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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB-PMJAY) को वर्चुअली लॉन्च किया। इस योजना में जम्मू-कश्मीर के हर परिवार को पांच लाख का हेल्थ इंश्योरेंस मिलेगा। ये योजना कई राज्यों में पहले से ही चल रही है। जम्मू-कश्मीर ऐसा पहला राज्य है जहां के हर परिवार को इस स्कीम का लाभ मिलेगा। AB-PMJAY सेहत योजना क्या है? अब तक कितने लोग इस योजना का लाभ ले चुके हैं? जम्मू कश्मीर में योजना बाकी राज्यों से कितनी अलग है? स्कीम का लाभ लेने के लिए किन कागजात की जरूरत होगी? किस आधार पर मिलेगा कवर? जहां सिर्फ गरीबों के लिए ये योजना है, वहां किन लोगों के नाम दर्ज होंगे? आइए जानते हैं… AB-PMJAY सेहत योजना क्या है? 23 सिंतबर 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रांची से AB-PMJAY सेहत योजना को लॉन्च किया था। योजना के तहत आने वाले परिवारों को हर साल 5 लाख तक का हेल्थ इंश्योरेंस कवर मिलता है। अब तक इस योजना के दायरे में जो राज्य थे वहां के 22 करोड़ 66 लाख से ज्यादा परिवारों में से 13 करोड़ 4 लाख से ज्यादा परिवार योजना के लिए एलिजिबल थे। जम्मू कश्मीर के करीब 37 लाख से ज्यादा परिवार शनिवार से इस स्कीम में और जुड़ गए हैं। अब तक कितने लोग इस योजना का लाभ ले चुके है? 21 सितंबर 2020 तक कुल 1 करोड़ 26 लाख लोगों ने AB-PMJAY सेहत योजना के तहत इलाज कराया। इनमें से 5 लाख 13 हजार मरीज ऐसे थे जिन्हें कोरोना के चलते अस्पताल में भर्ती किया गया। देशभर में 24 हजार से ज्यादा हॉस्पिटल ऐसे हैं, जहां सेहत कार्ड से मरीज को इलाज की सुविधा मिल सकती है। दिल्ली, ओडिशा, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल को छोड़कर पूरे देश में ये योजना लागू हो चुकी है। योजना का लाभ लेने में गुजरात सबसे आगे है। यहां पिछले दो साल में 19 लाख 37 हजार से ज्यादा लोग योजना की मदद से अपना इलाज करा चुके हैं। दूसरे नंबर पर तमिलनाडु और तीसरे पर केरल है। दिल्ली, ओडिशा, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल में योजना क्यों नहीं? केंद्र सरकार ने जब योजना लॉन्च की, उस वक्त योजना में वही लोग शामिल थे, जो 2011 की जनगणना में गरीबी रेखा से नीचे थे। दिल्ली, ओडिशा, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल और केरल सरकार ने योजना का विरोध किया और कहा कि इनके राज्यों में पहले से चल रही स्वास्थ्य से जुड़ी योजनाएं, केंद्र की स्कीम से बेहतर हैं। केंद्र अगर इन राज्यों से बेहतर स्थिति लाता है, तो ही वो अपने राज्यों में इस स्कीम को लागू करेंगे। हालांकि, बाद में केरल इस योजना को लागू करने के लिए सहमत हो गया और महज 1 साल के अंदर यहां के 13 लाख से ज्यादा लोगों को इस योजना का फायदा हुआ। योजना के लिए पैसे कहां से आ रहे हैं ? फंड के लिए कुछ राज्यों ने एक नॉन-प्रॉफिटेबल ट्रस्ट बनाया है, जहां उन्होंने अपने बजट से हेल्थ केयर फंड निकाला है। केंद्र सरकार इसमें लगभग 60% योगदान करती है। किसी मरीज के इलाज में खर्च होने वाले पैसे सीधे अस्पताल के खाते में ट्रांसफर होते हैं। दूसरा मॉडल ये है कि राज्य सरकारें स्वास्थ्य बीमा करने के लिए निजी बीमा कंपनियों के साथ भागीदारी कर रही हैं। कुछ राज्यों ने एक मिश्रित मॉडल का भी चयन किया है, जहां निजी बीमा कंपनियां छोटे भुगतान को कवर करती हैं और बाकी को सरकारी ट्रस्ट द्वारा फंड दिया जाता है। इस योजना में कौन-कौन सी बीमारियां कवर होती हैं? योजना में पुरानी बीमारियां भी कवर होती हैं। किसी बीमारी में अस्पताल में एडमिट होने से पहले और बाद के खर्च इसमें कवर होते हैं। ट्रांसपोर्ट पर होने वाला खर्च इसमें कवर होता है। सभी मेडिकल जांच, ऑपरेशन, इलाज जैसी चीजें इसमें शामिल हैं। स्कीम के लिए कौन से कागजात की जरूरत होती है? पहचान के लिए आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड या राशन कार्ड दिखा सकते हैं। नेशनल हेल्थ एजेंसी (NHA) ने आरोग्य मित्रों को अस्पतालों में तैनात किया है। इनके पास मरीजों की पहचान सत्यापित करने और उन्हें इलाज में मदद करने का काम है। पूछताछ और समाधान के लिए भी मरीज इन लोगों से संपर्क कर सकते हैं। किस आधार पर कवर मिलता है? जम्मू कश्मीर के हर नागरिक को इस कार्ड से इलाज मिल सकेगा। देश के बाकी राज्यों में 2011 के सामाजिक-आर्थिक और जाति जनगणना में गरीब के तौर पर चिह्नित किए गए सभी लोग इसके पात्र होते हैं। मतलब अगर कोई शख्स 2011 के बाद गरीब हुआ है, तो वह कवर से वंचित हो जाएगा। बीमा कवर के लिए उम्र, परिवार के आकार को लेकर कोई बंदिश नहीं है। लाभार्थी सरकारी या निजी अस्पताल में हर साल 5 लाख रुपए तक का कैशलेस इलाज करा सकेंगे। कैसे चेक करेंगे अपना नाम? NHA ने इसके लिए वेबसाइट और हेल्पलाइन नंबर लॉन्च किया है, जिसके जरिए कोई भी नागरिक यह जांच सकता है कि फाइनल लिस्ट में उसका नाम शामिल है या नहीं। इसके लिए mera.pmjay.gov.in वेबसाइट देख सकते हैं या हेल्पलाइन नंबर 14555 पर कॉल कर सकते हैं। रजिस्ट्रेशन के बाद मैसेज के जरिए मोबाइल पर आईडी नंबर मिलेगा। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें Narendra Modi; Explained Ayushman Bharat Yojana | Who Benefited The Most? All You Need To Know About AB PMJAY SEHAT Scheme https://ift.tt/3nVDb0b Dainik Bhaskar मोदी ने कश्मीर में भी शुरू की आयुष्मान भारत योजना; क्या है ये स्कीम? इन 4 राज्यों से हैं, तो नहीं मिलेगा फायदा

