वायु प्रदूषण कोरोनावायरस से भी ज्यादा खतरनाक है। इसका सबूत हाल में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की एक रिपोर्ट में मिला है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 में वायु प्रदूषण की वजह से भारत में 16.7 लाख लोगों की मौत हुई। यह आंकड़ा 2020 में देश में कोरोना महामारी से हुई कुल मौतों से करीब 12 गुना ज्यादा है। देश में कोरोना से अब तक 1.47 लाख लोगों की जान गई है। यही नहीं, वायु प्रदूषण के कारण देश को 2.60 लाख करोड़ रुपए का आर्थिक नुकसान हुआ है। फिलहाल देश में करीब 14 करोड़ लोग खराब हवा में सांस लेने को मजबूर हैं। दुनिया के 20 सबसे प्रदूषित शहरों में 13 भारत में ही हैं। ऐसे में खराब हवा स्वस्थ लोगों को भी बीमार बना रही है और पहले से बीमार लोगों के लिए जानलेवा बन रही है। वायु प्रदूषण से होने वाली बीमारियां कौन सी हैं? एम्स (AIIMS) दिल्ली में रुमेटोलॉजी डिपार्टमेंट की हेड डॉक्टर उमा कुमार कहती हैं। वायु प्रदूषण से सभी तरह की नॉन कम्युनिकेबल डिजीज का खतरा होता है। हार्ट, कार्डियो वैस्कुलर, ऑटो इम्युन डिजीज का भी सबसे ज्यादा खतरा होता है। हाल ही में ब्रिटेन में हुई एक स्टडी के मुताबिक एयर पॉल्यूशन ज्यादा होने से कोरोना होने की आशंका बढ़ जाती है। एयर पॉल्यूशन की वजह से ओजोन की लेअर डैमेज हो रही है। इसका सीधा संबंध अल्ट्रा वॉयलट किरणों से है। वहीं, इससे शरीर में विटामिन D की कमी भी हो सकती है। प्रदूषण से हुई मौतों के मायने क्या हैं? ICMR की रिपोर्ट के मुताबिक, इंडोर वायु प्रदूषण से होने वाली मौतों में 1990 से 2019 तक 64% की कमी आई है। लेकिन, आउटडोर हवा में मौजूद प्रदूषण से होने वाली मौतों में 115% का इजाफा हुआ है। वायु प्रदूषण किस बीमारी के लिए कितना जिम्मेदार? ICMR के महानिदेशक बलराम भार्गव ने बताया कि अध्ययन के नतीजे बताते हैं कि वायु प्रदूषण फेंफड़ों से जुड़ी बीमारियों के 40% मामलों के लिए जिम्मेदार है। हार्ट डिजीज, स्ट्रोक, डायबिटीज और समय से पहले पैदा होने वाले नवजात बच्चों की मौत के लिए वायु प्रदूषण 60% तक जिम्मेदार है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि वायु प्रदूषण रोकने के लिए सही उपाय नहीं किए, तो भारत को बड़ा खामियाजा उठाना पड़ेगा। वायु प्रदूषण से होने वाली मौतें, बीमारियां और आर्थिक नुकसान की वजह से भारत का 2024 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का सपना भी टूट सकता है। इस रिपोर्ट से सीखने वाली 3 अहम बातें क्या हैं? वायु प्रदूषण के खतरों के प्रति जागरुकता की जरूरत है। सरकार को वायु प्रदूषण रोकने के लिए बड़े और कड़े कदम उठाने होंगे। आम लोगों से भी प्रदूषण रोकने में सहयोग की दरकार होगी। वायु प्रदूषण में सबसे अहम रोल किन चीजों का है? डॉक्टर उमा कहती है कि वायु प्रदूषण में सबसे बड़ा रोल गाड़ियों से होने वाले पॉल्यूशन का होता है। गाड़ियों से निकलने वाला धुंआ और उड़ने वाली धूल दोनों सेहत के नुकसानदायक हैं। हमने कुछ समय पहले एक स्टडी की थी। उसमें पाया था कि जिनका घर सड़क से जितना ज्यादा करीब होता है, उन लोगों में ऑटो इम्युन डिजीज का खतरा उतना ज्यादा होता है। इसे हमने सरोगेट पॉल्यूशन नाम दिया। इसलिए हमारी कोशिश होनी चाहिए कि घर मुख्य सड़क से दूर खरीदें। इसके अलावा एयर पॉल्यूशन सिर्फ आउटडोर ही नहीं, इनडोर