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Show HN: AWS Lambda Terraform Cookbook with working examples https://ift.tt/37YIp5U Show HN: AWS Lambda Terraform Cookbook with working examples https://ift.tt/37YIp5U Reviewed by Manish Pethev on December 31, 2020 Rating: 5

नमस्कार! कर्मचारियों को EPF पर 8.5% का एकमुश्त ब्याज मिलेगा। कोरोना के नए स्ट्रेन के खतरे के बीच ब्रिटेन से लौटे कई लोग गायब हैं। यमन में एयरपोर्ट पर ताकतवर ब्लास्ट हुआ। बहरहाल शुरू करते हैं न्यूज ब्रीफ। सबसे पहले देख लेते हैं मार्केट क्या कह रहा है - BSE का मार्केट कैप 187.98 लाख करोड़ रुपए रहा। 52% कंपनियों के शेयरों में बढ़त रही। 3,134 कंपनियों के शेयरों में ट्रेडिंग हुई। 1,650 कंपनियों के शेयर बढ़े और 1,313 के शेयर गिरे। आज इन इवेंट्स पर रहेगी नजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजकोट में वीडियो कॉन्फ्रंसिंग के जरिए AIIMS की नींव रखेंगे। केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक CBSE बोर्ड परीक्षा की तारीखों का ऐलान करेंगे। देश-विदेश थोड़ी सरकार झुकी, थोड़ा किसान किसान आंदोलन के 35वें दिन सरकार और किसानों के बीच 36 का आंकड़ा खत्म होता दिखा। कृषि कानूनों पर किसान संगठनों और केंद्र के बीच बुधवार को विज्ञान भवन में सातवें दौर की बैठक हुई। पांच घंटे तक चली मीटिंग में सरकार थोड़ी झुकी, तो किसान भी थोड़े नरम पड़े। सरकार ने किसानों की चार में से दो मांगें मान लीं। बाकी दो मांगों पर बातचीत के लिए 4 जनवरी की तारीख तय की गई है। पराली जलाने और इलेक्ट्रिसिटी एक्ट को लेकर केंद्र और किसान रजामंद हो गए। वहीं, MSP को कानून का दर्जा देने पर अगली बैठक में चर्चा होगी। ITR फाइल करने की तारीख बढ़ी सरकार ने इनकम टैक्स फाइल करने का समय बढ़ा दिया है। अब 10 जनवरी तक इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल किया जा सकता है। जानकारी के मुताबिक, 28 दिसंबर तक कुल 4.37 करोड़ ITR भरे गए थे। वे व्यक्तिगत इनकम टैक्स भरने वाले जिनके खातों के ऑडिट की जरूरत नहीं है, वे 10 जनवरी तक रिटर्न फाइल कर सकते हैं। वहीं, जो लोग टैक्स देते हैं और उनका खाता ऑडिट होता है और वे लोग जिन्हें इंटरनेशनल फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन की रिपोर्ट देनी होती है, उनके लिए ITR का समय 15 फरवरी तक बढ़ाया गया है। इसी के साथ सरकार ने टैक्स ऑडिट रिपोर्ट की आखिरी तारीख बढ़ाकर 15 जनवरी 2021 कर दी है। कर्मचारियों के लिए खुशखबरी सरकार की तरफ से कर्मचारियों के लिए नए साल से पहले बड़ी खुशखबरी है। सरकार ने 2019-20 के लिए एम्प्लॉइज प्रोविडेंट फंड (EPF) पर 8.5% का एकमुश्त ब्याज देने का प्रस्ताव मान लिया है। मुमकिन है कि ब्याज की यह रकम 31 दिसंबर 2020 तक कर्मचारियों के खाते में पहुंच जाए। सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि ब्याज दर से जुड़े प्रस्ताव पर इसी हफ्ते श्रम और वित्त मंत्रालय की बैठक हुई थी। इसी बैठक में EPFO को एकमुश्त 8.5% ब्याज देने की इजाजत मिली। नए साल में ब्रिटेन की फ्लाइट्स पर ब्रेक देश में ब्रिटेन में मिले ज्यादा खतरनाक कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़कर 20 हो गई है। बुधवार को 13 नए मरीज मिले। इस बीच सरकार ने ब्रिटेन जाने-आने वाली उड़ानों पर रोक 7 जनवरी तक बढ़ा दी है। पहले 22 दिसंबर की आधी रात से 31 दिसंबर तक यह रोक लगाई गई थी। इसके अलावा सरकार ने सभी इंटरनेशनल कमर्शियल फ्लाइट्स पर लगा प्रतिबंध 31 जनवरी तक बढ़ा दिया है। स्पेशल और कार्गो फ्लाइट्स पर प्रतिबंध लागू नहीं होगा। कोरोना के नए स्ट्रेन से देश में स्ट्रेस कोरोना के नए स्ट्रेन के खतरे के बीच देश में एक महीने में ब्रिटेन से लौटे करीब 33 हजार लोगों ने सरकार की परेशानी बढ़ा दी है। बिहार, पंजाब और महाराष्ट्र जैसे कई राज्यों में UK से आए लोगों की ट्रेसिंग नहीं हो पा रही है। कई यात्रियों ने पता और नंबर गलत बताया है, जिससे ट्रेसिंग में दिक्कत आ रही है। पंजाब में सबसे ज्यादा 3 हजार 426 लोग ब्रिटेन से लौटे, इनमें से 2 हजार 426 ट्रेस नहीं हुए। वहीं, महाराष्ट्र में 1200 से लोग लौटे, जिनमें पुणे के 109 लोग लापता हैं। बिहार में बयानवीरों का दंगल बिहार में RJD और JDU के बीच एक-दूसरे के विधायकों को तोड़ने के मुद्दे पर लगातार बयानबाजी हो रही है। RJD नेता श्याम रजक ने JDU के 17 विधायक तोड़ने का दावा किया, तो सत्तारूढ़ JDU के मुख्य प्रवक्ता संजय सिंह ने कहा है कि श्याम रजक मुगालते में हैं। उनके तीन दर्जन विधायक JDU के संपर्क में हैं। वे कभी भी RJD छोड़कर JDU में शामिल हो सकते हैं। हालांकि, CM नीतीश कुमार ने कहा है कि ऐसे दावों में कोई दम नहीं है। एक्सप्लेनर सर्दी भगाने के लिए शराब है खराब मौसम विभाग (IMD) ने अगले कुछ दिन तक उत्तर भारत के कई राज्यों में कड़ाके की ठंड पड़ने की चेतावनी जारी की है। अगले कुछ दिनों तक हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और राजस्थान में कड़ाके की ठंड पड़ेगी। इन राज्यों में अधिकतम तापमान 3 से 5 डिग्री तक गिर सकता है। इसके साथ ही IMD ने एक एडवाइजरी भी जारी की है। इसमें कहा गया है कि ठंड से बचने के लिए लोग शराब का सेवन नहीं करें। सर्दी में शराब कैसे बन सकती है खतरा, यहां पढ़िए.. पढ़ें पूरी खबर... पॉजिटिव खबर अंजीर की खेती से 1.5 करोड़ का टर्नओवर आज की कहानी महाराष्ट्र के दौंड के रहने वाले समीर डॉम्बे की। समीर ने 2013 में इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। एक मल्टीनेशनल कंपनी में कैंपस प्लेसमेंट भी हो गया। सैलरी भी बढ़िया थी। लेकिन, जॉब सैटिस्फेक्शन नहीं था। वो कुछ इनोवेटिव करना चाहते थे। 2014 में उन्होंने नौकरी छोड़कर अंजीर की खेती करने का फैसला किया। आज देशभर में उनके प्रोडक्ट बिकते हैं। सालाना 1.5 करोड़ उनका टर्नओवर है। पढ़ें पूरी खबर... फिर सुर्खियों में शाहीन बाग नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान गोली चलाने वाले कपिल गुर्जर ने बुधवार को भाजपा (BJP) जॉइन कर ली। इस दौरान उसने कहा कि हम भाजपा के साथ हैं। मैं RSS के साथ भी जुड़ा हूं। कपिल गुर्जर ने दिन में भाजपा ज्वाइन की, शाम तक उसके शाहीन बाग केस में शामिल होने की बात सुर्खियां बन गई। इसके बाद भाजपा ने उसकी मेंबरशिप कैंसिल कर दी। उत्तर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह को इस मामले में सफाई देनी पड़ी। यमन में एयरपोर्ट पर धमाका अरब देश यमन के अदन एयरपोर्ट पर बुधवार को बड़ा धमाका हुआ। ब्लास्ट से ठीक पहले देश की नई कैबिनेट के मंत्रियों को लेकर एक विमान लैंड हुआ था। विमान के उतरते ही उसके पास यह धमाका हुआ। ब्लास्ट में 22 लोगों के मारे जाने की खबर हैं। हालांकि, ब्लास्ट की तीव्रता को देखते हुए यह आंकड़ा बढ़ सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक, विमान में प्रधानमंत्री मीन अब्दुल मलिक सईद भी मौजूद थे। किसी मंत्री के घायल होने की सूचना नहीं है। सुर्खियों में और क्या है रणथंभौर जा रहे भारतीय टीम के पूर्व कप्तान मोहम्मद अजहरूद्दीन की कार का सवाईमाधोपुर के पास एक्सीडेंट हो गया। हालांकि एयरबैग खुल जाने से उन्हें चोट नहीं आई। पंजाब सरकार ने 1 जनवरी से नाइट कर्फ्यू हटाने का फैसला किया है। राहत होटल, रेस्टोरेंट को बड़ी राहत मिली है। अब इनडोर में 200 और आउटडोर में 500 लोग जमा हो सकते हैं। फाइजर की वैक्सीन लगवाने के आठ दिन बाद अमेरिका के एक हेल्थ वर्कर की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। कैलिफोर्निया में रहने वाले इस शख्स का नाम मैथ्यू डब्ल्यू है। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें Morning News Brief | Latest News And Updates | Morning News Updates | Bihar Political Crisis | Farmers Protest | Farmers Government Meeting | ITR Return File Date https://ift.tt/3o0V3a8 Dainik Bhaskar केंद्र ने किसानों की आधी मांगें मानी, बिहार में MLA तोड़ने पर तकरार और अब नई तारीख तक भरें ITR

नमस्कार! कर्मचारियों को EPF पर 8.5% का एकमुश्त ब्याज मिलेगा। कोरोना के नए स्ट्रेन के खतरे के बीच ब्रिटेन से लौटे कई लोग गायब हैं। यमन में ...
- December 31, 2020
नमस्कार! कर्मचारियों को EPF पर 8.5% का एकमुश्त ब्याज मिलेगा। कोरोना के नए स्ट्रेन के खतरे के बीच ब्रिटेन से लौटे कई लोग गायब हैं। यमन में एयरपोर्ट पर ताकतवर ब्लास्ट हुआ। बहरहाल शुरू करते हैं न्यूज ब्रीफ। सबसे पहले देख लेते हैं मार्केट क्या कह रहा है - BSE का मार्केट कैप 187.98 लाख करोड़ रुपए रहा। 52% कंपनियों के शेयरों में बढ़त रही। 3,134 कंपनियों के शेयरों में ट्रेडिंग हुई। 1,650 कंपनियों के शेयर बढ़े और 1,313 के शेयर गिरे। आज इन इवेंट्स पर रहेगी नजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजकोट में वीडियो कॉन्फ्रंसिंग के जरिए AIIMS की नींव रखेंगे। केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक CBSE बोर्ड परीक्षा की तारीखों का ऐलान करेंगे। देश-विदेश थोड़ी सरकार झुकी, थोड़ा किसान किसान आंदोलन के 35वें दिन सरकार और किसानों के बीच 36 का आंकड़ा खत्म होता दिखा। कृषि कानूनों पर किसान संगठनों और केंद्र के बीच बुधवार को विज्ञान भवन में सातवें दौर की बैठक हुई। पांच घंटे तक चली मीटिंग में सरकार थोड़ी झुकी, तो किसान भी थोड़े नरम पड़े। सरकार ने किसानों की चार में से दो मांगें मान लीं। बाकी दो मांगों पर बातचीत के लिए 4 जनवरी की तारीख तय की गई है। पराली जलाने और इलेक्ट्रिसिटी एक्ट को लेकर केंद्र और किसान रजामंद हो गए। वहीं, MSP को कानून का दर्जा देने पर अगली बैठक में चर्चा होगी। ITR फाइल करने की तारीख बढ़ी सरकार ने इनकम टैक्स फाइल करने का समय बढ़ा दिया है। अब 10 जनवरी तक इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल किया जा सकता है। जानकारी के मुताबिक, 28 दिसंबर तक कुल 4.37 करोड़ ITR भरे गए थे। वे व्यक्तिगत इनकम टैक्स भरने वाले जिनके खातों के ऑडिट की जरूरत नहीं है, वे 10 जनवरी तक रिटर्न फाइल कर सकते हैं। वहीं, जो लोग टैक्स देते हैं और उनका खाता ऑडिट होता है और वे लोग जिन्हें इंटरनेशनल फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन की रिपोर्ट देनी होती है, उनके लिए ITR का समय 15 फरवरी तक बढ़ाया गया है। इसी के साथ सरकार ने टैक्स ऑडिट रिपोर्ट की आखिरी तारीख बढ़ाकर 15 जनवरी 2021 कर दी है। कर्मचारियों के लिए खुशखबरी सरकार की तरफ से कर्मचारियों के लिए नए साल से पहले बड़ी खुशखबरी है। सरकार ने 2019-20 के लिए एम्प्लॉइज प्रोविडेंट फंड (EPF) पर 8.5% का एकमुश्त ब्याज देने का प्रस्ताव मान लिया है। मुमकिन है कि ब्याज की यह रकम 31 दिसंबर 2020 तक कर्मचारियों के खाते में पहुंच जाए। सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि ब्याज दर से जुड़े प्रस्ताव पर इसी हफ्ते श्रम और वित्त मंत्रालय की बैठक हुई थी। इसी बैठक में EPFO को एकमुश्त 8.5% ब्याज देने की इजाजत मिली। नए साल में ब्रिटेन की फ्लाइट्स पर ब्रेक देश में ब्रिटेन में मिले ज्यादा खतरनाक कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़कर 20 हो गई है। बुधवार को 13 नए मरीज मिले। इस बीच सरकार ने ब्रिटेन जाने-आने वाली उड़ानों पर रोक 7 जनवरी तक बढ़ा दी है। पहले 22 दिसंबर की आधी रात से 31 दिसंबर तक यह रोक लगाई गई थी। इसके अलावा सरकार ने सभी इंटरनेशनल कमर्शियल फ्लाइट्स पर लगा प्रतिबंध 31 जनवरी तक बढ़ा दिया है। स्पेशल और कार्गो फ्लाइट्स पर प्रतिबंध लागू नहीं होगा। कोरोना के नए स्ट्रेन से देश में स्ट्रेस कोरोना के नए स्ट्रेन के खतरे के बीच देश में एक महीने में ब्रिटेन से लौटे करीब 33 हजार लोगों ने सरकार की परेशानी बढ़ा दी है। बिहार, पंजाब और महाराष्ट्र जैसे कई राज्यों में UK से आए लोगों की ट्रेसिंग नहीं हो पा रही है। कई यात्रियों ने पता और नंबर गलत बताया है, जिससे ट्रेसिंग में दिक्कत आ रही है। पंजाब में सबसे ज्यादा 3 हजार 426 लोग ब्रिटेन से लौटे, इनमें से 2 हजार 426 ट्रेस नहीं हुए। वहीं, महाराष्ट्र में 1200 से लोग लौटे, जिनमें पुणे के 109 लोग लापता हैं। बिहार में बयानवीरों का दंगल बिहार में RJD और JDU के बीच एक-दूसरे के विधायकों को तोड़ने के मुद्दे पर लगातार बयानबाजी हो रही है। RJD नेता श्याम रजक ने JDU के 17 विधायक तोड़ने का दावा किया, तो सत्तारूढ़ JDU के मुख्य प्रवक्ता संजय सिंह ने कहा है कि श्याम रजक मुगालते में हैं। उनके तीन दर्जन विधायक JDU के संपर्क में हैं। वे कभी भी RJD छोड़कर JDU में शामिल हो सकते हैं। हालांकि, CM नीतीश कुमार ने कहा है कि ऐसे दावों में कोई दम नहीं है। एक्सप्लेनर सर्दी भगाने के लिए शराब है खराब मौसम विभाग (IMD) ने अगले कुछ दिन तक उत्तर भारत के कई राज्यों में कड़ाके की ठंड पड़ने की चेतावनी जारी की है। अगले कुछ दिनों तक हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और राजस्थान में कड़ाके की ठंड पड़ेगी। इन राज्यों में अधिकतम तापमान 3 से 5 डिग्री तक गिर सकता है। इसके साथ ही IMD ने एक एडवाइजरी भी जारी की है। इसमें कहा गया है कि ठंड से बचने के लिए लोग शराब का सेवन नहीं करें। सर्दी में शराब कैसे बन सकती है खतरा, यहां पढ़िए.. पढ़ें पूरी खबर... पॉजिटिव खबर अंजीर की खेती से 1.5 करोड़ का टर्नओवर आज की कहानी महाराष्ट्र के दौंड के रहने वाले समीर डॉम्बे की। समीर ने 2013 में इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। एक मल्टीनेशनल कंपनी में कैंपस प्लेसमेंट भी हो गया। सैलरी भी बढ़िया थी। लेकिन, जॉब सैटिस्फेक्शन नहीं था। वो कुछ इनोवेटिव करना चाहते थे। 2014 में उन्होंने नौकरी छोड़कर अंजीर की खेती करने का फैसला किया। आज देशभर में उनके प्रोडक्ट बिकते हैं। सालाना 1.5 करोड़ उनका टर्नओवर है। पढ़ें पूरी खबर... फिर सुर्खियों में शाहीन बाग नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान गोली चलाने वाले कपिल गुर्जर ने बुधवार को भाजपा (BJP) जॉइन कर ली। इस दौरान उसने कहा कि हम भाजपा के साथ हैं। मैं RSS के साथ भी जुड़ा हूं। कपिल गुर्जर ने दिन में भाजपा ज्वाइन की, शाम तक उसके शाहीन बाग केस में शामिल होने की बात सुर्खियां बन गई। इसके बाद भाजपा ने उसकी मेंबरशिप कैंसिल कर दी। उत्तर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह को इस मामले में सफाई देनी पड़ी। यमन में एयरपोर्ट पर धमाका अरब देश यमन के अदन एयरपोर्ट पर बुधवार को बड़ा धमाका हुआ। ब्लास्ट से ठीक पहले देश की नई कैबिनेट के मंत्रियों को लेकर एक विमान लैंड हुआ था। विमान के उतरते ही उसके पास यह धमाका हुआ। ब्लास्ट में 22 लोगों के मारे जाने की खबर हैं। हालांकि, ब्लास्ट की तीव्रता को देखते हुए यह आंकड़ा बढ़ सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक, विमान में प्रधानमंत्री मीन अब्दुल मलिक सईद भी मौजूद थे। किसी मंत्री के घायल होने की सूचना नहीं है। सुर्खियों में और क्या है रणथंभौर जा रहे भारतीय टीम के पूर्व कप्तान मोहम्मद अजहरूद्दीन की कार का सवाईमाधोपुर के पास एक्सीडेंट हो गया। हालांकि एयरबैग खुल जाने से उन्हें चोट नहीं आई। पंजाब सरकार ने 1 जनवरी से नाइट कर्फ्यू हटाने का फैसला किया है। राहत होटल, रेस्टोरेंट को बड़ी राहत मिली है। अब इनडोर में 200 और आउटडोर में 500 लोग जमा हो सकते हैं। फाइजर की वैक्सीन लगवाने के आठ दिन बाद अमेरिका के एक हेल्थ वर्कर की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। कैलिफोर्निया में रहने वाले इस शख्स का नाम मैथ्यू डब्ल्यू है। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें Morning News Brief | Latest News And Updates | Morning News Updates | Bihar Political Crisis | Farmers Protest | Farmers Government Meeting | ITR Return File Date https://ift.tt/3o0V3a8 Dainik Bhaskar केंद्र ने किसानों की आधी मांगें मानी, बिहार में MLA तोड़ने पर तकरार और अब नई तारीख तक भरें ITR 

नमस्कार!
कर्मचारियों को EPF पर 8.5% का एकमुश्त ब्याज मिलेगा। कोरोना के नए स्ट्रेन के खतरे के बीच ब्रिटेन से लौटे कई लोग गायब हैं। यमन में एयरपोर्ट पर ताकतवर ब्लास्ट हुआ। बहरहाल शुरू करते हैं न्यूज ब्रीफ।

सबसे पहले देख लेते हैं मार्केट क्या कह रहा है -

BSE का मार्केट कैप 187.98 लाख करोड़ रुपए रहा। 52% कंपनियों के शेयरों में बढ़त रही।

3,134 कंपनियों के शेयरों में ट्रेडिंग हुई। 1,650 कंपनियों के शेयर बढ़े और 1,313 के शेयर गिरे।

आज इन इवेंट्स पर रहेगी नजर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजकोट में वीडियो कॉन्फ्रंसिंग के जरिए AIIMS की नींव रखेंगे।

केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक CBSE बोर्ड परीक्षा की तारीखों का ऐलान करेंगे।

देश-विदेश
थोड़ी सरकार झुकी, थोड़ा किसान
किसान आंदोलन के 35वें दिन सरकार और किसानों के बीच 36 का आंकड़ा खत्म होता दिखा। कृषि कानूनों पर किसान संगठनों और केंद्र के बीच बुधवार को विज्ञान भवन में सातवें दौर की बैठक हुई। पांच घंटे तक चली मीटिंग में सरकार थोड़ी झुकी, तो किसान भी थोड़े नरम पड़े। सरकार ने किसानों की चार में से दो मांगें मान लीं। बाकी दो मांगों पर बातचीत के लिए 4 जनवरी की तारीख तय की गई है। पराली जलाने और इलेक्ट्रिसिटी एक्ट को लेकर केंद्र और किसान रजामंद हो गए। वहीं, MSP को कानून का दर्जा देने पर अगली बैठक में चर्चा होगी।

ITR फाइल करने की तारीख बढ़ी
सरकार ने इनकम टैक्स फाइल करने का समय बढ़ा दिया है। अब 10 जनवरी तक इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल किया जा सकता है। जानकारी के मुताबिक, 28 दिसंबर तक कुल 4.37 करोड़ ITR भरे गए थे। वे व्यक्तिगत इनकम टैक्स भरने वाले जिनके खातों के ऑडिट की जरूरत नहीं है, वे 10 जनवरी तक रिटर्न फाइल कर सकते हैं। वहीं, जो लोग टैक्स देते हैं और उनका खाता ऑडिट होता है और वे लोग जिन्हें इंटरनेशनल फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन की रिपोर्ट देनी होती है, उनके लिए ITR का समय 15 फरवरी तक बढ़ाया गया है। इसी के साथ सरकार ने टैक्स ऑडिट रिपोर्ट की आखिरी तारीख बढ़ाकर 15 जनवरी 2021 कर दी है।

कर्मचारियों के लिए खुशखबरी
सरकार की तरफ से कर्मचारियों के लिए नए साल से पहले बड़ी खुशखबरी है। सरकार ने 2019-20 के लिए एम्प्लॉइज प्रोविडेंट फंड (EPF) पर 8.5% का एकमुश्त ब्याज देने का प्रस्ताव मान लिया है। मुमकिन है कि ब्याज की यह रकम 31 दिसंबर 2020 तक कर्मचारियों के खाते में पहुंच जाए। सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि ब्याज दर से जुड़े प्रस्ताव पर इसी हफ्ते श्रम और वित्त मंत्रालय की बैठक हुई थी। इसी बैठक में EPFO को एकमुश्त 8.5% ब्याज देने की इजाजत मिली।

नए साल में ब्रिटेन की फ्लाइट्स पर ब्रेक
देश में ब्रिटेन में मिले ज्यादा खतरनाक कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़कर 20 हो गई है। बुधवार को 13 नए मरीज मिले। इस बीच सरकार ने ब्रिटेन जाने-आने वाली उड़ानों पर रोक 7 जनवरी तक बढ़ा दी है। पहले 22 दिसंबर की आधी रात से 31 दिसंबर तक यह रोक लगाई गई थी। इसके अलावा सरकार ने सभी इंटरनेशनल कमर्शियल फ्लाइट्स पर लगा प्रतिबंध 31 जनवरी तक बढ़ा दिया है। स्पेशल और कार्गो फ्लाइट्स पर प्रतिबंध लागू नहीं होगा।

कोरोना के नए स्ट्रेन से देश में स्ट्रेस
कोरोना के नए स्ट्रेन के खतरे के बीच देश में एक महीने में ब्रिटेन से लौटे करीब 33 हजार लोगों ने सरकार की परेशानी बढ़ा दी है। बिहार, पंजाब और महाराष्ट्र जैसे कई राज्यों में UK से आए लोगों की ट्रेसिंग नहीं हो पा रही है। कई यात्रियों ने पता और नंबर गलत बताया है, जिससे ट्रेसिंग में दिक्कत आ रही है। पंजाब में सबसे ज्यादा 3 हजार 426 लोग ब्रिटेन से लौटे, इनमें से 2 हजार 426 ट्रेस नहीं हुए। वहीं, महाराष्ट्र में 1200 से लोग लौटे, जिनमें पुणे के 109 लोग लापता हैं।

बिहार में बयानवीरों का दंगल
बिहार में RJD और JDU के बीच एक-दूसरे के विधायकों को तोड़ने के मुद्दे पर लगातार बयानबाजी हो रही है। RJD नेता श्याम रजक ने JDU के 17 विधायक तोड़ने का दावा किया, तो सत्तारूढ़ JDU के मुख्य प्रवक्ता संजय सिंह ने कहा है कि श्याम रजक मुगालते में हैं। उनके तीन दर्जन विधायक JDU के संपर्क में हैं। वे कभी भी RJD छोड़कर JDU में शामिल हो सकते हैं। हालांकि, CM नीतीश कुमार ने कहा है कि ऐसे दावों में कोई दम नहीं है।

एक्सप्लेनर
सर्दी भगाने के लिए शराब है खराब
मौसम विभाग (IMD) ने अगले कुछ दिन तक उत्तर भारत के कई राज्यों में कड़ाके की ठंड पड़ने की चेतावनी जारी की है। अगले कुछ दिनों तक हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और राजस्थान में कड़ाके की ठंड पड़ेगी। इन राज्यों में अधिकतम तापमान 3 से 5 डिग्री तक गिर सकता है। इसके साथ ही IMD ने एक एडवाइजरी भी जारी की है। इसमें कहा गया है कि ठंड से बचने के लिए लोग शराब का सेवन नहीं करें। सर्दी में शराब कैसे बन सकती है खतरा, यहां पढ़िए..

