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भारत-चीन सीमा पर 22 दिन से जारी तनाव के बाद दोनों देशों की सेनाएं टकराव वाले प्वॉइंट से पीछे हटने को राजी हो गई हैं। हॉट स्प्रिंग और गोगरा इलाके में भी सेनाएं पीछे हट रही हैं। यह प्रक्रिया कुछ दिनों में पूरी हो जाएगी। तनाव के दौरान चीनी सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स में लगातार भारत के खिलाफ लिखा गया। इसी ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट में दावा किया गया कि 1962 में भारत और चीन की अर्थव्यवस्था लगभग बराबर थी। इस वक्त चीन भारत के मुकाबले बहुत बड़ी इकोनॉमी है। अगर भारत और चीन के बीच युद्ध होता है तो भारत को बहुत नुकसान होगा। आइए जानते हैं 1962 में कैसी थी दोनों देशों की आर्थिक स्थिति, तब से आज तक किस तरह बदली दोनों देशों की अर्थव्यवस्था की हालत। इसके लिए हम दोनों देशों की जीडीपी, पर कैपिटा जीडीपी, एक्सपोर्ट और इंपोर्ट में जीडीपी में हिस्सेदारी, उद्योग का जीडीपी में योगदान, दोनों देशों की आबादी और डिफेंस बजट में आए बदलाव का एनालिसिस करेंगे। जीडीपी : ओपन करने के बाद चीन की इकोनॉमी 39 गुना और भारत की 9 गुना बढ़ी 1962 में भारत-चीन के बीच युद्ध हुआ। उस वक्त दोनों देशों की ताकत में ज्यादा फर्क नहीं था। तब चीन की जीडीपी भारत से करीब 12% ज्यादा थी। आज दोनों देशों की जीडीपी में 5 गुने से ज्यादा का फर्क हो गया है। चीन ने अपनी इकोनॉमी 1980 में ओपन की। तब से अब तक 39 साल में उसकी इकोनॉमी 75 गुना बढ़ी। वहीं, भारत ने 1991 में अपनी इकोनॉमी ओपन की। इसके बाद 28 साल में भारत की इकोनॉमी 9 गुना बढ़ी है। 2019 में भारत की इकोनॉमी में एक्सपोर्ट की हिस्सेदारी चीन से 0.24% ज्यादा 1962 में दोनों देशों की इकोनॉमी में एक्सपोर्ट की हिस्सेदारी जीडीपी का 4% से कुछ ज्यादा थी। युद्ध के बाद के सालों में दोनों का एक्सपोर्ट घटा। लेकिन 1980 के बाद चीन ने पूरी ताकत के साथ सस्ते सामान और लेबर के जरिए दुनियाभर के बाजारों में अपनी पकड़ बढ़ानी शुरू की। 2010 में उसकी जीडीपी का 27% हिस्सा एक्सपोर्ट से ही आया। हालांकि, बाद के सालों में चीन ने बाकी क्षेत्रों से कमाई बढ़ाई तो एक्सपोर्ट का जीडीपी में योगदान प्रतिशत घटा है। भारत ने भी 1991 में जब अपनी अर्थव्यवस्था खोली तो उसकी इकोनॉमी में भी एक्सपोर्ट की हिस्सेदारी बढ़ी। 2019 में भारत ने एक्सपोर्ट से अपने जीडीपी में 18.66% जोड़ा तो वहीं चीन 18.42% जोड़ सका। भारत ने 2019 में चीन से 0.24% ज्यादा अपनी जीडीपी में जोड़ा लेकिन, चीन भारत से पांच गुना बड़ी अर्थव्यवस्था है इसलिए उसका 18.41% भी हमारे 18.66% से करीब चार गुना ज्यादा है। चीन के तुलना में दूसरे देशों से खरीद पर भारत ज्यादा निर्भर, लेकिन इसे घटाने की कोशिश कर रहा 1962 युद्ध के वक्त चीन की तुलना में भारत की जीडीपी में इंपोर्ट की हिस्सेदारी दोगुने से ज्यादा थी। उस वक्त भारत की जीडीपी में इंपोर्ट का हिस्सा 6.03% था तो चीन का 2.91% था। बाद के सालों में दोनों देशों की इकोनॉमी में इंपोर्ट की हिस्सेदारी बढ़ती गई। 2019 में भारत की जीडीपी में इंपोर्ट की हिस्सेदारी चीन से 123% ज्यादा रह गई है। चीन की इकोनॉमी में जहां इंपोर्ट का हिस्सा 17.26% है वहीं, भारत की इकोनॉमी में ये 21.36% है। यानि, भारत और चीन दोनों की दूसरो देशों से खरीद पर निर्भरता बढ़ी है। हालांकि, दोनों देशों ने पिछले दस साल में ये निर्भरता घटाई है। ग्लोबल ट्रेड में चीन से 14.4% पीछे है भारत दुनिया को सर्विसेस और समान एक्सपोर्ट से कमाने में भारत से चीन आगे है और दूसरों से खरीदने में भारत से पीछे है, एक मजबूत इकोनॉमी ज्यादा बेचती है और कम खरीदती है, चीन भारत से पांच गुनी बड़ी इकोनॉमी है इसलिए उसने ज्यादा बेचा और कम खरीदा। चीन का ग्लोबल ट्रेड में योगदान 17% है जबकि भारत का ग्लोबल ट्रेड में योगदान 2.6% है। 1962 में भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी चीन से ज्यादा थी, अब हमसे पांच गुना ज्यादा है चीन 1962 में भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी चीन से ज्यादा थी। आज चीन हमसे करीब पांच गुना ज्यादा है।