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB-PMJAY) को वर्चुअली लॉन्च किया। इस योजना में जम्मू-कश्मीर के हर परिवार को पांच लाख का हेल्थ इंश्योरेंस मिलेगा। ये योजना कई राज्यों में पहले से ही चल रही है। जम्मू-कश्मीर ऐसा पहला राज्य है जहां के हर परिवार को इस स्कीम का लाभ मिलेगा।

AB-PMJAY सेहत योजना क्या है? अब तक कितने लोग इस योजना का लाभ ले चुके हैं? जम्मू कश्मीर में योजना बाकी राज्यों से कितनी अलग है? स्कीम का लाभ लेने के लिए किन कागजात की जरूरत होगी? किस आधार पर मिलेगा कवर? जहां सिर्फ गरीबों के लिए ये योजना है, वहां किन लोगों के नाम दर्ज होंगे? आइए जानते हैं…

AB-PMJAY सेहत योजना क्या है?
23 सिंतबर 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रांची से AB-PMJAY सेहत योजना को लॉन्च किया था। योजना के तहत आने वाले परिवारों को हर साल 5 लाख तक का हेल्थ इंश्योरेंस कवर मिलता है। अब तक इस योजना के दायरे में जो राज्य थे वहां के 22 करोड़ 66 लाख से ज्यादा परिवारों में से 13 करोड़ 4 लाख से ज्यादा परिवार योजना के लिए एलिजिबल थे। जम्मू कश्मीर के करीब 37 लाख से ज्यादा परिवार शनिवार से इस स्कीम में और जुड़ गए हैं।

अब तक कितने लोग इस योजना का लाभ ले चुके है?
21 सितंबर 2020 तक कुल 1 करोड़ 26 लाख लोगों ने AB-PMJAY सेहत योजना के तहत इलाज कराया। इनमें से 5 लाख 13 हजार मरीज ऐसे थे जिन्हें कोरोना के चलते अस्पताल में भर्ती किया गया।

देशभर में 24 हजार से ज्यादा हॉस्पिटल ऐसे हैं, जहां सेहत कार्ड से मरीज को इलाज की सुविधा मिल सकती है। दिल्ली, ओडिशा, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल को छोड़कर पूरे देश में ये योजना लागू हो चुकी है।

योजना का लाभ लेने में गुजरात सबसे आगे है। यहां पिछले दो साल में 19 लाख 37 हजार से ज्यादा लोग योजना की मदद से अपना इलाज करा चुके हैं। दूसरे नंबर पर तमिलनाडु और तीसरे पर केरल है।

दिल्ली, ओडिशा, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल में योजना क्यों नहीं?

  • केंद्र सरकार ने जब योजना लॉन्च की, उस वक्त योजना में वही लोग शामिल थे, जो 2011 की जनगणना में गरीबी रेखा से नीचे थे। दिल्ली, ओडिशा, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल और केरल सरकार ने योजना का विरोध किया और कहा कि इनके राज्यों में पहले से चल रही स्वास्थ्य से जुड़ी योजनाएं, केंद्र की स्कीम से बेहतर हैं। केंद्र अगर इन राज्यों से बेहतर स्थिति लाता है, तो ही वो अपने राज्यों में इस स्कीम को लागू करेंगे।
  • हालांकि, बाद में केरल इस योजना को लागू करने के लिए सहमत हो गया और महज 1 साल के अंदर यहां के 13 लाख से ज्यादा लोगों को इस योजना का फायदा हुआ।

योजना के लिए पैसे कहां से आ रहे हैं ?
फंड के लिए कुछ राज्यों ने एक नॉन-प्रॉफिटेबल ट्रस्ट बनाया है, जहां उन्होंने अपने बजट से हेल्थ केयर फंड निकाला है। केंद्र सरकार इसमें लगभग 60% योगदान करती है। किसी मरीज के इलाज में खर्च होने वाले पैसे सीधे अस्पताल के खाते में ट्रांसफर होते हैं। दूसरा मॉडल ये है कि राज्य सरकारें स्वास्थ्य बीमा करने के लिए निजी बीमा कंपनियों के साथ भागीदारी कर रही हैं। कुछ राज्यों ने एक मिश्रित मॉडल का भी चयन किया है, जहां निजी बीमा कंपनियां छोटे भुगतान को कवर करती हैं और बाकी को सरकारी ट्रस्ट द्वारा फंड दिया जाता है।

इस योजना में कौन-कौन सी बीमारियां कवर होती हैं?
योजना में पुरानी बीमारियां भी कवर होती हैं। किसी बीमारी में अस्पताल में एडमिट होने से पहले और बाद के खर्च इसमें कवर होते हैं। ट्रांसपोर्ट पर होने वाला खर्च इसमें कवर होता है। सभी मेडिकल जांच, ऑपरेशन, इलाज जैसी चीजें इसमें शामिल हैं।

