Facebook SDK

Recent Posts

test

भारत मेंकोरोना वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल शुरू हो गया है। दुनिया में ऐसे 23 ट्रायल जारी है। 140 प्री-क्लिनिकल स्तर पर हैं। वैक्सीन को कई चरणों से गुजरना पड़ता है। देश के पूर्व ड्रग कंट्रोलर जनरल जीएन सिंह ने भास्कर को बताया किवैक्सीन हम तक कैसे पहुंचती है,वैक्सीन बनाने से पहले क्या प्रोसेस अपनाई जाती है... 1 वायरस की जांच-पड़तालः पहले शोधकर्ता पता करते हैं कि वायरस कोशिकाओं को कैसे प्रभावित करता है। वायरस प्रोटीन की संरचना से देखते हैं कि क्या इम्यून सिस्टम बढ़ाने के लिए उसी वायरस का इस्तेमाल हो सकता है। उस एंटीजन को पहचानते हैं,जो एंटीबॉडीज बनाकर इम्यूनिटी बढ़ा सकता है। 2 प्री-क्लिनिकल डेवलपमेंटः मनुष्यों पर परीक्षण से पहले यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि कोई टीका या दवा कितना सुरक्षित है और कारगर है। इसीलिए सबसे पहले जानवरों पर परीक्षण किया जाता है। इसमें सफलता के बाद आगे का काम शुरू होता है, जिसे फेज-1 सेफ्टी ट्रायल्स कहते हैं। 3 क्लिनिकल ट्रायलः इसमें पहली बार इंसानों पर परीक्षण होता है, इसके भी 3 चरण पहला चरणः 18 से 55 साल के 20-100 स्वस्थ लोगों पर परीक्षण। देखते हैं कि पर्याप्त इम्यूनिटी बन रही है या नहीं। दूसरा चरणः 100 से ज्यादा इंसानों पर ट्रायल। बच्चे- बुजुर्ग भी शामिल। पता करते हैं कि असर अलग तो नहीं। तीसरा चरणः हजारों लोगों को खुराक देते हैं। इसी ट्रायल से पता चलता है कि वैक्सीन वायरस से बचा रही है या नहीं। सब कुछ ठीक रहा तो वैक्सीन के सफल होने का ऐलान कर दिया जाता है। दुनिया भर में कैसे मिलती है मान्यता तीसरे चरण का ट्रायल सफल होने पर वैक्सीन या दवा बनाने के लिए सरकार से मंजूरी लेनी होती है। ट्रायल के विभिन्न चरणों के साइंटिफिक डेटा और नतीजों की रिपोर्ट सौंपनी होती है। इसके बाद ही तय होता है कि मंजूरी दी जाए या नहीं। मंजूरी के बाद उत्पादन शुरू कर सकते हैं। वैक्सीन किसी भी देश का हो, दूसरा देश अपने यहां मंजूरी के लिए दोबारा ट्रायल करवा सकता है। कोरोना के मामले में ज्यादातर देशों ने दो चरण का ट्रायल सफल होने पर ही मंजूरी की बात कही है। कई बार अन्य देशों में वैक्सीन या दवा के नतीजों को देखते हुए सीधे इस्तेमाल की मंजूरी भी दी जाती है। हालांकि सरकार साथ-साथ ट्रायल और साइंटिफिक चार्ट बनाकर सौंपने को कह सकती है। अमेरिका में मंजूरी दुनिया में सबसे मुश्किल अमेरिका की फूड एंड ड्रग्स एडमिनिस्ट्रेशन दवा या वैक्सीन को मंजूरी देने के मामले में दुनिया की सबसे सख्त एजेंसी है। ऐसे में इसकी मंजूरी के बाद ज्यादातर देश किसी दवा या वैक्सीन को मंजूरी दे देते हैं। यह वैसे ही है, जैसे अमेरिकी वीजा मिलने के बाद ज्यादातर देशों का वीजा भी आसानी से मिल जाता है। कोरोना वैक्सीन अभी हमसे कितनी दूर रूस की सेचेनोव यूनिवर्सिटी ने दावा किया है कि कोरोना वैक्सीन सितंबर तक आएगी। यूरोपियन मेडिसिन्स एजेंसी के अनुसार पहली वैक्सीन 2021 की शुरूआत में तैयार होगी। जायडस कैडिला के चैयरमैन पंकज पटेल ने कहा वैक्सीन 2021 की शुरूआत में आएगी। अमेरिका की मॉडेर्ना ने कहा कि साल के अंत तक वैक्सीन बाजार में उपलब्ध हो जाएगी। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें Know how the corona vaccine will reach us https://ift.tt/3eHt2yM Dainik Bhaskar भारत में ह्यूमन ट्रायल शुरू, दुनिया भर में 23 ट्रायल जारी, जानिए अगर कोरोना वैक्सीन बन गई तो हम तक कैसे पहुंचेगी?