1990 तक हमारी प्रति व्यक्ति जीडीपी चीन से ज्यादा थी। चीन की इकोनॉमी ओपन होने और जनसंख्या नियंत्रण को लेकर सख्त कदम उठाने के कारण चीन की प्रति व्यक्ति जीडीपी बहुत तेजी से बढ़ी। चीन ने 29 साल में उद्योगों की हिस्सेदारी 5.47% बढ़ाई, भारत 2.57% बढ़ा पाया इकोनॉमी ओपन करने के बाद चीन की जीडीपी 3200% बढ़ी भारत से 2 साल बाद 1949 में चीन में व्यवस्था परिवर्तन हुआ। चीन का फोकस डोमेस्टिक इकोनॉमी पर था। उसने यह तय किया कि कहां फॉरेन इन्वेस्टमेंट लाना है और कहां नहीं। उसने इकोनॉमिकल एरिया डेवलप किए, जिसके लिए उसने चीन के दक्षिण तटीय क्षेत्रों को चुना। चीन में आर्थिक क्रांति लाने वाले डांग श्याओपिंग ने 1978 से कम्युनिस्ट सोशलिस्ट पॉलिटिकल स्ट्रक्चर में सुधार शुरू किया और इकोनॉमी में मॉडर्नाईजेशन लाए। उस वक्त चीन का दुनिया की अर्थव्यवस्था में हिस्सा 1.8% था। श्याओपिंग के सुधारों के बाद चीन की इकोनॉमी में बहुत बड़ा बदलाव आया। इसके कारण 1980 से लेकर 2016 तक चीन की जीडीपी 3200% बढ़ी। 2017 में दुनिया की अर्थव्यवस्था में उसकी हिस्सेदारी 18.2% हो गई। इसी बीच चीन की आधी से ज्यादा आबादी यानी लगभग 70 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से ऊपर लाया गया और 38.5 करोड़ लोग मिडल क्लास में शामिल हुए। चीन का फॉरेन ट्रेड 17,500% बढ़ा और 2015 तक चीन फॉरेन ट्रेड में वर्ल्ड लीडर के तौर पर उभरा। 1978 में चीन ने पूरे वित्त वर्ष में जितने का ट्रेड किया था, अब वह उतना 48 घंटे में करता है। वहीं, भारत ने चीन से 11 साल बाद 1991 में विदेशी निवेश के लिए दरवाजे खोले। भारत ग्लोबलाइजेशन की तरफ बढ़ना एक फाइनेंसियल इमर्जेंसी थी। चीन ने अपनी इकोनॉमी में सुधार के लिए जो बदलाव किए उसे सख्ती से लागू किया। वहीं, लोकतांत्रिक देश भारत उदारवादी नीति के तहत आगे बढ़ा। 1962 में हमसे 41% ज्यादा आबादी वाला देश था चीन, अब सिर्फ 4% का अंतर भारत का डिफेंस बजट 4.71 लाख करोड़, चीन का डिफेंस बजट हमसे चार गुना ज्यादा इस साल का भारत का कुल बजट 30.42 लाख करोड़ रुपए का है। जबकि, चीन का 258.40 लाख करोड़ रुपए है। चीन का बजट भारत के मुकाबले 8 गुना से भी ज्यादा है। चीन लगातार अपना डिफेंस बजट भी बढ़ा रहा है। इस वक्त उसका कुल डिफेंस बजट 13.47 लाख करोड़ रुपए का है। वहीं, भारत का डिफेंस बजट चीन के मुकाबले करीब 25% 4.71 लाख करोड़ रुपए है। 1962 में भारत का डिफेंस बजट कुल जीडीपी का 1.5% था। हालांकि, अक्टूबर 1962 में चीन से युद्ध के कारण ये बढकर 2.34% हो गया था। 2018-19 में ये घटकर 1.49 हो गया। 56 साल में पहली बार ऐसा हुआ। 2020-21 के बजट में ये जीडीपी का 2.1% है। ग्लोबल टाइम्स के इस दावे में कुछ नया नहीं है कि भारत चीन से छोटी इकोनॉमी है, लेकिन सैन्य शक्ति में भारत चीन से कमजोर नहीं है। भारत का डिफेंस बजट चीन से छोटा इसलिए भी है क्योंकि चीन भारत से बड़ी इकोनॉमी है। दूसरी वजह यह भी है कि चीन एक दमनकारी और विस्तारवादी कम्युनिस्ट साम्राज्य है और इस सब को बनाए रखने के लिए उसे एक दमनकारी सेना की जरूरत है, जबकि भारत एक सामाजवादी लोकतंत्र है। अगर चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी सेना है तो भारत भी दुनिया में तीसरे नंबर पर है। ग्लोबल टाइम के इस दावे में कोई दम नहीं है की नुकसान सिर्फ भारत का होगा बल्कि दो बड़ी शक्तियों के टकराव से नुकसान दोनों का होता है। चीन अमेरिका से ट्रेड वार का सामना कर रहा है , ऐसे में उसे निवेश के लिए भारत जैसी बड़ी बाजार की जरूरत है। बॉर्डर पर चीन के तरफ से बढ़ाया गया तनाव भारत पर दबाव बनाने का एक तरीका था जिससे कि भारत अपने बाजार के दरवाजे चीन के लिए खोल दे। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें India GDP vs China GDP Growth Rate Comparison 1961-2020 | China Defence Budget Latest News | Know How Much Does China Spends On Defence https://ift.tt/3iGJN06 Dainik Bhaskar 1962 युद्ध के समय हमसे सिर्फ 12% ज्यादा थी चीन की जीडीपी, आज भारत से 5 गुना बड़ी इकोनॉमी, डिफेंस बजट हमसे 8 गुना