स्कीम के लिए कौन से कागजात की जरूरत होती है?
पहचान के लिए आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड या राशन कार्ड दिखा सकते हैं। नेशनल हेल्थ एजेंसी (NHA) ने आरोग्य मित्रों को अस्पतालों में तैनात किया है। इनके पास मरीजों की पहचान सत्यापित करने और उन्हें इलाज में मदद करने का काम है। पूछताछ और समाधान के लिए भी मरीज इन लोगों से संपर्क कर सकते हैं।

किस आधार पर कवर मिलता है?
जम्मू कश्मीर के हर नागरिक को इस कार्ड से इलाज मिल सकेगा। देश के बाकी राज्यों में 2011 के सामाजिक-आर्थिक और जाति जनगणना में गरीब के तौर पर चिह्नित किए गए सभी लोग इसके पात्र होते हैं। मतलब अगर कोई शख्स 2011 के बाद गरीब हुआ है, तो वह कवर से वंचित हो जाएगा। बीमा कवर के लिए उम्र, परिवार के आकार को लेकर कोई बंदिश नहीं है। लाभार्थी सरकारी या निजी अस्पताल में हर साल 5 लाख रुपए तक का कैशलेस इलाज करा सकेंगे।

कैसे चेक करेंगे अपना नाम?
NHA ने इसके लिए वेबसाइट और हेल्पलाइन नंबर लॉन्च किया है, जिसके जरिए कोई भी नागरिक यह जांच सकता है कि फाइनल लिस्ट में उसका नाम शामिल है या नहीं। इसके लिए mera.pmjay.gov.in वेबसाइट देख सकते हैं या हेल्पलाइन नंबर 14555 पर कॉल कर सकते हैं। रजिस्ट्रेशन के बाद मैसेज के जरिए मोबाइल पर आईडी नंबर मिलेगा।