भारत मेंकोरोना वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल शुरू हो गया है। दुनिया में ऐसे 23 ट्रायल जारी है। 140 प्री-क्लिनिकल स्तर पर हैं। वैक्सीन को कई चरणों से गुजरना पड़ता है। देश के पूर्व ड्रग कंट्रोलर जनरल जीएन सिंह ने भास्कर को बताया किवैक्सीन हम तक कैसे पहुंचती है,वैक्सीन बनाने से पहले क्या प्रोसेस अपनाई जाती है...

1 वायरस की जांच-पड़तालः पहले शोधकर्ता पता करते हैं कि वायरस कोशिकाओं को कैसे प्रभावित करता है। वायरस प्रोटीन की संरचना से देखते हैं कि क्या इम्यून सिस्टम बढ़ाने के लिए उसी वायरस का इस्तेमाल हो सकता है। उस एंटीजन को पहचानते हैं,जो एंटीबॉडीज बनाकर इम्यूनिटी बढ़ा सकता है।

2 प्री-क्लिनिकल डेवलपमेंटः मनुष्यों पर परीक्षण से पहले यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि कोई टीका या दवा कितना सुरक्षित है और कारगर है। इसीलिए सबसे पहले जानवरों पर परीक्षण किया जाता है। इसमें सफलता के बाद आगे का काम शुरू होता है, जिसे फेज-1 सेफ्टी ट्रायल्स कहते हैं।

3 क्लिनिकल ट्रायलः इसमें पहली बार इंसानों पर परीक्षण होता है, इसके भी 3 चरण

पहला चरणः 18 से 55 साल के 20-100 स्वस्थ लोगों पर परीक्षण। देखते हैं कि पर्याप्त इम्यूनिटी बन रही है या नहीं।
दूसरा चरणः 100 से ज्यादा इंसानों पर ट्रायल। बच्चे- बुजुर्ग भी शामिल। पता करते हैं कि असर अलग तो नहीं।

तीसरा चरणः हजारों लोगों को खुराक देते हैं। इसी ट्रायल से पता चलता है कि वैक्सीन वायरस से बचा रही है या नहीं। सब कुछ ठीक रहा तो वैक्सीन के सफल होने का ऐलान कर दिया जाता है।

दुनिया भर में कैसे मिलती है मान्यता
तीसरे चरण का ट्रायल सफल होने पर वैक्सीन या दवा बनाने के लिए सरकार से मंजूरी लेनी होती है। ट्रायल के विभिन्न चरणों के साइंटिफिक डेटा और नतीजों की रिपोर्ट सौंपनी होती है। इसके बाद ही तय होता है कि मंजूरी दी जाए या नहीं। मंजूरी के बाद उत्पादन शुरू कर सकते हैं।

