई बार यह सांस लेने लायक नहीं होते और कई बार हानिकारक फाइबर होते हैं, जिन्हें आप सांस के साथ अंदर ले सकते हैं।
  • इसके साथ ही एक औसत व्यक्ति को इतने फिल्ट्रेशन की जरूरत नहीं होती है। आप जो भी फिल्टर का उपयोग करें, यह पक्का कर लें कि इसकी साइड में कॉटन या इसके जैसे किसी मेटेरियल की कोई लेयर हो।


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Coronavirus N95 Face Mask; Eveything You Need To Know


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कोरोनावायरस के खिलाफ लड़ाई में मास्क सबसे बड़ा हथियार बनकर सामने आया है। सीडीसी, WHO जैसी कई स्वास्थ्य संस्थाएं लोगों से मास्क पहनने की अपील कर रही हैं। भारत में भी सरकार ने मास्क पहनाना अनिवार्य किया हुआ। लेकिन, केंद्र सरकार की नई एडवाइजरी से हर कोई हैरान है। दरअसल, सरकार ने कहा है कि एन-95 मास्क सुरक्षित नहीं है। यह वायरस को रोकने में सफल नहीं है।

लेकिन, यह वही एन-95 मास्क है, जो कोरोना के शुरू होते ही दुनिया में सबसे पहले और सबसे ज्यादा चर्चा में रहा है। आज भी दुनिया के तमाम देशों में एक्सपर्ट्स इस मास्क को सबसे ज्यादा सुरक्षित बता रहे हैं।
वैज्ञानिकों के मुताबिक, एन-95 मास्क 0.3 माइक्रॉन्स के आकार के ड्रॉपलेट्स को 95% तक रोक सकता है। जबकि कपड़े का मास्क 1 माइक्रॉन्स के आकार के ड्रॉपलेट्स को 69% तक सही रोकता है। कोरोना के ड्रॉपलेट्स का आकार 0.6 से 5 माइक्रॉन्स तक होता है।

एन- 95 मास्क दो तरह के होते हैं

वाल्व लगे मास्क

बिना वाल्व वाले मास्क

केंद्र सरकार ने वाल्वलगे एन-95 मास्क को पहनने से रोका है। सभी एन-95 मास्क को नहीं। हां, यह जरूर कहा है कि अधिकृत स्वास्थ्य कर्मियों की जगह आम लोग एन-95 मास्क का अनुचित इस्तेमाल कर रहे हैं। इसे नहीं करना चाहिए।

एन-95: यह मास्क सिंगल यूज होते हैं और पॉलिएस्टर और दूसरे सिंथेटिक फाइबर्स से बने होते हैं-

यह मास्क छोटे पार्टिकल्स (0.3 माइक्रॉन्स) को करीब 95% तक रोक लेता है। आमतौर पर इतने छोटे कणों को रोकना बेहद मुश्किल होता है। इंसान के औसत बाल का आकार 70 से 100 माइक्रॉन्स चौड़ा होता है।

यह मास्क सिंगल यूज होते हैं और पॉलिएस्टर और दूसरे सिंथेटिक फाइबर्स से बने होते हैं। इसमें फाइबर की एक लेयर होती है जो फिल्टर का काम करती है। यह कणों को रोकते हैं।

इस मास्क में यह पक्का कर लें कि आपकी स्किन और मास्क में कोई गैप नहीं होना चाहिए। इसमें एक नोज-पीस होता है जो चेहरे के आकार के हिसाब से ढल सकता है।

कई हेल्थ केयर वर्कर्स सालाना फिटिंग टेस्ट कराते हैं, जिसमें एयर लीकेज की जांच होती है और मास्क का साइज फिट हो जाए। अगर आपके चेहरे पर दाढ़ी है तो यह ठीक से फिट नहीं होगा। यह मास्क बच्चों के चेहरे पर भी फिट नहीं होते।

कुछ एन- 95 मास्क में सामने एक्सलेशन वाल्व होते हैं, जिससे सांस लेने में आसानी होती है। यह मास्क आमतौर पर कंस्ट्रक्शन में उपयोग होते हैं।

वाल्ववाले मास्क हॉस्पिटल के ऑपरेशन रूम जैसी जगहों में उपयोग नहीं करने चाहिए। ऐसे में यह आपके सांस लेने पर दूसरों की सुरक्षा नहीं करता है।

बाजार में और कौन से मास्क उपलब्ध हैं-

1- मेडिकल मास्क

इस तरह के मास्क कई प्रकार के होते हैं और एन-95 से कम प्रभावी होते हैं। इनमें से कुछ मास्क लैब कंडीशन के अंदर 60 से 80% छोटे कणों को रोक लेते हैं।

आमतौर पर मेडिकल मास्क सांस लेने लायक और पेपर जैसे सिंथेटिक फाइबर से बने होते हैं। यह रेक्टेंगल शेप में होते हैं और प्लेट्स बनी होती हैं। यह मास्क डिस्पोजेबल होते हैं और एक बार के उपयोग के लिए बने होते हैं।

यह मास्क आपको बड़ी बूंदों से बचाते हैं, लेकिन चेहरे पर ढीले होने के कारण यह एन-95 के मुकाबले कम असरदार होते हैं।

2- होम मेड मास्क

मेडिकल मास्क की कम सप्लाई के कारण कई लोगों ने घर में बने मास्क का उपयोग किया। अगर अच्छे फैब्रिक और बेहतर ढंग से इसका निर्माण किया गया है तो यह मेडिकल मास्क जैसी सुरक्षा देता है।

एक अच्छा होम मेड मास्क ऐसे मेटेरियल से तैयार किया जाता है जो वायरस पार्टिकल को रोकने में सक्षम होता है। यह कॉटन फैब्रिक से बने होते हैं।

ऐसे मास्क का निर्माण हैवी कॉटन टी-शर्ट से भी किया जा सकता है। ऐसा मेटेरियल जिसमें धागों की मात्रा ज्यादा होती है। यह मास्क बेहतर सुरक्षा प्रदान करते हैं।

इंटरनेट पर कॉटन मास्क बनाने के कई तरीके मौजूद हैं। लेकिन आप ऐसे मास्क की तलाश करें, जिसमें कम से कम दो लेयर हों और जो आपकी नाक और ठुड्डी को कवर करे।

3- होम मेड फिल्टर मास्क

यह एक अन्य तरह के कॉटन मास्क होते हैं, जो 100 फीसदी कॉटन टी-शर्ट से बने होते हैं। इन मास्क में पीछे एक जेब होती है जो फिल्टर का काम करती है।

हमने इसमें एक कॉफी फिल्टर का इस्तेमाल किया है। पेपर टॉवेल भी टेस्ट किए जा चुके हैं। एक प्रयोग बताता है कि पेपर टॉवेल की दो लेयर 0.3 माइक्रॉन के 23 से 33% तक ब्लॉक करती हैं।

लोग इस दौरान कई फिल्टर मेटेरियल का उपयोग कर रहे हैं। इनमें एयर फिल्टर और वैक्यूम बैग्स शामिल हैं। यह असरदार हो सकते हैं, लेकिन इनमें जोखिम होते हैं।

कई बार यह सांस लेने लायक नहीं होते और कई बार हानिकारक फाइबर होते हैं, जिन्हें आप सांस के साथ अंदर ले सकते हैं।

इसके साथ ही एक औसत व्यक्ति को इतने फिल्ट्रेशन की जरूरत नहीं होती है। आप जो भी फिल्टर का उपयोग करें, यह पक्का कर लें कि इसकी साइड में कॉटन या इसके जैसे किसी मेटेरियल की कोई लेयर हो।

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