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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB-PMJAY) को वर्चुअली लॉन्च किया। इस योजना में जम्मू-कश्मीर के हर परिवार को पांच लाख का हेल्थ इंश्योरेंस मिलेगा। ये योजना कई राज्यों में पहले से ही चल रही है। जम्मू-कश्मीर ऐसा पहला राज्य है जहां के हर परिवार को इस स्कीम का लाभ मिलेगा। AB-PMJAY सेहत योजना क्या है? अब तक कितने लोग इस योजना का लाभ ले चुके हैं? जम्मू कश्मीर में योजना बाकी राज्यों से कितनी अलग है? स्कीम का लाभ लेने के लिए किन कागजात की जरूरत होगी? किस आधार पर मिलेगा कवर? जहां सिर्फ गरीबों के लिए ये योजना है, वहां किन लोगों के नाम दर्ज होंगे? आइए जानते हैं… AB-PMJAY सेहत योजना क्या है? 23 सिंतबर 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रांची से AB-PMJAY सेहत योजना को लॉन्च किया था। योजना के तहत आने वाले परिवारों को हर साल 5 लाख तक का हेल्थ इंश्योरेंस कवर मिलता है। अब तक इस योजना के दायरे में जो राज्य थे वहां के 22 करोड़ 66 लाख से ज्यादा परिवारों में से 13 करोड़ 4 लाख से ज्यादा परिवार योजना के लिए एलिजिबल थे। जम्मू कश्मीर के करीब 37 लाख से ज्यादा परिवार शनिवार से इस स्कीम में और जुड़ गए हैं। अब तक कितने लोग इस योजना का लाभ ले चुके है? 21 सितंबर 2020 तक कुल 1 करोड़ 26 लाख लोगों ने AB-PMJAY सेहत योजना के तहत इलाज कराया। इनमें से 5 लाख 13 हजार मरीज ऐसे थे जिन्हें कोरोना के चलते अस्पताल में भर्ती किया गया। देशभर में 24 हजार से ज्यादा हॉस्पिटल ऐसे हैं, जहां सेहत कार्ड से मरीज को इलाज की सुविधा मिल सकती है। दिल्ली, ओडिशा, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल को छोड़कर पूरे देश में ये योजना लागू हो चुकी है। योजना का लाभ लेने में गुजरात सबसे आगे है। यहां पिछले दो साल में 19 लाख 37 हजार से ज्यादा लोग योजना की मदद से अपना इलाज करा चुके हैं। दूसरे नंबर पर तमिलनाडु और तीसरे पर केरल है। दिल्ली, ओडिशा, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल में योजना क्यों नहीं? केंद्र सरकार ने जब योजना लॉन्च की, उस वक्त योजना में वही लोग शामिल थे, जो 2011 की जनगणना में गरीबी रेखा से नीचे थे। दिल्ली, ओडिशा, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल और केरल सरकार ने योजना का विरोध किया और कहा कि इनके राज्यों में पहले से चल रही स्वास्थ्य से जुड़ी योजनाएं, केंद्र की स्कीम से बेहतर हैं। केंद्र अगर इन राज्यों से बेहतर स्थिति लाता है, तो ही वो अपने राज्यों में इस स्कीम को लागू करेंगे। हालांकि, बाद में केरल इस योजना को लागू करने के लिए सहमत हो गया और महज 1 साल के अंदर यहां के 13 लाख से ज्यादा लोगों को इस योजना का फायदा हुआ। योजना के लिए पैसे कहां से आ रहे हैं ? फंड के लिए कुछ राज्यों ने एक नॉन-प्रॉफिटेबल ट्रस्ट बनाया है, जहां