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पॉजिटिव खबर
अंजीर की खेती से 1.5 करोड़ का टर्नओवर
आज की कहानी महाराष्ट्र के दौंड के रहने वाले समीर डॉम्बे की। समीर ने 2013 में इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। एक मल्टीनेशनल कंपनी में कैंपस प्लेसमेंट भी हो गया। सैलरी भी बढ़िया थी। लेकिन, जॉब सैटिस्फेक्शन नहीं था। वो कुछ इनोवेटिव करना चाहते थे। 2014 में उन्होंने नौकरी छोड़कर अंजीर की खेती करने का फैसला किया। आज देशभर में उनके प्रोडक्ट बिकते हैं। सालाना 1.5 करोड़ उनका टर्नओवर है।
पढ़ें पूरी खबर...

फिर सुर्खियों में शाहीन बाग
नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान गोली चलाने वाले कपिल गुर्जर ने बुधवार को भाजपा (BJP) जॉइन कर ली। इस दौरान उसने कहा कि हम भाजपा के साथ हैं। मैं RSS के साथ भी जुड़ा हूं। कपिल गुर्जर ने दिन में भाजपा ज्वाइन की, शाम तक उसके शाहीन बाग केस में शामिल होने की बात सुर्खियां बन गई। इसके बाद भाजपा ने उसकी मेंबरशिप कैंसिल कर दी। उत्तर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह को इस मामले में सफाई देनी पड़ी।

यमन में एयरपोर्ट पर धमाका
अरब देश यमन के अदन एयरपोर्ट पर बुधवार को बड़ा धमाका हुआ। ब्लास्ट से ठीक पहले देश की नई कैबिनेट के मंत्रियों को लेकर एक विमान लैंड हुआ था। विमान के उतरते ही उसके पास यह धमाका हुआ। ब्लास्ट में 22 लोगों के मारे जाने की खबर हैं। हालांकि, ब्लास्ट की तीव्रता को देखते हुए यह आंकड़ा बढ़ सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक, विमान में प्रधानमंत्री मीन अब्दुल मलिक सईद भी मौजूद थे। किसी मंत्री के घायल होने की सूचना नहीं है।

सुर्खियों में और क्या है

रणथंभौर जा रहे भारतीय टीम के पूर्व कप्तान मोहम्मद अजहरूद्दीन की कार का सवाईमाधोपुर के पास एक्सीडेंट हो गया। हालांकि एयरबैग खुल जाने से उन्हें चोट नहीं आई।

पंजाब सरकार ने 1 जनवरी से नाइट कर्फ्यू हटाने का फैसला किया है। राहत होटल, रेस्टोरेंट को बड़ी राहत मिली है। अब इनडोर में 200 और आउटडोर में 500 लोग जमा हो सकते हैं।

फाइजर की वैक्सीन लगवाने के आठ दिन बाद अमेरिका के एक हेल्थ वर्कर की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। कैलिफोर्निया में रहने वाले इस शख्स का नाम मैथ्यू डब्ल्यू है।

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- December 31, 2020
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कहानी- रामायण के समय एक दिन वशिष्ठ ऋषि ने भरत से कहा था कि तुम्हारे पिता राजा दशरथ की तरह कोई दूसरा सत्यवादी न हुआ है और ना ही भविष्य में कभी होगा। इस संबंध में आज के विद्वान चर्चा करते हैं कि वशिष्ठ ने ऐसा क्यों कहा? क्या केवल राजा दशरथ सत्यवादी थे? या वे श्रीराम के पिता थे इसलिए उन्हें सत्यवादी माना जाता है? तो क्या श्रीकृष्ण के पिता वसुदेव सत्यवादी नहीं थे? वशिष्ठ ने राजा दशरथ को सबसे बड़ा सत्यवादी बताया, इसकी एक वजह है। जीवन में सत्य के लिए बड़ा दृढ़ संकल्प चाहिए। राजा दशरथ के सामने स्थिति ये थी कि अगर वे सत्य को बचाते तो राम वनवास चले जाते और अगर वे राम को बचाते तो उनका सत्यव्रत टूट जाता। उस समय दशरथ ने सत्य को बचाया और राम को वनवास भेज दिया। ठीक इसी तरह की स्थिति वसुदेव के साथ भी बनी थी। वसुदेव ने कंस को वचन दिया था कि हम हमारी आठों संतान तुम्हें सौंप देंगे। लेकिन, जब आठवीं संतान का जन्म हुआ तो वे उस बच्चे को मथुरा से गोकुल छोड़ आए। यहां वसुदेव ने कृष्ण को बचा लिया, लेकिन सत्य को छोड़ दिया। दशरथ इसीलिए महान माने गए हैं, क्योंकि उन्होंने सत्य को बचाया और पुत्र वियोग में अपने प्राण भी त्याग दिए। हमारे लिए प्राण त्यागने का अर्थ ये नहीं है कि हम भी सत्य के लिए अपना जीवन खत्म कर लें, बल्कि सच को बचाने के लिए पूरी ताकत झोंक देनी चाहिए। सीख- अगर हम सच का पालन करना चाहते हैं तो ये काम आसान नहीं है। सत्यव्रत का पालन करना है तो हमारे लिए दृढ़ संकल्प जरूरी है। थोड़े बहुत संघर्ष से सच को बचाया नहीं जा सकता है, इसके लिए हमें पूरी ताकत लगाने की जरूरत होती है। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें aaj ka jeevan mantra by pandit vijayshankar mehta, significance of the truth, facts about raja dashrath https://ift.tt/38RSeBE Dainik Bhaskar हमेशा सच बोलना चाहिए, ये बात तो सभी जानते हैं, लेकिन इसका पालन करना आसान नहीं

कहानी- रामायण के समय एक दिन वशिष्ठ ऋषि ने भरत से कहा था कि तुम्हारे पिता राजा दशरथ की तरह कोई दूसरा सत्यवादी न हुआ है और ना ही भविष्य में ...
- December 31, 2020
कहानी- रामायण के समय एक दिन वशिष्ठ ऋषि ने भरत से कहा था कि तुम्हारे पिता राजा दशरथ की तरह कोई दूसरा सत्यवादी न हुआ है और ना ही भविष्य में कभी होगा। इस संबंध में आज के विद्वान चर्चा करते हैं कि वशिष्ठ ने ऐसा क्यों कहा? क्या केवल राजा दशरथ सत्यवादी थे? या वे श्रीराम के पिता थे इसलिए उन्हें सत्यवादी माना जाता है? तो क्या श्रीकृष्ण के पिता वसुदेव सत्यवादी नहीं थे? वशिष्ठ ने राजा दशरथ को सबसे बड़ा सत्यवादी बताया, इसकी एक वजह है। जीवन में सत्य के लिए बड़ा दृढ़ संकल्प चाहिए। राजा दशरथ के सामने स्थिति ये थी कि अगर वे सत्य को बचाते तो राम वनवास चले जाते और अगर वे राम को बचाते तो उनका सत्यव्रत टूट जाता। उस समय दशरथ ने सत्य को बचाया और राम को वनवास भेज दिया। ठीक इसी तरह की स्थिति वसुदेव के साथ भी बनी थी। वसुदेव ने कंस को वचन दिया था कि हम हमारी आठों संतान तुम्हें सौंप देंगे। लेकिन, जब आठवीं संतान का जन्म हुआ तो वे उस बच्चे को मथुरा से गोकुल छोड़ आए। यहां वसुदेव ने कृष्ण को बचा लिया, लेकिन सत्य को छोड़ दिया। दशरथ इसीलिए महान माने गए हैं, क्योंकि उन्होंने सत्य को बचाया और पुत्र वियोग में अपने प्राण भी त्याग दिए। हमारे लिए प्राण त्यागने का अर्थ ये नहीं है कि हम भी सत्य के लिए अपना जीवन खत्म कर लें, बल्कि सच को बचाने के लिए पूरी ताकत झोंक देनी चाहिए। सीख- अगर हम सच का पालन करना चाहते हैं तो ये काम आसान नहीं है। सत्यव्रत का पालन करना है तो हमारे लिए दृढ़ संकल्प जरूरी है। थोड़े बहुत संघर्ष से सच को बचाया नहीं जा सकता है, इसके लिए हमें पूरी ताकत लगाने की जरूरत होती है। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें aaj ka jeevan mantra by pandit vijayshankar mehta, significance of the truth, facts about raja dashrath https://ift.tt/38RSeBE Dainik Bhaskar हमेशा सच बोलना चाहिए, ये बात तो सभी जानते हैं, लेकिन इसका पालन करना आसान नहीं 

कहानी- रामायण के समय एक दिन वशिष्ठ ऋषि ने भरत से कहा था कि तुम्हारे पिता राजा दशरथ की तरह कोई दूसरा सत्यवादी न हुआ है और ना ही भविष्य में कभी होगा।

इस संबंध में आज के विद्वान चर्चा करते हैं कि वशिष्ठ ने ऐसा क्यों कहा? क्या केवल राजा दशरथ सत्यवादी थे? या वे श्रीराम के पिता थे इसलिए उन्हें सत्यवादी माना जाता है? तो क्या श्रीकृष्ण के पिता वसुदेव सत्यवादी नहीं थे?

वशिष्ठ ने राजा दशरथ को सबसे बड़ा सत्यवादी बताया, इसकी एक वजह है। जीवन में सत्य के लिए बड़ा दृढ़ संकल्प चाहिए। राजा दशरथ के सामने स्थिति ये थी कि अगर वे सत्य को बचाते तो राम वनवास चले जाते और अगर वे राम को बचाते तो उनका सत्यव्रत टूट जाता। उस समय दशरथ ने सत्य को बचाया और राम को वनवास भेज दिया।

ठीक इसी तरह की स्थिति वसुदेव के साथ भी बनी थी। वसुदेव ने कंस को वचन दिया था कि हम हमारी आठों संतान तुम्हें सौंप देंगे। लेकिन, जब आठवीं संतान का जन्म हुआ तो वे उस बच्चे को मथुरा से गोकुल छोड़ आए। यहां वसुदेव ने कृष्ण को बचा लिया, लेकिन सत्य को छोड़ दिया।

दशरथ इसीलिए महान माने गए हैं, क्योंकि उन्होंने सत्य को बचाया और पुत्र वियोग में अपने प्राण भी त्याग दिए। हमारे लिए प्राण त्यागने का अर्थ ये नहीं है कि हम भी सत्य के लिए अपना जीवन खत्म कर लें, बल्कि सच को बचाने के लिए पूरी ताकत झोंक देनी चाहिए।

सीख- अगर हम सच का पालन करना चाहते हैं तो ये काम आसान नहीं है। सत्यव्रत का पालन करना है तो हमारे लिए दृढ़ संकल्प जरूरी है। थोड़े बहुत संघर्ष से सच को बचाया नहीं जा सकता है, इसके लिए हमें पूरी ताकत लगाने की जरूरत होती है।

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aaj ka jeevan mantra by pandit vijayshankar mehta, significance of the truth, facts about raja dashrath

https://ift.tt/38RSeBE Dainik Bhaskar हमेशा सच बोलना चाहिए, ये बात तो सभी जानते हैं, लेकिन इसका पालन करना आसान नहीं Reviewed by Manish Pethev on December 31, 2020 Rating: 5

आज की कहानी महाराष्ट्र के दौंड के रहने वाले समीर डॉम्बे की। समीर ने 2013 में इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। एक मल्टीनेशनल कंपनी में कैंपस प्लेसमेंट भी हो गया। सैलरी भी बढ़िया थी। लेकिन, जॉब सैटिस्फेक्शन नहीं था। वे कुछ इनोवेटिव करना चाहते थे। 2014 में उन्होंने नौकरी छोड़कर अंजीर की खेती करने का फैसला किया। आज देशभर में उनके प्रोडक्ट बिकते हैं। सालाना टर्नओवर 1.5 करोड़ है। समीर कहते हैं- जब नौकरी छोड़कर गांव लौटा, तो परिवार के लोग बहुत नाराज हुए। उनका कहना था कि खेती में क्या रखा है, लोग गांव छोड़कर शहर जा रहे हैं और तुम गांव लौट रहे हो। उन्हें चिंता थी कि नौकरी नहीं रहेगी, तो लड़के की शादी नहीं हो पाएगी। खेती को बिजनेस बनाने का फैसला किया समीर ने बताया- हमारे एरिया में अंजीर की खेती खूब होती है। हमारे घर में भी लोग अंजीर की खेती करते थे। लेकिन उतना मुनाफा नहीं हो रहा था। इसलिए मैंने खेती को सिर्फ खेती न समझकर बिजनेस बनाने का काम किया। मैंने पोस्ट प्रोडक्शन यानी प्रोसेसिंग और पैकेजिंग को लेकर काम करना शुरू किया। समीर पांच एकड़ जमीन पर अंजीर की खेती कर रहे हैं। वे दूसरे किसानों की फसल भी खरीदकर मार्केट में सप्लाई करते हैं। समीर ने पहली बार एक एकड़ जमीन में अंजीर की खेती शुरू की। जब फ्रूट्स तैयार हो गए तो पास के कुछ फूड मार्केट में उन्होंने बात की और फ्रेश फ्रूट्स सप्लाई करने का शुरू किया। उन्हें प्रोडक्ट सही लगा, तो सप्लाई रेगुलर कर दी। धीरे धीरे दायरा बढ़ता गया। आज उनके प्रोडक्ट्स देशभर में सुपर मार्केट्स के साथ ऑनलाइन भी मौजूद हैं। अब वे दूसरे किसानों के उत्पाद भी खरीदकर मार्केट में सप्लाई करते हैं। अब समीर फ्रेश फ्रूट्स के साथ अंजीर से अलग-अलग फ्लेवर में जेली और जैम भी तैयार कर रहे हैं। उन्होंने अपने ब्रांड का नाम पवित्रक रखा है जो अंजीर का संस्कृत नाम है। समीर के साथ 20 लोगों की टीम काम करती है। अंजीर की खेती कैसे करें? समीर कहते हैं कि अंजीर की खेती के लिए सबसे जरूरी है क्लाइमेट और जमीन। यह गर्म और सूखे प्रदेश में अच्छा होता है। इसके लिए मध्यम जमीन यानी न ज्यादा कठोर और न ही ज्यादा मुलायम होनी चाहिए। साथ ही जलजमाव वाली जगह नहीं चाहिए। अंजीर की खेती के लिए जून जुलाई का महीना काफी अच्छा होता है। इसी समय पौधरोपण करना चाहिए। एक एकड़ जमीन में करीब 300 पौधे लगाए जाते हैं। एक पौधे की कीमत 20 रुपए तक होती है। एक साल बाद इन पौधों में फल लगने शुरू हो जाते हैं। फल निकालने के बाद पौधों की देखभाल जरूरी होती है, तभी वे अगली फसल के लिए तैयार हो पाते हैं। अंजीर जरूरी विटामिंस और मिनरल्स जैसे विटामिन A, B1 और B2, मैगनीज, पोटेशियम, मैग्नीशियम, कॉपर, आयरन और फास्फोरस से भरपूर होता है। खेती से मुनाफा कैसे कमाएं? समीर बताते हैं कि खेती सबसे बड़ा बिजनेस सेक्टर है। आप चाहे किसी भी फसल की खेती करें, अगर आप उत्पादन के साथ- साथ पैकेजिंग और मार्केटिंग पर काम करेंगे, डायरेक्ट सेल करेंगे तो मुनाफा होगा ही। वे कहते हैं कि पहले भी लोग अंजीर की खेती यहां करते थे, लेकिन उन्हें ज्यादा मुनाफा नहीं हो रहा था। क्योंकि वे सिर्फ प्रोडक्शन करते थे। इसके आगे का काम मिडिल मैन करते थे। मैंने इस गैप को पाट दिया। समीर ने कहा- जो फ्रूट्स बाजार में हार्वेस्टिंग के दो या तीन दिन बाद पहुंचते थे, मैं उन्हें छोटे-छोटे पैकेट्स में एक दिन के भीतर ही पहुंचाने लगा। इससे फायदा ये हुआ कि जो पैसा बिचौलियों को मिलता था, वो मेरे हिस्से आने लगा। साथ ही ज्यादा ताजा होने के चलते भी बाजार में मेरे प्रोडक्ट की डिमांड बढ़ गई। फ्रूट्स की प्रोसेसिंग बनी गेम चेंजर समीर कहते हैं- कई बार कुछ फ्रूट्स बच जाते थे या दब जाते थे। इन्हें हम बाजार में नहीं बेच पाते थे। ऐसे प्रोडक्ट के लिए हमने प्रोसेसिंग का तरीका अपनाया। मेरे भाई ने फूड साइंस में इंजीनियरिंग की थी। उसने इससे जेली और जैम बनाने का सुझाव दिया। इसके बाद मैंने भी कुछ रिसर्च किया और प्रोसेसिंग के बारे में जानकारी जुटाई। फिर हमने जेली और जैम तैयार करना शुरू किया। जो आज ऑनलाइन और ऑफलाइन हर स्टोर पर उपलब्ध है। समीर के मुताबिक सिर्फ फ्रूट्स से प्रति एकड़ डेढ़ से दो लाख का मुनाफा कमाया जा सकता है। समीर के साथ 20 लोगों की टीम काम करती हैं जो फ्रूट्स की हार्वेस्टिंग से लेकर प्रोसेसिंग और पैकेजिंग का काम करती है। अंजीर खाने के फायदे अंजीर जरूरी विटामिंस और मिनरल्स जैसे विटामिन A, B1 और B2, मैगनीज, पोटेशियम, मैग्नीशियम, कॉपर, आयरन और फास्फोरस से भरपूर होता है। इसमें ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड होते हैं, जो दिल की बीमारियों की रोकथाम करते हैं। इसमें मौजूद कैल्शियम हड्डियों को मजबूत बनाता है। ये वेट लॉस, डायबिटीज कंट्रोल करने, हार्ट को हेल्दी रखने, इम्युनिटी को बढ़ाने और कैंसर की रोकथाम करने में मदद करता है। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें महाराष्ट्र के दौंड के रहने वाले समीर डॉम्बे अंजीर की खेती करते हैं। वे इसकी जेली और जैम भी तैयार कर मार्केट में सप्लाई करते हैं। https://ift.tt/3rRaqnU Dainik Bhaskar मल्टीनेशनल कंपनी की नौकरी छोड़ अंजीर की खेती और प्रोसेसिंग शुरू की, सालाना 1.5 करोड़ टर्नओवर

आज की कहानी महाराष्ट्र के दौंड के रहने वाले समीर डॉम्बे की। समीर ने 2013 में इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। एक मल्टीनेशनल कंपनी में कैंपस प्ल...
- December 31, 2020
आज की कहानी महाराष्ट्र के दौंड के रहने वाले समीर डॉम्बे की। समीर ने 2013 में इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। एक मल्टीनेशनल कंपनी में कैंपस प्लेसमेंट भी हो गया। सैलरी भी बढ़िया थी। लेकिन, जॉब सैटिस्फेक्शन नहीं था। वे कुछ इनोवेटिव करना चाहते थे। 2014 में उन्होंने नौकरी छोड़कर अंजीर की खेती करने का फैसला किया। आज देशभर में उनके प्रोडक्ट बिकते हैं। सालाना टर्नओवर 1.5 करोड़ है। समीर कहते हैं- जब नौकरी छोड़कर गांव लौटा, तो परिवार के लोग बहुत नाराज हुए। उनका कहना था कि खेती में क्या रखा है, लोग गांव छोड़कर शहर जा रहे हैं और तुम गांव लौट रहे हो। उन्हें चिंता थी कि नौकरी नहीं रहेगी, तो लड़के की शादी नहीं हो पाएगी। खेती को बिजनेस बनाने का फैसला किया समीर ने बताया- हमारे एरिया में अंजीर की खेती खूब होती है। हमारे घर में भी लोग अंजीर की खेती करते थे। लेकिन उतना मुनाफा नहीं हो रहा था। इसलिए मैंने खेती को सिर्फ खेती न समझकर बिजनेस बनाने का काम किया। मैंने पोस्ट प्रोडक्शन यानी प्रोसेसिंग और पैकेजिंग को लेकर काम करना शुरू किया। समीर पांच एकड़ जमीन पर अंजीर की खेती कर रहे हैं। वे दूसरे किसानों की फसल भी खरीदकर मार्केट में सप्लाई करते हैं। समीर ने पहली बार एक एकड़ जमीन में अंजीर की खेती शुरू की। जब फ्रूट्स तैयार हो गए तो पास के कुछ फूड मार्केट में उन्होंने बात की और फ्रेश फ्रूट्स सप्लाई करने का शुरू किया। उन्हें प्रोडक्ट सही लगा, तो सप्लाई रेगुलर कर दी। धीरे धीरे दायरा बढ़ता गया। आज उनके प्रोडक्ट्स देशभर में सुपर मार्केट्स के साथ ऑनलाइन भी मौजूद हैं। अब वे दूसरे किसानों के उत्पाद भी खरीदकर मार्केट में सप्लाई करते हैं। अब समीर फ्रेश फ्रूट्स के साथ अंजीर से अलग-अलग फ्लेवर में जेली और जैम भी तैयार कर रहे हैं। उन्होंने अपने ब्रांड का नाम पवित्रक रखा है जो अंजीर का संस्कृत नाम है। समीर के साथ 20 लोगों की टीम काम करती है। अंजीर की खेती कैसे करें? समीर कहते हैं कि अंजीर की खेती के लिए सबसे जरूरी है क्लाइमेट और जमीन। यह गर्म और सूखे प्रदेश में अच्छा होता है। इसके लिए मध्यम जमीन यानी न ज्यादा कठोर और न ही ज्यादा मुलायम होनी चाहिए। साथ ही जलजमाव वाली जगह नहीं चाहिए। अंजीर की खेती के लिए जून जुलाई का महीना काफी अच्छा होता है। इसी समय पौधरोपण करना चाहिए। एक एकड़ जमीन में करीब 300 पौधे लगाए जाते हैं। एक पौधे की कीमत 20 रुपए तक होती है। एक साल बाद इन पौधों में फल लगने शुरू हो जाते हैं। फल निकालने के बाद पौधों की देखभाल जरूरी होती है, तभी वे अगली फसल के लिए तैयार हो पाते हैं। अंजीर जरूरी विटामिंस और मिनरल्स जैसे विटामिन A, B1 और B2, मैगनीज, पोटेशियम, मैग्नीशियम, कॉपर, आयरन और फास्फोरस से भरपूर होता है। खेती से मुनाफा कैसे कमाएं? समीर बताते हैं कि खेती सबसे बड़ा बिजनेस सेक्टर है। आप चाहे किसी भी फसल की खेती करें, अगर आप उत्पादन के साथ- साथ पैकेजिंग और मार्केटिंग पर काम करेंगे, डायरेक्ट सेल करेंगे तो मुनाफा होगा ही। वे कहते हैं कि पहले भी लोग अंजीर की खेती यहां करते थे, लेकिन उन्हें ज्यादा मुनाफा नहीं हो रहा था। क्योंकि वे सिर्फ प्रोडक्शन करते थे। इसके आगे का काम मिडिल मैन करते थे। मैंने इस गैप को पाट दिया। समीर ने कहा- जो फ्रूट्स बाजार में हार्वेस्टिंग के दो या तीन दिन बाद पहुंचते थे, मैं उन्हें छोटे-छोटे पैकेट्स में एक दिन के भीतर ही पहुंचाने लगा। इससे फायदा ये हुआ कि जो पैसा बिचौलियों को मिलता था, वो मेरे हिस्से आने लगा। साथ ही ज्यादा ताजा होने के चलते भी बाजार में मेरे प्रोडक्ट की डिमांड बढ़ गई। फ्रूट्स की प्रोसेसिंग बनी गेम चेंजर समीर कहते हैं- कई बार कुछ फ्रूट्स बच जाते थे या दब जाते थे। इन्हें हम बाजार में नहीं बेच पाते थे। ऐसे प्रोडक्ट के लिए हमने प्रोसेसिंग का तरीका अपनाया। मेरे भाई ने फूड साइंस में इंजीनियरिंग की थी। उसने इससे जेली और जैम बनाने का सुझाव दिया। इसके बाद मैंने भी कुछ रिसर्च किया और प्रोसेसिंग के बारे में जानकारी जुटाई। फिर हमने जेली और जैम तैयार करना शुरू किया। जो आज ऑनलाइन और ऑफलाइन हर स्टोर पर उपलब्ध है। समीर के मुताबिक सिर्फ फ्रूट्स से प्रति एकड़ डेढ़ से दो लाख का मुनाफा कमाया जा सकता है। समीर के साथ 20 लोगों की टीम काम करती हैं जो फ्रूट्स की हार्वेस्टिंग से लेकर प्रोसेसिंग और पैकेजिंग का काम करती है। अंजीर खाने के फायदे अंजीर जरूरी विटामिंस और मिनरल्स जैसे विटामिन A, B1 और B2, मैगनीज, पोटेशियम, मैग्नीशियम, कॉपर, आयरन और फास्फोरस से भरपूर होता है। इसमें ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड होते हैं, जो दिल की बीमारियों की रोकथाम करते हैं। इसमें मौजूद कैल्शियम हड्डियों को मजबूत बनाता है। ये वेट लॉस, डायबिटीज कंट्रोल करने, हार्ट को हेल्दी रखने, इम्युनिटी को बढ़ाने और कैंसर की रोकथाम करने में मदद करता है। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें महाराष्ट्र के दौंड के रहने वाले समीर डॉम्बे अंजीर की खेती करते हैं। वे इसकी जेली और जैम भी तैयार कर मार्केट में सप्लाई करते हैं। https://ift.tt/3rRaqnU Dainik Bhaskar मल्टीनेशनल कंपनी की नौकरी छोड़ अंजीर की खेती और प्रोसेसिंग शुरू की, सालाना 1.5 करोड़ टर्नओवर 

आज की कहानी महाराष्ट्र के दौंड के रहने वाले समीर डॉम्बे की। समीर ने 2013 में इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। एक मल्टीनेशनल कंपनी में कैंपस प्लेसमेंट भी हो गया। सैलरी भी बढ़िया थी। लेकिन, जॉब सैटिस्फेक्शन नहीं था। वे कुछ इनोवेटिव करना चाहते थे। 2014 में उन्होंने नौकरी छोड़कर अंजीर की खेती करने का फैसला किया। आज देशभर में उनके प्रोडक्ट बिकते हैं। सालाना टर्नओवर 1.5 करोड़ है।

समीर कहते हैं- जब नौकरी छोड़कर गांव लौटा, तो परिवार के लोग बहुत नाराज हुए। उनका कहना था कि खेती में क्या रखा है, लोग गांव छोड़कर शहर जा रहे हैं और तुम गांव लौट रहे हो। उन्हें चिंता थी कि नौकरी नहीं रहेगी, तो लड़के की शादी नहीं हो पाएगी।

खेती को बिजनेस बनाने का फैसला किया
समीर ने बताया- हमारे एरिया में अंजीर की खेती खूब होती है। हमारे घर में भी लोग अंजीर की खेती करते थे। लेकिन उतना मुनाफा नहीं हो रहा था। इसलिए मैंने खेती को सिर्फ खेती न समझकर बिजनेस बनाने का काम किया। मैंने पोस्ट प्रोडक्शन यानी प्रोसेसिंग और पैकेजिंग को लेकर काम करना शुरू किया।

समीर पांच एकड़ जमीन पर अंजीर की खेती कर रहे हैं। वे दूसरे किसानों की फसल भी खरीदकर मार्केट में सप्लाई करते हैं।