भारत-चीन सीमा पर 22 दिन से जारी तनाव के बाद दोनों देशों की सेनाएं टकराव वाले प्वॉइंट से पीछे हटने को राजी हो गई हैं। हॉट स्प्रिंग और गोगरा इलाके में भी सेनाएं पीछे हट रही हैं। यह प्रक्रिया कुछ दिनों में पूरी हो जाएगी। तनाव के दौरान चीनी सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स में लगातार भारत के खिलाफ लिखा गया। इसी ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट में दावा किया गया कि 1962 में भारत और चीन की अर्थव्यवस्था लगभग बराबर थी। इस वक्त चीन भारत के मुकाबले बहुत बड़ी इकोनॉमी है। अगर भारत और चीन के बीच युद्ध होता है तो भारत को बहुत नुकसान होगा।

आइए जानते हैं 1962 में कैसी थी दोनों देशों की आर्थिक स्थिति, तब से आज तक किस तरह बदली दोनों देशों की अर्थव्यवस्था की हालत। इसके लिए हम दोनों देशों की जीडीपी, पर कैपिटा जीडीपी, एक्सपोर्ट और इंपोर्ट में जीडीपी में हिस्सेदारी, उद्योग का जीडीपी में योगदान, दोनों देशों की आबादी और डिफेंस बजट में आए बदलाव का एनालिसिस करेंगे।

जीडीपी : ओपन करने के बाद चीन की इकोनॉमी 39 गुना और भारत की 9 गुना बढ़ी

1962 में भारत-चीन के बीच युद्ध हुआ। उस वक्त दोनों देशों की ताकत में ज्यादा फर्क नहीं था। तब चीन की जीडीपी भारत से करीब 12% ज्यादा थी। आज दोनों देशों की जीडीपी में 5 गुने से ज्यादा का फर्क हो गया है। चीन ने अपनी इकोनॉमी 1980 में ओपन की। तब से अब तक 39 साल में उसकी इकोनॉमी 75 गुना बढ़ी। वहीं, भारत ने 1991 में अपनी इकोनॉमी ओपन की। इसके बाद 28 साल में भारत की इकोनॉमी 9 गुना बढ़ी है।

2019 में भारत की इकोनॉमी में एक्सपोर्ट की हिस्सेदारी चीन से 0.24% ज्यादा

1962 में दोनों देशों की इकोनॉमी में एक्सपोर्ट की हिस्सेदारी जीडीपी का 4% से कुछ ज्यादा थी। युद्ध के बाद के सालों में दोनों का एक्सपोर्ट घटा। लेकिन 1980 के बाद चीन ने पूरी ताकत के साथ सस्ते सामान और लेबर के जरिए दुनियाभर के बाजारों में अपनी पकड़ बढ़ानी शुरू की। 2010 में उसकी जीडीपी का 27% हिस्सा एक्सपोर्ट से ही आया। हालांकि, बाद के सालों में चीन ने बाकी क्षेत्रों से कमाई बढ़ाई तो एक्सपोर्ट का जीडीपी में योगदान प्रतिशत घटा है।

भारत ने भी 1991 में जब अपनी अर्थव्यवस्था खोली तो उसकी इकोनॉमी में भी एक्सपोर्ट की हिस्सेदारी बढ़ी। 2019 में भारत ने एक्सपोर्ट से अपने जीडीपी में 18.66% जोड़ा तो वहीं चीन 18.42% जोड़ सका। भारत ने 2019 में चीन से 0.24% ज्यादा अपनी जीडीपी में जोड़ा लेकिन, चीन भारत से पांच गुना बड़ी अर्थव्यवस्था है इसलिए उसका 18.41% भी हमारे 18.66% से करीब चार गुना ज्यादा है।

चीन के तुलना में दूसरे देशों से खरीद पर भारत ज्यादा निर्भर, लेकिन इसे घटाने की कोशिश कर रहा

1962 युद्ध के वक्त चीन की तुलना में भारत की जीडीपी में इंपोर्ट की हिस्सेदारी दोगुने से ज्यादा थी। उस वक्त भारत की जीडीपी में इंपोर्ट का हिस्सा 6.03% था तो चीन का 2.91% था। बाद के सालों में दोनों देशों की इकोनॉमी में इंपोर्ट की हिस्सेदारी बढ़ती गई। 2019 में भारत की जीडीपी में इंपोर्ट की हिस्सेदारी चीन से 123% ज्यादा रह गई है। चीन की इकोनॉमी में जहां इंपोर्ट का हिस्सा 17.26% है वहीं, भारत की इकोनॉमी में ये 21.36% है। यानि, भारत और चीन दोनों की दूसरो देशों से खरीद पर निर्भरता बढ़ी है। हालांकि, दोनों देशों ने पिछले दस साल में ये निर्भरता घटाई है।