उन्होंने अपने बजट से हेल्थ केयर फंड निकाला है। केंद्र सरकार इसमें लगभग 60% योगदान करती है। किसी मरीज के इलाज में खर्च होने वाले पैसे सीधे अस्पताल के खाते में ट्रांसफर होते हैं। दूसरा मॉडल ये है कि राज्य सरकारें स्वास्थ्य बीमा करने के लिए निजी बीमा कंपनियों के साथ भागीदारी कर रही हैं। कुछ राज्यों ने एक मिश्रित मॉडल का भी चयन किया है, जहां निजी बीमा कंपनियां छोटे भुगतान को कवर करती हैं और बाकी को सरकारी ट्रस्ट द्वारा फंड दिया जाता है। इस योजना में कौन-कौन सी बीमारियां कवर होती हैं? योजना में पुरानी बीमारियां भी कवर होती हैं। किसी बीमारी में अस्पताल में एडमिट होने से पहले और बाद के खर्च इसमें कवर होते हैं। ट्रांसपोर्ट पर होने वाला खर्च इसमें कवर होता है। सभी मेडिकल जांच, ऑपरेशन, इलाज जैसी चीजें इसमें शामिल हैं। स्कीम के लिए कौन से कागजात की जरूरत होती है? पहचान के लिए आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड या राशन कार्ड दिखा सकते हैं। नेशनल हेल्थ एजेंसी (NHA) ने आरोग्य मित्रों को अस्पतालों में तैनात किया है। इनके पास मरीजों की पहचान सत्यापित करने और उन्हें इलाज में मदद करने का काम है। पूछताछ और समाधान के लिए भी मरीज इन लोगों से संपर्क कर सकते हैं। किस आधार पर कवर मिलता है? जम्मू कश्मीर के हर नागरिक को इस कार्ड से इलाज मिल सकेगा। देश के बाकी राज्यों में 2011 के सामाजिक-आर्थिक और जाति जनगणना में गरीब के तौर पर चिह्नित किए गए सभी लोग इसके पात्र होते हैं। मतलब अगर कोई शख्स 2011 के बाद गरीब हुआ है, तो वह कवर से वंचित हो जाएगा। बीमा कवर के लिए उम्र, परिवार के आकार को लेकर कोई बंदिश नहीं है। लाभार्थी सरकारी या निजी अस्पताल में हर साल 5 लाख रुपए तक का कैशलेस इलाज करा सकेंगे। कैसे चेक करेंगे अपना नाम? NHA ने इसके लिए वेबसाइट और हेल्पलाइन नंबर लॉन्च किया है, जिसके जरिए कोई भी नागरिक यह जांच सकता है कि फाइनल लिस्ट में उसका नाम शामिल है या नहीं। इसके लिए mera.pmjay.gov.in वेबसाइट देख सकते हैं या हेल्पलाइन नंबर 14555 पर कॉल कर सकते हैं। रजिस्ट्रेशन के बाद मैसेज के जरिए मोबाइल पर आईडी नंबर मिलेगा। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें Narendra Modi; Explained Ayushman Bharat Yojana | Who Benefited The Most? All You Need To Know About AB PMJAY SEHAT Scheme https://ift.tt/3nVDb0b Dainik Bhaskar मोदी ने कश्मीर में भी शुरू की आयुष्मान भारत योजना; क्या है ये स्कीम? इन 4 राज्यों से हैं, तो नहीं मिलेगा फायदा 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB-PMJAY) को वर्चुअली लॉन्च किया। इस योजना में जम्मू-कश्मीर के हर परिवार को पांच लाख का हेल्थ इंश्योरेंस मिलेगा। ये योजना कई राज्यों में पहले से ही चल रही है। जम्मू-कश्मीर ऐसा पहला राज्य है जहां के हर परिवार को इस स्कीम का लाभ मिलेगा।