समीर ने पहली बार एक एकड़ जमीन में अंजीर की खेती शुरू की। जब फ्रूट्स तैयार हो गए तो पास के कुछ फूड मार्केट में उन्होंने बात की और फ्रेश फ्रूट्स सप्लाई करने का शुरू किया। उन्हें प्रोडक्ट सही लगा, तो सप्लाई रेगुलर कर दी। धीरे धीरे दायरा बढ़ता गया। आज उनके प्रोडक्ट्स देशभर में सुपर मार्केट्स के साथ ऑनलाइन भी मौजूद हैं। अब वे दूसरे किसानों के उत्पाद भी खरीदकर मार्केट में सप्लाई करते हैं।

अब समीर फ्रेश फ्रूट्स के साथ अंजीर से अलग-अलग फ्लेवर में जेली और जैम भी तैयार कर रहे हैं। उन्होंने अपने ब्रांड का नाम पवित्रक रखा है जो अंजीर का संस्कृत नाम है। समीर के साथ 20 लोगों की टीम काम करती है।

अंजीर की खेती कैसे करें?
समीर कहते हैं कि अंजीर की खेती के लिए सबसे जरूरी है क्लाइमेट और जमीन। यह गर्म और सूखे प्रदेश में अच्छा होता है। इसके लिए मध्यम जमीन यानी न ज्यादा कठोर और न ही ज्यादा मुलायम होनी चाहिए। साथ ही जलजमाव वाली जगह नहीं चाहिए।

अंजीर की खेती के लिए जून जुलाई का महीना काफी अच्छा होता है। इसी समय पौधरोपण करना चाहिए। एक एकड़ जमीन में करीब 300 पौधे लगाए जाते हैं। एक पौधे की कीमत 20 रुपए तक होती है। एक साल बाद इन पौधों में फल लगने शुरू हो जाते हैं। फल निकालने के बाद पौधों की देखभाल जरूरी होती है, तभी वे अगली फसल के लिए तैयार हो पाते हैं।

अंजीर जरूरी विटामिंस और मिनरल्स जैसे विटामिन A, B1 और B2, मैगनीज, पोटेशियम, मैग्नीशियम, कॉपर, आयरन और फास्फोरस से भरपूर होता है।

खेती से मुनाफा कैसे कमाएं?
समीर बताते हैं कि खेती सबसे बड़ा बिजनेस सेक्टर है। आप चाहे किसी भी फसल की खेती करें, अगर आप उत्पादन के साथ- साथ पैकेजिंग और मार्केटिंग पर काम करेंगे, डायरेक्ट सेल करेंगे तो मुनाफा होगा ही। वे कहते हैं कि पहले भी लोग अंजीर की खेती यहां करते थे, लेकिन उन्हें ज्यादा मुनाफा नहीं हो रहा था। क्योंकि वे सिर्फ प्रोडक्शन करते थे। इसके आगे का काम मिडिल मैन करते थे। मैंने इस गैप को पाट दिया।

समीर ने कहा- जो फ्रूट्स बाजार में हार्वेस्टिंग के दो या तीन दिन बाद पहुंचते थे, मैं उन्हें छोटे-छोटे पैकेट्स में एक दिन के भीतर ही पहुंचाने लगा। इससे फायदा ये हुआ कि जो पैसा बिचौलियों को मिलता था, वो मेरे हिस्से आने लगा। साथ ही ज्यादा ताजा होने के चलते भी बाजार में मेरे प्रोडक्ट की डिमांड बढ़ गई।

फ्रूट्स की प्रोसेसिंग बनी गेम चेंजर
समीर कहते हैं- कई बार कुछ फ्रूट्स बच जाते थे या दब जाते थे। इन्हें हम बाजार में नहीं बेच पाते थे। ऐसे प्रोडक्ट के लिए हमने प्रोसेसिंग का तरीका अपनाया। मेरे भाई ने फूड साइंस में इंजीनियरिंग की थी। उसने इससे जेली और जैम बनाने का सुझाव दिया। इसके बाद मैंने भी कुछ रिसर्च किया और प्रोसेसिंग के बारे में जानकारी जुटाई। फिर हमने जेली और जैम तैयार करना शुरू किया। जो आज ऑनलाइन और ऑफलाइन हर स्टोर पर उपलब्ध है। समीर के मुताबिक सिर्फ फ्रूट्स से प्रति एकड़ डेढ़ से दो लाख का मुनाफा कमाया जा सकता है।

समीर के साथ 20 लोगों की टीम काम करती हैं जो फ्रूट्स की हार्वेस्टिंग से लेकर प्रोसेसिंग और पैकेजिंग का काम करती है।

अंजीर खाने के फायदे
अंजीर जरूरी विटामिंस और मिनरल्स जैसे विटामिन A, B1 और B2, मैगनीज, पोटेशियम, मैग्नीशियम, कॉपर, आयरन और फास्फोरस से भरपूर होता है। इसमें ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड होते हैं, जो दिल की बीमारियों की रोकथाम करते हैं। इसमें मौजूद कैल्शियम हड्डियों को मजबूत बनाता है। ये वेट लॉस, डायबिटीज कंट्रोल करने, हार्ट को हेल्दी रखने, इम्युनिटी को बढ़ाने और कैंसर की रोकथाम करने में मदद करता है।

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महाराष्ट्र के दौंड के रहने वाले समीर डॉम्बे अंजीर की खेती करते हैं। वे इसकी जेली और जैम भी तैयार कर मार्केट में सप्लाई करते हैं।

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- December 31, 2020
आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें Chopped raita will be ready in just 10 minutes, this is an easy recipe to make https://ift.tt/3pIaN2h Dainik Bhaskar सिर्फ 10 मिनट में तैयार हो जाएगा चटपटा रायता, ये है इसे बनाने की आसान रेसिपी 

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Chopped raita will be ready in just 10 minutes, this is an easy recipe to make

https://ift.tt/3pIaN2h Dainik Bhaskar सिर्फ 10 मिनट में तैयार हो जाएगा चटपटा रायता, ये है इसे बनाने की आसान रेसिपी Reviewed by Manish Pethev on December 31, 2020 Rating: 5

आज ही के दिन ठीक एक साल पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने माना था कि चीन के वुहान में ‘वायरल निमोनिया’ फैल रहा है। यही निमोनिया बाद में कोविड-19 के रूप में जाना गया। जिसने अगले तीन महीने के अंदर पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया। 30 जनवरी 2020 को हमारे देश में कोरोना का पहला मामला सामने आया। 11 मार्च को WHO ने कोरोना को महामारी घोषित किया। तब तक भारत में कुल 71 मामले सामने आए थे। जबकि, दुनियाभर में उस वक्त तक 1 लाख 48 हजार से ज्यादा मामले आ चुके थे। अकेले चीन में 80 हजार से ज्यादा कोरोना मरीज थे। 25 मार्च को देश में लॉकडाउन लगा। तब तक भारत में 571 मामले आ चुके थे। 31 मई तक देश में लॉकडाउन लगा रहा। एक जून से अनलॉक की प्रॉसेस शुरू हुई तो देश में कोरोना के 1 लाख 90 हजार से ज्यादा केस हो चुके थे। हमारे देश में अब तक इसके 1 करोड़ 2 लाख से ज्यादा मामले आ चुके हैं। अभी 2 लाख 60 हजार से ज्यादा एक्टिव केस हैं। अगर दुनिया की बात करें तो 8 करोड़ 24 लाख से ज्यादा मामले आ चुके हैं। जिस चीन से कोरोना शुरू हुआ था, वहां अब तक कुल 87 हजार केस ही सामने आए हैं। संक्रमित देशों की लिस्ट में चीन 81वें नंबर पर पहुंच गया है। हाईजैक प्लेन के लिए छोड़ने पड़े थे खूंखार आतंकी 21 साल पहले आज ही के दिन भारत ने मसूद अजहर, अहमद जरगर और शेख अहमद उमर सईद नाम के तीन आतंकियों को रिहा किया था। ये रिहाई आठ दिन पहले हाईजैक किए गए एयर इंडिया के प्लेन IC-814 को छुड़वाने के लिए करनी पड़ी थी। हाईजैक के समय इस प्लेन में 178 यात्री सवार थे। 24 दिसंबर 1999 की शाम नेपाल के काठमांडू से उड़ा प्लेन भारतीय सीमा में घुसते ही करीब पांच बजे हाईजैक हो गया। अमृतसर, लाहौर और दुबई होते हुए प्लेन अफगानिस्तान के कंधार में लैंड हुआ। इसके बाद शुरू हुई आतंकियों की सरकार से बातचीत। शुरुआत में आतंकियों की मांग थी कि भारतीय जेलों में कैद 35 आतंकियों को छोड़ा जाए और 200 मिलियन अमेरिकी डॉलर कैश दिए जाएं। लेकिन, भारत उनकी मांग को तीन कैदियों की रिहाई तक कम करने में कामयाब रहा। भारत और दुनिया में 31 दिसंबर की महत्वपूर्ण घटनाएं : 2004: ताइवान के ताइपे में ताइपे-101 नाम की दुनिया की सबसे ऊंची इमारत बनी। इसकी उंचाई 508 मीटर है। 2010 में दुबई की बुर्ज खलीफा ने इसका रिकॉर्ड तोड़ा। इसकी ऊंचाई 828 मीटर है। 1999: रूस के पहले राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन ने इस्तीफा दिया। उनकी जगह व्लादिमीर पुतिन रूस के राष्ट्रपति बने। पुतिन उस वक्त प्रधानमंत्री थे। 1984: कांग्रेस की भारी जीत के बाद राजीव गांधी ने दो महीने के भीतर दूसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। 1956: मध्य प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री रविशंकर शुक्ल का निधन हुआ। उनके बेटे श्यामाचरण शुक्ल भी प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं। 1943: 'गांधी' फिल्म में गांधी की भूमिका निभाने वाले बेन किंग्सले का जन्म हुआ। किंग्सले के पिता रहीमतुल्ला हरजी भानजी गुजराती थे। किंग्सले का भारतीय नाम कृष्ण भानजी है। 1925: लेखक श्रीलाल शुक्ल का जन्म हुआ। वो उद्देश्यपूर्ण व्यंग्य लेखन के लिए विख्यात थे। राग दरबारी, अंगद का पांव, सूनी घाटी का सूरज उनकी अहम रचनाओं में से हैं। 1879: वैज्ञानिक थॉमस अल्वा एडिसन ने दुनिया के सामने पहली बार लाइट बल्ब का प्रदर्शन किया। 1781: अमेरिका का पहला बैंक ‘बैंक ऑफ नॉर्थ अमेरिका’ फिलाडेल्फिया में खुला। 1695: इंग्लैंड में विंडो टैक्स लगाया गया। उस वक्त जिन लोगों के घर में 10 या उससे ज्यादा खिड़कियां होती थीं। उन्हें इसके लिए टैक्स देना होता था। 1600: ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की इंग्लिश रॉयल चार्टर के जरिए पूर्वी और दक्षिण पूर्व एशिया और भारत में कारोबार के लिए स्थापना हुई। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें Today History: Aaj Ka Itihas India World 31 December Update | China Wuhan Coronavirus Viral Pneumonia, Pakistan Hijacked Indian Plane IC 814 https://ift.tt/2L8PHLr Dainik Bhaskar जब WHO ने मानी थी चीन के वुहान में वायरल निमोनिया फैलने की बात, बाद में यही कोविड-19 महामारी बना

आज ही के दिन ठीक एक साल पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने माना था कि चीन के वुहान में ‘वायरल निमोनिया’ फैल रहा है। यही निमोनिया बाद में क...
- December 31, 2020
आज ही के दिन ठीक एक साल पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने माना था कि चीन के वुहान में ‘वायरल निमोनिया’ फैल रहा है। यही निमोनिया बाद में कोविड-19 के रूप में जाना गया। जिसने अगले तीन महीने के अंदर पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया। 30 जनवरी 2020 को हमारे देश में कोरोना का पहला मामला सामने आया। 11 मार्च को WHO ने कोरोना को महामारी घोषित किया। तब तक भारत में कुल 71 मामले सामने आए थे। जबकि, दुनियाभर में उस वक्त तक 1 लाख 48 हजार से ज्यादा मामले आ चुके थे। अकेले चीन में 80 हजार से ज्यादा कोरोना मरीज थे। 25 मार्च को देश में लॉकडाउन लगा। तब तक भारत में 571 मामले आ चुके थे। 31 मई तक देश में लॉकडाउन लगा रहा। एक जून से अनलॉक की प्रॉसेस शुरू हुई तो देश में कोरोना के 1 लाख 90 हजार से ज्यादा केस हो चुके थे। हमारे देश में अब तक इसके 1 करोड़ 2 लाख से ज्यादा मामले आ चुके हैं। अभी 2 लाख 60 हजार से ज्यादा एक्टिव केस हैं। अगर दुनिया की बात करें तो 8 करोड़ 24 लाख से ज्यादा मामले आ चुके हैं। जिस चीन से कोरोना शुरू हुआ था, वहां अब तक कुल 87 हजार केस ही सामने आए हैं। संक्रमित देशों की लिस्ट में चीन 81वें नंबर पर पहुंच गया है। हाईजैक प्लेन के लिए छोड़ने पड़े थे खूंखार आतंकी 21 साल पहले आज ही के दिन भारत ने मसूद अजहर, अहमद जरगर और शेख अहमद उमर सईद नाम के तीन आतंकियों को रिहा किया था। ये रिहाई आठ दिन पहले हाईजैक किए गए एयर इंडिया के प्लेन IC-814 को छुड़वाने के लिए करनी पड़ी थी। हाईजैक के समय इस प्लेन में 178 यात्री सवार थे। 24 दिसंबर 1999 की शाम नेपाल के काठमांडू से उड़ा प्लेन भारतीय सीमा में घुसते ही करीब पांच बजे हाईजैक हो गया। अमृतसर, लाहौर और दुबई होते हुए प्लेन अफगानिस्तान के कंधार में लैंड हुआ। इसके बाद शुरू हुई आतंकियों की सरकार से बातचीत। शुरुआत में आतंकियों की मांग थी कि भारतीय जेलों में कैद 35 आतंकियों को छोड़ा जाए और 200 मिलियन अमेरिकी डॉलर कैश दिए जाएं। लेकिन, भारत उनकी मांग को तीन कैदियों की रिहाई तक कम करने में कामयाब रहा। भारत और दुनिया में 31 दिसंबर की महत्वपूर्ण घटनाएं : 2004: ताइवान के ताइपे में ताइपे-101 नाम की दुनिया की सबसे ऊंची इमारत बनी। इसकी उंचाई 508 मीटर है। 2010 में दुबई की बुर्ज खलीफा ने इसका रिकॉर्ड तोड़ा। इसकी ऊंचाई 828 मीटर है। 1999: रूस के पहले राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन ने इस्तीफा दिया। उनकी जगह व्लादिमीर पुतिन रूस के राष्ट्रपति बने। पुतिन उस वक्त प्रधानमंत्री थे। 1984: कांग्रेस की भारी जीत के बाद राजीव गांधी ने दो महीने के भीतर दूसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। 1956: मध्य प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री रविशंकर शुक्ल का निधन हुआ। उनके बेटे श्यामाचरण शुक्ल भी प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं। 1943: 'गांधी' फिल्म में गांधी की भूमिका निभाने वाले बेन किंग्सले का जन्म हुआ। किंग्सले के पिता रहीमतुल्ला हरजी भानजी गुजराती थे। किंग्सले का भारतीय नाम कृष्ण भानजी है। 1925: लेखक श्रीलाल शुक्ल का जन्म हुआ। वो उद्देश्यपूर्ण व्यंग्य लेखन के लिए विख्यात थे। राग दरबारी, अंगद का पांव, सूनी घाटी का सूरज उनकी अहम रचनाओं में से हैं। 1879: वैज्ञानिक थॉमस अल्वा एडिसन ने दुनिया के सामने पहली बार लाइट बल्ब का प्रदर्शन किया। 1781: अमेरिका का पहला बैंक ‘बैंक ऑफ नॉर्थ अमेरिका’ फिलाडेल्फिया में खुला। 1695: इंग्लैंड में विंडो टैक्स लगाया गया। उस वक्त जिन लोगों के घर में 10 या उससे ज्यादा खिड़कियां होती थीं। उन्हें इसके लिए टैक्स देना होता था। 1600: ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की इंग्लिश रॉयल चार्टर के जरिए पूर्वी और दक्षिण पूर्व एशिया और भारत में कारोबार के लिए स्थापना हुई। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें Today History: Aaj Ka Itihas India World 31 December Update | China Wuhan Coronavirus Viral Pneumonia, Pakistan Hijacked Indian Plane IC 814 https://ift.tt/2L8PHLr Dainik Bhaskar जब WHO ने मानी थी चीन के वुहान में वायरल निमोनिया फैलने की बात, बाद में यही कोविड-19 महामारी बना 

आज ही के दिन ठीक एक साल पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने माना था कि चीन के वुहान में ‘वायरल निमोनिया’ फैल रहा है। यही निमोनिया बाद में कोविड-19 के रूप में जाना गया। जिसने अगले तीन महीने के अंदर पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया। 30 जनवरी 2020 को हमारे देश में कोरोना का पहला मामला सामने आया।

11 मार्च को WHO ने कोरोना को महामारी घोषित किया। तब तक भारत में कुल 71 मामले सामने आए थे। जबकि, दुनियाभर में उस वक्त तक 1 लाख 48 हजार से ज्यादा मामले आ चुके थे। अकेले चीन में 80 हजार से ज्यादा कोरोना मरीज थे।

25 मार्च को देश में लॉकडाउन लगा। तब तक भारत में 571 मामले आ चुके थे। 31 मई तक देश में लॉकडाउन लगा रहा। एक जून से अनलॉक की प्रॉसेस शुरू हुई तो देश में कोरोना के 1 लाख 90 हजार से ज्यादा केस हो चुके थे। हमारे देश में अब तक इसके 1 करोड़ 2 लाख से ज्यादा मामले आ चुके हैं। अभी 2 लाख 60 हजार से ज्यादा एक्टिव केस हैं।

अगर दुनिया की बात करें तो 8 करोड़ 24 लाख से ज्यादा मामले आ चुके हैं। जिस चीन से कोरोना शुरू हुआ था, वहां अब तक कुल 87 हजार केस ही सामने आए हैं। संक्रमित देशों की लिस्ट में चीन 81वें नंबर पर पहुंच गया है।

हाईजैक प्लेन के लिए छोड़ने पड़े थे खूंखार आतंकी

21 साल पहले आज ही के दिन भारत ने मसूद अजहर, अहमद जरगर और शेख अहमद उमर सईद नाम के तीन आतंकियों को रिहा किया था। ये रिहाई आठ दिन पहले हाईजैक किए गए एयर इंडिया के प्लेन IC-814 को छुड़वाने के लिए करनी पड़ी थी। हाईजैक के समय इस प्लेन में 178 यात्री सवार थे।

24 दिसंबर 1999 की शाम नेपाल के काठमांडू से उड़ा प्लेन भारतीय सीमा में घुसते ही करीब पांच बजे हाईजैक हो गया। अमृतसर, लाहौर और दुबई होते हुए प्लेन अफगानिस्तान के कंधार में लैंड हुआ। इसके बाद शुरू हुई आतंकियों की सरकार से बातचीत।

शुरुआत में आतंकियों की मांग थी कि भारतीय जेलों में कैद 35 आतंकियों को छोड़ा जाए और 200 मिलियन अमेरिकी डॉलर कैश दिए जाएं। लेकिन, भारत उनकी मांग को तीन कैदियों की रिहाई तक कम करने में कामयाब रहा।

भारत और दुनिया में 31 दिसंबर की महत्वपूर्ण घटनाएं :

2004: ताइवान के ताइपे में ताइपे-101 नाम की दुनिया की सबसे ऊंची इमारत बनी। इसकी उंचाई 508 मीटर है। 2010 में दुबई की बुर्ज खलीफा ने इसका रिकॉर्ड तोड़ा। इसकी ऊंचाई 828 मीटर है।

1999: रूस के पहले राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन ने इस्तीफा दिया। उनकी जगह व्लादिमीर पुतिन रूस के राष्ट्रपति बने। पुतिन उस वक्त प्रधानमंत्री थे।

1984: कांग्रेस की भारी जीत के बाद राजीव गांधी ने दो महीने के भीतर दूसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली।

1956: मध्य प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री रविशंकर शुक्ल का निधन हुआ। उनके बेटे श्यामाचरण शुक्ल भी प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं।

1943: 'गांधी' फिल्म में गांधी की भूमिका निभाने वाले बेन किंग्सले का जन्म हुआ। किंग्सले के पिता रहीमतुल्ला हरजी भानजी गुजराती थे। किंग्सले का भारतीय नाम कृष्ण भानजी है।

1925: लेखक श्रीलाल शुक्ल का जन्म हुआ। वो उद्देश्यपूर्ण व्यंग्य लेखन के लिए विख्यात थे। राग दरबारी, अंगद का पांव, सूनी घाटी का सूरज उनकी अहम रचनाओं में से हैं।

1879: वैज्ञानिक थॉमस अल्वा एडिसन ने दुनिया के सामने पहली बार लाइट बल्ब का प्रदर्शन किया।

1781: अमेरिका का पहला बैंक ‘बैंक ऑफ नॉर्थ अमेरिका’ फिलाडेल्फिया में खुला।

1695: इंग्लैंड में विंडो टैक्स लगाया गया। उस वक्त जिन लोगों के घर में 10 या उससे ज्यादा खिड़कियां होती थीं। उन्हें इसके लिए टैक्स देना होता था।

1600: ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की इंग्लिश रॉयल चार्टर के जरिए पूर्वी और दक्षिण पूर्व एशिया और भारत में कारोबार के लिए स्थापना हुई।

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Today History: Aaj Ka Itihas India World 31 December Update | China Wuhan Coronavirus Viral Pneumonia, Pakistan Hijacked Indian Plane IC 814

https://ift.tt/2L8PHLr Dainik Bhaskar जब WHO ने मानी थी चीन के वुहान में वायरल निमोनिया फैलने की बात, बाद में यही कोविड-19 महामारी बना Reviewed by Manish Pethev on December 31, 2020 Rating: 5

जब आप तनाव में हों या फिर आपके पास करने के लिए कोई काम न हों, तो ऐसे वक्त में आपको क्या करना चाहिए? इसके बारे में बेस्ट सेलिंग बुक इंटेलिजेंस 2.0 और टैलेंट स्मार्ट के को-फाउंडर ट्रैविस ब्राडबेरी 10 तरीके बता रहे हैं। जिनके जरिए आप अपने तनाव को दूर कर सकते हैं और बेहतर जिंदगी जी सकते हैं। इन तरीकों को आप रेगुलर प्रैक्टिस में लाकर किसी भी जुनून का पीछा कर सकते हैं। ट्रैविस कहते हैं कि ये तरीके हमें अपने गियर को शिफ्ट करने में मदद करते हैं। ये हमें आराम और अपने कामकाज में बदलाव का मौका भी देते हैं। इन 10 नियम का इस्तेमाल करके हम अपनी लाइफ में ज्यादा बैलेंस ला सकते हैं। आइए 10 ग्राफिक्स के जरिए सीखते हैं तनाव कम करने और लाइफ में बैलेंस बनाने के 10 नियम- हफ्ते में 50 घंटे से ज्यादा काम करने से प्रोडक्टिविटी घट जाती है स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की स्टडी के मुताबिक जब हम हर हफ्ते 50 घंटे से ज्यादा काम करते हैं, तो हमारी हर घंटे की प्रोडक्टिविटी घट जाती है। जब हम हफ्ते में 55 घंटे से ज्यादा काम करते हैं, तो हमारी प्रोडक्टिविटी इतना ज्यादा घट जाती है कि हम काम करने लायक नहीं बचते। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें 10 powerful ways to reduce stress; reduced by chasing regular exercise and passion, understand the balance in life with 10 graphics https://ift.tt/38IM8ne Dainik Bhaskar एक्सरसाइज और परिवार को समय देने से तनाव कम होता है, हफ्ते में 50 घंटे से ज्यादा काम घटाता है प्रोडक्टिविटी

जब आप तनाव में हों या फिर आपके पास करने के लिए कोई काम न हों, तो ऐसे वक्त में आपको क्या करना चाहिए? इसके बारे में बेस्ट सेलिंग बुक इंटेलिजे...
- December 31, 2020
जब आप तनाव में हों या फिर आपके पास करने के लिए कोई काम न हों, तो ऐसे वक्त में आपको क्या करना चाहिए? इसके बारे में बेस्ट सेलिंग बुक इंटेलिजेंस 2.0 और टैलेंट स्मार्ट के को-फाउंडर ट्रैविस ब्राडबेरी 10 तरीके बता रहे हैं। जिनके जरिए आप अपने तनाव को दूर कर सकते हैं और बेहतर जिंदगी जी सकते हैं। इन तरीकों को आप रेगुलर प्रैक्टिस में लाकर किसी भी जुनून का पीछा कर सकते हैं। ट्रैविस कहते हैं कि ये तरीके हमें अपने गियर को शिफ्ट करने में मदद करते हैं। ये हमें आराम और अपने कामकाज में बदलाव का मौका भी देते हैं। इन 10 नियम का इस्तेमाल करके हम अपनी लाइफ में ज्यादा बैलेंस ला सकते हैं। आइए 10 ग्राफिक्स के जरिए सीखते हैं तनाव कम करने और लाइफ में बैलेंस बनाने के 10 नियम- हफ्ते में 50 घंटे से ज्यादा काम करने से प्रोडक्टिविटी घट जाती है स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की स्टडी के मुताबिक जब हम हर हफ्ते 50 घंटे से ज्यादा काम करते हैं, तो हमारी हर घंटे की प्रोडक्टिविटी घट जाती है। जब हम हफ्ते में 55 घंटे से ज्यादा काम करते हैं, तो हमारी प्रोडक्टिविटी इतना ज्यादा घट जाती है कि हम काम करने लायक नहीं बचते। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें 10 powerful ways to reduce stress; reduced by chasing regular exercise and passion, understand the balance in life with 10 graphics https://ift.tt/38IM8ne Dainik Bhaskar एक्सरसाइज और परिवार को समय देने से तनाव कम होता है, हफ्ते में 50 घंटे से ज्यादा काम घटाता है प्रोडक्टिविटी 

जब आप तनाव में हों या फिर आपके पास करने के लिए कोई काम न हों, तो ऐसे वक्त में आपको क्या करना चाहिए? इसके बारे में बेस्ट सेलिंग बुक इंटेलिजेंस 2.0 और टैलेंट स्मार्ट के को-फाउंडर ट्रैविस ब्राडबेरी 10 तरीके बता रहे हैं। जिनके जरिए आप अपने तनाव को दूर कर सकते हैं और बेहतर जिंदगी जी सकते हैं। इन तरीकों को आप रेगुलर प्रैक्टिस में लाकर किसी भी जुनून का पीछा कर सकते हैं।

ट्रैविस कहते हैं कि ये तरीके हमें अपने गियर को शिफ्ट करने में मदद करते हैं। ये हमें आराम और अपने कामकाज में बदलाव का मौका भी देते हैं। इन 10 नियम का इस्तेमाल करके हम अपनी लाइफ में ज्यादा बैलेंस ला सकते हैं।