ग्लोबल ट्रेड में चीन से 14.4% पीछे है भारत
दुनिया को सर्विसेस और समान एक्सपोर्ट से कमाने में भारत से चीन आगे है और दूसरों से खरीदने में भारत से पीछे है, एक मजबूत इकोनॉमी ज्यादा बेचती है और कम खरीदती है, चीन भारत से पांच गुनी बड़ी इकोनॉमी है इसलिए उसने ज्यादा बेचा और कम खरीदा। चीन का ग्लोबल ट्रेड में योगदान 17% है जबकि भारत का ग्लोबल ट्रेड में योगदान 2.6% है।

1962 में भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी चीन से ज्यादा थी, अब हमसे पांच गुना ज्यादा है चीन

1962 में भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी चीन से ज्यादा थी। आज चीन हमसे करीब पांच गुना ज्यादा है।1990 तक हमारी प्रति व्यक्ति जीडीपी चीन से ज्यादा थी। चीन की इकोनॉमी ओपन होने और जनसंख्या नियंत्रण को लेकर सख्त कदम उठाने के कारण चीन की प्रति व्यक्ति जीडीपी बहुत तेजी से बढ़ी।

चीन ने 29 साल में उद्योगों की हिस्सेदारी 5.47% बढ़ाई, भारत 2.57% बढ़ा पाया

इकोनॉमी ओपन करने के बाद चीन की जीडीपी 3200% बढ़ी
भारत से 2 साल बाद 1949 में चीन में व्यवस्था परिवर्तन हुआ। चीन का फोकस डोमेस्टिक इकोनॉमी पर था। उसने यह तय किया कि कहां फॉरेन इन्वेस्टमेंट लाना है और कहां नहीं। उसने इकोनॉमिकल एरिया डेवलप किए, जिसके लिए उसने चीन के दक्षिण तटीय क्षेत्रों को चुना।
चीन में आर्थिक क्रांति लाने वाले डांग श्याओपिंग ने 1978 से कम्युनिस्ट सोशलिस्ट पॉलिटिकल स्ट्रक्चर में सुधार शुरू किया और इकोनॉमी में मॉडर्नाईजेशन लाए। उस वक्त चीन का दुनिया की अर्थव्यवस्था में हिस्सा 1.8% था। श्याओपिंग के सुधारों के बाद चीन की इकोनॉमी में बहुत बड़ा बदलाव आया। इसके कारण 1980 से लेकर 2016 तक चीन की जीडीपी 3200% बढ़ी।

  • 2017 में दुनिया की अर्थव्यवस्था में उसकी हिस्सेदारी 18.2% हो गई। इसी बीच चीन की आधी से ज्यादा आबादी यानी लगभग 70 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से ऊपर लाया गया और 38.5 करोड़ लोग मिडल क्लास में शामिल हुए।
  • चीन का फॉरेन ट्रेड 17,500% बढ़ा और 2015 तक चीन फॉरेन ट्रेड में वर्ल्ड लीडर के तौर पर उभरा। 1978 में चीन ने पूरे वित्त वर्ष में जितने का ट्रेड किया था, अब वह उतना 48 घंटे में करता है।

वहीं, भारत ने चीन से 11 साल बाद 1991 में विदेशी निवेश के लिए दरवाजे खोले। भारत ग्लोबलाइजेशन की तरफ बढ़ना एक फाइनेंसियल इमर्जेंसी थी। चीन ने अपनी इकोनॉमी में सुधार के लिए जो बदलाव किए उसे सख्ती से लागू किया। वहीं, लोकतांत्रिक देश भारत उदारवादी नीति के तहत आगे बढ़ा।

1962 में हमसे 41% ज्यादा आबादी वाला देश था चीन, अब सिर्फ 4% का अंतर

भारत का डिफेंस बजट 4.71 लाख करोड़, चीन का डिफेंस बजट हमसे चार गुना ज्यादा
इस साल का भारत का कुल बजट 30.42 लाख करोड़ रुपए का है। जबकि, चीन का 258.40 लाख करोड़ रुपए है। चीन का बजट भारत के मुकाबले 8 गुना से भी ज्यादा है। चीन लगातार अपना डिफेंस बजट भी बढ़ा रहा है। इस वक्त उसका कुल डिफेंस बजट 13.47 लाख करोड़ रुपए का है। वहीं, भारत का डिफेंस बजट चीन के मुकाबले करीब 25% 4.71 लाख करोड़ रुपए है। 1962 में भारत का डिफेंस बजट कुल जीडीपी का 1.5% था। हालांकि, अक्टूबर 1962 में चीन से युद्ध के कारण ये बढकर 2.34% हो गया था। 2018-19 में ये घटकर 1.49 हो गया। 56 साल में पहली बार ऐसा हुआ। 2020-21 के बजट में ये जीडीपी का 2.1% है।