  • वैक्सीन किसी भी देश का हो, दूसरा देश अपने यहां मंजूरी के लिए दोबारा ट्रायल करवा सकता है। कोरोना के मामले में ज्यादातर देशों ने दो चरण का ट्रायल सफल होने पर ही मंजूरी की बात कही है।
  • कई बार अन्य देशों में वैक्सीन या दवा के नतीजों को देखते हुए सीधे इस्तेमाल की मंजूरी भी दी जाती है। हालांकि सरकार साथ-साथ ट्रायल और साइंटिफिक चार्ट बनाकर सौंपने को कह सकती है।

अमेरिका में मंजूरी दुनिया में सबसे मुश्किल

अमेरिका की फूड एंड ड्रग्स एडमिनिस्ट्रेशन दवा या वैक्सीन को मंजूरी देने के मामले में दुनिया की सबसे सख्त एजेंसी है। ऐसे में इसकी मंजूरी के बाद ज्यादातर देश किसी दवा या वैक्सीन को मंजूरी दे देते हैं। यह वैसे ही है, जैसे अमेरिकी वीजा मिलने के बाद ज्यादातर देशों का वीजा भी आसानी से मिल जाता है।

कोरोना वैक्सीन अभी हमसे कितनी दूर

  • रूस की सेचेनोव यूनिवर्सिटी ने दावा किया है कि कोरोना वैक्सीन सितंबर तक आएगी।
  • यूरोपियन मेडिसिन्स एजेंसी के अनुसार पहली वैक्सीन 2021 की शुरूआत में तैयार होगी।
  • जायडस कैडिला के चैयरमैन पंकज पटेल ने कहा वैक्सीन 2021 की शुरूआत में आएगी।
  • अमेरिका की मॉडेर्ना ने कहा कि साल के अंत तक वैक्सीन बाजार में उपलब्ध हो जाएगी।


आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
Know how the corona vaccine will reach us