आइए 10 ग्राफिक्स के जरिए सीखते हैं तनाव कम करने और लाइफ में बैलेंस बनाने के 10 नियम-

हफ्ते में 50 घंटे से ज्यादा काम करने से प्रोडक्टिविटी घट जाती है
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की स्टडी के मुताबिक जब हम हर हफ्ते 50 घंटे से ज्यादा काम करते हैं, तो हमारी हर घंटे की प्रोडक्टिविटी घट जाती है। जब हम हफ्ते में 55 घंटे से ज्यादा काम करते हैं, तो हमारी प्रोडक्टिविटी इतना ज्यादा घट जाती है कि हम काम करने लायक नहीं बचते।

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10 powerful ways to reduce stress; reduced by chasing regular exercise and passion, understand the balance in life with 10 graphics

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यह साल दुनियाभर के बाजारों के लिए भारी उतार-चढ़ाव वाला रहा। मार्च सबसे बुरा रहा, क्योंकि उस महीने दुनियाभर के निवेशकों ने कोरोनावायरस के बढ़ते प्रकोप के कारण शेयर बेचे। लॉकडाउन के कारण आर्थिक गतिविधियों की रफ्तार भी थमी रही। इस वजह से अमेरिका और यूरोप के शेयर बाजारों में गिरावट के 33 साल के रिकॉर्ड टूट गए। हालांकि, इस बीच आर्थिक गतिविधियों में तेजी के साथ बाजार का रुख भी बदला। निवेशकों ने अमेरिकी और एशियाई बाजारों से अच्छा मुनाफा कमाया, हालांकि यूरोप में उन्हें नुकसान झेलना पड़ा। ग्लोबल स्तर पर टेस्ला और अलीबाबा और भारत में अदाणी ग्रुप के शेयर काफी चर्चा में रहे। दुनियाभर के शेयर बाजारों पर कोरोना का असर तीन हफ्ते में 26% गिर गए थे अमेरिकी बाजार S&P 500 इंडेक्स 4 से 11 मार्च के बीच 12% नीचे आया। 12 मार्च को तो इसमें 9.5% गिरावट आई थी, जो 1987 के बाद एक दिन में सबसे बड़ी गिरावट रही। इंडेक्स केवल तीन हफ्तों के 16 कारोबारी दिनों में 26% फिसला था। बता दें कि इससे करीब महीने भर पहले इंडेक्स ने 19 फरवरी को 3,386 के रिकॉर्ड स्तर को छुआ था। पूरे साल में इंडेक्स ने 14% की बढ़त बनाई है। यूरोपियन मार्केट में आई थी 33 साल की सबसे बड़ी गिरावट ब्रिटेन का FTSE इंडेक्स 12 मार्च को 10% तक फिसल गया था, जो 1987 के बाद इंट्रा डे में सबसे बड़ी गिरावट थी। हालांकि, 23 मार्च के निचले स्तर से इंडेक्स अब तक 32% रिकवर कर चुका है। इसी दौरान फ्रांस और जर्मनी के शेयर बाजार भी लगभग 12% तक टूटे थे। सालाना आधार पर देखें तो जर्मनी को छोड़कर बाकी बाजारों में निवेशकों को नुकसान हुआ। एशियाई बाजारों में भी रिकॉर्ड गिरावट एशियाई बाजारों में भारत में 23 मार्च को सेंसेक्स और निफ्टी इंडेक्स रिकॉर्ड 13-13% नीचे बंद हुए थे। इससे पहले 13 मार्च को भी निफ्टी इंडेक्स में खुलते ही लोअर सर्किट लग गया था। जापान का निक्केई इंडेक्स 13 मार्च को इंट्रा डे यानी दिन के कारोबार में 10% तक फिसला था, जो बीते 30 सालों की सबसे बड़ी गिरावट रही। इससे पहले अप्रैल 1990 में ऐसी गिरावट देखने को मिली थी। साल के चर्चित स्टॉक्स टेस्ला - यह एक इलेक्ट्रिक व्हीकल निर्माता कंपनी है। इसके शेयर ने निवेशकों को 674% का रिटर्न दिया। शेयरों में तेजी के चलते कंपनी के को-फाउंडर एलन मस्क की नेटवर्थ इस साल 483% बढ़ गई। उनकी संपत्ति 133 अरब डॉलर बढ़कर 161 अरब डॉलर हो गई है। अब वे जेफ बेजोस के बाद दुनिया के सबसे अमीर कारोबारी हैं। अलीबाबा ग्रुप होल्डिंग्स - कंपनी के शेयर ने इस साल 2 जनवरी से 28 अक्टूबर के दौरान निवेशकों को 46% का रिटर्न दिया था। नवंबर में ग्रुप की फाइनेंशियल कंपनी एंट ग्रुप का दुनिया का सबसे बड़ा, 39.7 अरब डॉलर का IPO लॉन्च करने वाली थी। लेकिन कंपनी के ओनर जैक मा द्वारा चीन के रेगुलेटर्स के खिलाफ बोलने के चलते मार्केट रेगुलेटर्स ने IPO को सस्पेंड कर दिया। इसके बाद शेयर गिरने लगे। अक्टूबर के अंत से अब तक जैक मा की नेटवर्थ 11 अरब डॉलर कम हो गई। हालांकि कंपनी के शेयर ने सालभर में 11.90% का रिटर्न दिया। अदाणी ग्रीन - अदाणी ग्रुप की कंपनी अदाणी ग्रीन के शेयर ने निवेशकों को 495% का रिटर्न दिया है। कंपनी ने इसी साल जून में कंपनी ने कहा था कि वह दुनिया के सबसे बड़े सोलर ऑर्डर के लिए 450 अरब रुपए का निवेश करेगी। शेयरों के दाम में इतनी तेजी के कारण अदाणी समूह के चेयरमैन गौतम अदाणी की नेटवर्थ दोगुनी होकर दो लाख करोड़ रुपए के पार चली गई। भारत में FII का रिकॉर्ड निवेश ग्लोबल मार्केट में डॉलर की घटती वैल्यू और क्वालिटी शेयरों की कम कीमत के चलते भारत में विदेशी निवेशकों (FII) ने निवेश बढ़ाया है। 2020 में 28 दिसंबर तक FII भारत में 1.64 लाख करोड़ रुपए का निवेश कर चुके हैं। यह 2019 में कुल निवेश 1.01 लाख करोड़ रुपए की तुलना में 63 हजार करोड़ रुपए अधिक है। क्या कहते हैं मार्केट के जानकार? अब कोरोना वैक्सीन मार्केट में आने लगी है। इसके अलावा सेंट्रल बैंक भी ब्याज दरों में राहत दे रहे हैं। अर्थव्यवस्था के प्रमुख इंडिकेटर्स भी धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ रहे हैं। इसलिए ज्यादातर एक्सपर्ट मानते हैं कि बाजार नए साल के शुरुआती महीनों में भी पॉजिटिव ग्रोथ के साथ ट्रेड करेंगे। यानी अभी जो तेजी का सिलसिला है, वह फिलहाल जारी रहेगा। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें Global Stock Market Performance During Coronavirus Outbreak; From US Dow Jones To FTSE Europe Market https://ift.tt/38U9Q02 Dainik Bhaskar 2020 में एशियाई, अमेरिकी बाजारों ने दिया 16% तक रिटर्न, यूरोपीय बाजारों में निवेशकों को 12% तक नुकसान

यह साल दुनियाभर के बाजारों के लिए भारी उतार-चढ़ाव वाला रहा। मार्च सबसे बुरा रहा, क्योंकि उस महीने दुनियाभर के निवेशकों ने कोरोनावायरस के बढ...
- December 31, 2020
यह साल दुनियाभर के बाजारों के लिए भारी उतार-चढ़ाव वाला रहा। मार्च सबसे बुरा रहा, क्योंकि उस महीने दुनियाभर के निवेशकों ने कोरोनावायरस के बढ़ते प्रकोप के कारण शेयर बेचे। लॉकडाउन के कारण आर्थिक गतिविधियों की रफ्तार भी थमी रही। इस वजह से अमेरिका और यूरोप के शेयर बाजारों में गिरावट के 33 साल के रिकॉर्ड टूट गए। हालांकि, इस बीच आर्थिक गतिविधियों में तेजी के साथ बाजार का रुख भी बदला। निवेशकों ने अमेरिकी और एशियाई बाजारों से अच्छा मुनाफा कमाया, हालांकि यूरोप में उन्हें नुकसान झेलना पड़ा। ग्लोबल स्तर पर टेस्ला और अलीबाबा और भारत में अदाणी ग्रुप के शेयर काफी चर्चा में रहे। दुनियाभर के शेयर बाजारों पर कोरोना का असर तीन हफ्ते में 26% गिर गए थे अमेरिकी बाजार S&P 500 इंडेक्स 4 से 11 मार्च के बीच 12% नीचे आया। 12 मार्च को तो इसमें 9.5% गिरावट आई थी, जो 1987 के बाद एक दिन में सबसे बड़ी गिरावट रही। इंडेक्स केवल तीन हफ्तों के 16 कारोबारी दिनों में 26% फिसला था। बता दें कि इससे करीब महीने भर पहले इंडेक्स ने 19 फरवरी को 3,386 के रिकॉर्ड स्तर को छुआ था। पूरे साल में इंडेक्स ने 14% की बढ़त बनाई है। यूरोपियन मार्केट में आई थी 33 साल की सबसे बड़ी गिरावट ब्रिटेन का FTSE इंडेक्स 12 मार्च को 10% तक फिसल गया था, जो 1987 के बाद इंट्रा डे में सबसे बड़ी गिरावट थी। हालांकि, 23 मार्च के निचले स्तर से इंडेक्स अब तक 32% रिकवर कर चुका है। इसी दौरान फ्रांस और जर्मनी के शेयर बाजार भी लगभग 12% तक टूटे थे। सालाना आधार पर देखें तो जर्मनी को छोड़कर बाकी बाजारों में निवेशकों को नुकसान हुआ। एशियाई बाजारों में भी रिकॉर्ड गिरावट एशियाई बाजारों में भारत में 23 मार्च को सेंसेक्स और निफ्टी इंडेक्स रिकॉर्ड 13-13% नीचे बंद हुए थे। इससे पहले 13 मार्च को भी निफ्टी इंडेक्स में खुलते ही लोअर सर्किट लग गया था। जापान का निक्केई इंडेक्स 13 मार्च को इंट्रा डे यानी दिन के कारोबार में 10% तक फिसला था, जो बीते 30 सालों की सबसे बड़ी गिरावट रही। इससे पहले अप्रैल 1990 में ऐसी गिरावट देखने को मिली थी। साल के चर्चित स्टॉक्स टेस्ला - यह एक इलेक्ट्रिक व्हीकल निर्माता कंपनी है। इसके शेयर ने निवेशकों को 674% का रिटर्न दिया। शेयरों में तेजी के चलते कंपनी के को-फाउंडर एलन मस्क की नेटवर्थ इस साल 483% बढ़ गई। उनकी संपत्ति 133 अरब डॉलर बढ़कर 161 अरब डॉलर हो गई है। अब वे जेफ बेजोस के बाद दुनिया के सबसे अमीर कारोबारी हैं। अलीबाबा ग्रुप होल्डिंग्स - कंपनी के शेयर ने इस साल 2 जनवरी से 28 अक्टूबर के दौरान निवेशकों को 46% का रिटर्न दिया था। नवंबर में ग्रुप की फाइनेंशियल कंपनी एंट ग्रुप का दुनिया का सबसे बड़ा, 39.7 अरब डॉलर का IPO लॉन्च करने वाली थी। लेकिन कंपनी के ओनर जैक मा द्वारा चीन के रेगुलेटर्स के खिलाफ बोलने के चलते मार्केट रेगुलेटर्स ने IPO को सस्पेंड कर दिया। इसके बाद शेयर गिरने लगे। अक्टूबर के अंत से अब तक जैक मा की नेटवर्थ 11 अरब डॉलर कम हो गई। हालांकि कंपनी के शेयर ने सालभर में 11.90% का रिटर्न दिया। अदाणी ग्रीन - अदाणी ग्रुप की कंपनी अदाणी ग्रीन के शेयर ने निवेशकों को 495% का रिटर्न दिया है। कंपनी ने इसी साल जून में कंपनी ने कहा था कि वह दुनिया के सबसे बड़े सोलर ऑर्डर के लिए 450 अरब रुपए का निवेश करेगी। शेयरों के दाम में इतनी तेजी के कारण अदाणी समूह के चेयरमैन गौतम अदाणी की नेटवर्थ दोगुनी होकर दो लाख करोड़ रुपए के पार चली गई। भारत में FII का रिकॉर्ड निवेश ग्लोबल मार्केट में डॉलर की घटती वैल्यू और क्वालिटी शेयरों की कम कीमत के चलते भारत में विदेशी निवेशकों (FII) ने निवेश बढ़ाया है। 2020 में 28 दिसंबर तक FII भारत में 1.64 लाख करोड़ रुपए का निवेश कर चुके हैं। यह 2019 में कुल निवेश 1.01 लाख करोड़ रुपए की तुलना में 63 हजार करोड़ रुपए अधिक है। क्या कहते हैं मार्केट के जानकार? अब कोरोना वैक्सीन मार्केट में आने लगी है। इसके अलावा सेंट्रल बैंक भी ब्याज दरों में राहत दे रहे हैं। अर्थव्यवस्था के प्रमुख इंडिकेटर्स भी धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ रहे हैं। इसलिए ज्यादातर एक्सपर्ट मानते हैं कि बाजार नए साल के शुरुआती महीनों में भी पॉजिटिव ग्रोथ के साथ ट्रेड करेंगे। यानी अभी जो तेजी का सिलसिला है, वह फिलहाल जारी रहेगा। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें Global Stock Market Performance During Coronavirus Outbreak; From US Dow Jones To FTSE Europe Market https://ift.tt/38U9Q02 Dainik Bhaskar 2020 में एशियाई, अमेरिकी बाजारों ने दिया 16% तक रिटर्न, यूरोपीय बाजारों में निवेशकों को 12% तक नुकसान 

यह साल दुनियाभर के बाजारों के लिए भारी उतार-चढ़ाव वाला रहा। मार्च सबसे बुरा रहा, क्योंकि उस महीने दुनियाभर के निवेशकों ने कोरोनावायरस के बढ़ते प्रकोप के कारण शेयर बेचे। लॉकडाउन के कारण आर्थिक गतिविधियों की रफ्तार भी थमी रही। इस वजह से अमेरिका और यूरोप के शेयर बाजारों में गिरावट के 33 साल के रिकॉर्ड टूट गए।

हालांकि, इस बीच आर्थिक गतिविधियों में तेजी के साथ बाजार का रुख भी बदला। निवेशकों ने अमेरिकी और एशियाई बाजारों से अच्छा मुनाफा कमाया, हालांकि यूरोप में उन्हें नुकसान झेलना पड़ा। ग्लोबल स्तर पर टेस्ला और अलीबाबा और भारत में अदाणी ग्रुप के शेयर काफी चर्चा में रहे।

दुनियाभर के शेयर बाजारों पर कोरोना का असर

तीन हफ्ते में 26% गिर गए थे अमेरिकी बाजार

S&P 500 इंडेक्स 4 से 11 मार्च के बीच 12% नीचे आया। 12 मार्च को तो इसमें 9.5% गिरावट आई थी, जो 1987 के बाद एक दिन में सबसे बड़ी गिरावट रही। इंडेक्स केवल तीन हफ्तों के 16 कारोबारी दिनों में 26% फिसला था। बता दें कि इससे करीब महीने भर पहले इंडेक्स ने 19 फरवरी को 3,386 के रिकॉर्ड स्तर को छुआ था। पूरे साल में इंडेक्स ने 14% की बढ़त बनाई है।

यूरोपियन मार्केट में आई थी 33 साल की सबसे बड़ी गिरावट

ब्रिटेन का FTSE इंडेक्स 12 मार्च को 10% तक फिसल गया था, जो 1987 के बाद इंट्रा डे में सबसे बड़ी गिरावट थी। हालांकि, 23 मार्च के निचले स्तर से इंडेक्स अब तक 32% रिकवर कर चुका है। इसी दौरान फ्रांस और जर्मनी के शेयर बाजार भी लगभग 12% तक टूटे थे। सालाना आधार पर देखें तो जर्मनी को छोड़कर बाकी बाजारों में निवेशकों को नुकसान हुआ।

एशियाई बाजारों में भी रिकॉर्ड गिरावट

एशियाई बाजारों में भारत में 23 मार्च को सेंसेक्स और निफ्टी इंडेक्स रिकॉर्ड 13-13% नीचे बंद हुए थे। इससे पहले 13 मार्च को भी निफ्टी इंडेक्स में खुलते ही लोअर सर्किट लग गया था। जापान का निक्केई इंडेक्स 13 मार्च को इंट्रा डे यानी दिन के कारोबार में 10% तक फिसला था, जो बीते 30 सालों की सबसे बड़ी गिरावट रही। इससे पहले अप्रैल 1990 में ऐसी गिरावट देखने को मिली थी।

साल के चर्चित स्टॉक्स

टेस्ला - यह एक इलेक्ट्रिक व्हीकल निर्माता कंपनी है। इसके शेयर ने निवेशकों को 674% का रिटर्न दिया। शेयरों में तेजी के चलते कंपनी के को-फाउंडर एलन मस्क की नेटवर्थ इस साल 483% बढ़ गई। उनकी संपत्ति 133 अरब डॉलर बढ़कर 161 अरब डॉलर हो गई है। अब वे जेफ बेजोस के बाद दुनिया के सबसे अमीर कारोबारी हैं।

अलीबाबा ग्रुप होल्डिंग्स - कंपनी के शेयर ने इस साल 2 जनवरी से 28 अक्टूबर के दौरान निवेशकों को 46% का रिटर्न दिया था। नवंबर में ग्रुप की फाइनेंशियल कंपनी एंट ग्रुप का दुनिया का सबसे बड़ा, 39.7 अरब डॉलर का IPO लॉन्च करने वाली थी। लेकिन कंपनी के ओनर जैक मा द्वारा चीन के रेगुलेटर्स के खिलाफ बोलने के चलते मार्केट रेगुलेटर्स ने IPO को सस्पेंड कर दिया। इसके बाद शेयर गिरने लगे। अक्टूबर के अंत से अब तक जैक मा की नेटवर्थ 11 अरब डॉलर कम हो गई। हालांकि कंपनी के शेयर ने सालभर में 11.90% का रिटर्न दिया।

अदाणी ग्रीन - अदाणी ग्रुप की कंपनी अदाणी ग्रीन के शेयर ने निवेशकों को 495% का रिटर्न दिया है। कंपनी ने इसी साल जून में कंपनी ने कहा था कि वह दुनिया के सबसे बड़े सोलर ऑर्डर के लिए 450 अरब रुपए का निवेश करेगी। शेयरों के दाम में इतनी तेजी के कारण अदाणी समूह के चेयरमैन गौतम अदाणी की नेटवर्थ दोगुनी होकर दो लाख करोड़ रुपए के पार चली गई।

भारत में FII का रिकॉर्ड निवेश
ग्लोबल मार्केट में डॉलर की घटती वैल्यू और क्वालिटी शेयरों की कम कीमत के चलते भारत में विदेशी निवेशकों (FII) ने निवेश बढ़ाया है। 2020 में 28 दिसंबर तक FII भारत में 1.64 लाख करोड़ रुपए का निवेश कर चुके हैं। यह 2019 में कुल निवेश 1.01 लाख करोड़ रुपए की तुलना में 63 हजार करोड़ रुपए अधिक है।

क्या कहते हैं मार्केट के जानकार?
अब कोरोना वैक्सीन मार्केट में आने लगी है। इसके अलावा सेंट्रल बैंक भी ब्याज दरों में राहत दे रहे हैं। अर्थव्यवस्था के प्रमुख इंडिकेटर्स भी धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ रहे हैं। इसलिए ज्यादातर एक्सपर्ट मानते हैं कि बाजार नए साल के शुरुआती महीनों में भी पॉजिटिव ग्रोथ के साथ ट्रेड करेंगे। यानी अभी जो तेजी का सिलसिला है, वह फिलहाल जारी रहेगा।

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Global Stock Market Performance During Coronavirus Outbreak; From US Dow Jones To FTSE Europe Market

https://ift.tt/38U9Q02 Dainik Bhaskar 2020 में एशियाई, अमेरिकी बाजारों ने दिया 16% तक रिटर्न, यूरोपीय बाजारों में निवेशकों को 12% तक नुकसान Reviewed by Manish Pethev on December 31, 2020 Rating: 5

मौसम विभाग ने अगले कुछ दिन तक उत्तर भारत के कई राज्यों में कड़ाके की ठंड पड़ने की चेतावनी जारी की है। अगले कुछ दिनों तक हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और राजस्थान में कड़ाके की ठंड पड़ेगी। इन राज्यों में अधिकतम तापमान 3 से 5 डिग्री तक गिर सकता है। इसके साथ ही मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने एक एडवाइजरी भी जारी की है। इसमें कहा गया है कि ठंड से बचने के लिए लोग शराब का सेवन नहीं करें। अब सवाल ये है कि IMD ने अपनी एडवाइजरी में कहा क्या है? ठंड के इस मौसम का शराब से क्या कनेक्शन है? शराब हमारे शरीर का तापमान कैसे कम करती है? इससे बचने के लिए हमें क्या करना होगा? आइये जानते हैं… IMD ने अपनी एडवाइजरी में क्या कहा है? IMD ने अपनी एडवाइजरी में कहा है कि शीतलहर के दौरान फ्लू, जुकाम, नाक से खून निकलने जैसी परेशानी हो सकती है। जिन लोगों को इस तरह की परेशानी पहले से ही है, ठंड बढ़ने के साथ उनकी परेशानियां और बढ़ेंगी। एक लिस्ट शेयर की गई है, जिसमें लोगों से कम से कम घर से बाहर निकलने, स्किन को क्रीम या तेल से लगातार मॉइश्चराइज करने, विटामिन-सी रिच फल और सब्जियां खाने और गर्म सूप पीने की अपील की गई है। साथ ही शराब के सेवन से बचने को भी कहा गया है, क्योंकि इससे बॉडी टेम्परेचर कम होता है। क्या सर्दियों में शराब का सेवन ज्यादा खतरनाक है? बहुत से लोगों को ऐसा लगता है कि शराब पीने से शरीर में गर्मी आती है। लेकिन, IMD और हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि शराब पीने से बॉडी का टेम्परेचर कम हो जाता है। इसके साथ ही आपके शरीर की इम्युनिटी पर भी शराब असर डालती है। शरीर का तापमान गिरने से हाइपोथर्मिया का खतरा भी बढ़ जाता है। ये एक ऐसी स्थिति होती है, जब शरीर के अंदर की हीट बनने से पहले ही खत्म होने लगती है। इसके कारण बॉडी का टेम्परेचर गिरने लगता है। सामान्य तौर पर ये 37 डिग्री सेल्सियस होता है। लेकिन, हाइपोथर्मिया होने पर ये 35 डिग्री से भी कम हो जाता है। कैसे पता चलेगा कि हाइपोथर्मिया है? जिसे भी हाइपोथर्मिया है, उसके शरीर में कंपकपी महसूस होती है, सांस लेने में तकलीफ होती है, शरीर ठंडा पड़ने लगता है, बोलने में परेशानी होती है, थकान महसूस होती है। शराब का जितना अधिक सेवन किया जाता है, हाइपोथर्मिया का खतरा उतना ज्यादा बढ़ता जाता है। 2004 में अमेरिका के अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ फैमिली फिजिशियन की एक स्टडी के मुताबिक, एक्सिडेंटल हाइपोथर्मिया के 68% मामलों में शराब का कनेक्शन होता है। शराब से बॉडी टेम्परेचर कैसे कम होता है? शराब वासोडाइलेटर होती है यानी ये शरीर में बहने वाले खून को पतला कर देती है। साथ ही ब्लड वैसेल्स को खोल देती है। शराब पीने के बाद स्किन की सतह पर खून की मात्रा बढ़ जाती है। इसकी वजह से शराब पीने वाले को गर्मी का एहसास होता है। इसी कारण से नशा चढ़ने पर शराब पीने वाला शख्स झूमता हुआ दिखाई देता है। जब शरीर को गर्मी का एहसास होता है तो शराब पीने वाले को पसीना भी आता है। पसीना आने के कारण शरीर का ओवरऑल टेम्परेचर घट जाता है। ज्यादा शराब पीने के बाद शराब पीने वाले के शरीर की ठंड को सही तरीके से डिटेक्ट करने की एबिलिटी भी कम हो जाती है। इसी वजह से शराब पीने वाले को ठंड लग सकती है और हाइपोथर्मिया हो सकता है। शीत लहर क्या होती है और इसे लेकर IMD का क्या अनुमान है? जब अधिकतम तापमान 10 डिग्री और न्यूनतम तापमान 4.5 डिग्री से भी नीचे आ जाता है तो शीतलहर चलती है। वहीं, अगर अधिकतम तापमान 6.5 डिग्री से कम और न्यूनतम तापमान दो डिग्री सेल्सियस तक चला जाता है तो उसे सीवियर कोल्ड वेव कंडीशन यानी गंभीर शीत लहर कहते हैं। IMD के मुताबिक, हिमालय के ऊपरी हिस्से में वेस्टर्न डिस्टरबेंस के कारण जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में बर्फबारी का अनुमान है। वेस्टर्न डिस्टरबेंस के बाद हिमालय से ठंडी और रूखी हवा चलेगी जिससे उत्तर भारत में न्यूनतम तापमान गिरेगा और यह तीन से पांच डिग्री सेल्सियस के बीच रहेगा। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें Weather Alert! Cold Wave Delhi Haryana Rajasthan State Wise Advisory Update | IMD On Avoid Alcohol During Cold Wave https://ift.tt/3hBYbXt Dainik Bhaskar ठंड में सर्दी भगाने के लिए शराब पीने का आइडिया है खराब; जानें शीतलहर में पीना कितना घातक