ग्लोबल टाइम्स के इस दावे में कुछ नया नहीं है कि भारत चीन से छोटी इकोनॉमी है, लेकिन सैन्य शक्ति में भारत चीन से कमजोर नहीं है। भारत का डिफेंस बजट चीन से छोटा इसलिए भी है क्योंकि चीन भारत से बड़ी इकोनॉमी है। दूसरी वजह यह भी है कि चीन एक दमनकारी और विस्तारवादी कम्युनिस्ट साम्राज्य है और इस सब को बनाए रखने के लिए उसे एक दमनकारी सेना की जरूरत है, जबकि भारत एक सामाजवादी लोकतंत्र है। अगर चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी सेना है तो भारत भी दुनिया में तीसरे नंबर पर है। ग्लोबल टाइम के इस दावे में कोई दम नहीं है की नुकसान सिर्फ भारत का होगा बल्कि दो बड़ी शक्तियों के टकराव से नुकसान दोनों का होता है। चीन अमेरिका से ट्रेड वार का सामना कर रहा है , ऐसे में उसे निवेश के लिए भारत जैसी बड़ी बाजार की जरूरत है। बॉर्डर पर चीन के तरफ से बढ़ाया गया तनाव भारत पर दबाव बनाने का एक तरीका था जिससे कि भारत अपने बाजार के दरवाजे चीन के लिए खोल दे।