from Dainik Bhaskar /national/news/know-how-the-corona-vaccine-will-reach-us-127535788.html
via IFTTT
भारत मेंकोरोना वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल शुरू हो गया है। दुनिया में ऐसे 23 ट्रायल जारी है। 140 प्री-क्लिनिकल स्तर पर हैं। वैक्सीन को कई चरणों से गुजरना पड़ता है। देश के पूर्व ड्रग कंट्रोलर जनरल जीएन सिंह ने भास्कर को बताया किवैक्सीन हम तक कैसे पहुंचती है,वैक्सीन बनाने से पहले क्या प्रोसेस अपनाई जाती है... 1 वायरस की जांच-पड़तालः पहले शोधकर्ता पता करते हैं कि वायरस कोशिकाओं को कैसे प्रभावित करता है। वायरस प्रोटीन की संरचना से देखते हैं कि क्या इम्यून सिस्टम बढ़ाने के लिए उसी वायरस का इस्तेमाल हो सकता है। उस एंटीजन को पहचानते हैं,जो एंटीबॉडीज बनाकर इम्यूनिटी बढ़ा सकता है। 2 प्री-क्लिनिकल डेवलपमेंटः मनुष्यों पर परीक्षण से पहले यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि कोई टीका या दवा कितना सुरक्षित है और कारगर है। इसीलिए सबसे पहले जानवरों पर परीक्षण किया जाता है। इसमें सफलता के बाद आगे का काम शुरू होता है, जिसे फेज-1 सेफ्टी ट्रायल्स कहते हैं। 3 क्लिनिकल ट्रायलः इसमें पहली बार इंसानों पर परीक्षण होता है, इसके भी 3 चरण पहला चरणः 18 से 55 साल के 20-100 स्वस्थ लोगों पर परीक्षण। देखते हैं कि पर्याप्त इम्यूनिटी बन रही है या नहीं। दूसरा चरणः 100 से ज्यादा इंसानों पर ट्रायल। बच्चे- बुजुर्ग भी शामिल। पता करते हैं कि असर अलग तो नहीं। तीसरा चरणः हजारों लोगों को खुराक देते हैं। इसी ट्रायल से पता चलता है कि वैक्सीन वायरस से बचा रही है या नहीं। सब कुछ ठीक रहा तो वैक्सीन के सफल होने का ऐलान कर दिया जाता है। दुनिया भर में कैसे मिलती है मान्यता तीसरे चरण का ट्रायल सफल होने पर वैक्सीन या दवा बनाने के लिए सरकार से मंजूरी लेनी होती है। ट्रायल के विभिन्न चरणों के साइंटिफिक डेटा और नतीजों की रिपोर्ट सौंपनी होती है। इसके बाद ही तय होता है कि मंजूरी दी जाए या नहीं। मंजूरी के बाद उत्पादन शुरू कर सकते हैं। वैक्सीन किसी भी देश का हो, दूसरा देश अपने यहां मंजूरी के लिए दोबारा ट्रायल करवा सकता है। कोरोना के मामले में ज्यादातर देशों ने दो चरण का ट्रायल सफल होने पर ही मंजूरी की बात कही है। कई बार अन्य देशों में वैक्सीन या दवा के नतीजों को देखते हुए सीधे इस्तेमाल की मंजूरी भी दी जाती है। हालांकि सरकार साथ-साथ ट्रायल और साइंटिफिक चार्ट बनाकर सौंपने को कह सकती है। अमेरिका में मंजूरी दुनिया में सबसे मुश्किल अमेरिका की फूड एंड ड्रग्स एडमिनिस्ट्रेशन दवा या वैक्सीन को मंजूरी देने के मामले में दुनिया की सबसे सख्त एजेंसी है। ऐसे में इसकी मंजूरी के बाद ज्यादातर देश किसी दवा या वैक्सीन को मंजूरी दे देते हैं। यह वैसे ही है, जैसे अमेरिकी वीजा मिलने के बाद ज्यादातर देशों का वीजा भी आसानी से मिल जाता है। कोरोना वैक्सीन अभी हमसे कितनी दूर रूस की सेचेनोव यूनिवर्सिटी ने दावा किया है कि कोरोना वैक्सीन सितंबर तक आएगी। यूरोपियन मेडिसिन्स एजेंसी के अनुसार पहली वैक्सीन 2021 की शुरूआत में तैयार होगी। जायडस कैडिला के चैयरमैन पंकज पटेल ने कहा वैक्सीन 2021 की शुरूआत में आएगी। अमेरिका की मॉडेर्ना ने कहा कि साल के अंत तक वैक्सीन बाजार में उपलब्ध हो जाएगी। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें Know how the corona vaccine will reach us https://ift.tt/3eHt2yM Dainik Bhaskar भारत में ह्यूमन ट्रायल शुरू, दुनिया भर में 23 ट्रायल जारी, जानिए अगर कोरोना वैक्सीन बन गई तो हम तक कैसे पहुंचेगी? 

भारत मेंकोरोना वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल शुरू हो गया है। दुनिया में ऐसे 23 ट्रायल जारी है। 140 प्री-क्लिनिकल स्तर पर हैं। वैक्सीन को कई चरणों से गुजरना पड़ता है। देश के पूर्व ड्रग कंट्रोलर जनरल जीएन सिंह ने भास्कर को बताया किवैक्सीन हम तक कैसे पहुंचती है,वैक्सीन बनाने से पहले क्या प्रोसेस अपनाई जाती है...

1 वायरस की जांच-पड़तालः पहले शोधकर्ता पता करते हैं कि वायरस कोशिकाओं को कैसे प्रभावित करता है। वायरस प्रोटीन की संरचना से देखते हैं कि क्या इम्यून सिस्टम बढ़ाने के लिए उसी वायरस का इस्तेमाल हो सकता है। उस एंटीजन को पहचानते हैं,जो एंटीबॉडीज बनाकर इम्यूनिटी बढ़ा सकता है।