मौसम विभाग ने अगले कुछ दिन तक उत्तर भारत के कई राज्यों में कड़ाके की ठंड पड़ने की चेतावनी जारी की है। अगले कुछ दिनों तक हरियाणा, पंजाब, उत्...
- December 31, 2020
मौसम विभाग ने अगले कुछ दिन तक उत्तर भारत के कई राज्यों में कड़ाके की ठंड पड़ने की चेतावनी जारी की है। अगले कुछ दिनों तक हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और राजस्थान में कड़ाके की ठंड पड़ेगी। इन राज्यों में अधिकतम तापमान 3 से 5 डिग्री तक गिर सकता है। इसके साथ ही मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने एक एडवाइजरी भी जारी की है। इसमें कहा गया है कि ठंड से बचने के लिए लोग शराब का सेवन नहीं करें। अब सवाल ये है कि IMD ने अपनी एडवाइजरी में कहा क्या है? ठंड के इस मौसम का शराब से क्या कनेक्शन है? शराब हमारे शरीर का तापमान कैसे कम करती है? इससे बचने के लिए हमें क्या करना होगा? आइये जानते हैं… IMD ने अपनी एडवाइजरी में क्या कहा है? IMD ने अपनी एडवाइजरी में कहा है कि शीतलहर के दौरान फ्लू, जुकाम, नाक से खून निकलने जैसी परेशानी हो सकती है। जिन लोगों को इस तरह की परेशानी पहले से ही है, ठंड बढ़ने के साथ उनकी परेशानियां और बढ़ेंगी। एक लिस्ट शेयर की गई है, जिसमें लोगों से कम से कम घर से बाहर निकलने, स्किन को क्रीम या तेल से लगातार मॉइश्चराइज करने, विटामिन-सी रिच फल और सब्जियां खाने और गर्म सूप पीने की अपील की गई है। साथ ही शराब के सेवन से बचने को भी कहा गया है, क्योंकि इससे बॉडी टेम्परेचर कम होता है। क्या सर्दियों में शराब का सेवन ज्यादा खतरनाक है? बहुत से लोगों को ऐसा लगता है कि शराब पीने से शरीर में गर्मी आती है। लेकिन, IMD और हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि शराब पीने से बॉडी का टेम्परेचर कम हो जाता है। इसके साथ ही आपके शरीर की इम्युनिटी पर भी शराब असर डालती है। शरीर का तापमान गिरने से हाइपोथर्मिया का खतरा भी बढ़ जाता है। ये एक ऐसी स्थिति होती है, जब शरीर के अंदर की हीट बनने से पहले ही खत्म होने लगती है। इसके कारण बॉडी का टेम्परेचर गिरने लगता है। सामान्य तौर पर ये 37 डिग्री सेल्सियस होता है। लेकिन, हाइपोथर्मिया होने पर ये 35 डिग्री से भी कम हो जाता है। कैसे पता चलेगा कि हाइपोथर्मिया है? जिसे भी हाइपोथर्मिया है, उसके शरीर में कंपकपी महसूस होती है, सांस लेने में तकलीफ होती है, शरीर ठंडा पड़ने लगता है, बोलने में परेशानी होती है, थकान महसूस होती है। शराब का जितना अधिक सेवन किया जाता है, हाइपोथर्मिया का खतरा उतना ज्यादा बढ़ता जाता है। 2004 में अमेरिका के अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ फैमिली फिजिशियन की एक स्टडी के मुताबिक, एक्सिडेंटल हाइपोथर्मिया के 68% मामलों में शराब का कनेक्शन होता है। शराब से बॉडी टेम्परेचर कैसे कम होता है? शराब वासोडाइलेटर होती है यानी ये शरीर में बहने वाले खून को पतला कर देती है। साथ ही ब्लड वैसेल्स को खोल देती है। शराब पीने के बाद स्किन की सतह पर खून की मात्रा बढ़ जाती है। इसकी वजह से शराब पीने वाले को गर्मी का एहसास होता है। इसी कारण से नशा चढ़ने पर शराब पीने वाला शख्स झूमता हुआ दिखाई देता है। जब शरीर को गर्मी का एहसास होता है तो शराब पीने वाले को पसीना भी आता है। पसीना आने के कारण शरीर का ओवरऑल टेम्परेचर घट जाता है। ज्यादा शराब पीने के बाद शराब पीने वाले के शरीर की ठंड को सही तरीके से डिटेक्ट करने की एबिलिटी भी कम हो जाती है। इसी वजह से शराब पीने वाले को ठंड लग सकती है और हाइपोथर्मिया हो सकता है। शीत लहर क्या होती है और इसे लेकर IMD का क्या अनुमान है? जब अधिकतम तापमान 10 डिग्री और न्यूनतम तापमान 4.5 डिग्री से भी नीचे आ जाता है तो शीतलहर चलती है। वहीं, अगर अधिकतम तापमान 6.5 डिग्री से कम और न्यूनतम तापमान दो डिग्री सेल्सियस तक चला जाता है तो उसे सीवियर कोल्ड वेव कंडीशन यानी गंभीर शीत लहर कहते हैं। IMD के मुताबिक, हिमालय के ऊपरी हिस्से में वेस्टर्न डिस्टरबेंस के कारण जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में बर्फबारी का अनुमान है। वेस्टर्न डिस्टरबेंस के बाद हिमालय से ठंडी और रूखी हवा चलेगी जिससे उत्तर भारत में न्यूनतम तापमान गिरेगा और यह तीन से पांच डिग्री सेल्सियस के बीच रहेगा। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें Weather Alert! Cold Wave Delhi Haryana Rajasthan State Wise Advisory Update | IMD On Avoid Alcohol During Cold Wave https://ift.tt/3hBYbXt Dainik Bhaskar ठंड में सर्दी भगाने के लिए शराब पीने का आइडिया है खराब; जानें शीतलहर में पीना कितना घातक 

मौसम विभाग ने अगले कुछ दिन तक उत्तर भारत के कई राज्यों में कड़ाके की ठंड पड़ने की चेतावनी जारी की है। अगले कुछ दिनों तक हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और राजस्थान में कड़ाके की ठंड पड़ेगी। इन राज्यों में अधिकतम तापमान 3 से 5 डिग्री तक गिर सकता है। इसके साथ ही मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने एक एडवाइजरी भी जारी की है। इसमें कहा गया है कि ठंड से बचने के लिए लोग शराब का सेवन नहीं करें।

अब सवाल ये है कि IMD ने अपनी एडवाइजरी में कहा क्या है? ठंड के इस मौसम का शराब से क्या कनेक्शन है? शराब हमारे शरीर का तापमान कैसे कम करती है? इससे बचने के लिए हमें क्या करना होगा? आइये जानते हैं…

IMD ने अपनी एडवाइजरी में क्या कहा है?

IMD ने अपनी एडवाइजरी में कहा है कि शीतलहर के दौरान फ्लू, जुकाम, नाक से खून निकलने जैसी परेशानी हो सकती है। जिन लोगों को इस तरह की परेशानी पहले से ही है, ठंड बढ़ने के साथ उनकी परेशानियां और बढ़ेंगी।

एक लिस्ट शेयर की गई है, जिसमें लोगों से कम से कम घर से बाहर निकलने, स्किन को क्रीम या तेल से लगातार मॉइश्चराइज करने, विटामिन-सी रिच फल और सब्जियां खाने और गर्म सूप पीने की अपील की गई है। साथ ही शराब के सेवन से बचने को भी कहा गया है, क्योंकि इससे बॉडी टेम्परेचर कम होता है।

क्या सर्दियों में शराब का सेवन ज्यादा खतरनाक है?

बहुत से लोगों को ऐसा लगता है कि शराब पीने से शरीर में गर्मी आती है। लेकिन, IMD और हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि शराब पीने से बॉडी का टेम्परेचर कम हो जाता है। इसके साथ ही आपके शरीर की इम्युनिटी पर भी शराब असर डालती है।

शरीर का तापमान गिरने से हाइपोथर्मिया का खतरा भी बढ़ जाता है। ये एक ऐसी स्थिति होती है, जब शरीर के अंदर की हीट बनने से पहले ही खत्म होने लगती है। इसके कारण बॉडी का टेम्परेचर गिरने लगता है। सामान्य तौर पर ये 37 डिग्री सेल्सियस होता है। लेकिन, हाइपोथर्मिया होने पर ये 35 डिग्री से भी कम हो जाता है।

कैसे पता चलेगा कि हाइपोथर्मिया है?

जिसे भी हाइपोथर्मिया है, उसके शरीर में कंपकपी महसूस होती है, सांस लेने में तकलीफ होती है, शरीर ठंडा पड़ने लगता है, बोलने में परेशानी होती है, थकान महसूस होती है। शराब का जितना अधिक सेवन किया जाता है, हाइपोथर्मिया का खतरा उतना ज्यादा बढ़ता जाता है। 2004 में अमेरिका के अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ फैमिली फिजिशियन की एक स्टडी के मुताबिक, एक्सिडेंटल हाइपोथर्मिया के 68% मामलों में शराब का कनेक्शन होता है।

शराब से बॉडी टेम्परेचर कैसे कम होता है?

शराब वासोडाइलेटर होती है यानी ये शरीर में बहने वाले खून को पतला कर देती है। साथ ही ब्लड वैसेल्स को खोल देती है।

शराब पीने के बाद स्किन की सतह पर खून की मात्रा बढ़ जाती है। इसकी वजह से शराब पीने वाले को गर्मी का एहसास होता है। इसी कारण से नशा चढ़ने पर शराब पीने वाला शख्स झूमता हुआ दिखाई देता है।

जब शरीर को गर्मी का एहसास होता है तो शराब पीने वाले को पसीना भी आता है। पसीना आने के कारण शरीर का ओवरऑल टेम्परेचर घट जाता है।

ज्यादा शराब पीने के बाद शराब पीने वाले के शरीर की ठंड को सही तरीके से डिटेक्ट करने की एबिलिटी भी कम हो जाती है। इसी वजह से शराब पीने वाले को ठंड लग सकती है और हाइपोथर्मिया हो सकता है।

शीत लहर क्या होती है और इसे लेकर IMD का क्या अनुमान है?

जब अधिकतम तापमान 10 डिग्री और न्यूनतम तापमान 4.5 डिग्री से भी नीचे आ जाता है तो शीतलहर चलती है। वहीं, अगर अधिकतम तापमान 6.5 डिग्री से कम और न्यूनतम तापमान दो डिग्री सेल्सियस तक चला जाता है तो उसे सीवियर कोल्ड वेव कंडीशन यानी गंभीर शीत लहर कहते हैं।

IMD के मुताबिक, हिमालय के ऊपरी हिस्से में वेस्टर्न डिस्टरबेंस के कारण जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में बर्फबारी का अनुमान है। वेस्टर्न डिस्टरबेंस के बाद हिमालय से ठंडी और रूखी हवा चलेगी जिससे उत्तर भारत में न्यूनतम तापमान गिरेगा और यह तीन से पांच डिग्री सेल्सियस के बीच रहेगा।

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Weather Alert! Cold Wave Delhi Haryana Rajasthan State Wise Advisory Update | IMD On Avoid Alcohol During Cold Wave

https://ift.tt/3hBYbXt Dainik Bhaskar ठंड में सर्दी भगाने के लिए शराब पीने का आइडिया है खराब; जानें शीतलहर में पीना कितना घातक Reviewed by Manish Pethev on December 31, 2020 Rating: 5

पिछले साल नवंबर में चीन के वुहान में एक अलग तरह का फ्लू फैल रहा था। ठीक एक साल पहले 31 दिसंबर 2019 को WHO ने इसे वायरल निमोनिया बताया। यही वायरल निमोनिया हम सब के बीच कोविड-19 के रूप में पहुंचा। तीन महीने बाद 11 मार्च को WHO ने इसे महामारी घोषित कर दिया। कोरोना से अब तक दुनियाभर में 18 लाख मौतें हो चुकी हैं। जान गंवाने वालों में करीब 1.5 लाख भारतीय हैं। 2020 को हम अब तक का सबसे बुरा साल मान रहे हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि इंसान के हजारों साल के इतिहास कई ऐसे बरस बीते हैं, जिनमें कोई न कोई महामारी फैली और करोड़ों लोगों की जान चली गई। जस्टिनियन प्लेग ने करीब 1500 साल पहले एक साम्राज्य ही खत्म कर दिया। वहीं 15वीं सदी में चेचक ने अमेरिका की 90% आबादी को मार डाला था। करीब 100 साल पहले स्पैनिश फ्लू से 5 करोड़ से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। आइए जानते हैं ऐसी 10 महामारियों के बारे में, जिन्होंने हमारे पूर्वजों का पूरा साल बिगाड़ दिया था... 1. एंटोनियन प्लेग | सालः 165 रोम में फैली बीमारी से राजा समेत 50 लाख लोग मारे गए इतिहास में जाएं तो साल 165 में पहली बार कोई महामारी फैली थी। उसे एंटोनियन प्लेग नाम दिया गया। माना जाता है कि रोम की सेनाएं जब मेसोपोटामिया से लौटीं, तो उनके साथ ही ये संक्रमण रोम में आ गया। इससे रोम में रोजाना 2 हजार लोगों की जान जा रही थी। 169 में इस संक्रमण से रोमन सम्राट लुसियस वेरस की भी मौत हो गई थी। तब इस महामारी से 50 लाख के आसपास लोगों की मौत हुई थी। 2. जस्टिनियन प्लेग | सालः 541 इस महामारी ने दुनिया की आधी आबादी की जान ले ली एंटोनियन प्लेग के बाद जो महामारी फैली, उसका नाम था- जस्टिनियन प्लेग। ये महामारी साल 541 में एशिया, उत्तरी अफ्रीका, अरब और यूरोप में फैली थी। लेकिन, इसका सबसे ज्यादा असर पूर्वी रोमन साम्राज्य बाइजेंटाइन पर हुआ। इस महामारी ने 5 करोड़ लोगों की जान ले ली थी। ये उस वक्त की दुनिया की कुल आबादी का आधा हिस्सा थी। ये बीमारी इतनी खतरनाक थी कि इसने बाइजेंटाइन साम्राज्य को खत्म कर दिया था। 3. द ब्लैक डेथ | सालः 1347-1351 यूरोप में इतने मरे कि फिर से उतनी आबादी होने में 200 साल लगे सन 1347 से 1351 के बीच एक बार फिर प्लेग फैला। इसे ब्यूबोनिक प्लेग नाम दिया गया। इसका सबसे ज्यादा असर यूरोप और एशिया में हुआ। उस समय ज्यादातर कारोबार समुद्री रास्ते से ही होता था। समुद्री जहाजों पर चूहे बहुत रहते थे। इन्हीं चूहों से मक्खियों के जरिए ये बीमारी फैलती गई। इस बीमारी से उस वक्त 20 करोड़ लोग मारे गए थे। ऐसा कहा जाता है कि इस बीमारी से अकेले यूरोप में इतनी मौतें हुई थीं कि उसे 1347 से पहले के पॉपुलेशन लेवल पर पहुंचने पर 200 साल लग गए थे। इसलिए इसे ब्लैक डेथ भी कहते हैं। ब्यूबोनिक प्लेग या ब्लैक डेथ आज भी खत्म नहीं हुई है। 4. स्मॉलपॉक्स | सालः 1492 यूरोप से आई बीमारी ने अमेरिका के 90% लोगों की जान ले ली 1492 में यूरोपियन्स अमेरिका पहुंचे। उनके आते ही अमेरिका में स्मॉलपॉक्स यानी चेचक नाम का संक्रमण फैल गया। इस बीमारी से संक्रमित 10 में 3 लोगों की मौत हो जाती थी। इससे 2 करोड़ अमेरिकियों की मौत हो गई थी, जो उस वक्त अमेरिका की कुल आबादी का 90% हिस्सा थी। इससे यूरोपियन्स को फायदा हुआ। उन्हें यहां खाली जगह मिल गई और उन्होंने अपनी कॉलोनियां बसानी शुरू कर दीं। चेचक अब भी खत्म नहीं हुई है। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, इससे अब तक 35 करोड़ से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। 1796 में डॉक्टर एडवर्ड जेनर ने इस बीमारी की वैक्सीन ईजाद कर ली। 5. हैजा | सालः 1817 ऐसी महामारी जो भारत में जन्मी और अमेरिका-अफ्रीका तक फैली 1817 में दुनिया में हैजा नाम की बीमारी फैली। इसे कॉलरा भी कहते हैं। ये वो बीमारी थी, जो भारत में जन्मी थी। ये बीमारी गंगा नदी के डेल्टा के जरिए एशिया, यूरोप, उत्तरी अमेरिका और अफ्रीका में भी फैल गई थी। गंदा पानी पीना इस बीमारी का कारण था। इस बीमारी की वजह से उस समय 10 लाख से ज्यादा मौतें हुई थीं। WHO के मुताबि अभी भी हर साल 13 लाख से 40 लाख के बीच लोग इस बीमारी की चपेट में आते हैं। आज भी हर साल 1.5 लाख तक मौतें इस बीमारी से हो रही है। 6. स्पैनिश फ्लू | सालः 1918 5 करोड़ जानें लेने वाला फ्लू, अकेले भारत में 1.7 करोड़ लोग मरे 1918 में फैली फ्लू की महामारी को स्पैनिश फ्लू भी कहा जाता है। ये पिछले 500 साल के इतिहास की सबसे खतरनाक महामारी थी। ऐसा माना जाता है कि इस महामारी से उस वक्त दुनिया की एक तिहाई आबादी यानी 50 करोड़ लोग संक्रमित हुए थे। दुनियाभर में इससे 5 करोड़ से ज्यादा मौतें हुईं। अकेले भारत में ही इससे 1.7 करोड़ लोग मारे गए थे। ये बीमारी इतनी अजीब थी कि इसकी वजह से सबसे ज्यादा मौतें स्वस्थ लोगों की हुई थी। स्पैनिश फ्लू के लिए H1N1 वायरस जिम्मेदार था। ये वायरस आज भी हमारे बीच है और हर साल इंसानों को संक्रमित करता है। 7. एशियन फ्लू | सालः 1957 हॉन्गकॉन्ग से निकली बीमारी ने दुनियाभर के 11 लाख लोगों की जान ली ये बीमारी फरवरी 1957 में हॉन्गकॉन्ग से शुरू हुई थी। चूंकि ये बीमारी पूर्वी एशिया से निकली थी, इसलिए इसे एशियन फ्लू कहा जाता है। ये बीमारी H2N2 वायरस की वजह से फैली थी। कुछ ही महीनों में बीमारी कई देशों में फैल गई। इससे दुनियाभर में 11 लाख से ज्यादा लोग मारे गए थे। 8. हॉन्गकॉन्ग फ्लू | सालः 1968 इस चीनी फ्लू ने ऐसे लोगों को शिकार बनाया जो पहले से ही बीमार थे 13 जुलाई 1968 को इस फ्लू का पहला केस हॉन्गकॉन्ग में मिला। इसी वजह से इसे हॉन्गकॉन्ग फ्लू कहा जाता है। हालांकि, कुछ जानकार ये भी मानते हैं कि ये चीन से हॉन्गकॉन्ग में आया। इस फ्लू के लिए H3N2 वायरस जिम्मेदार था। कुछ ही महीनों में ये वायरस वियतनाम, सिंगापुर, भारत, अमेरिका और यूरोप पहुंच गया। इस वायरस से मरने वाले ज्यादातर लोगों की उम्र 65 साल से ज्यादा थी। इसकी चपेट में ज्यादातर वही लोग आए थे, जिन्हें पहले से कोई गंभीर बीमारी थी। इस बीमारी की वजह से दुनियाभर में 10 लाख से ज्यादा मौतें हुई थीं। 9. HIV एड्स | सालः 1981 चिम्पैंजी से फैली बीमारी आज भी हर साल लाखों लोगों की जान ले रही 1981 में HIV वायरस फैला, जिसे ह्यूमन इम्युनो डेफिशिएंसी वायरस कहते हैं। इस वायरस से इंसानों में एड्स नाम की बीमारी फैलती है। ये बीमारी अफ्रीकी देश कॉन्गो की राजधानी किन्शासा से शुरू हुई थी। इस बीमारी की उत्पत्ति का कारण 30 साल बाद पता चला था। ये बीमारी चिम्पैंजी से इंसानों में फैली। उस समय किन्शासा बुशमीट का बड़ा बाजार था और यहीं से वायरस इंसानों में आया। इस बीमारी से अब तक 3.5 करोड़ से ज्यादा की जान जा चुकी है। WHO के अनुसार 2019 में एड्स से करीब 6.90 लाख लोग मारे गए थे। इसका अभी तक कोई असरदार इलाज नहीं मिल सका है। 10. स्वाइन फ्लू | सालः 2009 WHO ने 1 साल में ही महामारी की लिस्ट से हटाया, लेकिन आज भी जानलेवा अप्रैल 2009 में स्वाइन फ्लू का पहला मामला मैक्सिको में सामने आया था। उसके बाद 13 मई को भारत में भी स्वाइन फ्लू का पहला मामला आया। 11 जून 2009 को इसे महामारी घोषित किया गया। स्वाइन फ्लू H1N1 वायरस की वजह से आया और ये वायरस सुअरों से इंसान में आया। अगस्त 2010 में WHO ने इसके महामारी नहीं रहने की घोषणा की थी। लेकिन, अब भी ये बीमारी हमारे बीच में है। स्वाइन फ्लू से दुनियाभर में अब तक 5.5 लाख से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। इसी साल सितंबर तक भारत में 44 लोग इससे संक्रमित होकर दम तोड़ चुके हैं। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें Coronavirus Covid 19 To Black Death Spanish Flu Smallpox And Ten Deadliest Pandemics In History https://ift.tt/34Zlc1p Dainik Bhaskar किसी महामारी ने साम्राज्य खत्म कर दिया तो किसी ने अमेरिका की 90% आबादी; कोई 700 साल बाद भी बेकाबू

पिछले साल नवंबर में चीन के वुहान में एक अलग तरह का फ्लू फैल रहा था। ठीक एक साल पहले 31 दिसंबर 2019 को WHO ने इसे वायरल निमोनिया बताया। यही ...
- December 31, 2020
पिछले साल नवंबर में चीन के वुहान में एक अलग तरह का फ्लू फैल रहा था। ठीक एक साल पहले 31 दिसंबर 2019 को WHO ने इसे वायरल निमोनिया बताया। यही वायरल निमोनिया हम सब के बीच कोविड-19 के रूप में पहुंचा। तीन महीने बाद 11 मार्च को WHO ने इसे महामारी घोषित कर दिया। कोरोना से अब तक दुनियाभर में 18 लाख मौतें हो चुकी हैं। जान गंवाने वालों में करीब 1.5 लाख भारतीय हैं। 2020 को हम अब तक का सबसे बुरा साल मान रहे हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि इंसान के हजारों साल के इतिहास कई ऐसे बरस बीते हैं, जिनमें कोई न कोई महामारी फैली और करोड़ों लोगों की जान चली गई। जस्टिनियन प्लेग ने करीब 1500 साल पहले एक साम्राज्य ही खत्म कर दिया। वहीं 15वीं सदी में चेचक ने अमेरिका की 90% आबादी को मार डाला था। करीब 100 साल पहले स्पैनिश फ्लू से 5 करोड़ से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। आइए जानते हैं ऐसी 10 महामारियों के बारे में, जिन्होंने हमारे पूर्वजों का पूरा साल बिगाड़ दिया था... 1. एंटोनियन प्लेग | सालः 165 रोम में फैली बीमारी से राजा समेत 50 लाख लोग मारे गए इतिहास में जाएं तो साल 165 में पहली बार कोई महामारी फैली थी। उसे एंटोनियन प्लेग नाम दिया गया। माना जाता है कि रोम की सेनाएं जब मेसोपोटामिया से लौटीं, तो उनके साथ ही ये संक्रमण रोम में आ गया। इससे रोम में रोजाना 2 हजार लोगों की जान जा रही थी। 169 में इस संक्रमण से रोमन सम्राट लुसियस वेरस की भी मौत हो गई थी। तब इस महामारी से 50 लाख के आसपास लोगों की मौत हुई थी। 2. जस्टिनियन प्लेग | सालः 541 इस महामारी ने दुनिया की आधी आबादी की जान ले ली एंटोनियन प्लेग के बाद जो महामारी फैली, उसका नाम था- जस्टिनियन प्लेग। ये महामारी साल 541 में एशिया, उत्तरी अफ्रीका, अरब और यूरोप में फैली थी। लेकिन, इसका सबसे ज्यादा असर पूर्वी रोमन साम्राज्य बाइजेंटाइन पर हुआ। इस महामारी ने 5 करोड़ लोगों की जान ले ली थी। ये उस वक्त की दुनिया की कुल आबादी का आधा हिस्सा थी। ये बीमारी इतनी खतरनाक थी कि इसने बाइजेंटाइन साम्राज्य को खत्म कर दिया था। 3. द ब्लैक डेथ | सालः 1347-1351 यूरोप में इतने मरे कि फिर से उतनी आबादी होने में 200 साल लगे सन 1347 से 1351 के बीच एक बार फिर प्लेग फैला। इसे ब्यूबोनिक प्लेग नाम दिया गया। इसका सबसे ज्यादा असर यूरोप और एशिया में हुआ। उस समय ज्यादातर कारोबार समुद्री रास्ते से ही होता था। समुद्री जहाजों पर चूहे बहुत रहते थे। इन्हीं चूहों से मक्खियों के जरिए ये बीमारी फैलती गई। इस बीमारी से उस वक्त 20 करोड़ लोग मारे गए थे। ऐसा कहा जाता है कि इस बीमारी से अकेले यूरोप में इतनी मौतें हुई थीं कि उसे 1347 से पहले के पॉपुलेशन लेवल पर पहुंचने पर 200 साल लग गए थे। इसलिए इसे ब्लैक डेथ भी कहते हैं। ब्यूबोनिक प्लेग या ब्लैक डेथ आज भी खत्म नहीं हुई है। 4. स्मॉलपॉक्स | सालः 1492 यूरोप से आई बीमारी ने अमेरिका के 90% लोगों की जान ले ली 1492 में यूरोपियन्स अमेरिका पहुंचे। उनके आते ही अमेरिका में स्मॉलपॉक्स यानी चेचक नाम का संक्रमण फैल गया। इस बीमारी से संक्रमित 10 में 3 लोगों की मौत हो जाती थी। इससे 2 करोड़ अमेरिकियों की मौत हो गई थी, जो उस वक्त अमेरिका की कुल आबादी का 90% हिस्सा थी। इससे यूरोपियन्स को फायदा हुआ। उन्हें यहां खाली जगह मिल गई और उन्होंने अपनी कॉलोनियां बसानी शुरू कर दीं। चेचक अब भी खत्म नहीं हुई है। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, इससे अब तक 35 करोड़ से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। 1796 में डॉक्टर एडवर्ड जेनर ने इस बीमारी की वैक्सीन ईजाद कर ली। 5. हैजा | सालः 1817 ऐसी महामारी जो भारत में जन्मी और अमेरिका-अफ्रीका तक फैली 1817 में दुनिया में हैजा नाम की बीमारी फैली। इसे कॉलरा भी कहते हैं। ये वो बीमारी थी, जो भारत में जन्मी थी। ये बीमारी गंगा नदी के डेल्टा के जरिए एशिया, यूरोप, उत्तरी अमेरिका और अफ्रीका में भी फैल गई थी। गंदा पानी पीना इस बीमारी का कारण था। इस बीमारी की वजह से उस समय 10 लाख से ज्यादा मौतें हुई थीं। WHO के मुताबि अभी भी हर साल 13 लाख से 40 लाख के बीच लोग इस बीमारी की चपेट में आते हैं। आज भी हर साल 1.5 लाख तक मौतें इस बीमारी से हो रही है। 6. स्पैनिश फ्लू | सालः 1918 5 करोड़ जानें लेने वाला फ्लू, अकेले भारत में 1.7 करोड़ लोग मरे 1918 में फैली फ्लू की महामारी को स्पैनिश फ्लू भी कहा जाता है। ये पिछले 500 साल के इतिहास की सबसे खतरनाक महामारी थी। ऐसा माना जाता है कि इस महामारी से उस वक्त दुनिया की एक तिहाई आबादी यानी 50 करोड़ लोग संक्रमित हुए थे। दुनियाभर में इससे 5 करोड़ से ज्यादा मौतें हुईं। अकेले भारत में ही इससे 1.7 करोड़ लोग मारे गए थे। ये बीमारी इतनी अजीब थी कि इसकी वजह से सबसे ज्यादा मौतें स्वस्थ लोगों की हुई थी। स्पैनिश फ्लू के लिए H1N1 वायरस जिम्मेदार था। ये वायरस आज भी हमारे बीच है और हर साल इंसानों को संक्रमित करता है। 7. एशियन फ्लू | सालः 1957 हॉन्गकॉन्ग से निकली बीमारी ने दुनियाभर के 11 लाख लोगों की जान ली ये बीमारी फरवरी 1957 में हॉन्गकॉन्ग से शुरू हुई थी। चूंकि ये बीमारी पूर्वी एशिया से निकली थी, इसलिए इसे एशियन फ्लू कहा जाता है। ये बीमारी H2N2 वायरस की वजह से फैली थी। कुछ ही महीनों में बीमारी कई देशों में फैल गई। इससे दुनियाभर में 11 लाख से ज्यादा लोग मारे गए थे। 8. हॉन्गकॉन्ग फ्लू | सालः 1968 इस चीनी फ्लू ने ऐसे लोगों को शिकार बनाया जो पहले से ही बीमार थे 13 जुलाई 1968 को इस फ्लू का पहला केस हॉन्गकॉन्ग में मिला। इसी वजह से इसे हॉन्गकॉन्ग फ्लू कहा जाता है। हालांकि, कुछ जानकार ये भी मानते हैं कि ये चीन से हॉन्गकॉन्ग में आया। इस फ्लू के लिए H3N2 वायरस जिम्मेदार था। कुछ ही महीनों में ये वायरस वियतनाम, सिंगापुर, भारत, अमेरिका और यूरोप पहुंच गया। इस वायरस से मरने वाले ज्यादातर लोगों की उम्र 65 साल से ज्यादा थी। इसकी चपेट में ज्यादातर वही लोग आए थे, जिन्हें पहले से कोई गंभीर बीमारी थी। इस बीमारी की वजह से दुनियाभर में 10 लाख से ज्यादा मौतें हुई थीं। 9. HIV एड्स | सालः 1981 चिम्पैंजी से फैली बीमारी आज भी हर साल लाखों लोगों की जान ले रही 1981 में HIV वायरस फैला, जिसे ह्यूमन इम्युनो डेफिशिएंसी वायरस कहते हैं। इस वायरस से इंसानों में एड्स नाम की बीमारी फैलती है। ये बीमारी अफ्रीकी देश कॉन्गो की राजधानी किन्शासा से शुरू हुई थी। इस बीमारी की उत्पत्ति का कारण 30 साल बाद पता चला था। ये बीमारी चिम्पैंजी से इंसानों में फैली। उस समय किन्शासा बुशमीट का बड़ा बाजार था और यहीं से वायरस इंसानों में आया। इस बीमारी से अब तक 3.5 करोड़ से ज्यादा की जान जा चुकी है। WHO के अनुसार 2019 में एड्स से करीब 6.90 लाख लोग मारे गए थे। इसका अभी तक कोई असरदार इलाज नहीं मिल सका है। 10. स्वाइन फ्लू | सालः 2009 WHO ने 1 साल में ही महामारी की लिस्ट से हटाया, लेकिन आज भी जानलेवा अप्रैल 2009 में स्वाइन फ्लू का पहला मामला मैक्सिको में सामने आया था। उसके बाद 13 मई को भारत में भी स्वाइन फ्लू का पहला मामला आया। 11 जून 2009 को इसे महामारी घोषित किया गया। स्वाइन फ्लू H1N1 वायरस की वजह से आया और ये वायरस सुअरों से इंसान में आया। अगस्त 2010 में WHO ने इसके महामारी नहीं रहने की घोषणा की थी। लेकिन, अब भी ये बीमारी हमारे बीच में है। स्वाइन फ्लू से दुनियाभर में अब तक 5.5 लाख से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। इसी साल सितंबर तक भारत में 44 लोग इससे संक्रमित होकर दम तोड़ चुके हैं। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें Coronavirus Covid 19 To Black Death Spanish Flu Smallpox And Ten Deadliest Pandemics In History https://ift.tt/34Zlc1p Dainik Bhaskar किसी महामारी ने साम्राज्य खत्म कर दिया तो किसी ने अमेरिका की 90% आबादी; कोई 700 साल बाद भी बेकाबू 