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था। तब चीन की जीडीपी भारत से करीब 12% ज्यादा थी। आज दोनों देशों की जीडीपी में 5 गुने से ज्यादा का फर्क हो गया है। चीन ने अपनी इकोनॉमी 1980 में ओपन की। तब से अब तक 39 साल में उसकी इकोनॉमी 75 गुना बढ़ी। वहीं, भारत ने 1991 में अपनी इकोनॉमी ओपन की। इसके बाद 28 साल में भारत की इकोनॉमी 9 गुना बढ़ी है। 2019 में भारत की इकोनॉमी में एक्सपोर्ट की हिस्सेदारी चीन से 0.24% ज्यादा 1962 में दोनों देशों की इकोनॉमी में एक्सपोर्ट की हिस्सेदारी जीडीपी का 4% से कुछ ज्यादा थी। युद्ध के बाद के सालों में दोनों का एक्सपोर्ट घटा। लेकिन 1980 के बाद चीन ने पूरी ताकत के साथ सस्ते सामान और लेबर के जरिए दुनियाभर के बाजारों में अपनी पकड़ बढ़ानी शुरू की। 2010 में उसकी जीडीपी का 27% हिस्सा एक्सपोर्ट से ही आया। हालांकि, बाद के सालों में चीन ने बाकी क्षेत्रों से कमाई बढ़ाई तो एक्सपोर्ट का जीडीपी में योगदान प्रतिशत घटा है। भारत ने भी 1991 में जब अपनी अर्थव्यवस्था खोली तो उसकी इकोनॉमी में भी एक्सपोर्ट की हिस्सेदारी बढ़ी। 2019 में भारत ने एक्सपोर्ट से अपने जीडीपी में 18.66% जोड़ा तो वहीं चीन 18.42% जोड़ सका। भारत ने 2019 में चीन से 0.24% ज्यादा अपनी जीडीपी में जोड़ा लेकिन, चीन भारत से पांच गुना बड़ी अर्थव्यवस्था है इसलिए उसका 18.41% भी हमारे 18.66% से करीब चार गुना ज्यादा है। चीन के तुलना में दूसरे देशों से खरीद पर भारत ज्यादा निर्भर, लेकिन इसे घटाने की कोशिश कर रहा 1962 युद्ध के वक्त चीन की तुलना में भारत की जीडीपी में इंपोर्ट की हिस्सेदारी दोगुने से ज्यादा थी। उस वक्त भारत की जीडीपी में इंपोर्ट का हिस्सा 6.03% था तो चीन का 2.91% था। बाद के सालों में दोनों देशों की इकोनॉमी में इंपोर्ट की हिस्सेदारी बढ़ती गई। 2019 में भारत की जीडीपी में इंपोर्ट की हिस्सेदारी चीन से 123% ज्यादा रह गई है। चीन की इकोनॉमी में जहां इंपोर्ट का हिस्सा 17.26% है वहीं, भारत की इकोनॉमी में ये 21.36% है। यानि, भारत और चीन दोनों की दूसरो देशों से खरीद पर निर्भरता बढ़ी है। हालांकि, दोनों देशों ने पिछले दस साल में ये निर्भरता घटाई है। ग्लोबल ट्रेड में चीन से 14.4% पीछे है भारत दुनिया को सर्विसेस और समान एक्सपोर्ट से कमाने में भारत से चीन आगे है और दूसरों से खरीदने में भारत से पीछे है, एक मजबूत इकोनॉमी ज्यादा बेचती है और कम खरीदती है, चीन भारत से पांच गुनी बड़ी इकोनॉमी है इसलिए उसने ज्यादा बेचा और कम खरीदा। चीन का ग्लोबल ट्रेड में योगदान 17% है जबकि भारत का ग्लोबल ट्रेड में योगदान 2.6% है। 1962 में भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी चीन से ज्यादा थी, अब हमसे पांच गुना ज्यादा है चीन 1962 में भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी चीन से ज्यादा थी। आज चीन हमसे करीब पांच गुना ज्यादा है।1990 तक हमारी प्रति व्यक्ति जीडीपी चीन से ज्यादा थी। चीन की इकोनॉमी ओपन होने और जनसंख्या नियंत्रण को लेकर सख्त कदम उठाने के कारण चीन की प्रति व्यक्ति जीडीपी बहुत तेजी से बढ़ी। चीन ने 29 साल में उद्योगों की हिस्सेदारी 5.47% बढ़ाई, भारत 2.57% बढ़ा पाया इकोनॉमी ओपन करने के बाद चीन की जीडीपी 3200% बढ़ी भारत से 2 साल बाद 1949 में चीन में व्यवस्था परिवर्तन हुआ। चीन का फोकस डोमेस्टिक इकोनॉमी पर था। उसने यह तय किया कि कहां फॉरेन इन्वेस्टमेंट लाना है और कहां नहीं। उसने इकोनॉमिकल एरिया डेवलप किए, जिसके लिए उसने चीन के दक्षिण तटीय क्षेत्रों को चुना। चीन में आर्थिक क्रांति लाने वाले डांग श्याओपिंग ने 1978 से कम्युनिस्ट सोशलिस्ट पॉलिटिकल स्ट्रक्चर में सुधार शुरू किया और इकोनॉमी में मॉडर्नाईजेशन लाए। उस वक्त चीन का दुनिया की अर्थव्यवस्था में हिस्सा 1.8% था। श्याओपिंग के सुधारों के बाद चीन की इकोनॉमी में बहुत बड़ा बदलाव आया। इसके कारण 1980 से लेकर 2016 तक चीन की जीडीपी 3200% बढ़ी। 2017 में दुनिया की अर्थव्यवस्था में उसकी हिस्सेदारी 18.2% हो गई। इसी बीच चीन की आधी से ज्यादा आबादी यानी लगभग 70 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से ऊपर लाया गया और 38.5 करोड़ लोग मिडल क्लास में शामिल हुए। चीन का फॉरेन ट्रेड 17,500% बढ़ा और 2015 तक चीन फॉरेन ट्रेड में वर्ल्ड लीडर के तौर पर उभरा। 1978 में चीन ने पूरे वित्त वर्ष में जितने का ट्रेड किया था, अब वह उतना 48 घंटे में करता है। वहीं, भारत ने चीन से 11 साल बाद 1991 में विदेशी निवेश के लिए दरवाजे खोले। भारत ग्लोबलाइजेशन की तरफ बढ़ना एक फाइनेंसियल इमर्जेंसी थी। चीन ने अपनी इकोनॉमी में सुधार के लिए जो बदलाव किए उसे सख्ती से लागू किया। वहीं, लोकतांत्रिक देश भारत उदारवादी नीति के तहत आगे बढ़ा। 1962 में हमसे 41% ज्यादा आबादी वाला देश था चीन, अब सिर्फ 4% का अंतर भारत का डिफेंस बजट 4.71 लाख करोड़, चीन का डिफेंस बजट हमसे चार गुना ज्यादा इस साल का भारत का कुल बजट 30.42 लाख करोड़ रुपए का है। जबकि, चीन का 258.40 लाख करोड़ रुपए है। चीन का बजट भारत के मुकाबले 8 गुना से भी ज्यादा है। चीन लगातार अपना डिफेंस बजट भी बढ़ा रहा है। इस वक्त उसका कुल डिफेंस बजट 13.47 लाख करोड़ रुपए का है। वहीं, भारत का डिफेंस बजट चीन के मुकाबले करीब 25% 4.71 लाख करोड़ रुपए है। 1962 में भारत का डिफेंस बजट कुल जीडीपी का 1.5% था। हालांकि, अक्टूबर 1962 में चीन से युद्ध के कारण ये बढकर 2.34% हो गया था। 2018-19 में ये घटकर 1.49 हो गया। 56 साल में पहली बार ऐसा हुआ। 2020-21 के बजट में ये जीडीपी का 2.1% है। ग्लोबल टाइम्स के इस दावे में कुछ नया नहीं है कि भारत चीन से छोटी इकोनॉमी है, लेकिन सैन्य शक्ति में भारत चीन से कमजोर नहीं है। भारत का डिफेंस बजट चीन से छोटा इसलिए भी है क्योंकि चीन भारत से बड़ी इकोनॉमी है। दूसरी वजह यह भी है कि चीन एक दमनकारी और विस्तारवादी कम्युनिस्ट साम्राज्य है और इस सब को बनाए रखने के लिए उसे एक दमनकारी सेना की जरूरत है, जबकि भारत एक सामाजवादी लोकतंत्र है। अगर चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी सेना है तो भारत भी दुनिया में तीसरे नंबर पर है। ग्लोबल टाइम के इस दावे में कोई दम नहीं है की नुकसान सिर्फ भारत का होगा बल्कि दो बड़ी शक्तियों के टकराव से नुकसान दोनों का होता है। चीन अमेरिका से ट्रेड वार का सामना कर रहा है , ऐसे में उसे निवेश के लिए भारत जैसी बड़ी बाजार की जरूरत है। बॉर्डर पर चीन के तरफ से बढ़ाया गया तनाव भारत पर दबाव बनाने का एक तरीका था जिससे कि भारत अपने बाजार के दरवाजे चीन के लिए खोल दे। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें India GDP vs China GDP Growth Rate Comparison 1961-2020 | China Defence Budget Latest News | Know How Much Does China Spends On Defence https://ift.tt/3iGJN06 Dainik Bhaskar 1962 युद्ध के समय हमसे सिर्फ 12% ज्यादा थी चीन की जीडीपी, आज भारत से 5 गुना बड़ी इकोनॉमी, डिफेंस बजट हमसे 8 गुना 