AB-PMJAY सेहत योजना क्या है? अब तक कितने लोग इस योजना का लाभ ले चुके हैं? जम्मू कश्मीर में योजना बाकी राज्यों से कितनी अलग है? स्कीम का लाभ लेने के लिए किन कागजात की जरूरत होगी? किस आधार पर मिलेगा कवर? जहां सिर्फ गरीबों के लिए ये योजना है, वहां किन लोगों के नाम दर्ज होंगे? आइए जानते हैं…

AB-PMJAY सेहत योजना क्या है?
23 सिंतबर 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रांची से AB-PMJAY सेहत योजना को लॉन्च किया था। योजना के तहत आने वाले परिवारों को हर साल 5 लाख तक का हेल्थ इंश्योरेंस कवर मिलता है। अब तक इस योजना के दायरे में जो राज्य थे वहां के 22 करोड़ 66 लाख से ज्यादा परिवारों में से 13 करोड़ 4 लाख से ज्यादा परिवार योजना के लिए एलिजिबल थे। जम्मू कश्मीर के करीब 37 लाख से ज्यादा परिवार शनिवार से इस स्कीम में और जुड़ गए हैं।

अब तक कितने लोग इस योजना का लाभ ले चुके है?
21 सितंबर 2020 तक कुल 1 करोड़ 26 लाख लोगों ने AB-PMJAY सेहत योजना के तहत इलाज कराया। इनमें से 5 लाख 13 हजार मरीज ऐसे थे जिन्हें कोरोना के चलते अस्पताल में भर्ती किया गया।

देशभर में 24 हजार से ज्यादा हॉस्पिटल ऐसे हैं, जहां सेहत कार्ड से मरीज को इलाज की सुविधा मिल सकती है। दिल्ली, ओडिशा, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल को छोड़कर पूरे देश में ये योजना लागू हो चुकी है।

योजना का लाभ लेने में गुजरात सबसे आगे है। यहां पिछले दो साल में 19 लाख 37 हजार से ज्यादा लोग योजना की मदद से अपना इलाज करा चुके हैं। दूसरे नंबर पर तमिलनाडु और तीसरे पर केरल है।

दिल्ली, ओडिशा, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल में योजना क्यों नहीं?