पिछले साल नवंबर में चीन के वुहान में एक अलग तरह का फ्लू फैल रहा था। ठीक एक साल पहले 31 दिसंबर 2019 को WHO ने इसे वायरल निमोनिया बताया। यही वायरल निमोनिया हम सब के बीच कोविड-19 के रूप में पहुंचा। तीन महीने बाद 11 मार्च को WHO ने इसे महामारी घोषित कर दिया। कोरोना से अब तक दुनियाभर में 18 लाख मौतें हो चुकी हैं। जान गंवाने वालों में करीब 1.5 लाख भारतीय हैं।

2020 को हम अब तक का सबसे बुरा साल मान रहे हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि इंसान के हजारों साल के इतिहास कई ऐसे बरस बीते हैं, जिनमें कोई न कोई महामारी फैली और करोड़ों लोगों की जान चली गई। जस्टिनियन प्लेग ने करीब 1500 साल पहले एक साम्राज्य ही खत्म कर दिया। वहीं 15वीं सदी में चेचक ने अमेरिका की 90% आबादी को मार डाला था। करीब 100 साल पहले स्पैनिश फ्लू से 5 करोड़ से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। आइए जानते हैं ऐसी 10 महामारियों के बारे में, जिन्होंने हमारे पूर्वजों का पूरा साल बिगाड़ दिया था...

1. एंटोनियन प्लेग | सालः 165

रोम में फैली बीमारी से राजा समेत 50 लाख लोग मारे गए
इतिहास में जाएं तो साल 165 में पहली बार कोई महामारी फैली थी। उसे एंटोनियन प्लेग नाम दिया गया। माना जाता है कि रोम की सेनाएं जब मेसोपोटामिया से लौटीं, तो उनके साथ ही ये संक्रमण रोम में आ गया। इससे रोम में रोजाना 2 हजार लोगों की जान जा रही थी। 169 में इस संक्रमण से रोमन सम्राट लुसियस वेरस की भी मौत हो गई थी। तब इस महामारी से 50 लाख के आसपास लोगों की मौत हुई थी।

2. जस्टिनियन प्लेग | सालः 541

इस महामारी ने दुनिया की आधी आबादी की जान ले ली
एंटोनियन प्लेग के बाद जो महामारी फैली, उसका नाम था- जस्टिनियन प्लेग। ये महामारी साल 541 में एशिया, उत्तरी अफ्रीका, अरब और यूरोप में फैली थी। लेकिन, इसका सबसे ज्यादा असर पूर्वी रोमन साम्राज्य बाइजेंटाइन पर हुआ। इस महामारी ने 5 करोड़ लोगों की जान ले ली थी। ये उस वक्त की दुनिया की कुल आबादी का आधा हिस्सा थी। ये बीमारी इतनी खतरनाक थी कि इसने बाइजेंटाइन साम्राज्य को खत्म कर दिया था।

3. द ब्लैक डेथ | सालः 1347-1351

यूरोप में इतने मरे कि फिर से उतनी आबादी होने में 200 साल लगे
सन 1347 से 1351 के बीच एक बार फिर प्लेग फैला। इसे ब्यूबोनिक प्लेग नाम दिया गया। इसका सबसे ज्यादा असर यूरोप और एशिया में हुआ। उस समय ज्यादातर कारोबार समुद्री रास्ते से ही होता था। समुद्री जहाजों पर चूहे बहुत रहते थे। इन्हीं चूहों से मक्खियों के जरिए ये बीमारी फैलती गई। इस बीमारी से उस वक्त 20 करोड़ लोग मारे गए थे। ऐसा कहा जाता है कि इस बीमारी से अकेले यूरोप में इतनी मौतें हुई थीं कि उसे 1347 से पहले के पॉपुलेशन लेवल पर पहुंचने पर 200 साल लग गए थे। इसलिए इसे ब्लैक डेथ भी कहते हैं। ब्यूबोनिक प्लेग या ब्लैक डेथ आज भी खत्म नहीं हुई है।

4. स्मॉलपॉक्स | सालः 1492

यूरोप से आई बीमारी ने अमेरिका के 90% लोगों की जान ले ली
1492 में यूरोपियन्स अमेरिका पहुंचे। उनके आते ही अमेरिका में स्मॉलपॉक्स यानी चेचक नाम का संक्रमण फैल गया। इस बीमारी से संक्रमित 10 में 3 लोगों की मौत हो जाती थी। इससे 2 करोड़ अमेरिकियों की मौत हो गई थी, जो उस वक्त अमेरिका की कुल आबादी का 90% हिस्सा थी। इससे यूरोपियन्स को फायदा हुआ। उन्हें यहां खाली जगह मिल गई और उन्होंने अपनी कॉलोनियां बसानी शुरू कर दीं। चेचक अब भी खत्म नहीं हुई है। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, इससे अब तक 35 करोड़ से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। 1796 में डॉक्टर एडवर्ड जेनर ने इस बीमारी की वैक्सीन ईजाद कर ली।

5. हैजा | सालः 1817

ऐसी महामारी जो भारत में जन्मी और अमेरिका-अफ्रीका तक फैली
1817 में दुनिया में हैजा नाम की बीमारी फैली। इसे कॉलरा भी कहते हैं। ये वो बीमारी थी, जो भारत में जन्मी थी। ये बीमारी गंगा नदी के डेल्टा के जरिए एशिया, यूरोप, उत्तरी अमेरिका और अफ्रीका में भी फैल गई थी। गंदा पानी पीना इस बीमारी का कारण था। इस बीमारी की वजह से उस समय 10 लाख से ज्यादा मौतें हुई थीं। WHO के मुताबि अभी भी हर साल 13 लाख से 40 लाख के बीच लोग इस बीमारी की चपेट में आते हैं। आज भी हर साल 1.5 लाख तक मौतें इस बीमारी से हो रही है।

6. स्पैनिश फ्लू | सालः 1918

5 करोड़ जानें लेने वाला फ्लू, अकेले भारत में 1.7 करोड़ लोग मरे
1918 में फैली फ्लू की महामारी को स्पैनिश फ्लू भी कहा जाता है। ये पिछले 500 साल के इतिहास की सबसे खतरनाक महामारी थी। ऐसा माना जाता है कि इस महामारी से उस वक्त दुनिया की एक तिहाई आबादी यानी 50 करोड़ लोग संक्रमित हुए थे। दुनियाभर में इससे 5 करोड़ से ज्यादा मौतें हुईं। अकेले भारत में ही इससे 1.7 करोड़ लोग मारे गए थे। ये बीमारी इतनी अजीब थी कि इसकी वजह से सबसे ज्यादा मौतें स्वस्थ लोगों की हुई थी। स्पैनिश फ्लू के लिए H1N1 वायरस जिम्मेदार था। ये वायरस आज भी हमारे बीच है और हर साल इंसानों को संक्रमित करता है।

7. एशियन फ्लू | सालः 1957

हॉन्गकॉन्ग से निकली बीमारी ने दुनियाभर के 11 लाख लोगों की जान ली
ये बीमारी फरवरी 1957 में हॉन्गकॉन्ग से शुरू हुई थी। चूंकि ये बीमारी पूर्वी एशिया से निकली थी, इसलिए इसे एशियन फ्लू कहा जाता है। ये बीमारी H2N2 वायरस की वजह से फैली थी। कुछ ही महीनों में बीमारी कई देशों में फैल गई। इससे दुनियाभर में 11 लाख से ज्यादा लोग मारे गए थे।

8. हॉन्गकॉन्ग फ्लू | सालः 1968

इस चीनी फ्लू ने ऐसे लोगों को शिकार बनाया जो पहले से ही बीमार थे
13 जुलाई 1968 को इस फ्लू का पहला केस हॉन्गकॉन्ग में मिला। इसी वजह से इसे हॉन्गकॉन्ग फ्लू कहा जाता है। हालांकि, कुछ जानकार ये भी मानते हैं कि ये चीन से हॉन्गकॉन्ग में आया। इस फ्लू के लिए H3N2 वायरस जिम्मेदार था। कुछ ही महीनों में ये वायरस वियतनाम, सिंगापुर, भारत, अमेरिका और यूरोप पहुंच गया। इस वायरस से मरने वाले ज्यादातर लोगों की उम्र 65 साल से ज्यादा थी। इसकी चपेट में ज्यादातर वही लोग आए थे, जिन्हें पहले से कोई गंभीर बीमारी थी। इस बीमारी की वजह से दुनियाभर में 10 लाख से ज्यादा मौतें हुई थीं।

9. HIV एड्स | सालः 1981

चिम्पैंजी से फैली बीमारी आज भी हर साल लाखों लोगों की जान ले रही
1981 में HIV वायरस फैला, जिसे ह्यूमन इम्युनो डेफिशिएंसी वायरस कहते हैं। इस वायरस से इंसानों में एड्स नाम की बीमारी फैलती है। ये बीमारी अफ्रीकी देश कॉन्गो की राजधानी किन्शासा से शुरू हुई थी। इस बीमारी की उत्पत्ति का कारण 30 साल बाद पता चला था। ये बीमारी चिम्पैंजी से इंसानों में फैली। उस समय किन्शासा बुशमीट का बड़ा बाजार था और यहीं से वायरस इंसानों में आया। इस बीमारी से अब तक 3.5 करोड़ से ज्यादा की जान जा चुकी है। WHO के अनुसार 2019 में एड्स से करीब 6.90 लाख लोग मारे गए थे। इसका अभी तक कोई असरदार इलाज नहीं मिल सका है।

10. स्वाइन फ्लू | सालः 2009

WHO ने 1 साल में ही महामारी की लिस्ट से हटाया, लेकिन आज भी जानलेवा
अप्रैल 2009 में स्वाइन फ्लू का पहला मामला मैक्सिको में सामने आया था। उसके बाद 13 मई को भारत में भी स्वाइन फ्लू का पहला मामला आया। 11 जून 2009 को इसे महामारी घोषित किया गया। स्वाइन फ्लू H1N1 वायरस की वजह से आया और ये वायरस सुअरों से इंसान में आया। अगस्त 2010 में WHO ने इसके महामारी नहीं रहने की घोषणा की थी। लेकिन, अब भी ये बीमारी हमारे बीच में है। स्वाइन फ्लू से दुनियाभर में अब तक 5.5 लाख से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। इसी साल सितंबर तक भारत में 44 लोग इससे संक्रमित होकर दम तोड़ चुके हैं।

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Coronavirus Covid 19 To Black Death Spanish Flu Smallpox And Ten Deadliest Pandemics In History

https://ift.tt/34Zlc1p Dainik Bhaskar किसी महामारी ने साम्राज्य खत्म कर दिया तो किसी ने अमेरिका की 90% आबादी; कोई 700 साल बाद भी बेकाबू Reviewed by Manish Pethev on December 31, 2020 Rating: 5

क्या हो रहा है वायरल : सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि माइक्रोसॉफ्ट ग्रुप ने सोनी कंपनी के सभी डिवीजन खरीद लिए हैं। सोशल मीडिया के अलावा कई वेबसाइट्स ने भी सोनी कंपनी के बिकने की खबर पब्लिश की। #Microsoft acquires #Sony : Reports. The deal is reportedly worth 130 billion dollars. — Sandeep B (@sanbhardwaj) December 30, 2020 EN 24 वेबसाइट की खबर में बताया गया है कि माइक्रोसॉफ्ट ने 130 बिलियन डॉलर में सोनी कंपनी को खरीदा है। और सच क्या है ? इंटरनेट पर हमें किसी भी विश्वसनीय मीडिया प्लेटफॉर्म पर ऐसी खबर नहीं मिली, जिससे पुष्टि होती हो कि माइक्रोसॉफ्ट ने सोनी कंपनी खरीदी है। सोनी और माइक्रोसॉफ्ट के ऑफिशियल सोशल मीडिया हैंडल चेक करने पर ऐसा कोई अपडेट नहीं मिला, जिससे सोनी कंपनी के बिकने की पुष्टि होती हो। अलग-अलग कीवर्ड सर्च कर हमने ये पता लगाना शुरू किया कि आखिर सोनी कंपनी के बिकने का दावा सबसे पहले कहां हुआ। EN24 की जिस खबर में सोनी के बिकने का दावा किया गया है, उसमें दावे का सोर्स माइक्रोसॉफ्टर्स नाम की स्पैनिश वेबसाइट की रिपोर्ट को बताया गया है। माइक्रोसॉफ्टर्स वेबसाइट पर हमने माइक्रोसॉफ्ट और सोनी के बीच हुई डील की रिपोर्ट पढ़ी। रिपोर्ट के अंत में लिखा है - Feliz Día de los Inocentes! । इसका इंग्लिश ट्रांसलेशन है - Happy Day of the Innocents। पड़ताल के दौरान हमें पता चलता कि ‘Day of the Holy Innocents’ 28 दिसंबर को मनाया जाता है। इस दिन लोगों को मूर्ख बनाने की परंपरा है। ठीक अप्रैल फूल की तरह। माइक्रोसॉफ्टर वेबसाइट पर सोनी कंपनी के बिकने की खबर भी 28 दिसंबर को पब्लिश हुई है। मतलब साफ है कि वेबसाइट पर सोनी कंपनी के बिकने वाले दावे को एक मजाक के रूप में पब्लिश किया गया था। जबकि, सोशल मीडिया पर इसे सच मानकर शेयर किया जाने लगा। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें Microsoft Aquire Sony 130 Billion Dollar। Fact Check। https://ift.tt/3o1Png7 Dainik Bhaskar माइक्रोसॉफ्ट ने 130 बिलियन डॉलर में खरीदी सोनी कंपनी? पड़ताल में सामने आया सच

क्या हो रहा है वायरल : सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि माइक्रोसॉफ्ट ग्रुप ने सोनी कंपनी के सभी डिवीजन खरीद लिए हैं। सोशल मीडिया के अ...
- December 31, 2020
क्या हो रहा है वायरल : सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि माइक्रोसॉफ्ट ग्रुप ने सोनी कंपनी के सभी डिवीजन खरीद लिए हैं। सोशल मीडिया के अलावा कई वेबसाइट्स ने भी सोनी कंपनी के बिकने की खबर पब्लिश की। #Microsoft acquires #Sony : Reports. The deal is reportedly worth 130 billion dollars. — Sandeep B (@sanbhardwaj) December 30, 2020 EN 24 वेबसाइट की खबर में बताया गया है कि माइक्रोसॉफ्ट ने 130 बिलियन डॉलर में सोनी कंपनी को खरीदा है। और सच क्या है ? इंटरनेट पर हमें किसी भी विश्वसनीय मीडिया प्लेटफॉर्म पर ऐसी खबर नहीं मिली, जिससे पुष्टि होती हो कि माइक्रोसॉफ्ट ने सोनी कंपनी खरीदी है। सोनी और माइक्रोसॉफ्ट के ऑफिशियल सोशल मीडिया हैंडल चेक करने पर ऐसा कोई अपडेट नहीं मिला, जिससे सोनी कंपनी के बिकने की पुष्टि होती हो। अलग-अलग कीवर्ड सर्च कर हमने ये पता लगाना शुरू किया कि आखिर सोनी कंपनी के बिकने का दावा सबसे पहले कहां हुआ। EN24 की जिस खबर में सोनी के बिकने का दावा किया गया है, उसमें दावे का सोर्स माइक्रोसॉफ्टर्स नाम की स्पैनिश वेबसाइट की रिपोर्ट को बताया गया है। माइक्रोसॉफ्टर्स वेबसाइट पर हमने माइक्रोसॉफ्ट और सोनी के बीच हुई डील की रिपोर्ट पढ़ी। रिपोर्ट के अंत में लिखा है - Feliz Día de los Inocentes! । इसका इंग्लिश ट्रांसलेशन है - Happy Day of the Innocents। पड़ताल के दौरान हमें पता चलता कि ‘Day of the Holy Innocents’ 28 दिसंबर को मनाया जाता है। इस दिन लोगों को मूर्ख बनाने की परंपरा है। ठीक अप्रैल फूल की तरह। माइक्रोसॉफ्टर वेबसाइट पर सोनी कंपनी के बिकने की खबर भी 28 दिसंबर को पब्लिश हुई है। मतलब साफ है कि वेबसाइट पर सोनी कंपनी के बिकने वाले दावे को एक मजाक के रूप में पब्लिश किया गया था। जबकि, सोशल मीडिया पर इसे सच मानकर शेयर किया जाने लगा। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें Microsoft Aquire Sony 130 Billion Dollar। Fact Check। https://ift.tt/3o1Png7 Dainik Bhaskar माइक्रोसॉफ्ट ने 130 बिलियन डॉलर में खरीदी सोनी कंपनी? पड़ताल में सामने आया सच 

क्या हो रहा है वायरल : सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि माइक्रोसॉफ्ट ग्रुप ने सोनी कंपनी के सभी डिवीजन खरीद लिए हैं। सोशल मीडिया के अलावा कई वेबसाइट्स ने भी सोनी कंपनी के बिकने की खबर पब्लिश की।

#Microsoft acquires #Sony : Reports. The deal is reportedly worth 130 billion dollars.

— Sandeep B (@sanbhardwaj) December 30, 2020

EN 24 वेबसाइट की खबर में बताया गया है कि माइक्रोसॉफ्ट ने 130 बिलियन डॉलर में सोनी कंपनी को खरीदा है।

और सच क्या है ?

इंटरनेट पर हमें किसी भी विश्वसनीय मीडिया प्लेटफॉर्म पर ऐसी खबर नहीं मिली, जिससे पुष्टि होती हो कि माइक्रोसॉफ्ट ने सोनी कंपनी खरीदी है।

सोनी और माइक्रोसॉफ्ट के ऑफिशियल सोशल मीडिया हैंडल चेक करने पर ऐसा कोई अपडेट नहीं मिला, जिससे सोनी कंपनी के बिकने की पुष्टि होती हो।

अलग-अलग कीवर्ड सर्च कर हमने ये पता लगाना शुरू किया कि आखिर सोनी कंपनी के बिकने का दावा सबसे पहले कहां हुआ। EN24 की जिस खबर में सोनी के बिकने का दावा किया गया है, उसमें दावे का सोर्स माइक्रोसॉफ्टर्स नाम की स्पैनिश वेबसाइट की रिपोर्ट को बताया गया है।

माइक्रोसॉफ्टर्स वेबसाइट पर हमने माइक्रोसॉफ्ट और सोनी के बीच हुई डील की रिपोर्ट पढ़ी। रिपोर्ट के अंत में लिखा है - Feliz Día de los Inocentes! । इसका इंग्लिश ट्रांसलेशन है - Happy Day of the Innocents।

पड़ताल के दौरान हमें पता चलता कि ‘Day of the Holy Innocents’ 28 दिसंबर को मनाया जाता है। इस दिन लोगों को मूर्ख बनाने की परंपरा है। ठीक अप्रैल फूल की तरह। माइक्रोसॉफ्टर वेबसाइट पर सोनी कंपनी के बिकने की खबर भी 28 दिसंबर को पब्लिश हुई है।

मतलब साफ है कि वेबसाइट पर सोनी कंपनी के बिकने वाले दावे को एक मजाक के रूप में पब्लिश किया गया था। जबकि, सोशल मीडिया पर इसे सच मानकर शेयर किया जाने लगा।

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Microsoft Aquire Sony 130 Billion Dollar। Fact Check।

https://ift.tt/3o1Png7 Dainik Bhaskar माइक्रोसॉफ्ट ने 130 बिलियन डॉलर में खरीदी सोनी कंपनी? पड़ताल में सामने आया सच Reviewed by Manish Pethev on December 31, 2020 Rating: 5

सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (CBSE) 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं कराने के लिए माथापच्ची कर रहा है। शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक आज शाम 6 बजे इन परीक्षाओं की तारीखों का ऐलान करेंगे। उन्होंने बुधवार को सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी दी। इसमें उन्होंने साफ किया कि बोर्ड परीक्षाएं ऑनलाइन नहीं होंगी। इन्हें कोरोना प्रोटोकॉल के तहत कराया जाएगा। Dear students & parents! I will announce the date of commencement for #CBSE board exams 2021 on Dec 31. pic.twitter.com/dIuRzfebIU — Dr. Ramesh Pokhriyal Nishank (@DrRPNishank) December 30, 2020 न्यूज एजेंसी से बातचीत में निशंक ने कहा कि परीक्षा गृह मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय के निर्देशों के मुताबिक कराई जाएगी। स्टूडेंट्स की सुरक्षा तय करना हमारी पहली प्रायरिटी है। सरकार इस मामले में अलर्ट है और नए स्ट्रेन को लेकर सभी उपाय कर रही है। तारीखों से छात्रों का भ्रम दूर होगा इससे पहले उन्होंने कहा था कि परीक्षाओं को लेकर छात्रों में उलझन और भ्रम की स्थिति है। ऐसे में तारीखों की घोषणा होने से स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। उन्होंने कहा कि मैं सभी विद्यार्थियों, अभिभावकों, शिक्षकों और संस्थानों को आश्वस्त करता हूं कि परीक्षा से जुड़े सभी फैसले आपके हित और भविष्य को ध्यान में रखकर ही लिए जाएंगे। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें एजुकेशन मिनिस्टर रमेश पोखरियाल निशंक ने बुधवार को बताया कि एग्जाम के दौरान कोरोना प्रोटोकाल का ध्यान रखा जाएगा। -फाइल फोटो https://ift.tt/3aWvzHi Dainik Bhaskar CBSE के बोर्ड एग्जाम ऑनलाइन नहीं होंगे, शिक्षा मंत्री आज तारीखों का ऐलान करेंगे

सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (CBSE) 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं कराने के लिए माथापच्ची कर रहा है। शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरिया...
- December 31, 2020
सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (CBSE) 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं कराने के लिए माथापच्ची कर रहा है। शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक आज शाम 6 बजे इन परीक्षाओं की तारीखों का ऐलान करेंगे। उन्होंने बुधवार को सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी दी। इसमें उन्होंने साफ किया कि बोर्ड परीक्षाएं ऑनलाइन नहीं होंगी। इन्हें कोरोना प्रोटोकॉल के तहत कराया जाएगा। Dear students & parents! I will announce the date of commencement for #CBSE board exams 2021 on Dec 31. pic.twitter.com/dIuRzfebIU — Dr. Ramesh Pokhriyal Nishank (@DrRPNishank) December 30, 2020 न्यूज एजेंसी से बातचीत में निशंक ने कहा कि परीक्षा गृह मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय के निर्देशों के मुताबिक कराई जाएगी। स्टूडेंट्स की सुरक्षा तय करना हमारी पहली प्रायरिटी है। सरकार इस मामले में अलर्ट है और नए स्ट्रेन को लेकर सभी उपाय कर रही है। तारीखों से छात्रों का भ्रम दूर होगा इससे पहले उन्होंने कहा था कि परीक्षाओं को लेकर छात्रों में उलझन और भ्रम की स्थिति है। ऐसे में तारीखों की घोषणा होने से स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। उन्होंने कहा कि मैं सभी विद्यार्थियों, अभिभावकों, शिक्षकों और संस्थानों को आश्वस्त करता हूं कि परीक्षा से जुड़े सभी फैसले आपके हित और भविष्य को ध्यान में रखकर ही लिए जाएंगे। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें एजुकेशन मिनिस्टर रमेश पोखरियाल निशंक ने बुधवार को बताया कि एग्जाम के दौरान कोरोना प्रोटोकाल का ध्यान रखा जाएगा। -फाइल फोटो https://ift.tt/3aWvzHi Dainik Bhaskar CBSE के बोर्ड एग्जाम ऑनलाइन नहीं होंगे, शिक्षा मंत्री आज तारीखों का ऐलान करेंगे 

सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (CBSE) 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं कराने के लिए माथापच्ची कर रहा है। शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक आज शाम 6 बजे इन परीक्षाओं की तारीखों का ऐलान करेंगे। उन्होंने बुधवार को सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी दी। इसमें उन्होंने साफ किया कि बोर्ड परीक्षाएं ऑनलाइन नहीं होंगी। इन्हें कोरोना प्रोटोकॉल के तहत कराया जाएगा।

Dear students & parents!
I will announce the date of commencement for #CBSE board exams 2021 on Dec 31. pic.twitter.com/dIuRzfebIU

— Dr. Ramesh Pokhriyal Nishank (@DrRPNishank) December 30, 2020

न्यूज एजेंसी से बातचीत में निशंक ने कहा कि परीक्षा गृह मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय के निर्देशों के मुताबिक कराई जाएगी। स्टूडेंट्स की सुरक्षा तय करना हमारी पहली प्रायरिटी है। सरकार इस मामले में अलर्ट है और नए स्ट्रेन को लेकर सभी उपाय कर रही है।

तारीखों से छात्रों का भ्रम दूर होगा
इससे पहले उन्होंने कहा था कि परीक्षाओं को लेकर छात्रों में उलझन और भ्रम की स्थिति है। ऐसे में तारीखों की घोषणा होने से स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। उन्होंने कहा कि मैं सभी विद्यार्थियों, अभिभावकों, शिक्षकों और संस्थानों को आश्वस्त करता हूं कि परीक्षा से जुड़े सभी फैसले आपके हित और भविष्य को ध्यान में रखकर ही लिए जाएंगे।

आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें

एजुकेशन मिनिस्टर रमेश पोखरियाल निशंक ने बुधवार को बताया कि एग्जाम के दौरान कोरोना प्रोटोकाल का ध्यान रखा जाएगा। -फाइल फोटो

https://ift.tt/3aWvzHi Dainik Bhaskar CBSE के बोर्ड एग्जाम ऑनलाइन नहीं होंगे, शिक्षा मंत्री आज तारीखों का ऐलान करेंगे Reviewed by Manish Pethev on December 31, 2020 Rating: 5

कोरोना की वजह से हमने 2020 का ज्यादातर समय अर्थव्यवस्था के बारे में निराशा के साथ बिताया। हालांकि, अब आशावादी होने का समय है। भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए 2021 बड़ी तेजी का साल हो सकता है। भारत अपना वैक्सीनेशन प्रोग्राम जल्द शुरू करेगा। सौभाग्य से भारत में कोरोना के नए मामलों की संख्या में स्थिरता आई है। इस बीच, भारतीय अर्थव्यवस्था खुल चुकी है। इसीलिए, यह मानने के पर्याप्त कारण हैं कि 2021 बेहतर होगा। हालांकि, अर्थव्यवस्था में सही मायनों में तेजी के लिए हमें अब भी और प्रोत्साहन की जरूरत है। हमारी सबसे बड़ी संपत्ति हमारे लोग और घरेलू अर्थव्यवस्था है। अगर हम चाहते हैं कि अर्थव्यवस्था वापसी करे, तो बड़े पैमाने पर तुरंत खपत पैदा करनी होगी। यह रहा ‘प्रोत्साहन’ नाम की योजना का प्रस्ताव, जिसमें प्रत्येक भारतीय को 5000 रुपए दिए जाएं, जिसे अगले 12 महीनों में खर्च करना होगा। यह 20 हजार रुपए प्रति परिवार तक हो सकता है। यह राशि न सिर्फ लोगों की इस मुश्किल वक्त में मदद करेगी, बल्कि हमारी अर्थव्यवस्था में तेजी लाएगी। लेकिन कुछ लोग कह सकते हैं कि हमारे पास इतना पैसा कहां है? राजकोषीय घाटे का क्या होगा? क्या इससे फायदा होगा? इन सवालों का जवाब है हां, हम यह कर सकते हैं और इससे लाभ होगा। इसके लिए हमें प्रस्तावित प्रोत्साहन योजना समझनी होगा और आंकड़े देखने होंगे। पांच हजार रुपए के कैश वाउचर पाने के लिए इस योजना में हर वो भारतीय शामिल होगा, जिसके पास वैध पहचान पत्र है। 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को आधी राशि देकर कुछ लागत बचा सकते हैं, लेकिन आसानी के लिए इस लेख में यही राशि रखते हैं। ये प्रोत्साहन वाउचर डिजिटल या भौतिक (जैसे वैधता खत्म होने की तारीख वाले विशेष नोट) हो सकते हैं। ध्यान रहे, यह हर भारतीय को देने होंगे क्योंकि इसका हिसाब लगाना मुश्किल और समय की बर्बादी होगा कि इन पैसों की किसे ज्यादा जरूरत है। स्वाभाविक है कि संपन्न लोग इन वाउचर्स को छोड़ सकते हैं या किसी जरूरतमंद को दे सकते हैं। वाउचर्स की वैधता खत्म होने की अवधि (एक्सपायरी डेट) होगी (मान लीजिए 12 महीने) और दो हिस्सों में बंटे होंगे। आधा पैसा यात्रा, पर्यटन, होटल, रेस्त्रां या अन्य हॉस्पिटैलिटी या सेवा आधारित व्यापार में खर्च करने होंगे। बाकी राशि किराना, उपकरणों, कपड़ों या खाद्य सामग्री पर खर्च करनी होगी। इन वाउचर्स का विनियम या आदान-प्रदान कर सकेंगे। यानी इनके बदले नगद ले सकते हैं, हालांकि वाउचर्स पर एक्सपायरी डेट का मतलब होगा कि उनके साथ नगद की तुलना में कुछ छूट भी होगी। लोगों को वाउचर्स के मर्जी से उपयोग की आजादी देने से निगरानी के सिरदर्द से बच सकेंगे। यह लोगों के हाथ में पैसे की तरह ही है, जिसे वह व्यक्ति भी खर्च करेगा, जिसे वे वाउचर देंगे। जब यह पैसा अर्थव्यवस्था में वापस आ जाएगा, इससे लगभग सभी सेक्टर्स में तेजी आएगी। नौकरियां वापस आएंगी। स्वाभाविक है कि यह लोगों के लिए भी मजेदार होगा क्योंकि उनके हाथों में मुफ्त पैसा होगा, जिसे वे खर्च कर सकते हैं। तो फिर समस्या क्या है? बेशक बड़ा सवाल यह है कि क्या हम इसका वहन कर सकते हैं? आइए आंकड़े देखते हैं। तो 140 करोड़ लोगों के लिए एक बार 5000 रुपए देने की लागत 7 लाख करोड़ रुपए आएगी। यह बड़ी राशि है। हालांकि, इसे देने के लिए सरकार एक 30 साल की लंबी अवधि वाला बॉन्ड जारी करेगी, जो 7% प्रतिवर्ष की दर से करमुक्त ब्याज देगा। भारत में कई अमीर लोग हैं, जो ऐसा रिटर्न चाहेंगे और इसीलिए इस सुरक्षित और अच्छा रिटर्न देने वाले बॉन्ड में निवेश करेंगे। 30 वर्षों में भारत की अर्थव्यवस्था इतनी बढ़ जाएगी कि 7 लाख करोड़ रुपए का मूल बहुत बड़ा नहीं रहेगा और इसे आसानी से चुकाया जा सकेगा। वहीं, 7 लाख करोड़ रुपए पर 7% की दर से इस बॉन्ड की फाइनेंसिंग कॉस्ट करीब 0.5 करोड़/प्रतिवर्ष आएगी। हां, यह अभी भी बड़ी राशि है और हां, हम अभी खर्च करने के लिए उधार ले रहे हैं, लेकिन अर्थव्यवस्था को गति देने (और इससे मिलने वाले उच्च कर राजस्व) के संदर्भ में मिलने वाला रिटर्न लागत से कहीं ज्यादा होगा। ध्यान रहे कि इन प्रोत्साहन वाउचर्स पर भी सरकार जीएसटी लेगी। इससे ही पहले कुछ वर्षों का ब्याज देने की राशि जुट जाएगी। सरकार उद्योगों के लिए पहले ही विभिन्न प्रोत्साहन पैकेजों की घोषणा कर चुकी है। हालांकि, अब उसे घरेलू मांग को प्रोत्साहित करने की जरूरत है। लंबी अवधि के बॉन्ड से वित्त पोषित होने वाला, एक बार का प्रोत्साहन वाउचर कार्यक्रम भारत की अर्थव्यवस्था की 2021 में गरजती हुई वापसी के लिए बड़ा कदम हो सकता है। और उससे वाकई में हमारा नया साल खुशनुमा हो जाएगा। (ये लेखक के अपने विचार हैं) आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें Every Indian gets 'incentive' of Rs 5000 in 2021 https://ift.tt/2KSbeIh Dainik Bhaskar 2021 में हर भारतीय को मिले 5000 रुपए का प्रोत्साहन, इससे अर्थव्यवस्था में तेजी आएगी

कोरोना की वजह से हमने 2020 का ज्यादातर समय अर्थव्यवस्था के बारे में निराशा के साथ बिताया। हालांकि, अब आशावादी होने का समय है। भारतीय अर्थव्...
- December 31, 2020
कोरोना की वजह से हमने 2020 का ज्यादातर समय अर्थव्यवस्था के बारे में निराशा के साथ बिताया। हालांकि, अब आशावादी होने का समय है। भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए 2021 बड़ी तेजी का साल हो सकता है। भारत अपना वैक्सीनेशन प्रोग्राम जल्द शुरू करेगा। सौभाग्य से भारत में कोरोना के नए मामलों की संख्या में स्थिरता आई है। इस बीच, भारतीय अर्थव्यवस्था खुल चुकी है। इसीलिए, यह मानने के पर्याप्त कारण हैं कि 2021 बेहतर होगा। हालांकि, अर्थव्यवस्था में सही मायनों में तेजी के लिए हमें अब भी और प्रोत्साहन की जरूरत है। हमारी सबसे बड़ी संपत्ति हमारे लोग और घरेलू अर्थव्यवस्था है। अगर हम चाहते हैं कि अर्थव्यवस्था वापसी करे, तो बड़े पैमाने पर तुरंत खपत पैदा करनी होगी। यह रहा ‘प्रोत्साहन’ नाम की योजना का प्रस्ताव, जिसमें प्रत्येक भारतीय को 5000 रुपए दिए जाएं, जिसे अगले 12 महीनों में खर्च करना होगा। यह 20 हजार रुपए प्रति परिवार तक हो सकता है। यह राशि न सिर्फ लोगों की इस मुश्किल वक्त में मदद करेगी, बल्कि हमारी अर्थव्यवस्था में तेजी लाएगी। लेकिन कुछ लोग कह सकते हैं कि हमारे पास इतना पैसा कहां है? राजकोषीय घाटे का क्या होगा? क्या इससे फायदा होगा? इन सवालों का जवाब है हां, हम यह कर सकते हैं और इससे लाभ होगा। इसके लिए हमें प्रस्तावित प्रोत्साहन योजना समझनी होगा और आंकड़े देखने होंगे। पांच हजार रुपए के कैश वाउचर पाने के लिए इस योजना में हर वो भारतीय शामिल होगा, जिसके पास वैध पहचान पत्र है। 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को आधी राशि देकर कुछ लागत बचा सकते हैं, लेकिन आसानी के लिए इस लेख में यही राशि रखते हैं। ये प्रोत्साहन वाउचर डिजिटल या भौतिक (जैसे वैधता खत्म होने की तारीख वाले विशेष नोट) हो सकते हैं। ध्यान रहे, यह हर भारतीय को देने होंगे क्योंकि इसका हिसाब लगाना मुश्किल और समय की बर्बादी होगा कि इन पैसों की किसे ज्यादा जरूरत है। स्वाभाविक है कि संपन्न लोग इन वाउचर्स को छोड़ सकते हैं या किसी जरूरतमंद को दे सकते हैं। वाउचर्स की वैधता खत्म होने की अवधि (एक्सपायरी डेट) होगी (मान लीजिए 12 महीने) और दो हिस्सों में बंटे होंगे। आधा पैसा यात्रा, पर्यटन, होटल, रेस्त्रां या अन्य हॉस्पिटैलिटी या सेवा आधारित व्यापार में खर्च करने होंगे। बाकी राशि किराना, उपकरणों, कपड़ों या खाद्य सामग्री पर खर्च करनी होगी। इन वाउचर्स का विनियम या आदान-प्रदान कर सकेंगे। यानी इनके बदले नगद ले सकते हैं, हालांकि वाउचर्स पर एक्सपायरी डेट का मतलब होगा कि उनके साथ नगद की तुलना में कुछ छूट भी होगी। लोगों को वाउचर्स के मर्जी से उपयोग की आजादी देने से निगरानी के सिरदर्द से बच सकेंगे। यह लोगों के हाथ में पैसे की तरह ही है, जिसे वह व्यक्ति भी खर्च करेगा, जिसे वे वाउचर देंगे। जब यह पैसा अर्थव्यवस्था में वापस आ जाएगा, इससे लगभग सभी सेक्टर्स में तेजी आएगी। नौकरियां वापस आएंगी। स्वाभाविक है कि यह लोगों के लिए भी मजेदार होगा क्योंकि उनके हाथों में मुफ्त पैसा होगा, जिसे वे खर्च कर सकते हैं। तो फिर समस्या क्या है? बेशक बड़ा सवाल यह है कि क्या हम इसका वहन कर सकते हैं? आइए आंकड़े देखते हैं। तो 140 करोड़ लोगों के लिए एक बार 5000 रुपए देने की लागत 7 लाख करोड़ रुपए आएगी। यह बड़ी राशि है। हालांकि, इसे देने के लिए सरकार एक 30 साल की लंबी अवधि वाला बॉन्ड जारी करेगी, जो 7% प्रतिवर्ष की दर से करमुक्त ब्याज देगा। भारत में कई अमीर लोग हैं, जो ऐसा रिटर्न चाहेंगे और इसीलिए इस सुरक्षित और अच्छा रिटर्न देने वाले बॉन्ड में निवेश करेंगे। 30 वर्षों में भारत की अर्थव्यवस्था इतनी बढ़ जाएगी कि 7 लाख करोड़ रुपए का मूल बहुत बड़ा नहीं रहेगा और इसे आसानी से चुकाया जा सकेगा। वहीं, 7 लाख करोड़ रुपए पर 7% की दर से इस बॉन्ड की फाइनेंसिंग कॉस्ट करीब 0.5 करोड़/प्रतिवर्ष आएगी। हां, यह अभी भी बड़ी राशि है और हां, हम अभी खर्च करने के लिए उधार ले रहे हैं, लेकिन अर्थव्यवस्था को गति देने (और इससे मिलने वाले उच्च कर राजस्व) के संदर्भ में मिलने वाला रिटर्न लागत से कहीं ज्यादा होगा। ध्यान रहे कि इन प्रोत्साहन वाउचर्स पर भी सरकार जीएसटी लेगी। इससे ही पहले कुछ वर्षों का ब्याज देने की राशि जुट जाएगी। सरकार उद्योगों के लिए पहले ही विभिन्न प्रोत्साहन पैकेजों की घोषणा कर चुकी है। हालांकि, अब उसे घरेलू मांग को प्रोत्साहित करने की जरूरत है। लंबी अवधि के बॉन्ड से वित्त पोषित होने वाला, एक बार का प्रोत्साहन वाउचर कार्यक्रम भारत की अर्थव्यवस्था की 2021 में गरजती हुई वापसी के लिए बड़ा कदम हो सकता है। और उससे वाकई में हमारा नया साल खुशनुमा हो जाएगा। (ये लेखक के अपने विचार हैं) आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें Every Indian gets 'incentive' of Rs 5000 in 2021 https://ift.tt/2KSbeIh Dainik Bhaskar 2021 में हर भारतीय को मिले 5000 रुपए का प्रोत्साहन, इससे अर्थव्यवस्था में तेजी आएगी 

कोरोना की वजह से हमने 2020 का ज्यादातर समय अर्थव्यवस्था के बारे में निराशा के साथ बिताया। हालांकि, अब आशावादी होने का समय है। भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए 2021 बड़ी तेजी का साल हो सकता है। भारत अपना वैक्सीनेशन प्रोग्राम जल्द शुरू करेगा। सौभाग्य से भारत में कोरोना के नए मामलों की संख्या में स्थिरता आई है।

इस बीच, भारतीय अर्थव्यवस्था खुल चुकी है। इसीलिए, यह मानने के पर्याप्त कारण हैं कि 2021 बेहतर होगा। हालांकि, अर्थव्यवस्था में सही मायनों में तेजी के लिए हमें अब भी और प्रोत्साहन की जरूरत है। हमारी सबसे बड़ी संपत्ति हमारे लोग और घरेलू अर्थव्यवस्था है। अगर हम चाहते हैं कि अर्थव्यवस्था वापसी करे, तो बड़े पैमाने पर तुरंत खपत पैदा करनी होगी।

यह रहा ‘प्रोत्साहन’ नाम की योजना का प्रस्ताव, जिसमें प्रत्येक भारतीय को 5000 रुपए दिए जाएं, जिसे अगले 12 महीनों में खर्च करना होगा। यह 20 हजार रुपए प्रति परिवार तक हो सकता है। यह राशि न सिर्फ लोगों की इस मुश्किल वक्त में मदद करेगी, बल्कि हमारी अर्थव्यवस्था में तेजी लाएगी।

लेकिन कुछ लोग कह सकते हैं कि हमारे पास इतना पैसा कहां है? राजकोषीय घाटे का क्या होगा? क्या इससे फायदा होगा? इन सवालों का जवाब है हां, हम यह कर सकते हैं और इससे लाभ होगा। इसके लिए हमें प्रस्तावित प्रोत्साहन योजना समझनी होगा और आंकड़े देखने होंगे।

पांच हजार रुपए के कैश वाउचर पाने के लिए इस योजना में हर वो भारतीय शामिल होगा, जिसके पास वैध पहचान पत्र है। 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को आधी राशि देकर कुछ लागत बचा सकते हैं, लेकिन आसानी के लिए इस लेख में यही राशि रखते हैं। ये प्रोत्साहन वाउचर डिजिटल या भौतिक (जैसे वैधता खत्म होने की तारीख वाले विशेष नोट) हो सकते हैं।

ध्यान रहे, यह हर भारतीय को देने होंगे क्योंकि इसका हिसाब लगाना मुश्किल और समय की बर्बादी होगा कि इन पैसों की किसे ज्यादा जरूरत है। स्वाभाविक है कि संपन्न लोग इन वाउचर्स को छोड़ सकते हैं या किसी जरूरतमंद को दे सकते हैं। वाउचर्स की वैधता खत्म होने की अवधि (एक्सपायरी डेट) होगी (मान लीजिए 12 महीने) और दो हिस्सों में बंटे होंगे।

आधा पैसा यात्रा, पर्यटन, होटल, रेस्त्रां या अन्य हॉस्पिटैलिटी या सेवा आधारित व्यापार में खर्च करने होंगे। बाकी राशि किराना, उपकरणों, कपड़ों या खाद्य सामग्री पर खर्च करनी होगी। इन वाउचर्स का विनियम या आदान-प्रदान कर सकेंगे। यानी इनके बदले नगद ले सकते हैं, हालांकि वाउचर्स पर एक्सपायरी डेट का मतलब होगा कि उनके साथ नगद की तुलना में कुछ छूट भी होगी। लोगों को वाउचर्स के मर्जी से उपयोग की आजादी देने से निगरानी के सिरदर्द से बच सकेंगे। यह लोगों के हाथ में पैसे की तरह ही है, जिसे वह व्यक्ति भी खर्च करेगा, जिसे वे वाउचर देंगे।

जब यह पैसा अर्थव्यवस्था में वापस आ जाएगा, इससे लगभग सभी सेक्टर्स में तेजी आएगी। नौकरियां वापस आएंगी। स्वाभाविक है कि यह लोगों के लिए भी मजेदार होगा क्योंकि उनके हाथों में मुफ्त पैसा होगा, जिसे वे खर्च कर सकते हैं।

तो फिर समस्या क्या है? बेशक बड़ा सवाल यह है कि क्या हम इसका वहन कर सकते हैं? आइए आंकड़े देखते हैं। तो 140 करोड़ लोगों के लिए एक बार 5000 रुपए देने की लागत 7 लाख करोड़ रुपए आएगी। यह बड़ी राशि है। हालांकि, इसे देने के लिए सरकार एक 30 साल की लंबी अवधि वाला बॉन्ड जारी करेगी, जो 7% प्रतिवर्ष की दर से करमुक्त ब्याज देगा।

भारत में कई अमीर लोग हैं, जो ऐसा रिटर्न चाहेंगे और इसीलिए इस सुरक्षित और अच्छा रिटर्न देने वाले बॉन्ड में निवेश करेंगे। 30 वर्षों में भारत की अर्थव्यवस्था इतनी बढ़ जाएगी कि 7 लाख करोड़ रुपए का मूल बहुत बड़ा नहीं रहेगा और इसे आसानी से चुकाया जा सकेगा। वहीं, 7 लाख करोड़ रुपए पर 7% की दर से इस बॉन्ड की फाइनेंसिंग कॉस्ट करीब 0.5 करोड़/प्रतिवर्ष आएगी।

हां, यह अभी भी बड़ी राशि है और हां, हम अभी खर्च करने के लिए उधार ले रहे हैं, लेकिन अर्थव्यवस्था को गति देने (और इससे मिलने वाले उच्च कर राजस्व) के संदर्भ में मिलने वाला रिटर्न लागत से कहीं ज्यादा होगा। ध्यान रहे कि इन प्रोत्साहन वाउचर्स पर भी सरकार जीएसटी लेगी। इससे ही पहले कुछ वर्षों का ब्याज देने की राशि जुट जाएगी।

सरकार उद्योगों के लिए पहले ही विभिन्न प्रोत्साहन पैकेजों की घोषणा कर चुकी है। हालांकि, अब उसे घरेलू मांग को प्रोत्साहित करने की जरूरत है। लंबी अवधि के बॉन्ड से वित्त पोषित होने वाला, एक बार का प्रोत्साहन वाउचर कार्यक्रम भारत की अर्थव्यवस्था की 2021 में गरजती हुई वापसी के लिए बड़ा कदम हो सकता है। और उससे वाकई में हमारा नया साल खुशनुमा हो जाएगा। (ये लेखक के अपने विचार हैं)

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Every Indian gets 'incentive' of Rs 5000 in 2021

https://ift.tt/2KSbeIh Dainik Bhaskar 2021 में हर भारतीय को मिले 5000 रुपए का प्रोत्साहन, इससे अर्थव्यवस्था में तेजी आएगी Reviewed by Manish Pethev on December 31, 2020 Rating: 5

महामारी में यह मेरा दसवां महीना है। सौभाग्य से मैं अब तक वायरस से बचा हुआ हूं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि कोरोना ने मुझे घाव नहीं दिए। पांच की जगह दो दिन ऑफिस जा रहा हूं, जिससे मैं हतोत्साहित हूं। वर्क फ्रॉम होम जारी है, जो मुझे अपर्याप्त लगता है। किसी से आमने-सामने न मिल पाने के कारण, मैं कुछ ही काम पूरे कर पा रहा हूं। सबसे बुरा यह है कि मेरी नींद चार से बढ़कर छह घंटे हो गई है। अधूरी मैन्यूस्क्रिप्ट्स (पांडुलिपियां) तीन की जगह आठ हो गई हैं और एक शो भी लिखना बाकी है। कुछ भी ठीक से नहीं हो रहा। मेरी बेटियां बेहतर काम कर रही हैं। उन्होंने महामारी के प्रोटोकॉल के मुताबिक खुद को ढाल लिया है। मुझे अब भी कागज पर स्याही की खुशबू पसंद है। मुझे अखबार को छूने का अहसास अच्छा लगता है। फोन पर खबरें पढ़ने में अधूरापन लगता है। हां, डिजिटल प्लेटफॉर्म पर खबरें जल्दी मिल जाती हैं। मैं सोच रहा हूं कि अगर रजनीश, किशोर कुमार या विद्रोही सीआईए एजेंट फ्रैंक कैम्पर का साक्षात्कार जूम पर करता, तो कैसा लगता। साक्षात्कार में माहौल या संदर्भ ही सब कुछ होता है। खामोशियां, अनकही फुसफुसाहटें, वो स्थिरता, जिन्हें शब्द ही बयां कर सकते हैं। पत्रकारिता में छोटी-छोटी चीजें ही मायने रखती हैं। वे ही पहेली सुलझाती हैं। क्या खबरों की प्रकृति बदल गई है? बेशक। अब यह जानना संभव नहीं रहा कि खबर कितनी वास्तविक है। हम अनजाने में ही सच के परे वाले युग में आ गए हैं, जहां आप चुन सकते हैं कि किस बात पर भरोसा करना है। इंटरनेट की ही तरह अखबार और न्यूज चैनल सच के विभिन्न स्वरूप प्रस्तुत करते हैं और आप उसे चुन सकते हैं, जो आपको ज्यादा खुश करता है। आप सच्चाई के मालिक हैं। क्या किसानों का आंदोलन सही है? आप जानते हैं कि कौन-सा चैनल यह बताएगा। क्या वे गलत हैं? कई ऐसे चैनल हैं, जो यह साबित कर देंगे। कुल मिलाकर खबरें आज एफएमसीजी उत्पाद की तरह हैं। आप वह खबर खरीद सकते हैं, जो आपके विश्वास को संतुष्ट करें। फिर उसका क्या हुआ, जिसे हम सच कहते थे? क्या आपको परवाह है? क्या यह अब प्रासंगिक भी है? क्या किसी सरकार के लिए यह मायने रखता है कि किसानों की आत्महत्याएं बढ़ रही हैं या घट रही हैं? यह आपकी ओर उछाला गया एक आंकड़ा भर है। यह जानना अब असंभव है कि क्या सच है, क्या नहीं। यहां तक कि मौत का खौफ भी आपसे बच निकलता है। आंकड़े हर चीज को अप्रासंगिक बना देते हैं। हम बुरी खबरों के आदी हो गए हैं। क्या कोई मरनेवालों को गिन रहा है? या हम 60 नए टीकों के बारे में जानने में बहुत व्यस्त हैं? आज बाजार में उम्मीद सबसे ज्यादा बिकती है। फाइजर को वैक्सीन के लिए जितना कवरेज मिला, उतना किसी अन्य दवा के लिए नहीं मिला। जैसे-जैसे सच की शक्ति कम हो रही है, खबरों पर कल्पनाएं हावी हो रही हैं। मनोरंजन केंद्र में है। वह अंधेरे सिनेमाघरों से निकलकर सड़कों पर और लाइव कवरेज के माध्यम से हमारे घरों में आ गया है। वाशिंगटन में अब भी बड़ी भीड़ बाइडेन की जीत को स्थगित कर ट्रम्प को वापस लाने की मांग कर रही है। उनके कई षडयंत्र सिद्धांत हैं। कुछ महीने में ये किताब की शक्ल में आने लगेंगे, जिनमें कुछ बेस्टसेलर भी हो जाएंगी। आखिरकार, ट्रम्प के चार बुरे वर्षों के बावजूद 7.4 करोड़ लोगों ने उन्हें वोट दिए। क्या वे खबरें देने वाले थे या मनोरंजन करने वाले? इसका अब तक जवाब नहीं मिला। और यही मैं कहना चाहता हूं। खबरों की प्रकृति बदल गई है। अब मैं उसे टीवी पर नहीं देखता। मैं शो या फिल्में स्ट्रीम करता हूं। मेरी मैन्यूस्क्रिप्ट्स की तरह अधूरे देखे गए शोज की संख्या भी बढ़ रही है। यही हाल अधपढ़ी किताबों का भी है। मेरी बेचैनी बढ़ी है। अगले महीने मेरा जन्मदिन है और मेरी जिंदगी से एक साल गायब हो चुका होगा। लेकिन, मजेदार बात यह है कि मैं दयनीय स्थिति में नहीं हूं, बस भटक गया हूं। खुश होने के कारण हमेशा रहते हैं और महामारी के बाद भी मुझे परेशान करने वाली कुछ चीजें रहेंगी ही। न्यू नॉर्मल कैसा होगा? मुझे कोई अंदाजा नहीं है। लेकिन मेरी शंका है कि यह पहले जैसा ही होगा, कुछ चीजों को छोड़कर, जो शायद हमेशा के लिए बदल गई हैं। लेकिन हमेशा, हमेशा के लिए नहीं रहता। इसे कुछ समय दें और हम जानी-पहचानी दुनिया में लौट आएंगे, जिसे शायद कुछ घाव मिले हैं, जो धीरे-धीरे ठीक हो रहे हैं। इसके लिए 2021 को बचाकर रखें। क्या हम अब भी सच तलाशेंगे? मुझे इसमें शंका है। क्या हमें इसकी गैरमौजूदगी महसूस होगी? यह कहना मुश्किल है। इसे गए हुए कुछ समय हो चुका है और हमें अब तक अंतर महसूस नहीं हुआ। (ये लेखक के अपने विचार हैं) आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें प्रीतीश नंदी, वरिष्ठ पत्रकार व फिल्म निर्माता। https://ift.tt/3pCUDHq Dainik Bhaskar न्यू नॉर्मल कैसा होगा? थोड़ा समय दें और हम अपनी जानी-पहचानी दुनिया में लौट आएंगे