भारत-चीन सीमा पर 22 दिन से जारी तनाव के बाद दोनों देशों की सेनाएं टकराव वाले प्वॉइंट से पीछे हटने को राजी हो गई हैं। हॉट स्प्रिंग और गोगरा इलाके में भी सेनाएं पीछे हट रही हैं। यह प्रक्रिया कुछ दिनों में पूरी हो जाएगी। तनाव के दौरान चीनी सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स में लगातार भारत के खिलाफ लिखा गया। इसी ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट में दावा किया गया कि 1962 में भारत और चीन की अर्थव्यवस्था लगभग बराबर थी। इस वक्त चीन भारत के मुकाबले बहुत बड़ी इकोनॉमी है। अगर भारत और चीन के बीच युद्ध होता है तो भारत को बहुत नुकसान होगा।

आइए जानते हैं 1962 में कैसी थी दोनों देशों की आर्थिक स्थिति, तब से आज तक किस तरह बदली दोनों देशों की अर्थव्यवस्था की हालत। इसके लिए हम दोनों देशों की जीडीपी, पर कैपिटा जीडीपी, एक्सपोर्ट और इंपोर्ट में जीडीपी में हिस्सेदारी, उद्योग का जीडीपी में योगदान, दोनों देशों की आबादी और डिफेंस बजट में आए बदलाव का एनालिसिस करेंगे।

जीडीपी : ओपन करने के बाद चीन की इकोनॉमी 39 गुना और भारत की 9 गुना बढ़ी

1962 में भारत-चीन के बीच युद्ध हुआ। उस वक्त दोनों देशों की ताकत में ज्यादा फर्क नहीं था। तब चीन की जीडीपी भारत से करीब 12% ज्यादा थी। आज दोनों देशों की जीडीपी में 5 गुने से ज्यादा का फर्क हो गया है। चीन ने अपनी इकोनॉमी 1980 में ओपन की। तब से अब तक 39 साल में उसकी इकोनॉमी 75 गुना बढ़ी। वहीं, भारत ने 1991 में अपनी इकोनॉमी ओपन की। इसके बाद 28 साल में भारत की इकोनॉमी 9 गुना बढ़ी है।

2019 में भारत की इकोनॉमी में एक्सपोर्ट की हिस्सेदारी चीन से 0.24% ज्यादा

1962 में दोनों देशों की इकोनॉमी में एक्सपोर्ट की हिस्सेदारी जीडीपी का 4% से कुछ ज्यादा थी। युद्ध के बाद के सालों में दोनों का एक्सपोर्ट घटा। लेकिन 1980 के बाद चीन ने पूरी ताकत के साथ सस्ते सामान और लेबर के जरिए दुनियाभर के बाजारों में अपनी पकड़ बढ़ानी शुरू की। 2010 में उसकी जीडीपी का 27% हिस्सा एक्सपोर्ट से ही आया। हालांकि, बाद के सालों में चीन ने बाकी क्षेत्रों से कमाई बढ़ाई तो एक्सपोर्ट का जीडीपी में योगदान प्रतिशत घटा है।

भारत ने भी 1991 में जब अपनी अर्थव्यवस्था खोली तो उसकी इकोनॉमी में भी एक्सपोर्ट की हिस्सेदारी बढ़ी। 2019 में भारत ने एक्सपोर्ट से अपने जीडीपी में 18.66% जोड़ा तो वहीं चीन 18.42% जोड़ सका। भारत ने 2019 में चीन से 0.24% ज्यादा अपनी जीडीपी में जोड़ा लेकिन, चीन भारत से पांच गुना बड़ी अर्थव्यवस्था है इसलिए उसका 18.41% भी हमारे 18.66% से करीब चार गुना ज्यादा है।

चीन के तुलना में दूसरे देशों से खरीद पर भारत ज्यादा निर्भर, लेकिन इसे घटाने की कोशिश कर रहा

1962 युद्ध के वक्त चीन की तुलना में भारत की जीडीपी में इंपोर्ट की हिस्सेदारी दोगुने से ज्यादा थी। उस वक्त भारत की जीडीपी में इंपोर्ट का हिस्सा 6.03% था तो चीन का 2.91% था। बाद के सालों में दोनों देशों की इकोनॉमी में इंपोर्ट की हिस्सेदारी बढ़ती गई। 2019 में भारत की जीडीपी में इंपोर्ट की हिस्सेदारी चीन से 123% ज्यादा रह गई है। चीन की इकोनॉमी में जहां इंपोर्ट का हिस्सा 17.26% है वहीं, भारत की इकोनॉमी में ये 21.36% है। यानि, भारत और चीन दोनों की दूसरो देशों से खरीद पर निर्भरता बढ़ी है। हालांकि, दोनों देशों ने पिछले दस साल में ये निर्भरता घटाई है।

ग्लोबल ट्रेड में चीन से 14.4% पीछे है भारत
दुनिया को सर्विसेस और समान एक्सपोर्ट से कमाने में भारत से चीन आगे है और दूसरों से खरीदने में भारत से पीछे है, एक मजबूत इकोनॉमी ज्यादा बेचती है और कम खरीदती है, चीन भारत से पांच गुनी बड़ी इकोनॉमी है इसलिए उसने ज्यादा बेचा और कम खरीदा। चीन का ग्लोबल ट्रेड में योगदान 17% है जबकि भारत का ग्लोबल ट्रेड में योगदान 2.6% है।

1962 में भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी चीन से ज्यादा थी, अब हमसे पांच गुना ज्यादा है चीन