होता है। दोनों पॉल्यूशन बराबर तौर पर सेहत के लिए खतरनाक हैं। इंडोर पॉल्यूशन से बचने के लिए आप एयर प्यूरीफायर भी लगवा सकते हैं, यह प्रदूषण को कम करने में थोड़ा बहुत मददगार है। टोबेको पॉल्यूशन एयर पॉल्यूशन से भी ज्यादा खतरनाक एम्स दिल्ली में डीएम कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर संजय कुमार चुघ कहते हैं टोबेको पॉल्यूशन, एयर पॉल्यूशन से भी ज्यादा खतरनाक हैं। इसके अलावा वॉटर, फूड, नॉइज पॉल्यूशन भी बहुत खतरनाक हैं। इसलिए हमें एयर के साथ बाकी पॉल्यूशन से भी दूर रहना चाहिए। एयर पॉल्यूशन सांस के मरीजों के बहुत ज्यादा खतरनाक है। हवा में प्रदूषण होने से ऑक्सीजन का लेवल कम हो जाता है। इसके चलते थकान लगती है और काम करने की क्षमता में भी कमी आती है। क्या भारतीय कानून हमें प्रदूषण से बचा सकते हैं? भारत में वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए साल 1981 में एक एयर एक्ट लागू किया गया था, लेकिन पिछले 40 साल में इस कानून के तहत दर्ज किए गए मुकदमों की संख्या न के बराबर है। वहीं इन 40 सालों में भारतीय शहरों में वायु प्रदूषण गंभीर स्तर पर पहुंच चुका है। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें Coronavirus Vs Air Pollution Cases In India Update; 16.7 Lakh People Died In India Due To Air Pollution In 2019; वायु प्रदूषण कोरोनावायरस से भी ज्यादा खतरनाक है। इसका सबूत हाल में ICMR(इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च) द्वारा जारी एक रिपोर्ट में मिला है। इसके मुताबिक 2019 में वायु प्रदूषण की वजह से भारत में 16.7 लाख लोगों की मौत हुई है। https://ift.tt/3ruExkB Dainik Bhaskar कोरोना से भी जानलेवा है वायु प्रदूषण; जिनके घर सड़क के पास, उन्हें बीमारियों का ज्यादा खतरा
वायु प्रदूषण कोरोनावायरस से भी ज्यादा खतरनाक है। इसका सबूत हाल में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की एक रिपोर्ट में मिला है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 में वायु प्रदूषण की वजह से भारत में 16.7 लाख लोगों की मौत हुई। यह आंकड़ा 2020 में देश में कोरोना महामारी से हुई कुल मौतों से करीब 12 गुना ज्यादा है। देश में कोरोना से अब तक 1.47 लाख लोगों की जान गई है।
यही नहीं, वायु प्रदूषण के कारण देश को 2.60 लाख करोड़ रुपए का आर्थिक नुकसान हुआ है। फिलहाल देश में करीब 14 करोड़ लोग खराब हवा में सांस लेने को मजबूर हैं। दुनिया के 20 सबसे प्रदूषित शहरों में 13 भारत में ही हैं। ऐसे में खराब हवा स्वस्थ लोगों को भी बीमार बना रही है और पहले से बीमार लोगों के लिए जानलेवा बन रही है।
वायु प्रदूषण से होने वाली बीमारियां कौन सी हैं?
एम्स (AIIMS) दिल्ली में रुमेटोलॉजी डिपार्टमेंट की हेड डॉक्टर उमा कुमार कहती हैं। वायु प्रदूषण से सभी तरह की नॉन कम्युनिकेबल डिजीज का खतरा होता है। हार्ट, कार्डियो वैस्कुलर, ऑटो इम्युन डिजीज का भी सबसे ज्यादा खतरा होता है।
हाल ही में ब्रिटेन में हुई एक स्टडी के मुताबिक एयर पॉल्यूशन ज्यादा होने से कोरोना होने की आशंका बढ़ जाती है। एयर पॉल्यूशन की वजह से ओजोन की लेअर डैमेज हो रही है। इसका सीधा संबंध अल्ट्रा वॉयलट किरणों से है। वहीं, इससे शरीर में विटामिन D की कमी भी हो सकती है।
प्रदूषण से हुई मौतों के मायने क्या हैं?