महामारी में यह मेरा दसवां महीना है। सौभाग्य से मैं अब तक वायरस से बचा हुआ हूं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि कोरोना ने मुझे घाव नहीं दिए। पांच...
- December 31, 2020
महामारी में यह मेरा दसवां महीना है। सौभाग्य से मैं अब तक वायरस से बचा हुआ हूं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि कोरोना ने मुझे घाव नहीं दिए। पांच की जगह दो दिन ऑफिस जा रहा हूं, जिससे मैं हतोत्साहित हूं। वर्क फ्रॉम होम जारी है, जो मुझे अपर्याप्त लगता है। किसी से आमने-सामने न मिल पाने के कारण, मैं कुछ ही काम पूरे कर पा रहा हूं। सबसे बुरा यह है कि मेरी नींद चार से बढ़कर छह घंटे हो गई है। अधूरी मैन्यूस्क्रिप्ट्स (पांडुलिपियां) तीन की जगह आठ हो गई हैं और एक शो भी लिखना बाकी है। कुछ भी ठीक से नहीं हो रहा। मेरी बेटियां बेहतर काम कर रही हैं। उन्होंने महामारी के प्रोटोकॉल के मुताबिक खुद को ढाल लिया है। मुझे अब भी कागज पर स्याही की खुशबू पसंद है। मुझे अखबार को छूने का अहसास अच्छा लगता है। फोन पर खबरें पढ़ने में अधूरापन लगता है। हां, डिजिटल प्लेटफॉर्म पर खबरें जल्दी मिल जाती हैं। मैं सोच रहा हूं कि अगर रजनीश, किशोर कुमार या विद्रोही सीआईए एजेंट फ्रैंक कैम्पर का साक्षात्कार जूम पर करता, तो कैसा लगता। साक्षात्कार में माहौल या संदर्भ ही सब कुछ होता है। खामोशियां, अनकही फुसफुसाहटें, वो स्थिरता, जिन्हें शब्द ही बयां कर सकते हैं। पत्रकारिता में छोटी-छोटी चीजें ही मायने रखती हैं। वे ही पहेली सुलझाती हैं। क्या खबरों की प्रकृति बदल गई है? बेशक। अब यह जानना संभव नहीं रहा कि खबर कितनी वास्तविक है। हम अनजाने में ही सच के परे वाले युग में आ गए हैं, जहां आप चुन सकते हैं कि किस बात पर भरोसा करना है। इंटरनेट की ही तरह अखबार और न्यूज चैनल सच के विभिन्न स्वरूप प्रस्तुत करते हैं और आप उसे चुन सकते हैं, जो आपको ज्यादा खुश करता है। आप सच्चाई के मालिक हैं। क्या किसानों का आंदोलन सही है? आप जानते हैं कि कौन-सा चैनल यह बताएगा। क्या वे गलत हैं? कई ऐसे चैनल हैं, जो यह साबित कर देंगे। कुल मिलाकर खबरें आज एफएमसीजी उत्पाद की तरह हैं। आप वह खबर खरीद सकते हैं, जो आपके विश्वास को संतुष्ट करें। फिर उसका क्या हुआ, जिसे हम सच कहते थे? क्या आपको परवाह है? क्या यह अब प्रासंगिक भी है? क्या किसी सरकार के लिए यह मायने रखता है कि किसानों की आत्महत्याएं बढ़ रही हैं या घट रही हैं? यह आपकी ओर उछाला गया एक आंकड़ा भर है। यह जानना अब असंभव है कि क्या सच है, क्या नहीं। यहां तक कि मौत का खौफ भी आपसे बच निकलता है। आंकड़े हर चीज को अप्रासंगिक बना देते हैं। हम बुरी खबरों के आदी हो गए हैं। क्या कोई मरनेवालों को गिन रहा है? या हम 60 नए टीकों के बारे में जानने में बहुत व्यस्त हैं? आज बाजार में उम्मीद सबसे ज्यादा बिकती है। फाइजर को वैक्सीन के लिए जितना कवरेज मिला, उतना किसी अन्य दवा के लिए नहीं मिला। जैसे-जैसे सच की शक्ति कम हो रही है, खबरों पर कल्पनाएं हावी हो रही हैं। मनोरंजन केंद्र में है। वह अंधेरे सिनेमाघरों से निकलकर सड़कों पर और लाइव कवरेज के माध्यम से हमारे घरों में आ गया है। वाशिंगटन में अब भी बड़ी भीड़ बाइडेन की जीत को स्थगित कर ट्रम्प को वापस लाने की मांग कर रही है। उनके कई षडयंत्र सिद्धांत हैं। कुछ महीने में ये किताब की शक्ल में आने लगेंगे, जिनमें कुछ बेस्टसेलर भी हो जाएंगी। आखिरकार, ट्रम्प के चार बुरे वर्षों के बावजूद 7.4 करोड़ लोगों ने उन्हें वोट दिए। क्या वे खबरें देने वाले थे या मनोरंजन करने वाले? इसका अब तक जवाब नहीं मिला। और यही मैं कहना चाहता हूं। खबरों की प्रकृति बदल गई है। अब मैं उसे टीवी पर नहीं देखता। मैं शो या फिल्में स्ट्रीम करता हूं। मेरी मैन्यूस्क्रिप्ट्स की तरह अधूरे देखे गए शोज की संख्या भी बढ़ रही है। यही हाल अधपढ़ी किताबों का भी है। मेरी बेचैनी बढ़ी है। अगले महीने मेरा जन्मदिन है और मेरी जिंदगी से एक साल गायब हो चुका होगा। लेकिन, मजेदार बात यह है कि मैं दयनीय स्थिति में नहीं हूं, बस भटक गया हूं। खुश होने के कारण हमेशा रहते हैं और महामारी के बाद भी मुझे परेशान करने वाली कुछ चीजें रहेंगी ही। न्यू नॉर्मल कैसा होगा? मुझे कोई अंदाजा नहीं है। लेकिन मेरी शंका है कि यह पहले जैसा ही होगा, कुछ चीजों को छोड़कर, जो शायद हमेशा के लिए बदल गई हैं। लेकिन हमेशा, हमेशा के लिए नहीं रहता। इसे कुछ समय दें और हम जानी-पहचानी दुनिया में लौट आएंगे, जिसे शायद कुछ घाव मिले हैं, जो धीरे-धीरे ठीक हो रहे हैं। इसके लिए 2021 को बचाकर रखें। क्या हम अब भी सच तलाशेंगे? मुझे इसमें शंका है। क्या हमें इसकी गैरमौजूदगी महसूस होगी? यह कहना मुश्किल है। इसे गए हुए कुछ समय हो चुका है और हमें अब तक अंतर महसूस नहीं हुआ। (ये लेखक के अपने विचार हैं) आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें प्रीतीश नंदी, वरिष्ठ पत्रकार व फिल्म निर्माता। https://ift.tt/3pCUDHq Dainik Bhaskar न्यू नॉर्मल कैसा होगा? थोड़ा समय दें और हम अपनी जानी-पहचानी दुनिया में लौट आएंगे 

महामारी में यह मेरा दसवां महीना है। सौभाग्य से मैं अब तक वायरस से बचा हुआ हूं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि कोरोना ने मुझे घाव नहीं दिए। पांच की जगह दो दिन ऑफिस जा रहा हूं, जिससे मैं हतोत्साहित हूं। वर्क फ्रॉम होम जारी है, जो मुझे अपर्याप्त लगता है।

किसी से आमने-सामने न मिल पाने के कारण, मैं कुछ ही काम पूरे कर पा रहा हूं। सबसे बुरा यह है कि मेरी नींद चार से बढ़कर छह घंटे हो गई है। अधूरी मैन्यूस्क्रिप्ट्स (पांडुलिपियां) तीन की जगह आठ हो गई हैं और एक शो भी लिखना बाकी है। कुछ भी ठीक से नहीं हो रहा।

मेरी बेटियां बेहतर काम कर रही हैं। उन्होंने महामारी के प्रोटोकॉल के मुताबिक खुद को ढाल लिया है। मुझे अब भी कागज पर स्याही की खुशबू पसंद है। मुझे अखबार को छूने का अहसास अच्छा लगता है। फोन पर खबरें पढ़ने में अधूरापन लगता है। हां, डिजिटल प्लेटफॉर्म पर खबरें जल्दी मिल जाती हैं।

मैं सोच रहा हूं कि अगर रजनीश, किशोर कुमार या विद्रोही सीआईए एजेंट फ्रैंक कैम्पर का साक्षात्कार जूम पर करता, तो कैसा लगता। साक्षात्कार में माहौल या संदर्भ ही सब कुछ होता है। खामोशियां, अनकही फुसफुसाहटें, वो स्थिरता, जिन्हें शब्द ही बयां कर सकते हैं। पत्रकारिता में छोटी-छोटी चीजें ही मायने रखती हैं। वे ही पहेली सुलझाती हैं।

क्या खबरों की प्रकृति बदल गई है? बेशक। अब यह जानना संभव नहीं रहा कि खबर कितनी वास्तविक है। हम अनजाने में ही सच के परे वाले युग में आ गए हैं, जहां आप चुन सकते हैं कि किस बात पर भरोसा करना है।

इंटरनेट की ही तरह अखबार और न्यूज चैनल सच के विभिन्न स्वरूप प्रस्तुत करते हैं और आप उसे चुन सकते हैं, जो आपको ज्यादा खुश करता है। आप सच्चाई के मालिक हैं। क्या किसानों का आंदोलन सही है? आप जानते हैं कि कौन-सा चैनल यह बताएगा। क्या वे गलत हैं? कई ऐसे चैनल हैं, जो यह साबित कर देंगे।

कुल मिलाकर खबरें आज एफएमसीजी उत्पाद की तरह हैं। आप वह खबर खरीद सकते हैं, जो आपके विश्वास को संतुष्ट करें। फिर उसका क्या हुआ, जिसे हम सच कहते थे? क्या आपको परवाह है? क्या यह अब प्रासंगिक भी है? क्या किसी सरकार के लिए यह मायने रखता है कि किसानों की आत्महत्याएं बढ़ रही हैं या घट रही हैं?

यह आपकी ओर उछाला गया एक आंकड़ा भर है। यह जानना अब असंभव है कि क्या सच है, क्या नहीं। यहां तक कि मौत का खौफ भी आपसे बच निकलता है। आंकड़े हर चीज को अप्रासंगिक बना देते हैं। हम बुरी खबरों के आदी हो गए हैं। क्या कोई मरनेवालों को गिन रहा है? या हम 60 नए टीकों के बारे में जानने में बहुत व्यस्त हैं? आज बाजार में उम्मीद सबसे ज्यादा बिकती है। फाइजर को वैक्सीन के लिए जितना कवरेज मिला, उतना किसी अन्य दवा के लिए नहीं मिला।

जैसे-जैसे सच की शक्ति कम हो रही है, खबरों पर कल्पनाएं हावी हो रही हैं। मनोरंजन केंद्र में है। वह अंधेरे सिनेमाघरों से निकलकर सड़कों पर और लाइव कवरेज के माध्यम से हमारे घरों में आ गया है। वाशिंगटन में अब भी बड़ी भीड़ बाइडेन की जीत को स्थगित कर ट्रम्प को वापस लाने की मांग कर रही है। उनके कई षडयंत्र सिद्धांत हैं। कुछ महीने में ये किताब की शक्ल में आने लगेंगे, जिनमें कुछ बेस्टसेलर भी हो जाएंगी।

आखिरकार, ट्रम्प के चार बुरे वर्षों के बावजूद 7.4 करोड़ लोगों ने उन्हें वोट दिए। क्या वे खबरें देने वाले थे या मनोरंजन करने वाले? इसका अब तक जवाब नहीं मिला। और यही मैं कहना चाहता हूं। खबरों की प्रकृति बदल गई है। अब मैं उसे टीवी पर नहीं देखता। मैं शो या फिल्में स्ट्रीम करता हूं। मेरी मैन्यूस्क्रिप्ट्स की तरह अधूरे देखे गए शोज की संख्या भी बढ़ रही है। यही हाल अधपढ़ी किताबों का भी है। मेरी बेचैनी बढ़ी है। अगले महीने मेरा जन्मदिन है और मेरी जिंदगी से एक साल गायब हो चुका होगा।

लेकिन, मजेदार बात यह है कि मैं दयनीय स्थिति में नहीं हूं, बस भटक गया हूं। खुश होने के कारण हमेशा रहते हैं और महामारी के बाद भी मुझे परेशान करने वाली कुछ चीजें रहेंगी ही। न्यू नॉर्मल कैसा होगा? मुझे कोई अंदाजा नहीं है। लेकिन मेरी शंका है कि यह पहले जैसा ही होगा, कुछ चीजों को छोड़कर, जो शायद हमेशा के लिए बदल गई हैं। लेकिन हमेशा, हमेशा के लिए नहीं रहता। इसे कुछ समय दें और हम जानी-पहचानी दुनिया में लौट आएंगे, जिसे शायद कुछ घाव मिले हैं, जो धीरे-धीरे ठीक हो रहे हैं। इसके लिए 2021 को बचाकर रखें।

क्या हम अब भी सच तलाशेंगे? मुझे इसमें शंका है। क्या हमें इसकी गैरमौजूदगी महसूस होगी? यह कहना मुश्किल है। इसे गए हुए कुछ समय हो चुका है और हमें अब तक अंतर महसूस नहीं हुआ।

(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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प्रीतीश नंदी, वरिष्ठ पत्रकार व फिल्म निर्माता।

https://ift.tt/3pCUDHq Dainik Bhaskar न्यू नॉर्मल कैसा होगा? थोड़ा समय दें और हम अपनी जानी-पहचानी दुनिया में लौट आएंगे Reviewed by Manish Pethev on December 31, 2020 Rating: 5

कोरोनाकाल में देश 2021 के गणतंत्र दिवस को अलग तरीके से मनाएगा। इस बार विजय चौक से राजपथ पर निकलने वाली मुख्य परेड बेहद सीमित रहेगी। परेड का आयोजन करने वाले रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि अमूमन परेड देखने के लिए सवा लाख लोग आते हैं। लेकिन, कोरोना के चलते इस बार सिर्फ 25 हजार लोगों को ही आने दिया जाएगा। परेड से लेकर दर्शक दीर्घा और VVIP की संख्या में भारी कमी की जाएगी। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बाॅरिस जानसन गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि होंगे। यह 6वां मौका है जब गणतंत्र दिवस पर ब्रिटेन के मुख्य अतिथि मौजूद रहेंगे। सूत्रों ने बताया कि गणतंत्र दिवस समारोह में भीड़ नियंत्रित करने के लिए टिकटों की बिक्री और विशेष अतिथि पास की संख्या बेहद कम कर दी गई है। आंकड़ों के जरिए इसे समझा जा सकता है.. काउंटर से सिर्फ 4500 टिकटों की बिक्री इस बार सिर्फ 4 काउंटरों से गणतंत्र दिवस कार्यक्रम के टिकट बिकेंगे। कुल 4500 से अधिक टिकट नहीं बेचे जाएंगे। 2020 की गणतंत्र दिवस की परेड में 32 हजार टिकटों की बिक्री हुई थी। दिल्ली में 8 तरह के केंद्रों से टिकट बिक्री हुई थी। मीडियाकर्मियों और उनके परिजन के लिए 5000 से ज्यादा पास जारी होते हैं, लेकिन इस बार सिर्फ 300 पास दिए गए हैं। झांकियों की संख्या में कटौती नहीं परेड में निकलने वाली झांकियों में कटौती नहीं की गई है। इस बार 16 राज्यों और 6 केंद्रीय विभागों की झांकियां परेड में शामिल होंगी। लेकिन, सेना और अर्धसैनिक बलों की मार्चिंग टुकड़ियों में जवानों की संख्या भी कम रहेगी। इस बार सिर्फ चार स्कूलों की दो डांस टोलियां को इजाजत दी गई है। पिछली परेड में 8 स्कूलों की भागीदारी थी। परेड नेशनल स्टेडियम तक ही होगी गणतंत्र दिवस की परेड राजपथ से मार्च करती हुई लालकिला पर समाप्त होती थी। इस बार इंडिया गेट के नेशनल स्टेडियम पर ही इसे समाप्त कर दिया जाएगा। यानी परेड का रास्ता 8 से घटा कर 3 किलोमीटर कर दिया गया है। बांग्लादेश का बैंड होगा शामिल ​​​पड़ोसी देश बांग्लादेश अपनी आजादी की स्वर्ण जयंती के मौके पर गणतंत्र दिवस समारोह में अपनी सेना का बैंड भेज रहा है। 1971 के युद्ध में भारतीय सेना की अहम भूमिका के चलते ही बंगलादेश को पाकिस्तानी से मुक्ति मिली थी। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें गणतंत्र दिवस समारोह में भीड़ नियंत्रित करने के लिए टिकटों की बिक्री और विशेष अतिथि पास की संख्या बेहद कम कर दी गई है। -फाइल फोटो। https://ift.tt/382CDjq Dainik Bhaskar 26 जनवरी की परेड में 5 गुना कम दर्शक होंगे, परेड का रूट भी 8 से घटाकर 3 किमी किया गया

कोरोनाकाल में देश 2021 के गणतंत्र दिवस को अलग तरीके से मनाएगा। इस बार विजय चौक से राजपथ पर निकलने वाली मुख्य परेड बेहद सीमित रहेगी। परेड का...
- December 31, 2020
कोरोनाकाल में देश 2021 के गणतंत्र दिवस को अलग तरीके से मनाएगा। इस बार विजय चौक से राजपथ पर निकलने वाली मुख्य परेड बेहद सीमित रहेगी। परेड का आयोजन करने वाले रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि अमूमन परेड देखने के लिए सवा लाख लोग आते हैं। लेकिन, कोरोना के चलते इस बार सिर्फ 25 हजार लोगों को ही आने दिया जाएगा। परेड से लेकर दर्शक दीर्घा और VVIP की संख्या में भारी कमी की जाएगी। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बाॅरिस जानसन गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि होंगे। यह 6वां मौका है जब गणतंत्र दिवस पर ब्रिटेन के मुख्य अतिथि मौजूद रहेंगे। सूत्रों ने बताया कि गणतंत्र दिवस समारोह में भीड़ नियंत्रित करने के लिए टिकटों की बिक्री और विशेष अतिथि पास की संख्या बेहद कम कर दी गई है। आंकड़ों के जरिए इसे समझा जा सकता है.. काउंटर से सिर्फ 4500 टिकटों की बिक्री इस बार सिर्फ 4 काउंटरों से गणतंत्र दिवस कार्यक्रम के टिकट बिकेंगे। कुल 4500 से अधिक टिकट नहीं बेचे जाएंगे। 2020 की गणतंत्र दिवस की परेड में 32 हजार टिकटों की बिक्री हुई थी। दिल्ली में 8 तरह के केंद्रों से टिकट बिक्री हुई थी। मीडियाकर्मियों और उनके परिजन के लिए 5000 से ज्यादा पास जारी होते हैं, लेकिन इस बार सिर्फ 300 पास दिए गए हैं। झांकियों की संख्या में कटौती नहीं परेड में निकलने वाली झांकियों में कटौती नहीं की गई है। इस बार 16 राज्यों और 6 केंद्रीय विभागों की झांकियां परेड में शामिल होंगी। लेकिन, सेना और अर्धसैनिक बलों की मार्चिंग टुकड़ियों में जवानों की संख्या भी कम रहेगी। इस बार सिर्फ चार स्कूलों की दो डांस टोलियां को इजाजत दी गई है। पिछली परेड में 8 स्कूलों की भागीदारी थी। परेड नेशनल स्टेडियम तक ही होगी गणतंत्र दिवस की परेड राजपथ से मार्च करती हुई लालकिला पर समाप्त होती थी। इस बार इंडिया गेट के नेशनल स्टेडियम पर ही इसे समाप्त कर दिया जाएगा। यानी परेड का रास्ता 8 से घटा कर 3 किलोमीटर कर दिया गया है। बांग्लादेश का बैंड होगा शामिल ​​​पड़ोसी देश बांग्लादेश अपनी आजादी की स्वर्ण जयंती के मौके पर गणतंत्र दिवस समारोह में अपनी सेना का बैंड भेज रहा है। 1971 के युद्ध में भारतीय सेना की अहम भूमिका के चलते ही बंगलादेश को पाकिस्तानी से मुक्ति मिली थी। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें गणतंत्र दिवस समारोह में भीड़ नियंत्रित करने के लिए टिकटों की बिक्री और विशेष अतिथि पास की संख्या बेहद कम कर दी गई है। -फाइल फोटो। https://ift.tt/382CDjq Dainik Bhaskar 26 जनवरी की परेड में 5 गुना कम दर्शक होंगे, परेड का रूट भी 8 से घटाकर 3 किमी किया गया 

कोरोनाकाल में देश 2021 के गणतंत्र दिवस को अलग तरीके से मनाएगा। इस बार विजय चौक से राजपथ पर निकलने वाली मुख्य परेड बेहद सीमित रहेगी। परेड का आयोजन करने वाले रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि अमूमन परेड देखने के लिए सवा लाख लोग आते हैं। लेकिन, कोरोना के चलते इस बार सिर्फ 25 हजार लोगों को ही आने दिया जाएगा। परेड से लेकर दर्शक दीर्घा और VVIP की संख्या में भारी कमी की जाएगी।

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बाॅरिस जानसन गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि होंगे। यह 6वां मौका है जब गणतंत्र दिवस पर ब्रिटेन के मुख्य अतिथि मौजूद रहेंगे। सूत्रों ने बताया कि गणतंत्र दिवस समारोह में भीड़ नियंत्रित करने के लिए टिकटों की बिक्री और विशेष अतिथि पास की संख्या बेहद कम कर दी गई है। आंकड़ों के जरिए इसे समझा जा सकता है..

काउंटर से सिर्फ 4500 टिकटों की बिक्री
इस बार सिर्फ 4 काउंटरों से गणतंत्र दिवस कार्यक्रम के टिकट बिकेंगे। कुल 4500 से अधिक टिकट नहीं बेचे जाएंगे। 2020 की गणतंत्र दिवस की परेड में 32 हजार टिकटों की बिक्री हुई थी। दिल्ली में 8 तरह के केंद्रों से टिकट बिक्री हुई थी। मीडियाकर्मियों और उनके परिजन के लिए 5000 से ज्यादा पास जारी होते हैं, लेकिन इस बार सिर्फ 300 पास दिए गए हैं।

झांकियों की संख्या में कटौती नहीं
परेड में निकलने वाली झांकियों में कटौती नहीं की गई है। इस बार 16 राज्यों और 6 केंद्रीय विभागों की झांकियां परेड में शामिल होंगी। लेकिन, सेना और अर्धसैनिक बलों की मार्चिंग टुकड़ियों में जवानों की संख्या भी कम रहेगी। इस बार सिर्फ चार स्कूलों की दो डांस टोलियां को इजाजत दी गई है। पिछली परेड में 8 स्कूलों की भागीदारी थी।

परेड नेशनल स्टेडियम तक ही होगी
गणतंत्र दिवस की परेड राजपथ से मार्च करती हुई लालकिला पर समाप्त होती थी। इस बार इंडिया गेट के नेशनल स्टेडियम पर ही इसे समाप्त कर दिया जाएगा। यानी परेड का रास्ता 8 से घटा कर 3 किलोमीटर कर दिया गया है।

बांग्लादेश का बैंड होगा शामिल
​​​पड़ोसी देश बांग्लादेश अपनी आजादी की स्वर्ण जयंती के मौके पर गणतंत्र दिवस समारोह में अपनी सेना का बैंड भेज रहा है। 1971 के युद्ध में भारतीय सेना की अहम भूमिका के चलते ही बंगलादेश को पाकिस्तानी से मुक्ति मिली थी।

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गणतंत्र दिवस समारोह में भीड़ नियंत्रित करने के लिए टिकटों की बिक्री और विशेष अतिथि पास की संख्या बेहद कम कर दी गई है। -फाइल फोटो।

https://ift.tt/382CDjq Dainik Bhaskar 26 जनवरी की परेड में 5 गुना कम दर्शक होंगे, परेड का रूट भी 8 से घटाकर 3 किमी किया गया Reviewed by Manish Pethev on December 31, 2020 Rating: 5

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