2 प्री-क्लिनिकल डेवलपमेंटः मनुष्यों पर परीक्षण से पहले यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि कोई टीका या दवा कितना सुरक्षित है और कारगर है। इसीलिए सबसे पहले जानवरों पर परीक्षण किया जाता है। इसमें सफलता के बाद आगे का काम शुरू होता है, जिसे फेज-1 सेफ्टी ट्रायल्स कहते हैं।

3 क्लिनिकल ट्रायलः इसमें पहली बार इंसानों पर परीक्षण होता है, इसके भी 3 चरण

पहला चरणः 18 से 55 साल के 20-100 स्वस्थ लोगों पर परीक्षण। देखते हैं कि पर्याप्त इम्यूनिटी बन रही है या नहीं।
दूसरा चरणः 100 से ज्यादा इंसानों पर ट्रायल। बच्चे- बुजुर्ग भी शामिल। पता करते हैं कि असर अलग तो नहीं।

तीसरा चरणः हजारों लोगों को खुराक देते हैं। इसी ट्रायल से पता चलता है कि वैक्सीन वायरस से बचा रही है या नहीं। सब कुछ ठीक रहा तो वैक्सीन के सफल होने का ऐलान कर दिया जाता है।

दुनिया भर में कैसे मिलती है मान्यता
तीसरे चरण का ट्रायल सफल होने पर वैक्सीन या दवा बनाने के लिए सरकार से मंजूरी लेनी होती है। ट्रायल के विभिन्न चरणों के साइंटिफिक डेटा और नतीजों की रिपोर्ट सौंपनी होती है। इसके बाद ही तय होता है कि मंजूरी दी जाए या नहीं। मंजूरी के बाद उत्पादन शुरू कर सकते हैं।

वैक्सीन किसी भी देश का हो, दूसरा देश अपने यहां मंजूरी के लिए दोबारा ट्रायल करवा सकता है। कोरोना के मामले में ज्यादातर देशों ने दो चरण का ट्रायल सफल होने पर ही मंजूरी की बात कही है।

कई बार अन्य देशों में वैक्सीन या दवा के नतीजों को देखते हुए सीधे इस्तेमाल की मंजूरी भी दी जाती है। हालांकि सरकार साथ-साथ ट्रायल और साइंटिफिक चार्ट बनाकर सौंपने को कह सकती है।

अमेरिका में मंजूरी दुनिया में सबसे मुश्किल

अमेरिका की फूड एंड ड्रग्स एडमिनिस्ट्रेशन दवा या वैक्सीन को मंजूरी देने के मामले में दुनिया की सबसे सख्त एजेंसी है। ऐसे में इसकी मंजूरी के बाद ज्यादातर देश किसी दवा या वैक्सीन को मंजूरी दे देते हैं। यह वैसे ही है, जैसे अमेरिकी वीजा मिलने के बाद ज्यादातर देशों का वीजा भी आसानी से मिल जाता है।

कोरोना वैक्सीन अभी हमसे कितनी दूर

रूस की सेचेनोव यूनिवर्सिटी ने दावा किया है कि कोरोना वैक्सीन सितंबर तक आएगी।

यूरोपियन मेडिसिन्स एजेंसी के अनुसार पहली वैक्सीन 2021 की शुरूआत में तैयार होगी।

जायडस कैडिला के चैयरमैन पंकज पटेल ने कहा वैक्सीन 2021 की शुरूआत में आएगी।

अमेरिका की मॉडेर्ना ने कहा कि साल के अंत तक वैक्सीन बाजार में उपलब्ध हो जाएगी।

आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें

Know how the corona vaccine will reach us

https://ift.tt/3eHt2yM Dainik Bhaskar भारत में ह्यूमन ट्रायल शुरू, दुनिया भर में 23 ट्रायल जारी, जानिए अगर कोरोना वैक्सीन बन गई तो हम तक कैसे पहुंचेगी? Reviewed by Manish Pethev on July 21, 2020 Rating: 5

No comments:

If you have any suggestions please send me a comment.

Flickr

Powered by Blogger.