ICMR की रिपोर्ट के मुताबिक, इंडोर वायु प्रदूषण से होने वाली मौतों में 1990 से 2019 तक 64% की कमी आई है। लेकिन, आउटडोर हवा में मौजूद प्रदूषण से होने वाली मौतों में 115% का इजाफा हुआ है।
वायु प्रदूषण किस बीमारी के लिए कितना जिम्मेदार?
- ICMR के महानिदेशक बलराम भार्गव ने बताया कि अध्ययन के नतीजे बताते हैं कि वायु प्रदूषण फेंफड़ों से जुड़ी बीमारियों के 40% मामलों के लिए जिम्मेदार है।
- हार्ट डिजीज, स्ट्रोक, डायबिटीज और समय से पहले पैदा होने वाले नवजात बच्चों की मौत के लिए वायु प्रदूषण 60% तक जिम्मेदार है।
- रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि वायु प्रदूषण रोकने के लिए सही उपाय नहीं किए, तो भारत को बड़ा खामियाजा उठाना पड़ेगा।
- वायु प्रदूषण से होने वाली मौतें, बीमारियां और आर्थिक नुकसान की वजह से भारत का 2024 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का सपना भी टूट सकता है।
इस रिपोर्ट से सीखने वाली 3 अहम बातें क्या हैं?
- वायु प्रदूषण के खतरों के प्रति जागरुकता की जरूरत है।
- सरकार को वायु प्रदूषण रोकने के लिए बड़े और कड़े कदम उठाने होंगे।
- आम लोगों से भी प्रदूषण रोकने में सहयोग की दरकार होगी।
वायु प्रदूषण में सबसे अहम रोल किन चीजों का है?
डॉक्टर उमा कहती है कि वायु प्रदूषण में सबसे बड़ा रोल गाड़ियों से होने वाले पॉल्यूशन का होता है। गाड़ियों से निकलने वाला धुंआ और उड़ने वाली धूल दोनों सेहत के नुकसानदायक हैं। हमने कुछ समय पहले एक स्टडी की थी। उसमें पाया था कि जिनका घर सड़क से जितना ज्यादा करीब होता है, उन लोगों में ऑटो इम्युन डिजीज का खतरा उतना ज्यादा होता है। इसे हमने सरोगेट पॉल्यूशन नाम दिया। इसलिए हमारी कोशिश होनी चाहिए कि घर मुख्य सड़क से दूर खरीदें।
इसके अलावा एयर पॉल्यूशन सिर्फ आउटडोर ही नहीं, इनडोर होता है। दोनों पॉल्यूशन बराबर तौर पर सेहत के लिए खतरनाक हैं। इंडोर पॉल्यूशन से बचने के लिए आप एयर प्यूरीफायर भी लगवा सकते हैं, यह प्रदूषण को कम करने में थोड़ा बहुत मददगार है।
टोबेको पॉल्यूशन एयर पॉल्यूशन से भी ज्यादा खतरनाक
- एम्स दिल्ली में डीएम कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर संजय कुमार चुघ कहते हैं टोबेको पॉल्यूशन, एयर पॉल्यूशन से भी ज्यादा खतरनाक हैं। इसके अलावा वॉटर, फूड, नॉइज पॉल्यूशन भी बहुत खतरनाक हैं। इसलिए हमें एयर के साथ बाकी पॉल्यूशन से भी दूर रहना चाहिए।
- एयर पॉल्यूशन सांस के मरीजों के बहुत ज्यादा खतरनाक है। हवा में प्रदूषण होने से ऑक्सीजन का लेवल कम हो जाता है। इसके चलते थकान लगती है और काम करने की क्षमता में भी कमी आती है।
क्या भारतीय कानून हमें प्रदूषण से बचा सकते हैं?
भारत में वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए साल 1981 में एक एयर एक्ट लागू किया गया था, लेकिन पिछले 40 साल में इस कानून के तहत दर्ज किए गए मुकदमों की संख्या न के बराबर है। वहीं इन 40 सालों में भारतीय शहरों में वायु प्रदूषण गंभीर स्तर पर पहुंच चुका है।
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