1962 में भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी चीन से ज्यादा थी। आज चीन हमसे करीब पांच गुना ज्यादा है।1990 तक हमारी प्रति व्यक्ति जीडीपी चीन से ज्यादा थी। चीन की इकोनॉमी ओपन होने और जनसंख्या नियंत्रण को लेकर सख्त कदम उठाने के कारण चीन की प्रति व्यक्ति जीडीपी बहुत तेजी से बढ़ी।

चीन ने 29 साल में उद्योगों की हिस्सेदारी 5.47% बढ़ाई, भारत 2.57% बढ़ा पाया

इकोनॉमी ओपन करने के बाद चीन की जीडीपी 3200% बढ़ी
भारत से 2 साल बाद 1949 में चीन में व्यवस्था परिवर्तन हुआ। चीन का फोकस डोमेस्टिक इकोनॉमी पर था। उसने यह तय किया कि कहां फॉरेन इन्वेस्टमेंट लाना है और कहां नहीं। उसने इकोनॉमिकल एरिया डेवलप किए, जिसके लिए उसने चीन के दक्षिण तटीय क्षेत्रों को चुना।
चीन में आर्थिक क्रांति लाने वाले डांग श्याओपिंग ने 1978 से कम्युनिस्ट सोशलिस्ट पॉलिटिकल स्ट्रक्चर में सुधार शुरू किया और इकोनॉमी में मॉडर्नाईजेशन लाए। उस वक्त चीन का दुनिया की अर्थव्यवस्था में हिस्सा 1.8% था। श्याओपिंग के सुधारों के बाद चीन की इकोनॉमी में बहुत बड़ा बदलाव आया। इसके कारण 1980 से लेकर 2016 तक चीन की जीडीपी 3200% बढ़ी।

2017 में दुनिया की अर्थव्यवस्था में उसकी हिस्सेदारी 18.2% हो गई। इसी बीच चीन की आधी से ज्यादा आबादी यानी लगभग 70 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से ऊपर लाया गया और 38.5 करोड़ लोग मिडल क्लास में शामिल हुए।

चीन का फॉरेन ट्रेड 17,500% बढ़ा और 2015 तक चीन फॉरेन ट्रेड में वर्ल्ड लीडर के तौर पर उभरा। 1978 में चीन ने पूरे वित्त वर्ष में जितने का ट्रेड किया था, अब वह उतना 48 घंटे में करता है।

वहीं, भारत ने चीन से 11 साल बाद 1991 में विदेशी निवेश के लिए दरवाजे खोले। भारत ग्लोबलाइजेशन की तरफ बढ़ना एक फाइनेंसियल इमर्जेंसी थी। चीन ने अपनी इकोनॉमी में सुधार के लिए जो बदलाव किए उसे सख्ती से लागू किया। वहीं, लोकतांत्रिक देश भारत उदारवादी नीति के तहत आगे बढ़ा।

1962 में हमसे 41% ज्यादा आबादी वाला देश था चीन, अब सिर्फ 4% का अंतर

भारत का डिफेंस बजट 4.71 लाख करोड़, चीन का डिफेंस बजट हमसे चार गुना ज्यादा
इस साल का भारत का कुल बजट 30.42 लाख करोड़ रुपए का है। जबकि, चीन का 258.40 लाख करोड़ रुपए है। चीन का बजट भारत के मुकाबले 8 गुना से भी ज्यादा है। चीन लगातार अपना डिफेंस बजट भी बढ़ा रहा है। इस वक्त उसका कुल डिफेंस बजट 13.47 लाख करोड़ रुपए का है। वहीं, भारत का डिफेंस बजट चीन के मुकाबले करीब 25% 4.71 लाख करोड़ रुपए है। 1962 में भारत का डिफेंस बजट कुल जीडीपी का 1.5% था। हालांकि, अक्टूबर 1962 में चीन से युद्ध के कारण ये बढकर 2.34% हो गया था। 2018-19 में ये घटकर 1.49 हो गया। 56 साल में पहली बार ऐसा हुआ। 2020-21 के बजट में ये जीडीपी का 2.1% है।

ग्लोबल टाइम्स के इस दावे में कुछ नया नहीं है कि भारत चीन से छोटी इकोनॉमी है, लेकिन सैन्य शक्ति में भारत चीन से कमजोर नहीं है। भारत का डिफेंस बजट चीन से छोटा इसलिए भी है क्योंकि चीन भारत से बड़ी इकोनॉमी है। दूसरी वजह यह भी है कि चीन एक दमनकारी और विस्तारवादी कम्युनिस्ट साम्राज्य है और इस सब को बनाए रखने के लिए उसे एक दमनकारी सेना की जरूरत है, जबकि भारत एक सामाजवादी लोकतंत्र है। अगर चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी सेना है तो भारत भी दुनिया में तीसरे नंबर पर है। ग्लोबल टाइम के इस दावे में कोई दम नहीं है की नुकसान सिर्फ भारत का होगा बल्कि दो बड़ी शक्तियों के टकराव से नुकसान दोनों का होता है। चीन अमेरिका से ट्रेड वार का सामना कर रहा है , ऐसे में उसे निवेश के लिए भारत जैसी बड़ी बाजार की जरूरत है। बॉर्डर पर चीन के तरफ से बढ़ाया गया तनाव भारत पर दबाव बनाने का एक तरीका था जिससे कि भारत अपने बाजार के दरवाजे चीन के लिए खोल दे।

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India GDP vs China GDP Growth Rate Comparison 1961-2020 | China Defence Budget Latest News | Know How Much Does China Spends On Defence

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