केंद्र सरकार ने जब योजना लॉन्च की, उस वक्त योजना में वही लोग शामिल थे, जो 2011 की जनगणना में गरीबी रेखा से नीचे थे। दिल्ली, ओडिशा, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल और केरल सरकार ने योजना का विरोध किया और कहा कि इनके राज्यों में पहले से चल रही स्वास्थ्य से जुड़ी योजनाएं, केंद्र की स्कीम से बेहतर हैं। केंद्र अगर इन राज्यों से बेहतर स्थिति लाता है, तो ही वो अपने राज्यों में इस स्कीम को लागू करेंगे।

हालांकि, बाद में केरल इस योजना को लागू करने के लिए सहमत हो गया और महज 1 साल के अंदर यहां के 13 लाख से ज्यादा लोगों को इस योजना का फायदा हुआ।

योजना के लिए पैसे कहां से आ रहे हैं ?
फंड के लिए कुछ राज्यों ने एक नॉन-प्रॉफिटेबल ट्रस्ट बनाया है, जहां उन्होंने अपने बजट से हेल्थ केयर फंड निकाला है। केंद्र सरकार इसमें लगभग 60% योगदान करती है। किसी मरीज के इलाज में खर्च होने वाले पैसे सीधे अस्पताल के खाते में ट्रांसफर होते हैं। दूसरा मॉडल ये है कि राज्य सरकारें स्वास्थ्य बीमा करने के लिए निजी बीमा कंपनियों के साथ भागीदारी कर रही हैं। कुछ राज्यों ने एक मिश्रित मॉडल का भी चयन किया है, जहां निजी बीमा कंपनियां छोटे भुगतान को कवर करती हैं और बाकी को सरकारी ट्रस्ट द्वारा फंड दिया जाता है।

इस योजना में कौन-कौन सी बीमारियां कवर होती हैं?
योजना में पुरानी बीमारियां भी कवर होती हैं। किसी बीमारी में अस्पताल में एडमिट होने से पहले और बाद के खर्च इसमें कवर होते हैं। ट्रांसपोर्ट पर होने वाला खर्च इसमें कवर होता है। सभी मेडिकल जांच, ऑपरेशन, इलाज जैसी चीजें इसमें शामिल हैं।

स्कीम के लिए कौन से कागजात की जरूरत होती है?
पहचान के लिए आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड या राशन कार्ड दिखा सकते हैं। नेशनल हेल्थ एजेंसी (NHA) ने आरोग्य मित्रों को अस्पतालों में तैनात किया है। इनके पास मरीजों की पहचान सत्यापित करने और उन्हें इलाज में मदद करने का काम है। पूछताछ और समाधान के लिए भी मरीज इन लोगों से संपर्क कर सकते हैं।

किस आधार पर कवर मिलता है?
जम्मू कश्मीर के हर नागरिक को इस कार्ड से इलाज मिल सकेगा। देश के बाकी राज्यों में 2011 के सामाजिक-आर्थिक और जाति जनगणना में गरीब के तौर पर चिह्नित किए गए सभी लोग इसके पात्र होते हैं। मतलब अगर कोई शख्स 2011 के बाद गरीब हुआ है, तो वह कवर से वंचित हो जाएगा। बीमा कवर के लिए उम्र, परिवार के आकार को लेकर कोई बंदिश नहीं है। लाभार्थी सरकारी या निजी अस्पताल में हर साल 5 लाख रुपए तक का कैशलेस इलाज करा सकेंगे।

कैसे चेक करेंगे अपना नाम?
NHA ने इसके लिए वेबसाइट और हेल्पलाइन नंबर लॉन्च किया है, जिसके जरिए कोई भी नागरिक यह जांच सकता है कि फाइनल लिस्ट में उसका नाम शामिल है या नहीं। इसके लिए mera.pmjay.gov.in वेबसाइट देख सकते हैं या हेल्पलाइन नंबर 14555 पर कॉल कर सकते हैं। रजिस्ट्रेशन के बाद मैसेज के जरिए मोबाइल पर आईडी नंबर मिलेगा।

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https://ift.tt/3nVDb0b Dainik Bhaskar मोदी ने कश्मीर में भी शुरू की आयुष्मान भारत योजना; क्या है ये स्कीम? इन 4 राज्यों से हैं, तो नहीं मिलेगा फायदा Reviewed by Manish Pethev on December 27, 2020 Rating: 5

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