कोरोना से न केवल अदालतों के कामकाज का तरीका बदला है, बल्कि जजों के काम करने का तरीका भी बदल गया है। ऐसे ही एक बदलाव का जिक्र सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड ने भी मंगलवार को किया। उन्होंने कहा कि कोरोना ने उन्हें आत्मनिर्भर बना दिया है। अब अपना आदेश खुद ही टाइप कर लेता हूं। जिसका फायदा मुझे नजर आ रहा है। दरअसल, वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से मंगलवार को सुनवाई के दौरान एक वकील ने कहा कि कोरोना में हम वकीलों को काफी कुछ सीखने को मिला है। अब भाषाई-वर्तनी की गलतियां भी नहीं होती जस्टिस चंद्रचूड ने कहा, “पहले मैं अपने आदेश अपने कोर्ट मास्टर को डिक्टेट करता था, जो टाइप कराकर मुझे एक प्रति देता था। फिर इस आदेश की मैं भाषाई व वर्तनी की गलतियों को दूर करता था। इसके बाद फिर से गलतियों की शुद्धियों के साथ फाइनल कॉपी निकलती थी, जिस पर मैं हस्ताक्षर करता था। मगर कोरोना काल में कोर्ट कर्मचारियों की अनुपलब्धता के कारण मैंने खुद ही अपने आदेश लैपटॉप पर लिखना शुरू किया। अब मुझे इसकी आदत पड़ गई है। यह मुझे कोर्ट मास्टर को आदेश देने के मुकाबले ज्यादा आसान, सरल और सहज लगता है।’ इस आदेश में भाषाई-वर्तनी की गलतियां भी नहीं होती। समय भी बचता है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में मार्च से ही कोरोना के कारण सुप्रीम कोर्ट के जजों ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग से मामलों की सुनवाई शुरू की थी। यह प्रक्रिया अभी भी चल रही है। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें जस्टिस चंद्रचूड़ https://ift.tt/32EZZcG Dainik Bhaskar कोरोना ने आत्मनिर्भर बनाया, मैं सहयोगी के बगैर आदेश टाइप कर लेता हूं: जस्टिस चंद्रचूड
कोरोना से न केवल अदालतों के कामकाज का तरीका बदला है, बल्कि जजों के काम करने का तरीका भी बदल गया है। ऐसे ही एक बदलाव का जिक्र सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड ने भी मंगलवार को किया। उन्होंने कहा कि कोरोना ने उन्हें आत्मनिर्भर बना दिया है। अब अपना आदेश खुद ही टाइप कर लेता हूं। जिसका फायदा मुझे नजर आ रहा है। दरअसल, वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से मंगलवार को सुनवाई के दौरान एक वकील ने कहा कि कोरोना में हम वकीलों को काफी कुछ सीखने को मिला है।
अब भाषाई-वर्तनी की गलतियां भी नहीं होती
जस्टिस चंद्रचूड ने कहा, “पहले मैं अपने आदेश अपने कोर्ट मास्टर को डिक्टेट करता था, जो टाइप कराकर मुझे एक प्रति देता था। फिर इस आदेश की मैं भाषाई व वर्तनी की गलतियों को दूर करता था। इसके बाद फिर से गलतियों की शुद्धियों के साथ फाइनल कॉपी निकलती थी, जिस पर मैं हस्ताक्षर करता था। मगर कोरोना काल में कोर्ट कर्मचारियों की अनुपलब्धता के कारण मैंने खुद ही अपने आदेश लैपटॉप पर लिखना शुरू किया।
अब मुझे इसकी आदत पड़ गई है। यह मुझे कोर्ट मास्टर को आदेश देने के मुकाबले ज्यादा आसान, सरल और सहज लगता है।’ इस आदेश में भाषाई-वर्तनी की गलतियां भी नहीं होती। समय भी बचता है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में मार्च से ही कोरोना के कारण सुप्रीम कोर्ट के जजों ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग से मामलों की सुनवाई शुरू की थी। यह प्रक्रिया अभी भी चल रही है।
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